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Incest All short story collected from Net

आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

  • माँ - बेटा

  • भाई - बहेन

  • देवर - भाभी

  • दामाद – सासु

  • ससुर – बहु


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junglecouple1984

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very sexy story.
Thanks For replay
 

junglecouple1984

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Thanks For replay
 

junglecouple1984

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Cery sexy story.
Thanks For replay
 

karthik90

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bhai behan ki romantic story post kijiye please
 

junglecouple1984

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मां ने मुझसे जमकर अपनी चुत चुदवाई



आज मैं फिर से अपनी पिछली कहानी

गलतफहमी में माँ ने मुझसे चुदाई करवाई

का आगे का किस्सा सुनाने के लिए हाजिर हूँ.

मेरी सेक्स कहानी के पहले भाग के लिए आप लोगों के मुझे ढेरों ईमेल आए और आप सभी को मेरी कहानी अच्छी लगी.
ये जानकर मुझे बहुत अच्छा लगा.

इस मादरचोद सेक्स कहानी का अगला भाग लाने में देरी हुई, इसके लिए माफी चाहता हूं.

जैसा कि मैंने कहानी के पिछले अंक में बताया था कि कैसे गलतफ़हमी की वज़ह से मैंने अपनी प्यारी मां के साथ सम्भोग किया था और कैसे सुबह उठकर मैं पकड़ा गया.

उसके आगे क्या हुआ, ये जानकर आप भी कामवासना की हवस से मस्त हो जाओगे.

जैसे ही सुबह हुई, मैं अपने बिस्तर में अंगड़ाई लेने लगा.
और जैसे ही मेरी आंख खुली तो मेरे सामने मेरी मां खड़ी थीं. उनके चेहरे के हावभाव से साफ़ लग रहा था कि वो मुझे जी भरके मारना चाहती हैं.

लेकिन मैंने अपनी नजरें चुरा लीं और मैं नहाने के लिए बाथरूम की तरफ चला गया.

लेकिन दोस्तो, ये जवानी भी क्या चीज़ है … जैसे ही शॉवर का पानी मेरे बदन पर गिरा, मेरा लंड सांप की फन उठा कर खड़ा हो गया. मुझे पिछली रात की वो मां की चुदाई याद आने लगी.
वो उनके बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन, उनकी फूली हुई गांड और वो रसीली चूत.

मैंने जैसे-तैसे अपने आप पर काबू पाया और मैं बाथरूम से नहाकर निकल आया.

मेरे पिताजी ऑफिस के लिए निकल चुके थे. अब हम दोनों ही घर पर थे.

तभी मां ने मुझे नाश्ते के लिए बुलाया.
मैं चुपचाप जाकर खाने की मेज़ पर जाकर बैठ गया.

मां मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठी हुई थीं … और मुझे घूरे जा रही थीं.

कुछ पल बाद मां ने मुझसे धीमी आवाज में पूछा- तुझे कल रात के बारे में याद है कि तुमने क्या किया था?
मैंने कोई जवाब नहीं दिया.

फिर उन्होंने कहा- जो कुछ भी हुआ एक सपना समझ कर भूल जाना.
मैंने अपनी गर्दन हिला कर हां में जवाब दे दिया.

लेकिन क्या करूं मेरी नियत फिसल चुकी थी.
उन्होंने इस समय वही नाइटी पहनी हुई थी और उनका मदमस्त यौवन से छलकता बदन मुझे अपनी ओर चुम्बक की तरह खींच रहा था. मेरा जी कर रहा था कि मैं वहीं पर ही मां की नाइटी फाड़ दूँ और उन्हें पटक कर यहीं चोद दूँ.

मैं जैसे ही अपने मेज से उठा, मेरा खड़ा लंड मेरे पाजामे में साफ़ दिख रहा था.
और मेरी मां ने उसे देखा भी लेकिन उन्होंने नजर घुमा ली.

मैं अपने कमरे में चला गया.

थोड़ी देर बाद मैंने सोचा कि अगर मां को अच्छा नहीं लगा होता … तो वो अब तक पापा के हाथों मेरी पिटाई करवा चुकी होतीं.

ये सोचते ही मेरा मूड बनने लगा और मैंने एक बार फिर से मां की चुदाई की कोशिश करने की ठान ली.

उस समय मां रसोई में खाना बना रही थीं. उन्होंने काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी. उस साड़ी में उनका पिछला फूला हुआ भाग साफ़ दिख रहा था.
खिंचाव के कारण साड़ी गांड के सिरे में फंसी हुई थी. बैकलेस ब्लाउज होने के कारण उनकी गोरी पीठ साफ झलक रही थी.

मां का मदमस्त हुस्न देख कर मेरा लंड सलामी देने लगा. मैं पानी पीने के बहाने रसोई में गया. उन्होंने भी मुझे तिरछी नजर से देखा और अपने काम में जुट गईं.

पानी पीने के बाद मैं उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया; उनकी पीठ से टपकते हुई पसीने की बूंद पर मेरी नजर गई.

मैंने हल्के से अपने होंठ पीठ की घाटी के मार्ग पर रख दिए.
मेरा स्पर्श पाते ही वो बोली- मैं तुम्हारी मां हूँ.
मैंने नासमझी की ऐक्टिंग की और उनसे कहा- मां, मेरे पाजामे में कुछ तो हो रहा है.

ये कहते हुए मैंने अपना नाड़ा खोल दिया.
मेरा लंड उनके सामने तोप की तरह खड़ा था.

वो बोलीं- मैं तुम्हारी मां हूँ.
मैं बोला- लेकिन मां यह चीज जो खड़ी है, उसका क्या करूं … आप ही बताओ!

उन्होंने कहा- बाथरूम में चलो.

वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाथरूम में ले गईं.
उधर वो बोली- अपने लंड पर ठंडा पानी डालो.

उनके मुँह से लंड सुनकर मेरा और भी टाइट हो गया. मैंने वैसा ही किया, पर कुछ असर नहीं हुआ.

तब तक मां मेरे खड़े लंड को घूरे जा रही थीं.
ये बात मैं जान चुका था कि मां को लंड मस्त लग रहा है.

तो मैं मां से बोला- मां आप ही कुछ करो न!
फिर मां ने मेरा लंड अपने कोमल हाथों में ले लिया और बोलीं- यह बात किसी को नहीं बताना.
तब मां अपने हाथों से मेरे लंड पर मुठ मारने लगीं.

सूखेपन के कारण उनके हाथ ठीक से नहीं चल रहे थे. मां ने मेरे लंड पर थूक लगाया और जोर जोर से मुठियाने लगी.
थूक के गीलेपन के कारण ‘सट सट सट ..’ की आवाज गूंजने लगीं.

मां बीच में अपने होंठ काट रही थीं और मैं यह भांप गया था.
मैंने मां को बोला- कुछ असर नहीं हो रहा है.

मां बोलीं- हे भगवान … क्या मुसीबत है … तू झड़ता क्यों नहीं!
मैं बोला- पता नहीं … आप कोई और रास्ता अपनाओ न!
वो बोलीं- ठीक है.

फिर उन्होंने अपने नाजुक होंठ मेरे लंड के सुपारे पर रखे और छुआ. इससे मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई.
मां मेरा लंड चूसने लगीं.

वो पहले तो ऊपर ऊपर चूस रही थीं … लेकिन जब उनको भी मजा आने लगा तो भर भर कर लंड चूसने लगीं.

मैंने उनका सर अपने हाथों से पकड़ा और जोर जोर से उनके सर को आगे पीछे करने लगा.
लंड बड़ा होने के कारण उनके गले तक मेरा लंड जाने लगा. ‘पच पच पच ..’ की आवाज से मेरा रोमांच बढ़ गया.
मां भी मजे से लंड चूसने में लगी थीं.

मैं भी पूरा हरामी ठहरा था, मैंने उनके मुँह में वीर्य छोड़ दिया.

जैसे ही में झड़ा, उन्होंने लंड का रस थूक दिया और बोलीं- हरामी, अपनी मां के मुँह में ही झड़ गया … भाग इधर से अब कभी अपनी शक्ल नहीं दिखाना.
मैं उनके सामने गिड़गिड़ाते हुए बोला- मां माफ़ कर दो … दोबारा ऐसा नहीं करूंगा, मुझे तो पता भी नहीं कि मैं क्या कर रहा हूँ.

मेरा नाटक वो भांप नहीं पाईं और बड़बड़ाती हुई बाहर निकल गईं.

कुछ देर बाद उनकी आवाज आई- आ जा खाना खा ले.
मैं आ गया और हम दोनों ने खाना खाया.

फिर दोपहर की नींद के लिए सोने चले गए.

आज मां दूसरे कमरे सोई हुई थीं. लेकिन मेरी भी जिद थी कि मैं आज माँ की चूत चोद कर रहूँगा.

मैं मां के कमरे में गया और देखा कि मां अपने बेड पर सोयी हुई थीं; उनकी साड़ी उनकी जांघों तक उपर उठ चुकी थी. उसमें से उनकी काले रंग की निकर साफ़ दिख रही थी.

मां के गोरे पैर देख कर मेरा उन्हें चाटने का मन करने लगा.
लेकिन अगर मैं सीधे सीधे उन पर चढ़ जाता तो मां शायद नाराज हो जातीं.
इसलिए मैंने तरकीब लगायी.

मैं मां के पास जाकर खड़ा हो गया और उन्हें जगाने लगा.
नींद से उठकर मां ने पूछा- अब क्या हुआ?

मैं मां को अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए बोला- मुझे फिर से कुछ हो रहा है.
मां ने मुझे घूरा.

लेकिन मैं बोला- मां, इसमें मेरी क्या गलती है. मुझे पता भी नहीं कि मेरे साथ ये क्या हो रहा है और अब आप ही कुछ करो.

मैंने अपना पजामा उतारा और मां के सामने नंगा खड़ा हो गया. मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.

मेरे लंड की गरमाहट से शायद मां भी सिसक उठीं. उसने तुरंत मेरे लंड को सहलाना चालू कर दिया.
इस बार उनकी आंखें कुछ और ही जता रही थीं.

मां अपने मुँह से थूक निकाल कर लंड पर मलने लगीं और उसे हिलाने लगीं.
बीच में वो अपने होंठ भी काटने लगीं.

मैंने इस बार उनका सिर पकड़ कर सीधा मुँह में लंड घुसेड़ दिया.
वो भी जोर जोर से लंड चूसने लगीं. मैंने उनके बाल खोल दिए ताकि जोर से उसका सिर पकड़ सकूं.

मैं इसके आगे भी कुछ करना चाहता था. इसलिए मैंने अपना एक हाथ उनके स्तन पर रख दिया और जोर से दबोच लिया.

उसी के साथ वो चिहुंक उठीं और बोलीं- क्या कर रहा है … मेरे मम्मे क्यों दबा रहा है … अपनी मां के दूध छोड़ दे.

लेकिन मैं भी उनकी बात क्यों मानता, मैंने फिर से मां के मुँह में लंड दे दिया और जोर जोर से उनके दूध मसलने लगा.
मैंने उनका सिर दबोच रखा था.

थोड़ी देर के बाद वो भी मस्त होकर लंड चूसने में मगन हो गईं. मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोलने शुरू कर दिए और ब्लाउज निकाल कर फेंक दिया.
वे कुछ नहीं बोलीं.

मैं उनके बड़े बड़े मम्मे मसलने लगा.

मां जोर जोर से सिसकारियां लेने लगीं. उसकी सांसें मेरे लंड को गर्म अहसास देने लगीं.
मैं और उत्तेजित हो गया. मैं बोला- मां, क्या मैं फिर से आपके दूध पी सकता हूं?
वो बोलीं- पगले, अब थोड़ी ना दूध आएगा … लेकिन अगर तू चाहता है तो इन्हें चूस सकता है.

बस मुझे इसी मौके का इंतजार था; मैं झट से उनके स्तनों को सहलाने लगा और एक स्तन मुँह में भरने लगा.

मां सेक्सी आवाज में बोलीं- आह चूस ले … मेरे इन दोनों को चूस ले. तेरे बाप ने इनको छुआ तक नहीं. तू आज भरपूर चूस ले … आअहह हम्मह … मसल दे आज इनको!

मैं भी जोरों से माँ की चूचियां चूसने लगा और हाथ से निचोड़ने लगा.

मां और भी तेजी से सांसें छोड़ने लगीं- आहह … ह्म्म्म … ले और मुँह में ले … भर ले पूरे मुँह में … ओहह हहआ मेरे राजा.

मैं उनकी चूचियों निप्पल को भी मसलने लगा.
वो अंगड़ाई लेने लगी थीं शायद उनकी चूत में से रस आने लगा था.

मैं उनके पूरे शरीर का लुत्फ़ उठाना चाहता था.
मां के गले को मैं पागलों की तरह चूमने लगा; उनको पूरी तरह से अपनी बांहों में भर चुका था.

फिर मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और पागलों की तरह चूमने लगा. वो भी मेरा भरपूर समर्थन कर रही थीं. वो भी मेरे लंड को हिलाए जा रही थीं.

फिर मैंने पल भर की देरी ना करते हुए अपनी उंगली उनकी नाभि के ऊपर से ले जाकर चूत की गुलाबी फांकों पर मलने लगा.

उसी समय वो सम्भल गईं और बोलीं- ये गलत है … तुम मेरे बेटे हो. हमें दुबारा ये गलती नहीं करनी चाहिए.
मैं बोला- मां, इसमें कोई गलत नहीं है, हम पहले भी ये कर चुके हैं.

मैंने उनकी जीभ को जकड़ लिया और चूसने लगा.
उनकी लार मुझे उत्तेजित कर रही थीं. मैंने धीरे से अपनी उंगली माँ की चूत में घुसा दी.

कसम से मां की चुत इतनी गीली हो गयी थी कि उंगली तक फिसल गई.
मैंने उनकी साड़ी निकाल कर फेंक दी.

दिन के उजाले में मां को नंगी देख कर मेरी रूह भिन्ना गई. उनको अपनी बांहों में लेकर चूमने लगा, उनके मम्मों को चूसने लगा.
फिर चूत का रस चाटने के लिए उनकी चड्डी निकाल कर फेंक दी.

अपनी मां को पलंग पर लुढ़का कर सीधे उनकी चूत के पास आ गया.
मां की चूत की खुशबू से दिमाग की नसें फट गईं. मां की झांटें भी गीली हो चुकी थीं.

वे बोलीं- क्या कर रहे हो?
मैं बोला- मां ये कुछ तो चिपचिपा सा लग रहा हैं, क्या मैं इसे टेस्ट करूं?
वे दबी हुई सांसों में बोलीं- जैसे स्तन को चूसा … वैसे ही इसे भी चाट ले, पूरा पानी पी जा!

बस फिर क्या था … मैं मां की चुत पर टूट पड़ा और चुत का पानी चूसने लगा.
साथ ही मैं अपनी दो उंगलियां चुत में अन्दर बाहर करने लगा और जीभ भी अन्दर डाल कर चूसने लगा.

सच कह रहा हूँ दोस्तो, इतना स्वादिष्ट रस था कि आज तक मैंने चूत रस जैसा शायद ही कुछ चखा हो.

उधर कामातुर हो चुकी मेरी मां मुझे जांघों के बीच में दबाने लगीं और बोलीं- ओह … मेरे बेटा कहां से सीख कर आया तू यह चुत चाटना … इस्शस … ऐसे ही और चूस … ओ मेरे राजा … तेरा बाप तो कभी चख नहीं पाया ये यौवन रस … अब तेरा नसीब खुल गया है … चाट ले.

मैं भी अपनी पूरी जीभ चुत में पूरी तरह घुसा चुका था.

बहुत समय चाटने के बाद मां ने मुझे बांहों में भर लिया और चूमने लगीं.
मां बोली- बेटा आज तूने सम्भोग के अंतिम चरण में पहुंचा दिया.

मगर मेरी प्यास अभी तक बुझी नहीं थी. मैंने मां से कहा- मां, आप तो संतुष्ट हो गईं … मगर मेरा क्या? अब इस लंड कौन शांत करेगा?

अब तक मैं भी ढीठ बन चुका था.

वो बोलीं- और क्या करना चाहता है?
मैं बोला- आज आपकी राजी से आपकी चुत को चोदना चाहता हूं.

वो बोलीं- हरामखोर अपनी मां को चोदेगा … साले शर्म कर!
मैंने कहा- जब आप मुँह में लंड ले लेती हो … तो चुत में भी ले लो, क्या फर्क़ पड़ेगा. गर्म तो आप हो ही चुकी हो … बस अब और नखरे मत करो और जल्दी से टांगें फैला दो.
वो बोलीं- साले मादरचोद … अपनी मां की मजबूरी का फायदा उठा रहा है. ले चोद ले, लेकिन ये आखिरी बार होगा.

मां ने अपनी टांगें फैलाते हुए चुत खोल दी.
मैंने भी झट से अपना लंड मां की चूत के मुहाने पर रखा और एक ही झटके में अन्दर घुसा दिया.

वो चिल्ला पड़ीं- आह धीरे घुसेड़ हरामी … मेरी चुत फाड़ेगा क्या!

मैंने मां की चीख को अनसुना करते हुए उनको हचक कर चोदना शुरू कर दिया.
मेरे जोर जोर से धक्के देने के कारण उनकी मादक सिसकारियां निकलने लगीं और वो जोर जोर से चिल्लाने लगीं.

मैंने मां को किस करते हुए उनके होंठों को दबा लिया ताकि उनकी तेज स्वर की मादक आवाजें बाहर ना जा सकें.

धकापेल चुदाई चलने लगी. मेरी मां भी मेरे लंड का मजा लेने लगीं.

बीस मिनट की चुदाई के दौरान मां दो बार झड़ गई थीं.

कुछ देर बाद मैंने मां को घोड़ी बनने के लिए कहा.
मेरी मां किसी बाजारू रांड के जैसे चुदाई के इतने नशे में थीं कि झट से पलट कर कुतिया बन गईं.

मैंने पीछे से मां की चुत में लंड पेल दिया. चुदाई धकापेल चालू हो गई.

लंड चूतड़ों से टकराता तो थप … थप … की आवाज आने लगी. इससे कमरा गूंज उठा था.

मां मस्ती से पागल हुए जा रही थीं- आह चोद दे भड़वे आहह चोद … मादरचोद आहहां … उफ्फ …. कितना बड़ा लंड है तेरा … उम्म आह मजा आ गया … आह अपनी मां की चुत फाड़ दे.

मैं भी अब अपनी चरम सीमा पर आ गया था. मैंने मां से कहा- मां, मेरा पानी निकलने वाला है. आप अपना मुँह खोल दो जल्दी से.
मां ने मुँह खोल दिया और मैंने अपना लंड चुत से निकाला और मां के मुँह में दे दिया.

वो मेरा लंड चूसने लगीं.

थोड़ी ही देर बाद मैं उनके मुँह में झड़ गया. इस बार मेरी रांड जैसी मां मेरे लौड़े का पूरा पानी पी गईं और निढाल हो कर पलंग पर गिर गईं.
मां की चूत पूरी तरह लाल हो चुकी थी और वो भी थक चुकी थीं.

मैंने जैसे ही मां की चुत में हाथ लगाया, वो दर्द के मारे चीख उठीं- क्या कर रहा है मां के लौड़े … साले चोद चोद कर चुत सुजा कर ला कर दी. अब तो मुझे मूतने में भी दिक्कत होगी. आह हरामी बहुत साल बाद किसी ने मुझे ऐसे चोदा है.

मां की इस बात पर मुझे शक हुआ और मैंने उनसे पूछा- इसका क्या मतलब हुआ मां … क्या आप पहले भी किसी और से चुद चुकी हैं.

मेरी बात सुनकर मां एकदम से डर गईं और उन्होंने मुझे कमरे से जाने के लिए कह दिया. मैं भी चुपचाप कमरे से बाहर निकल गया.

मां की बात सुनकर आज मेरे मन में एक सवाल खड़ा हो गया था कि क्या मेरी मां वास्तव में मेरे बाप के अलावा किसी और से चुद चुकी हैं.
इसका उत्तर कभी न कभी मैं अपनी मां से निकलवा ही लूंगा.
 
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junglecouple1984

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बीवी के धोखे में दूसरी चूत मिल गयी



मेरा नाम आलोक है, मैं जयपुर राजस्थान से हूँ. मैं महिलाओं के शरीर की मसाज करता हूँ.

अभी मेरी उम्र 27 साल है.

ये चुदाई कहानी अभी कुछ दिन पहले की है.

मेरी शादी को तीन महीने ही हुए थे. एक दिन बीवी ने मायके जाने की जिद की.
नई शादी हुई थी, उसे भेजने का मेरा मन तो नहीं था … मगर मैंने उसकी खुशी के लिए हां कर दिया था.

अगले दिन उसका बड़ा भाई उसे लेने के लिए आ गया.
उसके भाई की उम्र 38 साल की रही होगी. उनकी चार साल पहले शादी हुई थी. देर से शादी होने का कारण ये था कि बहुत मुश्किल से उनके लिए कोई पसंद की लड़की मिली थी.

पत्नी के मायके चले जाने के बाद मैं रात की भी बुकिंग लेने लग गया. लंड को रोज नई नई चूत चोदने को मिल रही थी, तो मुझे बीवी की कमी महसूस नहीं हुई.

लेकिन दस दिन बाद एक महामारी ने पूरे देश को घेर लिया. कोरोना महामारी के चलते मेरा काम भी बंद हो गया.

अब मैं चुत के लिए तरसने लगा. बीवी भी लॉकडाउन की वजह से नहीं आ सकती थी. मेरा बुरा हाल हो रहा था.

ऐसे ही चुत के बिना चालीस दिन निकल गए थे. अब लंड को किसी भी तरह चूत चाहिए थी.

मैंने बीवी को फोन करके बोला- मैं रात को बाईक से तुझे लेने आ रहा हूँ.
उसने कहा- ठीक है, मगर ध्यान से आना.

मैं घर से बीवी को लेने ससुराल रात को 3 बजे निकल गया. सुबह 7 बजे ससुराल पहुंचा, तो मेरा खूब स्वागत हुआ.

मेरी ससुराल में मम्मी पापा भाई और भाभी थे.

भाभी की उम्र 26 साल थी. वो बहुत सुन्दर मगर शर्मीले स्वभाव की थीं.
जैसा कि मैंने ऊपर लिखा था कि उनकी शादी को चार साल हो गए थे. पर उन्हें कोई संतान नहीं थी.

दिन भर सबसे बातें हुईं.
मैंने अपनी पत्नी को बोला कि रात को मेरे साथ ही सोना.
पत्नी- ये नहीं हो सकता … घर चल कर कर लेना, यहां ये सब नहीं हो पाएगा.

मेरे लौड़े में आग लगी थी. मैंने कहा- मुझे नहीं पता, बस तुम रात को कुछ भी करके मेरे कमरे में आ जाना.
वो भी शायद वासना की आग में जल रही थी तो वो बोली- ठीक है मैं दूध देने के बहाने से आ जाऊंगी.

रात हुई तो मैं अपने कमरे मैं आकर लाईट बंद करके लेट गया.
मैं पिछली पूरी रात का जगा था, तो जल्दी ही मेरी आंख लग गई.

एक घंटे बाद किसी के आने की आहट हुई. मेरी नींद खुल गई और मुझे लगा कि मेरी बीवी चुदने के लिए आ गई है.
चुत मिलने की आशा से मेरा लंड खड़ा हो गया.
मैंने अंधेरे में ही उसको बेड पर खींच लिया.

वो चिल्लाती, उससे पहले ही मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगा.
पर मेरी पत्नी मेरा साथ नहीं दे रही थी, वो तो बस मुझसे छूटने की कोशिश में लगी हुई थी.

मुझे गुस्सा आ गया.

मैंने कहा- इतने दिन से बिना तेरी चूत के लंड में आग लगी हुई है … और तुम हो कि चुदना नहीं चाह रही हो.

ये कहते हुए मैंने उसका हाथ मेरे लम्बे और काफी मोटे लंड पर रखते हुए बोला- देख, कैसे खड़ा है ये … बस एक बार चोद लेने दे … फिर चली जाना. अंधेरे में किसे पता चल रहा है कि हम चुदाई कर रहे हैं. तेरी चूत भी तो प्यासी है लंड के लिए, तो मना मत कर यार.

वो कुछ नहीं बोली, पर खड़े लंड को छूकर थोड़ी ढीली जरूर पड़ गई.

फिर मैंने उसके मुँह में अपनी जीभ घुसा दी और उसकी जीभ को चूसने लगा.
मुझे बहुत मजा आ रहा था. इतने दिन बाद जीभ का रस पी रहा था.

फिर मैंने उसकी गर्दन पर पागलों की तरह चूमना चाटना शुरू कर दिया.
मेरी पत्नी की मादक सिसकारियां निकलने लगीं. वो मजे में ऐसे गोते लगा रही थी जैसे मैं उसके साथ पहली बार चुसाई कर रहा हूँ.

फिर मैंने उसका ब्लाउज निकाल दिया. कमरे में अंधेरा था, सो कुछ दिखाई तो नहीं दिया … मगर उसके बोबे कुछ ज्यादा ही बड़े लग रहे थे. शायद 38 इंच के रहे होंगे.
मैंने सोचा मेरी वाईफ के तो इतने बड़े नहीं है, ये तो दोनों हाथों में ही नहीं आ रहे हैं.

एक बार को मैंने सोचा कि मैं किसी और को तो नहीं चोद रहा हूँ. मगर लंड में आग लगी थी तो मैंने पहले लौड़े को ठंडा करना ज्यादा ठीक समझा.

मगर एक बार दूसरी लुगाई का अंदेशा हो गया था, तो मैं उसकी हर चीज टटोलने लगा. कुछ ही देर में मैं सब समझ गया था कि ये तो भाभी है.
उनको लग रहा है मैं उन्हें अपनी पत्नी समझ कर चोदने जा रहा हूँ.

भाभी बहुत ज्यादा शर्मीले स्वाभाव की हैं … शायद इसलिए नहीं बोल पा रही थीं कि मैं आपकी भाभी हूँ बीवी नहीं.

ये भी हो सकता था कि भाभी इस भूल का फायदा उठा रही हों. वो अनजान बन कर ही मेरे मोटे लंड से चुदना चाह रही हों.
उनकी शादी को चार साल हो गए थे कोई बच्चा भी नहीं हुआ था, दूसरे मर्द से चुदने की एक वजह ये भी हो सकती थी.

शायद मेरे साले की उम्र 38 साल की होने की वजह से वो 26 साल की यौवना को तृप्ति नहीं दे पा रहा हो. इसलिए भाभी आज मुझसे चुदना चाह रही थीं.

कारण जो भी हो, मुझे तो नई चूत चोदने मिल रही थी. मैंने भी ठान लिया था कि आज भाभी को अपने अनुभव का पूरा मजा देना है.

ये सोच कर मैंने भाभी का ब्लाउज निकाल दिया और ब्रा भी खोल दी. मैं अपने दोनों हाथों से उनके बोबे दबाने लगा.
भाभी के बोबे बहुत मोटे थे.

मैं अंधेरे की वजह से भाभी के दूध देख तो नहीं पा रहा था. मगर उनकी मांसलता को बड़ी मस्ती से भंभोड़ रहा था.
मर्द के सख्त हाथों से मर्दन करवाने में भाभी को भी बहुत मजा आ रहा था.

अब उनके मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगी थीं. मैंने उनके एक दूध को मुँह में ले लिया और जीभ को निप्पल पर घुमा घुमा कर मजा लेने लगा.

भाभी मस्ताने लगी थीं और ‘आहह … उंह ..’ करके अपनी दबी हुई सिसकारियां निकाल रही थीं.
उनको डर था अगर मुझे पता लग गया कि वो मेरी बीवी नहीं है, तो मैं उनको बिना चोदे छोड़ दूंगा.
उनकी दबी हुई आवाजें इस बात को इशारा कर रही थीं कि आज भाभी अपनी सारी प्यास बुझाना चाह रही थीं.

अब मैंने भाभी के दूसरे बोबे को मुँह में ले लिया और मजे से चूसने लगा. दूसरे हाथ से मैं भाभी के बोबे को भी दबा रहा था.

फिर मैंने अपना एक हाथ भाभी की साड़ी में होते हुए पैंटी के अन्दर ले जाकर उनकी चूत पर रख दिया.
भाभी की चूत पर बहुत बाल थे.

मैं अपने हाथ की एक उंगली भाभी की चूत में घुसाने लगा. भाभी की चूत इतनी टाइट थी कि उंगली भी धीरे धीरे अन्दर हो रही थी.

भाभी ‘आआआआह ..’ करती हुई अपने हाथों से कभी बेडशीट को पकड़तीं … तो कभी तकिये को भींच लेतीं.

मैं आज उनको काम के सागर में डुबो देना चाहता था. मैं उंगली को चूत में घुसाते हुए ही अंगूठे से चूत के दाने को रगड़ने लगा.

इस समय भाभी के आनन्द की अनुभूति को वही महिला अनुभव कर सकती है, जिसने ये सब किया हो.

मेरी एक उंगली भाभी की चूत में और अंगूठा उनकी चूत के दाने पर था.
मस्ती को बढ़ाने के लिए मैंने अपने मुँह में भाभी के एक बोबे को लेकर चूसने लगा. खाली हाथ से उनके दूसरे बोबे को दबाने लगा.

अब सोचो चूत में उंगली, चूत के दाने पर अंगूठे की रगड़न के साथ बोबे का चूसन और मर्दन … किस औरत को भला मजा नहीं आएगा.

यही हुआ … भाभी जल बिन मछली की तरह तड़प रही थीं और अपनी कमर उछाल रही थीं. उनकी दबी हुई आवाज में मादक सिसकारियां उनके आनन्द की पराकाष्ठा को बयान कर रही थीं.

कुछ देर बाद मैंने अपनी जीभ को भाभी की नाभि में घुसा दी और उस मदमस्त छेद की गहराई में मैं जीभ को घुसा घुसा कर चाटने लगा.

भाभी की बढ़ती हुई सिसकारियां मुझमें जोश भर रही थीं.

अब मैंने समय की नजाकत को समझते हुए भाभी की साड़ी पेटीकोट को निकाल दिया और उनके पैरों के बीच में आ गया.
मैंने उनकी पेंटी निकाल दी.

मैं उनकी चूत को जैसे ही चूसने लगा, उनकी जोर से सीत्कार निकल गई. मैंने 69 में होकर उनके मुँह में मेरा लंड दे दिया और मैं अब उनकी चूत को जीभ से चाटने लगा.

भाभी भी मेरे लंड को आईसक्रीम की तरह ऐसे चूस रही थीं जैसे इसे वो आज खा जाएंगी या उनको बाद में लंड मिलेगा ही नहीं.

मैंने सोचा कि ज्यादा देर करना ठीक नहीं है … साले को या मेरी बीवी को पता लग सकता है. इसलिए इस शर्मीली भाभी को अब चोद ही देना चाहिए.

मैंने भाभी के दोनों पैर खोले और लंड को चूत पर रगड़ने लगा.

भाभी अपने हाथ से लंड पकड़ कर चूत के चूत के छेद में दबाने लगीं. मैंने भी देर ना करते हुए आधा लंड उनकी चूत में उतार दिया.

उनके मुँह से ‘आहहहह … मर गई ..’ निकल गई थी. ये दर्द की वजह से तड़फ थी … या मीठे मजे की वजह से थी. ये बात मोटे लंड से चुदने वाली स्त्रियां ज्यादा ढंग से समझ सकती हैं.

मेरे लंड को ऐसा लग रहा था, जैसे वो किसी कुंवारी चुत को चोद रहा हो. सच में बहुत टाईटली चुत में जा रहा था.

कुछ देर बाद मैंने उनके दोनों पैर मेरे कंधों पर रख लिए और जोर जोर से लंड को अन्दर बाहर करने लगा.
भाभी भी असीम आनन्द में कमर झुलाते हुए चुदाई के आसमान में उड़ रही थीं.

सच बताऊं तो इतने दिन बाद चूत नसीब हुई थी … सलहज की चुदाई … वो भी इतनी टाइट कि लंड को बाहर निकाल कर अन्दर डालने में जो मजा आ रहा था, उसे मैं लिख ही नहीं सकता.

दोस्तो, अगर मैं चाहता तो मौके का फायदा उठाकर भाभी की गांड भी मार लेता और वो मना भी नहीं करतीं.
पर मैं उनको प्यार देना चाहता था … दर्द नहीं.

मैंने भाभी को बहुत देर तक चोदा और भाभी की चुत में ही अपना पानी निकाल दिया.
वो भी कपड़े उठा कर बाथरूम में चली गईं, फिर कपड़े पहन कर बाहर निकल गईं.

सुबह बीवी आई चाय लेकर आई. वो बोली- सॉरी जान … मैं नहीं आ पाई.
मैं बोला- कोई बात नहीं यार, मैं समझ सकता हूँ.

भाभी भी उस समय मेरे कमरे की तरफ आ रही थीं, तो मुझे लगा बोलने का यही सही समय है.

मैंने अपनी बीवी को हग करते हुए कहा- जान मुझे पता है तुमने मेरे पास आने की कोशिश की होगी … पर रात को नहीं आ पाई.

भाभी गेट पर खड़े होकर ये सब सुनने लगी थीं, ये मुझे पता था.

अब उनको भी पता था कि मैं जानता था कि रात को मेरे लंड के नीचे भाभी ही चुद रही थीं.

फिर भाभी ने अन्दर आकर मुझसे पूछा कि नाश्ते में क्या खाएंगे?
मैंने मुस्कुरा कर कहा- जो आप खिलाना चाहो.

भाभी मेरी मुस्कान से शर्मा गई थीं.
तभी मेरी बीवी बोली- आज का नाश्ता मैं बनाती हूँ.
वो दोनों कमरे से चली गईं.

मेरी भाभी से आंखें तो मिली थीं, पर रात को लेकर उनसे कोई बात ही नहीं हो सकी थी.

फिर शाम को मैं अपनी बीवी को लेकर वापस घर आ गया.

दस दिन बाद मेरी पत्नी ने बताया कि पीहर से फोन आया है कि मेरी भाभी को मासिक धर्म नहीं हुआ है. जांच किट से टेस्ट हुआ तो वो गर्भवती हो गई हैं. सब लोग बहुत खुश हैं.

मैंने भी सबसे बात की. भाभी को बधाई दी.
भाभी धीरे से बोलीं- आपको भी बधाई हो.

ये कह कर उन्होंने झट से फोन काट दिया.

मैं उनका मतलब समझ गया था कि वो मुझे बाप बनने की बधाई दे रही थीं. पर शर्म की वजह से बोल नहीं पाईं.

 
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घर में मिला भतीजे का जवान लंड


नमस्कार मित्रो, मैं रिया आपके लिए अपनी एक दास्तान सेक्सी चाची चुदाई कहानी लेकर आई हूं.
आगे बढ़ने से पहले मैं आपको अपना परिचय दे देती हूँ. मेरी उम्र 38 साल है और मैं एक आम घरेलू औरत हूं.

लेकिन फर्क इतना सा आया है कि मैं एक छोटे शहर से बड़े शहर रहने लगी. तो मेरे पहनावे का ढंग बदल गया. जिससे मैं अपने यहां के लोगों के लिए सेक्स की दुकान लगती हूं.

अभी भी मेरे नाम के तोते शहर में उड़ते हैं. ऐसा इसलिए कि मैं 2 बच्चे की मां होते हुए भी अपने बच्चों की उम्र के लंड का सेवन करती रहती हूं. इससे मैं काफ़ी फिट भी रहती हूं.

आज मैं आपको अपनी जिंदगी में घटी एक असली घटना को सेक्स कहानी के रूप में लिख कर बताने जा रही हूं.
मैं आशा करती हूं कि आपको मेरी कहानी पसंद आएगी.

जैसा कि मैंने बताया कि मैं शादी से पहले एक छोटे शहर में रहती थी, तो शादी के बाद पति के साथ बड़े शहर आ गयी.
मैं औरतों की पसंदीदा जगह ब्यूटीपार्लर जाने लगी, जिधर से मुझे मसाज का शौक लग गया.
लेकिन अब तक मैं सिर्फ औरतों से ही मसाज लेती थी.

मसाज का शौक लगा तो मेरी कामेक्षाएं बढ़ने लगीं और धीरे धीरे मैं पुरुषों से भी मसाज लेने लगी.
मर्दों के हाथों ने मेरे बदन को छुआ, तो अंदरूनी अंगों में हलचल होनी शुरू हो गई और इसकी वजह से मुझे गैर मर्दों में रूचि जागने लगी.

उन्हीं दिनों मुझे एक जवान लंड मिला जिसकी साइज़ पूरे साढ़े सात इंच की थी. उसने मुझे ऐसा मज़ा दिया कि बस कुछ भी बताने के काबिल ही न रही.
उस मर्द ने मेरे साथ चुदाई की और मेरे बदन में एक अलग ही सिरहन पैदा कर दी.

हालांकि ऐसा देसी लड़का हर औरत के घर में होता है … बस मैंने परख लिया और उसे पा लिया.

मैंने अपने जेठ के लड़के यानि अपने भतीजे के साथ पहली बार कैसे सेक्स किया, यही दास्तान आपको इस सेक्स कहानी में आगे पता चलेगी.

मेरे भतीजे का नाम अयान है. उसकी उम्र करीब 25 साल के करीब थी. वो एक मस्त बॉडी वाला लड़का है … जैसा देशी लौंडे होते हैं.
उसके मजबूत हाथ और लंड मेरे पूरे शरीर को रगड़ कर रख देते हैं.

मैंने अयान के लंड को पहली बार यूं लिया कि मेरी सास का निधन हो गया था.
मुझे आनन फानन में अपने उसी छोटे शहर में वापस आना पड़ा.

लेकिन दाह संस्कार के अगले दिन पति देव बच्चों को लेकर निकल गए क्योंकि उनके ऑफिस और बच्चों की पढ़ाई दोनों की हानि हो रही थी.
मुझे यहीं रुकना पड़ा क्योंकि मैं बहुत दिन बाद आई थी और सास के निधन का मामला था तो सभी के सामने वापस चला जाना भी अव्यवहारिक था.

उस वक़्त तक अयान से मेरी मुलाकात बस नॉर्मली ही होती थी. वो मेरे पास आता और ‘नमस्ते चाची’ करके हाल चाल लेता, और चला जाता.

ऐसे ही एक दिन मैं मार्किट चली गयी चचिया सास और भाभी जी साथ में थीं.

वापस आते आते हम सभी को रात हो गयी थी और मुझे काफी थकान भी हो गयी थी. मेरे पैर में बहुत दर्द होने लगा था. इसकी वजह से मैं खाना खाकर अपने रूम में चली आयी और कपड़े बदल कर सोने की तैयारी करने लगी.

तभी भाभी मेरे कमरे में आईं और उन्हें मुझसे बात करके पता चली कि मेरे पैर में दर्द है.
उन्होंने तुरंत अयान को आवाज लगाई और मुझे बताया कि अयान बहुत अच्छा पैर दबाता है.

भाभी की आवाज सुनकर अयान मेरे कमरे में आ गया.
मेरी भाभी ने उससे बोला- अयान, अपनी चाची के पैर दबा दे … फिर चले जाना.

अयान ने अपनी मां के सामने अपना सर हिलाते हुए हां में इशारा किया और आकर मेरे पैर दाबने लगा.
इससे मुझे काफी अच्छा लगने लगा. अयान के हाथ पूरे पैर को अच्छे से दबा रहे थे, जिससे मैं आराम करने की मुद्रा में आ गयी.

भाभी अयान को समझाते हुए जाने लगीं और अयान को पैर दाबने के बाद दूध पीने को बोल कर अपने कमरे में सोने चली गईं.

मैं अपने भतीजे से बड़े आराम से पैर दबवा रही थी कि अचानक से मुझे महसूस हुआ कि उसके नर्म हाथ मेरी जांघों को दबाने लगे हैं.
हालांकि उसके हाथ मेरी मैक्सी के ऊपर से ही मेरी जांघों को मसल रहे थे और मुझे काफी अच्छा भी लग रहा था तो मैंने उसे नहीं रोका.

मुझे मर्दों से मालिश करवाने में जो मजा आता था, वो आज कुछ अलग तरह का मजा आ रहा था.

कुछ ही देर में अयान के हाथों का ये दबाव मुझे ऐसे लगने लगा था कि मेरी पैंटी के अन्दर एक अजीब सी हलचल महसूस होने लगी थी.
ऐसा क्यों होने लगा था, ये मुझे समझ नहीं आ रहा था.

शायद इसकी वजह ये थी कि काफी समय से मेरा अपने पति के साथ सेक्स न करना था और उसके मजबूत हाथों के दबाव से भी कुछ मज़ा आने लगा था.

तभी वो उठ कर जाने लगा.
मैंने तुरन्त उसको रोका और पूछा- रुक क्यों गए?
वो बोलने लगा- आपकी आंखें बंद हो गयी थीं … इसलिये मैंने समझा आप सो गई हैं … इसलिए जाने लगा.

मैंने उसको रुकने के लिए कहा और अयान से बोला- तुम बहुत अच्छी तरह से दबा लेते हो … प्लीज़ मेरी पीठ में बहुत दर्द है क्या तुम मेरी पीठ को भी दबा दोगे?
अयान ने हामी भर दी.

मैं औंधी हो गई और उसके बाद अयान मेरे बदन को अच्छे से दाबने लगा.
उसके मर्दाना हाथों के मजबूत दबाव से मेरे अन्दर की कई दिन की प्यासी औरत मस्त होने लगी.

जवान भतीजे अयान का हाथ भी एक प्यासी औरत को जगाने वाली जगहों के पास से होता हुआ चलने लगा, जिससे मेरी पैन्टी में हलचल होनी शुरू होने लगी.
इसकी वजह मेरे मुँह से कामुक आह निकल गयी.

इस मादक आवाज को अयान ने सुन लिया.

पता नहीं क्यों … उसे इसी आवाज का इंतजार था या वो सच में मासूम था.

लेकिन उसके हाथ अब मेरे चूतड़ों के ऊपर आने लगे और अब उसके हाथों का दबाव कुछ जोर से होने लगा.
इससे मेरी चुत हल्के हल्के आगे पीछे होने लगी और मेरी चुत का पानी निकल गया, जिसको उसने भी महसूस कर लिया.

वो बोला- चाची, आप अपने मैक्सी उतार दो … मैं आपकी मालिश अच्छे से कर दूंगा.

मुझे भी पता नहीं क्या हो गया था. उस वक़्त मैं कैसे एक रिश्ते में चुदने को बेताब होने लगी थी. मुझे कुछ होश ही नहीं रहा और मैंने उसकी बात मानते हुए अपने मैक्सी उतार फेंकी. मैं अपनी काले रंग की ब्रा और पैंटी में आ गयी.

जिसके बाद मैंने देखा अयान के लोवर में एक लंबा उभार आ गया है, इससे मुझे अंदाज हो गया था कि आज मैं अपने भतीजे के तगड़े लंड को अपनी चुत में लेने वाली हूं.

इसके बाद मैंने औंधे लेटे हुए ही उससे कहा- पहले देख कर आओ कि घर में सब सो गए हैं या नहीं … फिर सब कर लेना.
वो देखने चला गया.

उसके बाहर जाते ही मुझे कुछ होश आया और मैं बहुत ही कशमकश में फंस गयी थी.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं. क्योंकि अयान मेरे पति के बड़े भाई का लड़का है और मेरे बेटे से सिर्फ 2 साल बड़ा है. फिर भी आज पहली बार किसी जवान लंड को लेने का मेरा मन होने लगा था.

तब ही अयान आ गया और उसने कमरे का दरवाजा इस तरह लगा दिया कि अगर कोई आये तो पता चल जाएगा.

वो वासना से मेरे बदन को देखने लगा और बोलने लगा- चाची आपका बदन आपकी उम्र से बिल्कुल भी मैच नहीं कर रहा है. क्योंकि जिस उम्र की आप हैं … उस उम्र की इतनी खूबसूरत औरत मैंने अपने पूरे शहर में नहीं देखी.

मैंने तुरंत पूछा- नहीं देखी का क्या मतलब है? तुमने कभी किसी लड़की को अभी तक नहीं चोदा क्या?

अयान ने मेरे मुँह से चोदा शब्द सुना तो वो गनगना उठा.
और उसने भी खुल कर जवाब दिया. उसके जवाब को सुन कर कई लोगों को दुख होगा लेकिन उसने सही बोला था.

उसने बताया- मेरी सेक्सी चाची जी, मैं अभी एक बेरोजगार लड़का हूँ और बहुत ज्यादा पैसे नहीं कमा पाता हूँ. इस वजह से मेरी शादी नहीं हो रही है. आज के वक़्त में कोई भी लड़की बिना पैसे देखे नहीं पटने वाली है. तो मुझको अपना लंड हिला कर शांत करना पड़ता है. मैं लड़कियों और भाभियों को बस अपने सपनों में ही चोद पाता हूँ.

मैं उसकी इस बात से हंस दी. हालांकि उसकी बात में देश की बेरोजगारी की समस्या थी.

इस बीच अयान ने मुझे लेटने का इशारा कर दिया और बातें करते करते मेरी पीठ से नीचे बिंदास जाने लगा.
जिसका अहसाह मुझे गर्म करने लगा और मेरी कामुक आहें निकलने लगीं.

कुछ देर बाद उसने मुझसे सीधा लेटने का बोला.
मैं पीठ के बल ललित गई अब मेरी तनी हुई चूचियां अयान के सामने आ गई थी. साथ ही मेरी टांगों के बीच में मेरी गीली चुत भी उसे मस्त कर रही थी.

उसने पहला हमला मेरी चूचियों पर किया और मेरे मम्मों को अपने हाथों से रगड़ने लगा.
इससे मैं पागल होने लगी और आवाज करने लगी- आह आह धीरे कर … ओइ मां … आह आह जोर से अयान!

मेरे मुँह से खुद ब खुद उसके लिए आवाज निकलने लगी.

आवाज तेज़ होने की वजह से अयान ने मेरे मुँह पर अपना हाथ रख दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया.

अब मुझे उसका मोटा सा लंड अपनी चुत के ऊपर महसूस होने लगा.
मैं झट से उठ गई और लपक कर अयान के लोवर के ऊपर से लंड के उभार को छूने लगी.

ये देख कर अयान ने अपने लोवर से अपने लंड को बाहर निकाल दिया और हिलाने लगा.

उसके खड़े लंड को देख कर मेरे मुँह से लार टपक पड़ी … क्योंकि उसका लंड था ही ऐसा मोटा और लंबा. ये लंड मेरे पति से थोड़ा बड़ा और मोटा था.

मैंने तुरंत उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और लंड चूसने लगी.
मुझे आज पता नहीं क्या हो गया था. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा. बस अब मुझे इस लंड से अपनी चुदाई करवानी थी, ऐसा मैंने सोच लिया था.

अयान भी मेरी चुत पर अपनी उंगली घुमाने लगा और मुझे और गर्म करने लगा.

वो जैसे जैसे मेरे चुत पर अपनी उंगली घुमाता गया, वैसे वैसे मैं उसके लंड को अपने मुँह के अन्दर बाहर करने लगी.

कुछ देर बाद ही उसके लंड ने पानी छोड़ दिया.
क्योंकि उसको अभी सेक्स का ज्ञान नहीं था इसलिए उसका लंड जल्दी निकल गया.

मगर उसके बाद जो उस लौंडे ने कमाल किया … वो मैं शब्दों में बता ही नहीं सकती.

उसके लंड का पानी निकल जाने के बाद वो मेरे पैरों के बीच अपना मुँह डाल कर मेरी चुत पर अपनी दाढ़ी से हल्का हल्का मसाज देने लगा.
इससे मुझे सिहरन होने लगी.

कुछ देर ऐसा करने के बाद उसने अपनी गर्म जीभ को मेरी चुत पर रख दिया.

अपनी लपलप करती जीभ के साथ अपनी लंबी उंगली को मेरी चुत में उतारने लगा, जिससे मैं एक अलग ही दुनिया में जाने लगी.
मेरे मुँह से मादक सिसकारियों की आवाजें आनी शुरू हो गईं.

उसने मेरी आवाजें सुनी तो मेरी चुत को चूसना छोड़ कर मेरे होंठों को चूसने लगा और उसने मेरे मुँह को बंद कर दिया.
उसके इस कदम से मुझे अपनी चुत से निकलते हुए पानी का खारा स्वाद मिलने लगा.

उसने मेरे कान में कहा- चाची, इतनी तेज आवाज करोगी तो बाहर कोई सुन लेगा.
वो मुझे चिल्लाने से मना करने लगा.

मैंने बात की गंभीरता को समझते हुए अपनी आंखों से मौन स्वीकृति दे दी.
उसने भी समझ लिया और अब वो जल्दबाजी दिखाते हुए अपना लंड मेरी चुत पर सैट करने लगा.

मैंने भी चुत खोल कर लंड को अन्दर ले लिया.
उसका एक दो इंच लंड अन्दर घुसा तो मैं मस्त हो गई.

वो इतने लंड से ही धक्के लगाने लगा. वो अपना पूरा लंड मेरी चुत में बिना डाले चुदाई कर रहा था. मेरी चुत एक भट्ठी की तरह जल रही थी. मैंने अपने हाथ से उसका लंड बाहर निकलवाया और फिर से फांकों में सैट करके उसे चोदने के लिए कहा.

अबकी बार अयान का लंड जैसे ही मेरी चुत में सैट हुआ, उसने जोरदार तरीके से अपने लंबे लंड को मेरी चुत में जड़ तक उतार दिया.

इस प्रहार से मैं चिल्लाने ही वाली थी … लेकिन उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से मिला कर मेरी आवाज को रोक दिया.

अब वो धकापेल चुदाई करने लगा और मेरी चुत का भोसड़ा बनाने लगा.
वो लौड़े को चुत की गहराई तक पेल कर मजा देने लगा था.
मेरी गर्म चूत की चुदाई ऐसी हो रही थी … जैसे कोई अनुभवी चोदू करता है.

उसने 10 मिनट तक इसी पोजीशन में अपनी सेक्सी चाची चुदाई की, फिर मुझे उल्टा होने को बोला.

मैं औंधी हो गयी और मेरे भतीजे ने मेरी चुत में पीछे से अपना लंड डाल दिया.

उसी समय मुझे किसी के बाहर होने का अंदाजा हुआ.
लेकिन मुझे चुदाई का नशा ऐसा चढ़ा था कि मुझे कुछ होश ही नहीं था. मुझे तो बस अपनी चुत में एक जवान लंड लेना था.

वो मुझे चोदते हुए लगातार आसन बदल रहा था और चुदाई के बीच बीच वो मेरी चुत को अपनी जीभ से चाट भी लेता था. मुझे बेहद मजा आ रहा था.

इस तरह मेरे भतीजे अयान ने मुझे बहुत देर तक चोदा.
मैं दो बार झड़ चुकी थी.

अयान बोला- चाची मेरा निकलने वाला है.
मैंने बोला- हां, मेरे अन्दर ही गिरा दे.

मुझे उसके लंड के पानी की गर्मी अन्दर तक महसूस करनी थी.

उसके बाद अचानक से मेरी चुत में एक बाढ़ सी आ गयी और उसका पानी मेरी चुत के पानी के साथ बाहर आने लगा.

इस चुदाई के बाद अयान ने अपने कपड़े पहने और बाहर जाने लगा.

इसके बाद वो मेरी चुदाई रोज करने लगा और मैं भी जितने दिन उधर रही, उसी की बाट जोहती रही.
वो मुझे रोज रात सबके सो जाने के बाद रोज रात में 1 से 2 बार चोदता या मेरी चुत को एक अच्छा मसाज देने के साथ चूस कर उसका पानी निकाल देता.

इस तरह मेरी रिश्तों में पहली चुदाई हुई थी. जिसका अनुभव ऐसा रहा कि मैंने छह महीने तक उसको अपने साथ बड़े शहर में रखा.

अब जब भी मेरे पास आता है, मुझे तसल्ली से चोदता है. उसको अब सेक्सी चाची चुदाई करने को मिलती है तो अपने लंड को हाथ से हिलाने की जरूरत नहीं पड़ती.

 

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लॉकडाउन में भाई की ससुराल में चुदाई धमाल


अजय 24 वर्ष का बांका जवान है. आई आई टी इंजीनीयर है और फिलहाल एक एमएनसी में दिल्ली में कार्यरत है.

उसके भाई विजय की अभी चार महीने पहले ही शादी हुई थी.
नयी नवेली दुल्हन प्रिया अपनी पहली होली पर मायके आगरा आई हुई थी. अब उसको वापिस दिल्ली आना था.
विजय लेने नहीं जा पा रहा था.

तो फिर अजय का जिम्मा लगा कि वो अगले शुक्रवार की शाम को ऑफिस से ही आगरा चला जाए और अपनी भाभी को लेकर इतवार की रात तक आ जाए.

चूंकि अजय पहली बार भाई की ससुराल जा रहा था तो उसने एक बेग में दो रात के हिसाब से कुछ ज्यादा ही कपड़े रख लिए.
उसकी और प्रिया की बहुत पटती थी और खुली हुई थी.

प्रिया की ससुराल और पति दोनों ही रुढ़िवादी थे. पर अजय हॉस्टल में पढ़ा होने से जवानी के जोश से भरपूर था. उसने कसरती बदन बना रखा था.
वो और प्रिया कई बार बियर या व्हिस्की मार लेते.

विजय टूर पर रहता तो बाजार के बहाने से अजय और प्रिया मोटरसाइकिल पास मस्ती करते, बाहर खाते पीते.

अब आगरा आने के लिए प्रिया और उसने यह तय कर लिया था कि शनिवार की रात को मूवी देखेंगे और इतवार को ताज.
उनका ये प्रोग्राम एक हफ्ते पहले ही बन गया था.

प्रिया के मायके में उसके मम्मी पापा कालोनी में एक कोठी में रहते थे और उसके बड़े भाई भाभी पास में ही सरकारी कोठी में रहते थे.

प्रिया की अपनी भाभी मनीषा से बहुत खुली दोस्ती थी. दोनों एक ही उम्र की थीं.
जब से प्रिया आगरा आई थी, उसके बड़े भाई मनीष होली के पांच-छह दिन बाद ही कम्पनी के काम से सिंगापूर गए थे 10 दिन के लिए.

मनीषा की शादी भी 6 महीने पहले ही हुई थी. मनीषा बहुत सेक्सी थी. उसके दिमाग में हर समय सेक्स ही चलता था.
उसका साथ उसका पति रमेश भी खूब देता था.

मनीषा अपने सारे मजे खूब चटकारे लेकर प्रिया को सुनाती थी.
सेक्स प्रिया भी विजय के साथ कम नहीं करती थी, पर विजय इतना जिंदादिल नहीं था.

रमेश के सिंगापूर जाने के बाद प्रिया मनीषा के पास ही आ गयी थी. दोनों दिन भर गप्पे मारती, पोर्न फिल्म देखती और … हाँ, मनीषा ने प्रिया को उंगली करना और वाइब्रेटर लेना सिखा दिया था.
दोनों साथ ही नहातीं और घर में कम से कम कपड़ों में रहतीं.

रात को मनीषा रमेश से विडियो चैट करती, तो विडियो सेक्स भी करती.
उसने रमेश को यह कह रखा था कि प्रिया अलग कमरे में सो रही है.

मनीषा चेट करते करते रमेश का पानी निकलवा देती और उनकी बातें सुन सुन कर प्रिया का भी पानी निकल जाता.
इसीलिए प्रिया भी विजय से पीछे पड़ी थी कि वो उसे ले जाए या अजय को उसे लेने जल्दी भेजे.

खैर, शुक्रवार शाम 7 बजे तक अजय आ गया. वो ऑफिस से जल्दी ही चल दिया था.

अजय पहले प्रिया के मम्मी पापा से मिला. प्रिया वहीं थी.
फिर प्रिया के साथ ही उसके भाई की कोठी पर आ गया.

तीनों फटाफट तैयार हुए और घूमने निकल लिए. तीनों मस्ती में थे.
प्रिया और मनीषा ने शॉर्ट्स और टी शर्ट डाली थीं.

मनीषा हालांकि शादी के बाद अजय से पहली बार मिल रही थी. पर प्रिया ने उसकी इतनी तारीफ कर ली थी कि मनीषा मिनटों में ही अजय से घुलमिल गयी.
अजय था भी बहुत स्मार्ट और हंसमुख.

शाहजहाँ पार्क के पास गाड़ी खड़ी करके तीनों पार्क में घूमने लगे.

पार्क में अनेक जोड़े थे जो प्रेमालाप में लगे हुए थे. प्रिया अजय से चिपट कर चल रही थी. मनीषा संबंधों का लिहाज कर रही थी.
बाहर निकलकर तीनों ने भेलपुरी खायी और आइसक्रीम ली.

प्रिया ने दोनों से आइसक्रीम शेयर की तो फिर तो मनीषा ने भी अजय की आइसक्रीम से खा लिया.

वहीं पास में पनवाड़ी की दुकान थी तो अजय ने लड़कियों से पूछा कि क्या मैं सिगरेट ले लूं.
मनीषा बोली- हाँ ले लो, एक आध सुट्टा मैं भी मार लूंगी.

प्रिया ने आश्चर्य से उसकी ओर देखा तो मनीषा बोली- शादी से पहले हॉस्टल में मैं ले लेती थी. पर तुम्हारे भाई नहीं पीते तो मुझे भी आदत छूट गयी.

अब बात डिनर लेने की थी. राजपुर रोड पर एक महंगे रेस्टारेंट में तीनों ने डिनर लिया.

रात के 10 बज गए थे. प्रिया के कहने पर अजय ने 10-12 केन बियर के ले लिए.

घर आते ही अजय तो नहाने चला गया. मनीषा ने बियर फ्रीजर में रख दीं.

अजय के सोने का इंतजाम गेस्ट रूम में किया जहां डबल बेड पड़ा था. अजय ने नहाकर शॉर्ट्स और टी शर्ट डाली.

प्रिया और मनीषा भी फ्रेश होकर शॉर्ट्स और टी शर्ट में ही आ गयीं थीं.

11 बज गए थे तो अजय ने कहा- अब सो जाते हैं.
मनीषा बोले- बच्चे हो क्या? अभी से क्या सोएंगे. अभी सो जायेंगे तो दिन में क्या करेंगे? यहाँ कोई काम तो है नहीं … और न मम्मी-पापा जो कहेंगे उठ जाओ बेटा, सूरज सर चढ़ आया है.

सब हंस दिए.

अजय बोला- फिर क्या करें?
मनीषा बोली- कार्ड्स खेलते हैं.
तीनों बेड पर जम गए.

प्रिया फ्रीजर से बियर निकाल लायी, चिप्स का पैकेट भी ले आई.
म्यूजिक चला कर प्रिया ने पत्ते बांटे, अजय ने लड़कियों से पूछ कर सिगरेट जला ली.

मनीषा ने उससे सिगरेट लेकर एक कश मारा और सिगरेट प्रिया की ओर बढ़ा दी.
प्रिया सकुचाई, उसने कभी नहीं पी थी.

मनीषा बोली- देख इसे हल्के से खींच ले, ज्यादा जोर से नहीं खींचना वर्ना गले में चली जायेगी और खांसी आ जायेगी.

अजय के भी जोर देने पर प्रिया ने एक सुट्टा मारने की कोशिश की.
पर उससे नहीं हुआ.

मनीषा ने फिर एक लम्बा कश लेकर छल्ले प्रिय के मुंहपर छोड़ दिया.
अबकी बार प्रिया ने भी कश मार लिया. हालाँकि उसे हल्की सी खांसी आई. पर फिर वो लगातार मनीषा और अजय का सिगरेट में साथ देती रही.

बियर की कैन खुल गयी थीं. सिगरेट, चिप्स और बियर के साथ नॉन वेज जोक्स भी शुरू हो गए और धीरे धीरे शर्म की सीमा भी ख़त्म हो गयी.
मनीषा की सलाह पर अब सभी एक दूसरे का नाम ले रहे थे.

कमरे में जो टीवी था वो सीधा मोबाईल से चल जाता था. मनीषा ने कोई रेव पार्टी का म्यूजिक चला दिया.
माहौल गर्म होने लगा था.

मनीषा ने अचानक म्यूजिक बदल कर कोई सेक्सी इंटिमेट म्यूजिक एलबम लगा दी थी जिसमें लड़के लड़कियां बीच साइड पर जबरदस्त चूमा चाटी का डांस कर रहे थे.

अब मनीषा बोली- अब गेम चेंज करते हैं.
वो बोली- अब तीनों में से जो गेम हारेगा, उसे जीतने वाले की इच्छा से एक कपड़ा उतारना होगा.
प्रिया ने मना कर दिया.

तो मनीषा बोली- चलो ब्रा पेंटी नहीं उतरेंगी और अजय का बरमूडा भी नहीं उतरेगा.
प्रिया फिर भी नहीं मानी.

तो अजय बोला- चलो गेम तो शुरू करो, जो कपड़े नहीं उतारेगा वो लिप टू लिप फ्रेंच किस देगा.
प्रिया पहले भी अजय को किस दे चुकी थी तो वो बोली चलो- किस तक तो ठीक है.

बियर की कैन ख़त्म हो गयी थी तो मनीषा किचन में गयी और बियर ग्लास्सेज में कर लायी.
असल में वो दो दो ढक्कन व्हिस्की भी मिला लायी थी.

प्रिया ने कहा भी कि गिलास में क्यों कर लायी तो मनीषा बोली कि ऐसे ही.
मनीषा ने आते ही सिगरेट जलाई और सबको अलग अलग जला कर दीं.

अब प्रिया भी आराम से सुट्टे मार रही थी.

अजय ने गिलास का सिप भरते ही मनीषा की ओर देखा तो मनीषा ने आँख मार दी.
प्रिया ने जैसे ही सिप लिया तो बोली कि कुछ कड़वी है.
मनीषा बोली कि सिगरेट की वजह से तुझे ऐसा लग रहा है.

अजय ने पत्ते बांटे.
गेम, बीयर और सिगरेट के बीच पहली बाजी ख़त्म हुई तो अजय हारा.
प्रिया जीती.

प्रिया ने सोचा कि किस लूंगी तो मनीषा के सामने उसे शर्म आएगी. तो वो बोली- अजय तुम टी शर्ट उतारो.
अजय ने टी शर्ट उतार दी.

मांसल गोरा बदन … मनीषा ने तो एक जोर से आह भर दी.
सब हंस दिए.

अगली बाजी चल पड़ी.
अजय बोला- देखना अबकी मैं जीतूँगा और प्रिया तुम्हारी टी शर्ट उतरवाउंगा.
प्रिया बोली- मैं नहीं उतारने वाली.
मनीषा बोली- उतारेगी कैसे नहीं, तूने भी तो अजय की उतरवाई है.

गेम में प्रिया फिर जीती और मनीषा हारी.
प्रिया उठी और मनीषा से चिपट गयी और उसके होंठों से होंठ मिला दिए. दोनों ने किसी लेस्बियन की तरह एक दूसरे को चूमा.

पर प्रिया ने हटते हटते मनीषा की टी शर्ट भी उतार दी.
मनीषा अब रेड कलर की ब्रा में थी.

गेम फिर शुरू हुआ.
बियर में मिली व्हिस्की का नशा होना शुरू हो गया था.

अबकी बार अजय जीता और प्रिया हारी.
अजय बोला- चलो शर्ट उतारो.
तो प्रिया बोली- नहीं, शर्ट नहीं उतारूंगी, तुम किस ले लो.

अजय बोला कि किस तो मैं लूँगा ही पर शर्ट मनीषा उतारेगी.
कह कर अजय ने प्रिया को दबोच लिया और अपने होंठ प्रिया के होंठ से मिला दिए.
प्रिया तो प्यासी थी. उसने अजय का खूब साथ दिया. दोनों ने एक दूसरे की जीभ को खूब चूसा.

अजय ने जैसे ही प्रिया को छोड़ा, मनीषा ने प्रिया की टी शर्ट उतार दी.
प्रिया स्पोर्ट्स ब्रा पहने थी.

मनीषा की जबरदस्ती करते समय प्रिया का एक मम्मा खुल गया.
अजय को तो मानों जन्नत मिल गयी. इतना गोरा मांसल. वो मन ही मन अपने भाई की किस्मत से रश्क करने लगा.

खैर गेम फिर शुरू हुआ. पर अब व्हिस्की का सुरूर पूरा हो चुका था, और कपड़े उतरने की लिमिट भी आ गयी थी.
तो सबने अब गेम बंद किया और सोने की बात कह कर अजय खड़ा हुआ.

मनीषा ने उसका हाथ पकड़ लिया- अकेला कहाँ सोयेगा बच्चे … चल हमारे बीच में सो जा.
अजय को प्रिया का संकोच था, तो प्रिया भी बोली- अब शर्माने को रह क्या गया है.

तो अजय वहीं लुढ़क गया.

एसी खूब ठंडा कर रहा था तो तीनों ने चादर ओढ़ ली.

लाईट काफी धीमी कर दी गयी थी. तीनों चुपचाप पड़े रहे. बदन की गर्मी ने चादर के अंदर आग लगा दी थी. तीनों कुछ कर तो नहीं रहे थे, पर उनके पैर आपस में टकरा रहे थे.

अजय ने मनीषा की ओर मुख किया तो मनीषा ने अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए.
दोनों एक दूसरे को धीमे धीमे चूमने लगे.

अजय ने एक हाथ उसके मम्मों पर रख दिया, पर मनीषा कुछ नहीं बोली.

पीछे से प्रिया भी इनकी हरकत देख गर्म हो गयी थी तो उसने अजय के कान को और गर्दन को किस करना शुरू किया. वो अपने हाथ मनीषा की पीठ पर ले गयी.

अजय और मनीषा अब चिपट चुके थे और अजय ने हाथ से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया.
मनीषा ने भी अपना एक हाथ अजय के बरमूडा में डालकर उसके लंड का साइज़ नाप लिया था.

अजय ने अपने एक पैर से अपना बरमूडा नीचे कर दिया और मनीषा को भी नंगी कर दिया और फिर उसके मम्मों पर पिल गया.

उनको नंगा देखा प्रिया भी नंगी हो गई.
अब शर्म से क्या फायदा था … उसने अजय को खींचा.

अजय के लिए प्रिया को नंगा देखना एक अचरज था.
एक नए रिश्ते की बुनियाद रखी जा रही थी.

प्रिया मनीषा के सामने ज्यादा सुंदर और मांसल थी.
अजय ने प्रिया की ओर मुंहकिया और एक प्यार भरा डीप किस उसको किया.
प्रिया ने भी अजय के बाल पकड़कर उसको भींच लिया.

प्रिया के मम्मे खूब भारी थे. अजय ने बारी बारी से उसके दोनों निप्पलों को चूसा.
अजय प्रिया के साथ बहुत नरमी और भावनाओं के साथ पेश आ रहा था. आखिर वो उसकी भाभी थी और अब शायद जिन्दगी भर उससे चुदने वाली थी.

मनीषा नीचे खिसकी और अजय का लंड पकड़ कर उसे मसलने लगी.

अजय ने प्रिया को नीचे लिटाया और टेढ़ा होकर उसके ऊपर लेट कर उसके मम्मों और होंठों को चूमना शुरू किया.
मनीषा उसका मतलब समझ गयी और नीचे लेटकर उसका लंड अपने मुंह में ले लिया.

अजय ने अपनी उंगली प्रिया की गीली चूत में कर दी. जहाँ गंगा जमना बह रही थी.

थोड़ी देर बाद प्रिया ने अजय को हटाया. उसे पानी पीना था.
उसके हटते ही मनीषा ने अजय को खींच लिया.

अजय ने अपना मुंह उसकी सेक्सी चूत में कर दिया और अपनी जीभ से उसकी सीत्कारें निकाल दी.

यह देख प्रिया ने अपनी होंठ मनीषा के होंठों पर रख दिए.

अब अजय ने मनीषा की दोनों टांगों को चौड़ा किया और ऊपर करके अपना मूसल उसकी चूत में पेल दिया.
मनीषा हिल गयी, प्रिया भी हट गयी.

अब अजय और मनीषा चुदाई के घमासान में लग गए. अजय के धक्कों की स्पीड बढ़ती जा रही थी और उधर मनीषा की सीत्कारें.
वो अब चीख रही थी- मजा आ गया मेरी जान अजय … और जोर से. आज तो फाड़ ही दो मेरी चूत को. रुकना मत और तेज मेरे राजा.

उसकी हर पुकार पर अजय स्पीड और बढ़ा देता.

प्रिया मनीषा के मम्मे चूस रही थी. अब उसकी भी सेक्सी चूत की आग बेकरार हो रही थी.
वह उठी और अजय के होंठों को अपने होंठों से पकड़ लिया. इससे अजय की चुदाई रुक गयी.

वो मनीषा को छोड़ प्रिया की हॉट चुदाई करना चाहता था.
प्रिया नीचे लेट गयी और अजय उसके ऊपर.

आज वो होने जा रहा था जिसकी कल्पना न तो प्रिया ने की थी, न अजय ने.

अजय ने प्रिया की सेक्सी चूत को चाट कर चिकना किया और अपना लंड घुसेड़ दिया अपनी भाभी की प्यासी चूत में.

प्रिया चीख उठी- मार दिया अजय तुमने मुझे तो … उई मेरी मां!
पर अब मां कहाँ से आती.

अजय ने एक और धक्का लगाया और प्रिया की चूत की गहराई में पहुँच गया.
प्रिया ने उसको जकड़ लिया और फिर दोनों हॉट चुदाई के समुंदर में गोते लगाने लगे.

अजय प्रिया के ऊपर पूरा सीधे लेट गया और धीरे धीरे पानी में तैरने सा लगा. उसका लंड कभी पूरा अंदर जाता, कभी हल्का सा बाहर आ जाता.
बाहर जाते लंड को रोकने के लिए प्रिया नीचे से ऊपर उठती और अजय को जकड़ लेती.
आज प्रिया इस प्यार को वो मजबूत जमीन देना चाहती थी कि फिर जिन्दगी भर उसकी चुदाई में कोई टोटा न रहे.

अब अजय के धक्के राजधानी एक्सप्रेस क्या बल्कि बुलेट ट्रेन की स्पीड से लग रहे थे.
प्रिया हॉट सेक्स का पूरा मजा ले रही थी. उसका स्खलन हो चुका था. पर अजय की निशानी वो अपने पेट में लेना चाहती थी. उसकी कोख जो अभी खाली थी, शायद आज भरने वाली थी.

अजय ने हांफते हुए उससे पूछा- कहाँ निकालूं?
तो प्रिया ने उसे जकड़ लिया और कहा- अंदर ही निकालो.

प्रिया की सेक्सी चूत अजय ने गर्म गर्म मलाई से भर दी.

अब अजय उठा और वाशरूम में जाकर अपने को साफ़ करके आया.
प्रिया यों ही लेटी रही. उसके चेहरे पर विजयी मुस्कान थी.

गर्म गर्म लावा प्रिया की चूत से बाहर निकल रहा था. पर प्रिया हिली नहीं. वो अजय का बीज अपनी कोख में सही तरीके से बोना चाहती थी.

मनीषा अजय के पास आई और उसे चूमकर बोली- तुमने आज प्रिया का मन भर दिया. पर मेरी चूत अभी प्यासी है.

अब मनीषा ने अजय से कॉफ़ी के लिए पूछा तो अजय ने हाँ कह दी.
मनीषा किचन में जाकर कॉफ़ी बना लायी.

तीनों नंगे ही बैठे रहे और हंस बोल कर कॉफ़ी का मजा लेते रहे.

आधा घंटे में मनीषा की किस्मत जाग गयी और अजय का लंड फिर तन गया.
मनीषा ने अजय को बिस्तर पर धक्का दिया और पहले तो जमकर लंड को चूसा फिर वो चढ़ गयी उसके ऊपर.

उसने अपने हाथ से ही अजय का लंड अपनी सेक्सी चूत में किया और लगी चुदाई करने. वो खूब उछल उछल कर अजय के लंड को अपनी गहराइयों तक पहुंचा रही थी.
और अजय भी नीचे से ऊपर धक्के लगा कर मनीषा को पूरा मजा दे रहा था.

अजय ने अब मनीषा को नीचे किया और घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में घुस गया. अपने दोनों हाथों से उसने मनीषा के मम्मे मसले और धक्कों से उसकी चूत का भोसड़ा बनाया.

मनीषा भी पक्की थी. उसकी चूत का मन अभी भरा नहीं था.

वो सीधे लेट गयी और अजय फिर उसकी टांगों के बीच में घुस गया.
अजय को भी मजा आ रहा था. ऐसी औरतें बहुत मजा देती हैं जिनकी कामोत्तेजना बहुत देर में शांत होती हो.

अबकी बार का सेक्स सेशन मनीषा, प्रिया और अजय तीनों के लिए अनोखा था.

प्रिया वाशरूम में जाकर नहा आई थी और अपनी चूत अच्छे से धो आई थी. अब प्रिया अपनी टाँगें चौड़ी करके मनीषा के मुंह पर बैठ गयी.

मनीषा ने अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटना तब तक जारी रखा जब तक अजय के धक्कों की स्पीड बहुत नहीं बढ़ गयी.

अब अजय और मनीषा दोनों ही क्रम नहीं तोड़ना चाहते थे तो अजय के हर धक्के का मनीषा भी मजबूती से जवाब धक्के से देने लगी.

चूत पर दो तरफ से प्रेशर पड़ रहा था. अजय ने पूरी ताकत झोंक दी थी मनीषा की चूत को हॉट चुदाई का पूरा रस देने के लिए.

मनीषा को भी अब लग रहा था कि वो आने वाली है.
एक जोरदार धक्के के साथ अजय ने सारा माल मनीषा की चूत में डाल दिया और निढाल होकर उसके ऊपर ही पड़ गया.

मनीषा ने उसे कस के भींच लिया. आज उसकी अनोखी हॉट चुदाई जो कभी उसकी परिकल्पना में थी, पूरी हुई.

रात के 2 बज गए थए. तीनों थक चुके थे.
अजय अपने रूम में जाकर नंगा ही बेड पर पड़ गया. इधर मनीषा और प्रिया भी बेहाल और बेसुध होकर सो गयीं.

सुबह 9 बजे करीब मनीषा उठी. प्रिया सो रही थी.

मनीषा फ्रेश हुई और अजय के रूम में गयी. अजय बेसुध सो रहा था. उसका लंड तन्ना रहा था. मनीषा ने उसके लंड को मुंह में ले लिया और चूसने लगी.

अजय की आँख खुल गयी. वो मुस्कुरा दिया.

मनीषा ने उसको डीप किस दिया और उसके लंड पर बैठ गयी और अपनी चूत में कर लिया.
दोनों फिर चुदाई में लग गए.

अजय ने मनीषा के मम्मे पकड़ कर उन्हें खूब मसला.

तभी प्रिया भी उन्हें ढूंढती आ गयी और बोली- अरे! तुम दोनों तो फिर शुरू हो गए. रुको मैं भी आती हूँ.
अजय बोला- अभी नहीं. अभी फ्रेश होने दो.

फ्रेश होकर चाय पीकर सभी साथ नहाये और ये तय हुआ कि कम से कम कपड़े पहने जायेंगे.

दोपहर बाद फिर सेक्स धमाल हुआ.
और सबसे बड़ा धमाल शाम को लॉकडाउन की खबर से हुआ.
अब कब वापिस जाना होगा, कैसे जाना होगा, किसी को नहीं मालूम था. अब तो सिर्फ एक ही काम था हर समय हॉट चुदाई … दो जवां चूत और एक बांका लंड.

कामसूत्र की सारी मुद्राएँ और घर का हर कोना इनकी काम क्रियाओं का गवाह बना.

प्रिया ने अजय से ये वादा लिया कि दिल्ली में जब भी मौका मिलेगा वो सेक्स करेंगे. और अगर वो गर्भवती हो गयी तो ये राज उन्हीं के बीच रहेगा.


 
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junglecouple1984

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जवान सौतेली मां की चूत चुदाई की लालसा-1



मेरा नाम हर्षद है. मेरी उम्र 25 साल है और कद 5 फुट 8 इंच का है. मैं दिखने में स्मार्ट नौजवान हूँ. कोई भी लड़की देखते ही मुझ पर फ़िदा हो जाती है.

मैं इंजीनियर हूँ और अभी एक बड़ी कंपनी में मैनेजर हूँ. मेरा गांव पुणे से नजदीक है, यही कोई 30-35 किलोमीटर के फासले पर है.

हमारे घर में मैं, पिताजी और मेरी सौतेली मां रहते हैं. बड़ी बहन शादी हो गयी है और वह अपने ससुराल में है. पिताजी की उम्र 48 साल है. उनका कद भी मेरे जितना ही है. वे एक कंपनी में अफसर हैं. वो अपने काम की वजह से हफ्ते में तीन चार दिन घर से बाहर ही रहते हैं.

मेरी सौतेली मां का नाम अदिति है. उनकी उम्र 35 साल है. उनका कद साढ़े पांच फीट है और फिगर 34-30-38 का है. मेरी सौतेली मां दिखने में खूबसूरत हैं. उनकी चूचियां हरी-भरी हैं और चूतड़ों का आकार एकदम गोल मटोल है. जब मां चलती हैं, तो उनकी मस्तानी चाल देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो जाएगा.

मेरी सौतेली मां तो सिर्फ रिश्ते में ही मेरी मां हैं. लेकिन उन्होंने आज तक कभी मुझे इसका अहसास नहीं होने दिया. वो मुझे अपना फ्रेंड ही समझकर बर्ताव करती हैं. मुझे बहुत ही प्यार करती हैं और मेरा बहुत ख्याल रखती हैं.

हम दोनों माँ बेटा बहुत सारी बातें खुलकर करते हैं. एक दूसरे के साथ हंसी मजाक करते हैं. कभी कभी पास बैठकर एक दूसरे के गले में हाथ डालकर बातें करते हुए बैठते हैं. मेरे सिवाए उनके साथ बातें करने के लिए कोई नहीं था क्योंकि पिताजी उन्हें ज्यादा समय नहीं दे पाते थे.

इतना खुलापन होने के बावजूद भी मैंने कभी भी अपनी सौतेली मां को गलत नजर से नहीं देखा था.

ये बात एक साल पहले की है. मैं एक कंपनी में इंटरव्यू के लिए गया था. सौभाग्य से पहली बार में ही मेरा चयन मैनेजर के पद के लिए हो गया. कंपनी ने मुझे मेरी नियुक्ति का पत्र भी दे दिया और अगले हफ्ते ज्वाइन करने को कहा.

मैंने अपनी इस सफलता पर बहुत खुश हो गया था. बाहर आकर मैंने बाईक निकाली और रास्ते से मिठाई की दुकान से पेड़े का डिब्बा खरीद कर कुछ ही मिनट में अपने घर आ पहुंचा.

उस समय दोपहर के साढ़े बारह बजे थे. मैंने उत्साह में मां को आवाज दी, तो वो किचन में थीं. वो बोलीं- हां मैं यहां हूँ … क्या हुआ आज बहुत खुश दिख रहा है हर्षद!

मैं उनके पास जाकर बोला- हां मां … मुझे जॉब मिल गयी है. ये देखो लैटर.
उन्होंने नियुक्ति पत्र पढ़ा, तो वो भी बहुत खुश हो गईं.

उन्होंने मेरा अभिनंदन किया और मुझे अपने गले से लगा लिया. मैंने भी पेड़े का डिब्बा किचन की पट्टी पर रखकर उनको अपनी बांहों में भर लिया.

उन्होंने मेरे माथे पर किस किया, फिर मेरे दोनों गालों पर किस किया.

मां मुझे बांहों में भरे हुए थीं और वे मेरी पीठ सहला रही थीं.
मां बोलीं- हर्षद, आज मैं बहुत खुश हूँ.

उनका सर मेरे कंधे पर टिका हुआ था. उनके कड़क स्तन मेरे सीने पर दबे जा रहे थे. मैं भी उनकी पीठ पर अपने हाथ फेर रहा था. मेरे दिल में आज कुछ कुछ होने लगा था. उनकी गर्म सांसें मेरे बदन को उत्तेजित कर रही थीं. मुझे सौतेली मां की चूत चुदाई के लिए उकसा रही थी.

बात आगे बढ़ने से पहले ही मैं बोला- मां पिताजी कहां हैं?
वो बोलीं- अभी आ जाएंगे, वो कुछ काम के लिए बाहर गए हैं.
मैंने कहा- मैं पेड़े लाया हूँ … आप दोनों का मुँह मीठा करना है.
वो बोलीं- ठीक है, पहले फ्रेश हो जाओ. बाद में पहले भगवान को प्रसाद चढ़ा कर सभी को देना … समझे!
‘ठीक है मां..’ कहते हुए मैं बाथरूम में चला गया.

जल्दी जल्दी फ्रेश होकर मैंने भगवान को प्रसाद चढ़ाया, उन्हें नमस्कार किया और बाहर आ गया.

फिर मैंने मां को पेड़ा खिलाया और उन्होंने मुझे खिलाया. इतने में पिताजी भी आ गए.

हम दोनों को प्रसन्न देख कर पिताजी बोले- हर्षद क्या बात है … आज तुम दोनों बहुत खुश दिख रहे हो!

मैंने उन्हें लैटर दिखाया और मेरे जॉब लगने के बारे में सब कुछ बोल दिया.

वैसे भी लैटर में सब कुछ लिखा था. पेमेंट और ज्वाइनिंग डेट भी लिखी थी.

ये सब पढ़ कर पिताजी भी बहुत खुश हो गए. मैंने उनके चरण स्पर्श किये और उनको पेड़ा खिलाया.

उनकी आंखों में आंसू आ गए थे. मैंने बोला- पिताजी आप क्यों रो रहे हैं?
पिताजी बोले- नहीं हर्षद, ये ख़ुशी के आंसू हैं. मैं तुम्हारी सफलता से आज बहुत खुश हूँ. बेटा तुम अपने पैरों पर खड़े होने जा रहे हो. हर्षद मुझे तुम पर नाज है.

ये कहकर पिता जी ने मुझे गले से लगा लिया. मां भी हमारे साथ शामिल हो गईं. हम तीनों एक दूसरे के साथ गले मिल कर अपनी ख़ुशी मनाने लगे.

ये सच में मेरे लिए बहुत ही हसीन पल था.

फिर पिताजी बोले- अदिति, खाना लगाओ … मैं फ्रेश होकर आता हूँ.

वो बाथरूम में चले गए. मां भी किचन में चली गईं. मैं डायनिंग टेबल पर कुर्सी लेकर बैठ गया.

मां ने खाना परोसा और हम तीनों बातें करके खाना खाते रहे. मैं मां के सामने बैठा था और पिताजी उनकी बगल में थे. मुझे रोटी देते समय मां को कुछ ज्यादा ही झुकना पड़ रहा था, तो मुझे उनके गोरे, कड़क स्तन दिख रहे थे. मैं भी गौर से मां के मम्मे देख रहा था. ये मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.

मां भी मुझे देख रही थीं कि मेरी नजरें उनके मम्मों पर हैं. ये देख कर आज मां की नजरें कुछ बदली सी थीं. वो मुझे बार बार देख रही थीं और मैं उनके मम्मों को निहार रहा था.

इतने में पिताजी का खाना हो गया और वो बोले- तुम लोग आराम से खा लो. मैं आराम करने जा रहा हूँ.
वो चले गए.

मां बोलीं- हर्षद, तुम ये क्या बार बार घूर-घूर कर मुझे देख रहे थे? ऐसा मुझमें तुझे क्या नया दिख रहा है? तुम बहुत बदमाशी कर रहे हो.
मैंने कहा- कुछ नहीं मां … बस मैं तो ऐसे ही देख रहा था. मुझे माफ कर दो.
वो हंसकर बोलीं- अरे हर्षद मैं तुम पर गुस्सा नहीं कर रही हूँ … मैंने तो तुम्हें ऐसे ही बोला. वैसे भी तुम्हारी यही उम्र तो है ताक-झांक करने की.

मैंने उनकी हंसी देखी, तो सामान्य हो गया.
कुछ ही देर में हमारा खाना भी हो गया और मां सभी बर्तन लेकर किचन में अपना काम करने लगीं.

मैं उठ कर अपने रूम में चला गया.

कमरे में मैं अपने बेड पर लेटा था, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी. बार बार मेरी आँखों के सामने वही सारे दृश्य आ रहे थे. मां और मैं एक दूसरे के पीठ पर हाथ फेर रहे थे. उनके स्तनों का दबाव मेरे सीने पर मुझे मस्त कर रहा था. फिर खाना खाते वक्त दिखने वाले सेक्सी मम्मों को देख कर मैं गर्म हुए जा रहा था.

मैं खुद अपने आपको कोसने लगा कि मैं अपनी मां के बारे में कितना गंदा सोचता हूँ.
यही सब सोच कर मुझे कब नींद आ गई, इसका कुछ पता ही नहीं चला.

कुछ देर बाद मां ने मुझे जगाया- हर्षद चलो … उठो फ्रेश हो जाओ. मैं चाय बनाती हूँ. तुम तैयार हो जाओ, हमें मंदिर जाना हैं.

मैं उठा और बाथरूम में जाकर फ्रेश हो गया, फिर तैयार हो गया.

पिताजी भी तैयार हो कर मन्दिर जाने के लिए सोफे पर बैठे थे. मां चाय लाईं और हम तीनों ने चाय पी ली.

फिर मन्दिर के लिए निकल गए. पैदल जाने में कुछ ही मिनट का रास्ता था.

ये गणेशजी का बड़ा मन्दिर था. हम लोग बातें करते चल रहे थे.

पिताजी बोले- आज मंगलवार का बहुत ही शुभ दिन है. हर्षद तुमने बहुत बड़ी खबर सुनायी है आज. ये सब भगवान की कृपा है बेटा. इसलिए मैंने ही अदिति को बोला कि हम मन्दिर होकर आएं.
मैं बोला- हां अच्छा हुआ पिताजी. मैं भी आपको यही कहने वाला था.

फिर हम दर्शन करके उधर बगीचे में थोड़ी देर बातें करने लगे. कुछ देर बाद हम सब घर आ गए. तब तक करीब शाम के साढ़े सात बज गए थे.

मां बोलीं- मैं खाना बनाती हूँ.

ये कह कर मां किचन में चली गईं. मैं और पिताजी टीवी चालू करके हॉल में ही सोफे पर बैठ गए. मेरी नजरें किचन में गईं, तो मां के हिलते हुए चूतड़ मुझे दिख रहे थे. उनके मस्त गोल मटोल चूतड़ मुझे उत्तेजित करने लगे थे. वे इधर उधर हिलतीं, तो उनकी गांड के दोनों फलक ऊपर नीचे हो रहे थे. जब मां नीचे को झुकतीं, तो उनके दोनों चूतड़ों के बीच वाली दरार साफ दिख रही थी.

ना चाहते हुए भी मेरी नजरें उस तरफ बार बार जा रही थीं. मैं टीवी कम, अपनी मां के मदमस्त जोवन को ही ज्यादा देख रहा था.

एक बार तो मेरी और मां की नजरें टकरा भी गईं. मैं नजरें मिलते ही सकपका गया, मगर वो मुझे देख कर हंसने लगीं. मां अब बार बार मुझे देखते हुए अपना काम करती रहीं.

इतने में पिताजी बोले- तो हर्षद कंपनी कब ज्वाइन कर रहे हो?
मैं बोला- अगले हफ्ते एक जनवरी से करने के लिए कहा गया है.
पिताजी- अच्छा है हर्षद … खूब दिल लगा कर काम करना … किसी को शिकायत का मौका मत देना.

इतने में हॉल में मां आईं और वो मेरी तरफ देख कर हंसते हुए बोलीं- किस मौके की बात कर रहे हो.

जब पिताजी ने उन्हें समझाया.

तो वो मुझे आंख मारकर बोलीं- वैसे ही बहुत होशियार है मेरा हर्षद. उसे कुछ बताने की जरूरत नहीं है. खुद ही सब समझ जाता है.

उनकी इस बात का अर्थ मुझे कम समझ में आया था. तब भी उनकी दबती आंख ने मुझे हिम्मत दे दी थी.
मैं भी उनकी तरफ देख कर मुस्कुराने लगा.

फिर पिताजी बोले- हां वो तो है ही.
हम सब हंसने लगे.

फिर कुछ देर टीवी देखने के बाद मां बोलीं- चलिए मैं खाना लगाती हूँ … नौ बज गए हैं. आपको कल सुबह आठ बजे ऑफिस भी जाना है ना!

पिता जी को ये याद आया, तो वो भी उनकी हां में हां मिलाते हुए हाथ धोने चले गए.

मां किचन में चली गईं.
मैं उनके सेक्सी चूतड़ों को देखता रह गया.

कुछ देर बाद मैं भी उठा और हाथ धोकर आ गया. तब तक मां ने खाना परोस दिया था. हम सभी ने साथ में खाना खा लिया.

पिताजी अपने बेडरूम में चले गए. मैं भी अपने रूम में चला गया. मां किचन में अपना काम समेटने लगीं.

मैं रात को सोते समय सिर्फ एक जांघिया में ही सोता हूँ. लेकिन अभी ठंडी की वजह से मैंने लुंगी और बनियान भी पहनी हुई थी.

मैं लेट गया, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी. आंखें बंद करने के बाद न चाहते हुए भी मुझे मां के कड़क और सेक्सी स्तन, गोल-मटोल हिलते हुए चूतड़ और उनके गर्म हाथों का स्पर्श बार बार गर्म कर रहा था. उनकी गर्म सांसें मेरे गालों पर मुझे महसूस हो रही थीं.

ये सब सोचकर मेरे बदन में कुछ कुछ होने लगा था. मेरा लंड आहिस्ता आहिस्ता खड़ा होने लगा था. मुझे अब लगने लगा था कि मेरा लंड जांघिया को फाड़कर बाहर आने की कोशिश कर रहा है.

मैंने लुंगी में हाथ डालकर जांघिया को नीचे कर दिया … और लंड को आजाद कर दिया. फिर ऊपर से लुंगी ठीक करके लंड ढक लिया. इस समय मेरा लंड अपने पूरे आकार में था. मेरा लंड सात इंच लंबा और किसी मोटी ककड़ी सा मोटा है. इतना भीमकाय लंड भला एक चुस्त जांघिया में कैसे रह सकता था.

इतने में मां मेरे कमरे का दरवाजा खोल कर अन्दर आ गयी और बोलीं- हर्षद ठंड ज्यादा है ना … तो मैं तुझे ये कम्बल देने आयी थी. मैंने आँख खोल कर मां को देखा, तो पाया कि उनकी नजरें मेरी लुंगी में बने हुए तंबू पर थीं. मैं घबराकर उठकर बैठ गया. मेरी तो फट गयी थी. ठंडी में भी मुझे पसीना आ रहा था.

मां की मस्त जवानी मुझे उनको चोदने के लिए बेचैन कर रही थी.

 
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