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Incest All short story collected from Net

आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

  • माँ - बेटा

  • भाई - बहेन

  • देवर - भाभी

  • दामाद – सासु

  • ससुर – बहु


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junglecouple1984

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मैं अपने बेटों की दीवानी हूं


दोस्तो, मेरा नाम वर्षा त्रिवेदी है। मेरी उम्र 45 वर्ष, हाइट 5’9″ है और फिगर 38-32-40 का है। मैं रहने वाली जयपुर, राजस्थान की हूं।

मेरे परिवार में मेरे दो बेटे हैं; एक 24 वर्ष का है और दूसरा 22 वर्ष का।
मेरे पति की मौत 2 साल पहले एक्सिडेंट में हो गई थी।
तब से मैं अकेली हूँ।

पेशे से मेरे पति सरकारी इंजीनियर थे, अच्छा खासा पैसा छोड़ कर गए मेरे लिए।
एक साल तो उनकी याद में निकाल दिया मैंने!

कोरोना का लॉकडाउन लगने से पहले मैं अपने दोनों बेटों के साथ मुंबई घूमने गई और लॉकडाउन लग गया।
मैं वहां फंस गई।

होटल वालों ने होटल छोड़ने के लिए बोल दिया और रेंट पर फ्लैट लेना पड़ा और वहां शिफ्ट हुए हम!

हम तीनों की वहां किसी से कोई जान-पहचान नहीं थी।
लॉकडाउन की वजह से कोई बात भी नहीं करता था और किसी से संपर्क भी नहीं था।
बस दिनभर इंस्टाग्राम और फेसबुक में टाइमपास होता था।

उस वक्त इंस्टाग्राम पर मेरी मुलाकात कविता जी से हुई और फिर हम अच्छे दोस्त बन गए।
हमारी घंटों बातें होने लगी।
फिर हम पर्सनल बातें भी करने लगे।

मैंने अपनी सारी कहानी बतायी तो कविता ने भी अपनी कहानी बतायी।
उसे सुनकर मैं चौंक गई।

ऐसे ही होते होते हम दोनों में सेक्स की बातें भी होने लगीं।

कविता जी मेरे साथ रोल प्ले करने की कहने लगीं और उन्होंने मेरे साथ मेरे बेटे का रोल प्ले किया।

कुछ दिन के बाद मुझे ये अच्छा लगने लगा।
मैं सोचने लगी कि बाहर कहीं मुंह मारने से अच्छा है कि बेटों के साथ ही सेक्स इच्छा पूरी कर लूं।

फिर मैंने सोचा कि क्यूं ना यहीं शिफ्ट हो जाऊं मुंबई में … कोई जानता भी नहीं है हमें यहां!
मैंने दोनों बेटों से बात की तो वो भी तैयार हो गए।

मैं बेटों का नाम तो बताना ही भूल गई।
एक का रोहित और दूसरे का मोहित।
उनको प्यार से मैं चंटू-बंटू बोलती हूं।

जब मैं मुंबई गई थी तब सिम्पल साड़ी और सूट लेकर गई थी और वो भी थोड़े ही थे।
उस वक्त तो हमें वापस आना था मगर क्या पता था कि वहीं पर रहना पड़ेगा।

फिर मुंबई में गर्मी होती है तो हमने ऑनलाइन कपड़े मंगवा लिए।

मैंने जानबूझकर छोटे साइज़ की ब्रा पैंटी मंगवाई और साड़ी भी खराब क्वालिटी मंगवाई।

जब सामान आया तो मैंने खोला।
फिर बड़ा बेटा बंटू बोला- मॉम आप ट्राय कर लो और देख लो, पसंद ना हो तो वापस कर देना।
मैं अपने कमरे में गई।

फिर कपड़े पहन दोनों को आवाज दी।
वो रूम में आये तो मैं अपनी ब्रा का हुक पकड़े हुए खड़ी थी।

उनको मैंने हुक लगाने के लिए कहा तो दोनों ही एक दूसरे की तरफ देखने लगे।

बंटू मेरी ब्रा के हुक लगाने लगा।
मगर वो 34 की ब्रा और 38 के मेरे चूचे, उसमें कहां फिट होने वाले थे!
एकदम से हुक टूट गया और मेरी ब्रा नीचे गिर गई।

मैं एकदम पलटी तो मेरे मोटे बूब्स उन दोनों के सामने झूल रहे थे।

वो सोच नहीं पाए कि कैसे इन हालात का सामना करें।
मैं बोली- सारा बेकार सामान आया है … हुक ही टूट गए इसके तो!
इतने में मैंने अपने बूब्स पर हाथ रख लिया और अपनी पुरानी ब्रा पहन ली।

वो बोले- मॉम, आप ब्रांडेड सामान मंगवाओ।
मैं बोली- अब साड़ी और ब्लाउज में क्या ब्रांड देखूं?
वो बोले- तो थोड़ी मॉडर्न हो जाओ और मुंबई के हिसाब से कपड़े पहनो।

मैं बोली- अब बुढ़ापे में क्या मॉडर्न बनूंगी?
वो बोले- यहां हमें कौन जानता है, वैसे भी आपको देखकर कोई नहीं कहेगा कि आप दो बच्चों की मां हो।

फिर मैंने कहा- ठीक है, तो फिर तुम दोनों ही हेल्प करो कि क्या पहनना है, मुझे तो तुम दोनों के साथ ही रहना है तो तुम ही बता दो कि क्या पहनूं?
वो बोले- ठीक है, हम आपको बता देंगे।

हम तीनों लैपटॉप में देखने लगे।

मैंने मॉडर्न ब्रा पैंटी के लिए ढूंढा और फिर साइज डाला।
मुझे उनमें से कुछ ब्रा और पैंटी पोर्न फिल्मों में भी दिखी थीं तो मैंने उनको ही मंगवाने का सोचा।

मैंने चंटू-बंटू को दिखाया और कहा- ये कैसे हैं, मुझे थोड़े छोटे ही लग रहे हैं।
वो बोले- आपने चुने हैं तो ठीक ही होंगे, मंगवा लो।
फिर मैंने कई सेट मंगवा लिए।

वो दोनों बोले- जीन्स टॉप ले लो.
तो मैंने वो भी ले ली।

फिर घर में पहनने के लिए घुटने तक का वन पीस भी ले लिया।
उसमें डीप क्लीवेज थी और एक ही डोरी थी पीछे बांधने के लिए।

मैंने दो-तीन सेट मिनी स्कर्ट, टॉप और शॉर्ट्स भी ऑर्डर किए और अपने रूम में आने के बाद वैक्स का समान भी ऑर्डर किया।
कुछ क्रीम मंगवाई जिससे निप्पल और चूत चमकदार हो जाए।

4-5 दिन में सारा समान आ गया।

अब भी मैं वहीं पुराने कपड़े पहनने लगी मगर सिर्फ अंदर ब्रा पैंटी नई वाली पहनती थी।
चंटू एक दिन बोला- आपने तो नए कपड़े मंगवाए थे, वो क्यों नहीं पहनती हो?

मैं बोली- कभी पहने ही नहीं, तुम लोगों के सामने कैसे पहनूं?
वो बोला- पहनोगी नहीं तो आदत कैसे डालोगी? हम दोनों तो यहीं रहेंगे, आप पहनने की आदत डाल लो।

मैं बोली- ठीक है, बताओ क्या पहनूं?
फिर बंटू भी आ गया और वो दोनों बोले- जो आपको पहनना हो वो पहन लो।

उसके बाद मैं गई अपने रूम में और मैंने रेड ब्रा-पैंटी और ब्लू टॉप, जिसमें आधे बूब्स बाहर दिख रहे थे, के साथ शॉर्ट्स पहन लिए।

जब मैं शीशे के सामने खुद को देख रही थी तो सच में रांड लग रही थी।
मेरा फिगर मलाइका अरोड़ा के जैसा लग रहा था।

फिर हॉल में आई तो दोनों बेटे मुझे ऐसे देखने लगे जैसे वो दोनों किसी हवस की प्यासी छिनाल को देख रहे हैं.
वे बोले- वाउ मॉम … आप तो बहुत सुंदर लग रही हो। आपको देखकर कोई नहीं कह सकता कि आप दो बच्चों की मां हो।

बंटू बोला- सच में मॉम … आप बहुत हॉट लग रही हो।
अब मैं आधी नंगी घर में घूम रही थी।

मैं दोनों जवान बेटों के सामने ऐसे ही रहने लगी और उनके लंड रोज मुझे सलामी देने लगे।

एक दिन मैंने कमर और पीठ दर्द का बहाना बनाया और दोनों से बोली कि मेरी मालिश कर दो।
मैंने पूरे बदन की मालिश करवाई।
मालिश के दौरान मैंने बस ब्रा और पैंटी ही पहनी हुई थी।

उसमें भी केवल मेरी गांड और चूत का छेद ही ढका हुआ था।
उन दोनों के लौड़े पूरे टाइट थे।
दोनों के लोवर गीले हो चुके थे मेरे बदन की मालिश करते हुए।

अब मुझे लगने लगा कि दोनों मेरे प्रति आकर्षित हो रहे हैं।

मैंने अपने जन्मदिन पर अपनी चुदाई करवाने की सोची। मैं चूत और गांड दोनों चुदवाने का प्लान बना रही थी।

फिर मेरा बर्थडे आया तो उस रात में मैंने वाइन कलर की वन पीस पहनी जो घुटने तक थी।
मैं वही पहनकर सोई हुई थी।

रात में दोनों बेटों ने मुझे सरप्राइज दिया और केक मंगवाया।

हम तीनों ने केक काटा और फिर मैं किचन में उनके लिए जूस बनाने गई।
मैंने जूस में वियाग्रा की गोली मिला दी; फिर उनको जूस पिला दिया।

हम केक खाने लगे और मस्ती में बातें करने लगे।
मेरी जांघें लगभग मेरी चूत तक ही नंगी थीं।

मैं बातों ही बातों में दोनों बेटों के हाथ अपनी जांघों पर छुआ रही थी।

धीरे धीरे गोली का असर भी होने लगा था।
उन दोनों का ही लंड खड़ा हुआ दिखने लगा था।

धीरे धीरे उनको सेक्स चढ़ने लगा और दोनों ने अपनी मम्मी की चुदाई के इरादे से मेरी नंगी जांघों को सहलाना शुरू कर दिया था।

मैं उनके गालों को सहलाने लगी।
फिर दोनों से बोली- अब यहां आ गए हैं अपन लोग! तुम दोनों अपनी गर्लफ्रेंड्स से भी नहीं मिल पाओगे। यहीं बना लेना कोई गर्लफ्रेंड।

वो बोले- मॉम हमारी गर्लफ्रेंड नहीं है।
मैं बोली- तो फिर तुम लोग कैसे रह पाते हो इस उम्र में?
वो बोले- आपके और डैड जैसे कपल आजकल कहां मिलते हैं मॉम! ऐसा प्यार कोई नहीं करती।

ये कहते हुए उनके हाथ मेरी चूत तक पहुंचने लगे थे।
मैं बोली- हां, ये बात तो है।
इतने में ही बंटू का हाथ मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा था।

उन दोनों की आंखों में मैंने बारी बारी से नशीली नजरों से देखा और बोली- तुम्हें मैं इतनी पसंद आ गई हूं क्या?
उन दोनों ने हां में सिर हिला दिया और मैंने दोनों के ही सिर अपने बूब्स में दबा दिए।

वो मेरी क्लीवेज को चूमने लगे और मैं उनके बालों को सहलाने लगी।

मेरे बूब्स वैसे ही आधे बाहर थे और उनको भींचने से पूरे बाहर आ गए।
तब तक तो बंटू बूब्स चूसने लगा था।

चंटू भी पहले जीभ फेरता रहा और फिर चूसने लगा।

मैंने दोनों के लंड पकड़ लिए और चड्डी के अन्दर हाथ डाल दिया।

दोनों के लंड पूरे टाईट थे और मैं उनके लौड़े एक एक हाथ से सहलाने लगी।

फिर दोनों मुझे चूमने चाटने और चूसने लगे।

मैंने बोला- तुम दोनों की गर्लफ्रेंड बन सकती हूं मैं?
वो बोले- हां मॉम, आप बहुत हॉट हो।
मैं बोली- अगर मैं तुम दोनों की शादी न करवाऊं तो मुझसे काम चल जाएगा?

वो एक साथ बोले- हां, मॉम। हम आपके साथ ही खुश रहेंगे।
फिर मैंने उठकर अपना वन पीस निकाल दिया और मैं अब केवल पैंटी में अपने दोनों बेटों के सामने थी।

मैं सोफे के नीचे आ गई और घुटने के बल हो गई।
मैंने दोनों के बॉक्सर और चड्डी एक बार में उतार दी और दोनों का लंड बारी बारी चूसने लगी।

वो दोनों आह्ह … आह्ह … करके मस्ती भरी आवाजें करने लगे और लंड चुसवाने लगे।

उन दोनों के लौड़ों को मैं किसी लॉलीपॉप जैसे चूस रही थी कि अचानक दोनों ने मुझे उठाया और बिस्तर में पटक दिया।
एक मेरे साइड में आ गया और दूसरा मेरी टांगों के बीच में आ गया।

चंटू मेरे लिप्स को किस करने लगा और बूब्स जोर जोर से मसलने लगा।
मैं आह … आह … करते हुए सिसकारने लगी।

उधर बंटू मेरी चूत में जीभ देकर चाटने लगा।

मेरी चूत की प्यास बहुत पुरानी थी और अब मेरे बेटे की गर्म जीभ से मेरी चूत जल्दी से भर आई।
अपनी चूत का रस मैंने अपने बेटे के मुंह में छोड़ दिया, वो मेरी चूत के रस को पी गया।

चंटू ने मेरे मुंह में लंड दे दिया और मेरे मुंह को चोदने लगा।

मुझे मजा आने लगा।

मैंने कुछ देर उसका लंड चूसा और फिर बाहर निकलवा दिया।
मैं बोली- पेशाब लगी है।
बंटू बोला- कोई बात नहीं डार्लिंग।

उसने मेरी चूत में मुंह लगा दिया और मैंने उसके मुंह में पेशाब कर दिया जिसे बंटू पी गया।
अब चंटू फिर से मुझे लंड चुसवाने लगा।

कुछ देर बाद उसने मेरे मुंह में अपना माल छोड़ दिया।

अब उसको भी पेशाब लगी तो उसने भी अपना पेशाब मेरे मुंह में किया और मुझे उसका गर्म गर्म पेशाब पीने में बहुत मजा आया।
फिर चंटू नीचे आया और बंटू ऊपर।

चंटू भी चूत चाटने लगा और उंगली डाल डाल कर मेरी चूत का रस चाटने लगा।

वो चूत के साथ साथ मेरी गांड भी चाट रहा था।

बंटू मेरे बूब्स पीने लगा। चंटू ने मेरी चूत में तेजी से उंगली करना शुरू कर दिया और फिर जीभ से चाट चाटकर मेरी चूत का रस एक बार फिर से निकलवा दिया।

फिर चंटू ने मुझे लंड पर बैठने को कहा।
मैं उसके लंड पर चूचे उसकी तरफ करके बैठ गई।

बंटू ने मुझे झुकाया और पीछे आकर मेरी गांड में लंड लगाने लगा।

चंटू का लंड मेरी चूत में अंदर बाहर होने लगा और मैं चुदने लगी।

उधर बंटू का लंड मेरी गांड में घुसने की कोशिश कर रहा था।
धीरे धीरे उसने मेरी गांड में लंड डाल ही दिया।

अब मेरी गांड में मेरे बेटे बंटू का लंड और मेरी चूत में मेरे बेटे चंटू का लंड था।
मेरे दोनों बेटे मुझे चोदने लगे। बहुत मज़ा आ रहा था।

हम तीनों के मुंह से आह्ह … उह्ह … ओह्ह … करके सिसकारियां निकल रही थीं।

रात के 1 बजे थे और पूरा रूम हमारी चुदाई की आवाजों से भर गया था।
मुझे अपने बेटों के लंड लेने में बहुत मजा आ रहा था।

मेरे मुंह से उन दोनों के लिए बार बार आई लव यू … आई लव यू … निकल रहा था।

मैं चुदाई में मस्त होकर बोल रही थी- आह्ह … जोर से चोदो … फाड़ दो गांड मेरी … और चूत को चोद चोदकर फैला दो चंटू … आह्ह … और चोदो बंटू।

हम तीनों बहुत मदहोश हो गए थे।

कभी चंटू मेरी चूचियों को भींचने लगता तो कभी वो मेरे निप्पलों को खाने लगता।

उधर बंटू भी मेरी चूत के दाने को रगड़ रहा था।

वो चंटू के लंड के साथ मुझे अपने हाथ का मजा भी दे रहा था।

मैं रंडियों की तरह उन दोनों के लौड़ों से चुद रही थी।

मेरी चूत इस चुदाई में तीन बार और झड़ गयी।

मैं इतनी बदहवास हो गई कि मेरे बाल बिखर गए।

मेरी चूत पूरी फैल गई थी और गांड भी चौड़ी हो गई थी।

अब दोनों के लंड पक … पक … की आवाज करने लगे थे क्योंकि चूत और लंड की चिकनाई बहुत ज्यादा हो गई थी।

आधे घंटे की चुदाई के बाद हम तीनों एक साथ ढेर हो गए।

तीनों हांफने लगे और एक दूसरे के ऊपर गिर पड़े।
फिर हमें ऐसे ही नींद आ गई।

मैं अपने दोनों बेटों के साथ पूरी रात नंगी सोती रही।

उस दिन के बाद से मेरी चुदाई मेरे बेटों के साथ शुरू हो गई।

अब हम तीनों एक साथ ही सेक्स करते हैं और साथ ही सोते हैं।
मैं अब ज्यादातर नंगी रहती हूं या ब्रा-पैंटी में रहती हूं।

अब मैं अपनी जिन्दगी में बहुत खुश हूं। मुझे मेरे घर में ही दो लंड मिल गए हैं।

मैं अपने बेटों की दीवानी हूं। वो मुझे बहुत प्यार करते हैं और जमकर चोदते हैं।
 

junglecouple1984

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विधवा देहाती मां की चूत चुदाई- 1

कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको अपनी मां और अपने बारे में बता देता हूँ.

मेरा नाम पंकज यादव है, उम्र 21 साल है और रंग गोरा है. लंड 7 इंच का काफी मोटा है जो किसी की चुत में भी हाहाकार मचा सकता है.

मेरी मां का नाम शांति है. वो विधवा हैं. मां की उम्र 43 साल है और रंग एकदम दूध सा गोरा है. मां का फिगर साइज 36बी-30-38 का है.

मेरी मां की शादी बहुत ही कम उम्र में हो गई थी. उनकी शादी अपनी उम्र से दुगनी उम्र के आदमी से यानि मेरे पिता से हुई थी.

जब मेरी मां की शादी हुई, मेरे पिता की उम्र उस समय 40 साल थी.

शादी के एक साल के अन्दर ही मेरी बड़ी बहन उमा का जन्म हो गया था.

मेरे पिता जी रोज रात को दारू पीकर आते थे और मेरी मां की चुदाई करते थे.

उसी समय मेरी मां को वापस गर्भाधान हुआ और मेरा जन्म हुआ.

अब पिताजी की तबियत ज्यादा खराब रहने की वजह से वो मां की चुदाई नहीं कर पाते थे.

समय ऐसे ही गुजरता गया और मेरी बहन की शादी भी हो गयी और मैं शहर में एक कारखाने में नौकरी करने लगा.

मैं शहर में किराए के मकान में रहता था. अपनी मेहनत से मैंने बहुत जल्द तरक्की भी कर ली और उसकी कारखाने में मैं सुपरवाइजर बन गया.

इसी बीच पिता जी का भी देहांत हो गया.
अब गांव में मां अकेली ही बची थीं.

गांव में जो हमारी थोड़ी सी जमीन थी, उसे बेच कर मैंने शहर में एक छोटा सा घर ले लिया और मां को भी अपने पास शहर ले आया.

मां पहली बार शहर आयी थीं और उन्हें यहां के रहन-सहन को देख कुछ समझ नहीं आया.
हमारा ये घर बहुत छोटा सा था. इसमें बस एक कमरा, रसोई और शौचालय ही था.

मां के देहाती कपड़े देख कर मैंने मां से कहा- मां आज से आप ये देहाती कपड़े नहीं पहनोगी. मैं आपको बाजार ले जाकर शहर के हिसाब के कुछ अच्छे कपड़े दिला लाऊंगा.

मेरी मां मान गईं और हम दोनों बाजार जाकर वहां से कुछ कपड़े ले आए.

घर में एक ही कमरा था तो वहीं नीचे बिस्तर लगा कर हम दोनों सो जाते थे.

मां मेरे पास ही सोती थीं क्योंकि उनके लिए अभी ये जगह नहीं थी और उन्हें यह सब समझने में समय चाहिए था.

उस रात को मां सिर्फ ब्लाउज़ और पेटीकोट में ही सो रही थीं, मैंने भी सिर्फ बनियान पहनी थी और लुंगी लपेटी हुई थी.

चूंकि मैं पहले से ही शहर में अकेला रहता था तो मुठ मारने की आदत पड़ चुकी थी.
जिस कारण मुझे बिना मुठ मारे नींद ही नहीं आती थी.

जैसे ही मां सो गईं, मैं बिस्तर पर से उठा और बाथरूम जो कि कमरे के सामने ही था, वहां गया.

मैंने मोबाइल में चुदाई की वीडियो चालू कर दी और लंड हिलाने लगा.
कुछ समय में ही मैं अपना माल गिरा कर वापस बिस्तर पर आकर सो गया.

अब तक मेरे मन मैं अपनी मां को लेकर कोई गलत ख्याल नहीं आया था.

दिन ऐसे ही कटते चले जा रहे थे और मां भी शहर में रहना सीख रही थीं.

तभी एक रात जब मुठ मार रहा था तो अचानक मेरी नजर मां पर चली गयी.
मां का पेटीकोट ऊपर को उठा हुआ था. मुझे उनकी नंगी जांघें दिख गईं और मेरा लंड ज्यादा ही कड़क हो गया.

मैंने अभी तक इस तरह की मां बेटे की सेक्स कहानियां और वीडियो को मोबाइल में ही देखी थीं.

मां की मखमली जांघें देख मेरा ईमान डगमगा गया और मां के बारे में गंदे ख्याल पैदा होने लगे.

उस रात से मुझे अपनी मां में एक कामुक औरत दिखने लगी. मां से बात करने का और उन्हें देखने का मेरा सलीका ही बदल गया.

ऐसा होते हुए काफी समय हो गया और मैंने अब तक अपनी मां को अनेक तरह से देख लिया था जो एक जवान लड़के की यौन उत्कंठा को बढ़ाने में काफी था.

फिर मैंने सोचा कि अब तो मां को चोदना ही पड़ेगा. बस मैंने अपनी मां को चोदने का प्लान बनाना चालू कर दिया.

अब मैं घर में बिना लुँगी के ही घूमने लगा, जिससे मां को मेरे लंड की लंबाई पता चल सके.

मेरी मां भी ये सब देख कुछ नहीं बोलती थीं तो मेरी हिम्मत और बढ़ने लगी.

अब तो मैं बाथरूम की जगह बिस्तर पर ही मुठ मारने लगा और सुबह जब मां उठ कर मेरा माल देखतीं, तो मुझसे नज़रें चुरा कर काम करती रहतीं.

मां की चुप्पी भी मुझे आगे बढ़ने की हिम्मत देने लगी.

एक रात जब हम सोये तो मां अपनी गांड को मेरी तरफ करके सो रही थीं.
मैंने भी मौका देख कर अपना मुठ मां की गांड पर ही गिरा दिया.

जब सुबह मां उठीं और उन्होंने ये देखा कि मेरा मुठ उनके पेटीकोट पर गांड की तरफ गिरा हुआ है, तो वो तुरंत बाथरूम में भाग कर चली गईं और बहुत देर बाद ही बाहर निकलीं.

मुझे समझ आने लगा कि मां भी चुदाई चाहती हैं मगर वो लोकलाज और सामाजिक बाध्यताओं की वजह से कह नहीं पा रही हैं.

मैंने उन्हें खोलने का सोच लिया.

रात में जब मां सोईं, तो मैंने अपनी चड्डी उतार अपना मुठ मां के दूध पर गिरा कर अपना लंड मां के हाथों में दे दिया और सो गया.

सुबह मां मेरी ये हरकत देख भी कुछ नहीं बोलीं.
उन्होंने मुझे बस एक मुस्कान दे दी और अपने आपको बाथरूम में जाकर साफ करने लगीं.

मुझे अब पक्का यकीन हो गया था कि मां भी वही चाहती हैं जो मैं चाहता हूँ.

फिर जब शाम को हम खाना खाने साथ में बैठे तो मैंने हिम्मत करके मां से पूछ ही लिया- मां, वो मैं आजकल बहुत थक जाता हूं … इसलिए ही शायद रात में यहीं बिस्तर पर ही मेरा माल निकल गया था, वरना तो मैं ये सब बाथरूम में ही करता हूँ. आपको कल रात का बुरा तो नहीं लगा ना?

मेरी मां शर्माती हुई बोलीं- अरे इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात है बेटा, मैंने तो बचपन में तुझे पूरा नंगा देखा है और मैं समझती हूं कि तू अब जवान हो गया है. जवानी में तो ये सब आम बात है. तू चिंता मत कर, मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा.

मां की बातें सुन मुझे हिम्मत मिलने लगी और मैंने आज रात और ज्यादा आगे बढ़ने की सोच ली.

रात में करीब एक बजे मेरी नींद खुली, तो मैंने देखा मां का पेटीकोट ऊपर को उठा था.
ये देख मेरा लंड सलामी देने लगा.

अब तो मुझे आज ही मां को चोदने का मन हो गया था.

मैं मां के पास सरक गया और मां के दूध पर मैंने अपने हाथ रख अपनी आंखें बंद कर लीं.

कुछ देर बाद जब मां ने कोई हरकत नहीं की तो मैं अपने पैर को भी मां के पैरों पर रख उनका पेटीकोट और ऊपर सरकाने लगा.

धीरे धीरे करके मैंने मां का पूरा पेटीकोट ऊपर सरका दिया.
अब मां की चड्डी मुझे साफ़ दिखने लगी थी.

मैं थोड़ा रुका, फिर मैंने वापस अपने हाथों को मां के दूध से हटा कर उनकी जांघों पर रख दिया और उनकी जांघों को मसलने लगा.

मां ने अपनी करवट बदल ली.
ये देख मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं और कुछ देर यूं ही लेटा रहा.

फिर जब मैंने आंखें खोलीं, तो पाया मां अपनी गांड को मेरी तरफ सो रही हैं.

मैंने भी धीरे से मां की गांड पर हाथ फेरना चालू कर दिया और मां की चड्डी को धीरे से उतारने लगा.

अब मैं अपने लंड को मां की गांड कर रगड़ने लगा. तभी मेरी मां थोड़ी पीछे को सरक गईं. इससे मैं समझ गया कि मां सोयी नहीं हैं और ये सब मां को पंसद आ रहा है.

मैंने बिना देरी किए अपने लंड पर थूक लगाया और थोड़ा थूक अपनी उंगलियों पर लेकर मां की चूत पर लगाने लगा.

मां की चूत पर बहुत बाल थे, पर मुझे उस समय कोई फर्क नहीं पड़ रहा था.
मैंने धीरे से अपने लंड को पीछे से ही मां की चूत पर लगा दिया और उसे चूत पर रगड़ने लगा.
मां भी सिसकारियां भरने लगीं.

फिर मैंने अपने एक हाथ से मां के मुँह को पकड़ा ताकि लंड अन्दर जाए तो मां चीख नहीं पाएं.
साथ ही मैंने अपने दूसरे हाथ से लंड को पकड़ा और मां की चूत में डालने लगा.

मेरे लंड का सुपारा जैसे ही चूत के अन्दर गया, मां आगे को सरक गईं.
पर मैं मां को वापस पीछे खींच लंड को अन्दर डालने लगा.

लंड के अन्दर जाते ही मां भी एकदम से मदमस्त हो गईं और कामुक सिसकारियां भरने लगीं.

अब माँ बेटे का सेक्स चालू हो गया.

मां की चूत बहुत गर्म थी और क्योंकि ये मेरी पहली चुदाई थी, इसलिए मैं ज्यादा देर टिक नहीं पाया.
कुछ ही मिनट में मैंने अपने लंड का माल मां की चूत में ही गिरा दिया.

मैं झड़ने के बाद अपने लंड को ऐसे ही मां की चूत में डाले उनसे चिपक कर सो गया.

सुबह जब मैं उठा तो पाया मां बिस्तर पर नहीं थीं.
मैंने अपने लंड को देखा तो वो मुरझाया हुआ था.

तभी मां रसोई से निकलीं और मुझे देख मुस्कुरा दीं.
मैं भी मां को देख समझ गया कि मां को रात में मजा आया था.

मां ने मुझे चाय दी और मेरे पास बैठ गईं. पर हम दोनों में से किसी ने भी रात की कोई बात नहीं की.

मैं भी नहाया धोया और जब मैं काम पर जाने के लिए निकला तो मैंने मां के पास जाकर कहा- मां, मैं जा रहा हूँ.

मां ने मुस्कान दे दी.
ये मुस्कान कुछ अलग थी.

मैं मां से जाने की बोल कर कारखाने चला गया.

शाम को जब मैं घर आया तो मुझे मां आज थोड़ी अलग सी लगीं.

ये शायद मेरी हवस भरी नजरें थीं या वाकयी में मां थोड़ी अलग लग रही थीं, ये मुझे भी नहीं पता था.

मैंने हाथ मुँह धोये और टीवी देखने लगा.
मां भी अपना काम करने लगीं.

फिर जब हम खाना खाने बैठे तो मैंने देखा कि मां ने आज मटन बनाया था.

मैंने मां से पूछा- आज मटन, क्या बात है मां!
मां बोलीं- तू दिन भर इतनी मेहनत करता है तो थक जाता होगा न. इसलिए मैंने सोचा आज तेरे लिए मटन बना दूँ, ताकि तुझसे ताकत बनी रहे और तू जल्दी थके नहीं.

ये बोल मां थोड़ा मुस्कुरा दीं.
तो मैं समझ गया कि मां के कहने का क्या मतलब था.
मां कल रात की मेरी चुदाई की बात कर रही थीं क्योंकि कल मेरा माल जल्दी निकल गया था.

मैंने भी मां से और कुछ नहीं बोला और चुपचाप खाना खाकर, बाहर टहलने निकल गया.

टहलने तो क्या, ये मान लो कि रात की चुदाई के लिए कंडोम लेने चला गया था क्योंकि कल मैंने अपना माल चूत के अन्दर ही गिरा दिया था इसलिए मैं आज कोई खतरा नहीं उठाना चाहता था.

कंडोम लेकर मैं वापस घर आया तो मां ने बिस्तर लगा दिया था और वो टीवी देख रही थीं.

मैंने मां से पूछा- मां आज इतनी जल्दी आपने बिस्तर लगा दिया, आपको नींद आ रही है क्या?
मां बोलीं- नहीं बेटा, वो तो आज मैंने घर का सारा काम बहुत जल्दी ही कर लिया था … तो सोचा बिस्तर भी लगा ही देती हूं.

मैं भी मां के पास जाकर लेट गया और टीवी देखने लगा.

मां ने रात 10 बजे टीवी बंद की और बोलीं- बेटा, आज तो बहुत गर्मी लग रही है.
मैंने बोला- नहीं तो मां, आज का मौसम तो सही है.

मां बोलीं- ठीक है तू बोल रहा है तो मौसम ठीक ही होगा. वैसे मैं तो सोच रही थी कि मुझे इतनी गर्मी लग रही है, तो अपने पेटीकोट को उतार कर सो जाऊं. पर तुझे तो …

ये सुन कर मैं समझ गया और फट से बोल पड़ा- अरे हां मां, अगर आपको गर्मी लग रही है तो उतार दो न … और वैसे भी यहां मेरे और आपके सिवाय है ही कौन!

मां ने अपना पेटीकोट उतार कर वहीं बाजू में रख दिया और मेरी तरफ पीठ करके सो गईं.

आज मैंने अपनी मां को पूरी नंगी करके चोदने का तय कर लिया था.

अपनी सगी विधवा मां की चुत चुदाई की कहानी को अगले भाग में लिखूंगा,
 
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wonderful stories bhai..keep posting..thanks
junglecouple1984
 

junglecouple1984

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विधवा देहाती मां की चूत चुदाई- 2

अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी मां ने गर्मी लगने का बहाना करके अपने पेटीकोट को उतार दिया था और मैं उन्हें सिर्फ पैंटी में देख कर गर्मा गया था.

अब आगे

अब मैं समझ गया था कि मां मुझे चुदाई करने का बुलावा दे रही हैं.

मैंने भी बिना देर किए अपनी भी चड्डी उतार दी और अपने सोये हुए लंड को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगा.

जैसे ही मेरा लंड खड़ा हुआ, मैंने उस पर कंडोम चढ़ा दिया और मैंने मां की चड्डी को भी थोड़ा नीचे कर दिया.
फिर अपनी उंगलियों पर थूक लेकर मां की चूत में लगाने लगा.

मां ने भी अपनी चुत खोल सी दी.

फिर मैंने अपने लंड को मां की चूत पर सैट किया और एक ही बार में पूरा लंड अन्दर डाल दिया जिससे मां की कामुक सिसकारी निकल गयी.

मैं मां से चिपक गया और मां के कान में बोला- आज मैं जल्दी नहीं थकूंगा.

मां कुछ नहीं बोलीं, बस उन्होंने पूरा लंड चुत के अन्दर लेने के लिए अपनी गांड को थोड़ा पीछे सरका दिया.
मैंने भी मां की कमर को पकड़ा और अपने धक्के मारना चालू कर दिए.

मां चुदाई का मजा ले रही थीं, वो भी ‘अअअह ऊऊऊह हहह ओऊ …’ जैसी आवाजें निकाल रही थीं.
मुझे भी मां को चोदने में मजा आ रहा था.

दस मिनट तक चुदाई करने के बाद मां का शरीर अकड़ने लगा और उनकी चूत भी मेरे लंड को दबाने लगी.

मां की चूत थोड़ी देर के लिए टाइट हो गयी थी, पर मेरे 4-5 धक्के मारने के बाद मां के मुँह से आवाज आई- आंह बस कर … मेरा हो गया.

उनके ये बोलते ही मैंने उनकी चूत में अपना पानी छोड़ दिया.
चुदाई के बाद मां थक चुकी थीं पर मेरा लंड अभी भी सलामी दे रहा था.

मैंने चुदाई को रोका नहीं और धक्के देना चालू रखे. कुछ देर बाद मां वापस गर्म हो गईं और उनकी सिसकारियों की आवाज बढ़ने लगी.

फिर करीब 7-8 मिनट बाद मां का बदन वापस अकड़ गया.
अब मेरा भी टाइम आ गया था और हम दोनों साथ में ही ढेर हो गए.

हम दोनों का बदन पसीना पसीना हो गया था.

मैंने अपना हाथ मां की कमर से हटा कर मां की चूत पर रखा तो पाया मां की झांटें पसीने से और चूत के पानी से पूरी तरह भीगी हुई थीं.

फिर मैंने अपने लंड को मां की चूत से बाहर निकाला और कंडोम को उतार दिया.
इसके बाद मैं वापस मां से चिपक गया.

मैंने मां से कहा- आज ज्यादा देर तक टिका रहा हूँ न मैं!
मां ने बोला- हम्म्म, आज सालों बाद मुझे मजा आया.

अब हम दोनों सो गए.

सुबह जब मां उठीं और उन्होंने अपनी कमर से मेरा हाथ हटाया तो मेरी भी नींद खुल गयी.

मेरा लंड खड़ा था.
मैंने मां को अपने लंड की ओर इशारा किया तो मां बोलीं- धत्त पागल, मुझे बहुत काम है.

ये बोल कर मां उठ कर बाथरूम में चली गईं.
आज मां ने बाथरूम का दरवाजा खुला ही छोड़ दिया.

मैंने भी अपनी चड्डी को पहना और बाथरूम में चला गया.

मां सिर्फ ब्रा और चड्डी पहन कर नहा रही थीं.

मैं उनके पीछे खड़ा हो गया. मैं बोला- आज मैंने कारखाने से छुट्टी ले ली है.
मां ने मुस्कुराते हुए पूछा- क्यों?

मैंने बोला- आज मेरा बदन बहुत दर्द कर रहा है, क्या आप मेरी तेल से मालिश कर दोगी?
मां बोली- अब दिनभर और रातभर मेहनत होगी, तो बदन तो दर्द करेगा ही ना, ठीक है मैं नहाने के बाद तेरी मालिश कर दूँगी. अब तू बाहर जा.

मां नहा कर बाहर निकलीं, तो मां ने बस ब्रा और चड्डी ही पहनी थी.

मैं लुंगी पहन कर बिस्तर पर लेटा हुआ था.

मां मेरे पास आईं और मस्ती भरी आवाज में बोलीं- चल बेटा अपने कपड़े उतार दे … मैं तेल से मालिश कर देती हूँ.

ये बोल मां रसोई में से सरसों का तेल गर्म करके लाईं.

इतने में मैंने भी अपनी लुंगी खोल दी थी. बस चड्डी पहन रखी थी.

मां मेरे पास आकर बैठ गईं और मेरी मालिश करने लगीं. मां के छूने से ही मेरा लंड खड़ा होने लगा और मेरी चड्डी के अन्दर तंबू बनाने लगा जिसे देख मां मुस्कुराने लगीं.

वो हंसती हुई बोलीं- बेटा इस चड्डी को भी उतार दे, आज मैं तेरे हथियार की भी मालिश कर देती हूँ.

मैंने जल्दी से चड्डी भी उतार दी, मेरे लंड पर मां की नज़र गड़ी की गड़ी रह गयी.

मैंने मां से पूछा- क्या हुआ मां?
तो मां बोलीं- कुछ नहीं बेटा, बस मैंने इतना मोटा हथियार कभी देखा नहीं न, तो बस यूं ही.

मैंने बोला- क्यों … पिता जी का मेरे जैसा नहीं था क्या?
मां बोली- तेरा हथियार तो तेरे पिता जी से लम्बाई में थोड़ा सा कम है बस, पर मोटाई में तेरा हथियार तो तेरे पिता से डबल है.

ये सुनकर मैं शर्माने लगा.

फिर मां ने मेरे लंड पर तेल की धार गिराना चालू की और मेरे लंड को पूरा तेल से भिगो दिया.

इसके बाद मां ने मेरे लंड को अपने हाथों में ले लिया और मसलने लगीं जिससे मुझे सुख की अनभूति होने लगी.
मैं बस अपनी आंखें बंद करके मजा ले रहा था और मां मेरे लंड से खेले जा रही थीं.

फिर जब 5 मिनट तक मां मेरे लंड के साथ खेलती रहीं और मेरा लंड एकदम फुल कड़क हो गया तो मां ने अपनी चड्डी को उतार मेरे मुँह पर फैंक दी.

मैं उनकी तरफ देखने लगा तो मां वासना से बोलीं- चल अब इस हथियार को चला भी दे … देख ना मेरी चड्डी कैसी गीली हो गयी है.

मैंने भी बिना देरी के मां को लेटाया और अपने लंड को मां की चूत के ऊपर फेरने लगा.

मां भी गर्म आहें भरने लगीं- अअह उन्हह पेल दे ना!

मैंने मौका देख एक ही झटके में अपना पूरा लंड मां की चूत के अन्दर डाल दिया.
मां की चीख निकल गयी पर मैंने मां को पकड़े रखा और धक्के मारना चालू कर दिया.

मेरे पूरे बदन पर तेल होने के कारण मेरे धक्के मारने से पूरे कमरे में पच पच पच की आवाज आने लगी.

सरसों के तेल की गर्मी और मां की चूत की गर्मी इतनी अधिक थी कि मेरा माल निकलने को हो गया था.

उधर मां की चुत भी अपना पानी छोड़ने वाली थी.
मां ने अपने दोनों हाथों को मेरी गांड पर रखे और मुझे जोर से धक्के मारने को बोलने लगीं.

मैंने भी अपने धक्कों को रफ्तार को बढ़ा दिया और 10-12 धक्कों में हम दोनों का काम हो गया.

मैं मां के ऊपर ही गिर गया और कुछ देर पड़ा रहा.
कुछ देर बाद जब मैं उठा और बाजू में लेट गया तो मेरे बदन का तेल मां के बदन पर भी लग चुका था.

मां बोलने लगीं- अरे बेटा ये क्या किया … तूने मेरे बदन को भी तेल लगा दिया. अब मुझे फिर से नहाना पड़ेगा और तूने मुझे इतना थका दिया है कि मुझसे उठ कर नहाने जाना भी नहीं हो पा रहा है.
ये सुन कर मैं बोला- कोई बात नहीं मां … मैं आपको अपनी बांहों में उठा कर ले जाता हूँ.

मां मुस्कुरा दीं.

मैंने मां को अपनी मजबूत बांहों में भर लिया और बाथरूम में ले गया.
वहां मैंने मां को अपने हाथों से नहलाया और मां की झांटों के बाल व बगलों के बाल भी साफ कर दिए.

हम दोनों ने अब अपने बदन को तौलिये से पौंछा.

मां अपनी ब्रा पहनने लगीं तो मैं बोला- अब इसकी क्या जरूरत है मां … यहां हम दोनों के सिवाए और कौन है.
तो मां हंस कर बोलीं- जैसी तेरी मर्ज़ी बेटा और वैसे भी अब तुझसे कैसी शर्म!

ये बोल कर मां ने अपनी ब्रा को वापस टांग दिया और नंगी ही बाहर आ गईं.

मैं भी बिना कुछ पहने नंगा ही बाहर आ गया.

हम दोनों बिस्तर पर बैठ गए. मैं मां की गोद में सर रख कर लेट गया.

मां बोलीं- बेटा, आज मैं तेरी पसन्द का खाना बनाती हूँ.
तो मैं बोला- मां आज तू कुछ नहीं बनाएगी, आज हम बाहर घूमने चलेंगे. तुझे आज मैं सिनेमा दिखाने ले जाऊंगा और खाना भी बाहर ही खा लेंगे.

ये सुन कर मां खुश हो गईं और बोलीं- ठीक है बेटा, जैसा तू चाहे.
फिर हम दोनों बातें करने में लग गए.

बातों ही बातों में मां ने अपनी शादीशुदा जिंदगी के बारे में बताया कि कैसे पिता जी रोज दारू पीकर आते और उनके साथ जबरदस्ती करते थे.
यह बताते हुए मां की आंखों से आंसू आने लग गए थे.

ये देख मैंने कहा- अब तेरे रोने के दिन गए मां, अब तो तेरे जिंदगी जीने के दिन है.

जब मूवी का समय होने लगा तो मैंने मां को बोला- मां अब आप ये विधवाओं के जैसे कपड़े नहीं पहनेंगी. मैं आपके लिए एक नई साड़ी लाया हूं, आप वो पहन कर चलना.

मैंने अलमारी में जो मां के लिए साड़ी छुपा रखी थी, वो लाकर मां को दे दी.

तो मां बोलने लगीं- बेटा ये कैसी साड़ी है, इसे पहन कर मैं बाहर कैसे जा सकती हूँ, मुझे बहुत शर्म आएगी.

मैंने मां को बैकलेस ब्लाउज़ वाली ट्रांसपेरेंट साड़ी दी थी. मां ने अपनी जिंदगी में अभी तक ऐसा कुछ पहना ही नहीं था.
मां उस साड़ी को नहीं पहन पा रही थीं.

मैंने मां को समझाया- मां, यहां शहर में आपसे भी बड़ी उम्र ही औरतें ऐसे ही कपड़े पहनती हैं. यहां कोई किसी को किसी से कोई मतलब नहीं रहता है, सब अपनी जिंदगी में मस्त रहते हैं.

मेरे बहुत समझाने के बाद मां उस साड़ी को पहनने के लिए मान गईं. मां ने अपनी चड्डी पहनी, फिर पेटीकोट पहना.

जब मां ब्लाउज़ पहनने लगीं, तो मां के ब्लाउज का हुक बंद नहीं हो रहा था. क्योंकि ब्लाउज मां के मम्मों के साइज के हिसाब से छोटा था.

मां बोलीं- बेटा, मेरे ब्लाउज का तो हुक बंद ही नहीं हो रहा है, तू छोटी साइज का ब्लाउज ले आया है.
मैंने बोला- मां, मुझे आपके मम्मों का साइज पता था और मैं जानबूझकर छोटी साइज का ब्लाउज लाया हूं, ताकि आपके दूध ब्लाउज से बाहर झलकें और आप कुछ ज्यादा कामुक लगें.

मां हंस दीं और बोलीं- धत्त पगले, अब आकर इसका हुक बंद कर.

मैंने ब्लाउज का हुक बंद किया.

मां ने साड़ी पहनी, लिपिस्टिक लगाई. जब मां पूरी तरह तैयार हुईं तो बिल्कुल माल लग रही थीं.

मेरी नजरें मां से हट ही नहीं रही थीं. मां के दूध उनके ब्लाउज से आधे बाहर को झलक रहे थे, उनकी पूरी पीठ नंगी थी और ट्रांसपेरेंट साड़ी से उनकी कमर और नाभि भी साफ दिख रही थी. वो इस वक्त 35 साल से ज्यादा की लग ही नहीं रही थीं.

मैं भी जल्दी से तैयार हुआ और हम दोनों सिनेमा देखने के लिए निकल गए.

मैं मां को एक गंदी बस्ती में लाया, जहां बहुत से शराबी लोग घूम रहे थे.

मां ने मेरे हाथ में हाथ को डाल लिया.

वहां बहुत सी औरतें भी मौजूद थीं जिन्होंने चटकीले कलर के कपड़े पहन रखे थे. शक्लोसूरत से वो रंडियां लग रही थीं. दरअसल इधर एक छोटा सिनेमा हॉल था, जिसमें ब्लू फिल्म्स दिखाई जाती थीं. मैं अपनी मां को ब्लू-फिल्म दिखाने के लिए लाया था.

मां उन रंडियों को देख कर मुझसे पूछने लगीं- बेटा ये हम कैसी जगह आ गए हैं … यहां तो कोई सिनेमा हॉल भी नहीं दिख रहा है!
मैंने बोला- मां वो सामने जो बड़ा सा हॉल है न … हमें वहीं चलना है.

फिर मां मेरे साथ वहां आ गईं. मैंने दो टिकट ले लिए और हम अन्दर चले गए. हॉल बहुत बड़ा था, पर एकदम खाली सा था, बहुत कम लोग ही थे. हम दोनों कोने वाली सीट पर बैठ गए. सिनेमा चालू होने वाला था.

जब सिनेमा चालू हुआ तो मां सिनेमा देख कर मुझे वहां से चलने को बोलने लगीं क्योंकि वहां सेक्स वीडियो चल रही थी.
परंतु मैं मां को यही तो दिखाने लाया था.

मैंने मां का हाथ पकड़ा और बोला- मां बैठो, आपको मैं यही पिक्चर दिखाने लाया हूँ.
मां बोलीं- तुझे शर्म नहीं आती, ये सब क्या दिखा रहा है!

मैं बोला- मां आप गांव की औरत हो इसलिए आपको मैं ये दिखाने लाया हूं. आज हम दोनों भी ये सब करेंगे, जैसा ये कर रहे हैं. बहुत मजा आएगा, रुको ना मां.
मां रुक गईं पर यहां-वहां देखने लगीं.

वहां जो भी 7-8 लोग थे, वो सब सेक्स वीडियो देख अपना लंड हिला रहे थे.

मां ये सब देख बहुत परेशान हो रही थीं, फिर थोड़ी देर बाद वो भी ये सब भूल कर सेक्स वीडियो देखने लगीं.

सेक्स वीडियो में लंड चुत चुसाई, गांड चुदाई चल रही थी. वो सब मां ने कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसा भी कभी होता होगा.

मां मुझसे बोलने लगीं- अरे बेटा ये सब क्या है … ऐसा भी होता है क्या?
तो मैं बोला- हां मां, ये सब करने से चुदाई का मजा बहुत बढ़ जाता है.

मां बोली- तेरे पिताजी तो बस आकर मेरे अन्दर अपना हथियार डालते थे और पानी छोड़ कर सो जाते थे.
मैंने बोला- आप परेशान ना हो मां, मैं आपको ये सारा मजा दूंगा … इसी लिए तो मैं आपको यहां लाया हूं ताकि आप ये सब देखो … फिर हम ये सब घर पर करें.

दोस्तो, मेरी देहाती विधवा मां की वासना इतनी अधिक बढ़ चुकी थी कि वो अपनी चुत रगड़ने लगी थीं.

आगे क्या क्या हुआ … वो में अगले भाग में लिखूंगा.
 

junglecouple1984

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wonderful stories bhai..keep posting..thanks
junglecouple1984
Thank you for your comments...
 

junglecouple1984

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विधवा देहाती मां की चूत चुदाई- 3

अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अपनी मां को ब्लू-फिल्म दिखा कर गर्म कर रहा था.

अब आगे

मैंने अपनी गर्म हो चुकी मां का हाथ अपने लंड पर रख दिया. मां मेरे लंड को पैंट के ऊपर से ही सहला रही थीं.
मेरा लंड खड़ा होने लगा तो मैंने भी अपना लंड बाहर निकाल लिया और मां के हाथों में दे दिया.

मां नंगी फिल्म देखती हुई मेरा लंड हिलाने लगीं.
मुझे भी मजा आने लगा.
मां ने मेरा पानी निकाल दिया था.

फिर जब ब्लू फिल्म खत्म हुई तो मैंने अपना लंड साफ किया.
मां ने भी अपने कपड़े सही किए और हम दोनों वहां से निकल गए.

मां मुझसे रास्ते में बोलने लगीं- बेटा, गांड में हथियार लेने पर दर्द तो नहीं होगा ना!
तो मैंने बोला- मां आप डरो मत … मैं आपको प्यार से करूंगा, दर्द नहीं दूंगा.

फिर हमने खाना खाया, थोड़ा बहुत घूमे-फिरे और शाम को वापस घर आ गए.

घर आकर मां ने अपना सबसे पहले ब्लाउज खोला और बोलीं- हे भगवान! अब जाकर मेरे दूध आजाद हुए, कितने समय से आजाद होने का रास्ता देख रहे थे.

मैंने पीछे से जाकर मां को पकड़ लिया और उनके कंधों पर चुम्मा देने लगा.

मां ने बोला- अरे बेटा तू तो वापस से तैयार हो गया, मैं तो बहुत थक गई हूं. अभी नहीं कर पाऊंगी. नहा धोकर थोड़ा आराम कर लें, फिर करेंगे.

मैंने भी मां से ज्यादा जोर जबर नहीं की.
मां नहाने बाथरूम में चली गईं, मैं भी उनके पीछे पीछे चला गया. वहां हम दोनों साथ में नहाए.

फिर थोड़ी देर के लिए हम दोनों लेट गए.
हमारी आंख लग गई.

करीब रात 8 बजे मेरी नींद खुली तो देखा मां मेरे पास नहीं थीं.

मैंने मां को आवाज लगाई तो मां ने रसोई से आवाज दी- खाना बना रही हूँ बेटा.

मैं रसोई में गया तो देखा कि मां वहां नंगी खड़ी होकर खाना बना रही थीं. मैंने मां को पीछे से जाकर पकड़ लिया.

मां मुझसे बोलने लगीं- खाना तो बना लेने दे, उसके बाद जो करना है, कर लेना बेटा.
मैं- आज पूरी रात मजा करेंगे मां, जल्दी से खाना बना लो, मैं जरा दुकान से कुछ सामान लेकर आता हूँ.

फिर मैंने अपने कपड़े पहने और बाहर चला गया.
दस मिनट बाद मैं वापस लौट आया.

मां ने खाना बना लिया था.

मैंने अपनी जेब से एक कंडोम का पैकेट और साथ ही सेक्स की गोली टेबल पर रख दी.
ये सब मैं अभी दुकान से लाया था.

हम दोनों ने खाना खाया, उसके बाद मां ने बर्तन साफ़ किए और मेरे पास आकर बैठ गईं.

मैं- मां ये सेक्स की गोली है, इसे दूध के साथ पीने पर हमें रात भर मजा आएगा, आप दूध ले आओ.

मां जाकर दूध ले आईं. फिर मैंने एक गोली मां को खिलायी और एक गोली खुद खा ली.

उसके बाद मैं मां से चुम्मा-चाटी करने लगा.
मां भी मेरा साथ दे रही थीं.

मैं मां के दूध को अपने दोनों हाथों में ले मसलने लगा और उन्हें पीने लगा.
मां बस अपनी आंखें बंद कर मजा ले रही थीं.

मैंने मां की टांगों को फैलाया और उनकी चूत पर चुम्मा देने लगा.

मैं अपनी जीभ से मां की चूत चाटने लगा.
मां- अआह हहहह उम्म …

मैंने अपनी जीभ मां की चूत में डाल दी और चूत को अपनी जीभ से चोदने लगा.
मां भी टांगें फैला कर मेरा साथ देने लगीं.

कुछ ही देर में मां ने अपना पानी छोड़ दिया जिसे मैंने पी लिया.

मां की चूत का पानी बहुत खारा था मगर स्वादिष्ट था.

अब मैं अपना लंड मां के मुँह में देने लगा.
पहले तो मां मेरा लंड मुँह में लेने से मना करने लगीं पर मेरे थोड़ा ज़ोर देने पर वो मान गईं.

मैं मां के बालों को पकड़ उनके मुँह को चोदने लगा.
मेरा लंड मां के गले तक जा रहा था.

मां मेरा लंड बाहर निकालने की कोशिश करने लगीं पर मैं नहीं माना और उनके मुँह को चोदता रहा.

कुछ देर बाद मैंने अपना माल मां के मुँह में ही गिरा दिया पर मां ने मेरा माल थूक दिया.

मैंने अपने लंड को मां के हाथों में दे दिया जिसे मां ने हिला कर वापस खड़ा कर दिया.

तब मैंने कंडोम का पैकेट खोल अपने लंड पर कंडोम को चढ़ा लिया और लेट गया.

मैंने मां को अपने लंड पर बैठने को बोला … मेरी मां ने वैसा ही किया.

मेरा लंड मां की चूत में जाते ही मां को मानो तृप्ति मिल गयी थी.

मैंने मां को गांड ऊपर नीचे करने को बोला और मां ने वैसा ही किया.
अब मैं मां को नहीं बल्कि मां मुझे चोदने लगी थीं.

इस पोजीशन में हमने 10 मिनट तक चुदाई की.

उसके बाद मैंने मां को कुतिया बना दिया और पीछे से उनकी चूत में लंड पेला कर उनको चोदा.

उसके बाद दीवार के सहारे मां को खड़ा करके उनका एक पैर मैंने अपने हाथ में ले लिया और उनको चोदने लगा.

ऐसे ही अलग अलग पोजीशन में मैंने मां को करीब एक घंटे तक चोदा.

हम दोनों पसीने से भीग चुके थे.
मां की चूत रस छोड़ चुकी थी पर मेरा लंड फिर भी उनको चोदे जा रहा था.

मां- बेटा अब मैं थक गई हूं … तेरा हथियार कब अपना माल निकालेगा?

जैसे ही मां ने एक बार और पानी छोड़ा, मैंने अपना बाहर निकाला और कंडोम निकाल लंड को मां के मुँह पर रख हिलाने लगा.
पांच मिनट हिलाने के बाद मेरे लंड अपनी पिचकारी की धार मेरे मां के मुँह पर मारी और शांत हो गया.

मैं भी बहुत थक चुका था तो मां के बगल में लेट गया.

थोड़ी देर बाद हम दोनों की ही आंख लग गई परन्तु अभी चुदाई का खेल बाकी था.

करीब 1 बजे मेरी आंख खुली और मैं मां के मम्मों से खेलने लगा जिससे मां की नींद भी खुल गयी.

इस बार मुझे मां की गांड मारनी थी तो मैंने मां को उल्टा लेटाया और उनकी गांड पर अपनी जीभ से चाटने लगा.

मैंने धीरे से अपनी जीभ को गांड के अन्दर डालनी चाही मगर गांड इतनी टाइट थी कि जीभ अन्दर नहीं जा पा रही थी.

तब मैंने तेल की बोतल ली और मां की गांड में तेल लगाने लगा.
फिर मैंने अपनी उंगली पर तेल लगा कर उसे गांड के अन्दर डालना चाहा तो मां चीख पड़ीं.

धीरे धीरे मां को मेरी एक उंगली से मजा आने लगा.

ऐसे ही मैंने पहले दो, फिर अपनी तीन उंगलियों को गांड के अन्दर डाल कर चलाया और मां की गांड का छेद थोड़ा खोल दिया.

इसके बाद मैंने अपना लंड मां के मुँह में दे दिया और मां ने उसे चूस कर खड़ा कर दिया.

मैंने लंड पर कंडोम चढ़ाया और खूब सारा तेल लगा लिया.
मां की गांड को मैंने तेल से भर दी और अपने लंड को मां की गांड पर मसलने लगा. मां को इसमें मजा आ रहा था.

फिर मैंने अपने लंड का सुपारा गांड में डालने की कोशिश की पर लंड अन्दर नहीं जा रहा था.

मां को दर्द भी हो रहा था. मां की चीख जोर से नहीं आए, इसलिए मैंने मां की चड्डी उनके मुँह में डाल दी.

मैंने फिर से लंड गांड में डालने की कोशिश की.
एक हाथ से मां के चूतड़ को खोला और दूसरे हाथ से लंड को अन्दर डालने लगा.

मेरा सुपारा जैसे ही गांड के अन्दर गया, मां को बहुत दर्द हुआ और वो तड़पने लगीं.

पर मैंने उनके मुँह में चड्डी डाल रखी थी … तो उनकी चीख जोर से नहीं निकल पा रही थी.

मां मुझसे छूटने की कोशिश करने लगीं … पर मैं मां को पकड़े रहा और धीरे धीरे लंड को अन्दर डालता रहा.

जैसे ही मेरा पूरा लंड गांड में चला गया, मैं वैसे ही थोड़ी देर रुका रहा.

मां की हालत बहुत खराब हो गयी थी उनकी आंखों से आंसू निकल रहे थे और गांड की सील टूटने की वजह से गांड से खून भी निकल रहा था.

जब मां का दर्द थोड़ा कम हुआ, तो मैंने धीरे धीरे धक्के मारना चालू कर दिए.

पहले तो मुझे धक्के मारने में थोड़ी परेशानी हुई पर जब मेरा लंड गांड से अच्छे से सैट हो गया … तो मां को भी मजा आने लगा.

मुझे भी मजा आने लगा था.

कुछ देर तक मैंने मां को घोड़ी बनाकर उनकी गांड मारी.

ऐसे ही हमारी चुदाई काफी देर तक चलती रही.
फिर मैं मां की गांड में ही झड़ गया.

हमें गांड चुदाई में बहुत मजा आया था.
मैं अपने लंड को ऐसे ही मां की गांड में डाल कर सो गया.

सुबह हमारी नींद खुली तो मैंने जब अपने लंड गांड से बाहर निकाला तो देखा बिस्तर पर खून दिख रहा था.

मां की गांड पर भी खून लगा था. मां की गांड एकदम सूज चुकी थी. मां से चलना भी नहीं हो पा रहा था.

मैंने मां को गोदी में उठाया और बाथरूम में ले गया.
वहां हम दोनों नहाए.

फिर मैंने मां की गांड पर क्रीम लगायी और उन्हें दर्द की गोली दी.

मैं कारखाने के लिए निकल गया.

अब तो हर रात मैं मां को चोदने लगा और मां भी मेरा साथ देती थीं.

कुछ दिनों बाद मेरी बड़ी बहन सुमन का कॉल आया कि वो मां से मिलने के लिए आ रही हैं और 6-7 दिन यहीं रुकेंगी.

ये सुन कर हम मां बेटे बहुत परेशान हो गए थे क्योंकि अब हमे कुछ दिनों तक चुदाई करने को नहीं मिलेगी.

मां ने मुझे समझाया- बेटा तू परेशान ना हो, मैं रात को तेरे पास छत पर आ जाऊंगी.
ये सुन मुझे थोड़ी राहत मिली.

फिर सुमन जब आयी तो वो और मां नीचे कमरे में सोते और मैं ऊपर छत पर.

सुमन के सोने के बाद मां ऊपर मेरे पास आ जातीं और हम दोनों चुदाई करते.
पर इस चुदाई में वो मजा नहीं आता था क्योंकि ना हम खुल कर चुदाई कर पाते थे … और ना ही मजा ले पाते थे.

दो दिन तो ऐसे ही चला, फिर मां ने मुझसे कहा- बेटा, मेरा महीना अब आने वाला है, तो हम कुछ दिन चुदाई नहीं कर पाएंगे.

ये सुन मैं बहुत दुखी हुआ क्योंकि पहले ही तो चुदाई सही से नहीं हो रही थी और अब तो जो समस्या सामने आ गई थी, उससे वो भी नहीं हो पाएगी.

मां मुझे उदास देख बोलीं- बेटा तू चिंता मत का … मैं रात में आ कर तेरा हथियार अपने हाथों से शांत कर दिया करूंगी.

पर मुझे हाथों का नहीं चूत और गांड का मजा चाहिए था.

अगले दिन मां मुझे थोड़ी परेशान सी लगीं.
मैंने उनसे पूछा तो उन्होंने बात को टाल दिया.

अब 3-4 दिन हो गए परन्तु मां की परेशानी बढ़ती जा रही थी.

रात में जब मैरे पास आईं, तो मैंने पूछा- क्या हुआ है मां? आप मुझे कुछ दिनों से परेशान लग रही हो.
तब मां ने बोला- परेशानी वाली बात है बेटा, इस बार मेरा महीना ही नहीं आया, कहीं मेरे पेट में बच्चा तो नहीं ठहर गया?

ये सुन मैं बोला- ये तो अच्छी बात है मां, ये हमारे प्यार की निशानी है, आप परेशान क्यों है?
तो मां बोली- अगर बात हमारी होती … तो मैं बहुत खुश होती, पर अगर ये बात तेरी बहन के ससुराल वालों को बता चली … तो उसका क्या होगा, मुझे ये ही चिंता खाये जा रही है!

ये सुन मैं भी परेशान हो गया, फिर मैंने मां से बोला- अब आप ही बताओ, क्या किया जाए!
तो मां बोलीं- हमें कल ही हॉस्पिटल जाकर डॉक्टर से बात करनी होगी, अगर बच्चा ठहरा है … तो इसका कुछ करना होगा. क्योंकि मैं अपनी खुशी के लिए अपनी बेटी की खुशियां नहीं छीन सकती हूं.

मैंने भी मां की हां में हां मिला दी, मैं भी अगले दिन कारखाने से जल्दी आ गया और मां को हॉस्पिटल ले गया.

डॉक्टर ने जाँच की और अगले दिन रिपोर्ट का बोला.

हम वापस आ गए, तो घर पर सुमन दीदी हमसे पूछने लगीं- क्या हुआ है मां को, हॉस्पिटल में देख कर क्या बोले डॉक्टर?
तो मां ने बोला- कुछ नहीं बेटा, डॉक्टर ने बस कमज़ोरी बताई है और बोला है कि 2-3 दिन में मैं ठीक हो जाऊंगी.

अगले दिन मैं कारखाने से आते समय मां की रिपोर्ट ले आया, जिसमें लिखा था कि मां पेट से हैं.

ये सुन कर मां बोलने लगीं- हमें जल्दी ही इसका कुछ करना होगा.
मैं- हां मां, मैंने डॉक्टर से बात कर ली है … उन्होंने ये गोलियां दी हैं. इससे सब ठीक हो जाएगा. सुमन दीदी के जाने के बाद आपके बच्चे नहीं होने का ऑपरेशन भी करवा लेंगे.

अब सब कुछ अच्छा हो गया.

मां के ऑपरेशन के बाद हम बिना किसी डर के चुदाई करते रहे.
मुझे तरक्की भी मिल गयी.

उसके बाद हमने एक बड़ा घर भी ले लिया. मेरी मां ने मेरी शादी करा दी, पर शादी के बाद भी हम मां बेटे की चुदाई चालू रही.

अब मुझे अपनी बीवी से एक बच्चा भी हो गया है, हम सब बहुत खुश हैं.
 
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विधवा मां और जवान बेटे की हवस


मेरा नाम आशीष है। मैं रायपुर, छत्तीसगढ़ में रहता हूं।

तो दोस्तो, हमारी फॅमिली चुदाई कहानी की नायिका यानि मेरे रीडर की मां का नाम ललिता है और नायक का नाम चंदन है।
मैंने दोनों नाम प्राइवेसी के कारण बदल दिए हैं।

दोस्तो, इस कहानी की शुरुआत 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में बाढ़ की घटना से होती है।

ललिता के पति केदारनाथ में टूरिस्ट गाइड थे और उसी बाढ़ में उनकी मृत्यु हो गई।
इस घटना की खबर जब ललिता और चंदन को मिली तो उनके लिए ये सदमा बर्दाश्त करना बहुत मुश्किल हो रहा था।
मगर अब आगे की ज़िन्दगी दोनों मां-बेटे को मिलकर ही काटनी थी।

चंदन के अलावा ललिता की एक बेटी भी है। उसका नाम कोमल है। मगर उसका इस कहानी में सिर्फ इतना ही काम है कि आप उसके बारे में जान लें कि चंदन की एक बहन भी है।

तो अब घर को चलाने के लिए और पैसों की जरूरत पूरी करने के लिए चंदन ने गांव की एक फैक्टरी में मजदूर का काम करना शुरू कर दिया।

ऐसे ही 7 साल बीत गए और अब चंदन 27 साल का हो गया और ललिता भी 47 की हो गई थी।
चंदन इतने वक़्त से मजदूरी का काम कर रहा था और इसी वजह से उसका शरीर एक दम हृष्ट-पुष्ट और बलिष्ठ हो गया था।

चंदन की जवानी अपने चरम पर थी; वो रोज़ रात को हस्थमैथुन करता था।

ललिता ने भी अपने पति के मरने के बाद से एक बार भी चुदाई नहीं की थी।
उसकी चूत में भी रह रहकर खुजली होती थी मगर वो मजबूर थी; उसकी चुदासी चूत की प्यास बुझाने वाला कोई नहीं था।

दूसरी ओर वो कभी भी बाहर किसी गैर मर्द से शारीरिक संबंध बनाने से डरती थी। इसलिए उसकी चूत की प्यास बहुत दिनों से दबी ही हुई थी।

अब उसकी ज़िन्दगी में एक नया मोड़ आने वाला था।

यह साल 2020 की कोरोना महामारी के दौरान हुआ।

ललिता मार्च में अपनी बेटी कोमल को अपने साथ लेकर मायके गयी थी होली का त्यौहार मनाने के लिए।

इसी बीच देश में लॉकडाउन लग गया और दोनों मां-बेटी वहीं मायके में फंस गयीं।
चंदन उन दोनों के साथ काम के कारण नहीं गया था। उसको कुछ समय पहले ही फैक्ट्री में सुपरवाइजर का पद दे दिया गया था तो उसका काम अब और बढ़ गया था।

चंदन ने इसी बीच फैक्ट्री की ही एक शादीशुदा महिला से शारीरिक संबंध बना लिया था।
उसने महिला मजदूर को बड़े पद का और ज़्यादा पैसों का लालच देकर अपनी शारीरिक जरूरत को पूरा करने का आसान रास्ता निकाल लिया था।

उस महिला और चंदन के बीच चुदाई की कहानी अगली बार बताऊंगा।

तो ऐसे ही लॉकडॉउन के दो महीने निकल गए। मई महीने के अंत में जैसे ही लॉकडॉउन खुला तो ललिता ने पहली ही बस पकड़ी और अपने गांव वापस आ गई।

कोमल ने नानी के घर रहना ज़्यादा सही समझा।

ललिता के ऐसे एकदम से घर वापस आ जाने के कारण चंदन को ज्यादा खुशी नहीं हुई और दुख अधिक हुआ क्योंकि अब वो उस मजदूरी करने वाली भाभी को घर बुला कर चुदाई का मज़ा नहीं ले सकता था।

ललिता ने घर आकर जब घर की हालत देखी तो चंदन को बुरी तरह से डांट दिया।
घर की हालत बहुत खराब थी। इधर उधर कचरा फैला हुआ था। कपड़े यहां वहां बिखरे हुए थे। एक अजीब सी गंध फैली हुई थी।

मां की गैर-हाजिरी में चंदन ने घर का बिल्कुल ख्याल नहीं रखा था।

ललिता ने घर की साफ सफाई करनी शुरू कर दी। इसी दौरान उसको घर के एक कोने में इस्तेमाल किया हुआ कंडोम मिला।

ये बात ललिता को खटकी कि उसकी गैर हाजिरी में चंदन घर में क्या करता था? किसको बुलाता था?

ललिता ने अपने पड़ोस में अपनी करीबी सहेली से पूछताछ की।
मगर उसकी सेहली को भी इस बारे में कुछ नहीं पता था।

दरअसल चंदन उस मजदूर भाभी को चोरी छुपे घर में लाता था।

ललिता ने अब खुद ही ठान लिया कि वो चंदन की हरकतों पर नजर रखेगी और ललिता का ये फैसला बहुत जल्दी रंग लाया।

एक रात को ललिता पानी पीने के लिए उठी तो उसने देखा कि चंदन के कमरे की लाइट जल रही थी और दरवाज़ा भी थोड़ा सा खुला हुआ था।
ललिता ने सोचा कि इतनी रात को चंदन क्या कर रहा है?

तो ललिता ने दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया और अन्दर देखा।
वो अन्दर का दृश्य देखते ही बुरी तरह से चौंक गई।

अन्दर बिस्तर पर चंदन लेटा हुआ अपना लन्ड ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे करके मुठ मार रहा था।

उसकी चड्डी नीचे ज़मीन पर पड़ी थी और वो अपना लंबा मोटा मूसल लन्ड आंखे बंद करके तेज़ी से ऊपर नीचे कर रहा था।

ललिता ये नज़ारा देख कर सकपका गई।
उसको चंदन पर गुस्सा भी आ रहा था।

मगर अपने बेटे को ऐसे देख कर उसकी जवानी पर शायद गर्व भी महसूस कर रही थी।

उसको झटका उसके बाद लगा जब उसने चंदन के मुंह से अपना ही नाम सुना।
चंदन मुठ मारते हुए ललिता … ललिता … करके बड़बड़ा रहा था। वो अपनी सगी मां को अपने ख्यालों में चोद रहा था।
ये सुनकर ललिता बिल्कुल स्तब्ध हो गई।

ललिता की समझ में नहीं आ रहा था कि वो करे तो क्या करे।
उसका बेटा, जिसको उसने अपनी कोख में नौ महीने रखा, आज अपनी जवानी के जोश में अपनी मां को चोदने की बात सोच रहा है।

चंदन को अब ललिता ध्यान से देखने लगी।
उसने पाया कि चंदन का लन्ड उसके बाप के लन्ड से ज़्यादा लंबा, मोटा और तगड़ा है।

ये देख कर ललिता की चूत में खलबली मच गई।
उसने इतने साल बाद अपनी चूत में गीलापन महसूस किया।

फिर ललिता एकदम से भाग कर अपने कमरे में चली गई। उसने कमरे का दरवाज़ा बंद किया, अपनी नाइटी ऊपर करके अपनी चूत में उंगली करने लगी।

वो बहुत जोश में ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत को रगड़ रही थी, उसमें दो दो उंगलियां अन्दर घुसाकर अन्दर-बाहर करने लगी।
उसको इस बात की कतई उम्मीद नहीं थी कि वो एकदम से इतनी जल्दी अपनी चूत से पानी छोड़ देगी।

जल्दी ही उसकी चूत का पानी निकल गया, वो हांफने लगी।
वो बिल्कुल थककर बिस्तर पर लेटी रही और सो गई।

ललिता ने अब रोज़ रात को चंदन को मुठ मारते हुए देखने का सोच लिया था।

ऐसा करके वो खुद भी गर्म हो जाती थी और रात में अपनी चूत में उंगली करके खुद को शांत कर लेती थी।
अब ऐसे ही दिन बीतने लगे।

ललिता ने एक दो बार सोचा कि उसको चंदन से इस बारे में बात करनी चाहिए।
मगर इसमें मां बेटे का रिश्ता बीच में आ रहा था।

इसलिए ललिता ने अब चंदन को इशारे देने की सोची।
ललिता अब रोज़ सुबह नहाकर सिर्फ टॉवल अपने ऊपर लपेटकर बाहर चंदन के सामने आ जाती थी।

वो बाल सुखाने के बहाने कभी कभी चंदन के सामने झुक जाती थी जिसके कारण ललिता की गोरी चिकनी मोटी मांसल जांघों का पूरा नज़ारा चंदन को देखने को मिलता था।

चंदन को अपनी मां की ऐसी हरकतों से मज़ा भी आता था। उसे अजीब भी लगता था कि ये अचानक से मेरी मां ऐसा क्यों कर रही है!
मगर फिर भी ललिता के इतने इशारे करने के बाद भी चंदन ने कुछ भी पहल नहीं की।

फिर एक रात को वो सब कुछ हो गया जिसने शायद मां बेटे के रिश्ते को बदल कर रख दिया।

हुआ यूं कि उनके गांव में बिजली का कट हो जाना बहुत आम बात थी और ये वक्त गर्मी का था।

बिजली गुल हो जाने के चलते चंदन ने घर में इनवर्टर लगवाया हुआ था मगर इनवर्टर भी सिर्फ ललिता के कमरे में लगे पंखे को ही चला पाता था।

ऐसी ही एक रात को लाइट गुल हो गई।
ललिता ने भी सोचा कि शायद आज कुछ मौका है चंदन को खोलने का!
ललिता का सोचना भी सही था।

उसने चंदन को अपने पास बुलाया और बोली- चंदन, आज तू मेरे पास यहां बिस्तर पर सो जा। देख कितनी गर्मी है और मुझे भी अंधेरे में अकेले सोते नहीं बनेगा। यहां पंखा भी चल रहा है।

चंदन- ठीक है मां, जैसा आप कहो।
चंदन ने ये बात थोड़े रूखे और अनमने ढंग से कही।
ललिता जानती थी कि उसने इस तरह रुखे ढंग से हां क्यों कहा।

ललिता शायद यही देखना चाहती थी कि क्या आज रात चंदन मुठ मारेगा या नहीं?
चंदन ने अपने कपड़े उतारे और चड्डी पहन कर ललिता के बगल में लेट गया।

ललिता ने भी एक ढीला सा गाउन पहन रखा था।

गर्मी थी तो दोनों में से किसी ने चादर भी नहीं ओढ़ी थी।

दोनों ही अब सोने का नाटक कर रहे थे लेकिन दोनों को ही नींद नहीं आ रही थी।

ऐसे ही कुछ देर में ललिता ने अपनी आंखे बंद कर लीं और खर्राटे लेने लगी।
ललिता की पीठ चंदन की तरफ थी।

चंदन ने देखा कि ललिता सो गई है तो उसने अपनी चड्डी उतारी और लन्ड हाथ में लेकर हिलाने लगा।
वो धीरे धीरे मुठ मारने लगा।

उसके मुठ मारने से बिस्तर थोड़ा हिलने लगा और चंदन भी थोड़ी आवाज़ें निकाल रहा था।
इसके कारण ललिता की आंखें खुल गईं और उसकी नींद टूट गई।

ललिता ने हल्का सा अपना सिर ऊपर उठाकर पीछे देखा तो चंदन को मुठ मारते पाया।

उसको को भी अब समझ नहीं आया कि वो क्या करे? चंदन को रोके या जो वो कर रहा है उसमें उसका साथ दे?

फिर ललिता ने सोचा कि यही मौका है, यही वक्त है अपनी इतने सालों की तड़प को और प्यास को बुझाने का!
उसने फिर हल्के से अपने गाउन को घुटनों तक ऊपर कर दिया और अपनी जांघों को थोड़ा खोल दिया जिससे चंदन उसकी जांघें देख सके।

उसने अपनी टांगें मोड़ लीं और गान्ड को बाहर निकाल कर चंदन की तरफ कर दिया।

चंदन ने देखा कि उसकी मां की गान्ड उसकी तरफ है और गाउन भी ऊपर घुटनों तक है।
अब चंदन ने भी अपनी मां की तरफ खुद को खिसका लिया और अपना लन्ड ललिता की गान्ड से रगड़ने लगा।

ललिता तो वैसे भी जाग रही थी; उसने चंदन का लन्ड अपनी गान्ड पर महसूस किया।

लंड का अहसास पाते ही ललिता की प्यास एकदम से बढ़ गई और उसने भी अपनी जांघों में थोड़ी हरकत करनी शुरू कर दी।

चंदन ने खुद को ललिता से बिल्कुल चिपका लिया और उसकी कमर पर, पेट पर, पीठ पर, और कंधों पर हाथ से सहलाने लगा।

फिर उसने धीरे से ललिता का गाउन ऊपर कमर तक कर दिया और ललिता की नंगी, गोरी, बड़ी, मोटी और भारी भरकम चिकनी गान्ड पर अपना लन्ड हाथ से पकड़ कर दो तीन बार पटका।
अब चंदन ने अपना हाथ ललिता के बूब्स पर रख दिया।

वो धीरे-धीरे अपनी कमर को हिला कर अपना लन्ड ललिता की गान्ड से रगड़ रहा था।
इसके साथ ही चंदन ने ललिता के बूब्स भी दबाने चालू कर दिए।

वो गाउन के ऊपर से बूब्स को दबा रहा था और कसकर मसल रहा था।

ललिता पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी। उसके बूब्स को दबाने से वो हल्की हल्की सिसकियां ले रही थी- आह्ह … स्स्स … आह्ह … ऊम्म … आह।

इधर चंदन अपनी मां के बूब्स को जोर से मसल रहा था और बीच बीच में उसके निप्पलों को भी उंगलियों के बीच में पकड़ कर मसल देता था।

चंदन का इस तरह से ललिता के बदन के साथ खेलना उसे बहुत पसंद आ रहा था।
ललिता की चूत गीली होकर थोड़ा थोड़ा पानी छोड़ रही थी।

चूंकि चंदन जवान था तो उससे अब चोदे बिना रहा नहीं जा रहा था।
उसने अब साफ साफ बात करने की सोची।

वो उठा और अपनी मां के कान में बोला- मां मै जानता हूं कि तू जाग रही है। तेरी चूत भी नीचे से पूरी गीली हो चुकी है।

ललिता ने भी शर्म पीछे छोड़ अपनी चूत की सुनी और बोली- तो किस बात का इंतजार है तुझे मेरे बेटे? ले चाट ले अपनी मां की चूत, जिसने तुझे इस दुनिया में लाया है। पी जा इसके रस को! ये चूत अब तेरी है।

ऐसा बोल कर ललिता ने अपने घुटने मोड़ लिए और टांगें खोलकर चौड़ी कर दीं।

चंदन ने भी अब आव देखा ना ताव और झट से अपना मुंह, अपने होंठ अपनी मां की चूत में लगा दिए।

उसने अपनी जीभ से ललिता की चूत को ऊपर से नीचे तक पूरा चाटना चालू किया।
वो अपने होंठ से उसकी चूत के दाने को चूस रहा था, उसे खींच रहा था।

ललिता की चूत लगातार पानी छोड़े जा रही थी; उसको इतना मज़ा कभी नहीं आया था। ललिता की टांगें कांप रही थीं। उसको चरम सुख की ऐसी अनुभूति शायद उसके पति के साथ भी नहीं मिली थी जो आज उसका बेटा उसे दे रहा था।

चंदन ने चूत को चाट चाटकर एकदम चिकनी कर दिया था।

अब बारी थी इस चिकनी हो चुकी चूत की ताबड़तोड़ चुदाई की!
चंदन ने अपने लन्ड पर मुंह से थूका और उसको थोड़ा मसलकर लन्ड का टोपा ललिता की चूत के ऊपर रगड़ने लगा।

ललिता चंदन को गालियां देने लगी- साले मादरचोद … क्यों तड़पा रहा है इतना … मुझसे अब और सहन नहीं हो रहा है … मेरी चूत जल रही है अंदर से … इसमें पानी भर … इसकी आग को बुझा हरामी की औलाद … चोद दे जल्दी।

चंदन भी अपनी मां के मुंह से ये सब सुनकर और जोश में आ गया।
फिर उसने एक ही धक्के में पूरा का पूरा लन्ड एक बार में ही ललिता की चूत के अंदर उतार दिया।

ललिता की चीख निकल गई; उसका दर्द से बुरा हाल हो गया।
इतने सालों से जो चूत बिना लंड लिये सूखी पड़ी थी, आज उसने एक जवान मोटा मूसल जैसा लंड एक बार में अन्दर ले लिया था।
ये दर्द तो होना ही था।

मगर फिर चंदन ने भी धीरे धीर धक्के लगाने चालू किया ताकि उसकी मां को ज़्यादा दर्द ना हो।

आखिर वो निकला तो उसी चूत के अंदर से ही था और आज उसी चूत में उसने अपना लौड़ा डाला हुआ था।

चंदन के लिए भी ये एक सपने के सच होने जैसा था। जिस मां को चोदने के नाम से वो रोज़ रात को मुठ मारता था आज उसी मां की चूत की चुदाई करने का मजा उसे मिल रहा था।
ललिता तो बस अब पूरे चरम सुख को प्राप्त करने वाली थी।

उसकी चूत अब कभी भी अपनी धार छोड़ सकती थी मगर चंदन के लंड ने तो बस कुछ ही धक्के लगाए थे।
चंदन अब अपनी गति बढाने लगा और ललिता की चूत में ज़ोर ज़ोर से लंड को अंदर बाहर करके चुदाई तेज़ करने लगा।

ललिता की सिसकारियां अब चीखों में बदलती चली गईं- आह्ह … ईईई … मर गईई … ऊईई मां … ओह्ह … आह्ह आआआ … आहह … आराम से करर … कमीने … आह्ह फाड़ ही देगा क्या सच में … आईई … आआ!

ऐसी तगड़ी चुदाई का ललिता को बहुत समय से इंतजार था।
अब उसे घर में अपने बेटे के रूप में जवान लंड मिल चुका था।

चंदन अपनी मां के बूब्स भी ज़ोर से मसल रहा था और उन्हें दबा दबा कर लाल कर चुका था।

ललिता के लिए अब बर्दाश्त कर पाना मुश्किल होता जा रहा था।
वो अब कभी भी अपनी चूत से धार निकालने वाली थी।

इधर ललिता के ऊपर चढ़ा हुआ चंदन भी बुरी तरह हांफ रहा था।

चंदन- मां मेरा होने वाला है … मैं झड़ने वाला हूं। बोल कहां निकालूं अपना वीर्य??
ललिता- बेटे ये चूत अब सिर्फ तेरी है; अन्दर ही झड़ जा … मुझे मेरे बेटे का गरमा-गर्म वीर्य अपने अंदर चाहिए।

चंदन- ठीक है मां … जैसे तू बोले!
चंदन ने धक्के तेज़ कर दिए और फिर 4-5 धक्कों में ललिता की चूत को अपने वीर्य से भर दिया।

दोनों ही बुरी तरह से थक गए थे और पसीने से लथपथ थे। फिर ललिता ने अपना सिर चंदन की छाती पर रखा और दोनों एक दूसरे को सहलाने लगे। फिर वो उसका लंड थोड़ा हिलाकर सो गई।

चंदन भी ललिता के बदन को सहलाते हुए और उसके बूब्स को दबाते हुए सो गया।

आज दोनों मां-बेटे का एक नया रिश्ता शुरू हुआ था।
इस रिश्ते को कोई नाम नहीं दिया जा सकता लेकिन रिश्ता तो बन चुका था।

तो दोस्तो, कैसी लगी आप लोगों को ये चुदाई कहानी? कृपया मुझे रेस्पॉन्स ज़रूर दें.
 

junglecouple1984

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मेरी मम्मी ने मुझसे अपनी चूत की प्यास बुझवायी


मेरा नाम राजू है और जिस वक्त की ये घटना है, उस वक्त मेरी उम्र 19 साल की थी.
मैं अपनी मम्मी के साथ अकेला रहता था. पापा फ़ौज़ में थे, जिस वजह से वो साल में 2 या 3 बार ही घर आ पाते थे.

जब भी पापा घर आते थे तो मम्मी की जमकर चुदाई करते थे.
मेरी मम्मी की उम्र भी उस वक्त ख़ास ज्यादा नहीं थी, कम उम्र में शादी हो जाने के कारण वो सिर्फ 36 साल की ही थीं और उनका फिगर भी बहुत मेंटेन था.
उनको देखकर किसी भी जवान या बुड्डे के लंड में जोश आ सकता था.

मेरी मम्मी की चूचियां भी सामन्य आकार की थीं मतलब ज्यादा दबाई नहीं गई थीं … इसलिए बड़ी या ढीली नहीं थीं.

हमारे पड़ोस में एक चाची रहती थीं जिनकी उम्र करीब 40 साल की रही होगी, जब पापा नहीं रहते … तो वो अक्सर घर आ जाया करती थीं.

एक दिन जब मैं नहा रहा था … तब चाची घर आ गईं और मम्मी से बातें करने लगीं.

वो बोलीं- सरला एक बात बताओ …. जब तुम्हारे पति चले जाते हैं और महीनों के बाद आते हैं, तब तुम क्या करती हो?
उनको जवाब देते हुए मम्मी बोलीं- करना क्या है बस किसी तरह से बर्दाश्त करती हूँ … आग लगी रहती है. जब उनकी याद बहुत आती है, तो मोटी सी मोमबत्ती से काम चला लेती हूँ.

चाची हंस दीं और मजा लेने लगीं.

फ़िर मम्मी ने चाची से पूछा- जब तुम्हारे पति बाहर जाते हैं, तब तुम क्या करती हो?

मैं उन दोनों की बातों को बाथरूम में से सुन रहा था.
हालांकि मैं नहा चुका था, पर फ़िर भी उन दोनों की बातें सुनने के लिए अन्दर ही रुका रहा.

मैंने चाची की आवाज सुनी- भई, मैं तो अपना मसला हल कर लेती हूँ … तेरी तरह मोमबत्ती से काम नहीं चलाती हूँ.
मम्मी ने उनसे पूछा कि वो भला कैसे?

तब चाची हल्के स्वर में बोलीं- मैं अपने बेटे वीरू से अपनी प्यास शांत करवा लेती हूँ.
मम्मी ने हैरानी भरी आवाज में पूछा- हैं … इसका क्या मतलब है … क्या तुम अपने बेटे से चुदवा लेती हो?

तब चाची बोली- हां मेरी रानी … वीरू से चुदवाने में बहुत मज़ा आता है. उसका लंड बहुत मोटा और लम्बा है … मुझे तो वो पूरी तरह से जवान कर देता है.

मम्मी ने कहा- हटो ये सब बातें मत करो … मुझे तो शर्म आती है कि तुम अपने बेटे से … हिष्ट गंदा काम.

तब चाची ने मम्मी की एक चूची को पकड़ लिया और मसलने लगीं.

चाची बोलीं- जब मजा लेना होता है तब लंड चुत में कोई रिश्ता नहीं होता है. कभी आंख पर पट्टी बांध कर चुदाई का अहसास करना … लंड और चुत को सिर्फ अपने मजे से मतलब होता है.

चाची ने ये कह कर मम्मी की चूची मींज दी तो मेरी मम्मी ‘आआअह आआअह …’ करने लगीं.

मम्मी- आह रहने दो चाची … मेरी चूची मत दबाओ … काहे आग लगा रही हो … तुम तो अपने लड़के से चुदवा लोगी … मेरा क्या होगा?

तब चाची ने कहा- इससे ज्यादा आग तो चुदाई देखने में लगती है … तुम चाहो तो आज रात को मैं तुमको अपनी चुदाई का सीन दिखाऊंगी … तुम देखना कैसे मस्ती से चोदता है मेरा लड़का.

मम्मी ने हां में सर हिला दिया.
चाची- चल तो फिर आज रात ठीक 11 बजे तैयार रहना.

चाची जाने को हुई ही थीं कि तभी मैं नहा कर सिर्फ तौलिया में बाहर आ गया.

तो चाची मुझे बहुत गौर से देखने लगीं और मैं अपने कमरे में आ गया.

तब चाची बोलीं- तेरा राजू भी तो पूरा जवान है … साली, इतना अच्छा माल घर में है और मोमबत्ती से काम चलाती है.
मम्मी ने उन्हें धत्त कर दिया और वो हंसती हुई चली गईं.

जाते जाते चाची मेरी मम्मी को 11 बजे की याद दिला गईं.

रात का इंतज़ार तो मुझे भी था. रात को खाना खाने के बाद मैं अपने रूम में चला गया और वहीं से छिप कर पड़ोस का नज़ारा देखने लगा.

चाची के घर के सामने वाली खिड़की हमारे घर के सामने ही खुलती थी जिसे चाची ने आज मम्मी की सुविधा के लिए खोल दिया था.
आज चाची ने अपने कमरे की लाइट भी ऑफ़ नहीं की थी.

तभी मैंने देखा कि चाची सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में ही रूम में आईं और मम्मी की तरफ़ आंख मार कर उंगली से गोला बना कर उसमें उंगली करने लगीं.

उसी समय उनका लड़का वीरू सिर्फ कच्छे में आ गया और चाची की चूचियां हाथ में लेकर मसलने लगा; फ़िर एक चूची को मुँह में भरकर चूसने लगा.

चाची बोलीं- साले मादरचोद … पी जा सारा दूध … जैसे बचपन में पीता है भोसड़ी वाले आज जमकर चूत मार मेरी!

चाची के मुँह से गाली सुनकर मेरे साथ साथ मम्मी की तबियत भी हरी हो गई. हमने सोचा भी नहीं था कि चाची इतनी बड़ी अय्याश होंगी.

तभी वीरू ने उनके सारे कपड़े उतार कर उनको एक कुर्सी पर बैठा दिया और उनकी टांगें फ़ैला दीं जिससे कि चाची की चूत साफ़ नज़र आने लगी थी.

वीरू बोला- साली रंडी, यहां जंगल क्यों उगा रखा है … झांटें क्यों नहीं बनाती … तुझे मालूम है कि मुझे झांटें पसंद नहीं हैं … फ़िर भी!
चाची बोलीं- साले भड़वे, चिल्लाता क्यों है … कल बना लूंगी … आज तो तू मेरी प्यास बुझा मां के लौड़े.

तब वीरू ने चाची की टांगें उठा कर चुत पर लंड सैट कर दिया और एक दमदार धक्का दे मारा.
इसी के साथ चाची बहुत जोर से चिल्ला पड़ीं- ऊऊउईई ईईईई … इस्सस्स साले हरामी … आज मारने का इरादा है क्या … मादरचोद कुत्ते निकाल ले अपना लौड़ा … आह मुझे बहुत दर्द हो रहा है भोसड़ी के.

मगर वीरू ने लंड नहीं निकाला और अपनी मम्मी की चूचियों को मुँह में भरकर चूसने लगा.

कुछ पल बाद चाची को राहत मिली और धकापेल चुदाई चालू हो गई.
वीरू ने हचक कर लंड चुत में पेलना शुरू कर दिया और थोड़ी देर बाद दोनों झड़ गए.

झड़ने के बाद दोनों ही सुस्त होकर वहीं पर नंगे ही चिपक कर सो गए.

ये मॉम बेटा सेक्स सीन देख कर मेरा और मम्मी का दिमाग भी खराब हो चुका था.

दूसरे दिन मैं नहा रहा था कि तभी चाची घर आ गईं और मम्मी से बोलीं- क्या हुआ मेरी जान, रात को चुदाई देखी थी?
मम्मी ने कहा- हां देखी थी … मगर मुझे तुमसे बात नहीं करनी है तुम अकेले अकेले ही मज़ा ले रही हो, तुम्हें मेरा तो कुछ ख्याल ही नहीं है.

चाची ने हंसते हुए मेरी मम्मी की एक चूचि उनके ब्लाउज के ऊपर से पकड़ ली और जोर से दबाने लगीं.
मम्मी की ‘आह उन्ह …’ निकलने लगी, तो चाची ने अपना हाथ मम्मी की साड़ी के अन्दर घुसेड़ दिया और चुत को मसल दिया.

इससे मेरी मम्मी एकदम से चिहुंक पड़ीं- आह आआह … यार ये तू क्या कर रही है साली कुतिया … वैसे ही मेरी चुत में बहुत खुजली मची है और तू मेरी आग को और भड़का रही है.
इस पर चाची बोलीं- तेरी चुत की खुजली तो अब तेरा बेटा ही शांत करेगा.

मम्मी आशा भरी नजरों से चाची की तरफ देख कर बोलीं- वो कैसे?
चाची ने कहा कि एक शर्त पर बताऊंगी?

मम्मी ने कहा- मुझे तेरी हर शर्त मंजूर है.
चाची ने कहा कि तू अपना काम निकलवाने के बाद अपने बेटे का लौड़ा मुझे भी अपनी चूत में डलवाने देगी.

मम्मी ने कहा- साली रांड … पहले मुझे अपना आइडिया तो बता!
चाची बोलीं- मेरी जान, तेरी चूचियां इतनी खूबसूरत हैं कि कोई बुड्ढा भी देख कर जवान हो जाए, फ़िर तेरा बेटा तो पूरा गबरू जवान है. तू उसको किसी तरह से अपनी चूचियां दिखा दे … और हो सके तो चूत भी दिखा देना और हां पहले चुत की झांटें बना लेना, चिकनी चूत चोदने में लड़कों को बहुत मज़ा आता है.

मम्मी ने कहा- ठीक है. मगर क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि तू वीरू से ही मेरी खुजली मिटवा दे!
चाची बोलीं- वो बाद में हो जाएगा मेरी जान … मगर मुझे पहले तेरे बेटे के लंड से भी चुदना है … और हम दोनों को दो लंड तैयार करने हैं ताकि हम दोनों लंड बदल बदल कर चुत चुदाई का मजा ले सकें.

ये बात सुनकर मेरी मम्मी की चुत में शायद पानी आ गया था तो वो अपनी साड़ी के ऊपर से ही अपनी चुत मसलती हुई चाची की बात सुनकर हां में सर हिलाने लगीं.

मम्मी- ये बात तो तू सही कह रही है मेरी बन्नो.

मैं तो उन दोनों की बात सुन ही चुका था.

अगले दिन मम्मी बाथरूम से नहा कर सिर्फ तौलिया में बाहर आ गईं.

मम्मी मुझसे बोलीं- राजू, जरा मेरे रूम में आना.
मम्मी की तौलिया भी बहुत छोटी थी, उनकी चूचियां आधी से भी कम ही ढकी हुई थीं. नीचे भी तौलिया बहुत छोटी होने की वजह से मम्मी की गोरी टांगें ऊपर तक साफ़ दिख रही थीं.

कमरे में आने के बाद मम्मी ने अपनी तौलिया भी मम्मों से नीचे उतार कर कमर से बांध ली.
वो मेरे सामने ऊपर से बिल्कुल नंगी हो गई थीं, उनके मस्त भरे हुए मम्मे देख कर मुझे उत्तेजना होने लगी थी और मेरा लंड तुनकी मारने लगा था.

मम्मी मुझसे बोलीं- बेटा जरा ब्रा पहना देना. मैं ये नई ब्रा लाई थी, इसका हुक पीछे से लगा दे … मुझसे लग नहीं रहा है.

ये कह कर मम्मी मेरी तरफ़ अपनी गोरी पीठ करके खड़ी हो गईं और मैंने ब्रा हाथ में ले ली.

उन्होंने अपने मम्मे आगे से कप में डाले और मैं पीछे से हुक लगाने लगा.
पर ब्रा काफी टाईट थी इसलिए हुक लग ही नहीं रहा था.

मेरी गर्म सांसें चल रही थीं और हाथ कांप रहे थे.

मम्मी ने पूछा- क्या हुआ … हुक लगा न .. कोई दिक्कत है क्या?
मैंने कहा- हां शायद ये आगे से सही से सैट नहीं हुई है.

तब मम्मी मेरी तरफ़ अपनी चूचियां करके खड़ी हो गई और बोलीं कि लो आगे से पहले मेरे दूध कप में ठीक से डालो … और अपने हिसाब से सैटिंग कर लो.

मेरे बदन पर इस समय सिर्फ एक लुंगी ही थी जिसके नीचे मैंने कुछ भी नहीं पहना था.
मेरा लंड भी मम्मी की नंगी जवानी को देख कर एकदम तन चुका था.

मैंने अपने हाथों से मम्मी की दोनों चूचियों को पकड़ा और धीरे धीरे ब्रा के कप में डालने लगा.
मेरे हाथ से मम्मी की चूचियां दब रही थीं तो मम्मी के मुँह से मादक सिसकारियां निकल रही थीं

वो अपना चेहरा नीचे किए हुए थीं और वासना से गर्म होती जा रही थीं.
मैं भी अपनी गर्म सांसें उनके चेहरे पर छोड़ रहा था और उनकी चूचियों को कप में डालने के बहाने उनके दूध मसल रहा था.

कुछ ही पलों में क्रान्ति का आगाज हो गया और मम्मी ने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया.

अपने लंड पर मम्मी का हाथ महसूस करते ही मेरे मुँह से ‘आआ … आअह आआअह …’ की आवाज निकल पड़ी और मैंने मम्मी की दोनों चूचियों बहुत जोर से मसल दिया.

मम्मी के मम्मों पर एकदम कड़क खड़े काले निप्पलों की मस्ती देखने लायक थी. मम्मी के दोनों निप्पल एकदम तन कर खड़े हुए बहुत प्यारे लग रहे थे.

मैंने अपने होनों हाथों की दो दो उंगलियों को काम पर लगा दिया और अपनी मम्मी के चूचुकों को उंगलियों में दबा कर मींजने लगा.

अब मम्मी ने मेरी लुंगी हटा दी.
मेरा लौड़ा किसी भनभनाते सांप की तरह बाहर आ गया और फ़नफ़नाने लगा.
मम्मी ने जोर से मेरे लौड़े को पकड़ कर मरोड़ दिया.

मैंने कहा- लंड अच्छा लगा मम्मी!
मम्मी ने कहा- हां बहुत मस्त लौड़ा है .. बेटा आज तू अपनी मम्मी की उस चूत को चोद ही दे … जिसमें से तू बाहर आया था … आह आज बुझा दे अपनी मम्मी की चुत की प्यास.

अब मुझे भी जोश आ गया और मैंने भी उनकी एक चूची को अपने दांतों से दबा कर चूसने और काटने लगा.
मम्मी की आह आह की मस्त आवाज निकलने लगी और वो मेरे सर को अपनी चूची पर दबाते हुए मुझे अपना दूध चुसाने लगीं.

मैंने मम्मी की मस्ती देख कर उनकी चूत पर हाथ लगा दिया और उनकी कमर पर बंधी तौलिया को खींच कर अलग कर दिया.

अब मम्मी मेरे सामने पूरी नंगी थीं. उनकी सफाचट चूत बहुत ही खूबसूरत दिख रही थी.

मम्मी अपनी चूत की फांकों को अपने दोनों हाथों से फ़ैला कर बोलीं- आ जा साले … चूस ले मेरी चूत को … और बन जा मादरचोद.

मैं घुटनों के बल बैठ कर अपनी मां की चूत पर अपनी जुबान फ़ेरने लगा.

वो सीत्कारती हुई बोलीं कि आह बेटा जरा रुक जा … मुझे पूरा मजा लेना है.

ये कह कर वो बिस्तर पर लेट गईं और मुझसे बोलीं- अब तू पहले अपना लौड़ा मेरे मुँह में डाल और मेरी चूत को चूस … इस तरह से दोनों को मज़ा मिलेगा.

हम दोनों 69 की अवस्था में हो गए और मम्मी नीचे से अपनी गांड को उछालने लगीं और ‘आआआ … आह्हह …’ की कामुक आवाजें निकालने लगीं.

कुछ ही देर में मजा अपने चरम पर आने लगा और मम्मी बोलीं- राजा बेटा, अब मैं झड़ने वाली हूँ … पहले मुझे चोद कर मेरी प्यास बुझा दे साले मादरचोद.

मम्मी के मुँह से गालियां सुनकर मैंने भी उनकी चुत को तेज तेज चाटना शुरू कर दिया.

तभी वो चुत उठाती हुई झड़ गईं और थोड़ी देर बाद मैं भी उनके मुँह में ही झड़ गया.
मैंने अपने लंड का सारा माल उनके मुँह के अन्दर ही छोड़ दिया.
मम्मी ने मेरे लंड की रबड़ी खा ली.

कुछ देर आराम से लेटने के बाद मम्मी ने उत्तेजना से कहा- अब मेरी चूत में खुजली होने लगी है. तू मेरी बुर चोदो साले मादरचोद भड़वे … आज चोद डाल अपनी मां चोद दे भोसड़ी वाले. आज अपनी मम्मी की चूत को फाड़ दे साले.

उनकी गालियां सुनकर मुझे और मेरे लंड को भी जोश आ गया और मैंने मम्मी को बेड पर चित लिटाया और लंड सहलाते हुए कहा- साली कुतिया रंडी भैन की लौड़ी तेरी चुत में बहुत खुजली मची है न मादरचोदी रंडी … आज मैं तेरी चुत के सारे कीड़े निकाल दूँगा छिनाल … ले अब अपने बेटे के लंड से चुदाई का मजा ले मां की लौड़ी साली रंडी.

बस मैंने मम्मी की चूत पर अपने लंड के सुपारे को जैसे ही टिकाया, उनके मुँह से कामवासना भरी आवाज निकल पड़ी- आआह आआ … अहूऊओई … ऊफ़्फ़्फ़ … अब साले … अब धक्का मार भी भड़वे!

मैंने एक बार में ही अपना पूरा लौड़ा उनकी कसी हुई चूत में घुसा दिया.

‘ऊऊ ओहह्ह … ऊऊ ऊह्ह मर गई … आह्हह कमीने … भोसड़ी वाले जान निकाल दी तूने …’

मैंने भी कहा- साली कुतिया तेरी चूत तो आज भी बहुत टाईट है … किसी कमसिन लड़की की तरह है.

मैं ये कहते हुए एक शॉट और लगा दिया. मम्मी इस बार और जोर से चिल्ला पड़ीं.
सामने से चाची खिड़की से झांक कर मॉम बेटा सेक्स देखने लगीं.

मम्मी ने उन्हें आंख मार दी. इसके बाद मैं मम्मी की चुत में धक्के पर धक्का लगाने लगा. मम्मी भी अपनी चूत उचका उचका कर लंड के धक्कों का ज़वाब देने लगीं.

बीस मिनट तक धकापेल चुदाई हुई. फिर हम दोनों एक साथ ही झड़ गए.

उस रात मैंने अपनी मम्मी को चार बार चोदा.

उसके बाद मैंने मम्मी के सामने अपनी पड़ोसन चाची को भी चोदा और मम्मी की गांड भी मारी.
चाची के लड़के वीरू ने भी मेरी मम्मी को चोदा.

आप मुझे कमेंट्स करके बताएं कि आपको मॉम बेटा सेक्स कहानी कैसी लगी?
 

junglecouple1984

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सेक्स की प्यासी अम्मी की मदद की


मेरा नाम यासीन है. मेरे घर पर मेरी अम्मी अब्बू, मैं, मेरी बहन ही रहते हैं. बाकी परिवार के चाचा ताऊ वगैरह सब गांव में रहते हैं. हमारे पास बहुत जमीन है, हम बहुत पैसे वाले हैं.

मैं आपको सीधे उस तरफ ले चलता हूँ जहां चुदाई का रस बिखरा पड़ा है.

एक बार जब मेरी अम्मी जुबैदा योगा कर रही थीं, तो मैंने उन्हें ध्यान से देखा. मैं बस अम्मी को देखता ही रह गया. सच में क्या फिगर है मेरी अम्मी का … बहुत बड़े बड़े चूचे. वैसे ही बड़े बड़े चूतड़. सच में मेरी अम्मी की गांड भी बड़ी मस्त है. मेरे सारे पड़ोसी बस उन्हें इसीलिए घूरते रहते हैं.

मेरा दिल अपनी अम्मी पर आ गया. इसके बाद तुरंत मैं बाथरूम में गया और उनको याद करते हुए मैंने दो बार मुठ मार ली. इसके बाद भी मैंने अपना लौड़ा हिलाते हुए अपनी अम्मी की जवानी को याद करता रहा.

इस घटना के बाद मैंने कई बार अपनी अम्मी को बाथरूम में नहाते वक़्त एकदम नंगी देखा है … पर उधर मैं कभी उनको ज्यादा ठीक से देख नहीं पाया.

फिर मुझे एक आइडिया आया. मैंने मेरे फोन का कैमरा चालू करके गीज़र के ऊपर रख दिया और उनकी फिल्म बनने का इन्तजार करने लगा. उस समय अम्मी के नहाने का वक्त हो गया था. मैं बाहर आ गया और उनके बाथरूम में जाते ही मैं सोचने लगा कि कहीं मेरी अम्मी की नजर मोबाइल पर न पड़ जाए.

अम्मी अपने कपड़े लेकर बाथरूम में नहाने चली गई. मैं इंतजार कर रहा था कि अम्मी का नहाना कब पूरा हो.

थोड़ी देर बाद अम्मी नहा कर बाहर आ गईं. मैं पेशाब का बहाना बना कर झट से बाथरूम चला गया. मैंने दरवाजा बंद करके फोन उठा कर देखा तो उसमें सब कुछ रिकॉर्ड हो चुका था.

मैं उस समय वो वीडियो नहीं चला सकता था क्योंकि मुझे कॉलेज जाना था और घर में अब्बू भी थे. मैंने वीडियो नहीं देखा, बस मोबाइल अपनी जेब में रखा और बाथरूम से बाहर आ गया.

मैं कॉलेज गया और मेरा मन था कि उधर कहीं एकांत में मोबाइल चला कर वीडियो देख लूं … मगर उधर दोस्तों के कारण मैं वीडियो नहीं देख सका.

कॉलेज में पूरे समय मेरा मन ही नहीं लग रहा था. मेरा मन तो कर रहा था कि कब कॉलेज खत्म हो और कब मैं वो वीडियो देख लूं.

उस दिन टाइम तो जैसे आगे बढ़ ही नहीं रहा था. जैसे तैसे कॉलेज खत्म हो गया और मैं घर आ गया.

मेरे घर आते ही अम्मी ने दरवाजा खोला. उन्होंने टाइट टी-शर्ट पहन रखी थी. उनके बड़े बड़े चूचे मेरे सामने मस्त दिख रहे थे. मैं बस उनके मम्मों को ही देखता रहा.

अम्मी ने कहा- खाना वहां टेबल पर रखा है … खा लेना. मैं अपनी फ्रेंड्स के साथ कहीं बाहर जा रही हूँ … और रात को 9 बजे तक आ पाऊंगी.
ये कह कर अम्मी चली गईं.

उस समय अब्बू भी ऑफिस गए हुए थे. वो 8 बजे से पहले घर नहीं आते थे.

घर में बाकी कोई भी नहीं था. मेरी बहन भी बाहर गई हुई थी. बस फिर क्या था. मेरे दिल में लड्डू फूटने लगे. अम्मी के जाते ही मैंने दरवाजा लगा दिया … जल्दी जल्दी खाना खाया और प्लेट वगैरह धुलने में रख कर कमरे की तरफ आ गया.

पहले मैं अम्मी के कमरे में गया. उनके कमरे में उनकी अलमारी का ड्रॉवर खुला ही था. शायद वो जल्दी जल्दी में बंद करना भूल गई थीं. ड्रॉवर से उनके अंडरगारमेंट्स ब्रा पैंटी कैमीजोल वगैरह बाहर निकल रहे थे.

मैंने अम्मी की पैंटी को बाहर निकाला और सूंघने लगा. उनके पैंटी से मदहोश करने वाली महक आ रही थी.

बस फिर क्या था. मैंने अपने कपड़े उतारे और अम्मी के बेड पर लेट कर मोबाइल का वीडियो चालू कर दिया. मेरे एक हाथ में मेरी अम्मी की पैंटी थी. जिससे मैं लंड पर सहला रहा था.

मोबाइल में वीडियो चालू होते ही मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.

क्या मदमस्त जिस्म था मेरी अम्मी का … बहुत बड़े बूब्स, बड़ी सी गांड और आज तो अम्मी की चुत के दर्शन भी हो गए थे. उनकी चुत देख कर ऐसा लगा, जैसे अब्बू अम्मी को चोदते ही नहीं होंगे. एकदम टाईट चुत थी.

फिर मैं मस्ती से अम्मी का वीडियो देख कर लंड की मुठ मार रहा था, तभी अचानक से डोरबेल बजी. मैं डर गया. मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहने और दरवाजा खोला. तो अम्मी वापस आ गई थीं.

मैंने उनकी तरफ देखा.

तो वो बोल रही थीं कि बाहर जाना कैंसल हो गया.

उनकी बात सुनकर मेरा मूड ऑफ हो गया … क्योंकि मैंने अभी तक पूरा वीडियो देखा ही नहीं था.

फिर मैं बाहर चला गया और शाम को देर से आया उस समय रात के दस बजे थे. मेरे आने के बाद अम्मी ने खाना लगाया. अब्बू भी आ गए थे. हम सबने खाना खाया.

थोड़ी देर बाद हम सोने के लिए चले गए. रात के 12 बज चुके थे.

मैंने फिर से वीडियो चालू कर दिया और देखने लगा. मुझे उसी समय अम्मी के कमरे से कुछ आवाजें सी आने लगीं.

मैंने उठ कर देखा तो उनके कमरे की खिड़की थोड़ी खुली हुई थी और अब्बू अम्मी को ज़ोर ज़ोर से चोद रहे थे. अम्मी उनके नीचे दबी हुई चुद रही थीं और ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थीं.

अब्बू अम्मी से बोले- साली ज्यादा चिल्ला मत … बच्चे उठ जाएंगे.

अम्मी चुप हो गईं. अब्बू अम्मी को किस करने लगे, तो अम्मी की कामुक आवाज़ हल्के स्वर में गूँजने लगीं- उम्म. … उम. … उम … आज आपको क्या हो गया … इतने दिन बाद मेरे ऊपर चढ़ गए हो … उम्म्म्म. … जल्दी मत झड़ जाना … आज पूरा मजा देना.

अब्बू बस अम्मी की चुत चुदाई में लगे रहे. वे हांफने लगे थे और थोड़ी देर बाद अब्बू झड़ कर अम्मी के ऊपर ही सो गए.

अम्मी ने उन्हें अपने ऊपर से हटा कर बाजू में धकेल दिया और उनका रोना पीटना चालू हो गया. अम्मी बोल रही थीं- हम्म … बस तुम्हारा हो गया … झड़ गए … मेरी आग अब कौन शांत करेगा?

अब्बू कुछ बोले नहीं और वैसे ही पड़े रहे.

अम्मी उनसे बोल रही थीं- अब तुम मुझे चोद ही नहीं सकते … पहले वाली बात ही नहीं रही तुममें. पूरे 6 महीने हो गए, अब तक मेरी आग नहीं बुझी है.

ये कह कर अम्मी अपनी चुत में उंगली करनी लगीं. वो बड़बड़ा रही थीं.

थोड़ी देर बाद अम्मी भी झड़ गईं और अब्बू से दूर होकर सो गईं.

अब मैं भी रूम में आ गया. मैंने मुठ मारी और सो गया.

जब अगले दिन सुबह हम सब नाश्ता कर रहे थे, तो अब्बू मुझसे बोले कि मैं और तेरी बहन शादी में बाहर जा रहे हैं.हम दोनों को तीन दिन लगेंगे. तुम अपनी अम्मी का ख्याल रखना.

अब्बू की बता सुनकर तो मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे. मैं बस आज ठान ही लिया था कि अम्मी को इन तीन दिनों में पूरी तरह से संतुष्ट कर देना है उन्हें खूब चोदना है बस … और कुछ नहीं.

इसके बाद मैं कॉलेज गया और कॉलेज खत्म होने से पहले ही घर पर आ गया.

मैंने डोरबेल बजाई, तो अम्मी ने दरवाजा खोला. अम्मी ने टाइट ब्लाउस पहना हुआ था, जिसमें से ब्रा की स्ट्रीप मुझे दिख रही थी. उन्होंने साड़ी पहनी थी.

मैं अम्मी को देखने लगा वो बड़ी खूबसूरत दिख रही थीं.

अम्मी ने पूछा- आज जल्दी कैसे आ गया?
मैंने कहा- बस आज कॉलेज में पढ़ाई ही नहीं हो रही थी … तीन फैकल्टी आई ही नहीं थीं.
अम्मी ने कुछ नहीं कहा.

फिर हम दोनों ने खाना खाया.
मैंने कहा- अम्मी मुझे पढ़ना है … मैं कमरे में जा रहा हूँ.

ये बोल कर में अपने रूम में आ गया और एक बार मुठ मार कर बिस्तर पर सो गया. उस दिन मुझे इतनी गहरी नींद आई कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब रात के 9 बज गए.

फिर अम्मी ने मुझे उठाया, मैंने खाना खाया. मैं सोच रहा था कि आज तो घर पर कोई भी नहीं था. फिर थोड़ी देर बाद मैं सोने जाने का नाटक करने लगा. मैं रूम में गया और ऐसे ही बेड पर आंख बंद करके लेट गया.

थोड़ी देर बाद अम्मी मुझे देखने आईं कि मैं सोया या नहीं.

अम्मी के आते ही मैंने आंखें बंद करके सोने का नाटक करने लगा. अम्मी को लगा कि मैं सो गया हूँ. इसके बाद अम्मी अपने कमरे में चली गईं.

अम्मी के जाने के कुछ देर बाद मैं भी उनकी कमरे की ओर चला गया.

मैंने अम्मी के कमरे में देखा, तो अम्मी साड़ी उतार रही थीं. धीरे धीरे उन्होंने अपने सारे कपड़े उतार दिए. अब अम्मी खुद अपने हाथों से ही अपनी चूचियां दबा रही थीं … और चुत में उंगली कर रही थीं.

थोड़ी देर बाद अम्मी ने अलमारी से वाइब्रेटर निकाला और अपनी चुत पर रख कर उससे मजा लेने लगीं. जब वाईब्रेटर चुत की फांकों में करतब दिखा रहा था तब उनकी कामुक आवाजें निकल रही थीं.

वो अपनी आंखें बंद करके मजे ले रही थीं. मैंने सोचा कि इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा. मैंने धीरे से खिड़की के दरवाजे खोले और उनके कमरे में अन्दर चला गया.

अम्मी ने कभी खिड़की बंद नहीं करती थीं.

मैं दबे पांव अन्दर चला गया और पास से अम्मी को मजा लेते हुए देखने लगा. अम्मी की आंखें बंद थीं और वो मदहोश थीं इसलिए उनको मेरे आने की खबर ही न हुई.

फिर अचानक से अम्मी की आंखें खुल गईं और वो मुझे देख कर एकदम से सहम गईं.

अम्मी खुद को ढकते हुए बोलीं- त..तू यहां क्या कर रहा है?
मैंने भी झट से जवाब दिया- मैंने कल रात को आपके कमरे से कुछ आवाज़ सुनी थीं … और मैंने सब देख लिया था.
अम्मी ने कहा- हां तो … ये तो हर पति पत्नी के बीच होता है. तुम्हें अपनी अम्मी को ऐसे देखने में शरम नहीं आई?

मैंने शान्ति से कहा- आप अब्बू से संतुष्ट नहीं हैं … मुझे पता है.
तो अम्मी बोलीं- वो कुछ भी हो … तुम मेरे बेटे हो … तुम्हारे और मेरे बीच कुछ भी नहीं हो सकता … तुम यहां से जाओ.
मैंने कहा- अम्मी किसी बाहर वाले से चुदवाने से तो अच्छा है कि घर के घर में ही आपको शांति मिल जाए.
अम्मी मेरे ऊपर ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगीं- तेरे अब्बू को आने दे … मैं उनको सब बताती हूँ.

मैं समझ गया कि कुछ अलग करना पडेगा.

मैंने अपना आखिरी हथियार पेश किया. मैंने अम्मी के सामने उनका बाथरूम वाला वीडियो चला दिया … जिसमें वो अपनी चुत में उंगली कर रही थीं.
अम्मी बोलीं- तुमको शरम नहीं आती, अम्मी की वीडियो बना ली है.
मैंने कहा- मुझे पता है आप हर शनिवार को कहां जाती हो.

फिलहाल मैंने तो ऐसे ही तुक्का मारा था. लेकिन मेरा ये तुक्का निशाने पर लग गया.

वो घबराकर बोलने लगीं- क..क्या पता है तुम्हें?
मैंने कहा- मैं भी अब्बू को ही बताऊंगा. आप भी बता देना.

ये सुनकर उनकी हवाइयां उड़ने लगीं. चेहरे पर होश उड़े दिखने लगे. अम्मी ने कहा- ठीक है … तुम्हें जो करना है, वो करो … पर अब्बू को कुछ मत बताना.
फिर अम्मी ने चादर हटा दी और मुझसे बोलीं- अपने कपड़े उतारो.

मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए और अम्मी के पास बेड पर आ गया.

अम्मी ने पूछा- आज तक किया है किसी लड़की के साथ?
मैंने कहा- मैंने तो बस मुठ मारी है.
अम्मी बोलीं- चल आज तुझे चूत चोदना सिखा देती हूँ.

इतना बोल कर अम्मी ने मेरा अंडरवियर निकाला और मेरा खड़ा लंड देख कर बोलीं- बेटा, तेरा लंड तो तेरे अब्बू से भी बड़ा है.
वो मेरे लंड को सहलाने लगीं.

फिर मेरा एक हाथ उन्होंने अपनी चुत पर रख दिया … और चुत रगड़ने के लिए बोलीं.
मैं भी मस्ती से अपनी अम्मी की चुत रगड़ रहा था. क्या मालदार चुत थी मेरी अम्मी की … आह क्या बताऊं.

मैं उनके मम्मों की तरफ देख रहा था.
अम्मी बोलीं- दूध पीना है मेरे शोना को?
मैंने भी गर्दन हिला दी और अम्मी ने मेरा सर अपने मम्मों के बीच घुसेड़ दिया.

अब मैं अम्मी के एक बूब को चूस रहा था और दूसरा दबा रहा था. अम्मी भी मज़े ले रही थीं.

फिर अम्मी ने मेरा सर मम्मों से निकाला और मुझे वो किस करने लगीं. मैं भी अम्मी के मजे ले रहा था.

थोड़ी देर बाद अम्मी ने अपनी टांगें फैलाईं और बोलीं- मेरी मुनिया का स्वाद चखेगा ज़रा!
मैंने भी अम्मी के चुत में मुँह घुसेड़ दिया और उनकी चुत चाटने लगा.

आह क्या नमकीन मस्त चुत लग रही थी. मैं धीरे धीरे चाटते हुए चुत चूसने लगा.
अम्मी मादक आवाजें निकालने लगीं आ … आआआ … एयेए.
कुछ देर बाद मेरी अम्मी झड़ गईं और थोड़ी देर वो वैसे ही निढाल पड़ी रहीं.

कुछ देर बाद अम्मी ने उठकर मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया और लंड चूसने लगीं.

कोई दो मिनट बाद मैंने भी पानी छोड़ दिया. अम्मी सब लंड रस गटक गईं मगर तब भी वो मेरे झड़े हुए लंड को चूसे जा रही थी.

इसका नतीजा ये निकला कि मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने अम्मी से इशार किया तो वो समझ गईं. अब हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए. मैं भी अम्मी के चुत चाट रहा था. हम दोनों मजे ले रहे थे.

फिर अम्मी उठ कर घूम गईं. में नीचे लेटा था और वो मेरे ऊपर बैठ कर चुत में लौड़ा सैट करने लगीं. लौड़ा सैट करके अम्मी लंड पर झटके से बैठ गईं.

मेरा लंड लीलते ही अम्मी की एक तेज आवाज़ निकल गई- आआह … मर गई … कितनी अन्दर तक चला गया..

फिर वो एक पल के रुक गईं. मैंने उनकी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया था. फिर वो लंड को एडजस्ट करके अपनी कमर ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे करने लगी.

अम्मी- तेरा लंड तो बहुत बड़ा है रे … अपने अब्बू से काफी बड़ा लंड है रे तेरा … मेरी बहू के तो मजे रहेंगे.

वो ज़ोर ज़ोर से घोड़ी की तरह अपनी गांड हिलाते हुए मेरे लंड से चुत रगड़वा रही थी.

कोई पांच मिनट बाद वो थक गई थीं. फिर अचानक से अम्मी झड़ गईं … और मेरे सीने पर ही लेट गईं.

उनकी चूचियां मेरे सीने से दब रही थीं. मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था. लेकिन मेरा अभी भी नहीं हुआ था.

मैंने अम्मी से कहा, तो वो बोलीं- तू मेरे ऊपर आ जा.
तो मैंने उन्हें नीचे उतरने को कहा, वो उतर गईं और बेड पर सीधी लेट गईं.

मैं उनकी चुत चाटने लगा और इसके बाद उनकी टांगें फैलाकर मैं उनकी चुत पर लंड सैट करके बैठ गया.

लंड ने चुत की फांकों में अपना टोपा फिराया और इसके ठीक बाद मैंने अचानक से पूरा लौड़ा अम्मी की चुत में पेल दिया.

अम्मी की चुत काफ़ी टाइट थी, पर लंड चिकनाई के कारण अन्दर सरकता चला गया.

अम्मी ज़ोर से चिल्ला दीं- आहाहा मर गई … साले फाड़ दी मेरी.
मैंने उनकी चीख पुखार नजरअंदाज कर दी और ज़ोर ज़ोर से झटके देने लगा.

कुछ देर बाद अम्मी फिर से झड़ गईं और थोड़ी देर बाद मैं भी झड़ने वाला था.

मैंने अम्मी से कहा- कहां निकालूं?
अम्मी बोलीं- अन्दर ही निकल जा.

मेरा लावा अम्मी की चुत में फूट पड़ा और मैं झड़ जाने के बाद अम्मी के ऊपर ही लेट गया.

मैं उनकी चूचियों को चाट रहा था और किस भी कर रहा था.
अम्मी बोलीं- मुझे तो मेरी सुहागरात ही याद आ गई.

हम दोनों बातें करते करते वैसे ही सो गए. सुबह बेल बजी तो मेरी आंख खुली.
मैं घबरा गया.

अम्मी बोलीं- घबरा मत, सो जा … दूध वाला आया है. मैं लेकर आती हूँ.

अम्मी नाइटी पहन कर चली गईं और दूध लेकर वापस दरवाजा बंद करके अन्दर आ गईं. अम्मी ने नाइटी उतारी और मेरे पास आने लगीं.

मैंने अम्मी से पानी माँगा. तो अम्मी नंगी ही किचन में पानी लेने जाने लगीं. उनकी गांड देख कर मेरा लौड़ा फिर से उठ गया.

अम्मी पानी लेकर आईं और पूछने लगीं- रात को मज़ा आया बेटा?
मैंने कहा- नहीं अम्मी … अभी तो मुझे आपकी गांड भी मारनी है.
अम्मी ने कहा- नहीं बेटा उधर बहुत दर्द होता है.
मैंने कहा- मगर मुझे तो चाहिए … नहीं तो मैं अब्बू को बता दूँगा.
अम्मी गुस्से से मेरी ओर देखती हुई बोलीं- ठीक है … गांड भी मार ले.
मैंने पूछा- ऐसे क्यों कह रही हो … आपने पहले गांड में भी लंड लिया है न.

मैंने फिर से तुक्का मारा था. वो समझ गईं कि मैं सब जानता हूँ.

अम्मी को खुद भी गांड मरवाने का मन था, पर वो मेरे सामने स्वीकार नहीं करना चाहती थीं.

अब अम्मी अपनी नंगी गांड लेकर मेरे पास आई. मेरे पास बैठ कर मुझे किस करने लगीं. वो मेरा लौड़ा सहलाने लगीं.
मैं उनकी चूचियां मसलने लगा.

मैंने कहा- अम्मी उठो और घोड़ी स्टाइल में आ जाओ.

वो कुतिया बन गयी. उनकी चूचियां नीचे लटक रही थीं और उनकी गोल गांड देख कर मुझे रहा नहीं जा रहा था.

मैंने शुरुआत की … और लंड गांड में पेल दिया. अम्मी ने भी मजे से गांड मरवाई.

अब वो मुझसे पूरी तरह से खुल गई थीं. सारे दिन हम दोनों ने पांच बार चुदाई की दो बार गांड मारी और तीन बार चुत लंड का खेल खेला.

उस रात मैंने अम्मी के साथ व्हिस्की का मजा भी लिया और अम्मी ने मुझे सिगरेट भी पिलाई.

अब हम दोनों ने ऐसे ही 3 दिन बहुत माजे किए. रात और दिन हमारे ऊपर सिर्फ सेक्स ही चढ़ा रहा.

अब्बू के आने के बाद भी हम दोनों छिप छिप सेक्स करते रहे.

जब अब्बू ऑफिस चले जाते थे और सिस्टर अपनी कोचिंग क्लास में होती थी. तब अम्मी मुझे फोन कर देती थीं. मैं कॉलेज से वापस आ जाता और हम दोनों चुदाई के मजे कर लेते.

दोस्तो, कैसे लगी माँ सेक्स स्टोरी हिंदी … जरूर बताना कमेंट्स करना न भूलना प्लीज़.
 
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