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Incest All short story collected from Net

आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

  • माँ - बेटा

  • भाई - बहेन

  • देवर - भाभी

  • दामाद – सासु

  • ससुर – बहु


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junglecouple1984

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भाई ने बहन की कुंवारी चूत चोदी



मेरा नाम सिम्मी है. मेरी उम्र 23 साल की है.
मेरे भाई का नाम राज है.
वह अभी 18 साल का हो गया है.

यह बेहेनचोद ब्रो सेक्स कहानी इसी भाई की है.

मेरे पापा एक आर्मी ऑफीसर थे लेकिन तीन साल पहले ही हार्ट अटॅक से उनकी मृत्यु हो गई थी.
मेरी मॉम की उम्र 43 साल की है. घर में मैं और मॉम ही रहती हैं.

मेरा भाई हॉस्टल में रह कर पढ़ रहा है.
और अभी वह हॉस्टल से घर वापस आ रहा था क्योंकि हमारे ताऊ जी की लड़की की शादी तय हो गई थी.

मेरा भाई शादी के एक हफ्ते पहले ही घर आ गया था.
मैं अपने भाई से बहुत प्यार करती हूँ और वह भी मुझसे उतना ही प्यार करता है.
लेकिन कभी कभी हमारी लड़ाई हो जाती है क्योंकि वह बहुत तंग करने लगता था और बहुत ज़िद्दी भी है.

हमारी मॉम भी हम दोनों से बहुत प्यार करती हैं लेकिन वे कभी कभी दुखी हो जाती हैं क्योंकि पापा के जाने के बाद वे अकेली पड़ गई हैं.
मैंने उनको कई बार कमरे में अकेले रोते हुए देखा है.

शायद पापा के फौज में रहने के कारण उनको शारीरिक सुख भी बहुत ज्यादा नहीं मिला था.
हालांकि मुझे मालूम था कि वे किसी न किसी मर्द के साथ सेक्स करती हैं क्योंकि एक आंटी उनको कभी कभी घर से बाहर ले जाती थीं और जब मॉम घर वापस आती थीं, तो बेहद खुश दिखाई देती थीं.
उससे ही मैंने अंदाजा लगाया था कि वे किसी के साथ सेक्स करती हैं.

मेरा भाई जब से हॉस्टल से आया है, उसकी हरकतें बहुत अजीब सी हो गई हैं.

वह पहले हमारे साथ एक थाली में कभी कभी खाना नहीं ख़ाता था, उसको कैसा का भी झूठा खाना खाना पसंद नहीं था, यहां तक कि वह मेरा और मॉम का खाना भी नहीं खाता था.

लेकिन हॉस्टल से आने के बाद वह एकदम से बदल गया था.
अब वह कभी कभी मेरे और मॉम के साथ एक ही थाली में खाना ख़ाने लगा था.

उससे पूछने पर वह बोलता- मॉम, आप ही तो कहती थीं कि एक दूसरे का खाना खाने से प्यार बढ़ता है.
मॉम ये सुनकर हंस देतीं.

मैंने देखा था कि अब उसकी नज़रें हमेशा मुझ पर या मॉम पर ही रहती थीं.
उसके अन्दर यह काफी बड़ा बदलाव था.

मैंने चैक किया था कि वह मुझे देखता रहता था और जब मैं एकदम से पलट जाती तो भाई सहम जाता और इधर उधर देखने लगता था.

उसको मैंने मॉम को भी देखते हुए देखा था.
जब मॉम झुक कर पौंछा लगाती थीं तो उसकी नजरें मॉम की लटकती छातियों पर या उनकी हिलती हुई गांड पर लगी रहती थीं.

जब मॉम किचन में काम करतीं तो वह उनको पीछे से देखता रहता था.

घर में शादी की तैयारियां तेज हो गई थीं जिसके चलते एक दिन हमें अपने बड़े घर जाना था.
हम सब तैयार हो रहे थे.

उस दिन मैंने साड़ी के साथ बैकलैस ब्लाउज पहना था.
मॉम ने भी साड़ी पहनी थी.

उस दिन मॅाम बाथरूम में पैड लगाने गई थीं क्योंकि उस दिन उनके पीरियड्स आ गए थे.
उसी वक्त मुझे अंडरवियर चेंज करनी थी और मॉम को भी टाइम लग रहा था.

भाई उधर ही बैठ कर मेरे फोन में गेम खेल रहा था.

मैंने अपनी साड़ी ऊपर उठाई और अपनी जांघों तक ले जाकर झटके से अपनी अंडरवियर उतार कर एक तरफ रख दी और दूसरी अंडरवियर पहनने लगी.
मैं हमेशा थोड़ी टाइट पैंटी पहनती हूँ.

जब मैं अपनी पैंटी पहन कर अपनी साड़ी ठीक कर रही थी कि मेरी नज़र मेरे भाई पर गई, उसकी उसकी आंखें एकदम खुली रह गई थीं और वह पसीना पसीना हो रहा था.

मैंने उसका खड़ा हुआ लंड भी नोटिस कर लिया था.
हालांकि उसकी हालत देख कर मेरी हंसी भी रोके नहीं रुक रही थी.

पर जैसे तैसे मैंने खुद को शांत किया.
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
तो वह अपने लंड को छुपाते हुए वहां से चला गया.

अब हम सब रेडी हो गए थे.

मैंने अपने ताऊ के घर जाने के लिए एक कैब बुक की थी.
बड़े घर पहुंचने में हमको तीन घंटे लगने वाले थे.

रास्ते में भाई खिड़की की तरफ वाली सीट पर बैठा था और मैं उसके बाजू में.

उसका लंड अभी भी खड़ा था.
शायद वह अभी भी उसी घटना के बारे में सोच रहा था.

कुछ टाइम बाद मैंने नोटिस किया कि भाई को नींद आ रही है.

यह मॉम ने भी देख लिया था तो मॉम मुझसे बोलीं- अपनी गोदी में अपने भैया का सिर रख ले!

तो मैंने उसको अपनी गोदी में सिर रख कर सुलाने लगी.

लेकिन थोड़ी देर बाद उसकी मस्ती शुरू हो गई.
उसने अपना मुँह मेरी चूत की तरफ कर लिया और जोर जोर से सांसें लेने लगा.

मैं समझ गई कि यह मेरी चूत की खुशबू लेने की चेष्टा कर रहा है.
थोड़ी देर बाद वह मुझसे धीमी आवाज में बोला भी- दीदी आपका पर्फ्यूम अच्छा है.

पहले तो मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि यह क्या कह रहा है.
मैं चुप रही तो वह भी चुपचाप सो गया.

फिर कार के तीन घंटे के सफर के बाद हम लोग अपने ताऊ जी के घर पहुंच गए.
वहां मेरी बड़ी मम्मी ने हमारा स्वागत किया और वे हमें अन्दर ले गईं

उनके घर में शादी की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं.
बड़ी मम्मी ने हमें नाश्ता और कॉफी ऑफर की.

कॉफी पीने के बाद मुझे टॉयलेट लगने लगी.
मैं मॉम से बोल कर टॉयलेट करने के लिए जाने लगी.
मेरा भाई मेरे पीछे पीछे आने लगा.
उसकी इस बात को मैंने ध्यान नहीं दिया.

जैसे ही मैं बाथरूम में दाखिल हुई, मेरा भाई पीछे से आ गया और बोला- दीदी, मुझे भी टॉयलेट लगी है.
लेकिन मुझे भी जोर से लगी थी तो मैंने उसको बाथरूम के अन्दर ही ले लिया और दरवाजा बंद कर दिया.

मैंने उससे कहा- तू कोने में मुँह घुमा कर सुसू कर ले.
वह घूमा तो मैं उसके विपरीत खड़ी हो गयी और अपनी साड़ी ऊपर करने लगी.

मैं सुसू करने के लिए अपनी पैंटी नीचे कर ही रही थी लेकिन मेरी पैंटी मेरी जांघों तक ही उतर पाई होगी कि तभी मेरे भाई ने मुझे आगे से पकड़ लिया.

तो मैं एकदम से डर गई और उसको हटाने की कोशिश करने लगी.
मेरी साड़ी ऊपर को उठी हुई थी और पैंटी जांघों पर थी.

वह अपने मुँह के समेत मेरी साड़ी के अन्दर घुस गया था.
भाई ने मुझे जोर से पकड़ रखा था.

तभी अचानक से उसका मुँह मेरी चूत से टच हुआ और मेरी बॉडी में करेंट सा दौड़ गया.
मुझे जोर से सुसू लगी थी और मुझसे रोकी नहीं जा रही थी.

मैं उसे हटाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन तभी उसके होंठ मेरी चूत पर चिपक गए.
मैं खुद को रोक ही नहीं पाई और हल्की सी चीख के साथ मैंने उसके मुँह में ही सुसू कर दी और मैं अपने मुँह पर हाथ रख कर अपनी सीत्कार को रोकने लगी.
मुझे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या हुआ है मेरे साथ!

मैंने भाई को एक चांटा मार दिया.
मेरा भाई रोने लगा और मुझसे अलग हो गया.

उस वक्त भाई के लिए मेरे अन्दर मिले जुले भाव आ रहे थे.
प्यार भी आ रहा था और गुस्से के साथ एक कामुक भाव भी था.

मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था.

तभी भाई मेरे पास को हुआ और उसने मुझ हग कर लिया.
मेरा भाई मेरी सुसू में पूरी तरह गीला हो चुका था.

करीब बीस मिनट तक हम दोनों बाथरूम में ही रहे.
फिर मैंने अपने हाथों से अपने भाई का मुँह धोया और उसके कपड़े भी पानी से साफ किए.

फिर मैंने अपनी साड़ी को भी ठीक किया और अपने चेहरे को सही किया.
अब मैंने अपने भाई को समझाया कि यह बात किसी को बताना नहीं … यह सब ग़लत है.
अब मैं बाहर आ गई.

बाहर आई तो मॉम ने पूछा- इसको क्या हो गया … ये गीला कैसे हो गया?
मैंने कह दिया कि इसने गलती से फव्वारा चालू कर दिया था.

यह कह कर मैंने भाई को आंख मार दी.
मॉम चली गईं.

बाद में भाई ने बोला- दीदी, आपकी सुसू तो बहुत टेस्टी है!
मैं हंस दी.

शादी के बाद हम सब वापस घर पहुंच गए.
उसके बाद मेरे और मेरे भाई के बीच का रिश्ता कुछ अलग सा हो गया था.

जब भी मैं भाई को देखती या भाई मेरे पास होता, तो मेरी प्रतिक्रियाएं एक बहन जैसी नहीं होतीं.
कभी मैं उसके साथ चूमा चाटी करने लगती तो कभी उसे अपनी बांहों में भर लेती.

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ.
मैं अब उससे दूरी बनाने की कोशिश करने लगी.

अब उसके हॉस्टल वापिस जाने में कुछ दिन ही बचे थे.
तभी खबर आई कि उसके हॉस्टल की बिल्डिंग में कोई हादसा हो गया है जिस वजह से सबको एक महीने के लिए आने से रोक दिया गया है.

भाई हमारे साथ ही रह कर पढ़ने लगा.
मैं उसे अपने कमरे में ही सुलाने लगी थी.

एक दिन मैं किचन में काम कर रही थी और मॉम अपनी उन्हीं सहेली आंटी के साथ गई थीं.
वे देर से आने की कह कर गई थीं तो मैं समझ गई थी कि आज मॉम अपनी सर्विसिंग करवाने लगी हैं.

आज गर्मी कुछ ज्यादा थी तो किचन में मुझे खाना बनाते बनाते गर्मी भी लग रही थी और पसीना भी आ रहा था.

तभी मुझे घर का मुख्य दरवाजा खुलने की आवाज़ आई.
मैं समझ गई कि भाई बाहर से खेल कर आ गया है.

उसको घर में आए हुए दो मिनट ही हुए होंगे कि उसने मुझसे पूछा कि मॉम कहां हैं?
मैंने जैसे ही उससे बोला- वे बाहर गई हैं, उसने मुझे पीछे से हग कर लिया.

उसके स्पर्श से मैं मचल उठी.
लेकिन अगले ही पल मैंने अपने आप को समझाया कि वह तेरा भाई है.

मैंने उसको खुद से दूर किया और इस बार उसे डांटा भी और थप्पड़ भी मारा क्योंकि वह प्यार से समझ नहीं रहा था.

वह लगातार मेरे साथ खेलने की कोशिश कर रहा था.
मैंने उसे धक्का देकर खुद से दूर किया और कहा- रुक, मॉम को आने दे … मैं उन्हें सब बताती हूँ.

वह मेरी बात सुनकर मुझसे अलग हो गया और दूरी बना कर खड़ा हो गया.
मैं अपना काम करने लगी.

अभी बमुश्किल दो मिनट ही हुए थे कि वह वापस किचन में आ गया और उसने मेरी कुर्ती को पीछे से ऊपर कर दिया.

जब तक मैं कुछ समझ पाती कि उसने मेरी लैगिंग्स के ऊपर से ही मेरी दोनों चूतड़ों के बीच में अपना मुँह घुसा दिया.

मैं एकदम से चीख पड़ी.
मैंने अपने हाथ पीछे किए और उसके बाल पकड़ कर उसका मुँह अपनी गांड से हटाने की कोशिश की.

इस चक्कर में मेरा संतुलन बिगड़ रहा था.
उधर मेरा भाई भी मेरी लैगिंग्स के ऊपर से ही अपनी जीभ मेरी गांड में घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था.

मुझे न चाहते हुए भी मजा आने लगा था.
मेरी तरफ से विरोध नहीं होता देख कर वह और ज्यादा बिंदास हो गया और मेरी दोनों टांगों को अपने हाथों से पकड़ कर मेरी गांड को चाटने में लगा रहा.

मैं भी कामुक होने लगी थी और न चाहते हुए भी कुछ कर नहीं पा रही थी.

तभी उसकी तेजी से मेरा संतुलन बिगड़ गया और मैं किचन की पट्टी का सहारा लेकर झुक सी गई.
मुझे ऐसा लगा कि मेरी चूत से पानी निकलने वाला है, तो मैं उसे हटाने के लिए उसके बालों को खींचने लगी.

यह एक तरह से ठीक वैसा हो रहा था जैसे मैं उसे हटाने की कोशिश में उसे अपनी चूत में और ज्यादा दबाए जा रही थी.

उसी पल मैं झड़ गई और रस बह जाने के बाद मैंने उसके बालों से ही पकड़ कर उसे हटाया और कहा- आह हट जा कमीने … तूने यह सब कहां से सीख लिया है?
वह हंस दिया और मुझे देखने लगा.

उसने मेरी टांगों को अभी भी अपने हाथों से जकड़ा हुआ था.

बहुत देर के बाद मैं उसको खुद से दूर कर सकी और मैंने प्यार से उसको एक थप्पड़ मारते हुए कहा- पागल है क्या? अभी मॉम देख लेतीं तो?
वह हंसता हुआ अलग हो गया.

मैंने हाथ से छूकर देखा कि मेरे भाई की वजह से मेरी पजामी पीछे से पूरी गीली हो गई थी.

मैं बाथरूम में चली गई और आज की इस घटना को याद करके बहुत देर तक अपनी चूत को सहलाती रही और अपने भाई की मदमस्त हरकत को याद करके अपनी चूत में उंगली करती रही.

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं किस तरह से अपने भाई को समझाऊं, या खुद को उससे दूर करूँ या सब कुछ हो जाने दूँ.
दिन में जब मैं अपने कमरे में कुछ काम कर रही थी. उस वक्त मेरा भाई बिस्तर पर रहा था.

भाई को देख कर मुझे वे सब घटनाएं याद आ रही थीं, जो मेरे साथ अभी तक हुई थीं.
मेरा भी मन नहीं मान रहा था.

मैं काफी देर तक अपने भाई का मासूम चेहरा देखती रही और जब खुद को न समझा पाई तो अपने भाई के साथ ही उसके बेड पर लेट गई.

तब मैं उसके लंड को टच करने लगी.
मेरा भाई गहरी नींद में था.
उसका लंड उस वक्त एकदम लुंजपुंज अवस्था में था.

मैं उत्तेजित हो गई थी तो मैंने उठ कर दरवाजा बंद किया और भाई के पैंट को नीचे कर दिया और मैं उसके लंड को टच करने लगी.

उसके लंड पर अभी झांटों ने उगना शुरू ही किया था.
लेकिन उसका लंड काफ़ी बड़ा और मोटा था. उसके लंड का धागा भी शायद अब तक नहीं टूटा था.

मैंने अपने भाई के लौड़े को किस करना चालू कर दिया और जब अच्छा लगने लगा, तो मैंने धीरे से अपने छोटे भाई के लंड को अपने मुँह में भर लिया.
उसका मुलायम सा लंड चूसने में बड़ा ही मस्त लग रहा था.

मैं कुछ मिनट तक उसका लंड चूसती रही.
अब उसके लंड ने अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी थी.

कुछ ही देर में मेरे भाई के लंड ने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया था; उसका लंड मेरे मुँह के अन्दर ही फूलने लगा था.
मुझे ऐसा लगा कि अब यह स्खलित होने ही वाला है.

मगर मुझे उसके कड़क होते लंड को चूसने में बड़ा मजा आ रहा था तो मैंने भी मन बना लिया था कि इसके लंड की रबड़ी को भी खा ही जाऊंगी.

मैं लंड चूसती रही और उसने सोते हुए में ही मेरे मुँह में स्पर्म छोड़ दिया.

मैंने बड़े मन से उसके वीर्य को खा लिया था क्योंकि यह सब कुछ अचानक जरूर हुआ था, पर मैंने मन बनाया हुआ था कि उसका वीर्य चाट कर खा जाना है.

अब तो यह मेरा हमेशा का शगल बन गया था और कभी कभी तो मुझे लगता था कि मेरा भाई भी लंड चुसवाते समय जाग जाता है और वह जानबूझ कर मुझसे अपने लौड़े को मजे से चुसवाता है.

फिर एक दिन उसने लंड झाड़ने के बाद अचानक से मेरे कान में फुसफुसा कर कहा- दीदी, मुझे भी आपकी चूत चाटनी है.

पहले तो मैँ अचकचा गई कि यह जाग गया … पर मैंने उससे कहा- नहीं भाई, यह गलत है.

वह बहुत शरारती और जिद्दी स्वभाव का है तो वह नहीं माना.

मुझसे वह बोला कि जब तक आप मुझे अपनी चूत नहीं दिखाओगी तब तक मैं आज खाना नहीं खाऊंगा.

मुझे लगा कि वह मज़ाक कर रहा है.
मैं उसके पास से उठ कर चली गई.

उसने सच में पूरे दिन कुछ नहीं खाया.
मुझे बहुत बुरा लगा कि मेरी वजह से यह सारे दिन भूखा रहा.
यदि मैं उसे अपनी चूत दिखा देती और वह चूत चाट भी लेता तो मेरा क्या घिस जाता.

अब मैंने तय कर लिया था कि आज उसे मैं अपनी चूत न केवल दिखा दूँगी, बल्कि वह चाहेगा तो उससे चूत चुसवा भी लूँगी.

रात को मैंने उसे अपने पास बुलाया और उससे कहा- तुम पहले खाना खा लो, तब मैं तुम्हारी हर बात मान लूँगी.
उसने कहा- मुझे आपकी चूत चाटनी है.

मैंने उस समय जानबूझ कर स्कर्ट पहनी हुई थी.
उसके सामने मैंने अपनी पैंटी निकाली और बिस्तर पर चित लेट कर उससे कहा- आ जा और अपनी दीदी की चूत चाट ले.

वह मेरे ऊपर शुरू से ही 69 में चढ़ा और मेरी चूत से खेलने लगा.
मैंने भी उसके बाक्सर को नीचे कर दिया और उसका मोटा लंड चूसने लगी.

वह मेरी चूत चाटते हुए बोला- वाह दीदी, आपकी तो एकदम सफाचट चूत है. आपने अपनी झांटें कब साफ की थीं?

उसके इस सवाल से मेरी झिझक भी जाती रही और मैंने कहा- मैं मॉम की तरह हमेशा अपनी चूत साफ रखती हूँ.

उसने किलकारी भरी- अरे वाह, इसका मतलब मॉम की चूत भी सफाचट रहती है?
मैंने उसके लंड से खेलते हुए कहा- हां.

वह बोला- दीदी मेरे टट्टे सहलाओ न प्लीज!
मैंने अपने भाई के टट्टे भी चूस लिए.
वह काफी खुश हो गया था.

फिर मैं काफी गर्म हो गई थी तो मेरा मन कर रहा था कि मेरा भाई मुझे झाड़ दे.

वही हुआ, उसने मेरी चूत को चाट चूस कर स्खलित करने पर मजबूर कर दिया और उसके साथ ही वह मेरी चूत का सारा रस चाट गया.

मैं बहुत सुकून महसूस कर रही थी.
मेरा भाई मेरी चूत चाटता जा रहा था.
सारा रस खत्म हो गया था पर वह चूत चूसता ही जा रहा था … जिससे हुआ यह कि मैं वापस गर्मा गई.

उधर आज उसका लंड झड़ ही नहीं रहा था.
अब वह 69 की पोजीशन से हट कर सीधा हुआ और मेरे ऊपर चुदाई की पोजीशन में चढ़ गया.

मैं अन्दर ही अन्दर डर भी रही थी और खुश भी थी.
मेरे भाई ने मेरी टांगें फैला दीं और अपने लौड़े को मेरी चूत में सैट करके एक धक्का दे दिया.

गीली चूत में उसके लंड का सुपारा फंस गया.
मैं भी सीलपैक माल थी तो मुझे बेहद दर्द हुआ.
मेरा भाई मेरे दर्द को दरकिनार करता हुआ मेरी चूत को फाड़ता गया और अंततः उसने अपना पूरा लंड मेरी चूत में पेवस्त कर दिया.

मैंने नीचे हाथ लगा कर देखा तो खून निकलने लगा था.

इतनी पीड़ा होने के बाद भी एक बार को मुझे मुस्कान आ गई कि मेरी सील मेरे भाई ने तोड़ दी.
बेहेनचोद ब्रो ने कुछ देर बाद मुझे हचक कर चोदना चालू कर दिया.

उसकी ताकत से मुझे अहसास हो गया था कि यह एक बेहेनचोद ब्रो सेक्स सेक्स में सच्चा मर्द है और मैंने अपने भाई से चुदवा कर कोई गलती नहीं की.

आधा घंटा तो मेरी चूत को बेहद बर्बरता से रगड़ने के बाद मेरा भाई मेरी चूत में ही झड़ गया.
इस दौरान मैं तीन बार स्खलित हुई थी.

चुदाई के बाद बेहद सुकून मिल रहा था.
मैंने अपने भाई को अपनी बांहों में कस लिया और कुछ देर के लिए हम दोनों उसी स्थिति में सो गए.

उस रात मेरे भाई ने मुझे सुबह चार बजे तक कई बार चोदा और अब यह हम दोनों का रोज का शगल हो गया था.
 
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junglecouple1984

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लंड की प्यासी अम्मी को चोदकर बीवी बनाया





मेरा नाम जहीर है, मैं यूपी का रहने वाला हूं.

मेरी अम्मी का नाम सकीना है, उम्र 40 की और रंग गोरा है. उनकी चूचियों का साइज 36 इंच है. वो देखने में एकदम माल लगती हैं. उन्हें देख कर किसी का भी लौड़ा खड़ा हो सकता है.

हमारी फैमिली एक छोटी फैमिली है. हम दो भाई हैं. मेरे बड़े भाई की शादी हो चुकी है और वो अपनी पत्नी के साथ बाहर रहता है.

हमारे परिवार में सब कुछ अच्छा चल रहा था, तभी एक घटना हो गई.
एक एक्सिडेंट में मेरे अब्बू जी चल बसे, जिससे मैं और मेरी अम्मी दोनों अकेले रह गए.

अब्बू जी की मुत्यु के बाद मुझे शराब पीने की आदत पड़ गई. मैं रोज शराब पी कर घर जाने लगा.

दोस्तो, मैं आपको बता दूँ कि मुझे शादीशुदा औरतें बहुत पसंद आती थीं.
इसी कारण से अब्बू की मौत के बाद मेरी सोच मेरी अम्मी के लिए बदलने लगी.
मैं उन्हें चोदने के बारे में सोचने लगा.

लेकिन मुझे थोड़ा डर भी लगता था आखिर वो मेरी अम्मी थीं.
मगर मैं उन्हें चोदे बिना नहीं रह सकता था.

अब मैं उन्हें चोदने की तरकीब सोचने लगा कि कैसे अम्मी की चूत चुदाई की जाए.

मैं एक दिन बाज़ार से एक छोटा स्पाई कैमरा ले आया जो फोन से कनेक्ट हो जाता था.
मैंने उसे बाथरूम में लगा दिया.

जब मेरी अम्मी बाथरूम में नहाने के लिए जातीं तो मैं फोन में उन्हें देख कर मुठ मारा करता.

एक दिन मैंने देखा कि अम्मी अपनी चुत में उंगली करती हुई कुछ बड़बड़ा रही थीं.

चूंकि कैमरे में सिर्फ सीन आ रहा था, आवाज नहीं आ रही थी, मैं झट से बाथरूम के दरवाजे के पास आकर उनकी आवाजें सुनने लगा तो वो मेरा ही नाम लेकर अपनी मुठ मार रही थीं.
इससे मेरा हौसला बढ़ गया.

कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा.
फिर एक दिन मेरी अम्मी ने मुझे समझाया- बेटा तू बाहर शराब मत पिया कर, अगर तुझे शराब पीनी होती है, तो घर पर ला कर पी लिया कर.

उनकी बात से मेरे दिमाग में एक तरकीब आ गयी कि क्यों ना अम्मी को शराब पिला कर उनकी चुदाई की जाए. नशे में उन्हें चोदना भी आसान होगा.

एक दिन मैं ऑफ़िस से जल्दी घर आ गया और एक बोतल शराब की भी ले आया.

जब मैं घर पहुंचा तो देखा अम्मी किचन में खाना बना रही थीं.

मेरे हाथ में शराब की बोतल देख कर मेरी अम्मी मुझे घूर घूर कर देखने लगीं.

मैं सीधा रूम में चला गया और कपड़े बदल कर शराब पीने लगा.

थोड़ी देर बाद अम्मी मेरे कमरे में आईं और कहने लगीं- बेटा शराब पीने से क्या मिलता है.
मैंने उन्हें कहा- अम्मी, शराब पीने से नींद बहुत अच्छी आती है.

वो कहने लगीं- ऐसा कुछ नहीं होता बेटा.
मैंने कहा- सच में अम्मी … अगर आपको यकीन नहीं है, तो आप भी एक पैग लगा कर देखिए.

मेरे इतना कहने पर अम्मी गुस्सा हो गईं और कहने लगीं- तू अपनी अम्मी को शराब पिलाएगा, शर्म नहीं आती तुझे?
फिर मैंने उन्हें समझाया- अम्मी इसमें कुछ ग़लत नहीं है. आजकल सब लोग शराब पीते हैं, इससे शरीर की थकान दूर होती है.
पर वो शराब पीने को तैयार नहीं थीं.

फिर मेरे बार बार कहने पर वो एक पैग लगाने के लिए तैयार हो गईं.
मैंने जल्दी से एक मोटा सा पैग बनाया और अम्मी को दे दिया.

वो धीरे धीरे उसे पूरा पी गईं. अब मुझे लग रहा था कि शायद मेरा काम बन जाएगा.

फिर मैंने एक और पैग बना कर अम्मी को दिया, तो वो कहने लगीं- नहीं बेटा अब नहीं.

पर मैं कहां मानने वाला था; मैंने जबरदस्ती एक और पैग अम्मी को पिला दिया.

वो नशे में हो गई थीं.
फिर वो रसोई में जाकर हमारे लिए खाना लगाने लगीं.

हम दोनों ने साथ में खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे.

अम्मी को नशा तेज होने लग गया था जो मेरे लिए अच्छी बात थी

अम्मी सोने के लिए अपने रूम में जाने लगीं तो मैंने कहा- अम्मी, आज आप यहीं मेरे साथ मेरे रूम में सो जाइए.
वो मान गईं और बेड पर लेट गईं.

मैं भी लाइट बन्द करके लेट गया.

वो सर्दियों का मौसम था. रजाई में मैं और मेरी अम्मी हम दोनों लेटे हुए थे.

कुछ देर बाद अम्मी की आंख लगी और वो सो गईं.
अब वो वक़्त आ गया था, जिसका मुझे इंतज़ार था.

दोस्तो मैं सिर्फ अंडरवियर में सोता था.

मेरी अम्मी मेरी तरह पीठ करके सोई हुई थीं. मैं भी सोने का नाटक करने लगा. मैंने अपना एक हाथ अम्मी के सीने पर रख दिया.

नशे के कारण अम्मी गहरी नींद में थीं. जिससे उन्हें कुछ पता नहीं चला और मैं धीरे धीरे अम्मी के दूध दबाने लगा.

अम्मी के दूध इतने बड़े थे कि मेरे एक हाथ में आ ही नहीं रहे थे.
फिर मेरी इच्छा अम्मी के दूध पीने की हुई.

मैंने धीरे से अम्मी के ब्लाउज के बटन खोलने शुरू कर दिए और दूध बाहर निकाल दिए.
अम्मी के मम्मे देख कर मैं दंग रह गया.

मेरी अम्मी के दूध काफी बड़े थे और बहुत गोरे थे.
मैंने अम्मी का एक दूध मुँह में ले लिया और धीरे धीरे से उसे चूसने लगा.

अचानक अम्मी थोड़ा हिलीं तो मैं डर गया और फिर से सोने का नाटक करने लगा.

थोड़ी देर बाद मेरी इच्छा मेरी अम्मी की चूत देखने की होने लगी. जिसके लिए मैं इतने दिनों से तरस रहा था.

आज वो चीज मेरे सामने होगी. अब मुझसे और इंतजार नहीं हो रहा था.

मैंने देखा कि अम्मी फिर से गहरी नींद में सो गई हैं तो मैं उठ कर अम्मी के पैरों के पास आ गया और धीरे धीरे से अम्मी की साड़ी ऊपर खिसकाने लगा.
धीरे धीरे मैंने पूरी साड़ी ऊपर कर दी.

मैंने देखा कि अम्मी ने नीचे पैंटी नहीं पहनी थी.
अम्मी की चूत मेरी आंखों के सामने थी.

अम्मी की चूत को देख कर मैं पागल सा होने लगा.
इतनी सुन्दर चूत मैंने अपनी जिंदगी मैं पहली बार देखी थी.

मेरी अम्मी की चूत एकदम गुलाबी थी और अम्मी की चूत पर एक भी बाल नहीं था.
ऐसा लग रहा था जैसे आज ही अम्मी ने अपनी चूत साफ की हो.

अम्मी की चूत एक कमसिन जवान लड़की की तरह टाईट थी.
ऐसा लग रहा था कि जैसे सालों से इस चूत ने किसी का लंड नहीं लिया है.

अम्मी की चूत की महक मुझे पागल सा कर रही थी.
मैं उसे छूकर देखना चाहता था.

मैंने हिम्मत करके अम्मी की चूत पर अपना हाथ रख दिया.
अम्मी की गर्म चूत को छूने से मेरे पूरे शरीर में आग सी लगी. अम्मी की चूत की महक ने मुझे पागल सा कर दिया था.

अब मैं अपने बस में नहीं था, मैंने अपने दोनों होंठ अम्मी की चूत पर रख दिए और उसे चूमने लगा.

मैं अम्मी की चूत को पागलों की तरह चाटने लग गया. मैं अपनी जीभ को अम्मी की चूत पर घुमाने लगा.

अम्मी की आंख खुल गई और वो मुझपर गुस्सा होने लगीं- तू ये क्या कर रहा है. मैं तेरी अम्मी हूं, तेरी हिम्मत कैसे हुई ये करने की. तुझे बिल्कुल भी शर्म नहीं आई.

पर मैं नहीं माना और अम्मी की चूत को चाटता रहा.

नशे में होने के कारण अम्मी मुझे खुद से दूर नहीं कर पा रही थीं.

वो बेड पर लेटी लेटी मुझे रोकती रहीं. पर मैं कहां रुकने वाला था. आखिर मैंने इस पल का बहुत इंतज़ार किया था.

कुछ समय के बाद अम्मी के मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं. वो ‘आह … उह आह … आह आह …’ की आवाजें निकालने लगी थीं.

मैं समझ गया कि अब उन्हें भी मज़ा आने लगा है. मैं अपनी अम्मी की चूत को जोर जोर से चाटने लगा.

अम्मी जोर जोर से सांसें लेने लगीं- आह … उह … मत कर … आह … आग लगा दी … उह ओह!

अब अम्मी ने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत में दबा लिया और इसी के साथ उनकी चूत ने गर्म गर्म पानी छोड़ दिया.

फिर अम्मी माँ बेटा सेक्स के मजे से अपनी आंखें बन्द करके लेटी रहीं.

मैंने देर करना ठीक नहीं समझा. मैंने जल्दी से अपना अंडरवियर उतारा और अपना लौड़ा अम्मी की चूत पर टिका कर एक जोर का झटका दे मारा.

चूत गीली होने की वजह से मेरा लौड़ा एक बार में ही पूरा अम्मी की चूत में घुस गया.

अम्मी की एकदम से चीख निकल गई, वे दर्द से कराहने लगीं.
उनकी चूत ने इससे पहले इतना बड़ा और मोटा लौड़ा कभी नहीं लिया था.

दर्द के मारे उनकी आंखों से आंसू निकलने लगे.
वो मुझे धक्का देकर खुद के ऊपर से हटाने लगीं.

पर आप सबको तो पता ही है कि एक औरत मर्द से कभी नहीं जीत सकती.

मुझ पर तो उन्हें चोदने का भूत सा सवार था.
मैं उनके हाथों को पकड़ कर जोर जोर से धक्के मारने लगा.

दर्द के मारे उनकी जान निकल रही थी.
वो मेरे आगे खुद को छोड़ने की भीख मांगने लगीं- बेटा मैं ये दर्द नहीं सह पाऊंगी … आंह बेटा छोड़ दे. मैं तेरी अम्मी हूं. ये सब गलत है … ये पाप है. बेटा मैं इतना मोटा लौड़ा नहीं ले सकती. बेटा मुझे छोड़ दे.

कुछ समय अम्मी को ताबड़तोड़ चोदने के बाद वो शांत हो गईं और चुपचाप लेटी रहीं.
मैं जोर जोर से उनको चोदता रहा.

अब शायद अम्मी को भी मज़ा आने लगा था. वो खुद को चोदने में मेरा साथ देने लगी थीं.

अम्मी के मुँह से ‘आह … साले कितने दिन बाद आज चैन मिला … उह … आह … उह पेल दे …’ की कामुक आवाजें आने लगीं.

मैंने भी लंड पेलते हुए कहने लगा- हां अम्मी, मुझसे आपका दुःख देखा नहीं जाता था.

इस पर वो अपनी गांड उठाती हुई चिल्लाने लगीं- आंह हां बेटा चोद दे … आंह जोर से चोद दे … और तेज और तेज … आंह आज मेरी चूत फाड़ दे मेरे बेटे … तेरी अम्मी न जाने कितने सालों से प्यासी है. आज मेरी प्यास बुझाने वाला मिल गया. चोद अपनी अम्मी को बेटा आज से तू ही मेरा शौहर है. तेरे अब्बू ने तो न जाने मुझे कब से नहीं चोदा था. आज से मैं तेरी अम्मी नहीं तेरी रंडी हूं. चोद मादरचोद मुझे और जोर से चोद.

मैं- हां मेरी सकीना जान … आज से मैं तेरा शौहर हूं … आज से मैं तुझे रोज रंडियों की तरह चोदूंगा.

काफी देर तक अम्मी की चुदाई करने के बाद मैं अम्मी की चूत में ही झड़ गया.
हम दोनों थक कर ऐसे ही नंगे सो गए.

जब सुबह मेरी आंख खुली तो मैंने देखा कि अम्मी दूर बैठी थीं.

जब मैं उनके पास गया तो उन्होंने कहना शुरू कर दिया- तूने ये रात शराब के नशे में मुझसे क्या करवा दिया. इसके लिए ऊपर वाला मुझे कभी माफ नहीं करेगा.
मैंने उन्हें बहुत समझाया पर वो नहीं मानी.

मैंने उन्हें अकेला छोड़ना बेहतर समझा और मैं ऑफिस चला गया.

शाम को जब मैं ऑफिस से आया तो देखा कि अम्मी घर पर नहीं हैं.

मैंने रसोई में जाकर देखा अम्मी वहां पर भी नहीं थीं. मैं अपने कमरे में गया तो देखा कि मेरा खाना टेबल पर रखा हुआ है.

मैं अम्मी के कमरे के पास गया तो देखा कि अम्मी का कमरा अन्दर से लॉक है.

मुझे लगा कि शायद अम्मी कल रात की बात को लेकर परेशान हैं.
मैं उन्हें और परेशान नहीं करना चाहता था, मैं खाना खाकर अपने कमरे में लेट गया.

रात को अम्मी ने मुझे फोन करके अपने कमरे में बुलाया.
मैंने सोचा कि चलो मैं कल के लिए अम्मी से माफी भी मांग लूंगा.

जब मैं अम्मी के कमरे में गया, वहां जो देखा तो हैरान था.
वो देख कर मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं.

अम्मी अपने शादी के जोड़े को पहन कर बैठी थीं.
वो एक पूरी दुल्हन की तरह सजी हुई थीं.

अम्मी ने पूरा कमरा फूलों से ऐसे सजाया हुआ था, जैसे किसी की पहली सुहागरात हो.

जब मैं अम्मी के पास गया तो मैंने देखा कि साइड में दूध का ग्लास भी रखा हुआ है.
मैंने दूध का ग्लास पिया और अपनी दुल्हन का घूंघट उठाने लगा.

मैंने अम्मी का घूंघट उठाया और अपने होंठ अम्मी के होंठों पर रख कर उन्हें चूमने लगा.

उनको होंठों को चूमते हुए मैंने उनकी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया.

फिर मैंने अम्मी का ब्लाउज़ निकाल दिया. अम्मी के बड़े बड़े दूध मेरी आंखों के सामने थे.

मैंने उन्हें हाथों से दबाना और मसलना शुरू कर दिया.

अम्मी ने मेरा अंडरवियर उतारा और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं. हम दोनों 69 की पोजिशन में एक दूसरे को चूमने लगे.

फिर मैंने अम्मी को पूरा नंगी कर दिया और खुद भी पूरा नंगा हो गया.

अम्मी की चूत पर अपना लंड रख कर धक्का मारा, तो पूरा लंड अम्मी की चूत में घुस गया.
मैंने धीरे धीरे अम्मी को चोदना शुरू कर दिया.

कुछ देर बाद मैं जोर जोर से अम्मी की चुदाई करने में लग गया और वो भी गांड उछाल उछाल कर मेरा लंड लेने लगीं.

लम्बी चुदाई के बाद मैंने अपना सारा माल अपनी रंडी अम्मी की चूत में ही डाल दिया और अम्मी के नंगे बदन के ऊपर लेट गया.

मेरी प्यारी अम्मी मतलब मेरी लुगाई मेरे लंड को फिर से अपने हाथों में लेकर सहलाने लगीं.
वो मेरे लंड के साथ बच्चों की तरह खेल रही थीं.

फिर उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगीं.
मैं भी अम्मी के बालों को पकड़ कर जोर जोर से उनसे अपना लंड चुसवा रहा था.

कुछ समय बाद मेरा लंड फिर से टाईट हो गया.
मैंने अम्मी को घोड़ी बनने के लिए कहा.
अम्मी आराम से घोड़ी बन गईं.

मैंने धीरे से अम्मी की गांड पर अपना लौड़ा रखा और एक जोरदार धक्के में पूरा लंड अम्मी की गांड में घुसा दिया.

मेरा लौड़ा अन्दर जाते ही अम्मी दर्द के मारे चीख पड़ीं और मुझे तेल लगा कर गांड मारने को कहने लगीं.

मैंने तेल की जगह थूक लगाया और जोर जोर से अम्मी की गांड मारने लगा.
ऐसा लग रहा था कि जैसे आज मेरी सुहागरात हो.

पूरा कमरा फूलों से सजा हुआ था. तो चुदाई करने में मज़ा ही अलग आ रहा था.

मैंने उस रात 4 बार अम्मी को चोदा. अब मैं और मेरी अम्मी पति पत्नी की तरह रहते हैं और रोज सेक्स करते हैं.

 

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ससुर जी का लंड लिया प्यासी चूत में -1





सभी दोस्तो को मेरा हैलो। मेरा नाम ज्योति है. मैं अपनी ससुर बहू सेक्स स्टोरी बता रही हूँ. मजा लें.

मेरी शादी को दस साल हो चुके हैं. घर पर सिर्फ मेरे पति, मैं, हमारा एक बच्चा और मेरे ससुर रहते हैं. हमारा घर दो बी.एच.के. का है जिसमें दो बेडरूम, एक हॉल, एक किचन है.

मेरे ससुर गवर्नमेंट जॉब पर हैं और उनकी उम्र पचपन के करीब है. मगर वो दिखने में 45 से ज्यादा के नहीं लगते हैं. अगर मैं अपने बारे में बात करूं तो मेरी शादी के समय मैं काफी स्लिम थी. मगर शादी और बच्चा होने के बाद मेरे शरीर में काफी बदलाव आ गये.

अब मेरा शरीर काफी फूल गया और मेरा फिगर 38-32-36 का हो गया. मेरे बाल मेरी कमर तक आते हैं. मेरी गांड काफी मस्त है और मेरे बूब्स का तो कहना ही क्या. मेरी ब्रा उनको संभाल नहीं पाती है.

जहां तक मेरी सेक्स लाइफ की बात है तो वो एकदम से नीरस हो चुकी थी. मेरे पति ने भी अब मेरे अंदर रूचि लेना करीब करीब बंद ही कर दिया था.

मगर मैं तो सेक्स के लिए हमेशा ही तैयार रहती थी. अपने पति से उम्मीद करती थी कि वो मेरी चूत को अपने लंड का स्पर्श देकर मेरी प्यास को शांत करेंगे लेकिन मेरी उम्मीद केवल एक उम्मीद ही बन कर रह गयी थी.

ऐसे में मैं आप लोगों से पूछना चाहती हूं कि मैं भला अपने आपको कब तक रोक कर रखती और कब तक अपने आप को शांत रख पाती?
मैंने अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिए बहुत दिमाग दौड़ाया.

पड़ोसी का जवान लड़का, दूध वाला, गली का धोबी आदि सबके बारे में सोचा लेकिन कोई ऐसा मिल ही नहीं रहा था कि मेरी चूत को लंड का सुख दे सके. मैं काफी उदास और खिझी खिझी रहने लगी थी.

एक दिन मैं सुबह काम कर रही थी. मैं झाड़ू लगाती हुई अपने ससुर के कमरे में पहुंची तो वो उस वक्त अपने बेड पर सो रहे थे. उन्होंने रूम का दरवाजा खुला रखा हुआ था और मैंने उनको जगाना ठीक नहीं समझा. मैं नहीं चाहती थी कि उनकी नींद खराब हो.

मैंने देखा कि उन्होंने टांगों में कुछ नहीं पहना हुआ था. न धोती और न कोई पजामा. केवल अपने अंडरवियर को पहने हुए सो रहे थे. उनके अंडरवियर के फूले हुए भाग ने मेरा ध्यान खींच लिया.

उनका लिंग उनके ढीले कच्छे से एक ओर निकल कर बाहर झांक रहा था. मैंने गौर से उनके लिंग के अग्रभाग को देखा. उनका सुपारा गाजर के रंग का था. लिंग का रंग गहरा सांवला था. देखने में काफी रसीला लग रहा था इसलिए नजर भी वहीं पर जैसे चिपक रही थी बार बार.

मेरी चूत में सरसरी सी दौड़ने लगी. मगर मैं कुछ कर नहीं सकती थी इसलिए झाड़ू लगा कर बाहर आ गयी. बहुत कोशिश की मैंने कि ससुर के खयाल को मन से निकाल दूं. मगर ससुर का मोटा लिंग जिसके दर्शन मैंने सुबह सुबह किये थे उसके खयाल मन से नहीं निकल रहे थे.

बहुत सोच विचार के बाद आखिर मैं इसी निष्कर्ष पर पहुंची कि मेरी चूत की प्यास को ससुर के लंड से ही शांत करवाऊंगी.
अगले ही दिन से मैंने इसके लिए अपनी प्लानिंग भी शुरू कर दी.

अब मैं अपने ससुर के सामने अपने बदन की नुमाइश करने लगी थी. उनको अपनी कमर ज्यादा से ज्यादा दिखाने की कोशिश करती थी. मुझे नहीं पता कि वो ध्यान भी दे रहे थे या नहीं! लेकिन मैं बार बार उनके सामने जाती रहती थी.

भी तक मुझे ऐसा कोई सिग्नल ससुर की तरफ से नहीं मिला था जिससे मुझे पता लग सके कि वो भी मेरे जिस्म में कुछ रूचि ले रहे हैं.

ये पैंतरा फेल होने के बाद मैंने सोचा कि उनको अपने क्लीवेज दिखाऊंगी. एक रोज जब मैं उनको दोपहर का खाना परोसने गयी तो मैंने पहले से ही अपने ब्लाउज का एक बटन खोल लिया. मैंने अपने बूब्स को हल्का सा बाहर कर लिया ताकि मेरी चूचियों की घाटी ससुर जी को आसानी से नजर आ जाये.

जब मैं सामने से खाना परोस रही थी तो मैंने घूँघट डाल लिया था. मैं सामने झुक कर खाना डालने लगी तो देखा कि उनकी नजर मेरी चूचियों की घाटी में झांक रही थी. जब तक मैं वापस सीधी न हो गयी तब तक वो मेरी चूचियों को ताड़ते रहे.

फिर दोबारा जब खाना दिया तो मैं कुछ ज्यादा ही नीचे झुक गयी और मैंने ससुर जी को अपनी चूचियों के दर्शन जी भर कर करवा दिये. अब वो मेरे जाल में फंस गये थे. तीर सही निशाने पर लगा था.

अब मैं कई बार दिन में उनसे जानबूझकर टकराने लगी ताकि उनके अंदर हवस के शोले भड़का सकूं.

एक एक करके दिन बीत रहे थे ससुर बहू सेक्स के लिए मेरी तड़प अब और तेज होती जा रही थी.

एक दिन मेरे पति मेरे बेटे को लेकर हमारी रिश्तेदारी में गये हुए थे. उस दिन घर पर मेरे ससुर जी और मैं अकेले थे.

उस दिन मैंने सोच लिया था कि आज की रात ससुर जी का लंड अपनी चूत में किसी भी तरह ले ही लूंगी. आज से ज्यादा अच्छा मौका ससुर बहू सेक्स का फिर नहीं मिलेगा.

एक बार ससुर को मेरी चूत की लत लग गयी तो फिर मेरे लिये अपनी चूत चुदवाने की राह बिल्कुल आसान हो जायेगी.

रात को मैंने ससुर जी को खाना दिया और फिर नहाने के लिए मैं बाथरूम में घुस गयी. मैंने अंदर जाकर अपने बालों को गीला किया. फिर साया पहन कर बाहर आ गयी. मैंने साया अपने बूब्स तक ऊंचा बांध रखा और नीचे घुटनों तक था.

अब मैं ससुर के आने का इंतजार कर रही थी. मैं जानती थी कि खाना खाने के बाद वो हाथ धोने के लिए इधर ही आयेंगे इसलिए मैं अपनी बारी का इंतजार करने लगी. मैंने सोच रखा था कि मुझे क्या करना है. मैं बाथरूम के दरवाजे को हल्का सा खोल कर देख रही थी.

जब वो मुझे आते हुए दिखाई दिये तो मैं बाथरूम से बाहर निकल कर दूसरी ओर घूम गयी. ससुर की ओर मेरी पीठ थी दरवाजे की ओर मेरा मुंह हो गया. जैसे ही वो करीब पहुंचे मैं घूम कर उनकी तरफ हो गयी और मेरी चूचियां उनकी छाती से टकरा गईं.

मैंने चौंकने का नाटक किया और वहां से घबरा कर भाग गयी. ससुर जी समझ नहीं पाये कि ये अचानक से क्या हो गया. मैं अपने रूम में छुपकर उनको देखने लगी. वो अभी भी उस घटना के बारे में सोच रहे थे.

फिर वो सोचते हुए ही हाथ धोकर वापस अपने रूम की ओर चले गये. अब मैंने दो पीस वाला एक जालीदार गाउन पहना और अपने बालों को संवार कर लिपस्टिक लगाई और 10.30 बजे के करीब उनके रूम की ओर चली. मुझे पता था कि वो इस समय तक सो जाते हैं.

मैं उनके रूम में पहुंची तो देखा कि वो सामने बेड पर सो रहे थे. उनकी टांगें फैली हुई थीं और उनके कच्छे में उनका नागराज तना हुआ था. शायद मेरे साथ हुई घटना के बारे में सोचकर ही तन रहा था. सपने में वो शायद मुझे ही चोद रहे होंगे.

अब मेरे पास अनुमान लगाने का समय नहीं था. मेरी चूत की आग अब मुझे खुद ही पहल करने के लिए आगे धकेल रही थी. मैं चुपचाप जाकर बेड पर बैठ गयी.

मैंने देखा कि उनके लिंग में झटके लग रहे थे. तड़पता लिंग देख कर ही मेरी चूत में पानी रिसना शुरू हो गया.

मैंने धीरे से ससुर के कच्छे को नीचे खींच दिया. उनका मोटा लम्बा 8 इंची लम्बाई वाला सांवला लिंग मेरे सामने तन कर खड़ा था. देखते ही मेरी हवस भभक गयी. मैंने उनके लिंग को हाथ में पकड़ा तो पूरे बदन में करंट दौड़ने लगा.

उनके लिंग को पकड़ कर मैंने दबा कर देखा. मेरे ससुर का लंड इस उम्र में भी इतना दमदार होगा मैंने इसका अंदाजा भी नहीं लगाया था. लिंग की शाफ्ट इतनी टाइट थी कि लग रहा था जैसे मैंने किसी रॉड को पकड़ रखा है.

ससुर के लंड के गहरे गुलाबी सुपारे से कामरस की एक बूंद अब बाहर निकल कर उनके मूतने वाले छेद पर आकर बैठ गयी थी.
मैंने नीचे झुक कर अपनी जीभ निकाली और उस बूंद को अपनी जीभ से चाट लिया.

उनका कामरस मुंह लगा तो मैं पागल हो गयी. मैंने अगले ही पल उनके लंड को मुंह में भर लिया और चूसने लगी.

ससुर जी की टांगें अब हरकत में आ गयीं और पहले से ज्यादा फैल गयीं. कुछ पल तो मैं उनके लिंग को चूसती रही और फिर उनके हाथ मेरे सिर पर आ गये.

वो मेरे सिर को अपने लिंग पर दबाने लगे. ससुर का लंड मेरे गले में उतरने लगा. बहुत मजा आ रहा था. उनके चेहरे को देख कर नहीं लग रहा था कि वो जाग चुके हैं इसलिए मैं बेधड़क उनके लिंग को चूस रही थी.

फिर एकदम से उन्होंने आंखें खोलीं और हड़बड़ा गये.
अपनी टांगों को पीछे खींचते हुए बोले- बहू तुम? ये क्या कर रही हो? ये गलत है.
मैंने उनके लिंग को हाथ में लेकर सहलाते हुए कहा- कुछ गलत नहीं है ससुर जी, आप मजा लो. बस जो हो रहा है होने दो.

मैंने सोचा अभी लोहा गर्म है, जैसे चाहूं मोड़ सकती हूं. मैंने तुरंत अपने गाउन को नीचे कर दिया और उनके घुटनों के बीच में आकर बैठ गयी. मैंने उनके हाथों को अपनी चूचियों पर रखवा दिया और अपने ही हाथों से दबवाने लगी.

कुछ देर तो वो सोचते रहे कि क्या करें, आगे बढें या पीछे हट जायें? मगर कब तक खुद को रोक कर रखते? उनके लिंग में लग रहे लगातार झटके उनको आगे बढ़ने के लिए मजबूर कर रहे थे.

फिर उन्होंने मेरी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया. मैं समझ गयी कि अब ससुर का लिंग मेरी चूत की सवारी करने के लिए तैयार है.
वो जोर से मेरी चूचियों को भींचते हुए बोले- चल आज मैं तुझे बताता हूं कि मर्द को छेड़ने का अंजाम क्या होता है, आज तेरी शरारत की सजा मैं तुझे जरूर दूंगा.

मैं बोली- मैं तो कब से तैयार हूं बाबूजी, आप जो चाहे सजा दे लो. आपकी सजा में ही मजा है.

फिर उन्होंने मुझे बेड पर पटक लिया. फिर अपनी कमीज उठाई और मेरे दोनों हाथ बेड पर बांध दिये.

वो मेरे बगल में लेटे और मेरे बूब्स के साथ खेलने लगे. फिर मेरी चूचियों को दबाने और मसलने लगे. फिर मेरी एक चूची को मुंह में भर कर चूसने लगे. एक को चूसने के बाद दूसरी को मुंह में भर लिया और पहली को दबाने लगे.

इतने में ही मेरी चूत बिल्कुल गीली हो गयी थी. अब वो जोर जोर से मेरे बूब्स को दबाने लगे और नीचे की ओर मेरे पेट को चूमते हुए बढ़ने लगे. मेरी नाभि को चूम कर मेरी चूत की ओर बढ़ रहे थे. मेरी चूत में आग लगी हुई थी.

जैसे ही ससुर ने मेरी चूत पर अपने होंठ रखे तो मेरी चूत की आग और भड़क गयी. मैंने उनके सिर को अपनी चूत में दबा लिया और जोर जोर से अपनी चूत को उनके मुंह पर रगड़ने लगी. मेरी चूत की प्यास को देख कर वो मेरी चूत में जीभ से चोदने लगे और मैं पागल होने लगी.

मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
मैं बोली- बस ससुर जी … आह्ह … अब मेरी चूत में अपना नागराज डाल दो. मैं अब और नहीं रुक सकती हूं. मेरी चूत की चुदाई कर दो बाबूजी, नहीं तो मैं मर जाऊंगी. आपके लंड के बिना मैं मर जाऊंगी बाबूजी, जल्दी से मेरी चूत को चोद दो … आह्ह … जल्दी।

वो उठे और अपना लंड मेरी मुनिया पर रगड़ने लगे.
मैं बोली- बाबूजी जल्दी करो, ये खेलने का समय नहीं है, मैं चुदना चाहती हूं.
वो बोले- हां मेरी रंडी बहू, रुक तेरी चूत की प्यास आज मैं अच्छे से बुझा दूंगा. अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा.

उन्होंने मेरी चूत पर अपना लंड रख दिया और एक जोर का झटका दे मारा. मेरी चूत की हालत पहले ही पानी पानी हो रही थी. बाबूजी का लंड भी चुदाई के लिए गीला होकर बिल्कुल तैयार था. जैसे ही झटका मारा उनके 8 इंची लंड का मोटा सुपारा मेरी चूत में फंस गया.

मेरी चीख निकल गयी.
पति का लंड इतना मोटा नहीं था और बहुत दिनों से मेरी चुदाई भी नहीं हो पा रही थी. इसलिए बाबूजी का मोटा लंड मैं झेल नहीं पायी और चिल्लाने लगी.
उन्होंने तभी एक और झटका मारा और पूरा लंड मेरी चूत में उतर गया.

बाबूजी ने मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों को चूसना शुरू कर दिया और मेरी चूत में हल्के हल्के लंड को चलाना शुरू कर दिया.

अब धीरे धीरे मुझे भी लंड लेकर मजा आने लगा.
मैंने बाबूजी का साथ देना शुरू किया और अब ससुर बहू दोनों ही एक दूसरे से नंगे लिपटे हुए एक दूसरे को चूमते हुए सेक्स का मजा देने और लेने लगे.

अब मेरे मुंह से भी सिसकारियां निकल रही थीं. अब उनकी स्पीड धीरे धीरे बढ़ने लगी. जोर जोर से झटके लगाते हुए वो मेरी चूत की ठुकाई करने लगे और मुझे ससुर के लंड से चुद कर पूरा मजा आने लगा.

मैंने अब आनंद के मारे उनके होंठों को जोर जोर से चूसना शुरू कर दिया. उनका लंड मेरी चूत में चोद चोद कर मेरी चूत की खुजली मिटा रहा था और मैं उनकी पीठ को नोंचने लगी थी. मेरी चूत में लंड से जो मजा मिल रहा था उसके मारे मेरी आंखें भारी होने लगी थी.

बाबूजी के चोदने की स्पीड अब और तेज होती जा रही थी. मैंने अब अपने दोनों पैरों को हवा में उठा लिया. बाबूजी का लंड अब और गहराई तक मेरी चूत को ठोकने लगा. पूरे रूम में फच फच की आवाज होने लगी.

मेरी चूत में एक तूफान सा उठा हुआ था. अब मैं झड़ने के करीब पहुंच रही थी.
वो बोले- मेरा पानी भी निकलने वाला है.

फिर वो मेरे मुंह पर हाथ रख कर मुझे जोर जोर से पेलने लगे. बीस-पच्चीस झटकों के बाद बाबूजी के लंड और मेरी चूत ने एक साथ पानी छोड़ दिया. हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर झड़ने लगे. दोनों के बदन में झटके लग रहे थे.

उसके बाद बाबूजी मेरे ऊपर गिर गये. हम दोनों शांत हो गये थे. मैं भी शांत हो गयी थी और बाबूजी मेरी चूचियों में मुंह देकर लेटे हुए थे. कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे से लिपटे रहे. उसके बाद वो उठे और बाथरूम में चले गये.

मैं भी उठने लगी तो मुझसे चला भी नहीं गया. पहली बार जिन्दगी में इतनी जबरदस्त चुदाई हुई थी.

मैं कराहने लगी तो वो नंगे ही बाहर आये. उनका लंड उनकी जांघों के बीच में इधर उधर झूल रहा था. मन कर रहा था एक बार फिर से उनके लंड को मुंह में ले लूं.

फिर वो मेरे पास आये और मुझे सहारा देने लगे. वो मेरे साथ बाथरूम में गये और फिर मुझे सहारा देकर बाहर ले आये. हम दोनों फिर से बेड पर लेट गये.

मैं अपने ससुर की बांहों में थी. वो मेरी चूत में उंगली देकर लेट गये और मैंने उनके लंड को हाथ में भर लिया. मैं बहुत थक गयी थी. मुझे कब नींद आई मुझे कुछ पता नहीं चला. उसके बाद सुबह ही मेरी आंख खुली.

सुबह मैं बेड में बाबूजी के साथ नंगी पड़ी हुई थी. वो उठे और फिर मेरे लिये चाय बना कर ले आये.
मैंने बेड में चाय पी और फिर वो बोले कि उठ कर फ्रश हो जाओ.

उस दिन के बाद उनके और मेरे बीच में सेक्स संबंध स्थापित हो गये. उन्होंने बोल दिया था कि जब भी उनकी जरूरत हो तो मैं उनको बुला लिया करूं. उस दिन के बाद से जब भी मेरा मन हुआ मैं अपने ससुर बहू सेक्स से अपनी चूत की प्यास को बुझवाने लगी. मुझे घर में एक दमदार लंड मिल गया था.
 

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ससुर जी का लंड लिया प्यासी चूत में -2





मेरा फिगर अब 36-30-38 का हो गया है, जिसमें मेरे ससुर की काफी मेहनत है. आखिर उनके कारण ही मेरा फिगर बढ़ गया है. वो मुझे अपनी रखैल बना चुके हैं.

मेरे बाल मेरे पीठ तक हैं और मैं दिखने में भी सुंदर हूँ. रंग भी गोरा है.
मेरी इस मदमस्त जवानी के सारे मज़े मेरे ससुर ने ही लिए हैं.

मैं अब अपने पति के सोने के बाद अपने ससुर से चुदवा लेती हूँ और पति के जाने के बाद तो ससुर मुझे बुरी तरह मुझे चोद देते हैं.

अब यह मेरे लिए रोज की बात हो चुकी है. मुझे ससुर जी के साथ चुदाई में ज्यादा मजा भी आता है.

उनकी 56 साल की उम्र में भी उनमें काफी जोश है और उनका लंड भी मेरे पति से बड़ा है.

एक बार मेरे पति ने मुझे रात को चोदा लेकिन वो मुझे शांत नहीं कर पाए.
वो जल्दी ही झड़ गए.

तब मैंने रात को ही सोच लिया था कि अब सुबह ससुर जी जब ड्यूटी से आएंगे, तब वो ही मुझे शांत कर पाएंगे.

जैसे तैसे सुबह हुई, मेरे ससुर जी ड्यूटी से आकर फ्रेश होकर हॉल में ही सोने चले गए.

मेरे पति ने मुझे बताया कि वो सिटी से बाहर जा रहे हैं और दूसरे दिन शाम तक आएंगे.
करीब नौ बजे पति भी काम से दूसरे शहर निकल गए.

पति के जाने के बाद मैंने घर का सारा काम खत्म किया और खाना भी बना लिया.
करीब ग्यारह बजे तक मैं सब काम और खाना आदि बनाकर फ्री हो गई.

फिर मैंने सोचा कि पहले नहा लेती हूँ. मैं नहाने बाथरूम में आ गई.

जब मैं नहा रही थी, तब मेरे मन में सेक्स के प्रति अजीब सी गुदगुदी हुई और मैंने सोचा कि नहाने के बाद ही सीधा ससुर जी के पास जाऊंगी.

मैंने जल्दी से नहाकर इस तरह से पेटीकोट पहना कि पेटिकोट को मैंने अपने बूब्स के ऊपर से बांध लिया.
इस कारण पेटीकोट मेरे घुटने के ऊपर ही था और मेरे बाल, जो कि अभी गीले ही थे, उन्हें भी खोल दिया.
बालों से पानी की बूंदें बह रही थी.

फिर मैंने बेडरूम में जाकर रेड लिपस्टिक होंठों पर लगा ली और अपनी मांग में कुछ ज्यादा सिंदूर भरकर लगा लिया.

आज मुझे कुछ अलग करने की इच्छा हो रही थी, मैं चाह रही थी कि आज मैं पूरी रखैल बनकर चूदूँ.

फिर मैं हॉल में आ गई.

मैंने पहले दरवाजा चैक कर लिया, फिर ससुर जी के बेड के पास जाकर उन्हें देखा, तो वो गहरी नींद में पीठ के बल सो रहे थे.
उन्होंने बनियान और नाड़े वाली सूती चड्डी पहनी हुई थी.

मैं वहीं बेड पर बैठ गई और उनके चड्डी के नाड़े को धीरे धीरे खोलने लगी.

जल्द ही मैंने पूरा नाड़ा खोल दिया.
फिर मैंने धीरे से उनकी चड्डी को सामने से नीचे किया और उनका लंड अब मेरे सामने आ गया जो कि पूरा ढीला और सोया हुआ था.

मैंने ससुर जी के लंड को अपने हाथ में ले लिया और धीरे धीरे अपनी मुट्ठी में लेकर मुठ मारने लगी.

करीब एक मिनट बाद ही उनके लंड में तनाव आना शुरू हो गया.

मैंने सोचा चलो अब मुँह में लंड लेकर ही ससुर जी को जगा देती हूँ.

मैंने तुरंत उनके लंड को अपने मुँह में ले लिया और मुँह में लेकर चलाने लगी.
यानि मैं अपने ससुर के लंड की मुँह से मुठ मारने लगी.

कुछ ही देर में उनका लंड तनकर खड़ा हो गया और तनाव के कारण अब लंड की साइज बढ़ चुकी थी.
वो मेरे गले तक आने लगा था.

मेरे बालों से बहते पानी के कारण शायद ससुर जी जाग चुके थे.

मैं भी समझ गई थी कि ससुर जी जग चुके हैं क्योंकि उन्होंने अब अपने हाथ मेरे सर पर रखकर दबाव बनाना चालू कर दिया था.

जब मैंने अपने मुँह को ऊपर उठाया और ससुर जी की तरफ देखा तो वो मेरी ओर देखकर मुस्कुरा रहे थे.

मैंने उनके लंड पर देखा जो कि मेरे लिपस्टिक के रंग से लाल हो चुका था.

मैं जानती थी कि अगर कुछ देर और उनके लंड को मुँह में लिया तो वो मेरे मुँह में ही झड़ जाएगा.
इसलिए मैंने अपना मुँह वहां से हटा लिया और बिस्तर पर चढ़ कर उनके पैरों के दोनों साइड पैर रख कर बैठ गई.

मैंने कहा- जग गए आप!
इस पर मेरे ससुर दिलीप बोले- आज बड़ी सज संवर कर आई हो.

मैंने कहा- हां बस यूं ही मन कर रहा था और वैसे भी मैंने पहना ही क्या है.
वो बोले कि लिपस्टिक और सिंदूर जो तुमने लगाया है, वो तो बता ही रहा है.

मैं झुक कर उनके पेट और फिर छाती पर किस करने लगी, जिस पर वो अपने हाथों को मेरे सर पर रख कर दबाने लगे.

जब मैंने उनके गले पर किस करना आरम्भ किया तो मुझे हल्का ऊपर होना पड़ा जिसके कारण उनका लंड सीधा जाकर मेरी चुत पर टच हो गया.

मैं अभी भी उनके सामने केवल पेटीकोट में थी जो मेरे बूब्स को ढके हुआ था और साथ मेरे घुटने से काफी ऊपर आ चुका था.
लेकिन मेरी चुत अभी भी उनकी नजरों से छिपी थी.

मैं उठ कर बोली- दिलीप, आज मैं पहले ऊपर आ रही हूँ.

बस ये कह कर मैं सीधी ससुर जी के लंड पर बैठ गई जो पूरा खड़ा था.

मेरे लंड पर बैठते ही उनका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ सीधे अन्दर तक घुस गया.
मेरे जोश में होने के कारण चूत पहले से ही गीली थी लेकिन फिर भी मेरी आंखों से आंसू निकल आए.

कुछ क्षणों बाद मैं वापस उनके लंड के ऊपर नीचे होने लगी और उनके लंड को अन्दर बाहर करने लगी.

मुझे बहुत मजा आने लगा और मेरी स्पीड बढ़ती जा रही थी.
ससुर जी को भी मजा आ रहा था और वो मेरी नंगी जांघों को हाथों से सहला रहे थे.

कुछ देर बाद ससुर जी ने मुझे रुकने को कहा और बोले- क्या अपने चुचे नहीं दिखाओगी … इन्हें पेटीकोट में छुपा क्यों रखा है?
मैं बोली- मैंने कब रोका है, खोल लो मेरा पेटीकोट और देख लो … आपकी ही मेहनत है, जो आप मुझे कहीं भी कभी भी दबा दबा कर बड़े कर दिए हैं.

इस पर वो बोले- रुक जा मेरी जान … आज मेरा असली दबाना भी देख ले.
वो उठ गए लेकिन उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से नहीं निकाला.

उठते ही उन्होंने मुझे बेड पर सामने की ओर गिरा दिया यहां तक कि मुझे संभलने का मौका भी नहीं दिया.
वो तुरंत मेरे ऊपर आ गए.

अब ससुर जी मेरे ऊपर थे और पीठ के बल मैं उनके नीचे बेड पर थी.

मेरी गर्दन बेड के अंतिम छोर पर नीचे हो चुकी थी और मेरे बाल अब नीचे जमीन तक झूल रहे थे.

ससुर जी बोले- लो मेरी जान ज्योति बहू … अपने ससुर का लंड अपनी कोमल चूत में खाओ.

अब उन्होंने अपने लंड का एक जोरदार झटका मेरी चूत में मारा.
मेरी उस झटके से आह निकल गई और मैंने उन्हें रुकने का इशारा किया.

वो कुछ सेकंड्स के लिए रुक गए और मेरे पेटीकोट के ऊपर से ही मेरे मम्मों को जोरदार तरीके के दबाने लगे.

मुझे दर्द भी होने लगा और मीठा मजा आने लगा.

मैं उनसे बोली- आज क्या शिलाजीत खाकर चोद रहे हो.
इस पर ससुर जी ने हंस कर अपने एक हाथ से मेरे एक पैर को सहलाते हुए ऊपर किया और फिर से एक तेज झटका मार दिया.

फिर उन्होंने अपने झटकों की स्पीड बढ़ा दी.
अब मैं भी उनके झटकों को सहने में सक्षम हो गई थी और उनके झटकों का बराबर जवाब देने में लग गई.

मैं अपनी गांड को उठाकर उनके झटके का जवाब देने लगी.
लेकिन उनकी झटकों से मेरी हालत पतली हो रही थी.
मुझे मजा भी बहुत आ रहा था.

कुछ देर बाद मैंने खुद ही अपने दोनों पैर हवा में उठा लिया और उनके हाथ को फ्री कर दिया, जिस पर उन्होंने मेरे बंधे हुए पेटीकोट को मेरे मम्मों के ऊपर से हल्का से खींचा. पेटीकोट नीचे को हुआ … लेकिन मेरे चूचे पूरी तरह से पेटीकोट से बाहर नहीं निकल पाए.

फिर भी ससुर जी ने मेरे मम्मों को जोर से दबाते हुए झटके मारने जारी रखे.

अब पूरा रूम ससुर बहू चुदाई की आवाज़ों से गूंजने लगा था.
मेरी चुत से पानी तक बहने लगा था और मैं अपनी चरम सीमा तक पहुंचने लगी.

उनके मेरे बूब्स दबाने के कारण मेरे हल्का दर्द भी हो रहा था लेकिन मैं इस मजे को खोना नहीं चाहती थी और उनका साथ दिए जा रही थी.

कुछ देर बाद वह पूरी तरह मेरे ऊपर आ गए और मेरे सर को पकड़कर ऊपर करते हुए अपने लंड को मेरी चूत में अन्दर बाहर करने लगे.
मेरे मुँह से भी सिसकारियां निकलने लगीं.

दिलीप जी और जोर से ‘आह आह …’ करते हुए मेरी चूत का भोसड़ा बनाने लगे.

मैंने भी अपने पैरों को हवा में करते हुए अपने हाथों को उनके पीठ पर जोर से पकड़कर रखा था.

ससुर जी अपने झटकों से मेरे वासना को शांत करने में लगे थे लेकिन आज मुझ पर एक अजीब ही नशा चढ़ा था कि मैं शांत ही नहीं हो पा रही थी.

ससुर जी मेरी गर्दन, मेरे चेहरे को चूमते हुए मुझे चोद रहे थे.

करीब दस मिनट तक मुझे इसी पोजीशन में चोदते हुए बोले- ज्योति … अब मेरा गिरने वाला है.
मैंने कहा- अन्दर ही छोड़ दो.

वो मेरे होंठों पर आ गए, किस करने लगे और उन्होंने अपने झटकों की स्पीड बढ़ा दी.
उन्होंने आखिर के दस झटके जोरदार तरीके से देते हुए मेरे चुत में ही अपना माल गिरा दिया और मेरे ऊपर ढह गए.

वो मेरे होंठों को चूसते हुए बोले- कैसा लगा?
मैंने भी मुँह बनाते हुए उनके सर पर बालों को सहलाते हुए कहा- बहुत खराब … भला कोई इतनी बुरी तरह अपनी पुत्रवधू को चोदता है.

फिर वो मेरे ऊपर वहीं निढाल होकर गिर गए और हम दोनों हाँफते हुए एक दूसरे के शरीर को सहलाने लगे.

मैं नहा कर आई थी और बालों से पानी भी गिर रहा था लेकिन मेरे शरीर की गर्मी के कारण मेरे पूरे शरीर पसीने से भीग चुका था.

अब ससुर जी का लंड भी मेरे चुत से ढीला होकर निकल चुका था और वो अब मेरे शरीर से हट कर बिस्तर पर लेट गए थे.

मैंने कहा कि मैं आती हूँ.
मैं बेडरूम में अपना मोबाइल लेने चली गई.

मैंने आईने में देखा कि मेरी लिपस्टिक मेरे होंठों से हटकर मेरे चेहरे पर लग गई थी और सिंदूर भी माथे पर बिखर चुका था.
यह इस बात की गवाही थी कि आज मेरी चुदाई बहुत जोरदार हुई है.

मैं उस समय किसी रंडी से कम नहीं लग रही थी.

फिर मैं वैसी ही नंगी वापस ससुर जी के पास गई और बोली- देखो क्या हाल बना दिया आपने मेरा!

उन्होंने फिर से मुझे अपनी ओर खींचते हुए बेड पर लेटा लिया और मेरे शरीर के साथ खेलने लगे.
हमारी चुदाई का दूसरा राउंड शुरू हो गया.
 

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मॉम की चुत के साथ गांड भी मारी -1



मेरा नाम रोहन है और मेरी मां का नाम सोनिया (बदला हुआ) है.
मेरी मम्मी दिखने में बहुत ही ज्यादा सुन्दर और सेक्सी हैं. उनका गोरा रंग, उभरी हुई छातियां और गांड की तो पूछो ही मत.

मॉम की गांड तो इतनी मस्त है कि किसी भी व्यक्ति का लंड एक झटके में खड़ा न हो जाए तो मेरा नाम बदल देना.

मेरे मामा हमारे साथ रहते थे, वे भी दिखने में किसी पहलवान से कम नहीं हैं. उनके लंड का साइज़ तो नहीं मालूम, पर काफी मोटा और लम्बा है. उनकी तब तक शादी नहीं हुई थी.

ये उस समय की घटना है जब मैं 12वीं का पेपर देकर घर में ही रहता था.
मेरे पापा हमारे साथ नहीं रहते थे. वे काम के सिलसिले में बाहर ही रहते थे, कभी कभी ही घर आते थे.
घर में हम सिर्फ तीन लोग ही रहते थे.

एक दिन की बात है. मैं सुबह नहाने गया था, तो मैं बाथरूम में घुसता चला गया.
चूंकि बाथरूम की कुंडी अन्दर से बंद नहीं थी तो मैं अन्दर का नजारा देख कर हतप्रभ रह गया.

मैंने ऐसा नजारा अब तक कभी भी नहीं देखा था.
मेरी मां बाथरूम में नंगी थीं.

मेरी मां एक हाथ से अपनी चूचियों को मसल रही थीं और दूसरे हाथ से चूत में उंगली डाल कर मुठ मार रही थीं.
उनकी आंखें मदहोशी से बंद थीं और उन्हें दीन दुनिया की मानो कोई खबर ही न थी.

चूंकि दरवाजा खोलने से जरा सी भी आहट नहीं आई थी तो मॉम को अहसास भी नहीं हुआ था कि मैंने उन्हें चूत में उंगली करते हुए देख लिया है.

मॉम की ये दशा देखकर मैं शर्म के मारे अपने कमरे में आ गया.
मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मेरी मां ऐसा कर सकती हैं.

मैंने कुछ देर सोचा तो न जाने क्यों मुझे वो सब मन ही मन काफी अच्छा भी लग रहा था क्योंकि मैं पोर्न वीडियो और Xforum की सेक्स कहानी भी पढ़ता था.
उसमें मां बेटे की चुदाई की कहानी याद करके मुझे लगने लगा था कि मैं अपनी मॉम को चोद सकता हूँ.

कुछ देर बाद मेरी मां नहा कर आईं और कपड़े बदलने चली गईं.
मैं भी पीछे से उनको देखने के लिए चला गया पर मॉम ने दरवाजा बंद कर दिया था.

फिर मैं नहाने बाथरूम में गया.
उधर मॉम की गीली ब्रा और पैंटी पड़ी थी, मैंने उसे उठा लिया.
अब मम्मी की ब्रा और पैंटी को मैं कभी जीभ से चाटता, तो कभी लंड में लपेट कर रगड़ता.

मैं ब्रा पैंटी को सूंघ कर मुठ मारने लगा.
कुछ मिनट बाद मैं झड़ गया और नहा कर कमरे में आ गया.

अब मैं अपनी मॉम को देख कर उत्तेजित होने लगा था.
ऐसा पहले कभी नहीं होता था पर जब से मॉम को बाथरूम में नंगी देखा, तब से ऐसा होने लगा था.

दो दिन ऐसा चला, फिर मैं अपने आपको कंट्रोल करने लगा था.

तीसरे दिन बाद मामा नौकरी से जल्दी आ गए थे.
हम तीनों ने मिल कर खाना खाया और हर रोज की तरह मॉम अपने घर के काम में लग गईं.
मामा अपने दोस्त से मिलने चले गए.

दोपहर होने वाली ही थी.

रात को मैं देर रात तक पोर्न देख रहा था इसलिए अभी मुझे गहरी नींद आ रही थी तो मैं सोने चला गया.

मैं नींद में था, अचानक मुझे लगा कोई चीखा पर मैंने उसे नजरअंदाज कर दिया.
थोड़ी ही देर बाद ही वापस से वही आवाज आई तो अब मैं तुरंत उठ कर खड़ा हुआ और देखने आ गया.

कुछ ही पलों में मुझे पता चला कि ये आवाज़ तो मॉम के रूम में से आ रही थी.

मैंने जाकर देखा तो मॉम के रूम का दरवाजा थोड़ा खुला था. मैंने देखा कि मॉम बेड पर नंगी लेटी थीं और मामा भी नीचे से नंगे मॉम के ऊपर चढ़े हुए थे.
मैं छुप कर सब देखता रहा.

मामा मेरी मॉम को चोद रहे थे.
फिर कुछ देर बाद मामा और मॉम का पानी निकल गया और दोनों एक दूसरे से लिपट कर थोड़े देर पड़े रहे.

मुझे लगा कि इन दोनों की चुदाई खत्म हो गई तो मैं वापस अपने कमरे में जाने लगा.
मैं उनकी चुदाई देख कर अपना लौड़ा हिलाने लगा था, मेरे दिमाग में फिर से मॉम को देखने जाने का मन करने लगा.

मगर अब चुदाई तो खत्म हो गई थी और अभी तक मेरा पानी नहीं निकला था.

मैं अपने कमरे की ओर मुड़ा तो मामा मॉम को छोड़ कर थोड़े बैठे से हो गए थे.

मामा के बैठने के साथ ही उनकी आवाज आई‌ और वे मॉम से कहने लगे- अभी तो एक ही राउंड हुआ है, अभी तो तुम्हें और मजा देना है.
ये सुनकर मॉम से ज्यादा मैं खुश हो गया.

मैं तुरंत मुड़ा और मॉम को देख कर अपना लंड हिलाने लगा.

पहली बार मैंने अपनी मॉम को इतना प्यार और हवस भरी नजरों से देखा.

मॉम की चूचियों पर तेल लगा होने से उनमें एक अलग ही चमक‌ थी.
उनकी चूचियों का आकार खरबूजे के जैसा हो गया था और वो दोनों एकदम लाल हो गई थीं.

तभी मॉम उठीं और मामा के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं.
मॉम मामा के लंड चूस रही थीं पर मुझे ऐसा लग रहा था कि वे मेरे लंड को चूस रही हों.

मामा का लंड गीला होने से चाटने की ‘चप … चप …’ आवाज हो रही थी और मॉम के मुँह से भी मस्त आवाज आ रही थी ‘उम् … उ्म … उन्हह … हम्म …’

मॉम पूरे दस मिनट तक मामा के लंड को चूसती रहीं और मामा मेरी मां के मुँह को चूत समझ कर पूरे गले तक लंड को पेलने लगे.

कुछ समय बाद मॉम उठीं और मामा के पूरे बदन को चूमने लगीं.
इधर मामा मॉम की चूचियों को हाथ में लेकर दबाने लगे और जोर जोर से चूचियों पर चांटे मारने लगे.
इससे मॉम को दर्द भी हो रहा था, साथ में उन्हें मजा भी आ रहा था.

कुछ देर तक यही सिलसिला चलता रहा.
इतने में मेरा ध्यान मामा के लंड पर गया.

मामा का लंड कड़क हो गया था और सुपारा एकदम लाल दिख रहा था. लंड ऐसे हिल रहा था जैसे काला सांप फुंफकार रहा हो.

मेरी मॉम से रहा नहीं जा रहा था.

वो मामा से बोलीं- साले, मेरा भाई होकर अपनी बहन को तड़पा रहा है … जल्दी कर बहनचोद … मेरी चूत को फिर से चोद कर मेरी प्यास बुझा दे.
मामा ने कहा- हां मेरी रंडी, अभी तेरी प्यास बुझाता हूं.

ये कहते हुए मामा ने मॉम की चूत पर अपना लंड सैट किया और एक जोरदार धक्का दे मारा.
हालांकि मेरी मॉम चुद चुकी थीं पर तब भी मॉम सिहर गईं और चिल्ला उठीं.

उनको ये भी ख्याल नहीं था कि उनका एक बेटा बाजू के कमरे में सो रहा है.

शायद मामा का लंड मॉम की बच्चेदानी को फाड़ने की कोशिश कर रहा था इसलिए शायद मॉम को दर्द हो रहा था.

मॉम दर्द से कराह रही थीं और मामा उन्हें धकापेल चोदे जा रहे थे.

मॉम को रोते देख कर न जाने मुझे बड़ा मजा आ रहा था और मैं भी मस्ती में अपना लंड पर थोड़ा थूक लगा कर हिला रहा था.

थोड़े समय बाद मॉम को भी मज़ा आने लगा था और वो अपनी गांड उठा उठा कर मज़ा लेने लगी थीं.

उनकी जो चिल्लाने की आवाज़ थी, वो अचानक से सेक्सी धुन बन गई थी.
मॉम मादक सिसकारियां भरने लगी थीं.

मॉम और मामा चुदाई में पूरी तरह से मग्न हो गए थे. मॉम का कमरा सेक्सी आवाजों से पूरा भर गया था ‘चप … चप … फट..फट …’

इसी के साथ मॉम की मादक सिसकारियां भी आ रही थीं ‘उहह … आआह … उई मां … चोद भी दे …’
साथ ही साथ मॉम गालियां भी दे रही थीं- बहनचोद … आंह बहन के लौड़े साले चोद मादरचोद … आज मेरी चूत की बच्चेदानी को भी फाड़ दे मादरचोद आंह और जोर से पेल भोसड़ी के … आंह और जोर से …’

उधर मामा अपनी पूरी ताकत लगा कर मेरी मां चोद रहे थे.
मैं अपनी मॉम को ही चुदते हुए देख रहा था.

मामा ने मेरी मॉम को अलग अलग स्टाइल में काफी देर तक चोदा और वो दोनों चुदाई के साथ में किस भी कर रहे थे.

अचानक से मॉम अकड़ने लगीं और एक तेज आह आह के साथ शांत हो गईं.

मॉम की चूत का पानी निकल गया था पर मामा अभी भी मेरी मां चोदने में लगे हुए थे.
मामा के लंड का पानी नहीं निकला था.

मॉम लेटी रहीं और मामा मॉम को चोदने के साथ चूचियों को अपने मुँह में लेकर चूसते रहे.
वो कभी मॉम की चूचियों पर चांटे मारते, पर मॉम का पानी निकल जाने से मॉम कोई प्रतिक्रिया नहीं कर रही थीं.
वो बस शांत से लेट कर अपने मुँह में उंगली डाल रही थीं.

थोड़ी देर में मामा ने भी अपना पानी मॉम की चूत में ही निकाल दिया और मॉम को किस करके उन पर ही ढेर हो गए.

फिर मामा ने मॉम को इशारा किया तो मॉम हिम्मत करके उठीं.

मामा के लंड में जो वीर्य लगा हुआ था, उसे मॉम ने चाट कर साफ़ किया.
फिर मामा ने अपने कपड़े पहने और बाहर आने लगे.

मैं रूम के साइड में झुपा रहा. मामा बाहर चले गए.

इस चुदाई के दौरान मेरा भी दो बार पानी निकल गया था.
मैंने रूमाल से लंड को साफ़ किया.

कपड़े ठीक करके मैंने सोचा कि मॉम को एक बार और देख लूं.
जब मैंने मॉम को देखा तो मॉम उठ कर चलने की कोशिश कर रही थीं पर वे अच्छे से चल नहीं पा रही थीं.

मैंने ध्यान से देखा तो मॉम की चूत का पानी बाहर टपक रहा था.
इस वक्त वो पोर्न फिल्म की रंडी सी लग रही थीं.

सिस्टर एंड ब्रदर सेक्स देखने के बाद मैं अपने रूम में चला गया और लेट गया.
दो बार मुठ मारने से थकान आ गई थी तो नींद कब आ गई, मालूम ही नहीं चला.

शाम को मैं उठा, तो चाय पीने आ गया.

मैंने देखा कि मॉम को अभी भी दर्द हो रहा था, वो चल नहीं पा रही थीं.

मैंने जानबूझ कर मॉम से पूछा- क्या हुआ मॉम?
मॉम थोड़ा सोच कर बोलीं- कुछ नहीं तो जरा साफ करते समय लग गयी थी.

मैंने मन में सोचा कि हां आपने लंड चूस कर अच्छे से सफाई कर दी थी मॉम, मैंने देखा था.
 

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मॉम की चुत के साथ गांड भी मारी -2



आज मैं अपनी और मॉम की चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूं. आप लोग हर वक्त की तरह लंड और चुत में हाथ लगा कर तैयार रहिए.

इसमें मैं ये बात बताना चाहता हूं कि मैंने अपनी मॉम की चुत को तो पहली बार चोदा, पर चुत के साथ उनकी गांड को भी चोद दिया.

जैसा कि आप सब जानते हैं कि मेरी मॉम का फिगर 34-32-36 का है. वो बहुत ही कांटा माल हैं.

आप सभी को पता है कि मैं अपनी मॉम और मामा की चुदाई देख चुका था.
जिससे मेरे अन्दर मॉम को चोदने की हिम्मत आ गई.

बाद में मुझे पता चला कि मेरी मॉम एक रंडी हैं और मामा के साथ साथ न जाने कितने ही लड़कों और मर्दों से चुदवा चुकी हैं.

इतने दिनों से मैं अपनी पढ़ाई में बाहर रहता था और घर के बारे में ज्यादा नहीं जानता था पर अभी छुट्टियां होने पर घर और मॉम के बारे में मुझे सब पता चल गया.

अब मैं भी ये सोच रहा था कि अपनी मॉम को कैसे चोदूं.
मॉम से सीधे सीधे पूछने में मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी इसलिए ऐसे ही चार पांच दिन बीत गए.

फिर एक दिन ऐसा हुआ ‌कि घर में सिर्फ मैं और मॉम ही थे.
मामा अपने दोस्त की शादी में दो दिन के लिए दूसरे गांव चले गए थे.

मैं अपने कमरे में जाकर पोर्न फिल्म देख कर मुट्ठ मार रहा था. मैं अपने कमरे को कभी भी कुंडी लगा कर बंद नहीं करता हूं.

उसी समय अचानक से मॉम कमरे में आ गईं और उन्होंने मुझे लंड हिलाते हुए देख लिया.
मैं अपने लंड को झुपाने लगा पर लंड इतना कड़क हो गया था कि छिपाने पर भी साफ साफ दिखाई दे रहा था.

फिर भी मॉम कुछ नहीं बोलीं और नीचे रसोई में चली गईं.

अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था.

मैं मॉम को किचन में कितने ही बार खाना बनाते समय अपनी चुचियों को मसलते और पैंटी में हाथ डालते देख चुका था इसलिए मेरे अन्दर से पूरा डर निकल गया.

मैंने नंगा ही मॉम के पास जाने का तय किया और नंगा ही चला गया.

मॉम रसोई में रोटी बना रही थीं.

मैं गया और पीछे से मॉम से जोर से चिपक गया, उनके पीछे से लग गया.
मेरा लंड मॉम के गांड में रगड़ खाने लगा.

मॉम एकदम से डर गईं और मुझसे दूर हट गईं.
वो कहने लगीं- ये क्या कर रहे हो … तुम्हें इस तरह से अपनी मॉम के सामने नंगा आने में और यूं मुझसे चिपकने में शर्म नहीं आती?

तो मैं भी थोड़े गुस्से में मॉम से बोला- काहे की शर्म मॉम … मुझे सब मालूम है कि आप अभी तक कितने ही मर्दों से चुत चुदवा चुकी हो.
ये सुनकर मॉम एकदम से चुप हो गईं.

फिर अगले ही पल हंस कर बोलीं- तुम भी न रोहन … कितना वो हो!

ऐसा कह कर मॉम अपने हाथ से मेरे बदन को सहलाने लगीं.

वो बोली- ये सब किसी को नहीं बताना. रोहन मैं एक बात बोलूं, जब तू कमरे में लंड को हिला रहा था, तो मैं अच्छे से नहीं देख पाई थी. पर अभी ध्यान से देखा है तो पता चला कि तुम्हारा लंड कितना मोटा है. आज तक मैंने इतना मोटा लंड नहीं देखा है रोहन. तुम मुझे चोदना चाहते हो, तो चोद लो पर किसी को मत बताना.

यह सुनकर मैंने एक पल की भी देर नहीं की और मॉम को किस करने लगा.

मैं उनके होंठ चूसने लगा. मॉम भी साथ देने लगी थीं.

मॉम ने फूड क्लास वाली लाल लिपिस्टिक लगाई हुई थी जिससे उनके होंठों का रस और भी स्वादिष्ट लग रहा था.
वो भी मेरी जीभ और होंठों को चूस रही थीं.

मैं मॉम को नंगी करने लगा.
जैसे ही मैंने उनकी नाइटी उतारी तो ऐसा नजारा देख कर मैं खुश हो गया.

मॉम ने केवल नाइटी ही पहन कर रखी थी, अन्दर न तो ब्रा थी न ही पैंटी.
वे पूरी नंगी थीं.
उनकी चूचियों के निप्पल अभी वासना से कड़क नहीं हुए थे.

मगर वो मेरे साथ लग गई थीं.

उनकी चुत का बात ही क्या कहना, झांट का एक भी बाल नहीं था.
पूरी चिकनी चुत थी.

मॉम की चुत का मुँह खुला हुआ था. वो इतने लोगों से चुद चुकी थी कि चुत का छेदा बड़ा हो गया था.

मॉम किस करते समय भी मेरे लंड को ही देख रही थीं.

मैंने मॉम को नीचे घुटने के बल बैठा दिया और उनके मुँह के पास अपना लंड रख दिया.

मॉम तो बहुत ज्यादा खुश हो गईं और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं.
मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं जन्नत की सैर कर रहा हूं.

मेरी मॉम को लंड चूसने में इतनी महारत हासिल थी कि मैं पांच मिनट में ही झड़ गया.
मॉम मेरे लंड के पानी को पूरा पी गईं और उठ कर मुझे फिर से किस करने लगीं.

मैं मॉम को अपनी गोद में उठा कर मॉम के कमरे में ले गया जो किचन के पास ही था.

मैंने मॉम को उनके बेड पर लेटा दिया और उनके ऊपर आकर उनकी चूचियां दबाने लगा.

कभी मैं चुचियों को मुँह में लेकर चूसता, तो कभी निप्पल मींजता.
जल्द ही मॉम की चुचियां टाईट हो गईं मैंने उनके एक निप्पल को दांतों से काट दिया, तो वे सिसक गईं- उई रे … काट मत साले, लगती है.
मैं बस उनकी तरफ देख कर चूची चूस रहा था.

मॉम मेरे सर पर हाथ फिराती हुई कहने लगीं- इतनी भी क्या हवश है तुम्हें?
मैं कुछ नहीं बोला और चुचियों को छोड़ कर चुत को चाटने लगा. मैं अपनी जीभ को मॉम की चुत में अन्दर तक डालने लगा.

मॉम बहकने लगी और आवाज करने लगीं- उउउ … उउउ … हां … उई मां … और कर … तेज रोहन तेज … मजा आ रहा है.

मैं जीभ से ही मॉम को चोद रहा था.

फिर मॉम झड़ गईं और मैंने मॉम की चुत को चाट कर साफ कर दिया.

मॉम कहने लगीं- अब इंतजार नहीं होता रोहन, मेरी चुत चोद दे!

मैंने मॉम की टांगों को फैला कर उनकी चुत में लंड को टिकाया और जोर से झटका मार दिया.
मेरा लंड रगड़ता हुआ चुत के ऊपर चला गया पर अन्दर नहीं गया.

वैसे तो मॉम की चुत बड़ी थी, पर मेरा लंड उनकी चुत से ज्यादा मोटा था इसलिए मॉम को दर्द होने लगा.

मॉम बोलीं- रोहन दर्द हो रहा, अच्छे से कर न … तू एक काम कर किचन में तेल है. उसे लेकर आ … और अपने लंड पर लगा ले. थोड़ा सा मेरी चुत में भी लगा देना.
मैंने वैसा ही किया.

जब मैं तेल की शीशी उठा लाया, जिसको दबाने से धार से तेल निकलता था. मैं प्लास्टिक की तेल की शीशी दबा दबा कर तेल टपकाते हुए तेल लगा रहा था.

उसी समय मैंने मॉम की गांड देखी, जो पूरी चिकनी और एकदम संगमरमर के जैसी थी.

मैंने मन बना लिया कि मॉम की गांड भी आज ही मारूंगा.
मैं मॉम की गांड में भी तेल की धार मारने लगा.

मॉम बोलीं- ये क्या कर रहा है … गांड में तेल क्यों लगा रहा है? अभी तक कोई ने भी मेरी गांड नहीं मारी है और तुम्हें भी नहीं मिलेगी.

मैंने मन में सोचा कि अब तो मैं गांड को भी चोद कर ही मानूंगा.
पर मॉम तो गांड देने को तैयार ही नहीं थीं.

मैंने मॉम से यूं ही कह दिया कि तेल चुत से बह कर गांड में जा रहा था तो इसलिए गांड को भी तेल लगा दिया.
मॉम कुछ नहीं बोलीं.

फिर मॉम के कहे अनुसार मैंने मॉम की चुत पर एक बार फिर से लंड को टिकाया और एक धक्का मारा.
मेरा लंड मॉम की चुत में पूरा समा गया और छप्प की आवाज आई.

मॉम के मुँह से ‘आआह … उउउउ मां आउच मर गई … ओह …’ की मादक आवाजें निकलने लगीं.

मैं मॉम को चोद रहा था और साथ में कभी किस कर लेता था. कभी उनकी चुचियों को मसल देता था.

मॉम को भी बहुत मजा आने लगा. मॉम गांड हिला हिला कर चुदवा रही थीं.

पांच मिनट बाद हम दिनों ने पोजीशन चेंज कर ली.
मॉम डॉगी स्टाइल में हो गईं और मैं उसी स्टाइल में पीछे से चोदने लगा. मॉम का शरीर मचलने लगा था.

फिर मैं मॉम की दोनों टांगों को अपने कंधे पर रख कर उनकी चुत मारने लगा.

मॉम सेक्सी आवाजें निकाल रही थीं ‘आआह … आआह … उउह … उम्म …’
चुत चोदने की मधुर आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी.

बीस मिनट चुदाई चली.
मॉम अपने अंतिम चरण पर थीं, मेरे 4-5 शॉट लगाते ही मॉम झड़ गईं, पर मैं नहीं झड़ा था.

मॉम की चुत के पानी से मेरा लंड चिकना हो गया था. मैंने सोचा गांड में लंड डालने का ये सही मौका है.

मैंने मॉम की चुत से लंड बाहर निकाल कर उनकी गांड पर सैट कर दिया.
जब तक मॉम कुछ समझ पातीं, मैंने एक जोरदार धक्का दे मारा.

मेरा लंड मॉम की गांड को चीरते हुए आधा अन्दर चला गया.

मॉम बिना पानी की मछली की तरह तड़पने लगीं. मॉम को देख कर मैं डर गया और मैं भी थोड़ा शांत हो गया.

मेरा जितना लंड मॉम की गांड में था, मैंने उसे वैसा ही घुसा रहने दिया.

मॉम बहुत गंदी गंदी गाली देने लगीं- मादरचोद भोसड़ी के … अपनी मॉम को मारेगा क्या साले हरामी!

वो न जाने क्या क्या गाली दे रही थीं.

दो मिनट बाद मॉम धीरे धीरे शांत हो गईं.

मैंने मॉम के अन्दर जो लंड था, उस पर कुछ तेल टपका दिया और झटका लगाने लगा.

मॉम को दर्द हो रहा था, पर मैंने ध्यान नहीं दिया और इस बार पेलता ही रहा. मॉम को भी थोड़ी देर बाद मजा आने लगा और वो मजे से चुदवाने लगीं.

मॉम की गांड कड़क होने से मैं भी झड़ गया.
मेरा आधा पानी मॉम की गांड में ही निकल गया और आधा मैंने मॉम की चुत पर गिरा दिया.

अब तक मॉम दुबारा से झड़ चुकी थीं.

मैं मॉम की चुचियों को मसलने लगा.

कुछ देर बाद मैंने मॉम से 69 की पोजिशन में आने को कहा तो मैं झट से आ गया.

मॉम मुँह से मेरे लंड को चाटने लगीं और मैं मॉम की चुत में उंगली करने लगा.

कुछ पलों में मॉम ने मेरे लंड को चाट चाट कर साफ़ कर दिया.

मैं भी मॉम की चुत में उंगली के साथ चाट भी रहा था. मैंने भी मॉम की चुत को साफ़ कर दिया.

फिर मैं और मॉम सीधे होकर लिपट कर सो गए.
हम दोनों काफी थक चुके थे. नींद कब आ गई, पता ही नहीं चला.

फिर नींद से उठा तो देखा मॉम मेरे सामने लेटी थीं और लेटे लेटे मेरे लंड को सहला रही थीं.

उनके सहलाने से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था.
हम‌ दोनों ने तीन बार सन एंड मम की चुदाई का मजा लिया. इस तरह मॉम और मैं अब जब भी मौका मिलता, सेक्स कर लेते हैं.
 

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मेरी मम्मी के साथ सेक्स का खेल




मेरा नाम देवेन है (नाम बदला हुआ है) मैं विदिशा से हूँ, पर जॉब लगने के कारण अब मैं बंगलोर आ गया हूँ.

ये बात उस टाइम की है जब मेरी जॉब नहीं लगी थी. मैं घर में रह कर नौकरी सर्च कर रहा था.

ये घटना मेरी हॉट मॉम Xxx कहानी है.

मेरी मॉम का फिगर बहुत मस्त है, एकदम गोरा बदन, एमएलएफ टाइप की 36-34-38 की फिगर. मॉम एकदम गर्म माल लगती हैं.

पहले तो मैं मॉम के बारे में ग़लत नहीं सोचता था.
पर एक दिन मेरा सोच ही बदल गया.

हुआ यूं कि एक रात को एक बज चुका था.
उस समय गर्मी का मौसम था और हमारे घर में ए सी भी नहीं था. चूंकि हम लोग एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से हैं.

हमारे घर में बस एक बड़ा सा टेबल फैन था. उसी के सामने हम दोनों मां बेटे सो रहे थे.
पापा घर में नहीं थे, वो अपने काम के सिलसिले में एक हफ्ते से बाहर थे.

उस रात को जब मैं मूतने उठा तो नींद में कुछ ठीक से दिखाई नहीं दिया कि किधर क्या है.

मैं सीधा उठ कर बाथरूम आ गया.
वापस आते समय मेरी नज़र मॉम पर पड़ी तो उस वक्त भी ठीक से कुछ दिखाई नहीं दिया.

मैं अपनी मॉम के पास ही सोया हुआ था तो बेड पर चढ़ते टाइम मेरा पैर फिसल गया और मेरा हाथ मॉम की नंगी चूत में पड़ गया.
उस वक्त मुझे महसूस हुआ कि मॉम की साड़ी ऊपर उठ गई थी और ऐसा टेबल पर रखे पंखे की हवा की वजह से हुआ था.

एकदम से किसी नर्म जगह पर हाथ पड़ने से मेरी झक्की खुल गई और नींद के कारण जो आलस्य था, वो एक ही झटके में दूर हो गया.

मेरी आंखें खुल गईं और मैंने ध्यान से देखा तो मेरा हाथ मॉम की चूत पर था और एक उंगली भी मॉम की चूत के अन्दर चली गई थी.
मुझे मेरी उंगली में गीला गीला सा लगा तो देखा कि मॉम की चूत से रस निकल रहा था.

मेरी मॉम नींद में मादक सिसकारियां भर रही थीं.
ये देख कर में भी एकदम से उत्तेजित हो गया. मैंने अपना हाथ मॉम की चूत से नहीं हटाया और उंगली भी चूत में ही घुसी रहने दी.

मुझे लगा कि शायद मेरी मॉम चुदाई का सपना देख रही थीं.
मैं वैसे ही एक मिनट तक चूत में उंगली घुसाए रहा.

जब मॉम की तरफ से कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मैंने मॉम की चूत में उंगली चलानी शुरू कर दी.

धीरे धीरे मेरी उंगली अन्दर तक आने जाने लगी.

मॉम ने भी अपनी टांगें फैला दी थीं जिस वजह से मेरी पूरी उंगली चूत के अन्दर तक जाने लगी थी.
मेरी मॉम की गर्म आवाजें कुछ ज्यादा ही निकलने लगी थीं.

अब मैंने सोचा क्यों ना मैं मॉम की चूत में अपने एक और उंगली डाल दूँ और उन्हें और ज्यादा मजा दे दूँ.

मैं वही किया और अपनी एक उंगली और उनकी चूत में डाल दी.

अब मेरी मॉम की मादक आवाज और थोड़ी तेजी से निकलने लगी.
मैं ये नजारा देख कर हैरान रह गया था.

थोड़ी देर बाद मॉम एकदम से अकड़ने लगीं. उन्होंने अपने दोनों पैर और चौड़े कर दिए और गांड उठाने लगीं.

मॉम को ऐसे हिलते देख मैंने अपना हाथ चूत से बाहर निकाल लिया.
मगर मॉम की बेकरारी साफ़ दिखाई दे रही थी.

मैंने देखा कि मॉम अपनी टांगें फैला कर चूत उचका रही थीं.
तब मैंने भी सोचा कि मॉम भी मेरी उंगली से चूत रगड़वाने में अच्छा लग रहा है तो मैंने थोड़ी देर बाद फिर से चूत ने उंगली डाल दी और हिलाना शुरू कर दिया.

इस बार मैंने एक साथ दो उंगलियों को मॉम की चूत में डाला था तो मॉम के मुँह से तेज़ आवाज़ निकल गई.
मैंने उंगलियां तेजी से चलानी चालू कर दीं.

फिर मौके की नजाकत को देख कर मैंने अपनी तीसरी उंगली भी चूत में पेल दी.

मॉम का मज़ा बढ़ गया और उनकी कामवासना से भरी हुई आवाजें तेज होने लगीं.

मैं धीरे धीरे उंगलियां अन्दर बाहर करने लगा.
अब मुझे भी अच्छा लग रहा था.

मेरी मॉम की चूत से पानी भी निकल रहा था.
फिर मैंने चार उंगली डालने की कोशिश की पर चार उंगलियां एक साथ चूत में नहीं गईं और मॉम को दर्द भी हुआ.

उन्होंने ‘आह मर गई …’ कह कर आवाज़ निकाल दी तो मैं डर गया.
जल्दी से मैंने अपनी उंगलियां बाहर निकाल दीं और सोने की एक्टिंग करने लगा.

मैंने सोचा कि शायद मॉम उठ गयी हैं और वो मुझे चूत में उंगली करते देख कर गुस्सा न हो जाएं.
पर मैंने देखा कि वो वैसे ही शांत पड़ी रहीं और कसमसाती रहीं.

अब मेरा साहस थोड़ा बढ़ गया.

इस बार मैं उठ कर किचन में गया और एक लम्बा वाला बड़ा और मोटा सा बैगन लेकर आया.
मैंने बैगन पर थोड़ा तेल भी लगा दिया था.

फिर धीरे से आकर मॉम के पास बैठ गया और बैगन चूत में लगा दिया.
मॉम ने चूत को उठा दिया तो मैंने थोड़ा सा बैगन अन्दर डाल दिया.

वो बैगन शायद 7 इंच का लंबा और 4 इंच मोटा रहा होगा.

मैं उसे चूत के अन्दर डाल कर धीरे धीरे अन्दर बाहर कर रहा था.
वो बैगन अभी मॉम की चूत में दो इंच तक अन्दर घुसा था कि मॉम की जोर से सिसकारी निकली.

मैं जरा रुक गया और उन्हें देखने लगा. वो लगातार सिसकारी ले रही थीं.
एक दो पल बाद मैंने और जरा सा अन्दर घुसाया पर इस बार मुझे थोड़ा टाइट सा लगा.

मगर मैंने इस बार नहीं रोका और बैगन को चूत में अन्दर घुसाने की कोशिश करता रहा.

मेरी बहुत कोशिशों के बाद वो बैगन 5 इंच तक ही चूत के अन्दर जा सका. मेरी मॉम की आवाज़ तेज़ हो गई और वो कसमसाने लगीं.

इधर मेरा भी बुरा हाल हो रहा था. मेरा लंड बहुत फूल गया था.

मैं बता दूँ कि मेरे लंड की साइज़ 6 इंच लम्बी और ये 3 इंच मोटा है. मैं अपनी मॉम की चूत में अपने लंड से भी एक इंच बड़ा और एक इंच मोटा आइटम घुसा रहा था.

कुछ देर बाद पूरा बैगन चूत में चला गया और अब शुरू हुआ असली मज़ा.

मैंने मॉम की चूत में वो बैगन अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
पहले मैंने धीरे धीरे अन्दर बाहर किया और कुछ समय बाद स्पीड को बढ़ा दिया.

अब तक वो बैगन पूरा अन्दर तक घुसने निकलने लगा था और मॉम की आवाजें भी तेज़ हो चुकी थीं.
उनकी कामुक आवाजें पूरे रूम में सुनाई दे रही थीं.

चूंकि उस समय रूम में मेरे और मॉम के अलावा और कोई नहीं था तो मैंने पूरी तेजी से बैगन घुसाना शुरू कर दिया.
अब मॉम की आवाजें बढ़ना तेज हो गईं और उनकी अकड़न एकदम से बढ़ गई थी.

तभी मॉम की चूत से जोर से पानी निकलने जैसा हो गया.
उसी समय मॉम काफी तेज़ आवाज में चिल्ला दीं और बोलीं- आंह … मज़ा आ रहा है … और तेज पेल!

मैंने सोचा शायद मॉम उठ गई हैं.
पर वो नींद में बोल रही थीं.

अब मैं खुद को रोक नहीं पाया और सोचा कि अब अपना लंड चूत में पेल ही देता हूँ.

मैंने अपनी चड्डी उतारी ही थी कि मॉम की नींद टूट गई.
मैं ये देख कर फट से सोने का नाटक करने लगा.

मेरी मॉम उठ कर बैठ गईं और उन्होंने नीचे अपनी चूत में देखा कि चूत में मोटा लंबा सा बैगन घुसा हुआ है.
मैं सब देख रहा था कि क्या हो रहा है.

तभी मॉम ने धीमी आवाज़ में कहा- ये बैगन कहां से आया और घुसाया किस ने!
मगर मॉम ने उस बैगन को अपनी चूत से नहीं निकाला और वैसे ही उठकर बाथरूम चली गईं.

दस मिनट हो गए थे, मगर मॉम वापस नहीं आई थीं तो मैं उठ कर चुपके से गया और बाथरूम के ऊपर लगी जाली से अन्दर देखा कि मेरी मॉम पूरा बैगन चूत के अन्दर डालकर चुदाई का मज़ा ले रही थीं.

मैंने फट से मोबाइल में मॉम का वीडियो बना लिया.

कुछ मिनट के बाद मॉम झड़ गईं और ये देख कर मैं उधर से सोने के लिए बिस्तर पर आ गया.
थोड़ी देर बाद मॉम भी बाथरूम से आकर सो गईं.

इधर मेरी हालत खराब थी. मेरा लंड खड़ा हुआ था. मैं कैसे लंड को शांत करूं, यही सोच रहा था.

फिर वैसे ही बेड पर पड़े पड़े और सोचते सोचते आधा घंटा हो गया.
मॉम सो रही थीं. मैं उठ कर बाथरूम में गया और बाथरूम लॉक करना भूल गया.

मैं मॉम की वीडियो देख कर अपना लंड निकाल कर हिलाने लगा.
इस चक्कर में मुझे पता भी नहीं चला कि मेरी मॉम मेरे पीछे कबसे खड़ी होकर वो सब देख रही थीं और मेरे हाथ में मोबाइल में चल रही अपनी वीडियो भी देख रही थीं.

अचानक लंड हिलाते हिलाते मैं पीछे को घूमा तो मेरी गांड फट गई.
मैं सीधा खड़ा हो गया और अपना लंड छुपाने लगा.

मॉम ने मुझे गाल पर एक झापड़ लगाया और कहा- तो वो बड़ा बैगन तूने डाला था मेरी चूत में?
चूत बोलने की बात सुनकर मैं सकते में आ गया.

तभी वो बोलीं- ये वीडियो कहां से बनाया?
मैंने डरते हुए बोला- बाथरूम की जाली में से.

मॉम ने कहा- अगर तेरा लंड खड़ा हो गया था तो मेरी चूत में घुसाया क्यों नहीं?

ये सुन कर मैं एकदम से चौंक गया और मॉम की तरफ देखने लगा.
मॉम ने मेरे लंड की तरफ देखा और कहा- बैगन से थोड़ा छोटा लग रहा है, पर चलेगा.

तभी मॉम ने मेरा लंड पकड़ लिया और नीचे बैठकर लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं.
मुझे तो जन्नत का मजा मिल रहा था.

वो फोन में खुद की वीडियो देख कर और लंड चूसती हुई बोलीं- क्यों तू वीडियो अपने दोस्तों को दिखाएगा क्या?
मैंने बोला- नहीं, मैं अभी इसे डिलीट कर देता हूँ.

इस पर मॉम ने बोला- नहीं, डिलीट मत कर … और तुझे ये वीडियो जिसको दिखानी है, दिखा दे. पर ये मत बोलना कि मैंने तेरा लंड चूसा है.

ऐसे ही लंड चूसते चूसते मॉम को पांच मिनट हो गए थे.
मुझे रुका नहीं जा रहा था तो मैं मॉम के मुँह में ही झड़ गया.
मेरी मॉम ने लंड का माल पी भी लिया और हाथ मुँह धोकर उधर से चली गईं.

मैंने भी हाथ मुँह और लंड धोया और उनके पीछे पीछे आ गया.
 

junglecouple1984

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सुहागरात से ही बीवियों की अदला बदली



मेरा नाम मिसेज अर्चना है। मैं रहने वाली कानपुर की हूँ लेकिन अब यहाँ मुंबई में अपने हसबैंड आकाश के साथ रह रही हूँ।
मेरी उम्र लगभग 32 साल है और हमारी शादी 5 साल पहले हुई थी।

पहले मैं अपने बारे में आपको बता दूं तो अच्छा होगा!
मैं देखने में काफी सुन्दर हूँ, गोरी चिट्टी हूँ, छरहरी और सेक्सी जिस्म वाली महिला हूँ।

मेरी सबसे बड़ी अमानत हैं मेरी बड़ी बड़ी मस्तानी चूचियाँ जिन्हें आप बूब्स भी कहते हैं।
मेरी चूचियाँ सच में बड़ी बड़ी भी हैं और सुडौल सेक्सी भी … इसलिये मैं कॉलेज में एक हॉट गर्ल से रूप में जानी जाती थी।
लड़के मेरे आगे पीछे घूमा करते थे इसलिए भी कि मैं बहुत बोल्ड थी सबको गालियां खूब सुनाया करती थी. सबकी माँ बहन चोदा करती थी … मगर प्यार से!

लड़के मेरे मुंह से गालियां सुनने के लिए घण्टों इंतज़ार करते रहते थे।
उन्हें मेरे मुंह से ‘लण्ड’ या ‘लौड़ा’ सुनना बड़ा अच्छा लगता था।

मैं भी थोड़ा तरसा तरसा कर ‘लण्ड’ ‘लौड़ा’ बोला करती थी।
यह सुनते ही लड़के खूब शोर भी मचाते और तालियां भी बजाते।
यह सब होने का मैं भी मज़ा लिया करती थी।

मैं लण्ड सिर्फ बोलती ही नहीं थी बल्कि पकड़ती भी थी लण्ड! मैं कॉलेज के कई लड़कों के लण्ड पकड़ती थी.
कुछ लड़कों से चुदवाती भी थी.
उनमें 2 / 3 टीचर भी शामिल हैं. उनके लण्ड मुझे अच्छे लगते थे तो उनसे भी चुदवाती थी और खूब एन्जॉय करती थी।

नाते रिश्तेदारों में भी मैंने कई लड़कों के लण्ड पकड़े हैं। कुछ लड़कों के लण्ड अपनी चूत में पिलवाये भी हैं।
कई लड़कों के लण्ड का सड़का मारा है पर चुदवाया नहीं.

मुझे लण्ड से खास मोहब्बत है! मैं हर तरह के लण्ड पसंद करती हूँ.

अब मैं आपको अपने पति आकाश के बार बताना चाहती हूँ।

आकाश बहुत ही हैंडसम, काबिल और दरियादिल इन्सान हैं।
अच्छी बात है कि वह बोलता बड़ा स्वीट है और अपनी बातचीत से ही लड़कियों को फंसा लेता है, दूसरों की बीवियों पर अपना प्रभाव जमा लेता है।

आकाश परायी बीवियां फंसाने में बड़ा माहिर है। रंगीन मिज़ाज़ का है और उसे लड़कियां चोदने का शौक है।

अगर मैं शादी के पहले खूब चुदी हुई थी तो वह भी खूब चुदा हुआ था।
मैं कई लण्ड अपनी चूत में पेलवा चुकी है तो उसने भी कई चूत में अपना लण्ड पेला है।

शादी के पहले ही मुझे चुदाने का अनुभव था तो उसे चोदने का अनुभव था।

यह अरेंज मैरिज है लव मैरिज नहीं।
मैं आकाश को पहले से बिल्कुल नहीं जानती थी और न ही वह मुझे जानता था।

मेरी शादी खूब धूमधाम से हुई, सबने खूब एन्जॉय किया और शादी के बाद ही हम दोनों सुहागरात के लिए सीधे गोवा चले गए।
वहां हम दोनों एक दूसरे को अच्छी तरह जान पहचान लेना चाहते थे इसलिए खूब बात करते थे खूब हंसी मजाक करते थे।

कभी कभी वह मुंह से गालियां निकालता था तो कभी कभी मैं भी!
मैं जब प्यारी प्यारी गालियां निकालती थी तो मुझे प्यार से चिपका लेता था और तारीफ करता था।

वहीं उसे पता चला कि मैं कभी कभी शराब पी लेती हूँ और मुझे भी मालूम हुआ कि वह कभी कभी शराब पीता है।
पहली रात मैं खूब चुदी और दूसरी रात भी खूब धकाधक चुदी।
मुझे उसका मोटा तगड़ा लण्ड पसंद आ गया।

तीसरी शाम को जब हम लोगों ने शराब का प्रोग्राम बनाया तो वह बोला- यार अर्चना, मैं एक बात कहना चाहता हूँ। देखो, यहाँ हम लोग नए हैं। हमें यहाँ कोई नहीं जानता. हम जो यहाँ करेंगे, वह किसी की भी नहीं मालूम होगा।
मैं हंस कर बोली- खुल कर बताओ न? मुझसे क्या चाहते हो? मैं पूरी तरह तुम्हारे साथ हूँ।

“बात यह है कि मेरे कुछ दोस्त बड़े नजदीक हैं और मैं उनकी सुहागरात में था। अब मेरी सुहागरात है तो वो … मेरे साथ रहना चाहते हैं और …
“तो क्या? आगे और बताओ न यार … मैं बुरा नहीं मानूंगी, मैं तो तुम्हारे साथ हूँ।”

“बात यह है कि वो भी मेरी सुहागरात में शामिल होना चाहते हैं। तुम्हारी इज़ाज़त चाहिए।”
“देखो यार, मैं तुम्हारी बीवी हूँ. अगर तुम चाहते हो कि तुम्हारी बीवी तुम्हारे सामने किसी और के साथ सुहागरात मनायें तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है।”

“नहीं, सुहागरात मनाने की बात नहीं है। सुहागरात तो दो दिन मना लिया हमने … अब तो वाइफ स्वैपिंग की बात है। वह कपल हमारे साथ बीवियों की अदला बदली करना चाहता है। तुम अगर कहोगे तो मैं कर लूँगा।”

“मैं तो आपको खुश रखना चाहती हूँ। वैसे एक कपल है या दो?”
“दो कपल हैं यार! तुम कहो तो आज रात वाइफ स्वैपिंग का प्रोग्राम यहीं अपने कमरे में ही कर लिया जाए?”

मैं तो चाहती ही थी ऐसा … मैं तो पराये मर्दों के लण्ड की दीवानी हूँ ही!
मैंने सोचा कि यह बड़ा सुनहरा मौक़ा है। मुझे बिना कुछ किये अपने पति के सामने ही किसी और से चुदवाने का मौका मिल रहा है. इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है।
तो मैंने तुरंत हां कह दिया।

मेरे हाँ कहते ही उसका चेहरा खिल गया।
मैं भी समझ गयी कि वह मेरे सामने ही दूसरों की बीवियां चोदना चाहता है।

आजकल यंग कपल में ऐसा होता ही है।
मेरी दो सहेलियां भी ऐसी ही हैं जो यहाँ से अपनी सुहगरात में वाइफ स्वैपिंग करके गयीं हैं और उन सबने मुझे सब कुछ विस्तार से बताया भी है। अब मैं भी उन्हें बताऊंगी।

आकाश ने फोन उठाया और सबको बुला लिया।
बस पांच मिनट में ही सब लोग आ गए. शायद वो सब इंतज़ार ही कर रहे थे।

अब मेरे सामने दो कपल थे।
सबसे परिचय हुआ।

ये हैं निर्मल और इसकी बीवी नेहा!
और ये हैं पवन इसकी बीवी रूचि।

मैंने दोनों बीवियों को बड़े गौर से देखा और मन में कहा ‘अच्छा तो ये दोनों वो बीवियां हैं जो बुरचोदी मेरे हसबैंड से चुदी हुई हैं। ये दोनों मेरे पति के लण्ड को अच्छी जानतीं हैं अब मैं इनके पति के लण्ड की जान पहचान करूंगी देखूंगी कि इनके लण्ड में कितना दम-ख़म है.’

इतनी देर में ड्रिंक्स चालू हो गयी और हम सब मस्ती में आने लगे।

मैंने पूछा- नेहा तुम्हारी शादी कब हुई थी?
वह बोली- बस अभी 6 महीने पहले!

मैंने पूछा- और रूचि तुम्हारी शादी कब हुई?
वह बोली- मेरी शादी एक साल पहले हुई थी और हम लोग भी इसी होटल में सुहागरात मनाने आये थे।

मैंने हंस कर कहा- तो एक बार फिर तुम सबके सामने अपनी सुहागरात मनाओ। मज़ा आएगा।
सब लोग इसी बात पर हंसने लगे।

इतने में नेहा का हसबैंड बोला- शादी के बाद तो फिर वाइफ स्वैपिंग में ही मज़ा आता है।
इसका जबाब दिया रूचि ने!
वह बोली- हां यार, मेरा भी यही ख्याल है। मैं तो अपनी सुहागरात के दूसरे ही दिन से वाइफ स्वैपिंग करने लगी थी क्योंकि उसमें मेरे पति का ज्यादा इंटरेस्ट था और आज भी है।

मैंने कहा- हां इंटरेस्ट तो वाइफ स्वैपिंग में सबका होता है यह खेल ही इतना मजेदार है।
धीरे धीरे माहौल बनने लगा और उधर दूसरा पैग चालू हो गया।

नशा भी चढ़ता जा रहा था और लोग भी खुलते जा रहे थे।
फिर मेरे पति ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने दोस्त निर्मल की जांघ पर रख दिया।

मैं उसकी मंशा समझ गयी. मैं अपना हाथ खिसका कर उसके लण्ड तक ले गयी तो मेरे बदन में आग लग गयी।

उधर नेहा का हाथ रूचि के पति पवन के लण्ड तक पहुँच रहा था और रूचि का हाथ मेरे पति आकाश के लण्ड तक!

यह सब देख कर मैं गनगना उठी।

मेरा हाथ जब निर्मल के लण्ड से टकराया तो मुझे लगा कि लण्ड तो बड़ा दमदार है.
तब तक उसने मुझे गले लगा लिया और मेरे गाल चूम लिए।

उधर मेरे हसबैंड ने रूचि के गाल चूमें और उसकी चूचियाँ मसलना शुरू कर दिया।

पवन नेहा की चुम्मियाँ लेने लगा और उसके मस्त मस्त बूब्स दबाने लगा।

तब निर्मल ने भी अपना हाथ अंदर घुसेड़ कर मेरी चूचियों तक पहुंचा दिया।
उसके हाथ लगते ही मेरी चूचियाँ तन गईं।

धीरे धीरे हम तीनों बीवियों के कपड़े उतरने लगे।
नेहा के बूब्स नंगे हो गए।
रूचि भी ऊपर से बिल्कुल नंगी हो गयी सबके आगे और अब मैं नंगी हो रही थी।

मुझे तो मर्दों के आगे नंगी होने में कोई शर्म नहीं आती बल्कि मैं तो बहुत ही खुश होती हूँ।
पराये मर्दों को अपना नंगा बदन दिखाने में मुझे मज़ा आता है।
जब भगवान ने इतना मस्त और खूबसूरत बदन दिया है उसे दिखाया क्यों न जाए?

फिर धीरे धीरे सबकी चूत चूतड़ और गांड भी खुलने लगी।

सबसे पहले रूचि नंगी हुई।
पूरी नंगी हो गयी, उसकी चूत बड़ी गज़ब की सेक्सी दिख रही थी।

फिर नेहा भी अपने कपड़े उतार कर बिंदास नंगी होकर बैठ गयी।

अब मेरा नंबर था।
मुझे तो निर्मल ने ही नंगी कर दिया … नंगी करके वह मेरी चूत सहलाने लगा।

दूसरी औरत का नंगा बदन और दूसरे मर्द का नंगा बदन किसको नहीं अच्छा लगता!

तब तक तीनों मर्द भी एकदम नंगे हो चुके थे।

यहाँ यही सब होने लगा।

तीनों मर्दों के हाथ पराई स्त्रियों के नंगे बदन पर इधर से उधर तक चल रहे थे।
वहीं बीवियां भी मस्ती से अपने अपने हाथ पराये पुरुषों के नंगे बदन का फिर फिरा कर आनंद ले रहीं थीं … खास तौर से लण्ड पर और लण्ड के टोपे पर!

न किसी मर्द की निगाह परायी बीवी के नंगे जिस्म से हट रही थी और न कोई बीवी पराये मर्द के नंगे बदन से उसके लण्ड से नज़रें हटाने को तैयार थी।

मैं बड़े प्यार से निर्मल का लौड़ा हिलाने लगी, रूचि मेरे पति का लौड़ा हिलाने लगी और नेहा रूचि के पति पवन का लण्ड।
मेरी नज़र सबके लण्ड पर थी।

मेरे लिए दोनों पवन और निर्मल के लौड़े नए थे।

रूचि के लिए निर्मल का लौड़ा नया था क्योंकि वह अपनी सुहागरात में मेरे पति से चुदवा चुकी थी।
नेहा के लिए भी पवन का लण्ड नया था क्योंकि वह भी भोसड़ी वाली मेरे पति से चुदवाये बैठी थी।

हम तीनों बड़ी बेशरमी से गैर मर्द का लण्ड चाटने में जुट गयीं। हम सब यह फील करने लगीं कि कुछ भी हो … मज़ा तो ग़ैर मर्द के लण्ड से ही आता है।

मैंने कहा- यार नेहा, क्या मस्त लौड़ा है तेरे पति का? लगता है कि आज तो ये मेरी चूत फाड़ डालेगा। देखो कैसे मेरे हाथों में आकर गुर्रा रहा है!

नेहा बोली- हां यार, मेरे पति का लौड़ा मेरे आगे तो गुर्रा नहीं पाता इसलिए यह तेरे आगे गुर्रा रहा है. जैसे कि मेरे हाथों में रूचि के मियां पवन का लौड़ा गुर्रा रहा है।

रूचि बोली- यार, इधर भी ज़रा देख ले भोसड़ी की अर्चना … तेरे हसबैंड का लण्ड मेरे हाथों में आकर गुर्रा ही नहीं रहा है बल्कि दहाड़ रहा है बहन चोद! लगता है कि मेरी चूत नहीं बल्कि मुझे ही खा जायेगा. नहीं तो मेरी चूत का भोसड़ा आज ही बना देगा मादरचोद! हाय दईया … देखो न कितना प्यारा और मस्त लग रहा है अर्चना तेरे मियां का लण्ड! नहीं मिलता तो बड़ा अफ़सोस होता यार! लव यूअर हस्बैंड लंड बुरचोदी अर्चना!

मैं तब तक काफी गरम हो चुकी थी; धधकने लगी थी मेरी बुरचोदी चूत!
मुझे अब लण्ड पेलवाने की जरूरत थी चूत में!

निर्मल समझ गया तो उसने लण्ड गच्च से पेल दिया मेरी बुर के अंदर!
लण्ड तो एकदम से सनसनाता हुआ अंदर घुस गया जैसे कोई सांप अपने बिल में घुसता है।

वह धक्के लगाने लगा और ठोकने लगा मेरी बुर में अपना हक्कानी लण्ड।

उधर रूचि का पति पवन नेहा की बुर झमाझम बजाने लगा.
और मेरे पति ने लण्ड रूचि की चूत में गप्प से घुसा दिया और चोदने लगा।

ये तीनों साले एक दूसरे की बीवी बड़ी मस्ती से चोदने लगे।
किसी ने भी लण्ड पेलने में देर नहीं लगायी।

सब के सब एक दूसरे की बीवी चोदने के लिए उतावले ही बैठे थे।

उसी तरह हम तीनों बीवियां भी भोसड़ी वाली पराये मर्दों से चुदवाने के लिए व्याकुल हो रहीं थीं।
ग़ैर मर्द का लण्ड घुसते ही ऐसा लगा कि जैसे ज़न्नत मिल गयी हो?

बुर जब चुदती है तो बुर वाली के मुंह से कुछ न कुछ निकलता रहता है।

नेहा बोल रही थी- हाय रे बड़ा मोटा है तेरा लण्ड पवन? ये तो साला रोहित के लण्ड से ज्यादा मोटा है यार! बड़ा मज़ा आ रहा है … बस तुम चोदे जाओ पेले जाओ लण्ड। तुम तो बिल्कुल मेरे पड़ोसी रज्जन अंकल की तरह चोद रहे हो। वह भी साला ऐसे ही गांड उठा उठा के चोदता है। फाड़ डालो मेरी बुर … चीर डालो मेरी बुर भोसड़ी के!

रूचि बोल रही थी- वाओ, क्या मस्त लौड़ा है तेरा आकाश। साला इतना बड़ा है जैसे ये मादरचोद आकाश को ही छू लेगा। घोड़े के लण्ड जैसा लण्ड है तेरा बहनचोद। इसका टोपा एकदम अंजलि के पति के लण्ड के टोपा जैसा है। एकदम पहाड़ी आलू लगता है तेरे लण्ड का टोपा आकाश! अंदर तक घुसा घुसा के चोदो मेरी बुर। मुझे अपनी बीवी की तरह चोदो। बड़ा अच्छा लग रहा है। अनिल भी ऐसे ही चोदता है। सबा का अब्बू भोसड़ी का ऐसे ही मेरी बुर लेता है। लगता है कि सारे मर्द इसी तरह चोदते हैं।

मेरे भी मुँह से भी जोश में निकल गया- निर्मल, तेरा लण्ड थामस के लण्ड जैसा है यार! बिल्कुल इतना ही लम्बा और इतना ही चौड़ा उसका भी लण्ड है। बस फर्क यह है कि वह काला है और तेरा गोरा। मुझे तो दोनों रंग के लण्ड पसंद हैं। वॉओ … चोदते रहो यार … रफ़्तार बढ़ा के चोदो, अपनी बीवी समझ के चोदो। इस समय तो मैं तेरी बीवी ही हूँ। मना ले तू भी अपना हनीमून मेरी चूत में लण्ड पेलकर!

फिर सब लोग अपने अपने हिसाब से चोदने लगे।
कोई पीछे से चोदने लगा, कोई लण्ड पे बैठा के चोदने लगा, कोई ऊपर चढ़ के चोदने लगा, कोई कुर्सी पर बैठ कर और लण्ड पर बैठा कर चोदने लगा. कोई चूचियाँ चोदने लगा और कोई मुंह को ही चूत की तरह चोदने लगा।

इसी तरह बीवियां भी अपने अपने हिसाब से चुदवाने भी लगीं।

फिर जब एक एक करके लण्ड झड़ने लगे तो सबने अपने अपने झड़ते हुए लण्ड का जूस पिया और लण्ड का सुपारा चाटा।

उसके बाद न्यूड डिनर हुआ. यानि सबने नंगे नंगे ही खाना खाया और खूब आपस में बातें करते हुए डिनर एन्जॉय किया।

दूसरी पारी में मेरे पति आकाश ने निर्मल की बीवी चोदी, निर्मल ने पवन की बीवी चोदी और पवन ने आकाश की बीवी चोदी यानि मुझे चोदा।

दूसरे दिन सवेरे जब मैं उठ कर बैठी तो मेरा पति आकाश बोला- अर्चना, कल जो तुमने कमाल किया उसके लिए मैं तुम्हें बधाई देता हूँ। हमारे दोनों कपल बस तुम्हारी ही तारीफ कर रहे थे। मज़ा आ गया।
मैंने कहा- पहले यह बताओ कि तुम्हें उन दोनों की बीवियां चोदने में मज़ा आया या नहीं?
वह बोला- हां यार, बहुत मज़ा आया. और यही मैं चाहता था। तुमने अगर साथ न दिया होता तो मेरी इच्छा पूरी नहीं होती।

मैंने यूँ ही कह दिया- भगवान् करे कि आज भी कोई तुम्हारी इच्छा पूरी कर दे।
जबकि मेरे भी मन में था कि अगर आज भी कोई मस्त मर्द मिल जाए तो एक नए लण्ड से चुदवाने में मज़ा आ जाये।
बस हम लोग फटाफट तैयार हुए और ब्रेकफास्ट के लिए रेस्टोरेंट में सही टाइम पर पहुँच गए।

ब्रेकफास्ट ख़त्म हो चुका था और हम लोग बाहर निकल ही रहे थे तभी अचानक किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया।

पीछे मुड़ कर मैंने देखा तो मेरी सहेली थी. मैं बड़े जोशोखरोश से बोली- वॉव तू कनिका तू?
मैंने उसका हाथ पकड़ा और लान की तरफ जाते हुए अपने पति से कहा- तुम चलो, मैं अभी आती हूँ।

मैं उसे एकांत में ले गयी और कहा- तू भोसड़ी की यहाँ गांड मराने आयी है या अपनी माँ चुदाने?

वह बोली- यार, मैं न गांड मराने आयी हूँ और न अपनी माँ चुदाने! मैं तो अपनी सुहागरात मनाने आयी हूँ.

“अच्छा तो इसका मतलब तू अपनी बुर चुदाने आयी है यहाँ तू माँ की लौड़ी!”
“हां यार हां बस तुम यही समझ लो!”

“अरे यार … बुर तो तू वहां भी चुदवा सकती थी?”
“वहां तो बहुत लोग थे। आज़ादी थी नहीं … यहाँ गोवा में हमारा कोई नहीं है हम जो चाहे करें! यहाँ कौन भोसड़ी वाला हमें देख रहा है! अब मैं जम कर गोवा में सुहागरात मनाऊंगी.”

“इसका मतलब तू वो काम यहाँ करेगी जो वहां नहीं कर सकती थी? अच्छा बता तू कब आई यहाँ?”
“दो दिन पहले ही तो आयी हूँ। आज तीसरा ही दिन है।”

“अच्छा अच्छा … तो तू दो दिन में कई बार चुद चुकी होगी?”
“हां हां चुद चुकी हूँ और चुद रही हूँ। तू बता तू यहाँ क्या कर रही बुर चोदी अर्चना?”

“मैं भी चुद रही हूँ। दो दिन तक अपने हसबैंड से चुदी और अब उसके दोस्तों से चुद रही हूँ। मज़ा कर रही हूँ मैं! यहाँ कौन भोसड़ी का हमें देखने वाला है.”
“हाय दईया … जब तू उसके दोस्तों से चुदती है तो तेरा हसबैंड कुछ नहीं कहता?”
“कहेगा क्या? वह भी तो अपने दोस्तों की बीवियां चोदता है।”

“अच्छा तो आप लोग वाइफ स्वैपिंग करते हैं? एक बात बता यार क्या हम भी तेरे साथ हनीमून वाइफ स्वैपिंग कर सकते हैं?”
“हां हां बिल्कुल कर सकती हो? कहाँ है तेरा हसबैंड?”

उसने इशारा किया तो उसका हसबैंड मेरे सामने आ गया।
मैं उसे देख कर खुश हो गयी।
वह स्मार्ट भी था और हैंडसम भी!

मैंने कहा- आज शाम को 8 बजे हमारे कमरे में आ जाना।
मैं फिर वापस अपने कमरे में आ गयी।

मैंने आकाश को बताया कि भगवान ने तुम्हारी सुन ली। आज रात के लिए एक कपल तैयार हो गया है।
उसका चेहरा खिल उठा।

शाम को जब उसने कनिका को देखा तो खुश हो गया।

फिर हम सबने मिलकर ड्रिंक्स एन्जॉय किया और कनिका ने मेरा हाथ अपने पति के लण्ड पर रख कर कहा- लो यार अर्चना अब तुम मेरे पति का लण्ड पकड़ो. मैं तेरे पति का लण्ड पकड़ती हूँ।
इतनी बेबाक बीवी मैं पहली बार देख रही थी।
उसने अपने पति से कहा- ये अर्चना मेरी दोस्त है. आज तुम इसे मेरे सामने चोदो। इसका पति आकाश तेरे सामने मुझे चोदेगा जैसे उस दिन राकेश ने मुझे तेरे सामने चोदा था।

मैं जान गयी कि कनिका पहले भी कई कपल के साथ वाइफ स्वैपिंग कर चुकी है।
उसने बताया- यार, मैं यहाँ दूसरी बार वाइफ स्वैपिंग के लिए ही आयी हूँ। जब जब मैं यहाँ आती हूँ तब तब मैं ग़ैर मर्दों से चुदवाकर जाती हूँ और मेरा पति परायी बीवियां चोद कर जाता है। मैंने तो अपनी सुहागरात में ही अपने पति के दोस्तों से चुदवा लिया था।

अब तो मुझे मुझे पराये मर्दों से चुदने की आदत हो गयी है।
इसलिए हम लोग अक्सर गोवा आते हैं।
उसके बाद तो मैंने खूब जम कर कनिका के पति केशव से चुदवाया और मेरे पति आकाश ने भी खूब मजे से केशव की बीवी चोदी और रात भर चोदी।
 

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जिस्म की पुरानी हवस भतीजे से बुझवाई



नमस्कार दोस्तो,
मेरा नाम सुनीता है, मेरी उम्र 45 वर्ष है, रंग गोरा और मेरा फिगर 36-32-40 है।
मैं इंदौर में अपने पति के साथ रहती हूँ।
मेरे दो बच्चे हैं, दोनों दूसरे शहर में नौकरी करते हैं।

मेरे पति एक MNC में काम करते हैं। मेरे पति सुबह 8 बजे ऑफिस चले जाते हैं और शाम 7 बजे के बाद ही आते हैं. मैं पूरा दिन अकेली रहती हूँ या अपने कुछ सहेलियों के साथ कभी कभी पार्टी कर लिया करती थी।
मेरा दिन अच्छा कट रहा था।

एक दिन मेरे पति ने मुझे अचानक बताया कि उनके भाई का लड़का हमारे शहर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिये आ रहा है और वो हमारे साथ हमारे ही घर में ही रहने वाला है।

मुझे यह सही नहीं लगा, उसके हमारे घर में रहने से मेरी पूरी आज़ादी छीन जाएगी.

पर बात घर की थी तो मजबूरन मुझे मानना पड़ा।

मैंने ऊपर के कमरे में उसके रहने का इंतजाम कर दिया।
यश Xxx चाची की चुदाई कहानी उसी के साथ की है.

अजय सीधा साधा लड़का था, पढ़ाई लिखाई में भी अच्छा था. मैं कई बार उससे मिली हूँ और वो मेरी काफी इज़्ज़त भी करता है लेकिन अभी मुझे उसका आना पसंद नहीं था।

कुछ ही दिनों में अजय घर आ गया।
वो 19 साल का बड़ा लड़का हो गया था, कद काठी भी अच्छी हो गई थी.

मैं तो पहले उसे देखती ही रह गई.
फिर मैंने उसे ऊपर का कमरा दिखा दिया।

अब अजय हमारे साथ हमारे घर में रहने लगा.
वो काफी शर्मीला लड़का था।

शुरू से ही कम उम्र के लड़के मुझे काफी पसंद हैं.
मेरे पति की उम्र 50 साल की हो गई है, अब उनमे पहले जैसे बात नहीं रही तो अब मेरी यह दबी हुई इच्छा अब अजय को देख के बाहर आने लगी थी।

एक दिने मैं सूखे कपड़े लेने छत पे जा रही थी. तभी मेरी नजर बाथरूम पे पड़ी जो अजय के रूम के बगल में था।
उसका दरवाजा थोड़ा खुला था और अंदर अजय नंगा नहा रहा था।

वो बिल्कुल दरवाजे के पास खड़ा शावर से नहा रहा था और खुले दरवाजे से झांटों के बीच लंड साफ़ दिख रहा था.
उसका 7 इंच का लंड बिल्कुल मेरे सामने था, मैं तो हाथ बढ़ा कर उसे पकड़ भी सकती थी।

जवान लंड देखते ही मेरे तन बदन में आग लग गई, मैं तो बस खड़ी खड़ी देखती ही रह गई और दरवाजे के पीछे वो मजे से नहा रहा था।
थोड़ी देर बाद जब उसका लंड दरवाजे से छिप गया तब मैं किसी तरह खुद को मनाती हुई नीचे आ गई, कपड़े भी नहीं लाई।

अजय प्यारा तो था ही … पर अब मुझे वो और भी प्यारा लगने लगा था।
अब मैं उसका और भी ध्यान रखने लगी और धीरे धीरे उसके करीब आने की कोशिश करने लगी।

वो मेरे पास केवल 4 साल के लिये आया था और अब मैं बिना समाये गंवाये जल्द से जल्द उसका लंड लेने के लिये तड़प रही थी।
अब मुझे अपने पति में कोई इंटरेस्ट नहीं था, मुझे तो बस अजय ही चाहिये था।

मैं चाहती थी कि पहल अजय करे क्यूंकि घर की बात थी, कुछ गड़बड़ हुई तो पूरी उम्र सुनना पड़ेगा.
अपने पति, अपने बच्चों को मैं क्या मुँह दिखाऊंगी।

अजय जिस बाथरूम में नहाता था उस बाथरूम की कुण्डी थोड़ी मुश्किल से लगती थी, शायद इसलिए नहाते समय बाथरूम का दरवाजा हमेशा खुला रखता था।

अब मैं हररोज अपने भतीजे के लंड का दीदार करती थी और कई बार जब वो कपड़े बदल रहा हो, उसी समय बहाने से उसके कमरे में चली जाती थी और वो मुझे देख के शर्मा जाता था।

धीरे धीरे कुछ महीने बीत गए, अब मैं और अजय काफी नजदीक आ गए थे।
अब अजय ऊपर से नंगे बदन केवल निक्कर में मेरे सामने आ जाता था, मैं भी उसे ऐसे दिखती जैसे कोई बात नहीं … लड़के घर में ऐसे ही रहते हैं।

पर मेरी चूत अब भी खाली थी और अजय के लंड के लिये तड़प रही थी।

मुझे अब ये समझ में आ गया था कि लंड लेना है तो अब बात मुझे खुद आगे बढ़ानी पड़ेगी।

मैं दिन के समय सलवार सूट या टॉप और लोअर पहनती हूँ। मैं इन कपड़ों में साधारण सी हाउसवाइफ दिखती हूँ और रात में नाइटी।

मेरी नाइटी स्लीवलेस और बड़े गले की है, इसमें मैं सेक्सी दिखती हूँ. ये नाइटी अब तक मैं अपने पति का सामने ही केवल पहना करती थी पर अब यह नाइटी मैंने अजय के सामने भी पहनना शुरु कर दी ताकि उसे अपने बड़े बड़े चूचों का अच्छे से दीदार करा पाऊं।

अब मैं उठते बैठते अजय को अपने स्तनों की दीदार करने लगी.
उसकी नजर तो मेरी चूचियों की घाटी में आकर मानो फंस ही जाती थी, जब भी हमारी नज़र मिलती तो वो झेम्प जाता और मैं मुस्कुरा देती।

एक दिन मैं नाइटी पहन के अपनी छत पे प्लांट लगा रही थी.
तभी वहाँ अजय भी आ गया.

मैं मौका देखते ही अपने नाइटी घुटनों तक मोड़ के कुछ इस तरह बैठ गई कि सामने आने से अजय को मेरी मोटी मोटी जाँघें और पैंटी साफ़ दिखे।

अजय पहले तो थोड़ी देर बड़े ध्यान से मेरी नाइटी के अंदर देखता रहा, मैं भी मजे से दिखाती रही.
पर थोड़ी ही देर में वो छत की दूसरी ओर जाने लगा.

मैंने उसे तुरंत बुलाया और उससे इधर उधर की बातें करने लगी ताकि मैं उसे ज्यादा समय तक मैं उसे अपने नंगे अंगों को दिखा पाऊं।

ऐसे ही कुछ दिन और बीत गए पर बात अब भी बनती नज़र नहीं आ रही थी.
वो बड़ा सभ्य लड़का था।

अब मैं छत पे कपड़े सुखाने को अजय को भेज दिया करती थी जिसमे मेरी ब्रा और पैंटी भी होती थी।
वो भी बड़े प्यार से मेरे ब्रा पैंटी को सुखाता था।

एक दिन मुझे अपनी एक सहेली के यहाँ जाना था.
मैंने अजय को कहा- मुझे लेट हो रही है और मेरा सूट प्रेस नहीं है, प्लीज मेरा सूट प्रेस कर दो, नहीं तो मैं लेट हो जाऊंगी।

अजय मेरे कमरे में ही मेरा सूट प्रेस करने लगा और मैं अपने रूम के अटैच्ड बाथरूम में नहाने चली गई।

मैं जल्दी नहा कर अपने सफ़ेद पेटीकोट को अपने वक्ष के ऊपर बाँध कर बाहर आई और उसे जल्द प्रेस करने को बोलती हुई अपने बाल संवारने लगी।
सफेद पेटीकोट मेरे गीले बदन से पूरा चिपक गया था।

मैं चारों तरफ घूम घूम कर बाल संवार रही थी ताकि अजय को अपना बदन अच्छे से दिखा पाऊं.
अजय भी चोरी चोरी मुझे निहार रहा था।

सफेद पेटीकोट में मेरी 36 इंच की चूचियाँ जबरदस्त लग रही थी.
जब मैं झुक रही थी तो पीछे से मेरी नंगी चूत भी दिख रही थी।
यह सब देख कर अजय का बुरा हाल हो रहा था।

वो जल्दी से प्रेस करके बाहर जाने लगा तो मैंने उसे फिर रोक लिया और इधर उधर की बातें करने लगी।

फिर उसकी और पीठ करके पेटीकोट खोल के ब्रा पहनने लगी.
आईने में अजय की बैचनी मुझे साफ़ दिख रही थी।

मैंने अजय को अपनी ब्रा का हुक लगाने को कहा.
वो डरते डरते मेरे पास आया और हुक लगाया, उसके हाथ काम्प रहे थे.

मैंने उसे कहा- अब तुम्ही रोज मेरी ब्रा का हुक लगा दिया करना, मुझे हाथ पीछे जाने में प्रॉब्लम होती है।
वो हामी भर कर वहीं खड़ा रहा, जैसे वो बुत बन गया हो, जैसे उसे कुछ समझ ही ना आ रहा हो.

फिर मैंने वहीं उसके सामने ब्रा में कैद अपनी चूचियों को दिखाते हुए पेटीकोट नीचे कमर पर बाँधा.
वो मेरे बदन को निहार रहा था और मैं उससे इधर उधर की बातें कर रही थी जैसे यह सब नार्मल था।

फिर मैंने उसके सामने ही पैंटी पहनी.
अजय ऐसे व्यवहार कर रहा था जैसी मानो मैंने उसे सम्मोहित कर लिया हो.
वो चुपचाप मेरे अधनंगे बदन को देख रहा था और मुझसे आँखें बचा के अपने लंड को सहला रहा था।

उस दिन के बाद अजय हमेशा मेरी ब्रा का हुक खोला और लगाया करता था.
कई बार मैं उसे खोलने को बुला लेती थी.

मैं भी ब्रा पहनते और खोलते समय उसे अपने चूचों के दर्शन करवा देती थी।

अब अजय ज्यादा समय मेरे साथ बिताने लगा था और मेरी ध्यान भी रखने लगा जैसे मानो मैं उसकी गर्लफ्रेंड हूँ।

खाना भी हम साथ बनाते थे और किचन में काम करते समय कई बार वो मेरे अंगों को छू देता था जिसके बदले मैं भी मौका देख के उसके अंगों को छू देती या अपने चूचियाँ या चूतड़ उसके बदन से रगड़ देती थी।

जब अजय कॉलेज जाता या अपने दोस्तों के पास जाता तो मेरा दिल करता था मैं भी उसके साथ चली जाऊं … पर मैं खुद को कंट्रोल करती.
अजय भी समझदार था, वो मेरे पति के सामने मुझे दूरियां बना के रखता था।

अजय के साथ मुझे मजा तो आ रहा था पर अब भी मेरी चूत अब भी खाली पड़ी थी, उसे अब तक अजय लंड का स्वाद नहीं मिला था।

अब हम दोनों एक दूसरे को गले लग के गुड मॉर्निंग विश किया करते थे.
अजय भी कई बार मुझे जोर से अपने बांहों में जकड़ लेता था और बहाने से मेरे कूल्हों से मुझे पकड़ के मुझे उठा लेता था।
कई बार अजय मुझे पीछे से पकड़ के मेरी गांड में अपने लंड फंसा देता था और कभी मेरे पेट को तो कभी मंगल सूत्र को देखने के बहाने मेरी चूचियों से खेलता रहता था.

मुझे भी बड़ा मजा आता था और मैं भी अपने चूतड़ों को मटका मटका करके अपनी गांड से उसके लंड को मसलने की कोशिश करती रहती थी।
एक दूसरे के अंगों को छूना, गाल और गले को चूमना अब हमारे लिए आम बात हो गई थी।

एक दिन मैं नहा रही थी और गलती से तौलिया ले जाना भूल गई क्योंकि तौलिया छत पे था।

पहले मैंने नंगी ही बाहर कमरे में आकर तौलिया ढूंढा पर नहीं मिलने पर अजय को तौलिया लाने को बोल के बाथरूम में वापस चली गई।

थोड़ी देर बाद अजय तौलिया लेकर आया और मुझे आवाज लगाई.
मैंने कहा- दरवाजा खुला है, अंदर आकर रख दो।

अजय अंदर मुझे शावर के नीचे नंगी नहाती हुई देखने लगा.
वो बिना पलक झपकाए अपनी Xxx चाची को देख रहा था.

मैंने पूछा- तुम्हें भी नहाना है क्या?
वो बोला- नहीं, ये बाथरूम काफी बड़ा और सुन्दर है।

मैं भी उसके हाथ से तौलिया लेती हुई अपने नंगे बदन को पौंछने लगी.
लेकिन मैं चाहती थी कि अजय तौलिया से मेरे गीले बदन का पानी सुखाये. पर वो चूतियों की तरह खड़ा रहा.

फिर हम बातें करते हुए बाहर आ गए और मैंने कपड़े पहन लिए।

उस दिन मुझे अजय पे काफी गुस्सा आ रहा था, इतनी सुन्दर औरत जिसकी दीदार को सारा मुहल्ला परेशान रहता है, वो नंगी खड़ी है और इस चूतिये को बाथरूम दिख रहा था।

अजय समझ गया कि मैं नाराज हूँ.
वो मुझे मेरी उदासी का कारण पूछने लगा और ज़िद करके सोफे पे मुझसे चिपक का बैठ गया।

जब उसकी जिद बढ़ गई तब मैंने बात पलटने को उससे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
उसने साफ़ मना कर दिया.

फिर मैंने बातों बातों में पूछा- पहले कभी किसी लड़की को नंगा देखा है क्या?
उसने धीरे से शरमाते हुए कहा- चाची जी, आपको कई बार देखा पर आज आपको देख के मजा आ गया।

फिर उसने धीरे से पूछा- आप अपने नीचे के बालों को क्यों नहीं साफ़ करती?
उसके मुँह से इस तरह की बात की मुझे उम्मीद न थी.

फिर भी मैं तपाक से बोली- किसके लिये साफ़ करूं?
उसने पूछा- क्यों चाचाजी कुछ बोलते नहीं?

मैंने कहा- उन्हें जैसे भी मिल जाये सब चलता है, वैसे तुम भी तो साफ़ नहीं करते।

यह सुनते ही वो सकपका गया और पूछा- आपको कैसे मालूम?
मैं बोली- दरवाज़ा खोल के नहाओगे तो सब मालूम चल ही जायेगा।

कुछ दिन और गुजर गए अब हम दोनों को एक दूसरे के सामने नंगा होने में कोई शर्म नहीं आती थी.
पर अब भी हमारे लंड और चूत का मिलन नहीं हुआ था।
आग दोनों और थी पर कोई पहल करने को तैयार नहीं था।

कपड़े के ऊपर से तो हम एक दूसरे के बदन को प्यार से सहला लेते थे पर हाथ अंदर ले जा कर सहलाना अभी बाकी था।

फिर एक दिन मैंने भी मन बना के बाथरूम में अपने झांटों को साफ़ किया और अपनी पीठ पर साबुन लगाने के बहाने अजय को अंदर बुलाया।
उस वक्त मैं अपनी पेटीकोट को चूचियों पे बंधी हुई थी और अजय अपनी निक्कर और टीशर्ट में था।

मैंने उसे कपड़े उतरने को कहा.
उसने अपनी टीशर्ट तो उतार दिया पर अपनी निक्कर नहीं उतरना चाहता था.
हम दोनों ने कई बार एक दूसरे को नंगा देखा था तो उसकी वो बात मुझे अच्छी नहीं लगी.

फिर भी मैंने अपनी पेटीकोट उठा के उसे अपनी बिना बालों वाली सुन्दर चूत का दर्शन करवाए।

अजय ने यह देख के तुरंत अपनी निक्कर उतार दी और अपना बिना बालों वाले 7 इंच के लंड दिखाया।
उसने भी अपने नीचे के बालों को मेरे कहने पे साफ़ कर लिया था।

यह देख के हम दोनों ने एक साथ वाओ बोले और नज़दीक आकर एक दूसरे के अंगों को छूने सहलाने लगे।
जल्द ही अजय का लंड खड़ा हो गया।

उसने मेरा पेटीकोट और अपनी निक्कर उतार दी और मेरे बदन को पागलों की तरह चूमने सहलाने लगा।
मैंने भी उसका लंड पकड़े हुए खुद को उसे सौंप दिया।

बाथरूम में ये सब करना असुविधाजनक लग रहा था तो मैं उसे उसके लंड से खींच के रूम में ले आई और वहाँ बेड पे लिटा के उसके उसके ऊपर चढ़ के चूमने लगी और अजय का लंड अपनी चूत में रगड़ने लगी।

अजय की सांसें तेज चल रही थी.
मैंने धीरे से पूछा- पहली बार क्या?
उसने शरमाते हुए हाँ कहा।

मैं समझ गई थी कि अब सब मुझे ही करना है।

तो मैं अजय को लिटा के धीरे से अपनी चूत को उसके खड़े लंड पे सेट करके धीरे धीरे बैठने लगी और धीरे धीरे अजय का लंड मेरी चूत में समाता चला गया।
अजय लेटा हुआ अपनी गर्दन उठा के यह सब देख रहा था।

फिर मैंने अजय के लंड पे सवार होके जी भर के चुदवाया और फिर अजय ने मेरे साथ ही अपना पानी मेरे चूत की गहराई में छोड़ दिया।

हम दोनों कुछ देर तक वैसे ही लेटे रहे।

थोड़ी देर बाद जब आंख खुली तो मैं अब भी अजय के ऊपर और अजय का लण्ड मेरे अंदर था, जो धीरे धीरे अपना आकर ले रहा था।
मैंने पूछा- मजा आया?
उसने शरमाते हुए हाँ कहा और मेरी चूचियों में अपना मुँह छिपा लिया।
 

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मम्मी का चाचा से पुनर्विवाह और गर्मागर्म सेक्स- 1



दोस्तो, मैं रिशांत जांगड़ा आपके सामने अपनी मम्मी की चाचा जी के साथ शादी की कहानी पेश कर रहा हूँ.

अगर आप इस कहानी को आधा अधूरा पढ़ने वाले हैं, तो रहने दें, क्योंकि फिर आप इसका आनन्द नहीं उठा पाएंगे. हां अगर आप इसे पूरा पढ़ेंगे, तो आपको वो आनन्द आएगा, जो आपने आज तक नहीं पढ़ा होगा.

इसमें कहानी में आप पढ़ेंगे कि मेरी विधवा मम्मी का पुनर्विवाह उनसे उम्र में 5 साल छोटे मेरे चाचा के साथ हो जाता है.
फिर दोनों किस तरह से अपनी वासना की पूर्ति करते हैं.

तो शुरू करते हुए आपको बता दूँ कि मेरे घर में मैं (ऋशु) 22 साल का, मेरी मम्मी रेखा 41 साल की, बहन सुरभि 20 साल की, भाई अनमोल 18 साल का, चाचा नरेश 36 साल के और दादा-दादी रहते हैं.

मेरी मम्मी का रंग गेहुंआ है और थोड़ा भरा हुआ बदन है.
उनके स्तनों की बनावट उनके शरीर को बहुत अच्छा लुक देती है क्योंकि मम्मी के स्तन आज भी एकदम गोल और सख्त हैं, जोकि हर मर्द को लाजवाब लगते हैं.
कभी कभी मैं भी उनकी तरफ आकर्षित हो जाता हूं.

चाचा दिल्ली में डीडीए में सरकारी नौकरी करते हैं. उनका रंग सांवला है, शरीर से तंदुरुस्त हैं. उनका रहन सहन अच्छा है.

ये 22 मई 2015 की बात है. मतलब ये 6 साल पहले की ये घटना है.

मेरे पिता की ज्यादा शराब पीने से तबियत खराब हो गई और उनका स्वर्गवास हो गया था.

इसका सीधा असर मम्मी पर पड़ा था. पापा के जाने के बाद मम्मी बहुत उदास रहने लगी थीं.

समय बीतता गया और देखते ही देखते एक साल से ज्यादा गुजर गया.

फिर घर में चाचा की शादी की बात चलने लगी कि उनकी उम्र हो रही है.

दादा दादी चाचा की शादी मम्मी से करवाने की सोचने लगे.

तो दादा जी ने चाचा को इस बारे में बात करते हुए समझाया- देख बेटा, लड़की देखने में समय लगता है या आज का माहौल को तो तू जानता ही है. रेखा बहुत अच्छे परिवार से है … क्यों ना तू उसी से शादी कर ले.

चाचा- नहीं पिताजी वो मेरी भाभी है, ये बात मैं सपने में भी नहीं सोच सकता. उसके बच्चे भी इतने बड़े हैं, वो भी इस बात से खुश नहीं होंगे, आपने ये क्या बात कर दी है!

दादाजी- बेटा मैं सही कह रहा हूं. क्या हो गया अगर वो विधवा है तो … क्या उससे दोबारा जिंदगी जीने का हक नहीं है? वो भी इंसान है और इतने दिनों से हमारे घर का ख्याल रख रही है. तुम सबका ठीक से ध्यान रख रही है. इसलिए मैं तुझसे कह रहा हूं कि तू रेखा से शादी के लिए हां कर दे.

चाचा से बहुत देर तक बातचीत करने के बाद चाचा जी ने कहा- ठीक है पिताजी … मुझे थोड़ा समय चाहिए और मैं भाभी से भी इस बारे में बात करूंगा.
दादाजी- ठीक है बेटा अच्छा से सोचना.

चाचा चले गए.

दादा जी के इशारे पर दादी यही बात मम्मी को समझाने के लिए गईं.

दादी- रेखा, बेटा तुझसे एक बात करनी थी.
मम्मी- जी मांजी कहिए.

दादी- बेटा तुझे तो पता ही है कि घर में कितना बड़ा हादसा हुआ है. एक औरत होने के नाते मैं समझ सकती हूँ कि तुझ पर क्या बीत रही है. इसलिए तेरे ससुर और मैंने निर्णय लिया है कि तू नरेश से …

मम्मी ने दादी की बात काटते हुए कहा- मांजी मैं आपकी बहुत इज़्ज़त करती हूँ और मेरे बारे में इतना सोचने के लिए अच्छी बात है. पर अब मैं दोबारा शादी करने का नहीं सोच सकती हूँ क्योंकि ना तो मेरी उम्र रह गई है और बच्चे भी बड़े हो गए हैं.

दादी- बेटा उम्र हो गई है … तो क्या हो गया. तुझे भी जिंदगी में आगे बढ़ना चाहिए. अभी तू कौन सी बूढ़ी हो गई है. मैं तो बस यही चाहती हूं कि घर में अच्छी बहू आए और इस घर में तेरे से अच्छी बहू कौन हो सकती है. नरेश एक अच्छा लड़का है और उसकी सरकारी नौकरी भी है.

मम्मी कुछ सोचने लगीं.

चाचा दिल्ली विकास प्राधिकरण में यूडीसी की पोस्ट पर थे.

दादी- देख बेटा मान जा, तुम दोनों की खुशी के लिए ही मैं कह रही हूं. नरेश भी तुझसे इस बारे में बात करने वाला है.
मम्मी सोचती हुई- मांजी, आप नरेश से ही इस बारे में बात कर लीजिए.
दादी- हां वो पहले ही तेरे ससुर जी ने नरेश से बात कर ली है. बस तुम दोनों आपस में बात कर लेना.

थोड़ी देर बाद चाचा मम्मी के रूम में आए.
उस समय मैं मम्मी के रूम में सोया हुआ था.

चाचा- भाभी.
मम्मी- हां नरेश, कहो.

चाचा- आपसे कुछ जरूरी बात करनी थी.
मम्मी- हां बोलो.

चाचाजी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा- यहां नहीं, अकेले में.
मम्मी- यहां बात कर सकते हैं, रिशु सोया हुआ है.

मम्मी की नजरों में मैं सोया हुआ था जबकि मेरी केवल आंखें बंद थीं और मैंने अपना मुँह उन दोनों की तरफ ही किया हुआ था.

चाचा- भाभी, पिताजी मेरे पास आए थे और वो मेरी शादी आपसे करने के लिए कह रहे थे.
मम्मी आंखें नीची करते हुए कहा- हां, मांजी भी मेरे पास यही बात करने के लिए आई थीं. तुम खड़े क्यों हो, बैठ जाओ न!

मैंने अपने कानों को दोनों की बात सुनने के लिए थोड़ा और खोल दिए.

चाचा मम्मी के पास ही पलंग पर बैठ गए.

उस समय मम्मी ने गहरे गले का काले रंग का सूट पहना था, जो थोड़ा ज्यादा ही टाइट था.
मम्मी के स्तनों की उठान कुछ ज्यादा ही कामुक दिख रही थीं.
हालांकि मम्मी ने चाचा के आते ही अपने गले में चुन्नी डाल ली थी.

चाचा- तो भाभी इस बारे में आपकी क्या है?
मम्मी- देखो नरेश, तुम मेरे देवर हो और मेरे बारे में सब जानते ही हो. मैं तुमसे उम्र में भी 6 साल बड़ी हूं. मेरे बच्चे भी बड़े हो गए हैं, तो ये सब फैसला मैं तुम पर ही छोड़ती हूं क्योंकि मैं किसी पर बोझ नहीं बनना चाहती हूं. तुम जो भी फैसला लोगे, मैं उसी में सहमत होऊंगी.

चाचा- भाभी, ये आप कैसी बात कर रही हो, आप किसी पर भी बोझ नहीं हो … बल्कि आपने इस घर को अच्छे से ही चलाया है. मैं सब कुछ समझता हूँ और बस आखिरी बार पूछता हूँ कि आपको इस शादी से कोई ऐतराज तो नहीं है?
मम्मी थोड़ा चुप रहने के बोलीं- अगर तुमको कोई ऐतराज़ नहीं है, तो मुझे भी नहीं है.

चाचा- ठीक है भाभी, तो मैं आपसे शादी करने के लिए तैयार हूँ.
मम्मी थोड़ी धीमी आवाज में बोलीं- एक बार फिर से सोच लो नरेश, मैं तुमसे कोई जबरदस्ती नहीं कर रही हूँ.

चाचा- हां भाभी आप मुझे पसंद हो और क्या आपको मैं पसंद हूँ?
मम्मी एक हल्की सी मुस्कान के साथ बोलीं- हां, मुझे भी तुम पसंद हो.

चाचा ने भी एक हल्की सी मुस्कान के साथ मेरी मम्मी को थोड़ी देर तक ऊपर से नीचे तक देखा और बिना कुछ कहे बाहर चले गए.

मैंने देखा कि मेरी मम्मी के चेहरे पर एक शानदार दमक सी आ गई थी और वो बहुत खुश लग रही थीं.

फिर उसी दिन शाम के समय चाचा और मम्मी ने हम तीनों भाई बहनों को एक साथ बुलाया और हमसे भी इस बारे में बात की.

चाचा ने हम सभी को पूरी बात बताई और पूछा कि तुम लोगों को तो इस शादी से कोई ऐतराज़ नहीं?

हम तीनों ने भी समझदारी के साथ उन्हें कह दिया कि हमको किसी तरह का कोई ऐतराज नहीं है.

सच में दोस्तो, चाचा और मम्मी हम तीनों के मुँह से अपनी शादी के लिए हां सुनकर बहुत खुश हो गए थे.

फिर सबके सामने इस बात की रजामंदी हुई और करीब एक माह बाद की दस तारीख को उन दोनों की शादी होना तय हो गई.
दोनों की रजामंदी से निर्णय लिया गया कि मंदिर में ही शादी होगी मगर इससे पहले उनकी कोर्ट में शादी होगी.

शादी की कानूनी प्रक्रिया पूरी हो गई.

इसके बाद कोर्ट से सर्टिफिकेट मिलते ही हम सब मंदिर में गए.
उधर हम तीनों भाई बहन, मेरे नाना-नानी, दादा-दादी सब आए थे.

पंडित जी ने ईश्वर को साक्षी मानकर मंत्र पढ़े.
इसके बाद चाचा जी ने मम्मी की मांग में सिंदूर भरा, वरमाला हुई और गले में मंगलसूत्र डाल दिया.

इस सबके बाद पंडित जी बोले- ये विवाह संपन्न हुआ.
सभी ने तालियां बजाईं.

फिर पंडिज जी ने चाचा से कहा- बेटा, तुमने ये शादी करके उसे एक नई जिंदगी दी है और एक नेक काम किया है. भगवान तुम दोनों को सुखी रखे.

मम्मी और चाचा जी ने पंडित जी, दादा-दादी या नाना-नानी का पैर छूकर आशीर्वाद लिया.

मेरे नाना-नानी ने भी दोनों को आशीर्वाद दिया.
उन्होंने चाचाजी से कहा- नरेश बेटा ,सच में तुमने हमारी बेटी से शादी करके बहुत बड़ा अहसान किया है.

इस पर चाचा जी ने नाना-नानी से कहा- आप ये कैसी बात कर रहे हैं. ये कोई अहसान नहीं बल्कि मेरा फ़र्ज़ था.

चाचा की इस बात पर मम्मी ने चाचा जी की तरफ देखा और थोड़ा हंस दीं.
शायद उनको चाचा जी की ये बात बहुत अच्छी लगी थी.

शादी होने के बाद हम सब लोग मंदिर से घर आ गए.

घर आने के बाद नाना-नानी घरवालों से विदा लेकर अपने घर चले गए.

लगभग रात के 9:00 बजे सब लोगों ने खाना खाया और बात करने लगे.
करीब 10:00 बजे दादा-दादी सोने चले गए.

फिर 5 मिनट बाद सुरभि और अनमोल चाचाजी के कमरे में सोने के लिए चले गए.
मैं रोज़ की तरह मम्मी के कमरे में जाकर लेट कर सोने का नाटक करने लगा था.

ये मेरी रोज की आदत थी. पिताजी के जाने के बाद मैं मम्मी के साथ ही सोता था.

अब मुझे आपको ये तो बताने की जरूरत नहीं है कि शादी की पहली रात सुहागरात कहलाती है.
मेरी मम्मी तो अपनी पहली सुहागरात पापा के साथ मना चुकी थीं लेकिन चाचा की तो ये पहली हसीन रात होने वाली थी.

मम्मी डिनर के बाद बर्तन साफ करके उठीं और किचन की लाइट ऑफ करके अपने रूम में आ गईं.
चाचाजी उस समय वॉशरूम में थे.

मम्मी के कमरे में एक बड़ा पलंग है जिस पर अच्छी खासी जगह है.

मैं कमरे में सोने का नाटक कर रहा था.

मैंने आज तक किसी को संभोग करते हुए नहीं देखा था.
फिर आज तो पापा के अलावा कोई और मर्द मेरी मम्मी के साथ ये सब करने वाला था.

ये मेरे लिए बड़ा कौतूहल का विषय था और मेरी हमेशा से ही ये कल्पना थी व मेरे मन की एक गहरी इच्छा थी कि मैं अपनी मम्मी को किसी दूसरे मर्द से संभोग करते हुए देखूं.

अब मम्मी रूम में आकर अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चली गईं.

जब दस मिनट बाद वो बाहर आईं तो मैं उन्हें देख कर हैरान रह गया.

उस समय मम्मी ने लाल रंग की साड़ी और पीठ से खुला हुआ ब्लाउज पहना हुआ था.
वो चुस्त सा ब्लाउज उनके मम्मों को एक अच्छा आकार दे रहा था.

मैं एक तरह से मूक दर्शक की तरह कमरे के दरवाजे में लेटा था.

उस दिन मैं एक पल का भी मौका अपने हाथों से नहीं देने जाना चाहता था.

मम्मी ने अपने आपको आईने में देखा और अपने सुंदर बालों से क्लिप निकालकर उन्हें खोल दिए.
वो शीशे में हर एंगिल से खुद को निहार रही थीं और मस्कुराती हुई देख रही थीं. बार बार अपनी साड़ी के पल्ले को झटका मार कर सही कर रही थीं और अपने पेटीकोट को सैट कर रही थीं.

उनकी इन हरकतों से साफ जाहिर हो रहा था कि आज रात को जो होने वाला था, वो मम्मी के लिए कितना आनन्दमय होने वाला था.

फिर मम्मी ने ड्रेसिंग टेबल से एक लाल रंग की लिपस्टिक उठाई और अपने होंठों में लगाने लगीं.
वो अपने नर्म होंठों को पप पप करके पूरे होंठों पर लिपस्टिक को एकसार कर रही थीं.

दोस्तो, मैं आपको बता नहीं सकता कि मैं उस समय अपने आपको कितना संभाले हुए लेटा था.
मेरा मन कर रहा था कि मम्मी को सामने से जाकर अपनी बांहों में भींच लूं और उनके लिपस्टिक लगे होंठों को अपने होंठों में भर लूं और गहरा चुंबन देकर उनको बिना किसी रुकावट के देर तक चूसता रहूं.

अब रात के 10:45 का समय हो गया था.

लिपस्टिक लगाने के बाद मम्मी पलंग की चादर को ठीक ही कर रही थीं कि इतने में ही चाचा ने दरवाजा खटखटाया.

मम्मी के चेहरे पर एक कातिल मुस्कान आ गई और वो दरवाजा खोलने से पहले अपने ब्लाउज के ऊपर से साड़ी को थोड़ा एक तरफ को सरका कर सैट करने लगीं.
इससे उनके मम्मों के बीच की दरार कुछ ज्यादा दिखाई देने लगी.

इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मेरी मम्मी 6 साल से संभोग करने के लिए कितनी प्यासी रही होंगी.

मम्मी ने शर्माते हुए गेट खोला.
सामने चाचा जी खड़े थे.

दोनों एक दूसरे को देख कर मंद मंद मुस्कुराने लगे थे.
फिर मम्मी एक तरफ को हो गईं और चाचा जी कमरे के अन्दर आ गए.

मम्मी बेड पर बैठ गईं और चाचा मुझे लेटा देख कर कुछ सोचने लगे.

फिर चाचा ने मम्मी से कहा- भाभी ये यहां क्या कर रहा है?
मम्मी- उस दिन से ये मेरे अकेलेपन की वजह से यही सोता है और अब भी सो रहा है.

चाचा- तो इसे उठा दो और मेरे कमरे में भेज दो.
मम्मी- जाने भी दो, गहरी नींद में सोया हुआ है … उठाने से उसकी नींद खराब हो जाएगी.

चाचाजी- अगर रात में उठ गया तो?
मम्मी ने हल्की आवाज में हंसते हुए कहा- नहीं उठेगा, ये एक बार सो जाता है तो सीधा सुबह ही इसकी आंख खुलती है. मैं कई बार चैक कर चुकी हूँ.

चाचा- पक्का ना?
मम्मी- ओहो, बिल्कुल पक्का. नहीं उठेगा वो. अब आप बैठ भी जाओ, खड़े क्यों हो?

चाचा बैठते हुए- लो जी मैं बैठ गया.
मम्मी- इतनी दूर क्यों बैठे हो, पास आ जाओ न!

चाचा थोड़ा झिझकते हुए मम्मी के पास सरक आए.

मम्मी चाचा की हिचकिचाहट समझती हुई खुद ही उनके पास सरक आईं.

अब आगे क्या होगा, यही सोच कर मैं अपने अन्दर सनसनी महसूस कर रहा था.
 
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