• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest Bete se ummeed,,

1112

Well-Known Member
4,859
7,269
158
Update: *15

।।। किशन के घर से जाते ही रामो देवी अंदर जाकर फिर से अपनी तेज चल रही साँसों पर काबू पाने की कोशीश करती है,, और सोचती है कि किशन की आँखों में देखने के बाद मुझे क्या हो जाता है,, और क्या चाहता है बो,,, जो इस प्रकार की हरकत करता है,,, मुझे उसे समजाना होगा अभी नादान है,,
,, कैसे अपनी माँ को निहारता हैं और सुंदर भी,,, क्या मैं,,,,, और यह सब सोचते हुए एक आईना लेकर अपने चेहरे को देखती है,,, अपनी नाक में पहनी नैथनी को देखकर खुद से शरमाते हुए अपनी नजरे झुका लेती है,,, तभी उसके कानों में भैस के बोलने की आबाज आती है,,,,

रामो देवी:: हे भगवान आज तो भैस का दूध भी नहीं निकला,,,,

।। रामो देवी घर से दूध का बरतन लेकर भैस का दूध निकालने के लिए पशुशाला मे चली जाती है,,, और जैसे ही दूध निकालने के लिए हाथ बड़ाती हैं।। भैस दूध के लिए रखे बर्तन में लात मार देती है।।।

रामो देवी: हे राम क्या हो गया है।।इसे,,,, क्या किशन के बापू के बिना ये दूध नहीं देगी।।

।।रामो देवी निराशा और मायुस चेहरा लेकर भैस के बिना दूध निकले ही घर के अंदर चली जाती है।।,,,

।। रामू अपने घर पर पंचायत में हुई घटना के बारे में अपनी पत्नी रजनी को बताता है। और गीता की शादी के लिए भी जो पंचायत ने निर्णय लिया गया था, यह सब जानकर रजनी को बड़ी खुशी मिलती है,,

रजनी: गीता के बापू बस एक बार हमारी गीता के हाथ पीले हो जाए तो मै चैन की सांस लुंगी,,।।

रामु: अरे भाई फ़िक्र करने की अब कोई बात नहीं है,, उस वीर सिंह ने ही तो हमारा जीना हराम किया था।। अब तो उसे एक वर्ष के लिए वहिष्कार कर दिया है,, अब सब अच्छा ही होगा रजनी,,,

रजनी:: भगवान करे ऐसा ही हो,,,,

।। रामू अपने घर में अपनी पत्नी रजनी के साथ मिलकर गीता की शादी की तय्यारी मे जुट जाता है।।।

।।और किशन जंगल में चारा लेने के लिए गया था, लेकिन उसे घर से निकले हूए काफी समय हो चुका था। और उसकी माँ रमो देवी चिंता मे डूबी हुई उसका इंतेजार कर रही थी,,,

।। किशन पशुओं का चारा लेकर घर लौट रहा था कि रास्ते में उसे तरावती मिल जाती है,,, किशन को देखते ही करवाती की नजरो के सामने किशन का विकराल लिंग मन में उतर जाता है,, जिस वह भूल नहीं पा रही थी,,,

तरावती:, किशन कहाँ से आ रहा है,,, दिखाई ही देता,,, है,, अब,??

किशन: काकी पशुओं के लिए चारा लेकर आया हूँ,,,

तरावती: मुझे भी चारा खिला दे,, जब से तेरा देखा है,, किसी और का अच्छा ही नहीं लगता,,,,

,,,, किशन इन दो शब्द वाली बातों का अर्थ नहीं समझ पाता, और वह किसी नादान बच्चे की तरह,,,,,

किशन: क्या, य,,, काकी मैं समझा नहीं,,

तारावती:,, रात को मिलना बाग में सब समझा दूँगी तुझे,,, बोल मिलने आएगा ना,,,

किशन:: काकी बो माँ,, को क्या,,,,

तारावती: अरे उसके सोने के बाद आ जाना,,,, देख यु भूखे को फल दिखाकर उसकी भूख और ना बड़ा,,,

,,, तुझे बो मजा दूँगी की तू अपनी माँ को हमेशा हमेशा के लिए भूल जाएगा,,,

किशन:: ठीक है काकी मैं आ जाऊँगा,,,,।।

,,,, किशन तारावती को रात में मिलने का बादा कर घर चला जाता है,,, और तारावती बहुत खुश होकर मन में,,

,,,, आज रात को इसके लंबे खूटें से अपनी खुजली मिटाऊंगी जब से देखा है,, तब से कितना रिस् रही है ये,,, मीठी, मीठी खुजली हो रही है इस मे,, लिंग तो कितनो के देखे हैं,, मगर ऐसा कभी नहीं हूआ,,, इसका लिंग देखने के बाद मेरी योनी कितना परेशान कर रही है,,, हाय तौबा,,,,, सी सी,,,,

,,,,, रामो देवी अपने बेटे का ही इंतेजार कर रही थी,, और जैसे ही बह किशन को देखती है,,,

रामो देवी: आ गया तु किशन,, चल तु नहा ले मैं तेरे लिए खाना लाती हूँ,,,,

किशन:: माँ पहले मुझे एक लौटा दूध दे दो खाना मैं बाद में खाऊँगा,,,,

,,, रामो देवी दूध का नाम सुनते ही किशन से,,,,

रामो देवी:: बेटा आज भैस ने दूध नहीं दिया,,, पता नहीं क्या हो गया है,, इसे,, सुबह से बोल रही है,,,

किशन:: मां इसे बापू की कमी,, या फिर बापू की याद आ रही होंगी,,,,

,,,, रामो देवी की आँखो में फिर से आंसू आ जाते हैं,, और बह रोती हुई,,,

रामो देवी: मै खाना देती हूँ खा लेना,,,, और किशन को खाना देकर घर के काम करने मे लग जाती है,,

,,,, किशन जो की बस इस सोच मे डूबा हुआ था कि कब रात होगी और कब वह तारावती से मिलने जायेगा,, उसे इस बात का कोई अहशास भी नहीं था कि उसकी माँ जिसकी सुंदरता की बह तारीफ करता है,, वह रो रही है,,,।।।

।। धीरे धीरे इसी प्रकार दिन गुजर जाता है,, और शाम तक
Nice update
 

Anoop

Active Member
971
9,262
139
Update: 16

,,, शाम होते ही किशन पशुशाला मे चला जाता है,, और अब इंतेजार करता है कि कब उसकी माँ को नींद आएगी और वह तारावती से मिलने बाग में जायगा,, किशन के मन में अब एक नई जिगियासा ने जन्म ले लिया था,,, न चाहते हूए भी उसके मन में औरतो के शरीर के अंग् के बारे में जानने की बड़ी ही तमन्ना हो रही थी, और ये चिंगारी उसके मन में उस कामसूत्र पुस्तक ने जलाई थी,,,।।

रामो देवी,, अपनी सोच मे डूबी हुई चारपाई पर लेटी हुई थी और अपने पति रघुवीर के बारे में सोच रही थी,,, रघुवीर के साथ सम्भोग किये रामो देवी को कई वर्ष बीत गया था,, और रघुवीर या रामो देवी इस प्रकार की किसी भी ब्रति पर ध्यान नहीं देते थे,,, काफी रात बीत चुकी थी रामो देवी को भी नींद नहीं आ रही थी,,, की अचनाक् उसके कानों में दरवाजा खुलने की आहत होती है,,,

।। रामो देवी धीरे कदमो से अपने बिस्तर में से उठती है,, और वह देखती है कि किशन चुपके चुपके बाहर जा रहा है,,, रामो देवी चुप चाप किशन का पीछे लग जाती है,,, लेकिन घर के बाहर निकलकर उसे किशन दिखाई नहीं देता और वह दरबाजे पर खड़ी इधर उधर देखती रह जाती है,,

,, रामो देवी मन में,,, कहाँ गया होगा इतनी रात को ये लड़का बाप के मरने के बाद तो इस का,,,,,,,

।। और कुछ देर सोचने के बाद हिम्मत जुटाते हूए अपने सर पर कपडा रखकर किशन की तलाश में लग जाती है,,,

।,, इधर किशन बाग में पहुँच कर तारावती को ढूंढता है,, तारावती एक पेड़ के नीचे खड़ी किशन का ही इंतेजार कर रही थी और किशन को देखते ही,,, उसको अपनी बाहों में भर लेती है,, किशन की कैद काठि के सामने तारावती एक बच्चे के समान ही थी,,, वह चाहती तो किशन के लवो को चूमना मगर उसके चेहरे तक पहुँच नहीं पाती,, और किशन को अपनी बाहों में भरकर उसकी छाती को चूमने लगती है।।।

किशन: काकी मुझे गुद गुदी हो रही है,,,

तारावती: अरे अभी तो तुझे उपर से ही चुमा है,, जब तेरा केला मुह में लेकर चुन्सुंगी तब तेरा क्या होगा,,,।।

,, तारावती आज जादा समय नहीं गबाना चाहती थी। क्योकी उसकी योनि में हो रही, बेचैनी ने उसे बिवश कर दिया था, जिसकी वजह से वो बहुत जल्दी मे थी और अपने एक हाथ से किशन के लिंग को पकड़ लेती है, किशन का लिंग अभी आधा मुरझाया हुआ था।।

किशन: काकी सी जब तुम ऐसे पकड़ती हो तो बड़ा सुकून मिलता है,,,

तारावती: आज तेरी सारी बेचैनी दूर कर दूँगी मेरे लाल,,,

,,, और किशन के लिंग को उसके पाजामे से बाहर निकाल लेती है,, लिंग तारावती की नजरो में आते ही उसकी आँखो में चमक आ जाती है और वह धीरे धीरे किशन के लिंग को सहलाते हूए उसकी आँखो में देखकर,,

तारावती: किस कदर जबानी रोक कर रखी है तूने,, किशन,,,

किशन को जैसे जन्नत मिल गई थी एक औरत के नरम नरम हाथो का स्पर्श अपने लिंग पर उसे असीम सुख की प्राप्ति करा रहा था,,,।।

किशन: काकी सी,,, सी,,, की,,,, बस ऐसे ही कर दो,,,, इसे,,,

तारावती: नही मेरे लाल हाथ से नहीं,,, इसकी जो जगह है,,, इसे उसमे ही सकूँ मिलेगा,,,,

,,, और अपना पेटीकोट उपर कर जल्दी से किशन के लिंग को अपनी यानि पर रखती है,, लेकिन किशन की लम्बाई जियादा होने की वजह से ये मुमकिन नहीं था,,, तो तारावती निराश होकर किशन से कहती है,,,

तारावती:,किशन बेटा मुझे अपनी गोद में उठा ले ना,,,,

,, किशन तारावती की बात सुनकर उसे अपनी गोद में उठा लेता है,, और जैसे ही किशन तारावती को अपनी गोद में उठा ता है तारावती अपनी दोनों टागो को उसकी कमर में लपेट देती है और उसके गले में हाथ डालकर उसकी आँखो में देखते हुए,,

तारावती: क्या तूने कभी किसी औरत के होठों को चूसा है,,।।

किशन: नही,, काकी,,, मैने,,,,

तारावती: अरे शर्मा क्यू रहा है,, अच्छा मेरे होठों को पियेगा तु,,, शराब से भी ज्यादा नशा होता है,, औरत के होठों मे,,, और किशन के होंठों को देखते हुए,,
अपने होंठ पर जीभ फिरती है,,,

,,, ले पी ले ना इन का रस्,,,, किशन,, और किशन के होठों पर अपने होंठ रख देती है,,, किशन को जैसे एक बिजली का झटका लगता है,,, उसे अपने मुह के अंदर तारावती के होठ बहुत अच्छे लग रहे थे,,, वह बड़े ही चाब से तारावती के होठों को चुस् रहा था,,, किशन के होठों की गर्मी से तारावती का बुरा हाल था,, जिसकी वजह से उसकी योनि में चिटिया रेगने लगती है,, तारावती से अब वरदासत् करना मुस्किल था और वह अपना एक हाथ नीचे लाकर किशन के लिंग को पकड़ लेती है और उसके उपर के हिस्से को अपनी, पानी छोड़ रही योनि पर लगती है,,,,

तारावती:,, किशन,,,,, अब ठोक दे इसे मेरी औखली मे,,, चड़ा दे मेरी बच्चे दानि तक,,,
,,
,,, और अपना बजन् लिंग पर डालती है,,, जैसे ही किशन को योनि की गर्मी का एहसास होता है,, वह नीचे से एक तेज धक्का लगा देता है,, किशन के धक्का लगाने के बाद उसके लिंग का मोटा सुपाडा योनि की आस् पास की हड्डी को चतकता हुआ अंदर घुस जाता है,, सुपडा अंदर जाते ही तारावती की आँखे फैल जाति है उसे ऐसा लगता है की जैसे किसी ने उसकी योनि में खुटा ठोक दिया हो,,,, और वह किशन से तुरंत अपने होंठ अजाद कर लेती है,,

तारावती: हाय,,,, माँ मुहु छोड़ दे,,,, मुझे,,, किशन,,,

किशन तारावती को अपनी गोद में और तेजी से जकड़ लेता है और,,, तारावती के पर को रोकने की कोसिस करता है जो की बहुत तेज तेज कांप रहे थे,,, किशन को तो ये बहुत अच्छा लगता है,,,,

किशन: बस काकी थोड़ी देर और,,,, रुक,,,,

तारावती:,,,,, झटके से उतने की कोसिस करती है जिसकी वजह से किशन का लिंग उसकी योनि से निकल जाता है और लिंग के निकलते ही तारावती की योनि से पेशाब की एक तेज धार निकलती है,,, जिसे देख तारावती के पर कांप रहे थे और वह,,,

तारावती: नही मैं नहीं झेल सकती तेरा इसे तो तेरी माँ जैसी औरत ही,,, जेल सकती है,,,
Khde lund par dhokha ho gya kisan ke sath to

Abto lagta hai bete ki baichaini ko sirf maa hi durr kar sakti hai ...
 

FallenAngel

Active Member
1,260
4,017
143
Update: 16

,,, शाम होते ही किशन पशुशाला मे चला जाता है,, और अब इंतेजार करता है कि कब उसकी माँ को नींद आएगी और वह तारावती से मिलने बाग में जायगा,, किशन के मन में अब एक नई जिगियासा ने जन्म ले लिया था,,, न चाहते हूए भी उसके मन में औरतो के शरीर के अंग् के बारे में जानने की बड़ी ही तमन्ना हो रही थी, और ये चिंगारी उसके मन में उस कामसूत्र पुस्तक ने जलाई थी,,,।।

रामो देवी,, अपनी सोच मे डूबी हुई चारपाई पर लेटी हुई थी और अपने पति रघुवीर के बारे में सोच रही थी,,, रघुवीर के साथ सम्भोग किये रामो देवी को कई वर्ष बीत गया था,, और रघुवीर या रामो देवी इस प्रकार की किसी भी ब्रति पर ध्यान नहीं देते थे,,, काफी रात बीत चुकी थी रामो देवी को भी नींद नहीं आ रही थी,,, की अचनाक् उसके कानों में दरवाजा खुलने की आहत होती है,,,

।। रामो देवी धीरे कदमो से अपने बिस्तर में से उठती है,, और वह देखती है कि किशन चुपके चुपके बाहर जा रहा है,,, रामो देवी चुप चाप किशन का पीछे लग जाती है,,, लेकिन घर के बाहर निकलकर उसे किशन दिखाई नहीं देता और वह दरबाजे पर खड़ी इधर उधर देखती रह जाती है,,

,, रामो देवी मन में,,, कहाँ गया होगा इतनी रात को ये लड़का बाप के मरने के बाद तो इस का,,,,,,,

।। और कुछ देर सोचने के बाद हिम्मत जुटाते हूए अपने सर पर कपडा रखकर किशन की तलाश में लग जाती है,,,

।,, इधर किशन बाग में पहुँच कर तारावती को ढूंढता है,, तारावती एक पेड़ के नीचे खड़ी किशन का ही इंतेजार कर रही थी और किशन को देखते ही,,, उसको अपनी बाहों में भर लेती है,, किशन की कैद काठि के सामने तारावती एक बच्चे के समान ही थी,,, वह चाहती तो किशन के लवो को चूमना मगर उसके चेहरे तक पहुँच नहीं पाती,, और किशन को अपनी बाहों में भरकर उसकी छाती को चूमने लगती है।।।

किशन: काकी मुझे गुद गुदी हो रही है,,,

तारावती: अरे अभी तो तुझे उपर से ही चुमा है,, जब तेरा केला मुह में लेकर चुन्सुंगी तब तेरा क्या होगा,,,।।

,, तारावती आज जादा समय नहीं गबाना चाहती थी। क्योकी उसकी योनि में हो रही, बेचैनी ने उसे बिवश कर दिया था, जिसकी वजह से वो बहुत जल्दी मे थी और अपने एक हाथ से किशन के लिंग को पकड़ लेती है, किशन का लिंग अभी आधा मुरझाया हुआ था।।

किशन: काकी सी जब तुम ऐसे पकड़ती हो तो बड़ा सुकून मिलता है,,,

तारावती: आज तेरी सारी बेचैनी दूर कर दूँगी मेरे लाल,,,

,,, और किशन के लिंग को उसके पाजामे से बाहर निकाल लेती है,, लिंग तारावती की नजरो में आते ही उसकी आँखो में चमक आ जाती है और वह धीरे धीरे किशन के लिंग को सहलाते हूए उसकी आँखो में देखकर,,

तारावती: किस कदर जबानी रोक कर रखी है तूने,, किशन,,,

किशन को जैसे जन्नत मिल गई थी एक औरत के नरम नरम हाथो का स्पर्श अपने लिंग पर उसे असीम सुख की प्राप्ति करा रहा था,,,।।

किशन: काकी सी,,, सी,,, की,,,, बस ऐसे ही कर दो,,,, इसे,,,

तारावती: नही मेरे लाल हाथ से नहीं,,, इसकी जो जगह है,,, इसे उसमे ही सकूँ मिलेगा,,,,

,,, और अपना पेटीकोट उपर कर जल्दी से किशन के लिंग को अपनी यानि पर रखती है,, लेकिन किशन की लम्बाई जियादा होने की वजह से ये मुमकिन नहीं था,,, तो तारावती निराश होकर किशन से कहती है,,,

तारावती:,किशन बेटा मुझे अपनी गोद में उठा ले ना,,,,

,, किशन तारावती की बात सुनकर उसे अपनी गोद में उठा लेता है,, और जैसे ही किशन तारावती को अपनी गोद में उठा ता है तारावती अपनी दोनों टागो को उसकी कमर में लपेट देती है और उसके गले में हाथ डालकर उसकी आँखो में देखते हुए,,

तारावती: क्या तूने कभी किसी औरत के होठों को चूसा है,,।।

किशन: नही,, काकी,,, मैने,,,,

तारावती: अरे शर्मा क्यू रहा है,, अच्छा मेरे होठों को पियेगा तु,,, शराब से भी ज्यादा नशा होता है,, औरत के होठों मे,,, और किशन के होंठों को देखते हुए,,
अपने होंठ पर जीभ फिरती है,,,

,,, ले पी ले ना इन का रस्,,,, किशन,, और किशन के होठों पर अपने होंठ रख देती है,,, किशन को जैसे एक बिजली का झटका लगता है,,, उसे अपने मुह के अंदर तारावती के होठ बहुत अच्छे लग रहे थे,,, वह बड़े ही चाब से तारावती के होठों को चुस् रहा था,,, किशन के होठों की गर्मी से तारावती का बुरा हाल था,, जिसकी वजह से उसकी योनि में चिटिया रेगने लगती है,, तारावती से अब वरदासत् करना मुस्किल था और वह अपना एक हाथ नीचे लाकर किशन के लिंग को पकड़ लेती है और उसके उपर के हिस्से को अपनी, पानी छोड़ रही योनि पर लगती है,,,,

तारावती:,, किशन,,,,, अब ठोक दे इसे मेरी औखली मे,,, चड़ा दे मेरी बच्चे दानि तक,,,
,,
,,, और अपना बजन् लिंग पर डालती है,,, जैसे ही किशन को योनि की गर्मी का एहसास होता है,, वह नीचे से एक तेज धक्का लगा देता है,, किशन के धक्का लगाने के बाद उसके लिंग का मोटा सुपाडा योनि की आस् पास की हड्डी को चतकता हुआ अंदर घुस जाता है,, सुपडा अंदर जाते ही तारावती की आँखे फैल जाति है उसे ऐसा लगता है की जैसे किसी ने उसकी योनि में खुटा ठोक दिया हो,,,, और वह किशन से तुरंत अपने होंठ अजाद कर लेती है,,

तारावती: हाय,,,, माँ मुहु छोड़ दे,,,, मुझे,,, किशन,,,

किशन तारावती को अपनी गोद में और तेजी से जकड़ लेता है और,,, तारावती के पर को रोकने की कोसिस करता है जो की बहुत तेज तेज कांप रहे थे,,, किशन को तो ये बहुत अच्छा लगता है,,,,

किशन: बस काकी थोड़ी देर और,,,, रुक,,,,

तारावती:,,,,, झटके से उतने की कोसिस करती है जिसकी वजह से किशन का लिंग उसकी योनि से निकल जाता है और लिंग के निकलते ही तारावती की योनि से पेशाब की एक तेज धार निकलती है,,, जिसे देख तारावती के पर कांप रहे थे और वह,,,

तारावती: नही मैं नहीं झेल सकती तेरा इसे तो तेरी माँ जैसी औरत ही,,, जेल सकती है,,,
Bhai bahut chota update hai yrr thoda to lengthy krdo
 

Raz-s9

No nude av/dp -XF STAFF
2,181
2,930
159
Krishan chidai me kithna moja lotar he o be ache se likhke bata plz .ek do line me chudai khotom acha nehi lagtha he .hum sex story Milon dekhne ki liye padtha he. jo hero apni khayesh kithna time lagake moja lotha he
 

sam00023

Member
299
661
109
Update: 16

,,, शाम होते ही किशन पशुशाला मे चला जाता है,, और अब इंतेजार करता है कि कब उसकी माँ को नींद आएगी और वह तारावती से मिलने बाग में जायगा,, किशन के मन में अब एक नई जिगियासा ने जन्म ले लिया था,,, न चाहते हूए भी उसके मन में औरतो के शरीर के अंग् के बारे में जानने की बड़ी ही तमन्ना हो रही थी, और ये चिंगारी उसके मन में उस कामसूत्र पुस्तक ने जलाई थी,,,।।

रामो देवी,, अपनी सोच मे डूबी हुई चारपाई पर लेटी हुई थी और अपने पति रघुवीर के बारे में सोच रही थी,,, रघुवीर के साथ सम्भोग किये रामो देवी को कई वर्ष बीत गया था,, और रघुवीर या रामो देवी इस प्रकार की किसी भी ब्रति पर ध्यान नहीं देते थे,,, काफी रात बीत चुकी थी रामो देवी को भी नींद नहीं आ रही थी,,, की अचनाक् उसके कानों में दरवाजा खुलने की आहत होती है,,,

।। रामो देवी धीरे कदमो से अपने बिस्तर में से उठती है,, और वह देखती है कि किशन चुपके चुपके बाहर जा रहा है,,, रामो देवी चुप चाप किशन का पीछे लग जाती है,,, लेकिन घर के बाहर निकलकर उसे किशन दिखाई नहीं देता और वह दरबाजे पर खड़ी इधर उधर देखती रह जाती है,,

,, रामो देवी मन में,,, कहाँ गया होगा इतनी रात को ये लड़का बाप के मरने के बाद तो इस का,,,,,,,

।। और कुछ देर सोचने के बाद हिम्मत जुटाते हूए अपने सर पर कपडा रखकर किशन की तलाश में लग जाती है,,,

।,, इधर किशन बाग में पहुँच कर तारावती को ढूंढता है,, तारावती एक पेड़ के नीचे खड़ी किशन का ही इंतेजार कर रही थी और किशन को देखते ही,,, उसको अपनी बाहों में भर लेती है,, किशन की कैद काठि के सामने तारावती एक बच्चे के समान ही थी,,, वह चाहती तो किशन के लवो को चूमना मगर उसके चेहरे तक पहुँच नहीं पाती,, और किशन को अपनी बाहों में भरकर उसकी छाती को चूमने लगती है।।।

किशन: काकी मुझे गुद गुदी हो रही है,,,

तारावती: अरे अभी तो तुझे उपर से ही चुमा है,, जब तेरा केला मुह में लेकर चुन्सुंगी तब तेरा क्या होगा,,,।।

,, तारावती आज जादा समय नहीं गबाना चाहती थी। क्योकी उसकी योनि में हो रही, बेचैनी ने उसे बिवश कर दिया था, जिसकी वजह से वो बहुत जल्दी मे थी और अपने एक हाथ से किशन के लिंग को पकड़ लेती है, किशन का लिंग अभी आधा मुरझाया हुआ था।।

किशन: काकी सी जब तुम ऐसे पकड़ती हो तो बड़ा सुकून मिलता है,,,

तारावती: आज तेरी सारी बेचैनी दूर कर दूँगी मेरे लाल,,,

,,, और किशन के लिंग को उसके पाजामे से बाहर निकाल लेती है,, लिंग तारावती की नजरो में आते ही उसकी आँखो में चमक आ जाती है और वह धीरे धीरे किशन के लिंग को सहलाते हूए उसकी आँखो में देखकर,,

तारावती: किस कदर जबानी रोक कर रखी है तूने,, किशन,,,

किशन को जैसे जन्नत मिल गई थी एक औरत के नरम नरम हाथो का स्पर्श अपने लिंग पर उसे असीम सुख की प्राप्ति करा रहा था,,,।।

किशन: काकी सी,,, सी,,, की,,,, बस ऐसे ही कर दो,,,, इसे,,,

तारावती: नही मेरे लाल हाथ से नहीं,,, इसकी जो जगह है,,, इसे उसमे ही सकूँ मिलेगा,,,,

,,, और अपना पेटीकोट उपर कर जल्दी से किशन के लिंग को अपनी यानि पर रखती है,, लेकिन किशन की लम्बाई जियादा होने की वजह से ये मुमकिन नहीं था,,, तो तारावती निराश होकर किशन से कहती है,,,

तारावती:,किशन बेटा मुझे अपनी गोद में उठा ले ना,,,,

,, किशन तारावती की बात सुनकर उसे अपनी गोद में उठा लेता है,, और जैसे ही किशन तारावती को अपनी गोद में उठा ता है तारावती अपनी दोनों टागो को उसकी कमर में लपेट देती है और उसके गले में हाथ डालकर उसकी आँखो में देखते हुए,,

तारावती: क्या तूने कभी किसी औरत के होठों को चूसा है,,।।

किशन: नही,, काकी,,, मैने,,,,

तारावती: अरे शर्मा क्यू रहा है,, अच्छा मेरे होठों को पियेगा तु,,, शराब से भी ज्यादा नशा होता है,, औरत के होठों मे,,, और किशन के होंठों को देखते हुए,,
अपने होंठ पर जीभ फिरती है,,,

,,, ले पी ले ना इन का रस्,,,, किशन,, और किशन के होठों पर अपने होंठ रख देती है,,, किशन को जैसे एक बिजली का झटका लगता है,,, उसे अपने मुह के अंदर तारावती के होठ बहुत अच्छे लग रहे थे,,, वह बड़े ही चाब से तारावती के होठों को चुस् रहा था,,, किशन के होठों की गर्मी से तारावती का बुरा हाल था,, जिसकी वजह से उसकी योनि में चिटिया रेगने लगती है,, तारावती से अब वरदासत् करना मुस्किल था और वह अपना एक हाथ नीचे लाकर किशन के लिंग को पकड़ लेती है और उसके उपर के हिस्से को अपनी, पानी छोड़ रही योनि पर लगती है,,,,

तारावती:,, किशन,,,,, अब ठोक दे इसे मेरी औखली मे,,, चड़ा दे मेरी बच्चे दानि तक,,,
,,
,,, और अपना बजन् लिंग पर डालती है,,, जैसे ही किशन को योनि की गर्मी का एहसास होता है,, वह नीचे से एक तेज धक्का लगा देता है,, किशन के धक्का लगाने के बाद उसके लिंग का मोटा सुपाडा योनि की आस् पास की हड्डी को चतकता हुआ अंदर घुस जाता है,, सुपडा अंदर जाते ही तारावती की आँखे फैल जाति है उसे ऐसा लगता है की जैसे किसी ने उसकी योनि में खुटा ठोक दिया हो,,,, और वह किशन से तुरंत अपने होंठ अजाद कर लेती है,,

तारावती: हाय,,,, माँ मुहु छोड़ दे,,,, मुझे,,, किशन,,,

किशन तारावती को अपनी गोद में और तेजी से जकड़ लेता है और,,, तारावती के पर को रोकने की कोसिस करता है जो की बहुत तेज तेज कांप रहे थे,,, किशन को तो ये बहुत अच्छा लगता है,,,,

किशन: बस काकी थोड़ी देर और,,,, रुक,,,,

तारावती:,,,,, झटके से उतने की कोसिस करती है जिसकी वजह से किशन का लिंग उसकी योनि से निकल जाता है और लिंग के निकलते ही तारावती की योनि से पेशाब की एक तेज धार निकलती है,,, जिसे देख तारावती के पर कांप रहे थे और वह,,,

तारावती: नही मैं नहीं झेल सकती तेरा इसे तो तेरी माँ जैसी औरत ही,,, जेल सकती है,,,
Bahut majedar...masala kut diya tarawati ki chut me😂😂ramadevi kaha reh gai, inko pakad to leti ...bhai zara jaldi update karo lamba sa....waiting
 

Developmentnnn

New Member
73
663
53
Update: 17

।। किशन की पकड़ से आजाद होते ही तारावती नीचे गीर जाती है और तारावती के गीरते हि किशन उसे फिर से गोद में उठाने की कोसिस करता है,, किशन देखता है कि तारावती के पर कांप रहे हैं और डर की वजह से उसका पेशाब निकल रहा है जिससेे उसका पेटीकोट गिला हो गया है,,, किशन जैसे ही तारावती को उठाने की कोसिस करता है,, तारावती उसके सामने हाथ जोड़कर गिड़गिडाने लगती है,,,

तारावती: नही किशन मैं मर जाऊंगी बेटा मुझे जाने दो मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ,,,।।

।। और इधर रामो देवी किशन को ढूंढती हुई बाग तक पहुँच गई थी और रामो देवी देखती है कि तारावती उसके बेटे के सामने हाथ जोड़कर रहम की भीख मांग रही है,, और किशन नग्न अवस्था में उसके सामने खडा है,, और उसका लिंग किसी गुस्साये नाग की भाती फैन उठाए झूल रहा है,,, रामो देवी को ये सब देखकर बड़ा बुरा लगता है कि उसका बेटा किसी के साथ जबरन,,, और गुस्से में आकर किशन को जाते हि एक जोर का थप्पड मारती है,,,,

रामो देवी: शर्म आनी चाहिए तुझे जो एक बुढी औरत को,, छी,, छी,,

,,, किशन अपनी माँ को अपने सामने देख तुरंत अपने कपड़े सही करता है,, और गुस्से में आकर,,,

किशन: तुझे तो बस मुझे मारना पीटना हि आता है और मेरी क्या हालत हैं उससे तुझे क्या,,, जा रहा हूँ मै और आज के बाद कभी भी तुझे अपना मुह नहीं दिखाऊँगा,,,,

,,, तारावती देखती है कि किशन अपनी माँ के साथ बात मे लगा हुआ है,, इस बार मौका देख तारावती बहा से निकल जाती हैं,,, किशन भी गुस्से में वहाँ से चला जाता है,, और रामो देवी उसे आबाज देती रह जाती है,, किशन के जाने के बाद रामो देवी घर चली जाती है और मन में,, सोचती है कि सुबह किशन घर लौट आयेगा,, और सोचते हुए कब उसे नींद आती है पता ही नहीं चलता,,।।

।। सुबह होती है रामो देवी की आखें खुलती है वह पशुशाला मे जाकर देखती है कि किशन आया है कि नहीं लेकिन किशन उसे नहीं मिलता,, फिर पशुओं को चारा डालने के बाद भैस के नीचे बैठ कर दूध निकालने की कोसिस करती है मगर रोज की तरह भैस दूध के बर्तन में लात मार देती है,, रामो देवी इस भैस को भी ना जाने क्या हो गया है,, बोलती रहती है,,, मैने किशन की साथ अच्छा नहीं किया अरे जबानी मे तो सभी बहक जाते हैं,, फिर उसकी क्या गलती हैं और ये तारावती भी तो उसके पीछे पड़ी हुई थी,, अब कहाँ होगा मेरा लाल इतना बेचैन था और मैने क्या किया उसके साथ,, मगर,,, और ये सब सोचती किशन को गाँव में तलाश करने लगती है,, किशन को तलाश करने मे सभी गाँव वाले भी रामो देवी की मदत करते हैं मगर सुबह से शाम हो चुकी थी और किशन का कोई पता नहीं था,।।। रामो देवी किशन को याद कर रोए जा रही थी,,, मगर किशन ना जाने कहां चला गाय था।।।

।।। धीरे धीरे चार दिन गुजर गए थे मगर किशन अभी तक घर नहीं लौटा था और ना ही किसी ने उसकी कोई खबर दी थी रामो देवी पशुओं के लिए चारा लेने अपने आप हि जाती थी,, और अपनी शहेली केलो देवी के साथ घर पर रहती थी,, एकेले जंगल जाते हूए उसे सब खा जाने वाली नज़रो से देखते थे,, कुछ गाँव के हरामी तो उसके साथ मजाक भी करते थे,,रामो देवी के योबन् और गद्राये शरीर को देखकर सभी अपनी हवश मिटाना चाहते थे,, जब कोई औरत बेसहारा होकर अपना जीवन गुजारती है।। तो लोग उसे हमेशा भुखी नज़रो से ही देखते हैं।,,

।। एक दिन रामो देवी अपने पशुओं के लिए चारा लेने जंगल जा रही थी।। तभी उसे रास्ते में गाँव का एक शराबी मिलता है।। जिसका नाम मुन्ने था वह गांव का सबसे अय्यास व्यक्ति था जिसकी पत्नी एक बच्चे को जन्म देने के बाद गुजर गई थी।। तब से वह गाँव की सभी औरतो को गंदी नज़रो से देखता था।। रामो देवी को देखते ही उसके अंदर का जानवर जाग जाता है और वह उसे अकेली पाकर,,,

मुन्ने: अरे क्यू इतनी मेहत् करती है रामो,, और किसके लिए कर रही है,,,

रामो देवी डरते हूए,,, देखो मुझे जाने दो,, मुझे पशुओं के लिए चारा लाना है,,

मुन्ने: चली जाना मगर ये तो बता दे की इस उबलती हुई जबानी का क्या करेगी अब जो तेरे कपड़े फाड़ कर बाहर निकलने को आतुर है,,,
,,
,, मुन्ने: की बात सुनकर रामो देवी शर्मा कर अपना सर झुका लेती है और अपने बाहर निकले स्टनों को ढकने की नाकाम कोशीश करती है,,, मुन्ने रामो देवी के स्तनो को भूखे शेर की नजरो से देख रहा था,,,

रामो देवी: देखो अगर तुमने मेरे साथ को नीच हरकत की तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।

,, ये बोलकर रामो देवी चलने लगती है, और जैसे ही अपने कदम बड़ाती हैं मुन्ने उसके आगे आकर उसका हाथ पकड़ लेता है,, और उसे अपनी बाहो में भरकर उसके होठों को चूमने की कोसिस करता है।। मगर रामो देवी एक लंबी कैद कठि की औरत थी जिसको बस मे करना किसी शराबी के बस का नहीं था। मुन्ने की लाख कोसिस के बाद भी वह रामो के होठों तक नहीं पहुँच पाता है,, रामो देवी को मुन्ने की हरकत पर बहुत गुस्सा आता है और वह गुस्से में एक जोर का थप्पड मुन्ने को रख देती है। और चिल्लाने लगती है,,

,,, रामो देवी की चीख पुकार सुनकर कुछ लोग वहाँ आ जाते हैं और सारी बातें जानने के बाद मुन्ने की जमकर पिटाई कर देते हैं,, लोगो से पीटने के बाद मुन्ने वहाँ से चला जाता है और अपने मन में गुस्से से कहता है,, साली रंडी रामो मैं भी अब तुझसे अपने इस अपमान का बदला तेरी चूत का रस् पीकर लूँगा,, तुझे तो मै छोडूंगा नहीं रामो,,,, और दारू के ठेके पर पहुँचकर फिर से दारू पिता हैं,,,।।

।।। किशन को घर से निकले हुए आज दस दिन बीत चुके थे और रामो देवी रोज उसका पता लगाने की कोशिश कर रही थी मगर किशन ना जाने कहाँ चला गया था,, रघुवीर को मरे हुए बारह दिन बीत चुके थे और कल उसकी तेहबी है मगर जिसके सर पर पगड़ी बांधे जाने की रस्म होगी उसका कोई पता नहीं था,,, रघुवीर के मारने के बाद किशन के घर छोड़कर जाने से रामो देवी टूट चुकी थी और इन सब हालातो का जिम्मेदार वह खुद को मान रही थी,,,

।। एक दिन रामो देवी अपने खेत में चारा काट रही थी कि जोर की वर्षा शुरू हो जाती है,, खेत में काम कर रहे सभी लोग जल्दी जल्दी अपने अपने घर पहुँच जाते हैं।। मगर रामो देवी जंगल में अकेली थी और वह वर्षा होने के कारण भीग जाती है,,, रामो देवी जल्दी से काटा हुआ चारा लेकर बग्गी मे रखती है,, और भैसे को बग्गी मे जोड़कर घर की ओर चल देती है।।। आचानक एक तेज बिजली के कड़कने की आबाज होती है और काले बादलों के कारण जंगल में अँधेरा छा जाता है। रामो देवी को बहुत डर लगता है,, डर की बजह से उसका शरीर कांप रहा था,,,, लेकिन फिर भी वह हिम्मत कर चल रही थी।।। की आचानक उसके सामने तीन आदमी आकर खड़े हो जाते हैं।। आदमी को देख रामो देवी बुरी तरह डर जाती है,,

रामो देवी:: कौन हो तुम,,,

,,,, रामो देवी को देख एक आदमी हँसते हुए कहता है,,
हा,, हा,,, हा,,,,, आज कौन बचाएगा तुझे याद कर कैसे कस के थापड़ मारा था साली आज तेरी चूत की सारी गर्मी निकाल दूँगा,,,

रामो देवी:: मुन्ने तुम तो तु है हरामी,,,

,,, हाँ मैं हु साली आज तेरी चूत का रस् पीकर नशा करूंगा,, एक बार तेरी चूत मार लू फिर देखता हूं कि क्या करती है तू,,, और वह तीनो आदमी रामो देवी को पकड़कर घसीटते हूए जंगल में बने हुए पुराने खंडर मे ले जाते हैं,, रामो देवी चीखती हुई रहम की भीख मांग रही थी मगर उसकी आबाज तेज बिजली के कारण और वर्षा की वजह से किसी के कनों मे नहीं पहुँचती है,,

रामो देवी: मुन्ने मुझे माफ कर दो,, मुझे जानें दो छोड़ दो,,,, मुझे,,

मुन्ने: देखते क्या हो नंगी कर दो इसे मुझे इसकी चूत देखनी है, और उसका रश् पीना है,,,

,, मुन्ने की बात सुनकर दोनो आदमी रामो देवी की साड़ी पकड़कर खीचते हैं और साड़ी निकाल देते हैं साड़ी निकलने के बाद रामो देवी अपने वक्षो को अपने दोनो हाथो से छुपाने की नाकाम कोसिस करती है और रोते हुए कहती है,,।।

रामो देवी: मुझे जाने दो भगवान के लिए छोड़ दो मुझे,,,

मुन्ने: इसके बाकी के सब कपड़े फाड़ डो,,,

,,, और जैसे ही दोनो आदमी रामो देवी के कपड़े की और हाथ बड़ाते हैं, उनके एक जोर् की लात पड़ती है और वह मुह के बल् दूर जाकर गिरते हैं,,,

।। रामो देवी देखती है कि किसी ने उसे बचा लिया है और जैसे ही नज़र उठाती है तो किशन उसकी नज़रो के सामने खडा दिखाई देता है और वह अपनी माँ को अपने पीछे छिपाते हूए उन लोगों को खूनी नज़रों से देखता है,, तीनो आदमी किशन पर टूट जाते हैं और किशन एक कर तीनो को चिट कर देता है,,

।। किशन से मार खाकर तीनो बेहोश होकर वही गिर जाते हैं,, और किशन अपनी माँ को बिना देखे ही जाने लगता है,,,
 
Last edited:
Top