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Incest Bete se ummeed,,

Ravi2019

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भाई बहुत बढ़िया लिख रहे हो. इसे complete जरूर करना. बेटे का रास्ता तो साफ हो गया है और माँ ने भी उसका मोटा लण्ड देख लिया है.superb
 

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English se hindi me translate karne me bahut samay lagta hai bhai,,, I'm a private employee in medical line my work is very hard,, so please don't mind and injoy.।।।।
Excellent build up to the story...pls continue..look forward to mom son hot sex...thanks a lot.
Reg. the update, bhai..jab bhi aapko time milega, update de dena..whether it is a long one or a short one (but long one would be preferred :))
Medical line mein aap kaam karte ho to abhi covid ke time par aap bahut busy honge...inspite of that, you are entertaining us with this sexy story. Thanks a lot for the same
Look forward to the next update. Thank you.
 
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Babulaskar

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आप तो हर एक अपडेट में अपनी छाप छोड़ते चले जा रहे हैं। क्या बेहतरीन रचना प्रस्तुत किया है आप ने। "बेटे से उम्मीद" आप को होगी। लेकिन हम सब को बस आप से ही उम्मीद है की आप इस कहानी को मजेदार अंदाज में प्रस्तुत करेंगे।
 

Developmentnnn

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Update: 13



,,,,,, किशन अपनी माँ को गोद में से पीछे कर,,,, चलो माँ अन्दर जाकर चारपाई पर लेटना,,, मै तब तक तुम्हारे लिए केलो काकी के घर से खाना लाता हूँ,,, और अपनी माँ को गोद से दूर कर खड़ा हो जाता है,,,,


,, रामो देवी मुझे भूख नहीं है बेटा तु खा लेना,,,,

,,,, माँ क्या तुम सिर्फ बापू के लिए ही जी रही थी और


,,,, मै कुछ नहीं तुम्हारे लिए,,,,,

,,, नही मेरे लाल ऐसा नहीं कहते अब तु ही मेरा सहारा है,,, जा तु खाना ले कर आ मैं खा लुंगी थोड़ा,,,,, सा,,,,

,,,,, और इन पशुओं को भी चारा डाल दे सुबह से भूके है,,,,

,,, अपनी माँ की बात सुनकर किशन पशुओं की ओर देखता है,,, और रामो देवी खड़ी हो जाती है,,, रात भर जागने और कुछ न खाने की बजह से उसे खड़े होते ही चक्कर आने लगते हैं,,, उसका शरीर बेजान होकर गिरने ही बाला था, तभी किशन उसे अपनी मजबूत बाजुओ मे थाम लेता है,,,,

,,, रामो देवी एक भरे हुए और बजनी शरीर की औरत थी,,,,, उसके गद्राये हुए शरीर को संभलने की शक्ति हर किसी मे नहीं थी,, मगर जिसने दंगल में 200, किलो के पहलवान को उठाकर पटक दिया हो उसके लिए तो वह एक फूल के समान ही थी,,,,

,,,,, किशन अपनी माँ को अपनी मजबूत बाजुओ मे उठा लेता है,,, जिसकी वजह से उसके दोनों वक्षो से जालीदार सफेद साड़ी उतर जाती है,,, और न चाहते हुए भी किशन की नज़र अपनी माँ के नुकीले और पहाड के समान उठे हुए वक्षों पर चली जाती है,,,



,,,, रामो देवी के खुले हुए काले और घने बाल इस प्रकार लटके हुए थे,, जैसे किसी तार पर किसी ने कोई काली रंग की साड़ी डाल दि हँ और वह धरती पर लगती हुई हवा में हिल् रही हो,,,,,


,,, किशन कुछ देर अपनी माँ के बक्षो को देखता है और उसके मन में गलत विचार आते ही वह अपनी नजरे वहाँ से हटाकर तुरंत अपनी माँ के मासूम से चेहरे की ओर देखने लगता है,, और अपनी माँ के चेहरे पर नज़र टिकाए उसे गोद में लिए घर के अंदर जाने लगता है,,, रामो देवी के मासूम चेहरे को देख किशन,,,, कितनी सुंदर लगती थी मेरी माँ जब उसके शरीर पर सिंगार के सारे आभूषण होते थे,, और आज एक भी नहीं,,,,,,,


,,,,, और किशन अपने दांत को पिसते हुए वीर सिंह जब तक तेरा खून ना पी लू मुझे चन् नही मिलेगा तुझे तो मै बो मोत् दूँगा की तेरी रूह भी कांप उठेगी,,,,,


,,,,,, तभी रामो देवी की आँखे खुलती है और वह आज पहली बार अपने आप को किसी की मजबूत बाजुओ मे मेहसूस करती है,,, क्योकि रघुवीर ने कभी भी उसे गोद में उठाने की हिम्मत नहीं जताई थी,,, और उसे इस प्रकार उठाना रघुवीर के सायद बस मे ही न हो,,,,, रामो देवी देखती है,, की किशन उसे किसी बच्चे की तरह अपनी गोद में लिए चल रहा है,,, उसे अपने बेटे की ताकत पर बड़ा गर्व होता है,,


,,,, और वह किशन की नजरो मे देखती है जो उसे ही देख रहा था,,,,


,,,, और अपने बेटे की नजरो मे देखकर उसे ना जाने,,,, क्यु अजीब सा मेहसूस होता है,,,,

,,, क्या हुआ किशन कहाँ ले जा रहा है मुझे इस प्रकार,,,,,

,,,, किशन उसकी आँखो में देखते हुए,,, बो,,, बो,,, माँ तुझे चक्कर आ गया था जिसकी वजह से तुम गिरने वाली थी इसलिए मैने तुम्हे,,,,


,,,,,,,,,,, अपने बेटे को इस प्रकार अपनी नज़रो मे देखकर रामो देवी,,,, ऐसे क्या देख रहा है तु,,,,


,,,,,, माँ तुम्हारे चेहरे पर अब एक भी आभूषण नहीं है मुझे अच्छा नहीं लग रहा है,,,,,


,,,, रामो देवी को इस प्रकार की बात सुनकर बड़ी सर्म आती है और वह अपनी गर्दन दूसरी ओर घुमा लेती है,,,,,


,,, और शर्मा कर कहती है,,,,, तु उतार मुझे और जाकर पशुओं को पानी पीला दे और चारा भी डाल देना,,,,,


,,, रामो देवी की बात सुनकर किशन अपनी माँ को एक चारपाई पर लेटा देता है और अपनी गर्दन जुकाकर पशुओं को चारा पानी देने चला जाता है,,,,

,,,, तभी रामो देवी की शहेली केलॉ देवी खाना लेकर आती है,,,,, सीधा घर के अंदर आ कर रामो देवी के पास बैठ जाति है,,,



,,,, ले रामो खाना खा ले सुबह से कुछ भी नहीं खाया है तूने,,,,,


,,, नही मुझे भूख नहीं है,, किशन को खिला दो,,,,


,,, अरे भाई उसे भी खिला दूँगी,,, अब देख जो होना था बो तो हो गया,,,, मरना तो सभी को है एक दिन,,, अब ऐसे खाना ना खाने से क्या होगा,,, चल खाना खा ले,,,,,



,,,,,, तभी किशन अंदर आता है,,,, क्या हुआ काकी,,,

,,,,,, देख ना बेटा तेरी माँ खाना नहीं खा रही है,,,


,,,,, काकी तुम ये खाना मुझे दे दो मैं माँ को खिला दूंगा,,,


,,, kelo देवी,,, ठीक है बेटा मैं जाती हूँ अपनी माँ का ख्याल रखना बेटा,,,,

,,, जी काकी,,, मै देख लूँगा,,,, kelo देवी वहाँ से चली जाती है,,,,,

,,,,
 
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