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Incest Bete se ummeed,,

Raja maurya

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,, गीता बेटी तेरी माँ कहाँ है.. ये है रामु काका गीता के बापू जी गाँव मे दो बीघा जमीन है. . उसी से अपने घर का गुजरा करते है. गीता.... गाँव की सबसे सुंदर लड़की है. उसका रंग तो गोरा नहीं है. मगर उसके चेहरे कि बनावट भगवान ने एसी की है कि कोई .. देबी भी उसे देख ले;;;तो प्रसंशा किए बीना नही रह सकती.. गीता घर से बहार कम ही जाती हैं.. घर के काम करने मे ही अपना समय लिकाल लेती है ... रजनी, --"जी.. अभी आती हुँ रजनी घर के अंदर से बाहर आती है.. रामु,,, मै अपने मित्र रघुवीर से मिलने जा रहा हूँ . रात्री तक लौट आऊंगा अपना खयाल . रखना. रामु घर से चला जाता है. और रास्ते में . अरे ओ रामु कंहा जा रहा है. इधर आ.. जी मालिक किया बात है.. एक काला सा ब्यक्ति रामु को पुकारता है.. मालिक के बच्चे तुझे बड़े मालिक ने याद किया है. जी अच्छा मै चलता हूँ. रामु उस आदमी के साथ जाने के लिए तय्यार हो जाता है. रास्ते में रामु तेरी घरवाली के किया हाल है. काला आदमी मुस्कुरा कर रामु से पूछता है... रामु -: ठीक है मालिक.. कला आदमी,,( मन में) शाली बड़े गठीले बदन की है एक बार मेरे नीचे आगयी तो निचोड़ के रख दूँगा. एक बड़ी सी हबेली के दारबाजे पर चार आदमी पहरा दे रहे थे. कला आदमी:दरबाजा खोलो.. पहरे दार:जी मालिक पहरे दार दरबाजा खोलते है और रामु के साथ कला आदमी अंदर जाता हैं.. हवेली के अंदर उचे से चबूतरे पर एक आदमी बड़ी सी चारपाई पर बैठे हुए हुक्के मे दम लगा रहा था,,
वीर सिंह:इस हवेली के मालिक और उस गांव के सबसे बड़े जमींदार. इनके पास २००, बीघा जमीन है. और बीस नौकर खेती करने के लिए है. जिनके दम पर ये गाओ बालो पर अपना रुतबा जमाये हुए हैं. इनकी एक पत्नी है जिसका नाम सकुंतला है. सकुंतला एक पति ब्रता नारी है. और वीर सिंह से बहुत डरती है. इसलिए कि वीर सिंह एक गुस्से बाला आदमी है. और रामु की बेटी से दूसरी सादी करना चाहता है. वीर सिंह: आओ रामु बड़े दिनो के बाद दिखाई देते हो. कैसे हो रामु: आप की कृपा से ठीक हु मालिक घर की खेती मे लगा रहता हूँ. वीर सिंह:: गीता की सदी के लिए किया सोचा है. कब उसके हाथ पीले करने वाले हो ?? रामु: गुस्ताकी माफ़ करना मालिक लेकिन मेरी बेटी अभी सादी के लायक नही है.. और मेरी बेटी की सादी मै आपसे नहीं कर सकता . ( रामु डरता हुआ कहता है.. ) वीर सिंह: गुस्से से लाल आँखे दिखाते हुए हराम जादे तेरी इतनी हिम्मत के हमारे साथ ना मे जबाब दे. हम तुझे एक सप्ताह तक का समय देते है यदि तूने गीता की सादी मुझसे नही कराई तो मुझसे बुरा तेरे लिए कोई नहीं होगा. समजे रामु कुछ नहीं बोलता और चुप चाप वहाँ से चला जाता है. हवेली से बहार निकलकर रामु (मन में) .... कुछ भी करके मुझे अपनी बेटी को बचाना होगा इस दरिंदे वीर सिंह से . अभी तो बच्ची है बो और उसकी उमर भी नही है सदी करने की. रामु को समझ नहीं आता कि बो किया करे.. अपनी सोच मे डूबा हुआ रामु चला जा रहा था.. वो ये भी भूल गया था कि उसे अपने मित्र रघुवीर के घर जाना है. उधर वीर सिंह गुस्से से पागल हो गया था. और वो चिल्लाते हुए बोलता है. काली, हरिया,, किशन, धीरे कहाँ है सब मर गए किया वीर सिंह को चिल्लाता देख सकुंतला बहार आती है. किया हुआ जी.. इतने गुस्से में कियू हो आप तुम अंदर जाओ मैने तुमे नही बुलाया है.

वीर सिंह: इस हराम जादे रामु का खयाल रखना यदि ये अपनी बेटी की सादी किसी और के साथ करता है.तो इसके घर को जलकर राख कर देना. और इसके टुकड़े टुकड़े करके उसी जमीन मे गाड़ देना जिसमे खेती करता है..

वीर सिंह को गुस्से में देख सभी नौकर डर गए थे. और सभी एक साथ बोलते है

मालिक आप चिंता न करे..

काली: मालिक आप बेफ़िक रहे यदि रामु ने अपनी बेटी की सादी आप से नहीं की तो उसका अंजाम उसके लिए बहुत बुरा होगा.

हरिया: और यदि आप चाहते है तो हम अभी जाकर उसकी बेटी को उठा लाते है

वीर सिंह: नहीं इस तरह की हरकत करना हमे शोभा नहीं देता हम इस गाँव के सबसे बड़े जमींदार है और इस गाँव के मालिक.यदि हम ऐसा करेंगे तो गाँव के लोग हमारी इज्जत नहीं करेंगे. तुम बस उस पर नजर रखना.

नौकर: ठीक है मालिक.
सभी नौकर आपस में बाते करते हुए चले जाते है.
वीर सिंह घर के अंदर जाता है.

वीर सिंह गुस्से से: सकुंतला मैने तुम से कितनी बार कहा है कि मेरे बात करते हुए और किसी के सामने बहार निलकर न आया करो.

सकुंतला:: जो दारबाजे के पिछे सैर झुकाए खड़ी थी डरती हुई बोलती है जी बो...... मै आप की आबाज सुन कर...

चुप .. हराम जादी आज के बाद ऐसा किया तो मैं तेरी खाल उधेड़ दूँगा.वीर सिंह गुस्से से कहता है


सकुंतला (मन में) यदि इनका गुस्सा सांत नहीं हुआ तो ये कुछ उल्टा सीधा न कर बैठे. मुझे कुछ करना होगा.

,,,लेकिन कैसे करू जानवर के जैसे करते हैं. जान निकाल देते है है मेरी,,,

,,सकुंतला के मन में यह खयाल आते ही उसका बदन कांप जाता है और उसे पसीना आने लगता है,

सकुंतला: अजी आप गुस्सा ना करे मै आप के लिए पानी लाती हुं..

वीर सिंह:रहने दो इसकी कोई जरूरत नहीं है.
वीर सिंह सकुंतला का हाथ पकड़ लेता है. और उसे खीच कर अपनी बाहों में भर लेता है.

,,ये गुस्सा पानी से नही तेरी जवानी से ठंडा होगा,,,

,,सकुंतला का दिल जोरों से धड़कने लगता है. वीर सिंह की बात सुनकर. ,,और फिर वो सैर नीचे किए जी वो.... मै.... मै और उसके कुछ बोलने से पहले ही...

वीर सिंह:- आज तेरा वो हाल करूँगा की कभी भी बहार नही जायेगी किसी पराये मर्द के सामने..

,, वीर सिंह अपना एक हाथ सकुंतला की मोसमि जैसी स्तन पर रखता है और उसे अपने पूरे बाहुबल से दबा देता है,, सकुंतला को ऐसा लगता है कि उसके स्तन वीर सिंह जड़ से उखाड़ कर रख देगा.. और वो जोर से चिल्लाती है,,,

सकुंतला: हाय री री री .... मैय्या. नहीं छोड दोे मुझे मेरा महीना चालू हो गया है

वीर सिंह:कुछ भी हो मेरा गुस्सा तो तुझे शान्त करना ही होगा.

सकुंतला:मैं किया करू जिससे आप का गुस्सा सांत होगा

,,वीर सिंह:सकुंतला के बालों को पकड कर उसकी गर्दन को खिचता है जिससे उसका चेहरा सामने आ जाता है. वीर सिंह उसके चेहरे की ओर देखता है.होंठों पर लाल रंग की लाली लसे होठ जो डर की बजह से काँप रहे थे. माथे पर पसीना निकाल आया था और नाक में नेथनी पहने हुए उसकी साँसे तेजी से चल रही थी.,,
...
वीर सिंह:उसके चेहरे की ओर देखते हुए तुझे मेरा लिंग अपने मुह में लेकर चूसना होगा..

सकुंतला:मैं ये नहीं कर सकती मुझसे नहीं होगा..

,,सकुंतला को सोचकर भी उल्टी होने का मन होता है कियो की ना तो उसने कभी ऐसा सुना था और ना ही ऐसा किया था,,,

वीर सिंह:- शाली अगर ऐसा नहीं कर सकती तो आज तेरी पीछे से लूँगा मै चल उल्टी हो जा जरा.
;, वीर सिंह उसे उल्टा कर देता है और उसकी साड़ी पेटीकोट सहित उपर उठा देता है;;

;;सकुंतला का दिल जोरों से धड़क रहा था वह जानती थी कि वीर सिंह बहुत गुस्से वाला है. लेकिन मुह में लेने की वजह पीछे से करबाना बेहतर समझती है.


,, वीर सिंह जल्दी से अपनी लूंगी खोलता है और एक हाथ से अपना छ:इंच का लिंग पकता है और उसे सकुंतला की गुदा के छेद पर जैसे ही लगता है,, सकुंतला उछल पड़ती है,,

सकुंतला:ऊ ई ई ई.. माँ. आ...... और अपना एक हाथ पीछे ले जाती है.

,, जैसे ही उसके हाथ से वीर सिंह का लिंग छूता है. वह दर से आगे बढ़ जाती है,, सकुंतला ये सोच कर काँप जाती है कि यह उसकी गुदा मे कैसे जायेगा,,

सकुंतला: अजी.... मुझे माफ़ कर दीजिये मुझसे नहीं होगा यह बर्दास्त

वीर सिंह: गुस्से से शाली ज्यादा नखरे करेगी तो तेरी अभी चटनी बना दूँगा सीधी तराह से देदे.. नहीं तो मार खाएगी..

सकुंतला: वीर सिंह को गुस्से मे देख मगर ये इतना बड़ा और मोटा है मेरे पीछे कैसे जायेगा जी...,,
वीर सिंह: सब कुछ होगा तू उल्टी होजा.

,, सकुंतला मन मे,,, हे भगवान बचा लेना मुझे,,

और वह चारपाई के सहारे उल्टी हो कर झूक जाती है.

सकुंतला: अजी.. आराम से करना जी..

वीर सिंह:जादा नौटंकी ना कर....
,, और वीर सिंह अपना लिंग फ़िर से उसकी गुदा पे लगता है. और एक जोर से धक्का मरता है.मगर लिंग गुदा से रेंगता हुआ कमर की ओर चला जाता है.

,,सकुंतला इस तरह के धक्के से काँप जाती है.

वीर सिंह ( मन में कुछ सोचता है और फिर एक सरसो के तेल की हांडी से थोड़ा तेल लेकर अपने लिंग पर लगता है. और थोड़ा सा तेल सकुंतला की गुदा पर लगता है.

,, सकुंतला का दिल आने वाले पलों को सोचकर जोर शोर से धड़क रहा था उसने कभी ऐसा सोचा भी नहीं था कि ये सब भी होता है.. मगर वह दर और पत्नी धर्म के लिए मजबूर थी,,

,, वीर सिंह इस बार गुदा पर जैसे लिंग का अगला हिस्सा लगता है सकुंतला अपना बदन कस लेती है और अपनी आँखों को बंद कर लेती है.
,, गुदा पर लिंग लगाने के बाद वीर सिंह एक जोर से धक्का लगा ता है और इस बार लिंग के आगे का हिस्सा गुदा के छेद को फैला ता हुआ अंदर घूस जाता है.

सकुंतला: नहीं जी..... जी. जी निकाल लो इसे मै मर जाउंगी .....

,, वीर सिंह सकुंतला को जकड़ लेता है,,

सकुंतला: मै मुह में लेकर चूस दूँगी जी निकाल लो ना जी उसे.

,, तभी बहार से किसी की आबाज आती है. मालिक... मालिक कहाँ है आप एक जरूरी सूचना लाया हूँ,,

,,यह आबाज सुनकर वीर सिंह का दिमाग़ खराब हो जाता है और वह पीछे हटता है और उसका लिंग गुदा से वाहर लिकल जाता है. सकुंतला एक राहत की सांस लेती है और खाट पे गीर जाती है.

वीर सिंह गुस्से मे वाहर आता है. सामने काली खड़ा दीखता है. काली उसका सबसे वफादार नौकर था उसे वह अपने छोटे भाई की तरह मानता था. काली को देख वीर सिंह

वीर सिंह: क्या हुआ काली क्या खबर है.
Kya baat hai Bhai pahle update se hi dhamakedaar surwat
 

Raja maurya

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Nice update Bhai
I'd change kiya hai

update:: 3 ,,,,रामु अपने मित्र रघुवीर को गले लगा लेता है. और अब उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था. इतनी बड़ी खुशी पाकर वह अपने आप को वहुत सुखी महसूस कर रहा था,,,

रामु:अच्छा मित्र अब मै चलता हूँ और रजनी को इस खुशी के बारे में बताना चाहता हूँ. बहुत खुशी होगी उसे यह जानकर.

,,, रामु के बिदा लेने के साथ ही किशन रामु के पैर छूकर उसे प्रणाम करता है. और रामु वहाँ से अपने घर की ओर अग्रसर होता है.


,, काली और हरिया जो रामु का पीछा करते हुए रघुवीर के घर तक आ गये थे. उसके घर से वाहर जाते ही उसके फिर से पीछे लग जाते है,,

,, रामु बहुत खुश था अपने मित्र के साथ रिस्ता जोड़कर और खुशी की ही बात थी जबान बेटी बाप के कंधो पैर सबसे बड़ा कर्ज़ होती है दोलत का कर्ज़ तो इंसान जिन्दगी भर चुकाता है लेकिन बेटी का यह कर्ज़ इंसान को एक ही बार चुकाना पड़ता है. सादी करने के बाद भी उसे जब तक सुकून नहीं मिलता जब तक वह अपनी बेटी को उस इंसान के साथ सुखी न देख ले जिसको उसने अपनी बेटी का जीवन साथी बनाया है.

,, काली और हरिया ने जब देखा की रामु अपने घर की ओर जारहा है तो वह अपने मालिक वीर सिंह को इसकी सूचना देने के लिए हवेली की ओर चल देते है,,

,,उधर रजनी घर के वाहर खड़ी रामु की राह देख रही थी रामु को घर से निकले हुए शाम हो चुकी थी की अचनाक छोटी सी एक गली में उसकी नज़र पड़ती है. वहाँ पैर एक कुत्ता एक छोटी सी कुत्तिया के उपर चढ़ रहा था और वह कुत्तिया बार बार टियाउ टियाउ करती आगे बढ़ रही थी. यह सब देख कर रजनी के मन से एक ही आवाज़ आती है...

(रजनी मन में),,,,,,छी इतनी छोटी सी कुत्तिया इतने बड़े कुत्ते को कैसे संभाल सकती है और यह कुत्ता भी कितना कमीना है उसे छोड़ ही नहीं रहा है.


,, कुत्ता कुत्तिया को इस तरह चीखता देख उसके उपर से उतर जाता है.

,, रजनी अपने मन में एक राहत की सांस लेती है और फिर हे भगवान शुक्र है बेचारी बच गई,,
,, अचानक से कुत्ते को क्या सुझता है की वह कुत्तिया के पीछे जाकर उसकी पुंछ के नीचे सुघने लगता है.

,, ये सब देख कर रजनी का दिमाग चकरा जाता है. वह ये सब देखना तो नहीं चाहती थी मगर उसका मन था कि उसे यह सब देखने के लिए विवश कर रहा था,,

,, (रजनी मन में ) यह इसके पीछे क्या कर रहा है??

,, रजनी इधर उधर नजर घुमाकर देखती है कि कोई उसको देख तो नहीं रहा है. और किसी को भी वहाँ न पाकर वह फिर से कुत्ते की ओर देखने लगती है,,

,, कुत्ता उस छोटी सी कुत्तिया की योनी को सुघनता हुआ चाटने लगता है. और वह कुत्तिया भी अव वहाँ से हिल नहीं रही थी,,

,, अचानक रजनी की नजर कुत्ते के लिंग पर जाती है जो की बित्ते भर का गाजर के समान लाल सुर्ख वाहर को निकला हुआ था और कुत्ते के चाटने की वजह से हिल रहा था,,

,, रजनी को यह देख कर पसीना आने लगता है और उसे अपनी योनी मे चीटिया सी रेंगती महसूस होती हैं,,

,अब रजनी का मन वहाँ से जाने का विलकुल नहीं था और वह बड़े ध्यान से उन्हें देख रही थी,,,

,,रजनी मन में कितना गंदा है यह कुत्ता उसे चाट क्यों रहा है ये,, छी.. छी,,
,, कुत्तिया की योनी चाटने के बाद कुत्ता फिर से हाँफते हुए उस छोटी सी कुत्तिया के उपर चढ़ जाता है और इस बार कुत्तिया ज्यादा हिलती नहीं और कुत्ते का लिंग कुत्तिया की योनी के कुवारे पन को चिरता हुआ अंदर घुस जाता है.

,, कुत्तिया जोर से चिलाती है टीआउ .... टीओ टीआउ टीआउ...,,

, यह सब देख रजनी के मुह अचानक निकल जाता है.

,, रजनी हाय री.. मैय्या री.. मर जायेगी वो छोड़ दे उसे निर्दयी. छोड़ दे...,

कुत्ता लगातार झटके लगा रहा था और हर झटके के साथ कुत्तिया के मुह से चिल्लाने की आवाज आ रही थी लेकिन वह भागने की कोशीश नहीं कर रही थी..
,, रजनी को भी यह ना जाने कयों अब अच्छा लगता है. और उसकी योनी मे बहुत तेज़ खुजली सुरु हो जाती है, रामु रजनी से अव महीने में एक दो बार ही संम्भोग किया करता था. क्योकि घर में जवान बेटी के रहते उसे यह सब अच्छा नहीं लगता था.,,

,, रजनी कुत्ते की ओर देखती है अब कुत्तिया ने चिल्लाना बंद कर दिया था क्योकि कुत्ते के लिंग को उसकी योनी बुरी तरह से जकड़ चुकि थी और फिर कुत्तिया कुत्ते को खिचती हुई किसी झोपड़ी के अंदर ले जाती है.

,, रजनी से अपनी योनी की खुजली बर्दास्त नहीँ होती और वह अपने एक हाथ से धोती के उपर से ही खुजाना सुरु करती है और उसके मुह से एक मीठी सी आह निकलती है,,,
,, रजनी,, उम्म हू हूं हूं हूं.. माँ री....,,

रामु:रजनी ओ रजनी...
,,
,, रामु की आबाज सुन रजनी को होस आता है...,,

रजनी::जी हाँ जी आ गये आप मै कब से आप की रहा देख रही हूँ इतनी देर कहाँ लगा दी आप ने???

रामु:मुस्कराते हुए अरे बताता हूँ भगय्यावांन पहले ये बताओ की तुम्हे इतना पसीना क्यु आ रहा है??

रजनी:मुस्कराते हुए कुछ नहीं जी वो पानी भरने के लिए कुए पर गई थी ना तो उसकी वजह से आ रहा होगा.

रामु:अच्छा चलो घर के अंदर चलो फिर बताता हूँ इस खुशी की वजह और मुझे पंडित जी के पास भी जान है.

रजनी: क्या अभी जाना है सुबह चले जाना जी..

रामु: नहीं मुझे अभी जाना होगा गीता बेटी की कुंडली दिखाकर उसकी सादी पक्की करनी है.

रजनी:सादी किसके साथ करनी है गीता बेटी की सादी??

रामु:अरे अपने मित्र रघुवीर के बेटे किशन से रिस्ता पक्का किया है मैने अपनी गीता का बहुत सुखी रहेगी अपनी बिटिया वहाँ.

रजनी::खुशी के साथ बड़ी अच्छी बात है जी मै आप के लिए एक लोटा छाछ लाती हू और अभी अंधेरा होने बाला है. आप सुबह कुंडली दिखा लेना.. रात के समय उस जंगल मे जाना उचित नहीं है.

,, रजनी की बात रामु को सही लगती हैं और वह सुबह जाने का मन बना लेता है,,

,,रजनी:रामु के लिए छाछ लाती है और उसके हाथ में छाछ देते हुए एजी आज मेरा दिल बहुत बेचैन सा हो रहा है न जाने क्यों और तबियत भी कुछ ठीक सी नहीं लग रही आज आप मेरे साथ सो जाना जी वाहर उसारे मे.

रामु:रजनी गीता अब जबान हो गई है उसके सामने यह सब अच्छा नहीं लगता और गीता तो सोती है तुम्हारे पास मगर गीता बेटी है कहाँ दिखाई नहीं देती

रजनी:उदास मन से पशुओ को चारा डालने गई है आती होगी,

रामु:रजनी उदास ना हो ओर फिर पशुओ के साथ कोन रहेगा

रजनी:ठीक है जी आप जहां सोना चाहते हो वही सो जाना मै कुछ नहीं कहूगी
,, रजनी ने यह सब गुस्से मे बोल तो दिया था मगर जब से उसने उस कुत्ते और कुत्तिया को संम्भोग क्रिया करते हुए देखा था तब से उसकी योनी मे हो रही खुजली और उसके पानी के रिसाब से वह बहुत वियाकूल थी क्योकि आज से पहले उसने कभी एसा करते हुए किसी जानवर या पशु को नहीं देखा था यह घटना उसके साथ पहली बार घाटी थी,,,

,, रजनी घर के अंदर चली जाती है और गीता अपने बापू को देख खुशी से बापू से,,

गीता:मासूमियत से बापू आ गये आप माँ आप को कब से देख रही थी.

,,, गीता,,रजनी और रामु रात का भोजन करते हैं और फिर रामु पशुओ के साथ सोने के लिए चला जाता हैं ,,,,पशु पालने के लिए एक मिट्टी की शाल बनी हुई थी जिसमे रामु एक चारपाई पे सोता था.

,, रजनी कामा अग्नि में जल रही थी जिसके कारण वह भोजन भी पेट भर नहीं कर् पाई थी उसकी योनी मे हो रही बेचैनी और मिठी मिठी खुजली उसे बहुत परेसान कर रही थी जिसकी वजह से उसकी आँखों से नींद कोसों दूर थी. रजनी को अब गीता के सोने का इंतजार था आज किसी भी तरह संम्भोग करना चाहती थी.

,, रजनी (मन में) :आज क्यों इतनी खुजली हो रही हैं इसमें पहले तो कभी ऐसा नहीं होता था. आज क्यों इतना परेसान कर रही हैं ये.,, हाय रे मैय्या मै क्या करू इसका,,

,, रजनी योनी मे हो रही बेचैनी से रुवासी हो जाती हैं,, और वह कुछ सोचते हुए धोती के ऊपर से ही अपनी योनी को खूजाती है,,

,, और उसके मुह से एक धीमी आबाज मे सिसकारी निकलती हैं,,

रजनी: सी सी सी... हाई राम हाय माँ जी जी....
 

Raja maurya

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Doston mein aap sab ko batana chahta hu ki Maine name change kiya hai devlopmet se krishkumar


Update:4 और उधर काली और हरिया हवेली में पहुँचते हैं. वीर सिंह हवेली में इधर उधर टहल रहा था किसी गहरी सोच मे डूबा हुआ.

काली: मालिक मालिक ये शाला रामु किशन पुर मे रघुवीर के घर जाता हैं उसे मिलने.

,, काली की बात सुनकर वीर जैसे होस मे आता है और काली से.

वीर सिंह:रघुवीर के घर वही जिसका बेटा पहलवान है. क्या बात की उससे रामु ने??

हरिया: मालिक यह तो हम नहीं जानते क्योकि हम अंदर नहीं गये थे नहीं तो रामु को पता चल जाता की हम उसका पीछा कर रहे थे..

काली: हो न हो मालिक उसने अपनी बेटी के रिश्ते की बात की होगी रघुवीर के बेटे के साथ क्योकि जब वह वाहर निकल रहा था तो बहुत खुश था हराम जादा


,, यह बात सुनकर वीर सिंह गुस्से से पागल हो जाता हैं और वह गुस्से में,,

वीर सिंह: कल की रात रामु की अंतिम रात होगी उसे और उसके साथ उसके घर को भी जलाकर राख कर देना लेकिन यह काम बहुत ही होस्यारी से करना है तुम्हे.

काली: आप चिंता न करे मालिक यह सब मुझपे छोड़ दीजिये.

वीर सिंह : लेकिन यह याद रखना की गीता मेरी जान है उसे कुछ नहीं होना चाहिए

,, वीर सिंह का आदेश पाकर काली और हरिया वहाँ से चले जाते है और रामु के घर कल की रात कैसे हमला करना है यह योजना बनाते है,,,

,, उधर गीता अब सो चुकी थी और रजनी की आँखों में नींद का कोई नाम नहीं था जैसे ही रजनी गीता की ओर देखती की उसकी बेटी अब गहरी नींद में सो रही हैं वह बहुत धीरे से चारपाई से उठती हैं और अपने सिंगार दान के पास जाती हैं

रजनी (मन में) .. थोड़ा सा सिंगार कर लेती हूँ ताकि गीता के बापू का मन पिघल जाये और वे मुझे निराश न करे,,

,,,यह सब सोचते हुए गीता सिंगार दानी से एक लाल रंग की होंठों की लाली निकल कर अपने होंठों को रंग लेती है मांग पर सिंदूर और अपनी नाक से नाक की लोंग निकालकर नाक की नाथनी पहनती है और एक छोटे से दरपंन् मे अपने आप को देखती है अपने आप को देखते ही उसे बड़ी शर्म महसूस होती हैं और वह शर्मा कर आयना नीचे रख देती है

,, इस सयम रजनी उस स्त्री के के समान थी जो अपनी कमा अग्नि को सांत करने के लिए कुछ भी कर सकती थी परंतु यह उस समय की नारी थी जब कोई भी नारी किसी दूसरे पुरुष के साथ बात करना तो दूर उसके सामने भी नहीं आती थी और आज रजनी ने पहली बार आधी रात को उठकर यह सब किया था अपने पति से सम्भोग करने के लिए,,,

,,, रजनी यह सब करने के बाद चुप चाप घर के अंदर से वाहर आती है और हाथ मे एक जलता हुआ चिराग लेकर पशु शाला की ओर बढ़ जाती है चिराग की रोशनी में उसका चेहरा उसी प्रकार दमक रहा था जिस प्रकार किसी अंधेरी गुफा में नाग की मणि चम चमा ती है धीरे धीरे धीरे से चलते हुए रजनी पशु शाला मे पहुँचती हैं. जहाँ पर रामु एक छोटी सी चारपाई पर सो रहा था और उसके थोड़ी दूरी पर दो बैल और एक भैंस बंधी हुई थी. रामु के निकट पहुँचते ही रजनी के दिल की धड़कन बढ़ने लगती है और वह उसकी चारपाई के पास चिराग लेकर बैठ जाती है.,,,,

,, रजनी रामु का कंधा पकड़कर धीरे से हिलाती है शर्मो हया के मारे रजनी का बुरा हाल था क्योकि पहली बार वह खुद रामु के पास आई थी क्योकि उसके शरीर में जल रही कमा अग्नि ने उसे बिवश् किया था.,,,

रजनी,: शरमाते हुए गीता के बापू एजी गीता के बापू सुनिये ना

,, रामु कसमसाते हुए अपनी आँखे खोलता है और,,

रामु:रजनी को देखे बिना ही,, क्या हुआ रजनी क्या बात है इतनी रात में यहाँ पर क्या कर रही हो तुम और जैसे रजनी पर उसकी नजर जाती है वह अच्छा तो यह बात है

,, वह रजनी के हाथ से चिराग लेकर एक ताख मे रख देता है और रजनी की ओर देखता है जिसके स्तन लम्बी सांस लेने की वजह से उपर नीचे हो रहे थे जिसने एक सुति बिलौच और केवल पेटीकोट पहना हुआ था और उससे कहता है,,

रामु:आओ उपर आओ रजनी.

,, और उसका हाथ पकड़कर चारपाई पर बैठा लेता है रजनी जैसे राहत की सांस लेती हैं कि अब उसे सन्ति मिल जाएगी और धीरे से चारपाई पर लेट जाती है. रामु उसके उपर झुकता हुआ उसके चेहरे के पास अपना चेहरे को लाता हैं और उसकी आँखों मे देखते हुए

रामु; क्या बात है रजनी आज इतनी बेचैन क्यों हो रही हो तुम की इतनी रात को खुद मेरे पास आ गई

,,, और उसके उभरे हुए स्तन को धीरे से दबाता है,,, रजनी के चेहरे पर दर्द के भाव आ जाते है और वह सिसकारी भरते हुए कहती है.,,,


रजनी:: सी.. सी. सी.... ऐ जी. जी.... आज मैने एक कुत्ते और कुत्तिया को यह सब करते देखा था तब से से बहुत बेचैनी हो रही हैं.

रामु: मुस्कराते हुए अच्छा तो अब तुम ये सब देखती हो और अपनी धोती खोल देता है

,, रजनी एक हाथ नीचे लेकर रामु का लिंग पकड़ लेती है और अपने निचले होंठ को दांतों से काटते हुए कहती हैं,,

रजनी: गीता के बापू वो कुत्ता उस कुत्तिया की योनी को सूंघ और चाट रहा था क्या एसा भी होता है जी...

,, रामु अब अपने कच्छा के नाड़े को खोलता है और अपना लिंग वाहर निकाल लेता है. रजनी का हाथ जैसे ही रामु के नंगे लिंग को छुता है उसके शरीर मे बिजली सी दौड़ जाती हैं और वह उसके लिंग को अपनी मुठी मे जोर से जकड़ लेती है. जिससे रामु की सिसकी निकल जाती है और वह रजनी से कहता है.,,

रामु: हाँ रजनी एसा करते है केवल जानवर ही नहीं इंसान भी एसा करते हैं मैने अपने मित्र की एक किताब में पढ़ा था जो कामशुत्र की किताब थी और एसा करने से स्त्री को बहुत चर्रंम सुख की प्राप्ति होती है

रजनी: छी.. वहाँ से तो पेशाब भी निकलता है जी गन्दा नहीं लगता क्या.

रामु: जब इंसान वासना की आग मे जलता है तो उसे कुछ भी गन्दा नहीं लगता रजनी सब कुछ अच्छा लगता है तुम करना चाहते हो क्या एसा.

,, और रामु रजनी के पेटीकोट को नीचे से पकड़कर उपर को सरकता है जिसे देख रजनी अपनी दोनों टांगों को आपस मे भीच लेती है और अपने मुह पर हाथ रखकर कहती है.,,

रजनी::छी.. नहीं जी मुझे नहीं करना एसा मुझे तो सोचकर भी घिन आती है.

रामु: रजनी एक बार करके तो देखो तुम्हे बहुत आनंद मिलेगा जिसका तुमने कभी अहसास भी नहीं किया होगा मेरा मित्र कहता है उसकी पत्नी यह करके बहुत खुश हो जाती हैं.

,, यह सब बाते सुनने के बाद रजनी के मन में भी एसा करने की जिगियासा उत्पन्न होती है मगर वह ठहरी एक साधारण नारी सर्मो हया के कारण यह सब कह नहीं पाती.

रजनी:नहीं जी मुझे बहुत शर्म आएगी

रामु: कुछ नहीं होगा तुम अपने पर खोलो

,, रामु का भी मन था यह सब करने का क्योकि उसने केवल सुना था किया कभी नहीं था वो इसलिए कि कहीं उसकी पत्नी उसके बारे मे कुछ गलत ना समझ ले और रामु रजनी के दोनों पैरो को पकड़कर खोलने लगता है,,

,, रजनी अपनी नाक से लम्बी सांसे लेती है जिसकी वजह से उसके नाक के दोनों सुर फुल पिचक रहे थे और नाक में पहनी हुई नाथनी बार बार हिल और दमक रही थी

रजनी:ऐ जी रहने दीजिये वहाँ मुझे अच्छा नहीं लगेगा जी और आप को कुछ हों ना जाये गन्दी जगह है वो

रामु: कुछ नहीं होगा तुम पर ढीले छोड़ो रजनी

, ,, और इस बार रजनी के पैर खुल जाते है. मगर वह शर्म की वजह से अपनी गर्दन दुसरी ओर घुमा लेती है और रामु को चिराग की रोशनी में जो की रामु के पीछे रखा हुआ था रजनी की योनि दिखाई देती है कामो उतेजं ना की वजह से रजनी की योनि फुलकर दोगुनी हो चुकी थी जिसे देखकर रामु का जोश और बड़ जाता हैं और वह अपनी सर को धीरे धीरे रजनी की टांगों के बीच में लता है.

, रजनी दिल जोरों से धड़क रहा था यह सोचकर कि उसे कैसा लगेगा जब उसका पति उसकी योनी मे अपना मुह लगायेगा इस अहसास से उसकी सांसे और भी तेजी से चल रही थी. और जैसे ही रामु उसकी योनि को सुंगता हुआ अपनी जीभ योनि में लगाता है. रजनी का शरीर कांप जाता है और वह.. तेजी से उछल पड़ती है और उसके मुह से,,,

रजनी: ई ई ई ए जी जी.......रहने दीजिये आप मुझसे नहीं होगा जी.. ये सब.. आप मेरे उपर आ जाओ जी....

,,, मगर रामु ने जैसे मन बना लिया था कि वह आज रजनी की योनि का काम रस पीके ही रहेगा और फिर से रजनी की दोनों जांघों को जड़ से पकड़ता है और फिर से अपनी जीभ रजनी की योनि मे लगाता है रामु इस प्रकार रजनी की टांगों को जकड़े हुए था की रजनी हिल नहीं पाती और अपने वेबस समझ कर अपना शरीर ढीला छोड़ देती है और जैसे ही योनि को चाटना सुरु करता है उसे अपने मुह में तिखा और नमका सा पानी जाता महसूस होता है. जिससे उसकी उत्तेजना और बढ़ जाती हैं.,,

रजनी: गीता के बापू मुझे बहुत अच्छा लग रहा है जी.. चाट लीजिए इसे मुझे नहीं पता था की इसे चाटने से इतना सुकून मिलता है जी...

,,, कुछ देर योनि को चाटने के बाद रामु जैसे ही योनि के अंदर अपनी जीभ डालता है,, तो रजनी अपने शरीर पर एक कमान की तरह कर लेती है और रामु के सैर को अपनी योनि पैर दबाते हुए,,,

रजनी: आई.. हाए.. ए जी.. गीता के बापू कहीं मै मर न जाऊ जी... छोड़ दीजिये अब मेरे उपर अजाइये ना जी.....

,,, रामु को रजनी की योनि में जीभ डालकर अहसास होता है कि उसकी योनि कितनी दहक रही हैं . वह मन में सोचता है कि कहीं उसकी योनि की गर्मी से उसका मुह पिघल न जाए और वह अपना मुह योनि से हटाकर रजनी की ओर देखता है. रजनी जिसका चेहरा उत्तेजना की वजह से लाल हो चुका था. अपना मुह दोनों हाथ से छुपा लेती है. रामु धीरे से रजनी के चेहरे से उसके हाथ हटाता है और उसकी आँखों में देखते हुए कहता है.


रामु: कैसा लगा तुम्हे मजा आया कि नहीं.

, , , रजनी अपनी दोनों टांगों को रामु की कमर में लपेट देती है और उसके लिंग को अपने हाथ से पकड़ते हुए कहती है,,

रजनी;: बहुत अच्छा लगा जी.. और आपको

रामु:मुझे भी अच्छा लगा
,, रजनी रामु की आँखों में देखते हुए उसका लिंग पकड़कर अपनी योनि की ओर खिचती है. जिसे देख रामु समझ जाता है की रजनी अब क्या चाहती है. और वह रजनी की दहकती हुई योनि पे अपना लिंग लगता है. और एक जोर से धक्का लगाता है जिससे उसका आधे से ज्यादा लिंग रजनी की पानी छोड़ती हुई योनि मे घुस जाता है..


रजनी: हाई री मैय्या.. मर गई मै.. धीरे से जी....

,, रामु रजनी के चेहरे की ओर देखता है. और फिर एक तेज धक्का लगा देता है इस बार रजनी जोर से चिल्लाती है,,

रजनी:: धीरे जी...... मर गई माँ री..... जान निकाल दोगे क्या जी....

, रजनी दर्द की वजह से अपने दांतों को भीच लेती है और अपने शरीर से रामु को जकड़ लेती है ताकि रामु और धक्का न लगा सके रामु रजनी की ओर देखता है रजनी अपनी आँखों को बंद किये हुए थी,,, रामु रजनी के कान के पास आकर धीरे से उसके कान में कहता है ,,रामु: ढीला छोड़ो रजनी अब दर्द नहीं होगा

रजनी::धीरे धीरे करना जी... तेजी से दर्द होता है.

,, रजनी अपने शरीर को ढीला छोड़ देती है और रामु धीरे धीरे धक्के लगाने लगता है. कुछ देर धक्के लगाने के बाद रामु रजनी से कहता है,,

रामु: क्या बात है रजनी आज तुम्हारी योनि से बड़ी आग निकल रही है

, , यह बात सुनकर रजनी शर्मा जाती हैं और वह धत्त.. आप भी ना कुछ देर के बाद रजनी को भी मजा आने लगता है और वह चरम सुख की सीमा पर आते हुए कहती है,,,

रजनी::हाँ जी.. आज बहुत परेसान कर रही थी ये मुझे बहुत खुजली हो रही थी इसमें ऐ जी जी.... अब कीजिए तेज़ तेज मिटा दीजिये जी इसकी खुजली जी...

,, रामु भी अब स्खलित होने बला था और वह रजनी की बात सुनकर तेजी से धक्के लगाने लगता है,,, रजनी:ऐ जी जी ऐ जी.... मै गई जी.. हाय रे मर गई माँ मेरी..

,,, रजनी की योनि अपना गर्म पानी छोड़ देती है और रजनी बेजान सी अपने हाथ पर ढीले छोड़ देती है,,,

रामु: तेज तेज धक्के लगाते हुए हाँफने लगता है और उसकी सांसे फुल जाती है. रजनी..... ओ रजनी.. मै गया.... रजनी

, रामु रजनी के उपर गिर जाता है और दोनों को कब नींद आती है पता ही चलता और सुबह चिडियो के चेहकने से रजनी की आँख खुलती है,,


,, रजनी जल्दी से उठती है कि कहीं गीता उसके पहले न उठ जाए और फिर रामु को उठती है. रामु को उठाने के बाद रजनी घर के अंदर चली जाती है.,,

, और इस प्रकार रात बीत जाती है और एक नई सुबह होती है आज रामु को अपनी बेटी की कुंडली लेकर पंडित जी के पास जाना है. और वह पशुओ को चारा डालने के बाद नहाने चला जाता है और उसके बाद तय्यार होकर रजनी को आबाज लगता है.

रामु:रजनी ओ रजनी कहाँ हो मैं पंडित जी के पास जा रहा हूँ

रजनी:: जी आई रुको मै आती हूँ ये लो ये छाछ पी लो और ये गुड़ खा लो.

,, रजनी के पीछे गीता भी बाहर आती है.
bahot behtreen update Bhai
 
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