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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

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junglecouple1984

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मम्मी का चाचा से पुनर्विवाह और गर्मागर्म सेक्स- 2



पहले भाग

में अब तक आपने पढ़ा था कि मम्मी की सुहागरात का खेल शुरू होने वाला था. मम्मी चाचा जी के पास सरक आई थीं.

अब आगे

चाचा थोड़ा चुप रहने के बाद बात शुरू करने लगे- भाभी, आप बहुत अच्छी लग रही हैं.
मम्मी- अब भी मुझे भाभी बोलोगे? शादी हो चुकी है हमारी!

चाचा- ठीक है जी, आप ही बता दो कि मैं क्या कहूँ?
मम्मी- इसमें कहने वाली क्या बात है, नाम लेकर बुलाया करो मेरा.

चाचा- ठीक है रेखा, अब से मैं तुम्हें तुम्हारे नाम से पुकारूंगा.
मम्मी ने शर्माती हुई चाचा की तरफ नज़र डाली और नज़रें नीची कर लीं.

अब दोनों चुप बैठे थे, जैसे उनके पास करने के लिए कुछ बात ही ना हो.

लेकिन दोस्तो, आपको तो पता ही है कि एक मर्द के लिए औरत अपने मन में क्या रखती है. वो भी उस दिन, जब उसकी पहली रात हो.

इसी के चलते हुए हिम्मत करके चाचा ने शुरू किया.
उन्होंने मम्मी का हाथ पकड़ा और उन्हें देखने लगे.

मम्मी की आंखों में एक अलग ही प्यार भरी सी बात दिखी और वो चाचा की ओर देखने लगीं.

इसी के साथ चाचा मम्मी की आंखों में देखते हुए कहने लगे- रेखा, तुमसे आज बहुत कुछ कहने का मन है, अगर तुम इजाजत दो, तो कहूँ.
मम्मी- इसमें इजाज़त कैसी, अपनी पत्नी से आप कुछ भी कह सकते हैं और ये आपका हक भी है.

मम्मी ने जब ये कहा तो समझो कि चाचा का मन खुल गया. शायद वो मम्मी के यही कहने का इंतजार कर रहे थे.

चाचा ने मम्मी के दोनों कंधों पर हाथ रखकर एकदम हल्के से उन्हें बिस्तर के सिरहाने की तरफ धकेल दिया.
मम्मी भी बिना किसी ऐतराज के लेट गईं.

चाचा मम्मी के बालों में हाथ फिराने लगे- रेखा, तुम मुझे पसंद तो शुरू से ही बहुत थीं और मैं तुम उसी समय से अपने में दिल तुम्हें बहुत चाहता था. बस यूं समझ लो कि पिछले पांच साल से मैं अपने जिन अरमानों को पकड़ कर बैठा था, आज उन अरमानों को पूरा करने का दिन आया है.

ये सब बातें शुरू होते ही मैंने अपने कानों को चार गुना और ज्यादा खोल लिया था ताकि मैं उनकी हर एक बात को सुनने का आनन्द ले सकूँ.

मम्मी- देखिए जी, पहले की बात अपनी जगह ठीक है, लेकिन आज से मैं आपकी पत्नी हूं और आपके जो भी अरमान हैं, आप उन्हें बिना कुछ कहे पूरा कर सकते हैं.

मेरी मम्मी की इस बात का मतलब तो आप अच्छी तरह से समझ गए होंगे कि मम्मी चाचा को संभोग करने के लिए खुला निमन्त्रण दे रही थीं.

मम्मी की ये बात सुनते ही मानो चाचा की आंखों में नशा सा चढ़ गया.
वो मम्मी के मुँह के बहुत करीब आ गए. यूं समझ लो कि बस दोनों के होंठ एक दूसरे से मिलने ही वाले थे.

यह दृश्य देख कर मेरे लंड में एक अजीब सी सुरसुराहट सी होने लगी थी.

आखिर वो दिन आ ही गया, जिसका मैं कई दिनों से बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहा था.
आज मैं चाचा और मम्मी का संभोग देखने वाला था.

चाचा ने अपना एक हाथ मम्मी के होंठों पर फिराना शुरू कर दिया.
उनकी कुहनी मम्मी के दूध से छू रही थी या यूं कहूँ कि चाचा एक साथ मम्मी के होंठों को सहला भी रहे थे और अपनी कुहनी से मम्मी के मम्मे मसल से रहे थे.

मम्मी गहरी गहरी सांसें ले रही थीं जिसकी वजह से उनके दूध तेजी से ऊपर नीचे हो रहे थे. मम्मी की लिपस्टिक बहुत हॉट लग रही थी.

चाचा कह रहे थे- रेखा तुम्हारे मुँह से निकली हुई गरम सांसों के साथ ऐसी खुशबू मुझे बहुत ही मदहोश कर रही है.
तो मम्मी ने शर्माते हुए कहा- मुझे भी आप …

मम्मी के इतना कहते ही, चाचा ने मम्मी पर लगभग झपटते हुए अपने होंठ मम्मी के नीचे वाले होंठ पर लगा दिए और बुरी तरह से चूसने लगे.

‘उममम्म … मुउउउह … आआह …’
‘ओह्ह्ह उंहन … उंह … उंहन … सुडुप्प … सुडुप्प … अम्म्मम्म … पुच … पुच.’

चाचा मम्मी के होंठों और जीभ को चूसते हुए उनका नाम ले रहे थे.

‘मम्मम… मुउउह … ओह रेखा … आह … तुम कितनी अच्छी हो मेरी जान … उंह … उंहन … हाय मेरी गुल बदन … ओह्ह्ह … तुम्हारे नमकीन होंठ … पुच … पुच …’

चाचा की ये आवाज और शब्द आज भी मेरे कानों में गूंजते हैं, ‘हाय मेरी गुल बदन … ओह्ह्ह … तुम्हारे नमकीन होंठ … पुच … पुच …’ मैं आज भी उन शब्दों को याद करके एकदम से उत्तेजित हो जाता हूँ.

फिर वो दोनों एक दूसरे की जीभ से जीभ लड़ाते हुए खेलने लगे थे.

मम्मी भी चाचा के चुम्बन का पूरा आनन्द ले रही थीं और अपने मुँह से मादक आवाज निकाल रही थीं- उन्ह आंह ओह नरेश … उउम्म्म … उउम्मम … उउउम्मम … कितना अच्छा लग रहा है उम्म्म!

चाचा तो मम्मी का चुम्बन ले ही रहे थे, पर मम्मी भी चाचा का इस क्रिया में पूरा साथ दे रही थीं.
वो चाचा के होंठ और जीभ को चूस रही थीं.

मैं सुध-बुध खोकर इस आनन्ददायक दृश्य का लुत्फ ले रहा था.

चाचा मम्मी के होंठों को बराबर चूस और चाट रहे थे.
इसके अलावा वो मम्मी के होंठों पर हल्के से से काट भी रहे थे.

चाचा के दांतों में मम्मी के होंठों का खिंचाव देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था, इससे मम्मी और भी कामुक हो रही थीं.

चुम्बन के दौरान दोनों का थूक एक दूसरे के मुँह में अमृत बन कर रिस रहा था.
चाचा और मम्मी एक दूसरे का थूक पी भी रहे थे.

तकरीबन आधे घंटे तक ये कार्यक्रम चला और मस्ती की बात तो ये थी कि दोनों अपनी शारीरिक क्रिया में इतने मशगूल थे कि वो कमरे की लाइट भी बंद करना भूल गए थे.

मम्मी के होंठों को जी भरके चूसने के बाद चाचा मम्मी की गर्दन पर आ गए और उनकी गर्दन से लेकर मम्मों की क्लीवेज तक वो मम्मी के बदन को चूमने लगे.

‘अम्म्म … हह्ह … अम्म्म … हहह …’

कुछ देर बाद चाचा ने अपनी बड़ी सी जीभ बाहर निकाली और मम्मों की दरार पर रखकर चाटने चूमने लगे.

वो मम्मी के बदन को चूसते हुए ही अपने दांतों से काटने भी लगे थे.

चाचा के दांतों से मम्मी के स्तनों को खींचना मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.

‘ओह मेरी जान … आउउउउम्म … आउउउउम्म … आउउउउम … पुच … पुच …’

चाचा मम्मी के गर्दन को चूमते हुए उनसे कह रहे थे- ओह्ह रेखा … मेरी गुलबदन तुम्हारे बदन की खुशबू में एक अजीब सी कशिश है. तुम नहीं जानती कि सालों से मैं तुम्हारे बदन का प्यासा था और अब से पहले मैंने तुम्हारे बदन को ऊपर से नीचे तक आंखों से पिया है. सारे दिन तुम्हारे इन रस भरे मम्मों के दीदार करना मेरी आदत सी बन गई थी. तुम नहीं जानती कि तुम्हारी एक एक सांस से तुम्हारे मम्मों का ऊपर नीचे होना मुझे कितना उत्तेजित करता था. कितनी ही बार मैंने तुम्हें सोती हुई देख कर हस्तमैथुन भी किया है. बाथरूम में तुम्हारे बदन से निकले कपड़ों को सूंघकर तुम्हारे बदन की खुशबू ली है, तुम्हारी रस से भीगी कच्छी को अपने लंड पर लगा कर अनेकों बार हस्तमैथुन करके उसमें अपना वीर्य निकाला है. होली पर रंग लगाने के बहाने तुम्हारे गाल, गर्दन, कान, होंठ, पीठ, दूध, पेट या तुम्हारे बाल … इन सब पर हाथ फेरना मुझे बहुत उत्तेजित करता था. तुम्हारे जिस्म को छूते ही मेरे शरीर में करंट सा दौड़ जाता था. तुम जब भी साड़ी पहनती थीं, मुझे कयामत लगती थीं और उस दिन मैं तुमसे अकेले में सिर्फ इसी लिए बात करता था कि तुमको जी भरके देख सकूं.’

मम्मी चाचा जी की बातों को सुनकर बड़ी खुश दिख रही थीं.

‘मेरे मजाक पर तुम्हारा हंसना, बातों बातों में तुमको छूना, तुम्हारे बड़े बड़े और मुलायम स्तनों को देखना, तुम्हारी पतली सी कमर और गहरी नाभि को देखना, ये सब मुझे बहुत मदहोश कर देता था. होली का इंतजार मैं पूरे साल सिर्फ तुमको छूने और अपनी बांहों में भरने के लिए ही करता था. तुम्हारे बदन का रस मैं सालों से चखना चाहता था.

मम्मी इसके जवाब में अपनी आंखें बंद करके सिर्फ ‘आंह नरेश … आज से मैं तुम्हारी हुई … आह चख लो मुझे … जितना पाना है पा लो मुझे … आह …’ की आहें भर रही थीं.

सच बताऊं तो दोस्तो, चाचा की मम्मी के लिए इच्छाएं अपने कानों से सुनकर मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि एक देवर के मन में अपनी भाभी के लिए इतनी हवस भी हो सकती है.

फिर चाचा मम्मी के ब्लाउज का हुक धीरे धीरे खोलने लगे. हुक खोलते हुए चाचा के हाथों से मम्मी के स्तनों पर हल्का हल्का दबाव पड़ रहा था और वो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.

चाचा ने एक कर के सारे हुक खोल दिए और ब्लाउज को एक तरफ रख दिया.

क्या बताऊं … क्या ही मस्त नजारा था.
उस दिन मम्मी ने काले रंग की जाली वाली ब्रा पहन रखी थी और उस ब्रा में मम्मी के बड़े स्तनों को देख कर मेरी वासना भड़क उठी थी.

चाचा ने भी अपनी टी-शर्ट उतार दी और फिर बनियान भी अलग कर दी.

दोस्तो, ये वासना की आग इतनी कामुक होती है कि इसके अलावा उस दिन से मेरा कुछ और देखने का मन ही नहीं करता था.

फिर चाचा मम्मी के बड़े मम्मों पर अपने होंठ रखकर चूसने लगे.
वो मम्मी के दोनों मम्मों को अपने हाथों से दबाने का मजा ले रहे थे.

मम्मी भी बहुत कामुक होकर आवाजें निकाल रही थीं- मम … उउउम्मम्म … उउम्मम! ‘अह्म्मम … अइइई इइइ … इस्स यस … अह्म्म्म … नरेश अइई!

चाचा बहुत ही मस्ती से मम्मी के नाज़ुक नाज़ुक मम्मों के दोनों निप्पलों को बारी बारी से मुँह में लेकर चुस्कियाँ ले रहे थे.
मेरी मम्मी को चाचा के होंठों से मम्मे मसलवा कर अपने निप्पल चुसवाने में बड़ा मजा आ रहा था.

फ़िर चाचा ने दूध चूसने की गति बढ़ा दी.
अब वो मम्मी के मम्मों को पूरा मुँह में भर कर जोर जोर से चूसने लगे थे और मम्मी से बुरी तरह से लिपड़ गए थे.

‘अह … नरेश … थोड़ा आराम से करो … आंह बस करो …’ मम्मी अपनी चूची चुसवाती हुई इस तरह की आवाजें निकालती हुई बहुत ही मादक लग रही थीं.

मेरा मन कर रहा था कि मैं खुद ही जाकर उनके मम्मों को बुरी तरह से चूस लूं.
अपनी मम्मी के गोरे मम्मों को देख कर कोई भी मर्द अपना पानी छोड़ देगा.

सच बताऊं तो कई बार मैंने भी उनके मम्मों को चूसने की कल्पना करते हुए अपने लंड की मुठ मारी है.

उस समय मेरी मम्मी इतनी ज्यादा गर्म हो चुकी थीं कि उनके दूध बिल्कुल सख्त और निप्पल एकदम खड़े हो गए थे.

अब चाचा मम्मी के खड़े हुए निप्पलों पर अपनी गर्म जीभ की नोक रखकर उन्हें अपनी जीभ से सहलाने लगे.

‘अयय … अय्यायिये … मर गई नरेश … आह आग लगा दी है तुमने.’
‘आह रेखा … मैं ही बुझाउंगा तुम्हारी इस आग को.’

मेरी मम्मी के निप्पल के चारों तरफ एक काला गोलाकार ऐरोला था और वो ऐरोला बहुत ही कामुक था.

चाचा गोलाकर ऐरोला पर अपनी जीभ चलाने लगे थे. मम्मी बुरी तरह से सिसकियां लेने लगी थीं ‘इस्स आंह नरेश …’

लगभग दस मिनट तक स्तनपान करने के बाद चाचा ने मम्मी को पलंग पर सीधा लिटा दिया.
उस वक्त मेरी मम्मी केवल ब्रा और पेटीकोट में ही दिख रही थीं.

चाचा मम्मी के पेट पर अपना हाथ फिराने लगे और मम्मी अपनी आंखें बंद करके इसका आनन्द लेने लगी थीं.

कुछ देर पेट सहलाने के बाद चाचा मम्मी के पेट पर अपना मुँह रखकर उसे चूमने और उसकी पुच्चियां लेने लगे ‘उम्म्मह … उम्म … उम्मः … पुच्छ … पुच्छ्च …’

फिर पता नहीं चाचा को क्या हुआ, उन्होंने बुरी तरह से पागलों की तरह मम्मी के पेट पर काटना और उसे चाटना शुरू कर दिया.

मम्मी के पेट को अपने मुँह में भरकर तेज तेज चूमने लगे. इसके बाद वो अपने दो हाथों को मम्मी के पेट पर ले जाकर उसे भी मसलने लगे.

‘आउम्म … आउउम्म … हाह्ह्ह … ओह रेखा … मुह्ह्ह … मुह्ह … तुम्हारा ये गर्म बदन का स्पर्श मुझे बावला सा कर रहा है, मैं तुम्हारे बदन के आगोश में पूरी तरह से समा जाना चाहता हूं मेरी जान.’

चाचा मम्मी की नाभि पर अपना मुँह रखकर जोर से दबाने लगे, ऊपर नीचे और गोल गोल करके अपने होंठ रगड़ने लगे.

वो अपनी दाड़ी को मम्मी की नाभि और पेट पर बहुत जोर से रगड़ने लगे.

उधर मम्मी भी जोर जोर से सिसकारियां भरती हुई अपने हाथों से चाचा के सर को सहलाने लगी थीं.

‘आह्ह म्म्म … आआआ आआ …’

दोस्तो, वो दृश्य इतना कामपूर्ण था कि मेरी आंख एक पल के लिए भी नहीं झपकी.

मेरे लंड में पूरी तरह से तनाव आ गया था, पर चाचा बराबर मम्मी के मम्मों और नाभि से खेले जा रहे थे.

फ़िर उन्होंने मम्मी की नाभि में उंगली डालकर घुमाई, शायद वो नाभि की गहराई नाप रहे थे.

इसके बाद उन्होंने नाभि में थूक दिया और फिर उसमें अपनी जीभ डालकर उसे अपनी जीभ से सहलाने लगे, उसमें जीभ को घुमाने लगे.

उस दिन मेरी समझ में आया कि औरत का शरीर एक मर्द की भूख मिटाने के लिए कितना जरूरी होता है.

मैं इस वक्त एकदम से कामुक हो गया था.
 

junglecouple1984

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मम्मी का चाचा से पुनर्विवाह और गर्मागर्म सेक्स- 3




पिछले भाग

में अब तक आपने पढ़ा था कि चाचा जी मेरी मम्मी की नाभि में अपनी जीभ घुमा रहे थे और मस्त आवाजों के साथ कमरे के माहौल गर्म हो रहा था.

अब आगे

चाचा ने अपनी जीभ से मम्मी का सारा पेट गीला कर दिया था और चाचा के थूक में सनी हुई मम्मी की चिपचिपी कमर बहुत ही उत्तेजक लग रही थी.

मम्मी की सांसें तेज तेज चल रही थीं.

इसके बाद चाचा मम्मी के पेट पर दूसरे गाल की तरफ वाला हिस्सा रख दिया और अपने दोनों हाथों से मम्मी की कमर को जकड़ लिया.
वो गहरी गहरी सांस लेने लगे थे.

मम्मी- क्या हुआ?
चाचाजी- आह कुछ मत बोलो.

मम्मी- बताओ ना?
चाचाजी- तुम्हारे बदन को महसूस कर रहा हूं मेरी जान, तुम्हारा जिस्मानी स्पर्श मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है.

मम्मी ने चाचा के सर में हाथ फेरते हुए कहा- मुझे अपने पेट पर लगीं तुम्हारे सांसों की गर्माहट बहुत ही अच्छी लग रही है नरेश.

इस सबके कुछ देर बाद चाचा ने मम्मी का पेटीकोट उठा दिया और उनकी दोनों जांघों पर अपना हाथ फेरने लगे और हल्के हल्के से दबाने लगे.

उस दिन पहली बार मैंने मम्मी की जांघ को बड़े ध्यान से देखा था, वो इतनी गोरी थी कि जैसी मम्मी रोज़ाना दूध से नहाती हों.

चाचा हाथ फेरते फेरते अपनी दाढ़ी भी मम्मी की जांघ से रगड़ने लगे.
दाढ़ी रगड़ते रगड़ते वो जांघ को चूमने लगे ‘उम्म्म … पुच्छ … पुच्छ … पुच्छ.’
इसी के साथ साथ चाचा मम्मी की जांघ को अपनी जीभ से चाटने भी लगे.

चाचा की इस क्रिया से मम्मी बहुत ज्यादा गर्मा गईं और कामुक सिसकारियां निकालने लगीं ‘आंह नरेश आह क…क्या कर दिया है … आह मर गई आंह उह …’

फिर चाचा ने मम्मी के पेटीकोट को थोड़ा और ऊपर उठा दिया.
अन्दर मम्मी ने बहुत ही मस्त जालीदार कपड़े की लाल रंग की कच्छी पहन रखी थी, उसमें से मम्मी की चुत की दरार साफ दिख रही थी.

चाचा चूमते चाटते हुए अपना हाथ उनकी कच्ची पर ले आए और कच्छी को धीरे-धीरे नीचे की ओर सरकाते हुए उतारने लगे.

फिर चाचा ने अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल करते हुए एक ही झटके में कच्छी को नीचे उतार दिया.
मम्मी ने भी अपनी गांड उठा कर चाचा को चड्डी निकल जाने में सहयोग किया.

चाचा ने मम्मी की कच्छी उतार कर फैंकी नहीं बल्कि उसको अपने हाथों में लेकर अपनी नाक से लगाकर जोर जोर से सूंघने लगे, फिर उसे एक तरफ रख दिया.

अब मैं वो चीज साफ़ देख पा रहा था, जिसको मैंने कई बार देखना चाहा था … पर कभी चाह कर भी नहीं देख पाया था.

मम्मी की चुत बिल्कुल मेरे सामने थी, एकदम काले रंग की, उस पर एक भी बाल नहीं था.
काली काली खाल लटक सी रही थी और बीच में एक सीधी फांक दिखाई दे रही थी.

मैं पहली बार अपनी आंखों के सामने किसी औरत की चुत देख रहा था.

मेरे चाचा बहुत ही भाग्यशाली थे कि उनको मेरी मम्मी मिली थीं और अब वो जीवन भर मम्मी की चुत से खेलने वाले थे.

अब चाचा ने मम्मी की दोनों टांगों को फैला दिया और मम्मी की चुत के पास जाकर अपनी उंगली को चुत में डालकर उसको चुत में अन्दर बाहर करने लगे.

उनके ऐसा करने पर मुझे चुत के अन्दर का गुलाबी भाग दिख रहा था, जो वाकयी लाजवाब था.

चाचा के ऐसा करते ही मम्मी की एक गहरी ‘इस्स …’ निकल गई और उन्होंने अपनी आंखें बंद कर ली थीं.
वो अपनी जीभ को अपने होंठों पर फिराने लगी थीं.

चाचा बराबर चुत में उंगली चलाते रहे.

फिर पता नहीं चाचा को अचानक से क्या हुआ, वो सीधा अपना मुँह मम्मी की चुत पर ले गए और उसे चूम लिया.

उसी पल मम्मी ने चाचा का मुँह अपनी चुत से हटा दिया.

मम्मी- नरेश, नहीं.
चाचा चुत के पास ही लगे लगे मम्मी से बोले- क्या हुआ?

मम्मी- नहीं, ये मत करो.
चाचा- क्यों नहीं करूं?

मम्मी- मैं कह रही हूं ना.
चाचा- नहीं, मुझे करने दो … मेरा मन कर रहा है.

मम्मी- नहीं, मत करो.
चाचा- मुझे इससे सूंघना और चाटना है. मुझे करने दो.

मम्मी- रहने भी दो.
चाचा- अरे मेरी जान क्यों मना कर रही हो?

मम्मी- देखो नरेश, तुम कुछ भी कर लो … पर ये मत करो.
चाचा- नहीं रहने दूंगा, मुझे यही करना है या मैं करके ही रहूँगा, तुम क्यों मना कर रही हो, मुझे क्यों नहीं करना चाहिए?

मम्मी- नरेश, मैंने आज तक ये नहीं किया और मुझे ये अजीब सा लग रहा है और पता नहीं, तुम इतनी इतनी ज़िद क्यों कर रहे हो?
चाचा- मैंने भी आज तक ये नहीं किया है, पर जैसे ही मुझे तुम्हारी चुत की भीनी भीनी महक आने लगी रेखा, मेरा मन करने लगा है, इसलिए मैंने अपना मुँह तुम्हारी चुत में लगाया है. अब तो मैं इसे चाट कर रहूँगा.

इतना कहते ही चाचा फिर से अपना मुँह मम्मी की चुत में लगाने लगे.

मेरी मम्मी लगातार इसका विरोध करती रहीं मगर चाचा नहीं माने.
मम्मी चाचा का सर अपनी चुत से पीछे को हटाने लगीं और अपनी टांगें भी बंद करने लगीं.

पर चाचा को पता नहीं कौन सा जूनून चढ़ा हुआ था, उन्होंने मम्मी से जबरदस्ती करते हुए उनके हाथों को चुत से हटा दिया और उनकी टांगों को फिर से फैलाने लगे.

मम्मी ने हार मान ली.

चाचा अपनी नाक चुत के मुख पर लाकर चुत की महक सूंघने लगे.
यूं समझ लो कि ये दोनों के बीच एक छोटी लड़ाई चल रही थी.

मैंने समय तो नहीं देखा, पर रात काफ़ी हो चुकी थी क्योंकि सन्नाटा इतना था कि मम्मी की चुदाई की आवाज साफ सुनाई दे रही थी.

तकरीबन दो मिनट इस छोटी सी लड़ाई के बाद चाचा ने मम्मी के दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ा और उनकी टांगों को अपनी टांगों से जकड़ लिया. फिर अपनी जीभ को बाहर निकाल कर मम्मी की चुत पर रख कर जीभ से ऊपर नीचे फेरने लगे.

मेरी मां की चुत का दाना अब चाचा की जीभ की रगड़ से कड़क होने लगा.

अब मम्मी को भी शायद अच्छा लगने लगा था और वो अपने मुँह से आवाज निकालने लगी थीं- आह हाय जोर से … आह … क्या कर दिया नरेश … आह मैंने अब तक कभी ऐसा मजा नहीं लिया था … आह मत करो … यह गंदी जगह है.

चाचा नहीं माने और चुत चाटते रहे.

मम्मी- देखो, नरेश रहने दो मत करो, मुझे बहुत अजीब सा लग रहा है.

चाचा बिना मम्मी की बात सुने उनकी चुत के दाने को चूसने, चाटने और सहलाने में लगे रहे.
मम्मी- आह्ह्ह्ह … रहने भी दो नरेश.

चाचा दाना रगड़ते हुए मस्त हुए जा रहे थे- उम्मम्म … म्मम्म … ऐइया
मम्मी चाचा के बालों को पकड़े हुए उन्हें हटाने की कोशिश कर रही थीं- ओह्ह्ह … हाहाहा … नरेश उसे मत चाटो.

चाचा चुत के दाने को बराबर चाटे जा रहे थे.

‘अइइया इइया … अइया आहया … इयाआह आइया … इया आह आइ…’

कुछ पल बाद मम्मी चाचा के सर को अपनी चुत से पीछे हटाने में कुछ सफल हो गईं- अइइ … उह … देखो मान भी जाओ … रहने दो ना … नरेश उधर अपनी जीभ मत लगाओ … अहह … अपना मुँह हटा लो वहां से!

चाचा चुत को चाटते और सूंघते हुए कहने लगे- तुम्हारी चुत में एक अलग ही स्वाद है मेरी जान. अभी मुझे इसका नशा चढ़ा हुआ है, इसकी महक ने मुझे दीवाना बना दिया है. आज मैं इसे भरपूर प्यार करूंगा.

मम्मी ने हार मान ली और वो कसमसाती हुई लेटी रहीं.

लगभग दस मिनट तक चुत चाटने के बाद चाचा ने अपनी जीभ की रफ़्तार बढ़ा दी.
अब वो मम्मी की चुत के दाने के साथ साथ पूरी चुत पर ऊपर से नीचे तक अपनी जीभ चलाने लगे.

आंह आंह की सिसकारी लेती हुई मम्मी बस कसमसा रही थीं.
अब वो धीरे धीरे चाचा के काबू में आने लगी थीं और इसका आनन्द लेने लगी थीं.

थोड़ी देर बाद उनके मुँह पर इस आनन्द की वजह से हल्की सी मुस्कान भी आने लगी थी.

चाचा ने एक बार मम्मी को देखा और फिर से मम्मी की चुत के दाने पर जोर से अपनी जीभ रगड़ने लगे.

इस बार मम्मी ने अपने होंठों को अपने दांतों से दबा लिया और दोनों हाथों से अपने सर के नीचे रखे तकिए के कोनों को जोर से भींच लिया.

दोस्तो, चाचा की इस रगड़न ने मम्मी में इतनी आग भर दी थी कि वो ऊपर की ओर उठती हुई पीठ के बल उठती हुई लगभग धनुष सी हो गई थीं. उनके मम्मों में सख्ती आ गई, उनके निप्पल एकदम कड़क हो गए थे.

उस दिन मैं अपनी मम्मी की वासना देख कर अचंभित हो गया था कि इस उम्र में भी उनमें इतनी आग है.
उनकी चुत में इतना मजा या स्वाद है कि चाचा अभी तक उनकी चुत को चूसने में लगे हैं.

अब चाचा ने अपने होंठों को चुत से निकलती खाल या यूं कहें कि चुत के होंठों पर रख दिए.
वो उन्हें अपने मुँह में भरकर उनकी लंबी लंबी चुस्कियां लेने लगे.

मम्मी को अब अपनी चुत चुसवाने में बड़ा मजा आने लगा था.
अब वो खुद ही चाचा के सर में अपनी उंगलियां चला रही थीं.

चाचा एक मम्मी की चुत की खाल को चूमने के साथ साथ उनके दाने को भी अपनी उंगलियों से रगड़ रहे थे.
पता नहीं चाचा को चुत में ऐसा क्या मिल गया था कि वो मम्मी की चुत से अपना मुँह हटाने का नाम ही नहीं ले रहे थे.

तभी पता नहीं मेरी मम्मी को अचानक से क्या होने लगा था, उनकी टांगें कंपकंपाने लगी थीं, वो बिस्तर की चादर को अपनी मुट्ठियों में भींच कर अकड़ने लगीं, गहरी गहरी और लंबी लंबी सांस लेने लगी थीं.

मम्मी- आंह … हट जाओ नरेश.
चाचा मम्मी की बात ना सुनते हुए चुत चाटने में मस्त थे.

मम्मी- आंह आह पीछे हटो नरेश.
चाचा अब भी मम्मी की बात नहीं सुन रहे थे, वो बराबर चुत चाटते रहे. बल्कि चाचा की पकड़ अब और ज्यादा मजबूत हो गई थी.

‘अइयाइ याइया … इइइ आह आइ … एइइ आह … एआहए…’
मम्मी स्खलित होने लगीं और चाचा मम्मी की चुत से निकलने वाले रस को पीने लगे.

कुछ पल बाद मम्मी ढीली पड़ने लगीं.

चाचा चुत के रस को चाटते हुए मजा ले रहे थे.

‘अइइया … अइइया … इइया … इया … इयाइया … आह … एइया … नरेश तुम बड़े जिद्दी हो.’
मम्मी हल्की सी मुस्कुराती हुई चाचा के सर पर हाथ फेरने लगीं और खूब गहरी गहरी सांसें लेने लगीं.

चाचा मम्मी की चुत का रस चाटते हुए कहने लगे- ओह मेरी गुलबदन, तुम्हारी चुत से निकलता हुआ ये नमकीन पानी तुम्हारे जैसा ही नशीला है मेरी जान … मजा आ गया.

मैं चाचा को चुत का पानी पीते देख कर एक बात तो समझ गया था कि वो बरसों से मम्मी के हुस्न के प्यासे थे.

उस दिन चाचा ने मम्मी को ऊपर से लेकर नीचे तक जी भरके चूसा था.
मम्मी हांफ रही थीं.

अब चाचा मम्मी के ऊपर की तरफ जाकर उनके गालों और गर्दन को चूमते हुए कहने लगे- तुम बहुत मस्त हो जानेमन! तुम्हारे बदन की इस भीनी खुशबू ने मुझे दीवाना बना दिया है. मन करता है कि ऐसे ही तुम्हारे बदन से लिपटा रहूँ … उन्म्म!
मम्मी मुस्कुराती हुई- तुम तो नीचे से हटने का नाम ही नहीं ले रहे थे, ऐसा भी क्या मिल गया था तुमको?

चाचा- अरे मेरी जान, मर्दों के लिए ये अमृत होता है और हर मर्द इसी चाटने के बाद जन्नत पहुंच जाता है.
थोड़ी देर बाद चाचा मम्मी को चूमते चाटते रहे, उनके थोड़ा और ऊपर आ गए.

फिर मम्मी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर ले आए.
मम्मी चाचा के लंड पर अपना हाथ फिराने लगीं.

चाचा ने अपना कच्छा उतार कर एक तरफ रख दिया.

मैंने देखा कि चाचा के कच्छे से बाहर एक काला सा और बहुत ही मोटा अजगर निकला.

उसे मैं लंड नहीं अजगर ही कहूंगा. क्योंकि वो उस समय इतना मोटा और सख्त था कि बिल्कुल काला अजगर ही लग रहा था.

मम्मी के चेहरे पर भी चाचा के मोटे काले लंड को देख कर मुस्कान आ गई थी- ये तो बहुत मोटा है.
चाचा- तुम्हारे लिए ही है मेरी जानेमन.
मम्मी- अच्छा!

चाचा- हां बिल्कुल, इसे हाथ में लेकर देखो न!

वे मम्मी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर ले आए और बोले- इसे सहला दो मेरी जान!
मम्मी- तुम भी ना.

चाचा का लंड इतना मोटा था कि मम्मी की मुट्ठी में भी नहीं आ रहा था.

दो मिनट तक मम्मी चाचा का लंड सहलाती रहीं.

चाचा- जान, अब इसे सहलाती ही रहोगी या इसे प्यार भी करोगी?
मम्मी- अब और कैसे प्यार करूं, कर तो रही हूँ ना.

चाचा- अरे ऐसे नहीं.
मम्मी- तो फिर कैसे?

चाचा मम्मी के कान के पास जाकर दबी आवाज में फुसफुसाकर बोले- इसे मुँह में लेकर प्यार करो.
मम्मी शर्मा कर चाचा को धक्का देती हुई- मानोगे नहीं तुम!

चाचा अपना लंड मम्मी के मुँह के पास ले जाते हुए बोले- अरे मेरी जान, बस एक बार!
मम्मी ने चाचा के लंड की खाल को पीछे कर दी और अपने बालों को पीछे करती हुई चाचा से बोलीं- तुम ना, बहुत जिद करते हो.

फिर मम्मी ने अपने नाज़ुक नर्म होंठों को चाचा के लंड सुपारे पर एक बार छुआ. मम्मी के होंठों के स्पर्श से चाचा ने अपनी आंखों को बंद कर लिया.

मम्मी दोबारा से चाचा के लंड को ऊपर नीचे करती हुई उसे चूमने लगीं.

दोस्तो अब मेरे सामने किसी विदेशी ब्लूफिल्म का सीन चलने लगा था.

 

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मम्मी का चाचा से पुनर्विवाह और गर्मागर्म सेक्स- 4




पिछले भाग

में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी मम्मी चाचा के लंड को चूसने लगी थीं.

अब आगे

मम्मी- आउउम्म्म … आउउम्म … आउउम्म … आउउउम्म … आउउउम्म … आउउउम्म!

चाचा अपनी आंखें बंद करके मम्मी के होंठों का स्पर्श अपने लंड पर महसूस कर रहे थे- आह … आह … आह … आह्ह्ह रेखा मेरी जान … आह … आह्ह्ह … अह्ह … इसे पूरा अन्दर ले लो.

मम्मी पूरे लंड को चाटते, चूसते हुए सुपारे के चारों तरफ बनी लाइन पर अपनी जीभ फिराने लगीं. लंड के छेद को भी अपनी जीभ से चाटने और सहलाने लगीं.

चाचा- ओह्ह्ह … रेखा … रेखा मेरी जान … ओह्ह्ह … आआह्ह … बहुत अच्छा लग रहा है.

मम्मी चाचा के लंड को चाटती रहीं और चाचा का लंड और लंबा मोटा हो गया.

उनका लंड पहले से भी इतना ज्यादा मोटा और लंबा हो गया था कि मम्मी के मुँह में नहीं आ रहा था.
मम्मी का मुँह लंड के रस से सना हुआ और चिपचिपा हो गया था.

फिर चाचा मम्मी के मुँह से लंड निकालकर, उन्हें थोड़ा नीचे खिसकाकर उनके ऊपर आ गए. अपनी उंगलियों पर थूक लगाकर मम्मी की चुत में घुमाने लगे.

इसके बाद चाचा अपना लंबा, मोटा और सख्त लंड मम्मी की चुत की तरफ ले गए.

इनका मोटा मूसल सा लंड देख कर मैं बस यही सोच रहा था कि चाचा का इतना मोटा लंड मम्मी कैसे अपनी चुत के अन्दर ले पाएंगी क्योंकि चाचा का लंड ब्लू फिल्म के काले हब्शियों की तरह ही था.

मम्मी- देखो नरेश, आराम से डालना.
चाचा- हां मेरी जान, बिल्कुल आराम से ही डालूंगा.

मम्मी- क्या निरोध (कंडोम) नहीं लगाओगे?
चाचा- मेरी जानेमन जब तक खाल से खाल न मिले, संभोग करने का मजा ही नहीं आता.

चाचा की ये बात सुनकर मुझे बहुत ही मजा आ गया और मम्मी ने भी शर्म के मारे अपनी मुंडी नीचे कर ली.
फिर चाचा धीरे धीरे अपना लंड मम्मी की चुत में सरकाने लगे.

मम्मी- ऊउह्ह … थोड़ा आराम से.
चाचा- हां जान, आराम से.

और चाचा ने मम्मी के गालों को सहलाते हुए एक ही झटके में अपना पूरा लंड मम्मी की चुत में सरका दिया.

मम्मी- आआइइइ … मेरी मैया आ … फट गई आंह मर गई.

मेरी मम्मी के मुँह ये सुनकर आप अंदाज लगा सकते हैं कि चाचा का लंड कितना मोटा होगा कि मम्मी को इतने दर्द के साथ चिल्लाना पड़ा.

मम्मी के चिल्लाते ही चाचा रुक गए और उन्होंने अपने होंठ मम्मी के होंठों पर रख दिए.

अब उन्होंने जल्दी जल्दी चार पांच तगड़े झटके मार दिए और रुक गए.

कुछ देर बाद चाचा अपने होंठों को मम्मी के होंठों से धीरे धीरे हटाते हुए उनसे कहने लगे- अब ठीक है?
मां- उन्ह …

चाचा- क्या हुआ?
मम्मी- मुझे दर्द हो रहा है.

चाचा- अरे इतने सालों बाद किया है, थोड़ा बहुत तो होगा ही.
मम्मी- तुम अभी इसे निकाल लो.

चाचा- मेरी जान, अब तो तुम्हारे साथ ही करना है. ऐसी आदत तो डालनी ही पड़ेगी तुमको.
मम्मी- ठीक है, पर तुम आराम से करो ना!

चाचा- हां जानेमन, ठीक है.
फ़िर चाचा धीरे धीरे अपना लंड मम्मी की चुत में अन्दर बाहर करने लगे.

देखते ही देखते चाचा ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी. अब वो बहुत जोर से लंड और बाहर करने लगे और मम्मी बुरी तरह से बिलबिलाने लगीं.

वो बहुत तेज तेज सिसकारियां ले रही थीं और चाचा मम्मी से संभोग करते हुए उनके गाल, माथा, गला, होंठ यहां तक कि उनकी जीभ को भी चाट चूस रहे थे.
मम्मी सिर्फ आंह आह कर रही थीं.

चाचा- हाय रेखा … आह … आह … मुझे तुम्हारे महकते मदमस्त बदन से खेलने में बहुत आनन्द आ रहा है … आह तुम्हारी चुत की रगड़ मेरे लंड पर एक अलग ही स्पर्श दे रही है … ऐसा लग रहा है जैसे कि मैं स्वर्ग में हूं.

चाचा मम्मी में इतना डूब गए थे कि उनकी चुत में चाचा का लंड मस्ती से खुद ही आगे पीछे हो रहा था.

कुछ देर बाद चाचा ने मम्मी की दोनों टांगों को अपने हाथों से फैला दिया.

उनके घुटनों के सहारे पैर मोड़ दिए और अपने लंड को मम्मी चुत में अन्दर बाहर करने लगे.

अब लंड चुत में आने जाने से पट पट .. की आवाजें गूंजने लगीं.

मम्मी- आह्ह्ह नरेश मुझे दर्द हो रहा है.
चाचा बिना कुछ बोले झटके मारते रहे.
मम्मी- अह्ह …

चाचा झटके मारते हुए मम्मी की चुत चोदते रहे और पट पट की आवाज आती रही.

मम्मी की चिकनी और चिपचिपाहट भरी चुत देखकर मेरे लंड में भी तनाव आ गया था, उनकी चिपचिपी चुत पर चाचा लंड के हमलों से रस और भी ज्यादा दिखने लगा था.

कुछ देर बाद चाचा ने फिर से आसन बदला, वो फिर से मम्मी के ऊपर आ गए और मम्मी की चुत में अपना लंड पेल कर अन्दर बाहर करने लगे.

अब मम्मी को भी आनन्द आने लगा था देखते ही देखते वो अपनी गांड उठाने लगी थीं.

मम्मी- ओह्ह्ह नरेश … ओह्ह्ह … आआ ह्ह्ह्ह … बहुत अच्छा लग रहा.

चाचा बिना रुके लंड को और ज्यादा तेज रफ्तार से भीतर बाहर करने लगे थे.

मम्मी- आह नरेश 6 साल से मैं इस सुख के लिए तरस रही थी और रात भर करवटें बदलती रहती थी.

चाचा अपने लंड को मस्ती से चुत में अन्दर बाहर करते हुए मम्मी के एक दूध को चूस रहे थे.

मम्मी- आह बहुत साल बाद तुमने मुझे ये हसीन रात दी है.

चाचा मम्मी की गर्दन चूमते, तो कभी निप्पल को अपनी उंगली या अंगूठे से मींजते हुए लंड को अन्दर बाहर करने का मजा ले रहे थे.

चाचा- मजा लो रानी.
मम्मी- तुम नहीं जानते एक विधवा औरत के लिए एक रात काटना कितना मुश्किल हो जाता है. इतने सालों से मैंने बिरहा भरी रातें ही काटी हैं.

मम्मी के मुँह से ये बात सुनकर मैं हैरान रह गया कि इस उम्र में भी मम्मी में कितनी आग भरी हुई है. उनका कितना मन करता होगा, वो कितनी प्यासी रही होंगी और इस आग को वो 6 सालों से अकेले ही बुझा रही थीं.

जबकि मैं तो ये सोचता था कि जिस औरत का बेटा 22 साल हट्टा-कट्टा, लंबा चौड़ा दाढ़ी वाला हो और शादी के लायक पूरा जवान हो रहा हो रहा हो, उस और का कहां संभोग करने का मन करता होगा?

पर आज मैं ये समझ चुका था कि शारीरिक सुख भी बहुत जरूरी है, इसकी कोई उम्र नहीं होती है.

अच्छा ही हुआ कि मम्मी ने चाचा से शादी कर ली. अब वो भरपूर शारीरिक सुख ले सकेंगी और चाचा उनके शरीर की प्यास बुझा सकेंगे.

अगर उनकी चाचा के साथ शादी न हुई होती तो वो कभी भी संतुष्ट नहीं हो पातीं.

चाचा मम्मी के निप्पल को अपने दांतों से काटने और चूमने के साथ ही अपने लंड को चुत में अन्दर बाहर कर रहे थे.

मेरी मम्मी चाचा की बांहों को सहलाती हुई मस्त आवाज निकाल रही थीं.

‘आह उम्मम्म … नरेश … बहुत अच्छा लग रहा है. आह प्लीज मुझे रगड़ दो आह.’
चाचा- मैं भी तुम्हारे कमसिन, कामुक और मदमस्त बदन के लिए कब से तरस रहा था जानेमन … आज मैं तुम्हारा पति बनकर तुम्हारे साथ संभोग कर रहा हूं. तुम नहीं जानती कि तुम्हारा ये मदमस्त बदन मुझे कितना आनन्द दे रहा है … रेखा … मेरी जान … मेरी गुलबदन … कितनी अच्छी हो तुम … आह रेखा.

मम्मी- तुम्हारे सख्त लंड की रगड़ मुझे बहुत आनन्द दे रही है.
इस बीच दोनों धीरे-धीरे चुदाई करते हुए अपनी दबी हुई भावनाएं एक दूसरे को बता रहे थे.

मम्मी शायद अब अपने चरम पर आ गा थीं- आह … अब बस करो नरेश … आह
चाचा- रेखा आआआ … मेरीइ … जानेमन … तुम्हारी चुत का गीलापन मेरे लौड़े को बहुत मजा दे रहा है.

ये कह कर चाचा मम्मी के होंठों को बुरी तरह से चूसने चबाने लगे.

चाचा- आय हाय … कितना मीठा रस भरा है इनमें … मेरी जान … मन करता है तुमको खा जाऊं.

फिर चाचा मम्मी के एक दूध को अपने मुँह में भरकर जोर से अपने दांतों से काटने लगे.
मम्मी- आई मर गई. काटो मत नरेश … लगती है.
चाचा- नहीं … म्मम्म … नहीं … आह आज पहली बार मिली हो … इतनी आसानी से नहीं छोडूंगा तुमको. आज तुम्हारी पूरी रात काली करूंगा … अह्ह्अ मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.

चाचा पर मानो मम्मी के बदन से खेलने का जुनून सवार था. अब वो अपना लंड निकालकर मम्मी के पैरों के तलवे चूमने लगे.
तलवे चूमते हुए फिर नीचे से ऊपर आते चले गए.

मम्मी का पेट चूमने के बाद वो मम्मी के दूध और निप्पल को चूसने लगे.
फिर गले और गाल चूसते हुए उनके मुँह में अन्दर अपनी जीभ चलाने लगे.
चाचा के ऐसा करने पर मम्मी मस्त होने लगीं. उनकी उम्म आह की आवाज निकलने लगी.

फिर चाचा ने मम्मी का हाथ ऊपर उठा कर अपना मुँह मम्मी की बगल (अंडरआर्म्स) में लगा दिया और चाटने लगे.
वो अपनी जीभ से सहलाकर चूमने लगे. मम्मी हल्के हल्के मुस्कुराती हुई अपना एक हाथ आगे लाकर चाचा के बालों में उंगलियां घुमाने लगीं.

फिर कुछ देर बाद चाचा ने दोबारा अपना मोटा काला लंबा लंड मम्मी की चुत में पेल दिया और अन्दर बाहर करने लगे.

मम्मी के दोनों हाथ चाचा के सर पर जम गए और अपनी उंगलियों से चाचा के लंड से चुदने का मजा लेने लगीं.

अब चाचा जोर जोर से झटके मारने लगे जिससे फिर से पट पट की आवाज आने लगी.

दोस्तो, ये दृश्य इतना अच्छा था कि मुझसे एक पल के लिए भी अपनी नजरें नहीं हट पा रही थीं.

मम्मी की चुदाई में चाचा पूरी तरह से मशगूल हो गए थे, पूरा पलंग हिलने लगा था.

चाचा की जकड़न से मम्मी के हाथों की चूड़ियां भी खनखनाने लगी थीं.

तब चाचा ने अपने झटकों की रफ़्तार बढ़ा दी थी, जिससे मम्मी के दूध भी जोर जोर से ऊपर नीचे हिलने लगे थे.
वो दोनों पसीने से बुरी तरह से लथपथ हो गए थे.

फिर चाचा मम्मी से बोले- बहुत आनन्द आ रहा है मेरी जान.
मम्मी- मम्मम्म … आह आ …

चाचा- रेखा, तुम्हारी चुत मुझे बहुत मजा दे रही है.
मम्मी- उम्मएम … उफ्फ फ्फ्फ …

चाचा- आआआह … आआह …
मम्मी- नरेश, तुम्हारे मोटे लम्बे लंड का लुत्फ बहुत ही आनन्ददायक है … आह

चाचा- ओह्ह्म्म … ओह्ह्ह … मेरीइइ … जान्न … ओह्ह … रेखा … मेरी इइइई … गुलबदन …

शायद अब चाचा अपनी चरम सीमा पर आ गए थे. वो बहुत तेज तेज सांसें लेते हुए अपने दोनों हाथों से मम्मी को अपनी बांहों में जकड़ते हुए धक्के मारने लगे थे.

‘ओहोउ … ऊऊओऊ … मैं गया जान.’
‘आह मैं भी आ गई नरेश आह.’

ये कहते हुए चाचा ने अपना लंड खाली करना शुरू कर दिया था और बहुत सारा वीर्य मम्मी की चुत में छोड़ने लगे थे.
मम्मी भी ‘ह्ह्ह … हम्म्म्म …’ करती हुई निढाल हो गईं.

वो दोनों एक दूसरे से चिपक कर अपनी सांसें नियंत्रित करने लगे.

कुछ देर बाद चाचा ने अपना लंड मम्मी की चुत से बाहर निकाल लिया.
वो मम्मी को एक तरफ करके उनकी दूसरे तरफ लुढ़क गए.

दोस्तो, इस तरह से चाचा ने मेरी मम्मी को काफी देर तक चोदा था.

मम्मी की चुत से चाचा के काले मोटे लंड से निकला हुआ वीर्य इतना सफेद और गाढ़ा था कि मानो वीर्य नहीं कोई क्रीम हो, एकदम फेवीकोल जैसा पदार्थ बह रहा था.

मेरी मम्मी इस चुदाई से बहुत खुश थीं- नरेश, जो सुख तुमने आज मुझे दिया है, वो मुझे इससे पहले कभी नहीं मिला, तुम्हारे लंड से निकलती हुई तुम्हारे वीर्य की पिचकारियां इतनी तेज और मोटी थीं कि मैंने समझ ही नहीं पा रही थी कि मेरी चुत में किस चीज की धार लग रही है. मैं बहुत ही ज्यादा खुश हूं.

चाचा- जान, मैं भी तुम्हारे बदन के लिए सालों से तरस रहा था. वाकयी बहुत कमसिन या गदराया बदन है तुम्हारा. पर मैं तुम्हारे अन्दर अपना वीर्य और नहीं छोड़ूँगा क्योंकि तुम्हारा इस उम्र में मां बनना अच्छा नहीं लगेगा.

मम्मी हंस कर बोलीं- तुम इसकी फ़िक्र मत करो, मैंने अनमोल के जन्म के बाद ही ऑपरेशन करवाकर अपना गर्भशाय (बच्चेदानी) निकलवा लिया था. अब मैं कभी मां नहीं बन सकती हूँ.
चाचा मुस्कुराते हुए मम्मी को देखने लगे- ये तुमने अच्छा किया मेरी जान, अब मैं संभोग करते हुए हर बार तुम्हारे अन्दर ही वीर्य छोड़ा करूंगा. इससे हम दोनों को ही परम आनन्द मिलेगा.

मम्मी- हां हां, बिल्कुल.
ये बात करने के कुछ समय बाद दोनों एक दूसरे में लिपटकर फिर से संभोग का आनन्द लेने लगे.

दोस्तो उन दोनों ने रात भर सम्भोग किया और एक दूसरे के शरीर की प्यास बुझायी.

मम्मी अनगिनत बार स्खलित हुईं.
चाचा ने भी मम्मी की चुत में अपना भरपूर वीर्य निकाला.

उस रात चाचा ने 5 बार मम्मी के साथ संभोग किया था. मम्मी की गुलाबी चुत को अपनी जीभ से कई बार चाटा भी था.
मम्मी ने भी इन 6 सालों के बाद भरपूर आनन्द उठाया था.

दो बार तो मैंने भी चाचा के लंड से माल निकलते हुए देखा.

उस दिन मैं भी रात भर नहीं सोया. मैंने पहली बार दो जिस्मों को संभोग का भरपूर आनन्द लेते हुए देखा था.
 

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मेरी प्यारी मौसी की करतूत



नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम साहिल है और मैं दिल्ली का रहना वाला हूं।
मेरी उम्र 20 साल है। मेरा रंग गोरा है और मैं दिखने में अच्छा हूं।

ये हॉट मौसी की चुदाई हिंदी कहानी एक महीने पहले की है जब मेरी मम्मी के चाचा की लड़की, यानि मेरी मौसी, जिनका नाम नीलम है, हमारे घर पर कुछ दिनों के लिए रहने आई थीं।

मौसी की उम्र 35 साल है। वो दिखने में एकदम मस्त है, गोरा बदन, मोटे चूचे और उभरी हुई गांड ऐसी कि देखते ही उनकी गांड मारने का दिल करे।

परिवार में हम तीन लोग ही हैं, मैं मेरे पापा और मम्मी। हमारा घर बहुत ही छोटा है। घर में एक ही कमरा है जिसमें हम तीनों लोग साथ रहते हैं।
मेरे पापा सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं और उसी से हमारा घर खर्च चलता है।

जब मेरी मौसी घर आई तो मैं उन्हें देखकर बहुत खुश हुआ और वो भी मुझे देखकर बहुत खुश नजर आईं।

फिर बहुत सारी बातें हुईं और ऐसे ही रात को सोने का समय हो गया।
सोने के लिए हमारे पास एक ही बेड था।

मौसी बोली- दीदी, आप और साहिल बेड पर सो जाइए और मैं नीचे सो जाती हूं।
मम्मी- नहीं-नहीं नीलम, कैसी बातें कर रही है, मैं नीचे सो जाऊंगी। तू मुन्ना के साथ बेड पर लेट जा। नीचे सोने में तुझे कमर दर्द हो जाएगा.

अब मम्मी को कहां पता था कि मौसी को ऊपर सोने में ज्यादा कमर दर्द होगा।

मेरी मौसी बोली- ठीक है दीदी, मैं ऊपर सो जाती हूं।
रात को मौसी एक मस्त सी नाइटी डाल कर मेरे बगल में आकर लेट गई और मम्मी और मौसी आपस में बाते करने लगीं।

मम्मी बोली- और नीलम … कैसी चल रही है तेरी मैरिड लाइफ?
मौसी- बस चल ही रही है दीदी!
मम्मी- बस चल ही रही है, ऐसा क्यूं, क्या खुश नहीं है तू शादी में?

मौसी- खुश तो हूं दीदी पर …
मम्मी- पर क्या?
मौसी- दीदी, मुन्ना भी यही है, मुन्ना के सामने कैसे बताऊं आपको?
मैं वैसे तो जाग रहा था, लेकिन मैंने सोने का नाटक किया ताकि उनकी बातें सुन सकूं।

फिर मम्मी बोली- अरे मुन्ना तो लेटते ही सो जाता है, वो सो गया होगा, तू शर्मा मत, मुझे बता क्या बात है?
मौसी- दीदी, ये मुझे अच्छे से संतुष्ट नहीं कर पाते।

मम्मी हंसने लगी और बोली- अच्छा तो ये बात है, कितनी देर में झड़ जाते हैं तेरे वो?
मौसी- बस 2-3 मिनट में ही उनका छूट जाता है और वो ना ही मेरी चाटते हैं।

इस पर मम्मी फिर से धीमी आवाज में हंसने लगी और बोली- तो मेरी प्यारी बहन को चटवानी पसंद है।
मौसी भी अब हंसने लगी और बोली- हां दीदी, मैंने एक बार एक अनजान आदमी से ट्रेन में चटवाई थी, बहुत मजा आया था और मैं अच्छी तरह से संतुष्ट भी हो गई थी।

मम्मी- अरे वाह!
मौसी- दीदी, क्या कभी जीजू ने आपकी चाटी है?
मम्मी- नहीं, ना तेरे जीजू ने कभी चाटी और ना ही कभी मुझे किसी से चटवाने का मौका मिला।

मौसी- क्या दीदी … आपकी शादी को तो कितने साल होने को आए और आपने अब तक चटवाई नहीं किसी से!
मम्मी हल्की सी उदास हो गई और बोली- क्या करूं मैं अब, मन तो मेरा भी बहुत करता है चटवाने का और चुदने का, पर मुन्ना के पापा रात में काम पर चले जाते हैं और दिन में मुन्ना घर पर ही होता है।

इस पर मौसी बोली- दीदी, आखिरी बार आपने चुदाई का मजा कब लिया था?
मम्मी शर्माते हुए बोली- ये जब से लॉकडाउन खुला है और इनकी ड्यूटी नाइट की हो गई है ना तब से अब तक चुदाई नहीं हुई मेरी। मैंने तो मुन्ना के पापा से कई दफा कहा है कि मुझे चोदो, पर मुन्ना की ऑनलाइन स्टडी चल रही है और ये पूरा दिन घर पर ही रहता है और मैं चुद नहीं पाती।

मम्मी और मौसी के मुंह से चूत, चुदाई जैसे शब्द सुनकर मैं तो हैरान था और मेरा लौड़ा भी अब खड़ा होने लगा था।
धीरे-धीरे मेरी भावनाएं मेरी मम्मी और मौसी के लिए बदल रहीं थीं।

तभी मौसी बोली- दीदी … आप इंतजाम करो ना एक लण्ड का, जो हम दोनों को संतुष्ट कर सके।

ये सुनते ही मम्मी सोच में पड़ गई और कुछ मिनट बाद बोली- क्या ऐसा हो सकता है कि कोई बाहर का लण्ड हम लें … नहीं, उसने किसी को बता दिया तो क्या इज्जत रह जाएगी हमारी!

मौसी बोली- पर दीदी अब रहा नहीं जाता, आपने ये सब याद दिलाकर मेरी चूत गर्म कर दी है।
मम्मी बोली- चूत तो मेरी भी बहुत गर्म हो गई है।

मौसी- दीदी एक बात कहूं, बुरा तो नहीं मानोगी?
मम्मी- अरे नहीं-नहीं, तेरी बात का क्या बुरा मानूंगी, तू तो मेरी प्यारी सी बहन है, बेझिझक होकर बोल।

मौसी बोली- क्या आज रात के लिए हम दोनों एक दूसरी को संतुष्ट करें?
मम्मी हंसने लगी और बोली- क्या कह रही है, पागल है क्या?
मौसी- अरे दीदी बहुत मजा आएगा, मैंने कई बार अपनी सहेली की चाट कर उसे संतुष्ट किया है, आज आपकी भी चाट कर आपको खुश कर दूंगी, बोलो?

मम्मी फिर से हंसने लगी और बोली- अरे मेरी प्यारी बहन, चूत इतनी गर्म हुई पड़ी है मेरी पहले से ही और तू ये कहकर मुझे और गर्म कर रही है। आजा अब और रहा नहीं जा रहा मुझसे भी।

तभी मौसी बोली- दीदी फटाफट से ऊपर बेड पर आ जाओ, आप आपको आपकी ये बहन पूरा भिगो देगी।
मम्मी जल्द से उठकर बेड पर आ गई और लाइट बंद कर बेड पर मेरे बगल में लेट गई।

मैं थोड़ी सी आंखें खोलकर सब खेल देख रहा था और मजे ले रहा था।

तभी मौसी ने उठकर पहले तो मम्मी को होंठों पर चूमा फिर धीरे-धीरे उनके चूचों को सहलाया।
मम्मी आह … आह … करते हुए आहें भरने लगी और फिर मौसी धीरे से नीचे की ओर बढ़ी और मम्मी की मैक्सी को बिना उतारे ऊपर कर के उनकी पैंटी पर से ही चाटने लगी।

मम्मी भी जोर-जोर से सिसकारियां लेने लगी।

वो दोनों इतनी मग्न हो गईं थीं कि जैसे भूल ही गई हों कि मैं भी पास में लेटा हुआ हूं।

फिर मौसी ने धीरे से मम्मी की पैंटी को साइड किया और चूत को चाटने लगी।
मम्मी सिसकारते हुए बोली- आह … आह … उई … बड़ा मजा आ रहा है नीलम … और जोर जोर से चाट!

मौसी और जोरों से उनकी चूत चाटने लगी।
फिर मौसी बोली- दीदी आप मेरी चाटो, मैं आपकी चाटूंगी।
तभी मम्मी उठी और दीदी को नीचे लिटाकर उन्हें किस करने लगी।

मम्मी के बड़े चूचे, जो मैक्सी से बाहर निकले हुए थे किस करते वक्त मुझे साफ साफ दिखाई दे रहे थे जिससे मेरा लौड़ा खड़ा हो गया।
अब मैं भी मम्मी और मौसी के साथ मजे लेना चाहता था और उन दोनों की चुदाई करना चाहता था।

किस करने के बाद मम्मी ने मौसी के गोल-गोल एकदम तने हुए चूचे बाहर निकाले और उन्हें चूसने लगी।
मौसी भी गर्म आहें भरने लगी- दीदी अब रहा नहीं जा रहा, चूत चाटो ना प्लीज!

मम्मी भी एकदम से नीचे बढ़ी और उनकी मैक्सी ऊपर कर पैंटी निकाल फेंकी और चूत में उंगली करने लगी।
मौसी आह … आह … की आवाजें निकालने लगी।

फिर मम्मी मौसी की मुंह पर अपनी चूत रख कर उनकी चूत चाटने लगी।
दोनों 69 में आ गईं।

अब कमरे में दोनों की आह … आह … की आवाजें हीं गूंज रही थीं।

तकरीबन 10 मिनट बाद आवाजें बंद हो गईं और दोनों एक दूसरे की चूत का पानी पी कर लेट गईं।
फिर कुछ समय बाद मैं भी सो गया।

सुबह जब मेरी नींद खुली तो कमरे में कोई नहीं था और मुझे एकदम से ध्यान आया कि रात में तो मम्मी और मौसी ने बढ़िया गुल खिलाए हैं।

मैं उठा और रूम से बाहर निकला तो मौसी और मम्मी किचन में खाना बना रहीं थीं।
मैं नहाने चला गया।

नहाते-नहाते मैंने रात के सीन को याद करके मम्मी और मौसी के नाम की एक बार मुठ मारी।
फिर बाहर आकर नाश्ता किया और हम सब बैठ कर बातें करने लगे।

मम्मी और मौसी बहुत खुश थीं आज!

फिर ऐसे ही बातों में, टीवी देखने में समय निकल गया।
रात हो गई।

इस रात में फिर वही सोने का सीन हुआ तो में जल्दी जाकर बेड पर लेट गया।

मौसी बोली- दीदी, आप भी ऊपर ही सो जाओ आज, एडजस्ट कर लेंगे, मुन्ना तो एक तरफ लेटा रहता है।
तो मम्मी भी ऊपर आ गई और हम तीनों लेट गए।

मैं दीवार की तरफ, बीच में मेरी मौसी मेरी तरफ अपनी मोटी गांड करके लेटी और साइड में मेरी मम्मी लेट गई।

मैं इंतजार करता रहा कि कब उनका खेल शुरू हो।
उधर वो मेरे सोने का इंतजार कर रहीं थीं।

तकरीबन 20 मिनट बाद जब उन्हें लगा कि मैं सो गया हूं तो मम्मी बोली- नीलम आज मेरा लौड़ा लेने का बहुत दिल कर रहा है, काश तू लड़का होती तो तेरा अभी मुंह में भर लेती मैं!

मौसी हंसने लगी और बोली- दीदी, मुंह में लेने का तो दिल मेरा भी कर रहा है, आपको कहा तो है कि किसी लण्ड का इंतजाम करो।
मम्मी बोली- बाहर किसी को पता चला तो बदनामी हो जाएगी।

मौसी बोली- फिर घर के ही लण्ड का इंतजाम करने का ऑप्शन बचता है अपने पास तो!
मम्मी- घर का लण्ड, क्या मतलब?

मौसी- दीदी मैंने बहुत सारी कहानियां पढ़ी हैं, रिश्तों में चुदाई की।
मम्मी- अच्छा, तो तू ही बता क्या किया जाए?

मौसी- देखो दीदी, जीजा जी की ड्यूटी है वो तो आपको चोदने से रहे और मेरे वाले तो वैसे ही इतनी जल्दी झड़ जाते हैं। तो अब बचा एक मर्द घर पर … तो क्या आप (ये कहकर मौसी रुक गई)
मम्मी- एक मर्द बचा, वो कौन? बोल ना चुप क्यूं हो गई?

फिर मौसी बोली- दीदी अपना मुन्ना, अब वो बड़ा हो गया है और उसे भी चूत की भूख होगी, तो क्यों ना हम दोनों उसकी मदद करें … और वो हमारी मदद करेगा।

मम्मी हैरान होते हुए बोली- तू पागल हो गई है क्या? बेटा है वो मेरा!
मौसी- दीदी बेटा तो है, पर साथ में एक जवान लड़का भी है और अब तो वो 19 साल का मर्द हो गया है।
मम्मी- नहीं, ये नहीं हो सकता।

मौसी- दीदी एक बार सोच कर देखो, जवान लन्ड, जब चाहोगे तब मिलेगा आपको।
मम्मी सोचने लगी और बोली- नहीं नीलम, ये गलत है।

मौसी- अरे दीदी मौका अच्छा है, अभी तो मैं आपकी मदद कर दूंगी इसमें!
नीलम ने मम्मी की चूत मसलते हुए कहा.

मम्मी भी गर्म होते हुए बोली- अच्छा मान ले, मैं हां भी कर दूं, तो क्या मुन्ना इस सब के लिए मानेगा?
अपनी मम्मी के मुंह से ये सुनकर मेरा खड़ा हो गया और मौसी की गांड को थोड़ा सा टच होने लगा।

पता नहीं मौसी को लण्ड का अहसास हुआ उस वक्त या नहीं।
मैं अपने लौड़े पर काबू करने की कोशिश करता रहा।

इधर मौसी बोली- वो आप मुझ पर छोड़ दो, मैं पता करती हूं कि मुन्ना के मन में क्या है और वो क्या हमको चोदने के काबिल है या नहीं।
ऐसा कहकर मौसी ने मम्मी को किस किया और दोनों एक दूसरे में खो गए।

मौसी जैसे ही आगे को झुकी किस करने के लिए, तो उनकी गांड और पीछे आकर मेरे लौड़े से टकरा गई।
उनकी बातें सुनकर मेरा तो खड़ा हुआ पड़ा था।
फिर मौसी को अहसास हुआ कि कुछ तो है पीछे जो गांड को छू रहा है।

मौसी ने पीछे मुड़कर देखा तो मेरे पजामे का उभार देख वो समझ गई कि कुछ तो गड़बड़ है और शायद मैं जाग रहा हूं।
मौसी ने झट से मेरा लौड़ा पकड़ लिया और सहलाने लगी।

मेरी फट गई।
मैं सोच नहीं पा रहा था कि ये हो क्या रहा है।

मौसी बोली- दीदी आप घोड़ी बन जाओ, आपके लिए एक तोहफा है मेरे पास!
मम्मी फटाक से घोड़ी बन गई।

मौसी ने मम्मी की मैक्सी को ऊपर किया और बोली- अपनी आंखें बंद कर लो दीदी, आज आपको जन्नत का अहसास होने वाला है।
मम्मी ने आंखें बंद कर लीं और घोड़ी बन गई।

मौसी ने मेरा लौड़ा पजामे से बाहर निकाला और देखते ही उनकी आखें फट गईं।
मेरा लौड़ा एकदम तना हुआ था, मानो बस चूत का इंतजार हो और वो उसमें घुस जाए।

मौसी ने देखते ही अपने हाथों में थूक लगाया और लौड़े को सहलाने लगी।
मेरा लौड़ा और टाइट हो गया और मुझसे भी अब रहा नहीं जा रहा था।

तभी मौसी ने मेरे कान में धीरे से कहा- मैं जानती हूं तू जाग रहा है, सब कुछ भूल जा और सिर्फ मजा ले।

मैं भी इतना गर्म हो चुका था कि बस चोदने के लिए कुछ भी कर सकता था। मैं मौसी की बात मानकर चुप रहा।

मौसी ने फिर कहा- दीदी … जीभ चूत में दूं या आपकी गांड में दूं पहले?
मम्मी- मेरी गांड मार ले मेरी प्यारी बहन … ये मोटी गांड कब से तरस गई है किसी के अनुभव को! चाट इसे … और ढीली कर दे चाट चाटकर!

मौसी- जरूर दीदी।
तभी मौसी ने मम्मी की गांड में थूक लगाया और मुझे इशारा किया कि अपनी जीभ रखकर चाट यहां।
मैं भी मम्मी की नंगी गांड देखकर बेकाबू हो गया और पागलों की तरह चाटने लगा।

मम्मी जोर-जोर से आह … आह करने लगी और कमरे में आवाजें गूंजने लगी।
तभी मौसी ने मेरा लण्ड मुंह में ले लिया और चूसने लगी।

थोड़ी देर चूसने के बाद मौसी ने लण्ड मुंह से निकाला और मुझे इशारा किया कि अब गांड चाटनी छोड़ और अपना लण्ड मम्मी की गांड में सेट कर!

मैंने भी वैसा ही किया।
अपना खड़ा लण्ड मम्मी की गांड पर रखा और धीरे से टोपा अंदर डाला।

मम्मी आह्हह्ह … करके जोर से चिल्लाई।
मौसी- क्या हुआ दीदी?

मम्मी- आह-आह … नीलम ये क्या डाल दिया तूने … बड़ा मजा आ रहा है, और जोर जोर से कर मुझे जोर जोर से चोद आज।

मौसी ने मुझे इशारा किया और लन्ड थोड़ा और अंदर डालने को कहा।
मैंने भी लण्ड गांड में और अंदर डाला।

लण्ड अंदर जाते ही मानो मेरा लण्ड होश खो बैठा।
मम्मी- आह्ह … आह्हह … मजा आ रहा है … आह आह।
मौसी ने मुझे इशारा करते हुए कहा- पूरा अंदर डाल और पेलना शुरू कर दे। मैं भी मानो इसी का इंतजार कर रहा था।

जैसे ही मौसी ने कहा कि पेलना शुरू कर दे, मैं बेकाबू हो गया और मम्मी की गांड पेलने लगा।
मौसी घोड़ी बनी हुई मम्मी के नीचे घुसकर उनकी चूत चाटने लगी।
मम्मी- आह उई मम्मी … मर गई मैं, और चोद नीलम … आह … आह्ह्ह।

तभी मम्मी को अहसास हुआ कि कोई असली लन्ड से चोद रहा है और नीलम मौसी उनकी चूत चाट रही है।
मम्मी एकदम से हड़बड़ाहट में घूम गई।
वो पीछे मुझे देखते ही हैरान हो गई।

कुछ देर के लिए वो स्तब्ध रही और फिर पता नहीं क्या सोचकर मम्मी ने नीचे बैठते हुए एकदम से मेरा लंड मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगी।
मौसी भी हंसने लगी और बोली- देखा दीदी … मैं न कहती थी अपना मुन्ना जवान हो गया है और खुश कर देगा।
मम्मी भी लौड़ा चूसते-चूसते मुस्कराई।

फिर मम्मी ने मौसी का मुंह अपनी तरफ खींचकर अपनी चूत पर लगा दिया।
मौसी भी मम्मी की चूत चाटने लगी।

फिर आधे घंटे तक हमने चुदाई का मजा लिया और हम तीनों थक कर सो गए।

सुबह उठा तो मौसी और मम्मी मुस्कराते हुए मेरा लौड़ा चूस रहीं थीं।
मम्मी बोली- अभी तेरे पापा को आने में समय लगेगा, तब तक मुझे और मौसी को जम कर चोद!

फिर मैंने भी ज्यादा देरी न करते हुए मौसी के मुंह में लन्ड दिया और नंगी मम्मी की चूत चाटने लगा।

ऐसे ही हमने फिर काफी देर तक चुदाई की और फिर सब अपने अपने काम पर लग गए।
अब रोज रात मेरी मम्मी मुझसे चुदती है और जब भी मौसी का मन करता है तो वो भी हमारे घर चुदाई करवाने चली आती है।
 

junglecouple1984

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बीवी ने मेरी बहन को मुझसे चुदवा दिया- 1




हाय दोस्तो, मेरा नाम मोहित है.
घर में मैं, मेरी पत्नी कोमल और मेरी बहन ही हैं. मेरे मम्मी पापा नहीं हैं.

मेरी बहन का नाम नीतू है. मेरी बहन की शादी की उम्र हो गई थी लेकिन उसे कोई पसंद नहीं कर रहा था.

यह यंगर सिस्टर फक स्टोरी नीतू की ही है.

सब लोग उसे देखने आते पर मेरी बहन को नापसंद करके चले जाते क्योंकि वो दिखने में जवान नहीं लगती थी.

मेरी बहन के बूब्स और गांड दोनों छोटे आकार के थे जिसके कारण कोई मेरी बहन को शादी के लिए पसंद नहीं कर रहा था.

ऐसे ही दिन बीतते गए, मेरी बहन 23 साल की हो गयी परन्तु शादी के लिए कोई ने उसे पसंद नहीं किया.

मेरी बीवी कोमल भी शादी के पहले थोड़ी पतली थी, किन्तु सेक्सी थी. उसका शरीर का आकार बहुत मस्त था, जिसके कारण वो मुझे एक नजर में ही पसंद आ गई थी.

अब शादी के बाद तो कोमल और ज्यादा सेक्सी हो गई है. उसके बूब्स और गांड का आकार बहुत बड़ा हो गया है और वो काफी सेक्सी हो गई है.

कोमल अपनी गांड मरवाना भी बहुत पसंद करती है और मेरा लंड तो लॉलीपॉप की तरह ऐसे चूसती है, जैसे कोई लॉलीपॉप चूसता है.

मैं भी उसके बूब्स, चूत बहुत चूसता हूँ. उसके बूब्स चूसने से मुझे बहुत टेस्ट आता है. उसकी चूत का नमकीन स्वाद मुझे और भी ज्यादा चूसने पर मजबूर कर देता है.

एक बात और … मेरी पत्नी कोमल शादी से पहले भी किसी से चुद चुकी थी.
कोमल से शादी करने से पहले ही कोमल ने मुझे अपनी चुदाई के बारे में बता दिया था.

मैंने उस वक्त उससे कह दिया था कि सबका कुछ ना कुछ भूतकाल होता है. मेरा भी कुछ ऐसा ही है, मुझे कोई उज्र नहीं है.
और मैंने भी अपनी पुरानी करतूतें उसको बता दीं.

अब हम दोनों खुश हैं और जिंदगी का मजा उठा रहे हैं.

एक रात को मैं अपनी पत्नी कोमल को चोदने के बाद लेटा हुआ था.

कोमल बोली- लगता है नीतू की शादी तब तक नहीं होगी, जब तक नीतू का जिस्म नहीं भरेगा.
मैं बोला- हां तुम सही कह रही हो, पर हम कर भी क्या सकते हैं!

कोमल बोली- इसका एक उपाय है.
मैं बोला- कैसा उपाय?

कोमल बोली- अगर नीतू को कोई चोद दे, तो उसका शरीर भर जाएगा. मेरे साथ भी यही हुआ था, मैं भी शादी से पहले दुबली-पतली थी. जब मैं चुद गई, तब मेरा शरीर ठीक हुआ.
मैं बोला- बात तो तुम्हारी सही है, परंतु कुंवारी में चुदेगी, तो हमारी बदनामी होगी.

कोमल बोली- हां बदनामी का तो खतरा है. अगर कोई अपना उसे चोद दे, तो बदनामी नहीं होगी.
मैं बोला- मेरे सिवाय उसका अपना कौन है … और मैं तो उसे चोद नहीं सकता!

कोमल बोली- क्यों तुम में क्या खराबी है, तुम ही चोद दो, बदनामी भी नहीं होगी और काम भी हो जाएगा.
मैं बोला- नहीं यार … मैं उसका भाई हूँ, मैं नहीं चोद सकता.

कोमल बोली- कुछ नहीं होगा, मुझे देखो न … इसी बदनामी के कारण मुझे मेरे दोनों भाइयों ने चोदा था.

मैं चौंक कर बोला- क्या … मेरे सालों ने तुमको चोदा था!
कोमल मुस्कुरा कर बोली- हां.

मैं बोला- ठीक है, तब मैं भी नीतू को चोद दूंगा. पर क्या नीतू मानेगी?
कोमल बोली- इसकी टेंशन आप मत लीजिए, मैं नीतू को मना लूंगी.

फिर मैं कोमल को किस करने लगा और उसकी चूत में उंगली करने लगा.
मैंने किस करना बंद किया और कोमल मेरा लंड चूसने लगी.

वो मस्ती से लंड चूसने में लगी थी. मैं उसके सर को लंड पर दबाए जा रहा था. कोमल बहुत मजे ले लेकर लंड चूस रही थी.

कुछ देर बाद मैंने कोमल को हटाया और उसको बेड के नीचे घुटनों के बल बिठा दिया.
मैं बेड पर पैर लटका कर बैठ गया.

मैंने कोमल से कहा- अब चूस मेरा लंड!
कोमल मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसके सर में हाथ फिराने लगा.

कोमल बड़े मजे से मेरा लंड चूसे जा रही थी. मैंने कोमल का सर पकड़ा और तेजी से उसका मुँह चोदने लगा.

थोड़ी देर बाद मैं कोमल के मुँह में ही झड़ गया. कोमल मेरे लंड का सारा माल गटक गई.

कोमल लंड को लगातार चूसती रही, जिससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.

उसके बाद मैंने कोमल को खूब चोदा और कोमल की चूत में ही झड़ गया.

चुदाई के बाद हम दोनों नंगे ही सो गए.

मैं सुबह उठा और फ्रेश होकर मैंने नाश्ता किया.
नौ बजे मैं ऑफिस चला गया.

मेरे ऑफिस जाने के बाद कोमल नीतू के कमरे में गई, तो देखा कि नीतू सो रही थी.

कोमल ने नीतू की गांड पर एक थप्पड़ मारा, तो नीतू हड़बड़ा कर जाग गई.

कोमल बोली- ऐसी ही सोती रहोगी तो तुम्हारी शादी कभी नहीं होगी … और ना ही तुम्हारा फिगर सही होगा.
नीतू उठ गई और बोली- ताना मत दीजिए भाभीजी, मैं क्या करूं मेरा शरीर ही ऐसा है, तो इसमें मेरी क्या गलती है!

कोमल- कोई बात नहीं ननद रानी … सब ठीक हो जाएगा.
नीतू- कुछ ठीक नहीं होगा, जब तक मेरा जिस्म नहीं भरेगा. मेरे बूब्स और गांड का आकार बड़ा नहीं होता, तब तक कुछ ठीक नहीं होगा.

कोमल- मैं बोली ना, सब ठीक हो जाएगा. बस तुमको वो करना होगा, जो मैं बोलूंगी.
नीतू- क्या करना होगा भाभी?

कोमल- तुमको चुदना होगा.
नीतू- ये आप कैसी बात बोल रही हैं, मैं कुमारी कन्या हूँ.

कोमल- तो क्या हुआ, मैं भी तो शादी से पहले भी चुदी हूँ.
नीतू- आप शादी से पहले चुदी थी?

कोमल- हां, बहुत बार.
नीतू- भैया को पता है?

कोमल- हां.
नीतू- भैया कुछ बोलते नहीं नहीं हैं?

कोमल- क्या बोलेंगे … वो बोलते हैं सब का कुछ ना कुछ पास्ट होता है.
नीतू- वैसे आप किससे चुदती थीं?

कोमल- भाई से.
नीतू- आपके तो 2 भाई हैं, कौन से भाई ने चोदा?

कोमल- दोनों भाइयों ने. वो एक साथ मिल कर चोदा मुझे.
नीतू- क्या, एक साथ, दोनों ने चोदा!
कोमल- हां.

नीतू- आपको दर्द नहीं हुआ!
कोमल- शुरू में हुआ था, बाद में मजा आने लगा.
नीतू- वो आपको अब भी चोदते हैं क्या?

कोमल- हां, जब जाती हूँ, तब दोनों चोदते हैं.
नीतू- तो भाभी मैं किससे चुद जाऊं!

कोमल- तुम भी अपने भैया से चुद लो.
नीतू- भैया मानेंगे?

कोमल- वो मान गए हैं, उनको मैं पहले ही मना चुकी हूं.
नीतू- क्या भैया मुझे चोदने को तैयार हैं?

कोमल- हां, उनको मैंने रात में ही मना लिया था.
नीतू- मुझे शर्म आती है भाभी.

कोमल- कोई बात नहीं, जब एक बार चुद लोगी, तो सब शर्म खत्म हो जाएगी. चलो अब फ्रेश हो जाओ और नहा लो. आज कोई सेक्सी सी ड्रेस पहनना.
नीतू- भाभी मेरे पास सेक्सी ड्रेस नहीं है.

कोमल- कोई बात नहीं, मेरे पास है, तुम नहा कर बिना कपड़ों के बाहर आ जाओ, मैं देती हूँ.
नीतू- मैं नहा कर बिना कपड़ों के बाहर कैसे आऊंगी?

कोमल- मेरी प्यारी ननद अब शर्माना छोड़ दो. हम दोनों एक लंड से ही चुदने के लिए रेडी हैं.
नीतू- ठीक है भाभी.

फिर नीतू नहाने चली गई और थोड़ी देर में वो नहा कर नंगी ही बाहर आ गई.

कोमल ने देखा कि नीतू की चूत पर झांटों के बाल उगे हैं और शरीर पर भी काफी बाल हैं.

कोमल बोली- तुम शरीर के बाल साफ नहीं करती हो क्या?
नीतू- साफ तो हैं भाभी!

कोमल- कोई बात नहीं, चलो कपड़े पहन लो … फिर हम दोनों पॉर्लर चलेंगे.

नीतू- क्यों भाभी?
कोमल- तुम्हारे शरीर को सुंदर बनाने.

कोमल और नीतू पार्लर चली गईं.
वहां कोमल ने एक लड़की को बुलाया और उसके कान में कुछ बोला.
वो लड़की कोमल और नीतू को एक रूम में ले गई.

वहां वो लड़की नीतू से बोली- आप अपने कपड़े उतार दीजिए.
नीतू, कोमल की तरफ देखने लगी.
कोमल- मेरी तरफ क्या देख रही हो, सारे कपड़े निकाल दो.

नीतू ने अपने कपड़े निकाल दिए और पार्लर वाली लड़की ने नीतू के पूरे शरीर को साफ करके उसे सुंदर बना दिया.
अब वो दोनों घर आ गईं.

शाम को मैं भी घर आ गया.

मैं फ्रेश हुआ और खाना खाने बैठ गया.

नीतू अपने रूम में थी.
कोमल बोली- आपकी बहन आपसे चुदने के लिए तैयार है.

मैं- मान गई नीतू?
कोमल- मानेगी कैसे नहीं.

मैं- ठीक है, तो मैं कंडोम लेकर आता हूँ.
कोमल- उसकी कोई जरूरत नहीं है. मैं सब लाई हूँ. कंडोम और सेक्स की गोली भी लाई हूँ.

मैं- तब तो ठीक है. कहां है नीतू?
कोमल- अपने रूम में आपका इंतजार कर रही है.

कोमल सिर्फ नाइटी ही पहनी हुई थी, वो भी जांघ तक ही थी. बूब्स तो आधे से ज्यादा बाहर ही थे.
मैं- तो मैं उसके पास जाता हूँ.

कोमल- रुको पहले ये गोली तो खा लो … और वो जो आपका स्पेशल कैमरा वाला मोबाइल है, वो मुझे दे दो. मैं चुदाई की रिकॉडिंग करूंगी.

मैं- रिकॉडिंग क्यों करोगी?
कोमल- मेरा मन है.

मैं- नीतू को पता है कि तुम रिकॉडिंग करोगी?
कोमल- हां.

मैं- तब कोई बात नहीं, कर लो रिकॉडिंग.
मैंने उसे मोबाइल निकाल कर दे दिया.

कोमल- पहले मैं जाती हूँ, तुम 10 मिनट बाद आना.
कोमल अन्दर चली गई और जाकर नीतू की वीडियो बनाने लगी.

जब मैं दस मिनट बाद अन्दर गया तो नीतू ब्रा और पैंटी में ही बैठी थी. कोमल उसकी वीडियो बना रही थी.
मैंने अपने कपड़े उतार दिए और सिर्फ चड्डी में आ गया.

मैं नीतू के पास गया और नीतू को किस करने लगा.
नीतू भी मुझे किस करने लगी.
किस करते करते मैं उसके बूब्स को मसलने लगा, दबाने लगा.

उधर कोमल रिकॉर्ड कर रही थी.
फिर कोमल ने कैमरा सैट करके मोबाइल को एक सही जगह पर रख दिया, जिससे पूरी फिल्म की रिकॉर्डिंग अच्छे से हो.

लगभग दस मिनट किस करने के बाद और बूब्स मसलने के बाद मैं अपनी बहन से अलग हो गया.

कोमल नीतू के पीछे आ गई और नीतू से बोली- अपने भैया का लंड बाहर निकालो और चूसो.
नीतू बोली- छीः … लंड भी कोई चूसता है क्या?

कोमल ने मेरा लंड बाहर निकाला और घुटनों के बल बैठ गई.
उसने नीतू को भी लंड दिखाया और मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.

उधर नीतू बड़े ध्यान से कोमल को देखे जा रही थी.

कोमल एक मिनट लंड चूसने के बाद बोली- देखा, कौन चूसती है लंड … लो चूसो. ये वो गन्ना है ननद रानी जिसके रस से जोबन भर जाता है.

नीतू ने पहले अपने होंठों से मेरे लंड को स्पर्श किया. उसी समय कोमल ने नीतू के एक मम्मे को दबाते हुए उसके सर को आगे कर दिया.

नीतू का मुँह दर्द से खुला और उसी समय बहन के मुँह में भाई का लंड घुस गया.

थोड़ी ही देर में नीतू बड़े प्यार से लंड चूसने लगी.
उधर कोमल नीतू के बूब्स मसलने लगी थी.

कुछ मिनट लंड चूसने के बाद कोमल ने नीतू को हटाया और नीतू को कमर पकड़ कर उठा कर बेड पर लिटा दिया; उसकी पैंटी को खींच कर निकाल दिया और ब्रा को भी.

मैंने नीतू को थोड़ी अपनी ओर खींचा और उसके पैरों को फैला दिया.
अब मैं अपनी बहन की चूत चाटने लगा.

बहन की चूत सील पैक चूत थी.
मैंने खूब चाटी.

मैं अपनी बहन की चूत में जीभ घुसा घुसा कर चाट रहा था.

उधर कोमल मेरी बहन के बूब्स मसल रही थी और उसे किस भी कर रही थी.
इधर बहन की चूत भी काफी गीली हो चुकी थी.

लगभग दस मिनट तक चूत चूसने के बाद मैं अलग हो गया.
मेरा लंड तो तैयार तो था ही अपनी बहन को चोदने के लिए.

मैंने अपनी बहन को और थोड़ा अपनी तरफ खींचा.
कोमल भी मेरी ओर आ गई.

मैंने कोमल से कहा- लंड को थोड़ा और चूस कर गीला कर दो.
कोमल ने मेरे लंड को चूस कर गीला कर दिया और कुछ ज्यादा सा थूक भी लगा दिया.

मैंने अपनी सगी बहन की चूत पर लंड सैट किया और पेलने से पहले अपनी बीवी कोमल से कहा- तुम नीतू को पकड़ो.
कोमल ने नीतू के हाथ पकड़ लिए.

मैंने बहन के बूब्स दबाए और धीरे से बहन की चूत में लंड घुसाना शुरू कर दिया.
मेरे लंड का टोपा चूत में घुस गया.

नीतू कराहने लगी- उई मां … आंह भैया दर्द हो रहा है … प्लीज़ निकाल लो अपने लंड को.
मैं बहन से बोला- कुछ नहीं होगा, थोड़ा दर्द होगा … ज्यादा नहीं.

मैंने अपनी बहन को किस किया और कसके धक्का दे मारा.
मेरा आधा लंड चूत में घुस गया.

नीतू दर्द से तड़पने लगी.
उसके मुँह से आवाज नहीं निकल पा रही थी, सिर्फ आंसू निकल रहे थे.

मैंने उसी समय एक और जोरदार धक्का दे मारा.
मेरा पूरा लंड बहन की चूत में घुस गया.

मेरी बहन अब जोर जोर से रोने लगी और बोलने लगी- आंह भैया मैं मर जाऊंगी … आंह बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज़ भैया निकाल लो अपना लंड.

कोमल, नीतू को किस करने लगी और उसके बूब्स दबाने लगी.
मैं नीतू को धीरे धीरे प्यार से चोदने लगा.

दो मिनट के बाद नीतू ने रोना बंद कर दिया और गर्म आहें भरने लगी.
मैंने भी अपनी चोदने की स्पीड थोड़ी बढ़ा दी.

उधर कोमल, नीतू के कभी मम्मों को चूसती, तो कभी किस करती.
मैं अपनी बहन को चोदता रहा और थोड़ी देर में बहन ने पानी छोड़ दिया.

मैं फिर भी चोदता रहा, जिसके कारण नीतू फिर से गर्म हो गई.
गोली खाने के कारण अभी तक मेरा अमृत नहीं निकला था.
मैं ताबड़तोड़ बहन की चूत चोदे जा रहा था.

नीतू अब मजे ले ले कर चुद रही थी और ‘अअअअ एईई …’ करे जा रही थी.
मैं भी पूरी ताकत से अपनी बहन की चूत चोदे जा रहा था.

बीस मिनट बाद नीतू फिर से झड़ गई. इस बार मैं हट गया और अपनी बहन की चूत की रस पी गया.

अब मैंने बहन को बेड पर बिठाया और उसके मुँह में अपना लंड डाल दिया.
बहन लंड चूसने लगी.

मुझे भी मजा आने लगा और मैंने कोमल को अपने पास खींचा और उसे किस करने लगा.

थोड़ी देर बाद मैं झड़ने वाला था तो मैंने नीतू का सर पकड़ा और कस कसके उसके मुँह को चोदने लगा.

मैं अपनी बहन के मुँह में पूरा लंड घुसा रहा था और थोड़ी देर में ही बहन के मुँह में ही झड़ गया.

मैं बोला- सारा माल पी जा. यही रस तेरे शरीर का विकास करेगा.
मेरी बहन मेरा सारा माल पी गई.

मेरे लंड पर अभी भी माल लगा हुआ था, तो कोमल ने जीभ से चाट कर लंड साफ कर दिया और जो माल नीतू के मुँह पर लगा था, उसको भी चाट लिया.

मैंने टाइम देखा तो रात के दो बज रहे थे. मैंने अपनी बहन को देर तक चोदा था.

बहन वैसे ही नंगी बेड पर सो गई.

दूसरे दिन नीतू फ्रेश लग रही थी लेकिन अच्छे से चल नहीं पा रही थी.
इसलिए दूसरे दिन मैंने नीतू को नहीं चोदा; सिर्फ नीतू के सामने कोमल को चोदा, जिससे नीतू मस्त चुदाई सीख सके.

मैंने उस दिन कोमल की गांड भी मारी और बहुत तरह से चुदाई की.
नीतू सामने बैठ कर कोमल की चुदाई देख रही थी.

मैंने अपने लंड का माल नीतू को पिलाया, जिससे नीतू सुंदर बन सके.

ऐसे ही रोज का प्रोग्राम हो गया. मैं एक दिन नीतू को चोदता और एक दिन कोमल को.
 

junglecouple1984

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बीवी ने मेरी बहन को मुझसे चुदवा दिया- 2




कहानी के पहले भाग

में अब तक आपने पढ़ा था कि मैंने अपनी बीवी की मदद से अपनी सगी बहन की चूत फाड़ दी थी और अब वो मुझसे गांड मरवाने के लिए राजी थी.

अब आगे

मैं अपनी बहन और कोमल को बारी बारी चोदता था.
कोमल को नीतू के सामने ही चोदता था और नीतू चुदाई सीखती.

मैं कोमल की हर बार गांड मारता था इसलिए नीतू भी बोलने लगी थी- भैया मेरी गांड कब मारोगे?
मैं भी बोल देता- मारूंगा बहन, तुम्हारी भी गांड जरूर मारूंगा.

बहन को चोदते चोदते मुझे तीस दिन हो गए थे.
अब मैं अपनी बहन की चूत चुदाई के समय उसकी गांड में उंगली भी करने लगा था इससे मेरी बहन की गांड ढीली होने लगी.

फिर वो दिन भी आ गया, जिस दिन बहन की गांड मारनी थी.
मैं ऑफिस से घर आया, फ्रेश हुआ खाना खाया.

अब घर में कोमल और बहन नाइटी या नंगी ही रहती थीं क्योंकि मेरा घर चारों तरफ से ऊंची दीवारों से घिरा हुआ है.

मैंने टाइम देखा तो 9 बजे रहे थे, कोमल और नीतू ने भी खाना खा लिया था.
वो दोनों नाइटी में ही थीं.

फिर मैंने नीतू से पूछा- गांड मरवाने के लिए तैयार हो?
नीतू बोली- हां भैया, मैं तो कब से तैयार हूँ.

मैं बोला- तो ठीक है. चल रूम में आ जा. कोमल तुम गांड चुदाई के लिए क्रीम और 2 इंच मोटा वाला डिल्डो ले आ जाओ.
हम तीनों रूम में आ गए और दोनों अपनी नाइटी उतार कर नंगी हो गईं.

मैंने दोनों को किस किया, नीतू की चूचियां दबाने लगा और जोर जोर से उसे किस करने लगा.

फिर मैंने अपनी बहन को सोफे पर झुका दिया जिससे नीतू की गांड मेरी ओर हो गई.

मैंने नीतू की चूत में डिल्डो धीरे धीरे अन्दर तक घुसा दिया.
नीतू का मुँह कोमल की ओर था.

उधर कोमल नीतू को किस करने में लगी थी. वो एक दूसरी के बूब्स दबा रही थीं.
इधर मैंने अपनी उंगली में क्रीम लगाई और धीरे धीरे नीतू की गांड में उंगली घुसाने लगा.

नीतू की गांड बहुत सूखी थी, तो मैंने कुछ ज्यादा सी क्रीम अपनी बहन की गांड में लगा दी. उंगली को भी थोड़ा थोड़ा करके अन्दर तक घुसा दिया.

धीरे धीरे मैंने अपनी एक उंगली को बहन की गांड में आगे पीछे की, तो नीतू उचकने लगी.

मैं धीरे धीरे उंगली से बहन की गांड चोदने लगा.
थोड़ी देर बाद दो उंगली से चोदने लगा.
ऐसे करते करते मैंने तीसरी उंगली को भी गांड में घुसा दिया.

अब मैं अपनी तीनों उंगलियों से बहन की गांड चोदने लगा.
ऐसे करते करते हम सभी को 11 बज गए थे.

अब तक नीतू की भी गांड काफी खुल गई थी.

मैंने फिर से गांड में क्रीम भरी और अपने लंड पर भी क्रीम लगा ली, फिर नीतू की गांड में धीरे धीरे लंड घुसाना शुरू कर दिया.

लगभग 4 इंच घुसा कर मैं थोड़ी देर रुक गया.
नीतू को कोई खास दर्द नहीं हो रहा था.

मैंने डिल्डो को थोड़ा और अन्दर घुसाया और अन्दर बाहर करने लगा.
नीतू को अब थोड़ा दर्द होने लगा, इसलिए मैं धीरे धीरे उसकी गांड को चोदने लगा.

थोड़ी देर में मेरी बहन को दर्द की जगह मजा आने लगा.
मैंने लंड थोड़ा और घुसा दिया और गांड चोदने लगा.
ऐसे ही करते करते पूरा लंड नीतू की गांड में समा गया और आगे चूत में डिल्डो फंसा हुआ था.

मैं नीतू की गांड कस कसके मारने लगा.
बहन की गांड की भाई से चुदाई चलती रही. अब नीतू को भी मजा आने लगा.

ऐसा पन्द्रह मिनट तक चला.
अब मैं झड़ने वाला था तो मैं नीतू की गांड में ही झड़ गया.
नीतू भी झड़ गई.

उसके बाद मैंने अपनी बीवी की गांड मारी और उन दोनों को लंड का माल खिलाया.

फिर इसी तरह एक साल तक मैंने अपनी बहन की चूत गांड चोदी.

अब मेरी बहन नीतू का शरीर भी सुंदर लगने लगा था और वो बहुत ही सेक्सी बन गई थी.

चुदाई और योगा के कारण नीतू का फिगर बदल गया था.
उसके 34 के बूब्स 28 की कमर और 36 की गांड हो गई थी.

इसी सुन्दरीकरण नीति के चलते अब नीतू के लिए अच्छे अच्छे रिश्ते आये और बहुत ही जल्दी उसकी शादी भी हो गई.

नीतू की ससुराल में उसके पति और देवर और एक सुंदर सी ननद थी.
सास ससुर बूढ़े थे जो अकसर बीमार ही रहते थे.

नीतू की सुहागरात के दिन उसके पति को पता ना चले कि वो पहले से चुदी है, उसके लिए नीतू को मैंने तीन महीने से नहीं चोदा था, उसको चूत टाइट करने वाली दवाई भी खिलाई थी.
मैंने चुदाई के टाइम नीतू को थोड़ी दर्द की और रोने की एक्टिंग करने भी बोल दिया.

फिर वो सुहागरात में भी पास हो गई.

नीतू का पति रेलवे में जॉब करता था. वो तीन महीने में 7 दिन के लिए घर आता था.

शादी के दस दिन के बाद नीतू का पति जॉब पर चला गया तो मैंने नीतू से अपने पास आने के लिए कहा.

नीतू बोली- सास ससुर नहीं मान रहे हैं.

फिर कुछ दिन बाद उसके सास ससुर मान गए तो नीतू मेरे पास वापस आ गई.

मैंने नीतू से सुहागरात के बारे में पूछा तो उसने सब बताया.

आप उसी की जुबान में सुनिए:

भैया क्या बताऊं, उसका लंड छोटा और पतला है. मैं रूम में थी और बैठी हुई थी.
लगभग 12 बजे वो कमरे में आया. वो दारू के नशे में था.

उसने अन्दर आकर गेट बंद किया और मेरे पास आ गया. मुझे किस करते हुए मेरे कपड़े उतारने लगा.
उसने पहले मेरी साड़ी का पल्लू नीचे किया और मेरे ब्लाउज को निकाल दिया. फिर मेरी ब्रा भी अलग कर दी.

वो मेरी चूचियां चूसने लगा और दबाने लगा.

फिर उसने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और नंगा हो गया.
वो बोला- नीतू तुम मेरा लंड चूसोगी!
मैंने मना कर दी.

वो फिर से बोला- प्लीज़ थोड़ा सा चूस दो.
मैंने फिर से मना कर दिया.

वो फिर से बोला कि प्लीज़ नीतू थोड़ा सा, ज्यादा नहीं थोड़ा सा चूस दो न.
मेरे मुँह में उसने अपना लंड घुसा दिया. मुझे जबरदस्ती लंड चुसाने लगा.

मैं भी चूसने लगी.
थोड़ी देर में वो मेरे मुँह में ही झड़ गया और मैंने उसकी मलाई पी ली.

इसके बाद उसने मेरी साड़ी निकाल दी और मेरा साया भी हटा दिया.
अंत में पैंटी भी निकाल दी और वो मेरी चूत चाटने लगा, धीरे धीरे उंगली से चोदने लगा.
तब तक उसका लंड भी खड़ा हो गया.

उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरी टांगें फैला कर मेरी चूत में लंड पेल दिया.
मैं दर्द का नाटक करने लगी.

उसी समय मैंने पास रखी साड़ी की पिन से अपने एक उंगली में खून निकाल लिया और चूत के पास उंगली सटा दी, जिससे उसको शक ना हो.
उंगली से सफेद चादर में भी खून लगा दिया, जिससे घरवालों को भी लगे कि मेरी सील विजय ने ही फाड़ी है.

फिर मैं चुदाई का मजा लेने लगी.
लेकिन मेरे झड़ने से पहले ही वो मेरी चूत में ही झड़ गया. मैं गर्म की गर्म ही रह गई.

फिर मैं बाथरूम गई और उंगली करके चूत का पानी निकाल कर वापस आकर सो गई.

सुबह हुई, तो मैं नहाने चली गई.
नहा कर वापस आई तो मेरा पति रूम में नहीं था.

थोड़ी देर बाद मेरी ननद मेरे रूम में आई और बेड सीट पर खून देख कर बोली- कैसी हो भाभी, रात कैसी रही?
मैं बोली- अभी कैसे बताऊं, अभी तो ट्राय बॉल ही खेली है.

इस पर वो हंसती हुई मेरे गले में हाथ डाल कर पूछने लगी- रात को मजा आया या नहीं!
मैं बोली- सच बोलूं कि झूठ?

वो बोली- मुझसे सच बोलने में क्या प्रॉब्लम है … सच ही बोलो.
मैं बोली- सच बोलूं तो शुरूआत में सब ठीक था, पावर भी सही था लेकिन …

ननद बोली- लेकिन क्या भाभी?
मैं बोली- वो मुझे ठंडी नहीं कर पाए. उनका पहले ही निकल गया.

ननद बोली- सो सैड भाभी, तो आप गर्म ही सो गईं?
मैं बोली- तो और कर भी क्या सकती थी.

ननद से मैंने चूत में उंगली की बात नहीं बोली.

ननद- कोई नहीं भाभी जी, आज पहली बार का मामला था, तो हो सकता है कि भैया जल्दी ठंडे हो गए हों.
मैं- ठीक है.

फिर वो चादर लेकर चली गई.
थोड़ी देर बाद मैं रूम से बाहर आ गई.

बाहर मेरे देवर, सास ससुर और सारे रिश्तेदार सब मुझे मुस्कुरा कर देख रहे थे.

मैंने सास ससुर और सारे बड़ों के पैर छुए और किचन में आ गई.
मैंने पहली रसोई का खाना बनाया.

फिर रात हुई और मेरी चुदाई शुरू ही गई.
मेरा पति जल्दी झड़ गया, मैं गर्म ही रह गई.

वो रोज चोदता लेकिन मुझे ठंडा नहीं कर पाता.

ऐसे ही रोज ननद पूछती कि आज कैसा रहा, आज कैसा रहा.
मैं रोज उसको वही बताती कि मैं गर्म ही रह गई.

ऐसे करते करते दस दिन बीत गए.
फिर मेरा पति जॉब पर वापस चला गया.

अब मैं अकेले ही रूम में टीवी देख रही थी तो मेरी ननद भी मेरे पास सोने आ गई.
वो बोली- भाभी, मैं भी आपके ही पास सोऊंगी.

वो टॉप और शॉर्ट्स में थी और मैं नाइटी में थी.
मैं बोली- ओके सो जाओ, मेरा भी मन लगा रहेगा.

अब तक मैं और ननद काफी घुल मिल गए थे.
ननद बोली- आपको तो भैया ठंडा नहीं कर पाते हैं, तो अब आप क्या करोगी?

मैं- मैं क्या कर सकती हूँ!
ननद- अच्छा वो सब छोड़ो, शादी से पहले किसी से आप चुदी थी कि नहीं भाभी?

मैं- नहीं, क्यों … अच्छा तुम ये बताओ तुम भी किसी से चुदती हो क्या?
ननद- हां, मैं एक से नहीं, तीन तीन से चुदती हूँ.

मैं- क्या, पागल हो? एक से नहीं तीन से? वो भी शादी से पहले?
ननद- हां, तो क्या हुआ. मुझे बहुत मजा आता है भाभी. आप बोलो तो आपकी भी सैटिंग करवा दूँ?

मैं- मुझे कोई जरूरत नहीं है. तुम्हीं मजा करो.
ननद- अच्छा वो सब छोड़ो, मेरी चुदाई की वीडियो देखोगी!

मैं- नहीं, मुझे नहीं देखना.
लेकिन वो मेरे मना करने पर भी पैनड्राइव को टीवी में लगा आई और रिमोट से वीडियो चला दिया.

उस वीडियो में तीन लड़के और मेरी ननद अकेली थी. और तो और उस तीन लड़कों में एक लड़का मेरा देवर था.

मैंने ननद की ओर देखा और मैं कुछ बोलती, उससे पहले वो बोली- देखो भाभी मेरे भैया का लंड कितना बड़ा है? और जानती हो … ये ना बहुत मस्त चुदाई करते हैं. आप देखना इस वीडियो में.

फिर मैं बोली- तुम अपने भाई से चुदती हो, तुमको शर्म नहीं आती?
ननद- इसमें शर्म कैसी भाभी, मुझे लंड की जरूरत थी और भैया को चूत की. इससे मेरी जरूरत और उसकी जरूरत भी पूरी हो गई.

मैं- ठीक है, बंद करो ये वीडियो और सो जाओ.
ननद- पहले देखो ना भाभी, कैसे तीनों मुझे चोदते हैं.

मैं भी कुछ नहीं बोली और देखने लगी.

वीडियो में ननद को देवर और दो लड़के बहुत अच्छे और नई नई स्टाइल से मेरी ननद को चोद रहे थे, जिसे देख कर मैं गर्म हो गई. मेरी ननद भी गर्म हो गई.

मेरी ननद अपने बूब्स दबाने लगी और चूत मसलने लगी. ये देख कर मैं भी खुद को रोक नहीं पाई और अपने चूत को कपड़ों के ऊपर से ही सहलाने लगी.

ये देख के ननद मेरे बूब्स दबाने लगी.
उसने मेरी नाइटी निकाल दी और ब्रा भी.
मैं कुछ नहीं बोली.

फिर उसने अपना टॉप भी निकाल दिया. वो ब्रा नहीं पहनी थी. उसने शॉर्ट्स भी निकाल दिया. वो पैंटी भी नहीं पहनी थी.
अब वो पूरी नंगी हो गई.

फिर मेरे पास आकर मेरे बूब्स दबाने लगी और मुझे किस करने लगी.
मैं भी उसे किस करने लगी.

मुझे भी अच्छा लग रहा था, मैं भी ननद के बूब्स दबाने लगी.
अब उसने मेरी पैंटी भी उतार दी और मेरी चूत चाटने लगी.
मैं बहुत गर्म हो गई और मुँह से कामुक सिसकारियां निकालने लगी.

ननद बोली- भाभी लंड लोगी?
मैंने भी जोश में बोल दिया- हां ले लूंगी.

ननद बोली- ठीक है भाभी मैं एक मिनट में लंड लेकर आती हूँ.
वो बाहर गई और देवर को लेकर आ गई.

देवर भी नंगा था और उसका लंड भी खड़ा था.
ननद उसका लंड पकड़ कर ही उसको लेकर आ रही थी.

देवर का लंड बहुत मोटा और लंबा था. लगभग 2.5 इंच से 3 इंच मोटा और 8 इंच लंबा.

शायद उन दोनों ने पहले से ही मुझे चोदने का प्लान बनाया था.

देवर मुझे किस करने लगा.
मैं कुछ नहीं बोली.

थोड़ी देर बाद वो मेरे बूब्स दबाने लगा और थोड़ी देर बाद चूत चाटने लगा.
ननद मुझे किस करने लगी.

थोड़ी देर बाद देवर ने मेरे मुँह में लंड डाल दिया और मैं चूसने लगी.
उधर ननद हम दोनों का मोबाइल से वीडियो बना रही थी, फ़ोटो खींच रही थी.

मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.

लगभग 20 मिनट लंड चूसने के बाद देवर मेरे मुँह में ही झड़ गया और मैं उसका रस पी गई.
उसके बाद ननद देवर का लंड मुँह में लेकर साफ करने लगी और चूसने लगी.

देखते ही देखते देवर का लंड फिर खड़ा हो गया.
इस बार देवर का लंड पहले से भी ज्यादा सुंदर और चमक रहा था.

ननद ने देवर के लंड पर कंडोम चढ़ाया और बोली- लो भैया, भाभी की चूत को चोदो. आप की चाहत आपके सामने नंगी है.
मेरे देवर ने मेरी चूत में अपना लंड रखा और चूत में धक्का दे मारा.
देवर के लंड टोपा भाभी की चूत में घुस गया.

फिर उसने एक और धक्का मारा, तो आधा लौड़ा अन्दर घुस गया.
मुझे दर्द होने लगा.
ननद मुझे किस करने लगी.

देवर आधे लंड से ही मेरी चूत चोदने लगा.
थोड़ी ही देर में मुझे मजा आने लगा, तो मैं आहें भरने लगी.
मैं ‘आआह ईईई ऊऊऊम्म्म …’ करने लगी.

ये देख कर धीरे धीरे देवर ने अपना पूरा लंड मेरे चूत में पेल दिया.

अब उसका लंड मेरी बच्चेदानी को छू रहा था.
मेरे पेट में ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई बांस मेरे पेट में चल रहा हो.

इधर देवर मुझे ताबड़तोड़ चोदे जा रहा था.

उसने काफी देर तक लगातार मुझे चोदा.
इस बीच में दो बार झड़ गई थी.

फिर जब देवर झड़ने वाला था, तब देवर ने अपने लंड से कंडोम हटा दिया और लंड मेरे मुँह में लगा कर झड़ गया.
मैं अपने देवर के लंड का माल पी गई.

फिर मैंने टाइम देखा तो रात के 2 बज रहे थे.
हम तीनों एक दूसरे को किस करके तीनों नंगे ही सो गए.

दूसरी रात देवर ने मेरी गांड मारी और ननद की चूत चोदी.
उसने मेरी गांड को चोद चोद कर कुआं बना दिया.

अब ऐसे ही मैं रोज चुदने लगी और आपने बुलाया तो मैं कुछ दिन के बाद आपके पास आ गई भैया.

मेरे भैया भाभी ने मेरी दास्तान सुनकर ख़ुशी जाहिर की और मुझे चोदने के लिए बिस्तर पर खींच लिया.
 

junglecouple1984

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पति के भाई को भी अपना पति बना लिया



दोस्तो, मेरा नाम आरती है। मैं जयपुर राजस्थान की रहने वाली हूँ।
हम सयुंक्त परिवार में रहते हैं।
मेरे परिवार में मैं, मेरे पति प्रतीश, मेरे दो बच्चे पायल और राहुल तथा प्रतीश के मामा का लड़का राजेश जो अब मेरा पति भी बन चुका है, रहते हैं।

मेरी उम्र 30 वर्ष है। मेरी शादी वर्ष 2008 में प्रतीश के साथ हुई थी।
प्रतीश मुझसे करीब 15 साल बड़े हैं।

यह हॉट भाभी देवर चुदाई कहानी मेरे पति की इच्छा पर ही बनी थी.

मेरा फिगर काफी सेक्सी है।
ऐसा मेरे पति प्रतीश कहते हैं।
मेरा फिगर साइज़ 34-30-38 है; यानि मेरे 34″ के बूब्स हैं, 30″ की कमर ओर 38 की मेरी गान्ड है।

शादी के चार पांच साल हम दोनों की सेक्स लाइफ सही चली।
लेकिन उसके बाद एक दिन मेरे पति मुझे कहने लगे- आरती यार, मैं तुम्हारे लिए कम पड़ता हूँ। मुझे लगता है कि तुमको दो मर्द मिलकर चोदें, एक मुँह पर … तो एक चूत पर हो. तब जाकर तुमको सन्तुष्ट कर पाऊं।

मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने प्रतीश को गुस्से से कहा- आगे से आप ऐसा नहीं बोलें।
प्रतीश मेरे गुस्से को देखकर चुप हो गए।

उसके तीन चार दिन बाद हम सेक्स करने के लिए बेड पर लेट कर पोर्न फिल्म देख रहे थे।
पोर्न फिल्म में एक औरत को दो मर्द मिलकर चोद रहे थे।
उस औरत को भी बहुत मजा आ रहा था।

प्रतीश मेरे बूब्स को दबा दबा कर पीने लगे।
मैं पोर्न देखकर बहुत गर्म हो गई थी, मेरी चूत पानी छोड़ दिया था।

तभी प्रतीश ने मुझसे पूछा- जान क्या तुमको दो मर्द मिलकर चोदें? मैं ऐसा चाहता हूँ।
मैं बहुत उत्तेजित हो गई थी और मुझे भी दो मर्दों के लण्ड से चुदवाने का मन कर रहा था।

प्रतीश मुझे कहने लगा- मामा जी के लड़के राजेश को बुला लें क्या?
मैं भी पूरे जोश में थी इसलिए मैंने तुरंत ही हाँ बोल दिया।

राजेश के नाम से मेरे पूरे शरीर में एक अजीब सा रोमांच शरीर में दौड़ने लगा।
मैं राजेश को महसूस करने लगी।

प्रतीश को मैंने राजेश समझकर इतनी जोर से काट लिया कि प्रतीश की चीख़ निकल गई।
मैं सिसकारियाँ ले रही थी- अआआ आआह आम्म आआ राजेश मुझे अपनी रण्डी बना ले! राजेश मेरी चूत में लण्ड डाल दे!
ऐसे न जाने मैं क्या क्या कहे जा रही थी।

प्रतीश मेरी चूत चूस रहा था।

मुझसे रहा नहीं गया।
मैंने प्रतीश का लण्ड पकड़कर अपनी चूत के मुँह पर रख दिया और प्रतीश को चूत में घुसाने के लिए मिन्नत करने लगी।

लेकिन प्रतीश लण्ड चूत के ऊपर ही रगड़ता रहा।
बिना पानी के मछली जैसे तड़पती है, मैं वैसे तड़प रही थी।

तभी प्रतीश बोला- राजेश का लण्ड खाने का वादा करो तो ही चूत में लण्ड डालूंगा।
मैंने तुरंत वादा कर डाला- तुम जब कहो मैं राजेश से चुदवा लूंगी, अब लंड डाल दो मेरे अंदर!

वादा कर लिया मैंने … तब जाकर प्रतीश ने मेरी चूत में लण्ड डाला और मुझे चोदने लगा.
मैं राजेश को महसूस करते हुए अपनी गाान्ड ऊपर उठा उठा कर चुदती रही।

करीब 20 मिनट बाद मैं अकड़ गई और झड़ गई।

उस दिन मैंने पूरी रात अपनी चूत चुदवाई।

अगले दिन शाम को दोबारा से प्रतीश ने राजेश से चुदवाने के लिए मुझे उकसाने लगे।
बार-बार उकसाने पर मैं राजेश के बारे में सोचने लगी।

परन्तु मुझे यह सब गलत लग रहा था क्योंकि मैं एक पतिव्रता भारतीय नारी हूँ।

रात को प्रतीश मुझे मेरे वादे का वास्ता देकर राजेश से चुदवाने के लिए जिद करने लगे।
मैंने प्रतीश को बोला- मुझे थोड़ा समय दो।

इस तरह सोचने विचारने और बातें करने में करीब एक साल निकल गया।
मैं राजेश को महसूस कर चुदने लगी थी।

होली आने वाली थी।
मैं पता नहीं क्यों … राजेश के नजदीक आ गई थी। मुझे उससे बातें करना, उसके साथ समय बिताना अच्छा लगता था।
सही कहूँ तो मुझे राजेश से प्यार हो गया था, मुझे राजेश का झुकाव मेरी तरफ महसूस होने लगा था।

राजेश के दिल में भी मेरे लिए कुछ था जरूर … मैंने जानने की कोशिश की किन्तु मुँह से कह नहीं पाई।

धुलण्डी का दिन था।
मैंने राजेश को रंग लगाया तो उसने भी मुझे किचन में अकेले में मुझे रंग लगा दिया।

मेरे देवर ने मुझे प्यार भरी नज़रों से देखा।
मैं अपने आप को रोक नहीं सकी और मैंने राजेश को बांह में भरकर प्यार का इजहार कर दिया।

राजेश भी मुझसे अपने प्यार का इजहार करके बोला- आरती डार्लिंग … आई लव यू! मैं तो तुमको साल भर पहले से ही अपनी पत्नी मान चुका हूँ।
और यह कहते हुए वो मुझे चूसने लगा।

मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी।
कोई देख ना ले इसलिए मैंने तुरंत ही अपने आप को राजेश से अलग कर लिया।

राजेश मुझे कहने लगा- आरती तुम मेरी जिंदगी हो। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ। इस जन्म न सही … अगले जन्म में मैं तुमको अपनी पत्नी रूप में पाना चाहता हूँ। आरती तुम मुझे अपना पति मानो या मत मानो मैं तुमको अपनी पत्नी मानता रहूँगा।

मैं कुछ नहीं बोली।

मैंने राजेश को चाय दी तो उसने मुझे पकड़ कर गोद बिठा लिया।
तो मैंने राजेश को कहा- यार कोई देख लेगा।
मैं राजेश से अलग हो कर साईड में बैठ गई।

हम दोनों ने बहुत देर तक बातें की।

राजेश ने मुझे कहा- आरती मुझे तुम्हारा तन नहीं चाहिये. मैं तो बस तुम्हारा साथ चाहता हूँ।

उस दिन रात को मैंने प्रतीश को दिन की सारी बात बताई।
प्रतीश बहुत खुश हो गये और बोले- अब तुम राजेश को बुला लो।

मैंने कहा- राजेश मुझे आपके सामने नहीं चोदगा। वो आपको बहुत मानता है।
प्रतीश ने कहा- अकेले में तुम इस बारे में उससे बात करो। तुम उसके साथ शादी कर लो। फिर तो वह अपनी पत्नी को चोदेगा।

प्रतीश ने मेरी ओर राजेश की शादी की प्लानिंग की।

हमारा घर दो मंजिला है।
नीचे मेरे जेठ जिठानी और सास-ससुर और घर वाले रहते हैं।
ऊपर मैं, प्रतीश ओर बच्चे रहते हैं।

प्रतीश ने मुझे कहा- राजेश को आज ऊपर हाल में ही सुला लेंगे। रात को मैं बच्चों को लेकर बेड रूम जल्दी ही सो जाऊंगा। तुम हाल में उसके साथ बातें करती रहना। जब उसको लगे कि मैं सो गया हूँ, तुम बेड रूम का दरवाज़ा बाहर से बन्द करके उसको सिन्दूर देते हुए बोलना ‘राजेश मेरी मांग भरकर मुझे अपनी पत्नी बना लो।’

रात होने पर हमने ऐसा ही किया। रात को प्रतीश और बच्चों के सो जाने पर मैंने चुपके से बैड रूम का दरवाजा बन्द करके कुन्डी लगा दी।
मैं आकर राजेश के पास लेट गई।

राजेश ने कहा- भाई उठ गये तो?
मैंने कहा- वो एक बार सोने के बाद सुबह ही उठते हैं।

राजेश को मैंने सिन्दूर देते हुए कहा- तुम मेरी माँग भरकर मुझे अपनी पत्नी बना लो।
इस पर राजेश ने कहा- यार, मैं अपने भाई के साथ विश्वासघात नहीं कर सकता हूँ।

मैंने कहा- यार तुम मुझे प्यार करते हो, मुझे अपनी पत्नी मानते हो. फिर क्यों नहीं मेरी माँग भर सकते?
थोड़ी देर बाद राजेश तैयार हो गया।

लेकिन राजेश ने कहा- हम कल शादी करेंगे, मुझे भी शादी की तैयारी करनी पड़ेगी।
कुछ देर बाते करने के बाद राजेश की बांहों में ही सो गई।

अगले दिन रात को मैं शादी का लिबास यानि दुल्हन के कपड़े पहनकर राजेश के सामने गई और उसको बोला- राजेश, तुम्हारी दुल्हन तैयार है।

राजेश भी उस रात दूल्हे के लिबास में तैयार हो गया था।
तब राजेश ने मुझे प्यार से अपने पास बिठाया और सिन्दूर से मेरी मांग भर दी।

तभी उसने मुझे एक फूल माला दी और कहा कि अपने दूल्हे को वरमाला पहना दो।
मैंने शरमाते हुए वरमाला राजेश के गले में पहना दी।
फिर राजेश ने भी मुझे वरमाला पहना दी।

इसके पश्चात हम दोनों ने घर में बने मन्दिर के साामने भगवान को धोक लगाकर भगवान को प्रणाम किया।

मैंने राजेश को भगवान की उपस्थिति में अपना पति बना लिया था।
राजेश ने भी मुझे पूर्णतः अपना बना लिया था।

अब मैं दुल्हन की तरह शरमा रही थी।

राजेश ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और प्यार करते हुए मुझे हाल में ही बिस्तर पर गिरा कर मुझे किस करने लगा।

धीरे धीरे राजेश ने मेरे सारे गहने ओर कपड़े निकाल दिये थे।
मैं राजेश के सामने बिलकुल नंगी हो चुकी थी।

मैंने दिन में ही वैक्स करवाई थी इसलिए मेरी टाँगें, चूत एक दम चिकनी हो रही थी।

राजेश मुझे प्यार करते हुए मेरे सारे बदन को पागलों की तरह चूमने चाटने लगा।
मैं मदहोश हो गई थी। मैं सिसकारियाँ ले रही थी- ऊऊऊ ऊह … आआआ आआह आअ अअअ मह औऔ औऔउ उउउउ उमम्म, आआ आआ!

कुछ देर बाद राजेश मेरी चूत को पीने लगा।
मैं दो बार झड़ चुकी थी।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था इसलिए मैंने राजेश को नंगा कर दिया।

राजेश का लण्ड मैं देखती रह गई। राजेश का लण्ड गधे के लण्ड की तरह लम्बा ओर मोटा था। ऐसा लण्ड तो नीग्रो लोगों का पोर्न में देखा था।
मेरी आंखें फटी की फटी रह गई।

राजेश ने मुझे पूछा- आरती क्या हुआ?
मैंने कहा- राजेश, तुम्हारा लण्ड बहुत बड़ा है यार! तुम्हारे भाई का लण्ड तो तुम्हारे लण्ड से आधा ही है।

मैंने राजेश के लण्ड को मुँह भर लिया.
अब राजेश भी सिसकारियाँ ले रहा था।

राजेश ने मुझे नीचे गिराया और लण्ड को चूत के मुँह पर रख दिया.
उसने मेरे हाथों को अपने हाथों में फंसा दिया और एक जोर का झटका दिया.
मेरी चीख़ निकल गई।

वो तो शुक्र था कि राजेश ने मेरे मुँह में मुँह दे रखा था इसलिए मेरी चीख़ बाहर नहीं निकल पाई।
मैं दर्द के मारे तड़प रही थी।
मुझे ऐसा लगा जैसे आज ही मेरी सील टूटी है।

राजेश मेरे 34″ के बूब्स को दबा दबा कर चूस रहा था।

कुछ देर बाद मेरी चूत का दर्द कम हो गया; मैं गान्ड उठा कर चुदने लगी।

करीब तीस मिनट बाद मैं अकड़ गई और राजेश के झटके बहुत तेज हो गये।
मैंने राजेश को जकड़ लिया था.

राजेश ने एक जोर का झटका दिया और मेरी चूत में वीर्य की जोरदार पिचकारी छोड़ दी।
पिचकारी मुझे बच्चेदानी पर टकराती हुई महसूस हुई।

इस तरह उस रात राजेश ने मेरी चूत में कई बार वीर्य की जोरदार पिचकारियाँ मारी।

सुबह चार बजे थे।
मैंने राजेश को कहा- अब मैं बैडरूम में जाती हूँ।

बैडरूम की कुन्डी खोली मैंने तो अन्दर प्रतीश जगे हुए थे।
प्रतीश ने मुझे मुँह पर अंगुली रख कर चुप रहने का इशारा किया।

मुझे प्रतीश ने बताया- मैं रोशनदान से तुमको देख रहा था।

मैंने प्रतीश को कहा- यार एक गलती हो गई।
प्रतीश ने मुझे पूछा- क्या गलती हो गई?

मैंने प्रतीश को बताया कि राजेश ने वीर्य मेरी चूत में ही छोड़ दिया है मैं गर्भवती हो सकती हूँ।
तो प्रतीश ने मुझे कहा- आरती, कोई बात नहीं … वो भी तुम्हारा पति ही है। अगर प्रेग्नेंट हो भी जाओ तो प्यार की निशानी पैदा कर लेना। मुझे कोई एतराज नहीं है।

अगले महीने मुझे पीरियड नहीं आया तो मैंने पेशाब चैक करवाया तो सचमुच में मेरे पैर भारी हो गए थे।

ठीक नौ महीने बाद राहुल ने जन्म लिया।
राहुल बिलकुल राजेश पर गया था।

अब राजेश के साथ बहुत खुश थी क्योंकि प्रतीश का लण्ड कमजोर पड़ चुका है, परन्तु राजेश मुझे सन्तुष्ट कर देता है।
मैं दोनों पतियों का प्यार पाकर बहुत खुश थी।
 

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चाची की चूत की चुदाई का आनन्द



दोस्तो, मेरा नाम अंशुल है, मैं रायपुर छत्तीसगढ़ में रहता हूँ.
मैं आज आपको मेरी सच्ची स्टोरी सुनाने जा रहा हूँ.

यह कहानी तब की है जब मैं 21 साल का था और फाइनल ईयर में पढ़ता था.

वैसे तो मेरे 3 चाचियाँ हैं लेकिन मैं सबसे ज़्यादा मेरी छोटी चाची को पसंद करता हूँ.
उनका नाम रीना है.

वो जब से हमारे घर आई, तब से मैं उनको पसंद करता था और सेक्स की भावना भी मुझमें कम उम्र में ही आ गयी थी.

उनका फिगर करीब 36-32-36 साईज का है. उनकी उम्र 38 साल की है. उनके बड़े बूब्स मुझे बहुत पसंद हैं.

जब यह घटना हुई, तब उनकी उम्र 29 साल थी.

पहले तो हमारी जॉइंट फेमिली थी लेकिन बाद में सब अलग-अलग हो गये.
फिर भी सब आस-पास ही रहते थे और सबका एक दूसरे के यहाँ आना जाना भी था.

जब मैं 12वीं क्लास में था तो मेरा ध्यान उन पर कुछ ज़्यादा ही जाने लगा.
अब मैं हर पल उनके पास किसी ना किसी बहाने से जाता था और उन्हें देखता था.

एक दिन जब मैं उनके घर गया और हमेशा की तरह सोफे पर बैठ गया.

थोड़ी देर के बाद चाची बोली- मैं बाहर जा रही हूँ, तुम्हें बैठना हो तो बैठो.
मैंने कहा- ठीक है. मैं जाते समय घर लॉक कर दूँगा.

और फिर वो अंदर वाले रूम में चली गयी.

तभी मेरे दिमाग में विचार आया कि शायद चाची साड़ी चेंज करने गयी होगी.
तो मैं उस रूम की खिड़की जो हॉल की तरफ थी, वहाँ जाकर देखने लगा.
वो ख़िड़की लॉक नहीं थी तो मैंने हल्के से एक साईड खोला और अंदर देखा तो चाची सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में थी.

उन्हें इस हालत में देखकर मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया था.
अब मुझे ऐसा लग रहा था कि अंदर जाकर चाची को चोद दूँ.
लेकिन मैं कुछ नहीं कर सका.

उस दिन के बाद से जब भी मुझे चाची को कपड़े बदलते हुए देखने का मौका मिलता था तो मैं मिस नहीं करता था.

मेरे चाचा बिज़नसमैन थे तो वो अक्सर टूर पर जाते थे इसलिए चाची हम बच्चों में से किसी को भी अपने घर में रात को सोने के लिए बुलाती थी. जब भी मुझे पता चलता था तो मैं सबसे पहले पहुँच जाता था.

एक दिन चाचा फिर से कहीं बाहर गये तो उस दिन रात को में चाची के घर में था.

अब चाची और उनका बेटा नीचे सोए थे और मैं दीवान पर सोया था.
मुझे तो वैसे भी नींद नहीं आ रही थी और मैं बार-बार चाची की तरफ ही देख रहा था और सोच रहा था कि किस तरह से मैं चाची के साथ सेक्स करूँ?
वैसे तो मैं उनसे अपनी सारी बातें शेयर करता था लेकिन मैं उनसे सेक्स के बारे में कैसे बात करता?

अब उन्हें सामने देखकर में खुद पर कंट्रोल भी नहीं कर पा रहा था.
तो तभी मैं दीवान से उठकर नीचे चाची के बाजू में सो गया.

चाची नींद में थी.
फिर मैंने हल्के से उनके पैरों को अपने पैरों से टच किया.
तभी चाची ने करवट बदली तो मैं डर गया और सोचा कि कहीं चाची जाग तो नहीं गयी हैं.

उस समय उन्होंने गाउन पहन रखा था और गर्मी के दिन होने के कारण कुछ ओढ़ा भी नहीं था.

कुछ देर के बाद मैंने फिर से उनके पैरों को टच किया.

मैंने अपने एक हाथ को हल्के से उनके हाथ पर रख दिया लेकिन में अब भी डर रहा था इसलिए फिर में उठकर वापस दीवान पर सो गया.

वैसे तो मैं हर दिन सुबह चाची के घर उनके नहाने के समय पर जाता था और छुपकर उन्हें साड़ी बदलते देखता था.

फिर एक दिन जब चाचा बाहर गये थे तो मैं रात को वहीं सो गया.
सुबह जब मेरी नींद खुली तो तब 8 बज रहे थे.

मैं उठा तो चाची ने मुझे चाय के लिए पूछा.
मैंने हाँ कहा तो वो मेरे लिए चाय ले आई.

चाची से मैंने चाय का कप हाथ में लिया और चाय पीने लगा.

तभी मुझे बाथरूम से पानी की आवाज आई तो मैं किचन की तरफ गया.
फिर मैंने किचन से बाथरूम की तरफ देखा तो बाथरूम का दरवाजा लगा हुआ था.

अब मैं समझ गया था कि चाची नहाने गयी होगी.
फिर मैं धीरे से बाथरूम के पास गया तो बाथरूम का दरवाजा थोड़ा खुला हुआ था.

मैंने हल्के से अंदर देखा तो चाची अपनी साड़ी निकाल रही थी और फिर उन्होंने अपने बाकी के कपड़े भी निकाल दिए और अब वो सिर्फ़ पेटीकोट में थी.

चाची के बूब्स को देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया था.
पर फिर मैं बाहर आकर सोफे पर बैठ गया और सोचने लगा.

तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया आया और मैं चाची का बाथरूम से निकलने का इंतज़ार करने लगा.

कुछ देर के बाद चाची बाहर आई और रूम में चली गयी.
अब मैंने सोच लिया था कि आज में चाची को बोल ही दूँगा और इसलिए मैं डरते-डरते रूम के दूसरे दरवाजे से अंदर इस तरह गया कि उन्हें लगे कि मैं गलती से अंदर आ गया हूँ.
मैं सिर्फ़ यही चाहता था कि मैं उन्हें दिखूं और उन्हें ऐसा लगे कि मैंने उन्हें कपड़े बदलते देख लिया है.

फिर मैं रूम में गया और उन्हें सामने देखकर में एकदम से पलट गया और वापस रूम से बाहर आ गया और सोचने लगा कि अब क्या होगा?
अब मुझे बहुत डर लग रहा था कि कहीं चाची समझ नहीं गयी हो कि मैं जानबूझकर रूम में आया था.

फिर थोड़ी देर के बाद चाची हॉल में आई और मुझसे बातें करने लगी.
अब मैं उनसे नजर भी नहीं मिला पा रहा था.

तभी चाची बोली- तुम जानबूझकर रूम में आए थे ना?
तो पहले तो में कुछ नहीं बोला लेकिन फिर हिम्मत करके मैंने हल्की आवाज में हाँ कहा.

उस पर वो कुछ नहीं बोली और उठकर किचन में चली गयी.
अब मुझमें भी हिम्मत आ गयी थी और फिर में उनके पीछे किचन में चला गया और चाची से एक गिलास पानी माँगा तो उन्होंने पानी का गिलास मेरे हाथों में दे दिया.

फिर मैंने पानी पीते-पीते उनसे कहा- क्या मैं आपसे एक बात कहूँ?
तो वो बोली- हाँ कहो?

तब मैंने कहा- मैं आपको ब्रा और पेंटी में देखना चाहता हूँ.

यह सुनते ही वो एकदम से मुझे गुस्से से देखने लगी और फिर अचानक से हंस पड़ी और ना करने लगी.
फिर मेरी लाख कोशिशों के बाद आख़िर में वो मान ही गयी.

लेकिन बोली- बस और कुछ नहीं!
तो मैंने कहा- ठीक है.

और फिर हम दोनों बेडरूम में चले गये.

पहले तो उन्होंने अपनी साड़ी निकाली, फिर ब्लाउज, फिर पेटीकोट.

अब मैं उनसे 5 फुट की दूरी पर खड़ा था.
मैं उनको सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में सपनों में ही देखता था लेकिन वास्तव में देखना शायद मेरा भाग्य मेरे साथ था.

अब तो बस मन में एक ही इच्छा थी कि मैं चाची की चुदाई करूँ.
जब मैं थोड़ा उनकी तरफ बढ़ा तो वो बोली- नहीं.

तब मैंने कहा- क्या मैं आपके बूब्स को हाथ लगाऊँ?
तो वो हाँ बोली.
तब मैं उनके पास गया.

उनके बूब्स पर हाथ रखते ही मेरे शरीर में करंट सा दौड़ने लगा था.
अब मेरा लंड पूरे जोश में था और अब मैं इस मौके को गंवाना नहीं चाहता था.

फिर मैंने उन्हें ज़ोर से पकड़ लिया और उनके होंठों पर किस करने लगा.
तो वो मुझे धकेलने की नाकाम कोशिश करती रही लेकिन उनकी एक नहीं चली.

फिर मैंने उन्हें पलंग पर खींचा और तुरंत अपने कपड़े उतार फेंके और उन पर चढ़ने लगा.

मैं बारी-बारी से उनके लिप्स, बूब्स और चूत को चूसने लगा.
तो धीरे-धीरे वो भी मेरा साथ देने लगी.

जब मुझे उनका साथ मिलने का सिग्नल मिला तो मैंने उनकी ब्रा और पेंटी निकाल फेंकी और अपने लंड को उनकी चूत पर रख दिया और फिर ज़ोर का एक धक्का दिया.

तो मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया और उनके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी.

फिर मैंने भी अपनी गति को बढ़ा दिया और ज़ोर-ज़ोर से धक्के देने लगा.
कुछ देर के बाद ही में झड़ गया और उनके ऊपर ही लेट गया.

थोड़ी देर के बाद हम दोनों उठे और फिर मैं अपने कपड़े पहनकर बाहर आ गया.

अब मुझे तो इतना आनंद आ रहा था जिसकी कल्पना भी मैंने नहीं की थी. अब तो मैं चाची से बार-बार सेक्स करने के लिए सोच रहा था.

और उस दिन के बाद से हम हर दिन सेक्स किया करते थे.

हमारा ये सिलसिला 5 साल तक चला.
फिर धीरे-धीरे उनकी इच्छा कम होती गयी और हमारा सेक्स रिलेशन सिर्फ़ चाची और भतीजे के रीलेशन पर वापस आ गया.

लेकिन मैं आज भी उनसे उम्मीद लगाकर बैठा हूँ कि शायद मेरी हॉट चाची Xxx सेक्स करने के लिए बुलायें!
वैसे मैं सेक्स का इतना भूखा हूँ कि मैं आज भी कोई लेडी को ढूंढ रहा हूँ, जो मेरे साथ सेक्स करे और मुझे वही आनंद दे जो मुझे मेरी चाची से मिला था.

 

junglecouple1984

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आंटी ने मूत पिलाकर चूत की चुदाई कराई



दोस्तो, मेरा नाम आशीष है और मैं हरियाणा का रहने वाला हूं.
आज आप सभी को मैं अपनी जिन्दगी का सबसे हसीन वाकिया बताना चाहता हूं जिसको पढ़ कर लड़कियों की चूत और लड़कों के लंड से पानी की फुहार निकल जाएगी.

यह आंटी की पेंटी सेक्स कहानी उस समय की है … जब मैं 12वीं कक्षा में पढ़ता था.
उस वक्त कुछ ऐसा मौक़ा मिला जिसमें मैंने अपनी एक पड़ोसन रोशनी आंटी का मूत पिया और उनकी जमकर चुदाई की.

आंटी के चूचे खरबूजे के जैसे थे और मस्त गांड थी; एकदम दूध सा गोरा बदन और काले लंबे बाल.

वैसे तो आंटी दो लड़कियों की मां थीं पर हर कोई उनका दीवाना था.
मैं अक्सर आंटी को देखकर मुठ मारा करता था.

हुआ यूं कि जब मेरे नाना जी की तबीयत खराब हो गई तो मेरे घर वालों को मुझे छोड़कर जाना पड़ा क्योंकि मेरे 12वीं कक्षा की प्रैक्टिकल थे.
तो मेरे घरवालों ने मेरी पड़ोसन आंटी को मेरी जिम्मेवारी दी.

मेरे घर वालों के जाने के बाद मैं आंटी के घर खाना खाता और रोज की तरह स्कूल जाता.

दो दिन तक ऐसे ही चलता रहा.

तीसरे दिन मैं प्रैक्टिकल देकर स्कूल से जल्दी घर आ गया. मैंने अपने घर आकर कपड़े बदले और दोपहर का खाना खाने के लिए आंटी के घर चला गया.

वैसे तो मैं उनके घर आवाज लगाकर जाता था लेकिन उस दिन मैं उनके घर में ऐसे ही चला गया.

मैंने देखा आंटी के घर में कोई नहीं है, तो मैंने आवाज लगाई- आंटी जी, कहां हो?
बाथरूम से आवाज आई- आशु, खाना गर्म करना पड़ेगा, तुम बैठ जाओ. मैं आती हूँ.

जैसे ही मैं बैठा मैंने बाथरूम के बाहर की दीवार पर टंगी हुई एक लाल रंग की पैंटी और सफ़ेद ब्रा देखी.
आंटी की ब्रा पैंटी देख कर मैं अपने होश खो बैठा.

मैं अपने आप पर पूरी तरह से कंट्रोल नहीं कर पा रहा था.
आंटी की ब्रा पैंटी को देखकर ही मेरे लंड ने लोअर में तम्बू तान दिया था.

मेरा लंड बैठने का नाम नहीं ले रहा था और मैं नहीं चाहता था कि आंटी मुझे इस हालत में देखें.
मैंने झट से हैंगर से आंटी की पैंटी उतारी और उसको अपने साथ घर ले गया.

अपने घर जाकर मैं बेड पर लेट गया और आंटी की पैंटी को चूत की तरह गद्दे तकिया के बीच में सैट कर दिया.
फिर अपने लंड को उनकी पैंटी में घुसेड़ दिया.

मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं आंटी की चुदाई कर रहा हूँ.

कसम से दोस्तो, मैंने दो बार जल्दी जल्दी आंटी की पैंटी में अपने लंड का पानी गिराया और इसके बाद मैं उनके घर चला गया.
मेरी जेब में आंटी की गंदी हो चुकी पैंटी थी.

लेकिन जैसे ही उनके घर में पहुंचा, मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं क्योंकि आंटी पूरी तरह से सिर्फ एक तौलिए में लिपटी हुई थीं.
शायद आंटी अपनी पैंटी को ढूँढ रही थीं.

मैंने आंटी को देखा तो मैं सकपका सा गया.
शायद उनको भी शक हो गया था कि उनकी पैंटी गायब होने में मेरा हाथ है.

चूंकि उनके घर में मेरे सिवाए कोई नहीं गया था. आंटी की दोनों बेटियां हॉस्टल में पढ़ती थीं और अंकल जी डॉक्टर थे, वो शाम को घर आते थे.

जब आंटी ने मुझसे कुछ नहीं कहा, तो मैंने समझ लिया कि सब कुछ ठीक है.
फिर मैं खाना खाने के बाद वापस आ गया और उनकी पैंटी को वहीं आंटी के घर में छिपा कर रख आया.

शाम के समय मैंने आंटी के घर जाकर खाना खाया और उसके बाद मैं वहीं गहरी नींद में सो गया.

मैं रात को आंटी के घर में सोता था क्योंकि मुझे अकेले घर में डर लगता था.

रात में मैंने अजीब सी आवाजें सुनी तो देखा कि अंकल और आंटी सेक्स कर रहे थे, पागलों की तरह एक दूसरे में लगे हुए थे.
उन दोनों का सेक्स देख कर मैं पागल हो गया.

मैंने देखा आंटी की अंकल के बालों को पकड़कर उनका मुँह अपनी चूत में घुसाए जा रही थीं.
वो उनको गालियां दे रही थीं- कुत्ते, चाट मेरी चूत को आज खा जा … मेरी चूत को जल्दी जल्दी से चाट साले.

रोशनी आंटी ने अब अपनी चूत अलग हटाई और उस पर लिक्विड चॉकलेट गिराकर अंकल को इशारा किया.
अंकल आंटी की चूत से लग गए और आंटी ने उन्हें अपनी चूत से चिपका लिया था.

अंकल को आंटी की चूत चाटते देखकर मैं भी गर्म हो गया.
मैंने अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया; अपने हाथ से तेज तेज हिलाते हुए लंड की मुट्ठी मारी.
आज मैंने पहली बार आंटी को इस हालत में देखा था.

वैसे तो आंटी साड़ी में बड़ी शरीफ लगती थीं लेकिन सारे मोहल्ले वाले उनके दीवाने थे; आंटी की मटकती गांड को हर कोई चोदना चाहता था.

अगली सुबह जब मैं उठा, तो मैं नहाकर स्कूल आ गया. उधर अपना प्रैक्टिकल देने लगा.

लेकिन मैं वह दृश्य भुला नहीं पा रहा था. सोच रहा था कि किस तरह से आंटी चूत चुसवा रही थीं. मेरे मुँह में पानी आ रहा था.

मैं स्कूल से फ्री हुआ और तेज कदमों से अपने घर आ गया.
जल्दी से अपनी ड्रेस चेंज की और आंटी के घर आ गया.

मैंने उनके घर में छिपाई हुई आंटी की पैंटी उठाई और अपने घर आकर बैठ कर कल के जैसे नंगा होकर फिर से आंटी की पैंटी को आंटी समझ कर चोदने लगा.

इतने में मेरे घर में आंटी आ गईं और उन्होंने मुझे रंगे हाथों पकड़ लिया.

वैसे तो आंटी गुस्सा थीं लेकिन कुछ हंस भी रही थीं.

उन्होंने मुझसे कहा- तुम्हारी मम्मी को मैं सब बताऊंगी.
मैंने दोनों हाथ जोड़ कर आंटी से कहा- प्लीज़ माफ़ कर दीजिए, आप जो कहेंगी, मैं करूंगा.

“ठीक है … चलो अभी घर आकर खाना खाओ. बाद में सोचती हूँ कि क्या करना है.”
मैं खाना खाने आ गया लेकिन मुझसे खाना नहीं खाया गया क्योंकि मैं काफी डर गया था.

शाम को भी मेरा आंटी के घर जाने का दिल नहीं कर रहा था, मुझे बेहद डर लग रहा था.

जब मैं शाम को नहीं गया, तो वो मेरे घर आईं और मुझे अपने साथ ले गईं.

उसी वक्त अचानक से आंटी के फोन पर अंकल का फोन आया.
उन्होंने हैलो कहा.

तो अंकल ने कहा- हां, मैं जरा देरी से वापस आऊंगा. तुम दोनों खाना खाकर सो जाना. यदि मैं ग्यारह बजे तक नहीं आया, तो फिर मैं कल आऊंगा.

अब आंटी ने मेरी तरफ देखा और होंठ दबा कर हल्का सा मुस्कुरा दी.
लेकिन मैंने कुछ भी रिएक्ट नहीं किया.

मैंने और आंटी ने खाना खाया और टीवी देखने आ गए.
हम दोनों ने 11:00 बजे तक टीवी देखा.

फिर आंटी बाथरूम में नहाने चली गईं.
आज भी उनकी पैंटी और ब्रा वहीं दरवाजे के पीछे की दीवार पर टंगी हुई थी.

मेरा अभी फिर से मन हुआ कि आंटी की पैंटी को चोदने के लिए उठा लूं लेकिन मुझे आंटी का डर था.
मुझे नहीं पता था कि आज आंटी का क्या इरादा है.

आंटी ने मुझे आवाज लगाई और बोलीं- आशु बेटा, बाहर मेरी पैंटी और ब्रा टंगी है, उसे लेकर देना.
मैं डरते डरते वॉशरूम के पास आ गया.

तभी झटके से दरवाजा खुला और मैंने देखा कि आंटी पूरी नंगी खड़ी थीं.
मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं.

आंटी की नंगी चूत को देखकर मेरे मुँह में पानी आ गया था.
तभी उनकी मस्त उठी हुई गांड हिली, जिससे चूत ने मुँह चलाया.
मैं नजारा देखने लगा.

फिर आंटी मादक आवाज में बोलीं- आशु क्या देख रहे हो? अन्दर आ जाओ.

जैसे ही मैं अन्दर जाने लगा तो सहमा हुआ था. मेरी सांसें तेज चल रही थीं.

मैं कुछ भी करने से डर रहा था. मैंने कहा- आंटी, मुझे माफ़ कर दीजिए.
तभी आंटी के हाथ ने मेरा हाथ पकड़ा और वो मुझे खींचती हुई बोलीं- तुमको एक शर्त पर माफ करूंगी, अगर आज अपने अंकल का काम तुम करो.

मैंने कहा- कैसा काम?
उन्होंने मेरे बालों को पकड़ा और मुझे नीचे कर दिया. अपनी एक टांग को कमोड पर रखी और मेरे सामने आंटी की गुलाबी और रसभरी चूत खुल गई थी.

उन्होंने मेरा सर अपनी चूत में दबा दिया.
मैंने भी चूत को देखा और आंटी की चूत में मुँह लगा दिया.
आंटी की चूत में रस ही रस भरा था.

नमकीन सफ़ेद अमृत का स्वाद जैसे ही मेरी जीभ पर लगा, मैं निहाल हो गया ‘उफ्फ … उम्महा …’

मैंने आज पहली किस उनकी चूत की फांकों पर की थी.

उनके मुँह से मुझे वासना से लबरेज सिसकारियां निकलती सुनाई देने लगीं.
मैंने जीभ चूत पर चलाने शुरू कर दी. शुरूआत में तो चूत चाटने में बहुत अजीब सा लगा. मगर चपर चपर करके मैं आंटी की चूत चाटने लगा.

तभी उन्होंने अपनी चूत पर लिक्विड चॉकलेट टपकानी शुरू कर दी.
मुझे आंटी की चूत मीठी लगने लगी.

उन्होंने एक पल के लिए मुझे हटाया और लिक्विड चॉकलेट की शीशी को अपनी चूत में लगा कर दबा दिया.
उनकी चूत में लिक्विड चॉकलेट भर गई.

अब आंटी बोलीं- अगर तुम ये पूरी चॉकलेट खा लोगे, तो मैं तुमको स्पेशल गिफ्ट दूंगी.

मैंने आंटी की चूत को चाटा, उनकी चूत में जीभ डालकर मजा लेने लगा.
आंटी सेक्स की उत्तेजना में बोलने लगी- उफ्फ आंह … चाट ले साले … भोसड़ी के पैंटी में लंड हिलाने से क्या होगा … आज चूत में घुस जा मादरचोद.

आंटी की गालियां और कामुक सिसकारियों से मेरा लंड तनता जा रहा था.

फिर मैंने अपने दोनों हाथों से उनकी चूत को खोला और जीभ को नुकीला करके अन्दर डाल दी.
जीभ अन्दर हुई और हाथ फ्री हो गए.

मैंने हाथों से आंटी की गांड को पकड़ा और अपनी जीभ से उनकी चूत को गपागप चोदने लगा.

मैं पागलों के जैसे लगा हुआ था.
वो भी मेरे बालों को पकड़कर मेरा साथ दे रही थीं.
आंटी बोलीं- तुम आज अपने अंकल का काम कर रहे हो, इतनी मस्ती से तो तेरे अंकल भी नहीं चूसते हैं. आंह लगे रहो मेरी जान. चूसो … आंह जब तक मेरी चूत का पानी तुम्हारे मुँह में नहीं आ जाता, चूत चूसते रहो.

कुछ देर बाद मुझे लगा कि बहुत अजीब सा नमकीन पानी मेरे मुँह आने लगा है.
मैं हटने को हुआ, लेकिन उन्होंने मुझे हटने ही नहीं दिया.

आंटी बोलीं- आंह … साले पी जा भोसड़ी के … आज तो तू मेरा कुत्ता है … भैन के लंड … साले अगर आज तूने मेरी चूत से मुँह हटाया, तो मैं तुम्हारी मम्मी को सारी बात बता दूंगी.

मुझे डर लगा और बिना मुँह हटाए उनकी चूत को चूसना पड़ा.
चूत चूसते हुए ही मुझे उनका सारा नमकीन पानी पीना पड़ा.

फिर आंटी ने मुझे उठाया और मेरे होंठों पर टूट पड़ीं.
आंटी ने मेरे होंठों को चूस चूस कर अपनी चूत का सारा रस साफ़ कर दिया.

फिर वो मुझे अपने साथ पकड़ कर अपने रूम में ले आईं.
अब मेरे लंड की गर्मी बढ़ चुकी थी और मुझे लग रहा था कि मैं जल्द से जल्द मुठ मार लूं.

मतलब सामने चुदासी रांड के जैसे आंटी नंगी थी और मैं चूतिया मुठ मारने की सोच रहा था. गांड फटने पर यही हाल होता है.

फिर जब आंटी ने मेरे कपड़े उतारने शुरू किए, तब ख्याल आया कि लंड के लिए चूत तो सामने ही है, मुठ क्या मारना.

मैं पूरा नंगा हो गया.
आंटी ने मेरा लंड देखा और मुस्कुरा दीं.

अब हम दोनों बेड पर आ गए और मैं चित लेट गया.
आंटी मेरे ऊपर चढ़ गईं और वो मेरे होंठों को किस करने लगीं.

एक मिनट बाद आंटी बोलीं- आज तुझे तेरे अंकल का काम करना है, करेगा ना!
मैंने सर हां में हिला दिया.

आंटी मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच दबाने और चूसने लगीं, मेरे लंड को अपने हाथों से दबाने लगीं.

लंड पर उनका हाथ लगते ही लंड एकदम कड़क हो गया था.
आह आह साली आंटी, किसी रंडी के जैसे मेरे लंड को मसल रही थी.

कुछ पल बाद वो अपनी चूत से मेरे लंड को रगड़ने लगीं.
लंड को चूत का चुम्बन मिला तो मैं चूत का कायल हो गया; लंड चूत के अन्दर घुसने को लालायित हो गया.

हम दोनों ही पागल हो चुके थे.
मैं नहीं चाहता था कि आंटी मुझे चोदें, इसलिए मैंने उनको धक्का दे दिया और उनके ऊपर आ गया.

मैं भी गर्म हो चुका था. मैंने भी उनके गोरे-गोरे चूचों को मसलना और दबाना शुरू कर दिया. एक स्तन को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. पागलों के जैसे उनके निप्पल को दाँतों से खींच कर काटा. दूसरे हाथ से उनके दूसरे निप्पल को मसल दिया.
आंटी एकदम से चिल्ला उठीं- आंह साले काट मत भोसड़ी के … प्यार से चूस न.

फिर मुझको पता ही नहीं चला कि मैं कब उनके चूचों से उनकी चूत पर आ गया.
मुझे भी आंटी की चूत चूसने का मजा आने लगा था क्योंकि वह चॉकलेट और शहद टपका कर मुझे पागल कर रही थीं.

अबकी बार मैं आंटी की चूत को ऐसे चाट रहा था जैसे कुत्ता मलाई खाता है.

उन्होंने अपनी दोनों टांगों को खोलकर मुझसे अपनी चूत खूब चुसवाई.
आंटी बोलीं- तुम मेरे कुत्ते हो और कुत्ते के जैसे चाटो.

सच कहा था उन्होंने … आज असल में आंटी का कुत्ता ही बन गया था.

फिर आंटी बोलीं- चल आ जा … अब आज मैं तुझको कुछ और देना चाहती हूँ.

अब आंटी ने मुझको अपने नीचे लेटाया और मेरे मुँह पर आकर बैठ गईं.
आंटी बोलीं- चूत चूसते जाओ बस … मरी तरफ मत देखो … और जो भी परसाद मिले, उसे खा जाना.

मैं आंटी की चूत चूसने लगा.

कुछ मिनट के बाद आंटी का रज मेरे मुँह में निकल गया. मैंने उस दिन उनका 3 बार पानी चूस लिया था.

फिर आंटी बोलीं- आज तुझे तेरे किए की सजा भी मिलेगी. तेरे लिए मेरी चूत से अभी कुछ और भी आएगा.

ऐसा कहते हुए उन्होंने अपनी चूत से पेशाब की पिचकारी मेरे मुँह में मारना शुरू कर दी.
मुझे घिन आने लगी.

मगर आंटी ने जबरदस्ती मुझे अपनी पेशाब पिलाना शुरू कर दी.
मैंने मुँह इधर उधर करने लगा.
आंटी ने मेरा सर थामा और बोलीं- तुम्हें तुम्हारी मम्मी की कसम, पी ले.

मुझको आंटी का मूत पीना पड़ा.

कुछ ही पलों में मुझको उनका गर्म-गर्म मूत बहुत मस्त लगने लगा. मैं आंटी का सारा मूत पी गया.

उनकी चूत से मूत निकलना बंद हो गया जबकि मैं चाह रहा था कि वो मुझे और मूत पिलाएं.
वह समझ गईं और बोलीं- आज तूने मेरे मन की इच्छा पूरी कर दी. बोलो आशु तुमको क्या चाहिए?

मैंने भी बोल दिया- आपकी चूत को चोदना चाहता हूँ.
उन्होंने ओके कहा और मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया.
वो पागलों के जैसे लंड चूमने लगीं.

जैसे ही मैं अपना लंड उनके होंठों पर रखा, मेरे लंड ने हार मान ली.

लंड का रस उनके मुँह में निकल गया. आंटी ने सारा रस खा लिया.
साली कुतिया के मुँह से एक भी बूंद बाहर नहीं गिरी.

आज पहली बार मेरे लंड से इतनी क्रीम निकली थी कि आंटी का मुँह अच्छे से भर गया था.

आंटी हंसती हुई बोलीं- इतनी सारी क्रीम मत जमा किया करो, इसके अन्दर कीड़े पड़ जाएंगे.
मैंने कहा- निकालता तो आपकी पैंटी में हूँ.

आंटी हंसने लगीं और बोलीं- अब तड़पाओ मत … मेरी चुदाई करो.
मैंने कहा- लंड तो खड़ा करो.

उन्होंने दोबारा से मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और एक मिनट में ही चूस कर खड़ा कर दिया.

लंड देख कर आंटी बोलीं- चल अब असली काम पर लग जा. मुझे ज्यादा मत तड़पा. डाल दे जल्दी से मेरी चूत में.

मैंने भी उनको कुतिया बनाया और पीछे से लंड लगा और उनकी चूत पर लंड रगड़ा.
आंटी अपनी गांड हिलाकर बोलीं- कुत्ते ऐसे मत तड़पा … डाल देना अन्दर अपना लंड … मेरी चूत को रगड़ दे.

मैंने भी लंड को सैट किया, उनकी गांड को पकड़ा और जोर से धक्का दे मारा.
मेरा पूरा लंड आंटी की चूत में अन्दर तक समा गया था.

वो एकदम से चिल्ला उठीं और बोलीं- आशु, इतना लंबा लंड तो तेरे अंकल का भी नहीं है.
मैंने कहा- आंटी, तुम्हारी पैंटी पर लंड को रगड़ रगड़ कर इतना लंबा किया है.

वो हंसने लगीं और गांड हिलाने लगीं.
मैं जोर जोर से धक्के देने लगा और उनके चूचों को पकड़कर चूत को फाड़ता रहा.

आंटी भी अपनी गांड को उठा उठा कर साथ दे रही थीं, मुझे गालियां दे देकर अपनी चूत का भोसड़ा बनवा रही थीं.

वो मुझे जोश दिला रही थीं लेकिन मैं भी कहां थकने वाला था, मैंने भी आंटी को ऐसा चोदा कि वो थरथरा उठीं.

आंटी बोली- तू तो बड़ा मर्द निकला.
मैंने कहा- बस आपके मूत की वजह से ही ये सब कुछ हुआ.

लगभग दस मिनट की चुदाई के बाद आंटी की चूत से पानी की फुहार छूटने लगी.

अब उन्होंने धक्का देकर मुझे हटाया और मुझे बेड पर गिरा दिया.
वो फिर से मेरे होंठों पर बैठ कर बोलीं- फिर से चूस मेरी चूत को … मुझे आज तुझे सजा देनी है.

मैं भी चूत चूसने लगा क्योंकि उनकी चूत में से मस्त खुशबू आ रही थी.

कुछ देर बाद आंटी लंड पर चूत फंसा कर चुदवाने लगीं.
आधा घंटा की चुदाई में हम दोनों संतुष्ट हो गए.

कुछ देर आराम करने के बाद आंटी बोलीं- अब तुम मेरी गांड की चुदाई करो.
मैं तो आंटी का गुलाम था.

मैंने उनकी गांड की चुदाई करने के लिए इस बार उनको बेड के एक सिरे पर लेटा दिया, उनकी टांगों को फैलाया और उनकी गांड के नीचे तकिया लगा दिया.
फिर अपने लंड पर थूक गिरा कर लंड को आंटी की गांड में सैट कर दिया.

आंटी ने मुस्करा कर देखा, तो मैंने उनकी चूचियों को पकड़ कर जोर से झटका दे दिया.
लंड गांड में घुसता चला गया.

आंटी की चीख निकल गई.

मैंने झट से उनके होंठों को लॉक किया और अपने लंड से फिर से धक्के देने शुरू कर दिए.

मेरे धक्के इतने जोर से लग रहे थे कि आंटी की गांड के अंतिम छोर पर लग रहे थे.
आंटी पागलों के जैसे चिल्ला रही थीं.
मैंने अपने लंड से धक्के मार मार कर उनकी गांड सुजा दी.

कुछ देर बाद मैंने कहा- मेरा रस निकलने वाला है.
आंटी ने कहा- आज तुम अपनी रांड बना लो. बोलो कहां निकालने का मन है!

मैंने भी बोल दिया- आपके मुँह में.
वो बैठकर मेरे लंड को चूसने लगीं.

मेरे माल की पिचकारी निकली तो उनकी आंखों में, बालों में, होंठों पर जा गिरी.
वो हंसने लगीं.

फिर हम दोनों शांत होकर वहीं लेट गए और सो गए.
 
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