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Incest Bete se ummeed,,

Rajkurjii

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Bhai please please please please please please is kahani ko pura kijiye
इस समय बहुत फाइनैंशल प्रॉब्लम चल रही है अपने आप को कर्ज से मुक्त करना चाहता हूं जिसकी वजह से बिल्कुल भी कहानी लिखने का मन नहीं होता अगर ऊपर वाले ने साथ दिया तो मैं कहानी जरूर पूरी करूंगा
 

Rajkurjii

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Update := 64

" तो दोस्तों लिए कहानी को आगे बढ़ते हैं..

,, गीता के घर में मातम छाया हुआ था आंखों में नींद दूर-दूर तक नहीं थी,, और सूर्य उदय होने का सभी इंतजार कर रहे थे,, इतने बड़े हादसे के बारे में,, किशन को अभी कुछ भी नहीं पता था, केवल अपनी मां के पीछे दीवानों की तरह घूम रहा था उसे इंतजार था कि,, कब उसकी मां उसे अपना बह अनमोल,, खजाना, उसे सौंप देगी जिस आज तक उसके बाप ने नजर भर कभी नहीं देखा था वह तो साड़ी में कैसी हुई रामू देवी की,,, उसे अनमोल चीज पर नजरे जमाए हुए था,,

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,, उसे हिस्से पर नजर पढ़ते ही,, किशन की,,,दिल की धड़कन बढ़ जाती थी,, उसे अपने लिंग में पहले से ज्यादा तनाव महसूस होता था,,, वह समझ नहीं पा रहा था कि उसे इस प्रकार की उत्तेजना क्यों हो रही है,,, क्या पीछे से करने में ज्यादा मजा आता है यही लालसा उसके मन में बार-बार थी,,,


,,, परंतु रामो देवी,, का घबराहट की वजह से गला सूख आया था,, और उसका पति किशन उसकी वजह से उससे बात भी नहीं कर रहा था,, वह अपनी हर कुर्बानी देकर अपने बेटे को मनाना चाहती थी,, क्योंकि अब किशन की नाराज़गी रामो से भी से बर्दाश्त नहीं होती थी,, किशन के सामने सर झुका कर खड़ी थी उसे इंतजार था कि शायद किसी अनुज से बात करेगा,, परंतु किशन उससे कुछ भी बात करने के लिए तैयार नहीं था,, वह अपनी मां से कुछ भी बात नहीं करता और उसे नजर अंदाज करते हुए घर से निकल जाता है,, रामादेवी दौड़ती हुई अपने बेटे के पीछे जाती है परंतु वह उसे,, रात के अंधेरे में देखा नहीं पाती और वह अचानक ही घर से निकल जाता है,,,

,,, अब कृष्ण की मां को बहुत घबराहट हो रही थी वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या करें,, उसे अपनी गलती का पछतावा भी हो रहा था कि शायद वह अपने बेटे को नाराज नहीं करती शादी में जो उसने अपने बेटे को नाराज किया था यह उसी का परिणाम था,, मन में यही विचार चल रहे थे कि इतनी रात को किशन कहां गया होगा,,, अचानक ही उसकी आंखों से आंसू निकल आते हैं और वह यही सोच रही थी कि शायद उसका बेटा वापस आ जाए,,, किशन के गुस्से से वह अच्छी तरह वाकिफ थी उसे पता था कि किशन पहले भी ऐसी हरकत कर चुका है,,, अब उसने अपने दिल को तसल्ली देते हुए मन बना लिया था कि अगर उसका बेटा आएगा तो वह उसे अपना पिछवाड़ा सौंप देगी,, चाहे उसे कितना भी दर्द बर्दाश्त करना पड़े लेकिन वह अपने बेटे को अब नाराज नहीं करेगी,,,

,, घर के अंदर जाती है और मन में कुछ सोचते हुए अपना सिंगर करने लगती है,, एक सुंदर लाल जोड़ा पहनकर वह दुल्हन की तरह सस्ती है और अपने होठों को अच्छी तरह रंग लेती है,,, उसे यह विश्वास था कि शायद उसका बेटा उसे इस रूप में देखकर अपना गुस्सा छोड़ देगा,, मैं जानती थी कि किशन शायद एक बार घर पर जरूर आएगा,, दुल्हन की तरह सच समझकर वह किशन का इंतजार कर रही थी परंतु काफी समय बीतने के बाद भी किशन घर पर नहीं लौटा,,, दुल्हन की तरह सजी वह इंतजार करती रहती है परंतु सुबह होने तक भी की संघार तक नहीं लौटा,, अंत में न जाने कब उसकी आंख लगती है और वह नींद के आगोश में चली जाती है,,,

,,, सुबह के 5:00 अचानक से दरवाजा खटखटाना से रामू देवी की आंख खुलती है तो वह देखी है कि कोई दरवाजा पीट रहा है,, जैसे ही वह बाहर जाती है दरवाजा खोलकर देखी है तो उसे सामने उसका पति किशन नजर आता है,,, ना चाहते हुए भी उसके चेहरे पर एक मुस्कान फैल जाती है और दुल्हन की तरह सजी अपनी मां को देखकर किशन अपना होश खो बैठता है,,,

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,, वह देखता है कि सामने उसकी मां खड़ी हुई दरवाजा खोलकर शर्मा रही है,, यह नजारा देखकर कृष्ण के होश उड़ जाते हैं,,, कुछ समय के लिए उसकी नज़रें अपनी मां की सुंदर चेहरे पर टिक जाते हैं,,, किशन कुछ देर के लिए उसका चेहरा निहारता रहता है,,, परंतु से समझ नहीं आ रहा था कि आज उसकी मां ने दुल्हन का जोड़ा पहनकर यह सब क्यों किया है,,, अचानक ही कृष्ण के मन में कुछ आता है और वह दरवाजे को धक्का देखकर अंदर गुस्से में चला जाता है,,, यह सब देखकर रामू देवी का दिल टूट जाता है और वह,,, दौड़कर किशन को पीछे से अपनी बाहों में भर लेती है,,,

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रामो := और कितना तड़पाओगे मुझे,,, आखिर ऐसा भी क्या कसूर है मेरा जो आप इतने नाराज हो मुझसे,,, ( लंबी सांस लेते हुए,),,

,, किशन अपना गुस्सा जाहिर करते हुए उसकी और मुड़ जाता है और गुस्से में,,

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किशन :- तुम सब जानती हो मैं क्यों नाराज हूं तुमसे,, वहां पर औरतों के साथ मेरी किल्ली उड़ा रही थी और अब प्यार दिख रही है,,, अगर मैं शादी की है तो पत्नी के हर अंग पर पति का हक होता है,, तुम तो हमेशा मुझे नाराज ही करती हो,,, मेरी खुशी का कहां ध्यान रहता है तुम्हें,,,

रामो :- मैं आपके हाथ जोड़ती हूं ' गुस्सा छोड़ दीजिए आप जो कहेंगे मै वही करूंगी,, आपने खाना भी नहीं खाया है कल से और भूखे ही गुस्सा कर रहे हो,,, मैं आपसे हाथ जोड़कर माफी मांगती हूं,,,

,, किशन की मां हाथ जोड़ी किशन से माफी मांग रही थी और उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे वह अपनी बेटी को हर हाल में मना लेना चाहती थी,,, अपनी मां की आंखों में आंसू देख कर किशन का दिल भी बासी जाता है,,, और वह नरम स्वभाव में होकर,,

किशन,,:- अब मैं यह तो नहीं कहा कि तुम रोना शुरू कर दो तुम जानती हो कि तुम्हारी आंखों में यह आंसू मुझे अच्छी नहीं लगती,,,

रामो :-- आप खाना खा लीजिए मैं खाना बनाती हूं आपकी हर इच्छा में पूरी करूंगी,,,

,,, किशन उसके करीब जाकर उसकी आंखों में देखते हुए कहता है

किशन,,:- मुझे जो चाहिए क्या वह मुझे देगी,,,

,, रामू का दिल एक बार फिर से धड़कने लगता है उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती है यह सोचकर कि उसका बेटा उससे पीछे की लेने की बात कर रहा है,,, परंतु अपने बेटे की नाराजगी खत्म करने के लिए वह हिम्मत करके अपने बेटे के कंधे से लेकर रहती है,,

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रामो :- हां मैं आपकी हर इच्छा पूरी करूंगी मैं दूंगी वह आपको जो आप चाहते हो,,, अब मैं खाना बनाती हूं आप पहले खाना खा लीजिए,,, जी,,,

,, इतना कह कर रामू देवी किचन की ओर जाने लगती है,,, किचन की ओर जाते देखकर कृष्ण के दिल की धड़कन है अपनी मां की साड़ी में छुपे खजाने को देखकर और बढ़ जाती है वह लगातार अपनी मां के पीछे के हिस्से को गौर जा रहा था उसकी मां के चलने से साड़ी में छुपे नितम्भ अलग-अलग दिशा में छलक रहे थे,,,

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,, किशन की नजरे अपनी मां के पिछवाड़े से है नहीं रही थी,, कुछ आगे चलते ही रामादेवी अचानक मुड़कर अपने बेटे को देखते हैं,,, तो पाती है कि उसका बेटा अपने लिंग को कपड़े के ऊपर से ही शहर आ रहा है और उसकी नज़रें उसके पिछवाड़े पर टिकी हुई है,,, यह देखकर रामादेवी का शरीर कांप जाता है,, बह तुरंत ही अपनी नज़रें घुमा लेती ह,,, और लंबी सांसों से चलते हुए जल्द से जल्द रसोई में पहुंच जाती है,,, वहां जाकर पहले वह अपनी सांसों को सही करती है और एक गिलास पानी लेकर एक ही बार में उसे घटक जाती है,,, फिर अपने मन ही मन में विचार करती है,,

,, हे भगवान कैसे ले पाऊंगी मैं इतना बड़ा,,, मैंने तो पहले कभी वहां लिया भी नहीं है,,,

,, यह सोचते हुए वह खाना बनाने में लग जाती है कि कृष्ण के लिए खाना बनाकर जल्द से जल्द आएगी,,, किशन से लेकिन बर्दाश्त नहीं हो रहा था वह अपने लिंग को मसलते हुए किचन में ही पहुंच जाता है और किचन के दरवाजे पर खड़ा होकर अपनी मां के पिछवाड़े को खोलने लगता है,,, मन ही मन विचार कर रहा था कि जब उसका लिंग उसकी मां के पीछे जाएगा तो उसे कितना आनंद मिलेगा क्या योनि से ज्यादा मजा गुदा में आता है यही विचार उसके मन में चल रहे थे मैं एक बार अपनी मां की गुड़ा का मजा लेना चाहता था,,, अचानक से रामू देवी के कानों में कुछ सुरसुराहट पड़ती है तो वह मुड़कर देखती है,, किशन दरवाजे पर खड़ा हुआ उसके पिछवाड़े को घर रहा है और अपना लिंग सहला रहा है,,,

,,, साड़ी में कैसे हुए अपने पिछवाड़े को है लाख कोशिश के बाद भी छुपा नहीं पा रही थी उसके नितंब इतने बड़े थे कि कोई भी देख कर दीवाना हो जाए,, किशन को देखने के बाद फिर से उसे घबराहट होने लगती है उसे ऐसा लगता है कि जैसे हिरण के सामने,, शेर आ गया हो और उसे अपनी जान का खतरा हो मन ही मन वह घबरा रही थी परंतु इस बार उसने अपने बेटे को नाराज न करने की कसम खा ली थी,,

,, क्यों इतनी उतावले हो रहे हो जी आप आज मैं आपको यह दे दूंगी,,,,, इतनी इच्छा हो रही है इसमें क्या है ऐसा जो आप इतने पागल हो रहे हो,,,

,, परंतु किशन से बर्दाश्त नहीं होता और वह पीछे से जाकर अपनी मां को जकड़ लेता है,,,

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,, किशन देखा है कि उसकी मां बहुत ज्यादा घबरा रही है,, परंतु है,,


,, किशन अपने खड़े हुए लिंग का दबाव अपनी मां के पिछवाड़े पर देता है,, अपने पिछवाड़े पर लोहे की तरह सख्त चीज महसूस होते ही रामू देवी का शरीर कम जाता है ऑर्डर की वजह से,, उसकी योनि से पेशाब की दो बूंदें टपक जाती हैं,, जो रामू देवी को अच्छी तरह महसूस होता है की दर की वजह से उसका पेशाब निकल रहा है
 

Rajkurjii

New Member
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Bhai Aap ki story is xform ki best kahani hai please is kahani ko complete kigiye
बहुत जल्दी से पूरी करने की कोशिश करूंगा भाई,, अगर समय ने साथ दिया तो जल्द ही यह स्टोरी पूरी हो जाएगी
 

Abhi32

Well-Known Member
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Update := 64

" तो दोस्तों लिए कहानी को आगे बढ़ते हैं..

,, गीता के घर में मातम छाया हुआ था आंखों में नींद दूर-दूर तक नहीं थी,, और सूर्य उदय होने का सभी इंतजार कर रहे थे,, इतने बड़े हादसे के बारे में,, किशन को अभी कुछ भी नहीं पता था, केवल अपनी मां के पीछे दीवानों की तरह घूम रहा था उसे इंतजार था कि,, कब उसकी मां उसे अपना बह अनमोल,, खजाना, उसे सौंप देगी जिस आज तक उसके बाप ने नजर भर कभी नहीं देखा था वह तो साड़ी में कैसी हुई रामू देवी की,,, उसे अनमोल चीज पर नजरे जमाए हुए था,,

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,, उसे हिस्से पर नजर पढ़ते ही,, किशन की,,,दिल की धड़कन बढ़ जाती थी,, उसे अपने लिंग में पहले से ज्यादा तनाव महसूस होता था,,, वह समझ नहीं पा रहा था कि उसे इस प्रकार की उत्तेजना क्यों हो रही है,,, क्या पीछे से करने में ज्यादा मजा आता है यही लालसा उसके मन में बार-बार थी,,,


,,, परंतु रामो देवी,, का घबराहट की वजह से गला सूख आया था,, और उसका पति किशन उसकी वजह से उससे बात भी नहीं कर रहा था,, वह अपनी हर कुर्बानी देकर अपने बेटे को मनाना चाहती थी,, क्योंकि अब किशन की नाराज़गी रामो से भी से बर्दाश्त नहीं होती थी,, किशन के सामने सर झुका कर खड़ी थी उसे इंतजार था कि शायद किसी अनुज से बात करेगा,, परंतु किशन उससे कुछ भी बात करने के लिए तैयार नहीं था,, वह अपनी मां से कुछ भी बात नहीं करता और उसे नजर अंदाज करते हुए घर से निकल जाता है,, रामादेवी दौड़ती हुई अपने बेटे के पीछे जाती है परंतु वह उसे,, रात के अंधेरे में देखा नहीं पाती और वह अचानक ही घर से निकल जाता है,,,

,,, अब कृष्ण की मां को बहुत घबराहट हो रही थी वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या करें,, उसे अपनी गलती का पछतावा भी हो रहा था कि शायद वह अपने बेटे को नाराज नहीं करती शादी में जो उसने अपने बेटे को नाराज किया था यह उसी का परिणाम था,, मन में यही विचार चल रहे थे कि इतनी रात को किशन कहां गया होगा,,, अचानक ही उसकी आंखों से आंसू निकल आते हैं और वह यही सोच रही थी कि शायद उसका बेटा वापस आ जाए,,, किशन के गुस्से से वह अच्छी तरह वाकिफ थी उसे पता था कि किशन पहले भी ऐसी हरकत कर चुका है,,, अब उसने अपने दिल को तसल्ली देते हुए मन बना लिया था कि अगर उसका बेटा आएगा तो वह उसे अपना पिछवाड़ा सौंप देगी,, चाहे उसे कितना भी दर्द बर्दाश्त करना पड़े लेकिन वह अपने बेटे को अब नाराज नहीं करेगी,,,

,, घर के अंदर जाती है और मन में कुछ सोचते हुए अपना सिंगर करने लगती है,, एक सुंदर लाल जोड़ा पहनकर वह दुल्हन की तरह सस्ती है और अपने होठों को अच्छी तरह रंग लेती है,,, उसे यह विश्वास था कि शायद उसका बेटा उसे इस रूप में देखकर अपना गुस्सा छोड़ देगा,, मैं जानती थी कि किशन शायद एक बार घर पर जरूर आएगा,, दुल्हन की तरह सच समझकर वह किशन का इंतजार कर रही थी परंतु काफी समय बीतने के बाद भी किशन घर पर नहीं लौटा,,, दुल्हन की तरह सजी वह इंतजार करती रहती है परंतु सुबह होने तक भी की संघार तक नहीं लौटा,, अंत में न जाने कब उसकी आंख लगती है और वह नींद के आगोश में चली जाती है,,,

,,, सुबह के 5:00 अचानक से दरवाजा खटखटाना से रामू देवी की आंख खुलती है तो वह देखी है कि कोई दरवाजा पीट रहा है,, जैसे ही वह बाहर जाती है दरवाजा खोलकर देखी है तो उसे सामने उसका पति किशन नजर आता है,,, ना चाहते हुए भी उसके चेहरे पर एक मुस्कान फैल जाती है और दुल्हन की तरह सजी अपनी मां को देखकर किशन अपना होश खो बैठता है,,,

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,, वह देखता है कि सामने उसकी मां खड़ी हुई दरवाजा खोलकर शर्मा रही है,, यह नजारा देखकर कृष्ण के होश उड़ जाते हैं,,, कुछ समय के लिए उसकी नज़रें अपनी मां की सुंदर चेहरे पर टिक जाते हैं,,, किशन कुछ देर के लिए उसका चेहरा निहारता रहता है,,, परंतु से समझ नहीं आ रहा था कि आज उसकी मां ने दुल्हन का जोड़ा पहनकर यह सब क्यों किया है,,, अचानक ही कृष्ण के मन में कुछ आता है और वह दरवाजे को धक्का देखकर अंदर गुस्से में चला जाता है,,, यह सब देखकर रामू देवी का दिल टूट जाता है और वह,,, दौड़कर किशन को पीछे से अपनी बाहों में भर लेती है,,,

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रामो := और कितना तड़पाओगे मुझे,,, आखिर ऐसा भी क्या कसूर है मेरा जो आप इतने नाराज हो मुझसे,,, ( लंबी सांस लेते हुए,),,

,, किशन अपना गुस्सा जाहिर करते हुए उसकी और मुड़ जाता है और गुस्से में,,

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किशन :- तुम सब जानती हो मैं क्यों नाराज हूं तुमसे,, वहां पर औरतों के साथ मेरी किल्ली उड़ा रही थी और अब प्यार दिख रही है,,, अगर मैं शादी की है तो पत्नी के हर अंग पर पति का हक होता है,, तुम तो हमेशा मुझे नाराज ही करती हो,,, मेरी खुशी का कहां ध्यान रहता है तुम्हें,,,

रामो :- मैं आपके हाथ जोड़ती हूं ' गुस्सा छोड़ दीजिए आप जो कहेंगे मै वही करूंगी,, आपने खाना भी नहीं खाया है कल से और भूखे ही गुस्सा कर रहे हो,,, मैं आपसे हाथ जोड़कर माफी मांगती हूं,,,

,, किशन की मां हाथ जोड़ी किशन से माफी मांग रही थी और उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे वह अपनी बेटी को हर हाल में मना लेना चाहती थी,,, अपनी मां की आंखों में आंसू देख कर किशन का दिल भी बासी जाता है,,, और वह नरम स्वभाव में होकर,,

किशन,,:- अब मैं यह तो नहीं कहा कि तुम रोना शुरू कर दो तुम जानती हो कि तुम्हारी आंखों में यह आंसू मुझे अच्छी नहीं लगती,,,

रामो :-- आप खाना खा लीजिए मैं खाना बनाती हूं आपकी हर इच्छा में पूरी करूंगी,,,

,,, किशन उसके करीब जाकर उसकी आंखों में देखते हुए कहता है

किशन,,:- मुझे जो चाहिए क्या वह मुझे देगी,,,

,, रामू का दिल एक बार फिर से धड़कने लगता है उसके दिल की धड़कन बढ़ जाती है यह सोचकर कि उसका बेटा उससे पीछे की लेने की बात कर रहा है,,, परंतु अपने बेटे की नाराजगी खत्म करने के लिए वह हिम्मत करके अपने बेटे के कंधे से लेकर रहती है,,

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रामो :- हां मैं आपकी हर इच्छा पूरी करूंगी मैं दूंगी वह आपको जो आप चाहते हो,,, अब मैं खाना बनाती हूं आप पहले खाना खा लीजिए,,, जी,,,

,, इतना कह कर रामू देवी किचन की ओर जाने लगती है,,, किचन की ओर जाते देखकर कृष्ण के दिल की धड़कन है अपनी मां की साड़ी में छुपे खजाने को देखकर और बढ़ जाती है वह लगातार अपनी मां के पीछे के हिस्से को गौर जा रहा था उसकी मां के चलने से साड़ी में छुपे नितम्भ अलग-अलग दिशा में छलक रहे थे,,,

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,, किशन की नजरे अपनी मां के पिछवाड़े से है नहीं रही थी,, कुछ आगे चलते ही रामादेवी अचानक मुड़कर अपने बेटे को देखते हैं,,, तो पाती है कि उसका बेटा अपने लिंग को कपड़े के ऊपर से ही शहर आ रहा है और उसकी नज़रें उसके पिछवाड़े पर टिकी हुई है,,, यह देखकर रामादेवी का शरीर कांप जाता है,, बह तुरंत ही अपनी नज़रें घुमा लेती ह,,, और लंबी सांसों से चलते हुए जल्द से जल्द रसोई में पहुंच जाती है,,, वहां जाकर पहले वह अपनी सांसों को सही करती है और एक गिलास पानी लेकर एक ही बार में उसे घटक जाती है,,, फिर अपने मन ही मन में विचार करती है,,

,, हे भगवान कैसे ले पाऊंगी मैं इतना बड़ा,,, मैंने तो पहले कभी वहां लिया भी नहीं है,,,

,, यह सोचते हुए वह खाना बनाने में लग जाती है कि कृष्ण के लिए खाना बनाकर जल्द से जल्द आएगी,,, किशन से लेकिन बर्दाश्त नहीं हो रहा था वह अपने लिंग को मसलते हुए किचन में ही पहुंच जाता है और किचन के दरवाजे पर खड़ा होकर अपनी मां के पिछवाड़े को खोलने लगता है,,, मन ही मन विचार कर रहा था कि जब उसका लिंग उसकी मां के पीछे जाएगा तो उसे कितना आनंद मिलेगा क्या योनि से ज्यादा मजा गुदा में आता है यही विचार उसके मन में चल रहे थे मैं एक बार अपनी मां की गुड़ा का मजा लेना चाहता था,,, अचानक से रामू देवी के कानों में कुछ सुरसुराहट पड़ती है तो वह मुड़कर देखती है,, किशन दरवाजे पर खड़ा हुआ उसके पिछवाड़े को घर रहा है और अपना लिंग सहला रहा है,,,

,,, साड़ी में कैसे हुए अपने पिछवाड़े को है लाख कोशिश के बाद भी छुपा नहीं पा रही थी उसके नितंब इतने बड़े थे कि कोई भी देख कर दीवाना हो जाए,, किशन को देखने के बाद फिर से उसे घबराहट होने लगती है उसे ऐसा लगता है कि जैसे हिरण के सामने,, शेर आ गया हो और उसे अपनी जान का खतरा हो मन ही मन वह घबरा रही थी परंतु इस बार उसने अपने बेटे को नाराज न करने की कसम खा ली थी,,

,, क्यों इतनी उतावले हो रहे हो जी आप आज मैं आपको यह दे दूंगी,,,,, इतनी इच्छा हो रही है इसमें क्या है ऐसा जो आप इतने पागल हो रहे हो,,,

,, परंतु किशन से बर्दाश्त नहीं होता और वह पीछे से जाकर अपनी मां को जकड़ लेता है,,,

378-1000
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,, किशन देखा है कि उसकी मां बहुत ज्यादा घबरा रही है,, परंतु है,,


,, किशन अपने खड़े हुए लिंग का दबाव अपनी मां के पिछवाड़े पर देता है,, अपने पिछवाड़े पर लोहे की तरह सख्त चीज महसूस होते ही रामू देवी का शरीर कम जाता है ऑर्डर की वजह से,, उसकी योनि से पेशाब की दो बूंदें टपक जाती हैं,, जो रामू देवी को अच्छी तरह महसूस होता है की दर की वजह से उसका पेशाब निकल रहा है
Welcome back update bhai
 
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