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Update: *15
।।। किशन के घर से जाते ही रामो देवी अंदर जाकर फिर से अपनी तेज चल रही साँसों पर काबू पाने की कोशीश करती है,, और सोचती है कि किशन की आँखों में देखने के बाद मुझे क्या हो जाता है,, और क्या चाहता है बो,,, जो इस प्रकार की हरकत करता है,,, मुझे उसे समजाना होगा अभी नादान है,,
,, कैसे अपनी माँ को निहारता हैं और सुंदर भी,,, क्या मैं,,,,, और यह सब सोचते हुए एक आईना लेकर अपने चेहरे को देखती है,,, अपनी नाक में पहनी नैथनी को देखकर खुद से शरमाते हुए अपनी नजरे झुका लेती है,,, तभी उसके कानों में भैस के बोलने की आबाज आती है,,,,
रामो देवी:: हे भगवान आज तो भैस का दूध भी नहीं निकला,,,,
।। रामो देवी घर से दूध का बरतन लेकर भैस का दूध निकालने के लिए पशुशाला मे चली जाती है,,, और जैसे ही दूध निकालने के लिए हाथ बड़ाती हैं।। भैस दूध के लिए रखे बर्तन में लात मार देती है।।।
रामो देवी: हे राम क्या हो गया है।।इसे,,,, क्या किशन के बापू के बिना ये दूध नहीं देगी।।
।।रामो देवी निराशा और मायुस चेहरा लेकर भैस के बिना दूध निकले ही घर के अंदर चली जाती है।।,,,
।। रामू अपने घर पर पंचायत में हुई घटना के बारे में अपनी पत्नी रजनी को बताता है। और गीता की शादी के लिए भी जो पंचायत ने निर्णय लिया गया था, यह सब जानकर रजनी को बड़ी खुशी मिलती है,,
रजनी: गीता के बापू बस एक बार हमारी गीता के हाथ पीले हो जाए तो मै चैन की सांस लुंगी,,।।
रामु: अरे भाई फ़िक्र करने की अब कोई बात नहीं है,, उस वीर सिंह ने ही तो हमारा जीना हराम किया था।। अब तो उसे एक वर्ष के लिए वहिष्कार कर दिया है,, अब सब अच्छा ही होगा रजनी,,,
रजनी:: भगवान करे ऐसा ही हो,,,,
।। रामू अपने घर में अपनी पत्नी रजनी के साथ मिलकर गीता की शादी की तय्यारी मे जुट जाता है।।।
।।और किशन जंगल में चारा लेने के लिए गया था, लेकिन उसे घर से निकले हूए काफी समय हो चुका था। और उसकी माँ रमो देवी चिंता मे डूबी हुई उसका इंतेजार कर रही थी,,,
।। किशन पशुओं का चारा लेकर घर लौट रहा था कि रास्ते में उसे तरावती मिल जाती है,,, किशन को देखते ही करवाती की नजरो के सामने किशन का विकराल लिंग मन में उतर जाता है,, जिस वह भूल नहीं पा रही थी,,,
तरावती:, किशन कहाँ से आ रहा है,,, दिखाई ही देता,,, है,, अब,??
किशन: काकी पशुओं के लिए चारा लेकर आया हूँ,,,
तरावती: मुझे भी चारा खिला दे,, जब से तेरा देखा है,, किसी और का अच्छा ही नहीं लगता,,,,
,,,, किशन इन दो शब्द वाली बातों का अर्थ नहीं समझ पाता, और वह किसी नादान बच्चे की तरह,,,,,
किशन: क्या, य,,, काकी मैं समझा नहीं,,
तारावती:,, रात को मिलना बाग में सब समझा दूँगी तुझे,,, बोल मिलने आएगा ना,,,
किशन:: काकी बो माँ,, को क्या,,,,
तारावती: अरे उसके सोने के बाद आ जाना,,,, देख यु भूखे को फल दिखाकर उसकी भूख और ना बड़ा,,,
,,, तुझे बो मजा दूँगी की तू अपनी माँ को हमेशा हमेशा के लिए भूल जाएगा,,,
किशन:: ठीक है काकी मैं आ जाऊँगा,,,,।।
,,,, किशन तारावती को रात में मिलने का बादा कर घर चला जाता है,,, और तारावती बहुत खुश होकर मन में,,
,,,, आज रात को इसके लंबे खूटें से अपनी खुजली मिटाऊंगी जब से देखा है,, तब से कितना रिस् रही है ये,,, मीठी, मीठी खुजली हो रही है इस मे,, लिंग तो कितनो के देखे हैं,, मगर ऐसा कभी नहीं हूआ,,, इसका लिंग देखने के बाद मेरी योनी कितना परेशान कर रही है,,, हाय तौबा,,,,, सी सी,,,,
,,,,, रामो देवी अपने बेटे का ही इंतेजार कर रही थी,, और जैसे ही बह किशन को देखती है,,,
रामो देवी: आ गया तु किशन,, चल तु नहा ले मैं तेरे लिए खाना लाती हूँ,,,,
किशन:: माँ पहले मुझे एक लौटा दूध दे दो खाना मैं बाद में खाऊँगा,,,,
,,, रामो देवी दूध का नाम सुनते ही किशन से,,,,
रामो देवी:: बेटा आज भैस ने दूध नहीं दिया,,, पता नहीं क्या हो गया है,, इसे,, सुबह से बोल रही है,,,
किशन:: मां इसे बापू की कमी,, या फिर बापू की याद आ रही होंगी,,,,
,,,, रामो देवी की आँखो में फिर से आंसू आ जाते हैं,, और बह रोती हुई,,,
रामो देवी: मै खाना देती हूँ खा लेना,,,, और किशन को खाना देकर घर के काम करने मे लग जाती है,,
,,,, किशन जो की बस इस सोच मे डूबा हुआ था कि कब रात होगी और कब वह तारावती से मिलने जायेगा,, उसे इस बात का कोई अहशास भी नहीं था कि उसकी माँ जिसकी सुंदरता की बह तारीफ करता है,, वह रो रही है,,,।।।
।। धीरे धीरे इसी प्रकार दिन गुजर जाता है,, और शाम तक
।
।।। किशन के घर से जाते ही रामो देवी अंदर जाकर फिर से अपनी तेज चल रही साँसों पर काबू पाने की कोशीश करती है,, और सोचती है कि किशन की आँखों में देखने के बाद मुझे क्या हो जाता है,, और क्या चाहता है बो,,, जो इस प्रकार की हरकत करता है,,, मुझे उसे समजाना होगा अभी नादान है,,
,, कैसे अपनी माँ को निहारता हैं और सुंदर भी,,, क्या मैं,,,,, और यह सब सोचते हुए एक आईना लेकर अपने चेहरे को देखती है,,, अपनी नाक में पहनी नैथनी को देखकर खुद से शरमाते हुए अपनी नजरे झुका लेती है,,, तभी उसके कानों में भैस के बोलने की आबाज आती है,,,,
रामो देवी:: हे भगवान आज तो भैस का दूध भी नहीं निकला,,,,
।। रामो देवी घर से दूध का बरतन लेकर भैस का दूध निकालने के लिए पशुशाला मे चली जाती है,,, और जैसे ही दूध निकालने के लिए हाथ बड़ाती हैं।। भैस दूध के लिए रखे बर्तन में लात मार देती है।।।
रामो देवी: हे राम क्या हो गया है।।इसे,,,, क्या किशन के बापू के बिना ये दूध नहीं देगी।।
।।रामो देवी निराशा और मायुस चेहरा लेकर भैस के बिना दूध निकले ही घर के अंदर चली जाती है।।,,,
।। रामू अपने घर पर पंचायत में हुई घटना के बारे में अपनी पत्नी रजनी को बताता है। और गीता की शादी के लिए भी जो पंचायत ने निर्णय लिया गया था, यह सब जानकर रजनी को बड़ी खुशी मिलती है,,
रजनी: गीता के बापू बस एक बार हमारी गीता के हाथ पीले हो जाए तो मै चैन की सांस लुंगी,,।।
रामु: अरे भाई फ़िक्र करने की अब कोई बात नहीं है,, उस वीर सिंह ने ही तो हमारा जीना हराम किया था।। अब तो उसे एक वर्ष के लिए वहिष्कार कर दिया है,, अब सब अच्छा ही होगा रजनी,,,
रजनी:: भगवान करे ऐसा ही हो,,,,
।। रामू अपने घर में अपनी पत्नी रजनी के साथ मिलकर गीता की शादी की तय्यारी मे जुट जाता है।।।
।।और किशन जंगल में चारा लेने के लिए गया था, लेकिन उसे घर से निकले हूए काफी समय हो चुका था। और उसकी माँ रमो देवी चिंता मे डूबी हुई उसका इंतेजार कर रही थी,,,
।। किशन पशुओं का चारा लेकर घर लौट रहा था कि रास्ते में उसे तरावती मिल जाती है,,, किशन को देखते ही करवाती की नजरो के सामने किशन का विकराल लिंग मन में उतर जाता है,, जिस वह भूल नहीं पा रही थी,,,
तरावती:, किशन कहाँ से आ रहा है,,, दिखाई ही देता,,, है,, अब,??
किशन: काकी पशुओं के लिए चारा लेकर आया हूँ,,,
तरावती: मुझे भी चारा खिला दे,, जब से तेरा देखा है,, किसी और का अच्छा ही नहीं लगता,,,,
,,,, किशन इन दो शब्द वाली बातों का अर्थ नहीं समझ पाता, और वह किसी नादान बच्चे की तरह,,,,,
किशन: क्या, य,,, काकी मैं समझा नहीं,,
तारावती:,, रात को मिलना बाग में सब समझा दूँगी तुझे,,, बोल मिलने आएगा ना,,,
किशन:: काकी बो माँ,, को क्या,,,,
तारावती: अरे उसके सोने के बाद आ जाना,,,, देख यु भूखे को फल दिखाकर उसकी भूख और ना बड़ा,,,
,,, तुझे बो मजा दूँगी की तू अपनी माँ को हमेशा हमेशा के लिए भूल जाएगा,,,
किशन:: ठीक है काकी मैं आ जाऊँगा,,,,।।
,,,, किशन तारावती को रात में मिलने का बादा कर घर चला जाता है,,, और तारावती बहुत खुश होकर मन में,,
,,,, आज रात को इसके लंबे खूटें से अपनी खुजली मिटाऊंगी जब से देखा है,, तब से कितना रिस् रही है ये,,, मीठी, मीठी खुजली हो रही है इस मे,, लिंग तो कितनो के देखे हैं,, मगर ऐसा कभी नहीं हूआ,,, इसका लिंग देखने के बाद मेरी योनी कितना परेशान कर रही है,,, हाय तौबा,,,,, सी सी,,,,
,,,,, रामो देवी अपने बेटे का ही इंतेजार कर रही थी,, और जैसे ही बह किशन को देखती है,,,
रामो देवी: आ गया तु किशन,, चल तु नहा ले मैं तेरे लिए खाना लाती हूँ,,,,
किशन:: माँ पहले मुझे एक लौटा दूध दे दो खाना मैं बाद में खाऊँगा,,,,
,,, रामो देवी दूध का नाम सुनते ही किशन से,,,,
रामो देवी:: बेटा आज भैस ने दूध नहीं दिया,,, पता नहीं क्या हो गया है,, इसे,, सुबह से बोल रही है,,,
किशन:: मां इसे बापू की कमी,, या फिर बापू की याद आ रही होंगी,,,,
,,,, रामो देवी की आँखो में फिर से आंसू आ जाते हैं,, और बह रोती हुई,,,
रामो देवी: मै खाना देती हूँ खा लेना,,,, और किशन को खाना देकर घर के काम करने मे लग जाती है,,
,,,, किशन जो की बस इस सोच मे डूबा हुआ था कि कब रात होगी और कब वह तारावती से मिलने जायेगा,, उसे इस बात का कोई अहशास भी नहीं था कि उसकी माँ जिसकी सुंदरता की बह तारीफ करता है,, वह रो रही है,,,।।।
।। धीरे धीरे इसी प्रकार दिन गुजर जाता है,, और शाम तक
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