Update: 11..
,,,, सुबह की पहली किरण के साथ चिड़ियों के चहकने की आबाज होती है,,,, और अभी गाँव के लोग अपने अपने खेतों की ओर चल देते हैं,,,,,,
,,,,, एक घने जंगलों में दूर ना जाने क्यू बादलों मे चीलो और कोबो का एक झुंड बहुत तेज आबाज के साथ,,, मंडरा रहा था,,, और कुछ कुत्तो के भोकने की भी आबाज आ रही थी,,,,, जंगल में काम करने वाले किशानो की नज़र जब उन पर जाती है तो,,,,
,,,, एक किशान अरे ये चील्,, और कोए क्या है बहा,,,, सभी खेतों में काम कर रहे किशान उस ओर चल देते हैं,,, जैसे ही वहाँ पहुँचते हैं,, तो देखते हैं की तीन लोगो की लाश एक गहरे गधे मे पड़ी हुई है,,,
,,,, एक व्यक्ति उनमें,,, अरे ये तो अपने रघुवीर काका है,,,,
,,, हाँ भाई लग तो ऐसे ही रहे हैं,,,,, चलो निकालते है उन्हे,,,, सभी किशान एक दूसरे की मदत से उन तीनो की लाश को निकाल लेते हैं और,,,, काली और हरियां की लाश को देखकर पहचान करते हैं,,,,,
,,,,,, उन सभी किशानो मे से एक लड़का बहुत तेज गति से भागता हुआ गाँव की ओर जाता है,,,,
,,,, और इधर रामो देवी जो की नींद की झपकी लेते हुए दरबाजे से उठ कर घर के अंदर जाती है और घर में झाड़ू लगती है,,,,
,,,,, की एक लड़का बहुत तेज गति से भागता हुआ घर के अंदर आता है,,,,, उसकी साँसे दोगुना गति से चल रही थी,,,,,
,,,,, लड़का,,,, काकी,,, काकी,,,,, बो रघुवीर काका को,,,,,,
,,,, काका को क्या,,,, बेटा,,,,, बोल ना क्या हुआ तेरे काका को,,,,,,
,,,,,, काकी बो रघुवीर काका की किसी ने हत्त्या कर दी है,,,, और उनकी लाश पुराने बर्गद् के पेड़ के पास एक खाई मे पड़ी है,,,,,,
,,,,, रामो देवी यह सुनते ही दंग रह जाती है और उसके हाथो से झाड़ू नीचे गिर जाती है,,,, और वह अपना सर पकड़ते हुए नीचे गिर जाती है,,,,,,
,,, हे भगवान तूने ये क्या किया,,,, मै तो बर्बाद हो गई,,,, भगवान,,,, रामो देवी अपना सर पकड़ते हुए रोने लगती है,,,,,,
,,,, तभी ये खबर आस पास के सभी गाँव में हवा की तरह फैल जाती है,,,
,,,, कुछ देर बाद सभी गाँव वाले रघुवीर,, और काली हारिया की लाश को उठाकर गाँव में ले आते हैं,,,, खूंन मे लाल हो चुकी रघुवीर की लाश को उठाकर उसके घर लाया जाता है,,,, और सभी गाँव के लोग आस पास के सभी पंचायत को बुलाने का निर्णय लेते हैं,,,,,
,,,, रघुवीर की लाश को उसके घर लाया जाता है,, रामो देवी अभी भी सर पकड़ते हुए रो रही थी और जैसे ही रघुवीर की लाश उसके सामने आती है,,,, रामो देवी उसे देखते ही बेहोश होकर नीचे गिर जाती है,,,,
,,,,, सभी गाँव बालो ने शाम को पंचायत बुलाने का निर्णय लिया था,,, और उसके पहले सभी गाँव वाले रघुवीर के शरीर का अन्तिम संस्कार करने की तय्यारी में लग जाते हैं,,,
,,,,,, रामो देवी को उठाकर एक चारपाई पर लेटाया जाता है,,,, वह अभी भी बेहोश थी,,,, और उधर किसी,,, से खबर मिलते ही किशन भागता हुआ अपने घर आता है,,,,,,,,
,,,,, किशन अपने बापू की लाश देखकर उसके सीने पर गिर जाता है और रोते हुए,,,,, बापू तेरी कसम खा कर कहता हूँ जिसने भी तुम्हारा ये हाल किया है मै उसे जिंदा नहीं छोडूंगा,,,,, और तेज तेज रोने लगता है,,,,
,,,,, कुछ देर में रामो देवी होश में आती है और अपने बेटे किशन पर उसकी नजर जाति है,,, किशन को देखकर रामो देवी को थोड़ा सा सुकूंन मिलता है और अब उसकी नजरे केवल किशन पर ही टीकी हुई थी,,,,
,,,,, किशन अपने माँ से बहुत नाराज् था और उसे अपनी माँ के द्वारा किया गया अपमान बहुत खल् रहा था जिसकी वजह से उसने अपनी माँ के प्रति अपने मन में नफ़रत भर ली थी,,,,, वह रामो देवी को देखना भी नहीं चाहता था,,,,,,
,,,,, किशन की आखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे अपने मरे हुए बापू की सूरत देखकर उसे बचपन से लेकर जबानी तक के सारे दिन याद आ रहे थे,,,,, कैसे उसके बापू ने उसे बचपन से लेकर आज तक पाला है और खुद भूखा रहकर उसे बादम् मेवे खिलाकर एक पहलवान बनाया है,,,, और आज उसके इतना शक्तिशालि होने के बाद भी उसके बापू की सूरत खून में रंगी हुई उसके नज़रो के सामने पड़ी है और वह कुछ नहीं कर सका अपने बापू के लिए।।
,,,,, किशन धिक्कार है मेरी जिंदगी पर धिक्कार है,, मेरे पहलवान होने पर जो मैं अपने बापू के लिए कुछ नहीं कर सका,,,, मगर तेरे इस खून की कसम बापू तेरी इस हत्तिया का बदला मै उस पापी के खून से लूँगा जिसने तेरा ये हाल किया है,,,,,,
,,,, रघुवीर की अर्थी तयार हो गया था और अब सभी गाँव बाले गंगा मैय्या की जय जय कार करते हुए अर्थी उठाते हैं,,, तभी रामु रोता हुआ वहाँ आता है और,, किशन को गले लगाकर रोते हुए कहता है कि रघुवीर का हत्यारे वीर सिंह है,,,, और रामु सभी गाँव बालों को गीता के प्रति वीर सिंह के नीच विचारों के बारे में बता देता है,,, सभी गाँव बालों को अब ये यकीन हो गया था कि रघुवीर की हत्तिया वीर सिंह ने ही की है,,,,
,,,, रामु की बात सुनकर किशन को बहुत गुस्सा आता है और वह अपने आप पर काबू नहीं कर पता किशन गुस्से में घर के अंदर जाता है और एक बड़ी सी कुलाहदी लेकर बाहर आता है,,,,
,,,,,,, मै उस जिंदा नहीं छोडूंगा,,,,,,, और चिल्लाते हुए बाहर जाने ही बाला था कि रामो देवी भागती हुई आती है और किशन का हाथ पकड़ लेती है,,,,,,
,,,,,, नही बेटा रुक जा,,,,, मै तुझे नहीं जाने दूँगी,,,,,, अगर तुझे कुछ हुआ तो मै किसके सहारे जिउँगी मेरे लाल,,,,
,,,, हट जाओ माँ,,,, मेरे रास्ते से और आप को मेरे जीने या मरने से क्या फर्क पड़ता है,,,,,,
,,,, नही मेरे लाल ऐसा नहीं बोलते,,, विधवा तो मै हो ही चुकी हूँ,,, अब मुझे बेसहारा न बना,,,,,
,,, किशन,,,, अपनी माँ के हाथ को अपने कंधे से हटा देता है और अपनी गर्दन दूसरी ओर घूमा लेता है,,, अपने बेटे की अपने प्रति इतनी नफरत देख रामो देवी का दिल टूट गया था और बस असूं बहाये जा रही थी,,,,
,,, पास हि मे खड़ा रामु उन दोनों की बातें सून रहा था रामो देवी को रोता हुआ देख रामु,,, किशन बेटा यह समय होश गवाने का नहीं है,,, तुम्हे अपने बापू का अन्तिम संस्कार करना है और इस समय यही तुम्हारा करत्व है,,,
,,,,, रामु की बातें सुनकर किशन अपने बापू की लाश को देखने लगता है और फिर अपनी माँ को गुस्से से देखते हुए हाथ में पकड़ी कुल्हाड़ी को फेक देता है,,,
,,,, और रामु की ओर देखते हुए,,, मगर रामु काका मैं वीर सिंह को छोडूंगा नहीं,,,,, और अपने बापू की अर्थी को कंधा देते हुए चलने लगता है,,, सभी लोग गंगा मैय्या की जय जय कार करते हुए रघुवीर के शव को ले जाते हैं,,,,
,,,, रामो देवी चुप चाप खड़ी आँखों में आँसू लिए बस किशन को ही देख रही थी और कुछ देर बाद किशन उसकी नज़रो से ओझल हो जाता है,,,,,,
,,, सभी गाँव वाले रघुवीर के शव को लेकर गंगा घाट पर आ जाते हैं और उसके दह्ह् संस्कार की तय्यारी करते हैं,,,,,,,
,,, दूसरी तरफ गाँव की सभी औरते रघुवीर के घर पर,,,, रामो देवी के सभी सिंगार उतारने लगती है,,,,