सोचने लगा की जब चाची को पता चलेगा की चाचा और बिमला में अवैध संबध है तो क्या होगा , बार बार मुझे ये सवाल बहुत परेशान करता था उस रात मैंने सोचा की मैं चाचा से बात करूँगा कल के कल और फिर भी बात न बनी तो बिमला को लाइन पे लाना होगा ये एक बहुत ही विकट समस्या थी जिसका समाधान इतना भी आसन नहीं था अपने को पहले चाहिए था सबूत ताकि वो लोग ऐन टाइम पर मना ना कर सके की हम तो जी पाक साफ़ है
अगले दिन सब लोग अपने अपने काम धंधे पर चले गए चाची अन्दर आराम कर रही थी मम्मी को कुछ काम था तो वो पिताजी के साथ शहर चली गयी थी मैं बिमला के घर गया और जाते ही उसको अपनी बाहों में भर लिया और चूमने लगा पर उसने मुझे परे कर दिया और बोली- हटो, अभी नहीं मुझे बहुत काम है
उसकी आँखे थोड़ी सूजी सूजी लग रही थी अब पूरी रात जो गांड मरवाए तो नींद कहा से पूरी हो
मैं- भाभी कितने दिन हुए आज करने दो
वो- कहा न अभी नहीं
बिमला से मुझे इतने कठोर व्यवहार की उम्मीद थी नहीं और मैं तो वैसे भी उसको जांच रहा था मैं अपने घर आ गया और बहार चबूतरे पर बैठ गया बिमला ने अपना किवाड़ बंद कर लिया मैंने सोचा साली एक बार सबूत का जुगाड़ कर लू फिर तेरी गांड तो ऐसी तोडूंगा याद रखेगी बस समय की बात है मैंने सोचा की कपडे ही धो लू तो मैंने चबूतरे पर लग गया मैं कपडे धो रहा था की मंजू दिखी सामने से आते हुए , मैंने कपड़ो पे ध्यान दिया मैं उसको नहीं देखना चाहता था
पर वो तो आई ही थी मेरे पास
मंजू- बात करनी है तुझसे
मैं- उस दिन कर तो ली थी
वो- तू तो मेरी बात का बुरा मान गया
मैं- ना बुरा किस लिए मान ना, तू अपनी जगह सही मैं अपनी जगह सही
वो- देख सच में कुछ बात करनी है
मैं- तो कर ले किसने रोका है
वो- यहाँ नहीं खुले में
मैं- अन्दर आ जा
चाची ऊपर थी तो मैं उसको मम्मी पापा के कमरे में ले आया और बोला= बता के कहना है
वो- मुझे तेरी दोस्ती मंजूर है
मैं- देख ले फिर शर्त लगाती फिरे गी
वो- ना वो तोमैं तुझे देख रही थी
मैं- देख लिया या कसर है
वो- अब कितनी शर्मिंदा करेगा
मैं- मंजू, देख ले सोच ले समझ ले , कल तो तू कहेगी ये मत कर वो मत कर वो मुझ से ना होगा
वो- सब सोच के तेरे पास आई हूँ
मैं – ठीक है फिर अब किस करू
वो-ना कोई आ जायेगा
मैं- आने दे फिर
वो- मैं अब चलती हूँ पर जल्दी ही मिलूंगी तुझसे
वो चलने को हुई तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और मंजू को बिस्तर पर गिरा दिया और चढ़ गया उसके ऊपर
वो- जाने देना
मैं- थोड़ी देर तो रुक जा
मैंने मंजू के होंठो को अपने होंठो मेंदबा दिया थोड़ी ना नुकुर के बाद वो मेरा साथ देने लगी काफ़ी दिन बाद मोका मिला था तो मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था किस के बाद मैं उसकी छातियो को मसलने लगा मंजू गरम होने लगी मैंने उसकी सलवार के नाड़े में अपनी उंगलिया फसाईं तो उसने मुझे रोक दिया और बोली-अभी नहीं फिर कभी
मैंने उसकी चूत को कस के मसला और फिर उसको जाने दिया मन तो नहीं था पर क्या कर सकते थे
मैं- कब मिलोगे
वो- बता दूंगी मैंने फिर से उसको किस किआ वो शरमाते हुए भाग गयी
थोड़ी देर बाद चाची नीचे आ गयी और बोली- कोई आया था क्या
मैं- नहीं तो
वो- कुछ आवाजे आ रही थी
मैं- नहीं तो , मैं तो कपडे धो रहा था बस पानी पीने आया था
चाची- तेरी कॉपी मैंने वापिस रख दी है
मैं- आपको बिना पूछे दुसरे की चीज़ नहीं लेनी चाहिए
वो- तू दूसरा थोड़ी न है , वैसे नाम अच्छा है तेरी गर्लफ्रेंड का रति
मैं- वो मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है, वो मेरी कोई नहीं है कुछ नहीं लगती मेरी
चाची- झगडा हुआ क्या उस से
मैं- नहीं तो उस से और झगडा कभी नहीं
तो- मानते क्यों नहीं
मैं- कुछ बाते मानी नहीं जाती है
वो- दो लगाऊंगी तो सारा दर्शनशास्त्र बाहर निकल आएगा
मैं- छोड़ो, इस बात को वो कौन है क्या लगती है मेरी ये बात ऐसी है की आप समझ नहीं पाओगे मैं बता नहीं पाउँगा
वैसे आपको आराम करना चाहिए
वो- मैं ठीक हूँ अब ,चल अब बता रति के बारे में मेरा भी थोडा टाइम पास हो जायगा
मैं- वो कोई टाइम पास करने की चीज़ नहीं है वो बस एक अहसास है और मैं कुछ नहीं बताने वाला क्योंकि कुछ राज़ राज़ ही ठीक रहते है
वो- तो फिर ठीक है आने दे जीजी को , आज तेरे सारे राज़ वो ही उगाल्वएँगी
मैं- बस आप धमकी ही देते रहा करो कुछ भी पूछ लो पर रति के बारे में मत पूछो बस इतना ही कह सकता हूँ की किसी इबादत जैसे है मेरे लिए
वो- बेटा, तू कुनबे का नाम रोशन करेगा एक दिन
मैं- चाची, मैं आपसे एक वादा करता हूँ,की जिस दिन वाकाफ़ी में मेरे पास कुछ होगा ना मैं आपसे नहीं छिपाऊंगा आप मेरे लिए चाची कम दोस्त ज्यादा है , पर रति का नाम फिर से कभी अपनी जुबान पर ना लाना
वो हसने लगी मैं वापिस कपडे धोने लगा
५-६ दिन ऐसे ही गुजर गए चाचा बीच में बस एक दिन घर रहे थे बाकी फुल टाइम बिमला की चुदाई चालु थी बीच में मैंने एक बार फिर से बिमला को ट्राई किया था पर बंदी ने साफ़ मना कर दिया की आजकल उसे बहुत काम रहता है मैं समझ गया की उसका काम चाचा से चल रहा है तो वो मुझे घास क्यों डालेगी चलो कोई ना मैं हर मुमकिन कोशिश कर रहा था की कैसे उनके खिलाफ सबूत इकट्ठा करू पर किस्मत साथ नहीं दे रही थी , उस दोपहर को जब मैं खेत से घर आ रहा था तो मंजू खुद से दरवाजे पर खड़ी थी गली सुनसान पड़ी थी उसने मुझे इशारा किया तो मैं झट से घर में घुस गया
मंजू की साँसे बड़ी तेज चल रही थी मैंने पुछा- कोई नहीं है क्या
वो- नहीं है तभी तो तुमको बुलाया
मैं- कहा गए-
वो- बाबा दिल्ली गए है माँ भी
मैं- तेरा भाई
वो- दूकान पे है रात ही आएगा
मैं- तो क्या इरादा है
वो- तुझे ना पता क्या
मैंने उसकी कमर में हाथ डाला और उसको किस करने लगा मंजू की चूत आज मिलने वाली थी मंजू बोली- यहाँ नहीं पीछे चल गोदाम में
हम दोनों वहा पर आ गए , काफ़ी देर तक उसको चूमने के बाद मैंने उसके कपडे उतारने शुरू किया जल्दी ही वो ब्रा- कच्छी में थी उफ्फ्फ साली ग़दर पीस थी मंजू तो मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया और चूची को दबाने लगा मंजू की गरम साँसे उबलने लगी , उसकी ३२” की चूचिया बहुत ही नरम थी धीरे से मैंने उसकी कच्छी को भी उतार दिया वो अपने हाथो से अपनी चूत को छुपाने लगी मैं भी नंगा हो गया मेरे लंड को देख कर वो बोली- बहुत मोटा है ये तो
मैं- तभी तो तुझे मजा आएगा मैंने मंजू को बोरी पर लिटा दिया और उसके अंग अंग को चूमने लगा मंजू अपनी आहो को रोकने की कोशिश करने लगी पर आज कहा उसकी आहे रुकने वाली थी आज तो आग लगने वाली थी उसके गोदाम में, मैंने उसकी चूत को जो चूमना शुरू किया मंजू की हालात पतली हो हो गयी उसके जबड़े भींच गए आँखे बंद होने लगी “ओह!मंजू क्या गरम चूत है तेरी” मेरी जीभ उसकी चूत के खट्टे पानी को पीकर तृप्त होने लगी मंजू अपनी टांगो को लगातार पटक रही थी मैं काफ़ी दिनों बाद आज चूत के रस को चख रहा था
मंजू-जल्दी से करलो ना
मैं- क्या हुआ
वो- आह कही कोई आ ना जाये
मैं ठीक है
मैंने लंड पर थूक लगाकर उसको अच्छे से चिकना किया और उसकी चूत की फानको पर रगड़ने लगा मंजू आहे भरने लगी , गीली चूत चिकना लंड मेरे पहले धक्के में ही आधा लंड उसकी चूत में चला गया मंजू ने एक आह सी भरी उसकी टाँगे खुलती चली गयी मैं समझ गया की ये भी सील्पैक ना मिली पपर ज्यादा ध्यान चूत मारने में था मैंने दो तीन झटके मार कर लंड को पूरा ठेल दिया अन्दर तक
मंजू- आह कितना मोटा है तुम्हारा , दर्द होने लगा है चीर ही डाला तुमने तो
मैं- बस अभी सेट हो जायेगा
मैं मंजू के ऊपर लेट गया वो मेरे बोझ से दबने लगी मैं थोड़ी देर बाद लंड को आगे पीछे करने लगा चूत में चिकनाई की कोई कमी नहीं थी तो जल्दी ही मंजू भी चुदाई का लुत्फ़ उठाने लगी उसने खुद अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए उसकी टांगो से रगड़ खाते हुए मैं उसको चोदने लगा उसका बदन हल्का हल्का सा कांप रहा था उसकी चूत में लंड मजे ले रहा था मैं काफ़ी दिन बाद चूत मार रहा था तो जोश भी ज्यादा चढ़ रहा था मंजू की टाँगे अपने आप ऊपर को होने लगी थी fuchcccccccc फुछ्ह्ह्हह्ह्ह्ह करते हुए चूत के पानी में सना हुआ मेरा लंड कोहराम मचाये हुए था
गोदाम में बहुत गर्मी थी पर चूत की गर्मी के आगे वो भी फीकी लग रही थी मैं मंजू के गले पर आये पसीने क चाट रहा था मंजू किसी नागिन की तरह बल खा रही थी aaahhhhhhhhhhhhh aahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh थोदाआआआआआआ धिरीईईईईईई धिरीईई आह मैं तूऊऊऊओ मरीईईईईईईईईईईईईईईईइ रीईईईईईईए अआः
aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa आः रे आह आह
करते हुए मंजू चुदाई के सागर में डुबकी पे डुबकी लगा रही थी मुझे साथ लिए लिए मैंने अब उसकी दोनों टांगो को अपने कंधो पर रखा और फिर से गप गप मंजू की लेने लगा जब जब मेरा लंड चूत में जाता मंजू की चूचिया हिलती पसीने में चूर हम दोनों अपने जिस्मो की आग को शांत करने में लगे हुए थे मंजू थोडा सा उठ सी गयी थी तो चूत और अच्छे तरीके से लंड पर कस गयी चुदाई में और मजा आने लगा हाय रे मंजू क्या मस्त माल है तू पहले क्यों नहीं चुदवा लिए तूने रीईईईईईईईईईईईए
मंजू के कुलहो को मजबूती से थामे हुए मैं अब तेजी से उसको चोदने लगा था मंजू की आँखे बंद हो गयी थी होठ कांप रहे थे चूत की फांके दो विपरीत कोनो पर अटकी पड़ी थी मंजू
की चूत से कामरस धीरे धीरे करके रिस रहा था मंजू-“ पैर दुखने लगे है , टाँगे नीचे कर दो ना आआहा ”
मैंने उसको नीचे किया और मंजू को थोड़ी से टेढ़ी कर दिया उसने अपनी टांग को ऊपर उठा लिया मैंने एक हाथ से उसकी चूची पकड़ी और अपने लंड को चूत के मुलायम दरवाजे लगा दिया मंजू ने अपने चुतद पीछे को कर लिए मैं उसके बोबे को मसलते हुए उसकी फिर से लेने लगा , मंजू मस्त होने लगी और मैं भी उसकी रसीली चूत को बड़े मजे से मैं चोद रहा रहा था uffffffffffffffff ये जिस्मो की गर्मी कितनी आग भरी होती है जिस्मो में कितना बुझाऊ मैं इसको ये बुझती ही नहीं
मंजू के कमर को कसके पकडे मैं ताबड़तोड़ लंड को चूत में घिस रहा था ,तभी मंजू ने एक गहरी ठंडी आह भरी और उसका बदन अकड गया उसका बदन धम्म से निढाल हो गया जैसे उसमे सांस ही ना बची हो मंजू स्खलित हो गयी थी वो लम्बी लम्बी सांस ले रही थी थोड़ी देर बाद वो धीमे से बोली- अब उठ भी जाओ ना
मैं- कैसे उठ जाऊ मेरा तो हुआ ही नहीं है
वो- नहीं हुआ है अभी तक ,मेरी तो जान निकलने आई है अब सहन नहीं हो रहा है
मैं- बीच ने मत छोड़ , बस कुछ देर कि तो बात है
मंजू की चूत जैसे सूख ही गयी पर मैं तो चोदुंगा ही जबतक मेरा काम ना हो, मंजू अपने पैर पटकने लगी अब कभी बालो को नोचे कभी अपने नाखूनों को मेरी पीठ पर रगड़े मंजू मेरे नीचे पड़ी पड़ी हुई बावरी पर उस दिन साला मुझे क्या हो गया था , मेरा पानी छुट ही न रहा था मंजू रोने को आई उसकी चूत में दर्द सा होने लगा था पर अपनी भी तो मज़बूरी थी ना, मंजू बोली- दो मिनट सांस तो लेने दे फिर कर लियो
मैंने लंड को बहार निकाल लिया और मंजू की चूची पीने लगा मैं फिर से उसको गरम करने की कोशिश करने लगा सुपुद सुपद करके मैं उसको अपनी गोदी में बिठाये हुए अपने लबो को उसकी चूचियो पर रगड़ने लगा जल्दी ही मंजू मेरे बालो में प्रेमपूर्वक हाथ फिराने लगी उसके बदन में फिर से वासना की तरंगे दोड़ने लगी थी , मैंने मंजू को घोड़ी बनाया और अपने मुह को उसके कुलहो में दे दिया
उसकी चूत मेरी जीभ को महसूस करते ही फिर से लपलपाने लगी , मंजू की गांड के छेद को अपनी ऊँगली से सहलाते हुए मैं उसकी रसीली चूत को पिए जा रहा था किसी मय के प्याले की तरह उसकी गांड में मैं अपनी ऊँगली घुसाने लगा तो मंजू आहे भरने लगी थोड़ी सी ऊँगली जो गांड में घुसी तो मंजू ने चुतड को भींच लिया और बोली वहा नहीं वहा नहीं उसकी चूत फिर से गीली हो गयी थी, तो मैंने उसे घोड़ी बनाये ही अपने लंड को चूत पर रख दिया और उसके कुलहो पर दोनों हाथ रख लिए और लगा दिया धक्का मंजू थोडा सा आगे को सरकी पर मैंने सरकने नहीं दिया
इस बार जैसे ही मेरा लंड चूत में घुसा करार ही आ गया मुझे तो चूत का छेद लंड की मोटाई के हिसाब से खुला हुआ था बहुत ही सुन्दर लग रहा था वो मैंने वाही पर थोडा सा थूक टपका दिया और चिकनाई हो गयी चुदाई में और मजा आने लगा मंजू तो जैसे मस्ती में बावली सी ही हो गयी थी , ओहा आः उह आः आआआअह्ह्ह की आवाजे गोदाम में चारो तरफ गूँज रही थी मंजू बार बार अपनी गांड को पीछे करके मेरा पूरा सहयोग कर रही थी उसकी पीठ कंधो पर पसीने को अपनी जीभ से चाटने लगा मैं और उसको चोद रहा था हाय रे मंजू तेरा बहुत बहुत धन्यवाद
आज तो तूने मेरा दिन ही बना दिया वह मेरी जानेमन जैसे जैसे मेरी स्पीड बढती जा रही थी मेरे शरीर में खून का दौरा बढ़ता जा रहा था मंजू के पैर जवाब दे गए थे वो वैसे ही औंधी बोरी पर गिर गयी थी पर मैं रुकने वाला नहीं था मुझे अब मेरे बदन में जैसे शोले भड़क गए हो , ऐसे लग रहा था बस अब कुछ ही पलो की बात थी अन्डकोशो से मेरा खून वीर्य बनकर बिखरने को चल पड़ा था बस थोड़ी देर और , और तभी मंजू फिर से झड़ने लगी उसके मुह से तरह तरह की अव्वाजे निकल रही थी और उसके झड़ते झड़ते ही मेरा वीर्य भी निकल गया उसकी चूत को भरने लगा दोनों का रस जो मिला मजा ही आ गया
करीब आधे घंटे तक उसको अपनी बाहों में लिए मैं पड़ा रहा वहा पर बार बार चूमा उसको मैं एक बार और मंजू को रगड़ना चाहता था पर उसने दी नहीं हमने अपने कपडे पहने और घर में आ गये, मंजू ने मुझे ठंडी पेप्सी पिलाई और वादा किया की जल्दी ही फिर देगी वो मुझे , फिर मैं अपने घर आ गया
बड़े दिनों बाद मैंने तबियत से चूत मारी थी तो शरीर जैसे निचुड़ ही गया था घर जाते ही मैं सो गया फिर शाम को ही उठा, उठते ही मम्मी ने बताया की पिताजी खेत में है तुझे बुलाया गया है पहूँच जल्दी से मैं पंहूँचा वहा पर पिताजी जैसे आज मुआयना कर रहे थे हर चीज़ का
मुझे देख कर उन्होंने पुछा- पानी क्यों नहीं दिया सब्जियों को टाइम से
मैं- पिताजी, मेरा कोई दोष नहीं , चाचा की जिम्मेदारी है ये वो ही रहते है खेत पर
मुझे तो मजा ही आ गया अपना पल्ला तो झड गया अब चाचा जाने , पर मेरी ख़ुशी जल्दी ही काफूर हो गयी पिताजी ने उनसे बस इतना ही कहा की थोडा ध्यान से काम किया करो, फसल का नुकसान अपना नुकसान है , कम से कम दो डांट तो मारनी ही थी ,
मैंने पुछा- चाचा, पानी क्यों नहीं दिया ध्यान कहा है आपका
वो हडबडा से गए और बोले- तू तेरे काम से काम रख
मैंने भी सोच लिया था की जल्दी ही इनकी गांड पे लात मारनी है कुछ भी करके पर क्या वो समझ नहीं आ रहा था बिमला भी आजकल कुछ ज्यादा ही खुश रहने लगी थी ऊपर से चाचा के बदले बदले व्यवहार को अब चाची भी समझने लगी थी , कभी कभी वो बहुत चिडचिडा महसोस करने लगती थी मैं उनके हाल को बहुत अच्छे से समझता था पर मैं चाह कर भी उन्हें कुछ बता नहीं सकता था उनकी हालात भी मुझसे देखि नहीं जाती थी उनकी उदासी की वजह से मैं भी बुझा बुझा सा रहने लगा था
पढाई में भी मन नहीं लगता था नीनू काफ़ी बार पूछती थी क्या परेशानी है पर मैं टाल जाता था तो भी मेरी वजह से दुखी थी , मंजू की चूत मिल जाती थी तो गुजरा हो रहा था पिस्ता भोसड़ी की जैसे मामा के यहाँ ही बस गयी थी दस दिन से ज्यादा हो गए थे उसको आई ही नहीं थी वर्ना उस से मदद ले लेता , पर वो कहते है ना की कोई ना कोई रास्ता जरुर मिलता है उस दिन नोटिस बोर्ड पे सुचना पढ़ी की एक स्कीम आई है जिसमे कोई भी स्टूडेंट अगर एक घंटे काम करेगा तो उसको पचास रूपये मिलेंगे बहुत कम लोगो ने नाम लिखवाया जिसमे मैं भी था पर लोग जल्दी ही उकता गयी पर मैं हर दिन सो का एक नोट कमाता था
उस दिन मैं और नीनू क्लास बंक करके बैठे थे तो उसने जिद करली की आज तो बताना ही पड़ेगा तो मैंने उसको पूरी बात बता दी पर उसे कोई भी उपाय ना सूझा और ये बात तो तय थी की चाची को जब पता चलेगा तो घर में कलेश मचना ही था , तो बहुत विचार किया , नीनू ने भी यही कहा की बात तब बने जब चाची उनको रंगे हाथ पकडे वर्ना क्या पता बिमला खुद को बचने के लिए चाचा पर भी जबरदस्ती करने का इल्जाम लगा दे बात में दम था पर क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा था
उस दिन शाम को करीब चार बज रहे थे आज मेरा काम मास्टरों के शोचालय को चमकाना था , उसकी सफाई करनी थी हाथ में झाड़ू पोंचा और फिनाइल की बोतल लेकर मैं पंहूँचा उधर कैंपस तक़रीबन इस समय तक खाली हो ही जाया करता था तो मैं पंहूँचा और सफाई करने लगा एक पोर्शन को चमकाने के बाद मैं महिला शोचालय में गया और सफाई करने लगा तभी मुझे लगा की परले कोने की तरफ से किसी औरत की आवाज आ रही है मेरे कान खड़े हो गए मैंने पोचा छोड़ा और दबे पाँव उधर गया तो देखा की एक बाथरूम में गणित के मास्टर ने शांति मैडम को घोड़ी बनाया हुआ था मैडम की सलवार घुटनों पर पड़ी थी और मास्टर मजे से चोद रहा था
मैंने कहा ओह मास्टर जी बस शो खत्म,
मुझे देख कर दोनों हक्के बक्के रह गए मास्टर ने अपनी पेंट सम्हाई और भाग गया रह गयी मैडम और मैं मैडम अपनी सलवार बाँधने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और बोला- मैडम, शर्म नहीं आती आपको ऐसे ये सब करते हुए
मैडम ने नजरे नीची कर ली और बोली- किसी ...... को किसी को कुछ बताना मत तुम जो चाहे वो मैं करुँगी मेरी बहुत बदनामी हो जाएगी
मैं- थोड़ी देर पहले तो आपको गोल्ड मैडल मिल रहा था ना
मैडम कुछ ना बोली-
मैं – मैं तो सबको बताऊंगा
वो- नहीं मैं तुम्हारे पाँव पड़ती हूँ , किसी को मत बताना तुम जो चाहो मेरे साथ कर लो,
मैं- मुझे कुछ नहीं करना
मैडम- प्लीज् मैं बदनाम हो जाउंगी, मेरी नोकरी चली जाएगी
मैं- ठीक है पर आपको मेरा एक छोटा सा काम करना पड़ेगा
मैडम- जो तुम चाहो,
मैं- ठीक है जी, मैं कल आपको बताऊंगा
मैडम ने अपने कपडे सही किये बाल वाल बनाये और निकल गयी मैं सफाई करने लगा और तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया आईडिया क्या आया बस समझो बात बन ही गयी मुझे खुद पर यकीन था पर ये एक रिस्क था जिसमे चाची का घर आँगन टूट जाना ही था , आग से खेलने वाली बात थी मैंने सोचा था की किसी को बताना तो है नहीं पर सबूत जरुर होना चाहिए क्या पता कब जरुरत हो जाये , मेरे एक तरफ चाचा की बेवफाई थी तो दूसरी तरफ चाची की दोस्ती थी उलझ कर रह गए थे बस अपने आप में
उस शाम चाचा और चाची में किसी बात को लेकर थोड़ी सी बहस हो रही थी तो मैंने अपने कान लगा दिए चाची कुछ गिले शिकवे कर रही थी पर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था , पता नहीं मेरे कान काम की बात को सुन ही नहीं पाते थे क्यों , अब सीधा उनके कमरे में भी तो नहीं जा सकता था न तो क्या करे बस आईडिया ही लगा सकते थे की क्या बात है पर जल्दी ही उनकी आवाजे बंद हो गयी तो मैं भी नीचे चला गया थोड़ी देर टीवी देखा एक साला दूरदर्शन पर कभी कुछ आता नहीं था और केबल टीवी घर वाले लगवाते नहीं थे हम तो दुखी ही दुखी थे
फिर मैं खाना खाकर सीधा सोने ही चला गया , रेडियो सुनते सुनते कब नींद आई पता नहीं चला पर रात को मेरी आँख खुली तो मैं देखा रेडियो बज ही रहा है तो बंद किया उसको और पानी पीने के लिए बहार आया तो देखा की आज छत पर चाची खड़ी है , अक्सर तो वहा मैं पाया जाता था था पर आज वो थी , मुझे तो उनके दिल का हाल पता था ही मैं उनके पास गया और बोला- नींद नहीं आ रही क्या
वो- शायद तुम्हारी बीमारी लग गयी मुझे भी
मैं- क्या बात है
वो- कुछ नहीं
मैं- चाची, कभी कभी मुझे लगता है की आप और मैं एक ही कश्ती के सवार है आप भी बातो को छुपाती है मैं भी वैसे ना तो एक दोस्त होने के नाते ही बता दो, वैसे भी बताने से दिल का बोझ कुछ कम हो जाया करता है
वो- कुछ बाते तू अभी नहीं समझेगा
मुझे हँसी आ गयी
मैं- चाचा से झगडा हुआ उसी का टेंशन है ना
वो- ना वो सब तो चलता रहता है
मैं- वो ही तो बात है ,
वो- आजकल ये कुछ बदले बदले से लग रहे है
मैं- वो तो है
वो- न पहले की तरह बात करते है ना और कुछ बस ऑफिस से आते है खाना खाया और खेत में , पहले तो बहुत मन मार कर जाते थे पर आजकल बड़ा दिल लगने लगा है इनका खेत में कुछ समझ में नहीं आता मुझे , आज मैंने पूछ लिया तो झगडा कर बैठे
मैं- शायद काम का बोझ हो आप तो जीवन साथी हो उनको मुझसे बेहतर जानते हो
वो- बात तेरी शायद ठीक हो पर उन्हें भी तो इतना गुस्सा नहीं करना चाहिए था , कोई परेशानी हो तो बता भी सकते है
मैं- आप मिया-बीवी सुलझाओ अपने मामले को अपने को क्या है , रात बहुत हुई है सो जाओ
वो अपने कमरे में चली गयी मैं अपने कमरे में
अगले दिन मैंने सुबह सुबह ही शांति मैडम को पकड़ लिया और उनको अपना प्लान बताया की कैसे चाचा को वो अपने जाल में फ़साये और मैं उनकी मैडम को चोदते हुए तस्वीरे ले सकू , मैडम बहुत नखरे कर रही थी की मैं ना दूंगी पराये आदमी को ये हो जायेगा वो हो जायेगा तो मुझे थोडा गुस्सा आ गया मैंने कहा बहन की लोडी मास्टर जी से तो लपालप चुद रही थी और अब नखरे कर रही है , देख ले वैसे भी तू लंड की भूखी है तेरा काम भी हो जायेगा और मेरा भी , राज़ी हो जा वर्ना आज के आज सबको तेरी कहानी पता चल जाएगी
तो बुझे मन से शांति मैडम ने हां, कर दी मैंने उसको समझाया की तू चाचा के ऑफिस में जा एक फर्जी काम करवाने को और उनको फसा ले तू बेशक उनको चूत मत देना बस मैं तेरे साथ उनकी कुछ फोटो खीच लू तो भी काम चल जायेगा
शांन्ति\- पर उन तस्वीरों में मैं भी आउंगी
मैं- तुजे कौन जानता है , तेरा बस इतना ही रोल है और मेरी जबान है तुझे, मेरी इतनी मदद कर दे मैं तेरे राज़ को सीने में दबा लूँगा
तो आखिर मैडम मान ही गयी तो मैं उनको लेकर चाचा की ऑफिस में आया चाचा का नाम बताया और प्लान समझाया मैडम ऑफिस में चली गयी मैं बाहर ही रह गया
दस मिनट, बीस मिनट बाद बीत गयी, मेरी बेचैनी बढ़ी करीब आधे घंटे बाद वो आई हम वहा से निकले और साइड में बैठ गए
मैं- क्या हुआ ,
वो- मैंने उनको वो कहानी बताई जो तुमने कहा था , पहले तो वो माने ही नहीं पर फिर मैंने थोड़ी अदाए दिखाई तो वो बोले- की काम थोडा मुस्किल होगा आपको भी मदद करनी पड़ेगी मुझे एक घंटे बाद इस रेस्टोरेंट में बुलाया है
मैं- चाचा बड़ी जल्दी में है तुम टेंशन मत लेना और वो जो भी कहे तुम हा कर देना
हमने और थोडा समय काटा, मैंने देखा की करीब घंटे भर बाद चाचा ऑफिस से निकले और सामने वाले रेस्तौरेंट में घुस गए, थोड़ी देर बाद मैंने शान्ति को भी भेज दिया और इंतज़ार करने लगा ये इंतज़ार करना भी बड़ा कठिन काम होता है पर क्या करे करना ही था करीब एक घंटे बाद वो लोग वहा से बहार आये चाचा ऑफिस में चले गए मैडम मेरी तरफ आने लगी ,
मैं- क्या हुआ
वो- तुम्हारा कहना सही था, तेरा चाचा पूरा ठरकी है मैंने कल उसे अपने घर आने का बोल दिया है
मैं- इतनी भी क्या जल्दी थी , कही उन्हें शक ना हो जाये
वो- तू टेंशन मत लेना सब काम सेट कर दिया है बस तू कल रात टाइम से पहूँच जाना
मैंने अपना माथा पीट लिया और बोला- जे तो चाह रहा है की तुम्हारी गांड पर लात दू, मैं रात को कैसे आ पाउँगा और तुम्हारे घरवाले भी तो रहेंगे ना
शान्ति- मैं तो अकेली रहती हूँ इसलिए रात का बोला ताकि पूरा काम आराम से हो सके
मैं- चल कोई ना मैं करूँगा कुछ ना कुछ जुगाड़, पर रात को फोटू कैसे खीचूँगा कैमरा का फ़्लैश भी तो होगा
मैडम-मेरे पास नए ज़माने का डिजिटल कैमरा है वो फ़्लैश बंद करके भी ठीक फोटो खीच लेता है , देखो मैं तुम्हारे लिए इतना कर रही हूँ, तुम भी अपने वादे पर रहना
मैं- टेंशन ना लो मेरी तरफ से
रात को गाँव से शहर आना मेरे लिए बहुत ही मुश्किल था बहुत सोचने के बाद मैने घर पे फ़ोन किया और कहा की कुछ काम से मैं कैंपस में ही रुकुंगा , मम्मी ने काफ़ी सवाल पूछे पर मैंने बस उतना ही कह के फ़ोन काट दिया और शान्ति के साथ उसके घर आ गया ,मैडम का दो कमरों का घर था मैडम ने मुझे बैठने को कहा और मेरे लिए पेप्सी ले आई
पिटे पीते मैं मैडम को पूरी बात समझाने लगा की कैसे क्या क्या करना है , अब मैंने मैडम पे थोडा गौर किया मैडम ३६-37 साल की तो होंगी रंग भी ठीक ठाक था थोड़ी पतली सी थी पर फिगेर मस्त था मैडम ने साड़ी पहनी हुई थी मुझे वैसे भी साडी वाली औरते बहुत पसंद थी मेरे मन में विचार आया की क्यों ना मैडम को ही चोद लिया जाए एक बार अब चूत की तलब किसे नहीं होती वैसे भी उस समय हम दोनों ही थे तो कोई परेशानी वाली बात नहीं थी
मैं- आपके परिवार में कौन कौन है
वो- मैं मेरे पति है और दो बचे है
मैं- यही रहते है
वो- नहीं पति दुसरे स्टेट में मास्टर है और बच्चे बोर्डिंग में है
मैं- आप ऐसे काम क्यों करती हो
वो- पता नहीं कैसे मुझे लत लगगई अब तो आदत हो चली है
मैं उनके पास गया और उनकी जांघ को सहलाने लगा मैडम भी समझ रही थी पर वो मुझ से दूर होने लगी मैं –“मैडम जी मुझे भी एक बार गोता लगा लेने दो आपकी झील में ”
वो- देखो तुम .............
मैं मैडम की छाती पर हाथ लगाते हुए- मैडम जो आपको तो मजे लेने की आदत है तो कर्लोना मेरे साथ भी
मैडम बस मुस्कुराने लगी
मैंने उसकी साडी का पल्लू हटाया और उसके बोबो को दबाने लगा मैं धीरे धीरे चूचियो से खेलने लगा तो मैडम भी जल्दी ही अपने रंग में आने लगी मैंने ऊनके ब्लाउज के हूँक खोलने शुरू किये और उसको उतार दिया मैडम ने सफ़ेद रंग की ब्रा पहनी हुई थी मैंने उसे भी उतार दिया मैडम ने एक आह भरी मीठी सी मैंने उसकी पीठ पर एक चुम्बन अंकित किया वो मेरे आगे खड़ी थी मैं धीरे धीरे उसकी गेंदों से खेलने लगा मेरा लंड उनकी गांड से लगातार रगड खा रहा था
बोबो को सहलाते सहलाते मैं उनकी साडी को उतारने लगा फिर मैंने धीरे से उनके पेटीकोट ने नाड़े को खीच दिया नीली कच्छी मैडम की कसी हुई टांगो पर खूब फब रही थी मैंने उनकी जांघो पर अपना हाथ फेरा और मैडम को गोद में उठा कर उनके बेड की तरफ ले चला उन्होंने अपनी बाहे मेरे गले में डाल दी मैंने अब उनको पटका बेड पर अपने कपडे उतारने लगा जल्दी ही मेरा लंड खुली हवा में झूल रहा था मैडम की आँखे मेरे लंड पर जैसे जम सी गयी थी उन्होंने खुद ही अपनी कच्छी उतार दी और मुझे बोली- जरा मेरा पर्स ले आओ
मैं- दोड़ कर गया और दोड़ कर वापिस आया
अगले दिन सब लोग अपने अपने काम धंधे पर चले गए चाची अन्दर आराम कर रही थी मम्मी को कुछ काम था तो वो पिताजी के साथ शहर चली गयी थी मैं बिमला के घर गया और जाते ही उसको अपनी बाहों में भर लिया और चूमने लगा पर उसने मुझे परे कर दिया और बोली- हटो, अभी नहीं मुझे बहुत काम है
उसकी आँखे थोड़ी सूजी सूजी लग रही थी अब पूरी रात जो गांड मरवाए तो नींद कहा से पूरी हो
मैं- भाभी कितने दिन हुए आज करने दो
वो- कहा न अभी नहीं
बिमला से मुझे इतने कठोर व्यवहार की उम्मीद थी नहीं और मैं तो वैसे भी उसको जांच रहा था मैं अपने घर आ गया और बहार चबूतरे पर बैठ गया बिमला ने अपना किवाड़ बंद कर लिया मैंने सोचा साली एक बार सबूत का जुगाड़ कर लू फिर तेरी गांड तो ऐसी तोडूंगा याद रखेगी बस समय की बात है मैंने सोचा की कपडे ही धो लू तो मैंने चबूतरे पर लग गया मैं कपडे धो रहा था की मंजू दिखी सामने से आते हुए , मैंने कपड़ो पे ध्यान दिया मैं उसको नहीं देखना चाहता था
पर वो तो आई ही थी मेरे पास
मंजू- बात करनी है तुझसे
मैं- उस दिन कर तो ली थी
वो- तू तो मेरी बात का बुरा मान गया
मैं- ना बुरा किस लिए मान ना, तू अपनी जगह सही मैं अपनी जगह सही
वो- देख सच में कुछ बात करनी है
मैं- तो कर ले किसने रोका है
वो- यहाँ नहीं खुले में
मैं- अन्दर आ जा
चाची ऊपर थी तो मैं उसको मम्मी पापा के कमरे में ले आया और बोला= बता के कहना है
वो- मुझे तेरी दोस्ती मंजूर है
मैं- देख ले फिर शर्त लगाती फिरे गी
वो- ना वो तोमैं तुझे देख रही थी
मैं- देख लिया या कसर है
वो- अब कितनी शर्मिंदा करेगा
मैं- मंजू, देख ले सोच ले समझ ले , कल तो तू कहेगी ये मत कर वो मत कर वो मुझ से ना होगा
वो- सब सोच के तेरे पास आई हूँ
मैं – ठीक है फिर अब किस करू
वो-ना कोई आ जायेगा
मैं- आने दे फिर
वो- मैं अब चलती हूँ पर जल्दी ही मिलूंगी तुझसे
वो चलने को हुई तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और मंजू को बिस्तर पर गिरा दिया और चढ़ गया उसके ऊपर
वो- जाने देना
मैं- थोड़ी देर तो रुक जा
मैंने मंजू के होंठो को अपने होंठो मेंदबा दिया थोड़ी ना नुकुर के बाद वो मेरा साथ देने लगी काफ़ी दिन बाद मोका मिला था तो मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो रहा था किस के बाद मैं उसकी छातियो को मसलने लगा मंजू गरम होने लगी मैंने उसकी सलवार के नाड़े में अपनी उंगलिया फसाईं तो उसने मुझे रोक दिया और बोली-अभी नहीं फिर कभी
मैंने उसकी चूत को कस के मसला और फिर उसको जाने दिया मन तो नहीं था पर क्या कर सकते थे
मैं- कब मिलोगे
वो- बता दूंगी मैंने फिर से उसको किस किआ वो शरमाते हुए भाग गयी
थोड़ी देर बाद चाची नीचे आ गयी और बोली- कोई आया था क्या
मैं- नहीं तो
वो- कुछ आवाजे आ रही थी
मैं- नहीं तो , मैं तो कपडे धो रहा था बस पानी पीने आया था
चाची- तेरी कॉपी मैंने वापिस रख दी है
मैं- आपको बिना पूछे दुसरे की चीज़ नहीं लेनी चाहिए
वो- तू दूसरा थोड़ी न है , वैसे नाम अच्छा है तेरी गर्लफ्रेंड का रति
मैं- वो मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है, वो मेरी कोई नहीं है कुछ नहीं लगती मेरी
चाची- झगडा हुआ क्या उस से
मैं- नहीं तो उस से और झगडा कभी नहीं
तो- मानते क्यों नहीं
मैं- कुछ बाते मानी नहीं जाती है
वो- दो लगाऊंगी तो सारा दर्शनशास्त्र बाहर निकल आएगा
मैं- छोड़ो, इस बात को वो कौन है क्या लगती है मेरी ये बात ऐसी है की आप समझ नहीं पाओगे मैं बता नहीं पाउँगा
वैसे आपको आराम करना चाहिए
वो- मैं ठीक हूँ अब ,चल अब बता रति के बारे में मेरा भी थोडा टाइम पास हो जायगा
मैं- वो कोई टाइम पास करने की चीज़ नहीं है वो बस एक अहसास है और मैं कुछ नहीं बताने वाला क्योंकि कुछ राज़ राज़ ही ठीक रहते है
वो- तो फिर ठीक है आने दे जीजी को , आज तेरे सारे राज़ वो ही उगाल्वएँगी
मैं- बस आप धमकी ही देते रहा करो कुछ भी पूछ लो पर रति के बारे में मत पूछो बस इतना ही कह सकता हूँ की किसी इबादत जैसे है मेरे लिए
वो- बेटा, तू कुनबे का नाम रोशन करेगा एक दिन
मैं- चाची, मैं आपसे एक वादा करता हूँ,की जिस दिन वाकाफ़ी में मेरे पास कुछ होगा ना मैं आपसे नहीं छिपाऊंगा आप मेरे लिए चाची कम दोस्त ज्यादा है , पर रति का नाम फिर से कभी अपनी जुबान पर ना लाना
वो हसने लगी मैं वापिस कपडे धोने लगा
५-६ दिन ऐसे ही गुजर गए चाचा बीच में बस एक दिन घर रहे थे बाकी फुल टाइम बिमला की चुदाई चालु थी बीच में मैंने एक बार फिर से बिमला को ट्राई किया था पर बंदी ने साफ़ मना कर दिया की आजकल उसे बहुत काम रहता है मैं समझ गया की उसका काम चाचा से चल रहा है तो वो मुझे घास क्यों डालेगी चलो कोई ना मैं हर मुमकिन कोशिश कर रहा था की कैसे उनके खिलाफ सबूत इकट्ठा करू पर किस्मत साथ नहीं दे रही थी , उस दोपहर को जब मैं खेत से घर आ रहा था तो मंजू खुद से दरवाजे पर खड़ी थी गली सुनसान पड़ी थी उसने मुझे इशारा किया तो मैं झट से घर में घुस गया
मंजू की साँसे बड़ी तेज चल रही थी मैंने पुछा- कोई नहीं है क्या
वो- नहीं है तभी तो तुमको बुलाया
मैं- कहा गए-
वो- बाबा दिल्ली गए है माँ भी
मैं- तेरा भाई
वो- दूकान पे है रात ही आएगा
मैं- तो क्या इरादा है
वो- तुझे ना पता क्या
मैंने उसकी कमर में हाथ डाला और उसको किस करने लगा मंजू की चूत आज मिलने वाली थी मंजू बोली- यहाँ नहीं पीछे चल गोदाम में
हम दोनों वहा पर आ गए , काफ़ी देर तक उसको चूमने के बाद मैंने उसके कपडे उतारने शुरू किया जल्दी ही वो ब्रा- कच्छी में थी उफ्फ्फ साली ग़दर पीस थी मंजू तो मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया और चूची को दबाने लगा मंजू की गरम साँसे उबलने लगी , उसकी ३२” की चूचिया बहुत ही नरम थी धीरे से मैंने उसकी कच्छी को भी उतार दिया वो अपने हाथो से अपनी चूत को छुपाने लगी मैं भी नंगा हो गया मेरे लंड को देख कर वो बोली- बहुत मोटा है ये तो
मैं- तभी तो तुझे मजा आएगा मैंने मंजू को बोरी पर लिटा दिया और उसके अंग अंग को चूमने लगा मंजू अपनी आहो को रोकने की कोशिश करने लगी पर आज कहा उसकी आहे रुकने वाली थी आज तो आग लगने वाली थी उसके गोदाम में, मैंने उसकी चूत को जो चूमना शुरू किया मंजू की हालात पतली हो हो गयी उसके जबड़े भींच गए आँखे बंद होने लगी “ओह!मंजू क्या गरम चूत है तेरी” मेरी जीभ उसकी चूत के खट्टे पानी को पीकर तृप्त होने लगी मंजू अपनी टांगो को लगातार पटक रही थी मैं काफ़ी दिनों बाद आज चूत के रस को चख रहा था
मंजू-जल्दी से करलो ना
मैं- क्या हुआ
वो- आह कही कोई आ ना जाये
मैं ठीक है
मैंने लंड पर थूक लगाकर उसको अच्छे से चिकना किया और उसकी चूत की फानको पर रगड़ने लगा मंजू आहे भरने लगी , गीली चूत चिकना लंड मेरे पहले धक्के में ही आधा लंड उसकी चूत में चला गया मंजू ने एक आह सी भरी उसकी टाँगे खुलती चली गयी मैं समझ गया की ये भी सील्पैक ना मिली पपर ज्यादा ध्यान चूत मारने में था मैंने दो तीन झटके मार कर लंड को पूरा ठेल दिया अन्दर तक
मंजू- आह कितना मोटा है तुम्हारा , दर्द होने लगा है चीर ही डाला तुमने तो
मैं- बस अभी सेट हो जायेगा
मैं मंजू के ऊपर लेट गया वो मेरे बोझ से दबने लगी मैं थोड़ी देर बाद लंड को आगे पीछे करने लगा चूत में चिकनाई की कोई कमी नहीं थी तो जल्दी ही मंजू भी चुदाई का लुत्फ़ उठाने लगी उसने खुद अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए उसकी टांगो से रगड़ खाते हुए मैं उसको चोदने लगा उसका बदन हल्का हल्का सा कांप रहा था उसकी चूत में लंड मजे ले रहा था मैं काफ़ी दिन बाद चूत मार रहा था तो जोश भी ज्यादा चढ़ रहा था मंजू की टाँगे अपने आप ऊपर को होने लगी थी fuchcccccccc फुछ्ह्ह्हह्ह्ह्ह करते हुए चूत के पानी में सना हुआ मेरा लंड कोहराम मचाये हुए था
गोदाम में बहुत गर्मी थी पर चूत की गर्मी के आगे वो भी फीकी लग रही थी मैं मंजू के गले पर आये पसीने क चाट रहा था मंजू किसी नागिन की तरह बल खा रही थी aaahhhhhhhhhhhhh aahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh थोदाआआआआआआ धिरीईईईईईई धिरीईई आह मैं तूऊऊऊओ मरीईईईईईईईईईईईईईईईइ रीईईईईईईए अआः
aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa आः रे आह आह
करते हुए मंजू चुदाई के सागर में डुबकी पे डुबकी लगा रही थी मुझे साथ लिए लिए मैंने अब उसकी दोनों टांगो को अपने कंधो पर रखा और फिर से गप गप मंजू की लेने लगा जब जब मेरा लंड चूत में जाता मंजू की चूचिया हिलती पसीने में चूर हम दोनों अपने जिस्मो की आग को शांत करने में लगे हुए थे मंजू थोडा सा उठ सी गयी थी तो चूत और अच्छे तरीके से लंड पर कस गयी चुदाई में और मजा आने लगा हाय रे मंजू क्या मस्त माल है तू पहले क्यों नहीं चुदवा लिए तूने रीईईईईईईईईईईईए
मंजू के कुलहो को मजबूती से थामे हुए मैं अब तेजी से उसको चोदने लगा था मंजू की आँखे बंद हो गयी थी होठ कांप रहे थे चूत की फांके दो विपरीत कोनो पर अटकी पड़ी थी मंजू
की चूत से कामरस धीरे धीरे करके रिस रहा था मंजू-“ पैर दुखने लगे है , टाँगे नीचे कर दो ना आआहा ”
मैंने उसको नीचे किया और मंजू को थोड़ी से टेढ़ी कर दिया उसने अपनी टांग को ऊपर उठा लिया मैंने एक हाथ से उसकी चूची पकड़ी और अपने लंड को चूत के मुलायम दरवाजे लगा दिया मंजू ने अपने चुतद पीछे को कर लिए मैं उसके बोबे को मसलते हुए उसकी फिर से लेने लगा , मंजू मस्त होने लगी और मैं भी उसकी रसीली चूत को बड़े मजे से मैं चोद रहा रहा था uffffffffffffffff ये जिस्मो की गर्मी कितनी आग भरी होती है जिस्मो में कितना बुझाऊ मैं इसको ये बुझती ही नहीं
मंजू के कमर को कसके पकडे मैं ताबड़तोड़ लंड को चूत में घिस रहा था ,तभी मंजू ने एक गहरी ठंडी आह भरी और उसका बदन अकड गया उसका बदन धम्म से निढाल हो गया जैसे उसमे सांस ही ना बची हो मंजू स्खलित हो गयी थी वो लम्बी लम्बी सांस ले रही थी थोड़ी देर बाद वो धीमे से बोली- अब उठ भी जाओ ना
मैं- कैसे उठ जाऊ मेरा तो हुआ ही नहीं है
वो- नहीं हुआ है अभी तक ,मेरी तो जान निकलने आई है अब सहन नहीं हो रहा है
मैं- बीच ने मत छोड़ , बस कुछ देर कि तो बात है
मंजू की चूत जैसे सूख ही गयी पर मैं तो चोदुंगा ही जबतक मेरा काम ना हो, मंजू अपने पैर पटकने लगी अब कभी बालो को नोचे कभी अपने नाखूनों को मेरी पीठ पर रगड़े मंजू मेरे नीचे पड़ी पड़ी हुई बावरी पर उस दिन साला मुझे क्या हो गया था , मेरा पानी छुट ही न रहा था मंजू रोने को आई उसकी चूत में दर्द सा होने लगा था पर अपनी भी तो मज़बूरी थी ना, मंजू बोली- दो मिनट सांस तो लेने दे फिर कर लियो
मैंने लंड को बहार निकाल लिया और मंजू की चूची पीने लगा मैं फिर से उसको गरम करने की कोशिश करने लगा सुपुद सुपद करके मैं उसको अपनी गोदी में बिठाये हुए अपने लबो को उसकी चूचियो पर रगड़ने लगा जल्दी ही मंजू मेरे बालो में प्रेमपूर्वक हाथ फिराने लगी उसके बदन में फिर से वासना की तरंगे दोड़ने लगी थी , मैंने मंजू को घोड़ी बनाया और अपने मुह को उसके कुलहो में दे दिया
उसकी चूत मेरी जीभ को महसूस करते ही फिर से लपलपाने लगी , मंजू की गांड के छेद को अपनी ऊँगली से सहलाते हुए मैं उसकी रसीली चूत को पिए जा रहा था किसी मय के प्याले की तरह उसकी गांड में मैं अपनी ऊँगली घुसाने लगा तो मंजू आहे भरने लगी थोड़ी सी ऊँगली जो गांड में घुसी तो मंजू ने चुतड को भींच लिया और बोली वहा नहीं वहा नहीं उसकी चूत फिर से गीली हो गयी थी, तो मैंने उसे घोड़ी बनाये ही अपने लंड को चूत पर रख दिया और उसके कुलहो पर दोनों हाथ रख लिए और लगा दिया धक्का मंजू थोडा सा आगे को सरकी पर मैंने सरकने नहीं दिया
इस बार जैसे ही मेरा लंड चूत में घुसा करार ही आ गया मुझे तो चूत का छेद लंड की मोटाई के हिसाब से खुला हुआ था बहुत ही सुन्दर लग रहा था वो मैंने वाही पर थोडा सा थूक टपका दिया और चिकनाई हो गयी चुदाई में और मजा आने लगा मंजू तो जैसे मस्ती में बावली सी ही हो गयी थी , ओहा आः उह आः आआआअह्ह्ह की आवाजे गोदाम में चारो तरफ गूँज रही थी मंजू बार बार अपनी गांड को पीछे करके मेरा पूरा सहयोग कर रही थी उसकी पीठ कंधो पर पसीने को अपनी जीभ से चाटने लगा मैं और उसको चोद रहा था हाय रे मंजू तेरा बहुत बहुत धन्यवाद
आज तो तूने मेरा दिन ही बना दिया वह मेरी जानेमन जैसे जैसे मेरी स्पीड बढती जा रही थी मेरे शरीर में खून का दौरा बढ़ता जा रहा था मंजू के पैर जवाब दे गए थे वो वैसे ही औंधी बोरी पर गिर गयी थी पर मैं रुकने वाला नहीं था मुझे अब मेरे बदन में जैसे शोले भड़क गए हो , ऐसे लग रहा था बस अब कुछ ही पलो की बात थी अन्डकोशो से मेरा खून वीर्य बनकर बिखरने को चल पड़ा था बस थोड़ी देर और , और तभी मंजू फिर से झड़ने लगी उसके मुह से तरह तरह की अव्वाजे निकल रही थी और उसके झड़ते झड़ते ही मेरा वीर्य भी निकल गया उसकी चूत को भरने लगा दोनों का रस जो मिला मजा ही आ गया
करीब आधे घंटे तक उसको अपनी बाहों में लिए मैं पड़ा रहा वहा पर बार बार चूमा उसको मैं एक बार और मंजू को रगड़ना चाहता था पर उसने दी नहीं हमने अपने कपडे पहने और घर में आ गये, मंजू ने मुझे ठंडी पेप्सी पिलाई और वादा किया की जल्दी ही फिर देगी वो मुझे , फिर मैं अपने घर आ गया
बड़े दिनों बाद मैंने तबियत से चूत मारी थी तो शरीर जैसे निचुड़ ही गया था घर जाते ही मैं सो गया फिर शाम को ही उठा, उठते ही मम्मी ने बताया की पिताजी खेत में है तुझे बुलाया गया है पहूँच जल्दी से मैं पंहूँचा वहा पर पिताजी जैसे आज मुआयना कर रहे थे हर चीज़ का
मुझे देख कर उन्होंने पुछा- पानी क्यों नहीं दिया सब्जियों को टाइम से
मैं- पिताजी, मेरा कोई दोष नहीं , चाचा की जिम्मेदारी है ये वो ही रहते है खेत पर
मुझे तो मजा ही आ गया अपना पल्ला तो झड गया अब चाचा जाने , पर मेरी ख़ुशी जल्दी ही काफूर हो गयी पिताजी ने उनसे बस इतना ही कहा की थोडा ध्यान से काम किया करो, फसल का नुकसान अपना नुकसान है , कम से कम दो डांट तो मारनी ही थी ,
मैंने पुछा- चाचा, पानी क्यों नहीं दिया ध्यान कहा है आपका
वो हडबडा से गए और बोले- तू तेरे काम से काम रख
मैंने भी सोच लिया था की जल्दी ही इनकी गांड पे लात मारनी है कुछ भी करके पर क्या वो समझ नहीं आ रहा था बिमला भी आजकल कुछ ज्यादा ही खुश रहने लगी थी ऊपर से चाचा के बदले बदले व्यवहार को अब चाची भी समझने लगी थी , कभी कभी वो बहुत चिडचिडा महसोस करने लगती थी मैं उनके हाल को बहुत अच्छे से समझता था पर मैं चाह कर भी उन्हें कुछ बता नहीं सकता था उनकी हालात भी मुझसे देखि नहीं जाती थी उनकी उदासी की वजह से मैं भी बुझा बुझा सा रहने लगा था
पढाई में भी मन नहीं लगता था नीनू काफ़ी बार पूछती थी क्या परेशानी है पर मैं टाल जाता था तो भी मेरी वजह से दुखी थी , मंजू की चूत मिल जाती थी तो गुजरा हो रहा था पिस्ता भोसड़ी की जैसे मामा के यहाँ ही बस गयी थी दस दिन से ज्यादा हो गए थे उसको आई ही नहीं थी वर्ना उस से मदद ले लेता , पर वो कहते है ना की कोई ना कोई रास्ता जरुर मिलता है उस दिन नोटिस बोर्ड पे सुचना पढ़ी की एक स्कीम आई है जिसमे कोई भी स्टूडेंट अगर एक घंटे काम करेगा तो उसको पचास रूपये मिलेंगे बहुत कम लोगो ने नाम लिखवाया जिसमे मैं भी था पर लोग जल्दी ही उकता गयी पर मैं हर दिन सो का एक नोट कमाता था
उस दिन मैं और नीनू क्लास बंक करके बैठे थे तो उसने जिद करली की आज तो बताना ही पड़ेगा तो मैंने उसको पूरी बात बता दी पर उसे कोई भी उपाय ना सूझा और ये बात तो तय थी की चाची को जब पता चलेगा तो घर में कलेश मचना ही था , तो बहुत विचार किया , नीनू ने भी यही कहा की बात तब बने जब चाची उनको रंगे हाथ पकडे वर्ना क्या पता बिमला खुद को बचने के लिए चाचा पर भी जबरदस्ती करने का इल्जाम लगा दे बात में दम था पर क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा था
उस दिन शाम को करीब चार बज रहे थे आज मेरा काम मास्टरों के शोचालय को चमकाना था , उसकी सफाई करनी थी हाथ में झाड़ू पोंचा और फिनाइल की बोतल लेकर मैं पंहूँचा उधर कैंपस तक़रीबन इस समय तक खाली हो ही जाया करता था तो मैं पंहूँचा और सफाई करने लगा एक पोर्शन को चमकाने के बाद मैं महिला शोचालय में गया और सफाई करने लगा तभी मुझे लगा की परले कोने की तरफ से किसी औरत की आवाज आ रही है मेरे कान खड़े हो गए मैंने पोचा छोड़ा और दबे पाँव उधर गया तो देखा की एक बाथरूम में गणित के मास्टर ने शांति मैडम को घोड़ी बनाया हुआ था मैडम की सलवार घुटनों पर पड़ी थी और मास्टर मजे से चोद रहा था
मैंने कहा ओह मास्टर जी बस शो खत्म,
मुझे देख कर दोनों हक्के बक्के रह गए मास्टर ने अपनी पेंट सम्हाई और भाग गया रह गयी मैडम और मैं मैडम अपनी सलवार बाँधने लगी तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और बोला- मैडम, शर्म नहीं आती आपको ऐसे ये सब करते हुए
मैडम ने नजरे नीची कर ली और बोली- किसी ...... को किसी को कुछ बताना मत तुम जो चाहे वो मैं करुँगी मेरी बहुत बदनामी हो जाएगी
मैं- थोड़ी देर पहले तो आपको गोल्ड मैडल मिल रहा था ना
मैडम कुछ ना बोली-
मैं – मैं तो सबको बताऊंगा
वो- नहीं मैं तुम्हारे पाँव पड़ती हूँ , किसी को मत बताना तुम जो चाहो मेरे साथ कर लो,
मैं- मुझे कुछ नहीं करना
मैडम- प्लीज् मैं बदनाम हो जाउंगी, मेरी नोकरी चली जाएगी
मैं- ठीक है पर आपको मेरा एक छोटा सा काम करना पड़ेगा
मैडम- जो तुम चाहो,
मैं- ठीक है जी, मैं कल आपको बताऊंगा
मैडम ने अपने कपडे सही किये बाल वाल बनाये और निकल गयी मैं सफाई करने लगा और तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया आया आईडिया क्या आया बस समझो बात बन ही गयी मुझे खुद पर यकीन था पर ये एक रिस्क था जिसमे चाची का घर आँगन टूट जाना ही था , आग से खेलने वाली बात थी मैंने सोचा था की किसी को बताना तो है नहीं पर सबूत जरुर होना चाहिए क्या पता कब जरुरत हो जाये , मेरे एक तरफ चाचा की बेवफाई थी तो दूसरी तरफ चाची की दोस्ती थी उलझ कर रह गए थे बस अपने आप में
उस शाम चाचा और चाची में किसी बात को लेकर थोड़ी सी बहस हो रही थी तो मैंने अपने कान लगा दिए चाची कुछ गिले शिकवे कर रही थी पर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था , पता नहीं मेरे कान काम की बात को सुन ही नहीं पाते थे क्यों , अब सीधा उनके कमरे में भी तो नहीं जा सकता था न तो क्या करे बस आईडिया ही लगा सकते थे की क्या बात है पर जल्दी ही उनकी आवाजे बंद हो गयी तो मैं भी नीचे चला गया थोड़ी देर टीवी देखा एक साला दूरदर्शन पर कभी कुछ आता नहीं था और केबल टीवी घर वाले लगवाते नहीं थे हम तो दुखी ही दुखी थे
फिर मैं खाना खाकर सीधा सोने ही चला गया , रेडियो सुनते सुनते कब नींद आई पता नहीं चला पर रात को मेरी आँख खुली तो मैं देखा रेडियो बज ही रहा है तो बंद किया उसको और पानी पीने के लिए बहार आया तो देखा की आज छत पर चाची खड़ी है , अक्सर तो वहा मैं पाया जाता था था पर आज वो थी , मुझे तो उनके दिल का हाल पता था ही मैं उनके पास गया और बोला- नींद नहीं आ रही क्या
वो- शायद तुम्हारी बीमारी लग गयी मुझे भी
मैं- क्या बात है
वो- कुछ नहीं
मैं- चाची, कभी कभी मुझे लगता है की आप और मैं एक ही कश्ती के सवार है आप भी बातो को छुपाती है मैं भी वैसे ना तो एक दोस्त होने के नाते ही बता दो, वैसे भी बताने से दिल का बोझ कुछ कम हो जाया करता है
वो- कुछ बाते तू अभी नहीं समझेगा
मुझे हँसी आ गयी
मैं- चाचा से झगडा हुआ उसी का टेंशन है ना
वो- ना वो सब तो चलता रहता है
मैं- वो ही तो बात है ,
वो- आजकल ये कुछ बदले बदले से लग रहे है
मैं- वो तो है
वो- न पहले की तरह बात करते है ना और कुछ बस ऑफिस से आते है खाना खाया और खेत में , पहले तो बहुत मन मार कर जाते थे पर आजकल बड़ा दिल लगने लगा है इनका खेत में कुछ समझ में नहीं आता मुझे , आज मैंने पूछ लिया तो झगडा कर बैठे
मैं- शायद काम का बोझ हो आप तो जीवन साथी हो उनको मुझसे बेहतर जानते हो
वो- बात तेरी शायद ठीक हो पर उन्हें भी तो इतना गुस्सा नहीं करना चाहिए था , कोई परेशानी हो तो बता भी सकते है
मैं- आप मिया-बीवी सुलझाओ अपने मामले को अपने को क्या है , रात बहुत हुई है सो जाओ
वो अपने कमरे में चली गयी मैं अपने कमरे में
अगले दिन मैंने सुबह सुबह ही शांति मैडम को पकड़ लिया और उनको अपना प्लान बताया की कैसे चाचा को वो अपने जाल में फ़साये और मैं उनकी मैडम को चोदते हुए तस्वीरे ले सकू , मैडम बहुत नखरे कर रही थी की मैं ना दूंगी पराये आदमी को ये हो जायेगा वो हो जायेगा तो मुझे थोडा गुस्सा आ गया मैंने कहा बहन की लोडी मास्टर जी से तो लपालप चुद रही थी और अब नखरे कर रही है , देख ले वैसे भी तू लंड की भूखी है तेरा काम भी हो जायेगा और मेरा भी , राज़ी हो जा वर्ना आज के आज सबको तेरी कहानी पता चल जाएगी
तो बुझे मन से शांति मैडम ने हां, कर दी मैंने उसको समझाया की तू चाचा के ऑफिस में जा एक फर्जी काम करवाने को और उनको फसा ले तू बेशक उनको चूत मत देना बस मैं तेरे साथ उनकी कुछ फोटो खीच लू तो भी काम चल जायेगा
शांन्ति\- पर उन तस्वीरों में मैं भी आउंगी
मैं- तुजे कौन जानता है , तेरा बस इतना ही रोल है और मेरी जबान है तुझे, मेरी इतनी मदद कर दे मैं तेरे राज़ को सीने में दबा लूँगा
तो आखिर मैडम मान ही गयी तो मैं उनको लेकर चाचा की ऑफिस में आया चाचा का नाम बताया और प्लान समझाया मैडम ऑफिस में चली गयी मैं बाहर ही रह गया
दस मिनट, बीस मिनट बाद बीत गयी, मेरी बेचैनी बढ़ी करीब आधे घंटे बाद वो आई हम वहा से निकले और साइड में बैठ गए
मैं- क्या हुआ ,
वो- मैंने उनको वो कहानी बताई जो तुमने कहा था , पहले तो वो माने ही नहीं पर फिर मैंने थोड़ी अदाए दिखाई तो वो बोले- की काम थोडा मुस्किल होगा आपको भी मदद करनी पड़ेगी मुझे एक घंटे बाद इस रेस्टोरेंट में बुलाया है
मैं- चाचा बड़ी जल्दी में है तुम टेंशन मत लेना और वो जो भी कहे तुम हा कर देना
हमने और थोडा समय काटा, मैंने देखा की करीब घंटे भर बाद चाचा ऑफिस से निकले और सामने वाले रेस्तौरेंट में घुस गए, थोड़ी देर बाद मैंने शान्ति को भी भेज दिया और इंतज़ार करने लगा ये इंतज़ार करना भी बड़ा कठिन काम होता है पर क्या करे करना ही था करीब एक घंटे बाद वो लोग वहा से बहार आये चाचा ऑफिस में चले गए मैडम मेरी तरफ आने लगी ,
मैं- क्या हुआ
वो- तुम्हारा कहना सही था, तेरा चाचा पूरा ठरकी है मैंने कल उसे अपने घर आने का बोल दिया है
मैं- इतनी भी क्या जल्दी थी , कही उन्हें शक ना हो जाये
वो- तू टेंशन मत लेना सब काम सेट कर दिया है बस तू कल रात टाइम से पहूँच जाना
मैंने अपना माथा पीट लिया और बोला- जे तो चाह रहा है की तुम्हारी गांड पर लात दू, मैं रात को कैसे आ पाउँगा और तुम्हारे घरवाले भी तो रहेंगे ना
शान्ति- मैं तो अकेली रहती हूँ इसलिए रात का बोला ताकि पूरा काम आराम से हो सके
मैं- चल कोई ना मैं करूँगा कुछ ना कुछ जुगाड़, पर रात को फोटू कैसे खीचूँगा कैमरा का फ़्लैश भी तो होगा
मैडम-मेरे पास नए ज़माने का डिजिटल कैमरा है वो फ़्लैश बंद करके भी ठीक फोटो खीच लेता है , देखो मैं तुम्हारे लिए इतना कर रही हूँ, तुम भी अपने वादे पर रहना
मैं- टेंशन ना लो मेरी तरफ से
रात को गाँव से शहर आना मेरे लिए बहुत ही मुश्किल था बहुत सोचने के बाद मैने घर पे फ़ोन किया और कहा की कुछ काम से मैं कैंपस में ही रुकुंगा , मम्मी ने काफ़ी सवाल पूछे पर मैंने बस उतना ही कह के फ़ोन काट दिया और शान्ति के साथ उसके घर आ गया ,मैडम का दो कमरों का घर था मैडम ने मुझे बैठने को कहा और मेरे लिए पेप्सी ले आई
पिटे पीते मैं मैडम को पूरी बात समझाने लगा की कैसे क्या क्या करना है , अब मैंने मैडम पे थोडा गौर किया मैडम ३६-37 साल की तो होंगी रंग भी ठीक ठाक था थोड़ी पतली सी थी पर फिगेर मस्त था मैडम ने साड़ी पहनी हुई थी मुझे वैसे भी साडी वाली औरते बहुत पसंद थी मेरे मन में विचार आया की क्यों ना मैडम को ही चोद लिया जाए एक बार अब चूत की तलब किसे नहीं होती वैसे भी उस समय हम दोनों ही थे तो कोई परेशानी वाली बात नहीं थी
मैं- आपके परिवार में कौन कौन है
वो- मैं मेरे पति है और दो बचे है
मैं- यही रहते है
वो- नहीं पति दुसरे स्टेट में मास्टर है और बच्चे बोर्डिंग में है
मैं- आप ऐसे काम क्यों करती हो
वो- पता नहीं कैसे मुझे लत लगगई अब तो आदत हो चली है
मैं उनके पास गया और उनकी जांघ को सहलाने लगा मैडम भी समझ रही थी पर वो मुझ से दूर होने लगी मैं –“मैडम जी मुझे भी एक बार गोता लगा लेने दो आपकी झील में ”
वो- देखो तुम .............
मैं मैडम की छाती पर हाथ लगाते हुए- मैडम जो आपको तो मजे लेने की आदत है तो कर्लोना मेरे साथ भी
मैडम बस मुस्कुराने लगी
मैंने उसकी साडी का पल्लू हटाया और उसके बोबो को दबाने लगा मैं धीरे धीरे चूचियो से खेलने लगा तो मैडम भी जल्दी ही अपने रंग में आने लगी मैंने ऊनके ब्लाउज के हूँक खोलने शुरू किये और उसको उतार दिया मैडम ने सफ़ेद रंग की ब्रा पहनी हुई थी मैंने उसे भी उतार दिया मैडम ने एक आह भरी मीठी सी मैंने उसकी पीठ पर एक चुम्बन अंकित किया वो मेरे आगे खड़ी थी मैं धीरे धीरे उसकी गेंदों से खेलने लगा मेरा लंड उनकी गांड से लगातार रगड खा रहा था
बोबो को सहलाते सहलाते मैं उनकी साडी को उतारने लगा फिर मैंने धीरे से उनके पेटीकोट ने नाड़े को खीच दिया नीली कच्छी मैडम की कसी हुई टांगो पर खूब फब रही थी मैंने उनकी जांघो पर अपना हाथ फेरा और मैडम को गोद में उठा कर उनके बेड की तरफ ले चला उन्होंने अपनी बाहे मेरे गले में डाल दी मैंने अब उनको पटका बेड पर अपने कपडे उतारने लगा जल्दी ही मेरा लंड खुली हवा में झूल रहा था मैडम की आँखे मेरे लंड पर जैसे जम सी गयी थी उन्होंने खुद ही अपनी कच्छी उतार दी और मुझे बोली- जरा मेरा पर्स ले आओ
मैं- दोड़ कर गया और दोड़ कर वापिस आया