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शानदार जबरदस्त भाईUpdate: 14
, पिछले भाग में आप सभी ने जान लिया की किस तरह वीर सिंह को एक वर्ष के लिए गाँव से वहिष्कार किया गया,, और अब रघुवीर की तेहरवि होने के बाद किशन और गीता की शादी कराने की जिम्मेदारी पंचायत ने ली थी,,।।
,,,किशन के नैथनी पहनाने के बाद उसकी माँ रामो देवी शर्म से पानी पानी हो गई थी और अब उसके लिए किशन के साथ रहना एक क्षण भर भी मुस्किल था।।। इसीलिए वह अपने बड़ती हुई साँसों पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी,, और किशन से अलग होकर तेज कदमों की गति से घर के अंदर चली जाती है,,।।। घर के अंदर जाते ही वह एक दीवार के सहारे खड़ी होकर अपनी साँसों को दुरुस्त करती है।।। और अपने मन में,,, क्या मेरा बेटा इतना नादान है कि उसे यह भी नहीं पता की नैथनी पहनाने की एक रस्म होती जो एक कुवारी कन्या को पहली बार दुल्हन बनाते समय की जाती है,,, और उसकी सुहाग रात को पहली बार उसका योबन् भंग करने के साथ हि उसकी नैथ उतारी जाती है,,,,, मगर मेरा बेटा तो इन सब रसमो से अंजान है,,।।। या उसके मन में मेरे लिए कोई,,, नही,, नही,,, मेरा बेटा ऐसा नहीं है,,, हे भगवान उसकी इस नादानी के लिए उसे क्षमा कर देना,, राम जी,,,,, गलती मेरी हैं जो सब कुछ जानते हुए भी,,, उसकी जिद्द से बेबस हो गई थी,,,,,,
***रामो देवी अपने मन में ये सब विचार कर रही थी कि****!
किशन: ***माँ ओ माँ कहाँ हो,,,,,
रमो***: देवी अपनी सफेद जाली दार साड़ी से अपने सर और चेहरे को ढक लेती है,, शर्म और लाज उस समय की नारी मे कुट् कूट के भरी हुई थी,,,, जो आज भी कुछ भरतीय नारियो मे जिन्दा है,,,,, और वही उनकी सभीयता और संसारिक गहना होता था,,,,,,
रामो देवी::,, क्या है क्यों चीख रहा है,,,,,
,,,, किशन देखता है की उसकी माँ आज पहली बार अपना चेहरा उससे छुपा रही है,,,।।।।
किशन: **क्या हुआ मां मुह क्यों छुपा रही हो,,,,
रामो देवी:: कुछ नहीं,, बो मैं,,,, अच्छा ये बता कल पंचायत में क्या हुआ,, क्या पंचायत ने वीर सिंह को कोई दण्ड दिया,,
किशन:,,, दंड तो मै उसे देता मां लेकिन सभी सरपंच ने मुझे रोक लिया।। नही तो वीर सिंह मेरे हाथो से जिंदा नहीं बचता,,
रामो देवी: **तुझे मैंने कसम दि थी ना फिर तूने ऐसा क्यू किया,,
किशन: ***माँ अपने बाप के खूनी को देखकर जिस बेटे का खून ना खोले बो बेटा किस काम का,,,, बापू भी तो तेरी मांग का सिंदूर थे,,
रामो देवी: **जो मेरी किस्मत में था बो मैं सह लुंगी मगर तुझे कुछ हो गया तो मेरे जीने का मक्सद ही नहीं,,,,
किशन: ***मुझे कुछ नहीं होगा माँ,, उस वीर सिंह को पंचायत ने एक वर्ष का जीवनदान दिया है उसे गाँव से एक वर्ष के लिए बहिष्कार कर दिया है,,, और उसके बाद मैं उसकी जीवन लीला समाप्त कर दूंगा।।।।।।,,
रामो देवी:: ***तु अब कुछ नहीं करना मेरे लाल,, और तेरे रामू काका की बेटी का शादी,,,
किशन': हाँ गीता की शादी बापू की तेहरबी के बाद मेरे साथ होगी इसकी जिम्मेदारी पंचायत ने ली है,,,
रामो देवी: फिर तो अच्छा है गीता बेटी के घर आने से मुझे भी राहत मिल जायेगी,,,
,,,,,, ले अब तु जाकर जंगल से पशुओं के लिए चारा ले आ,, किशन देखता है कि आज उसकी माँ पहली बार अपना मुह उससे छुपा रही है मगर वह इस बात से अंजान था कि जो नैथनी उसने अपनी माँ को पहनाई है,,, वो एक दुल्हन के लिए होती है ना की मां के लिए,,, जिसकी वजह से उसकी माँ को शर्म और लाज से मुह छुपाना पड़ रहा है,,,,
किशन::: माँ तु मुझसे पर्दा क्यू की है मैं तेरा बेटा हूँ कोई अंजान तो नहीं,,, जब तक तु अपना मुह नहीं दिखाएगी मै ये दूध नहीं,,,
,,, और किशन वहार जाने के लिए जैसे ही कदम बड़ता है रामो देवी उसका हाथ पकड़ लेती है,,
रामो देवी::: *तु समझता क्यू नही है,, अच्छा ठीक है चारा लाने के बाद देख लेना,,, अभी ये दूध पी ले,,
किशन,,: देखता है कि उसकी माँ सर झुकाए उसका हाथ पकड़ कर खड़ी है वह उसे अपने नज़रो के सामने लाता है,,
किशन,, नही मुझे अभी देखना है, मै देखना चाहता हूं कि मै जो चीज पसन्द कर लाया हूँ बो मेरी माँ पर कैसी लगती है,,,,
,,, किशन की बात सुनकर रामो देवी की दिल की धड़कन बड़ जाती है और वह अपने पैरों के नाखूनों से धरती को कुरेदते हूए,,,
रामो देवी: ***किशन तु ये सब से अंजान,,,, ,,
,,, रामो देवी के कुछ कहने से पहले ही किशन अपनी माँ के सर से घुँघट धीरे धीरे हटता है और उसकी माँ का मासूम सा चेहरा उसकी नज़रो के सामने आ जाता है,, रामो देवी ने कोई सिंगार तो नहीं किया था मगर उसकी सुंदता और मसुमित मे चार चाँद लगाने के लिए उसकी नाक में पहनी नैथ ही काफी थी उसके मासूम से चेहरे पर नैथनी उसी प्रकार दमक रही थी जिस प्रकार एक नागिन के सर पर उसकी मणी,,,,
रामो देवी,, की सांसों की गति तेज होते ही उसकी नाक में पहनी नैथ हिलने लगती है और वह शर्म से लरजती आबाज मे,,,
रामो देवी:,,, बस देख लिया अब तो पी लो दूध,, बेटा
किशन: माँ अपना मुह ऊपर उठाओ ना,,,,,
रामो देवी: ***किशन तु जा ना अब,,,, मै तेरी माँ हूँ जब चाहे देख लेना अभी क्यू,, जिद्द कर रहा है,,,,
,,, किशन अपनी माँ का मासूम सा चेहरा झुका देख अपनी हाथ की उंगलियो से उसकी थोड़ी पकड़ कर धीरे धीरे उठता है,,, और अपनी माँ की सुंदाता निहारता है मगर वह इस बात से अंजान था कि जिसकी सुंदाता निहार् रहा है वह उसकी माँ है सही गलत का तो उसे अंदाजा ही नहीं था,,,,
,,,, रामो देवी अपने बेटे का हाथ मेहसूस करते ही अपनी आँखे बंद कर लेती,,,
रामो देवी,,, सी सी,,, सी,,, किशन जाने दे अब मुझे,,,, तु ना,,,,,
किशन:: ***माँ आँखे खोलो ना तुम्हे मेरी कसम,,,,
रामो देवी:::: लंबी साँसे लेते हूए अपनी आँखे धीरे धीरे खोलती है और जैसे ही उसकी नज़र उसके बेटे से मिलती है उसे अजीब सा मेहसूस होता है
,, किशन,,,,, अपना हाथ उसकी माँ की नैथनी पर सहलाते हूए,,
किशन: **माँ तुम बहुत सुंदर हो,,,,, और उसकी आँखो में देखता है,
,,, अपनी सुंदाता की तारीफ सुनकर रामो देवी यह भूल जाती है कि जो उसकी सुंदरता निहार रहा है वो उसका खून हैं,,,
रामो देवी: ****किशन न,,,, न,,,, छोड़ दो न जाने दो अब,, मुझे,,,,
,,,,, किशन माँ तुझ पर ये नैथनी बहुत सुंदर लग रही है,,, और उसे गले लगा कर फिर से उसके कान में कहता है,,, तुम बहुत सुंदर हो माँ,,,,,
रामो देवी: ****जी,,,,, जी,,,,,, अब जाने भी दो,,,,,
,,,, रामो देवी के मुह से अंजाने मे ही जी सब्द किशन के लिए लिकल् गया था और उसे उसकी गलती का एहसास होते ही,,,, वह किशन से दूर हो जाती है और दूध किशन को देकर घर के अंदर चली जाती है,,,,
,,,, किशन को समझ नहीं आता की उसकी माँ ने उसे जी क्यो कहा,,,, और अपनी माँ से कुछ और कहना जरूरी नहीं समझता दूध पीने के बाद किशन अपने भैसे को गाड़ी मे बांधकर जंगल चला जाता है,,,
,,,,
शानदार जबरदस्त भाईUpdate: *15
।।। किशन के घर से जाते ही रामो देवी अंदर जाकर फिर से अपनी तेज चल रही साँसों पर काबू पाने की कोशीश करती है,, और सोचती है कि किशन की आँखों में देखने के बाद मुझे क्या हो जाता है,, और क्या चाहता है बो,,, जो इस प्रकार की हरकत करता है,,, मुझे उसे समजाना होगा अभी नादान है,,
,, कैसे अपनी माँ को निहारता हैं और सुंदर भी,,, क्या मैं,,,,, और यह सब सोचते हुए एक आईना लेकर अपने चेहरे को देखती है,,, अपनी नाक में पहनी नैथनी को देखकर खुद से शरमाते हुए अपनी नजरे झुका लेती है,,, तभी उसके कानों में भैस के बोलने की आबाज आती है,,,,
रामो देवी:: हे भगवान आज तो भैस का दूध भी नहीं निकला,,,,
।। रामो देवी घर से दूध का बरतन लेकर भैस का दूध निकालने के लिए पशुशाला मे चली जाती है,,, और जैसे ही दूध निकालने के लिए हाथ बड़ाती हैं।। भैस दूध के लिए रखे बर्तन में लात मार देती है।।।
रामो देवी: हे राम क्या हो गया है।।इसे,,,, क्या किशन के बापू के बिना ये दूध नहीं देगी।।
।।रामो देवी निराशा और मायुस चेहरा लेकर भैस के बिना दूध निकले ही घर के अंदर चली जाती है।।,,,
।। रामू अपने घर पर पंचायत में हुई घटना के बारे में अपनी पत्नी रजनी को बताता है। और गीता की शादी के लिए भी जो पंचायत ने निर्णय लिया गया था, यह सब जानकर रजनी को बड़ी खुशी मिलती है,,
रजनी: गीता के बापू बस एक बार हमारी गीता के हाथ पीले हो जाए तो मै चैन की सांस लुंगी,,।।
रामु: अरे भाई फ़िक्र करने की अब कोई बात नहीं है,, उस वीर सिंह ने ही तो हमारा जीना हराम किया था।। अब तो उसे एक वर्ष के लिए वहिष्कार कर दिया है,, अब सब अच्छा ही होगा रजनी,,,
रजनी:: भगवान करे ऐसा ही हो,,,,
।। रामू अपने घर में अपनी पत्नी रजनी के साथ मिलकर गीता की शादी की तय्यारी मे जुट जाता है।।।
।।और किशन जंगल में चारा लेने के लिए गया था, लेकिन उसे घर से निकले हूए काफी समय हो चुका था। और उसकी माँ रमो देवी चिंता मे डूबी हुई उसका इंतेजार कर रही थी,,,
।। किशन पशुओं का चारा लेकर घर लौट रहा था कि रास्ते में उसे तरावती मिल जाती है,,, किशन को देखते ही करवाती की नजरो के सामने किशन का विकराल लिंग मन में उतर जाता है,, जिस वह भूल नहीं पा रही थी,,,
तरावती:, किशन कहाँ से आ रहा है,,, दिखाई ही देता,,, है,, अब,??
किशन: काकी पशुओं के लिए चारा लेकर आया हूँ,,,
तरावती: मुझे भी चारा खिला दे,, जब से तेरा देखा है,, किसी और का अच्छा ही नहीं लगता,,,,
,,,, किशन इन दो शब्द वाली बातों का अर्थ नहीं समझ पाता, और वह किसी नादान बच्चे की तरह,,,,,
किशन: क्या, य,,, काकी मैं समझा नहीं,,
तारावती:,, रात को मिलना बाग में सब समझा दूँगी तुझे,,, बोल मिलने आएगा ना,,,
किशन:: काकी बो माँ,, को क्या,,,,
तारावती: अरे उसके सोने के बाद आ जाना,,,, देख यु भूखे को फल दिखाकर उसकी भूख और ना बड़ा,,,
,,, तुझे बो मजा दूँगी की तू अपनी माँ को हमेशा हमेशा के लिए भूल जाएगा,,,
किशन:: ठीक है काकी मैं आ जाऊँगा,,,,।।
,,,, किशन तारावती को रात में मिलने का बादा कर घर चला जाता है,,, और तारावती बहुत खुश होकर मन में,,
,,,, आज रात को इसके लंबे खूटें से अपनी खुजली मिटाऊंगी जब से देखा है,, तब से कितना रिस् रही है ये,,, मीठी, मीठी खुजली हो रही है इस मे,, लिंग तो कितनो के देखे हैं,, मगर ऐसा कभी नहीं हूआ,,, इसका लिंग देखने के बाद मेरी योनी कितना परेशान कर रही है,,, हाय तौबा,,,,, सी सी,,,,
,,,,, रामो देवी अपने बेटे का ही इंतेजार कर रही थी,, और जैसे ही बह किशन को देखती है,,,
रामो देवी: आ गया तु किशन,, चल तु नहा ले मैं तेरे लिए खाना लाती हूँ,,,,
किशन:: माँ पहले मुझे एक लौटा दूध दे दो खाना मैं बाद में खाऊँगा,,,,
,,, रामो देवी दूध का नाम सुनते ही किशन से,,,,
रामो देवी:: बेटा आज भैस ने दूध नहीं दिया,,, पता नहीं क्या हो गया है,, इसे,, सुबह से बोल रही है,,,
किशन:: मां इसे बापू की कमी,, या फिर बापू की याद आ रही होंगी,,,,
,,,, रामो देवी की आँखो में फिर से आंसू आ जाते हैं,, और बह रोती हुई,,,
रामो देवी: मै खाना देती हूँ खा लेना,,,, और किशन को खाना देकर घर के काम करने मे लग जाती है,,
,,,, किशन जो की बस इस सोच मे डूबा हुआ था कि कब रात होगी और कब वह तारावती से मिलने जायेगा,, उसे इस बात का कोई अहशास भी नहीं था कि उसकी माँ जिसकी सुंदरता की बह तारीफ करता है,, वह रो रही है,,,।।।
।। धीरे धीरे इसी प्रकार दिन गुजर जाता है,, और शाम तक
।
Bhai ye update tha ya comentUpdate: 16
,,, शाम होते ही किशन पशुशाला मे चला जाता है,, और अब इंतेजार करता है कि कब उसकी माँ को नींद आएगी और वह तारावती से मिलने बाग में जायगा,, किशन के मन में अब एक नई जिगियासा ने जन्म ले लिया था,,, न चाहते हूए भी उसके मन में औरतो के शरीर के अंग् के बारे में जानने की बड़ी ही तमन्ना हो रही थी, और ये चिंगारी उसके मन में उस कामसूत्र पुस्तक ने जलाई थी,,,।।
रामो देवी,, अपनी सोच मे डूबी हुई चारपाई पर लेटी हुई थी और अपने पति रघुवीर के बारे में सोच रही थी,,, रघुवीर के साथ सम्भोग किये रामो देवी को कई वर्ष बीत गया था,, और रघुवीर या रामो देवी इस प्रकार की किसी भी ब्रति पर ध्यान नहीं देते थे,,, काफी रात बीत चुकी थी रामो देवी को भी नींद नहीं आ रही थी,,, की अचनाक् उसके कानों में दरवाजा खुलने की आहत होती है,,,
।। रामो देवी धीरे कदमो से अपने बिस्तर में से उठती है,, और वह देखती है कि किशन चुपके चुपके बाहर जा रहा है,,, रामो देवी चुप चाप किशन का पीछे लग जाती है,,, लेकिन घर के बाहर निकलकर उसे किशन दिखाई नहीं देता और वह दरबाजे पर खड़ी इधर उधर देखती रह जाती है,,
,, रामो देवी मन में,,, कहाँ गया होगा इतनी रात को ये लड़का बाप के मरने के बाद तो इस का,,,,,,,
।। और कुछ देर सोचने के बाद हिम्मत जुटाते हूए अपने सर पर कपडा रखकर किशन की तलाश में लग जाती है,,,
।,, इधर किशन बाग में पहुँच कर तारावती को ढूंढता है,, तारावती एक पेड़ के नीचे खड़ी किशन का ही इंतेजार कर रही थी और किशन को देखते ही,,, उसको अपनी बाहों में भर लेती है,, किशन की कैद काठि के सामने तारावती एक बच्चे के समान ही थी,,, वह चाहती तो किशन के लवो को चूमना मगर उसके चेहरे तक पहुँच नहीं पाती,, और किशन को अपनी बाहों में भरकर उसकी छाती को चूमने लगती है।।।
किशन: काकी मुझे गुद गुदी हो रही है,,,
तारावती: अरे अभी तो तुझे उपर से ही चुमा है,, जब तेरा केला मुह में लेकर चुन्सुंगी तब तेरा क्या होगा,,,।।
,, तारावती आज जादा समय नहीं गबाना चाहती थी। क्योकी उसकी योनि में हो रही, बेचैनी ने उसे बिवश कर दिया था, जिसकी वजह से वो बहुत जल्दी मे थी और अपने एक हाथ से किशन के लिंग को पकड़ लेती है, किशन का लिंग अभी आधा मुरझाया हुआ था।।
किशन: काकी सी जब तुम ऐसे पकड़ती हो तो बड़ा सुकून मिलता है,,,
तारावती: आज तेरी सारी बेचैनी दूर कर दूँगी मेरे लाल,,,
,,, और किशन के लिंग को उसके पाजामे से बाहर निकाल लेती है,, लिंग तारावती की नजरो में आते ही उसकी आँखो में चमक आ जाती है और वह धीरे धीरे किशन के लिंग को सहलाते हूए उसकी आँखो में देखकर,,
तारावती: किस कदर जबानी रोक कर रखी है तूने,, किशन,,,
किशन को जैसे जन्नत मिल गई थी एक औरत के नरम नरम हाथो का स्पर्श अपने लिंग पर उसे असीम सुख की प्राप्ति करा रहा था,,,।।
किशन: काकी सी,,, सी,,, की,,,, बस ऐसे ही कर दो,,,, इसे,,,
तारावती: नही मेरे लाल हाथ से नहीं,,, इसकी जो जगह है,,, इसे उसमे ही सकूँ मिलेगा,,,,
,,, और अपना पेटीकोट उपर कर जल्दी से किशन के लिंग को अपनी यानि पर रखती है,, लेकिन किशन की लम्बाई जियादा होने की वजह से ये मुमकिन नहीं था,,, तो तारावती निराश होकर किशन से कहती है,,,
तारावती:,किशन बेटा मुझे अपनी गोद में उठा ले ना,,,,
,, किशन तारावती की बात सुनकर उसे अपनी गोद में उठा लेता है,, और जैसे ही किशन तारावती को अपनी गोद में उठा ता है तारावती अपनी दोनों टागो को उसकी कमर में लपेट देती है और उसके गले में हाथ डालकर उसकी आँखो में देखते हुए,,
तारावती: क्या तूने कभी किसी औरत के होठों को चूसा है,,।।
किशन: नही,, काकी,,, मैने,,,,
तारावती: अरे शर्मा क्यू रहा है,, अच्छा मेरे होठों को पियेगा तु,,, शराब से भी ज्यादा नशा होता है,, औरत के होठों मे,,, और किशन के होंठों को देखते हुए,,
अपने होंठ पर जीभ फिरती है,,,
,,, ले पी ले ना इन का रस्,,,, किशन,, और किशन के होठों पर अपने होंठ रख देती है,,, किशन को जैसे एक बिजली का झटका लगता है,,, उसे अपने मुह के अंदर तारावती के होठ बहुत अच्छे लग रहे थे,,, वह बड़े ही चाब से तारावती के होठों को चुस् रहा था,,, किशन के होठों की गर्मी से तारावती का बुरा हाल था,, जिसकी वजह से उसकी योनि में चिटिया रेगने लगती है,, तारावती से अब वरदासत् करना मुस्किल था और वह अपना एक हाथ नीचे लाकर किशन के लिंग को पकड़ लेती है और उसके उपर के हिस्से को अपनी, पानी छोड़ रही योनि पर लगती है,,,,
तारावती:,, किशन,,,,, अब ठोक दे इसे मेरी औखली मे,,, चड़ा दे मेरी बच्चे दानि तक,,,
,,
,,, और अपना बजन् लिंग पर डालती है,,, जैसे ही किशन को योनि की गर्मी का एहसास होता है,, वह नीचे से एक तेज धक्का लगा देता है,, किशन के धक्का लगाने के बाद उसके लिंग का मोटा सुपाडा योनि की आस् पास की हड्डी को चतकता हुआ अंदर घुस जाता है,, सुपडा अंदर जाते ही तारावती की आँखे फैल जाति है उसे ऐसा लगता है की जैसे किसी ने उसकी योनि में खुटा ठोक दिया हो,,,, और वह किशन से तुरंत अपने होंठ अजाद कर लेती है,,
तारावती: हाय,,,, माँ मुहु छोड़ दे,,,, मुझे,,, किशन,,,
किशन तारावती को अपनी गोद में और तेजी से जकड़ लेता है और,,, तारावती के पर को रोकने की कोसिस करता है जो की बहुत तेज तेज कांप रहे थे,,, किशन को तो ये बहुत अच्छा लगता है,,,,
किशन: बस काकी थोड़ी देर और,,,, रुक,,,,
तारावती:,,,,, झटके से उतने की कोसिस करती है जिसकी वजह से किशन का लिंग उसकी योनि से निकल जाता है और लिंग के निकलते ही तारावती की योनि से पेशाब की एक तेज धार निकलती है,,, जिसे देख तारावती के पर कांप रहे थे और वह,,,
तारावती: नही मैं नहीं झेल सकती तेरा इसे तो तेरी माँ जैसी औरत ही,,, जेल सकती है,,,