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Incest Bete se ummeed,,

Developmentnnn

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Doston my mother in law suddenly died in heart attack sorry for updates name change karna pada doston but this is my story ather person can't written this story. Because i have a mind full story so please don't mind and injoy insect story mother and son,,, bete se ummeed
 
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Developmentnnn

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Update: 6

,, किशन रामू के पैर छुकर उसे प्रणाम करता है। और अंदर अपनी माँ के पास जाता है। किशन एक सुंदर और बलिस्ट लड़का था जिसकी लंबाई छ: फुट और 8 इंच थी उसने किसी भी नारी को नज़र भर नही देखा था,,,,, शादी क्या होती है बह इस बात से अंजान था उसे तो यह भी नही पता था की शादी के बाद नारी के साथ क्या किया जाता है। इसी प्रकार उसकी ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। किशन के अंदर आते ही उसकी माँ रमो देवी उसे दूध देती है।

रामु: रघुवीर हमे किशन और गीता की शादी आज ही करनी होगी क्योकि आने बाला समय ठीक नहीं है पंडित जी ने मुझे बताया है

रघुवीर: रामु तुम जैसा कहोगे वैसा ही होगा मित्र किस समय चलाना है पंडित जी के पास

रामु: पहले मैं गीता बेटी को लेकर पंडित जी के पास जाता हूँ। और तुम किशन की कुंडली लेकर पंडित जी के पास शाम तक आ जाना

रघु: ठीक है मित्र मैं अपनी पत्नी को बता देता हूँ

,,, ये बातें करने के बाद रामू वहाँ से चला जाता है और रघुवीर अंदर जाकर रमो देवी को सादि के लिए बताता है जो किशन ने भी सुन ली थी और रघुवीर वहाँ से चला जाता है। शादी की तय्यारी करने रघुवीर के जाने के बाद किशन कुछ सोच मे डूब जाता है उसे इस प्रकार सोचता देख उसकी माँ उसे पूछती है।

राम ओ देवी: क्या हुआ बेटा क्या सोच रहा है


,,, किशन जैसे नींद से जागते हुए मन में सोचता है की शादी के बाद क्या होता है किसे पूछे क्या करे???

किशन: कुछ नहीं माँ वो मैं सोच रहा था कि मुझे अभी शादी नही करनी है मुझे समय चाहिए

रामाओ देवी: क्यु क्या हुआ बेटा क्या बात है मुझे बता तुझे गीता पसंद नहीं है।

किशन: नही माँ ऐसी बात नहीं है।
माँ: तो फिर क्या हुआ बेटा।


,, किशन कुछ सोचता है और फिर अपनी माँ को देखता है जो की उसकी आँखो में देख रही थी जैसे की उसकी आँखो में पड़ना चाहती थी कि क्या बात है जो किशन शादी के लिए ना बोल रहा है।। और फिर किशन उदास होकर पूछता है।

किशन: माँ मुझे शादी के बारे में कुछ नहीं पता

रमॉ देवी: बेटा शादी हमे करानी है तूमे तो बस दुल्हन को लाना है

,,, किशन कुछ समझ नहीं पता कि कैसे समझा सकता है अपनी माँ को और फिर अपनी सर झुका कर कहता है।,,,,

किशन: माँ शादी के बाद क्या करना है मुझे नहीं पता

,, ये बात सुनकर रामौ देवी सोचती है की उसका बेटा
इन सभी बातों से अंजान है। रामो देवी जो की एक 40 वर्ष की महिला थी परंतु आज भी जवान थी पेट पर चर्बी थोड़ा ज्यादा थी परंतु सज् धज् के रहना उसकी आदत थी और उसके शरीर का कोई भी अंग अभी लटका हुआ नहीं था क्योकि उसने किशन के बाद और बच्चे पैदा नहीं किये रघुवीर अब बुढा हो चुका था और राम्मो देवी के साथ नहीं सो ता था,,,,

राममो: ठीक है बेटा मैं तेरे बापू जी को समझा दूँगी की किशन की शादी कुछ और दिनों के बाद कर देंगे


,,, किशन खुश होकर जाने लगता है और फिर अपनी माँ को देखकर एक मुस्कान देता है और चला जाता है रमो सोचने लगती है कि उसका बेटा कितना नादान है कितना मासूम है जो कुछ नही जनता उसे कैसे पता चलेगा कि शादी के बाद दुल्हन के साथ क्या करते है,,

,, और अब किशन गाँव में अपने मित्र के पास जाता है जिसकी शादी हो चुकी थी। किशन अपने मित्रो को पहले भी मिलता था परन्तु कोई भी भी उसके सामने शम्भोग क्रिया की बातें नहीं करता था क्योंकी किशन की कैद कठि को देख कर ही सभी को पसीने छूट जाते थे किशन अपने एक मित्र के घर पहुँच कर बाहर से ही आबाज देता है और। उसका मित्र जिसकी शादी को कुछ ही। दिन हूए थे। वाहार आता है।

किशन: तुझसे कुछ पूछना है मुझे

मित्र: बोल क्या बात है।

किशन: हिचकिचाते हूए,,,, यार मेरी शादी होने वाली है और मुझे कुछ नहीं पता की शादी के बाद क्या और कैसे रहते है।

,,, मित्र उसकी चिंता नहीं करीए मैं तुम्हे एक पुस्तक देता हूँ जिसमें तुम्हारे सारे सबालो के जबाब है और किसी को कुछ पूछना भी नहीं पड़ेगा,,,

किशन का मित्र उसे एक पुस्तक देता है और किशन वह पुस्तक लेकर अपने घर की और चल देता है।

,,, उधर रामो देवी अपने पति रघुवीर को किशन की शादी ना करने की बात बता देती है और किशन की बात से सहमत होकर रघुवीर अपने मित्र रामु के पास जाता है उसे बताने के लिए की गीता बेटी की शादी कुछ और दिन के बाद करे रघुवीर घर से निकल कर सीधा पंडित जी के पास जाता है जहाँ रामु के साथ रजनी और गीता भी आने वाले थे।,,,,

,,, किशन को उस पुस्तक को पड़ने की बड़ी जिगियाशा हो रही थी आज वह जानना चाहता था की क्या है जो सभी को शादी करना जरूरी होता है और फिर शादी के बाद स्त्री के साथ किया क्या जाता है यही सब सोचते हुए किशन अपने घर में प्रवेश करता है और अपनी माँ को सामने झाड़ू लगता देख पुस्तक अपनी कमर के पीछे छुपा लेता है। और सीधा घर के पीछे बनी जोपड़ी मे चला जाता है।,,,

,, रामो उसे कमर के पीछे पुस्तक छुपाते देख लेती है और बह मन में,,, क्या छुपा रहा है किशन मुझसे क्या है उसके हाथ मे और फिर झाड़ू लगाने के बाद घर के अंदर चली जाती है,

,,, किशन अपने चारपाई पर बढ़ता है और जैसे ही पुस्तक का पहला पन्ना पलटता है। उसकी आँखो में तारे घूम जाते हैं। वह केवल चित्र में अकिर्ति देखकता है और उसके नीचे लिखी लेखनी को पढ़ना भूल जाता है। और फिर दुसरा पन्ना पलटता है और उसके बाद उसको अपने शरीर में रक्त का संचार तेजी से होता मेहसूश होता है। चित्र में स्त्री की योनि में एक पुरुष अपना लिंग डाल रहा था और उसके नीचे क्रिया के बारे में लिखा हुआ था। दूसरी चित्र में एक पुरुष स्त्री के स्तनो का मर्दन कर रहा था।। किशन ने यह सब पहली बार देखा था और उस चित्र में स्त्री के नग्न अवस्था को देखकर सोच मे पड़ जाता है की स्त्री नग्न होकर कैसी लगती है।

,,, किशन चित्र में खो जाता है और आज पहली बार उसके लिंग मे उसे बहुत पीड़ा होती नज़र आती है। चित्र में बनी हुऐ पुरुष और स्त्री क्या कर रहे है यह सोचकर उसका सर चक्रा जाता है और किशन वह किताब अपने तकिये ke नीचे छुपा कर बाहर चल देता है। और बाहर जाकर घर में बने पेशाब घर मे ना जाकर जंगल में चला जाता है,,,

,, किशन को जाता देख रामो झोपड़ी में जाती है। और कुछ ढूँडने लगती है और उसे तकिये के नीचे रखी पुस्तक मिल जाती है। रामो यह कैसी किताब है और उसे खोलने लगती है। उसमे बने चित्र को देख रामो देवी को बड़ी शर्म मेहसूस होती है और बह उस किताब को बही तकिये के नीचे रख देती है। रामो देवी मुस्कुरा कर चली जाती है,,,

,, तो क्या किशन अब ये सब देखेगा,,,,
 

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,,, उधर रामु गीता और रजनी के साथ पंडित जी के पास जाने की तय्यारी कर रहा था। और तभी उसे रघुवीर आता दिखाई देता है।

,,,रघुवीर कैसे हो मित्र,, रामु मैं ठिक हूँ किशन और भाभी जी को साथ नही लाये क्या बात है।

रघुवीर : मित्र किशन अभी शादी करना नहीं चाहता उसे कुछ और समय लगेगा मनाने मे इसलिए मैं तुमसे माफ़ी चाहता हूँ लेकिन मै बचन देता हूँ कि किशन कि शादी गीता के साथ ही होगी।

रामु: मित्र मगर पंडित जी के अनुसार यह शादी आज ही होनी चाहिए नहीं तो कुछ ना कुछ अनहोनी हो सकती है।

,, माफ करना मित्र मगर मुझे दो दिन का समय चाहिए,,


,,,, रघुवीर की बात सुनकर रामु का दिल टूट गया था और अब बह बड़े ही उदास होकर रघुवीर से कहता है,,

रामु: रघुवीर मित्र मैं तो पंडित जी के पास जा ही रहा था अपनी बेटी और पत्नी के साथ परन्तु अब यह शादी नहीं हो सकती इसलिए तुम जाते समय उनसे यह बता देना।।

,,, रामु को उदास होता देख रघुवीर उसे गले लगा लेता है और फिर वहाँ से चला जाता है।

,,, रामु और रघुवीर इस बात से अंजान थे की उनकी हर गति बिधि पर कोई नज़र जमाए हुए है और वह थे वीर सिंह के वफ़ा दार काली और हरियां जो रामु के घर पर नज़र रखे हुए थे रघुवीर के घर से जाते ही वह दोनों इस बात की सूचना अपने मालिक वीर सिंह को देने के लिए चले जाते है।,,,,

,,, किशन कुछ देर में घर बापस आता है और वह देखता है कि उसकी माँ पशुओं को चारा डाल रही है। किशन को देखते ही रामो देवी उसके पास आती है और किशन से,,,

रामो देवी: कहाँ गया था इतनी देर से और तेरी आँखों में लाली क्यू हैं।

किशन: कहीं नही माँ अपने मित्र से मिलने गया था।

,,, रामो देवी देखती है की किशन कुछ परेशान नज़र आ रहा है और उसकी आबाज मे भी कंपन हैं उसे चिंता थी कि उसका बेटा कहीं गलत राह पर न चला जाए क्योंकी आज तक उसने कोई गलत काम नही किया था जिसके कारण गाँव में उनकी बदनामी हो सभी गाँव वाले रघुवीर और किशन की बहुत इज्जत करते थे रामो देवी के मन में यही विचार थे,,

,, रामो देवी,: बेटा मैं माँ हूँ तुम्हारी नौ महीने अपने पेट में रखा है तुम्हे मै तुम्हारी आँखो में देख सकती हूं कि तुम बहुत परेसान हो क्या बात हैं बता मुझे अगर तुझे शादी की चिंता है तो मत करो शादी हम तुझे दोबारा नहीं कहेगे।

,,,,किशन किशन अपना सर उपर कर अपनी माँ को देखता है और उसकी नज़र रामो देवी के तिर् से निकले हुए स्तनो पर जाती है जो धोती और बलौच के अंदर से भी चार इंच वाहार निकले हुए नज़र आ रहे थे उसे देखते ही किशन को चित्र में देखी नग्न स्त्री याद आती है और उसका लिंग फिर से अकड़ जाता है। किशन की नज़र वहाँ आकर तिक् जाति है और बह भूल जाता है की जिसे वह देखे जा रहा है बह उसकी माँ हैं।

,,, किशन को इस प्रकार अपने वक्षो को घूरता देख रामो देवी को वहुत शर्म मेहसूस होती है और सोच रही थी की आज से पहले इस प्रकार की हरकत किशन ने कभी नहीं की आज इस प्रकार की नीच हरकत क्यो कर रहा है सायद उस पुस्तक के कारण। और रामो देवी उसे गुस्से से देखते हुए चिल्लाती हैं,,,।।

रामो देवी: किशन....... न.. क्या हुआ हैं तुझे,,,

,,, किशन जैसे होश में आता है और हड़बड़ा कर कुछ न न नहीं माँ और सीधा अंदर चला जाता है,,,

,,, रामो देवी बेशर्म वतम्मीज,,,और अपने काम करने लगती है,, किशन,, यार ये क्या किया मैंने बो मेरी माँ हैं।, मुझे तो भगवान भी कभी माफ नही करेगा यह सब उस पुस्तक के कारण हुआ है मै उसे जला दूँगा।,,,

,, किशन बह पुस्तक लेकर झोपड़ी से बाहर आता है और उसे जला ने लगता है यह सब करता देख रामो देवी उसे देख लेती है और उसके पास जाती है।।

रामो देवी: ये क्या किया तूने क्या है बो जो तूने जलाया


,,,,, किशन चुप चाप नीचे बैठा पुस्तक जला रहा था और रामो देवी की किसी भी बात का कोई उत्तर नहीं देता है। उसे गुम सूम देख रामो देवी उसके पास जाती है और उसके कंधे पर एक हाथ रखकर उसे पीछे को करती है।,,,,,,,

,,, किशन जैसे अपना सर उठता है। रामो देवी देखती है की उसकी आँखो में आंसू हैं और वह रो रहा है। किशन को अपनी गलती का आभाष था और उसकी आँखो में आंसू पछतावे के थे किशन अपनी माँ के पर पकड़ कर रोते हुए कहता है।

किशन: मुझे माफ कर दो माँ मैंने जो पाप किया हैं उसके लिए तो मुझे भगवान भी माफ नही करेगा मगर तु चाहे तो मेरी जान भी लेले मैं उफ़् तक नही करूँगा

,,, अपने बेटे को इस प्रकार रोता देख रामो देवी का दिल दहल् जाता है उसका बेटा एक बहादुर इंसान था
और उसने उसे इस प्रकार रोते हुए कभी नहीं देखा था,,,

,, रामो देवी उसे उपर को उठाने की कोशीश करती है और किशन उपर उठता है और अपनी माँ को देखकर अपनी गरदन नीचे कर लेता है,,,

रामो देवी: बेटा मै तुझे इस प्रकार रोते हुए कभी नहीं देख सकती तु ही तो हमारे बुढ़ापे का सहारा हैं मेरे लाल,,, और उसे गले लगा लेती है उसके गले लगते ही किशन को उसके ठोस वक्ष अपने शरीर में मेहसूस होते हैं और किशन रोते हुए।

किशन: माँ इस पुस्तक के कारण यह सब हुआ था इस लिए मैंने इसे जला दिया

रामो देवी;: सब जानती थी इसलिए फिर भी वह किशन की बाहों में लगी पूछती है क्यू क्या था इस पुस्तक में

किशन: कुछ नही माँ और किशन अपनी माँ को छोड़ कर खेतों में जाने का बहाना बना कर घर से चला जाता है।
 
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