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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

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junglecouple1984

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गर्मी की रात में मम्मी पापा की मस्ती



दोस्तो, मेरा नाम कुमार है। मेरी उम्र 25 साल है और मैं रायपुर से हूँ।

ये मेरी पहली सेक्स स्टोरी है और मेरी आंखों देखी घटना है।

मॉम डैड सेक्स वोयूर स्टोरी कुछ साल पहले की है जब हम छोटे घर में रहते थे और सब साथ में एक ही कमरे में सोते थे।
उस वक्त मैं 19 साल का ही हुआ था।

हमारे पास कूलर भी एक ही था, और दो बेड थे जो आपस में सटे हुए रहते थे।
एक बेड पर मम्मी-पापा और एक पर मैं सोता था।

मेरे पापा नौकरी करते हैं और मां घर पर रहती है।
पापा के बारे में बता दूं कि वो बड़े रोमांटिक किस्म के आदमी रहे हैं।

अब मैं असल घटना पर आता हूं।

एक रात की बात है जब मैं गहरी नींद में सो रहा था तो चूड़ियों की हल्की आवाज से अचानक मेरी नींद खुल गई.
और मैंने पाया कि पापा और मम्मी बहुत धीमी आवाज में कुछ खुसर-फुसर कर रहे थे।

कमरे की लाइट बंद थी लेकिन बाहर से हल्की रोशनी आ रही थी जिससे सामने वाले की हरकत का पता लग रहा था।

मेरे पापा मम्मी के जिस्म पर हाथ फिरा रहे थे।
मम्मी बार बार उनके हाथ को हटा रही थी।

फिर पापा उनका हाथ पकड़ कर लंड पर ले गए और बोले- देखो कैसे तना हुआ है, बहुत मन कर रहा है। मुंह में लो ना प्लीज!

मम्मी पहले तो मना करती रही लेकिन फिर पापा की चड्डी उतार कर लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी।
फिर कुछ देर लंड चूसने के बाद पापा ने मम्मी को ऊपर आने के लिए कहा और वो दोनों एक दूसरे ऊपर लेटे हुए किस करने लगे।

अब पापा मम्मी का ब्लाउज खोलने लगे।
उन्होंने ब्लाउज खोल दिया और मॉम के 36 के चूचों को हाथ में लेकर दबाने लगे।

फिर उन्होंने पेटीकोट भी खोल दिया और मम्मी अब पूरी नंगी हो गई जबकि पापा पहले ही नंगे हो चुके थे।
पापा ने उनको बेड पर लिटा लिया और गांड के नीचे तकिया लगा कर उनकी टांगों को फैला लिया।

वो मम्मी की चूत पर हाथ फिराने लगे और फिर उसको जीभ से चाटने लगे।
मॉम आह्ह … आह्ह … करने लगी।

एक दो मिनट के बाद ही मम्मी भी पूरी मस्ती में आ गई और पापा के सिर को पकड़ कर अपनी चूत में दबाने लगी।

चूत चाटने के बाद वो उठे और फिर उनकी चूत में उंगली से चोदने लगे।
मम्मी और भी ज्यादा गर्म होने लगी।

वो कसमसा रही थी और बार बार अपनी चूचियों पर हाथ फिरा रही थी।
कुछ देर ऐसे ही करने बाद पापा ने उनकी टांगें चौड़ी फैलाते हुए लंड को उनकी चूत पर टिका दिया।

फिर एक धक्के के साथ लंड मॉम की चूत में उतार दिया।
अब धक्कापेल चुदाई शुरू हो गई। अब पापा मजे लेते हुए मम्मी को चोदने लगे।

मॉम को भी चुदते हुए पूरा मजा आ रहा था और वो हल्के हल्के सिसकार रही थी; अम्म … आह्ह … स्स्स … करते हुए मॉम पापा का पूरा साथ दे रही थी और उनसे लिपटने की कोशिश कर रही थी।

इस पोजीशन में कुछ देर चोदने के बाद पापा ने उनको घोड़ी बना लिया और पीछे से उनकी चूत में लंड को पेल दिया।
वो तेजी से मॉम को घोड़ी की पोजीशन में चोदने लगे।
मम्मी की चूत फूली हुई सी दिख रही थी।

मॉम डैड सेक्स देखते हुए अब तक मेरा लंड भी फटने को हो गया था।
मैं धीरे-धीरे … बहुत कम हरकत करते हुए अपने लंड को दबा रहा था।

मेरी नजरों के सामने पति-पत्नी की लाइव चुदाई चल रही थी।
मम्मी-पापा की चुदाई पहली बार देखने का मौका मिल रहा था मुझे और इतनी उत्तेजना हो रही थी कि कंट्रोल नहीं कर पा रहा था।

फिर पापा ने उनको पीठ के बल लेटाकर उनकी टांगों को हाथों में थाम लिया और तेजी से धक्के मारने लगे।

अब कमरे में पट-पट की आवाज भी होने लगी लेकिन वो दोनों सावधानी भी बरत रहे थे और बहुत कम आवाज करने की कोशिश कर रहे थे।

पापा के चोदने की स्पीड अब बहुत तेज हो गई थी और फिर चोदते हुए वो एकदम से थम गए। शायद पापा का वीर्य चूत में निकल गया था। मम्मी ने पापा को अपने ऊपर जकड़ लिया था और टांगें उनके चूतड़ों पर लपेट ली थीं।

वो मम्मी के ऊपर लेटे थे और उनका लंड अभी भी चूत में ही था जिसका मम्मी पूरा मजा ले रही थी।
फिर पांच मिनट के बाद वो अलग हुए और मम्मी बाथरूम में चली गई; शायद चूत की साफ सफाई करने गई थी।

फिर वो वापस आई तो पापा चले गए और कुछ देर बाद तौलिया लपेट कर आए।

वो पानी पीने लगे और मॉम को भी पानी के लिए पूछने लगे।
दोनों ने पानी पीया और फिर बेड पर आराम से लेट गए।

मॉम पापा की छाती पर सिर रखकर लेट गई और पापा मॉम की चूचियों को सहलाने लगे.
उधर मम्मी ने उनके लंड को तौलिया के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया।

मैंने अब तक अपने पेशाब को भी रोक कर रखा हुआ था।
फिर मैंने नींद से उठने का नाटक किया और सीधा बाथरूम की ओर जाने लगा।

वो दोनों अलग होकर लेट गए।
फिर मैं वापस आकर लेट गया।
मैं देख पा रहा था कि पापा का लंड तौलिया में फिर से खड़ा हो चुका था और वो दोनों अब शायद मेरे सोने का इंतजार कर रहे थे।

कुछ देर बाद पापा उठे और बाहर चले गए।
मैंने देखा कि दो मिनट के बाद मॉम भी चली गई।

सामने हमने गेस्ट के लिए सोफे डाले हुए थे।
उस जगह को हम हॉल की तरह इस्तेमाल करते थे।

मॉम ने जाते टाइम रूम का दरवाजा हल्के से ढाल दिया लेकिन पूरा बंद नहीं किया।
मैं जान गया था कि चुदाई का एक और राउंड होने वाला है।

जब वो लोग 2 मिनट तक वापस नहीं आए तो मैं धीरे से उठा और दरवाजे के पीछे खड़ा होकर सावधानी से बाहर झांकने लगा।

पापा मम्मी के ऊपर पड़े थे और उनके होंठों को चूस रहे थे।
मॉम भी पूरा साथ दे रही थी।

मैं हैरान था कि इस उम्र में भी इतनी प्यास लगती है इन दोनों को!
नीचे से पापा का हाथ मॉम की चूत पर चल रहा था।

फिर वो उठे और मॉम की टांग को सोफे पर चढ़ा दिया।
अब उनकी एक टांग नीचे लटक रही थी और एक ऊपर सोफे पर चढ़ी थी जिससे उनकी चूत खुल गई थी।

ऐसा सीन मैंने पोर्न फिल्मों में ही देखा और आज लाइव देख रहा था।
पापा ने मॉम की चूत में उंगली दे दी और तेजी से चलाने लगा।

जल्दी ही मॉम की सिसकारियां निकलने लगीं।
बीच-बीच में पापा मॉम की चूत में जीभ से चोदने लगते थे जिसके कारण मॉम की सिसकारी निकल जाती थी।
फिर वो और तेजी से हाथ को चलाने लगे।

इधर मैं भी दरवाजे के पीछे खड़ा हुआ लंड की मुठ मारने लगा।
अब पापा की स्पीड और तेज हो गई।

फिर एकदम से उन्होंने मॉम की चूत में मुंह लगा लिया और वो उनके सिर को चूत में दबाने लगी।
मॉम की चूत का पानी निकल गया जिसके बाद वो शांत हो गई और पापा उनकी चूत का सारा पानी चाट गए।

फिर पापा ने उनकी चूत में लंड को लगा दिया और अंदर घुसा दिया और मॉम से बोले- मेरी गर्दन में हाथों का घेरा बना लो।
मॉम ने वैसा ही किया।

पापा ने उनको पीठ से और एक टांग से उठाते हुए ऊपर उठा लिया।
अब मम्मी पापा की गोद में थी और उनका लंड चूत में घुसा हुआ था।

पापा झूला झुलाते हुए मम्मी को ऐसे ही गोद में चोदने लगे।
वो नजारा देखने लायक था।

मेरे मम्मी-पापा इतने रोमांटिक होंगे, मैं सोच भी नहीं सकता था।

वो तेजी से झटके लगा रहे थे और उनका लंड मॉम की चूत में भीतर तक चोद रहा था।
मामी उनको उतारने के लिए कह रही थी लेकिन पापा लगातार ठोक रहे थे।

दो मिनट ऐसे ही हवा में चोदने के बाद पापा ने उनको फिर से सोफे पर लिटा दिया।
मम्मी ने खुद टांगें फैला दीं क्योंकि वो समझ गई थी कि पापा अब रुकने वाले नहीं हैं।

लेकिन पापा ने लंड उनकी चूत में नहीं बल्कि मुंह में दे दिया।
वो मॉम के मुंह को चोदने लगे।

मॉम की सांस फूल रही थी लेकिन फिर भी वो लंड को मुंह में अंदर तक लिए जा रही थी।
इतने सालों से लंड चूसते हुए मॉम लंड चुसाई में एक्सपर्ट हो गई थी शायद!

काफी देर तक मुंह को चोदने के बाद पापा ने उनको उठाया और खुद नीचे जा लेटे।

अब मॉम ने टांग उठाते हुए अपनी गांड उनकी जांघों पर रखी और लंड को चूत में लेते हुए बैठ गई।
मॉम ऊपर से धक्के लगाने लगी जैसे पापा को चोद रही हो।

मम्मी की मोटी-मोटी चूचियां अब पूरी उछल रही थीं।

ये नजारा देखकर मेरे लंड में और ज्यादा उत्तेजना होने लगी।
मैं और तेजी से मुठ मारने लगा।

इसके दो-चार मिनट के बाद पापा उठे और फिर खुद मॉम को नीचे पटकते हुए उनकी चूत में लंड पेल दिया; अब तेजी से उनकी चूत में धक्के लगाने लगे।
अब मॉम हल्के से कराहने लगी।

पापा लगातार जोरदार घमासान चुदाई किए जा रहे थे।
मॉम भी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और मस्ती में लंड को लेते हुए चूचियां पापा को पिला रही थी।
दोनों जैसे भूल ही गए थे कि मैं भी घर में हूं।

उनकी चुदाई की मस्ती ऐसी थी कि अगर मैं उनके सामने चला भी जाता तो वो चुदाई नहीं रोकते।

अब मुझे हर धक्के के साथ पच-पच की आवाज भी सुनाई दे रही थी जिससे मेरे लंड में बिजली सी दौड़ जाती थी।

लगभग 20 मिनट की चुदाई के बाद पापा के लंड ने माल छोड़ दिया, जिसका संकेत मुझे इस बात से मिला कि उनकी गति एकदम से रुक गई और वो वहीं पर मॉम के ऊपर निढाल हो गए।

कुछ देर तक वो दोनों ऐसे ही पड़े रहे।

मेरा माल भी निकल चुका था।

फिर वो दोनों उठकर बाथरूम में चले गए और मैं भी वहां से हट गया।

थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि पापा तौलिया लपेटे हुए अंदर आए और आकर बेड पर लेट गए।
उनके कुछ देर बाद मॉम भी आई गई और वो भी आराम से लेटकर सोने लगी।

फिर मुझे भी नींद आ गई।

इस तरह से उस रात मैंने पहली बार मम्मी-पापा की चुदाई देखी।
मुझे शुरू में अजीब लगा था लेकिन फिर सोचा कि पति-पत्नी तो चुदाई करते ही हैं। सबको जीवन साथी चाहिए होता है और सबको चुदाई करने का मन करता है।

उस दिन के बाद से मैं अक्सर कोशिश करता कि मुझे उनकी चुदाई देखने को मिल जाए।

एक बार तो मैंने पापा के फोन में मम्मी की बिकनी वाली फोटो भी देखी।
लेकिन वो रोजाना चुदाई नहीं करते थे।

कई बार वो ऊपर वाले रूम में चले जाते थे।
मैं भी समझ जाता था कि आज चुदाई होने वाली है।
फिर मैं भी चुपके से उनके पीछे पहुंच जाता था और उनकी चुदाई देखा करता था।

उनकी चुदाई देख-देखकर मैंने भी काफी कुछ सीखा।
कई बार तो वो दोनों बाथरूम में झांट भी शेव किया करते थे।
सुबह उठकर जब मैं बाथरूम में जाता तो झांटों के काफी बाल मिलते थे।

फिर एक दिन की बात है कि दोपहर का समय था, मैं बाहर से आया था।
घर मम्मी नहीं दिख रही थी।

पापा तो काम पर थे और मैं सोचने लगा कि मॉम कहां चली गई।
फिर मैं ऊपर गया तो रूम अंदर से बंद था लेकिन खिड़की खुली थी। मैंने सावधानी से अंदर झांका तो मॉम मोबाइल में पोर्न देखते हुए अपनी चूत में उंगली चला रही थी।

फोन से पोर्न फिल्म में होने वाली चुदाई की आह्ह … आह्ह … की आवाज आ रही थी और मॉम मस्ती में अपनी चूत में उंगली किए जा रही थी।
यह देखकर मैं भी मुठ मारने लगा और मेरा पानी निकल गया और मैं जल्दी से नीचे आ गया।

अब मुझे भी चुदाई का पूरा ज्ञान हो गया था।
मैं कोशिश में रहता था कि उन दोनों की चुदाई देखने को मिल जाए।
मुझे इसमें बहुत मजा आने लगा था।

उसके बाद भी मैंने कई बार उनकी चुदाई देखी।

फिर जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ तो उनका सेक्स भी कम होने लगा।
कभी उनकी चुदाई होती भी थी तो मुझे पता नहीं लग पाता था।

तो दोस्तो, आपको मेरे मम्मी पापा की चुदाई की कहानी कैसी लगी।
मुझे बहुत मजा आया उस रात उनकी चुदाई देखने में!
 

junglecouple1984

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मामी की चूत गांड को रगड़ कर चोदा



मेरा नाम राहुल है. मेरी हाइट 5 फीट 8 इंच है. मैं जिम जाता हूं, इसलिए कसरती शरीर है. मैं दिखने में भी काफी गोरा हूँ. मेरा लंड सामान्य से बड़ा है.

मेरी मामी सुमन की उम्र 32 साल है. उनका फिगर साइज 34-30-36 का बहुत ही हॉट है.

बात आज से एक महीने पहले की उस वक्त की है जब मैं अपनी मामी के घर गया हुआ था.

वो शाम का वक्त था. मामा जी खेत में चले गए थे.
उस समय फसल में पानी लगाने का काम चल रहा था, जिस वजह से मामा को रात में खेतों में बने एक कमरे में ही रुकना पड़ता था.

उस रात घर पर मैं और मामी दोनों ही थे.
मामी कोई किताब पढ़ रही थीं, मैं बेड पर लेटा था.

मामी ने सनी लियोनी की फ़ोटो देखी.
उस फोटो में सनी ने एक छोटा सा टॉप और स्कर्ट पहनी हुई थी.
यह देख कर मामी बोलीं- सनी ने कितनी छोटी सी स्कर्ट पहनी है.

मैंने कहा- हां अब वो भारत में फिल्मों में काम करने लगी है न, तो कपड़े पहनने लगी है.
इस बात से मामी हंस दीं.

मेरे और मामी के बीच खुल कर हंसी मजाक चलता था.
मामी बोलीं- क्या ऐसी स्कर्ट मैं पहन लूं?
तो मैंने बोला- आप पहले से ही हॉट हो स्कर्ट में तो और ज्यादा हॉट दिखोगी.
मामी बोलीं- हां, मैं हॉट तो हूँ ही.
मैंने बोला- हां, मैं तो खुद ही कह रहा हूँ. एकदम करीना कपूर सी लगती हो.

मामी बोलीं- अच्छा करीना तो एकदम दुबली पतली है. मैं उसके जैसी हल्की फुल्की थोड़ी न हूँ.
मैंने का- अब ये मैं कैसे कह सकता हूँ, ये तो मामा जी ही जानते होंगे कि आपमें कितना वजन है.

मामी हंस दीं और बोलीं- क्या तुम मुझे उठा सकते हो?
मुझे तो मौका ही चाहिए था, मैं बोला- हां क्यों नहीं.

मैं बिस्तर से नीचे आया और मामी को अपनी बांहों में उठा लिया.

मामी के 34 के बूब्स मेरे मुँह के पास आ गए थे.
मैंने अपने मुँह से मम्मी के एक मम्मे को टच कर दिया.

मामी बोलीं- हम्म … बड़ी शैतानी करने लगा है. तू तो पूरा जवान हो गया है … मुझे उठा लिया. मुझे तो तेरे मामा भी नहीं उठा पाते.

मैं बोला- मामी अभी मेरी जवानी को आपने देखा ही कहां है. मैं तो मामा से भी बड़ा जवान हूँ.
मामी बोलीं- अच्छा ये बात है … तो दिखा कि कितना जवान है?
मैंने बोला कि आप खुद देख लो.

मामी ने तुरंत मेरी टांगों के जोड़ पर हाथ फेर दिया.

मेरा खड़ा और बड़ा लंड उन्हें महसूस हुआ, उन्होंने एकदम से हैरानी से मेरी तरफ देखा और कहा- ये क्या है?
मैंने कहा- मेरी जवानी.

मामी ने में गोद से नीचे उतर कर मेरे लोवर को उतार दिया और अंडरवियर में मेरे फूले हुए लौड़े को देख कर उनसे रुका नहीं गया.
एक बार मामी ने मेरी आंखों में देखा और वासना से मुझे देखते हुए उन्होंने अपने होंठों पर अपनी जीभ फिरा दी.
मैंने भी आंख दबा दी.

उन्होंने मेरी चड्डी को नीचे खींच दिया.
चड्डी उतरते ही मामी के होश उड़ गए.
उन्होंने अपने मुँह पर हाथ रख लिया और अवाक रह गईं.

मैंने कहा- क्या हुआ मामी?
मामी बोलीं- इतना बड़ा यार … तू तो जवान से भी ज्यादा जवान हो गया. तेरे मामा का तो 5 इंच का ही है.

मैंने मामी को उठाया और उन्हें किस कर दिया.
वो भी मेरे होंठों से लग गईं.

हम दोनों 10 मिनट तक चुम्बन का मजा लेते रहे.

फिर मैंने उनके मम्मों को उनके कुर्ते के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया.
मामी की मादक कराहें निकलने लगीं.

मैंने मामी की कुर्ती को ऊपर उठा दिया और उनकी दोनों चूचियों को 15 मिनट दबाया और चूसा.
मामी एकदम से गर्मा गई थीं और चुदने को मचलने लगी थीं.

इतने में मामी के फोन पर मामा का फोन आया, उन्होंने कहा- आज खेत पर नहीं रुकूँगा. घर ही आ रहा हूँ.
उनके आने की खबर सुनकर मामी मुझसे अलग हो गईं और हम दोनों बात करने लगे.

कुछ देर बाद मामा घर आ गए.

अगले दिन सुबह मुझे घर वापस निकलना था तो मैं अपने घर आ गया.

दो दिन बाद मामी का फोन आया.
वो बोलीं- मेरी चूत में आग लग रही है, कब आ रहा है?
मैंने कहा- यार मामी, अभी नहीं आ सकता हूँ. मैं 5-6 दिन बाद आऊंगा.
मामी बोलीं- ठीक है.

दो दिन बाद मामा का फोन आया और वो मेरी मां से बोले- मैंने 3 दिन के लिए बाहर जाना है, तो घर पर सुमन अकेली है. आप राहुल को भेज देना.
मां बोलीं- ठीक है.

मैं अगले दिन चला गया.
जब मैं गया, तब तक मामा जा चुके थे.

मैं जैसे ही घर के अन्दर गया तो मामी मुझे देखते ही रंडी की तरह मुझ पर टूट पड़ीं.

तो मैं बोला- पहले साली चाय पानी भी नहीं पिलाएगी क्या रंडी साली चुदक्कड़.
वो हंस कर बोलीं- मेरा दूध पी ले भोसड़ी के और चूत का पानी भी चाट ले.
मैं बोला- हां ये तो है. चल आ जा मेरी रांड … आज तुझे कबूतरी बना देता हूँ.

मैं मामी को पकड़ा और उनके गाल पर कट्टू करते हुए गांड पर एक जोरदार चमाट मार कर चिपका लिया.

वो बोलीं- आंह … आज चाहे जान से मार दे मुझे … मगर मेरी चूत की आग को ठंडा कर दे.
मैंने मामी के कपड़े उतार दिए और मम्मों को चूसना शुरू कर दिया.

मामी मस्ती में ‘आह आह …’ कर रही थीं और मैं उनके दोनों दूध बारी बारी से चूसे जा रहा था.
उधर मामी मेरे लंड को पेंट के ऊपर से ही सहलाने लगी थीं.

मैं बोला- बता मेरी जान कैसे चुदेगी?
वो बोलीं- जैसे तू चाहे. बस चोद दे.

मैं मामी की चूत में उंगली करने लगा और मामी ने मेरे कपड़े उतार कर मेरे लंड को हाथ में ले लिया.

मैंने बोला- लंड चूस.
वो बोली- मेरे मुँह में नहीं आ पाएगा …. तेरा बहुत बड़ा है.
मैंने बोला- नाटक मत कर साली रांड … चल नीचे बैठ जा.

मामी हंसती हुई नीचे बैठ गईं और लंड को मुँह में भर लिया.
मामी ने 3 इंच तक लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.

मुझे मामी से लंड चुसवाने में बहुत मजा आ रहा था.
मेरे मुँह से मादक आवाजें निकलने लगी थीं.

मैंने उत्तेजना में मामी के बाल कस के पकड़ लिए और मामी के मुँह में लंड और अन्दर डालने लगा.

मैंने मामी के मुँह में 7 इंच तक लंड डाल दिया था.
मामी को सांस लेने में काफी दिक्कत आ रही थी, वो गों गों करने लगी थीं.

मैंने कुछ पल तक ऐसे ही लंड घुसेड़े रखा, फिर बाहर निकाल लिया.
मेरा पूरे लंड पर सफेद झाग सा लग गया था.
उधर मामी का पूरा मुँह झाग से भरा हुआ था.

मामी से अब उठा तक नहीं जा रहा था.
मैंने उन्हें नीचे जमीन पर लेटने को कहा.

मामी टांगें फैला कर लेट गईं.
मैंने उनकी दोनों टांगें उठा कर अपने कंधों पर रख लीं और लंड को चूत पर सैट करके एक ही बार में तेज झटके से पूरा लंड चूत में डाल दिया.

मामी जोर से चीख पड़ीं- उई मां … मार दिया … आह आह भैन के लंड … आह चूत फाड़ दी हरामी ने!
वे तेज आवाजें कर रही थीं.

मैं दो मिनट तक वैसे ही फुल स्पीड में Xxx मामी को चोदता रहा और मामी जोर जोर से चिल्लाती रहीं.

अब मामी ने लंड खा लिया था और उनकी चीखें मद्धिम पड़ गई थीं.

मैंने मामी की दोनों टांगें पकड़ीं और उनके कंधों कर ले जाकर कहा- टांगें पकड़ कर रख रंडी.
मामी ने अपनी टांगें पकड़ लीं और मैंने उनकी बुर का भोसड़ा बनाना शुरू कर दिया.

मैं अपना पूरा लंड जोर जोर से उनकी चूत में पेले जा रहा था.
मामी ‘आह आह …’ कर रही थीं.

दस मिनट तक मैंने मामी को ऐसे ही चोदा.
अब मैंने उनसे कहा- चल अब कुतिया बन जा. अब तेरी गांड की बारी है.

मामी की गांड में ये पहला लंड जाने वाला था.
वो बोलीं- आराम से करना और 5 इंच ही डालना प्लीज.
मैंने कहा- ठीक है तू कुतिया तो बन.

मामी कुतिया बन गईं.
मैंने लंड गांड के छेद में सैट किया.
मेरा लंड गीला था तो मुझे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी.
मैंने उनकी गांड को ढीला किया और ठोकर मार दी. मेरा वो इंच लंड गांड में चला गया.

मामी की आखों में आंसू आ गए और वो कराहती हुई बोलने लगीं- आंह रहने दे यार … बहुत दर्द हो रहा है. मैं मर जाऊंगी.
मैंने लंड को वहीं पर रोक लिया और उनके बूब्स को दबाने लगा.

दो मिनट के बाद मामी गांड हिलाने लगीं तो मैं भी लंड को आगे पीछे करने लगा.
आगे पीछे होते होते मैंने अपने 5 इंच लंड को गांड में डाल दिया.

मामी को दर्द भी हो रहा था और मजा भी आ रहा था.
फिर मुझे पता नहीं क्या हुआ … और मैंने एक जोर का झटका मार कर अपना पूरा लंड अन्दर पेल दिया.

जैसे ही लंड अन्दर गया, मामी की मां चुद गई.
वो जोर जोर से चिल्लाने लगीं- आंह मार दिया कमीन ने … आंह बड़ा दर्द हो रहा है.

मैंने देखा तो मामी की गांड से खून निकलने लगा था.
फिर मैंने थोड़ा रुक कर मामी को शान्त होने दिया.

जब मामी शांत हो गईं तो मैंने उनकी चोटी पकड़ ली और लंड वापस चलाना शुरू कर दिया.

मैंने दस मिनट तक जोर जोर से झटके मारे. मेरा पूरा लंड गांड में मस्त चल रहा था.
सेक्सी मामी को भी गांड मराने में मजा आने लगा और वो मुझसे चूत मसलने की कहने लगीं.

मैं एक हाथ से उनकी एक चूची को मसल रहा था और दूसरे हाथ से उनकी चूत में उंगली करने लगा था.
दस मिनट और गांड में लंड चला होगा कि मेरी नसें तनने लगीं.

मैंने दोनों हाथ से मामी की कमर पकड़ी और धकापेल गांड में लंड चलाने लगा.
फिर मैं मामी की गांड में ही झड़ गया.

मामी और मैं काफी थक गए थे.
कुछ देर बाद मामी मेरे लिए दूध के आईं और हम दोनों फिर से चुदाई में लग गए.

उन तीन दिनों में मैंने सेक्सी मामी को दसियों बार पेला और उसके बाद अब जब भी मौका मिलता, मैं मामी को पेल देता.
 

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चाची सास को चोदकर बच्चे की मां बनाया




मेरा नाम विवेक है और मैं गुजरात में जामनगर में रहता हूँ.

हमारे परिवार में लड़के और लड़की की सगाई बचपन में ही तय कर दी जाती है.
मेरी भी सगाई बचपन में हमारे पड़ोसी रिश्तेदार वैशाली के साथ तय हो गई थी.

हमारे यहां कुंवारी लड़की को लड़के से मिलने नहीं दिया जाता है.
अब फ़ोन का ज़माना आ गया था तो लड़की को फोन भी नहीं दिया जाता था.

एक बार मैंने मेरी होने वाली पत्नी को चुपके से मेरा नम्बर दे दिया और उसने अपने घर के फोन से मुझसे कॉल की.
हमारी बात चालू हो गई.

धीरे धीरे हमारी बातें अब फोन सेक्स वाली बातें होने लगीं.

एक बार उसके परिवार के लोग सब बाहर गए हुए थे तब उसके घर में सिर्फ उसकी चाची ही थी.

हम फोन पर सेक्स वाली बातें कर रहे थे.
तभी उसकी चाची आ गयी.

चाची ने वैशाली को पकड़ लिया और उन्हें सब पता चल गया कि वो किससे बात कर रही थी.

दोस्तो, इस चुदाई कहानी की हीरोइन और कोई नहीं, वैशाली की चाची ही हैं.

उनका नाम अंजलि है और दिखने में एकदम माल हैं. उन्हें देख कर किसी भी आदमी या लड़के का लंड खड़ा हो जाए.

चाची की उम्र सिर्फ 28 साल थी और उनके 2 बच्चे थे. चाची का फ़िगर 28-32-34 था.

और चाची की गांड की तो बात ही मत पूछो, एकदम मस्त.

मैंने जब पहली बार अंजलि चाची को देखा तो मैं उनकी गांड का दीवाना हो गया.

वैशाली के परिवार में उसके पापा मम्मी, उसके बड़े पापा (ताऊ) , बड़ी मम्मी (ताई) और चाचा चाची, उनके बच्चे भी … मतलब वो सब एक साथ रहते हैं.

बड़े पापा की बड़ी लड़की यानि मेरी साली, जिसका नाम माधुरी था.
उसकी उम्र 20 साल थी और उसकी फिगर 30-28-32 की थी.
वो कमाल की लौंडिया थी.

माधुरी बचपन से ही मेरे साथ स्कूल में पढ़ती आई थी. हम दोनों एक ही क्लास में थे.
मैं उसे बचपन से पसंद करता था, पर कभी बोल नहीं पाया था.

वो भी मुझको पसंद करती थी मगर वो भी नहीं बोल पाई.
इसका यही कारण था कि मेरी सगाई उसके चाचा की लड़की के साथ हो गई थी इसलिए वो कभी बोल नहीं पाई.

उसका एक भाई राहुल, उससे उम्र में दो साल छोटा था.
वैशाली अपने पापा लाड़ली बेटी थी. और उसका फ़िगर भी माधुरी जैसा ही 30-28-32 का था.

चाचा और चाची के दो बच्चे थे. वो दिनों अभी छोटे थे.

जब वैशाली को चाची ने मुझसे बात करते हुए पकड़ लिया, तो वैशाली उनसे माफ़ी मांगने लगी.

वैशाली- सॉरी, चाची गलती हो गई, अब मैं कभी बात नहीं करूंगी.

चाची- ओके, तुम अपने होने वाले पति के साथ बात कर रही थी, इसलिए छोड़ रही हूँ. मगर ये समझ लो कि इस बात का पता घर में तुम्हारी मां और पापा को चल गया, तो तुम जानती हो न कि वो तुम्हें मारेंगे. अच्छा यही है कि तुम अब उससे बात करना बंद कर दो.
वैशाली- पर चाची आप किसी को मत बोलना.
चाची- हां मैं नहीं कहूँगी.

वैशाली- चाची प्लीज, जब घर पर कोई नहीं होगा, तब बात कर लेंगे प्लीज प्लीज.
चाची- ओके मेरे अलावा किसी को पता चलना नहीं चाहिए.
वैशाली- पक्का चाची.

चाची- ये राज हमारे बीच में ही रहना चाहिए.
वैशाली- हां चाची, थैंक्स.

फिर इस तरह से मेरी और वैशाली की बातचीत होने लगी.

हालांकि वैशाली को एक बार उसकी मम्मी ने भी बात करते हुए पकड़ लिया था.
उसने वैशाली को मारा और हमारी बात होनी बंद हो गई थी.

अब मेरी हालत खराब थी; मैं कैसे बात करूंगा.
उससे बात किए हुए मुझे दो महीने हो गए थे, मैं यही सोच रहा था कि क्या क्या करूं.

तभी एक अनजान नंबर से कॉल आया.
उधर से वैशाली बोल रही थी.
हम दोनों ने बात की.

मैंने पूछा- ये किसका नम्बर है?
उसने बताया- ये मेरी चाची अंजलि का नम्बर है. अगर तुम्हें कुछ काम हो, तो इस नंबर पर फोन करके चाची को बोल देना.
मैं खुश हो गया और ओके बोल कर फोन काट दिया.

फिर वैशाली का जन्मदिन आया.
मैं उसे बढ़ाई देना चाहता था पर शाम तक उसका कोई कोई कॉल नहीं आया.

फिर मैंने उसकी चाची का फोन किया.
मैंने अपनी चाची सास से बात की और उन्हें बताया.

मैं- चाची जी, मुझे वैशाली से बात करनी है. आप मेरी उससे बात करवा दीजिए.
चाची सास- सब लोग घर पर हैं, बात करना मुश्किल है. अगर तुम उसे कोई मैसेज देना चाहते हो, तो मुझे दे दो. मैं उसे दे दूंगी.

मैं- मुझे वैशाली को बर्थडे विश करना है चाची.
चाची सास- ओके मैं वैशाली को तुम्हारी ओर से विश कर दूंगी.

मैं मायूस हो गया मगर क्या कर सकता था.

चाची और मैंने आपस में हाल चाल पूछे और बात खत्म करके फोन काट दिया.

फिर तभी काल वापस से आया.
ये चाची के नंबर से कॉल आया था.

मुझे लगा कि अब वैशाली ने कॉल किया.
मैं खुश हो गया.

जब मैंने बात की तो उधर से वैशाली नहीं थी, उसकी चाची ही थीं.

मैंने पूछा- जी?
उन्होंने कहा- मैं बोर हो रही थी, इसलिए सोचा कि तुमसे ही बात कर लेती हूं.

मैंने ओके कहा और हम दोनों ऐसे ही इधर उधर की बातें करने लगे.

इसी तरह काफी देर तक हम दोनों ने बातें की और फोन काट दिया.

चाची का पति एक कंपनी में जॉब करता था. वो देर रात को 12 बजे घर वापस आता था.
इसी कारण से चाची ने शाम को 9 से 11 तक मुझसे रोज फोन पर बात करना शुरू कर दिया.

पहले तो चाची सास के बारे में मेरा कोई ऐसा विचार नहीं था पर अब मुझे चाची सास के बारे में एक अलग फीलिंग आने लगी थी.

अब मैं अपनी चाची सास को चाहने लगा था, उनसे बात करते करते मेरा लंड खड़ा हो जाता था.
मैं रोज अपनी चाची सास के बारे में सोच कर मुठ मारने लगा.

एक दिन मैंने चाची से कहा- मैं आपके साथ एक दोस्त के रूप में रहना चाहता हूँ.
उन्होंने भी हां कहा और अब हम एक दूसरे को अपने निजी अनुभव और बातें भी कहने लगे थे.

एक बार चाची सास ने पूछा- तुमने वैशाली के साथ कुछ किया है?
मैंने कहा- क्या कुछ किया है … साफ साफ बोलो न!

चाची सास- कभी तुमने वैशाली के साथ सेक्स किया है?

ये सुन कर मेरा लंड खड़ा हो गया.

मैं- हां एक बार सेक्स करने के लिए हम दोनों मिले थे, पर हो नहीं पाया था.
चाची सास- क्यों क्या हुआ था?

मैं- वहां पर कोई आ गया था इसलिए हम आगे नहीं बढ़ सके थे, बस किस किया और कुछ नहीं.
चाची सास- ओह्ह … फिर तो तुम्हारा मन भी नहीं लगता होगा!
मैं- हां.

चाची सास- तो तुम क्या करते हो?
मैं- कुछ नहीं, हिलाकर सो जाता हूँ.

चाची सास- ओह्ह कितना दुःखी हो तुम!
मैं- और क्या हो सकता है सासु मां. आप तो अब वैशाली की शादी मुझसे जल्दी से करवा दो तो अच्छा रहेगा.
चाची सास- हां मैं समझ सकती हूं कि तुम दोनों के ऊपर क्या बीत रही है.

उधर चाची से बात कर रहा था, इधर मैं उनकी सेक्सी बातें सुन कर गर्म हो गया था और अपने लंड को हिला रहा था.

अचानक मेरी आवाज कुछ ज्यादा बाहर निकली और फोन पर सासु मां ने सुन ली.

चाची सास- तुम क्या कर रहे हो?
मैं- कुछ नहीं, बस आपसे बात कर रहा हूँ.
चाची सास- हां वो तो मुझे पता है, पर कुछ कर भी रहे हो!
मैं- कुछ नहीं.

चाची सास- तुम मुठ मार रहे हो ना!
ये सुन कर तो मेरी गांड फट कर हाथ में आ गई.
मैं- नहीं.

चाची सास- सच बोलो, मुझे पता है सब के साथ होता है. इसमें शर्माना कैसा?
मैं- हां.

चाची सास- हम्म … किसे याद करके हिला रहे हो जमाई राजा?
मैं- आपकी बेटी को याद कर रहा हूँ.

मैं ‘अअह ओह्ह ओहब्ब …’ कर रहा था.
चाची सास- चलो रखती हूँ. लगता है कोई आया है बाय.

चाची ने फोन काट दिया.
फिर तो मैं उनके साथ रोज ऐसी बात करता और चाची सासु मां भी गर्म हो जातीं.

मैं मुठ मार कर ढीला ही जाता और उन्हें बता देता कि मेरा लंड झड़ गया.

एक बार मैंने कहा- चाची, मैं आपसे प्यार करने लगा हूँ. मुझे आपसे प्यार हो गया है.
चाची सास- जमाई राजा, ये गलत है. हमें अब आगे नहीं बढ़ना चाहिए अगर वैशाली को पता चला कि मैं तुमसे ये बातें करती हूं, तो मैं कहीं मुँह दिखाने लायक नहीं रहूँगी.

मैं- उसे कैसे पता चलेगा. ये तो बस मुझे और आपको पता है. वैशाली को कौन बताएगा?
चाची सास- तब भी, ये सब गलत है … आज नहीं तो कल पता चल ही जाएगा. तब क्या होगा … तुमने सोचा भी है!

मैं- तब की तब देखी जाएगी. मुझे कुछ नहीं सुनना है. आई लव यू अंजलि.
मैंने अपनी सास को उनके नाम से बुलाया तो वो भी खुल गईं.

चाची सास- पहले तुम वादा करो कि ये राज हमारे बीच में ही रहेगा, किसी को कोई पता नहीं लगाना नहीं चाहिए.
मैं- वादा है अंजलि.

चाची सास- विवेक, मैं भी तुमसे प्यार करने लगी हूँ. मैं अपने पति को … और अपनी बेटी जैसी वैशाली को धोखा दे रही हूँ. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या सही है और क्या गलत.
मैं- अंजलि तुम मुझसे प्यार करती हो?
चाची सास- हां.
मैं- बाकी सब भूल जाओ.
चाची सास- ओके आई लव यू, अब रखती हूँ, कल बात करेंगे … बाय.

इसी तरह सास और जमाई में प्यार हो गया.

अब तो रोज रात मैं अपनी सास अंजलि से फोन सेक्स करके उन्हें हर दिन चोदने लगा था.

एक दिन हम दोनों ने मिलने का प्लान बनाया और हमने होटल में मिलने का तय किया.
मैंने होटल में दो रूम बुक किए और मैं बाहर रिशेप्शन पर बैठ कर चाची के आने इंतजार कर रहा था.

कुछ देर बाद मुझे सामने से एक काली साड़ी में बड़ी सी गांड थिरकाती और तने हुए बूब्स हिलाती हुई मेरी चाची सास आती दिखीं.
आह क्या गजब का माल लग रही थीं वो!

वो काउंटर पर आईं और अपने कमरे की चाभी लेकर चली गईं.

उनके जाने के दस मिनट बाद मैं अपने कमरे में चला गया.
हम दोनों पहले अलग अलग रूम में गए थे ताकि किसी को पता न चले.

अब मैं रूम में उनके आने का इंतजार कर रहा था.
वो अन्दर आईं और मैंने दरवाजा बंद कर दिया.

चाची को गले से लगाया और जोरदार तरीके से आपस में एक दूसरे से लिपट गए.
हम दोनों एक दूसरे को किस कर रहे थे.

मैंने उन्हें बेड के ऊपर गिरा दिया.

अंजलि- जमाई राजा आई लव यू … मैं बरसों से प्यासी हूँ … आज मुझे ऐसा चोदो कि मेरी चूत को फाड़ डालो … अअह.
मैं- आई लव यू टू सासू मां … मैं तो आपकी गांड का दीवाना हो गया हूं … आज तो मैं आपकी चूत फाड़ दूंगा.

अंजलि- हां फाड़ दो. तुम्हारे ससुर से तो कुछ होता नहीं है. उनकी तो लुल्ली है, पता नहीं कैसे उसकी लुल्ली से मैं दो बच्चों की मां बन गई. वो तो मुझे अधूरा छोड़ कर सो जाता है. सिर्फ दो मिनट में ही उसका काम फिनिश हो जाता है. आज मुझे अपनी चूत की प्यास बुझवानी है तुम मेरी चूत चोद कर मेरी आग बुझा दो विवेक.

वो मुझे किस किए जा रही थीं और मैं उन्हें नंगी किए जा रहा था.

कुछ ही देर में वो ब्रा और पैंटी में ही रह गई थीं.
चाची ने लाल रंग की ब्रा और पैंटी पहनी थी.
वो गजब की माल लग रही थीं, एकदम रंडी लग रही थीं.

फिर उन्होंने मुझे नंगा किया और चाची ने मेरा लंड देखा तो हैरान रह गईं.
उनका मुँह खुला का खुला रह गया.

मैं पाठिकाओं को बता दूँ मेरे लंड का नाप मैंने कभी लिया तो नहीं है, पर मुझे अपने लंड पर इतना भरोसा है कि इसमें सामने वाली चूत को फाड़ देने जितना दम है.

हॉट हॉर्नी सासू मां ने मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.
सच में मेरी सासू मां मेरा लंड क्या मस्त चूस रही थीं.

मेरे मुँह से ‘ओह्ह ओह्ह अंजलि … ओह्ह ओह्ह सासु मां क्या लंड चूस रही हो … आंह आप बिल्कुल रंडी की तरह लंड चूस रही हो … ओह्ह आआ आ आ आह …’ बस यही निकल रहा था.

अंजलि- ओह मेरे राजा क्या मोटा लंड है तुम्हारा … आंह तेरा लंड चूस कर तो मैं जन्नत में हूँ … ओहोह ऐसा लंड नहीं देखा मैंने … आज तो इससे चुदने में मज़ा आ जाएगा … ओह्ह वैशाली के तो जलसे होंगे, जो तेरा लंड लेकर हर दिन मौज करेगी.

मैं- अअह्ह मेरी जान, तुझे भी हर दिन जलसा कराऊंगा ओह चूस मेरी जान चूस कर पानी निकाल दे.

कुछ देर बाद मैं सास की चूत चूसने लगा था.
क्या मक्खन चूत थी!
मेरी चाची सास मेरे लिए अपनी चूत के सारे बाल साफ करके आयी थीं.

मैं उनकी मलाईदार चूत चूस रहा था और वो आआ आआ ओह जमाई राजा ओह ओह आह …’ कर रही थीं.

‘आंह विवु काश मैं तुम्हारी बीवी होती अअह तो कितना मज़ा आता … दिन रात चुदाई चुदाई बस और कुछ नहीं आआआह विवेक प्लीज़ मेरी चूत में अपना लंड जल्दी से डाल दो … अब नहीं रहा जाता प्लीज़.’

मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और चाची की चूत में अपना लंड डाल दिया.

आआ आह क्या कसी हुई गर्म चूत थी, जैसे कोयले की भट्टी में लंड पेल दिया हो.
उधर चाची की आवाज आ रही थी- आआह धीरे धीरे.

मैं अपना लंड धीरे धीरे डालने लगा और अंजलि चाची चिल्लाती रहीं- आआह ऊऊह उई मां अअह मेरी चूत फाड़ दी इस्स!

मैं लंड को जोर जोर से उनकी चूत में पेल रहा था.
मेरी भी मादक आवाजें निकलने लगी थीं- आआह सासु मां मेरी जान अंजलि … आआह ऊह आआह मजा आ गया … आह कितनी आग उगल रही है चुत.

हम दोनों हॉट हॉर्नी सेक्स की मदहोशी में सिसकारियां भर रहे थे.
अंजलि- विवेक प्लीज़ अपना वीर्य मेरी चूत में निकालना, मैं तुम्हारे बच्चे की मां बनना चाहती हूँ प्लीज़ अन्दर डालना अअह ऊऊऊ और जोरर्र सेईई आआह करते रहो.

इसी तरह चाची का दो बार पानी निकल चुका था और मुझे उन्हें चोदते हुए अब तीस मिनट से ज्यादा हो गए थे.

अब तो मेरी चाची सास अंजलि से भी सहा नहीं जा रहा था, वो बोल रही थीं- प्लीज़ अब निकाल दो अब और नहीं!

मैं जोर जोर से उनकी चूत चुदाई कर रहा था.
फिर मैं झड़ने के कगार पर आया और मैंने अपनी सास की चूत में अपना वीर्य डाल दिया.
मैं हांफता हुआ अपनी सास से चिपक कर लेट गया.

इसके बाद मेरी चाची सास ने मुझसे प्यार करना शुरू किया.
फिर 30 मिनट के बाद दूसरा राउंड शुरू हुआ.
मैंने चाची की चूत को अपने वीर्य से फिर से भर दिया.

हम दोनों हॉट हॉर्नी सेक्स का मजा लेकर घर आ गए.

इसी तरह अब हम दोनों को जब भी टाइम या मौका मिलता, हम दोनों चुदाई कर लेते.

नतीजा ये निकला कि मेरी चाची सास अंजलि आज मेरे बेटे की मां बन चुकी हैं, उसका चेहरा बिल्कुल मेरे ऊपर गया है.
 

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अनाड़ी भतीजा खिलाड़ी चाची- 1




कैसे हो दोस्तो, मैं आपका दोस्त राजेश आज अपनी पहली चुदाई कहानी लेकर आया हूँ.

बहुत सी कहानियां पढ़ने और लगभग 2 साल सोचते सोचते आज तय किया कि अपनी कहानी पेश करने की सख्त जरूरत है.

दरअसल मैं जितनी कहानियां पढ़ता हूँ, सबमें लेखकों का अतिवाद दिख जाता है.
मेरा मानना है कि पाठक वर्ग एकदम साधारण है और इन कहानियों को पढ़ कर दिग्भ्रमित होता है, ढेरों फंतासियां बुनता है और अनैतिकता के साथ साथ अपराध के रास्ते पर चल निकलता है.

बोर न होइए, ये सेक्स एजुकेशन की क्लास नहीं है.
मेरी नंगी चाची भतीजा सेक्स कहानी आपका मनोरंजन करेगी, ये मेरा दावा है.
इसका कारण ये है कि इस कहानी का एक एक शब्द, घटना और पात्र (नाम और स्थान छोड़कर) असली है.

फिर भी आपकी कोई शिकायत या सुझाव हो तो आप rajesh501990@rediffmail.com पर सम्पर्क कर सकते हैं.

यह घटना आज से 12 वर्ष पूर्व की तब की है, जब मैं बारहवीं में पढ़ता था.
मैं अपने चाचा जी के घर रह कर पढ़ाई करता था.

पहले थोड़ा सा चाचा-चाची का इतिहास बता दूं. निश्चिंत रहें, ये जरूरी है तभी बता रहा हूँ वरना आपको बोर न करता.

हम लोग लखनऊ में रहते हैं. चाचाजी सरकारी नौकरी में हैं.
जब उनकी शादी हुई थी, तब चाची भरपूर जवान थीं और मैं छोटा था.

मैं भी औरों की तरह सामान्य लड़का था, चाची को सम्मान की नज़र से देखता था.
कुछ बड़ा हुआ तो वो और ही ज्यादा निखर गईं. तब भी मेरे मन में उनके लिए कोई वासनात्मक भावना नहीं थी.

आप भी जानते हैं कि किशोरवय एक ऐसी उम्र होती है, जहां से भटकाव शुरू होता है.
कभी कभी चाची दोपहर में सोई रहती थीं, तो उनकी साड़ी ऐसी सिमट जाती थी कि एक खास एंगल से देखो तो 90% जांघ दिख जाए.

आज जब मैं हर तरह का पकवान चख और छक चुका हूँ, तो ये बात बहुत बड़ी नहीं लगती.
पर उस वक़्त देख कर ही सांस अटक जाती थी, पसीना छूट जाता था.
एक अपराधबोध भी होता था कि मैं गन्दा सोच रहा हूँ.

मेरा मानना है कि शरीफ से शरीफ लोगों के साथ ये दौर आता ही है.

फिर कुछ और चीजें घटित हुईं, जिनकी वजह से चाची के प्रति मेरी सोच बदलती गयी और वासना बढ़ती गयी.

दरअसल मोहल्ले के कुछ लड़कों से चाची के अवैध संबंध बन गए थे और वक़्त के साथ, चाची मेरे साथ अपमानजनक व्यवहार करने लगी थीं क्योंकि मैं उनके ऊपर आश्रित होकर पढ़ाई कर रहा था.
दोनों बातों के सम्मिलित प्रभाव से पहले तो उनके प्रति सम्मान लुप्त हुआ और अपमानित किए जाने की वजह से उनके प्रति बदले की भावना जागृत हुई.

उसी दौर में जवानी भी चढ़ रही थी, तो कभी कभी उनकी जांघों के दर्शन ने वासना भी भरनी शुरू कर दी.
अब मैं दोपहर में उनके सोने का इंतज़ार करता और सो जाने के बाद कपड़े अस्तव्यस्त होने पर टेबल फैन ऐसे सैट करता कि उनकी साड़ी और ज्यादा सरक जाए.

ये दौर 6 महीने चला.
इससे ज्यादा मैं कुछ उखाड़ नहीं पाया, पर वो भी उस वक़्त उतना ही मज़ा देता था, जितना आज नई लौंडिया को चोदने के वक़्त मिलता है.

फिर एक दिन हिम्मत करके साड़ी को हाथ से सरका के ऊपर करना चाहा पर कुछ हलचल हो गई तो उनकी नींद टूट सी गयी.
पर शायद वो कुछ समझ नहीं पाई.
ईश्वर की कृपा से बच गया.

ऐसा दो चार बार हुआ तो शायद चाची समझ गयी थीं.
अब वो मुझे खिलाने लगीं.

सोने का बहाना करके अपनी सरकी साड़ी को जांघ खुजाने के बहाने और खोल कर दिखाने लगीं.
कुछ देर बाद वापस ढक देती थीं.
एक महीने ये भी चला.

दरअसल वो बड़ी हरामी चीज थीं; चाहती थीं कि मैं पहल करूं ताकि वो ना नुकुर करके ही मानें और हमेशा मेरे ऊपर अपनी उम्मीदों का बोझ बनाए रखें ताकि कोई बात होने पर मेरे साथ सेक्स स्लेव जैसा व्यवहार कर सकें.

मैं सोचता था कि ये तो चुदक्कड़ हैं ही, मेरी रजामंदी जान ही गयी हैं और खुद ही बोल कर एक न एक दिन अपनी दे ही देंगी.
असली बात ये थी कि मेरी फटती थी और वो खिलाड़ी थीं.

दोस्तो इस हुद्दमजुद्दी में आपके भाई की जीत हुई.

एक बार ऐसा हुआ कि मोहल्ले का उनका वो आशिक बाहर गया था. चाचाजी गांव गए थे.
चाची की चूत की खुजली 15 दिन से मिटी नहीं थी और मैं जांघ दर्शन के प्रयास में उनको गर्म कर दिया करता था.

ये सब मिल कर ऐसा हुआ कि उन्होंने एक दिन झटके से मेरा हाथ पकड़ लिया.
अब मुझे काटो तो खून नहीं.

चाची बोलीं- क्या हो रहा है!
मैं चुप … गला सूख गया, जुबान हलक में जाम हो गई. सारे देवता याद आ गए.

लेकिन इसके साथ ही महसूस किया कि चाची का जो हाथ मेरे हाथ को रोक कर पकड़ा था, वो अब पकड़ कर रोकने की मुद्रा में आ गया था.

मैं डर कर अपना ढीला और मुर्दा हाथ वापस ले रहा था और उनका हाथ मेरे हाथ को कुछ ऐसा पकड़े हुए था, जैसे खिंचने से रोक रहा हो.
इस स्पर्श को मैंने महसूस किया.

अपना हाथ देखा, फिर चाची के चेहरे को देखा. वहां क्रोध था, पर समझ आ गया कि वो वासना की स्याही में डूब चुका था.
चाची की चूत की खुजली 15 दिन की थी.

इधर फटी गांड और उधर खुला निमंत्रण.

इस दरम्यान कब मेरा हाथ उनकी कमर पर गया या शायद उन्होंने मेरा हाथ खींच कर अपनी कमर पर रखा. ये आज तक कन्फर्म नहीं हुआ, लेकिन मेरा हाथ उनकी कमर पर था.

अब तक आंखों आंखों में क्रोध से, याचना से, निमंत्रण से, समर्पण तक का सफर तय हो गया.

मैंने समर्पण कर दिया या उन्होंने समर्पण कर दिया, ये आज तक नहीं पता. पर ये याद है कि जब चाची ने मेरी कमर में हाथ डालकर मेरे होंठों पर होंठ रखकर चूसा और मुझे अपने ऊपर खींच लिया. उस वक्त मेरा लंड उनकी साड़ी के ऊपर से ही उनकी जांघ पर जैसे ही सटा, तो मैं पैंट के अन्दर ही झड़ गया.

दो बातें हुईं, एक तो जितना मज़ा उस स्खलन में आया, आज उतना ही मज़ा चोदने के बाद आता है.

दूसरा, मैं इन बातों से अनभिज्ञ था, तो जब चाची ने होंठ अलग किए तो मुझे घिन आयी कि मेरा मुँह जूठा हो गया है.
लेकिन मज़ा बहुत आया था. उस मजा का आज तक कोई टक्कर का मजा नहीं मिल पाया है.

मेरी बात को उस कच्ची उम्र वाले लौंडे ही महसूस कर सकते हैं.

उस वक़्त दिन के 2 बजे थे. मैं झड़ चुका था तो शर्मिंदगी छुपाने के लिए मैंने टाइम पास करने का बहाना खोजा.

मैं उनकी चूत में उंगली करने लगा.
यारो क्या बताऊं … पहली बार चूत में उंगली करने का सुख क्या होता है.
मैं इतना उतावला हुआ कि मैंने चाची से उनकी चुदी चूत देखने की फरमाइश कर दी.

मना तो होना नहीं था; उन्होंने हां कर दी और खुद कपड़े हटा कर चूत देखने की रजामंदी दे दी.

मैंने साड़ी उठायी और चाची की बुर के दर्शन किए.

जहां अभी 2 मिनट पहले लिप किस से घिन आ रही थी, वहीं मैंने चाची की फुद्दी को हौले से किस कर लिया.
मैं था तो अनाड़ी, पर अनजाने में ही उनकी क्लिटोरिस पर किस कर रहा था.

चाची भी कमाल की गर्म हो गई थीं, मेरे चूत चाटने से कुछ ही देर में झड़ गईं. मेरी भी इज्जत बच गयी.

लेकिन नई नई जवानी थी; कुल 15 मिनट में मेरा लंड फिर खड़ा हो गया.

चाची झड़ने के बाद 5 मिनट तो लम्बी सांस लेती रहीं और मैं बौराये लौंडे की तरह उनकी चूत निहारते हुए जांघ सहला रहा था.

मेरा लंड खड़ा हुआ, तब तक चाची भी दोबारा से गर्म हो गयी थीं.

मैंने ये सब बाद में उनके बताने पर जाना.
उस वक़्त तो डरते हुए पूछा कि बुर के अन्दर अन्दर अपना लंड डाल लूं?

वो इतनी गर्म थीं कि बोल नहीं पा रही थीं. बस इशारा किया कि हां डाल दो.
मैंने तुरंत जन्नत के मुहाने पर लंड सटा कर हल्का सा अन्दर धक्का दिया लेकिन वो तो एक इंच जाकर फंस गया.

चाची ने सीसी की सीत्कार की.
मैं बेवकूफ, चुदाई को जितना समझता था, उतने से अंदाजा लगाया कि मेरे मोटे लंड की वजह से चाची को दर्द हो रहा है.

अब एक और मज़े की बात सुनिए, मैं उस वक़्त तक समझता था कि लंड को बुर में घुसा देना ही चुदाई है.

एक इंच घुसने के बाद मैंने जोर लगा कर और एक इंच अन्दर घुसेड़ दिया.

चाची को तो मज़ा आ गया.
पर शुरुआती चिकनाई के कारण दो इंच लंड घुस तो गया था, पर मैं केवल धकेले जा रहा था.
लंड दो से तीन इंच घुस गया और मेरे लंड की लचीली चमड़ी अब पूरी खुल चुकी थी. उससे ज्यादा अन्दर ढकेलने पर दर्द हो रहा था.

उधर चाची को मज़ा नहीं आ रहा था और मुझे दर्द हो रहा था.
इसी पोजीशन में 2 मिनट में मैं झड़ गया.
चाची असंतुष्ट रह गईं.

मज़ा तो झड़ने का आया, पर मुझे इतना दर्द हुआ कि पूछो मत.
चाची ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और बोलीं- किसी लड़की को पहले चोदे नहीं हो क्या?

मैंने कहा- आपकी साड़ी सरकते हुए मेरी नीयत खराब कर गयी वरना मैं अभी तन के साथ साथ मन से भी कुआंरा हूँ.
चाची बोलीं- तुमको चुदाई करने नहीं आती!

मैं बोला- सिखाओगी तब न आएगी.
उसने कहा- इस बार झंडू मत होना वरना ये अंतिम बार होगा.

मैं झंडू होना का मतलब ठीक से नहीं समझा क्योंकि मेरे लिए तो वो 2 मिनट बुर में लंड पेल के पड़े रहना ही चुदाई की पीएचडी थी.

अब चाची ने अपना असली रंडी रूप दिखाया. दरअसल मेरे लिए तो पहली चूत थी, उसका जोश था.
उनके लिए कुआंरा, वो भी ताजा लंड मिल रहा था, उसका जोश था.

सबसे बड़ी बात शायद ये थी कि मोहल्ले के लोगों से छुप के मिलना होता था. यहां तो रात को छोड़ कर जब चाची चाहतीं, तब मज़ा ले सकती थीं.

अरे क्या बताऊं … बाद में एक बार तो चाची ने चाचा और मेरे बीच में सोए सोए चूत मरवाई थी, उसकी कहानी फिर कभी बताऊंगा. पर उस दिन का बाकी हिस्सा अभी सुनिए.

चाची मुझे नीचे करके मेरी कमर पर बैठ गईं और अपना ब्लाउज निकाला, फिर ब्रा उतार दी.
आह क्या नज़ारा था यार!

मेरी आंखें उनके उजले उजले कबूतरों को देख रही थीं. हाथ उनको पकड़ने के लिए भागे और मन सोच रहा था कि साले चूतिया इनको अभी तक क्यों भूला हुआ था.

वो बोलीं भी कि सच में किसी लड़की को नहीं चोदे होगे तुम?
फिर उन्होंने मेरी बनियान निकलवा कर अपनी साड़ी कमर तक कर ली और मेरे सीने पर लेट कर अपनी चूचियां मेरी छाती पर रगड़ने लगीं.

मैं पागलों की तरह उनकी कमर में हाथ डाल कर अपने होंठों से उनके गाल चूमने लगा.

उन्होंने अपने अंगारे जैसे लाल होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और एक झन्नाटेदार किस किया, जो दो मिनट चला.

इधर 15 मिनट पहले जहां दो बार झड़ कर मैं समझ रहा था कि अब तो हफ्ते भर लंड खड़ा ही नहीं होगा, वहां लंड फिर अंगड़ाई लेने लगा.

चाची सेक्स की एक्सपर्ट थीं.
उन्होंने मेरे गाल और होंठ किस करते हुए मेरे सीने पर अपने दहकते हुए होंठ रख दिए. फिर निप्पल्स पर हौले से दांत से काटा भी. इसके बाद एक एक इंच नीचे बढ़ते हुए मेरे पेट मेरी नाभि चूम ली.

मेरे पेड़ू को किस करते वक़्त उन्होंने मेरी निक्कर और अंडरवियर एक साथ खींच कर घुटने तक कर दी.
मेरे बदन में सैकड़ों लहरें उठ रही थीं.

जब उन्होंने मेरी जांघों पर किस करते हुए मेरे लंड को पकड़ा और मेरी गोटियों को अपने मुँह में लेकर चाटा. उस वक्त तो मैं बावला होकर उठ गया और उनको पटक कर उनकी कमर पर हल्का वजन देकर बैठ गया.

मैंने उनके दोनों कबूतर हाथ में लेकर कसके दबा दिए. उनकी सीत्कार निकल गयी.

चाची की आंह आंह की मादक आवाज सुनकर लगा कि किला फतेह हो गया. मगर ऐसा नहीं था.
 

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अनाड़ी भतीजा खिलाड़ी चाची- 2




पिछले भाग

में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं चाची के ऊपर चढ़ा हुआ था और वो मुझे चोदना सिखा रही थीं.

अब आगे

मैं चाची का चेहरा देख भी रहा था, तो इस बार समझ गया कि ये आवाज मज़ा आने पर की जाती है, न कि दर्द के मारे.

अब मैंने चाची की नकल की. उनके गाल और होंठ चूसने के बाद उनकी गर्दन चूमी, तो वो मज़े के कारण नागिन जैसी ऐंठ गईं.

मैंने गर्दन पर किस करते हुए अपनी निक्कर और अंडरवियर एक साथ अपनी टांगों से नीचे सरका दी और चाची की साड़ी पेटीकोट कमर से उठा दी.

उन्होंने ताना मारा- और कुछ नहीं हो सकता इसका?

दोस्तो, औरत कितनी भी बड़ी रंडी हो जाए, पर लाज का एक अंश उसमें रहता ही है. शायद इसी लिए हम आप हज़ार बार चूत चोदने के बाद फिर से लंड हाथ में हिलाते उसके सामने मुँह बाए पहुंच जाते हैं.
खैर … मैं समझ गया कि अब चाची के पूरे नंगे जिस्म के दर्शन होने हैं.

मैंने झट से उनकी चूचियां छोड़ दीं और उनका पेटीकोट खोल कर साड़ी समेत दूर फेंक दिया.
जी हां, मैंने चाची को पूरी नंगी कर दिया था.

मेरी चाची, मेरी पहली चूत की मल्लिका, मेरी पहली रंडी मेरे सामने अपनी चूचियां, अपना पेट, अपनी नाभि, अपनी जांघें और अपनी हल्की झांटों वाली गुलाबी चूत खोले एकदम नंगी लेटी थीं.

मेरा लंड जैसे फट पड़ने को बेचैन था.
हम दोनों नंगे, बन्द कमरा, किसी के आने की कोई संभावना नहीं, एक जवान बेचैन लंड और एक वासना की आग धधकती जवान और खूबसूरत चूत.

कयामत न आये तो क्या हो भला!

मुझसे रहा नहीं गया और मैं उनके ऊपर पूरा लेट कर उनकी चूत पर लंड सैट करने का प्रयास करने लगा.

चाची चूंकि पहले एक बार झड़ चुकी थीं, इसलिए उतनी उतावली नहीं थीं.
वो मेरी मंशा भांपते ही मुझे धकेल कर मेरे ऊपर चढ़ गईं और खिलखिलाती हुई बोलीं- मैं कहां भागी जा रही हूं.
ये कहते हुए चाची ने मुझे गुदगुदा दिया.

इस अठखेली में जोश बढ़ता है. मेरा तो फिर भी नया नया अनुभव था, मेरा जोश मेरे पिंटू के ऊपर कहर बन कर टूट रहा था. वो रह रह कर उछल रहा था. दिल कर रहा था कि कब चाची की चूत फाड़ कर अन्दर घुस जाए.

चाची ने गुदगुदाने के साथ मेरे ऊपर सवारी कर ली.

गज़ब का द्वंद्व छिड़ा हुआ था.
एक तरफ अनाड़ी और वर्जिन बेताब लंड था … दूसरी ओर खेली खाई काम की देवी.

इधर अनुभवहीन वासना की धधकती प्यास थी, उधर जवानी की धधकती आग थी.
दोनों एक दूसरे को जला देने को बेताब थे.

चाची ने फिर से मेरे होंठों में अपने होंठ सटा दिए और इस बार मेरे दांतों में अपनी जीभ घुसा दी.

जीभ से जीभ लड़ी तो गज़ब का आनन्द मिला.
इधर मेरे हाथ उनकी चूचियां मसल रहे थे.
फिर मैंने बायां हाथ उनकी कमर पर से सरकाते हुए उनकी गांड के उठान पर रखा.

कसम से यार वही मज़ा आया, जो दाहिने हाथ को चूची पकड़ने में आ रहा था.

होंठ होंठों के अंगारे चूस रहे थे. पेट, पेट से सटा था. जांघें जांघों में रगड़ खा रही थीं और लंड चूत एक दूसरे को निहारते हुए कभी कभी एक दूसरे को छू रहे थे. मानो किस करके निकल जा रहे हों.

एक अनाड़ी परवाना सेक्स की आग में जल जाने को बेताब था और एक खिलाड़ी हुस्न की शमां उसको जलाने के पहले उससे खेल रही थी.
मैं उनको धकेल कर नीचे करने की कोशिश में लगा था और वो एक एक अंग किस करते हुए नीचे बढ़ती गयीं.

अंत में उनकी जुबान एक पल को मेरे लंड के सुपारे पर आ ठहरी, पर उन्होंने मेरा लंड चूसा नहीं.

उस एक पल में उनके मुँह की भाप की गर्मी से लगा कि मेरा लावा पिघल जाएगा.
तब तक वो और नीचे जाकर मेरी जांघों पर किस करने लगीं और अपनी चूचियां मेरे घुटनों पर रख दीं.

मैं बेचैन होकर उठ बैठा.
मेरे सामने चिकनी नंगी पीठ दिखी और लंड को ढके हुए उनके नागिन से काले बाल.

मैंने उनकी पीठ सहलाते हुए उनको करवट किया और उनकी नकल करते हुए घुटने से लेकर उनकी जांघों तक किस करने लगा.

अब पागल होने की बारी उनकी थी.
मेरा लंड इस दौरान उनके पैर के अंगूठे के पास था, वो पैर की उंगलियों से मेरा लंड पकड़ने का प्रयास करने लगीं.
मैं अपना लंड उनके पैर, फिर घुटने पर रगड़ते हुए उनकी जांघों पर रगड़ने लगा.

इस बीच दाहिने हाथ से उनकी कमर पर सहलाते हुए उनकी बायीं चूची पकड़ ली और उनके निप्पल से खेलने लगा.

चाची बोलीं- तुम एक दिन में इतना कैसे होशियार हो गए!
मैं तारीफ़ सुनकर खुश हो गया कि मैं एक चूत की मालकिन को सुख दे पाने में कामयाब हो रहा हूँ.

अब मैंने उनके पैर मोड़ के पैर के नीचे से दोनों हाथ डाल कर उनकी जांघों को पकड़ लिया और अपने सीने से उनकी चूत वाले हिस्से पर रगड़ा.

मैं चाची को पागल कर रहा था.
चाची थोड़ी वाइल्ड होती गईं और मेरे बाल पकड़ पा सकने के कारण बाल से ही धीरे से खींच कर अपने ऊपर लिटा लिया.
ये चाची का खुला निमंत्रण था कि अब सब छोड़ कर लंड पेल दो.

मैं तो खुद भरा पड़ा था. झट से लंड चूत के मुहाने पर रख कर तोप की सलामी दे दी.
इस बार उनकी चूत ने भरपूर पानी छोड़ा था, इसलिए मेरा 3 इंच लंड सटाक से घुस गया.

लेकिन अनाड़ी लंड फिर वही गलती कर रहा था. मैंने एक बार जो जोर लगाया तो पेले ही रहा.

जबकि तरीका ये है कि एक इंच पीछे, दो इंच आगे और कमर हिला हिला कर लंड को अन्दर डाल दो.

लेकिन मैं तब तक यही जानता था कि बस घुसेड़ दिया जाना ही चुदाई होती है.

चाची समझ रही थीं कि मैं अभी लंड सैट कर रहा हूँ.

इधर मैं पूरा जोर लगा कर 3 इंच से 4 इंच घुसेड़ने में लगा था.
फिर से चमड़ी पूरी खुल चुकने के बाद दर्द करने लगी.

तब तक उधर से चाची इतनी गर्म हो गई थीं और कुंवारे लंड के अनाड़ीपन पर इतनी रीझी हुई थीं कि इतने पर ही झड़ गईं.

ये उन्होंने जैसे ही मुझे बताया, मुझे कॉन्फिडेंस आ गया कि मैं भरपूर मर्द हूँ. अब मुझे और भी जोश आ गया तो लगभग एक इंच और अन्दर पेल दिया.

अब दर्द चरम पर था. लेकिन वासना के जोश अंधा कर देता है.
शायद चाची समझ गई थीं.

वो बोलीं- तुमको कुछ नहीं आता है. पूरे भोसड़ हो.
मैंने कहा- क्या हुआ?

वो कहना तो चाह रही थीं कि कमर हिला हिला कर चोदा जाता है लेकिन भारतीय औरतें लाख रंडी हो जाएं पर झड़ने के बाद उनको लाज की याद आ ही जाती है.

वो ये बात न बोल कर बोलीं- अब तुम नीचे आओ. मैं बताती हूँ.
मैं डर गया कि उससे और भी ज्यादा अन्दर करेंगी और मेरी चमड़ी फट जाएगी.
लेकिन कौतूहल में मैंने उनकी बात मान ली.

चाची मेरे लंड के ऊपर आ गईं और चूंकि वो झड़ चुकी थीं, तो पहले कुछ देर किस किया और देह से देह रगड़ी.
मैं तब तक उनकी चूचियां से खेलता रहा और लंड को नीचे से ही चूत पर दबाता रहा.

चाची भी गजब की गर्म थीं. दो ही मिनट में उनका मूड बन गया और मेरे लंड का टोपा अपनी चूत पर हल्का सा रगड़ने के बाद उस पर सैटिंग करके घुसाने लगीं.
मेरी फटने लगी कि कहीं घपाक से पूरा लोड देकर बैठ गईं तो आज लंड की चमड़ी फटनी तय है.

मैं ये सब सोच ही रहा था कि चाची एक इंच अन्दर लेने के बाद लंड से चूत को ऊपर ले जाने लगीं.
मैं समझा कि निकाल लेंगी.

तब तब मैंने देखा कि चाची ने लगभग दो इंच लंड और अन्दर घुसवा लिया.
लंड चुत की रगड़ की वजह से बड़ा मजा आया.

अभी मैंने ठीक से महसूस भी नहीं किया था कि उन्होंने फिर से निकलना शुरू कर दिया.
मैं समझ ही नहीं पाया कि इतना मज़ा आया तो लंड से चुत निकाल क्यों रही हैं.

तब तक मैं अगला विचार करता कि उन्होंने वापस और अन्दर ले लिया.
ये सब मुश्किल 2 या 3 सेकंड में हो गया. फिर 4 या 5 सेकंड में मेरा पूरा लंड चाची की चूत की जड़ तक पहुंच गया और जरा भी दर्द नहीं हुआ. उल्टा चाची के चेहरे पर हल्की सी पीड़ा थी.

मैं ठीक से आश्चर्य भी नहीं कर पाया था कि कैसे बिन दर्द पूरा लंड उनकी चूत में समा गया है कि तब तक लंड पर उनकी चूत की फांकों की रगड़ के कारण गज़ब का मज़ा आने लगा.

अब चाची, भतीजे के लौड़े पर उछल रही थीं.
मैं मज़े से भरा और मरा जा रहा था.

उस 5 सेकंड की ट्रेनिंग में मैं पक्का हो गया और समझ गया कि चुदाई कैसे होती है.
मैं अब नीचे से धक्का मार रहा था और चाची ऊपर से उछल रही थीं.

मैंने उनकी उजली चूची के भूरे निप्पल पर चिकोटी काट ली.
इससे चाची को बड़ा मजा आया.

उन्होंने मुझे भी बैठने को कहा.
मैं बैठ गया.
अब मेरी गोद में एक रसीली चूत उछल रही थी और मेरे मुँह में चाची के एक दूध का निप्पल फंसा था.

मेरे हाथ कभी उनकी कमर पर जाते, कभी गांड पर और कभी जांघों को सहलाते.
मैं समझ नहीं पा रहा था कि ज्यादा मज़ा किसे आ रहा है, हाथों को या आंखों को. जीभ, दांत, होंठ को या लंड को.

पर बड़ा हसीन और तूफानी मंज़र था.
भले ही लंड दूसरी बार चूत में घुसा था लेकिन सही मायने में ये पहली चुदाई थी और इसलिए उतावलापन और जोश ज्यादा था.

हालांकि चाची गर्म माल हुई पड़ी थीं, तो फिर झड़ गईं.
लेकिन मैं भी 7 मिनट से ज्यादा नहीं टिका होऊंगा.

पर यार इस बार जब लंड ने पानी छोड़ने वाला था तो मैं चाची के ऊपर वाइल्ड हो गया था; जाने कहां से ताकत आ गयी थी.

कमसिन जवान लौंडा और जवानी अपने ऊपर लदी भरपूर 5 फुट 4 इंच की औरत को कमर से पकड़ कर खिलौने की तरह अपने लंड पर उछाल रहा था.

अंतिम शॉट पर चाची आनन्द भरे दर्द से आह कर बैठीं.
झड़ते वक़्त के आनन्द का बयान नहीं कर सकता दोस्तो!

अब चुदाई का मजा मिलने लगा था.
उस दिन के बाद से चाची ने मोहल्ले के लौंडों को घास डालना बंद कर दिया. अब उनके पास घर में ही जवान लंड उपलब्ध था.

उसके बाद मैंने इत्मीनान से 6 महीने गरम चाची को चोदा.

हालांकि बाद में जब देसी चाची की चुदाई पुरानी हो गयी तो मैं 7 के बजाए उनको 20 से 25 मिनट आराम से चोदने लगा.
अब वो भी पहली बार के जैसे एक चुदाई में 3 बार नहीं झड़ती थीं. दो बार या अक्सर एक बार ही झड़ती थीं.

मेरे लिए वो 6 महीने स्वर्ग के मजे जैसे थे.
 

junglecouple1984

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सगी भाभी ने चूत गांड दी पर तरसा तरसा कर



नमस्कार दोस्तो और प्यारी भाभियो, मेरा नाम शानू है। मैं पंजाब से हूं।
मेरी हाईट 6 फ़ीट है और मैं दिखने में स्लिम और 6 पैक वाला बंदा हूं क्योंकि मैं रोज़ जिम में जाकर 2-3 घंटे वर्कआउट करता हूं।

Xforum पर मेरी पहली कहानी है इसलिए अगर मुझसे कोई गलती हो तो आप उसे माफ़ करना।

यह काम देवी सेक्स कहानी मेरी सगी भाभी के साथ सेक्स की है।
मेरा विश्वास है कि इस कहानी को पढ़कर आप सभी लंड के महाराज और चूत की रानियां अपना पानी छोड़े बिना नहीं रह पाएंगी।

सेक्स को लेकर यह मेरे जीवन का पहला अनुभव है।

हम लोग पंजाब से हैं इसलिए आप जानते होंगे कि पंजाबी लड़कियां कितने बड़े, चौड़े और भरे हुए शरीर की मालकिन होती हैं। इसका कारण है यहां का ख़ान पान जिससे यहां की कम उम्र की लड़कियां भी डील डौल से पूर्ण जवान लगने लगती हैं।

यह घटना तब की है जब मैं अपनी जवानी में कदम रख रहा था। उस समय मेरी उम्र 20 साल थी और मैं इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ रहा था।

मेरे कालेज में कई लड़कियां थी पर मुझे वे पसंद नहीं थी क्योंकि वे सब स्लिम और छोटे स्तन वाली थी और मुझे भरे हुए शरीर की औरतें पसंद थी।

मेरा नुनु जो पहले हाथ में पकड़ने पर छोटा-सा लगता था अब वह लन्ड बन चुका था और अब हाथ मेरे लौड़े के आगे छोटा लगने लगा था।
मेरे लंड का साइज़ 4 इन्च की मोटाई लिए 8 इंच लम्बा है।

भाई की शादी के बाद मेरी पूर्णिमा भाभी घर में आई।
शादी के समय उनका फिगर कुछ खास नहीं था।
और मैंने भी उन्हें हमेशा इज़्ज़त की नजरों से देखा।

पर वो कहते हैं ना कि जवान चूत और जवान लंड ज्यादा दिनों तक दूर नहीं रह सकते।

समय बीतता गया और भाई भाभी की शादी को साल हो गया।

एक दिन मैं सुबह सुबह चिल्लाते हुए भाभी के कमरे में गया- भाभी, मेरा नाश्ता कहाँ है? मैं कालेज के लिए लेट हो रहा हूं।

अंदर से कोई आवाज नहीं आई तो मैं भाभी को ढूंढता हुआ भाभी के कमरे से उनके बाथरूम में चला गया और अचानक से दरवाजा झटके से खोल दिया।

मैंने देखा कि भाभी सिर्फ़ काले रंग की छोटी सी पैंटी में थी और अपने नंगे बूब्स पर एक हाथ से साबुन लगा रही थी और दूसरे हाथ से पानी डाल रहीं थीं।

मुझे देख वो एकदम से चौंक गई और अपने अंगों को छिपाते हुए मुझे गुस्से में बाहर जाने को बोला।
पर मैं उनके चांदी से शरीर की चांदनी में पूरी तरह मंत्र मुग्ध हो गया था।

मैंने पहली बार भाभी के फिगर का जायजा लिया।
उनकी वो चौड़ी चौड़ी मांसल जांघें और गोल गोल चूतड़ जो इतने बड़े थे कि वो जिस बाथिंग स्टूल पर बैठी थी वो दिख भी नहीं रहा था।

उनकी पैंटी इतनी छोटी थी कि उसमें से उनके आधे चूतड़ दिखाई दे रहे थे।
उनके बूब्स इतने बड़े और गोरे थे कि क्या बताऊं!

साबुन लगाने की वजह से उनके बूब्स के गुलाबी निप्पल 2 इंच तनाव में थे.

यह सब देख कर मेरा लन्ड भी तनाव में आ गया था।

इतने में भाभी मुझ पर वापस चिल्लाई और बोली- शानू ये क्या हरकत है तुरंत बाहर निकलो।
मैंने होश संभाला और बाहर आ गया।

उसके बाद मैं कालेज के लिए निकल गया और सारा दिन यहीं सोचता रहा कि भइया ने भाभी के साथ ऐसा क्या किया होगा जो भाभी का बदन इतना बड़ा और भरा भरा सा लगने लगा।

शाम को कालेज से आने के बाद मैंने भाभी को देखा तो ऐसा लगा कि मानो उनकी चेहरे पर मेरे लिए गुस्से और शर्म दोनों के भाव थे।
फिर वो किचन में चली गई।

आज पहली बार मैंने भाभी को वासना भरी निगाहों से देखा।
पूर्णिमा भाभी किचन में पीठ करके कुछ बना रही थीं।

मैंने देखा आज पूर्णिमा भाभी ने काले रंग की टाईट लैगी और ऊपर लाल रंग का कुर्ता पहन रखा था।
पीछे से उनका फिगर काफी उभार लिए हुए था।

पूर्णिमा भाभी के नितंब इतने चौड़े थे कि क्या बताऊं।
उनके कमर के नीचे का हिस्सा 38 इंच का होगा। उनके दोनों नितंब बिल्कुल अलग अलग प्रतीत हो रहे थे।

पूर्णिमा भाभी की कुर्ती का कटाव कमर तक था इसलिए उनकी मोटी मोटी जांघें मुझे अपनी सगी भाभी की वासना में डूबा रही थीं।

यह सेक्सी दृश्य मैं अपने कमरे में से देख रहा था कि अचानक भाभी पीछे मुड़ी और मेरी नज़रों की चोरी को पकड़ लिया.
मेरे चेहरे की तरफ देखने के बाद उनकी नजर तुरंत मेरे पैंट में तंबू बने लंड पर पड़ी और उन्होंने गुस्से में अपनी नजर वापस घुमा ली.

मुझे डर लगने लगा कि कहीं भाभी इस हरकत को भाई से ना बता दें।

तीन-चार दिनों तक भाभी ने मुझसे बात नहीं की।

फिर एक दिन मैंने भाभी के रूम में कीहोल से देखा कि वह नहा कर केवल अपने बदन पर एक चुन्नी डाले हुए बाहर आई और शीशे में देख कर अपने शरीर को संवारने लगीं.

उनकी चुन्नी जो लाल रंग की थी, एकदम पारदर्शी थी.
उसमें से उनका फिगर बिल्कुल नजर आ रहा था. उनके गोरे-गोरे बूब्स लाल चुन्नी से बाहर निकलने को थे।

तब मुझे पता चला कि भाभी का फिगर एकदम हंसिका मोटवानी जैसा था।
पूर्णिमा भाभी का फिगर 36-30-38 का था जो मलाई की तरह गोरा था।

जब वह पीछे मुड़ी और चलने लगी तो ऐसा लगा मानो ‌2 बड़ी बड़ी गेंदें आपस में रगड़ा खा रही हों.

उनके नितंबों और बूब्स को देखकर मैं मंत्रमुग्ध हो गया और अपनी वासना को पूरी करने के लिए तुरंत अपने बाथरूम में भागा।

भाभी को याद करके मैं मुठ मार रहा था और मुठ मारते मारते पता नहीं आधे घंटे से ज्यादा हो गया.

मैं पूरी तरह वासना में डूबा हुआ था, तभी भाभी आवाज देती हुई मेरे कमरे में आई और मेरे बाथरूम में आकर दरवाजे को झटके से खोला.
उनकी नजर तुरंत मेरे 8 इंच लंबे लोड़े पर पड़ी.

जिसे देख भाभी एकदम घबरा गई और उनके मुंह से एक वासना भरी आह आह निकल गई.
उन्होंने तुरंत गेट बंद किया और अपने कमरे में वापस लौट गई.

मैं सोच रहा था कि इस दृश्य को देखकर भाभी काफी शर्मिंदा हुई होंगी और मुझे भी काफी शर्म आ रही थी.

फिर मैंने तुरंत पैन्ट पहनी और बिना मुठ्ठी मारे अपने बाथरूम से बाहर आ गया.

कमरे में जाकर मैंने देखा कि भाभी वहीं बैठी हुई थी.
वह मुझसे कह रही थी- यह जो चार-पांच दिन से हो रहा है मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता. तुम अपनी आदतों में सुधार कर लो … वरना मैं तुम्हारे भाई से शिकायत कर दूंगी.

तो मैंने कहा- भाभी, माना कि मैंने गलती की आपके बाथरूम में आकर … पर आपने भी बिना बताए मेरे बाथरूम में आकर गलती की है. इसलिए दोषी तो आप भी हैं!
इस बात को सुनकर भाभी कुछ सोच में पड़ गई और एकदम अपने नितंबों को हिलाते हुए मेरे कमरे से निकल कर सीधा हॉल में चली गई।

अगले दिन में कॉलेज से आया तो मुझे पता लगा कि मेरे भाई तीन-चार दिन के लिए ऑफिस के काम से कहीं बाहर जा रहे हैं घर में सिर्फ मैं और मेरी भाभी ही बचे थे।

मैं बहुत खुश था पर भाभी बहुत घबराई हुई थी.
शायद वह मेरे साथ अकेला नहीं रहना चाहती थी.

भाई के जाने के बाद हमने रात का खाना खाया और अपने अपने कमरे में जाकर सो गए.

मुझे 2:00 बजे तक नींद नहीं आ रही थी.
मैं इस कल्पना में अपने लौड़े को हिला रहा था कि भाभी शायद मुझे अपने कमरे में बुलाएंगी.

और मुठ मारते मारते कब सो गया मुझे पता ही नहीं चला.

मैं सुबह 10:00 बजे उठा तो मैंने देखा कि भाभी मेरे कमरे में आई हुई है और मुझे जगा कर बोल रही हैं- शानू चलो नाश्ता कर लो!
तो मैं नाश्ते के लिए चला गया.

नाश्ते में भाभी ने मुझे एक केला दिया जिसे देखकर मैंने कहा- भाभी, इतना बड़ा केला मैं नहीं खा पाऊंगा.
तो भाभी ने कहा- यह बड़े केले और छोटे केले की बात तुम तो मुझसे करो ही मत!
और गुस्से में मुझे देखते हुए अपने काम में लग गई.

मैं भी अपनी किताब लेकर पढ़ रहा था तो मैंने देखा कि भाभी झाड़ू लगा रही थी.
वह नीचे झुकी तो उनके बूब्स का क्लीवेज मुझे साफ दिखाई दे रहा था.

फिर वह दूसरी तरफ से झाड़ू लगाने लगी तो मुझे उनका पिछवाड़ा दिखने लगा.

इसके बाद वह पौंछा लगाने लगी।

पौंछा लगाते समय उन्होंने अपनी कुर्ते को थोड़ा ऊपर कर लिया जिससे वह एक डॉगी स्टाइल में उनकी टाइट लैगी से उनके चूतड़ साफ-साफ दिख रहे थे।

ऐसे ही अब शाम हो गई.

भाभी मुझसे बोलने लगी- आज किचन में सारा दिन खड़े रहने की वजह से मेरे पैरों में बहुत तेज दर्द है.
मैंने कहा- क्या भाभी, इतनी छोटी सी बात … मैं अभी आपके पैरों में तेल लगा देता हूं.

पर भाभी ने तुरंत मना कर दिया … शायद मेरी हरकतों की वजह से!
तो मैंने कहा- भाभी, आप चिंता मत कीजिए, मैं आपके पैरों के दर्द को बिल्कुल सही कर दूंगा।

उन्होंने कुछ सोचा और फिर कहा- ठीक है‌।

मैं तेल लेकर भाभी के कमरे में चला गया।
भाभी ने उस समय एक मेक्सी पहनी हुई थी.

वह तेल लगवाने के लिए औंधी लेट गई और अपनी मेक्सी को घुटनों तक ऊपर कर लिया.

मैं हल्के हल्के हाथ से भाभी के पैरों में तेल लगा रहा था जिससे मैं काफी गर्म होता जा रहा था और मेरा लंड भी बड़ा होता गया.

अब मैं भाभी को अपनी वासना में फंसाना चाहता था इसलिए मैंने उनकी मेक्सी को थोड़ा और ऊपर करके जांघों तक कर दिया जिससे उनकी गोरी गोरी और मांसल जांघें मेरी आंखों के आगे थी.

मैं उन पर तेल लगाने लगा.
भाभी ने कुछ नहीं कहा.

फिर मैंने सोचा क्यों ना थोड़ा और ऊपर कर दूँ.
तो मैंने तुरंत एक झटके से भाभी की मेक्सी को उनके नितंबों तक ऊपर कर दिया जिससे उनकी पैंटी साफ़ दिखाई देने लगी।

उन्होंने तुरंत अपनी मेक्सी को नीचे किया और मुझसे तेल की शीशी छीन ली और कहा- शानू भाई, आप अपने कमरे में जाइए. मुझे आपसे कोई भी तेल नहीं लगवाना है। आप पैरों की जगह कहीं और तेल लगा देंगे।
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी?

तो भाभी ने बिना कुछ जवाब दिए वहां से निकल जाना ही उचित समझा.
इससे मुझे यह तो आभास हो गया कि भाभी का मन तो है और वह गर्म भी हो रही थी. पर वह अपने घर की इज्जत और पतिव्रत धर्म को छोड़ना नहीं चाहती थी.

पर मैं भी कहां रुकने वाला था.

अगले दिन भाभी बाथरूम में नहा रही थी.
तभी उनके चिल्लाने की आवाज आई.

मैं तुरंत दौड़कर उनके भाभी के बाथरूम में गया तो मैंने देखा कि भाभी सिर्फ पेंटी में फर्श पर फिसली हुई थी उनके बूब्स पूरे नंगे थे और वह चिल्ला रही थी क्योंकि कमर में चोट लग गई थी.

मैंने तुरंत भाभी को सहारा दिया.
उन्होंने मुझसे कहा- मुझे वह तौलिया दे दो जिससे मैं अपने आपको ढक लूं.
तो मैंने कहा- भाभी, इतना समय नहीं है, आपको दवाई की जरूरत है!

मैंने भी मौके का फायदा उठाया और उन्हें गोदी में उठा लिया।
उनकी कमर में इतना तेज दर्द था कि वह कुछ बोल भी नहीं पा रही थी, केवल कराह रही थी.

भाभी का कमरा ऊपर छत पर था तो मैं उन्हें अपने कमरे में नीचे लाने के लिए सीढ़ियों पर से नीचे उतरने लगा.

सीढ़ियों पर से उतरते समय उन्हें झटके लगने लगे और वह बोली- शानू, प्लीज धीरे धीरे चलो. मेरी कमर में बहुत तेज लगी हुई है.

मैं धीरे-धीरे चलने लगा.

इस दृश्य से मेरा लोड़ा खड़ा हुआ था. मेरा मोटा लिंग उनकी पैंटी को फाड़कर अंदर घुस रहा था.
वह मुझे गुस्से की नजर से देख रही थी पर कुछ नहीं कर पा रही थी.

मैं बीच-बीच में भाभी के बूब्स दबा दिया करता था.

भाभी को सीढ़ियों पर से झटके लग रहे थे जिससे मेरा लंड उनकी चूत में बार-बार धक्के दे रहा था.

अब मैंने नीचे ले जाकर भाभी को बेड पर लिटा दिया और कहा- मैं अभी डॉक्टर को फोन करता हूं.
तो वह बोली- नहीं, डॉक्टर की जरूरत नहीं है. मेरी अलमारी में कमर दर्द की क्रीम रखी है, प्लीज वह मुझे लाकर दे दो और तुम यहां से बाहर निकल जाओ.

मैंने दवाई लाकर दे दी.
वह अपनी कमर पर वह क्रीम लगाने लगी.

लेकिन उनका हाथ वहां नहीं पहुंच रहा था तो मैंने कहा- मैं आपकी मदद कर देता हूं.
उन्होंने मना कर दिया.

तो मैंने कहा- भाभी, उस दिन के लिए सॉरी!
उन्होंने कहा- चलो ठीक है … लेकिन कुछ गलत हरकत मत करना!
तो मैंने कहा- ठीक है!

फिर मैंने पूर्णिमा भाभी को औंधी लेटने को कहा.
वह अपने बूब्स को छुपाते हुए पेट के बल लेट गई क्योंकि उनके शरीर पर केवल पैंटी ही बची हुई थी जिससे वह बहुत हॉट लग रही थी.

मैं उनकी कमर पर क्रीम लगाने लगा और उनकी पीठ पर भी धीरे-धीरे हाथ लगा.
उनके बड़े-बड़े नितंबों में छोटी सी पेन्टी पता नहीं कैसे आ रही थी, वह सिर्फ उनके आधे नितंबों को ही ढक पा रही थी।

तभी भाभी का मन पता नहीं क्या हुआ, उन्होंने कहा- तुम अपनी भाभी से खुलकर बात भी नहीं करते?
तो मैंने कहा- ऐसा नहीं है भाभी. आपको ऐसा क्यों लगा?

उन्होंने कहा- 2 साल पहले तक ऐसा कुछ नहीं था। पर अब तुमने तो अपने खड़े हुए तंबू के बारे में भी कुछ नहीं बताया.
तो मैंने कहा- भाभी कौन सा तंबू?
उन्होंने नीचे उंगली करके कहा- यह जो इतना बड़ा और मोटा खड़ा हुआ है, मैं इसकी बात कर रही हूं पागल!
मैंने कहा- सॉरी।

तो भाभी ने कहा- कोई बात नहीं … पर तुम अपने वासनाओं पर थोड़ा काबू रखो. जो तुम्हारी पत्नी आएगी उस पर अपनी वासना शांत करना.
फिर उन्होंने धीरे स्वर में कहा- क्या किस्मत वाली होगी तुम्हारी होने वाली पत्नी।

तो मैंने कहा- क्या कहा भाभी आपने?
उन्होंने कहा- कुछ नहीं!

तो मैंने कहा- प्लीज बताओ ना?
उन्होंने कहा- तुम्हारी पत्नी काफी खुश किस्मत होगी जो उस तंबू को अपने बंबू में अंदर लेगी.

तो मैंने कहा- ऐसा क्यों भाभी?
उन्होंने कहा- पागल, इतना बड़ा किसी का नहीं होता.

मैंने पूछा- भाभी भाई का कितना बड़ा है?

उन्होंने कहा- उनका तो तुम्हारे से सिर्फ आधा है.
इस बात से मैं काफी खुश हुआ कि वह भी मेरे लिंग की प्रशंसा कर रही थी.

तो मैंने कहा- भाभी, इस तंबू को क्या तंबू ही कहते हैं?
वह मुस्कुराई और बोली- इसको कुछ और भी कहते हैं.

तो मैंने पूछा- क्या?
भाभी जी ने कहा- इतने भी सीधे मत बनो!

फिर वह बोली- चलो क्रीम लग गई, अब मैं कपड़े पहन लेती हूं.
तो मैंने कहा- भाभी मैं चाहता हूं कि मेरी पत्नी से पहले ही वह आनंद आप लो।

इस बात पर एकदम गुस्से से भाभी ने मेरी तरफ देखा और कहा- तुम पागल हो. तुम्हें पता भी है कि तुम क्या कहे रहे हो? मैं तुम्हारी मां के समान हूं।
मैंने कहा- भाभी, वह सब तो ठीक है. इस अवस्था में ये धर्म की बातें याद नहीं आती।

इस बात पर वह मुस्कुरा दी और अपने कपड़े पहनने लगी.

तभी मैंने भाभी को अपनी तरफ खींचा और उन्हें बेड पर धकेल दिया।
धकेलने के बाद मैंने उनकी पैंटी को एक हाथ से उतार दिया जिससे अब वह मेरे सामने पूरी नंगी बेड पड़ी थी।

उन्होंने मुझसे कहा- शानू प्लीज।
पर मैं उनके आलू से भरे बदन में खो चुका था।

उनका वो चमकदार और संगमरमर सा गोरा फिगर को देखकर मैं पागल हुआ जा रहा था और मेरा दिमाग काम करना बंद कर दिया था।
मैंने देखा कि पूर्णिमा भाभी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और मुझे आश्चर्य हुआ कि भाभी की चूत एकदम कसी हुई थी।

इन भारी चूतड़ों और कसी हुई चूत का राज़ उन्होंने मुझे बाद में बताया।
उन्होंने मुझसे कहा- यह याद रखना शानू कि हम यह पहली और आखिरी बार कर रहे हैं।

तो मैंने कहा- ठीक है भाभी।
तभी मैंने भी कपड़े उतार दिए और सिर्फ अंडरवियर में था.

भाभी ने कहा- यह तो बहुत नाइंसाफी है!
और तुरंत उन्होंने एक झटके से मेरे अंडरवियर को उतार दिया और फिर कहा- हां अब हुई ना बराबर की बात!

इस बात पर हम दोनों मुस्कुरा दिए.

फिर उन्होंने जब मेरे लंड को पहली बार हाथ से छुआ तो उन्होंने कहा- ओ माय गॉड, इतना मोटा और इतना बड़ा! इतनी कम उम्र में तो सोचो तुम्हारी शादी तक यह कितना पहाड़ जैसा हो जाएगा।
मैं भी इसी सोच में था कि भाभी की इतनी सी जगह में मेरे लंड महाराज कैसे जाएंगे।

अभी मैं इस काम देवी से सेक्स की कल्पना में था कि तभी भाभी ने तुरंत मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह मुंह में ले लिया.
मैंने कहा- भाभी, इसमें लुब्रिकेंट अच्छी तरह लगाना जिससे की गाड़ी ज्यादा देर तक और ज्यादा तेज स्पीड से चल सके।

भाभी ने अपने दोनों हाथ मेरे लिंग के पास दोनों जांघों पर रखे और सीधा मेरा मोटा लौड़ा अपने मुंह में ले लिया और जोर जोर से अपने मुंह को चोदने लगी।

मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा था कि मेरे जीवन का पहला सेक्स अनुभव इतना सुन्दर होगा।
सच कहूं दोस्तो, ऐसा लग रहा था कि मानो मैं स्वर्ग में हूं।

फिर मैंने एक हाथ से भाभी के पीछे के बालों को पकड़कर उनकी स्पीड बढ़ा दी।

मेरा लोड़ा भाभी के गले तक उतर गया था और वह इतना मोटा था कि भाभी के मुंह में बड़ी मुश्किल से आ रहा था।

फिर भी भाभी पूरे दिल से मेरे लिंग को अपने मुंह से चोद रही थी.
शायद इतना बड़ा और मोटे लंड को देखकर वो पागल हो गई थी और उन्हें लग रहा था कि शायद वह आगे जीवन में ऐसा लंड कभी नहीं देख पायेंगी।

फिर मैं उठ गया और भाभी को बेड पर लिटा लिया और उसके बाद उनकी योनि में मैंने अपनी जीभ डाल दी तो वह एकदम से सिहर उठी।

भाभी- अअह हअअ हअअ … नहीं शानू प्लीज आराम से!
शायद वह अपनी चूत को पहली बार चटवा रही थी।

चूत चटवाने का उनका पहला अनुभव था यह उन्होंने मुझे बाद में बताया।

फिर मैंने अपना लन्ड निकाल कर भाभी की चूत पर टिका दिया.
जिससे भाभी की कसमसाहट वाली आवाज निकल गई मानो भाभी अपनी आवाज को दबा रही हों।

फिर मैंने एक हल्का सा धक्का लगा कर भाभी की चूत में अपना लन्ड दिया और मेरे लंड का टोपा भाभी की चूत में घुस गया.
इससे भाभी एकदम से चिल्ला उठी.

फिर मैंने दूसरे प्रयास में आधा लंड भाभी की योनि में डाल दिया।
भाभी एकदम से बेड पर से उछल उठी और बोली- प्लीज शानू, धीरे करो … मेरी जान निकल जाएगी!

पर मैं कहां सुनने वाला था।
मैंने एक हाथ से भाभी की गुलाबी चूत पर वापस अपना लंड सेट किया और दूसरे हाथ से उनके बड़े बूब्स को पकड़ा और एक ही झटके में पूरा लंड उनकी योनि में उतार दिया.

उनकी आंखों से आंसू निकल आए और मैं लगातार उन्हें पेल रहा था.

फिर उसके बाद मैंने उन्हें घोड़ी बनने को कहा.
तो उन्हें डर था कि उनकी चूत में ही लंड इतना दर्द देकर गया है तो कहीं शानू मेरी गान्ड ना मार ले।

मैंने उन्हें विश्वास दिलाया- भाभी, आप चिंता मत कीजिए, मैं आपकी गांड में लौड़ा नहीं डालूंगा.

तो मेरी बात मान कर भाभी घोड़ी बन गई.
मैंने उन्हें घुटनों के बल करके अपने लंड को उनकी योनि में पीछे से डाला.

सच मानो दोस्तो, पीछे से चोदने का मजा ही कुछ और आ रहा था.

पर इस बीच मेरी नीयत बिगड़ गई.

उनके बड़े-बड़े चूतड़ों पर मैं बीच-बीच में थप्पड़ मार दिया करता था.
इसी बीच मैंने चालाकी से अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकाला और उनकी गांड पर रखकर धक्का दे दिया जिससे एक चौथाई लौड़ा गांड में चला गया.

और भाभी बेहद जोर से चिल्लाई।
मानो उनके चिल्लाने की आवाज घर से बाहर निकल गई हो.

फिर उन्होंने कहा- तुम पागल हो क्या? मैंने तुमसे पहले ही मना किया था.
तो मैंने कहा- सॉरी भाभी, रहा नहीं गया मुझसे!

पर भाभी का गुस्सा 2 सेकंड का ही था।

फिर मैंने थूक लगाकर उनकी गांड में लंड दे दिया और उन्हें 10 मिनट तक चोदा.

मैंने उन्हें पांच नए नए पोज में 40 मिनट तक चोदा।
मैं जानता था कि मुझे यह हंसीन मौका बाद में नहीं मिलेगा और इतनी सुंदर और भरी हुई काम देवी सी भाभी मुझे जीवन में कभी चोदने को नहीं मिलेगी।

इस तरह मैंने अपनी सगी भाभी को चोदा.
 

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छोटी बहन गांड चूत में भाई का लंड



हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम अमित है और मेरी उम्र 22 साल है. मैं बिहार का रहने वाला हूं.

यह कहानी मेरे ही घर की है.

मेरी बहन का नाम अंजलि है. मेरी बहन मुझे तीन साल छोटी है. उसकी चूचियां अभी छोटी हैं मगर उसकी गांड बड़ी उभारदार है.

हमारे घर में दो कमरे हैं. एक कमरे में मम्मी पापा सोते हैं और एक में मैं और मेरी बहन सोती है.

मेरी बहन की गांड देख कर मेरा मन करता था कि मैं उसकी में मुँह लगा कर उसका रस पी जाऊं; अपनी जीभ गांड के छेद में अन्दर तक पेल दूँ और उसका मजा ले लूं.

वो मुझे देख कर कुछ भी ऐसा रिएक्ट नहीं करती थी जिससे लगे कि वो भी मेरे बारे में ऐसा कुछ सोचती हो.

मगर उसको देख कर मेरा लंड ठनक जाता था. मैंने उसको चोदने का मन बना लिया था.

उन दिनों सर्दियों का मौसम चल रहा था और हम दोनों एक ही बेड पर पास पास सोते थे.

एक दिन सोते सोते रात में मैं उसके काफी पास को चला गया. उस दिन मैंने उसकी चूची दबाई और मजा लेने लगा.
वो बेसुध सो रही थी.

फिर धीरे से मैंने उसके पजामा के ऊपर से उसकी गांड को सहलाया.
वो अभी भी कुछ नहीं कह रही थी, बस चुपचाप सो रही थी.

मैंने पजामे के ऊपर से ही उसकी गांड के छेद में उंगली घुसेड़ना शुरू कर दी.
उसने अभी भी कुछ प्रतिक्रिया नहीं की थी.

मैं उंगली करता रहा.

फिर धीरे धीरे मैंने उसकी कमर से पजामे को नीचे किया तो उसने पैंटी नहीं पहनी थी.

मैंने पजामा उसके चूतड़ों से नीचे किया और गांड में हाथ डाला तो उसकी गांड का छेद मुझे बड़ा ही नर्म लगा.

मैंने उसके पजामे को चूतड़ों से नीचे सरका दिया और अपनी नाक उसकी गांड से लगा दी.

आहा … क्या मस्त सुगंध आ रही थी यार … मैं क्या बयान करूं. मेरा मन कर रहा था कि मैं उसके पजामा खोल कर उसके गांड के छेद पर मुँह लगा दूँ और गांड को चाट लूं.

मैंने अपने हाथ की एक उंगली छेद में डाल दी और उसकी गांड में उंगली चलाने लगा.
मेरी उंगली की पोर ही उसकी गांड में गई थी कि मुझे मजा आ गया था.

मैंने अपनी उस उंगली को बाहर निकाला और अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
मुझे बड़ा ही स्वादिष्ट लगा.

अब मैं अपनी उसी उंगली को उसकी गांड में बार बार पेल कर उसकी गांड के रस को चाटने लगा.
मेरा मन कर रहा था कि आज इसकी गांड में अपना लंड पेल कर गांड फाड़ दूँ.

अब मैंने उसकी गांड में थूक लगाया और अपना लंड उसकी गांड पर सैट कर दिया.

मैंने धक्का लगाया.
तो लंड अन्दर नहीं गया.

मैंने जोर से धक्का लगाया तो थोड़ा सा लंड अन्दर चला गया.
इस बार वो चिहुंक गई और उसकी आवाज आई- भैया धीरे धीरे धक्के मारिए … मुझे दर्द हो रहा है.

मैं अब बेफ़िक्र हो गया था कि मेरी बहन भी मेरा साथ दे रही है.
मैंने उसे सही पोजीशन में लिया और धीरे धीरे अपने लंड को पूरा घुसा दिया.

वो ‘आह आह ओह ओह …’ करने लगी और मेरा लंड निकाल कर बोली- यार, क्या कर रहे हो, बड़ा दर्द हो रहा है.
मैंने बोला- साली, तेरी गांड चोद रहा था.
उसने बोला- साले पहले तू मेरी गांड चाट.

वो भी पूरी जोश में थी.

मैंने कहा- चल बता कैसे करवाना है?
वो बोली- साले साइड हट, अब मैं तुझे बताती हूं कि गांड कैसे चोदते हैं. चल पहले तू सीधा लेट जा.
मैं लेट गया.

बहन बोली- अपनी जीभ बाहर निकाल.
मैंने अपनी जीभ बाहर निकाल दी.
वो मेरे मुँह पर बैठ गई और गांड रख कर हिलाने लगी. उसकी गांड मेरे मुँह में रगड़ मारने लगी थी.

मेरी बहन तो पक्की रांड निकली.
मैं समझ गया कि इसे खुद से मेरे लंड से चुदने का मन था.

कुछ देर तक अपनी गांड मेरे मुँह से चटवाने के बाद वो बोली- साले चल हट … अब मेरा छेद जरा खुल कर चाट.
मैं अपनी बहन कि गांड का छेद चाटने लगा.
वो आह ओह ओह ओह करने लगी.

मुझे भी मजा आ रहा था तो मैं भी आह ओह करते हुए छेद चाट रहा था.

मैं- क्या मस्त महक है तेरी गांड की.
वो खुश हो गई और बोली- चल साले कुत्ते, अब मेरी बुर भी चाट.

मैंने कहा- हां क्यों नहीं, मेरी छोटी चुदक्कड़ बहना … आ जा. आज तो मैं तेरी सुसु भी पी लूंगा.
वो भी बोली- सुसु बाद में पी लेना अभी मेरी गांड चूत में बड़ी खुजली होने लगी है, पहले तू मेरी चूत की खुजली शांत कर.

मैंने उसकी बुर के तरफ मुँह घुमाया तो देखा कि क्या मस्त जन्नत थी.
उसी बुर पर छोटी छोटी झांटें उगी थीं और उसकी कमसिन बुर की मादक महक आ रही थी.

मैंने अपनी बहन की बुर के छेद में मुँह लगा दिया.
बड़ा मस्त लग रहा था मानो जन्नत में आ गया होऊं.

मैंने जीभ से उसकी बुर का दाना कुरेदा, तो वो मस्त होने लगी.
अब वो ‘आह ओह सी सी आह आह ओह …’ कर रही थी और अपनी बुर मेरे मुँह पर रगड़ रही थी.

कुछ पल बाद उसने बोला- साले तू अब उठ कर खड़ा हो जा.
मैं खड़ा हो गया, उसने मेरा लंड हाथ में लिया और अपने मुँह में डाल कर चूसने लगी.

वो किसी पेशेवर रंडी की तरह मेरा लंड चूस रही थी.
मैं उसकी लंड चूसने की अदा देख कर हैरान था.
मुझे साफ़ समझ आ रहा था कि मेरी बहन पुरानी चुदक्कड़ है.

मैंने उसके बाल पकड़े और अपना लंड उसके गले तक देने लगा.

मेरी बहन लंड चूसती हुई बोली- साले भैन के लंड … क्या लंड है तेरा यार … कितने इंच का है?
मैंने कहा- पूरे 8 इंच का है. मजा आ रहा है मेरी बहना.
मेरी बहन बोली- हां यार, बड़ा मजा आ रहा है.

मैंने कहा- हां साली रांड, आज मेरा पूरा लंड खा जा.
वो मेरे लंड को चूसती हुई बोली- भाई, कहीं तू मेरी बुर तो नहीं फाड़ देगा?
मैंने कहा- नहीं यार … मैं धीरे धीरे चोदूंगा.

फिर मैंने उससे कहा- वैसे तूने अब तक लंड तो अपनी चूत में लिया है न!
बहन हंस कर बोली- तुझे क्या लगता है?
मैंने कहा- मुझे तो लगता है कि तूने अपनी गांड में लंड पक्का लिया है. चूत का नहीं पता.

वो कहने लगी- तुझे मेरी गांड का कैसे पता चल गया?
मैंने कहा- जब तूने मेरी उंगली को अपनी गांड में बिना तड़फे ले लिया था, तभी मुझे लगा था कि तूने पीछे से मजा ले लिया है.

मेरी बहन हंसने लगी और बोली- वो सब बाद में बात करना, अभी तो बस तू मजा ले.
मैं चूत चाटने लगा.

कुछ देर बाद मेरी बहन बोली- चल अब मैं घोड़ी बनती हूं. तू पहले गांड चोदेगा समझा, फिर बुर.

वो घोड़ी बन गई और उसने मुझे इशारा किया- चल फाड़.
मैंने उसकी गांड पर थूक लगाया और अपना लंड सैट करके एक तेज धक्का लगा.

मेरा आधा लंड उसकी गांड में घुस गया. वो कराही- उई मादरचोद … साले भोसड़ी के धीरे पेल कमीने.
मैंने बिना उसकी कुछ सुने एक और धक्का लगा दिया.

मेरा पूरा लंड अन्दर घुस गया, मैं अन्दर बाहर करने लगा.
वो आवाजें करने लगी- आह ओह और जोर से … आह ओह साले जोर लगा आह ओह.

मैं उसके दूध पकड़ कर गांड मारता रहा.

पांच मिनट बाद मेरी बहन बोली- चल अब बुर में लंड पेल और चोद मुझे.
मैंने कहा- पीछे से ही लेगी या लेट कर लेगी?

वो बोली- चल लेट कर लेती हूँ.
वह चित लेट गई और उसने अपने दोनों पैरों को फैलाकर चूत खोल दी.

अब वो बोली- चल चोदकर फाड़ दे साले … ये बुर आज से तुम्हारी हुई … पेल अपना मूसल और इसको फाड़ दे. जितना मन उतना चोद ले.
मैंने अपनी छोटी बहन की बुर के छेद पर मुँह लगाकर चाटा, फिर मैंने अपना लंड उसकी बुर पर सैट कर दिया.

एक बार मैंने अपनी बहन की आंखों की वासना को देखा और धक्का लगा दिया.
इस बार मेरा लंड एक बार में ही उसकी बुर में घुसता चला गया.

वो जोर से ‘आह आह ओह ओह …’ करने लगी.
मैंने उसके मुँह बंद किया और ताबड़तोड़ आठ दस शॉट मार दिए.

अब मैंने उसके मुँह से हाथ हटा दिया. वो बोलने लगी- आंह ज़ोर से चोद … और से पेल … फाड़ दे मेरी बुर को.

वो मेरी शर्ट पकड़कर खुद जोर जोर से धक्का लगाने लगी. वो सिसक रही थी और ‘सी आह आह ओह सी आह ओह ओह आह की आवाजें निकाल रही थी.

मैं चुदाई के नशे में अपनी बहन की चूत फाड़ने में लगा था.

वो बोली- साले, आज क्यों ना तू मुझे मार डाल लेकिन आज मुझे पूरी ताकत से चोदेगा … समझ गया.
उसकी बुर से पट पट की आवाज़ आ रही थी और वो सिसक रही थी- आह आह ओह ओह सी और चोद दे मुझे … चोद मुझे … आंह चोदता जा साले.

उसकी तेज होती आवाजें बता रही थीं कि मेरी बहन अब झड़ने के कगार पर थी.
तभी उसकी बुर से रस निकल गया और वो झड़ गई. कुछ देर बाद मैं भी झड़ गया.

वो हांफती हुई बोली- भैया सॉरी, मैंने आपको गाली दी और आपसे अपनी गांड चूत चुदवायी.
मैंने बोला- कोई बात नहीं यार, पहले शुरुवात तो मैंने ही की थी.
वो हंसने लगी.

मैंने बोला- तेरी गांड तो बड़ी मस्त है. अब तक कितने लंड ले चुकी है?
वो मेरी छाती पर मुक्का मारती हुई बोली- क्या भैया आप भी बड़े वो हो!

मैंने कहा- मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता बहना. तू किसी से भी चुदवाए. हां ये जरूर कहूँगा कि अपनी गांड का छेद जरा और बड़ा करवा. फिर तुझे अपनी गांड चुदवाने में ज्यादा मजा आएगा. अभी तेरी चूचियां भी छोटी हैं. इनको भी बड़ा करवा.
मेरी रांड बहन मुझे बरगलाने लगी- वो क्या है न भइया कि किसी ने आज तक मुझे चोदा नहीं है, इसलिए मेरी चूचियां अभी छोटी हैं.

मैंने कहा- चल फिर मुझे ही कुछ करना पड़ेगा.
वो बोली- हां भइया आप ही मुझे मस्त करो न … आप ही मुझे चोद चोद कर और मेरी चूचियां मसल मसल कर बड़ा कर दीजिएगा.

अब तक सुबह हो गई थी और हम लोग एक दूसरे को साफ़ करके अपने अपने काम में लग गए.
 
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गर्म चाची की जवानी का नजारा



दोस्तो, मेरा नाम विकास रावल है. मेरी उम्र 23 साल है और मैं राजस्थान का हूं.


पहले मैं यह बता दूं कि मैं 6 फीट का हूं और मेरा लंड भी 6 इंच का है.
मुझे सेक्स करना बहुत ज्यादा पसंद है.

यह हॉट चाची की चुदाई कहानी उन दिनों की है जब मुझे नौकरी के सिलसिले में गुजरात जाना था और वहां के एक शहर में अपनी जॉब जॉइन करना था.

वहां हमारे एक दूर के रिश्तेदार महेश चाचा पहले से रहते थे. मैंने उनकी पहचान से वहां उनके पास में एक कमरा किराये पर ले लिया और वहां जॉब चालू कर दी.

मेरे चाचा के घर में तीन लोग रहते थे; महेश चाचा, सुमन चाची और उनका चार साल का बच्चा.

चाचा एक कंपनी में जॉब करते थे.
उनकी जॉब रात दिन की शिफ्ट में बदलती रहती थी.

मैं जब पहली बार महेश चाचा के घर पहुंचा तो मैंने उनकी पत्नी सुमन को देखा. चाची बहुत खूबसूरत लग रही थीं.
उनके बूब्स की साइज 30 इंच करीब की थी.
मैं मंत्रमुग्ध होकर चाची को देखता ही रहा.
हालांकि तब मेरे मन में ऐसा कोई इरादा नहीं था.

पहले तो दो तीन दिन तक मैं चाचा के घर पर ही रुका, तो चाची से अच्छी पहचान हो गई. मज़ाक मस्ती और रोज बात करना होता रहता था.

चाची का फिगर 30-28-32 का था. उनके मदमस्त यौवन को देखकर तो किसी का भी लंड खड़ा हो सकता था और उनको चोदने का मन करने लग जाए.

मैं रोज सुबह नौ बजे अपनी जॉब जाने लगा था. काम से शाम 7 बजे वापस आता था.

करीब दो महीने बाद एक बार मैंने तीन दिन की छुट्टी ली थी.
उन तीन दिन की छुट्टी में एक दिन मैं चाचा के घर उनका सामान देने गया था.

चाचा ने बाजार से सामान खरीद कर मेरे हाथ से घर के लिए भिजवाया था तो मैं सामान देने उनके घर गया था.
उस वक्त घर का दरवाज़ा खुला था.

जब सामान लेकर मैं चाची को देने उनके रूम में जा रहा था और रूम का दरवाज़ा खोला, तो चाची नहा कर कपड़े बदल रही थीं.

उस वक्त मैंने चाची को पेटीकोट में देखा था. वो ऊपर से नंगी थीं और ब्रा पहन रही थीं.

मैंने उन्हें देख लिया, चाची ने भी मुझे देख लिया.
मैं दरवाजा बंद करके कमरे के बाहर बैठ गया.

कुछ देर बाद जब चाची कपड़े पहन कर बाहर आईं, तो मुझे शर्म आ रही थी.

चाची ने मुझे बैठने को बोला और मेरे लिए चाय बनाने चली गईं.

उस दिन चाय पीकर मैं अपने रूम पर आ गया लेकिन मुझे तो चाची का वो सीन देखकर कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं.

तब उस वक्त पहली बार चाची के लिए मेरे मन में गंदा खयाल आया था.
मुझे अब चाची को चोदने की इच्छा हो गई थी.

मेरा हाथ खुद ब खुद अपने लंड पर आ गया और उसी वक्त मैंने चाची को याद करके अपने लंड की मुठ भी मारी.

उस वक्त तो लंड ढीला हो गया और मुझे कुछ राहत मिल गई.
लेकिन उसके बाद मुझे चाची की चूत चोदने की और इच्छा बढ़ गई.

अब मैं चाची को पटाने का प्लान बनाने लगा.

एक बार चाची, चाचा और मैं … हम सब बैठ कर रात को बातें कर रहे थे.
तो बातों बातों में चाची ने बोल दिया- विकास तुम शादी कब करोगे?
मैंने भी मजाक में हंस कर बोल दिया- आप जैसी बीवी मिल जाए तब!
इस पर चाची हंसने लगीं.

दूसरे दिन मेरी जॉब से छुट्टी थी, मैं कमरे में सो रहा था.

उसी समय अचानक से चाची मेरे कमरे में आ गईं.
उनको बाजार से कुछ सामान मंगवाना था.
मैं सिर्फ अंडरवियर पहनकर ही सोया था.

कमरे में आते ही चाची ने चादर खींच दी और मुझे जगाने के लिए आवाज देती हुई आगे को बढ़ीं.
चाची की आवाज सुनकर मैं जाग गया.

उस वक्त मेरा खड़ा हुआ लौड़ा उन्होंने भी देख लिया.
इस बार तो मैं भी मौका देख रहा था.
मैंने खड़े होकर लुंगी बांध ली.
तब भी वो वहीं खड़ी थीं.

मैंने कहा- क्या हुआ?
चाची ने कहा- बाजार से कुछ सामान लाना है.

मैंने कहा- ठीक है. मैं नहा कर जाता हूँ.
चाची लिस्ट पकड़ा कर चली गईं.

फिर मैं नहा कर बाजार चला गया और उधर से सामान लेकर चाची के घर गया.

चाचा काम पर गए थे और उनका बेटा सो रहा था.

चाची ने मुझे बैठने को बोला.
मैं वहीं बैठ गया.

उस वक्त चाची ने प्लाजो सलवार पहन रखी थी और वो कचरा निकाल रही थीं.
वो कचरा निकालते वक्त बार बार झुक रही थीं, तब चाची के बूब्स साफ दिख रहे थे.
उन्होंने कुर्ते के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी.

वो मुझे देख कर पता नहीं क्यों बार बार हंस रही थीं.
तब मुझे कुछ कुछ समझ आ गया कि चाची क्या चाहती हैं.

जब चाची किचन में चाय बनाने गईं, तो मैं उनके पीछे आ गया.
अन्दर जाकर मैंने सोचा था कि चाची को पकड़ लूंगा मगर मेरी चाची को पकड़ने में डर लगा और मैं पानी पीकर वापिस आ गया.

चाची चाय बनाकर लाईं तो उन्होंने झुक कर टेबल पर चाय रखी.
मेरी नजरें वापस उनके मम्मों पर चली गई.
हम दोनों बैठ कर चाय पीने लगे.

चाची ने मुझसे पूछा- क्या बात है … कुछ टेंशन है?
मैंने कहा- नहीं.

उसी समय अचानक से चाची की चाय का कप गिर गया और उनकी जांघ पर गर्म चाय गिरी.
मैंने चाची को जल्दी से पकड़ कर उठाया और उनके रूम में ले आया.

वो कराहती हुई बोलीं- टेबल से क्रीम ले आओ.
मैं क्रीम ले आया.

चाची ने कहा- तुम लगा दोगे?
मैंने कहा- हां क्यों नहीं.

मैंने उनकी प्लाजो सलवार को थोड़ा ऊपर किया और हल्के हाथों से लगाना शुरू कर दिया.
वो बोल रही थीं- थोड़ा ऊपर को लगाओ.

मैं ऊपर लगाता गया.
वो कहने लगीं कि तुम समझ नहीं रहे हो … मैं जांघ के ऊपर जली हूँ. बड़ी जलन हो रही है.
मैंने कहा- उधर कैसे करूं?
चाची- रुको, मैं प्लाजो नीचे कर देती हूँ.

अगले ही पल चाची ने अपनी प्लाजो नीचे को सरका दी.
मैं चाची की फूली हुई चूत देख कर सनाका खा गया.

वो मुझे देख कर स्माइल कर रही थीं.
मैंने भी हिम्मत की और सीधा उनके मम्मों पर एक हाथ रख दिया.

उन्होंने झट से मेरा हाथ दबा दिया.
उस वक्त मुझे तो जैसे जन्नत मिल गई थी.
मैंने धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया.

वो बोलीं- दोनों को दबाओ.
मैं सीधा चाची के ऊपर चढ़ गया और उनके होंठों को चूसने लगा.
उन्होंने भी मुझे कसके पकड़ लिया.

मैं लगातार चाची को चूमता रहा.
वो बोलीं- मैं कबसे तुझसे चुदना चाहती थी, लेकिन मैं कैसे कहूं … समझ में नहीं आ रहा था. आज तुम मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर दो. तेरे चाचा तो हफ्ते दो हफ्ते में ही चोदते हैं और उसमें भी मुझे मजा नहीं दे पाते हैं.

चाची के मुँह से ऐसी बातें सुनकर मेरा जोश और ज्यादा बढ़ गया.
अब मैं चाची के गले को और होंठों चाटता और चूमता रहा.
वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.

मुझे मस्त मज़ा आने लगा था.
मैंने चाची की आंखों में देखा तो उनकी चुदास देख कर मुझसे रहा नहीं गया.

मैं उनके ऊपर से हट कर उनको खड़ा कर दिया और दीवार से टिका दिया.
कुर्ती के ऊपर से मैं उनके मम्मों को किस करने लगा तो वो पागल सी होने लगीं.

अब चाची कहने लगीं- ऊपर से क्यों कर रहा है, कपड़े निकाल कर चूसो.

जैसे ही मैं उनकी कुर्ती को उतारने जा रहा था कि उनका बेटा उठ गया और चाची को आवाज देने लगा.
मैंने चाची को छोड़ दिया, वो जल्दी से रूम के बाहर चली गईं.

अपनी चाची को चोदने की मेरी वासना और बढ़ गई थी मगर फिलहाल कुछ नहीं किया जा सकता था.

मैं वहां से चला आया और अपने रूम पर आकर मुठ मारी, तब जाकर चैन मिला.
करीब दो घंटे बाद चाची का फोन आया तो मैंने उन्हें अपने रूम पर आने को बोला.

उन्होंने कहा- इधर रवि अकेला है.
मैंने कहा- ये तो दिक्कत है. उधर रवि कुछ करने नहीं देगा.

उन्होंने मुझसे कहा- तुम्हारे चाचा की दो दिन बाद नाइट शिफ्ट आएगी, तो उस वक्त तुम आ जाना.
मैंने हामी भर दी.

जैसे-तैसे करके मैंने दो दिन काट लिए.
इन दो दिनों में मेरा मन सिर्फ चाची को चोदने का ही करता रहा.

फिर वो घड़ी आखिर आ ही गई.
उस रात चाचा नाइट शिफ्ट में अपनी नौकरी पर चले गए.

घर पर चाची और उनका बेटा रवि वहीं थे.
चाचा के जाने के बाद तुरत मैंने चाची को फोन किया तो उन्होंने कहा- मैं रवि को सुला कर तुम्हें कॉल करती हूं.
मैंने कहा- ठीक है.

तब तक मैं बैठा रहा और चाची के फोन का इंतज़ार करने लगा.
करीब दस बजे चाची का फोन आया.

मैं फटाफट तैयार होकर चाची के घर निकल गया और जाकर दरवाजा खटखटाया तो चाची ने दरवाजा खोल दिया.

जैसे ही चाची ने दरवाज़ा खोला, मैं उन्हें देखता ही रह गया क्योंकि उस वक्त चाची ने एक शॉर्ट स्कर्ट और टी-शर्ट पहनी हुई थी जिसमें से उनके भरे हुए दूध बाहर निकलने को तड़पते दिख रहे थे.

उन्होंने मादक अंदाज में कहा- अन्दर नहीं आना क्या?
मैंने कहा- चाची क्या क़यामत लग रही हो.
चाची हंस पड़ीं.

जैसे ही मैं अन्दर आया, चाची ने दरवाज़ा बन्द कर दिया.
उसी वक्त मैंने पलट कर उन्हें पीछे से जोर से पकड़ लिया और उनके गले को चूमने लगा.

वो मेरे हाथों में हाथ लगा कर बोलीं- इतनी जल्दी क्या है राजा … आज तो पूरी रात पड़ी है. मस्ती से सब करेंगे.
मैंने उन्हें छोड़ दिया.

कुछ देर हम दोनों वहां बैठ कर प्रेमालाप करने लगे.
मैं सोफे पर बैठा हुआ उन्हें अपनी गोद में बिठा कर प्यार कर रहा था, उनके बदन को सहला रहा था.
वो भी गर्म हो रही थीं.

मैंने कहा- यहीं कबड्डी खेलना है या अखाड़े में चलोगी?
वो हंस दीं और उन्होंने इशारा कर दिया कि कमरे में चलो.

मैंने उन्हें गोद में उठाया और उनके रूम में जाकर बेड पर लेटा दिया. मैं चाची के ऊपर चढ़ गया और उसके कोमल फूल जैसे होंठों को चूसने लगा.
वो भी मेरे बालों को सहला कर मज़े ले रही थीं.

धीरे धीरे मैं चाची के मम्मों को मसलने लगा तो उनके मुँह से आवाज़ आने लगी ‘आह्ह …’
मैंने कहा- क्या हुआ?
चाची ने कहा- कुछ नहीं. करते रहो.

मैं चाची के गले को चूमने लगा तो वो पागल सी होने लगीं.
वो भी मुझे पकड़ कर जोर जोर से चूम रही थीं.

उनकी बेताबी देख कर मुझे ऐसा लगा, जैसे चाची आज पहली बार सेक्स कर रही हों.

मैंने पूछा- चाचा से मज़ा नहीं आता क्या?
वो बोलीं- उसका नाम मत लो यार … वो तो सिर्फ पांच मिनट में झड़ जाता है. मेरे साथ कोई रोमांस भी नहीं करता, सीधा पेला और ढीला होकर मुझे छोड़ देता है. विकास आज तुम मुझे पूरी तरह से ठंडा कर दो … हचक कर चोद दो.

मैंने कहा- हां चाची, आज मैं आपकी चूत का सारा पानी निकाल कर ही छोड़ूंगा.
मैंने धीरे से चाची की टी-शर्ट उतार दी और जो नज़ारा देखा, वो आज भी मुझे भी याद है.

बिना ब्रा के इतने टाईट चूचे मैंने पहली बार देखे थे. मैं तो चाची के मम्मे देखता ही रह गया.

मैंने चाची के चूचों को दबाना शुरू कर दिया.
चाची के मुँह से ‘आह्ह ओह्हह उह ऊऊऊह्ह …’ की मादक आवाजें आने लगीं.
हॉट चाची की कामुक आवाजें मुझे और मादक बना रही थीं.

अब मैंने उनकी स्कर्ट उतार दी. वो मेरे सामने सिर्फ पैंटी में थीं.

मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और अंडरवियर में आ गया.
चाची भी मेरी चड्डी में तने हुए अजगर को वासना से देखने लगीं.

मैंने उनके मम्मों पर किस किया तो उन्होंने मेरा मुँह अपने मम्मों पर दबा दिया और मुँह से आह आह निकाल कर कहने लगीं- आंह उम्म विकास … चूसो इन्हें … पूरी ताकत से चूसो, बहुत दिन बाद कोई ऐसा प्यार करने वाला मिला है.

मैंने चाची के दोनों मम्मों को करीब दस मिनट तक चूसा और चूस चूस कर दूध लाल कर दिए.

इतनी देर मैं ही चाची झड़ गई थीं.
मैं नीचे को आ गया और चाची की जांघ पर चुम्बन करने लगा, मैं उनके पूरे बदन पर किस करने लगा.

वो फिर से गर्म हो गईं.

अब मैंने चाची की पैंटी और मेरा अंडरवियर उतार दिया. उन्हें उल्टा लेटा कर उनकी पूरी पीठ पर किस करने लगा. एक हाथ से चाची की चूत सहलाने लगा.

अब मैंने आगे आकर अपना लौड़ा उसके हाथ में दे दिया.
वो उसे आगे पीछे करने लगीं.

मैंने कहा- चूसो इसे.
पहले तो चाची ने मना कर दिया मगर जब मैंने कहा- लंड चूसो यार … आपको मस्त मज़ा आएगा.
वो मान गईं.

उन्होंने पहले लौड़े के टॉप पर किस किया और जीभ से लंड के छेद को कुरेदने लगीं.
मैंने अपने एक हाथ चाची के मुँह को पकड़ कर पूरा लंड मुँह में डाल दिया.

वो लंड बाहर निकालने की कोशिश कर रही थीं लेकिन मैंने उनके मुख को कसके पकड़ लिया था.

अब चाची खुद से लंड चूसने लगी थीं.
मुझे मजा आने लगा था. मैंने चाची के मुंह को चोद दिया था.

सच में क्या मस्त अनुभव था, पहली बार किसी ने मेरा लंड चूसा था. ऐसा लग रहा था, जैसे मुझे जन्नत मिल गई हो.

करीब पांच मिनट तक चाची ने लंड को जो चूसा था … आज भी मुझे याद है.

फिर मेरा रस निकलने वाला था तो मैंने उनके सर को कसके पकड़ लिया और मैं लंड उनके गले तक ठूंस कर उनके मुँह में ही झड़ गया.

वो छटपटाने लगीं लेकिन मैंने उन्हें नहीं छोड़ा. मेरा लंड खाली हो गया, तब मैंने उन्हें छोड़ा.
वो हौ हौ करती हुईं, सीधी बाथरूम में चली गईं और मुँह साफ करके आ गईं.

मुझे लगा कि चाची गुस्सा होंगी लेकिन वो मुस्कुरा रही थीं.
तो मैंने पूछा- कैसा स्वाद लगा?
वो आंख दबाती हुई दो उंगलियों के इशारे ‘बढ़िया था …’ कहने लगीं.

कुछ मिनट के बाद हम दोनों ने फिर से एक दूसरे को चूमना शुरू किया.
अब मुझे चाची की चूत चाटने का मन कर रहा था. मैंने उनकी टांगें चौड़ी कर दीं और चूत चाटना शुरू कर दिया.

वो जोर जोर से आवाज निकाल रही थीं- आह्ह ऊऊऊ विकास और चाटो … आंह चाट चाट कर लाल कर दो.
मैंने भी कहा- हां चाची आज तो आपकी चूत का सारा पानी निकाल दूंगा.

मैं दो तीन मिनट तक चाची की चूत का रस चाटता रहा, इससे वो एकदम से बेहाल हो गई थीं.

वो बोलने लगीं- विकास प्लीज़ अब डालो ना!
अब हॉट चाची चुदाई के लिए बेचैन थी, मैं भी देरी ना करते उनके होंठों को चूसने लगा, बूब्स को भी चूसा.
फिर चाची के चूतड़ों पर हाथ घुमाने लगा.

मैंने उंगली गांड के अन्दर डाली, तो वो चीख उठीं- आहह … किधर कर रहा है!
मैंने हंस कर कहा- करंट चैक कर रहा था.
वो बोलीं- साले उधर की सोचना भी मत.

फिर मैंने अपने लंड को चाची की चूत पर रगड़ा, जिससे उनकी वासना और बढ़ती जा रही थी.
मेरा लंड अब चाची की चूत में जाने को बेताब था.

मैंने उनकी चूत में धीरे से एक धक्का दिया तो मेरा लंड का टोपा उनकी चूत के अन्दर थोड़ा सा घुस गया.
वो चीख उठीं.

मैंने कहा- क्या हुआ? अभी तो पूरा गया ही नहीं!
वो बोलीं- तेरा बहुत बड़ा और मोटा है … धीरे धीरे से पेलो.

मैं उनके होंठों को चूसने लगा, वो सिसकारियां भरने लगीं और उसी वक्त मैंने दूसरा धक्का दे दिया.
इस बार मेरा आधा लंड चाची की चूत में घुस गया और उनके मुँह से तीव्र स्वर में आह निकल गई.

मैंने देर किए बिना एक और जोरदार धक्का दे दिया.
मेरा पूरा लंड चाची की चूत में घुस गया.

इस बार वो थोड़ी और जोर से चीख उठीं.
उनके पति के छोटे लंड से चाची की सही से चुदाई नहीं हुई थी.

मैंने अपना लम्बा मोटा लंड उनकी चूत में पेल दिया था जिससे उन्हें दर्द होने लगा था.
वो मुझे दूर करने लगीं पर मैंने उन्हें कसके जकड़ा हुआ था.

कुछ देर तक मैंने लंड उनकी चूत में पड़ा रहने दिया और उन्हें चूमता रहा.

अब वो भी मेरे बालों को सहलाने लगी थीं इससे साफ हो गया था कि चाची ने लंड लील लिया था और उनका दर्द खत्म हो गया था.

अब मैं कभी चाची के होंठों को, तो कभी चूचों को चूसने लगा.
वो मादक सिसकारियां भरने लगी थीं- आह विकास अब चोदो मुझे … मेरी चूत की आग को ठंडी कर दो.

मैंने भी धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए.
वो और कामुक सिसकारियां भरने लगीं- आह विकास और चोदो मुझे … ऊह्ह ऊऊह आह्ह विकास अन्दर तक पेल कर चोदो मुझे … जोर जोर से चोदो.

मैं भी अपने लंड से जोर जोर से धक्का देने लगा.
चाची भी उछल उछल कर चुदवाने लगीं.

करीब दस मिनट के लगातार धक्के पे धक्का लगाने के बाद वो मुझे जोर से दबाने लगीं.
मैं समझ गया कि चाची का लावा निकलने वाला है.

वो गर्म आहें भरने लगी थीं- आह आह आह आह मैं झड़ रही हूँ राजा … आह अन्दर तक पेलो.

उसी वक्त चाची ने अपना पानी छोड़ दिया और वो शांत होने लगीं.

पर मेरा अभी बाकी था तो मैं उनके झड़ने के दो मिनट तक धक्के देता गया.
इसके बाद मेरा भी पानी निकल गया और मैंने चाची की चूत में पानी छोड़ दिया.

चुदाई के बाद मैंने प्यार से उनके होंठों को चूसा, उन्होंने भी मुझे किस किया.

मैं उनके ऊपर से उतर गया और पूछा- कैसा लगा?
चाची ने हंस कर कहा- अच्छा लगा … विकास आज तुमने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया.

हम दोनों ने प्यार से किस किया और करीब एक घंटे तक नंगे पड़े रहे.

इसके बाद हमारी कामवासना फिर से जाग उठी और चाची ने कहा- विकास मेरा मन नहीं भरा है. मैं अभी और चुदाना चाहती हूं.
मैंने कहा- चाची, आज मैं भी पूरी रात आपको चोदना चाहता हूं.

हम दोनों एक दूसरे से फिर से लग गए और हमने एक और बार चुदाई की.
इस बार मैंने चाची को आधा घंटा तक चोदा.

उनकी चूत में दर्द होने लगा था, वो मुझसे झड़ने के लिए कहने लगीं.
मैंने कहा- ठीक है अब रहने देता हूँ. फिर कभी और करेंगे.

मैंने लंड चूत से निकाल लिया और चाची ने हाथ से लंड झड़ा दिया.

मैं जाने के लिए कहने लगा तो उन्होंने मुझे जाने नहीं दिया.
हम दोनों सो गए.

करीब तीन घंटा बाद चाची ने मुझे जगाया और हम दोनों एक बार फिर से लग गए.
मैं उन्हें चोद कर अपने रूम पर आ गया.

उसके बाद उन्हें जितनी बार मुझे मौका मिला, मैंने उन्हें चोद लिया.

एक बार मुझे चाची की गांड मारने की इच्छा हुई, पर वो मान नहीं रही थीं.


 

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देवर के साथ चूत चुदाई की मस्ती



मैं आरती कोलकाता से हूँ. मैं एक शादीशुदा लड़की हूँ. मेरी शादी दस साल पहले हुई थी.
मेरा फिगर 34-32-36 का है.

मेरे लम्बे बाल, बड़े बूब्स देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो जाता है, चाहे वो जवान मर्द हो या बुड्ढा आदमी हो.
शादी से पहले भी और शादी के बाद मैं अपनी सेक्स लाइफ से ज्यादा संतुष्ट नहीं थी.
मेरी सेक्स जिंदगी बहुत बोरिंग थी इसलिए अपनी जिन्दगी को खुशनुमा बनाने के लिए मैंने बहुत सारे दूसरे मर्दों के साथ चुदने की कोशिश की. जिस्मानी रिश्ते भी बनाए.
कुछ के साथ मजा भी आया.

इसी तरह के मजे के चक्कर में मैंने अपनी शर्म ओ हया, सब खो दी थी.

इस प्रकार मेरे पास चुदाई की बहुत सारी कहानियां हैं, लेकिन सबसे नजदीकी रिश्ते में हुई अपनी Xxx देवर भाभी सेक्स कहानी को मैं आज सुनाने जा रही हूँ.
आप लोगों को पसंद आएगी. मुझे मेल से जरूर बताइएगा.

कहानी कुछ ऐसे शुरू हुई कि मेरी ससुराल में चाचा जी के घर में शादी थी.

मेरे पति किसी कारण से शादी में नहीं जा पा रहे थे. तो मुझे अकेले जाना पड़ा.

शादी के चलते चाचा के घर में सब कुछ ठीक चल रहा था. शादी हो जाने के बाद सब नाते रिश्तेदार अपने अपने घर चले गए थे.

मेरे पति वहां आकर मुझे वापस ले जाने वाले थे इसलिए मैं उधर ही रुक गई थी. मैं वहां अपने पति के चचेरे भाई के घर ठहरी थी.
उनके घर में मेरे पति की ताई जी और उनके बेटे बस दो ही लोग रहते थे.

किसी वजह से मेरे पति कुछ और दिन नहीं आ पाए.

इधर से कहानी शुरू हुई.

मैं अपने जिस देवर के साथ रह रही थी, उसका नाम चंदन था. उनको दारू पीने की बहुत बुरी आदत थी.

एक रात मेरा देवर चंदन बहुत ज्यादा दारू पीकर आया.
वो इतना ज्यादा टल्ली हो गया था कि उसके दो दोस्त उसे घर तक पंहुचा कर गए.

मेरा देवर चंदन थोड़ा मोटा है लेकिन वो मेरे पति से ज्यादा स्मार्ट है.

मेरे देवर की मम्मी यानि मेरे पति की ताई जी बहुत बूढ़ी हैं, वो ज्यादा चल फिर नहीं पाती थीं.
वो अधिकांशत: अपने कमरे में ही रहती थीं.

उस दिन बात यह हुई कि जब चंदन के दो दोस्त उसे घर छोड़ कर गए.
तो मैंने चंदन को सहारा दिया और उसे अन्दर लाने लगी.

उस वक्त उसका एक हाथ मेरे कंधे पर था और एक हाथ मैं पकड़े थी कि कहीं वो गिर न जाए.

मैं उसके घर में रह रही थी तो उसे सम्भालना मेरी जिम्मेदारी बन गई थी इसलिए मैंने उसे सहारा दिया था.

अब असली चीज़, जो नहीं होना चाहिए थी, वही हुई.

उस समय उसका सारा बोझ मेरे ऊपर था, इसलिए उसके बेडरूम में ले जाकर मैंने उसे बेड पर बिठा दिया.
मैं उसके भारी वजन के कारण थक गई थी और वो नशे में टुन्न था.
वो बिस्तर पर बैठते ही पसर गया.

फिर मैंने किसी तरह उसे बैठाया और उसकी शर्ट खोलने लगी. उसके मुँह से शराब की बहुत ज्यादा स्मेल आ रही थी.

वो बड़बड़ा रहा था.

मैं उसकी शर्ट के बटन अभी खोल ही रही थी कि उसने मेरे ऊपर जोरदार उल्टी कर दी.
उसकी उबकाई से ऐसा लगा जैसे मेरे ऊपर किसी ने झरना खोल दिया हो.

मैं उसकी उबकाई से ऊपर से नीचे तक गंदी हो गई. मेरे जिस्म पर हर जगह उसकी उबकाई पड़ी थी.
अब मैं सोचने लगी कि क्या करूं.

फिर मैंने उसे वापिस लिटा दिया और उसके सामने ही अपनी साड़ी खोल दी.
मैंने सोचा कि चंदन तो होश में नहीं है, वो मेरे साथ क्या कर सकेगा.

उस समय मैं उसके सामने सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में रह गई थी.

अब मैं फिर से उसकी तरफ ध्यान देने लगी. उसके कपड़े भी खराब हो गए थे. शर्ट भी अभी नहीं उतर सकी थी.

मुझसे उसकी शर्ट नहीं खुल रही थी, मैंने सोचा कि इसने उल्टी तो कर ही दी है. अब इसे किसी तरह से बाथरूम ले जाकर साफ़ कर देती हूँ.

मैंने किसी तरह से उसे सहारा दिया और उठा कर बाथरूम में ले गयी.
उधर मैंने उसे कमोड का ढक्कन बंद करके उस पर बिठा दिया.

फिर मैं किसी तरह उसकी शर्ट को खोल पायी. अन्दर उसने बनियान नहीं पहनी थी तो वो ऊपर से नंगा हो गया था.
उसे यूं नंगा देख कर मेरे मन में मेरी वासना जागने लगी.

लेकिन मुझे अपने आपसे भी बहुत जोर की बदबू आ रही थी.

इसलिए मैंने उसे उसी तरह बैठा छोड़ कर उसके सामने अपना ब्लाउज और पेटीकोट भी खोल दिया.

मैं यही सोच रही थी कि उससे होश नहीं है.

लेकिन मैं गलत थी.
उल्टी करने के बाद उसे काफी होश आ चुका था और अब वह मेरे साथ नाटक कर रहा था.
ये बात मैं समझ ही नहीं पायी.

फिलहाल उस वक्त मैं उसके सामने सिर्फ पैंटी ब्रा में खड़ी थी.

मैंने हैंड शॉवर लिया और उससे नहाने लगी.
अपने हाथों से उसके मुँह और छाती पेट व पीठ को भी साफ़ करने लगी.

उसने नीचे एक हाफ जॉगर्स पहन रखा था. मैं हैंड शॉवर रख कर उसे खींच कर नीचे करने लगी.
मुझे पता ही नहीं था कि उसने अंडरवियर नहीं पहना है.

जैसे ही मैंने उसका जॉगर्स उसकी जांघों तक खींचा तो मैं एकदम से चौंक गयी.
उसका विशाल लंड एकदम सामने खड़ा था और मुझे सलामी दे रहा था. उसका भूरे रंग का तीन इंच मोटा लंड देख कर मैं हतप्रभ रह गई थी.

उसके लंड पर एक भी बाल नहीं था.
मैं तो उसका मस्त लंड देख कर एकदम से बहक सी गई.
मेरा खुद पर बेकाबू ही नहीं रहा.

लेकिन मैंने किसी तरह से अपने आप पर कण्ट्रोल किया और उसका पूरा जॉगर्स खोलकर एक तरफ डाल दिया.
अब वह मेरे सामने पूरा नंगा था और मैं आधी नंगी थी और भीगी हुई थी.

देवर के कमरे का बाथरूम अब गर्म होने वाला था, यह मुझे आभास हो गया था.

मैं भी उससे चुदने के लिए रेडी थी, बस कौन पहल करे, इसका इंतजार हो रहा था.
उसकी आंखें खुल गई थीं और वो मुझे नशीले अंदाज में देख रहा था.

मेरा काम अभी बाकी था तो मैं चंदन से बोली- खड़े हो जाओ. आपके ऊपर पानी डाल कर आपको साफ कर दूँ.
वह मेरी हर बात किसी छोटे बच्चे की तरह मान रहा था.

मेरी बात सुनकर वो झट से खड़ा हो गया लेकिन उसकी नजर मेरी चूचियों पर थीं.

यह मैं देख रही थी और ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी भूखे शेर को सामने खाना मिल गया हो, बस वह झपटने के इंतज़ार में था.
मैं उसके पीछे गयी और हैंड शॉवर से उसका पूरा पिछवाड़ा धोने लगी.
पहले मैंने उसकी पीठ धोयी, नीचे जांघें धोईं.

मुझे उसके चूतड़ों को छूने में शर्म आ रही थी लेकिन मैंने अपने हाथों से उसके गांड धोयी.
मुझे मजा भी आने लगा था तो मैंने अपनी दो उंगलियां उसके चूतड़ों के बीच में डाल दीं.

मेरी एक उंगली की पोर उसकी गांड में टच कर गई और उसने आह की आवाज कर दी.

मैंने पूछा- क्या हुआ चंदन?
वो लड़खड़ाती हुई आवाज में बोला- कुछ नहीं.

फिर मैं उसके आगे खड़ी हुई, तो उसका हाथ मेरे कन्धों पर टिक गया था.
मैंने सोची कि सहारा लेने के लिए उसने हाथ रखा होगा.

लेकिन उसका हाथ धीरे धीरे मेरी ब्रा के हुक तक जा पंहुचा और एक ही झटके में उसने मेरे ब्रा को खोल दिया.

मैं बोली- यह क्या कर रहे हो, ये गलत है. मैं आपके भाई की बीवी हूँ.
वह बोला- इस बाथरूम मैं कोई नहीं जानता कि तुम किसकी बीवी हो. यहां सिर्फ तुम एक लड़की और मैं लड़का हूँ.

उसकी बात सही थी.
मैंने Xforum पर कई बार पढ़ा था कि औरत और मर्द के बीच रिश्ता हो सकता है. पर लंड औरचूत के बीच सिर्फ एक ही नाता होता है और वो नाता सिर्फ चुदाई का नाता होता है.

यह बात याद करके जैसे मेरे रोंगटे खड़े हो गए. मैंने उससे कुछ नहीं कहा.
फिर उसने मेरी पैंटी खोलने की कोशिश की. वो एक हाथ से नहीं खोल पाया तो मैंने खुद ही अपनी पैंटी उतार दी और कोने में फैंक दी.

अब हम दोनों पूरे नंगे, एक दूसरे के सामने खड़े थे; एक दूसरे को अपनी बांहों में लेने को बेताब थे.

कौन आगे बढ़ेगा, मैं अभी यही सोच रही थी कि तभी उसने मुझे अपनी ओर खींच लिया और मेरे होंठों पर किस करने लगा.

मैंने पहले कुछ नहीं किया लेकिन अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था.
मैं उसके साथ चूमाचाटी में उसका साथ देने लगी.

अपने देवर की जीभ से मैं अपनी जीभ लड़ाने लगी.
वो भी मेरे मुँह में जुबान डाल कर मेरी जीभ से खेलने लगा.

दस मिनट बाद उसने मेरे दोनों चूतड़ों पर जोर से अपने हाथ बजाए और मसलने लगा.
इससे मैं उसके लंड से जा लगी.

मुझे उसका लंड मस्त लोहे सा कड़क लग रहा था. शायद उसकी मस्ती भी बढ़ने लगी थी.
वो बार बार लंड टच करने लगा.

कुछ ही पल बाद पूरे बाथरूम में उसके थप्पड़ों की गूंज सुनाई देने लगी थी.
मुझे भी अपनी गांड पर उसकी थाप मजा देने लगी थी.

फिर हम दोनों एक साथ नहाने लगे और पूरा साफ़ होने के बाद वो मुझे अपनी बांहों में उठाकर अपने बेड पर ले गया.

मैंने महसूस किया कि अब उसका नशा मस्ती में बदल गया था और वो मुझे एक माल समझ कर चोदने की तैयारी में आ गया था.

उसने मुझे हल्के से बेड पर रखा और मेरी दोनों टांगों को हवा में उठा दिया.

फिर मेरा देवर मेरी टांगों के नीचे से मेरी चूत को चाटने लगा.
उसका मुँह अपनी चूत पर पाते ही मैं पागलों की तरह मचलने लगी थी.

कुछ ही समय में मैं झड़ गई और उससे बोली- अब बस कर चंदन. छोड़ दे मुझे, मैं अपने रूम में जा रही हूँ.

उसने गाली देते हुए कहा- रुक साली … अभी से जाने की कह रही है भैन की लौड़ी … अभी तो मजा आना शुरू हुआ है और तू जाने की बात कर रही है.
न जाने क्यों मुझे उसका ये अंदाज काफी मर्दाना लगा और मुझे अन्दर तक मजा आ गया.

दोस्तो, एक औरत जब अपनी चुदाई की मस्ती में आ जाती है तो वो मर्द की हर गाली को, उसके हर मर्दाना काम को बड़ी ख़ुशी से लेती है.
फिर चाहे वो औरत एक महारानी ही क्यों न हो और उसे चोदने वाला मर्द उसका गुलाम ही क्यों न हो.

अब मैंने चंदन से अपनी चूत चुदवाने का मन बना लिया

उसने मेरे बालों को पकड़ के मुझे घुटनों तक झुका दिया और बोला- चल साली शुरू हो जा … और देर मत कर.

मैं उसका इशारा समझ गयी और मैंने उसका लंड अपने हाथों में ले लिया.
उसका लंड वाकयी बड़ा मस्त लंड था और एकदम लोहे की रॉड की तरह सख्त था.

मैं अपने देवर के लंड के सुपारे को खोल कर चाटने लगी. फिर उसके एक अंडकोष को हाथ में लेकर चाटा और मुँह में भर कर चूसा.

मुझे मर्द का लंड चाटना जितना पसंद है उससे ज्यादा पसंद है मर्द की गांड के छेद को चाटना.
और इस सुनहरे अवसर को मैं किसी हाल में नहीं छोड़ सकती थी.

इसलिए मैंने जब उसकी गांड के छेद में अपनी जीभ डाली, तो वह जैसे चौंक गया.

कुछ मिनट तक अपने देवर का लंड और गांड चाटने के बाद मैं अलग हुई तो उसने मुझे ऐसी नजरों से देखा, मानो वह जैसे मुझसे प्यार कर बैठा हो.

उसने मुझे तुरंत उठाया और बेड पर पटक दिया. साथ ही चंदन ने अपना मोटा कड़क लंड मेरी रस टपकाती चूत में एक झटके से पेल दिया.

पहली बार तो मैं चीख पड़ी.
फिर धीरे धीरे मैं खुद को खुदकिस्मत सी महसूस कर रही थी कि इतना मोटा लंड मुझे अन्दर तक ख़ुशी दे रहा था.

वो काफी मजबूत मर्द साबित हुआ, लगातार आधा घंटा तक मेरी चूत फाड़ता रहा.

मैं उसके साथ चुद कर एकदम से थक गई थी और लगातार लंड पेलने के कारण वो भी हांफने लगा था.

उसके माथे से चुहचुहाता पसीना मुझे मादक किए जा रहा था.
मैं अपनी थकान भूल कर अपने ऊपर चढ़े अपने देवर को प्यार से सहला रही थी.

कुछ देर में हम दोनों थक गए थे और अब शायद हमारा रस भी मिल जाने को आतुर था.

कुछ ही तेज धक्कों के बाद चंदन मेरी चूत में स्खलित हो गया और हम दोनों बेड पर बेजान की तरह गिर गए.

उसके लंड ने मेरी चूत की जबरदस्त चुदाई की थी. इतनी देर तक चुदने के बाद भी मेरा मन अभी नहीं भरा था.

मैं अपनी आंखें बंद किए हुए उसका लंड पकड़ने की कोशिश कर रही थी. मैं लंड फिर से खड़ा करने के लिए हाथ चलाने लगी थी.

उसके लंड ने वापस अंगड़ाई भरनी शुरू कर दी थी.
मैंने उठ कर उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी.

जल्द ही मैं लंड खड़ा करने में कामयाब हो गई.
मेरा Xxx देवर भी मूड में आ गया.

हम दोनों ने फिर से जोरदार सेक्स करना शुरू कर दिया.

चुदाई के बाद हम दोनों नंगे एक ही चादर में सो गए.

फिर सुबह चार बजे मैं उठी और अपने रूम में जाकर चैन की नींद सो गयी.

मेरे पति के नहीं आने तक हम दोनों की रोज चुदाई चालू रही.
 

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चाची के साथ हसीन रिश्ते की शुरुआत




दोस्तो, मैं दीवाना मस्ताना अली हूँ।
मैं 26 साल का गबरू जवान हूं। मेरी लंबाई 5 फ़ीट 8 इंच, छाती 44 इंच, रंग गोरा, क़मर 32 और ऊपर वाले का दिया हुआ सामान 6 इंच का है।

बात तब की है जब मेरे चचाजान, जिनकी उम्र कोई 40 साल होगी, सेहरा बाँधे 19 साल की कमसिन कली, मेरी होने वाली चाची के साथ निक़ाह पढ़ने निकले थे।
तब मेरी उम्र भी 19 साल ही थी।

घर में सब खुश थे कि आख़िर चचा जान की शादी तय हो ही गयी क्योंकि तब तक चचाजान सूख कर लकड़ी हो चुके थे।

उनके गाल धंस चुके थे, रंग भी बिल्कुल काला हो चुका था.

लेक़िन बीवी मिल जाये … ये अरमान अभी भी बसंत की तरह हरा-भरा था मानो उनके अंदर की कोयल बस हर बसंत यही गाती हो
मिल जा मोरी गोरी
तुझे पेलूँ जोरी जोरी।

कई बार तो चचा को हम सबने अपने छोटे से नुन्नू (लंड) के साथ खेलते हुए भी देखा था जो मात्र 4 इंच के करीब का होगा।

अपने नुन्नू को वो कई बार दोपहरी में नीम के पेड़ के नीचे हिलाते हुए पकड़े भी गए थे।
बहरहाल अब वो दिन आ गया था जब चचा को चाची की जवानी का रस मिलने वाला था।

हम सब बारात लेकर निकल पड़े थे।
बारात को बहुत दूर जाना था।

चचा मन ही मन बहुत बेताब थे चाची को देखने के लिए।
उनकी स्थिति बिल्कुल उस भूखे शेर की तरह थी जिसने जमानों से बोटियाँ नहीं तोड़ी थीं, लेकिन अब वो दौर खत्म होने को आया था और चचा के मुंह से जैसे लार टपकने ही वाली थी।

फिर हम सब होने वाली चाची के यहाँ पहुँच गए।
चाय-पानी शुरू हुआ लेकिन चचा के मन में सिर्फ़ और सिर्फ़ चाची घूम रही थी।

समय और क़रीब आया और अब चाची हमारे सामने थी।

कैसे कहूँ … किस मुँह से कहूँ उसे चाची … मन तो कर रहा था जानेमन से नीचे कुछ कहकर न बुलाऊँ उसे!
हरे लहँगे में मानो हूर सी परी लग रही थी।

मैं तो उनके बदन को ऊपर से नीचे तक देखता ही रह गया।

हिरनी जैसा प्यारा चहरा, भौहें शेरनी जैसी, कन्धे जवानी से भरे हुए, भूखी मुस्कान, चूचियां पके आम के जैसी और निप्पल आम की घुंडी की तरह, पेट की नाभि से सेक्सी बदन का रस मानो चू रहा हो!
जाँघें चिकनी कोमल मख़मल जैसी, पैर के नाखून शेरनी की तरह शिकार करने के लिए मानो तैयार हों।

ऐसा रसीला, गठीला और जबराट बदन देख कर 22 हजार वोल्ट का करंट सा लग गया था।
यही हाल चाचा का भी रहा होगा।

शादी की सारी रस्में पूरी कर हम सब चाची को घर ले आये और चाची से हमारा आमना सामना होने का दिन आ गया।

चाची घर आ चुकी थी और घर में होने वाली सारी रस्में पूरी होते ही आख़िरी रस्म के लिए चाची को चाचा के पास भेजा गया।
आप भी समझ गए होंगे कि मैं चुदाई वाली रस्म की बात कर रहा हूं।

चचा अपने नुन्नू पर तेल लगाए बैठे थे और चाची के पहुंचते ही उन्होंने कमरा बन्द कर लिया।

चाची जाकर बैठ गयी और चचा भूखे भेड़िये की तरह उनपर टूट पड़े और वो कुछ कह न सकीं।
चचा जन्मों की प्यास बुझाने के लिए आतुर थे और उन्होंने वैसा ही किया और जल्दी-जल्दी में उनके सारे कपड़े उतार डाले और सीधे उनकी मख़मली चूत रानी पर धावा बोल दिया।

जैसे ही धावा बोला कि कुछ ही पल में 8 से 10 झटके में ही उन्होंने रानी के अंदर अपना माल छोड़ दिया और फ़ारिग होकर खड़े हो गए।

उधर चाची जान तो अभी मूड में भी न आ पाई थी। अभी उन्हें कुछ महसूस होने ही लगा था कि तब तक चचा जान क्लीन बोल्ड हो चुके थे।
चाची को लगा शायद पहली बार सेक्स हुआ है इसलिए ऐसा हो गया है।

फिर बाद में पता चलने लगा कि ये सिलसिला तो हर बार ऐसे ही खत्म हो रहा है।

अब चाची को इस बात से गुस्सा आने लगा था।
वो इस बात को लेकर दुखी रहती थी कि क्या अब ताउम्र ऐसे ही प्यासी रहना पड़ेगा.

वो सोचने लगी कि कुछ तो तरकीब करनी पड़ेगी।
चाची अब छोटी छोटी बातों पर झुंझला जाती थी; सेक्स का अधूरापन अब घर के क्लेश के रूप में बाहर आने लगा था।

चुदाई में उनको संतुष्टि नहीं मिल रही थी लेकिन उधर चचा जान ने उनकी चूत में माल छोड़ छोड़कर उनको पेट से कर दिया था।

करते-करते चाची के पास दो बच्चे हो गए लेकिन अभी तक चाची को वो चुदाई वाली संतुष्टि नहीं मिली थी।

उनकी इच्छाएं हर उस औरत के अरमानों जैसी थीं जो वो अपने वैवाहिक जीवन में भोगना चाहती है।

लेकिन समस्या यह थी कि वो चचा से नहीं कह पा रही थीं कि उन्हें संभोग का चरम सुख वो नहीं दे पा रहे हैं।
वो हर पल जलती हुई लकड़ियों के ढेर पर बैठी महसूस कर रही थी।
इसे वो किसी से बयाँ नहीं कर सकती थी क्योंकि ये समाज उन्हें गलत नजर से देखता।

वो सोचती थी कि घर की इज्जत मिट्टी में चली जाएगी और उनको न जाने किन-किन कालिखों का सामना करना पड़ेगा।
इसी डर से उन्होंने अपनी सारी इच्छाओं को मारना ही बेहतर समझा था।
इससे चचा जान की मर्दानगी की आन भी बची रहती।

ये सब घटनाएं उनके मन के अंदर हो रहीं थीं जिसके बारे में उन्होंने मुझे इस कहानी के एक मोड़ पर अपने छलकते आँसुओं के साथ बताया था।

उनके जीवन की कहानी 2 से 4 हो चुकी थी।
अब बच्चों में फंस कर उन्होंने अपने शारीरिक सुख को तिलांजलि दे दी थी और बच्चों का ही सुख सब कुछ मान कर दिन बिताने लगीं थीं।

लेक़िन कभी जब काम वासना से भरी हवाएं चलतीं तो उनका मन, आत्मा और शरीर की चाहत मिटाने को हो उठता था।
मर्द के मर्दन के बारे में सोचकर चूचियां तन जाती थीं।
मस्त मोटा लंड चूत में जाने के अहसास की कल्पना से ही उनकी रानी आंसू बहाने लगती थी।

मगर वो क्या कर सकती थी।
उनके पास सिर्फ वही 45 साल के चचा जान थे जिनका सामान अब काम करना बंद कर चुका था।

घंटों तक वो उनके सामान को मलती रहती, तब जाकर तो वो खड़ा होता था।
खड़ा होने के बाद उनकी चूत के अंदर जाते ही मूर्छित हो जाता था और हमेशा की तरह वो भूखी ही रह जाती।

इस समस्या का अब वो इलाज निकलना चाहती थीं जिसका इलाज निकला मैं … अली।
मैं अक्सर उनसे मिलने जाया करता था; उनके हाल चाल लेता, गुफ़्तगू करता और उनके अंदर उठ रहे सैलाब को समझने की कोशिश करता।

लेकिन मैं ये चाहता था कि ये सैलाब एक दिन ख़ुद दीवारों को तोड़ कर बाहर आ जाये और मुझ प्यासे कुँए में समा जाए।
इस संगम से हम दोनों संतुष्ट हो जायें, समा जाएं एक दूसरे में।

और वो दिन आखिर आ ही गया।
चाची अब मुझमें समाना चाहती थीं ऐसा उनके हाव-भाव से लगने लगा था।

मैं जब जब उनके घर जाता वो घर के सारे काम छोड़ कर मेरे पास आकर बैठ जातीं और घंटों घंटों मुझसे इधर उधर की बातें करतीं।

अब मुझे भी समझ आने लग गया था कि चाची बातों के बहाने मेरे क़रीब आना चाहती हैं।
क्योंकि जब वो मुझसे बातें करती उस दौरान वो हर बार मेरे शरीर का कोई हिस्सा छूने लगती थी।
कभी मेरे घुटनों पर हाथ रखती तो कभी मेरी पीठ पर, तो कभी मेरी छाती पर!

इस बहाने वो मेरे गबरू जवान शरीर को छू-छू कर अपनी प्यास बुझा रही थीं।
इशारों में वो अब मुझे बता चुकी थीं कि वो मुझे अपना सेक्स पार्टनर बनाना चाहती हैं। मुझसे वो सुख पाना चाहती हैं जिसकी तलाश वो पिछले 5 सालों से कर रही हैं।

आख़िर वो दिन आ ही गया जब चाची ने अपने मन की बात कह डाली।
वो बोलीं- अली, तू बड़ा सेक्सी लगता है। तेरी कोई गर्लफ्रेंड तो होगी न?

मैं बहुत शरमा गया पर मेरे मन ने कहा कि अगर इस कमसिन कली का रस चूसना है तो आज अपने असली रूप में आना होगा और मैंने धपाक से कहा- हाँ, बहुत सारी हैं।

चाची एकदम से अवाक् रह गई और बोली- उनको पता है कि तेरी एक से ज्यादा गर्लफ्रेंड हैं? और अगर उन्हें पता है तो वो राजी क्यों हैं?

मैंने कहा- मेरी सारी गर्लफ्रेंड जानती हैं … और उनकी रजामंदी भी है क्योंकि सब को मैंने सेक्स का रस देकर अपन काबू में कर लिया है। मैं उन सबको मालिक की तरह नहीं बल्कि माली की तरह रखता हूँ, इसलिए वो सब मुझसे उतना ही प्यार करती हैं जितना एक फ़ूल अपने माली से प्यार करता है।

ये सुनकर चाची को यह भरोसा हो गया था कि उन्होंने सही मर्द को चुना है जो उनकी तड़प को शान्त कर सकता है और उन्हें जन्नत के दरवाज़े तक ले जा सकता है।

चाची ने मुझसे कहा- अली, कल तुम्हारे चचा एक शादी में जाने वाले हैं, क्या तुम मेरे यहाँ आकर रुक जाओगे?
मैंने कहा- जी बिल्कुल।

मैं हैरान था कि चचा ने भी मुझसे रुकने को कह दिया।
अब तो बात बिल्कुल पक्की हो चुकी थी; अब मुझे बस वो 24 घण्टे काटना मुश्किल हो रहा था।

हर पल बस इसी उधेड़बुन में था कि जब मिलूंगा तो क्या करूँगा, कैसे करूँगा, सबसे पहले कहां से शुरू करूँगा।
ऐसे ही हजारों सवाल दिमाग में घूम रहे थे।
सोचते सोचते किसी तरह वो रात आख़िर कट गई।

तो दोस्तो, अब वो रात आख़िर आ ही गयी जब चाची मेरे सामने थी।
मैं और वो अकेले थे।
वो रात सही मायनों में बहुत हसीन रात थी।

उस रात में मैं अपनी हवस नहीं बल्कि एक साधना के लिए गया था।
मुझे ऐसा महसूस हो रहा था और समझ आ रहा था कि संभोग हवस नहीं, एक बहुत ही आध्यात्मिक कार्य है जिसके लिए तन, मन और आत्मा के संयोग के बिना चरम सुख तक पहुँचना बहुत मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है।

वैसे तो सोचकर आया था कि चाची की चूत का स्वाद अच्छे से लूंगा।
लेकिन उस रात हमारे बीच कुछ भी न होते हुए भी इतना कुछ हो गया मानो हमने एक दूसरे से गहरे रिश्ते कायम कर लिए हों जिनके लिए शारिरिक सुख अब मायने नहीं रखता।

चाची ने अपना दिल खोलकर मेरे सामने रख दिया। देसी चाची ने अपनी सेक्स लाइफ की वो सारी बातें कह दीं जिनको वो इतने सालों से अपने अंदर दबाकर रखे हुए थी।

उनकी बातें सुनकर मैं तो अपनी वासना को जैसे भूल ही गया।
मुझे अहसास हुआ कि कैसे चचा जैसे बूढ़े नामर्द पति को वो झेलते हुए भी वो अब तक चुप रही, कितनी हिम्मत की बात थी।

चचाजान रोज रात को उनके ऊपर चढ़कर अपनी क्षणभंगुर हवस को मिटा लेते थे।
उन्होंने कभी चाची के मन की बात जानने की कोशिश नहीं की।

उस रात को मुझे अहसास हुआ कि औरत के मन को समझना कितना जरूरी है। यहीं पर मर्द सबसे ज्यादा गलती करते हैं। चाची की आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे। उनका हाथ मेरे हाथ में था और सिर कंधे पर था।

हम दोनों रात भर एक दूसरे का सहारा बनकर बैठे रहे। चुदाई का अब ख्याल भी मन में नहीं आ रहा था।
मैं देसी चाची के दुख का साथी हो गया था।

चाची का मन ऐसा हल्का हुआ कि वो मेरे कंधे पर सिर रखे हुए ही सो गई और कुछ देर बाद ही रात ने अपनी चादर समेटनी शुरू कर दी।
वो रात एक दूसरे के दिल की गांठ खोलने में ही निकल गयी और सवेरा हमारी दहलीज़ पर आकर खड़ा हो गया था।

लेकिन इस रात ने चाची को जीवन का वो सुख दे दिया था जिसे वो हमेशा चचा जान से पाना चाहती थी।
 
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