अगला कुछ वक़्त बस ख़ामोशी में बीत गया काफ़ी दिनों बाद मैंने बाहर का खाना खाया था तो मुझे तो मजा आ गया , अब करने को कुछ था नहीं तो खाते ही मैं थोड़ी देर लेट गया फिर सीधा शाम को ही उठा, रति पास म ही बैठी कुछ कर रही थी वो मेरी और देखि और बोली
रति- सोते बहुत हो तुम
मैं- हां, सभी ऐसा कहते हैं मुझे आप बताओ
वो- मैं क्या बताऊ,
मैं- कुछ अपने बारे में
वो- कुछ खास नहीं है बस लाइफ कट रही है इतना काफी हैं मेरे लिए सब ठीक ठाक ही था पर कल मुसीबत आन पड़ी ये पूरी टांग ही छिल गयी है दोपहर में मैंने देखा काफ़ी दिन लगेंगे जख्म ठीक होते होते और निशाँ तो रह ही जायेंगे
मैं- आपके भाग की बात है वर्ना हादसे में क्या हो जाये
वो- हां,
मैं- रति बुरा ना मानो तो एक बात पूछ सकता हूँ
वो- बुरा मानने की क्या बात है पूछो जो पूछना है
मैं- तुम्हारी इन खूबसूरत आँखों में एक अजीब सी ख़ामोशी नजर आती हैं मुझे
वो- ऐसा क्यों लगा तुम्हे
मैं- तुम्हे मुझसे ज्यादा पता हैं ना
वो- हां
मैं- अब जो औरत अजनबी को घर में पनाह दे सकती है वो दिल कि बुरी तो हो नहीं सकती तो फिर तुमको क्या गम हो सकता है
वो- सच मेमें सही हूँ मस्त हूँ
मैं- देखो मेरा कोई हक तो नहीं है पर दिल में कोई बात हो तो उसे बता देना चाहिए क्या होता है काफ़ी बार हम घुटते रहते है दो पल के लिए मुझे अपना दोस्त मान कर ही शेयर कर लो
वो- अब छोटी मोटी परेशानिया तो चलती ही रहती हैं ना उसके बारे में क्या सोचना
मैं- हां बिलकुल चलो छोड़ो इन सब बातो को बस जल्दी से ठीक हो जाओ आप यही दुआ हैं मेरी तो
वो मुस्कुराई
मैं- कल तो सहर को घुमुंगा अच्छे से शाम को ही आऊंगा मैं
वो- ठीक है जैसे आप चाहो
वो- अपने बारे में बताओ कुछ बातो से तो बड़े दिलचस्प टाइप लगते हो
मैं- कुछ ख़ास नहीं है मेरे बारे में बस जिंदगी शुरू हो रही है धीरे धीरे से आँखों में कुछ सपने है छोटे मोटे ख्वाब पुरे करने की आस है बस यही अपनी कहानी हैं
वो- हम्म
मैं- आपने तो पूरा सहर अच्छे से देख लिया होगा ना, मैंने मेहरानगढ़ के किले के बारे में बहुत सुना है और ये भी की जोधपुर का तक़रीबन हर घर नीला है
वो- नहीं जी, काम से इतनी फुर्सत ही नहीं मिलती हां थोडा बहुत देखा है पर पूरी तरह से नहीं
मैं- तो जब आपके वो आये तो जाओ उनके साथ कही पे
वो- उनके पास वक़्त ही कहा मेरे लिए
मैं- ऐसा क्यों भला वो- कभी समझ ही नहीं पाई उनको
३ साल हुए शादी को , कुछ ज्यादा बात नहीं हूति हमारे बीच में बस हाय- हेल्लो इ फॉर्मेलिटी के अलावा पता नहीं उन्हें मुझ में क्या कमी नजर आती है ३ साल में एक बार भी नहीं देखा उन्होंने मेरी तरफ , बात करने की कोशिश की मैंने पर कुछ नहीं ...............
कमरे में एक ठंडी सी ख़ामोशी च गयी थी हम दोनों के दरमियान कुछ निजी सवाल अपने लिए जवाब मांग रहे थे रति जूझ रही थी अपनी ही परेशानियों से और मैं एक मुसाफिर अनजाना
पर तुम में क्या कमी है
वो- मेरे पति किसी और को चाहते हैं पर घरवालो के दवाब में उनको मुझसे शाद्की करनी पड़ी अब बताओ इसमें मेरा क्या दोष हैं अगर उनको प्रॉब्लम थी तो बात कर सकते थे अब मुझे लटका दिया गरीब माँ- बाप की बेटी हूँ नोकरी मिल गयी तो अच्छे रिश्ते के कारण ब्याह कर दिया मेरा पर अब हाल देखो मैं अपना हाल किस से कहू, कहते कहते रती की आँखे डबडबा आई मोटे मोटे आंसू बह चले
मैं भी थोडा सा उदास सा हो गया पर इन हालातो पर किसका काबू होता है जनाब उसकी सिसकिय कही ना कही मरे दिल में घाव कर रही थी हम तो अपने आप को कोसते थे की हम दुखी है जब रखा घर से बाहर कदम तो मालूम हुआ की गम होता क्या हैं मैंने रुमाल उसको दिया और कहा – पोंछ लो इन आंसुओ को ये बहुत कीमती होते है , अगर आंसुओ से किसी समस्या का हल निकलता तो आज कोई दुखी नहीं होता लो थोडा पानी पियो जी हल्का होगा तुम्हारा
रती देखो तुम्हारे पति का जो भी मेटर हो , वो उनका पर्सनल है पर जब उन्होंने तुम्हारा हाथ थमा तो उसी लम्हे से वो तुमसे जुड़ गए और फिर कहते हैं न की पति पत्नी तो जन्म-जन्मान्तर के साथी होते है देखो तुम अब जब भी मिलो उनसे तस्सली से बात करो उम्मीद है सब ठीक हो जायेगा ये दुरिया कब मिट जाएगी तुम्हे पता भी नहीं चलेगा
बातो बातो में रात काफी हो गयी थी तभी उसके पाँव में दर्द होने लगा
मैं- लाओ मैं दवाई लगा देता हूँ
वो- नहीं मैं लगा लुंगी
मैं- अपने इस दोस्त को इतना भी हक़ ना दोगी उसने बिना कुछ कहे ट्यूब मुझे दी और लेट गयी
मैंने मैक्सी को थोडा सा ऊपर किया काफी खाल चिल गयी थी उसकी वो जख्म ऐसा लगा जैसे की चाँद में दाग लगा दिया हो किसी ने मैंने दवाई ली और धीमे से उसको टच किया आः आह हलके से वो सिसक पड़ी ..
रती की दूधिया जांघो पर वो जख्म ऐसे लग रहा था जैसे की चाँद पर कोई दाग हो , मैंने उसकी टांग को थोडा सा और अपनी तरफ खीचा तो वो बोल पड़ी- आहिस्ता से
उसकी मैक्सी थोड़ी सी और ऊपर को हो गयी मुझे उसकी आधे से ज्यादा जांघो का नजारा मिल रह था पर मैं उस चीज़ के बारे में सोचना नहीं चाहता था मैंने फिर से मेरे हाथ से उसकी जांघ को दबाया पर पुरुष के स्पर्श से रती को थोडा सा तनाव भी हो रहा था उसकी केले के तने जैसी चिकनी टांगे बहुत मस्त लग रही थी उन मक्खन सी टांगो पर मेरे खुरदुरे हाथो को सपर्श अब मैं इस से ज्यादा और क्या कहू
मैंने रुई के फाहे को डेटोल से भिगोया और उसके जख्म को साफ़ करने लगा सीईईई की आवाज निकली उसके मुह से अब डेटोल की वजह से दर्द तो होना ही था मैंने कहा – बस बस हो गया दो तीन बार अच्छे से रुई को फिराया मैंने आस पास फिर क्रीम लगाने लगा मैं बहुत आहिस्ता से उसके पाँव पर अपना हाथ फिर रहा था रती के गोरे चेहरे पर एक गुलाबीपन सा उतर आया था धीरे धीरे से मैंने पूरी दवाई वहा पर लगा दी और उसकी मैक्सी को नीचे कर दिया
शुक्रिया- कहा उसने पीठ पर भी दवाई लगा दो कल भी नहीं लगा पाई थी मैं
मैं- वो थोडा सा मुश्किल होगा क्योंकि उसके लिए . मैंने बात अधूरी छोड़ दी
वो- मैं खुद तो लगा नहीं पाऊँगी , और फिर दर्द के मारे पूरी रात नींद भी नहीं आएगी
मैं- पर मैं कैसे ..........
वो- मैं समझती हूँ तुम्हारी कशमकश पर तुम्हे दोस्त समझा है तो इतना तो ट्रस्ट कर ही सकती हूँ ना
मैं- हां, तभी मुझे आईडिया आया मैंने बल्ब बंद कर दिया मैंने कहा अब ठीक है इस तरह तुम्हारे मेरे बीच पर्दा भी रहेगा और दवाई भी लगा दूंगा एक्चुअली मेरे मन में उसके प्रति थोडा सा अलग भाव था तो मैं उसको उस नजर से नहीं देखना चाहता था वर्ना मैं तो ठरकी नंबर वन
अंदाजे से मुझे पता चल गया था की रती साइड में होकर लेती है मैंने कहा मैं हाथ रखता हूँ तुम बताना कहा पर स्पॉट है वो- ठीक हैं
रति- सोते बहुत हो तुम
मैं- हां, सभी ऐसा कहते हैं मुझे आप बताओ
वो- मैं क्या बताऊ,
मैं- कुछ अपने बारे में
वो- कुछ खास नहीं है बस लाइफ कट रही है इतना काफी हैं मेरे लिए सब ठीक ठाक ही था पर कल मुसीबत आन पड़ी ये पूरी टांग ही छिल गयी है दोपहर में मैंने देखा काफ़ी दिन लगेंगे जख्म ठीक होते होते और निशाँ तो रह ही जायेंगे
मैं- आपके भाग की बात है वर्ना हादसे में क्या हो जाये
वो- हां,
मैं- रति बुरा ना मानो तो एक बात पूछ सकता हूँ
वो- बुरा मानने की क्या बात है पूछो जो पूछना है
मैं- तुम्हारी इन खूबसूरत आँखों में एक अजीब सी ख़ामोशी नजर आती हैं मुझे
वो- ऐसा क्यों लगा तुम्हे
मैं- तुम्हे मुझसे ज्यादा पता हैं ना
वो- हां
मैं- अब जो औरत अजनबी को घर में पनाह दे सकती है वो दिल कि बुरी तो हो नहीं सकती तो फिर तुमको क्या गम हो सकता है
वो- सच मेमें सही हूँ मस्त हूँ
मैं- देखो मेरा कोई हक तो नहीं है पर दिल में कोई बात हो तो उसे बता देना चाहिए क्या होता है काफ़ी बार हम घुटते रहते है दो पल के लिए मुझे अपना दोस्त मान कर ही शेयर कर लो
वो- अब छोटी मोटी परेशानिया तो चलती ही रहती हैं ना उसके बारे में क्या सोचना
मैं- हां बिलकुल चलो छोड़ो इन सब बातो को बस जल्दी से ठीक हो जाओ आप यही दुआ हैं मेरी तो
वो मुस्कुराई
मैं- कल तो सहर को घुमुंगा अच्छे से शाम को ही आऊंगा मैं
वो- ठीक है जैसे आप चाहो
वो- अपने बारे में बताओ कुछ बातो से तो बड़े दिलचस्प टाइप लगते हो
मैं- कुछ ख़ास नहीं है मेरे बारे में बस जिंदगी शुरू हो रही है धीरे धीरे से आँखों में कुछ सपने है छोटे मोटे ख्वाब पुरे करने की आस है बस यही अपनी कहानी हैं
वो- हम्म
मैं- आपने तो पूरा सहर अच्छे से देख लिया होगा ना, मैंने मेहरानगढ़ के किले के बारे में बहुत सुना है और ये भी की जोधपुर का तक़रीबन हर घर नीला है
वो- नहीं जी, काम से इतनी फुर्सत ही नहीं मिलती हां थोडा बहुत देखा है पर पूरी तरह से नहीं
मैं- तो जब आपके वो आये तो जाओ उनके साथ कही पे
वो- उनके पास वक़्त ही कहा मेरे लिए
मैं- ऐसा क्यों भला वो- कभी समझ ही नहीं पाई उनको
३ साल हुए शादी को , कुछ ज्यादा बात नहीं हूति हमारे बीच में बस हाय- हेल्लो इ फॉर्मेलिटी के अलावा पता नहीं उन्हें मुझ में क्या कमी नजर आती है ३ साल में एक बार भी नहीं देखा उन्होंने मेरी तरफ , बात करने की कोशिश की मैंने पर कुछ नहीं ...............
कमरे में एक ठंडी सी ख़ामोशी च गयी थी हम दोनों के दरमियान कुछ निजी सवाल अपने लिए जवाब मांग रहे थे रति जूझ रही थी अपनी ही परेशानियों से और मैं एक मुसाफिर अनजाना
पर तुम में क्या कमी है
वो- मेरे पति किसी और को चाहते हैं पर घरवालो के दवाब में उनको मुझसे शाद्की करनी पड़ी अब बताओ इसमें मेरा क्या दोष हैं अगर उनको प्रॉब्लम थी तो बात कर सकते थे अब मुझे लटका दिया गरीब माँ- बाप की बेटी हूँ नोकरी मिल गयी तो अच्छे रिश्ते के कारण ब्याह कर दिया मेरा पर अब हाल देखो मैं अपना हाल किस से कहू, कहते कहते रती की आँखे डबडबा आई मोटे मोटे आंसू बह चले
मैं भी थोडा सा उदास सा हो गया पर इन हालातो पर किसका काबू होता है जनाब उसकी सिसकिय कही ना कही मरे दिल में घाव कर रही थी हम तो अपने आप को कोसते थे की हम दुखी है जब रखा घर से बाहर कदम तो मालूम हुआ की गम होता क्या हैं मैंने रुमाल उसको दिया और कहा – पोंछ लो इन आंसुओ को ये बहुत कीमती होते है , अगर आंसुओ से किसी समस्या का हल निकलता तो आज कोई दुखी नहीं होता लो थोडा पानी पियो जी हल्का होगा तुम्हारा
रती देखो तुम्हारे पति का जो भी मेटर हो , वो उनका पर्सनल है पर जब उन्होंने तुम्हारा हाथ थमा तो उसी लम्हे से वो तुमसे जुड़ गए और फिर कहते हैं न की पति पत्नी तो जन्म-जन्मान्तर के साथी होते है देखो तुम अब जब भी मिलो उनसे तस्सली से बात करो उम्मीद है सब ठीक हो जायेगा ये दुरिया कब मिट जाएगी तुम्हे पता भी नहीं चलेगा
बातो बातो में रात काफी हो गयी थी तभी उसके पाँव में दर्द होने लगा
मैं- लाओ मैं दवाई लगा देता हूँ
वो- नहीं मैं लगा लुंगी
मैं- अपने इस दोस्त को इतना भी हक़ ना दोगी उसने बिना कुछ कहे ट्यूब मुझे दी और लेट गयी
मैंने मैक्सी को थोडा सा ऊपर किया काफी खाल चिल गयी थी उसकी वो जख्म ऐसा लगा जैसे की चाँद में दाग लगा दिया हो किसी ने मैंने दवाई ली और धीमे से उसको टच किया आः आह हलके से वो सिसक पड़ी ..
रती की दूधिया जांघो पर वो जख्म ऐसे लग रहा था जैसे की चाँद पर कोई दाग हो , मैंने उसकी टांग को थोडा सा और अपनी तरफ खीचा तो वो बोल पड़ी- आहिस्ता से
उसकी मैक्सी थोड़ी सी और ऊपर को हो गयी मुझे उसकी आधे से ज्यादा जांघो का नजारा मिल रह था पर मैं उस चीज़ के बारे में सोचना नहीं चाहता था मैंने फिर से मेरे हाथ से उसकी जांघ को दबाया पर पुरुष के स्पर्श से रती को थोडा सा तनाव भी हो रहा था उसकी केले के तने जैसी चिकनी टांगे बहुत मस्त लग रही थी उन मक्खन सी टांगो पर मेरे खुरदुरे हाथो को सपर्श अब मैं इस से ज्यादा और क्या कहू
मैंने रुई के फाहे को डेटोल से भिगोया और उसके जख्म को साफ़ करने लगा सीईईई की आवाज निकली उसके मुह से अब डेटोल की वजह से दर्द तो होना ही था मैंने कहा – बस बस हो गया दो तीन बार अच्छे से रुई को फिराया मैंने आस पास फिर क्रीम लगाने लगा मैं बहुत आहिस्ता से उसके पाँव पर अपना हाथ फिर रहा था रती के गोरे चेहरे पर एक गुलाबीपन सा उतर आया था धीरे धीरे से मैंने पूरी दवाई वहा पर लगा दी और उसकी मैक्सी को नीचे कर दिया
शुक्रिया- कहा उसने पीठ पर भी दवाई लगा दो कल भी नहीं लगा पाई थी मैं
मैं- वो थोडा सा मुश्किल होगा क्योंकि उसके लिए . मैंने बात अधूरी छोड़ दी
वो- मैं खुद तो लगा नहीं पाऊँगी , और फिर दर्द के मारे पूरी रात नींद भी नहीं आएगी
मैं- पर मैं कैसे ..........
वो- मैं समझती हूँ तुम्हारी कशमकश पर तुम्हे दोस्त समझा है तो इतना तो ट्रस्ट कर ही सकती हूँ ना
मैं- हां, तभी मुझे आईडिया आया मैंने बल्ब बंद कर दिया मैंने कहा अब ठीक है इस तरह तुम्हारे मेरे बीच पर्दा भी रहेगा और दवाई भी लगा दूंगा एक्चुअली मेरे मन में उसके प्रति थोडा सा अलग भाव था तो मैं उसको उस नजर से नहीं देखना चाहता था वर्ना मैं तो ठरकी नंबर वन
अंदाजे से मुझे पता चल गया था की रती साइड में होकर लेती है मैंने कहा मैं हाथ रखता हूँ तुम बताना कहा पर स्पॉट है वो- ठीक हैं