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Incest Bete se ummeed,,

Developmentnnn

New Member
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आप तो हर एक अपडेट में अपनी छाप छोड़ते चले जा रहे हैं। क्या बेहतरीन रचना प्रस्तुत किया है आप ने। "बेटे से उम्मीद" आप को होगी। लेकिन हम सब को बस आप से ही उम्मीद है की आप इस कहानी को मजेदार अंदाज में प्रस्तुत करेंगे।
Thanks for your support,,,,, कहानी तो सभी लिखने का शोक करते हैं,, मगर कहानी को एक वास्तबिक तरीके से लिखना ही मन में उत्साह लाता है,,,, दोस्तों,,,, इस forum,,, के सभी लेखकों को दिल से शुभ कामनाए,,,,,, because my duty is in the covid Ward,,,, इस लिए समय की problem hai,,,, but I will complete this story promise,,,,
 

andyking302

Well-Known Member
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Update:,, 12..


,,,,, रामो देवी को पकड़कर कुछ औरत घर के अंदर ले जाती है,,, और एक बड़ी सी चौकी पर बैठाकर सबसे पहले उसके हाथों में पहनी लाल लाल चूड़ियों को तोड़ दिया जाता है,,,,, रामो देवी बेजान पुतले की तरह खड़ी होती है,,


,,,, और फिर एक औरत रामो देवी की साडी निकलती है,,, यह सब होते हुए पास मे खड़ी रामो की शहेली केलो और उसकी दुश्मन तरावती बड़े ही गौर से देख रही थी,,,, और जैसे ही रामो देवी के सर से सड़ी धीरे धीरे खिसकती हुए उसके वक्षों से नीचे गिरती है,,, केलो और तरावती की आँखों में चमक आ जाती है,,,




,,,, सभी की नज़र रामो देवी के ब्लाउच् मे कैसी हुई उसकी स्तनो पर जाती है जो इस प्रकार उभरे हुए थे जैसे दो नुलीले पहाड़ो की चोटी,,, के बीच में एक गहरी खाई उसके गद्राये बदन को देखकर सभी की आँखो में चमक आ जाती है,,,,


,,,, कैसे लम्बी और गद्राई बदन की हैं लगता है रघुवीर इसे सही से निचोड़ नहीं पाया अब इसकी इस जवानी का क्या होगा,,, (तरावती अपने मन में विचार करती है),,,,,, रामो देवी की सुंदरता देख न जाने क्यू तरावती को ईर्षा हो रही थी,,,


,,,,,,, केलॉ देवी मन में,,,,, ऐसा लगता है जैसे अभी जवानी चढ़ी है इसपे इतनी मोटी और तनी हुई छाती तो मेरी जवानी में भी नहीं थी,,,, क्या रघुवीर ने इसकी,,, छातियों का रस् नही पिया जो इतनी भरी हुई है,,,,,


,,,, फिर एक औरत रामो देवी के बाल खोल देती है पेटीकोट और बिलौच मे खड़ी रामो देवी के सर से पानी गिराते है,,, सर से पानी गिराते ही माँग मे भरा हुआ अपने पति के नाम का सिंदूर बह जाता है,,,


,,,,, और उभरी हुए स्त्नो से गिरता हुआ पानी ऐसा लगता है जैसे किसी पहाड़ी से बहता हुआ झरना,,,,


,,,, रामो देवी के सभी आभूषण धीरे धीरे निकाल लिए जाते हैं और फिर उसे एक सफेद साड़ी पहनाकर घर के बीच में एक जलते हुए चिराग के सामने बैठा दिया जाता है,,,,,,,

,,,, और अब किशन अपने बापू की अस्थियो को गंगा मे विश्र्जीत कर सभी गाँव वालो के साथ घर बापिस लौट आया था,,,,

,,, दोपहर का समय हो चुका था और शाम को एक महापंचायत होने वाली थी,,,,, लेकिन किशन और उसकी माँ रामो देवी ने सुबह से कुछ भी नहीं खाया था,,,


,,, किशन के घर में सभी गाँव की औरते रामो देवी के चारों ओर मौंन धारण किए हूए बैठी थी,,,


,,,, सभी गाँव के लोग रघुवीर के घर बापिस लौट आये थे किशन अपने बापू की यादों में खोया हुआ चुप चाप सभी गाँव वालो के पीछे पीछे चल रहा था,,,

,,,, सभी गाँव वाले और सभी औरते शांति की मुंद्रा मे खड़े होकर कुछ शर्ण का मोंन् धारण करते हैं,, किशन सभी गाँव वालो के पीछे खड़ा हुआ चुप चाप अपने बापू को याद कर आँसू बहा रहा था,,


,,, मौंन धारण पूरा होने के बाद सभी गाँव वाले पंचायत का नीयोता देने के लिए सभी अलग अलग गाँव में चले जाते है,,,,


,,,,, रामू किशन से,,,,,,, किशन अब इस घर की जिम्मेदारी तुम्हारे कंधों पर है बेटा,,,

किशन: जी रामु काका,,,,,


,,,, तभी तरावती,, किशन के कंधे पर हाथ रखकर और रामो देवी की जिम्मेदारी भी तुम्ही को लेनी है बेटा,,,

,,,, अपनी माँ का नाम सुनते ही किशन गुस्से में अपनी माँ को देखता है मगर सभी गाँव की औरतो के बीच में बैठी उसकी माँ उसे दिखाई नहीं देती है,,,, और बह तरावती को कोई जबाब न देकर गुस्से में अपने हाथ की मुठ्ठी बाँध लेता है,,,,

,,, किशन को पंचायत में आने के लिए कहकर सभी गाँव वाले अपने अपने घर बापिस लौट आये थे और केलो देवी किशन और रामो देवी के लिए खाना बनाने मे लग जाती है,,,,,

,,, गाँव बालों के जाते ही किशन की नज़र अपनी माँ पर जाती है,,, अपनी माँ को देखते ही किशन को जैसे दिल में धक्का सा लगता है,,,


,,, एक जालिदार सफेद साड़ी में लिपटी उसके माँ के माथे पर ना ही बिंदी थी ना मांग मे सिंदूर होठों की लाली तो कब की उड़ चुकी थी कानों में बस छोटी सी बाली थी नाक में पहनी हुई लोग भी नहीं थी,,,,,


,,,, अपनी माँ को इस रूप में देखकर किशन का दिल दहल् जाता है और वह अपना सारा गुस्सा एक पल् मे भूल जाता है,,,, अरे किसकी माँ अपने बेटे को नहीं मारती अगर उसका बेटा कोई नीच हरकर करे तो,,, गलती मेरी ही थी और मैं ही उल्टा माँ से नाराज होकर चला गया,,,,, कितनी सुन्दर लगती थी मेरी माँ और आज इस रूप में,,,, वीर सिंह कुत्ते मैंने भी तेरे शरीर के टुकडे टुकड़े करके चील कोवौं को नहीं खिलाया तो मै भी रघुवीर की औलाद नहीं मेरी माँ की इस हालत का जिम्मेदार तु ही है हरामी,,,,

,,, रामो देवी किसी सदमे में चुप चाप बुद्ध बनी बैठी हुई थी,,,, किशन अपनी माँ के पास आकर बैठ जाता है,,,


,,, किशन,,, माँ,,, माँ,,, ओ माँ,,,


,,, रामो देवी,,, के तो जैसे कानों में आबाज ही नहीं जाती और वह किशन की बात का कोई जबाब नहीं देती,,,,

,,,, किशन इस बार अपनी माँ के कंधे पर हाथ रखकर उसे हिलता है,,,,

,,, किशन,,, माँ...... ओ माँ...... उठो माँ अंदर चलो,,,,,


,,, किशन के इस प्रकार काँधे हिलाने से रामो देवी जैसे किसी सपन से जागती है,,,, और एक नज़र अपने बेटे पर डालती है,, किशन भी अपनी माँ की आँखों में ही देख रहा था,,,, माँ के होश में आते ही,,,


,,,, किशन,,, मुझे माफ कर दे माँ मैने तुम्हे गलत समझा और तुम पर गुस्सा भी किया मुझे माफ कर दे,,,, और अपनी माँ के सामने घुटनों के बल् हाथ जोड़कर रोने लगता है,,,,

,,, अपने बेटे को इस प्रकार हाथ जोड़कर रोता देख रामो देवी का दिल कांप जाता है,,,, और वह रोते हुए किशन को गले लगा लेती है,,,,

,,,,, नही मेरे बच्चे तु मुझसे माफ़ी ना मांग मैने तुझे मारा माफ़ी तो मुझे मांगनी चाहिए,,,, तुझे दर्द दिया मैने,,,


,,,,, किशन नहीं माँ गलती मेरी थी,,, और मुझे उसकी सजा मिल गया,,,,

,,,,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी उसकी बाहों में और सिमत जाती है,,,, जैसे कोई बच्चा दूध पीने के लिए अपनी माँ की गोद में सिमत् जाता है,,,,,,

,,,, रामो देवी के इस प्रकार चिपकने से किशन को अपनी छाती पर कुछ चुभता हुआ मेहसूस होता है,,, जो की दो गेंद् की तरह हो और उन गेंदों मे डो गोली चिपका दी गई हो,,,,


,,,,, किशन को जैसे ही महसूस किया की यह क्या है,,, उसने अपनी नजरे निची कर देखना चाहा किशन ने देखा की उसकी माँ के दोनों ठोस वक्ष उसकी छाती मे धसे हूए है,, और जिसकी वह चुभन मेहसूस कर रहा था बो बड़े मोती जैसे उनके तूंने थे,,,, उन दोनों के बीच में गहरी घाटी,,,,,

,,,, यह देख किशन के उपर ना चाहते हुए भी काम वासना ने अपना प्रहार महाप्रलय के रूप में किशन पर किया और उसका नतीजा यह हुआ की किशन का लिंग उसके पाजामे मे अकड़ने लगा,,,,

,,,,, किशन के मन में न जाने क्यू पुस्तक में देखी गई नग्न स्त्रि का चित्र आ गया और वह सोचने लगा की क्या उसकी माँ के भी,,,,


,,, नहीं,,, नहीं, छी.... छी, छी.... ये मैं क्या आखिर उस पुस्तक को मैं क्यों नहीं भूल पा रहा हूँ,,,,,

,,,, रामो देवी को तो जैसे अपने बेटे की बाहों मे बड़ा ही सुकूंन मिल रहा था उसे तो ऐसा लगता है जैसे किशन कई बर्षो के बाद लौटा है,,,,,


,,,,,,
शानदार भाई
 

andyking302

Well-Known Member
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Update: 13



,,,,,, किशन अपनी माँ को गोद में से पीछे कर,,,, चलो माँ अन्दर जाकर चारपाई पर लेटना,,, मै तब तक तुम्हारे लिए केलो काकी के घर से खाना लाता हूँ,,, और अपनी माँ को गोद से दूर कर खड़ा हो जाता है,,,,


,, रामो देवी मुझे भूख नहीं है बेटा तु खा लेना,,,,

,,,, माँ क्या तुम सिर्फ बापू के लिए ही जी रही थी और


,,,, मै कुछ नहीं तुम्हारे लिए,,,,,

,,, नही मेरे लाल ऐसा नहीं कहते अब तु ही मेरा सहारा है,,, जा तु खाना ले कर आ मैं खा लुंगी थोड़ा,,,,, सा,,,,

,,,,, और इन पशुओं को भी चारा डाल दे सुबह से भूके है,,,,

,,, अपनी माँ की बात सुनकर किशन पशुओं की ओर देखता है,,, और रामो देवी खड़ी हो जाती है,,, रात भर जागने और कुछ न खाने की बजह से उसे खड़े होते ही चक्कर आने लगते हैं,,, उसका शरीर बेजान होकर गिरने ही बाला था, तभी किशन उसे अपनी मजबूत बाजुओ मे थाम लेता है,,,,

,,, रामो देवी एक भरे हुए और बजनी शरीर की औरत थी,,,,, उसके गद्राये हुए शरीर को संभलने की शक्ति हर किसी मे नहीं थी,, मगर जिसने दंगल में 200, किलो के पहलवान को उठाकर पटक दिया हो उसके लिए तो वह एक फूल के समान ही थी,,,,

,,,,, किशन अपनी माँ को अपनी मजबूत बाजुओ मे उठा लेता है,,, जिसकी वजह से उसके दोनों वक्षो से जालीदार सफेद साड़ी उतर जाती है,,, और न चाहते हुए भी किशन की नज़र अपनी माँ के नुकीले और पहाड के समान उठे हुए वक्षों पर चली जाती है,,,



,,,, रामो देवी के खुले हुए काले और घने बाल इस प्रकार लटके हुए थे,, जैसे किसी तार पर किसी ने कोई काली रंग की साड़ी डाल दि हँ और वह धरती पर लगती हुई हवा में हिल् रही हो,,,,,


,,, किशन कुछ देर अपनी माँ के बक्षो को देखता है और उसके मन में गलत विचार आते ही वह अपनी नजरे वहाँ से हटाकर तुरंत अपनी माँ के मासूम से चेहरे की ओर देखने लगता है,, और अपनी माँ के चेहरे पर नज़र टिकाए उसे गोद में लिए घर के अंदर जाने लगता है,,, रामो देवी के मासूम चेहरे को देख किशन,,,, कितनी सुंदर लगती थी मेरी माँ जब उसके शरीर पर सिंगार के सारे आभूषण होते थे,, और आज एक भी नहीं,,,,,,,


,,,,, और किशन अपने दांत को पिसते हुए वीर सिंह जब तक तेरा खून ना पी लू मुझे चन् नही मिलेगा तुझे तो मै बो मोत् दूँगा की तेरी रूह भी कांप उठेगी,,,,,


,,,,,, तभी रामो देवी की आँखे खुलती है और वह आज पहली बार अपने आप को किसी की मजबूत बाजुओ मे मेहसूस करती है,,, क्योकि रघुवीर ने कभी भी उसे गोद में उठाने की हिम्मत नहीं जताई थी,,, और उसे इस प्रकार उठाना रघुवीर के सायद बस मे ही न हो,,,,, रामो देवी देखती है,, की किशन उसे किसी बच्चे की तरह अपनी गोद में लिए चल रहा है,,, उसे अपने बेटे की ताकत पर बड़ा गर्व होता है,,


,,,, और वह किशन की नजरो मे देखती है जो उसे ही देख रहा था,,,,


,,,, और अपने बेटे की नजरो मे देखकर उसे ना जाने,,,, क्यु अजीब सा मेहसूस होता है,,,,

,,, क्या हुआ किशन कहाँ ले जा रहा है मुझे इस प्रकार,,,,,

,,,, किशन उसकी आँखो में देखते हुए,,, बो,,, बो,,, माँ तुझे चक्कर आ गया था जिसकी वजह से तुम गिरने वाली थी इसलिए मैने तुम्हे,,,,


,,,,,,,,,,, अपने बेटे को इस प्रकार अपनी नज़रो मे देखकर रामो देवी,,,, ऐसे क्या देख रहा है तु,,,,


,,,,,, माँ तुम्हारे चेहरे पर अब एक भी आभूषण नहीं है मुझे अच्छा नहीं लग रहा है,,,,,


,,,, रामो देवी को इस प्रकार की बात सुनकर बड़ी सर्म आती है और वह अपनी गर्दन दूसरी ओर घुमा लेती है,,,,,


,,, और शर्मा कर कहती है,,,,, तु उतार मुझे और जाकर पशुओं को पानी पीला दे और चारा भी डाल देना,,,,,


,,, रामो देवी की बात सुनकर किशन अपनी माँ को एक चारपाई पर लेटा देता है और अपनी गर्दन जुकाकर पशुओं को चारा पानी देने चला जाता है,,,,

,,,, तभी रामो देवी की शहेली केलॉ देवी खाना लेकर आती है,,,,, सीधा घर के अंदर आ कर रामो देवी के पास बैठ जाति है,,,



,,,, ले रामो खाना खा ले सुबह से कुछ भी नहीं खाया है तूने,,,,,


,,, नही मुझे भूख नहीं है,, किशन को खिला दो,,,,


,,, अरे भाई उसे भी खिला दूँगी,,, अब देख जो होना था बो तो हो गया,,,, मरना तो सभी को है एक दिन,,, अब ऐसे खाना ना खाने से क्या होगा,,, चल खाना खा ले,,,,,



,,,,,, तभी किशन अंदर आता है,,,, क्या हुआ काकी,,,

,,,,,, देख ना बेटा तेरी माँ खाना नहीं खा रही है,,,


,,,,, काकी तुम ये खाना मुझे दे दो मैं माँ को खिला दूंगा,,,


,,, kelo देवी,,, ठीक है बेटा मैं जाती हूँ अपनी माँ का ख्याल रखना बेटा,,,,

,,, जी काकी,,, मै देख लूँगा,,,, kelo देवी वहाँ से चली जाती है,,,,,

,,,,
शानदार भाई update
 

Tiger 786

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Thanks for your support,,,,, कहानी तो सभी लिखने का शोक करते हैं,, मगर कहानी को एक वास्तबिक तरीके से लिखना ही मन में उत्साह लाता है,,,, दोस्तों,,,, इस forum,,, के सभी लेखकों को दिल से शुभ कामनाए,,,,,, because my duty is in the covid Ward,,,, इस लिए समय की problem hai,,,, but I will complete this story promise,,,,
Bohat badiya ja rahi hai storie.bhai apki duty covid ward main hai or meri covid O.T main duty hai👍🏻
 
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