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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

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junglecouple1984

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बुआ की देसी बुर चोदने का मजा



दोस्तो, मैं शिवाय सिंह.
यह मेरी पहली सेक्स स्टोरी है.

मैं काफी समय से सेक्स कहानियां पढ़ता आ रहा हूँ.

यह कहानी मेरी और दूर के रिश्ते में बुआ की देसी बुर चुदाई की है.

आगे बढ़ने से पहले मैं आप सभी को अपने बारे में बता देता हूँ. मेरी उम्र 21 साल है और मैं राजस्थान से हूँ.

मेरी हाइट 5 फुट 5 इंच है और जिम जाने की वजह से मेरी बॉडी ठीक-ठाक है.
मेरे लंड का साइज़ 7 इंच है. मैं एक हट्टा-कट्टा नौजवान हूँ, लड़कियां मेरी ओर जल्दी ही आकर्षित हो जाती हैं.

अब बुआ के बारे में भी बता देता हूँ.
मेरी बुआ का नाम रश्मि है.
वे मेरे पापा की दूर की चचेरी बहन है.

रश्मि बुआ दो बहनें हैं.
उनके घर में उनके मम्मी पापा और वे दोनों बहनें ही रहती हैं.
पता नहीं किसी कारण से उनकी शादी नहीं हो पा रही थी.

जिन बुआ की कहानी में आपको सुनाने जा रहा हूँ, वे मेरी छोटी बुआ हैं.
रश्मि बुआ एक बहुत ही खूबसूरत से जिस्म की मालकिन हैं.

उनकी उम्र 24 साल है, पर वे दिखने में बहुत कम उम्र की लगती हैं. उनकी हाइट 5 फुट 1 इंच है और उनका फिगर 32-28-34 का है.
रश्मि बुआ दिखने में बहुत ही सेक्सी माल हैं.

मेरी बुआ और मेरी उम्र में ज़्यादा फ़र्क नहीं होने की वजह से हमारे बीच में अच्छी बनती थी और हम दोनों खुल कर हंसी मज़ाक कर लिया करते थे.
हंसी मज़ाक में कई बार मैं उनके बूब्स भी टच कर लिया करता था जिसका वे कोई विरोध नहीं करती थीं.

हंसी मज़ाक में वे भी मुझे सीने पर या जांघ पर टच कर लिया करती थीं.

कई बार बुआ मेरे साथ मेरी बाइक पर ही बैठ कर मार्केट भी जाती थीं.
वे बाइक पर कुछ इस तरह से बैठा करती थीं कि उनके बूब्स मेरी पीठ से टच हो जाते थे.

ये मुझे भी अच्छा लगता था.
जब मैं उनकी तरफ मुड़ कर देखता, तो वे एक नॉटी सी स्माइल कर देतीं.
ऐसे ही धीरे धीरे समय निकलता गया.

फिर एक दिन बुआ घर पर अकेली थीं.
उनके मम्मी पापा को एक शादी में जाना था, तो वे दोनों तीन दिनों के लिए शादी में चले गए.

वे लोग दोनों बुआ को घर पर छोड़ कर मुझे बुलाने का बोल कर चले गए.

मेरा घर बुआ के घर से पांच किलोमीटर की दूरी पर ही है.
बुआ ने मुझे कॉल किया- शिवाय, मम्मी पापा शादी में गए हैं तो तू हमारे पास आकर रुक जाएगा ना!

मैंने हां कहा और शाम को 4 बजे अपनी बाइक लेकर तुरंत आ गया.
मुझे चूंकि बुआ का साथ काफी अच्छा लगता था, तो मुझे खुशी ही हुई.

मेरे घर आने के बाद बुआ भी मुझे देखते ही खुश हो गईं.
उन्होंने मुझे घर के अन्दर बुलाया और पानी पिलाया.

थोड़ी देर तक हम दोनों इधर उधर की बातें करने लगे.

रश्मि बुआ से बड़ी बुआ भी मुझसे खुल कर मज़ाक करती हैं.
तो वे भी आ गईं और हम तीनों साथ में ही सामान्य हंसी मज़ाक करने लगे.

फिर टीवी देखने लगे.
टीवी देखते देखते रात के 8 बज गए.

दोनों बुआ खाना बनाने चली गईं.
हम सभी ने साथ में ही खाना खाया और सोने लगे.

मुझे नींद नहीं आ रही थी.
मैं टीवी देख रहा था, बुआ टीवी देखती देखती सो गई थीं.
रात के 12 बज गए थे.

बुआ बाथरूम जाने के लिए उठीं तो मुझे जगा हुआ देख कर पूछने लगीं- तू अभी तक जाग रहा है!
तो मैंने बोल दिया कि नींद नहीं आ रही है.

वे बाथरूम जाने लगीं तो उधर अंधेरा था.
उनके घर के बाहर रात के समय सारी लाइट बंद कर देते हैं, जिससे सब जगह अंधेरा रहता है.

बुआ गईं, तो उसी समय एक बिल्ली के छलांग लगा कर भागने से बुआ बहुत तेज डर गईं और चिल्ला पड़ीं.
उनकी चीख सुन कर मैं भी डर गया और एकदम से भागता हुआ गया.

मैंने उनके पास जाकर पूछा कि क्या हुआ?
बुआ बोलीं- एकदम से बिल्ली मेरे पैर के ऊपर से भागी तो मैं डर गई.

वे इतनी तेज डर गई थीं कि भूल ही गईं कि वे कहां जा रही थीं.
फिर मैंने कहा- अब तो बिल्ली चली गई. आप अन्दर जाकर आ जाओ!

मगर वे नहीं गईं. बुआ बोलीं- मुझे डर लग रहा है.
वे वापस रूम में जाने लगीं, तो मैंने कहा- अरे आप डर क्यों रही हो. मैं हूँ ना … आप जाकर आ जाओ.

फिर बुआ बोलीं कि तू भी चल मेरे साथ!
मैं बुआ के साथ में चला गया. बुआ डर की वजह से दरवाजे की कुण्डी लगाए बिना ही बाथरूम करने लगीं, जिससे मुझे अन्दर का थोड़ा बहुत नज़ारा दिख गया.

फिर वे जल्दी से बाहर आईं और मुझे पकड़ कर कमरे में लेकर आ गईं.
अब जब वे सोने लगीं, तो मुझे पकड़ कर ही सो रही थीं. उनके बूब्स मेरे बदन से टच हो रहे थे. उनके बूब्स टच होने की वजह से मेरा लंड खड़ा हो गया.

मैंने धीरे से नज़र चुरा कर अड्जस्ट कर दिया, लेकिन बुआ ने मेरा हाथ इतना टाइट पकड़ रखा था कि उनके बूब्स मुझे कुछ ज्यादा ही टच हो रहे थे.
मेरा लंड खड़ा होने की वजह से मैंने उनका हाथ छुड़ाने की कोशिश की, तो वे हाथ छुड़वाने से मना करने लगीं.

फिर भी मैंने हाथ छुड़वा कर और उनको अपने से चिपका कर सुला लिया.
मुझे तो पहले से ही नींद नहीं आ रही थी. अब बुआ की नींद भी डर के वजह से उड़ गई.

मैंने बुआ का डर भागने के लिए ऐसे ही इधर उधर की बातें करना शुरू कर दीं, ताकि बुआ का ध्यान बंट जाए और वे सहज हो जाएं.
इसी तरह से बातचीत के साथ साथ मैंने एक दो बार उनका गाल भी पकड़ कर खींच दिया.

कुछ देर के बाद उनका एक हाथ भी मेरे सीने पर चलने लगा. उनके हाथ फेरने से मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था.
फिर धीरे से मैंने बुआ के गाल को सहलाया और उनकी गर्दन को भी.

ऐसे करते करते हम दोनों को कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला.

उसके अगले दिन जब हम दोनों सुबह उठे, तो बुआ सामान्य थीं.
हम सबने चाय नाश्ता किया और बुआ घर के कामों में लग गईं.

मैं टाइम पास के लिए बाहर घूमने चला गया. मैं बाहर से घूम कर वापस आया, तब तक बुआ के सभी काम खत्म हो चुके थे और खाना भी बन गया था.
बुआ ने मुझसे कहा कि खाना खा लो. मैं नहाने जा रही हूँ.

मैंने कहा- आप आ जाओ, फिर साथ ही खा लेंगे.
बुआ दस मिनट की बोल कर चली गईं. जब तक मैं और बड़ी बुआ टीवी देखने लगे थे.

दस मिनट बाद रश्मि बुआ आ गईं … फिर हम सबने साथ में खाना खाया और साथ में ही टीवी देखने लगे.
थोड़ी देर टीवी देखने के बाद किसी को भी टीवी देखने में मज़ा नहीं आ रहा था, तो टीवी बंद करके हम तीनों मस्ती करने लगे.

हम सभी ने काफी देर तक मस्ती की.
फिर जब शाम की चाय का समय हो गया, तो बुआ ने चाय बनाई और दोनों बुआ फिर से घर के कामों में लग गईं.

मैं बाहर टहलने चला गया.
वापस आया, तब तक खाना बन गया था. हम तीनों ने खाना खाया और बैठ कर काफी देर तक बातें करते रहे.

बातें करने के बाद सब सोने जा रहे थे, तो बुआ को कल की बात याद आ गई.
बुआ अचानक से फिर से डर गईं और मैं फिर से उन्हें बाथरूम करवाने ले गया.

वे रूम में आने के बाद डर की वजह से मेरे सीने से चिपक गईं. मैंने महसूस किया कि वे आज तो कल से भी ज़्यादा चिपकी हुई थीं.
मैंने उनसे बात करते करते उनके बालों को सहलाना चालू कर दिया.

मैं धीरे धीरे उनके गाल सहलाता हुआ उनके मम्मों पर आ गया और उनके एक दूध को दबाने लगा.
जब उन्होंने कुछ भी नहीं कहा, तो मैं बेखौफ उनके दूध की नोक को अपनी दो उंगलियों से पकड़ कर मींजने लगा.

अब यह एकदम से चुदाई वाली हरकत जैसी हो गई थी.
इससे बुआ गर्म हो गई थीं. उन्होंने मुझे मेरे होंठों पर किस कर लिया.

बुआ के किस करते ही मैंने अपना हाथ बुआ के टॉप के अन्दर डाल दिया और उनके उनके पेट के ऊपर घुमाना चालू कर दिया.
इससे उनको एक करेंट सा लगने लगा और वे मेरे साथ सेक्सी हरकतें करने लगीं.

मैंने भी धीरे धीरे बुआ के बदन को सहलाते हुए उनकी चूत पर अपना हाथ पहुंचा दिया. जैसे ही मैंने उनकी देसी बुर को टच किया, तो बुआ की चूत एकदम भीगी पड़ी थी. उनकी चूत कामरस से गीली हो गई थी.
इस बीच बुआ मेरे सीने पर हाथ घुमा रही थीं और मेरे होंठों को लगातार किस कर रही थीं.

मैंने गीली चूत देख कर उनके पजामे में हाथ डाल दिया. अन्दर हाथ डालते ही बुआ को कुछ अजीब सा महसूस हुआ और उन्होंने किस करना बंद करके अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया.
वे अब अपनी आंखें बंद करके मेरे हाथ से चूत रगड़वाने का मज़ा लेने लगीं.

थोड़ी देर तक मैंने बुआ की चूत को सहलाया और उनका पजामा उतार दिया.
बुआ अब पैंटी में हो गईं.

मैंने अब देर न करते हुए बुआ का टॉप भी उतार दिया. मेरी रश्मि बुआ अब बस ब्रा और पैंटी में रह गई थीं.
मैं बुआ को चूमने लगा और उनके मम्मों को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.

बुआ भी चुदासी होकर मस्ती करने लगीं. उनका हाथ मेरे लंड पर आ गया. लंड पर उनके हाथ को महसूस करके मैंने अपने सारे कपड़े एक ही बार में पूरे उतार दिए और नंगा हो गया.
अब मैंने बुआ की ब्रा और पैंटी भी उतार दी.

मैंने अपना सात इंच का मोटा लंड रश्मि बुआ के हाथ में पकड़ा दिया.
बुआ लंड हिलाने लगीं.

मैंने बुआ से लौड़े को मुँह में लेने को बोला, तो बुआ मना करने लगीं.
तो मैंने भी ज़ोर नहीं दिया.

अब मैंने बुआ की चूत में लंड पेलने के लिए कहा.
तो बुआ डर कर मना करने लगीं- नहीं, वह सब नहीं … तुमको ऊपर ऊपर से जो कुछ भी करना है, वह सब कर लो, पर अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर मत डालना. तेरा बहुत मोटा है, मेरी चूत फट जाएगी.

मैंने बुआ को समझाया कि मैं धीरे धीरे करूंगा … और अगर आपको दर्द हुआ तो नहीं करूंगा.
बुआ मान गईं.

अब मैंने बुआ को थोड़ा और गर्म किया; बुआ के दूध चूसे और उन्हें किस किया.
इसी के साथ में उनकी देसी बुर में उंगली भी घुमाई.

अब बुआ से कंट्रोल नहीं हो रहा था तो उन्होंने कहा- शिवाय, बहुत अजीब सा लग रहा है. मुझे पता नहीं क्या हो रहा है.
मैं समझ गया कि अब बुआ पूरी तरह से गर्म हो गई हैं.

मैंने बुआ को चित लिटाया और उनकी चूत पर अपना लंड रख कर धीरे से थोड़ा सा अन्दर की ओर दबाया.
बुआ मना करने लगीं.

मैंने कहा- एक बार ट्राई तो करने दो!
मगर बुआ मना करने लगी थीं. चूत पर लंड को रखने के बाद रुक पाना बाद कठिन काम होता है.

यह तो ठीक वैसा ही हुआ कि शेर के मुँह में खरगोश दबा हो … और शेर उसे न खाए.
मैं अब कैसे रुक सकता था.

मैंने जैसे तैसे बुआ को बातों में लगाया और एक करारा झटका दे मारा.
मेरे लंड का टोपा बुआ की देसी बुर में चला गया.

बुआ मना करने लगीं- आह नहीं … मत करो … बहुत दर्द हो रहा है. नहीं नहीं!

मैंने बुआ की चूचियों को मुँह में लेकर चाटा और हाथ से थोड़ा मसला.
उनको दर्द से आराम दिलाया, उनको सेक्सी बातों में लगा कर एक झटका और लगा दिया.

इस बार काफी सारा लंड अन्दर चला गया था.
बुआ रोने लगीं. उनकी आंखों से आंसू और चूत में से खून निकलना शुरू हो गए थे.

मैं थोड़ी देर ऐसे ही रुका रहा.
जब मुझे लगा कि बुआ का दर्द कम हो गया है, तो मैंने धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू कर दिया.

अब कुछ झटकों के बाद बुआ भी मेरा साथ देने लगीं और बोलने लगीं- हां अब अच्छा लग रहा है … आह करो और तेज तेज करो.
मैं मस्ती में बुआ की देसी बुर चुदाई करने लगा.
उनकी चूत में धक्के लगाते लगाते मैंने उन्हें चूमा तो वे भी मेरे मुँह में जीभ देकर चूसने लगीं.

मैंने मुँह हटा कर उनसे पोजीशन चेंज करने को बोला तो उन्होंने हां कर दी.
अब मैंने बुआ को घोड़ी बना दिया और पीछे से उनकी चूत में लंड पेल दिया.

पहली बार किसी ने उनकी चूत में पीछे से लंड पेला था तो उनको दर्द के साथ साथ मीठा मज़ा भी आ रहा था.
कुछ ही देर में बुआ झड़ गईं.

मैं अभी बाकी था तो बुआ की चूचियों को पकड़ कर उनके ऊपर चढ़ा रहा और उनकी चूत में धक्के देता रहा.
कुछ ही देर में बुआ पुनः गर्म हो गईं और मस्ती भरी आवाजों से मुझे उत्तेजित करने लगीं.

काफी देर की धकापेल चुदाई के बाद मेरा भी पानी निकालने वाला था.
मैंने बुआ से पूछा- कहां निकालूँ?

बुआ ने अपने मम्मों पर वीर्य निकलवाया.
उन्हें चुदाई करवाने में इतना मज़ा आया कि चुदाई के बाद बुआ ने खुद ही मेरा लंड मुँह में ले लिया और उसे चूस चूस कर फिर से खड़ा कर दिया.

मैंने बुआ के साथ फिर से चुदाई शुरू कर दी.
इस बार बुआ ने मेरे लौड़े की सवारी की और मुझे अपने उछलते हुए मम्मों का सुख दिया.

दोस्तो, बुआ के साथ चुदाई का ये सिलसिला अभी भी इसी तरह से जारी है.
मुझे जब भी मौका मिलता है मैं रश्मि बुआ को चोद देता हूँ.
अब तो बुआ मुझसे खूब खुल कर चुदाई करवाती हैं.
 

junglecouple1984

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सगी बहन की चूत चोद कर सुजा दी




दोस्तो, मेरा नाम संदीप है. मेरी उम्र 22 साल है और मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं.

मेरा शरीर एकदम फिट है. मैं कुछ खास मोटा नहीं है लेकिन स्मार्ट बहुत हूं.

हमारे परिवार में हम चार लोग हैं.
मम्मी पापा, मैं और मेरी बड़ी बहन.

मेरी बड़ी बहन का नाम पूजा है. वह मुझसे दो साल बड़ी है.

यह कहानी 3 साल पहले की है, जब मैं अपने बहन को चोदना चाहता था.

क्या गजब माल है, उसके बड़े-बड़े चूचे और भरी हुई गांड देख कर कोई भी उसे एकदम मस्त माल कहेगा.
वह देखने में बहुत हॉट थी.
मैं उसको चोद देना चाहता था परंतु बहन थी तो सीधे बोल भी नहीं सकता था.
मम्मी पापा से बोल दे … इसका भी डर था.

आखिर एक दिन मैंने उससे कह ही दिया- मुझे तू बहुत हॉट लगती है और यदि तू चाहे, तो मैं तेरे साथ सेक्स करना चाहता हूँ.
उसने मेरे साथ सेक्स करने से मना कर दिया.

उसके बाद मैं कसमसा कर रहा गया.

एक बार की बात है कि ठंडी के दिन थे मम्मी पापा नीचे अपने कमरे में सोए हुए थे, मैं और मेरी बड़ी बहन ऊपर एक साथ एक कमरे में सोए थे.

क्योंकि हम बचपन से ही एक साथ सोते आए थे तो इसमें कुछ भी अजीब नहीं था.

एक दिन मैं और मेरी बहन सोने आए.
उस दिन ठंड बहुत ज्यादा लग रही थी.

दीदी ने कहा- क्यों ना आज मैं तेरे ही बिस्तर पर सो जाऊं, बहुत ठंड है.

यह बात सुनकर तो मेरे मन में एक अजीब सी खुशी की लहर उठी क्योंकि मैं उसे चोदना चाहता था.
यह मेरे लिए एक सुनहरा अवसर था.

मैंने बोला- हां क्यों नहीं दीदी, आओ एक साथ सो जाते हैं.
उसने अपना बिस्तर छोड़ा और मेरे बिस्तर में आ गई.

उस दिन दीदी ने लोअर और टी-शर्ट पहनी थी.
वह मेरे बिस्तर पर अपनी गांड मेरे लंड की तरफ करके सो गई.

कुछ देर के बाद मुझे लगा कि दीदी सो गई है.
मैंने उसकी छाती पर धीरे से अपना हाथ रख दिया.
उसने कोई विरोध नहीं किया.

मुझे लगा कि शायद वह सो रही है.
मैं अपना हाथ धीरे से उसके चूचे पर ले गया.
उसने तब भी विरोध नहीं किया.

मैंने ऐसे ही धीरे करते-करते टी-शर्ट के अन्दर हाथ डाल दिया.
तब मुझे पता लगा कि दीदी ने तो उस दिन ब्रा ही नहीं पहनी थी.
ओ भाई साहब … क्या बताऊं … कितने मुलायम चूचे थे उसके … मेरे बदन में एकदम से करंट दौड़ गया.

उसी वक्त दीदी ने थोड़ी सी हरकत की और वह मेरी तरफ घूम गई.
मैं डर गया और सोने का नाटक करने लगा.

थोड़ी देर बाद मैंने उसके लोअर में अपना हाथ डाल दिया.
मैंने देखा कि उसने तो पैंटी भी नहीं पहनी है.

मैं बहन की चूत को सहलाने लगा.
वह सिसकारियां भरने लगी.

मैं समझ गया कि यह तो जगी हुई है, साली सोने का नाटक कर रही है.

मैंने थोड़ी सी हिम्मत जुटाई और बिना सोचे समझे उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और किस करने लगा.

दीदी ने मुझे तुरंत ही झटका देकर वहां से हटा दिया.

ओ तेरे की … ये तो लफड़ा हो गया … अब क्या होगा.
मुझे लगा था कि वह जगी हुई है … मना नहीं कर रही है तो उसका भी मन सेक्स करने का होगा. लेकिन यह तो उल्टा हुआ.

तभी उसने आंखें खोलीं और कहा- हम भाई-बहन हैं. हम दोनों यह सब नहीं कर सकते!
यह कह कर उसने एक झापड़ मार दिया और मेरे बिस्तर से उठ कर अपने बिस्तर पर चली गई.

मुझे डर था कि कहीं यह बात मम्मी पापा से ना बोल दे.
पापा तो घर से ही बाहर निकाल देंगे.

मैं सुबह उठा तो डर रहा था लेकिन दीदी ने किसी को नहीं बताया था.

तब से मैं अपनी दीदी से नजरें चुराने लगा और उससे बोलना भी कम कर दिया.

मैं दीदी से नहीं बोल रहा था, यह देख कर एक दिन दीदी मेरे पास आई और बोली- यह सब गलत है, हम भाई-बहन हैं. हम ऐसा नहीं कर सकते हैं.

उस समय मैं डर गया था तो मैंने वहां पर कुछ भी बोलना उचित नहीं समझा.
मैंने बस इतना कहा- सॉरी दीदी कल रात के लिए, अब ऐसा नहीं होगा.

दीदी ने यह सुनकर मुझको अपने गले से लगा लिया और माथे को चूम कर चली गई.

क्या बताऊं दोस्तो, दीदी के साथ सेक्स का मेरा सपना सपना ही रह गया.

इस घटना के दो साल बाद ही दीदी की शादी हो गई.
उनका पति इंजीनियर था लेकिन थोड़ा सांवला सा था.

दीदी का वैवाहिक जीवन अपनी ससुराल में अच्छा कटने लगा.
जीजा जी इंजीनियर थे तो उनको अपने काम से विदेश जाना पड़ गया.

जब जीजा जी विदेश चले गए तो मैं अपनी दीदी को वहां से अपने घर ले आया.
सभी ने दीदी का हाल चाल पूछा.
दीदी कहने लगीं- सब ठीक है. घर वाले ठीक हैं मेरे पति में भी कोई बुराई नहीं है.

वह यह बात मम्मी पापा से झूठ बोल रही थी क्योंकि उसने सारी सच्चाई मुझसे बताई थी.

उस बात को लेकर मैं दीदी से नहीं बोल रहा था.
मैं अभी तक गुस्सा था.

शाम को मैं छत पर बैठा था. उस वक्त दीदी मेरे पास आई और बोली- कैसा है छोटू?
मैंने कहा- ठीक हूं, आप बताओ?
‘हां, मैं भी ठीक हूं!’

मुझको वहां उसके कहने बताने में कुछ अजीब सा लग रहा था.
वह सही नहीं बोली थी.
उसके चेहरे को देखने से सब कुछ साफ समझ आ रहा था.

मैंने कहा- दीदी सच बताओ, क्या बात है. आपको क्या तकलीफ है वहां पर?
दीदी बोलने लगी- नहीं भाई, ऐसा कुछ नहीं है.

मैंने कहा- दीदी आप झूठ बोल रही हो. आप बचपन से मेरी दोस्त हो. मैं आपकी हर एक बात को पहचान लेता हूं. अब साफ साफ बताओ कि सच्चाई क्या है?
दीदी ने लंबी सांस भरते हुए कहा- यह बहुत लंबी कहानी है. तुम पहले खाना खा लो, रात में बताऊंगी.

मैंने कहा- ठीक है.
रात को हम सब ने एक साथ खाना खाया.

उसके बाद मम्मी पापा अपने रूम में चले गए, मैं और दीदी पहले की तरह अपने रूम में आ गए.

मैं अपने बिस्तर पर बैठा था.
दीदी आई और मेरे पास बैठ गई.

मैंने पूछा- आप अपनी सही कहानी बताओ ना … क्या बात है दीदी?
दीदी ने मुझसे कहा- यार यह बात मैं तुझे मैं कैसे बताऊं. यह बात बताने वाली नहीं है … और वह भी तुमसे!

मैंने कहा- दीदी हम दोनों बचपन से एक दोस्त की तरह हैं. एक दोस्त के नाते ही बोल दो न!
दीदी ने कहा- ठीक है.

यह कह कर वह सकुचाने लगी.
मैंने जोर देकर कहा- आप बताओ तो सही दीदी!

दीदी मुझसे लिपट कर रोने लगी.
मैंने कहा- अरे क्या हुआ, बताओ तो!

वह मुझसे लिपट कर और रोती हुई बताने लगी- भाई मेरे पति मुझको संतुष्ट नहीं कर पाते हैं. उनका लिंग बहुत ही छोटा है. मेरी शादी हुई तो मैं खुश थी कि चलो लड़का इंजीनियर है. मेरे घर वाले खुश हैं, तो मैंने शादी कर ली. शादी के बाद मुझे सुहागरात के दिन जब मैंने उसके साथ सेक्स करना चाहा, तो देखा कि उसका लिंग बहुत छोटा सा है. उससे कुछ हो नहीं पाता है. यह जानकर मैं बहुत रोई. अब तुम ही बताओ कि इतना पैसा और घर आदि अच्छा है … पर इसे पाकर क्या करूंगी मैं. जब मुझे मेरा ही पति संतुष्ट नहीं कर पाता है. जब किसी लड़की की लाइफ में सेक्स ना हो, तो उसका दिल पर क्या बीतेगी!

यह सब बात कहकर वह मुझसे लिपट कर रोने लगी.
मैंने कहा- दीदी चुप हो जाओ, जो लिखा होता है … वही होता है.

वह धीरे धीरे सिसकती हुई रोती रही.
कुछ देर बाद मैंने उससे पूछा- अब आप क्या करोगी?

उसने कहा- भाई एक बात कहूं, कसम खाओ कि तुम किसी से नहीं कहोगे.
मैंने कहा- ठीक है, मैं किसी से नहीं बोलूंगा.

दीदी ने कहा- हर लड़की यही सोचती है कि उसके पति का लंड मोटा और लंबा हो. ताकि सेक्स करने में मजा आए. मेरे नसीब में ऐसा नहीं है.
इतना कह कर दीदी चुप हो गई.

एक पल बाद वह फिर से बोली- तू मेरा एक बात मानेगा?
मैंने कहा- हां बोलो न दीदी, क्या करना है?

दीदी ने कहा कि देख भाई, तुम मुझे बचपन से ही चोदना चाहते थे. पर मैं तुमको मना कर देती थी. क्या तुम मेरे साथ अभी यह सब कर सकते हो. प्लीज मना मत करना.

दोस्तो, अब मैं क्या बताऊं … मैं मन ही मन बहुत खुश था कि मैं जिस लड़की को पहले चोदना चाहता था. आज वह खुद बोल रही है कि मुझे चोद दो.

मन में एक अजीब सी लहर उठी.
पर मैं भी दीदी को सबक सिखाना चाहता था क्योंकि उसने मुझको थप्पड़ मारा था.

उस बात को लेकर मैं आज तक उससे कुछ बोल ही नहीं पाया था.

मैंने जानबूझ कर मना कर दिया- नहीं दीदी, हम तो भाई बहन है ना … और ऊपर से अब तो आपकी शादी भी हो गई है.
लेकिन दीदी मुझसे हाथ जोड़कर बोलने लगी- भाई प्लीज बात मान लो.

अब आप ही बताओ दोस्तो कि जो लड़की बचपन से वर्जिन हो और शादी के इतने साल बाद भी वह मनचाहा लंड ना पा सकी हो. तो उसके दिल पर क्या गुजरेगी.

मैं बोला- जीजाजी जान गए तो?
वह बोली- वह नहीं जानेंगे. मैं तो शादी करके फंस गई. मुझे तो बचपन में ही तुमसे चुद जाना चाहिए था.
मैंने दीदी की सारी बातें मान लीं.

दीदी ने मेरी हां सुनते ही मुझको अपनी बांहों में भर लिया और मुझे किस करने लगीं.
इससे मेरे अन्दर भी जोश आ गया था.

अब मैं डर नहीं रहा था.
मैंने भी दीदी को चुम्बन करना शुरू कर दिया और अपने हाथों से उनकी चूचियों को दबाने लगा.

आह कितने मस्त मुलायम चूचे थे.
किस करते हुए ही मैं दीदी के कपड़े उतारने लगा.

दीदी उस दिन मूड बना कर आई थी.
जब मैंने उसको नंगी कर दिया, तो देखा कि उसने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी.

मैंने दीदी से कहा- ओ तेरे की … क्या मस्त लग रही हो दीदी … मेरा तो मन कर रहा है कि आपको खा जाऊं!
दीदी ने हंस कर कहा- आज मैं तुम्हारी हूं. जो करना है कर लो.

तभी दीदी ने भी आगे बढ़ कर मेरे सारे कपड़े निकाल दिए.
दीदी ने जब मेरा लंड देखा, तो वह हक्की-बक्की रह गई.

वह बोली- इतना लंबा और मोटा लंड … सच में मुझसे बहुत बड़ी भूल हुई है.

मैंने बिना देर किए दीदी की एक चूची को मुँह में भरा और चूसने लगा.

वह मदहोश होने लगी और सिसकारियां भरने लगी- आह भाई आराम से पियो … मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ.
कुछ देर बाद हम दोनों भाई बहन 69 की पोजीशन में आ गए.

दीदी ने अपनी चूत की झांटों को साफ किया हुआ था.
उसकी चूत एकदम गुलाबी थी.

अब तक की चूमाचाटी से दीदी की चूत हल्का सा पानी भी छोड़ दिया था.
उसके मुँह में मेरा पूरा लंड नहीं जा पा रहा था.

मैं उसकी चूत को चाटने लगा.
वह कामुक सिसकारियां भरने लगी.

हम दोनों कुछ मिनट तक ऐसे ही चाटते रहे.
फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए.

कुछ देर तक अपनी सांसों को नियंत्रित करने के बाद मैं दीदी को किस करने लगा और उसकी चूचियों को पीने व दबाने लगा.
कुछ देर बाद दीदी फिर से गर्म हो गई और मैं भी.

अब दीदी कहने लगी- बस भाई, मुझको अब और मत तड़पाओ. अपने लंड से मेरी चूत की चुदाई करो. मुझे जन्नत पहुंचा दो.
मैंने कहा- ठीक है दीदी.

तब मैंने दीदी के दोनों पैर को फैला दिया और उसकी चूत पर लंड को सैट कर दिया.
मैंने जैसे ही धक्का मारा, मेरा लंड फिसल गया.

मैं आपको बता दूं कि दीदी की चूत एकदम वर्जिन थी क्योंकि जीजा जी का लंड तो एकदम छोटा सा था और ऊपर से उसने अब तक अपनी चूत की चुदायी नहीं करवाई थी.
मैंने थोड़ा सा थूक लगाया और एक जोर से धक्का मारा.

अभी मेरा आधा लंड अन्दर गया ही था कि दीदी चीख पड़ी- आह संदीप बाहर निकालो … मैं मर जाऊंगी.

मेरा लंड बहुत मोटा और लंबा था, जिसकी वजह से दीदी को बहुत दर्द हो रहा था.
मैंने एक मिनट तक वैसे ही खुद को रोके रखा.
मैं उसे किस करने लगा.

कुछ देर बाद मैंने पुन: जोर से धक्का मारा और इस बार मेरा पूरा लंड दीदी की चूत में समा गया.

वह फिर से बहुत जोर से चिल्लायी और रोने लगी- आह भाई निकालो … मैं मर जाऊंगी.
पर मैंने ऐसा नहीं किया क्योंकि मुझे 3 साल पहले का बदला लेना था.

मैं दीदी को बहुत ही कठोर तरीके से पेलने लगा था क्योंकि उसने मुझे जो थप्पड़ मारा था, उसकी गूंज का जवाब मुझे दीदी की कराहों से मिल रहा था.

दीदी के बहुत सारे आंसू बहने लगे थे और उसके पैर कांपने लगे थे.
मगर मैंने छोड़ा नहीं.

मैंने कहा- पहली बार इतना मोटा लंड ले रही हो, थोड़ा दर्द तो होगा.
मैंने कुछ देर तक लंड को वैसे ही पेले रखा.

फिर दीदी को थोड़ा सी राहत मिली.
अब दीदी का थोड़ा सा दर्द कम हुआ था.
वह मदहोश होने लगी और कहने लगी- भाई मुझे पेलो. मुझे जोर जोर से पेलो.

दीदी मदहोश होती हुई कामुक सिसकारियां भरने लगी.
उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और कहने लगी- आज अपनी बहन की कुंवारी चूत को चोद कर फाड़ दो.

उसके मुँह से यह सब सुनकर मुझे जोश आ गया और मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
दीदी चिल्लाने लगी- आह संदीप, प्लीज थोड़ा धीरे करो … मुझे बहुत दर्द हो रहा है. मैंने आज तक इतना मोटा और लंबा लंड नहीं लिया है.

मैंने दीदी की एक ना सुनी और अपनी स्पीड बढ़ाता चला गया.
दीदी चिल्लाती रही.

मैंने उसके मुँह को अपने हाथों से दबा दिया कि कहीं यह आवाज मम्मी पापा के कानों में ना चली जाए.
एक कामांध भाई अपनी बहन का दुख दूर करने के लिए उसको जोर जोर से पेलता गया.

फिर मैंने देखा कि दीदी की पूरी बॉडी कांपने लगी और वह जोर जोर से चिल्लाने की कोशिश करने लगी थी.
उसी वक्त दीदी की चूत से जोरदार धार से पानी निकल गया. दीदी की चूत ने रस झाड़ दिया था.

मैंने फिर भी लंड को चूत से बाहर नहीं निकाला और उसकी पेलाई को जारी रखा.
दीदी कुछ ही देर बाद वापस तड़पने लगी और छटपटाने लगी.

वह छटपटाती हुई बिस्तर से नीचे आ गिरी.
मैंने तुरंत दीदी को उठा कर बिठाया और बेड पर लिटाया.

दीदी ने कहा- बस भाई, अब मैं मर जाऊंगी. मैंने आज तक अपनी चूत में इतना मोटा और लंबा लंड नहीं लिया है.

मैंने कहा- हां … पर आपको इसकी आदत डालनी पड़ेगी.
यह कहते हुए मैंने उसको तुरंत घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी लेने लगा.

कुछ देर बाद हम दोनों साथ में झड़ गए. हम भाई बहन वैसे ही नंगे सो गए.

सुबह जब मैं उठा, तो दीदी चल नहीं पा रही थी.
उसकी चूत सूज गई थी.

क्या बताऊं दोस्तो, उसकी चूत सात दिन तक सूजी रही.
फिर हम दोनों ने आठवें दिन सेक्स किया.

 
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सगी बहन की चूत चोद कर सुजा दी




दोस्तो, मेरा नाम संदीप है. मेरी उम्र 22 साल है और मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूं.

मेरा शरीर एकदम फिट है. मैं कुछ खास मोटा नहीं है लेकिन स्मार्ट बहुत हूं.

हमारे परिवार में हम चार लोग हैं.
मम्मी पापा, मैं और मेरी बड़ी बहन.

मेरी बड़ी बहन का नाम पूजा है. वह मुझसे दो साल बड़ी है.

यह कहानी 3 साल पहले की है, जब मैं अपने बहन को चोदना चाहता था.

क्या गजब माल है, उसके बड़े-बड़े चूचे और भरी हुई गांड देख कर कोई भी उसे एकदम मस्त माल कहेगा.
वह देखने में बहुत हॉट थी.
मैं उसको चोद देना चाहता था परंतु बहन थी तो सीधे बोल भी नहीं सकता था.
मम्मी पापा से बोल दे … इसका भी डर था.

आखिर एक दिन मैंने उससे कह ही दिया- मुझे तू बहुत हॉट लगती है और यदि तू चाहे, तो मैं तेरे साथ सेक्स करना चाहता हूँ.
उसने मेरे साथ सेक्स करने से मना कर दिया.

उसके बाद मैं कसमसा कर रहा गया.

एक बार की बात है कि ठंडी के दिन थे मम्मी पापा नीचे अपने कमरे में सोए हुए थे, मैं और मेरी बड़ी बहन ऊपर एक साथ एक कमरे में सोए थे.

क्योंकि हम बचपन से ही एक साथ सोते आए थे तो इसमें कुछ भी अजीब नहीं था.

एक दिन मैं और मेरी बहन सोने आए.
उस दिन ठंड बहुत ज्यादा लग रही थी.

दीदी ने कहा- क्यों ना आज मैं तेरे ही बिस्तर पर सो जाऊं, बहुत ठंड है.

यह बात सुनकर तो मेरे मन में एक अजीब सी खुशी की लहर उठी क्योंकि मैं उसे चोदना चाहता था.
यह मेरे लिए एक सुनहरा अवसर था.

मैंने बोला- हां क्यों नहीं दीदी, आओ एक साथ सो जाते हैं.
उसने अपना बिस्तर छोड़ा और मेरे बिस्तर में आ गई.

उस दिन दीदी ने लोअर और टी-शर्ट पहनी थी.
वह मेरे बिस्तर पर अपनी गांड मेरे लंड की तरफ करके सो गई.

कुछ देर के बाद मुझे लगा कि दीदी सो गई है.
मैंने उसकी छाती पर धीरे से अपना हाथ रख दिया.
उसने कोई विरोध नहीं किया.

मुझे लगा कि शायद वह सो रही है.
मैं अपना हाथ धीरे से उसके चूचे पर ले गया.
उसने तब भी विरोध नहीं किया.

मैंने ऐसे ही धीरे करते-करते टी-शर्ट के अन्दर हाथ डाल दिया.
तब मुझे पता लगा कि दीदी ने तो उस दिन ब्रा ही नहीं पहनी थी.
ओ भाई साहब … क्या बताऊं … कितने मुलायम चूचे थे उसके … मेरे बदन में एकदम से करंट दौड़ गया.

उसी वक्त दीदी ने थोड़ी सी हरकत की और वह मेरी तरफ घूम गई.
मैं डर गया और सोने का नाटक करने लगा.

थोड़ी देर बाद मैंने उसके लोअर में अपना हाथ डाल दिया.
मैंने देखा कि उसने तो पैंटी भी नहीं पहनी है.

मैं बहन की चूत को सहलाने लगा.
वह सिसकारियां भरने लगी.

मैं समझ गया कि यह तो जगी हुई है, साली सोने का नाटक कर रही है.

मैंने थोड़ी सी हिम्मत जुटाई और बिना सोचे समझे उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और किस करने लगा.

दीदी ने मुझे तुरंत ही झटका देकर वहां से हटा दिया.

ओ तेरे की … ये तो लफड़ा हो गया … अब क्या होगा.
मुझे लगा था कि वह जगी हुई है … मना नहीं कर रही है तो उसका भी मन सेक्स करने का होगा. लेकिन यह तो उल्टा हुआ.

तभी उसने आंखें खोलीं और कहा- हम भाई-बहन हैं. हम दोनों यह सब नहीं कर सकते!
यह कह कर उसने एक झापड़ मार दिया और मेरे बिस्तर से उठ कर अपने बिस्तर पर चली गई.

मुझे डर था कि कहीं यह बात मम्मी पापा से ना बोल दे.
पापा तो घर से ही बाहर निकाल देंगे.

मैं सुबह उठा तो डर रहा था लेकिन दीदी ने किसी को नहीं बताया था.

तब से मैं अपनी दीदी से नजरें चुराने लगा और उससे बोलना भी कम कर दिया.

मैं दीदी से नहीं बोल रहा था, यह देख कर एक दिन दीदी मेरे पास आई और बोली- यह सब गलत है, हम भाई-बहन हैं. हम ऐसा नहीं कर सकते हैं.

उस समय मैं डर गया था तो मैंने वहां पर कुछ भी बोलना उचित नहीं समझा.
मैंने बस इतना कहा- सॉरी दीदी कल रात के लिए, अब ऐसा नहीं होगा.

दीदी ने यह सुनकर मुझको अपने गले से लगा लिया और माथे को चूम कर चली गई.

क्या बताऊं दोस्तो, दीदी के साथ सेक्स का मेरा सपना सपना ही रह गया.

इस घटना के दो साल बाद ही दीदी की शादी हो गई.
उनका पति इंजीनियर था लेकिन थोड़ा सांवला सा था.

दीदी का वैवाहिक जीवन अपनी ससुराल में अच्छा कटने लगा.
जीजा जी इंजीनियर थे तो उनको अपने काम से विदेश जाना पड़ गया.

जब जीजा जी विदेश चले गए तो मैं अपनी दीदी को वहां से अपने घर ले आया.
सभी ने दीदी का हाल चाल पूछा.
दीदी कहने लगीं- सब ठीक है. घर वाले ठीक हैं मेरे पति में भी कोई बुराई नहीं है.

वह यह बात मम्मी पापा से झूठ बोल रही थी क्योंकि उसने सारी सच्चाई मुझसे बताई थी.

उस बात को लेकर मैं दीदी से नहीं बोल रहा था.
मैं अभी तक गुस्सा था.

शाम को मैं छत पर बैठा था. उस वक्त दीदी मेरे पास आई और बोली- कैसा है छोटू?
मैंने कहा- ठीक हूं, आप बताओ?
‘हां, मैं भी ठीक हूं!’

मुझको वहां उसके कहने बताने में कुछ अजीब सा लग रहा था.
वह सही नहीं बोली थी.
उसके चेहरे को देखने से सब कुछ साफ समझ आ रहा था.

मैंने कहा- दीदी सच बताओ, क्या बात है. आपको क्या तकलीफ है वहां पर?
दीदी बोलने लगी- नहीं भाई, ऐसा कुछ नहीं है.

मैंने कहा- दीदी आप झूठ बोल रही हो. आप बचपन से मेरी दोस्त हो. मैं आपकी हर एक बात को पहचान लेता हूं. अब साफ साफ बताओ कि सच्चाई क्या है?
दीदी ने लंबी सांस भरते हुए कहा- यह बहुत लंबी कहानी है. तुम पहले खाना खा लो, रात में बताऊंगी.

मैंने कहा- ठीक है.
रात को हम सब ने एक साथ खाना खाया.

उसके बाद मम्मी पापा अपने रूम में चले गए, मैं और दीदी पहले की तरह अपने रूम में आ गए.

मैं अपने बिस्तर पर बैठा था.
दीदी आई और मेरे पास बैठ गई.

मैंने पूछा- आप अपनी सही कहानी बताओ ना … क्या बात है दीदी?
दीदी ने मुझसे कहा- यार यह बात मैं तुझे मैं कैसे बताऊं. यह बात बताने वाली नहीं है … और वह भी तुमसे!

मैंने कहा- दीदी हम दोनों बचपन से एक दोस्त की तरह हैं. एक दोस्त के नाते ही बोल दो न!
दीदी ने कहा- ठीक है.

यह कह कर वह सकुचाने लगी.
मैंने जोर देकर कहा- आप बताओ तो सही दीदी!

दीदी मुझसे लिपट कर रोने लगी.
मैंने कहा- अरे क्या हुआ, बताओ तो!

वह मुझसे लिपट कर और रोती हुई बताने लगी- भाई मेरे पति मुझको संतुष्ट नहीं कर पाते हैं. उनका लिंग बहुत ही छोटा है. मेरी शादी हुई तो मैं खुश थी कि चलो लड़का इंजीनियर है. मेरे घर वाले खुश हैं, तो मैंने शादी कर ली. शादी के बाद मुझे सुहागरात के दिन जब मैंने उसके साथ सेक्स करना चाहा, तो देखा कि उसका लिंग बहुत छोटा सा है. उससे कुछ हो नहीं पाता है. यह जानकर मैं बहुत रोई. अब तुम ही बताओ कि इतना पैसा और घर आदि अच्छा है … पर इसे पाकर क्या करूंगी मैं. जब मुझे मेरा ही पति संतुष्ट नहीं कर पाता है. जब किसी लड़की की लाइफ में सेक्स ना हो, तो उसका दिल पर क्या बीतेगी!

यह सब बात कहकर वह मुझसे लिपट कर रोने लगी.
मैंने कहा- दीदी चुप हो जाओ, जो लिखा होता है … वही होता है.

वह धीरे धीरे सिसकती हुई रोती रही.
कुछ देर बाद मैंने उससे पूछा- अब आप क्या करोगी?

उसने कहा- भाई एक बात कहूं, कसम खाओ कि तुम किसी से नहीं कहोगे.
मैंने कहा- ठीक है, मैं किसी से नहीं बोलूंगा.

दीदी ने कहा- हर लड़की यही सोचती है कि उसके पति का लंड मोटा और लंबा हो. ताकि सेक्स करने में मजा आए. मेरे नसीब में ऐसा नहीं है.
इतना कह कर दीदी चुप हो गई.

एक पल बाद वह फिर से बोली- तू मेरा एक बात मानेगा?
मैंने कहा- हां बोलो न दीदी, क्या करना है?

दीदी ने कहा कि देख भाई, तुम मुझे बचपन से ही चोदना चाहते थे. पर मैं तुमको मना कर देती थी. क्या तुम मेरे साथ अभी यह सब कर सकते हो. प्लीज मना मत करना.

दोस्तो, अब मैं क्या बताऊं … मैं मन ही मन बहुत खुश था कि मैं जिस लड़की को पहले चोदना चाहता था. आज वह खुद बोल रही है कि मुझे चोद दो.

मन में एक अजीब सी लहर उठी.
पर मैं भी दीदी को सबक सिखाना चाहता था क्योंकि उसने मुझको थप्पड़ मारा था.

उस बात को लेकर मैं आज तक उससे कुछ बोल ही नहीं पाया था.

मैंने जानबूझ कर मना कर दिया- नहीं दीदी, हम तो भाई बहन है ना … और ऊपर से अब तो आपकी शादी भी हो गई है.
लेकिन दीदी मुझसे हाथ जोड़कर बोलने लगी- भाई प्लीज बात मान लो.

अब आप ही बताओ दोस्तो कि जो लड़की बचपन से वर्जिन हो और शादी के इतने साल बाद भी वह मनचाहा लंड ना पा सकी हो. तो उसके दिल पर क्या गुजरेगी.

मैं बोला- जीजाजी जान गए तो?
वह बोली- वह नहीं जानेंगे. मैं तो शादी करके फंस गई. मुझे तो बचपन में ही तुमसे चुद जाना चाहिए था.
मैंने दीदी की सारी बातें मान लीं.

दीदी ने मेरी हां सुनते ही मुझको अपनी बांहों में भर लिया और मुझे किस करने लगीं.
इससे मेरे अन्दर भी जोश आ गया था.

अब मैं डर नहीं रहा था.
मैंने भी दीदी को चुम्बन करना शुरू कर दिया और अपने हाथों से उनकी चूचियों को दबाने लगा.

आह कितने मस्त मुलायम चूचे थे.
किस करते हुए ही मैं दीदी के कपड़े उतारने लगा.

दीदी उस दिन मूड बना कर आई थी.
जब मैंने उसको नंगी कर दिया, तो देखा कि उसने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी.

मैंने दीदी से कहा- ओ तेरे की … क्या मस्त लग रही हो दीदी … मेरा तो मन कर रहा है कि आपको खा जाऊं!
दीदी ने हंस कर कहा- आज मैं तुम्हारी हूं. जो करना है कर लो.

तभी दीदी ने भी आगे बढ़ कर मेरे सारे कपड़े निकाल दिए.
दीदी ने जब मेरा लंड देखा, तो वह हक्की-बक्की रह गई.

वह बोली- इतना लंबा और मोटा लंड … सच में मुझसे बहुत बड़ी भूल हुई है.

मैंने बिना देर किए दीदी की एक चूची को मुँह में भरा और चूसने लगा.

वह मदहोश होने लगी और सिसकारियां भरने लगी- आह भाई आराम से पियो … मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ.
कुछ देर बाद हम दोनों भाई बहन 69 की पोजीशन में आ गए.

दीदी ने अपनी चूत की झांटों को साफ किया हुआ था.
उसकी चूत एकदम गुलाबी थी.

अब तक की चूमाचाटी से दीदी की चूत हल्का सा पानी भी छोड़ दिया था.
उसके मुँह में मेरा पूरा लंड नहीं जा पा रहा था.

मैं उसकी चूत को चाटने लगा.
वह कामुक सिसकारियां भरने लगी.

हम दोनों कुछ मिनट तक ऐसे ही चाटते रहे.
फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए.

कुछ देर तक अपनी सांसों को नियंत्रित करने के बाद मैं दीदी को किस करने लगा और उसकी चूचियों को पीने व दबाने लगा.
कुछ देर बाद दीदी फिर से गर्म हो गई और मैं भी.

अब दीदी कहने लगी- बस भाई, मुझको अब और मत तड़पाओ. अपने लंड से मेरी चूत की चुदाई करो. मुझे जन्नत पहुंचा दो.
मैंने कहा- ठीक है दीदी.

तब मैंने दीदी के दोनों पैर को फैला दिया और उसकी चूत पर लंड को सैट कर दिया.
मैंने जैसे ही धक्का मारा, मेरा लंड फिसल गया.

मैं आपको बता दूं कि दीदी की चूत एकदम वर्जिन थी क्योंकि जीजा जी का लंड तो एकदम छोटा सा था और ऊपर से उसने अब तक अपनी चूत की चुदायी नहीं करवाई थी.
मैंने थोड़ा सा थूक लगाया और एक जोर से धक्का मारा.

अभी मेरा आधा लंड अन्दर गया ही था कि दीदी चीख पड़ी- आह संदीप बाहर निकालो … मैं मर जाऊंगी.

मेरा लंड बहुत मोटा और लंबा था, जिसकी वजह से दीदी को बहुत दर्द हो रहा था.
मैंने एक मिनट तक वैसे ही खुद को रोके रखा.
मैं उसे किस करने लगा.

कुछ देर बाद मैंने पुन: जोर से धक्का मारा और इस बार मेरा पूरा लंड दीदी की चूत में समा गया.

वह फिर से बहुत जोर से चिल्लायी और रोने लगी- आह भाई निकालो … मैं मर जाऊंगी.
पर मैंने ऐसा नहीं किया क्योंकि मुझे 3 साल पहले का बदला लेना था.

मैं दीदी को बहुत ही कठोर तरीके से पेलने लगा था क्योंकि उसने मुझे जो थप्पड़ मारा था, उसकी गूंज का जवाब मुझे दीदी की कराहों से मिल रहा था.

दीदी के बहुत सारे आंसू बहने लगे थे और उसके पैर कांपने लगे थे.
मगर मैंने छोड़ा नहीं.

मैंने कहा- पहली बार इतना मोटा लंड ले रही हो, थोड़ा दर्द तो होगा.
मैंने कुछ देर तक लंड को वैसे ही पेले रखा.

फिर दीदी को थोड़ा सी राहत मिली.
अब दीदी का थोड़ा सा दर्द कम हुआ था.
वह मदहोश होने लगी और कहने लगी- भाई मुझे पेलो. मुझे जोर जोर से पेलो.

दीदी मदहोश होती हुई कामुक सिसकारियां भरने लगी.
उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और कहने लगी- आज अपनी बहन की कुंवारी चूत को चोद कर फाड़ दो.

उसके मुँह से यह सब सुनकर मुझे जोश आ गया और मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
दीदी चिल्लाने लगी- आह संदीप, प्लीज थोड़ा धीरे करो … मुझे बहुत दर्द हो रहा है. मैंने आज तक इतना मोटा और लंबा लंड नहीं लिया है.

मैंने दीदी की एक ना सुनी और अपनी स्पीड बढ़ाता चला गया.
दीदी चिल्लाती रही.

मैंने उसके मुँह को अपने हाथों से दबा दिया कि कहीं यह आवाज मम्मी पापा के कानों में ना चली जाए.
एक कामांध भाई अपनी बहन का दुख दूर करने के लिए उसको जोर जोर से पेलता गया.

फिर मैंने देखा कि दीदी की पूरी बॉडी कांपने लगी और वह जोर जोर से चिल्लाने की कोशिश करने लगी थी.
उसी वक्त दीदी की चूत से जोरदार धार से पानी निकल गया. दीदी की चूत ने रस झाड़ दिया था.

मैंने फिर भी लंड को चूत से बाहर नहीं निकाला और उसकी पेलाई को जारी रखा.
दीदी कुछ ही देर बाद वापस तड़पने लगी और छटपटाने लगी.

वह छटपटाती हुई बिस्तर से नीचे आ गिरी.
मैंने तुरंत दीदी को उठा कर बिठाया और बेड पर लिटाया.

दीदी ने कहा- बस भाई, अब मैं मर जाऊंगी. मैंने आज तक अपनी चूत में इतना मोटा और लंबा लंड नहीं लिया है.

मैंने कहा- हां … पर आपको इसकी आदत डालनी पड़ेगी.
यह कहते हुए मैंने उसको तुरंत घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी लेने लगा.

कुछ देर बाद हम दोनों साथ में झड़ गए. हम भाई बहन वैसे ही नंगे सो गए.

सुबह जब मैं उठा, तो दीदी चल नहीं पा रही थी.
उसकी चूत सूज गई थी.

क्या बताऊं दोस्तो, उसकी चूत सात दिन तक सूजी रही.
फिर हम दोनों ने आठवें दिन सेक्स किया.

Kaash meri bahan bhi is kahani ke hero ki trh muje bhi uski chut chudwa ke suja dene ka mauka deti. Mere jija aur jija ke lund me aukaat nhi thi ki meri bahan ki chut me sujan aa jaye itni chudai kare.
 

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जवान भतीजा और रंगीन चाची धकापेल चूत चुदाई




मेरा नाम जीतेश है. मैं छत्तीसगढ़ राज्य के एक छोटे से जिले दुर्ग का निवासी हूं और मैं यहीं भिलाई के पास वाले गांव में रहता हूं.
मैं आपको एक सच्ची गरम चाची चुदाई कहानी बताने जा रहा हूं.
हो सकता है कि बिना लंड हिलाए आपका पानी भी निकल जाए, या फिर बिना उंगली करे चूत छलक जाए.

यह बात उस वक्त की है, जब मैं लगभग 19 साल का एक जवान स्टूडेंट था.
मैं रोज 10:00 बजे स्कूल जाता था और वापस आकर शाम को तकरीबन 7:00 बजे के आस पास पढ़ने बैठ जाता था.
यही मेरी रोज की दिनचर्या थी.

एक दिन की बात है, जब मुझे स्कूल जाने में देरी हो गई थी.
मुझे दस बजे स्कूल जाना होता है लेकिन उस दिन 9 बजे तो मैं सो कर ही उठा था.

जल्दी जल्दी नहाने के बाद मैं खाना खा रहा था.
खाना के बाद मुझे अपना स्कूल बैग भी ठीक से पैक करना था क्योंकि स्कूल बैग का पूरा सामान इधर उधर बिखरा पड़ा था.

जल्दी जल्दी सब करने के कारण मुझे अपनी विज्ञान की पुस्तक नहीं मिल रही थी.
उसे ही खोजते हुए मैंने काफी वक्त लगा दिया.

अब लगभग दस बज गए थे इसलिए मेरा स्कूल जाना कैंसल हो गया.
मैं भी अपने आपको कोसने लगा.
यूं ही समय निकलता गया.

दोपहर को मेरी चाची घर आईं.
उनका नाम नीलम था.
वे हमारे घर के थोड़े पास में ही रहती हैं.
उनकी तीन बेटियां हैं.

उस दिन मैं पढ़ने बैठा ही था कि वे आकर बोलने लगीं- जीतू (घर में सब मुझे प्यार से जीतू बुलाते हैं) आज स्कूल नहीं गए?
मैंने कहा- नहीं चाची, आज सोकर उठने में ही काफी देर हो गई थी.
वे बोलीं- अच्छा कोई बात नहीं.

तब वे मेरे पास आकर मेरी खटिया (चारपाई) पर ही मुझसे बिल्कुल चिपक कर बैठ गईं.
मैंने उनसे दूर होते हुए कहा- चाची, आप यह क्या कर रही हो?

वे धीरे से बोलीं- जीतू तू जवान हो गया है. शर्मा क्यों रहा है, मेरे पास आ न!
मैं बोला- ये सब गलत है.

यह कह कर मैं वहां से उठकर चला गया.

मेरी चाची मुझे ऐसे ही परेशान किया करती थीं और मैं उन्हें झेल लेता था.

एक दिन की बात है, मैंने उन्हें नहाती देख लिया.
मेरा लंड एकदम से खड़ा होने लगा था.

चाची एकदम दूध सी गोरी थीं और उनके बड़े बड़े बूब्स मस्त दिख रहे थे.
उन्होंने लाल रंग का पेटीकोट पहना हुआ था.

उन्हें ऊपर से पूरी नंगी देख कर मेरा भी मन मचलने लगा.
पर क्या कर सकता था.
हमारे परिवार में संस्कार ही कुछ ऐसे थे कि वे मुझे आगे बढ़ने की इजाजत नहीं दे रहे थे.

इसी प्रकार से चाची को मुझे लाइन मारते हुए तीन महीने हो गए.
मैं भी कम कमीना नहीं था.

हालांकि अब मैंने भी ठान लिया था कि जब चाची चुदने ही फिर रही हैं तो मुझे उनको चोदना ही है.

अगले महीने मेरी बुआ की बेटियों की शादी होने वाली थी.
मैं और मेरा पूरा परिवार वहां चला गया.

चाची की फैमिली भी गई थी.
उधर चाची ने खूब मस्ती की और उन्होंने रात को दारू पी ली थी.

शादी के बाद मुझे रात में ही घर वापिस आना था.
मैंने कहा- मैं घर जा रहा हूं, किसी को आना है तो आ जाओ. बाद में मत बोलना कि मैं नहीं रुका.

मेरे इतना बोलते ही मेरी चाची बोलीं- चल, मैं तेरे साथ चल रही हूँ.
मैं बाहर आया और अपनी बाइक निकाली. चाची मेरे पीछे बैठ गईं.

उनके चिपक कर बैठने से मुझे लगने लगा था कि आज कुछ रंगीन होने वाला है.
उन दिनों ठंड का मौसम था.

चाची ने कहा- मेरे जीतू को ठंड तो नहीं लग रही ना!
मैंने बोला- नहीं.

उन्होंने शॉल ओढ़ रखी थी, वही मुझे भी अपने साथ उढ़ा दी.
इसके बाद चाची ने मुझे कसके पकड़ लिया और बोलीं- अब मेरे जीतू को ठंड नहीं लगेगी.

मैंने उनके मादक स्पर्श का अहसास किया और गाड़ी स्टार्ट कर दी.
वे भी मुझे अपनी चूचियों से दबाती हुई जोर से खींच कर जकड़ सी रही थीं.
अपने हाथ आगे करके चाची मेरी छाती को दबा रही थीं.

वे शराब के नशे में थीं तो मुझे भी अन्दर से कुछ गलत सा लग रहा था.
पर क्या करूँ, मर्द हूँ तो मुझे भी सनसनी हो रही थी.

वे मेरे सीने की एक घुंडी को टटोलती हुई बोलीं- कैसा लग रहा है जीतू!
मैंने कहा- बहुत अच्छा.

यह सुनकर चाची अब मेरे गले को चूमने लगीं.
मुझे ऐसा लग रहा था कि गाड़ी को छोड़ कर चाची को घोड़ी बना कर इनकी सवारी करना शुरू कर दूँ.

रास्ते के बीच में आम का एक बड़ा सा बाग़ पड़ता था, उधर रात को कोई आता जाता नहीं था.
बिल्कुल सुनसान कच्ची पगडंडी थी और हर तरफ झाड़ियां थीं.
रास्ता भी ऊबड़-खाबड़ था, इसलिए बाइक भी हिचकोले खा रही थी.

उन हिचकोलों से जो धक्के लग रहे थे उससे हम दोनों एक दूसरे से और ज्यादा रगड़ रहे थे.

चाची की चूचियां मेरे पीठ से रगड़ कर मेरे लौड़े को और ज्यादा तन्ना रही थीं.
धीरे धीरे मेरी चाची का हाथ मेरी छाती से नीचे सरक कर मेरे लंड तक आ गया.
लंड एकदम से कड़क होने लगा था.

चाची ने लौड़े को अपने हाथ से थोड़ा सा ही दबाया था कि मेरा लंड गुर्रा कर खड़ा हो गया.
मुझे ऐसा लग रहा था कि यदि मैंने बाइक रोक कर इसे सही नहीं किया तो शायद मेरी छूट हो जाएगी.

मैंने गाड़ी वहीं एक किनारे करके बाग़ में ही रोक दी.
आस पास कोई नहीं था.

चाची ने पूछा- क्या हुआ जीतू?
मैंने बोला- चाची, आप यहीं रुको, मैं पेशाब करके आता हूं.

उन्होंने कुछ कहा.

मैं चाची से थोड़ा दूर होकर पेशाब कर ही रहा था कि तभी वे पीछे से आकर मेरा लंड पकड़ने लगीं.
मैंने जल्दी से अपना लंड पैंट में डाल लिया.

वे बोलीं- क्या हुआ यार … अब तुम जवान हो गए हो, शर्माओ मत!
गरम चाची चुदाई के लिए आतुर थी पर मैंने कहा- चाची, हम लोग अभी बाग़ के बीचों बीच हैं. पता नहीं इधर कौन आ जाए.

मगर वह कहां कुछ सुनने वाली थीं.
उन्होंने मुझे कसके पकड़ लिया और मेरी छाती को चूमने लगीं.

वे सामने से मेरे साथ चिपक गई थीं तो उनके होंठ होंठों से लग गए.

मैंने कहा- चाची, अब नहीं बचोगी.
उन्होंने भी लंड पकड़ते हुए कहा- बचना चाहता भी कौन है मेरे जीतू जान.

वे मेरे लौड़े को जोर जोर से हिलाने लगीं.
मैं उन्हें बाग़ के और अन्दर ले गया जहां कोई देख भी नहीं सकता था.

उन्होंने कहा- अब देर न कर, जल्दी से मेरे सारे कपड़े उतार दे.
मैंने चाची को चूमते हुए उनके सारे कपड़े उतार दिए.
वे भी मेरे कपड़े उतारने लगी थीं.

ठंड में भी सर्दी नहीं लग रही थी.

कपड़े उतर जाने के बाद मैं नीचे झुका और उनकी चूत को देखा.
चूत देखते ही मैंने उस पर हाथ फेर दिया.

वे सिहर उठीं और मैं नीचे होकर चाची की चूत को चाटने लगा.
चाची आह आह करती हुई बोलीं- आह मेरा जीतू जवान तो हो गया. अब तुझसे ही अपनी चूत का काम चलाऊंगी.

मैंने कहा- क्यों, आपका वाला लंड काम नहीं करता है क्या?
वे हंस कर बोलीं- अगर वह लंड काम करता होता तो तेरे जवान लंड के चक्कर में क्यों पड़ती. अब बस तू दम से चूत चाट … आह चाट ले अपनी चाची की चूत … तुझे पुण्य मिलेगा.

यह कहती हुई चाची सिसकारियां भरने लगीं- आह आआ ऊऊऊ आह आउच.
मैं- आह चाची … आज तो बस आपकी चूत गांड दोनों छेद चोदना है. वह भी इतनी ताकत से कि दोनों छेद फाड़ ही देना है.

यह कहते हुए मैंने चाची की गांड में उंगली घुसा दी.

‘आह आह यह क्या कर रहा है हरामजादे … आज गांड भी नहीं छोड़ेगा क्या … लगता है मैंने तुझे छूट देकर गलती कर दी आआह.’

मैंने चाची को नीचे बिठा दिया और अपना लौड़ा उनकी नाक के ऊपर रगड़ने लगा.

वे बोलीं- सच में कितना बड़ा है तेरा लंड … आज पहली बार पकड़ा है.
मैंने कहा- हां चाची, आपको चोदने के लिए ही इसे बड़ा बनाया है.

वे हंस दीं और मेरा पूरा लौड़ा मुँह में लेकर अन्दर बाहर करने लगीं.

मैंने कहा- हाय चाची … कितना मजा दे रही हो.
उन्होंने कहा- अब तो चाची मत बोलो.

मैंने चाची ना बोल कर उनको रंडी बोलना शुरू कर दिया.
उन्हें अपने लिए रंडी कहलवाना अच्छा लग रहा था.

अब असली खेल का समय आ गया था.
वे उठ कर मुझे चाटने लगीं, किस करने लगीं.

फिर मैंने गाली देते हुए उनकी कमर को पकड़ा- आ जा मेरी कुतिया रांड … अब बहुत हुआ … जल्दी से कुतिया बन जाओ.

वे झुक कर कुतिया बन गईं और मैं उनके ऊपर चढ़ गया.

चाची गांड हिलाती हुई बोलीं- जल्दी से डाल … मेरी चूत को फाड़ दे आज.
मैंने अपने लौड़े पर थूक लगाया और एक ही धक्के में लंड अन्दर तक घुसा दिया.

वे चिल्ला रही थीं- आह मार दिया कमीने ने … आह मेरी फट गई.
मैंने कहा- कितना भी चिल्ला ले रांड … आज तुझे ऐसा चोदूंगा कि तुझे पूरा सुख मिल जाएगा.

मैं चाची के बाल पकड़ कर उनको धकापेल चोद रहा था और वे चिल्ला रही थीं.
मगर अफसोस उस बगीचा में कोई सुनने वाला नहीं था.

मैं आगे हाथ बढ़ा कर चाची की चूचियां पकड़ कर शॉट मारने लगा.
चाची को बेहद सुकून मिल रहा था.

कुछ देर बाद वे बोलीं- जीतू, मुझे लंड की सवारी करनी है. तू नीचे लेट जा!
नीचे जमीन ठंडी थी तो चाची ने अपने कपड़े डाल दिए और मैं लेट गया.

चाची मेरे लौड़े को पकड़ कर उसे अपनी चूत में सैट करने लगीं और लंड को चूत में लेकर बैठने लगीं.
पूरा लंड चाची की चूत की जड़ तक चला गया था तो मैं नीचे से ठुमका लगाने लगा.

चाची मदमस्त होकर मेरे लौड़े की सवारी करने लगीं.
उनकी चूचियां हवा मे लहरा रही थीं.

मैंने एक दूध पकड़ कर चाची को अपने करीब खींचा तो वे मुझे दूध पिलाती हुई चूत चुदाई का मजा लेने लगीं.

इसी तरह से मैंने चाची की दोनों चूचियों का रस चूसा.
फिर वे थक गईं तो मैंने उनसे नीचे आने का कहा.

वे मेरी जगह लेट गईं और मैं उनकी टांगों को अपने दोनों कंधों पर लेकर उन्हें चोदने लगा.

गरम चाची चुदाई के कुछ ही देर बाद झड़ने लगीं.
उनकी चूत का रस छूटने से चूत में एकदम गीला हो गया था.

मैंने धकापेल चूत फाड़ रहा था.
ऐसे ही मैंने चाची को लगातार देर तक चोदा और उनकी चूत में ही झड़ने को था कि चाची ने मुझे चूत से बाहर वीर्य झाड़ने का कहा.

मैंने लंड बाहर निकाल कर उनकी चूचियों पर रस टपका दिया.
हम दोनों ही काफी थक गए थे.

वह चुदने के बाद बोलीं- तेरे लंड से चुद कर बहुत अच्छा लगा जीतू!
हम दोनों कुछ देर बातें करते रहे.

उसके बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और घर की तरफ चल दिए.
अब मैंने ऐसे ही उन्हें रोज चोदता हूँ. स्कूल का नागा कर देता हूँ और चाची के घर में जाकर उन्हें चोदने लगता हूँ.

वे खुद ही कंडोम खरीद कर रखती हैं और मेरे लौड़े को भरपूर मजा लेती हैं.
 

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भाभी की कमसिन चूत की चुदाई रात में



दोस्तो, मेरा नाम राहुल है और मैं 24 साल का हूँ.
इस साल मेरा स्नातक पूरा हो गया है.

आज जब मैं सेक्स कहानी पढ़ रहा था, तब मुझे लगा कि क्यों ना आज मैं मेरी खुद की एक सेक्स कहानी लिखूँ.

ये हॉट भाभी देवर की चुदाई कहानी दो साल पहले की है जब मैं गुजरात में कॉलेज की पढ़ाई करने गया था.
वहां मैं अपने मामा के लड़के के घर में रहता था.

वह मुझसे 3 साल बड़ा था.
हम दोनों दोस्त जैसे ही थे.
उसका नाम राजवीर था.

राजवीर की शादी को अभी सिर्फ़ एक ही साल हुआ था.
वह बैंक में नौकरी करता है, उसकी बीवी यानि मेरी भाभी का नाम खुशबू है.
जैसा नाम है, वैसी ही भाभी जी हैं.

उनके शरीर से एकदम मस्त ऐसी खुशबू आती है मानो कोई अप्सरा आसमान से नीचे आई हो.

भाभी और मेरी बहुत अच्छी बनती है.
हम दोनों आपस में एकदम खुले हुए हैं.

जब मैं गुजरात गया, तब राजवीर भैया का ऑस्ट्रेलिया का टूर था.
वे अकेले ही गए थे क्योंकि उनकी कंपनी इस तरह के टूर पर जाने का सिर्फ़ एक व्यक्ति का ही ऑफर देती है; दूसरे को पैसा लगा कर जाना पड़ता है.

मेरे राजवीर भैया ठहरे एकदम कंजूस आदमी, वे भाभी को लेकर नहीं गए.
भाभी घर में अकेली थीं.

उसी समय जब मैं वहां गया तो उन्होंने मुझे देखा.
वे मुझे देख कर खुश हो गईं कि अब घर में उन्हें अकेला नहीं रहना पड़ेगा.
उनके घर में सिर्फ़ भैया और भाभी ही रहते थे.

भाभी और मैं बात करने लगे, एक दूसरे का हाल पूछने लगे.
तभी भाभी पुरानी बातें निकालने लगीं शादी के टाइम की.

दरअसल शादी के वक्त मैं रेडी हो रहा था.
उसी समय भाभी अचानक से मेरे कमरे में आ गयी थीं.
उस वक्त मैं मूड में था तो मोबाइल में किसी नंगी रांड को देख कर अपने लंड को सहला रहा था.

उस समय मैं पूरा नंगा था और भाभी ने मुझे नंगा देख लिया था.
उन्होंने मेरा मोटा और काफी लंबा लंड भी देख लिया था.

उसी समय की सब बातें करके भाभी सॉरी बोलने लगी थीं- मुझे ऐसे आपके कमरे में नहीं आना चाहिए था.
मैंने भी हंस कर कह दिया- अरे भाभी आप कोई जानबूझ कर थोड़ी ही मेरे कमरे में आई थीं.

वे कहने लगीं- हां, मैं गलती से आ गई थी.
मैंने उनसे मजाक किया कि चलो आप गलती से अन्दर आ गई थीं. मगर ऐसा आपने क्या देख लिया था … जो आप आज सॉरी बोल रही हैं?

वे चुप हो गईं फिर धीरे से बोलीं- मतलब?
मैंने कहा- मतलब यह भाभी कि यदि मैं आपके कमरे में चला जाता और आप उस वक्त न्यूड होतीं तो मेरा माफी मांगना तो बनता है कि किसी महिला को नग्न देखना अपराध है. पर आपने ऐसा क्या देख लिया था जो आप सॉरी बोल रही हो?

भाभी समझ गईं कि मैं उन्हें छेड़ रहा हूँ.
वे बोलीं- सब कुछ तो देख लिया था!

मैंने कहा- अरे, आपने मेरा सब कुछ देख लिया था?
वे हंस दीं और बोलीं- हां सब कुछ देख लिया था!

मैंने कहा- अच्छा जरा बताना तो कि मेरा वो कितना बड़ा था?
वे हाथ से बताने की मुद्रा में करती हुई बोलीं- क्यों बताऊं?

मैंने कहा- तभी तो साबित होगा कि आपने मेरा सब कुछ देख लिया था.
वे बोलीं- आपका सामान मेरे पति से दोगुना होगा.

मैंने कहा- सामान मतलब क्या?
वे हंस कर बोलीं- सामान नहीं समझ आता है तो सब बेकार है. इतना बड़ा सामान साथ लेकर चलने से क्या फायदा!

मैंने कहा- मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूँ भाभी जी कि आप क्या कह रही हैं.
भाभी खिलखिला कर बोलीं- आप नहीं समझ पा रहे हैं तो मैं बस इतना कह सकती हूँ कि आपको पोगो देखना चाहिए!

मैंने कहा- मैं पोगो देखता हूँ … आपको दिखाऊँ कि मैं कौन सा पोगो देखता हूँ!
भाभी बोलीं- कौन सा?

मैंने कहा- उस वाले पोगो में सनी लियोनी एक्टिंग करती है भाभी!
वे बोलीं- मैं सब समझती हूँ भैया कि आपको क्या चाहिए?
मैंने कहा- क्या समझ गई हैं आप?
वे हंसने लगीं.

उस दिन यही सब बात करते करते हम दोनों काफी खुल गए थे.
फिर रात को खाना खा कर सोने लगे तो मैंने देखा कि भाभी ने सेक्सी नाइटी पहन ली है.

वे मेरे सामने आईं तो मैंने कहा- वाह भाभी, आपको तो पोगो में सनी लियोनी की जगह काम मिल सकता है.
वे हंसने लगीं और बोलीं- यदि उस फिल्म में आप एक्टर का काम करेंगे, तो मैं आपके साथ काम करने को राजी हूँ.

मैं समझ गया कि हॉट भाभी देवर की चुदाई के पूरे मूड में हैं.
मैंने जीभ पर होंठ फिराए और कहा- वह सब छोड़ो भाभी जी, दूध पीने का मन कर रहा है, पिलाओगी क्या?

वे भी अपने मम्मे हिलाती हुई बोलीं- हां क्यों नहीं … अभी पिला देती हूँ.

यह कह कर भाभी अपनी गांड मटकाती हुई किचन में दूध लेने चली गईं.
मैं दबे पांव उनके पीछे गया और देखा कि भाभी दूध में कुछ मिला रही हैं.

उसके बाद मैं चुपचाप रूम में आ गया.
भाभी भी मेरे पास आ गईं और मुझको दूध का गिलास देकर बोलीं- लो दूध पी लो.

मैंने उनके सामने ही गिलास मुँह से लगाया और एक ही सांस में खाली कर दिया.
दूध पीने के बाद मैंने अपने होंठों पर जीभ फिराई और उनकी तरफ देखा.

वे मुस्कुरा कर चली गईं.

मैं उनके जाते ही वापस किचन में गया और मैंने डस्टबिन में देखा कि सेक्स की गोली का रैपर डस्टबिन में गिरा हुआ है.
मैं समझ गया कि भाभी आज चाहती हैं कि मैं उनको जी भरके चोदूं.

मैंने भी वैसे ही किया.
एक घंटा बाद मैं भाभी के कमरे में आ गया.

मैंने देखा कि भाभी अचानक से दूसरी तरफ पलट कर सोने की एक्टिंग करने लगीं.
मैंने भाभी के ऊपर पड़ा हुआ कंबल हटाया और भाभी की नाइटी को फाड़ दिया.

भाभी पलट कर चित हो गईं.
मेरे सामने भाभी की चूत पैंटी में बंद थी. मैं चूत पर हाथ रगड़ने लगा.

भाभी अपनी चूत को ऊपर उठा रही थीं.
शायद वे भी समझ गयी थीं कि गोली खिला कर ग़लती कर दी; अब ये मुझे घोड़े के जैसे चोदेगा.

मैंने भाभी के मुँह के सामने जाकर अपने लंड को उनके होंठों पर रखा तो भाभी ने धीरे से अपना मुँह खोल दिया.
मगर आंखें नहीं खोलीं.
वे सोने की एक्टिंग करती रहीं.

मैंने लंड उनके मुँह के अन्दर डाला और उन्हें लंड चुसवाने लगा.
जब लंड एकदम कड़क बन गया और हिनहिनाने लगा तो मैंने नीचे आकर भाभी की पैंटी फाड़ दी और लंड को चूत पर रगड़ने लगा.

भाभी की चूत बहुत टाइट थी.

तब भाभी ने पलट कर टेबल पर हाथ बढ़ाया और सांडा के तेल की बोतल उठाने लगीं.
मगर किसी वजह से वह तेल कि बोतल नीचे गिरने को हुई.
तभी उन्होंने उसे ऐसे झपट कर पकड़ा मानो वह टूट गई तो उनका सुहाग ही उजड़ जाएगा.

उनकी इस हरकत से मैं अच्छे से समझ गया कि भाभी ने पहले से ही सब इंतज़ाम किया हुआ है.

मैंने उनके हाथ से तेल की बोतल लेकर लंड पर लगाया और बोतल का मुँह भाभी की चूत के अन्दर लगा कर टेढ़ी कर दी.
इस तरह से मैंने काफी सारा तेल भाभी की चूत में डाल दिया.

उसके बाद पोजीशन बनाई और लंड को भाभी की चूत पर रख कर ठेल दिया.
धक्का मारते हुए अन्दर को झटका मारा, तो भाभी उछल कर दूर हो गईं.

मैं समझ गया कि भैया अभी तक भाभी कि चूत की सील भी सही से नहीं तोड़ पाए हैं.
मैं भाभी के कान में बोलने लगा कि भाभी सील भी मुझे ही तोड़नी पड़ेगी क्या?

भाभी बोलीं- तुम्हें जो तोड़ना है, तोड़ दो लेकिन ऐसे जानवरों की तरह मुझे मत चोदना कि मैं उठ ही ना पाऊं.
मैंने भाभी को पकड़ा और लंड को चूत पर रखकर ज़ोर से झटका दे मारा.

भाभी ज़ोर से चिल्लाने लगीं- आआईई … आहह … मर गई यहह … ओह … राहुल प्लीज इतना ज़ोर से झटका मत मारो. यार मैं तेरी भाभी हूँ … मैं तुम्हें सब कुछ दे दूँगी लेकिन धीरे धीरे प्यार से चोदो … जितना चोदना है उतना चोद लो. आज मैं पूरी तरह से तुम्हारी हूँ लेकिन राजा धीरे धीरे चोदो.

मैं बोला- भाभी आपने ही गोली मिलाई थी न तो अब सहना भी आपको ही पड़ेगा.
ये बोल कर मैंने फिर से झटका दे मारा.

इस बार मेरा पूरा लंड अन्दर चला गया और भाभी रोने लगीं- अहह … मर गईई … बचाओ कोई!
भाभी की आंखों में आंसू निकल आए थे.
उनकी उम्र भी कुछ ज्यादा नहीं थी वे अभी कुल 24 साल की थीं.

मैं समझ सकता हूँ कि वे जवान हैं इसलिए इतना बड़ा लंड नहीं सह पा रही हैं.
मैंने लंड बाहर निकालना चाहा लेकिन लंड चूत में अटक गया था और निकल ही नहीं रहा था.

मैंने भाभी को बताया कि भाभी यह तो आपकी चूत में फंस गया है, निकल ही नहीं रहा है.
भाभी दर्द से तड़फ कर बोलीं- मुझे कुछ नहीं मालूम, जैसे भी करके जल्दी से बाहर निकालो, मैं मरी जा रही हूँ.

मैंने भाभी के मुँह में कपड़ा ठूंस दिया और उनसे कहा- अब सिर्फ़ एक ही विकल्प है कि आपको चोद चोद कर अपना लंड ढीला कर लूँ. कुछ लंड ढीला हो जाएगा और कुछ चूत भी फैल जाएगी, तो लंड बाहर निकल आएगा.
यह बोल कर मैंने ज़ोर ज़ोर से भाभी को चोदना चालू कर दिया.

वे बहुत छटपटा रही थीं.
काफी देर की भीषण चुदाई के बाद मैंने अपने लंड का सारा माल भाभी की चूत में ही छोड़ दिया.

अब लंड बाहर निकला तो देखा मेरा पूरा लंड लाल हो रखा था.
भाभी की चूत से खून की धार बह रही थी.

वे चूत को हाथ से पकड़ कर बहुत रो रही थीं.

मैं जल्दी से दवाई लाया और भाभी की चूत को साफ करके दवा को लगा दिया, दर्द निवारक गोली भी खिला दीं.
भाभी जैसे तैसे चुप हुईं.
मैं भी भाभी के पास में ही नंगा सो गया.

सुबह जब मैं उठा तो देखा भाभी एकदम ठीक हो गई थीं.
मैंने पीछे से जाके भाभी की गांड पकड़ ली और कहने लगा- भाभी अब आपकी गांड के दर्शन करने और बाकी हैं.

भाभी मेरी तरफ गुस्से से देखती हुई बोलीं- गांड की तरफ देखना भी मत, मेरी चूत को तो फाड़ कर रख दिया, अब गांड भी चाहिए.
उनके ऐसा बोलते ही मैंने भाभी को अपने हाथों में उठाया और ऊपर वाले कमरे में ले गया.

उधर भाभी को बिस्तर पर गिरा कर मैं फिर से भाभी की चूत को पेलने लगा.
इस बार भाभी मुझ पर भारी पड़ रही थीं.

जल्द ही वे मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे लंड पर ज़ोर ज़ोर से उछलने लगीं और बोलने लगीं- अब चोद कर दिखाओ एक एक घंटा तक!

मैंने अपनी कमर उठा उठा कर उन्हें बहुत पेला.
उनकी चूचियों को पकड़ कर मसल मसल कर भर्ता भी बनाया मगर आज मेरे लौड़े में गोली वाली शक्ति नहीं थी.

हालांकि भाभी भी दो बार झड़ चुकी थीं लेकिन वे मेरे लंड से लोहा ले रही थीं.

आज उन्होंने हॉट भाभी देवर की चुदाई में मुझे बीस मिनट में ही ढीला कर दिया और लंड से चूत निकाल कर चूत साफ करने लगीं.

पाँच मिनट तक वे मेरे सामने रहीं और बाद में खाना बनाने की कह कर किचन में चली गईं.

मैं अपने ढीले हो चुके लंड को सहला कर भाभी की गांड को याद कर रहा था.
 

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चाची और बुआ ने मेरे लंड का मजा लिया




दोस्तो, मेरा नाम सिबू है और मैं 24 साल का हूँ. मेरा लंड 6 इंच का है.

यह सेक्स कहानी मेरी, मेरी 36 साल की बड़ी चाची और 34 साल की मेरी बुआ की चुदास की है.
मेरी यह सेक्सी फैमिली चुदाई स्टोरी वास्तविक घटना पर आधारित है, इसमें नाम और शब्दों के प्रयोग के अलावा कुछ भी झूठ नहीं है.

मैं अपने घर की छत पर जा रहा था.
सीढ़ी पर जो दरवाजा लगा था, वह छत के ऊपर से बंद था.

मैंने दरवाजे की लकड़ी की झिरी से झांक कर देखा कि मेरी बड़ी चाची छत से पानी निकलने वाले पाइप के सामने बैठ कर मूत रही हैं.
उनका मुँह दरवाजे की तरफ ही था, तो उनकी चूत और चूत से निकलता हुआ मूत मुझे साफ साफ दिखाई दे रहा था.

मैंने पहली बार किसी औरत की चूत देखी थी और वह भी एकदम पास से, मेरा मतलब मैं बस कुछ ही दूरी से देख रहा था.

मेरे दिल की धड़कनें बढ़ गई थीं क्योंकि मैंने पहली बार चूत को सामने से देखा था.

मैंने झट से अपना मोबाइल निकाला और उसे फ्लाइट मोड पर करके रिकॉर्डिंग करने लगा.
चाची की चूत से क्या छर्र छर्र करता हुआ मूत निकल रहा था और उनकी मूतने की मधुर आवाज सुनाई दे रही थी.

उनकी चूत का अंदरूनी भाग साफ दिख रहा था तो मुझे समझ आ रहा था कि चुदी हुई चूत भी कितनी गुलाबी दिखती है.

कुछ पल बैठी रहने के बाद चाची की चूत से मूत टपकना बंद हो गया और वे उठ कर दरवाजे के पास आने लगीं.

तभी मैं वहां से भाग कर नीचे अपने कमरे में चला गया और कमरे का दरवाजा बंद कर लिया.
अपनी सांसें संतुलित करने के बाद मैंने मोबाइल चलाया और वीडियो चालू करके चाची की चूत देखने लगा.

कुछ ही देर में लंड एकदम कड़क हो गया और मैंने लौड़े की मुठ मार ली.
मेरी एक आदत है कि जिस वक्त मैं लंड की मुठ मारता हूँ तो अपने लंड पर एक पॉलीथिन लपेट लेता हूँ.

इस तरह की पॉलीथिनों को मैं अपने बिस्तर के गद्दे के नीचे छिपा कर रखे रहता था.
जिस वक्त मैं मुठ मारने लगा तो एक हाथ से लंड हिलाना शुरू किया और दूसरे हाथ से पॉलीथिन निकाल कर लंड पर लपेट ली और जब लंड ने पानी छोड़ा, तो उसे पॉलीथिन में इकट्ठा करके बेड के नीचे फेंक दिया.

कुछ देर बाद उठ कर नीचे दुकान पर चला गया.

मेरा घर काफी बड़ा है तो सब लोगों का कमरा अलग अलग है. मेरा कमरा सबसे आखिरी वाला है.

सुबह मैंने देखा कि मेरे कमरे में मेरी बुआ झाड़ू लगा रही हैं.
वे मुझे देख कर मुस्करा दीं.

मैं कुछ समझ नहीं सका, बस अपने बिस्तर से उठ कर नीचे चला गया और चाय नाश्ता करके दुकान पर चला गया.

इसके कुछ दिन बाद की घटना है, मैं अपनी कोचिंग से घर आया.
तो मैंने देखा कि चाची का कमरा खुला है और वे अन्दर अकेली लेटी सोई हुई हैं. उनके ब्लाउज के नीचे के तीन बटन खुले हैं और उनकी दोनों चूचियां नीचे से बाहर लटक रहीं हैं.

यह नजारा देख कर तो मेरा लौड़ा सलामी देने लगा.
मैंने तुरंत अपना मोबाइल निकाला और अच्छे से कुछ फोटो ले लीं.

मुझे फ़ोटो लेते समय डर भी लग रहा था कि कहीं चाची जाग गईं, तो लफड़ा हो जाएगा.
लेकिन वे किसी चुदी पिटी रंडी की तरह गहरी नींद में सो रही थीं.

अगर उस वक्त मेरे घर में कोई और ना होता तो मैं वाकयी उन्हें चोद देता क्योंकि सामने खुली चूचियों को देखकर कोई क्यों छोड़ेगा?

फिर मैं अपने घर में कमरे में चला गया और इस बार उनकी चूचियों की वीडियो और फोटो देखकर मुठ मारने लगा.

उसी वक्त मेरी बुआ मेरे कमरे में मुझे चाय देने आयी थीं.
उन्होंने जंगले की ग्रिल से मुझे चूचियों की फोटो व वीडियो को देखते हुए देखा तो वे वहीं खड़ी होकर नजारा देखने लगीं.

कुछ देर बाद बुआ ने आवाज दी तो मैंने मोबाइल पर कुछ और देखना शुरू कर दिया और अपने लंड को पैंट के अन्दर कर लिया.

फिर मैं सही से बैठ गया तो बुआ चाय ले आईं और मुझे चाय देकर चली गईं.

इसके बाद मैं भी कमरे से दुकान पर जा कर बैठ गया.

कुछ दिन बाद गर्मियां की छुट्टियां में चाची के बच्चे अपने मामा के घर चले गए.

चाची जी, चाचा की वज़ह से नहीं गईं क्योंकि मेरे घर का व चाचा का खाना अलग अलग बनता है.
इसी वजह से मेरी चाची अपने मायके नहीं गईं.

फिर एक दिन चाचा किसी शादी में गए थे, वे बोल कर गए थे कि 12 बजे के पहले आ जाऊंगा.
लेकिन जब वह नहीं आए तो चाची को घबराहट होने लगी.

वे रात में मेरे पास आईं और उन्होंने आवाज देकर मुझसे कहा- अपने चाचा को फोन लगा कर पूछो कि कितनी देर में आएंगे.

उस वक्त मैं मस्त होकर सनी लियोनी कि चुदाई की फिल्म देखकर मुठ मार रहा था.
मैंने कमरे का दरवाजा बन्द नहीं किया था. बस कमरे की लाइट बंद करके लंड हिला रहा था.

चाची ने आवाज देने के बाद दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया और वे अन्दर आ गईं.
मैं कानों में इयर फोन लगा कर सनी लियोनी की ‘आह आह.’ भरी चुदने की आवाजें सुन रहा था तो मैंने चाची की आवाज नहीं सुनी.

जब चाची ने अन्दर आकर मेरी मुठ मारने वाली हरकत को देखा तो वे एकदम से सन्न रह गईं.
वे उल्टे पांव कमरे से बाहर चली गईं और आवाज देने लगीं.

तभी चाचा भी आ गए.
चाची अपने कमरे में चली गईं.

इस घटना के बाद से चाची का नजरिया मेरे लिए बदल गया था.
अब वे जब भी मुझे देखती थीं, तो अपना पल्लू कमर पर बांध लेतीं.

और मैं देखने के अलावा कुछ कर नहीं पाता क्योंकि मुझे उनके साथ कुछ भी करने से डर लगता था.

वे भी समझ गई थीं कि इससे कुछ नहीं होगा.
कुछ दिनों के बाद उन्होंने मुझसे अपने लिए नींद की गोली का एक पत्ता मंगवाया.

उन्होंने ये कहकर दवा मंगाई थी कि उन्हें रात में नींद नहीं आती है.
मैंने उनकी दवा लाकर उन्हें दे दी.

मुझे रात में दूध पीने की आदत है.
हमारे घर में एक गाय है.

मम्मी एक गिलास दूध किचन में रख कर मुझे बुला रही थीं.
तभी चाची ने उनसे कहा- लाओ भाभी, मैं दे आती हूं.
मम्मी ने हां कह दी.

चाची ने उसी दूध के गिलास में अपनी नींद की दवाई पीस कर चम्मच से घोली और मुझे कमरे में दूध देकर चली गईं.

मैं भी दूध पीकर सोने लगा.
रात में लगभग एक बजे चाची मेरे कमरे में आईं और हल्की आवाज में मुझे जगाने लगीं.

लेकिन मैं दवा के असर से मस्त और बेफिक्र होकर सो रहा था.

चाची को जब यकीन हो गया कि मैं सो गया हूँ और सुबह से पहले नहीं उठूंगा.
तो उन्होंने दरवाजा लॉक किया और मेरी चड्डी को उतार दी

उन दिनों गर्मी का मौसम था, तो मैं केवल चड्डी पहन कर ही सोता हूँ.
चाची ने मेरे लंड को देखा, तो उनके मुँह से लार गिरने लगी और उन्होंने मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.

चाची ने कुछ ही मिनट तक लंड चूसा होगा कि मेरी नींद खुल गई और मैं नजारा देख कर सब समझ गया कि मामला क्या है.
मैं चुपचाप आंखें बंद किए पड़ा रहा और चाची की चुदास का मजा लेता रहा.

कुछ देर बाद चाची ने अपनी नाइटी उतार दी और वे अपनी चूत को मेरे लौड़े पर फंसा कर उसके ऊपर बैठ गईं.
चाची मेरे लंड की सवारी करने लगीं और अपनी चूचियों को खुद अपने हाथ से मसलने लगीं.

कुछ देर बाद मेरे लंड ने वीर्य छोड़ दिया तो वे मेरे वीर्य की गर्मी का अहसास करके खुद भी झड़ गईं.

चूत में लंड के रस को डलवाने के बाद वे लौड़े से उतर गईं. मैं आंखों को हल्की सी खोल कर देख रहा था.

वे अपनी चूत से अपने भतीजे के वीर्य को निकाल कर खाने लगी थीं.

कुछ देर बाद वे मुझे चड्डी पहना कर अपने कमरे में सोने चली गईं.

ये सब मेरी बुआ ने लाइव देखा था, वे जंगले की ग्रिल से सब देख रही थीं.

उस घटना के बाद मेरी बुआ ने भी मुझसे चुदवाने की सोची.
बुआ भी एकदम सेक्सी माल हैं.

बुआ को हमारे घर आए तीन महीने हो गए थे. फूफा जी की उम्र बुआ से दस साल ज्यादा थी तो उनसे चुदाई का काम नहीं होता था.
शायद बुआ की चूत भी लंड के लिए कुलबुला रही थी.

तो उन्होंने भी एक दिन बाद बड़ी चाची से नींद की दो गोलियां ले लीं.
उन्होंने भी रात में मुझे दूध देने के बहाने उसी गिलास में दवा मिलाकर दे दीं.

बुआ दूध का गिलास मेरे कमरे में रख कर चली गईं.

मैं पढ़ रहा था तो बुआ दूध पीने की कह कर चली गई थीं.
मैंने भी कह दिया था कि हां बुआ अभी पी लूँगा.

मैंने बिना दूध पिए ही उसे टेबल के नीचे छिपा कर रख दिया और लाइट ऑफ करके सो गया.
कुछ देर बाद बुआ कमरे में आईं.

कमरे में आते ही उन्होंने लाइट ऑन की और मुझे आवाज देकर बुलाने लगीं.
मैंने कोई उत्तर नहीं दिया, तो उन्होंने सोचा कि मैं गहरी नींद में हूं.

अब उन्होंने दरवाजा लॉक कर दिया और वे कपड़े उतारने लगीं.
पहले बुआ ने अपनी साड़ी उतारी, फिर ब्लाउज, फिर पेटीकोट आदि उतार दिया.

कपड़े उतारने के बाद वे मेरा लौडा चूसने लगीं और मेरे लंड को कड़क कर दिया.

फिर बुआ ने चाची के जैसे मेरे लौड़े पर अपनी चूत फंसाई और झटके से लंड को अपनी चूत में ले लिया.
बुआ ने हल्की सी आह की आवाज निकाली और हौले हौले लौड़े के ऊपर नीचे होने लगीं.

वे मस्ती में अपनी चूचियां मसलती हुई बोल रही थीं- आह चोद दे सिबू … चोद दे अपनी बुआ को … आह मिटा दे बुआ की प्यास … आह आह आह.

फिर बुआ ने चाची से एक कदम और आगे बढ़ाया.
उन्होंने मेरे मुँह में अपना मुँह डाला और जीभ को अन्दर बाहर करने लगी थीं.

मुझे यह कुछ अजीब सा लगा और मैंने भी तय कर लिया कि अब खेल खुल कर हो ही जाने दो.
मैंने आंख खोल दी और खुली आंखों से अपनी बुआ को देख कर मैंने सन्न रह जाने का ड्रामा किया.

मेरी सगी बुआ ही मुझे पेल रही थीं ना कि मैं उन्हें पेल रहा था.
फिर जब बुआ को यह अहसास हुआ कि मैं जाग गया हूं तो उनकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई.

उनकी चूचियां जो एकदम तनी हुई थीं वे भी बेचारी ढीली होकर बैठ गईं.
हालांकि बुआ समझ गई थीं कि मैंने दूध नहीं पिया था.
वे मेरे लंड के ऊपर से उठने लगीं कि मैंने उन्हें रोक दिया.

मजा तो मुझे भी आ रहा था क्योंकि मैं आज पहली बार अपने होशो-हवास में किसी की चुदाई कर रहा था … और चुदने वाली भी मेरी अपनी सगी बुआ थीं.
सपने में और कल्पनाओं में तो मैंने अपने घर की सारी औरतों को खूब पेला है मगर आज तो सचमुच में चूत चुद रही थी.

मैंने बुआ को जकड़ लिया और कमर उठाया कर पेलने लगा.
बुआ भी समझ गईं कि चुदाई का मजा ले लेना चाहिए.

फिर उन्हें चोदते हुए मैंने उनसे पूछा, तो उन्होंने पूरी कहानी बताई कि कैसे चाची ने मेरे लंड से चुदवाया था और अब ये देखकर उन्होंने भी दवा देकर मेरे लंड से खेलना चाहा था.

मैंने उन्हें कुछ नहीं बताया कि मैंने चाची को जागते हुए ही चोदा था, भले ही उनको मालूम नहीं हुआ था कि उनके भतीजे ने होश में रह कर उनकी चुदाई का मजा लिया था.

मेरा लौड़ा अभी भी एकदम टाइट खड़ा था.
मैंने बुआ को अब अपने ऊपर ठीक से बैठाया और एक नौसिखिए की तरह चोदने लगा.

कुछ ही सेकेंड बाद ही मेरा वीर्य निकलने को हुआ, तो मैंने बुआ को बताया.
उन्होंने कुछ नहीं बोला.
वे वैसे ही लंड पर चूत फंसाए हुई बैठी रहीं.

उन्होंने बस इतना कहा कि जब तू सब जान गया, तो आज मैं तुझे पूरा मर्द ही बना कर उठूँगी. आगे से यहां आने पर तुझसे ही अपनी चुदाई करवाऊंगी.

उस रात बुआ सारी रात मेरे लवड़े से खेलती रहीं और भोर में वह अपने कमरे में जाकर सो गईं.

सुबह जब मैंने चाची को देखा तो वह शर्माने को ढोंग कर रही थीं क्योंकि रंडी बुआ ने चाची को सब बता दिया था.

मैं उन्हें देख कर हंस दिया और वह भी खिलखिलाने लगीं.
अब जब भी हम दोनों को समय मिलता है, तो हम दोनों चुदाई करने लगते हैं.

एक बार तो मैंने बुआ को फ्रेश होने के समय भी चोद दिया था.
 
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