parkas
Well-Known Member
- 27,058
- 60,287
- 303
Bahut hi shaandar update diya hai Adirshi bhai....Update 38
एकांश खुश था..... बल्कि बहुत ज्यादा खुश था
रीजन?
अक्षिता!
अक्षिता बहुत अच्छी थी, उसकी सेहत में भी सुधार हो रहा था, उसके चेहरे पर चमक लौट आई थी, उसके चेहरे पर उसकी खूबसूरत मुस्कान भी लौट आई थी
रीजन?
एकांश!
वो दोनो एक दूसरे की खुशी का कारण थे
एकांश ने जब अक्षिता की सुधरती हालत के बारे में डॉक्टर से बात की तो उन्होंने भी बताया के अक्षिता का खुश रहना कितना जरूरी है, इससे जबरदस्ती के स्ट्रेस से बचा जा सकता है जो अक्षिता की सेहत के लिए बिल्कुल भी सही नही था
अक्षिता के माता-पिता अपनी बेटी के मुस्कुराते चेहरे को देखकर बहुत खुश थे, वो अपनी बेटी को जानते थे वो जानते थे के अक्षिता भले की उनके सामने मुस्कुरा देती हो लेकिन उसकी वो मुस्कान फीकी थी, वो अपना दर्द छुपाने में माहिर थी
लेकिन अब हालत अलग थी उनकी बेटी खुश थी और मुस्कुरा रही थी और वो जानते थे कि ये सब एकांश की वजह से है, अक्षिता के खुश रहने के पीछे एकांश का वहा होना ही था
एकांश उसके सामने था, वो रोज उसे देख पा रही थी इसीलिए उसे अब रोज रोज एकांश को चिंता नहीं होती थी और इन्ही सब चीजों ने मानो अक्षिता के जीवन को तनावमुक्त बना दिया था जिसका उसकी तबियत पर पॉजिटिव असर हो रहा था, उसकी सेहत सुधर रही थी
******
"एकांश, तुम कितने चिड़चिड़े हो यार!" अक्षिता ने एकांश से कहा
"तुम मुझे मस्त नींद से जगाकर अपने साथ खेलने ले आई और मैं चिड़चिड़ भी न करू" एकांश ने झल्लाकर जवाब दिया
"बिल्कुल”
"मैं सोना चाहता हु अक्षिता" एकांश ने गिड़गिड़ाते हुए कहा
"नहीं क्युकी अभी हमे एक प्लेयर की जरूरत है"
"मैं खेलने के मूड में नहीं हूँ" एकांश कहा और आँखें बंद करके दीवार से टिक गया
"अरे चलो भी! आज तुम्हारी छुट्टी है"
" करेक्ट! आज मेरी छुट्टी है और मैं सोना चाहता हूँ"
"एकांश, प्लीज" अक्षिता ने प्यार से कहा और एकांश ने बस उसकी ओर देखा
"प्लीज़......" अक्षिता ने दोबारा प्यार से अपनी पलकें झपकाते हुए कहा
" उर्ग्घघ्ह्ह्हह्ह......."
"प्लीज......" और जब एकांश प्यार से नहीं माना तो अक्षिता ने इस बार हल्के गुस्से से कहा
“ठीक है...... चलो" और एकांश उसके साथ चला गया
खेलना भी क्या था अक्षिता को मोहल्ले के बच्चों के साथ टाइमपास करना था जिसके लिए वो एकांश को भी अपने साथ ले आई थी जिसमे एकांश का बिल्कुल इंटेरेस्ट नहीं था, वो पूरा टाइम अक्षिता को देखता रहा और उसे देखने के अलावा उसके कुछ नहीं किया, वो जब जीतती तो उसके चेहरे की हसी देख कर ही एकांश को सुकून मिल रहा था
कुल मिला कर अब हालत सुधर रहे थे अक्षिता की सेहत का सुधार देख सब खुश थे, डॉक्टर ने उन्हे बताया था के हाल ही के रेपोर्ट्स जो विदेशी डॉक्टर को बताए थे उनसे सलाह लेकर अक्षिता की दवाईया बदल दी गई थी जिससे उसकी सेहत को और फायदा होने वाला था
और सबसे ज्यादा एकांश इसीलिए खुश था के अक्षिता के उसे उसके वहा रहने पर परेशान करना बंद कर दिया था हालांकि ये बात वो जानता था के वो जानती है के वो वहा उसके लिए था लेकिन दोनों ही इस मामले मे चुप थे क्युकी यही सबके लिए अच्छा था
एकांश की नजरे इस वक्त अक्षिता पर टिकी हुई थी जो बच्चों के साथ खेल रही थी उन्हे चिढ़ा रही थी हास रही थी थी और उसके हसते देख एकांश के चेहरे पर भी मुस्कान थी साथ हाइ वो ऊपरवाले से प्रार्थना भी कर रहा था के अक्षिता की ये हसी कभी ना खोए
पिछले कुछ दिन वाकई बहुत अच्छे रहे थे, वो उसके लिए खाना लाती थी, उसके ऑफिस के काम में उसकी मदद करती थी दोनों काफी टाइम साथ रहते थे और एकांश समय-समय पर उसके डॉक्टर से संपर्क में रहता था ताकि वह उसके हेल्थ में हो रहे सुधार के बारे में जान सके
एकांश गेट के पास खड़ा होकर अक्षिता को बच्चों के साथ खेलते हुए देखता रहा, जब तक कि उसे एक जानी-पहचानी शख़्सियत अपनी ओर आती हुई नहीं दिखी, उसने याद करने की कोशिश की कि उसने उस शख़्स को कहा देखा था, लेकिन जब तक वो शख़्स उसके सामने नहीं आ गया, तब तक उसे समझ नहीं आया
" मिस्टर रघुवंशी"
उस शक्स ने कहा और अब एकांश ने उसे पहचान लिया था
"तुम यहा क्या कर रही हो?" एकांश ने हैरान होते हुए पूछा
"आपसे मिलने आई हु"
"क्यों? आपका पेमेंट सही नहीं हुआ था क्या" एकांश ने उससे पूछा
"वो बात नहीं है वो... दरअसल... क्या हम कहीं और जाकर अकेले में बात कर सकते हैं?"
एकांश को पहले तो कुछ समझ नहीं आया के वो क्या बोल रही है इसीलिए उसने वही बात करने का फैसला किया
"मेरी हिसाब से ये जगह ही सही है बताइए क्या कहना है आपको" एकांश ने कहा लेकिन वो शक्स कुछ नहीं बोली
"अब बोलो भी?" एकांश ने वापिस कहा
" I want you!"
एकांश ये सुनकर दंग रह गया था उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था
"क्या?" एकांश ने चौक कर पूछा
"Yes, I want you!" उसने कहा
"मिस अमृता, क्या आप पागल हो गई हैं?" एकांश ने गुस्से मे कहा
वो डिटेक्टिव अमृता थी जिसने अभी अभी एकांश को एक हिसाब से प्रपोज ही कर दिया था
"No, I am in Love" अमृता रुकी फिर आगे कहा "with you!"
एकांश तो उसकी बात सुन कर ही सुन्न हो गया था
अमृता ने उसके हाथ अपने हाथों में लिए और बोलना शुरू किया
"मुझे नहीं पता कि ये कैसे और कब हुआ, लेकिन यह हुआ, I was tired of guys and their ways around me but you were different, I know you were my client and trust me I am very professional to fall in love with my client but it happened हालांकि तुमने भले ही मेरी साथ हमेशा रुख ही व्यवहार किया लेकिन मैंने तुम्हारी आँखों में जो ईमोशनस् देखे थे बस उन्होंने ही मुझे तुम्हारी ओर खींचा, उस दिन तुमसे दूर जाना मेरे लिए काफी मुश्किल था और उसके बाद जब मैं घर गई तो मेरी दिमाग मे सिर्फ तुम ही थे, तभी मुझे ये एहसास हुआ कि मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ I am madly in love with you" अमृता ने एकांश की आँखों में गौर से देखते हुए सब कुछ कहा
अमृता ही बात सुन एकांश काफी ज्यादा शॉक था उसने उसकी तरफ देखा जो उम्मीद से उसे ही देख रही थी, सब कुछ शांत था और फिर अचानक एकांश को एहसास हुआ कि वो इस वक्त बाहर खड़ा था और उनके आसपास काफी लोग थे
उसने अपना सिर अक्षिता की ओर घुमाया जो वहीं खड़ी उसे और अमृता को ही देख रही थी जब उसने देखा कि अक्षिता चेहरे पर सूनापन लिए उसे देखते हुए ही घर के अंदर जा रही है तब वो थोड़ा घबराया और जल्दी से अमृता के हाथ से अपना हाथ छुड़ाया
" Leave!"
एकांश ने कहा लेकिन शायद अमृता को वो सुनाई ना दिया
"क्या?"
"Just Leave!" एकांश ने अपने दाँत पीसते हुए थोड़े गुस्से मे कहा, हालांकि उनका अमृता के लिए ये रवैया सही नहीं ठहराया जा सकता था लेकिन वो अक्षिता को लेके इस वक्त इतना पज़ेसिव था के सही गलत या अक्षिता के सामने कीसी और की फीलिंगस का उसके सामने इस वक्त तो कोई मोल नहीं था और जब उसके अक्षिता को उदास चेहरे के साथ घर मे जाते देखा तो अब उसका गुस्सा अमृता पर निकलने तयार था
"But I Love you" अमृता ने कहने की कोशिश की लेकिन एकांश ने गुस्से से अपना सिर उसकी ओर घुमाया जिससे थोड़ा डर कर वो पीछे हट गई
"तुम जानती भी हो कि प्यार क्या होता है?" एकांश ने पूछा
"Do you know what love does to you?"
"तुम जानती हो तुमने अभी अभी क्या किया है और तुम्हारे बिना सोचे समझे किए इस काम का क्या परिणाम हो सकता है?"
"उसकी जिंदगी पहले की तरह नॉर्मल बनाने मे कितना वक्त और मेहनत लगी है जानती हो?"
"हमारी जिंदगी की जरा भी भनक आपको होती मैडम डिटेक्टिव तो तुम यहा नहीं आती तुम जानती हो हम इस वक्त किस फेज से गुजर रहे है?"
"अपना हर पल बस इसी डर में जी रहे हैं कि आगे क्या होगा"
"जानती भी हो की मुझपर इस वक्त क्या बीत रही है यह जानते हुए कि कुछ ही समय में सब कुछ खत्म हो जाएगा?"
एकांश ने अमृता पर एक के बाद एक सवाल दाग दिए वही अमृता उसके चेहरे पर आया दर्द और गुस्सा देख अचंभे मे थी
"देखो अमृता मैं नहीं जानता के तुमने मुझमे ऐसा क्या देखा या मैंने कभी भी तुम्हें कोई ऐसा हिंट नहीं दिया जिससे लगे के हमारा कुछ हो सकता है इसीलिए ये बात दिमाग मे डाल लो की मैं तुमसे प्यार नहीं करता और न कभी करूंगा, ये बात बोलने मे मैं थोड़ा तुम्हें रुड लगूँगा लेकिन यही सच है अब प्लीज यहां से चली जाओ और मुझसे दोबारा मुझसे मिलने की कोशिश ना करना" एकांश ने सख्ती से कहा और घर मे जाने के लिए मूडा
"तुम उससे प्यार करते हो, है न?" अमृता ने पूछा
"हाँ, मैं उससे और सिर्फ़ उससे ही प्यार करता हूँ और आखिरी साँस तक उसीसे करत रहूँगा" एकांश ने कहा और घर मे चला गया
अमृता वही वही खडी रही, उसके एकांश की आँखों मे प्यार देखा था लेकिन वो उसके लिए नहीं था और बस यही सोचते हुए उसकी आँख भरने लगी थी, उसे इस बात का भी अफसोस हो रहा था के उसे ये बात पहले ही समझ जानी चाहिए थे जब उसने एकांश को अक्षिता के लिए इतना व्याकुल देखा था, शायद वो समझ भी गई थी लेकिन शायद उसका दिल मानने को राजी नहीं था और इसीलिए शायद वो यहा आई थी अपने प्यार का इजहार करने जो शायद उसे कभी ना मिले और अब वहा रुकने का और कोई रीज़न नहीं था तो उसने एक बार जाते हुए एकांश को देखा और वहा से चली गई
इधर एकांश जब घर के अन्दर आया तो उसे अक्षिता कही दिखाई नहीं दी
"अक्षिता कहाँ है?" एकांश ने सरिताजी से पूछा
"वो अपने कमरे में है और और उसने खुद को अंदर से बंद कर लिया है, चिंता मत करो उसे अकेले रहना होता है तब वो ऐसा ही करती है" सरिताजी ने एकांश के चिंतित चेहरे को देखते हुए कहा
"ओह."
"एकांश कुछ हुआ है क्या बेटा?"
"नहीं कुछ नहीं... मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ आंटी आप प्लीज उसका ख्याल रखना" एकांश ने कहा
"हा बेटा.... लेकिन तुम ठीक तो हो?" उसने चिंतित होकर पूछा
"मैं ठीक हूँ" ये कहकर एकांश मुड़ा और अपने कमरे में चला गया
जैसे ही वो अपने कमरे में दाखिल हुआ, वो यह सोचकर घबरा गया कि अक्षिता क्या सोच रही होगी और क्या सब कुछ फिर से पहले जैसा हो जाएगा...
उसने भगवान से बस यही प्रार्थना की कि इसका असर उनकी सेहत पर न पड़े
******
" हैलो?"
"....."
" हैलो?"
"....."
"कौन है?" रोहन ने पूछा
"हमारे उस बेवकूफ बॉस ने मुझे फोन किया है लेकिन कुछ बोल नहीं रहा"
"हैलो? एकांश?"
"हैलो."
"आह... फाइनली तुमने कुछ बोला हो” स्वरा ने झल्लाते हुए कहा
"स्वरा.... मैं...." एकांश को समझ नहीं आ रहा था के क्या कहे
"एकांश क्या हुआ है तुम काफी परेशान साउन्ड कर रहे हो?" स्वरा ने चिंतित होकर पूछा।
"मैंने गड़बड़ कर दी.... मैं.."
"एकांश प्लीज हमें बताओ कि क्या हुआ है ऐसे डराओ मत, सब ठीक है न? अक्षु ठीक है ना?
"सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन फिर.... आज अमृता यहाँ आई और उसने मुझसे प्रपोज कर दिया और अक्षिता ने सब सुन लिया और अब उसने खुद को अपने कमरे में बंद कर लिया है" एकांश ने उदास होकर कहा
"WTH! और ये अमृता कौन है?" स्वरा ने कन्फ्यूज़ टोन मे पूछा
"अमृता वो प्राइवेट डिटेक्टिव है जिसे अमर ने अक्षिता को को ढूँढने के लिए हायर किया था" एकांश ने रोहन को स्वरा को समझाते हुए सुना वही स्वरा अमर को उलट सीधा बोलने लगी
"अब मुझे समझ नहीं आ रहा कि क्या करूँ तो प्लीज कोई रास्ता हो तो बताओ" एकांश ने स्वरा के चुप होते हो कहा
" बस जाओ और उससे बात करने की कोशिश करो" स्वरा ने कहा
" ठीक है"
"और चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा"
"थैंक्स" इतना कह कर एकांश ने फोन काट दिया
******
एकांश ने अपनी खिड़की से घर के अंदर झाँका लेकिन उसे अक्षिता कहीं नहीं दिखी वो अपने कमरे से बाहर आया और सीढ़ियों से नीचे चला गया जब उसने सीढ़ियों की आखिरी सीढ़ी पर बैठी अक्षिता को देखा तो वो रुक गया
जब उसने देखा कि यह अक्षिता थी तो उसने राहत की सास ली, अक्षिता अपना सिर दीवार पर टिकाए हुए थी और उसकी आँखें रात के आसमान में तारों को देख रही थीं
वो धीरे-धीरे उसके पास आया और उसके बगल में बैठ गया, एकांश अक्षिता को देख रहा जबकि अक्षिता आसमान को, उसने एकांश को अपने पास महसूस किया और ये भी महसूस किया कि वो उसे देख रहा था, लेकिन उसने उसकी तरफ़ नहीं देखा
बहुत दिनों बाद उन्हें अपने लिए वक्त मिला था..... अकेले, वो खुश थे कि वहाँ सिर्फ़ वो दोनों थे..... एकांश, अक्षिता और रात का आसमान
अक्षिता यही सोचकर मुस्कुराई और एकांश हैरान होकर उसकी ओर देखने लगा, वो जानना चाहता था कि वो क्या सोच रही थी
एकांश के सारे खयाल तब गायब हो गए जब उसने भी तारों से भरे आसमान को देखा जो एकदम शांत था और ऐसा सालों बाद हुआ था जब वो दोनों एक साथ बैठकर यू रात का आसमान निहार रहे थे और उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई
तभी हवा का एक झोंका उनके बीच से बहता हुआ उसके बालों को उड़ाता हुआ और उसके चेहरे पर मुस्कान लाता हुआ गया वहाँ सिर्फ़ वे ही थे..... सिर्फ वो दोनों और अभी के लिए एकांश बस यही चाहता था
उसने देखा के अक्षिता ने उसका एक हाथ पकड़ा हुआ था और वो उसकी ओर देख मुस्कुराई और उसने अपना सिर उसके कंधे पर टीका दिया...
दूसरी तरफ एकांश उसकी हरकतों को देखकर हैरान था हालाँकि उसे इससे कोई दिक्कत नहीं थी और वो अंदर ही अंदर वह खुशी से झूम रहा उसका दिल जोरों से धडक रहा था
उसने अपना हाथ उसके कंधे पर रखा और अपना सिर उसके सिर पर टिका दिया और दोनों एक साथ आकाश में तारों को देखने लगे, दोनों के ही चेहरों पर मुस्कान थी....
क्रमश:
Nice and lovely update....