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Update: 13
,,,, केलॉ देवी के जाने के बाद,,,,, किशन खाने की थाली को अपने हाथ में लेकर अपनी माँ के पास बैठ जाता है और,,,
,,,,, किशन लो माँ खा लो,,,, थोड़ा सा,,,,,,
,,,, बेटा मुझे अभी भूख नहीं है,,,,, मै बाद में खा लूंगी तुम खा लो,,,,,,
,,,, जब तक तुम नहीं खओगी मैं भी नहीं,,,,,
,,,,,, रामो देवी किशन की जिद्द से मजबूर होकर एक निबाला तोड़ती है और जैसे ही अपने मुह में रखती है उसे रोना आ जाता है,,,, और हाथ में लिया निबाला रख देती है,,,,,,
,,,,,,, किशन अपनी माँ को इस प्रकार रोता देख उसे समझ जाता है कि उसकी माँ अंदर से टुट् चुकी है,,,,
,,,, और वह तुरंत अपनी माँ को अपनी बाहो में भर लेता है,,, और उसके लंबे और खुले बालों को सहलाते हूए,,,,,,
,,,, रो नहीं माँ मै तेरे साथ हूँ उस वीर सिंह को तो,,,,,
,,,, उसके और कुछ बोलने से पहले ही रामो देवी,,,
,,, नही किशन तु कुछ नहीं करेगा तुझे कुछ हो गया तो,,,, बो बहुत ही नीच आदमी है,,,,,,
,,,,,,, ठीक है माँ बो तो समय बताएगा कि क्या होगा उस वीर सिंह का,,,,,,,, मगर तुम्हे मेरी कसम है तुम खा लो,,,,,,,,
,,,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी फिर से निबाला उठाने के लिए हाथ बढ़ाती है,,, मगर न जाने क्यू उसके हाथ कांपने लगते हैं,,,,, किशन देखता है कि उसकी माँ के हाथ कांप रहे हैं,,,
,,, रुको माँ मैं खिला देता हूँ,,,,,,
,,,, रामो देवी को किशन की बात सुनकर बड़ी शर्म आती है और वह सर जुकाकर नही मैं खा लुंगी,,,,,
,,,,, देखता है कि उसकी माँ शर्मा रही है,,,,, और वह अपना उल्टा हाथ आगे लेकर रामो देवी की थोड़ी पर रखकर धीरे धीरे उसका चेहरा ऊपर उठता है,,,,,,
,,,,, रामो अपनी गर्दन उपर उठती है और अपनी आँखो को जैसे ही खोलती है उसकी नजरे किशन की नजरो से टकरा जाती है,,,, किशन की नजरो से नजरे मिलते ही वह खो सी जाती है,,,,,,
,,,,, किशन अपनी माँ के आँखों में देखते हुए एक निबाला उठता है और अपनी माँ के कांपते होंठों के पास लाकर लो मुह खोलो माँ,,,,,
,,,,,, ना चाहते हुए भी रामो देवी अपना मुह खोलती है,,, किशन अपनी माँ की आँखों में बड़ी गौर से देखते हुए निबाला खिला देता है,,, गले से निबाला उतरते ही रामो देवी की आँखों से आँसू के दो मोती नीचे गिरते हैं,,,,,
,,,,,,, किशन अपनी माँ की आँखों के आंसू पोछते हूए,,,,,
,,,,, माँ तुम अगर इतना टुट् जाओगी तो मेरा क्या होगा,,,, और हाँ मैं तुम्हे हमेसा इस प्रकार रोता नहीं देख सकता माँ,,,,,,
,,,,,,, रामो देवी,,,, के आसुँ रुक जाते हैं किशन की बात सुनकर,,,,,,
,,,,,, और तुम अब हमेशा इस तरह से राहोगी,,,,,
,,, हाँ मेरे लाल एक बिधवा का जीवन उसके पति के मरने के बाद इसी प्रकार गुजरता है,, अब से ये ही मेरी जिंदगी है,,,,,,
,,, नही माँ मुझे तेरा बिना आभूषण का चेहरा अच्छा नहीं लगता,,, मंगलसूत्र न सही कुछ तो पहन ही सकती हो,,,,,,
,,,, रामो कुछ क्या,,,,
,,,, माँ मैं अगर कुछ लेकर आया तो क्या तुम उसे पहनो गी,,,,,,
,,,,,, रामो देवी किशन की बात सुनकर उसकी गोद से निकलकर अलग हो जाती है और किशन से
,,,,, नही नहीं,,,, अब ये ही मेरा जीवं है और तु क्या पहनाना चाहता है मुझे,,,, इससे पहले तो कुछ नहीं लाया मेरे लिए,,,,,, और आज अपने बापू के मरने के बाद,,, तु,,,,
,,,,,, ठीक है माँ तुम तो मुझे गलत ही समझती हो,,,,, मै जा रहा हूँ वीर सिंह से अपने बापू की हत्तिया का बदला लेने,,,,,, चाहे फिर मुझे मृतु ही क्यो ना आजाए,,,,,,, और गुस्से में घर से जाने लगता है,,, किशन को गुस्से में देख रामो देवी डर जाती है,,,
,,,,, किशन का हाथ पकड़कर नहीं,, नही मैं तुझे अकेला नहीं जाने दूँगी वहाँ तु समझता क्यू नही उसके साथ बहुत से घुन्डे लोग है और तु अकेला,,,,,,
,,,, अपने बापू की मोत् का बदला लेते हुए मुझे मौत भी मंजूर है,,,, और तुम्हे क्या,,,,,
,,,,, रामो देवी तु चाहता क्या है,,, बेटा क्यों मुझे तिल् तिल मारना चाहता है,,,, वीर सिंह बहुत ही खतरनाक आदमी है,,,,, विधवा होकर तो मै अपना जीवन काट लुंगी मगर तुझे कुछ हो गया तो,,, लोग मुझे जीने नहीं देंगे मेरे लाल,,,,,
,,,, माँ तु तो चाहती थी ना की मुझे मौत आजाए तो,,,,,,
,,, नही बेटा बो तो मैंने गुस्से में,,,,, रामो देवी रोते हुए कहती है,,,,
,,,, अच्छा ला क्या पहनाना चाहता है अपनी माँ को,,, मै पहन लुंगी मगर तुझे मेरी कसम है तु वीर सिंह के पास नहीं जाना,,,,,,
,,,, अपनी माँ की बात सुनकर किशन किशन के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है,,,,
,,, माँ बो अभी तो मेरे पास नहीं है,,, मगर मैं शाम को लेकर आऊंगा,,,,, तब तुम पहन लेना,,,,,,
,,,,, दोनो माँ बेटे के बीच में बातें चल रही थी कि तभी एक लड़का,,,
,,,, किशन भैया,,,,,,, किशन भैया,,,,,, आप को पंचायत में बुलाया है,,,,,, पुराने मंदिर के पास जो पीपल का पेड है वही पर,,,,,,
,,,, ठीक है मैं आता हूँ तु जा,,,,,
,,, जी भैया,,,,,, लड़का संदेशा देकर चला जाता है,,,
,,,, किशन अपनी माँ से माँ मै जा रहा हूँ पंचायत में,,,, शाम को घर लौटूंगा,,,,,
,,,, रामो देवी,,,, ठीक है,, बेटा मगर किसी से भी झगड़ा मत करना,,,, तुझे मेरी कसम है,,,,,
,,,, किशन अपनी माँ की बात सुनकर बिना कुछ जबाब दिए ही घर से चला जाता है,,,,,
,,, और रामो देवी चिंता मे डूबी उसे देखती रह जाती है,,,,,,,
क्
,,, किशन के जाते ही रामो देवी घर के अंदर जाती है और एक चारपाई पर लेट जाती है,,, और अपने मन मे बीचार करती है,,,, किशन को क्या हुआ है इतनी नजरे मिलाकर क्यू बात करता है,,, पहले तो कभी नहीं क्या,, ऐसा,,, क्या ये उसकी जवानी का आकर्षण है या फिर उस गंदी किताब का असर,,,,,
,,,,, वो जो भी हो मगर उसकी आँखो में देखकर मुझे कुछ अजीब सा क्यू लगता है,,, उसने अभी जवानी में कदम रक्खा है,,,, फिर रामो देवी अपने मन को तसल्ली देते हुए,,,,, कुछ भी हो मगर मेरा बेटा ऐसा नहीं है,,,,,
,,,,,,, महापंचाय मे,,,,,,, एक बड़े से पीपल के पेड़ के नीचे ऊचे से चबूतरे पर पांच सरपंच बैठे हुए थे और उनके बीच में दो खून से तराभोर लाशे रक्खी हुई थी,,,, जिनके पास वीर सिंह सर झुकाए खड़ा था,,,,
,,, ,,, और चारो तरफ आस पास से आये पांच गाँव के लोगों की भीड़ लगी हुई थी,,, जिसमे रघुवीर का मित्र रामु भी था,,,,,
,,,,,, तभी एक सरपंच खड़े होकर बोलते है,,,,
,,, वीर सिंह हमने सुना है की तुम्हारी घुंडागर्डि से सभी गाँव के लोग बहुत परेशान है,,,, तुमने रघुवीर की हत्तिया की है,,,,, जिसका सबूत तुम्हारे ये मारे गए काली और हरियां है,,,,,
,,,,,, इतनी ही बात हुई थी की किशन वहाँ आ जाता है और अपने बाप के कातिल वीर सिंह को देखकर उसका खून खोल जाता है,,,,,,
,,,,,,, किशन वीर सिंह को देखते ही उसपर टूट पड़ता है और उसे अपने एक हाथ से ही उठाकर पटक देता है,,,,
,,,, किशन को गुस्से में देख सभी गाँव वाले उसे पकड़ लेते हैं,,,,,,
,,, किशन,,, वीर सिंह तूने मेरे बापू की हत्तिया की है मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा,,,,,
,,,,,,, किशन को इस प्रकार गुस्से में देख वीर सिंह बुरी तरह डर जाता है और वह पैंचो के पीछे छुप जाता है,,,,
,,,,,, सरपंच किशन शांत हो जा बेटा इसके पाप की सजा हम ऐसे देंगे,,,,,
,,,, किशन,,,, आप नहीं जानते सरपंच जी इसने रामू काका को भी बहुत परेशान किया है उनकी बेटी गीता से जबर्जस्ती शादी करना चाहता है ये,,,,,,,
,,,,, सरपंच हम सब जानते हैं बेटा गाँव बालों और रामु ने हमे सब बता दिया है,,, इसलिए तो यह पंचायत बुलाई है,,,, रामू की बेटी गीता की शादी तुमसे ना हो इसलिए तो इस ने तुम्हारे बापू की हत्तिया की,,,,,,
,,,,,, फिर सभी सरपंच,,,, के नियम अनुशार् वीर सिंह को एक शाल के लिए गाँव से वहिष्कार किया जाता है।।,,, और किशन की शादी गीता से होगी इसकी हम जिम्मेदारी लेते हैं,,, जब तक रघुवीर की तेहरवी नही होती तब तक गीता और उसका परिवार पंचायत की निघ्रानी मे रहेगा,, और उसके बाद किशन और गीता की शादी होंगी,,,,,,
,,,, पचायत का फैशला सुनकर सभी गाँव वाले बड़े खुश होते हैं,,,, वीर सिंह अपने लोगो की लाश को लेकर चला जाता है,,,, और सभी गाँव वाले अपने अपने घर बातें करते हुए लौट जाते हैं
,,,, रामू को इस बात की खुशी थी की अब उसकी बेटी गीता की शादी किशन से होगी,,,, और वह एक नज़र पड़ित जी की दी हुई माला पर डालता है जो किशन के गले में पड़ी हुई थी,,,, माला को देख उसे बड़ा सुकूंन मिलता है,,,, और वह किशन से कुछ देर बात करने के बाद अपने घर चला जाता है,,,
,,,,,, शाम हो चुकी थी किशन भी अपने घर लौट रहा था,,, मगर वह वीर सिंह के जिन्दा रहने से खुश नहीं था,,, तभी उसे गाँव के एक जौहरी के घर के पास से गुजरते हुए याद आती है की उसे अपनी माँ के लिए कुछ लेना है और वह जौहरी के घर के अंदर चला जाता है,,,,
,,, किशन की कैद काठि को देखकर सभी के पसीने छूट जाते थे,,,, जैसे ही जौहरी किशन को देखता है,,,,
,,, अरे किशन बेटा तुम आओ बैठो,,, मै तुम्हारे लिए दूध और गुड़ मंगबाता हूँ,,,
,,, किशन, नही नहीं काका इसकी कोई जरूरत नहीं है,,,, मै तो कुछ लेने आया था,,,
,,, हाँ बेटा बोलो क्या चाहिए तुम्हे,,,,
,, काका मुझे एक नाक की नैथनी चाहिए सोने की,,,,
,,, अच्छा गीता बेटी से सदी होने बाली है ना तो उसके लिए,, है,,,,
,,,, किशन,, जी काका,,,
,,, ठीक है मै अभी लाता हूँ जो तुम्हे पसन्द हो ले लेना,,,,
,,,,, जौहरी अंदर से एक बक्शा लाता है जिसमे सोने की बहुत सी सुंदर सुंदर नैथनी रखी थी,,,, किशन उनमे से एक सुंदर नैथनी पसंद कर लेता है और,,,
,,, कितने पैसे काका इस के,,,,
,,, जौहरी ये,,, 300,, रुपये की है,
,,, ठीक है और किशन अपने कुर्ते से पैसे निकाल कर जौहरी को दे देता है,,, जौहरी के साथ उसे काफी समय हो चुका था वह देखता है कि रात हो चुकी है,,,, और माँ घर पर अकेली हैं,,,,
,,, जौहरी को प्रणाम कर किशन वहाँ से अपने घर चला जाता है,,,,
,,,, घर आकर वह देखता है कि उसकी माँ गहरी नींद में सो चुकी है,,,, रामो देवी को पिछली रात जागने की वजह से जल्द ही नींद आ जाती है,,,, किशन अपनी माँ को सोता छोड़ पशुशाला मे सोने चला जाता है,,,,
,,,,,, सुबह की पहली किरण के साथ पक्षियों के चहकने से रामो देवी की आँखे खुलती है और वह उठकर पहले पशुशाला मे जाती है,,, किशन को देखने किशन जो अभी भी सो रहा था,,, रामो देवी उसे ना उठाकर पशुओं को चारा डालने लगती है,,,,
,,,, रामो देवी और पशुओं की चहल पहल से किशन की आँखे खुल जाती है और वह अपनी माँ को देखकर,,,
,,,,,, अरे माँ मैं डाल दूँगा इन्हे चारा तु क्यों परेशान होती है,,,
,,,, नही मैने डाल दिया हैं तु उठकर पहले मुह हाथ धो ले मै तेरे लिए दूध लाती हूँ,,, रामो देवी उदास होकर कहती है,,,,
,,, नही माँ रात तुम जल्दी सो गई थी इसलिए मैंने तुम्हे उठाना जरूरी नही समझा,,, मै जो तुम्हारे लिए लाया था पहले तुम उसे पहन लो,,,,,
,,, रामो देवी किशन की ओर देखते हुए क्या है,,,,
,,,,,, किशन अपनी जेब से सोने की नैथनी निकाल कर अपनी माँ को देता है,,,,
,,, ये क्या मै इसे नहीं पहन सकती मुझे,,,,,
,,,,,,, किशन अपनी माँ की बात सुनकर उदास होकर अपनी गर्दन झुका लेता है और रामो देवी,,,
मै तेरे लिए दूध लाती हूँ,,,,, कहकर जैसे ही अपने कदम बड़ाती हैं किशन उसका हाथ पकड़ लेता है,,,,
,,, माँ तुझे मेरी कसम हैं,,, मेरा मरा हुआ मुह देखेगी,,,
,,,,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी को जैसे एक धक्का सा लगता है,,, और वह,,,
,,, तु क्या चाहता है,,,, मै ये सब,,,,,
,,,,,, और रामो देवी के कुछ बोलने से पहले ही किशन अपनी माँ का चेहरा उसकी आँखो में देखते हुए,,, अपने मजबूत हाथो में थाम लेता है,,,,
,,, रामो देवी अपने बेटे की आँखो में देखते ही कुछ समझने की कोशिश करती है,,,, और पीछे बनी दीवार के सहारे खड़ी हो जाती है,,,,, किशन अपनी जेब से नैथनी निकाल कर अपने हाथ में लेता है,,,,
,,,,,, और रामो देवी अपने बेटे के हाथ में नैथनी देखकर,,, शर्म से अपनी आँखे बंद कर लेती है और अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा कर,
,,,, किशन ******तु ये,,,,, क्या कर रहा है,,,, बेटा,,,,,
,,,,, किशन अपनी लाज और शर्म से झुकी माँ के चेहरे को एक हाथ से अपनी तरफ घूमता है,,,,, और वह देखता है कि उसकी माँ का शरीर कांप रहा है,,,,
,,,,, वह अपनी माँ के मासूम चेहरे को देखते हुए
,,, नैथनी को हाथ में लेकर जैसे ही उसकी नाक के पास जाता है,,,,
,,, रामो देवी किशन के कंधो को मजबूती से पकड़ लेती है,,,,,
,,,,, और,,,,,, किशन के कंधो मे अपने नाखून घुसाते हुए,,,,
,,,,,,, किशन ******न,,,, मुझे दर्द होगा,, बेटा ये मैने पहले कभी नहीं पहनी,,,,,,
,,,,,, कुछ नहीं होगा माँ,,,,, मै बहुत प्यार से,,,,
,,,,, और एक हाथ में अपनी माँ की नाक पकड़कर जैसे ही नैथनी डालता है,,,
,, रामो देवी,,,,, दर्द से सिसकारी भरते हुए,,,,, नही,,,, किशन*****मै मर जाउंगी,,,,,,,, मेरे लाल,,,,
,,,,,,,,, किशन अपनी माँ को नैथनी पहनाकर उसका चेहरा अपने हाथो में लेकर बड़े ही गौर से देखता है,,,,
,,, रामो देवी लंबी साँसे लेते हुए अपनी आँखे खोलती है और अपने बेटे को इस प्रकार देखता हूए शर्मा कर,,,
,,, हत् जा अब कर ली अपनी जिद्द पूरी,,,, जाने दे मुझे घर मे झाड़ू लगानी है,,,,,
,,,,, रामो देवी किशन से यह बोलकर सर झुकती वहाँ से चली जाती है,,,,,,,,
,,,, केलॉ देवी के जाने के बाद,,,,, किशन खाने की थाली को अपने हाथ में लेकर अपनी माँ के पास बैठ जाता है और,,,
,,,,, किशन लो माँ खा लो,,,, थोड़ा सा,,,,,,
,,,, बेटा मुझे अभी भूख नहीं है,,,,, मै बाद में खा लूंगी तुम खा लो,,,,,,
,,,, जब तक तुम नहीं खओगी मैं भी नहीं,,,,,
,,,,,, रामो देवी किशन की जिद्द से मजबूर होकर एक निबाला तोड़ती है और जैसे ही अपने मुह में रखती है उसे रोना आ जाता है,,,, और हाथ में लिया निबाला रख देती है,,,,,,
,,,,,,, किशन अपनी माँ को इस प्रकार रोता देख उसे समझ जाता है कि उसकी माँ अंदर से टुट् चुकी है,,,,
,,,, और वह तुरंत अपनी माँ को अपनी बाहो में भर लेता है,,, और उसके लंबे और खुले बालों को सहलाते हूए,,,,,,
,,,, रो नहीं माँ मै तेरे साथ हूँ उस वीर सिंह को तो,,,,,
,,,, उसके और कुछ बोलने से पहले ही रामो देवी,,,
,,, नही किशन तु कुछ नहीं करेगा तुझे कुछ हो गया तो,,,, बो बहुत ही नीच आदमी है,,,,,,
,,,,,,, ठीक है माँ बो तो समय बताएगा कि क्या होगा उस वीर सिंह का,,,,,,,, मगर तुम्हे मेरी कसम है तुम खा लो,,,,,,,,
,,,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी फिर से निबाला उठाने के लिए हाथ बढ़ाती है,,, मगर न जाने क्यू उसके हाथ कांपने लगते हैं,,,,, किशन देखता है कि उसकी माँ के हाथ कांप रहे हैं,,,
,,, रुको माँ मैं खिला देता हूँ,,,,,,
,,,, रामो देवी को किशन की बात सुनकर बड़ी शर्म आती है और वह सर जुकाकर नही मैं खा लुंगी,,,,,
,,,,, देखता है कि उसकी माँ शर्मा रही है,,,,, और वह अपना उल्टा हाथ आगे लेकर रामो देवी की थोड़ी पर रखकर धीरे धीरे उसका चेहरा ऊपर उठता है,,,,,,
,,,,, रामो अपनी गर्दन उपर उठती है और अपनी आँखो को जैसे ही खोलती है उसकी नजरे किशन की नजरो से टकरा जाती है,,,, किशन की नजरो से नजरे मिलते ही वह खो सी जाती है,,,,,,
,,,,, किशन अपनी माँ के आँखों में देखते हुए एक निबाला उठता है और अपनी माँ के कांपते होंठों के पास लाकर लो मुह खोलो माँ,,,,,
,,,,,, ना चाहते हुए भी रामो देवी अपना मुह खोलती है,,, किशन अपनी माँ की आँखों में बड़ी गौर से देखते हुए निबाला खिला देता है,,, गले से निबाला उतरते ही रामो देवी की आँखों से आँसू के दो मोती नीचे गिरते हैं,,,,,
,,,,,,, किशन अपनी माँ की आँखों के आंसू पोछते हूए,,,,,
,,,,, माँ तुम अगर इतना टुट् जाओगी तो मेरा क्या होगा,,,, और हाँ मैं तुम्हे हमेसा इस प्रकार रोता नहीं देख सकता माँ,,,,,,
,,,,,,, रामो देवी,,,, के आसुँ रुक जाते हैं किशन की बात सुनकर,,,,,,
,,,,,, और तुम अब हमेशा इस तरह से राहोगी,,,,,
,,, हाँ मेरे लाल एक बिधवा का जीवन उसके पति के मरने के बाद इसी प्रकार गुजरता है,, अब से ये ही मेरी जिंदगी है,,,,,,
,,, नही माँ मुझे तेरा बिना आभूषण का चेहरा अच्छा नहीं लगता,,, मंगलसूत्र न सही कुछ तो पहन ही सकती हो,,,,,,
,,,, रामो कुछ क्या,,,,
,,,, माँ मैं अगर कुछ लेकर आया तो क्या तुम उसे पहनो गी,,,,,,
,,,,,, रामो देवी किशन की बात सुनकर उसकी गोद से निकलकर अलग हो जाती है और किशन से
,,,,, नही नहीं,,,, अब ये ही मेरा जीवं है और तु क्या पहनाना चाहता है मुझे,,,, इससे पहले तो कुछ नहीं लाया मेरे लिए,,,,,, और आज अपने बापू के मरने के बाद,,, तु,,,,
,,,,,, ठीक है माँ तुम तो मुझे गलत ही समझती हो,,,,, मै जा रहा हूँ वीर सिंह से अपने बापू की हत्तिया का बदला लेने,,,,,, चाहे फिर मुझे मृतु ही क्यो ना आजाए,,,,,,, और गुस्से में घर से जाने लगता है,,, किशन को गुस्से में देख रामो देवी डर जाती है,,,
,,,,, किशन का हाथ पकड़कर नहीं,, नही मैं तुझे अकेला नहीं जाने दूँगी वहाँ तु समझता क्यू नही उसके साथ बहुत से घुन्डे लोग है और तु अकेला,,,,,,
,,,, अपने बापू की मोत् का बदला लेते हुए मुझे मौत भी मंजूर है,,,, और तुम्हे क्या,,,,,
,,,,, रामो देवी तु चाहता क्या है,,, बेटा क्यों मुझे तिल् तिल मारना चाहता है,,,, वीर सिंह बहुत ही खतरनाक आदमी है,,,,, विधवा होकर तो मै अपना जीवन काट लुंगी मगर तुझे कुछ हो गया तो,,, लोग मुझे जीने नहीं देंगे मेरे लाल,,,,,
,,,, माँ तु तो चाहती थी ना की मुझे मौत आजाए तो,,,,,,
,,, नही बेटा बो तो मैंने गुस्से में,,,,, रामो देवी रोते हुए कहती है,,,,
,,,, अच्छा ला क्या पहनाना चाहता है अपनी माँ को,,, मै पहन लुंगी मगर तुझे मेरी कसम है तु वीर सिंह के पास नहीं जाना,,,,,,
,,,, अपनी माँ की बात सुनकर किशन किशन के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है,,,,
,,, माँ बो अभी तो मेरे पास नहीं है,,, मगर मैं शाम को लेकर आऊंगा,,,,, तब तुम पहन लेना,,,,,,
,,,,, दोनो माँ बेटे के बीच में बातें चल रही थी कि तभी एक लड़का,,,
,,,, किशन भैया,,,,,,, किशन भैया,,,,,, आप को पंचायत में बुलाया है,,,,,, पुराने मंदिर के पास जो पीपल का पेड है वही पर,,,,,,
,,,, ठीक है मैं आता हूँ तु जा,,,,,
,,, जी भैया,,,,,, लड़का संदेशा देकर चला जाता है,,,
,,,, किशन अपनी माँ से माँ मै जा रहा हूँ पंचायत में,,,, शाम को घर लौटूंगा,,,,,
,,,, रामो देवी,,,, ठीक है,, बेटा मगर किसी से भी झगड़ा मत करना,,,, तुझे मेरी कसम है,,,,,
,,,, किशन अपनी माँ की बात सुनकर बिना कुछ जबाब दिए ही घर से चला जाता है,,,,,
,,, और रामो देवी चिंता मे डूबी उसे देखती रह जाती है,,,,,,,
क्
,,, किशन के जाते ही रामो देवी घर के अंदर जाती है और एक चारपाई पर लेट जाती है,,, और अपने मन मे बीचार करती है,,,, किशन को क्या हुआ है इतनी नजरे मिलाकर क्यू बात करता है,,, पहले तो कभी नहीं क्या,, ऐसा,,, क्या ये उसकी जवानी का आकर्षण है या फिर उस गंदी किताब का असर,,,,,
,,,,, वो जो भी हो मगर उसकी आँखो में देखकर मुझे कुछ अजीब सा क्यू लगता है,,, उसने अभी जवानी में कदम रक्खा है,,,, फिर रामो देवी अपने मन को तसल्ली देते हुए,,,,, कुछ भी हो मगर मेरा बेटा ऐसा नहीं है,,,,,
,,,,,,, महापंचाय मे,,,,,,, एक बड़े से पीपल के पेड़ के नीचे ऊचे से चबूतरे पर पांच सरपंच बैठे हुए थे और उनके बीच में दो खून से तराभोर लाशे रक्खी हुई थी,,,, जिनके पास वीर सिंह सर झुकाए खड़ा था,,,,
,,, ,,, और चारो तरफ आस पास से आये पांच गाँव के लोगों की भीड़ लगी हुई थी,,, जिसमे रघुवीर का मित्र रामु भी था,,,,,
,,,,,, तभी एक सरपंच खड़े होकर बोलते है,,,,
,,, वीर सिंह हमने सुना है की तुम्हारी घुंडागर्डि से सभी गाँव के लोग बहुत परेशान है,,,, तुमने रघुवीर की हत्तिया की है,,,,, जिसका सबूत तुम्हारे ये मारे गए काली और हरियां है,,,,,
,,,,,, इतनी ही बात हुई थी की किशन वहाँ आ जाता है और अपने बाप के कातिल वीर सिंह को देखकर उसका खून खोल जाता है,,,,,,
,,,,,,, किशन वीर सिंह को देखते ही उसपर टूट पड़ता है और उसे अपने एक हाथ से ही उठाकर पटक देता है,,,,
,,,, किशन को गुस्से में देख सभी गाँव वाले उसे पकड़ लेते हैं,,,,,,
,,, किशन,,, वीर सिंह तूने मेरे बापू की हत्तिया की है मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा,,,,,
,,,,,,, किशन को इस प्रकार गुस्से में देख वीर सिंह बुरी तरह डर जाता है और वह पैंचो के पीछे छुप जाता है,,,,
,,,,,, सरपंच किशन शांत हो जा बेटा इसके पाप की सजा हम ऐसे देंगे,,,,,
,,,, किशन,,,, आप नहीं जानते सरपंच जी इसने रामू काका को भी बहुत परेशान किया है उनकी बेटी गीता से जबर्जस्ती शादी करना चाहता है ये,,,,,,,
,,,,, सरपंच हम सब जानते हैं बेटा गाँव बालों और रामु ने हमे सब बता दिया है,,, इसलिए तो यह पंचायत बुलाई है,,,, रामू की बेटी गीता की शादी तुमसे ना हो इसलिए तो इस ने तुम्हारे बापू की हत्तिया की,,,,,,
,,,,,, फिर सभी सरपंच,,,, के नियम अनुशार् वीर सिंह को एक शाल के लिए गाँव से वहिष्कार किया जाता है।।,,, और किशन की शादी गीता से होगी इसकी हम जिम्मेदारी लेते हैं,,, जब तक रघुवीर की तेहरवी नही होती तब तक गीता और उसका परिवार पंचायत की निघ्रानी मे रहेगा,, और उसके बाद किशन और गीता की शादी होंगी,,,,,,
,,,, पचायत का फैशला सुनकर सभी गाँव वाले बड़े खुश होते हैं,,,, वीर सिंह अपने लोगो की लाश को लेकर चला जाता है,,,, और सभी गाँव वाले अपने अपने घर बातें करते हुए लौट जाते हैं
,,,, रामू को इस बात की खुशी थी की अब उसकी बेटी गीता की शादी किशन से होगी,,,, और वह एक नज़र पड़ित जी की दी हुई माला पर डालता है जो किशन के गले में पड़ी हुई थी,,,, माला को देख उसे बड़ा सुकूंन मिलता है,,,, और वह किशन से कुछ देर बात करने के बाद अपने घर चला जाता है,,,
,,,,,, शाम हो चुकी थी किशन भी अपने घर लौट रहा था,,, मगर वह वीर सिंह के जिन्दा रहने से खुश नहीं था,,, तभी उसे गाँव के एक जौहरी के घर के पास से गुजरते हुए याद आती है की उसे अपनी माँ के लिए कुछ लेना है और वह जौहरी के घर के अंदर चला जाता है,,,,
,,, किशन की कैद काठि को देखकर सभी के पसीने छूट जाते थे,,,, जैसे ही जौहरी किशन को देखता है,,,,
,,, अरे किशन बेटा तुम आओ बैठो,,, मै तुम्हारे लिए दूध और गुड़ मंगबाता हूँ,,,
,,, किशन, नही नहीं काका इसकी कोई जरूरत नहीं है,,,, मै तो कुछ लेने आया था,,,
,,, हाँ बेटा बोलो क्या चाहिए तुम्हे,,,,
,, काका मुझे एक नाक की नैथनी चाहिए सोने की,,,,
,,, अच्छा गीता बेटी से सदी होने बाली है ना तो उसके लिए,, है,,,,
,,,, किशन,, जी काका,,,
,,, ठीक है मै अभी लाता हूँ जो तुम्हे पसन्द हो ले लेना,,,,
,,,,, जौहरी अंदर से एक बक्शा लाता है जिसमे सोने की बहुत सी सुंदर सुंदर नैथनी रखी थी,,,, किशन उनमे से एक सुंदर नैथनी पसंद कर लेता है और,,,
,,, कितने पैसे काका इस के,,,,
,,, जौहरी ये,,, 300,, रुपये की है,
,,, ठीक है और किशन अपने कुर्ते से पैसे निकाल कर जौहरी को दे देता है,,, जौहरी के साथ उसे काफी समय हो चुका था वह देखता है कि रात हो चुकी है,,,, और माँ घर पर अकेली हैं,,,,
,,, जौहरी को प्रणाम कर किशन वहाँ से अपने घर चला जाता है,,,,
,,,, घर आकर वह देखता है कि उसकी माँ गहरी नींद में सो चुकी है,,,, रामो देवी को पिछली रात जागने की वजह से जल्द ही नींद आ जाती है,,,, किशन अपनी माँ को सोता छोड़ पशुशाला मे सोने चला जाता है,,,,
,,,,,, सुबह की पहली किरण के साथ पक्षियों के चहकने से रामो देवी की आँखे खुलती है और वह उठकर पहले पशुशाला मे जाती है,,, किशन को देखने किशन जो अभी भी सो रहा था,,, रामो देवी उसे ना उठाकर पशुओं को चारा डालने लगती है,,,,
,,,, रामो देवी और पशुओं की चहल पहल से किशन की आँखे खुल जाती है और वह अपनी माँ को देखकर,,,
,,,,,, अरे माँ मैं डाल दूँगा इन्हे चारा तु क्यों परेशान होती है,,,
,,,, नही मैने डाल दिया हैं तु उठकर पहले मुह हाथ धो ले मै तेरे लिए दूध लाती हूँ,,, रामो देवी उदास होकर कहती है,,,,
,,, नही माँ रात तुम जल्दी सो गई थी इसलिए मैंने तुम्हे उठाना जरूरी नही समझा,,, मै जो तुम्हारे लिए लाया था पहले तुम उसे पहन लो,,,,,
,,, रामो देवी किशन की ओर देखते हुए क्या है,,,,
,,,,,, किशन अपनी जेब से सोने की नैथनी निकाल कर अपनी माँ को देता है,,,,
,,, ये क्या मै इसे नहीं पहन सकती मुझे,,,,,
,,,,,,, किशन अपनी माँ की बात सुनकर उदास होकर अपनी गर्दन झुका लेता है और रामो देवी,,,
मै तेरे लिए दूध लाती हूँ,,,,, कहकर जैसे ही अपने कदम बड़ाती हैं किशन उसका हाथ पकड़ लेता है,,,,
,,, माँ तुझे मेरी कसम हैं,,, मेरा मरा हुआ मुह देखेगी,,,
,,,,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी को जैसे एक धक्का सा लगता है,,, और वह,,,
,,, तु क्या चाहता है,,,, मै ये सब,,,,,
,,,,,, और रामो देवी के कुछ बोलने से पहले ही किशन अपनी माँ का चेहरा उसकी आँखो में देखते हुए,,, अपने मजबूत हाथो में थाम लेता है,,,,
,,, रामो देवी अपने बेटे की आँखो में देखते ही कुछ समझने की कोशिश करती है,,,, और पीछे बनी दीवार के सहारे खड़ी हो जाती है,,,,, किशन अपनी जेब से नैथनी निकाल कर अपने हाथ में लेता है,,,,
,,,,,, और रामो देवी अपने बेटे के हाथ में नैथनी देखकर,,, शर्म से अपनी आँखे बंद कर लेती है और अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा कर,
,,,, किशन ******तु ये,,,,, क्या कर रहा है,,,, बेटा,,,,,
,,,,, किशन अपनी लाज और शर्म से झुकी माँ के चेहरे को एक हाथ से अपनी तरफ घूमता है,,,,, और वह देखता है कि उसकी माँ का शरीर कांप रहा है,,,,
,,,,, वह अपनी माँ के मासूम चेहरे को देखते हुए
,,, नैथनी को हाथ में लेकर जैसे ही उसकी नाक के पास जाता है,,,,
,,, रामो देवी किशन के कंधो को मजबूती से पकड़ लेती है,,,,,
,,,,, और,,,,,, किशन के कंधो मे अपने नाखून घुसाते हुए,,,,
,,,,,,, किशन ******न,,,, मुझे दर्द होगा,, बेटा ये मैने पहले कभी नहीं पहनी,,,,,,
,,,,,, कुछ नहीं होगा माँ,,,,, मै बहुत प्यार से,,,,
,,,,, और एक हाथ में अपनी माँ की नाक पकड़कर जैसे ही नैथनी डालता है,,,
,, रामो देवी,,,,, दर्द से सिसकारी भरते हुए,,,,, नही,,,, किशन*****मै मर जाउंगी,,,,,,,, मेरे लाल,,,,
,,,,,,,,, किशन अपनी माँ को नैथनी पहनाकर उसका चेहरा अपने हाथो में लेकर बड़े ही गौर से देखता है,,,,
,,, रामो देवी लंबी साँसे लेते हुए अपनी आँखे खोलती है और अपने बेटे को इस प्रकार देखता हूए शर्मा कर,,,
,,, हत् जा अब कर ली अपनी जिद्द पूरी,,,, जाने दे मुझे घर मे झाड़ू लगानी है,,,,,
,,,,, रामो देवी किशन से यह बोलकर सर झुकती वहाँ से चली जाती है,,,,,,,,