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Shukriya mahi madam is khubsurat sameeksha ke liyeतेइसवां भाग।।
बहुत ही बेहतरीन महोदय।
जब किसी चीज़ को जानने की तलब मन मे जन्म ले लेती है या यूं कहें कि जब किसी चीज़ को लेकर मन मे शक का बीज पैदा हो जाता है तो इंसान उस शक को दूर करने के लिए हर सम्भव प्रयास करता है और तब तक करता है जब तक उसका शक दूर न हो जाए या फिर उसका शक यकीन में न बदल जाए।। विक्रम के साथ फिलहाल यही हो रहा है। उस दिन की पार्टी के बाद उसके मन में अपने मम्मी पापा और अपने दोस्तों के मम्मी पापा को लेकर जो शक पैदा हुआ वो अभी भी बरकरार है। उसी का नतीजा है कि आज विक्रम ने अपने माँ बाप के कमरे की तलासी लेने की सोची।
बिस्तर के नीचे फर्श पर बिछी कालीन के नीचे विक्रम ने ऐसा क्या देख लिया कि विक्रम की आंखे फैल गई। कहीं ऐसा तो नहीं कि कालीन के नीचे कोई भूमिगत दरवाजा हो जो किसी तहखाने से जुड़ा हो। या फिर कुछ ऐसा दिख गया हो जिसकी उम्मीद उसे नहीं थी।
साथ ही रंजन और सावित्री का चरित्र भी इस भाग में संदेह के घेरे में आ गया है। रंजन किसलिए सावित्री से विक्रम की जासूसी करवा रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि वो अब अपने आपको विक्रम से असुरक्षित महसूस कर रहा हो।। लेकिन वो असुरक्षा किसलिए, कहीं रंजन भी चूत मार संस्था का सदस्य तो नहीं है। सावित्री के साथ लगता है रंजन के नाजायज ताल्लुकात हैं। हो सकता है विक्रम के पापा के सम्बंध भी सावित्री के साथ हों। विक्रम की दुर्घटना के साथ ही उसके पापा भी संदेह के घेरे में हैं लगता है वो भी चूत मार संस्था के सदस्य है या हो सकता है संस्था के सर्वोच्च अधिकारी भी वही हों।।
हो न हो विक्रम के घर मे कुछ तो जरूर है जो चूत मार संस्था से जुड़ा हुआ है। देखते हैं आगे क्या होता है।।
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