घर आके मैंने सबको पूरा वाकया सुनाया सब को एक बार तो यकीन ही नहीं हुआ की ऐसे किस्मत से खजाना मिल सकता है पर मेरे देश में ना जाने ऐसे कितने खजाने दबे पड़े है सदियों से ,सब लोग अपने अपने ख्यालो में डूब से गए थे कहानी थोड़ी फ़िल्मी टाइप हो चली थी पर सच तो ये ही था की उनको खजाना मिला था या फिर उन्होंने माता के खजाने को चुराया था खैर मैंने अगले दिन उस मंदिर को देखने का निर्णय लिया थोड़ी उत्सुकता सी हो चली थी साथ ही वो चबूतरा भी फिर से बनवाना था
बस इंतज़ार था उस रात के बीतने का जब हम उस जगह को देखंगे जहा पर खजाना था पिताजी के व्यक्तित्व का एक अलग ही पहलु देखने को मिला था आज पर वो लालची नहीं थ अगर लालच होता तो अपनों में बंटवारा नहीं करते उस सोने का , पर फिर उस सोने से नफरत सी होने लगी क्योंकि उसकी वजह से आज मेरा परिवार मेरे साथ नहीं था क्या होता जो हमारे पास इतना धन नहीं होता कम से कम माँ की गोद तो होती जब प्यार से वो मेरे सर को चूमती तो मेरी हर परेशानी पल में दूर हो जाती , मेरे सर पर मेरे पिता के प्यार की छत होती जब कभी मैं कमजोर पड़ता तो वो मुझे हौंसला देते
अगले दिन कुछ मजदूरो को लेके हम लोग चल पड़े पहुचे वहा पर उनको चबूतरा बाकायदा इज्जत के साथ बनाने को कहा आखिर मेरा भाई सो रहा था वहा पर मन थोडा भावुक था पर अब कुछ चीजों पर कहा किसका जोर चलता है , उसके बाद हम आगे तो चल पड़े नीनू को ही पता था रस्ते का घनी झाड़ियो पेड़ो से होते हुए करीब दो कोस बाद हम उस मंदिर तक पहुचे पहली नजर में ही पता चलता था की वो शायद अपने अंतिम समय में है मैंने माता को प्रणाम किया बस एक कमरा सा ही था
कमरा क्या एक कोटडा सा था तो मैंने ये अनुमान लगाया की शायद ये खजाना किसी ज़माने में लूटा गया होगा
और फिर यहाँ छुपाया गया होगा लूटने वाले लोग किसी कारण से यहाँ से ना निकाल पाए और ये धरती में दबा रह गया मंदिर को खूब देखा बस साधारण ही था सब वहा पर उसके बाद जैसे रतिया काका ने बताया था पास मेही वो कुआ भी मिल गया हमे अब उसमे मिटटी ही थी बस
मैं- देखो यहाँ था वो सब सोना
उसके बाद हमने आस पास खुदाई की छान बीन की कुछ नहीं मिला सिवाय कुछ सोने के टुकडो के जो शायद निकालते समय इधर ही रह गया होगा कुछ भी हो पर थोडा रोमांच हो रहा था उसके बाद हम लोग वापिस आ गए मैंने मजदूरो से पुछा तो पता चला की दो दिन तो लग ही जायेंगे उसके बाद उनको वही छोड़ के हम वापिस हुए
पिस्ता को शहर जाना था किसी काम से तो वो चली गयी नीनू और माधुरी घर रह गयी मुझे आज ममता से मिलना था उसने कहा था की दोपहर को वो खेत पर मिलेगी तो मैं वहा चल दिया दोपहर का समय था खेतो में दूर तक कोई नहीं दिख रहा था करीब आधे घंटे बाद मैं रतिया काका के खेतो की तरफ पहुच गया ये खेत हमारी तरफ ना होकर गाँव की परली तरफ थे ममता मुझे कुवे पर ही मिल गयी उसने मुझे इशारा किया तो मैं उसके पीछे कमरे में पहुच गया
मैं- यहाँ क्यों बुलाया
वो- बैठिये तो सही जेठ जी
मैं बैठ गया
ममता- जेठ जी मुझे ना बात घुमा फिरा के कहने की आदत नहीं है मैं जान गयी हु की आपके और आपके परिवार के साथ क्या हुआ और आपको आपके गुनेह्गारो की तलास्श है और इस काम में मैं आपकी मदद कर सकती हु
मैं- और इसमें तुम्हारा क्या फायदा है
वो- अब कुछ तो मेरा भी भला होगा ही
मैं- मुद्दे की बात करो
मेरा ऐसे कहते ही ममता मेरे पास आके बैठ गयी और बोली- जेठजी अब आपके किस्से तो पुरे गाँव में मशहूर है और आपको तो पता ही होगा की मेरे पति और ननद का रिश्ता भाई बहन से बढ़ कर कुछ और ही है
ओह तो इसको राहुल और मंजू के बारे में पता था ,
ममता- जेठजी, कुछ दिन पहले मैंने उन दोनों को हमबिस्तर देखा जाहिर है खून तो मेरा बहुत खौला मेरा पति अपनी ही बहन के साथ वो सब कर रहा था जो उसे मेरे साथ करना चाहिए था उसके बाद वो आपकी बाती करने लगे मंजू कह रही थी की वो आपसे सेक्स करेगी क्योंकि उसको आपके साथ बहुत मजा आता है और उसने राहुल को बताया की ..........की
मैं- की क्या
वो- की आपका हथियार भी बहुत लम्बा और मोटा है
मैं- ममता देखो तुम्हे ऐसा नहीं बोलना चाहिए तुम्हारा और मेरा नाता ऐसा नहीं है
वो- जेठ जी, आप के मुह से ऐसी बाते सुनके लगता है कोई आतंकवादी शांति की बात करने लगा हो
रिस्ते नातो की बात आप मत करो , और फिर आपका भी तो फायदा होगा आपको एक और जिस्म चखने को मिलेगा जेठ जी मैं सच में आपके बहुत काम आ सकती हु
मैं- देखो ममता जब तुम इतना खुल ही रही हो तो मैं आपको बता दू की चूत और दारू मैं अपनी मर्ज़ी से यूज़ करता हु वैसे मुझे तुम्हारा बिंदास अंदाज पसंद आया पर पहले तुम मुझे बताओ की तुम्हे इस मामले में क्या पता है
ममता- जेठ जी, मैं आपको सलाह दूंगी की ये जो आपके अपने बने फिरते हैं ना इनसे थोडा दूर रहना ये कब छुरा मार देंगे पता नहीं चलेगा
मैं- तुम्हे ऐसा क्यों लगता है
वो- आपको कुछ बातो का पता नहीं है जेठ जी, मेरे ससुर बहुत ही तेज खोपड़ी है जितना उन्होंने शराफत का नकाब ओढ़ रखा है अन्दर से वो उतने ही नीच है , गाँव की कई औरतो से उनके तालुकात है अब सोचो जो इंसान बुढ़ापे में भी अपनी बहु और बेटी को रगड़ सकता है तो वो जवानी में कैसा रहा होगा
मैं- तो क्या तुम्हे भी
वो- हां जेठ जी , ब्याह के कुछ दिनों बाद ही उसने मेरे साथ, खैर अब तो आदत सी हो गयी है , मैं जानती हु उन्होंने आपको खजाने की बात बता दी है पर इसलिए नहीं की क्योंकि आधा हिस्सा आपके पिता का था बल्कि इसलिए की आपके जरिये वो उस खोये हुए आधे हिस्से को पाना चाहते है
मैं- तुम्हे खजाने की बात की पता और साथ ही ये की उन्होंने वो बात मुझे बता दी है
वो- कल रात मैं दूध लेके उनके कमरे में गयी थी वो फ़ोन पर किसी को बता रह थे तो मेरे कानो में पड़ी मुझे देख कर वो चुप हो गए पर मैंने दरवाजे पर कान लगा दिए ऐसा लग रहा था की वो किसी बहुत ही खास इंसान से बात कर रहे थे पर वो जो भी था ससुर जी का खास था
मैं- वो खास कौन है क्या तुम पता कर सकोगी
वो- मैं पूरी कोशिश करुँगी
मैं- ममता, बात खाली ये नहीं है की जिस तरह से तुम मेरी मदद करना चाहती हो बात ये भी नहीं है की तुम अपना जिस्म परोसना चाहती हो बात ये है की ये कोई ट्रैप भी तो हो सकता है कोई साजिश क्योंकि एक बार पहले भी मुझे एक हुस्न्वाली ने मारने की कोशिस की थी हो सकता है की जो बात तुमने मुझे बताई हो वो सच हो , और काका एक रंगीन आदमी है ये भी मुझे पता चल चूका है
ममता- जेठ जी मैं जानती हु की आप ऐसे ही मेरा विश्वास नहीं कर लोगे आप पर जो हमला हुआ वो ससुर जी ने ही करवाया था और एक खास बात आपके चाचा और मेरे ससुर मिले हुए है वो काफी समय से खजाने को ढूंढ रहे है
मैं- तो क्या हुआ हमारे घरलू सम्बन्ध है दोनों व्यापारी है साथ है तो क्या गुनाह हुआ
ममता- तो फिर जाके अपनी भाभी से पूछो की क्यों चाचा ने उसको दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंका क्यों उस औरत का साथ छोड़ दिया जिसके लिए पुरे परिवार से नाराजगी हो गयी थी आखिर ऐसा क्यों हुआ की बिमला और वो अलग हो गए
मैं- चाचा ने बताया था की बिमला ने विधायक का साथ कर लिया था वो उस बात से खुश नहीं थे तो इसलिए वो अलग हो गए
ममता- जेठ, जी ज़माने को देखे तो आप बहुत भोले रह गए आप आज भी पिछले ज़माने में जी रहे है कभी बिमला से पूछ लेना शायद वो बता दे आपको
मैं- मेरा उस से कोई लेना देना नहीं है
वो- चलो मैं बताती हु की मेरे ससुर और चाचा की घनिष्टता बढ़ने लगी थी दोनों साथ रंडीबाजी करते कुछ और उलटे सीधे काम करते और फिर एक दिन ससुर जी ने बिमला को भोगने की अपनी मंशा चाचा को बताई, पर चाचा ने बदले में मेरी सास मांगी तो बात तय हो गयी पर बिमला को जब पता चला तो वो काफी आग बबूला हुई और उसका और चाचा का झगडा हो गया उसके कुछ दिनों के बाद कंवर सिंह बड़े जेठ जी आ गए तो उनको अब पता चल गया तह इधर बिमला और चाचा का उनसे काफी झगडा हुआ उस बात को लेके और फिर वो यहाँ से चले गए
चाचा चाहता था की बिमला मेरे ससुर से सम्बन्ध बनाये पर बिमला को वो बात चुभ गयी थी इसलिए वो दोनों अलग हो गए और तबसे अलग ही है
मैंने एक गहरी साँस ली थी साला हरामखोर चाचा जी तो चाह रहा था की उसकी गांड पे लात दू
मैं- ममता एक बात कहू
वो- क्या
मैं- हरिया काका की मौत के बारे में क्या जानती हो
वो- कुछ नहीं , हमारा उनसे कुछ लेना देना नहीं ससुर जी का गीता से पंगा है किसी बात को लेकर तो आना जाना है है बस इतना पता है की गीता ने बिमला पर उसकी मौत का इल्जाम लगाया था
मैं- वैसे पंगा क्या है
वो- पता नहीं पर शायद कोई उसी समय की बात है जब ये सब शुरू हुआ था मतलब आपके परिवार की मुसीबते
ये कहकर वो खड़ी हुई और बाहर दरवाजे की तरफ चली मेरी नजर उसकी मध्यम साइज़ की गांड पर अटक गयी वो दरवाजे पर इस तरह से खड़ी थी की मेरी नजर उसकी गांड पर पड़े ही पड़े ममता कोई पच्चीस की पटाखा औरत थी उसकी पतली कमर रूप रंग भी मस्त था मैं खड़ा हुआ और उसको पीछे से अपनी बाहों में जकड लिया उसने बिलकुल भी प्रतिकार नहीं किया करती भी कैसे वो तो खुद चुदना चाहती थी मैंने आने हाथो को उसकी छाती पर ले आया उर उसकी गोल मटोल चूचियो को दबाने लगा
“आह!जेठ जी धीरे ओह जेठ जी ”
“धीरे नहीं ममता , अब तो जोर आजमाइश होगी पर मेरी भी शर्त है ”
“क्या जेठजी ”
“तुझे दिखाना होगा की की तू कितनी गरम है जितना तेरी बातो में नखरा है उतना नखरा तेरे जिस्म में भी है ”
मैंने उसके ब्लाउज को खोलना चालू किया वो अपनी गांड को मेरे लंड पर रगड़ने लगी उसके बदन से आती भीनी भीनी खुशबु मुझे उत्तेजित करने लगी और अगले ही पल उसका ब्लाउज उतर गया था मैंने ब्रा भी उतार दिया उसकी नंगी पीठ पर चूमा मैंने
“आह ”वो सिसक उठी उसका हाथ मेरी पेंट के ऊपर से ही मेरे लंड पर पहुच गया वो सहलाने लगी मैंने उसकी पीठ और नंगे कंधो को चूमने लगा कुछ देर उसके उभारो से खेलता रहा वो मेरी बाँहों में पिघलने लगी थी और फिर अब मैंने उसको अणि तरफ घुमाया और उसके होंठो को अपने मुह में भर लिया हमारे होंठ आपस में टकराए मुझे ऐसा लगा की जैसे गुलाब की पंखुड़िया चख रहा हु मैं ममता ने अपनी आँखे बंद कर ली और अपनी जीभ को मेरे मुह में डाल दिया मी हाथ उसकी गांड तक पहुच चुके थे
करीब दस मिनट तक बस हम एक दुसरे को चूमते रहे फिर ममता ने मेरी पेंट खोली और मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और जैसे ही वो उसकी आँखों के सामने आया बोली- सच कहती थी दीदी,
अगले ही पल वो अपने घुटनों पे बैठ गयी और बिना कुछ सोचे समझे मेरे लंड को अपने मुह में भर लिया उसकी गीली जीभ जैसे ही मेरे सुपाडे से टकराई बदन में चिनगारिया सी उडी उसकी और मेरी नजर एक बार मिली और फिर वो तेजी से उसे चुसने लगी उसके मुह का थूक उसकी चूचियो पर गिरने लगा मस्ती में चूर ममता पुरे उन्माद से भरी मेरे लंड को चूस रही थी उसके सुपाडे को चूम रही थी कुछ देर में उसने मेरे लंड को अपने मुह से निकाल दिया
उसने अपनी साडी और पेटीकोट उतार दिया गुलाबी कच्छी ही शेष थी उसके बदन पर जो उसकी उन्नत योनी का भार संभाल नहीं पा रही थी मैंने भी अपने कपडे उतार दिये और ममता जो अपनी गोदी में बिठा लिया और एक बार फिर से उसकी चूचियो से खेलने लगा वो अपनी गांड को मेरे लंड पर रगड़ने लगी वो अपने चहरे को मेरे चेहरे पर पटकने लगी और फिर उसने अपनी गांड को थोडा सा ऊपर किया और अपनी कच्छी को उतार दिया मेरा लंड उसकी गांड की दरार में फंस गया वो आहे भरने लगी
“क्यों तडपा रहे हो जेठ जी रौंद क्यों नहीं देते मुझे , बादल बन कर मुझ धरती पर बरस क्यों नहीं जाते ”
मैं- अभी तो खेल शुरू भी नहीं हुआ तुम तड़पने लगी
वो खड़ी हुई मैंने देखा उसकी चूत बुरी तरह से गीली हो गयी थी यहाँ तक की जन्घो का कुछ हिस्सा भी उसके रस से सन गया था मैंने उसे खाट पर लिटाया औरउसके ऊपर लेट गया उसके बदन को चूमने लगा मेरा लंड उसकी चूत को छूने लगा ममता मेरी बाहों में तड़प रही थी उसकी तेज साँसे बता रही थी की उसका हाल क्या है बारी से मैं उसकी चूचियो को चूसने लगा वो आहे भरते हुए तड़पने लगी थी
“जेठ जी, क्या कर रहे हो ये मुझे क्या हो रहा है ahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh ओह जेठ जी आउच ”
मैंने उसके बोबो को निचोड़ना चालू किया वो जल बिन मछली की तरह तदपने लगी अपने पैरो को पटकने लगी और अबकी बार मैंने जैसे ही ममता की चूची को मुह में लिया वो झड़ने लगी उसका बदन अकाद गया और आह भरते हुए उसकी चूत से कामरस टपकने लगा , और जैसे ही वो झड़ी मैंने उसकी टांगो को फैला दिया और उसके कामरस को अपनी जीभ से चाटने लगा ममता झर झर झड़ने लगी उसकी टाँगे ऊपर को उठने लगी
मैंने ऊसका पूरा कामरस चाट लिया वो दो पल को शांत हुई और मैंने उसकी चूत को अपने मुह में भर लिया किसी गोलगप्पे की तरह बिना बालो की उसकी हलकी फूली हुई चूत फिर से गरम होने लगी और दो मिनट में ही वो फिर से गर्म आहे भरने लगी
“जेठ ही बस भी कीजिये क्या ऐसे ही मार डालने का इरादा है ऊफ्फ्फ आह काटो मत प्लीज ”
“ऐसे ही नहीं मरूँगा ममता रानी, अभी तो मजा बाकी है ”
ममता की टाँगे विपरीत दिशाओ में फैइ हुई थी वो अपने हाथो से मेरे मुह को अपने योनी द्वार पर दबा रही थी उसकी चूत का गीलापन फिर से बढ़ने लगा था उत्तेजना का सागर अपनी लहरों पर उसको सवार करके घुमाने लगा था कभी वो अपने पैर पटके कभी अपने बाल नोचे तो कभी अपनी गांड उठा के पूरी चूत मेरे मुह में धकेले मस्ती में चूर वो अपने जेठ को अपनी चूत का रसपान करवा रही थी
पांच सात मिनट और बीते उसका पूरा शरीर पसीने से सं चूका था पर मैं उसकी योनी को चुसे ही जा रहा था फलसवरूप वो एक बार और झड गयी थी बिना चोदे ही मैंने उसको दो बाद ढीली कर दिया था
अब मैंने तकिये को उसकी गांड के निचे रख दिया और उसकी टांगो को अपनी टांगो पर चढ़ाया ममता ममता ने अपनी आँखों को हल्का सा खोला मैंने अपने लंड को उसकी चूत की दरार पर रगडा
“जेठ जी क्यों तडपा रहे हो बर्दाश्त करनी की भी हद होती है मुझे अपना बना क्यों नहीं लेते आप ”
उसके ऐसा कहते ही मैंने जोर लगाया और अपना लंड चूत में डालने लगा और ममता का बदन अकड़ने लगा
“आह!सच में बहुत मोटा है आराम से ”
मैं- बस एक मिनट की बात है फिर तुम ही चाहोगी की मैं इसको अन्दर ही रखु
अगले कुछ धक्को के बाद मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में पंहुचा दिया और हलके हलके धक्के लगाने लगा ममता ने मेरी पीठ पर अपनी बाहे कस दी
“आह, आह उफफ्फ्फ्फ़ आई सीईईइ ”
उसके होंठो से गर्म आहे निकलने लगी ममता के पसीने की मादक गंध मेरी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी जिस से मैं अब तेज तेज धक्के लगाने लगा था वो मेरी बाहों में पिघल रही थी
मैं- थोडा दम दिखा रानी बड़ा उछल रही थी अब जेठ को ठंडा नहीं करोगी
वो- क्या दम दिखाऊ दो बार तो पहले ही निचोड़ दी
मैं- मेरी रानी, तेरी चूत आज ऐसे मरूँगा की रात को बिस्तर पर करवातो में ही रात गुजरेगी
वो- चोद डालो, जेठ जी मुझे इस तरह रौंद डालो की इस निगोड़ी की सारी खाज मिट जाये अपनी बाहों में पीस डालो मुझे आह शाबाश और तेज और तेज तेज करो चोदो मुझे
मैंने ममता को चूमना चालू कर दिया होंठो से होंठ जुड़ गए थे उसके बाकि के शब्द मुह में ही घुल गए जल्दी ही वो अपनी गांड उठा उठा के मेरी ताल से ताल मिलाने लगी उसके सच में ही काफी स्टैमिना था कामुकता की चाशनी में डूबा हुआ उसका हुस्न मेरे आगोश में पल पल वो पिस रही थी उसकी छतिया किसी धोंकनी की तरह ऊपर निचे हो रही थी पर मेरी रफ़्तार बढती जा रही थी सांसे मुह में ही घुल गयी थी जीभ आपस में तलवार की तरह टकरा रही थी
मेरा लंड उसकी चूत के गाढे पानी से सना हुआ था चिकना हुआ द्रुत गति से दौड़ते हुए उसकी चूत के छल्ले को चौड़ा किये हुए था ममता का बदन अकड़ने लगा था वो मुझे कसने लगी अपनी बाहों ने सांसे फूल गयी थी उसका जिस्म ऐंठ और फिर एक बार से वो झड़ने लगी थी अब हुई वो पस्त और खाट पर किसी बेजान लाश की तरह पड़ गयी मैंने धक्के रोक दिए , कुछ देर बाद उसने अपनी सांसो को संयंत किया और मैंने उसे घोड़ी बना दी उसने मेरी और देखा पर मेरा हुआ नहीं था तो मैं क्या करता
उसने अपने अगले हिस्से को पूरी तरह से झुका दिया और पिछले हिस्से को ऊपर उठा लिया मैंने उसकी कमर में हाथ डाला और अपने लंड को चूत से भिड़ा चूत पूरी तरह से लाल हो रखी थी एक जोर का शॉट लगाया और फिर से उसको चोदने लगा ममता की हालात बुरी हुई पड़ी थी बस वो हाय हाय कर रही थी धीरे धीरे वो भी गरम होने लगी चूत का गीला पण बढ़ते ही मेरा हथियार और खूंखार होने लगा अपना पूरा जोर लगते हुए मैं उसकी चूत मार रहा था
“आह!जेठ जी सुसु आ रहा है बहुत तेज ”
“यही कर दो ”
“दो पल छोड़ो मुझे आः मैं रोक नहीं पाऊँगी ”
मैंने जैसे ही उसको ढील दी वो खाट से निचे उतरी और मूतने बैठ गयी सुर्र्र्रर सुर्र्र करके उसकी चूत से पेशाब की धर धरती पर गिरने लगी जैसे ही उसका मूत बंद हुआ मैंने उसको बिस्तर भी खीच लिया और फिर से हमारी चुदाई शुरू हो गयी ममता की सुध बुध खो चुकी थी बस वो मेरे धक्को को झेल रही थी करीब दस मिनट और मैंने उसकी ली फिर मैंने उसकी चूत में अपना गरमा गर्म वीर्य छोड़ दिया
एक के बाद एक वीर्य की पिचकारिया निकल कर उसकी चूत में गिरती रही और साथ ही वो भी झड़ गयी आज से पहले मेरा इतना पानी कभी नहीं निकला था ऐसा लग रहा था की जैसे किसी ने मेरी सारी शक्ति निचोड़ ली हो मैं उसकी बगल में ही पड़ गया
थोड़ी देर हम लोग लेटे रहे फिर ममता लड़खड़ाते कदमो से उठी और अपने कपड़ो को पहनने लगी
मैं- क्या हुआ और नहीं करना
वो- मुझसे गलती हो गयी जेठ जी मुझे माफ़ कीजिये
मैं- क्या हुआ मजा नहीं आया क्या
वो- मजा तो आया पर आपने तो मुझे निचोड़ दिया सर घूम रहा है पता नहीं घर तक पहुच भी पाऊँगी या नही
मैंने भी अपने कपडे पहने उसके बाद मैंने उस से वादा लिया की वो मेरा पूरा साथ देगी और कुछ भी पता चलते ही मुझे बताएगी उसने वादा किया की मैं उसको ऐसे ही पेलूँगा तो वो मेरी बन के रहेगी उसके बाद हमने अपना अपना रास्ता ले लिया
अब समस्या ये थी की हर एक के तार दुसरे से जुड़े थे और सारे ही ही मेरे अपने होने का दम भर रहे थे एक तरफ चाचा और बिमला थे जिन्होंने सब रिश्ते नाते ताक पर रख दिए थे अपने चोदुप्न के कारण, दूसरी तरफ प्यारी मामी थी जिसने चूत देके मेरी गांड मार ली थी मार ही डाला था मुझे और तीसरी तरफ रतिया काका था ममता के अनुसार उसने हमला करवाया था और लोचा भी उसका ही था अब साला जाये तो कहा जाये दिमाग में कुछ नहीं आ रहा था
दुनिया के केस सुलझाये थे पर खुद की गांड में पड़ा बम्बू नहीं निकल रहा था सब दरवाजे पीट लिए पर कुछ हासिल ना हो रहा था जी कर रहा था की उसी दिन मर जाते तो ठीक रहता ना हम रहते न ये सवाल होता ऊपर से ममता ने बुरी तरह थका दिया था तो मैं जाते ही सो गया फिर जब आँख खुली तो चारो तरफ अँधेरा था शायद बिजली चली गयी थी मैं उठ के अन्दर गया मोमबत्ती जलाई भूख सी लग आई थी अब इस समय किसी को जगाना ठीक नहीं था तो रसोई में गया कुछ खाया पिया नींद अब आनी थी नहीं मैंने देखा नीनू बैठक ने सोयी हुई है मैं उसके पास ही लेट गया
उस से चिपक गया उसको अपने से लगा लिया वो कसमसाई और मेरी बाहों में ढीली हो गयी मैंने एक हाथ उसकी कमर पर लपेट लिया
नीनू- सोने दो ना क्यों तंग करते हो
मैं- मैं कब जगा रहा हु अब क्या तुम्हे थोडा सा प्यार भी नहीं कर सकता मैं
वो- टाइम तो देखो
मैं- प्यार करने वाले टाइम नहीं देखते
वो- सोने दो ना बहुत नींद आ रही है
मैं- ठीक है , पर मैं इधर ही सो रहा हु
वो हां, वो मुझसे चिपक गयी और हम सो गए
सुबह जरा देर से आँखे खुली बदन जैसे टूट सा रहा था मैंने फ़ोन देखा तो मंजू की कई मिस काल आई हुई थी मैंने फ़ोन मिलाया डॉट इन घंटी के बाद उसने फ़ोन उठाया
मंजू-कब से फ़ोन कर रही हु तू है कहा
मैं- अभी उठा हु बस
वो- देव, मिलना है तुझसे
मैं- घर आजा
वो- नही उधर नहीं बात कुछ अर्जेंट है
मैं- ठीक है तू हमारे कुवे पर आजा मैं आधे घंटे में वहा मिलता हु
मैं करीब आधे घंटे में वहा पंहुचा तो मंजू वही बैठी थी
मैं- क्यों बुलाया
वो- देव, तूने सच कहा था तेरे साथ हुए हादसे में मेरे परिवार का कुछ तो लेना देना है
मैं- तुझे कैसे पता
वो- देव,मेरे बापू कल भाभी को चोद रहे थे मैंने देख लिया वो आपस में कुछ बात कर रहे थे तुम्हारे बारे में
मैं- क्या बात कर रहे थे
वो- देव, बात खजाने को लेकर थी
खजाना , तो जान का जंजाल बन गया था
मैं-बता जरा
वो- बापू भाभी से बोल रहे थे की उनको पूरा विश्वास है की देव बाकि का सोना ढूंढ ही लेगा तो भाभी बोली हां पर अगर वो ढूंढ लेगा तो हमे क्या मिलेगा फिर बापू बोला एक बार सोना मिलने तो दे उसके बाद देखेंगे उस सोने के लिए बड़े पापड़ बेले है
मैं- आगे
वो- बस इतना ही सुना
मैं- मंजू, अगर तेरे बापू ने गद्दारी की होगी तो तू किसका साथ देगी
वो- देव, मैं तेरा साथ दूंगी क्योंकि जब अपने ही दुश्मन हो जाये तो आदमी क्या कर सकता है देव तेरा मेरा बचपन से साथ रहा है मेरे बापू ने जो कलंक लगाया है उसे धोने के लिए मैं कुछ भी करुँगी
मैं- मुझे तेरा विश्वास है मंजू पर ये बात बता तूने अपने बापू से भी गांड मरवा ली
वो- देव, तुझे किसने
मैं- बस पता चला गया
वो- देव, एक दिन बापू ने मुझे और भाई को करते हुए पकड़ लिया था अब मैं क्या करती मज़बूरी हो गयी थी मेरी
मैं- जाने दे , तू मेरी बात सुन तू तेरे बापू से जाके चुदा और उस टाइम उस से इस बारे में पूछना और ये बोलना की देव को बाकि का खजाना मिल गया है मैंने तुझे बताया है
वो- समझ गयी आज ही तेरा ये काम कर दूंगी
उसके बाद मैंने उसे एक काम और करने को कहा फिर हमने अपना रास्ता पकड़ा अब कहानी ये थी की रतिया काका को चाह थी उस बाकि हिस्से की जो ना जाने कहा था और ममता को वो शायद ये कहना चाह रहे थे की सोना मिलने के बाद देव को रस्ते से हटा देंगे घर आके मैंने एक मैप बनाया ज्सिमे सबको लिखा, चाचा, बिमला, रतियाकाका, मामी, चारो ही मेरे लिए बहुत खास थे मेरे अपने थे पर चारो ही शक के घेरे में थे अब इनमे से तीन एक साथ थे और बिमला अलग थी सोना दो लोगो को मिला था
पिताजी के मन में कोई लालच नहीं था उन्होंने सबको हिस्सा दिया था चाहे वो नगद हो या सोना अगर ऐसा था तो उन्होंने मेरे लिए भी मेरा हिस्सा छोड़ा होगा ये बात पक्की थी क्योंकि जब वो उन नालायको पर दया कर सकते थे तो मैं तो उनका बेटा था इसका मतलब उन्होंने चाची को भी दिया होगा हां, पक्का पर आज चाची जिंदा थी नहीं तो कैसे मालूमात करू
मैंने अतीत के पन्ने खंगालने शुरू किये और मेरे दिमाग में एक बात आई चाची ने उन दिनों एक नया बैंक अकाउंट खुलवाया था तो शायद उन्होंने अपना सोना बैंक मे रखा हो मुझे याद था उन्होंने उस अकाउंट के बारे में चाचा को बताने से मना किया है मैंने तलाश किया तो उस अकाउंट की डिटेल्स मिल गयी मैंने पिस्ता को साथ लिया और बैंक पंहुचा
मेनेजर को अपनी और चाची की डिटेल्स बताई और आनी का मकसद भी अब वारिस तो मैं ही था तो करीब घंटे भर की कागजी कार्यवाई के बाद चाची के खाते में जितना भी कैश था वो और उनके लाकर की चाबी मेरे हाथ में थी जैसे ही मैंने लाकर खोला मेरी आँखे फट गयी वो पूरा सोने के गहनों से भरा था वो ही गहने जो और लोगो के पास थे पिस्ता ने वो सब बैग में भर लिया करीब पांच किलो क आस पास वजन था वो
आके हम गाड़ी में बैठे
पिस्ता- देव, एक बात तो है पिताजी ने तुम्हारे लिए भी कुछ तो छोड़ा है
मैं- हां, पर कहा वो नहीं पता
वो- शायद उन्हें पता हो की तुम उस तक पहुच जाओगे
मैं- काश वो साथ होते
वो- वो हमेशा तुम्हारे साथ है वो अपने आशीर्वाद के रूप में हमारी मदद कर रहे है देव जल्दी ही हम इस उलझन को सुलझा के तुम्हारे गुनेहगार को पकड लेंगे
मेरे दिमाग को इन नए समीकरणों ने उलझा दिया था किसी पर भी भरोसा करना मेरे लिए वापिस मौत के दरवाजे खोल सकता था मैंने एक चाल तो चली थी पर देखो उसका क्या असर होना था मंजू पर मुझे भरोसा था क्योंकि मैं जानता था वो मेरी मदद करेगी बिमला की बाकि सब से पट रही थी नहीं तो क्या दुश्मन का दुश्मन दोस्त हो सकता है क्या वो मेरी मदद कर सकती है जबकि गुजरे ज़माने में उसने मुझे बर्बाद करने की ठान ली थी असल में देखा जाये तो इस सब के लिए मैं ही जिम्मेदार था अगर मैं अपनी हवस में अपनी भाभी को फंसाता तो क्या पता आज मेरे सब अपने मेरे साथ होते
आखिर कुछ सोच कर मैंने गाड़ी बिमला की कोठी की तरफ मोड़ दी , पिस्ता- देव हम यहाँ क्यों आये है
मैं- मुझे लगता है बिमला को बता देना चाहिए कंवर के बारे में
पिस्ता-देव, वो टूट जाएगी
मैं- जो औरत अपनी जिद में सबको खा गयी उसको अब क्या फरक पड़ना है
पिस्ता- देव,मेरी बात मानो, कुछ बातो को छुपा लेना ही बेहतर है तुम समझ रहे हो ना
मैं- ठीक है पिस्ता पर कुछ और बाते तो कर सकते है है
वो- हाँ
हम लोग अन्दर गए कुछ इंतजार के बाद बिमला आई , हमारी बात शुरू हुई
मैं- देखो मैं उम्मीद करता हु की तुम सब सच बताओगी
वो- क्या जानना चाहते हो तुम
मैं- सोने के बारे में किस किस को पता है
वो- सबको जिन को होना चाहिये
मैं- मतलब
वो- मुझे , तुम्हे, तुम्हारे चाचा और रतिया काका को
मैं- तो तुम्हारा क्या पंगा है रतिया काका से और चाचा से
वो- चाचा ने साथ कर लिया था रतिया का दोनों कुछ खुराफात कर रहे थे मैंने कई बार कहा भी था की वो उस से दूर रही पर एक दिन चाह्चा ने मुझे कहा की मुझे सोना होगा रतिया के साथ तो मेरा दिमाग घूम गया उस दिन हमारा कलेश हुआ कुछ दिन बाद हम अलग हो गए रतिया ने जो फर्म बनायीं है वो हमारी जमीन है आज के हिसाब से उसकी करोडो में कीमत है वो कहता है की चाचा जी ने उसको वो जमीन दी है पर मैं नहीं मानती
मैं-ऐसा क्यों
वो- क्योंकि वो जमीन अपनी पुश्तैनी नहीं है जब घर का बंटवारा हुआ उसके बाद चाचाजी ने वो जमीन तुम्हारे लिए खरीदी थी
ये साला एक और बम फूट गया था
मैं- एक बात तो सा है ये सारा खेल खजाने के लिए हुआ है और इसके पीछे जो भी है मैं उसको माफ़ नहीं करूँगा
वो- मैं खुद इतने दिन से इसी काम में जुटी हु पर जो भी है वो बहुत शातिर है कोई सबूत नहीं कुछ सुराग नहीं मिल पाया है
मैं- गीता ताई से तुम्हारा क्या झगडा है
वो- जाने दो देव, तुम इस मामले में नहीं पडो कुछ बाते दबी ही रहे तो ठीक रहता है
मैं- बताओ ना
वो कहा न नहीं
मैं- उसने बताया की तुमने उसके पति को मरवाया
वो- पागल है साली, मैंने उसे कितनी बार कहा की रतिया का काम है पर वो साली मानती ही नहीं खामखा दुश्मनी पाल राखी है उसने
मैं- पर रतिया काका ने उसको क्यों मरवाया
वो- वो तो मुझे नहीं पता बस उडती उडती खबर आई थी और वैसे भी गीता और रतिया के सम्बन्ध ठीक नहीं है सबको पता है
मैं- तुम मुझे पूरी बात क्यों नहीं बताती हो
वो-क्योंकि सच बहुत कडवा है देव और मैं नहीं चाहती की तुम टूट कर बिखरो
“ये दुनिया वैसे नहीं होती जैसा हम समझते है यहाँ पर कोई किसी का अपना नहीं होता सब रिश्ते नाते मोह माया है सब आँखों का फरेब है यहाँ कोई किसी का सगा नहीं कोई किसी का पराया नहीं अगर कुछ सच है तो ये भूख, जिस्मो की भूख लालच की भूख इसके आलावा कुछ नहीं , मैं जानती हु की तुम सच को आज नै तो कल तलाश कर ही लोगे पर देव कम से कम मैं तुम्हे कुछ बाते नहीं बता सकती “
और हां, तुम्हे वो गाँव में मंदिर में कुछ देने की जरुरत नहीं तुम्हारे नाम से मैंने पैसे दे दिए है ”
मैं कुछ कहने ही वाला था की पिस्ता ने मेरा हाथ पकड लिया और चलने का इशारा किया हम वापिस आ गए बिमला से मदद मांगने गए थे ढेर सारी और उलझाने ले आये थे सब लोग अपना सब कुछ मुझे देने को तैयार थे सबका प्यार उमड़ आया था मुझ पर और इस प्यार के निचे था क्या सिर्फ नफरत और सिर्फ लालच
घर आके मैंने चाय नाश्ता किया सब लोग साथ ही बैठे थे मैं- एक बात ये भी है की बाकि का आधा खजाना जो था वो चोरी नहीं हुआ
नीनू- कैसे
मैं- क्योंकि गाँव में इन लोगो के आलावा कोई भी इतना अमीर नहीं हुआ है और बाहर का कोई खजाना ले जा सकता नहीं क्योंकि पिताजी ने वो जमीन खरीदते ही तार बंदी करवा दी थी और उस ज़माने में कोई ऐसे भी किसी की जमीन में नहीं जाया करता था वैसे भी वो उजाड़ जंगली इलाका है उस राज़ को बस दो आदमी ही जानते थे या तो रतिया काका या पिताजी रतिया काका उस समय हॉस्पिटल में थे तो पिताजी ने इतनी नजर तो राखी ही होगी की खजाने की सलामती रहे
बस इंतज़ार था उस रात के बीतने का जब हम उस जगह को देखंगे जहा पर खजाना था पिताजी के व्यक्तित्व का एक अलग ही पहलु देखने को मिला था आज पर वो लालची नहीं थ अगर लालच होता तो अपनों में बंटवारा नहीं करते उस सोने का , पर फिर उस सोने से नफरत सी होने लगी क्योंकि उसकी वजह से आज मेरा परिवार मेरे साथ नहीं था क्या होता जो हमारे पास इतना धन नहीं होता कम से कम माँ की गोद तो होती जब प्यार से वो मेरे सर को चूमती तो मेरी हर परेशानी पल में दूर हो जाती , मेरे सर पर मेरे पिता के प्यार की छत होती जब कभी मैं कमजोर पड़ता तो वो मुझे हौंसला देते
अगले दिन कुछ मजदूरो को लेके हम लोग चल पड़े पहुचे वहा पर उनको चबूतरा बाकायदा इज्जत के साथ बनाने को कहा आखिर मेरा भाई सो रहा था वहा पर मन थोडा भावुक था पर अब कुछ चीजों पर कहा किसका जोर चलता है , उसके बाद हम आगे तो चल पड़े नीनू को ही पता था रस्ते का घनी झाड़ियो पेड़ो से होते हुए करीब दो कोस बाद हम उस मंदिर तक पहुचे पहली नजर में ही पता चलता था की वो शायद अपने अंतिम समय में है मैंने माता को प्रणाम किया बस एक कमरा सा ही था
कमरा क्या एक कोटडा सा था तो मैंने ये अनुमान लगाया की शायद ये खजाना किसी ज़माने में लूटा गया होगा
और फिर यहाँ छुपाया गया होगा लूटने वाले लोग किसी कारण से यहाँ से ना निकाल पाए और ये धरती में दबा रह गया मंदिर को खूब देखा बस साधारण ही था सब वहा पर उसके बाद जैसे रतिया काका ने बताया था पास मेही वो कुआ भी मिल गया हमे अब उसमे मिटटी ही थी बस
मैं- देखो यहाँ था वो सब सोना
उसके बाद हमने आस पास खुदाई की छान बीन की कुछ नहीं मिला सिवाय कुछ सोने के टुकडो के जो शायद निकालते समय इधर ही रह गया होगा कुछ भी हो पर थोडा रोमांच हो रहा था उसके बाद हम लोग वापिस आ गए मैंने मजदूरो से पुछा तो पता चला की दो दिन तो लग ही जायेंगे उसके बाद उनको वही छोड़ के हम वापिस हुए
पिस्ता को शहर जाना था किसी काम से तो वो चली गयी नीनू और माधुरी घर रह गयी मुझे आज ममता से मिलना था उसने कहा था की दोपहर को वो खेत पर मिलेगी तो मैं वहा चल दिया दोपहर का समय था खेतो में दूर तक कोई नहीं दिख रहा था करीब आधे घंटे बाद मैं रतिया काका के खेतो की तरफ पहुच गया ये खेत हमारी तरफ ना होकर गाँव की परली तरफ थे ममता मुझे कुवे पर ही मिल गयी उसने मुझे इशारा किया तो मैं उसके पीछे कमरे में पहुच गया
मैं- यहाँ क्यों बुलाया
वो- बैठिये तो सही जेठ जी
मैं बैठ गया
ममता- जेठ जी मुझे ना बात घुमा फिरा के कहने की आदत नहीं है मैं जान गयी हु की आपके और आपके परिवार के साथ क्या हुआ और आपको आपके गुनेह्गारो की तलास्श है और इस काम में मैं आपकी मदद कर सकती हु
मैं- और इसमें तुम्हारा क्या फायदा है
वो- अब कुछ तो मेरा भी भला होगा ही
मैं- मुद्दे की बात करो
मेरा ऐसे कहते ही ममता मेरे पास आके बैठ गयी और बोली- जेठजी अब आपके किस्से तो पुरे गाँव में मशहूर है और आपको तो पता ही होगा की मेरे पति और ननद का रिश्ता भाई बहन से बढ़ कर कुछ और ही है
ओह तो इसको राहुल और मंजू के बारे में पता था ,
ममता- जेठजी, कुछ दिन पहले मैंने उन दोनों को हमबिस्तर देखा जाहिर है खून तो मेरा बहुत खौला मेरा पति अपनी ही बहन के साथ वो सब कर रहा था जो उसे मेरे साथ करना चाहिए था उसके बाद वो आपकी बाती करने लगे मंजू कह रही थी की वो आपसे सेक्स करेगी क्योंकि उसको आपके साथ बहुत मजा आता है और उसने राहुल को बताया की ..........की
मैं- की क्या
वो- की आपका हथियार भी बहुत लम्बा और मोटा है
मैं- ममता देखो तुम्हे ऐसा नहीं बोलना चाहिए तुम्हारा और मेरा नाता ऐसा नहीं है
वो- जेठ जी, आप के मुह से ऐसी बाते सुनके लगता है कोई आतंकवादी शांति की बात करने लगा हो
रिस्ते नातो की बात आप मत करो , और फिर आपका भी तो फायदा होगा आपको एक और जिस्म चखने को मिलेगा जेठ जी मैं सच में आपके बहुत काम आ सकती हु
मैं- देखो ममता जब तुम इतना खुल ही रही हो तो मैं आपको बता दू की चूत और दारू मैं अपनी मर्ज़ी से यूज़ करता हु वैसे मुझे तुम्हारा बिंदास अंदाज पसंद आया पर पहले तुम मुझे बताओ की तुम्हे इस मामले में क्या पता है
ममता- जेठ जी, मैं आपको सलाह दूंगी की ये जो आपके अपने बने फिरते हैं ना इनसे थोडा दूर रहना ये कब छुरा मार देंगे पता नहीं चलेगा
मैं- तुम्हे ऐसा क्यों लगता है
वो- आपको कुछ बातो का पता नहीं है जेठ जी, मेरे ससुर बहुत ही तेज खोपड़ी है जितना उन्होंने शराफत का नकाब ओढ़ रखा है अन्दर से वो उतने ही नीच है , गाँव की कई औरतो से उनके तालुकात है अब सोचो जो इंसान बुढ़ापे में भी अपनी बहु और बेटी को रगड़ सकता है तो वो जवानी में कैसा रहा होगा
मैं- तो क्या तुम्हे भी
वो- हां जेठ जी , ब्याह के कुछ दिनों बाद ही उसने मेरे साथ, खैर अब तो आदत सी हो गयी है , मैं जानती हु उन्होंने आपको खजाने की बात बता दी है पर इसलिए नहीं की क्योंकि आधा हिस्सा आपके पिता का था बल्कि इसलिए की आपके जरिये वो उस खोये हुए आधे हिस्से को पाना चाहते है
मैं- तुम्हे खजाने की बात की पता और साथ ही ये की उन्होंने वो बात मुझे बता दी है
वो- कल रात मैं दूध लेके उनके कमरे में गयी थी वो फ़ोन पर किसी को बता रह थे तो मेरे कानो में पड़ी मुझे देख कर वो चुप हो गए पर मैंने दरवाजे पर कान लगा दिए ऐसा लग रहा था की वो किसी बहुत ही खास इंसान से बात कर रहे थे पर वो जो भी था ससुर जी का खास था
मैं- वो खास कौन है क्या तुम पता कर सकोगी
वो- मैं पूरी कोशिश करुँगी
मैं- ममता, बात खाली ये नहीं है की जिस तरह से तुम मेरी मदद करना चाहती हो बात ये भी नहीं है की तुम अपना जिस्म परोसना चाहती हो बात ये है की ये कोई ट्रैप भी तो हो सकता है कोई साजिश क्योंकि एक बार पहले भी मुझे एक हुस्न्वाली ने मारने की कोशिस की थी हो सकता है की जो बात तुमने मुझे बताई हो वो सच हो , और काका एक रंगीन आदमी है ये भी मुझे पता चल चूका है
ममता- जेठ जी मैं जानती हु की आप ऐसे ही मेरा विश्वास नहीं कर लोगे आप पर जो हमला हुआ वो ससुर जी ने ही करवाया था और एक खास बात आपके चाचा और मेरे ससुर मिले हुए है वो काफी समय से खजाने को ढूंढ रहे है
मैं- तो क्या हुआ हमारे घरलू सम्बन्ध है दोनों व्यापारी है साथ है तो क्या गुनाह हुआ
ममता- तो फिर जाके अपनी भाभी से पूछो की क्यों चाचा ने उसको दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंका क्यों उस औरत का साथ छोड़ दिया जिसके लिए पुरे परिवार से नाराजगी हो गयी थी आखिर ऐसा क्यों हुआ की बिमला और वो अलग हो गए
मैं- चाचा ने बताया था की बिमला ने विधायक का साथ कर लिया था वो उस बात से खुश नहीं थे तो इसलिए वो अलग हो गए
ममता- जेठ, जी ज़माने को देखे तो आप बहुत भोले रह गए आप आज भी पिछले ज़माने में जी रहे है कभी बिमला से पूछ लेना शायद वो बता दे आपको
मैं- मेरा उस से कोई लेना देना नहीं है
वो- चलो मैं बताती हु की मेरे ससुर और चाचा की घनिष्टता बढ़ने लगी थी दोनों साथ रंडीबाजी करते कुछ और उलटे सीधे काम करते और फिर एक दिन ससुर जी ने बिमला को भोगने की अपनी मंशा चाचा को बताई, पर चाचा ने बदले में मेरी सास मांगी तो बात तय हो गयी पर बिमला को जब पता चला तो वो काफी आग बबूला हुई और उसका और चाचा का झगडा हो गया उसके कुछ दिनों के बाद कंवर सिंह बड़े जेठ जी आ गए तो उनको अब पता चल गया तह इधर बिमला और चाचा का उनसे काफी झगडा हुआ उस बात को लेके और फिर वो यहाँ से चले गए
चाचा चाहता था की बिमला मेरे ससुर से सम्बन्ध बनाये पर बिमला को वो बात चुभ गयी थी इसलिए वो दोनों अलग हो गए और तबसे अलग ही है
मैंने एक गहरी साँस ली थी साला हरामखोर चाचा जी तो चाह रहा था की उसकी गांड पे लात दू
मैं- ममता एक बात कहू
वो- क्या
मैं- हरिया काका की मौत के बारे में क्या जानती हो
वो- कुछ नहीं , हमारा उनसे कुछ लेना देना नहीं ससुर जी का गीता से पंगा है किसी बात को लेकर तो आना जाना है है बस इतना पता है की गीता ने बिमला पर उसकी मौत का इल्जाम लगाया था
मैं- वैसे पंगा क्या है
वो- पता नहीं पर शायद कोई उसी समय की बात है जब ये सब शुरू हुआ था मतलब आपके परिवार की मुसीबते
ये कहकर वो खड़ी हुई और बाहर दरवाजे की तरफ चली मेरी नजर उसकी मध्यम साइज़ की गांड पर अटक गयी वो दरवाजे पर इस तरह से खड़ी थी की मेरी नजर उसकी गांड पर पड़े ही पड़े ममता कोई पच्चीस की पटाखा औरत थी उसकी पतली कमर रूप रंग भी मस्त था मैं खड़ा हुआ और उसको पीछे से अपनी बाहों में जकड लिया उसने बिलकुल भी प्रतिकार नहीं किया करती भी कैसे वो तो खुद चुदना चाहती थी मैंने आने हाथो को उसकी छाती पर ले आया उर उसकी गोल मटोल चूचियो को दबाने लगा
“आह!जेठ जी धीरे ओह जेठ जी ”
“धीरे नहीं ममता , अब तो जोर आजमाइश होगी पर मेरी भी शर्त है ”
“क्या जेठजी ”
“तुझे दिखाना होगा की की तू कितनी गरम है जितना तेरी बातो में नखरा है उतना नखरा तेरे जिस्म में भी है ”
मैंने उसके ब्लाउज को खोलना चालू किया वो अपनी गांड को मेरे लंड पर रगड़ने लगी उसके बदन से आती भीनी भीनी खुशबु मुझे उत्तेजित करने लगी और अगले ही पल उसका ब्लाउज उतर गया था मैंने ब्रा भी उतार दिया उसकी नंगी पीठ पर चूमा मैंने
“आह ”वो सिसक उठी उसका हाथ मेरी पेंट के ऊपर से ही मेरे लंड पर पहुच गया वो सहलाने लगी मैंने उसकी पीठ और नंगे कंधो को चूमने लगा कुछ देर उसके उभारो से खेलता रहा वो मेरी बाँहों में पिघलने लगी थी और फिर अब मैंने उसको अणि तरफ घुमाया और उसके होंठो को अपने मुह में भर लिया हमारे होंठ आपस में टकराए मुझे ऐसा लगा की जैसे गुलाब की पंखुड़िया चख रहा हु मैं ममता ने अपनी आँखे बंद कर ली और अपनी जीभ को मेरे मुह में डाल दिया मी हाथ उसकी गांड तक पहुच चुके थे
करीब दस मिनट तक बस हम एक दुसरे को चूमते रहे फिर ममता ने मेरी पेंट खोली और मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और जैसे ही वो उसकी आँखों के सामने आया बोली- सच कहती थी दीदी,
अगले ही पल वो अपने घुटनों पे बैठ गयी और बिना कुछ सोचे समझे मेरे लंड को अपने मुह में भर लिया उसकी गीली जीभ जैसे ही मेरे सुपाडे से टकराई बदन में चिनगारिया सी उडी उसकी और मेरी नजर एक बार मिली और फिर वो तेजी से उसे चुसने लगी उसके मुह का थूक उसकी चूचियो पर गिरने लगा मस्ती में चूर ममता पुरे उन्माद से भरी मेरे लंड को चूस रही थी उसके सुपाडे को चूम रही थी कुछ देर में उसने मेरे लंड को अपने मुह से निकाल दिया
उसने अपनी साडी और पेटीकोट उतार दिया गुलाबी कच्छी ही शेष थी उसके बदन पर जो उसकी उन्नत योनी का भार संभाल नहीं पा रही थी मैंने भी अपने कपडे उतार दिये और ममता जो अपनी गोदी में बिठा लिया और एक बार फिर से उसकी चूचियो से खेलने लगा वो अपनी गांड को मेरे लंड पर रगड़ने लगी वो अपने चहरे को मेरे चेहरे पर पटकने लगी और फिर उसने अपनी गांड को थोडा सा ऊपर किया और अपनी कच्छी को उतार दिया मेरा लंड उसकी गांड की दरार में फंस गया वो आहे भरने लगी
“क्यों तडपा रहे हो जेठ जी रौंद क्यों नहीं देते मुझे , बादल बन कर मुझ धरती पर बरस क्यों नहीं जाते ”
मैं- अभी तो खेल शुरू भी नहीं हुआ तुम तड़पने लगी
वो खड़ी हुई मैंने देखा उसकी चूत बुरी तरह से गीली हो गयी थी यहाँ तक की जन्घो का कुछ हिस्सा भी उसके रस से सन गया था मैंने उसे खाट पर लिटाया औरउसके ऊपर लेट गया उसके बदन को चूमने लगा मेरा लंड उसकी चूत को छूने लगा ममता मेरी बाहों में तड़प रही थी उसकी तेज साँसे बता रही थी की उसका हाल क्या है बारी से मैं उसकी चूचियो को चूसने लगा वो आहे भरते हुए तड़पने लगी थी
“जेठ जी, क्या कर रहे हो ये मुझे क्या हो रहा है ahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh ओह जेठ जी आउच ”
मैंने उसके बोबो को निचोड़ना चालू किया वो जल बिन मछली की तरह तदपने लगी अपने पैरो को पटकने लगी और अबकी बार मैंने जैसे ही ममता की चूची को मुह में लिया वो झड़ने लगी उसका बदन अकाद गया और आह भरते हुए उसकी चूत से कामरस टपकने लगा , और जैसे ही वो झड़ी मैंने उसकी टांगो को फैला दिया और उसके कामरस को अपनी जीभ से चाटने लगा ममता झर झर झड़ने लगी उसकी टाँगे ऊपर को उठने लगी
मैंने ऊसका पूरा कामरस चाट लिया वो दो पल को शांत हुई और मैंने उसकी चूत को अपने मुह में भर लिया किसी गोलगप्पे की तरह बिना बालो की उसकी हलकी फूली हुई चूत फिर से गरम होने लगी और दो मिनट में ही वो फिर से गर्म आहे भरने लगी
“जेठ ही बस भी कीजिये क्या ऐसे ही मार डालने का इरादा है ऊफ्फ्फ आह काटो मत प्लीज ”
“ऐसे ही नहीं मरूँगा ममता रानी, अभी तो मजा बाकी है ”
ममता की टाँगे विपरीत दिशाओ में फैइ हुई थी वो अपने हाथो से मेरे मुह को अपने योनी द्वार पर दबा रही थी उसकी चूत का गीलापन फिर से बढ़ने लगा था उत्तेजना का सागर अपनी लहरों पर उसको सवार करके घुमाने लगा था कभी वो अपने पैर पटके कभी अपने बाल नोचे तो कभी अपनी गांड उठा के पूरी चूत मेरे मुह में धकेले मस्ती में चूर वो अपने जेठ को अपनी चूत का रसपान करवा रही थी
पांच सात मिनट और बीते उसका पूरा शरीर पसीने से सं चूका था पर मैं उसकी योनी को चुसे ही जा रहा था फलसवरूप वो एक बार और झड गयी थी बिना चोदे ही मैंने उसको दो बाद ढीली कर दिया था
अब मैंने तकिये को उसकी गांड के निचे रख दिया और उसकी टांगो को अपनी टांगो पर चढ़ाया ममता ममता ने अपनी आँखों को हल्का सा खोला मैंने अपने लंड को उसकी चूत की दरार पर रगडा
“जेठ जी क्यों तडपा रहे हो बर्दाश्त करनी की भी हद होती है मुझे अपना बना क्यों नहीं लेते आप ”
उसके ऐसा कहते ही मैंने जोर लगाया और अपना लंड चूत में डालने लगा और ममता का बदन अकड़ने लगा
“आह!सच में बहुत मोटा है आराम से ”
मैं- बस एक मिनट की बात है फिर तुम ही चाहोगी की मैं इसको अन्दर ही रखु
अगले कुछ धक्को के बाद मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में पंहुचा दिया और हलके हलके धक्के लगाने लगा ममता ने मेरी पीठ पर अपनी बाहे कस दी
“आह, आह उफफ्फ्फ्फ़ आई सीईईइ ”
उसके होंठो से गर्म आहे निकलने लगी ममता के पसीने की मादक गंध मेरी उत्तेजना को और बढ़ा रही थी जिस से मैं अब तेज तेज धक्के लगाने लगा था वो मेरी बाहों में पिघल रही थी
मैं- थोडा दम दिखा रानी बड़ा उछल रही थी अब जेठ को ठंडा नहीं करोगी
वो- क्या दम दिखाऊ दो बार तो पहले ही निचोड़ दी
मैं- मेरी रानी, तेरी चूत आज ऐसे मरूँगा की रात को बिस्तर पर करवातो में ही रात गुजरेगी
वो- चोद डालो, जेठ जी मुझे इस तरह रौंद डालो की इस निगोड़ी की सारी खाज मिट जाये अपनी बाहों में पीस डालो मुझे आह शाबाश और तेज और तेज तेज करो चोदो मुझे
मैंने ममता को चूमना चालू कर दिया होंठो से होंठ जुड़ गए थे उसके बाकि के शब्द मुह में ही घुल गए जल्दी ही वो अपनी गांड उठा उठा के मेरी ताल से ताल मिलाने लगी उसके सच में ही काफी स्टैमिना था कामुकता की चाशनी में डूबा हुआ उसका हुस्न मेरे आगोश में पल पल वो पिस रही थी उसकी छतिया किसी धोंकनी की तरह ऊपर निचे हो रही थी पर मेरी रफ़्तार बढती जा रही थी सांसे मुह में ही घुल गयी थी जीभ आपस में तलवार की तरह टकरा रही थी
मेरा लंड उसकी चूत के गाढे पानी से सना हुआ था चिकना हुआ द्रुत गति से दौड़ते हुए उसकी चूत के छल्ले को चौड़ा किये हुए था ममता का बदन अकड़ने लगा था वो मुझे कसने लगी अपनी बाहों ने सांसे फूल गयी थी उसका जिस्म ऐंठ और फिर एक बार से वो झड़ने लगी थी अब हुई वो पस्त और खाट पर किसी बेजान लाश की तरह पड़ गयी मैंने धक्के रोक दिए , कुछ देर बाद उसने अपनी सांसो को संयंत किया और मैंने उसे घोड़ी बना दी उसने मेरी और देखा पर मेरा हुआ नहीं था तो मैं क्या करता
उसने अपने अगले हिस्से को पूरी तरह से झुका दिया और पिछले हिस्से को ऊपर उठा लिया मैंने उसकी कमर में हाथ डाला और अपने लंड को चूत से भिड़ा चूत पूरी तरह से लाल हो रखी थी एक जोर का शॉट लगाया और फिर से उसको चोदने लगा ममता की हालात बुरी हुई पड़ी थी बस वो हाय हाय कर रही थी धीरे धीरे वो भी गरम होने लगी चूत का गीला पण बढ़ते ही मेरा हथियार और खूंखार होने लगा अपना पूरा जोर लगते हुए मैं उसकी चूत मार रहा था
“आह!जेठ जी सुसु आ रहा है बहुत तेज ”
“यही कर दो ”
“दो पल छोड़ो मुझे आः मैं रोक नहीं पाऊँगी ”
मैंने जैसे ही उसको ढील दी वो खाट से निचे उतरी और मूतने बैठ गयी सुर्र्र्रर सुर्र्र करके उसकी चूत से पेशाब की धर धरती पर गिरने लगी जैसे ही उसका मूत बंद हुआ मैंने उसको बिस्तर भी खीच लिया और फिर से हमारी चुदाई शुरू हो गयी ममता की सुध बुध खो चुकी थी बस वो मेरे धक्को को झेल रही थी करीब दस मिनट और मैंने उसकी ली फिर मैंने उसकी चूत में अपना गरमा गर्म वीर्य छोड़ दिया
एक के बाद एक वीर्य की पिचकारिया निकल कर उसकी चूत में गिरती रही और साथ ही वो भी झड़ गयी आज से पहले मेरा इतना पानी कभी नहीं निकला था ऐसा लग रहा था की जैसे किसी ने मेरी सारी शक्ति निचोड़ ली हो मैं उसकी बगल में ही पड़ गया
थोड़ी देर हम लोग लेटे रहे फिर ममता लड़खड़ाते कदमो से उठी और अपने कपड़ो को पहनने लगी
मैं- क्या हुआ और नहीं करना
वो- मुझसे गलती हो गयी जेठ जी मुझे माफ़ कीजिये
मैं- क्या हुआ मजा नहीं आया क्या
वो- मजा तो आया पर आपने तो मुझे निचोड़ दिया सर घूम रहा है पता नहीं घर तक पहुच भी पाऊँगी या नही
मैंने भी अपने कपडे पहने उसके बाद मैंने उस से वादा लिया की वो मेरा पूरा साथ देगी और कुछ भी पता चलते ही मुझे बताएगी उसने वादा किया की मैं उसको ऐसे ही पेलूँगा तो वो मेरी बन के रहेगी उसके बाद हमने अपना अपना रास्ता ले लिया
अब समस्या ये थी की हर एक के तार दुसरे से जुड़े थे और सारे ही ही मेरे अपने होने का दम भर रहे थे एक तरफ चाचा और बिमला थे जिन्होंने सब रिश्ते नाते ताक पर रख दिए थे अपने चोदुप्न के कारण, दूसरी तरफ प्यारी मामी थी जिसने चूत देके मेरी गांड मार ली थी मार ही डाला था मुझे और तीसरी तरफ रतिया काका था ममता के अनुसार उसने हमला करवाया था और लोचा भी उसका ही था अब साला जाये तो कहा जाये दिमाग में कुछ नहीं आ रहा था
दुनिया के केस सुलझाये थे पर खुद की गांड में पड़ा बम्बू नहीं निकल रहा था सब दरवाजे पीट लिए पर कुछ हासिल ना हो रहा था जी कर रहा था की उसी दिन मर जाते तो ठीक रहता ना हम रहते न ये सवाल होता ऊपर से ममता ने बुरी तरह थका दिया था तो मैं जाते ही सो गया फिर जब आँख खुली तो चारो तरफ अँधेरा था शायद बिजली चली गयी थी मैं उठ के अन्दर गया मोमबत्ती जलाई भूख सी लग आई थी अब इस समय किसी को जगाना ठीक नहीं था तो रसोई में गया कुछ खाया पिया नींद अब आनी थी नहीं मैंने देखा नीनू बैठक ने सोयी हुई है मैं उसके पास ही लेट गया
उस से चिपक गया उसको अपने से लगा लिया वो कसमसाई और मेरी बाहों में ढीली हो गयी मैंने एक हाथ उसकी कमर पर लपेट लिया
नीनू- सोने दो ना क्यों तंग करते हो
मैं- मैं कब जगा रहा हु अब क्या तुम्हे थोडा सा प्यार भी नहीं कर सकता मैं
वो- टाइम तो देखो
मैं- प्यार करने वाले टाइम नहीं देखते
वो- सोने दो ना बहुत नींद आ रही है
मैं- ठीक है , पर मैं इधर ही सो रहा हु
वो हां, वो मुझसे चिपक गयी और हम सो गए
सुबह जरा देर से आँखे खुली बदन जैसे टूट सा रहा था मैंने फ़ोन देखा तो मंजू की कई मिस काल आई हुई थी मैंने फ़ोन मिलाया डॉट इन घंटी के बाद उसने फ़ोन उठाया
मंजू-कब से फ़ोन कर रही हु तू है कहा
मैं- अभी उठा हु बस
वो- देव, मिलना है तुझसे
मैं- घर आजा
वो- नही उधर नहीं बात कुछ अर्जेंट है
मैं- ठीक है तू हमारे कुवे पर आजा मैं आधे घंटे में वहा मिलता हु
मैं करीब आधे घंटे में वहा पंहुचा तो मंजू वही बैठी थी
मैं- क्यों बुलाया
वो- देव, तूने सच कहा था तेरे साथ हुए हादसे में मेरे परिवार का कुछ तो लेना देना है
मैं- तुझे कैसे पता
वो- देव,मेरे बापू कल भाभी को चोद रहे थे मैंने देख लिया वो आपस में कुछ बात कर रहे थे तुम्हारे बारे में
मैं- क्या बात कर रहे थे
वो- देव, बात खजाने को लेकर थी
खजाना , तो जान का जंजाल बन गया था
मैं-बता जरा
वो- बापू भाभी से बोल रहे थे की उनको पूरा विश्वास है की देव बाकि का सोना ढूंढ ही लेगा तो भाभी बोली हां पर अगर वो ढूंढ लेगा तो हमे क्या मिलेगा फिर बापू बोला एक बार सोना मिलने तो दे उसके बाद देखेंगे उस सोने के लिए बड़े पापड़ बेले है
मैं- आगे
वो- बस इतना ही सुना
मैं- मंजू, अगर तेरे बापू ने गद्दारी की होगी तो तू किसका साथ देगी
वो- देव, मैं तेरा साथ दूंगी क्योंकि जब अपने ही दुश्मन हो जाये तो आदमी क्या कर सकता है देव तेरा मेरा बचपन से साथ रहा है मेरे बापू ने जो कलंक लगाया है उसे धोने के लिए मैं कुछ भी करुँगी
मैं- मुझे तेरा विश्वास है मंजू पर ये बात बता तूने अपने बापू से भी गांड मरवा ली
वो- देव, तुझे किसने
मैं- बस पता चला गया
वो- देव, एक दिन बापू ने मुझे और भाई को करते हुए पकड़ लिया था अब मैं क्या करती मज़बूरी हो गयी थी मेरी
मैं- जाने दे , तू मेरी बात सुन तू तेरे बापू से जाके चुदा और उस टाइम उस से इस बारे में पूछना और ये बोलना की देव को बाकि का खजाना मिल गया है मैंने तुझे बताया है
वो- समझ गयी आज ही तेरा ये काम कर दूंगी
उसके बाद मैंने उसे एक काम और करने को कहा फिर हमने अपना रास्ता पकड़ा अब कहानी ये थी की रतिया काका को चाह थी उस बाकि हिस्से की जो ना जाने कहा था और ममता को वो शायद ये कहना चाह रहे थे की सोना मिलने के बाद देव को रस्ते से हटा देंगे घर आके मैंने एक मैप बनाया ज्सिमे सबको लिखा, चाचा, बिमला, रतियाकाका, मामी, चारो ही मेरे लिए बहुत खास थे मेरे अपने थे पर चारो ही शक के घेरे में थे अब इनमे से तीन एक साथ थे और बिमला अलग थी सोना दो लोगो को मिला था
पिताजी के मन में कोई लालच नहीं था उन्होंने सबको हिस्सा दिया था चाहे वो नगद हो या सोना अगर ऐसा था तो उन्होंने मेरे लिए भी मेरा हिस्सा छोड़ा होगा ये बात पक्की थी क्योंकि जब वो उन नालायको पर दया कर सकते थे तो मैं तो उनका बेटा था इसका मतलब उन्होंने चाची को भी दिया होगा हां, पक्का पर आज चाची जिंदा थी नहीं तो कैसे मालूमात करू
मैंने अतीत के पन्ने खंगालने शुरू किये और मेरे दिमाग में एक बात आई चाची ने उन दिनों एक नया बैंक अकाउंट खुलवाया था तो शायद उन्होंने अपना सोना बैंक मे रखा हो मुझे याद था उन्होंने उस अकाउंट के बारे में चाचा को बताने से मना किया है मैंने तलाश किया तो उस अकाउंट की डिटेल्स मिल गयी मैंने पिस्ता को साथ लिया और बैंक पंहुचा
मेनेजर को अपनी और चाची की डिटेल्स बताई और आनी का मकसद भी अब वारिस तो मैं ही था तो करीब घंटे भर की कागजी कार्यवाई के बाद चाची के खाते में जितना भी कैश था वो और उनके लाकर की चाबी मेरे हाथ में थी जैसे ही मैंने लाकर खोला मेरी आँखे फट गयी वो पूरा सोने के गहनों से भरा था वो ही गहने जो और लोगो के पास थे पिस्ता ने वो सब बैग में भर लिया करीब पांच किलो क आस पास वजन था वो
आके हम गाड़ी में बैठे
पिस्ता- देव, एक बात तो है पिताजी ने तुम्हारे लिए भी कुछ तो छोड़ा है
मैं- हां, पर कहा वो नहीं पता
वो- शायद उन्हें पता हो की तुम उस तक पहुच जाओगे
मैं- काश वो साथ होते
वो- वो हमेशा तुम्हारे साथ है वो अपने आशीर्वाद के रूप में हमारी मदद कर रहे है देव जल्दी ही हम इस उलझन को सुलझा के तुम्हारे गुनेहगार को पकड लेंगे
मेरे दिमाग को इन नए समीकरणों ने उलझा दिया था किसी पर भी भरोसा करना मेरे लिए वापिस मौत के दरवाजे खोल सकता था मैंने एक चाल तो चली थी पर देखो उसका क्या असर होना था मंजू पर मुझे भरोसा था क्योंकि मैं जानता था वो मेरी मदद करेगी बिमला की बाकि सब से पट रही थी नहीं तो क्या दुश्मन का दुश्मन दोस्त हो सकता है क्या वो मेरी मदद कर सकती है जबकि गुजरे ज़माने में उसने मुझे बर्बाद करने की ठान ली थी असल में देखा जाये तो इस सब के लिए मैं ही जिम्मेदार था अगर मैं अपनी हवस में अपनी भाभी को फंसाता तो क्या पता आज मेरे सब अपने मेरे साथ होते
आखिर कुछ सोच कर मैंने गाड़ी बिमला की कोठी की तरफ मोड़ दी , पिस्ता- देव हम यहाँ क्यों आये है
मैं- मुझे लगता है बिमला को बता देना चाहिए कंवर के बारे में
पिस्ता-देव, वो टूट जाएगी
मैं- जो औरत अपनी जिद में सबको खा गयी उसको अब क्या फरक पड़ना है
पिस्ता- देव,मेरी बात मानो, कुछ बातो को छुपा लेना ही बेहतर है तुम समझ रहे हो ना
मैं- ठीक है पिस्ता पर कुछ और बाते तो कर सकते है है
वो- हाँ
हम लोग अन्दर गए कुछ इंतजार के बाद बिमला आई , हमारी बात शुरू हुई
मैं- देखो मैं उम्मीद करता हु की तुम सब सच बताओगी
वो- क्या जानना चाहते हो तुम
मैं- सोने के बारे में किस किस को पता है
वो- सबको जिन को होना चाहिये
मैं- मतलब
वो- मुझे , तुम्हे, तुम्हारे चाचा और रतिया काका को
मैं- तो तुम्हारा क्या पंगा है रतिया काका से और चाचा से
वो- चाचा ने साथ कर लिया था रतिया का दोनों कुछ खुराफात कर रहे थे मैंने कई बार कहा भी था की वो उस से दूर रही पर एक दिन चाह्चा ने मुझे कहा की मुझे सोना होगा रतिया के साथ तो मेरा दिमाग घूम गया उस दिन हमारा कलेश हुआ कुछ दिन बाद हम अलग हो गए रतिया ने जो फर्म बनायीं है वो हमारी जमीन है आज के हिसाब से उसकी करोडो में कीमत है वो कहता है की चाचा जी ने उसको वो जमीन दी है पर मैं नहीं मानती
मैं-ऐसा क्यों
वो- क्योंकि वो जमीन अपनी पुश्तैनी नहीं है जब घर का बंटवारा हुआ उसके बाद चाचाजी ने वो जमीन तुम्हारे लिए खरीदी थी
ये साला एक और बम फूट गया था
मैं- एक बात तो सा है ये सारा खेल खजाने के लिए हुआ है और इसके पीछे जो भी है मैं उसको माफ़ नहीं करूँगा
वो- मैं खुद इतने दिन से इसी काम में जुटी हु पर जो भी है वो बहुत शातिर है कोई सबूत नहीं कुछ सुराग नहीं मिल पाया है
मैं- गीता ताई से तुम्हारा क्या झगडा है
वो- जाने दो देव, तुम इस मामले में नहीं पडो कुछ बाते दबी ही रहे तो ठीक रहता है
मैं- बताओ ना
वो कहा न नहीं
मैं- उसने बताया की तुमने उसके पति को मरवाया
वो- पागल है साली, मैंने उसे कितनी बार कहा की रतिया का काम है पर वो साली मानती ही नहीं खामखा दुश्मनी पाल राखी है उसने
मैं- पर रतिया काका ने उसको क्यों मरवाया
वो- वो तो मुझे नहीं पता बस उडती उडती खबर आई थी और वैसे भी गीता और रतिया के सम्बन्ध ठीक नहीं है सबको पता है
मैं- तुम मुझे पूरी बात क्यों नहीं बताती हो
वो-क्योंकि सच बहुत कडवा है देव और मैं नहीं चाहती की तुम टूट कर बिखरो
“ये दुनिया वैसे नहीं होती जैसा हम समझते है यहाँ पर कोई किसी का अपना नहीं होता सब रिश्ते नाते मोह माया है सब आँखों का फरेब है यहाँ कोई किसी का सगा नहीं कोई किसी का पराया नहीं अगर कुछ सच है तो ये भूख, जिस्मो की भूख लालच की भूख इसके आलावा कुछ नहीं , मैं जानती हु की तुम सच को आज नै तो कल तलाश कर ही लोगे पर देव कम से कम मैं तुम्हे कुछ बाते नहीं बता सकती “
और हां, तुम्हे वो गाँव में मंदिर में कुछ देने की जरुरत नहीं तुम्हारे नाम से मैंने पैसे दे दिए है ”
मैं कुछ कहने ही वाला था की पिस्ता ने मेरा हाथ पकड लिया और चलने का इशारा किया हम वापिस आ गए बिमला से मदद मांगने गए थे ढेर सारी और उलझाने ले आये थे सब लोग अपना सब कुछ मुझे देने को तैयार थे सबका प्यार उमड़ आया था मुझ पर और इस प्यार के निचे था क्या सिर्फ नफरत और सिर्फ लालच
घर आके मैंने चाय नाश्ता किया सब लोग साथ ही बैठे थे मैं- एक बात ये भी है की बाकि का आधा खजाना जो था वो चोरी नहीं हुआ
नीनू- कैसे
मैं- क्योंकि गाँव में इन लोगो के आलावा कोई भी इतना अमीर नहीं हुआ है और बाहर का कोई खजाना ले जा सकता नहीं क्योंकि पिताजी ने वो जमीन खरीदते ही तार बंदी करवा दी थी और उस ज़माने में कोई ऐसे भी किसी की जमीन में नहीं जाया करता था वैसे भी वो उजाड़ जंगली इलाका है उस राज़ को बस दो आदमी ही जानते थे या तो रतिया काका या पिताजी रतिया काका उस समय हॉस्पिटल में थे तो पिताजी ने इतनी नजर तो राखी ही होगी की खजाने की सलामती रहे