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Incest All short story collected from Net

आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

  • माँ - बेटा

  • भाई - बहेन

  • देवर - भाभी

  • दामाद – सासु

  • ससुर – बहु


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junglecouple1984

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बरसात की रात में दीदी की चूत चुदाई



दोस्तो, मेरा नाम रवि कुमार है.

मेरी बहन का नाम दीक्षा है. वह मुझसे 5 साल बड़ी है.
दीक्षा का जिस्म काफ़ी अच्छा है. उसके मम्मे तो ज्यादा बड़े नहीं हैं पर इतने हैं कि किसी भी लड़के का मन उनको चूसने का करेगा.

मम्मों के साथ ही मेरी बहन की गांड की तो क्या ही बात है.
साली जब मटक कर चलती है न … तो उसकी गांड इस तरह से हिलती है मानो अभी अभी चुद कर आ रही हो.

आज मैं आपको अपनी दीदी के साथ की गई चुदाई की कहानी बताने जा रहा हूँ.
उम्मीद है कि बहन चुदाई का मजा कहानी आपको पसंद आएगी.

यह बहन चुदाई की बात तब की है, जब मैं फर्स्ट ईयर में था और दीदी की मास्टर की डिग्री कंप्लीट हो चुकी थी.

एक दिन घर पर कोई नहीं था; सिर्फ़ मैं और मेरी दीदी ही थी.

उस दिन हम दोनों ने काफ़ी समय एक साथ व्यतीत किया; घर के सारे काम किए और काम करते करते रात हो गई.

फिर हम दोनों ने खाना खाया और सोने चले गए.
दीदी और मैं एक ही रूम में एक ही बेड पर सोते हैं.

उस दिन मुझे नींद नहीं आ रही थी,तो मैंने दीदी से बात करना शुरू की.
मैंने उससे पूछा- आपने कभी किसी को किस किया है?

इस तरह की बात सुनकर मेरी दीदी एकदम से अचकचा गई और बोली- आज ऐसा सवाल क्यों?
मैंने कहा- अरे बताओ ना!

तो दीदी बोली- नहीं, क्या तूने किया है?
मैंने कहा- मेरे इतने अच्छे दिन कहां आ रहे हैं.

वह हंसने लगी.

थोड़ी देर ऐसे ही बात करते हुए मैंने बोल दिया- दीक्षा दीदी, क्या मैं आपको किस कर सकता हूँ.
दीदी इस बात पर चुप हो गई.
फिर वह मुझे देख कर बोली- चल अब सो जा.

मैं ज़िद करने लगा कि प्लीज़ बस एक किस करने दो न … प्लीज़ दीदी!
मगर वह आंख बंद करके सोने का नाटक करने लगी.

थोड़ी देर बाद मैं उठा और बालकनी में जाकर खड़ा हो गया.
उस दिन बारिश भी शुरू हो गई.

मैं दीदी को चोदने को लेकर सोचने लगा.
मैंने सोचा कि मुझे ऐसा नहीं कहना चाहिए था, कल सुबह दीदी को सॉरी बोल दूँगा.

फिर मैं भी बिस्तर पर अपनी साइड आकर सोने की कोशिश करने लगा.
लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी.

बिस्तर पर अपने सामने दीदी एकदम घोड़े बेच कर सो रही थी.
उसका मुँह मेरी तरफ था.

पता नहीं मुझे क्या हुआ, दीदी के चेहरे को देख कर मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया.
मुझे समझ नहीं आया, पर अच्छा भी लग रहा था.
मैं बस अपनी दीदी को देख कर अपना लंड पजामे के अन्दर हिला रहा था.

कुछ देर बाद मैं दीदी के चेहरे के थोड़ी पास गया और मुझे उसकी सांसें महसूस होने लगीं, जिसकी वजह से मेरे लंड से पानी निकल गया.
पर मेरा मन अभी भरा नहीं था.

उधर दीदी ने करवट ले ली और उसकी गांड मेरे लंड के सामने हो गई.
दीदी की गांड की देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.

अपने लंड को पजामे के अन्दर खड़ा करके मैं दीदी की गांड के साथ लगाने लगा.
मैं धीरे धीरे धक्के भी मार रहा था और दीदी की गांड को टच भी कर रहा था.

तभी उसने फिर से पलटी मारी और मेरी तरफ अपना मुखड़ा कर लिया.
मुझे लगा कि शायद इसको पता लग गया है कि कि मैं क्या कर रहा हूँ.

मैं डर गया और अपने लंड को हटा लिया.
पर मेरे मन में कुछ और ही करने का प्लान था.
मैंने अपना लंड पजामे से बाहर निकाला और दीदी को देख कर हिलाने लगा.

कुछ देर बाद मैंने अपने चेहरे को दीदी के चेहरे के पास लिया और उसके होंठों को किस कर लिया.
मुझे उसके होंठों का स्पर्श बहुत अच्छा लगा.

मैंने फिर से अपना थूक अपनी जीभ से दीदी के होंठों पर लगा दिया और अपनी आंखें बंद कर दीं.

जैसे ही मैंने आंखें बंद की, दीदी जाग गई.
वह बोली- रवि, अपनी साइड पर जा.

मैं डर गया था और सोने का नाटक करने लगा था.
दीदी ने मुझसे फिर से कहा कि अपनी साइड पर जा.

पर मैं नहीं गया और अपनी आंखें खोल कर दीदी के ऊपर चढ़ गया और उसे किस करने लगा.
दीदी चिल्लाने लगी- यह क्या कर रहा है … हट मेरे ऊपर से!

पर मैं अब कहां हटने वाला था, मैं उसे किस कर रहा था, कभी उसके मम्मे दबा रहा था.

दीदी बोली- प्लीज़ उठ जा!
मैंने कहा- दीदी आज नहीं, मुझे आपसे प्यार हो गया है. आपको चोद कर मैं अपना बनाना चाहता हूँ.
दीदी बोली- ऐसा नहीं हो सकता.

मैं रुका नहीं और बस दीदी के साथ चुम्मा चाटी करने लगा.
कुछ देर बाद दीदी हार मान गई और बोली- ठीक है, पर पहले मेरे ऊपर से उठ. सही से करते हैं.

मैं सरक कर बाजू में लेट गया.

दीदी ने कहा- तू ऐसा क्यों कर रहा है?
मैंने कहा- मुझे आपसे प्यार हो गया है. मैं आपको अपनी पत्नी बनाना चाहता हूँ.

यह सुनकर दीदी चौंक गई और बोली- तुझे मुझसे कब प्यार हो गया है … और यह सब कब हुआ?
मैंने कहा- जब आप सो रही थीं, तब हुआ.

यह सुनकर वह हंसने लगी और बोली- क्या अच्छा लगा मुझमें?
मैंने कहा- सब कुछ … आपके होंठों आपकी आंखें आपके …

दीदी बोली- क्या आपके?
मैं सर नीचे करते हुए बोल- आपकी गांड और मम्मे.

दीदी हंसने लगी.
मैंने दीदी को फिर से एक किस किया और साइड हो गया.

दीदी ने कहा- ठीक है, मुझे भी तुझसे प्यार है.
यह सुनते ही मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसे किस करने लगा.
बहन चुदाई के लिए तैयार हो गयी तो इस बार वह भी मेरा साथ देने लगी.

उसके होंठ मेरे होंठों से जुड़े हुए थे और वह भी मुझे चूम रही थी.
उसकी गर्म सांसों को महसूस करते हुए मुझे बड़ा सुकून मिल रहा था.

कुछ ही देर में मैंने अपनी जीभ दीदी के मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी.

उसकी जीभ चूसने से मैं एकदम से गनगना गया और मेरे हाथ भी हरकत करने लगे.
अब मैं अपनी बहन के मम्मे भी दबा रहा था, उसकी जीभ को अपनी जीभ से टच कर रहा था.
हमारी लार एक दूसरे के मुँह में आ जा रही थी.

फिर मैं उसके ऊपर से उठा और दीदी से बोला- मेरी एक फैन्टेसी है, जो मुझे आपके साथ करनी है.
दीदी चुदास भरे स्वर में मेरे लौड़े को सहलाती हुई बोली- और वह फैन्टेसी क्या है?

मैं- पहले मेरे साथ छत पर चलो.
दीदी ने कहा- बाहर बारिश हो रही है.

मैंने कहा- प्लीज़ चलो न!
वह मान गई और हम दोनों छत पर जाने लगे.

मेरी बहन मेरे आगे आगे चल रही थी, मैं पीछे था और उसकी गांड दबाता हुआ चल रहा था.

वह भी खिलखिलाती हुई मेरे हाथों से अपनी गांड मसलवाने का मजा ले रही थी.

जैसे ही हम दोनों छत पर पहुंचे, हम दोनों गीले हो गए.
पानी बरसने के कारण चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था.
वैसे भी हमारे घर की छत पर काफी ऊंची मुंडेर बनी है, जिस वजह से आस पास की छतों से हमारी छत पर क्या हो रहा है, यह देख पाना संभव नहीं है.

मैंने कहा- मुझे आपके साथ बारिश में चुदाई करना है.
दीदी मेरे लौड़े को पकड़ती हुई बोली- अच्छा, तो यह है तेरी फैन्टेसी?
मैंने कहा- हां.

वह बोली- ठीक है, चल करते हैं. पहले जल्दी से नंगा हो जा.

मैंने दीदी को किस किया और उसके मुँह में थूका. वह भी मेरे साथ सेक्स का मजा लेने लगी.
मैं छत पर लेट गया और दीदी के कपड़े फाड़ने लगा और उसे नंगी करके चूत चाटने लगा.

उसकी चूत पर झांटें उगी थीं, लग रहा था जैसे उसने काफी दिनों से अपनी झांटें नहीं साफ की थीं.

मैंने अपने अंडरवियर को भी उतार दिए.
उधर बहन पूरी नंगी थी.

मैं उसका पूरा गीला जिस्म चाटने लगा और दीदी से बोला- चल रंडी दीक्षा … अपने पति का लंड चूस!

वह भी किसी लंडखोर रांड की तरह मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
मैं भी 69 में हो गया और उसकी चूत चाटने का मजा लेने लगा.

बारिश में पानी के साथ चूत के पानी का रस मिल कर बड़ा मजा दे रहा था.
थोड़ी देर बाद मेरी रंडी बहन बोली- मुझे वॉशरूम जाना है, पेशाब करने.

मैंने कहा- सुन मेरी रंडी, आज से तू पेशाब मेरे ऊपर ही करेगी. चल खड़ी हो जा और मेरे मुँह पर मूत दे.

वह मेरे ऊपर खड़ी होकर पेशाब करने लगी.
मुझे उसकी पेशाब की गर्म धार अपने मुँह पर लेकर बहुत अच्छा लग रहा था.

जैसे ही उसने पेशाब कर लिया, मैंने उसे लेटा लिया और उसके ऊपर पेशाब करने लगा.
मैंने धार मारते हुए कहा- पी जा साली कुतिया.

वह मेरा मूत पीने लगी.
लंड से पेशाब पिलाने के बाद मैंने अपना लंड उसके मुँह में ही दे दिया और वह चूसने लगी.

कुछ देर के बाद मेरा लंड खड़ा हो गया और मैंने दीदी की चूत में अपना लंड पेलने के लिए आसन बना लिया.

वह बोली- आराम से पेलना.
मैंने कहा- क्यों कभी लिया नहीं है क्या?

वह बोली- हां लंड कभी नहीं लिया है.
मैंने पूछा- लंड कभी नहीं लिया है … इस बात का क्या मतलब है?

वह हंस कर बोली- मैंने अभी तक अपनी चूत सिर्फ गाजर मूली से चोदी है.
मैंने कहा- चल, आज असली गाजर से तेरी चूत की सर्विस करता हूँ.

यह कह कर मैंने लंड को चूत में पेला और धक्के मारने लगा.
दीदी चिल्लाने लगी- आह भाई आराम से चोद न … दर्द हो रहा है.

मैंने कहा- साली रंडी, मैं तेरा पति हूँ, भाई नहीं!
वह भी हंसती हुई बोली- ठीक है पतिदेव, पर आराम से चोद न साले … हरामी बहनचोद.

उसके मुँह से गालियां सुन कर मुझे जोश आ गया और मैंने चोदने की स्पीड तेज़ कर दी.
मैंने भी उसे गाली देते हुए लंड की ठोकर मारी- ले मां की लौड़ी रंडी … लंड खा ले कुतिया आह आह तेरी चूत को चोद चोद कर भोसड़ा बना दूंगा. न जाने कब से तेरी जवानी को चखना चाहता था.

वह भी बोली- हां साले लंड के … मैं भी न जाने कब से तेरे लंड से अपनी चूत फड़वाना चाह रही थी.
बस इसी तरह की सनसनी भरी बातों से हम दोनों में चुदाई का युद्ध होने लगा.

थोड़ी देर बाद मैं उसकी फुदी में ही झड़ गया.
जब मैंने लंड बाहर निकाला, तो दीदी मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी.

बारिश में दीदी को चोद कर मज़ा आ गया था. उसके बाद मैंने दीदी को अपनी बांहों में उठाया और कमरे में ले गया.
उधर हम दोनों ने एक बार फिर से चुदाई शुरू कर दी और नंगे ही सो गए.

 

junglecouple1984

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गांव वाली भाभी को पटा कर चोदा




दोस्तो, मेरा नाम अभय है. मैं एक छोटे से गांव से हूँ.

मेरी ये नई सेक्स कहानी मेरी बुआ की बहू यानि कि मेरी भाभी की चुदाई की है कि कैसे मैंने भाभी को पटा कर उनको चोद दिया.
बुआ के बेटे की शादी कुछ महीने पहले ही हुई थी.

ये कहानी आज से एक महीना पहले की है.

मैं भाभी के पीछे कई दिनों से लगा हुआ था. मैं उनको पटाने के लिए हर कोशिश कर रहा था पर मुझे अब तक सफलता नहीं मिली थी.

हमेशा से ही मैं और भाभी फोन पर बातें करते थे.
मैं उनसे बहुत मजाक भी किया करता था.

एक दिन मैंने मजाक में ही भाभी से बोल दिया कि भाभी जी मैं आपके साथ सेक्स करना चाहता हूँ.

भाभी बोलीं- भैया, यह आप क्या बोल रहे हैं. नहीं, ये नहीं हो सकता है.
बस यह कह कर भाभी ने फोन रख दिया.

फिर दूसरे दिन मैंने उनको कॉल किया.
तो भाभी ने फोन काट दिया.

मैंने फिर से लगाया.
तब कहीं जाकर दो तीन बार में भाभी ने फोन उठाया.

मैंने कहा- सॉरी भाभी, मैं बहक गया था. मुझे माफ़ कर दीजिए!
भाभी बोलीं- ओके ठीक है, कोई बात नहीं.

मैं फिर से बोला- एक बात बोलूँ भाभी … आप बुरा तो नहीं मानेंगी?
तो भाभी बोलीं- हां बोलिए!

मैं बोला- भाभी आपको देख कर किसी का भी मन डोल जाएगा क्योंकि आप बहुत सुन्दर हैं.
इस पर भाभी हंस कर बोलीं- मन डोल जाएगा, इसका क्या मतलब है?

मैं बोला- छोड़िए भाभी जी. आप बुरा मान जाएंगी!
भाभी बोलीं- आप बताइए ना. मैं बुरा नहीं मानूँगी.

मैं बोला- मन डोल जाएगा से मतलब है कि किसी का भी आपको चोदने का मन करने लगेगा.
भाभी हंसती हुई बोलीं- किसी की हिम्मत ही नहीं होगी कि वह मुझे चोद सके … सिवाए आपके भैया के!

उनके मुँह से चोद सके शब्द सुनकर मैं कुछ खुल गया और बेधड़क बोला- एक में हिम्मत है.
भाभी बोलीं- किस में हिम्मत है?

उनकी इस बात पर मैं बोला- मेरे में हिम्मत है, आप चाहें तो आजमा कर देख सकती हैं.
भाभी बोलीं- ऐसा हो ही नहीं सकता कि आप में मुझे छूने की भी हिम्मत आ जाए.

तो मैं बोला- आप बाजी लगा कर देख लो. अगर मैं हार गया तो आप जो बोलोगी, मैं वह करूंगा … और अगर आप हार गईं तो मैं आपको जो बोलूंगा … वह आपको करना होगा.
कुछ देर सोचने के बाद भाभी बोलीं- ठीक है.

फिर मैंने फोन काट दिया.

अब मैंने अपनी बुआ से उनके फोन पर बात की.
तब बुआ बोलीं- मैं और तुम्हारे फूफा, व भैया कोलकाता जा रहे हैं, तुम यहां पर आते जाते रहना.

यह सुनकर तो मेरी बाँछें खिल गईं … साली लॉटरी ही लग गई.
मैं बोला- ठीक है.

उन सबके चले जाने के दो तीन दिन के बाद मैं भाभी के घर गया तो भाभी ने मुझे बड़े सम्मान के साथ बिठाया और मेरे लिए नाश्ता लगा लाईं.

नाश्ते की प्लेट रख कर भाभी बोलीं- मैं बस अभी आई. चाय ला रही हूँ.

कुछ देर के बाद चाय भी आ गई.
उसके बाद भाभी किचन में चली गईं और खाना आदि बनाने लगीं.

मैं धीरे से उठा और मैंने मुख्य दरवाजा लॉक कर दिया.
फिर आकर बैठ गया और भाभी से बातें करने लगा.

भाभी भी मुझसे हंस हंस कर बातें कर रही थीं और अपने काम में मशगूल हो गई थीं.
मैं धीरे से उठ गया और भाभी के पीछे जाकर उनको कस कर पकड़ लिया और उनकी चूचियों को पकड़ कर मसल दिया.

इस पर भाभी अचानक से डर गईं और बोलीं- ये क्या कर रहे हो … छोड़ो मुझे … ये गलत है!
लेकिन मैंने उन्हें नहीं छोड़ा और भाभी के पीछे से ही उनकी गांड में उंगली को घुसा दिया.

मैंने उनकी साड़ी के ऊपर से ही उंगली की थी.
इस पर भाभी आगे की तरफ को हो गईं तो मैंने झट से आगे होकर उनको फिर से पकड़ लिया.
इस बार मैंने उनको अपनी तरफ घुमाया और अपने सामने करके उनकी चूचियों को दबाने लगा.

भाभी इधर उधर हटने लगीं तो मैंने उनको किचन की दीवार से सटा कर उनकी साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दिया.

अब मैं भाभी के ब्लाउज को खोलने लगा, तो भाभी बोलने लगीं- आप गलत कर रहे हो. ये सारी बातें सबके आने के बाद उनको बता दूंगी.
मैंने कहा- आप नहीं बता पाएंगी.
वे बोलीं- क्यों?

मैंने कहा- आप मुझसे खुश हो जाएंगी, इसलिए नहीं बताएंगी.
वे बोलीं- नहीं तुम मुझे खुश नहीं कर सकते!

मगर मैं अब कहां रुकने वाला था … मैंने उनके ब्लाउज को खोल दिया तो देखा कि भाभी ने अन्दर चोली नहीं पहनी थी.
मैं उनकी दूधिया चूचियां देख कर उन्हें चूमने और चूसने लगा.

भाभी कसमसाने लगीं.

कुछ ही देर में मैंने उनकी साड़ी को पूरा खोल दिया.
अब भाभी सिर्फ पेटीकोट में ही थीं.

अब मैं उनकी दोनों चूचियों को खूब मसलने लगा और बारी बारी से अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.

वे भी अपनी चूचियों को चुसवाने का मजा लेने लगी थीं.
मैंने भाभी को दीवार से सटा दिया और उनके पेटीकोट के नाड़े को ढीला करके खोल दिया.

उनका पेटीकोट सरसराता हुआ जमीन पर गिर गया.
वे मुझे अब रोक नहीं रही थीं और न ही कुछ सहयोग कर रही थीं.

कुछ देर के बाद मैंने उनकी पैन्टी की इलास्टिक में उंगलियां फँसाते हुए उसको भी नीचे सरका कर उतार दिया.

वह एकदम नंगी हो गई.
अब मैंने अपने पैंट की जिप को खोला और अपना लंड भाभी की चूत में थोड़ा सा घुसेड़ दिया.

फिर जैसे ही मैंने लौड़े को अन्दर पेलने के लिए जोर लगाया तो भाभी चिल्लाने लगीं.
मैंने अपने एक हाथ से भाभी के मुँह को दबा दिया.

उसके बाद भाभी दर्द के कारण इधर उधर हाथ पैर पटकती हुई छटपटाने लगीं और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे.

मैंने उसी समय एक और तेज झटका दे मारा तो लंड ने भाभी की हालत खराब कर दी.
वे कुछ ज्यादा ही छटपटाने लगीं.
तो मैं सोच में पड़ गया कि ऐसे क्यों छटपटा रही है. क्या भैया का लंड किसी काम का नहीं है.

लेकिन मैंने उस वक्त अपनी सोच को एक तरफ रखा और पूरी ताकत लगाते हुए जोर जोर से अपना लंड भाभी की चूत में तेजी से अन्दर बाहर करने लगा.

थोड़ी देर तक भाभी को यूं ही धकापेल चोदने के बाद मैंने अपना हाथ भाभी के मुँह से हटा लिया और उनको खूब जोर जोर से चोदने लगा.

अब तक भाभी संभल चुकी थीं, भाभी भी अपनी कमर चलाती हुई मेरे लंड से मजा लेने लगीं.
काफी देर तक चोदने के बाद मैं भाभी से बोला कि मेरे लंड का माल गिरने वाला है.

भाभी कुछ नहीं बोलीं.
तो मैं और तेजी से भाभी को पेलने लगा.

फिर मैंने उनसे बिना कुछ बोले ही उनकी चूत में अपने लंड का सारा माल गिरा दिया.
उन्हें चोदने के बाद मैं भाभी के बगल में खड़ा हो गया.

भाभी वहां से सीधे बाथरूम में चली गईं और अपनी चूत को साफ करने लगीं.

इधर मैंने अपनी पैंट उठाई और उसकी जेब से एक सेक्स की गोली निकाल कर खा ली और बाथरूम में भाभी के पीछे जाकर खड़ा हो गया.

भाभी अपनी चूत साफ करके जैसे ही मुड़ीं कि वे मुझसे टकरा गईं.
वे हंस कर बोलीं- अब क्या है? अब तो अपनी सारी मर्जी पूरी कर ली … अब क्या चाहिए आपको?

मैं बोला कि भाभी आपने कुछ दिन पहले मुझसे बाजी लगाई थी कि जो जीतेगा, वह जो बोलेगा वो हारने वाले को करना होगा.
भाभी मेरी तरफ देखने लगीं और मुस्कुराने लगीं.

मैं बोला- मैं जीत गया और भाभी अब मुझे मेरे मन का करने दो.

अब तक मेरा लंड पूरा टाइट हो चुका था.

भाभी ने भी देखा, तो वे बोलीं- अब आप जाओ.
पर मैंने भाभी को अपने गले से लगा लिया.

भाभी हंस कर बोलीं- अब रहने दो, फिर कभी मेरा मन करेगा तो मैं आपको बुला लूंगी.
लेकिन दोस्तो मैंने गोली खा ली थी, तो मैं कहां जाता.

मैंने भाभी को गोद में उठा लिया और उनको उनके बिस्तर पर ले जाकर लेटा दिया और भाभी के ऊपर चढ़ गया.
मैंने फटाफट से अपना लंड भाभी की चूत में घुसेड़ दिया.

वे कुछ कहतीं या कुछ करतीं, तब तक तो मैं उनको जोर जोर से पेलने लगा था.
भाभी ने भी कुछ नहीं कहा.

वे वैसे ही लेटी रहीं और मैं उनको ताबड़तोड़ चोदने लगा.
इस बार मैंने गोली खाई हुई थी और एक बार झड़ भी चुका था तो लौड़े को कुछ फर्क पड़ने वाला ही नहीं था.

भाभी को चोदते चोदते करीब करीब आधा घंटा हो चुका था.

फिर मैंने भाभी को डॉगी स्टाइल में खड़ा किया और उनकी गांड में थोड़ा सा थूक लगा कर अपना लंड उनकी गांड में घुसेड़ दिया.
दोस्तो, भाभी की गांड एकदम टाइट थी.

शायद भाभी ने कभी गांड नहीं मरवाई थी.

वे बकरी की तरह मिमिया रही थीं और मैं उनके मुँह पर अपने हाथ का ढक्कन लगाए हुए उन्हें दबादब चोदने में लगा था.
कुछ देर तक मैंने भाभी की गांड मारी, फिर उनको सीधा लेटा दिया.

मैंने फिर से भाभी की चूत में अपना लंड घुसेड़ा और उन्हें चोदने लगा.
कुछ देर बाद मैं भाभी की चूत में ही झड़ गया और भाभी के बगल में लेट गया.

मैं भाभी की चूची को चूस रहा था और भाभी केवल मेरी तरफ देखे जा रही थीं.
वे हंस रही थीं.

मैंने पूछा- अब भी कहोगी?
भाभी मुझे चूम कर बोलीं- नहीं मेरे प्यारे देवर जी. अब तो बस आपके लंड से ही चुदूँगी.
मैं खुश हो गया.

दोस्तो, उसके बाद मैं अपने कपड़े पहनने लगा.
तो भाभी बोलीं- आज रात को यहीं आ जाना. मैं इंतजार करूंगी.

मैं उन्हें चूम कर अपने घर आ गया.
रात को भी जाकर भाभी की आगे पीछे की दोनों तरफ से बार बार ली.

और जब तक उनके घर के लोग वापस नहीं आ गए, तब तक रोज रात भाभी की चुदाई का मजा लिया.

उस दिन के बाद से उनके घर में जब कोई नहीं होता है, तब भाभी खुद ही फोन करके मुझे बुला लेती हैं.
मैं भी झट से चला जाता हूं और भाभी को चोद कर वापस आ जाता हूँ.

भाभी ने आज तक ये सारी बातें किसी से नहीं बताई हैं.
यह राज हमारे ही बीच में ही है.
 

junglecouple1984

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बुआ के संग शराब और चुदाई की मस्ती



फ्रेंड्स, मैं रवि आपको अपने साथ बीती बातें बताना चाहता हूँ.
मेरी उम्र 24 साल है और मेरी हाईट 5 फुट 11 इंच है. मेरा शरीर दिखने में काफी आकर्षक है, जिसे देख कर लड़की एक बार देखती ज़रूर है.

मेरे लंड का साइज एक औसत भारतीय लंड के साइज जितना ही है, बस यह कुछ असाधारण रूप से मोटा है.

यह अभी कुछ महीने पहले की देसी बुआ चुदाई कहानी है. जब मैं अपने दोस्त की शादी में गया हुआ था और मेरी बुआ भी उसी शहर में रहती थीं.

मैं अपने दोस्त की शादी से 4 दिन पहले ही चला गया ताकि मैं उसके कामों में कुछ हेल्प कर सकूँ.

मैं वहां आ गया. हमने शादी के दिन तक फुल मस्ती की.

दोस्त की शादी होने के बाद हम सब घर आए और रात को दारू पीकर मज़े लिए.

उस दिन रात के एक बज चुके थे और शादी के काम करते करते मैं काफ़ी थक भी गया था.
मैं अपनी बुआ के घर गया कि उधर जा कर सो जाऊंगा और थकान भी मिट जाएगी.

मैं बुआ के घर गया तो फ़ोन करके बुआ से गेट खुलवाया.
गेट खोलते ही बुआ बोलीं- तू पी कर आया है?
मैं कुछ नहीं बोला और कमरे में चला गया.

उधर अपने कपड़े खोल कर बेड पर सो गया.
मैंने कुछ ध्यान नहीं दिया और सो गया.

जब रात को प्यास लगी तो देखा कि मैं अपनी बुआ से चिपक कर सोया हुआ हूँ.
मैंने इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि मेरी सोने की आदत ऐसी ही है.

मैं पानी पीने चला गया. फिर वापस आकर मैं दुबारा सो गया.

मैंने बुआ के ऊपर फिर से हाथ रख लिया.
जैसे ही मैंने हाथ रखा, बुआ उठ गईं और बोलीं- क्या हुआ?

मैंने कहा- कुछ नहीं, मैं पानी पीने गया था.
यह कह कर मैंने हाथ हटा लिया.
मैं सो गया.

सुबह उठते ही देखा कि मेरा हाथ बुआ की सलवार में था और हाथ भी चिपचिपा हो रहा था.
मैं उठा और नहाने चला गया.

जब नहा कर वापिस आया, तो बुआ भी उठ चुकी थीं.
उन्होंने मुझसे कुछ नहीं कहा.
ना वे दारू पीने पर ही कुछ बोलीं और ना ही मेरी रात की हरकतों पर.

मैंने सोचा कि बुआ को शायद मालूम नहीं चला होगा.

मैं अपनी वापसी के लिए पैकिंग करने लगा क्योंकि एक घंटा बाद मेरी ट्रेन थी.

मैंने थोड़ी देर बाद ध्यान दिया कि फूफा नहीं दिखाई दे रहे हैं और कल भी दारू के नशे में होने के कारण मैंने बुआ से पूछा भी नहीं था.

अब मैंने पूछा, तो बुआ ने बताया- वे बाहर गए हैं और तीन चार दिन बाद लौटेंगे. तुम यदि रुक सकते हो तो रुक जाओ. बाद में घर चले जाना!

उनकी बात सुनकर मैं खुश हुआ कि जो रात में नहीं हो पाया, हो सकता है कि आज अभी हो जाए.
मैंने अपना टिकट कैंसिल करा दिया और आज के लिए और रुक गया.

मुझे लगने लगा था कि आज की रात मेरे लिए यादगार होने वाली है.
शाम को मैं एक बार से दो पैग दारू पीकर आ गया ताकि बुआ को लगे कि मैं नशे में हूँ.

रात में सोने की बारी आई.

मैं नशे में धुत्त होने की एक्टिंग कर रहा था.
नशा अधिक है, ऐसा जता कर मैं सोने लगा.

बुआ कमरे में आईं.
आज उन्होंने मैक्सी पहनी थी.

मैं खुश था कि काम आसानी से होने के लिए बुआ ने भी मैक्सी पहनी है.

बुआ आकर लेट गईं और उन्होंने मुझे आवाज दी.
मैं जाग गया.
हम दोनों ने थोड़ी देर बात की.

आज बुआ ने मेरे शराब पीकर आने पर कुछ नहीं कहा.

बुआ ने बात करते करते मेरे बदन पर हाथ फेरना चालू कर दिया और मेरे जिस्म में तेल की मालिश करने के बहाने वे मुझे सहलाने लगीं.

मैंने भी सोचा कि बुआ मस्त होने की कोशिश कर रही हैं तो क्या मैं भी उन्हें मस्त करने में कुछ करूं.
मैंने उनके ऊपर हाथ रखते हुए कहा- बुआ, क्या मैं भी आपकी मालिश करूं?

बुआ पहले तो मना करने लगीं.
मगर मैंने उन्हें मना ही लिया.

वे बोलीं- अच्छा तू मेरी पीठ दबा दे.
मैं बुआ की पीठ दबाने लगा.

उनकी पीठ दबाते दबाते कब मैक्सी ऊपर गई, कुछ पता ही नहीं चला और ना ही बुआ ने कुछ कहा.
अब बुआ का पिछवाड़ा मुझे साफ़ दिख रहा था.

मैं तेल लेकर बुआ के पिछवाड़े पर लगाने लगा, तो बुआ बोलीं- उधर नहीं.
मैं बोला- अरे बुआ, लगे हाथ पूरे शरीर की तेल मालिश कर देता हूँ.

इस पर वे कुछ नहीं बोलीं तो मैं समझ गया और उनकी गांड मसलते हुए मालिश करने लगा.
मैंने धीरे धीरे उनकी मैक्सी पूरी ऊपर कर दी और आखिर में उतार कर अलग कर दी.

बुआ मस्त होने लगी थीं और वे मुझसे कुछ भी नहीं कह रही थीं.
मैं पीछे से उनकी मालिश करने लगा था और अब आगे मालिश करने को जी करने लगा था.

मैंने कहा- बुआ आगे की मालिश करनी है, अब आप घूम जाओ.
उन्होंने कहा- अब रहने दे.

पर मैं नहीं माना और ज़ोर लगा कर बुआ को पलट दिया.
जैसे ही मैंने उन्हें पलटा, बुआ ने आंखें बंद कर लीं.

मैं उनके मदमस्त दूध देख कर समझ गया कि आज चुदाई का काम हो गया समझो!
मैंने आगे मालिश शुरू की और चूत की तरफ़ बढ़ गया.

मैं बुआ की चूत में उंगली करने लगा.
पहले मुझे लगा कि बुआ शायद इसका विरोध करेंगी.
पर जब उन्होंने कुछ नहीं कहा तो मैं समझ गया कि जो कुछ सुबह हुआ था, इनको वह सब पता है और इनके मन में भी कुछ चल रहा है.

अब मैं बिना देर किए नीचे आ गया और मैंने उनकी चूत में अपना मुँह लगा कर चूत को चाटना शुरू कर दिया.

थोड़ी ही देर बाद बुआ गर्म हो गईं और और सारी शर्म भूल गईं.

उनके मुँह से कराहने की आवाज आने लगी थी.
‘आह आह आह …’

मुझे और भी आगे का खेल करना था तो तो मैं 69 की पोजीशन में आ गया और बुआ के मुँह में अपना लंड डाल दिया.

बुआ मेरे लंड को खूब मस्ती से चूस रही थीं और मेरे टट्टे भी चाट रही थीं.

बुआ से लंड चुसवाने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था.
थोड़ी देर बाद बुआ झड़ गईं.

मैं उठ कर सीधा हुआ और बुआ को चूमने लगा.

वे भी मुझसे लिपट गईं और हम दोनों प्रेमी प्रेमिका के जैसे एक दूसरे के साथ सेक्स का मजा लेने लगे.
वे हंस कर कहने लगीं कि साले तुझे सब मालूम था और तू नशे में नहीं था न!

मैंने कहा- बुआ, कल का कुछ भी होश नहीं है कि कब मैंने आपकी चूत में उंगलियां डालीं और आपकी चूत से पानी निकाला.
बुआ हंसने लगीं.

मैंने कहा- आपने क्यों नहीं रोका था बुआ?
वे बोलीं- मेरी चूत में खुद आग लगी थी. तेरे फूफा जी अब मुझे चोदते ही नहीं हैं. इसीलिए मैंने तुझे मना नहीं किया. मैं समझ रही थी कि तू जानबूझ कर उंगली कर रहा है और कल रात को ही मुझे चोद देने वाला है. मगर तूने चूत का रस निकलवा कर कुछ किया ही नहीं.

मैंने कहा- तो आप जगा लेतीं न!
वे बोलीं- पहले तो मैंने सोचा कि तुझे जगा लूँ, पर बाद में बस संकोच करके रह गई.

अब मैंने उनकी एक चूची को मुँह में लिया और चूसते हुए कहा- बुआ आपकी चूचियां बड़ी मस्त हैं.
वे मुझे अपने दूध चुसवाती हुई बोलीं- तो पी ले न!

मैंने उनकी दोनों चूचियों का भर्ता बनाना शुरू कर दिया.
थोड़ी देर बार बुआ फिर से गर्म हो गईं और मेरे लौड़े को पकड़ने लगीं.

मैंने बुआ को चूमा और पोज बना कर उनकी चूत की फांक में लंड लगा दिया.
बुआ ने खुद अपने हाथ से लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद में सैट किया और मुझे इशारा कर दिया.

मैं लंड को आगे पीछे करने लगा.
मेरा सुपारा बुआ की चूत को रगड़ने लगा था.
इससे बुआ भी मूड में आ गई थीं.
वे ‘आह आह उम्म उम्म …’ कर रही थीं.

मैं भी जोश में आ गया और उनके ऊपर चढ़ कर लंड को अन्दर ठांस दिया.
बुआ की तेज कराह निकल गई और उन्होंने लौड़े को अपनी चूत में खा लिया.

मैं भी तेज़ी से देसी बुआ चुदाई करने लगा.
बीस मिनट तक धकापेल करने बाद के बुआ थक गईं.

वे बोलीं- मैं थक गई … तेरा अभी नहीं हुआ क्या?
मैंने उनको बताया कि ड्रिंक करने के बाद मेरा काम देरी से काम होता है.

वे कुछ नहीं बोलीं और मैं उन्हें चोदने में लगा रहा.
कुछ देर और चुदाई करने के बाद जब मेरी झड़ने की बारी थी तो मैंने बुआ की चूत से लंड निकाला और उनके मुँह की तरफ़ आ गया.

बुआ समझ गईं और उन्होंने लौड़े को अपने मुँह में ले लिया.
वे लंड चूसने लगीं और मैं उनके मुँह में ही झड़ गया.

अब मैं भी थक चुका था तो मैं उनके बाजू में लेट गया.

थोड़ी देर बाद बुआ में फिर से जवानी आयी और वे शुरू हो गईं.
मैंने भी मज़े करने के लिए उनसे कहा- बुआ, दुबारा में जरा खुल कर मस्ती करते हैं.

वे बोलीं- हां तूने सही कहा, जरा रुक आज पार्टी करते हैं.
वे नंगी ही उठीं और फूफा जी की अलमारी से दारू की बोतल उठाया लाईं.

हम दोनों ने भुने हुए काजू के साथ एक एक पैग लिया और उसके बाद मैंने उठ कर अपनी पैंट जेब से सिगरेट की डिब्बी निकाली.
बुआ सिगरेट देख कर खुश हो गईं और उन्होंने सिगरेट मेरे हाथ से लेकर खुद सुलगाई.

वे नंगी थीं और मेरे लौड़े पर बैठ गईं.
मैं आधा लेटा हुआ था और वे मेरे लौड़े पर चूत रगड़ने लगीं.

हम दोनों ने मस्ती करते हुए सिगरेट खत्म की और बुआ ने शराब की बोतल उठा कर मेरे सीने पर टपका दी.

वे मेरे सीने को चाटने लगी थीं. मुझे तिहरा मजा मिल रहा था.
एक तो वे मेरे सीने को चाट रही थीं, तो उनकी जीभ से गुदगुदी हो रही थी.

दूसरा मजा उनकी चूचियां मेरे पेट में रगड़ रही थीं, उससे मिल रहा था और तीसरा मजा उनकी चूत मेरे लंड को रगड़ कर दे रही थी.

मैंने उन्हें सीधा बिठाया और शराब की बोतल उनके हाथ में पकड़ाए रख कर उनकी चूचियों पर टपकवाई.
वे समझ गईं कि मैं क्या चाह रहा हूँ.

अब उनकी चूचियों पर शराब की बूंदें टपक रही थीं और मैं उनकी चूची को मुँह में लेकर शराब पी रहा था.
जितना मजा शराब पीने में नहीं आ रहा था, उससे ज्यादा मजा मुझे उनकी चूत की गर्मी से आ रहा था.

लंड एकदम लोहा हो गया था.
तभी बुआ उठीं और लंड को चूत में लेकर धप्प से बैठ गईं. अब मस्ती चालू हो गई थी.

धकापेल देसी बुआ चुदाई होने लगी.

इस तरह से पूरी रात हम दोनों ने चार बार चुदाई की. वह रात मेरे लिए बेस्ट नाइट ऑफ़ द लाइफ थी.
अब मुझे जब भी मौका मिलता है, मैं अपनी बुआ के पास चला जाता हूँ और दारू सिगरेट के साथ मस्त चुदाई की पार्टी चलती है.


 

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भाभी ने मेरे घर पर आकर चुदाई करवाई



मेरा नाम प्रभास (बदला हुआ) है। मैं उत्तर प्रदेश के बरेली जिले का रहने वाला हूं।
आज मैं आप लोगों को अपनी एक सेक्स स्टोरी बताने जा रहा हूं जब मैंने अपनी ममेरी भाभी की चूत मारी थी।

मैं सच बताऊं तो भाभी ने चूत खुद मेरे घर आकर मरवाई थी।
उनका नाम शीला है और उनके तीन बच्चे हैं।
लेकिन फिगर अभी भी मस्त है जो कि 36-32-38 का है।

सेक्सी भाभी को एक बार जो देख लेता है वो बस उनका दीवाना हो जाता है, उसका मन भाभी की चुदाई करने के लिए हो उठता है।

ऐसा ही हाल मेरा भी हो गया था भाभी को देखने के बाद!
तो हॉट सेक्स विद भाभी कहानी का मजा लें.

उस वक्त मैं बाहर रहकर पढ़ाई कर रहा था।
मैं भाभी के घर आता-जाता रहता था।
तो मैं जब भी जाता तो भाभी को देखता रहता था।

भाभी की मोटी गांड और चूचियों के उभार देखकर मेरे तन बदन में करंट दौड़ने लगता था।
उनकी चुदाई के लिए मन मचल जाता था।

शायद भाभी भी मेरी नजरों की प्यास को भांप गई थी।

दोस्तो, मैं लगभग तीन साल से भाभी को पसंद करता था लेकिन कभी कुछ कहने की हिम्मत नहीं हुई थी।

एक दिन भाभी ने खुद ही आकर मुझसे ऐसी बात कह दी जिसके बारे में मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि वे ऐसा कुछ अपने मुंह से कह सकती हैं।

उस दिन मैं भाभी के यहां गया तो उनके घर कोई नहीं था।

जब मैंने नाश्ता कर लिया तो मैं बैठकर टीवी देख रहा था।
भाभी मेरे पास आकर बैठ गई।

मैं सोफे पर बैठा हुआ टीवी की तरफ देख रहा था कि अचानक भाभी का हाथ मेरी जांघ पर आ गया।
वे मेरी जांघ को सहलाने लगी।
मैं तो घबरा सा गया कि ये क्या हो रहा है।

फिर मैं उचका तो भाभी बोली- क्या हुआ, बाकी दिन तो बड़ी हवस भरी नजरों से घूरते रहते हो। आज क्या हो गया?
भाभी ने मेरी नस पकड़ ली थी।

मैं अब कुछ न बोल सका।

फिर उसने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया और सहलाते हुए बोली- दिल की बात दिल में नहीं रखनी चाहिए, कह देनी चाहिए। मुझे पसंद करते हो न तुम?
मैंने सोचा कि अब फालतू का नाटक करना ठीक नहीं है, भाभी को दिल की बात कह ही देनी चाहिए।

भाभी की तरफ देखकर मैंने हां में मुंडी हिला दी।
तो भाभी मुस्करा दी।
साथ में मैं भी मुस्करा दिया।

हम दोनों एक दूसरे को देख ही रहे थे कि अचानक चेहरों की मुस्कान गायब हो गई और एकदम से एक प्यास दोनों होंठों पर तैर गई।

भाभी ने एक पल न सोचते हुए अपनी साड़ी का पल्लू सीने पर से हटाया और मेरा मुंह अपने सीने में छुपा लिया।

मेरे होंठ सीधे भाभी की क्लीवेज पर जा लगे।

उन नर्म दीवारों के बीच एक गहरी घाटी नीचे चोली में जा रही थी।

भाभी ने मेरे बालों को सहलाते हुए मुंह को चूचियों में दबा दिया।

मैंने भी दोनों हाथों से ब्लाउज के ऊपर से ही चूचियों को थाम लिया और चूचियों में मुंह मारते हुए उनको भींचना शुरू कर दिया।

लेकिन तभी दरवाजे की बेल बजी और हम उठ खड़े हुए।

भाभी ने एकदम से अपना पल्लू सीने पर फैलाया और सिर पर ढकते हुए गेट की ओर तेजी से दौड़ी।

कुछ पल बाद भैया भीतर दाखिल हुए।

मैं थोड़ा सहम सा गया था लेकिन मैंने नॉर्मल ही बर्ताव करने की कोशिश की।
फिर कुछ देर भैया के साथ बातें करके मैं वहां से निकल गया।

अब भाभी से रोज मेरी फोन पर बात होने लगी।
कई बार जब भैया सो जाते थे तो वो छत पर जाकर मुझसे बहुत बातें करती थी।
हम दोनों सेक्स की बातें भी करते थे।

फिर एक दिन जब मैं उनके घर गया तो घर पर कोई नहीं था।
मैंने पीछे से जाकर भाभी को दबोच लिया, दोनों हाथ चूचियों पर जा टिके।

मैंने भाभी की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया।
भाभी के बूब्स बहुत टाइट थे।
बहुत मजा आ रहा था दबाने में!

अंदर से भाभी ने ब्रा भी नहीं पहनी थी।
मैंने भाभी की गांड में लंड लगा दिया और धक्के देते हुए वहीं पर जैसे चुदाई करने लगा।

लेकिन कपड़ों की दीवार बीच में थी।

मैं भाभी की साड़ी उठाना चाहता था लेकिन भाभी ने मुझे रोक लिया और बोली- कुछ देर बाद तुम्हारे भैया आने वाले हैं।
फिर मैं रुक गया लेकिन चूचियों को दबाता रहा।

हमने बहुत देर तक किस भी किया।
फिर मुझे जाना पड़ा।
अब हम दोनों ही सेक्स के लिए तड़प रहे थे।

भाभी ने चुदाई के लिए प्लानिंग की।
वो भैया से बोली कि उसका मन घर पर नहीं लग रहा है और कुछ दिन अपनी सहेली के यहां जाना चाहती है।
भैया ने भाभी का मन रखने के लिए हां कर दी।

फिर वो घर से सहेली के पास जाने के लिए निकली लेकिन सीधे मेरे रूम पर आ गई।
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
पहली बार मैं सेक्स करने वाला था।

पोर्न वीडियो में देख देखकर वैसे मैंने सब कुछ सीख लिया था।
मैं दिन में जाकर ही कंडोम ले आया था।

हम खाना शाम होते ही खा चुके थे।
रात में हमने अपनी पार्टी शुरू की।

अब हमने कोल्ड ड्रिंक खोल ली।
कुछ देर हमने बातें कीं और फिर लेट गए।

पता नहीं क्यों आज मुझे शर्म सी आ रही थी।
कुछ देर हम लोग ऐसे ही लेटे रहे।
कोई कुछ पहल नहीं कर रहा था।

थोड़ी देर के बाद भाभी उठी और बोली- कुछ करना नहीं है क्या? मैं इतनी दूर से आई हूं। क्या मुझे ऐेसे ही जाने दोगे?

मैं उठा और भाभी को कसकर गले लगा लिया, मैं उनके होंठों पर किस करने लगा।
वह भी मेरा साथ देने लगी।

दो मिनट में ही मेरा लंड पूरी तरह से तन गया।
भाभी ने लंड पकड़ लिया और बोली- यह तो बहुत जल्दी खड़ा हो गया!

मैं बोला- भाभी, मैंने पोर्न फिल्म में देखा है कि लड़की कैसे लड़के का लंड चूसती है। तुम भी चूसो न!

वो बोली- नहीं, मैंने आज तक कोई लंड नहीं चूसा है। इसलिए मैं लंड नहीं चूस पाऊंगी। मैंने तो तुम्हारे भैया का भी कभी नहीं चूसा है। चूत चाहे जितनी मर्जी चोद लो।

फिर मैंने भाभी को बिस्तर पर लेटा दिया।
मैंने उनकी सलवार खोली और पैंटी मेरे सामने थी।

फिर मैंने उनकी चूचियों को नंगी करके पीना शुरू कर दिया।

बड़ा मजा आ रहा था भाभी की मस्त मोटी चूचियों को पीने में … दबाते हुए मैं चूचियां पी रहा था।

मैंने फिर उनकी पैंटी को खींच दिया और भाभी की चूत नंगी हो गई मेरे सामने!

चूत देखकर मैं तो बावला सा हो गया।
क्या मस्त रसीली चूत थी भाभी की!
भाभी की चूत चोदने के लिए मैं तो मचल गया।

मैंने चूत को हथेली से सहलाया तो भाभी सिहर उठी।

मैं सहलाता चला गया और चूत के रस से उसे चुपड़ता चला गया।
चूत एकदम फूलकर गप्पा हो गई।

अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था कि इतने में भाभी बोली- चोद दो अब … जान निकालोगे क्या मेरी!

मैंने भाभी की टांगों को दोनों हाथों से चौड़ी करके थामा और लंड चूत पर लगा दिया।

कुछ देर चूत पर लंड को रगड़ने के बाद मैंने कंडोम लगाकर भाभी की चूत में धक्का दिया तो लंड अंदर सरक गया।
चूत ढीली सी लगी।

भाभी के बच्चे हो चुके थे तो इसलिए शायद अब ढीली हो गई थी।

मैंने भाभी की चुदाई शुरू कर दी।
लंड बहुत आराम से चूत में अंदर जा रहा था।
मैं धकाधक भाभी को चोदे जा रहा था।

चुदने में भाभी को भी पूरा आनंद आ रहा था और मुझे भी बहुत मजा आ रहा था।

दोस्तो, अचानक से कंडोम फट गया।
मुझे तो पता भी नहीं चला।

भाभी बोली- रुको, कंडोम फट गया है। दूसरा लगा लो।
मैंने कहा- तुम्हें कैसे पता चला!
वो बोली- तुम्हारा पहली बार है, लेकिन मुझे बहुत तजुरबा हो चुका है।

फिर मैंने दूसरा कंडोम लगाकर, उन्हें बेड पर झुका कर पीछे से चोदना शुरू किया।

मैंने 15 मिनट तक ताबड़तोड़ भाभी की चुदाई की।
मैं अभी थकान महसूस नहीं कर रहा था लेकिन भाभी थक गई थी।

वो बोली- अब निकाल लो, दर्द होने लगा है।
लेकिन मैं कहां निकालने वाला था … मैंने दोबारा से उनको बेड पर पटका और चोदने लगा।

कुछ देर और पेलने के बाद मुझे लगने लगा कि अब मैं भी झड़ने वाला हूं।
फिर मैं तेज तेज झटके देने लगा।
बहुत मजा रहा था स्खलन के करीब आने पर।

तेजी से झटके देते हुए मैं भाभी की चूत में ही झड़ गया।
मैं फिर शांत होता चला गया।

भाभी बोली- मजा आ गया आज तो देवर जी!
मैं बोला- आप तो कमाल हो भाभी, ऐसा सुख कभी नहीं मिला था।
फिर मैंने उनको किस किया और उनके ऊपर ही लेट गया।

हॉट सेक्स विद भाभी के बाद लगभग घंटे भर हम नंगे ही एक दूसरे के ऊपर पड़े रहे।
मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा था।

मैंने कहा- भाभी, मुझे तुम्हारी गांड की चुदाई भी करनी है।
वो बोली- नहीं, मैंने कभी गांड नहीं मरवाई है।
मैं बोला- प्लीज, मेरा बहुत मन कर रहा है गांड चुदाई करने का। अगर नहीं मानी तो फिर मैं कभी तुमसे बात नहीं करूंगा।

वो मना करती रही।
लेकिन फिर मैं दूर हट गया तो वो मान गई।
फिर मैंने भाभी को झुका दिया।

उनको बेड पर घोड़ी बनाकर मैं किचन में से तेल की बोतल उठा लाया।
फिर वापस आकर मैंने लंड पर तेल लगाया और थोड़ा सा तेल भाभी की गांड के छेद पर भी लगा दिया।

मैंने लंड का टोपा भाभी की गांड पर सेट कर दिया और उसको लंड से सहलाने लगा।

फिर मैंने धीरे से भाभी की गांड में उंगली सरका दी तो भाभी की आह निकल गई।
वो उचक कर बोली- आह! आराम से कर ना …
मैं बोला- ठीक है।

फिर मैंने लंड को गांड पर टिका दिया और हल्के से धक्का दे दिया लेकिन लंड फिसल गया।
मैंने दोबारा ट्राई किया लेकिन लंड फिर से फिसल गया।

मुझे गुस्सा आ गया।
मैंने लंड को हाथ से पकड़ा और जोर का धक्का दे दिया।
भाभी की चीख निकल गई।

लंड अंदर घुस चुका था और भाभी तिलमिला उठी- आई ईईई … ईई ईई … ऊऊ ऊहहह मर गई! आहह निकालो … आआआआ मेरी गांड!
लेकिन मुझे बहुत मजा आ रहा था।

भाभी की गांड बहुत टाइट थी और अंदर से बहुत गर्म अहसास लंड को मिल रहा था।
मैंने भाभी की गांड चुदाई शुरू कर दी।

कुछ देर बाद उसको भी मजा आने लगा।
फिर तो वो मस्ती से गांड मरवाने लगी।

मैंने पूछा- अब कैसा लग रहा है?
वो बोली- देवर जी, कसम से मजा आ रहा है … जोर जोर से चोदो … मेरी गांड फाड़ दो … आज तुम जो कहोगे वो मैं करूंगी … आज के बाद मैं तुम्हारी हूं … आह्ह और जोर से चोदो … और जोर से चोदो।

दोस्तो, मैंने लगभग 20 मिनट तक भाभी की गांड जोर जोर से चोदी और फिर मैं गांड में ही झड़ गया।

भाभी चार दिन तक मेरे घर रुकी और हमने रोज नए-नए स्टाइल में चुदाई का मजा लिया।
 

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मौसी की चूत गांड की दमदार चुदाई



दोस्तो, मेरा नाम राज सिंह है, मैं रायपुर के पास एक गाँव का हूँ।
मेरी उम्र 19 साल है और मेरा लन्ड 7 इंच का है।

मैं 11वीं में हूँ और पढ़ाई के लिए अपनी मौसी के घर रायपुर रहता हूँ।

मेरे मौसाजी विदेश में काम करते हैं, इसलिए घर में मेरी मौसी और उनकी बेटी ही रहती है.
हमारे साथ में मौसी की लड़की की दो कजिन भी पढ़ाई के लिए वहाँ रहती हैं।

मेरी मौसी नाम सुमित्रा है, उनकी उम्र 38 साल फिगर 38-34-42 है।
उनकी बेटी का नाम जमना उम्र 18 साल फिगर 32-30-36 है।
और उसकी कजिन में एक का नाम प्रमिला, उम्र 21 साल, फिगर 34-32-38 है.
दूसरी का नाम मंजू उम्र 18-19 साल फिगर 30-28-34 है।

मैं आपको बोर ना करते हुए सीधा मौसी सेक्स ओर्गास्म स्टोरी पर आता हूँ।

बात कुछ यूँ है कि एक बार सभी लड़कियां ननिहाल गयी हुई थी, घर में सिर्फ मैं और मौसी थे।

एक दिन मौसी अपने कमरे में कपड़े बदल रही थी, उसी वक्त मैं स्कूल से आया और सीधा कमरे में घुस गया।

अंदर का नजारा देखते ही मैं सुन्न रह गया, अंदर मौसी ऊपर से मौसी पूरी नंगी थी, उनके 38 के बड़े बड़े बूब्स हवा में झूल रहे थे।

मौसी ने मेरी और देखकर मुँह पीछे की और कर लिया.
तब जाकर मुझे होश आया और मैं कमरे से बाहर आ गया।

मैं मौसी को चोदना तो पहले से चाहता था और आज ये नजारा देखकर मैं पगला गया.
मैं सीधा बाथरूम में गया और मौसी के नाम की मुठ मारने लगा.

करीब 10 मिनट में मेरा पानी निकल गया और मैं बाहर आ गया।

बाहर निकलते ही मौसी दिख गई, मैंने उनसे सॉरी कहा तो उन्होंने कहा- कोई बात नहीं।
और मौसी बाथरूम में चली गयी.

अंदर मेरा वीर्य पड़ा हुआ था तो मौसी उस पर फिसल कर गिर गयी.
मुझे बाहर चीखने की तेज आवाज आई।

मैं अंदर गया तो मौसी फर्श पर पड़ी थी।

तब मैं उन्हें उठाकर कमरे में लाया और उनसे पूछा- कहाँ लगी है?
तो उन्होंने हाथ के इशारे से बताया कि उनके चूतड़ों पर लगी है।

मैंने कहा- दिखाओ मुझे कितनी लगी है.
तो वे बोली- मैं नहीं दिखा सकती!

तब मैंने कहा- मौसी, घर पर कोई नहीं है। अब आपने मुझे नहीं दिखाया और चोट गहरी हो गयी तो फिर क्या करोगी?

मेरे बहुत मनाने के बाद मौसी मुझे अपनी चोट दिखाने को तैयार हुई.
उन्होंने कहा- तुम खुद ही सलवार खोल कर देख लो।

तो मैंने उनकी सलवार का नाड़ा खोलकर नीचे कर दिया और उन्हें उल्टा लिटाकर उनकी चोट देखने लगा.
पर पूरी तरह दिखी नहीं तो मैंने उनकी पेंटी को भी खींचकर नीचे कर दिया.

तो मौसी बोली- ये क्या कर रहे हो?
तब मैंने कहा- मौसी, पहले चोट दिख नहीं रही थी।

हे भगवान् … क्या गांड है मौसी की … 42″ की साइज की!
गांड देखते ही मेरा मन गांड मारने का करने लगा.

पर मैंने अपने आप पर कंट्रोल किया।

फिर मैंने उनके चूतड़ देखे तो वो एकदम लाल हो गए थे नीचे गिरने के कारण!

मैंने कहा- मौसी, आप एक मिनटी रुको, मैं दवाई की ट्यूब लाकर मालिश कर देता हूँ.
फिर मैं दूसरे कमरे से दवाई ले आया और मौसी के चूतड़ की मालिश करने लगा।

ये सब करने से मेरा 7 इंच का लन्ड खड़ा हो गया।
मैं धीरे धीरे मालिश करता हुआ उनकी गांड के छेद पर अपना हाथ लगाने लगा.
तो मौसी ने कुछ नहीं कहा.

तब मेरी हिम्मत बढ़ गई, अब मैं उनकी गांड में उंगली डालने लगा.
तब भी मौसी कुछ नहीं बोली.
तो मैं उंगली करता गया।

फिर मैंने मौसी से कहा- मैं तेल से आपके पूरे बदन की मालिश कर देता हूं जिससे आपको आराम मिलेगा।

यह कहकर मैं सरसों का तेल गर्म करके ले आया और मौसी से कहा- अपने ऊपर के कपड़े भी निकाल दो वरना तेल से खराब हो जाएंगे.
इस पर मौसी मना करने लगी.

तो मैंने कहा- मुझसे क्या शर्माना? आज घर आते ही आपको ऊपर से नंगी देखा ही था. और अब नीचे से नंगी ही हो आप!
यह कहकर मैंने उनका कुर्ता निकाल दिया, फिर ब्रा भी निकाल दी।

अब मौसी मेरे सामने पूरी नंगी थी.
उन्हें देखकर मेरा लन्ड का पैन्ट में ही तम्बू बन गया।

अब मैं उनकी मालिश करने लगा.
पहले पैर, टांग की, फिर जांघ की!
और फिर उनकी चूत पर तेल लगाकर मसलने लगा.

ऐसा करते करते मैं उनकी चूत में उंगली करने लगा.
तो मौसी की आह निकल गयी पर मौसी ने कुछ नहीं कहा.

तबी मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया.
मैं उनके ऊपर आ गया और उनके होंठों को चूसने लगा.

करीब 5 मिनट होंठ चुसाई के बाद मैंने होंठ छोड़े तो मौसी बोली- मुझे पूरा नंगी कर दिया और खुद कपड़े पहनकर बैठे हो?
तो मैंने कहा- अभी निकलता हूँ।

और फिर मैं भी पूरा नंगा हो गया.
मौसी मेरे 7 इंच के लन्ड और एकटक लगाकर देख रही थी।

मैंने कहा- मौसी, देख क्या रही हो, अब ये आपका ही है, इससे प्यार नहीं करोगी?

बस इतना कहने की ही देर थी, मौसी तुरन्त मेरे लन्ड को मुख में भरकर चूसने लगी और मैं मौसी के बूब्स दबाने लगा.
ये सब मेरे को स्वर्ग सा आनन्द दे रहे थे।

फिर हम 69 में आ गए।
मैं उनकी चूत चाट रहा था और वे मेरा लन्ड!

फिर 10 मिनट की चूत और लन्ड चुसाई के बाद हम दोनों एक दूसरे के मुँह में झड़ गए.
मैं मौसी का पानी पी गया और मौसी मेरा!

अब मैं मौसी के शरीर को जगह जगह किस करने लगा.
कभी मैं उनके बूब्स चूसता तो कभी काटता.

इस तरह 10 मिनट में ही मेरा लन्ड फिर से अपनी औकात में आ गया।

मैं- मौसी, अब असली खेल के लिए तैयार हो जाओ।
मौसी- मैं तो कबसे तैयार हूं मेरे राजा!

मैंने मौसी की गांड के नीचे एक तकिया लगाया और उनके पैरों को मेरे कंधों और रखकर लन्ड को चूत पर सेट कर दिया और फिर एक तगड़ा झटका लगाया.
तो लन्ड पूरा चूत में चला गया.
और मौसी की चीख निकल गयी।

फिर मैं लन्ड आगे पीछे करने लगा।
मौसी- आआ आआह ऊऊ ऊही … मारा डाला, तुम तो पूरे जवान हो गए राज!
मैं- हाँ मौसी, आपको मजा तो आ रहा है ना?
मौसी- हाँ बेटा, बहुत मजा आ रहा है. इतना तो तेरे मौसा के साथ भी नहीं आया! उनका तो सिर्फ 4 इंच का है. जमना भी बाहर से हुई है. उनके लन्ड में इतनी ताकत कहाँ!

मैं- मौसी आप कहो तो मैं आपको ग्याभिन कर दूं?
मौसी- हाँ बेटा कर दे, मैं तेरे बच्चे की माँ बनूगी।

इतना सुनते ही मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और पूरा कमरा फच्च फच्च और मौसी के आह ऊह की आवाजों से गूंजने लगा।

हमारी चुदाई को 10 मिनट ही हुए थे कि मौसी झड़ गयी।

अब मैंने मौसी को कुतिया बनने को कहा.
तो वे कुतिया बन गई।

मैंने तेल में उंगली भरकर मौसी की गांड में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा.

मौसी मेरा इशारा समझ गयी- अब मेरे भांजे को मेरी गांड भी मारनी है क्या?
मैं- हाँ मौसी, मैं तो आपकी गांड का दीवाना हूँ, हमेशा से ही आपकी गांड मारने की इच्छा थी।

इतना कहकर मैंने गांड में 2 उंगली डालकर अंदर बाहर करने लगा।

फिर मैं मौसी के चूतड़ों और थप्पड़ मारकर बोला- तैयार हो जा मेरी रंडी मौसी … मेरा लन्ड तेरी गांड में आ रहा है।
मौसी- मैंने कभी गांड नहीं मरवाई; प्लीज आराम से करना!
मैं- आराम से मेरे को कुछ भी करना नहीं आता, मैं तो जोर जोर से ही करूँगा।

इतना कहकर मैंने एक शॉट मारा तो लन्ड 3 इंच अंदर चला गया और …
मौसी- आई उयी … मारा डाला रे!
मैं- मौसी, अभी तो आधा ही गया है।

फिर मैंने एक और तगड़ा झटका मारा तो लन्ड पूरा गांड में चला गया और मौसी की आंख से आंसू आ गए।

मैंने नीचे देखा तो मौसी की गांड से खून निकल रहा था।

फिर मैं मौसी के बूब्स पकड़कर दबाने लगा और गांड मारने लगा।

मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज तेज गांड मारने लगा।
पूरा कमरा हमारी चुदाई की आवाजों से गूंजने लगा।

इस तरह हमारी चुदाई चलती रही.
और करीब 20 मिनट बाद मैं उनकी गांड में ही झड़ गया और निढाल होकर उन पर गिर गया।

फिर हम दोनों चूमा चाटी करने लगे और बातें करने लगे।

मौसी- तुझमे तो बहुत पावर है रे … मुझे खुश कर दिया! आज पहली बार मेरी असली वाली चुदाई हुई है।
मैं- यह तो शुरुआत है मौसी, आगे आगे देखती जाओ क्या होता है।

फिर हम दोनों बाथरूम में चले गए और बाथरूम में एक राउंड और पूरा किया।

बाहर आकर मौसी कपड़े पहनने लगी तो मैंने कहा- मौसी, ऐसे ही रहो, हम दोनों ही तो हैं घर में!
फिर हम दोनों नंगे ही रहे।

बाद में मौसी किचन में जाकर रात के खाने की तैयारी करने लगी और मैं मार्किट चला गया और सेक्स की कुछ गोली ले आया।

शाम को हमने ऐसे ही नंगे रहकर ही खाना खाया और मौसी बोली- तुम बैडरूम में चलो, मैं काम निपटाकर आती हूँ।

मैंने बैडरूम में जाकर एक गोली खा ली और मौसी का इंतज़ार करने लगा।

करीब 30 मिनट बाद मौसी आयी तो मेरा खड़ा लन्ड देखकर वे भी मूड में आ गयी और हमारा चुदाई का दौर शुरू हो गया।

रात में मैंने मौसी की कई बार चूत और गांड मारी।
इस दौरान मौसी बार बार और मैं भी कई बार झड़ा।

सुबह के 5 बजे हम दोनों एक दूसरे की बांहों में सो गए।

8 बजे हमारी नींद खुली तो फिर से चुदाई शुरू कर दी और एक राउंड मारा।

इस तरह घर में सिर्फ मैं और मौसी थे तो सारे दिन चुदाई करते।
मौसी सेक्स ओर्गास्म का मजा लेती.

3 दिन बीत गए और इन 3 दिनों में मैंने मौसी को घर के हर कोने में हर तरीके से चोदा।

तीसरे दिन रात को चुदाई करते वक्त मैंने मौसी से कहा- मौसी, मेरी एक इच्छा और है. क्या आप पूरी करोगी?
मौसी- तुमने मुझे चुदाई का असली सुख दिया है, मैं तुम्हारी हर इच्छा पूरी करूँगी।
मैं- सोच लो! बाद में ना मत करना।
मौसी- नहीं करूंगी।

मैं- मौसी, मैं आपकी बेटी जमना को भी चोदना चाहता हूँ।
मौसी- बस इतनी सी बात, चुदवा दूंगी उसे भी! वह भी 18 से ऊपर की हो गयी, उसका भी मन करता होगा।
मैं- मेरी रंडी मौसी, आप बहुत प्यारी हो।

इस तरह हमारी चुदाई चलती रही।
 

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मामी की चूत में उंगली करके गर्म किया



ये सच्ची कहानी 100% वास्तविकता पर आधारित है इसलिए मैंने नाम और जगह सही नहीं बताई है.
बस इतना बताता हूँ कि मैं अभी महाराष्ट्र के पुणे में पढ़ाई कर रहा हूं.

मैं एक मेडिकल कॉलेज का स्टूडेंट हूँ और अभी अपनी पढ़ाई पूरी करने में व्यस्त हूं.
अभी मेरी उम्र 25 साल है. मेरा नाम आप आदी रख सकते हैं.

यह बात तब की है, जब मैं 19 साल का था.
मेरी 12 वीं की पढ़ाई खत्म हो गयी थी और नीट की तैयारी भी पूरी हो गई थी.

नीट का एग्जाम देने के बाद मैं अपने परिणाम की प्रतीक्षा कर रहा था.
छुट्टियां चल रही थीं तो मैं कुछ दिन रहने के लिए अपनी नानी के पास चला गया.

मेरी नानी मेरे मामा और मामी के साथ रहती थीं.
मामी दिखने में बड़ी जबरदस्त हैं.

वे ज्यादा खूबसूरत बन कर तो नहीं रहती हैं लेकिन किसी भी नजरिए से देखो तो सेक्स की जीवंत मूर्ति लगती हैं.

उनका बदन भरपूर गदराया हुआ था.
मैंने अब तक उनके जैसे हुस्न को व परियों जैसी सुंदर काया को बस फिल्मों और कहानियों में ही देखा व पढ़ा था.

मुझे तब फिगर वगैरह के बारे में ज्यादा पता नहीं था और ना ही कुछ ज्यादा पढ़ा था.

मामी को एक डेढ़ साल का छोटा बेटा है तो उनके स्तनों से अभी भी दूध आता है.

मेरे मामा जी कंपनी में काम करते हैं.
मामा को कंपनी की तरफ से एक दो कमरे वाला घर मिला था, तो वह उसी में रहते थे.

वे गर्मी के दिन थे, तो मैं कूलर वाले रूम में सोता था.
उस रूम में 2 बेड थे.
दोनों बड़े वाले बेड थे, जो एक दूसरे से सटाकर लगाए हुए थे.

मैं एक बेड के कोने में सोता था, बीच में मामा फिर उनके साइड में उनका बच्चा.
दूसरे बेड के कोने में मामी सोती थीं.

हफ्ते में 3 दिन तक मामा की नाईट शिफ्ट होती थी और तीन दिन दिन की शिफ्ट चलती थी.
जब मामा नाईट ड्यूटी पर होते, तब भी मैं अपनी वही कॉर्नर वाली जगह पर ही सोता था और दूसरे बेड पर मामी और उनका बच्चा.

अभी मुझ पर जवानी चढ़ने लगी थी, तो मेरा लंड भी खड़ा होने लगा था.
अपने लंड को हिलाने का मन होता तो मैं चुपके से कम्बल को सिर पर ओढ़ कर लंड हिला लेता और पानी निकाल कर सो जाता था.

मेरा लंड सामान्य आकार का ही है, जैसा ज्यादातर भारतीय लोगों का होता है.

उस दिन मामा रात वाली ड्यूटी पर गए हुए थे.
रात गहराई तो मैं सो गया.
मुझे जल्दी सोने की आदत थी.

अभी डिग्री कॉलेज में कुछ पुरानी आदतें छूट जाती हैं और कुछ नई लग जाती हैं.
रात को करीबन 2 बजे किसी वजह से मेरी आंख खुल गई.

कमरे की लाइट बंद थी लेकिन खिड़की से प्रकाश अन्दर आ रहा था.
उस प्रकाश से मैंने जो दृश्य देखा … उसे देखकर मेरी नींद मुझसे कोसों दूर भाग गई.

मामी मेरे बेड पर आकर लेटी हुई थीं और उनकी दूसरी तरफ उनका बच्चा था.
मामी के बच्चे ने साइड वाले बेड पर सुसु कर दी थी इसलिए मामी मेरे बेड पर आ कर सो गई थीं.
मामी का ब्लाउज आधा खुला हुआ था और उसमें से उनका एक स्तन बाहर निकला हुआ था.

मामी और मेरे बीच में सिर्फ आधा हाथ का अंतर था.

इतने पास से किसी के बूब्स देखने का ये मेरा पहला ही मौका था.
मैं उत्तेजित हो गया.

मैंने धीरे से देखा कि मामी या बच्चा जागे हुए हैं या नहीं.
वे दोनों गहरी नींद में सो रहे थे.

मामी शायद बच्चे को दूध पिलाते पिलाते ही सो गई थीं इसलिए उनका एक आम बाहर निकला हुआ था.

मैं धीरे से मामी की तरफ सरक गया और मामी के साथ सटकर सोने की एक्टिंग करने लगा.

मैंने धीरे से अपना एक हाथ मामी के पेट के ऊपर रखा.
बस इतना करने से ही मेरी उत्तेजना और दिल की धड़कन दोनों बहुत ही ज्यादा बढ़ गयी थीं.

नई नई जवानी चढ़ी थी तो ये सब मेरे लिए नया था.
मामी की तरफ से कोई भी हलचल नहीं हुई तो मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ गयी.

मैं धीरे धीरे अपना हाथ ऊपर की ओर बढ़ाता रहा.

जैसे जैसे हाथ ऊपर की ओर बढ़ रहा था, मेरे दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी … और मेरा लंड भी पूरी तरह से खड़ा हो चुका था.

फिर आखिर वह घड़ी आ ही गयी जब मैंने यौवन में कदम रखने के बाद पहली बार स्त्री शरीर के कोमल और मुलायम अंग का अनुभव किया.
जैसे ही मैंने अपना हाथ मामी के स्तन पर रखा तो वह स्पर्श मेरे पूरे शरीर में सुखद लहर पैदा कर गया.

मैंने अपना पूरा हाथ मामी जी के स्तन पर रख दिया और उसकी मुलायमियत को महसूस करता रहा.
मेरी उत्तेजना काफी बढ़ गयी थी तो मेरे लंड से प्रीकम निकलना चालू हो गया था और मुझे बहुत मजा आ रहा था.

वह स्पर्श इतना मुलायम था जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है.
मुझे उस दूध को दबाने का मन हुआ तो मैंने अपना दबाव बढ़ा दिया.

तभी मेरे हाथ को कुछ गीला महसूस हुआ.
मैंने हाथ हटा कर खिड़की से आ रही रोशनी में देखा तो वह मामी के दूध की बूंदें थीं जो मेरे दबाव की वजह से स्तन से बाहर आ गयी थीं.
उसे मैंने चाटा तो उसका स्वाद मेरे मुँह में आ गया.

मैंने वापस से अपना पूरा हाथ मामी के स्तन पर रख दिया और उसे हल्के हाथ से दबाने लगा.
मुझे ऐसे करना बहुत ही आनन्ददायी लग रहा था.

फिर मैंने धीरे से मामी के दूसरे स्तन को भी बाहर निकाला और बारी बारी से दोनों स्तनों को दबाने लगा.
अब तक तो मामी नींद में थीं तो मेरी हिम्मत और बढ़ने लगी.

जब लंड खड़ा होता है तो आदमी के अन्दर का जानवर बस वही ढूंढता है, जिससे उसकी प्यास बुझे!
मेरे अन्दर भी कुछ जाग गया था जो मुझे आगे बढ़ने के लिए उकसा रहा था और मुझे हिम्मत दे रहा था.

कुछ देर उन मुलायम स्तनों से खेलने के बाद मैंने आगे बढ़ने की सोची और अपना एक हाथ नीचे की तरफ बढ़ा दिया.
अब मेरा एक हाथ मामी के पेट पर था और दूसरा छाती पर.

पेट पर जो हाथ था, उसे मैं धीरे धीरे नीचे की तरफ बढ़ा रहा था.
जैसे जैसे हाथ बढ़ रहा था, मेरे दिल की धड़कन भी बढ़ती जा रही थी.

एक ही समय पर उत्तेजना, डर, रोमांच, वासना ये सब मैं महसूस कर रहा था.
मेरे लंड से उत्तेजना ज्यादा बढ़ने की वजह से प्रीकम और अधिक निकलने लगा था जिसकी वजह से मुझे और भी मजा आ रहा था.

अब मैंने अपना हाथ मामी की कमर तक बढ़ा दिया था, जहां पर मामी ने अपनी साड़ी और पेटीकोट बांधी हुयी थी.
उनके नींद में होने की वजह से उनकी साड़ी भी थोड़ी ढीली हो गयी थी.

मैंने अपने हाथ से मामी के पेट पर दबाव बनाया और दबाव की वजह से जो पेट और साड़ी पेटीकोट के बीच में गैप बना, उसमें से मैंने अपना हाथ नीचे की ओर बढ़ा दिया.

मेरा हाथ धीरे धीरे मामी के पेट से होते हुए नीचे की ओर सरकता जा रहा था.
साथ ही मेरे अन्दर एक गर्म आग जाग रही थी.

उत्तेजना के कारण में थरथर कांप रहा था.
मामी गहरी नींद में सो रही थीं.

अब मेरा हाथ मामी की पैंटी पर आ गया था.
मैंने धीरे से पैंटी की इलास्टिक के अन्दर हाथ डाला.

मेरे हाथ को मामी की झांट के बाल लगे.
मुझे बड़ा विचित्र सा महसूस हो रहा था क्योंकि उनकी झांट के बाल बहुत बड़े थे.

मैं अपना हाथ थोड़ा और नीचे करने ही वाला था कि मामी ने हलचल की.
इस वजह से मैं डर गया और मैंने तुरंत अपना हाथ बाहर निकाल दिया.

मैं फिर से हाथ अन्दर डालने वाला था कि मामी करवट बदल कर सो गईं.

इस सब घटना में मेरी उत्तेजना इतनी अधिक बढ़ गई थी कि मेरा प्रीकम के साथ मेरा रस भी निकल गया.
फिर मैं भी सो गया.

दूसरे दिन मामी मेरी तरफ अजीब निगाहों से बिल्कुल भी नहीं देख रही थीं.
सब कुछ सामान्य चल रहा था.

शायद मामी को पता नहीं चला होगा कि रात में उनके साथ क्या क्या हुआ था.

मैं फिर से रात होने का इंतजार कर रहा था.

रात हुई, मामा जी अपनी ड्यूटी पर चले गए और मामी ने बच्चों को सुला दिया.

वे खुद एक कोने में सो गईं लेकिन मेरी नींद कोसों दूर थी.
मैंने देखा कि मामी सो गई हैं.

मैंने मामी का बच्चा, जो हमारे बीच में सो रहा था, उसे मेरी एक तरफ सुला दिया और मैं खुद मामी की तरफ सरक गया.
मामी सीधी होकर सो रही थीं.

मामी के ब्लाउज के दोनों बटन बंद थे.
मैंने धीरे से अपना हाथ ब्लाउज के ऊपर से ही मामी के स्तनों पर रख दिया.

वह अहसास बड़ा ही शानदार था.
मैं धीरे धीरे अपना हाथ उनके मम्मों पर फिरा रहा था और अपना दबाव उनके दोनों स्तनों पर बढ़ाता जा रहा था.

कुछ देर बाद मैंने मामी के ब्लाउज के बटन खोल दिए और उनके स्तनों को आजाद कर दिया.
अब मैं धीरे धीरे अपने हाथों से उनको महसूस कर रहा था.

मैंने अपना मोर्चा नीचे की तरफ मोड़ दिया लेकिन आज मामी ने अपने पेटीकोट की गांठ बहुत कसकर बांधी थी.

मेरे बहुत कोशिश करने के बाद भी वह खुल नहीं रही थी.

तभी मुझे पेशाब लगने लगी तो मैं उठ कर पेशाब करने चला गया.
जब वापस आकर मैंने देखा तो पेटीकोट की गांठ खुली हुई थी.

यह देख कर मुझे बड़ा ताज़्जुब हुआ कि यह कैसे खुल गई.
मुझे समझ में आ गया कि ये मामी ने ही किया होगा.

मैंने अब अपना हाथ धीरे से अन्दर की ओर खिसका दिया.
मेरे हाथों को घने बालों का जंगल लगा, तो मैंने अपना हाथ और नीचे की तरफ बढ़ा दिया.

मुझे एक गर्म अहसास हुआ.
मेरे हाथ में मामी की चूत की पंखुड़ियां लग गई थीं जिन्हें मैं महसूस कर रहा था.

मेरे दिल की धड़कन बहुत ज्यादा बढ़ गई थी.
आज जिंदगी में पहली बार मैंने किसी चूत को छुआ था.

मैं अपनी उंगलियां चूत की फाँकों पर फिरा रहा था.

मुझे अपनी उंगलियां चूत के अन्दर डालना थीं, पर मुझे चूत का दरवाजा ही नहीं मिल रहा था.
थोड़ी देर मैं ऐसे ही हाथ फिराता रहा.

फिर मैंने उत्तेजनावश अपना लंड बाहर निकाल दिया और मामी का हाथ अपने हाथ में लेकर उस पर रख दिया.
अब मेरा हाथ उनकी मुलायम सी चूत पर था और उनका हाथ मेरे लंड पर.

वह पल एक बेहद हसीन पल था.

मैंने धीरे धीरे अपना हाथ मामी की चूत के छेद पर रख दिया और अपनी उंगलियां चूत के छेद पर फिराने लगा.
फिर मैंने अपनी एक उंगली से ऊपर से नीचे की … और मामी की चूत का रास्ता ढूंढते हुए मैंने अपनी एक उंगली मामी की चूत के अन्दर के रास्ते पर रख कर अन्दर दबा दी.

मेरी उंगली बहुत ही आसानी से मामी की चूत के अन्दर घुसती चली गई.
उस गर्म अहसास को मैं महसूस करने लगा.
वह एक गर्म और बहुत अच्छा सुखद अहसास था.

मैंने धीरे धीरे अपने हाथ की उंगली को मामी की चूत के अन्दर बाहर करना चालू कर दिया.

मेरी एक उंगली मामी की चूत के अन्दर बाहर हो रही थी, तो मामी को भी धीरे धीरे मजा आने लगा.
मामी ने जो अपना हाथ मेरे लंड पर रखा था, उसका कसाव वह मेरे लंड पर बढ़ाती जा रही थीं.

फिर धीरे धीरे मामी ने अपना पूरा हाथ मेरे लंड पर रखते हुए अपने हाथ की पकड़ में मेरे पूरे लंड को ले लिया.
मैंने भी एकदम अपनी दूसरी उंगली भी मामी के चूत के अन्दर डाल दी और अपना एक हाथ मामी के स्तन के ऊपर रख दिया.

मामी के स्तन का अहसास बहुत ही कोमल और मुलायम था.
नीचे मेरे हाथ की दो उंगलियां मामी की चूत के अन्दर बाहर हो रही थीं.
वह एक गर्म अहसास था.

मुझे एक ही समय में तिहरा मजा आ रहा था.
मेरा एक हाथ मामी के स्तन पर था, मेरे दूसरे हाथ की दो उंगलियां मामी की चूत के अन्दर बाहर हो रही थीं.

बोनस में तीसरा सुख मेरे लंड के ऊपर मामी का हाथ दे रहा था.
वे धीरे धीरे मेरे लंड की फोर स्किन के साथ खेल रही थीं और उसे ऊपर नीचे कर रही थीं.

मैंने अपनी स्पीड बढ़ाते हुए अपनी दोनों उंगलियों को मामी की चूत में तेजी से अन्दर बाहर करना चालू कर दिया.
इसकी वजह से मामी की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी और मामी को मजा आने लगा था, उनके मुँह से कामुक आवाजें तेज हो रही थीं.

मामी के मुँह से मदभरी आवाजों को सुनकर मेरा हौसला भी बढ़ता जा रहा था.

मेरे लंड से प्रीकम का पानी निकलना चालू हो गया था जिसकी वजह से मामी के हाथ की पकड़ मेरे लंड पर अच्छे से बैठ रही थी.

मामी भी मेरे लंड को तेजी से ऊपर नीचे की ओर करती हुई हिला रही थीं.
वे लौड़े के टोपे से खेल रही थीं.

साथ ही वे अपनी उंगली मेरे लंड के टोपे पर फिरा रही थीं जिसकी वजह से मेरे पूरे बदन में एक झनझनाहट महसूस हो रही थी.
मैंने अब आगे बढ़ने की सोची और उनकी चूत से उंगलियों को निकाल कर अपने मुँह में ले लिया.

वे कसमसाने लगीं.
शायद उन्हें अपनी चूत से उंगलियां निकलवाना अच्छा नहीं लगा था.
मैंने उनकी तरफ देखा तो वे बिना कुछ बोले उठ कर मेरे लंड पर झुक गईं और मामी ने अपने मुँह में लंड को भर लिया.

आह … यह अद्भुत था.

मेरे जीवन में किसी स्त्री के मुँह में लंड का जाना मेरे लिए एक अलौकिक अहसास था.
लंड एकदम कड़क हो गया था.

एक मिनट से भी कम समय में ही मामी ने मेरे लंड को चूस कर छोड़ दिया था.
शायद उन्होंने अपनी चूत के साथ हुए अन्याय का बदला लंड चूस कर छोड़ने से ले लिया था.

मुझसे रहा न गया, मैंने उनके सर को पकड़ कर लंड पर झुकाने का प्रयास किया.

तो मामी मुस्कुरा दीं और उन्होंने लंड चूसने से मना कर दिया.
मैंने उठ कर उन्हें वापस अपने लौड़े पर दबा दिया तो वे लंड को चूसने लगीं और एक दो चुप्पे लगा कर फिर से अलग हो गईं.

अब उन्होंने अपने कपड़े उतार दिए और मुझसे भी इशारे से कहा.

अगले कुछ ही पलों में मैं भी नंगा हो गया था.

अब मामी मेरे सामने चूत खोल कर उस पर अपना हाथ फेर रही थीं और मेरी तरफ देख कर उन्हें चोदने का इशारा कर रही थीं.

मैंने उनके ऊपर चढ़ कर अपना लंड चूत के ऊपर घिसा तो मामी ने अपने हाथ से लंड को चूत के मुँह पर सैट कर दिया और मैंने उनके ऊपर दबाव दे दिया.

एक मीठी आह के साथ मेरा लंड मामी की चूत की गहराई में खो गया.
आह … यह बड़ा ही सुखद अहसास था मामी चुदाई का!

हम दोनों अपनी अपनी जिस्म की प्यास बुझाने की कोशिश करने लगे थे.

कुछ दस मिनट बाद मामी आह आह करती हुई स्खलित हो गईं और निढाल हो गईं.
मेरा लंड अभी भी सख्ती से उनकी चूत को रौंद रहा था.

कुछ मिनट बाद मामी की चूत ने मेरे लंड को वापस निचोड़ना शुरू कर दिया और जल्द ही मैं उनकी चूत में बहने लगा.

हम दोनों हांफते हुए लिपट गए और मामी ने अपना एक दूध मेरे मुँह में दे दिया.

उनके दूध की धार से मेरा प्यास गला तृप्त होने लगा.
कुछ ही देर में हम दोनों गहरी नींद के आगोश में चले गए.
 

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कुंवारी बहन चुदी बरसात में




मेरा नाम राजन है, मेरी उम्र 21 साल है.
मेरे परिवार में माँ, भैया, भाभी और मेरी बहन है.
मेरी बहन का नाम प्रीति है जो मुझसे 2 साल छोटी है यानि 19 साल की.

मैं अपनी भाभी को भी चोद चुका हूँ.

यह कहानी भाभी की नहीं, मेरी कुंवारी बहन की चुदाई की है.

जब मेरी भाभी को मैंने चोदा तो उन्होंने मुझे मेरी बहन के बदन के बारे में बताया था कि मेरी बहन का फिगर एकदम मस्त है, उसकी 34 की चूचियाँ हैं.
तब भाभी बातों ही बातों में मेरी बहन की चूत के बारे में बताने लगी कि प्रीति की चूत पर बहुत बाल हैं. वह अभी चुदी नहीं है … इत्यादि!

ये सब सुन कर किसी भी लड़के के दिमाग़ में किसी के लिए भी चूत और मन ही मन में चुदाई का ख्याल आना स्वाभाविक है, चाहे वो सगी बहन ही क्यों ना हो!

तब से मैं अपनी बहन को कुछ और ही नज़र से देखता था.
वह सब काम करती थी घर का!

ऐसा हुआ कि अभी जुलाई के महीने में धान की रोपाई चल रही थी, भाभी अभी खेत में नहीं जाती है पर मैं, मेरी बहन और माँ ही ज्यादातर खेत का काम करते हैं.

मेरा एक खेत गाँव से थोड़ा दूर ताल के बगल में है. वहीं पर रोपनी चल रही थी.

बरसात का दिन था तो भीगने की वजह से माँ कोई बुखार आ गया था खेत में थोड़ा रोपना बाकी रह गया था.
उस दिन मेरी बहन बोली- चलो भैया, थोड़ा सा ही तो रह गया है. हम लोग रोपकर आ जाएंगे शाम तक … सब काम ख़त्म हो जाएगा.

मैं और प्रीति चले गए धान के पौधे और एक छाता लेकर रोपने!
मेरे खेत में जोंक भी आती है ताल के पास होने की वजह से!

प्रीति बहुत डरती है जोंक से!

यही वजह थी कि मैं उसके साथ में रहता था.
जोंक पकड़ती तो छुड़ा कर फ़ेंकता रहता था.

हमने जैसे ही रोपाई शुरू की, बरसात शुरू हो गयी.
मैं भीग कर रोपता रहा पर मेरी जवान बहन छाते में बाहर बैठ गयी थी.

बरसात बंद हुई तो वह भी धन रोपने लगी.

कुछ समय बाद उसके पैर में जोंक ने पकड़ लिया. यह जोंक थोड़ा बड़ी थी तो बहन डरकर बाहर भाग गयी.
मैं भी बहन के पीछे गया.

जोंक ने घुटने के थोड़ा नीचे पकड़ा था …उसे मैंने अपने हाथ से निकाल दिया और थोड़ा सहला के बोला- चल कुछ नहीं होता इतने से!

फिर हम दोनों लग गए काम में!

15 मिनट बाद फिर बारिश शुरू हुई.
अबकी बार तेज़ हवा के साथ बिजली भी चमक रही थी और बादल भी गरज रहे थे.
हम दोनों एक ही छाते में आकर बैठ गए.

10 मिनट बाद उसे कुछ हुआ, वो इधर उधर हुई लेकिन कुछ बोली नहीं.

वह अपना हाथ अपने दाई जाँघ के पास ले गई और चिल्ला दी.
उसे लगा कि जोंक है!

पहले मैं भी डर गया, फिर मैंने उसे चुप कराया और मैंने भी हाथ लगाया तो मुझे भी कुछ लगा.
मैं बोला- मैं पकड़ के रखता हूँ. तू अपना सलवार खोल!

तो वह बोली- मैंने कच्छी नहीं पहनी है.

अब मेरी नज़रों के सामने भाभी द्वारा बताये गए सब फिगर, बहन की चूत और झांटें … इस सबका ख्याल आने लगा.
मैं बोला- तो क्या हुआ? बिना खोले कैसे जोंक छोड़ेगी?

तो जैसे ही बहन ने अपनी सलवार की डोरी खोली, मैंने उसे थोड़ा सा लेटाते हुए उसकी सलवार सरकाई.

सबसे पहले चूत के बाल के दर्शन होते ही मेरा दिमाग़ ख़राब हो गया.
मेरी कल्पना से भी ज्यादा बाल थे बहन की चूत पर!

लेकिन मैंने ऐसा रियक्ट किया कि जैसे मैंने देखा ही नहीं!

फिर सलवार को और सरकाया तो देखा कि मैंने जो पकड़ा था, वह सलवार की डोरी ही थी.

अब मेरे दिमाग़ में उल्टा ख्याल आने लगा.
मैंने अपने नाख़ूनों से बहन की जांघ पर चिकोटी काटी ताकि उसे लगे जोंक ही है.

मेरा लंड तनकर शख्त हो गया था.

मैंने अपना दूसरा हाथ उसकी चूत पर लगाया.
वह गर्म भट्ठी जैसे तप रही थी.

बारिश अब कम हो रही थी लेकिन जिस्म में आग लग गयी थी.
मैं सीधा उसकी चूत को सहलाने लगा.

तभी चौंक कर वह उठने लगी.
लेकिन मैंने हाथ उसकी चूचियों पर रखकर धक्का देकर लिटा दिया और उसके बराबर में लेट गया.

वह नीचे से नंगी थी, उसकी सलवार खुली हुई थी तो थोड़ी कोशिश करके मैंने एक पैर निकाल दिया था और मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में आ गया.

मैं हाथ से बहन की चूची दबाने लगा.
उसकी चूची बहुत टाइट थी फिर भी मैं उसे जोश में मसले जा रहा था.
लेकिन मेरी बहन थोड़ा नाम मात्र दिखावे का विरोध कर रही थी.

मेरे लंड और उसकी चूत के बीच बस मेरा अंडरवियर बचा था.
उसकी चूत बिल्कुल तप रही थी, भट्ठी के समान गर्म हो गयी थी.

मैंने अपना अंडरवियर नीचे सरकाया, लंड उसकी चूत पे टच हुआ, फिर उसकी चूत पे हाथ लगाया तो देखा कि बहन की चूत पानी छोड़ रही थी, गीली हो गयी थी.
इधर चूत चुदाई के लिए बिल्कुल तैयार थी हाथ लगाने से ही पता चल गया था.

जब मैंने बहन के चेहरे को देखा तो वह भी आँकहें बंद करके सिसकारियाँ ले रही थी.

अब मैंने अपने लंड को बहन की चूत के मुँह पर लगाकर दोनों हाथों से उसके दोनों हाथ दबा के शरीर का पूरा बल उसके ऊपर दिया और एक किस किया.

एक बार वो बोली- भईया, क्या ये सही है?
मैं बोला- अभी मज़ा ले! वैसे भी तू माल मस्त है! मौसम भी साथ दे रहा है, जवानी के मज़े ले अभी!

वह बोली- कुछ हो गया तो?
मैं बोला- अरे पागल … मैं कहाँ भागने वाला हूँ? मुझे भी तो गाँव में ही रहना है ना! कुछ होने दूंगा तुझे क्या? हाँ लेकिन एक बार थोड़ा दर्द होगा झेल लेना बस!

पहले मेरी बहन थोड़ा घबराई … लेकिन और कोई चारा ना दिखा तो वह बोली- थोड़ा आराम से … मेरी अभी तक पूरा कुंवारी है!

अब उसको तैयार देख थोड़ा शरारती लहजे में उसके कान में बोला- तभी तो और मज़ा आएगा बहन की कुंवारी चूत फाड़ने में!

उसके बाद मैंने उसके हाथ छोड़ कर दोनों हाथ से उसके चेहरे को पकड़ कर होंठों से होंठ मिला दिये.

मेरा लंड अभी चूत के पास ही उफान मार रहा था.
बारिश अब धीरे धीरे फिर तेज़ हो रही थी.

जब मुझसे रहा ना गया तो मैंने मुँह से ढेर सारा थूक ले कर लंड पर और चूत पर लगाया और अपनी एक उंगली बहन की बुर में डालने की कोशिश की.
आराम से फ़िसलकर उंगली ने चूत में अपना रास्ता बना लिया.

हवा तेज़ हो रही थी.

तब मैंने उंगली निकालकर चूत पर लंड रखा और हल्का सा दबाव दिया.
थोड़ा सा अंदर गया मेरा लंड … प्रीति ऊपर सरक कर बोली- दर्द कर रहा है भाई!

मैं बोला- यार, अभी तो शुरू हो रहा है. एक बार दर्द सह कर ले लो. फिर मज़ा देखो!

इतना बोल कर मैं भी थोड़ा सा ऊपर हो गया.
फिर लंड को चूत के मुँह पे रगड़ कर रोककर प्रीति को जकड़ लिया और झटके के साथ एक बार में लंड घुसाने की कोशिश की.

करीब आधा लंड ही घुसा होगा कि दर्द के मारे मेरी बहन की आँखें बाहर को आ गयी.
वह रोने लगी और मेरी पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगी.

जैसे ही वह थोड़ी ढीली हुई, मैंने हल्का पीछे होकर पूरा लंड पूरा पेल दिया उसके अंदर!

बरसात के साथ बिजली कड़कने की तेज़ ध्वनि आकाश में थी.

मेरा लंड बहन की चूत के अंदर तक घुस चुका था.
प्रीति एकदम शांत पड़ गयी जैसे शरीर में उसके जान ही ना हो.

मैं उठा तो देखा लंड पूरा चूत में था और बाहर खून की धार टपक सी रही थी.

बहुत सुकून मिला मुझे आज अपनी बहन की सील तोड़कर!

अब मैं उसको हिला कर थोड़ा होश में लाया.
फिर पीछे होकर धक्का दिया.
अब वह सिर्फ आह्ह उह्ह्ह के जैसे आवाज निकाल रही थी.

5 मिनट बाद वह इस चुदाई में सहयोगी का काम करने लगी.
10 मिनट बाद उसकी चूत इतना पानी छोड़ने लगी कि मेरा लंड आसानी से आ जा रहा था.

रेन सेक्स का पूरा मजा हम दोनों भाई बहन ले रहे थे.

लेकिन वह फिर भी ‘आहह ऊऊ स्सस्सी मम्मीई’ ऐसी आवाजें निकाले जा रही थी.

कुछ देर बाद ज़ब चूत का पानी सूख रहा था, तभी मेरा माल निकल जाने को आया.
मैं उसकी दोनों चूची हाथों में कस कर तेज़ी से चोद रहा था.

1 मिनट बाद लंड का लावा आखिर निकल ही गया.
मैंने आखिरी बूँद तक पूरा वीर्य बहन की चूत में ही भर दिया.

कुछ पल बाद मेरा लंड छोटा होकर बाहर आ गया.

तब मैंने अपनी बहन की चूत को देखा तो उसमें लगभग 2.5 सेमी का खुला छेद हो गया था.
उसमें से उसकी चूत का रस और मेरा वीर्य बहते हुए आ रहा था.

दोस्तो, अभी तक मैंने अपनी बहन प्रीति की चूचियाँ नहीं देखी थी. वे उसकी कमीज के अंदर ही थी. मैंने उन्हें खूब मसला था पर शर्ट के ऊपर से ही.

इस तरह से मैंने अपनी कुंवारी बहन को चोद दिया था.
 

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प्लान बना कर सेक्सी मामी को चोदा



दोस्तो, मेरा नाम योगेश शर्मा हैं और मैं इंदौर का रहने वाला हूं।
मेरी उम्र 19 साल की है और मेरा लन्ड 6.5 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है।

यह सेक्स प्लान कहानी मेरी और मेरी मामी की है।
मेरी मामी का नाम अर्चना है और दिखने में बेहद सुंदर मानो स्वर्ग की अप्सरा हो.

उनकी उम्र 32 साल की है और उनके दो बच्चे भी हैं.
लेकिन उनको देख कर कोई नहीं कह सकता कि वे दो बच्चों की मां हैं.

यह बात दो महीने पहले तब की है जब मेरी नानी और मेरे बड़े मामा मेरी मौसी के यहां गए हुए थे.

मेरे दो मामा हैं और दोनों शादीशुदा हैं.
लेकिन मेरा दिल बड़ी मामी पर फ़िदा है.

मेरा परिवार गांव से संबंध रखता है; सभी गांव की भाषा में बात करते हैं.
उस दिन मेरे मामा और नानीजी मौसी के यहां गए हुए थे.

घर में नानाजी, छोटे मामा, छोटी मामी, बड़ी मामी और उनके बच्चे थे.

मैंने सोच लिया था कि अभी मौका है, फिर मामाजी आ जाएंगे तो मौका नहीं मिलेगा.
मैं उस रात नानीजी के यहां बिना किसी कारण के जबरन ही रुक गया.

चूंकि सब मुझे लाड़ करते हैं इसलिए ज्यादा कुछ नहीं पूछा कि मैं यहां किस काम से आया था.

रात के करीब 9.30 बज रहे थे.
सबने खाना खा लिया और छत पर टहलने चले गए.

मेरे छोटे मामा जी तो अपने दोस्त के पास चले गए थे और नानाजी टीवी देख रहे थे.
मैं, बड़ी मामी, छोटी मामी और उनके बच्चे हम सब छत पर ही थे.

टहलते टहलते कब 11.30 बज गए, मालूम ही नहीं चला.

इतने में छोटे मामाजी अपने दोस्त के पास से आ गए और अपने रूम में चले गए.

उन्हें आया देख कर छोटी मामी भी चली गईं.
बच्चे नानाजी के पास सो गए थे.

अब बस छत में और बड़ी मामी हम दोनों अकेले थे.

बड़ी मामी को नींद नहीं आ रही थी क्योंकि मामाजी नहीं थे.
इसलिए हम दोनों आपस में बात करने लगे.

जब मेरी मामी बात करती हैं, तब जी चाहता है कि उनके गुलाबी होंठों को चूम लूँ.
मैंने पहले से ही सेक्स प्लान बना लिया था कि मुझे आज रात किसी भी कीमत पर मामी को चोदना है.

फिर मैंने धीरे से मामी को बोला- मामी, आपको एक बात बताऊं?
मामी- बताओ न … क्या बात है!

मैं- आप किसी को बताओगी तो नहीं!
मामी- नहीं बताऊंगी. बेफिक्र होकर बताओ.

मैं- आपने गुप्त रोग का नाम सुना है.
मामी- हां.

वे चिंता करती हुई बोलीं- पर किसे हुआ है!
मैं- मुझे!

इतने में तो मामी टेंशन में आ गईं और ऊपर से मैं लाड़ का लड़ैता ठहरा.

मामी- क्या हुआ बाबू. मुझे सब सच बताना, डरना मत. मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगी.
मैं- वह मामी ये बात आज से एक हफ्ते पहले की है. जब रात को अपने लिंग के साथ खेल रहा था. ऐसा नॉर्मली सभी लड़के करते हैं.
मामी- हां फिर?

मैं- तो मैं अपने लिंग को हिला कर खड़ा कर रहा था लेकिन वह हुआ नहीं और ढीला ढीला हो रहा था.
मामी- अरे बाप रे … फिर बाबू?

मैं- तो अगले दिन मैंने डॉक्टर को बताया, तो उसने कहा कि ये नपुंसकता के लक्षण हैं.

मामी चिंता करती हुई बोली- फिर बाबू?
मैं- तो मामीजी वह डॉक्टर ने कहा कि तुम्हारी मर्दानी ताकत जा रही है.
मामी- तो बाबू तुम अच्छे डॉक्टर को बताओ ना!

मैं- मामी मैंने गुप्त रोग के सबसे अच्छे डॉक्टर को ही बताया. लेकिन उन्होंने मुझे एक कठिन इलाज बताया है.

मामी- क्या इलाज है वह?
मैं- मामी वह डॉक्टर कहता है कि मेरी मर्दाना ताकत तब आएगी, जब मैं किसी महिला के साथ में सेक्स करूंगा. वह कहता है कि मेरे लिंग में उत्तेजना की कमी है. यदि समय पर सेक्स नहीं किया तो मैं नपुंसक बन जाऊंगा. लेकिन मामी मेरी कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं है, मैं किसके साथ सेक्स करूंगा. मैं बहुत परेशान हो रहा हूँ मामी!

मामी- बाबू तुम्हें ये पहले बताना चाहिए था न … तुम टेंशन मत लो!
मैं- मामी मुझे बहुत शर्म आ रही थी इसलिए ये बात मैं सिर्फ आपको बता रहा हूँ.

मामी- बाबू तुम घबराना मत. एक काम करो तुम मेरे साथ सेक्स कर लो.
मैं- लेकिन आप मेरी मामी हो. मैं आपके साथ ये कैसे कर सकता हूं?

मामी- मैं तुम्हारी मामी बाद में और दोस्त पहले हूँ. तुम मुझे अपनी गर्लफ्रेंड समझकर सेक्स कर सकते हो.

‘लेकिन मामी!’
‘लेकिन-वेकिन कुछ नहीं. कमरे में चलो, सब सो गए हैं … और आज तुम्हारे मामा भी नहीं हैं.’

मैं- लेकिन मामी, मुझे सेक्स करना नहीं आता.
मामी- मैं हूँ ना. तुम चुपचाप कमरे में चलो.

मैं और मामी कमरे में आ गए और मामी ने गेट भी बंद कर दिया.
रात का करीब एक बज रहा था.

अचानक मामी मेरी तरफ़ देखती हुई बोलीं- योगेश तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो न?
मैंने कहा- मामी मैं झूठ क्यों बोलूंगा. और आप तो मुझे बचपन से जानती हो.

मेरे इतना कहते ही मामी ने मुझे अपने गले से लगा लिया और मेरे माथे पर किस कर दिया.
मैंने भी मामी को कस के पकड़ लिया.

फिर मामी बोलीं- योगेश जैसा मैं बोलूंगी, तुम्हें वैसा ही करना है.
मैंने हां में गर्दन हिला दी.

मामी ने मुझे पलंग पर बिठाया और मेरे गाल पर हाथ फेरने लगीं.

मैं क्या बताऊं दोस्तो, मेरा सपना पूरा हो रहा था और मेरा लंड तो मानो पैंट फाड़कर बाहर निकल रहा था.

मेरा बनाया हुआ सेक्स प्लान कामयाब हो रहा था.
शायद मेरी मामी भी भोली ही निकली थीं या उन्हें भी मैं एक सॉफ्ट टारगेट के जैसे मिल गया था.

मामी बोलीं- योगेश तुम मुझे किस करो … होंठ पर करना!

मैंने मामी को किस किया, वह भी सहयोग देने लगीं.
हमारा चुंबन लगभग 5 मिनट तक चला.

फिर मैंने मामी को खड़ा कर दिया पलंग से और दीवार के सहारे उन्हें किस करने लगा.
उनकी मस्त गांड पर हाथ फेरने लगा, उनको चूमते चूमते उनकी चूची को दबाने लगा.

उस रात मेरी मामी ने नीले रंग की सेक्सी सी साड़ी पहन रखी थी.

बड़ा ही मस्त माहौल था दोस्तो, मानो जन्नत …
फिर मैंने उनका पल्लू हटा दिया और उनका पीठ से खुला खुला सा ब्लाउज दिख रहा था.

उनका मुँह दीवार की तरफ करके, कंधे को चूमते हुए उनके ब्लाउज खोल दिया.
मामी ब्रा नहीं पहनती हैं.

मामी सिसकारियां ले रही थीं और वह भी धीमे धीमे!

तब मामी ने कहा- तुम्हें तो सब आता है योगेश … कहां से सीखा ये?
मैंने कहा- मैं मोबाइल में कभी कभी ब्लू फिल्म देख लिया करता था. उसमें ऐसा ही करते हैं. मैं सही कर रहा हूं ना मामी?
मामी- हां योगेश, ऐसे ही करते रहो. मुझे भी अच्छा लग रहा है.

मैंने मामी को अपनी तरफ घुमा लिया.

आह क्या रसभरे चूचे थे दोस्तो … एकदम दूध से भरे गुब्बारे मानो अभी मेरे लिए ही जवान हुए हों.
मैं उनको बड़े प्यार से चूसने लगा.
मामी सिसकारियां ले रही थीं.

मैंने मामी को धक्का देकर पलंग पर लेटा दिया और मैंने अपनी टी-शर्ट निकाल फेंकी.
हम दोनों आधे नंगे हो चुके थे.

फिर मैं मामी के ऊपर चढ़ गया और उन्हें किस करने लगा.

मुझसे अब रहा नहीं गया.
मैंने अपनी लोअर भी निकाल दी और साथ में अंडरवियर भी.

मामी मेरे लंड को देखकर हैरान हो गईं और बोलीं- योगेश, तुम्हारा लंड इतना बड़ा … तुम क्या लगाते हो इस पर?
मैंने कहा- कुछ नहीं मामी, बस मुठ मारते मारते इतना बड़ा हो गया.

मामी ने मेरा लंड अपने हाथ में लिया और जैसे ही उन्होंने मेरा लंड पकड़ा, मुझे एक करंट का झटका सा लगा.
मेरे लंड को पहली बार कोई औरत हाथ लगा रही थी.

मामी मेरे लंड को ऊपर नीचे करने लगीं और कहने लगीं- योगेश, मुझे नहीं लगता कि तुम्हें कोई रोग है, तुम झूठ बोल रहे थे ना!
मैंने कहा- हां मामी, मैंने आपसे झूठ बोला. मैंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि मैं आपको चोदना चाहता था … इसी लिए मैंने ये प्लान बनाया.

‘और तुम्हारे इस प्लान में मामी फंस गई, बड़े चालाक हो तुम!’

मैंने कहा- हां मामी आप मेरा क्रश हैं.
‘हम्म … मैं भी तुमसे चुदवाना चाहती थी.’

मैंने कहा- क्या सच?
वे बोलीं- हां मुच … तो क्या अब मैं इस लंड को अपने मुँह में ले लूँ?’
‘हां मामी, बिल्कुल आज रात के लिए ये आपका ही केला है!’

मेरे ऐसा कहते ही मामी ने मेरा लंड मुँह में ले लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं.
क्या मजा आ रहा था दोस्तो, मैं बता नहीं सकता.

थोड़ी देर तक मेरे लंड को चूसने के बाद मैंने मामी के मुँह में ही अपना वीर्य निकाल दिया. उन्होंने आधा वीर्य पी लिया और वीर्य अपनी साड़ी पर गिरा लिया.
मामी ने कहा- बस योगेश इतना ही!

मैंने कहा- मामी, ये मेरा फर्स्ट टाइम है ना … इसलिए मैं जल्दी झड़ गया.
फिर मामी उठीं और अपनी साड़ी उतारने लगीं.

वे सिर्फ पेटीकोट में आ गईं.

मामी को सिर्फ पेटीकोट में देख कर मेरा लंड फिर से तन गया और मामी ने उसे हाथ में लेकर कहा- अब ये लौड़ा तुम्हारी मामी को चोद कर ही मानेगा.

मैंने मामी को पलंग पर लेटा दिया और उनके पेटीकोट के अन्दर अपना मुँह दे दिया और उनकी पैंटी को थोड़ा साइड में करके उनकी चूत को चाटने लगा.

आह्ह … क्या स्वाद था उनकी चूत का.
उन्हें भी चुत चटवाने में मजा आ रहा था.

मैंने उनका पेटीकोट और पैंटी भी निकाल फेंकी और अब हम दोनों पूरे नंगे थे. फिर मैंने मामी से कहा- मामी, अब हम दोनों 69 पोजीशन में करेंगे.

वे बोलीं- ये क्या होता है?
मैंने कहा- मैं आपकी चूत चाटूंगा और आप मेरा लंड चूसना ओके!

वे तैयार हो गईं और उन्होंने 69 में आकर मेरे मुँह के ऊपर अपनी चूत रख दी.
अब वे मेरा लंड चूस रही थीं.

थोड़ी देर ऐसा करने के बाद इस बार मामी झड़ गईं और उन्होंने अपना सारा माल मेरे मुँह के ऊपर छोड़ दिया.
फिर वे सीधी होकर बोलीं- योगेश, कब तक तड़पाओगे, डालो ना अब इसे मेरी चूत में!

मैंने भी देरी न करते हुए उनकी दोनों टांगों को अपने कंधों पर रख लिया और तीन चार बार लंड को उनकी चूत पर मारते हुए एक ही बार में पूरा अन्दर घुसा दिया.
वह चिल्लाने वाली ही थीं कि मैंने अपना मुँह उनके मुँह में दे मारा और उन्हें चोदते चोदते ही किस करने लगा.

कमरे में फच फ़च की आवाज आने लगी.
मामी सिसकारियां ले रही थीं- आह्ह ह … आआ हहह बाबू और जोर से करो … फाड़ दो अपनी मामी की चूत … आआहह आआह आआ आज तो मर गई आह!
बस मामी एक बार फिर से झड़ गईं.

इसके बाद मैंने उन्हें डॉगी स्टाइल की पोजीशन में बैठाया और इस बार मैं उनकी गांड के छेद में लंड डालने वाला था लेकिन छेद बहुत छोटा था तो दिक्कत हो रही थी.

मैंने पास ही में रखी खोपरे के तेल की डब्बी को उठा लिया और उनकी गांड के छेद में तेल डाल कर गांड ढीली कर दी.
मामी को गांड में उंगली करवाने में मजा आ रहा था.

फिर थोड़ा तेल मैंने अपने लंड पर भी लगाया.
अब लंड और गांड दोनों चिकने हो गए थे.

मैंने लंड गांड के छेद में सैट किया और जोर का धक्का दे दिया.
चिकनाहट के कारण पूरा लंड मामी की गांड में चला गया.

मामी दर्द से चिल्ला रही थीं और मैं जोर जोर से गांड मारे जा रहा था- आआआ आह्ह उई मां आ आह्हह आआ आआअ आह्ह आ मजा आ रहा है योगेश … ये रात मैं कभी नहीं भूलूंगी!
‘हां मामी, मैं भी ये रात कभी नहीं भूलूंगा … आह मामी मैं झड़ने वाला हूं!’
‘झाड़ दो अपना सारा माल अपनी मामी की गांड में आह …’

मैंने अपना सारा वीर्य मेरी प्यारी मामी की गांड में डाल दिया और एक बार फिर मामी भी झड़ गईं.
मामी तीसरी बार झड़ गई थीं.

करीब 3.30 बजे हम दोनों नंगे ही सो गए.
सुबह उठे तब तक सब सो ही रहे थे.

मामी मुस्कुरा कर बोलीं- और योगेश कोई कसर तो नहीं रह गई न तुम्हारे गुप्त रोग के इलाज में!
मैंने कहा- अगला डोज कब दोगी डॉक्टर साहब?

मामी हंसने लगीं और मुझसे लिपट गईं.
 

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चाची को सूने घर में पकड़ कर चोदा




दोस्तो, मेरा नाम शिवम है और मैं राजस्थान के अलवर का रहने वाला हूँ.


आज मैंने भी सोचा कि मुझे भी अपनी सच्ची सेक्स कहानी आप सभी के लिए लिखनी चाहिए.

ये कहानी तब की है, जब मैं सेकंड ईयर में था.
मेरे पड़ोस में एक चाची रहती थीं, उनके घर पर हम सभी का आना-जाना बहुत था.

उन चाची को एक लड़का और एक लड़की भी थी.
वे दोनों बच्चे दस और आठ साल के हो गए थे, फिर भी चाची एकदम माल सी लगती थीं.

उनकी उठी हुई गांड किसी भी मर्द के लंड को उठा देने में एकदम सक्षम थी, उनका दूध सा गोरा रंग था.

चाची को कहीं भी जाना होता था तो वे मेरी मम्मी के साथ ही आया जाया करती थीं.
पहले पहल मेरे मन में उनके लिए कुछ भी नहीं था. लेकिन जब मैं अपने कॉलेज के पहले वर्ष में गया, तो मेरा भी मन किसी की चुदाई करने का होने लगा.

उसी दौरान एक बार मैंने अपनी चाची को टी-शर्ट और ट्राउज़र में देख लिया जो वे रात में सोते समय पहनती थीं.
उन्हें उस ड्रेस में देखकर मेरे मन में कुछ अलग सा विचार आया और वे मुझे अपने लौड़े के नीचे लेने लायक माल लगने लगीं.

अब मैं रोज ही चाची को किसी न किसी बहाने से देखने लगा था. उनको टच करने की कोशिश करने लगा था.
बार बार चाची के घर भी उनको देखने चला जाता था, तो चाची को कुछ कुछ समझ आने लगा था.

चाची भी मेरे साथ खुली हुई थीं तो वे भी मुझे लिफ्ट देने लगी थीं.
वे मेरे सामने ही टी-शर्ट और लोअर में आने लगी थीं.

मैं भी उनकी इस ड्रेस की तारीफ करते हुए कह देता था कि चाची आपके ऊपर लोअर और टी-शर्ट बहुत ज्यादा सूट करता है.
वे हंस कर कह देतीं- बस यह सिर्फ अपने घर में ही पहनती हूँ. इस ड्रेस में तो मैं अब तक तुम्हारी मम्मी के सामने भी कभी नहीं गई.

इस तरह से हम दोनों सेक्सी बातें तो नहीं करते थे लेकिन बातों में खुलापन होने लगा था.

वे मज़ाक में कई बार मेरे पेट पर गुदगुदी भी कर देती थीं.
मैं भी कई बार उनको टच करते हुए सहला देता था.

अब तो मैं उनको टच करने का बहाना देखने में लगा रहता था.
कभी कभी मैं चाची के मम्मों को ताड़ता रहता था.

शायद अब वे भी समझ गई थीं कि छोकरा जवान हो गया है.
एक बार उन्होंने मुझे पेशाब करते हुए देख लिया था और चाची मेरा खड़ा लंड देखकर हंसती हुई चली गईं.

मुझे कुछ शर्म आई, लेकिन मैंने ज़्यादा नहीं सोचा.
अब जब भी चाची मुझसे मिलतीं, मेरी तरफ देखकर हल्का सा मुस्कुरा देतीं.

मैं भी मन ही मन खुश हो रहा था कि शायद हॉट चाची को मेरा मोटा लंड पसंद आ गया है.

एक बार बारिश का मौसम था.
मेरी मम्मी ने मुझे चाची को बुलाने के लिए भेजा.

मैं उनको बुलाने उनके घर गया, तो मैंने देखा कि वे छत पर कपड़े उठा रही थीं. मैं उनको बुलाने छत पर ही चला गया.
मैंने उनसे कहा कि चाची आपको मेरी मम्मी बुला रही हैं.

वे बोलीं कि बारिश कभी भी आ सकती है, मैं कपड़े उठाने के बाद आती हूँ.

उनकी छत पर एक रूम भी था, जो खाली पड़ा रहता था.
मैंने कहा- लाओ मैं आपकी मदद कर देता हूँ.

मैं भी उनकी मदद करने लगा.
मेरे हाथ में उनकी चड्डी आ गई तो मैंने बिना कुछ बोले बाकी कपड़ों के साथ उसे भी उठा लिया.

चाची अपने उन आधे सूखे हुए कपड़ों को उस रूम में सूखने डालने के लिए जाने लगीं.
मैं भी उनके पीछे पीछे चला गया.

उन्होंने अपने हाथ में लिए कपड़े सूखने फैला दिए और मुझसे एक एक करके कपड़े लेने लगीं.
मैंने सबसे आखिरी में उन्हें उनकी चड्डी दी, तो वे थोड़ी शर्मा गईं.

तभी अचानक से बारिश शुरू हो गई.
वे कहने लगीं देखो, यदि जल्दी जल्दी न करते तो सारे कपड़े भीग जाते.

मैंने बोला- हां, लेकिन अभी हम लोग बाहर निकलेंगे … तो हम लोग भी भीग जाएंगे. कुछ देर यहीं रुक जाते हैं.
वे बोलीं- हां ठीक है.

मैं उनके बिल्कुल पीछे खड़ा था.
मैंने पीछे से उनकी ब्रा की पट्टी देखी.
शायद वे भी समझ गई थीं कि लौंडा क्या देख रहा है.

मैं उनके पीछे से बाहर की तरफ झांकने लगा.
मेरा लंड खड़ा हुआ था तो वह उनकी गांड पर टच होने लगा.

शायद उन्होंने भी मेरे कड़क लंड को अपनी गांड पर महसूस कर लिया था.

उनको अचानक से हल्की सी हंसी आ गई.
इससे मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं धीरे धीरे उनको टच करने लगा.

शायद उनको भी मज़ा आ रहा था.

अब मैं हिम्मत करके उनके हाथ पर हाथ फेरने लगा.
वे भी मेरा विरोध नहीं कर रही थीं.

कुछ देर के बाद मैंने उनके एक मम्मे पर धीरे से हाथ लगाया तो वे भी अपना हाथ मेरे खड़े हो चुके लंड पर ले जाने लगीं.

उन्होंने जैसे ही मेरा लंड छुआ, लंड सलामी देने लगा.
उन्होंने झपट कर पलटी मारी और मेरा लंड बाहर निकाल लिया.

मेरा लंड पूरा 6 इंच लंबा और 3 इंच मोटा उनके सामने अपनी अकड़ दिखा रहा था.

वे मेरे लंड की मुठ मारने लगीं.
अब तक बारिश भी रुक चुकी थी और उसी वक्त मेरी मम्मी का फोन भी आ गया.

मैं जल्दी से अपना लंड चाची के हाथ से छुड़वा कर वहां से निकल गया.
मैं घर आ गया था. चाची मेरे पीछे पीछे ही मेरे घर आ गई थीं.

दो दिन बाद मेरी मम्मी, मेरे मामा के घर चली गईं और पापा ड्यूटी पर चले गए थे.
मैं दिन में घर में अकेला था.

मेरी मम्मी चाची से कह कर गई थीं कि दोपहर में मुझसे खाने का पूछ लें.

मैं चाची के घर गया और उनको घर आने को कह कर आ गया.
कुछ देर बाद वे आ गईं.

उनके घर आते ही मैंने उनको पीछे से पकड़ लिया और उनके मम्मे दबाने लगा.
वे भी चुदासी रांड की तरह मेरे लंड को दबाने लगीं.

मैं उनको किस करने लगा, चाची को गर्दन के पीछे, कान के पीछे चूमने लगा.

फिर धीरे से मैंने अपना हाथ उनकी साड़ी के अन्दर डाला तो वह झड़ चुकी थीं.
उन्होंने चड्डी नहीं पहन रखी थी. वे भी शायद चुदने के मूड में ही आई थीं.

मैंने उनकी चुत में उंगली डाली तो वे एकदम से सिहर गईं और आह आह की आवाज़ करने लगीं.

अब मैंने चाची से लंड चूसने को कहा, तो वे झट से राजी हो गईं और मेरा लंड मुँह में लेकर चाटने लगीं.
मुझे अपना लंड चुसवाने में बहुत मज़ा आ रहा था.

कुछ देर बाद मैंने उनको बिस्तर पर लेटाया और उनकी साड़ी ऊपर करके चुत को नंगी कर दिया.
गजब चुत थी यार … एकदम कचौड़ी सी चुत और एकदम सफाचट.

मैंने इधर उधर देखा तो वे शायद समझ गई थीं. उन्होंने इशारे से ड्रेसिंग टेबल की तरफ उंगली उठा दी.
सामने सरसों का तेल रखा था.

मैंने शीशी उठाई और चाची की चुत में थोड़ा सा तेल टपका दिया.
शीशी भी धार से तेल टपका रही थी, तो चाची की चुत एकदम चमक गई थी.

फिर मैंने शीशी एक तरफ रखी और अपनी दो उंगलियां उनकी चुत में एक साथ डाल दीं.

चाची की आवाज निकलने लगी- आह आह … मर गई.
मैंने कहा- अरे चाची, मेरी उंगलियों से ही मर जाओगी क्या?

वे दर्द दबाती हुई हंसी और बोलीं- सच में बहुत दिन से तेरे चाचा ने कबड्डी नहीं खेली है न … इस वजह से उधर का मुँह बंद सा हो गया है.
कुछ देर तक चुत को उंगलियों से चोदने के बाद चाची की टांगें खुद ब खुद फैल गईं, जिससे समझ आ रहा था कि चाची अब लौड़े के इंतजार में आ गई हैं.

मैंने अब अपना लंड सहलाया और उनकी चुत की फांकों के बीच में रख कर घिसा, तो वे मस्त होने लगीं और गांड उठा कर लंड को गड़प करने की कोशिश करने लगीं.
उसी समय मैंने एक झटका दे दिया. मेरा आधा लंड उनकी चुत की गहराई में समा चुका था.

लंड के अचानक हुए इस हमले से चाची चिल्लाने लगीं और उनकी आंखों से आंसू आने लगे.
वे दर्द से तड़फ रही थीं- आह … बहुत मोटा है तेरा … आह फट गई मेरी … आह निकाल ले … प्लीज बहुत दर्द हो रहा है.

मैं कुछ नहीं बोला, बस कुछ देर उनके मम्मे दबाए और उनके होंठों पर अपने होंठ रख कर एक और दमदार झटका देकर पूरा लंड उनकी चुत में पेल दिया.

चाची की तो समझो मां चुद गई थी, वे हाथ पैर फटकारने लगीं.
पर मैंने उन्हें नहीं छोड़ा.

कुछ देर तक हल्के हल्के झटके देने के बाद चाची भी मजा लेने लगीं.
अब मैंने अपने झटकों की रफ़्तार बढ़ा दी.

वे भी अपनी गांड उठाकर पूरा मज़ा ले रही थीं, वे भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.

मैं जैसे ही झटका मारता, तो उनके मम्मे हिल जाते और मैं उन्हें लगातार अपने मुँह से दबा दबा कर पी रहा था.

वे भी मुझे किस कर रही थीं.
कुछ देर बाद चाची झड़ गईं.

अब मेरा भी काम होने वाला था, मैंने उनसे पूछा- मैं अपना माल कहां निकालूँ?

वे बोलीं- अन्दर ही आने दो.
कुछ 10-15 तगड़े झटकों के बाद मैं उनकी चुत के अन्दर ही झड़ गया.

कुछ देर बाद मेरा लंड सिकुड़ कर चुत से बाहर आ गया.
हम दोनों पसीने से भीग चुके थे.

चाची उठीं और अपने कपड़े ठीक करने लगीं.
मैंने कहा- चाची, मुझे आपकी गांड भी मारनी है!

पहले तो वे मना करने लगीं, लेकिन कुछ देर के बाद मान गईं.

कुछ ही देर बाद मेरा लंड भी दूसरे राउंड के लिए तैयार हो गया था.
मैंने उनकी साड़ी फिर से ऊपर की और उन्हें कुतिया बना कर पीछे से उनके ऊपर चढ़ गया.

चाची की गांड बहुत टाइट थी.
मैंने तेल की शीशी का मुँह उनकी गांड में लगा दिया और शीशी को दबा दिया.
उनकी गांड तेल से लबालब हो गई थी.

फिर मैंने थोड़ा ज्यादा सा तेल अपने लंड पर लगाया और सुपारा छेद पर सैट कर दिया.
वे अभी कुछ समझ पातीं कि मैंने एक जोरदार झटका लगा दिया.

चाची बोली- आई … मैं मर गई … आह फट गयी मेरी गांड … आह कमीने आह निकाल साले!
वे गाली देती हुई मुझसे गांड चुदाई न करने के लिए बोलने लगीं.

मैं कुछ देर वैसे ही रुका रहा.
कुछ पल बाद उनका दर्द कम हुआ तो मैंने झटके देने चालू किए.

कितनी गर्म गांड थी उनकी … मैं दस मिनट तक उनकी गांड मारता रहा, फिर झड़ गया.

कुछ देर बाद चाची अपने घर चली गईं और मैं भी थक गया था तो नहाकर सो गया.

अब जब भी कभी मौका मिलता है तो मैं उनकी चुत या गांड चोद लेता हूँ.
हम अभी तक कई बार सेक्स कर चुके हैं.
 

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भीगी रात में जंगल में माँ के साथ



नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम सुधीर (बदला हुआ नाम) है.
आज मैं आप सबको मेरे साथ घटी एक घटना के बारे में बताने जा रहा हूँ.

यह एक सच्ची मॅाम फक़ कहानी है, जो मेरे और मेरी मम्मी के बीच हुई थी.
कुछ लोगों के मन में यह सवाल आएगा कि यह फेक कहानी होगी.
दस्तो, मुझे खुद भी विश्वास नहीं हो रहा था कि यह सब मेरे साथ भी हो सकता था.
लेकिन जब हुआ … तब मुझे विश्वास हुआ कि इस तरह से होने वाली घटनाएं सच होती हैं.

अब भी जिनको विश्वास नहीं है या वह अभी भी इस सेक्स कहानी को फेक समझता है, तो वह इस मॅाम फक़ कहानी को यहीं छोड़ सकता है.
आप यह पक्का जानिए कि जैसा हुआ था, वैसा कभी भी किसी भी माँ बेटे के साथ हो सकता है.

माँ की जब हवस जग जाती है, तब कुछ इस तरह की स्थिति में सम्बन्ध बन जाते हैं.
चूंकि कोई भी स्त्री मां से पहले एक औरत भी होती है.

मेरी माँ एक घरेलू महिला हैं. उनकी उम्र 44 साल की है.
उनका साइज 30-28-32 का है, वे देखने में अति सेक्सी हैं.
उनका वजन लगभग 50 किलो है.

मेरी मां का नाम रंजना (बदला हुआ नाम) है. यह घटना 18 दिसंबर 2021 की है. उस वक्त ठण्ड का मौसम था.
हम दोनों को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में जाना था, उधर मेरी बुआ रहती हैं.

बुआ जी के घर में एक प्रोग्राम था.
हमारे घर से उनके शहर की दूरी 150 किलोमीटर की थी.
हम दोनों सुबह सुबह बाइक से निकल पड़े क्योंकि हमें शाम तक वापस भी आना था.

उधर केवल दो तीन घंटे का प्रोग्राम था, तो हम 12 बजे मिर्जापुर पहुंच गए.
हमें पहुंचने में कुल चार घंटे लगे.

फिर बुआ के घर पहुंच कर मैंने और मम्मी ने फ्रेश होकर प्रोग्राम अटेंड किया.
हमारी उम्मीद से थोड़ा ज्यादा समय लग गया था.
शाम के 6 बजे चुके थे.

मैंने मम्मी को वापस चलने के लिए बोला.
उन्होंने हामी भरी और बुआ से इजाजत लेने की कहने लगीं.

हम दोनों अब चलने को रेडी हो गए.

सुबह मेरा ऑफिस था.
मैंने सिर्फ एक दिन की छुट्टी ली थी.
काम ज्यादा जरूरी होने के कारण मुझे हर हाल में वापस जाना था.

उधर बुआ नहीं मान रही थीं क्योंकि मौसम में थोड़ा पानी बरसने के आसार नज़र आ रहे थे.
मैंने बुआ से कहा- अरे ठंडी में पानी कब से गिरने लगा, थोड़ा बहुत गिरेगा भी तो किसी पेड़ के नीचे रुक जाएंगे.

इस तरह से हम दोनों मिर्जापुर से शाम को पौने सात बजे निकले.
कुछ समय रिश्तेदारों से भी मिलने में लग गया था.

अब जैसे ही हम दोनों लगभग 40 किलोमीटर निकल गए, तब मुझे याद आया कि मेरा पावर बैंक और मोबाइल चार्जर बुआ के घर में छूट गया है.
मोबाइल की तरफ देखा तो उसकी बैटरी भी 20 प्रतिशत ही बची थी.

सर्दी में अंधेरा जल्दी हो जाता है, तो अंधेरा गहरा गया था, जिस वजह से बाइक की स्पीड कम रखनी पड़ रही थी.
इसी कारण से हम दोनों साढ़े आठ बजे तक सिर्फ 40 किलोमीटर पहुंच पाए थे.
उसके बाद लगभग 35 किलोमीटर तक सिर्फ पहाड़ी जंगल था.

आप गूगल मैप में धारकुंडी के जंगल को देख सकते हैं कि यह जंगल कितना बड़ा है.
इधर मैं पहली बार गया था, तो मुझे रास्ते का अंदाज़ा भी कम था.

मैं खुद भी गूगल मैप में रास्ता देख कर गाड़ी चला रहा था.
मेरे मोबाइल की भी बैटरी कुछ देर बाद ख़त्म हो गई.
अब सिर्फ मम्मी के मोबाइल की बैटरी बची थी तो मैंने उसमें गूगल मैप खोला और रास्ता देख कर चलने लगा.

मम्मी का मोबाइल पुराना होने के कारण कुछ देर बाद उसकी भी बैटरी खत्म हो गई.

मैं भी बेवकूफ था तो गलत रास्ते पर बाइक को दौड़ा दिया था.
हम दोनों घर जाने की बजाए गलत रास्ते पर चल पड़े थे.

अब मैं और मम्मी परेशान हो गए थे कि सही रास्ता कहां है.
समय भी काफी हो गया था, लगभग 10 बज चुके थे.

एक तो सही रास्ता नहीं समझ आ रहा था और उस पर भी सोने में सुहागा यह था कि जंगल एकदम घना, जिसमें इतना ज्यादा अंधेरा था कि कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा था.

उसी समय बादलों से भी पानी बरसने लगा.
साला इतनी तेज़ बारिश कि क्या बताएं.

मम्मी ने सिर्फ एक शॉल और पतला सा स्वेटर पहना हुआ था.
क्योंकि दिन में ठण्ड बहुत कम थी और उन्हें यह अंदाजा नहीं था कि वापसी में इतना समय लग जाएगा.

मैंने जैकेट पहनी हुई थी.
मम्मी पूरी तरह से पानी में भीग चुकी थीं.
मेरा सिर्फ पैंट भीगा था.

हम दोनों एक बड़े से पेड़ के नीचे खड़े हो गए और पानी के रुकने का इंतजार करने लगे.
दोनों ही बहुत ज्यादा भीग गए थे और ठंड की ठिठुरन बढ़ गई थी.

उस जंगली इलाके में जगह कोई घर भी नहीं दिख रहा था.
पानी अपनी पूरी तेजी पर था और झमाझम बरसे जा रहा था.

भीगने की वजह से मम्मी को बहुत अधिक ठण्ड भी लग रही थी.

मैंने मम्मी से कहा कि अगर पानी बंद नहीं हुआ, तो पूरी रात यहीं खड़े रहना पड़ेगा क्योंकि जंगल में पानी कई बार बिना मौसम कई घंटे तक बरसता रहता है.
हालांकि यह मैंने अनुमान लगाया था.

हम दोनों पेड़ के नीचे नीचे से बाइक में बैठ कर चलने लगे.
मैंने अपनी जैकेट मम्मी को दे दी थी तो मैं भी ऊपर से पूरा भीग गया और मुझे गाड़ी चलाने में परेशानी होने लगी थी.

ठंड की वजह से मैं भी कांपने लगा था.
उस वजह से गाड़ी ठीक से नहीं चल पा रही थी.

मैंने एक बार तो सोचा कि कहीं रुक जाते हैं, लेकिन रात में डर भी लग रहा था.

तभी फिर से एक परेशानी आ गई.
साला बाइक का टायर किसी कांटे के लगने की वजह से पंचर हो गया.

अब यह बहुत बड़ी परेशानी आ गई थी. मैं कुछ दूर तक पंचर टायर में ही बाइक को चलाता रहा, लेकिन गाड़ी में वजन और रोड के बगल की मिट्टी गीली हो जाने के कारण गाड़ी चल ही नहीं पा रही थी.
पानी लगातार बरसे जा रहा था.

मम्मी बोलीं- देखो, कहीं अगर घर दिख जाए, तो वहीं रुक जाते हैं. मुझे बहुत ठण्ड लग रही और तबियत भी ख़राब हो रही है.
आगे चल कर देखा एक आधी टूटी झोपड़ी दिखी, जो कि किसी आदमी ने जानवर रखने के लिए या फिर खुद के लिए बनाई होगी.

पास जाकर देखा तो उस झोपड़ी में सिर्फ एक आदमी रुक सकता था. चूंकि झोपड़ी पेड़ के नीचे थी इसलिए उधर पानी कम आ रहा था.
उस वक्त लगभग 11 बज चुके थे.

हम दोनों जल्दी से झोपड़ी के पास आए और देखा कि कुछ सूखा सा था और घास जैसा भी पड़ा था.
वह झोपड़ी के कुछ हिस्से ठीक होने के कारण सूखा था.

लेकिन उधर इतनी कम जगह थी कि सिर्फ एक आदमी ही बैठ सकता था.
मम्मी बोलीं- चलो बैठते हैं.

पहले मैं बैठा और फिर मम्मी मेरी गोदी में बैठ गईं.
लेकिन अभी भी पानी के छींटे आ रहे थे और हमारे सभी कपड़े गीले होने के कारण ठण्ड भी लग रही थी.

मैंने मम्मी से कहा- आप साड़ी और पेटीकोट उतार दो, क्योंकि गीले कपड़ों से ठण्ड ज्यादा लगती है … और आप जैकेट पहन कर बैठ जाओ.
मम्मी बोलीं- तुम्हारे सामने कैसे कपड़े उतारूं … मुझे शर्म आ रही है!

मैंने कहा- जब ठण्ड लग जाएगी, तब क्या करोगी मम्मी … और इतना अधिक अंधेरा है कि आप दिखोगी ही नहीं.
मम्मी बोलीं- ठीक है.

उन्होंने साड़ी और पेटीकोट उतार कर एक लकड़ी के डंडे से टांग दी ताकि वह कुछ सूखी सी हो जाए.
मैं शर्ट और जींस में था.

जैसे ही मम्मी वापस मेरी गोद में बैठीं, उनकी जांघों की गर्मी मुझे लगी.
आप लोगों को क्या बताऊं, मम्मी की जांघों में एक भी बाल नहीं था.
एकदम मुलायम और चिकनी जांघें थीं.

मैंने मम्मी की जांघों में हाथ रख दिया था.
कुछ देर बाद वे बोलीं- तुम्हारे गीले पैंट की वजह से मुझे ठण्ड लग रही है.

मुझे खुद भी ठण्ड लग रही थी तो मैंने मम्मी को उठाया और अपनी पैंट को उतार दिया.
अब मम्मी नीचे से सिर्फ पैंटी और ऊपर जैकेट में थीं. मैं चड्डी और गीली शर्ट में था.

मम्मी बोलीं- यह गीली शर्ट भी उतार दो, कम ठण्ड लगेगी.
वे जैकेट में थीं और मेरे ऊपर थीं, तो मैंने सोचा ये सही है.

मैंने शर्ट को भी उतार दिया.

हम दोनों बैठे बैठे पानी रुकने का इंतजार करने लगे.

कुछ देर बाद मुझे ठण्ड ज्यादा लगने लगी.
मैं कंपकंपाने लगा.
मम्मी बोलीं- तुम जैकेट के अन्दर आ जाओ.

मेरी जैकेट थोड़ी बड़ी थी और वह कुछ खिंचने वाली भी थी तो मम्मी ने जैकेट को उतार दिया और मुझे पहना दिया.
अब मैं और मम्मी एक साथ जैकेट में आ गए.

मेरी मम्मी इकहरी देह की हैं, सो हम दोनों एक दूसरे की तरफ मुँह करके बैठ गईं.
मम्मी मेरी गोदी में बैठ गईं और उनके स्तन मेरी छाती में दबे हुए थे.

इस तरह बैठने से ठण्ड कम लगने लगी थी.
लेकिन हम जिस तरह बैठे थे तो मम्मी की योनि का कुछ भाग मेरे लिंग से दबा हुआ था.
उनकी योनि की गर्मी के कारण मेरा लिंग खड़ा होने लगा और बार बार मम्मी की योनि को धक्का देने लगा था.

अब मम्मी भी समझ चुकी थीं कि क्या हो रहा है.

सेक्स कहानी की शुरुवात में मैंने बताया नहीं था कि मेरी शादी के कुछ साल हो चुके थे.
मेरी बीबी से कम पटरी खाती थी तो मैंने एक महीने से सेक्स नहीं किया था.

इस कारण भी मेरा लिंग खड़ा हुआ जा रहा था.
जब मम्मी को समझ आया तब तक मेरा लिंग खड़ा हो चुका था.

मम्मी की योनि से दबा होने कारण मेरे लिंग में दर्द होने लगा.
मैंने मम्मी से कहा- मुझे थोड़ी तकलीफ हो रही है.

मम्मी समझ गईं, लेकिन जैकेट इतनी टाइट थी कि हम दोनों हिल भी नहीं सकते थे.
मेरा हाथ लिंग तक न पहुंचने के कारण मैं कुछ कर भी नहीं सकता था.

तभी मम्मी से हल्के से ऊपर की तरफ उठीं, तो मुझे लगा कि जैकेट की चैन फट गई है.
मैंने तुरंत मम्मी को रोका.

मम्मी के थोड़े से उठने की वजह के मेरा लिंग चड्डी के बाहर निकल गया और मम्मी की पैंटी की बगल से होते हुए उनकी योनि में छूने लगा था.

मेरे पिता जी 6 माह में एक बार आते हैं और शायद मम्मी को संतुष्ट ना कर पाने की वजह से मम्मी की प्यास भी नहीं बुझ पाती होगी.

यही कारण था कि मम्मी योनि और मेरे लिंग के घिसाव से मम्मी की योनि में पानी आ गया था.
यह स्वाभाविक सी बात है और ये सभी से साथ हो सकता है.

जिस तरह से हम दोनों बैठे थे, उस पोजीशन में यह तो होना ही था.

यह सब एक घंटा के दरमियान की कहानी थी.
अब शायद मेरी मम्मी को भी मेरे साथ बैठने में अच्छा लग रहा था.

कुछ देर और बैठने के बाद मेरे पैर सुन्न पड़ गए थे और पानी भी कम बरसने के कारण मैं थोड़ा आगे की तरह खिसक गया.
मेरा लिंग पहले से ही मम्मी की योनि में छू रहा था.

मेरे आगे होने के कारण और लिंग दबे होने के कारण पूरा बाहर निकल आया.
वह मम्मी की गीली हुई योनि में धीरे धीरे अन्दर जाने लगा.

बड़ी उम्र की औरतों की योनि ज्यादा खुली होती है, इसलिए मेरा पूरा लिंग बड़े आराम से कुछ ही मिनट में अन्दर घुस गया.
मतलब मेरा पूरा लिंग मम्मी की पैंटी के साइड से होता हुआ उनकी योनि में चला गया.

मैंने महसूस किया कि मम्मी की सांसें थोड़ी तेज तेज चलने लगी थीं.
उन्हें मेरे लिंग से कुछ दर्द सा होने लगा था.

मेरे लिंग का आकार काफी बड़ा है और यह मोटा भी काफी है.

कई बार तो मेरी बीवी ने भी मेरे साथ सेक्स करने से इन्कार कर दिया था और शायद वह इसी वजह से मेरे साथ कम सेक्स करती है.
कुछ मिनट तक लिंग के योनि में घुसे रहने की वजह से मुझे गर्मी महसूस होने लगी.

बाहर इतनी ज्यादा ठण्ड थी और ऊपर से जंगल में थे, तब भी मुझे लग रहा था कि मेरा लिंग किसी भट्टी में घुसा हुआ है.
तभी मम्मी बोलीं- जब सब खुद से ही हो गया है, तो अब शर्म छोड़ो.

जैसे ही मम्मी ने यह सब कहा, मैंने तुरंत जैकेट की चैन खोल दी और मम्मी को जैकेट पहना कर उन्हें जमीन में लिटा दिया.
उधर जगह कम थी तो पैर बाहर निकल गए थे लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी थीं और पानी बरसने का कोई फर्क नहीं पड़ रहा था.

इतनी ठण्ड होने के बाद भी मम्मी का शरीर गर्म हो गया था.
मैंने अंधेरे में मम्मी की पैंटी को उतार कर साइड में रख दिया और उनके ऊपर चढ़ गया.

यह मेरा पहला अनुभव था, जो मेरी मम्मी के साथ हो रहा था. इसकी वजह से मेरा शरीर थरथराने लगा और मैं मम्मी के कंधे, गले, स्तनों को चूमने और चाटने लगा.
वे भी मेरे साथ मस्त होने लगीं.

जब मैं उनकी कमर के नीचे गया तो मैंने देखा कि मम्मी की योनि में ढेर सारे बाल थे. पर उनकी योनि से इतनी अच्छी महक आ रही थी कि मैं योनि को किसी रसीले आम की तरह चूसने लगा.

मम्मी की आवाज़ पानी की रिमझिम की आवाज़ में मिल कर मुझे बेहद मज़ा दिला रही थी.

वे बोल भी रही थीं- आह बेटा मज़ा आ रहा है … और कर आह!
मैं अपनी मम्मी की योनि को इस तरह से चूस रहा था कि नीचे ज़मीन की मिट्टी भी मुँह में चली जा रही थी.

मेरे कुछ मिनट चूसने के बाद योनि में आग जैसा लावा निकलने लगा.
मेरा लिंग थोड़ा मुरझा गया था, तो मैंने मम्मी से कहा- आप भी मुँह में ले लो.

वे उठीं और थोड़ा सोच कर मेरे लिंग को मुँह में लेकर चूसने लगीं.
मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं आज पहली बार किसी के साथ सेक्स कर रहा हूँ.

उस वक्त हम दोनों के सेक्स में इतना ज्यादा उफान था कि मेरा रस निकलने को हो गया.
मैंने तुरंत मम्मी से मुँह से लिंग निकाला और रस बाहर गिर जाने दिया.

मैं कुछ मिनट के लिए बैठ गया और मम्मी की योनि को सहलाता रहा.

तभी मम्मी बोलीं- तुमने मज़ा ले लिया और मेरा क्या?
मैंने कहा- बस थोड़ा और समय दो.

यह सुनकर मम्मी ने भी मेरे लिंग को थाम लिया और वे मेरी गोद में मुँह लगा कर लिंग को चूसने लगीं.
कुछ ही मिनट में मेरा लिंग फिर से खड़ा होने लगा.

अब मैंने मम्मी को लिटा दिया और उनके होंठों से अपने होंठों को सटा कर चूसने लगा.
तभी अति उत्तेजना में आकर मैंने उनके होंठों को काट लिया, वे एकदम से कांप उठीं.

मम्मी का पूरा शरीर गर्म हो गया था.
सर्दी नाम की चीज कहीं दिख ही नहीं थी.

मुझे मम्मी के ऊपर लेटने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था, जो मैं बता नहीं सकता.

खैर … मम्मी ने अपने हाथ में मेरे लिंग को पकड़ा और उसे अपनी योनि के मुख में रगड़ना चालू कर दिया.
उनकी योनि पहले से गीली थी और मेरे थूक से इतनी चिकनी हो गई थी कि लिंग को जरा सा ही दबाने से वह थोड़ा अन्दर घुस गया.

इस बार मम्मी के मुँह से आह की आवाज़ निकल गई.

मैंने पूछा- दर्द हो रहा है?
वे बोलीं- तुम अपना काम करो.

मैंने जैसे ही थोड़ा जोर लगा कर धक्का दिया, मेरा समूचा लिंग उनकी योनि में घुसता चला गया.
मम्मी की योनि के अन्दर इतनी गर्मी थी कि मुझे लगा कि मैं फिर से झड़ जाऊंगा.

तभी मम्मी अपने नितम्बों और जांघों को ऊपर उठाती हुई लिंग को अन्दर बाहर करने लगीं.
मुझे अभी तक सब सपने जैसा महसूस हो रहा था, लेकिन जब अहसास हुआ कि मैं अपनी मम्मी के साथ सम्बन्ध बना रहा हूँ, तो एक अलग अहसास के साथ मैं भी जल्दी जल्दी अपने लिंग को योनि के अन्दर बाहर करने लगा.

कुछ बीस मिनट के मैथुन के बाद मैं मम्मी की योनि में ही झड़ गया.
हम दोनों कुछ मिनट यूं ही लेटे रहे. फिर मैं उठ कर बैठ गया.

समय का अंदाजा लगाया कि कुछ दो बज गया होगा.
कुछ देर बाद मुझे वापस ठण्ड लगने लगी.

हम दोनों ने फिर से एक बार सेक्स किया और कुछ देर बात करके जैकेट के सहारे रात पूरी काट ली.

सुबह सबेरे उठ कर कपड़े पहन कर मैं आगे निकल गया.
करीब घंटे पैदल चलने के बाद मैं एक चाय वाले की दुकान के पास पहुंचा और उधर ही एक साइकिल के पंचर बनाने वाले की दुकान भी थी.

मैंने बड़ी मुश्किल से बाइक के टायर का पंचर बनवाया और वापस घर चल दिया.

इस घटना के होने के एक महीने बाद तक मम्मी मुझसे कम बात करने लगी थीं.

लेकिन एक दिन बीबी के मायके जाने के बाद हमारा एक बार और सम्बन्ध बना और मज़ा भी आया.
तो हम दोनों ने उस रात खूब मजा लूटा.
 
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