मैं- पिस्ता ये माँ पिताजी का कमरा है पिस्ता ने उधर रौशनी की दीवारों पर उनकी तस्वीरे लगी थी मैंने उन पर लगी धुल को साफ़ किया ऐसा लगा की जैसे अभी बोल पड़ेंगी और मुझसे सवाल करेंगी की कहा चला गया था कितना इंतजार करवाया पर सच तो था की घर तो था पर घरवाले नहीं थे जी तो रोने को हो रहा था पर आंसुओ की भी कीमत होती है तो अपने अन्दर ही समेत लिया
पिस्ता- खाना खाओगे
मैं- हां भूख तो है
पिस्ता ने बैग से खाने के पैकेट निकाले और हम खाना खाने लगे बरसो बाद अपनी छत के निचे आया था ये शब्दों में बताने की बात ही नहीं है बस दी ही समझता है कुछ बाते बस दिल की ही होती है खाने के बाद नहाने की इच्छा थी पर रात बहुत हुई थी और अब नलके का भी पता नहीं था चलता है या नहीं ऊपर से सफ़र की थकन भी थी तो पिस्ता ने झाड पोंछ कर सोने का जुगाड़ किया और उसकी बाँहों में ही मैं नींद के आगोश में चला गया
सुबह आँख खुली तो पिस्ता साथ नहीं थी उबासी लेते हुए मैं बाहर आया तो देखा की वो सफाई करने में लगी हुई थी रस्ते से झाड़ियो को हटा रही थी
मैं- रहने दे मैं मजदुर बुला के करवा दूंगा वैसे भी घर की मरम्मत भी तो करवानी है
वो-हां पर थोडा आने जाने का रास्ता भी तो ठीक हो जाये
मैंने उसको मनाया और कहा की आजा नहा धोके आते है
वो- चल मेरे घर का ताला तो लेंगे
मैं- ना री, तेरे भाई को पता चलेगा तो हार्ट अटैक ही आ जायेगा
वो- क्या कुछ भी
मैं- यार गाँव है अपना किसी के भी घर नहा धो लेंगे
वो- तो मेरा घर क्या पराया है
मैं- तेरा मेरा किसने बता पगली चल बैग ले आ
और और हम लोग गली से मुड़े ही थे की मुझे राहुल मिल गया वो देखे मेरी और
मैं- ऐसे क्या देख रहा है मैं ही हु
वो भागकर मुझसे लिपट गया रोने लगा पागल
मैं- रोता क्यों है मैं आ गया हु
वो- घर चलो भाई
अब उनसे पारिवारिक सम्बन्ध थे तो मना कैसे करता और पहुच गए उनके घर उन लोगो को तो जैसे विश्वाश ही नहीं हुआ की इतने सालो बाद मैं यु अचानक वापिस आ गया हु पर सच तो यही था की मैं घर आ गया था पिस्ता नहाने चली गयी थी काकी ने तब तक खाने की तयारी कर दी थी रतिया काका के बारे में पुछा तो पता चला की वो किसी काम से बहार गये है रात तक ही वापिसी होगी बातो बातो में पता चला की राहुल की शादी हो गयी है , मंजू भी ससुराल चली गयी चलो सब बढ़ गए थे जिंदगी में आगे
नहा धोके एक दम तजा हो गया था फिर खाना वाना खाया उसके बाद मैंने राहुल से कहा की वो घर की थोड़ी सफाई करवानी है तो उसने कहा भाई आप ने कह दिया मैं अभी करवा देता हु और वो मजदुर लाने चला गया मैंने पिस्ता को आराम करने को कहा और मैं बिजली जुडवाने के लिए चला गया अपना परिचय दिया तो पता लगा की आज मैं फाइल भर दू कल तक तार लग जायेगा चलो लाइट का काम तो हुआ कुछ और काम करने थे वो किये बंक में गया अपने पुराने खातो की जानकारी ली पैसो को कोई दिक्कत नहीं थी पर वो दोलत मेरे माँ- बाप की थी तो देख रेख करना जरुरी था
आते आते शाम घिर आई थी जब मैं वापिस घर आया तो देखा की राहुल ने काफी हद तक सफाई करवा दी थी
राहुल- भाई कल तक पूरा साफ़ हो जायेगा पानी की सप्लाई चालू हो गयी है एक बार सफाई हो जाये फिर मरम्मत का काम चालू
मैं- बढ़िया
राहुल- कहा थे आप इतने दिन
तो मैंने उसको बता दिया बस कुछ खास बाते छुपा ली , तब तक पिस्ता चाय ले आई
मैं- यहाँ चाय
वो- हा अब इधर ही रहना है तो मैंने रसोई का सामान खरीद लिया और गैस अपने घर से उठा लायी
राहुल- मैं तो मन कर रहा था मेरा घर भी आपका ही है पर ये नहीं मानी
मैं- इसका ऐसा ही है
बातो बातो में रात घिर आई थी तो राहुल खाना लेने चला गया उसका तो मन था की उसके घर ही खाए पर मैं यहाँ ही रहना चाहता था करीब घंटे भर बाद वो आया तो रतिया काका भी उसके साथ थी मैंने काका के पैर छुए, उन्होंने मुझे गले से लगा लिया आँखों से आंसू गिरने लगे
काका- बड़ी देर लगाई बेटे आने में, हमने तो आस ही छोड़ दी थी दिल तो कहता था की तुम आओगे पर राह तकते तकते ये आँखे बूढी हो गयी
मैं- काका देर हो गयी पर अब मैं आ गया हु
मैं- काका गाँव के क्या हाल चाल है
वो- समय बदल गया है बेटा, बिमला से मिले
मैं-नहीं काका मिला नहीं और ना ही इच्छा है पर सुना है बाहुबली हो गयी है आजकल
वो- हां बेटा, अब सरपंच है गाँव की और बड़े लोगो से उठना बैठना है हमसे तो कोई सम्बन्ध रखा नहीं उसने नाहर पर ही कोठी बना ली है उधर ही रहती है
मैं- आती नहीं इधर
वो- उस हादसे के थोड़े दिन बाद ही यहाँ से चली गयी थी वो
मैं- और चाचा
वो- उसके साथ ही रहता था पहले फिर उसने किसी मास्टरनी से शादी कर ली अब सहर में ही रहता है वो भी नहीं आता कभी भी
मैं- चलो अच्छा है , आप सुनाओ
वो- बस बेटे जी रहे है दोनों बच्चो के हाथ पीले कर दिए राहुल मेरे साथ ही हाथ बाटता है काम में पहले दुकान थी अब फर्म हो गयी है
बातो बातो में रात काफी हो गयी थी तो काका बोले- अब चलता हु बेटा सुबह मिलूँगा पर जब तक यहाँ की मरम्मत नहीं हो जाती तुम उधर ही रह लेते वो भी तो तुहारा ही घर है
मैं- क्यों शरिंदा करते हो काका , जानता हु वो भी मेरा ही घर है पर अब इतने बरस बाद आया हु तो मन है
काका- मर्ज़ी है तुम्हारी
उनके जाने के बाद पिस्ता नहाने चली गयी मैं छत पर बिस्तर बिछाने लगा मच्छर बहुत थे तो मैंने मच्छरदानी लगा ली पिस्ता थोड़ी देर बाद आई पतली सी ड्रेस में भीगा बदन उसका बालो से टपकता पानी उसके यौवन को और नशीला बना रहा था मैंने पिस्ता को अपनी बाँहों में भर लिया
पिस्ता- छोड़ो ना
मैं- ना
वो- क्या इरादा है
मैं- तुम्हे नहीं पता क्या
वो- आह , मुझे तो अब पता है
मैं- तो रोक क्यों रही हो
वो- कहा रोक रही हु आह आराम से
मैंने उसकी ड्रेस खोल दी अन्दर उसने कुछ नहीं पहना था वो नंगी मेरी बाँहों में सिमटने लगी मेरे हाथ उसके उभारो पर चलने लगे चारो तरफ छाई शांति को पिस्ता की मादक आहे भंग करने लगी थी वो मेरे अगले हिस्से पर अपने कुलहो को रगड़ने लगी थी कुछ एर तक मैं उके उभारो से खेलता रहा अब वो एक दम टाइट हो चुके थे तभी पिस्ता पलती उकी छतिया मेरे सीने में चुभने लगी उसने अपने सुलगते होंठ मेरे होंठो पर रख दिए और किस करने लगी मेरे हाथ उसके भारी गांड को मसलने लगी थी
वो किसी नागिन की तरह मुझ से लिपटे हुए मेरे होंठो की प्यास अपने होंठो से बुझा रही थी मैं उसके आगोश में पिघलने लगा था दस मिनट तक बस हमारी चूमा- चाटी चलती रही उसके बाद मैंने पिस्ता को बिस्स्तर पर लिटा दिया उसने अपनी टांगो को फैलाया और अपनी मंशा बताई मैं घुटनों के बल बैठ गया और उसकी बिना बालो की मक्खन सी चूत पर अपने होंठ रख दिया बिजली सी दौड़ गयी उसके बदन में किसी तार की ताराह बदन खीच गया
होंठो से मधुर आये निकल पड़ी आह उफ्फ्फ्फ़ ऐसे मत रगडो ना आआह्ह्ह काटो मत आराम से यार
पर उसकी कौन सुनने वाला था उसकी चूत के अंदरूनी हिस्से से रगड़ खाती मेरी जीभ नमकीन स्वाद को चख रही थी पिस्ता की टांगो में कम्पन शुरू हो गया था चूचियो के निप्पल तन गए थे मस्ती भरी लहरें उसके शरीर से बार बार टकरा रही थी बेकाबू पिस्ता ने मेरे सर को अपनी चूत पर दबा लिया और कांपने लगी उसके बिखरे बाल लाल आँखे गरम चिकना बदन मेरा लंद्द काबू से बाहर हो रहा था इधर मैंने अपनी बीच वाली
ऊँगली उसकी चूत में डाल दी और उसके दाने को चुमते हुइ उसकी चूत में ऊँगली अन्दर बाहर कर रहा था
पिस्ता तो जैसे गीली हुई ही बैठी थी आज उसकी चूत से बहुत ज्यादा रस छुट रहा था इधर उत्तेजना मुझे भी उकसा रही थी पिस्ता में समा जाने को तो अब मैं वहा से हट गया पिस्ता ने अपनी टाँगे पलंग से निचे सरका ली और आधी बैठी सी हो गयी और मैंने बिना देर किये अपने उसल को थे दिया अनडर की तरफ पिस्ता ने मेरी बाहों को थाम लिया और हमारा खेल शुरू हो गया चिकनी चूत में मेरा लम्बा लंड आतंक मचाये हुए था
पिस्ता तो वैसे ही बीच तक आ चुकी थी तो वो पुरे जोश से अपनी गांड को ऊपर कर कर के चुदाई का मजा ले रही थी कुछ देर बाद मैंने पिस्ता को घोड़ी बना दिया उसके मोटे चूतडो को देखते ही बनता था क्या गजब था उसने अपनी गांड को मेरे लंड की तरफ सरकाया और मैंने भी उसको अपनी सही जगह पर पंहुचा दिया उसकी कमर पर हाथ डाला और अब चोदने लगा उसको पिस्ता ने अपनी दोनों जांधो को आपस में चिपका लिया था और चुदाई के मजे ले रही थी
७-8 मिनट तक हम दोनों वैसे ही चुदाई करते रहे फिर पिस्ता का कोटा पूरा हो गया और वो औंधे मुह बिस्तर पर गिर गयी मैंने भी उसके ऊपर लेट गया और उसको चोदने लगा वो अभी अभी झड़ी थी तो उसका बदन हिचकोले खा रहा था एक मीठा सा अहसास अभी भी उसके बदन में दौड़ रहा था उसके हाथो पर अपने हाथ रखे मैं उसी पोजीशन में उसपे चढ़ा रहा उसके नरम कुलहो का गद्देदार अहसास अब क्या बताऊ पिस्ता लम्बी लम्बी सांसे लेते हुए चुद रही थी
और थोड़ी देर बाद मैं भी फारिग हो गया और उसके बगल में लेट गया कब नींद आ गयी पता नहीं चला सुबह जब आँख खुली तो कुछ आवाजे आ रही थी तो मैंने देखा की घर के बाहर दो तीन जीप खड़ी थी और पिस्ता कुछ लोगो से उलझी पड़ी थी
मैने जल्दी से अपनी टी-शर्ट पहनी और निचे आया कुछ लठेत से थे पिस्ता बहस कर रही थी उनसे
मैं- क्या हुआ
पिस्ता- पता नहीं कौन लोग है घर से निकलने को कह रहे है
मैं- तुम्हारे बाप का घर है क्या
उनमे से एक- हमारी मालकिन का घर है
मैं- ओह ओह मालकिन ने ये नहीं बताया की उसका भी कोई मालिक है जा जाके कह दियोतेरी मालकिन से की इस घर का असली हक़दार आ गया है
वो- हमे नहीं पता आप लोग निकल जाओ यहाँ से वर्ना हमे निकालना पड़ेगा
मैं- जरा मैं भी तो देखू की किसकी इतनी हिमत हो गयी है
तभी रतिया काका और राहुल भी आ गए साथ ही कुछ गाँव वाले भी थे
काका-क्या हुआ बेटा
मैं- पता नहीं कौन लोग है फालतू का पंगा कर रहे है
उनको शायद काका जानते थे तो वो उनसे बोले- जाके कहना की देव वापिस आ गया है वो समझ जाएगी
उनमे से एक – पर .........
मैं- पर कुछ नहीं, अगर ५ मिनट में तुम यहाँ से नहीं निकले तो ६ति मिनट में तुम्स अब की लाश यहाँ पड़ी होगी और ये मेरा हुकम है जिसे तुम्हे मान न होगा और जाके अपनी मालकिन से कह्देना की सी घर का वारिस आ गया है मैं दहाडा
वो लोग खिसक लिए वहा से
मैं- बिमला की तो खबर लूँगा
काका- बेटा ये लोग थोड़े थोड़े दिन में इधर आते है देखने शायद तुमको जान नहीं पाए होंगे
मैं- जो भी हो
बात आई गयी हो गयी , राहुल आज और मजदुर ले आया था तो काम तेजी से हो रहा था मैं अन्दर गया और पिस्ता को बुलाया
मैं- ये गन ले और आगे से कोई भी ऐसी बात हो थो खाली हाथ मत उलझना ये तेरी हिफाजत करेगी और ज्यादा बात हो तो सीधा गोई चला देना बाकि मन देख लूँगा
वो- टेंशन मत लो तुम
फिर नीनू का फ़ोन आया तो उसे पूरी बात बताई आर्यन और माधुरी से भी बात की नीनू थोड़ी टेंशन में थी उसको समझाया की फ़िक्र न करे बात करने के बाद मैंने पिस्ता से कहा की मैं थोडा घूम फिरके आता हु चलेगी तो उसने मन करते हुए कहा की वो थोडा मरम्मत का काम देखेगी और थोड़ी सफाई करेगी तो मैं अकेला ही चल पड़ा तभी मुझे किसी की याद आई तो मैं उधर ही चल पड़ा जैसे ही उसके घर की तरफ पंहुचा वो आँगन में ही थी पशुओ को नहला रही थी मैंने उसे देखा गुजरे वक़्त के साथ उस पर कोई असर नहीं पड़ा था वो और खूबसूरत हो गयी थी निखर गयी थी
मैं अन्दर गया और बोला- और ताई कैसी हो
उसने पल भर के लिए मुझे देखा और फिर भागते हुए मेरे पास ई और मुझे अपनी बाँहों में भर लिया बोली- तुम .....
मैं- हां मैं
पिस्ता- खाना खाओगे
मैं- हां भूख तो है
पिस्ता ने बैग से खाने के पैकेट निकाले और हम खाना खाने लगे बरसो बाद अपनी छत के निचे आया था ये शब्दों में बताने की बात ही नहीं है बस दी ही समझता है कुछ बाते बस दिल की ही होती है खाने के बाद नहाने की इच्छा थी पर रात बहुत हुई थी और अब नलके का भी पता नहीं था चलता है या नहीं ऊपर से सफ़र की थकन भी थी तो पिस्ता ने झाड पोंछ कर सोने का जुगाड़ किया और उसकी बाँहों में ही मैं नींद के आगोश में चला गया
सुबह आँख खुली तो पिस्ता साथ नहीं थी उबासी लेते हुए मैं बाहर आया तो देखा की वो सफाई करने में लगी हुई थी रस्ते से झाड़ियो को हटा रही थी
मैं- रहने दे मैं मजदुर बुला के करवा दूंगा वैसे भी घर की मरम्मत भी तो करवानी है
वो-हां पर थोडा आने जाने का रास्ता भी तो ठीक हो जाये
मैंने उसको मनाया और कहा की आजा नहा धोके आते है
वो- चल मेरे घर का ताला तो लेंगे
मैं- ना री, तेरे भाई को पता चलेगा तो हार्ट अटैक ही आ जायेगा
वो- क्या कुछ भी
मैं- यार गाँव है अपना किसी के भी घर नहा धो लेंगे
वो- तो मेरा घर क्या पराया है
मैं- तेरा मेरा किसने बता पगली चल बैग ले आ
और और हम लोग गली से मुड़े ही थे की मुझे राहुल मिल गया वो देखे मेरी और
मैं- ऐसे क्या देख रहा है मैं ही हु
वो भागकर मुझसे लिपट गया रोने लगा पागल
मैं- रोता क्यों है मैं आ गया हु
वो- घर चलो भाई
अब उनसे पारिवारिक सम्बन्ध थे तो मना कैसे करता और पहुच गए उनके घर उन लोगो को तो जैसे विश्वाश ही नहीं हुआ की इतने सालो बाद मैं यु अचानक वापिस आ गया हु पर सच तो यही था की मैं घर आ गया था पिस्ता नहाने चली गयी थी काकी ने तब तक खाने की तयारी कर दी थी रतिया काका के बारे में पुछा तो पता चला की वो किसी काम से बहार गये है रात तक ही वापिसी होगी बातो बातो में पता चला की राहुल की शादी हो गयी है , मंजू भी ससुराल चली गयी चलो सब बढ़ गए थे जिंदगी में आगे
नहा धोके एक दम तजा हो गया था फिर खाना वाना खाया उसके बाद मैंने राहुल से कहा की वो घर की थोड़ी सफाई करवानी है तो उसने कहा भाई आप ने कह दिया मैं अभी करवा देता हु और वो मजदुर लाने चला गया मैंने पिस्ता को आराम करने को कहा और मैं बिजली जुडवाने के लिए चला गया अपना परिचय दिया तो पता लगा की आज मैं फाइल भर दू कल तक तार लग जायेगा चलो लाइट का काम तो हुआ कुछ और काम करने थे वो किये बंक में गया अपने पुराने खातो की जानकारी ली पैसो को कोई दिक्कत नहीं थी पर वो दोलत मेरे माँ- बाप की थी तो देख रेख करना जरुरी था
आते आते शाम घिर आई थी जब मैं वापिस घर आया तो देखा की राहुल ने काफी हद तक सफाई करवा दी थी
राहुल- भाई कल तक पूरा साफ़ हो जायेगा पानी की सप्लाई चालू हो गयी है एक बार सफाई हो जाये फिर मरम्मत का काम चालू
मैं- बढ़िया
राहुल- कहा थे आप इतने दिन
तो मैंने उसको बता दिया बस कुछ खास बाते छुपा ली , तब तक पिस्ता चाय ले आई
मैं- यहाँ चाय
वो- हा अब इधर ही रहना है तो मैंने रसोई का सामान खरीद लिया और गैस अपने घर से उठा लायी
राहुल- मैं तो मन कर रहा था मेरा घर भी आपका ही है पर ये नहीं मानी
मैं- इसका ऐसा ही है
बातो बातो में रात घिर आई थी तो राहुल खाना लेने चला गया उसका तो मन था की उसके घर ही खाए पर मैं यहाँ ही रहना चाहता था करीब घंटे भर बाद वो आया तो रतिया काका भी उसके साथ थी मैंने काका के पैर छुए, उन्होंने मुझे गले से लगा लिया आँखों से आंसू गिरने लगे
काका- बड़ी देर लगाई बेटे आने में, हमने तो आस ही छोड़ दी थी दिल तो कहता था की तुम आओगे पर राह तकते तकते ये आँखे बूढी हो गयी
मैं- काका देर हो गयी पर अब मैं आ गया हु
मैं- काका गाँव के क्या हाल चाल है
वो- समय बदल गया है बेटा, बिमला से मिले
मैं-नहीं काका मिला नहीं और ना ही इच्छा है पर सुना है बाहुबली हो गयी है आजकल
वो- हां बेटा, अब सरपंच है गाँव की और बड़े लोगो से उठना बैठना है हमसे तो कोई सम्बन्ध रखा नहीं उसने नाहर पर ही कोठी बना ली है उधर ही रहती है
मैं- आती नहीं इधर
वो- उस हादसे के थोड़े दिन बाद ही यहाँ से चली गयी थी वो
मैं- और चाचा
वो- उसके साथ ही रहता था पहले फिर उसने किसी मास्टरनी से शादी कर ली अब सहर में ही रहता है वो भी नहीं आता कभी भी
मैं- चलो अच्छा है , आप सुनाओ
वो- बस बेटे जी रहे है दोनों बच्चो के हाथ पीले कर दिए राहुल मेरे साथ ही हाथ बाटता है काम में पहले दुकान थी अब फर्म हो गयी है
बातो बातो में रात काफी हो गयी थी तो काका बोले- अब चलता हु बेटा सुबह मिलूँगा पर जब तक यहाँ की मरम्मत नहीं हो जाती तुम उधर ही रह लेते वो भी तो तुहारा ही घर है
मैं- क्यों शरिंदा करते हो काका , जानता हु वो भी मेरा ही घर है पर अब इतने बरस बाद आया हु तो मन है
काका- मर्ज़ी है तुम्हारी
उनके जाने के बाद पिस्ता नहाने चली गयी मैं छत पर बिस्तर बिछाने लगा मच्छर बहुत थे तो मैंने मच्छरदानी लगा ली पिस्ता थोड़ी देर बाद आई पतली सी ड्रेस में भीगा बदन उसका बालो से टपकता पानी उसके यौवन को और नशीला बना रहा था मैंने पिस्ता को अपनी बाँहों में भर लिया
पिस्ता- छोड़ो ना
मैं- ना
वो- क्या इरादा है
मैं- तुम्हे नहीं पता क्या
वो- आह , मुझे तो अब पता है
मैं- तो रोक क्यों रही हो
वो- कहा रोक रही हु आह आराम से
मैंने उसकी ड्रेस खोल दी अन्दर उसने कुछ नहीं पहना था वो नंगी मेरी बाँहों में सिमटने लगी मेरे हाथ उसके उभारो पर चलने लगे चारो तरफ छाई शांति को पिस्ता की मादक आहे भंग करने लगी थी वो मेरे अगले हिस्से पर अपने कुलहो को रगड़ने लगी थी कुछ एर तक मैं उके उभारो से खेलता रहा अब वो एक दम टाइट हो चुके थे तभी पिस्ता पलती उकी छतिया मेरे सीने में चुभने लगी उसने अपने सुलगते होंठ मेरे होंठो पर रख दिए और किस करने लगी मेरे हाथ उसके भारी गांड को मसलने लगी थी
वो किसी नागिन की तरह मुझ से लिपटे हुए मेरे होंठो की प्यास अपने होंठो से बुझा रही थी मैं उसके आगोश में पिघलने लगा था दस मिनट तक बस हमारी चूमा- चाटी चलती रही उसके बाद मैंने पिस्ता को बिस्स्तर पर लिटा दिया उसने अपनी टांगो को फैलाया और अपनी मंशा बताई मैं घुटनों के बल बैठ गया और उसकी बिना बालो की मक्खन सी चूत पर अपने होंठ रख दिया बिजली सी दौड़ गयी उसके बदन में किसी तार की ताराह बदन खीच गया
होंठो से मधुर आये निकल पड़ी आह उफ्फ्फ्फ़ ऐसे मत रगडो ना आआह्ह्ह काटो मत आराम से यार
पर उसकी कौन सुनने वाला था उसकी चूत के अंदरूनी हिस्से से रगड़ खाती मेरी जीभ नमकीन स्वाद को चख रही थी पिस्ता की टांगो में कम्पन शुरू हो गया था चूचियो के निप्पल तन गए थे मस्ती भरी लहरें उसके शरीर से बार बार टकरा रही थी बेकाबू पिस्ता ने मेरे सर को अपनी चूत पर दबा लिया और कांपने लगी उसके बिखरे बाल लाल आँखे गरम चिकना बदन मेरा लंद्द काबू से बाहर हो रहा था इधर मैंने अपनी बीच वाली
ऊँगली उसकी चूत में डाल दी और उसके दाने को चुमते हुइ उसकी चूत में ऊँगली अन्दर बाहर कर रहा था
पिस्ता तो जैसे गीली हुई ही बैठी थी आज उसकी चूत से बहुत ज्यादा रस छुट रहा था इधर उत्तेजना मुझे भी उकसा रही थी पिस्ता में समा जाने को तो अब मैं वहा से हट गया पिस्ता ने अपनी टाँगे पलंग से निचे सरका ली और आधी बैठी सी हो गयी और मैंने बिना देर किये अपने उसल को थे दिया अनडर की तरफ पिस्ता ने मेरी बाहों को थाम लिया और हमारा खेल शुरू हो गया चिकनी चूत में मेरा लम्बा लंड आतंक मचाये हुए था
पिस्ता तो वैसे ही बीच तक आ चुकी थी तो वो पुरे जोश से अपनी गांड को ऊपर कर कर के चुदाई का मजा ले रही थी कुछ देर बाद मैंने पिस्ता को घोड़ी बना दिया उसके मोटे चूतडो को देखते ही बनता था क्या गजब था उसने अपनी गांड को मेरे लंड की तरफ सरकाया और मैंने भी उसको अपनी सही जगह पर पंहुचा दिया उसकी कमर पर हाथ डाला और अब चोदने लगा उसको पिस्ता ने अपनी दोनों जांधो को आपस में चिपका लिया था और चुदाई के मजे ले रही थी
७-8 मिनट तक हम दोनों वैसे ही चुदाई करते रहे फिर पिस्ता का कोटा पूरा हो गया और वो औंधे मुह बिस्तर पर गिर गयी मैंने भी उसके ऊपर लेट गया और उसको चोदने लगा वो अभी अभी झड़ी थी तो उसका बदन हिचकोले खा रहा था एक मीठा सा अहसास अभी भी उसके बदन में दौड़ रहा था उसके हाथो पर अपने हाथ रखे मैं उसी पोजीशन में उसपे चढ़ा रहा उसके नरम कुलहो का गद्देदार अहसास अब क्या बताऊ पिस्ता लम्बी लम्बी सांसे लेते हुए चुद रही थी
और थोड़ी देर बाद मैं भी फारिग हो गया और उसके बगल में लेट गया कब नींद आ गयी पता नहीं चला सुबह जब आँख खुली तो कुछ आवाजे आ रही थी तो मैंने देखा की घर के बाहर दो तीन जीप खड़ी थी और पिस्ता कुछ लोगो से उलझी पड़ी थी
मैने जल्दी से अपनी टी-शर्ट पहनी और निचे आया कुछ लठेत से थे पिस्ता बहस कर रही थी उनसे
मैं- क्या हुआ
पिस्ता- पता नहीं कौन लोग है घर से निकलने को कह रहे है
मैं- तुम्हारे बाप का घर है क्या
उनमे से एक- हमारी मालकिन का घर है
मैं- ओह ओह मालकिन ने ये नहीं बताया की उसका भी कोई मालिक है जा जाके कह दियोतेरी मालकिन से की इस घर का असली हक़दार आ गया है
वो- हमे नहीं पता आप लोग निकल जाओ यहाँ से वर्ना हमे निकालना पड़ेगा
मैं- जरा मैं भी तो देखू की किसकी इतनी हिमत हो गयी है
तभी रतिया काका और राहुल भी आ गए साथ ही कुछ गाँव वाले भी थे
काका-क्या हुआ बेटा
मैं- पता नहीं कौन लोग है फालतू का पंगा कर रहे है
उनको शायद काका जानते थे तो वो उनसे बोले- जाके कहना की देव वापिस आ गया है वो समझ जाएगी
उनमे से एक – पर .........
मैं- पर कुछ नहीं, अगर ५ मिनट में तुम यहाँ से नहीं निकले तो ६ति मिनट में तुम्स अब की लाश यहाँ पड़ी होगी और ये मेरा हुकम है जिसे तुम्हे मान न होगा और जाके अपनी मालकिन से कह्देना की सी घर का वारिस आ गया है मैं दहाडा
वो लोग खिसक लिए वहा से
मैं- बिमला की तो खबर लूँगा
काका- बेटा ये लोग थोड़े थोड़े दिन में इधर आते है देखने शायद तुमको जान नहीं पाए होंगे
मैं- जो भी हो
बात आई गयी हो गयी , राहुल आज और मजदुर ले आया था तो काम तेजी से हो रहा था मैं अन्दर गया और पिस्ता को बुलाया
मैं- ये गन ले और आगे से कोई भी ऐसी बात हो थो खाली हाथ मत उलझना ये तेरी हिफाजत करेगी और ज्यादा बात हो तो सीधा गोई चला देना बाकि मन देख लूँगा
वो- टेंशन मत लो तुम
फिर नीनू का फ़ोन आया तो उसे पूरी बात बताई आर्यन और माधुरी से भी बात की नीनू थोड़ी टेंशन में थी उसको समझाया की फ़िक्र न करे बात करने के बाद मैंने पिस्ता से कहा की मैं थोडा घूम फिरके आता हु चलेगी तो उसने मन करते हुए कहा की वो थोडा मरम्मत का काम देखेगी और थोड़ी सफाई करेगी तो मैं अकेला ही चल पड़ा तभी मुझे किसी की याद आई तो मैं उधर ही चल पड़ा जैसे ही उसके घर की तरफ पंहुचा वो आँगन में ही थी पशुओ को नहला रही थी मैंने उसे देखा गुजरे वक़्त के साथ उस पर कोई असर नहीं पड़ा था वो और खूबसूरत हो गयी थी निखर गयी थी
मैं अन्दर गया और बोला- और ताई कैसी हो
उसने पल भर के लिए मुझे देखा और फिर भागते हुए मेरे पास ई और मुझे अपनी बाँहों में भर लिया बोली- तुम .....
मैं- हां मैं