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“साफ सायद बताएगा लॉकेट है य नहीं है” एकांश ने पूछा अब उससे रहा नहीं जा रहा था और अमर चुप था
“है, लॉकेट है भाई उसने आज भी वो लॉकेट अपने आप से अलग नहीं किया है” अमर ने आराम से कहा
“क्या! तो फिर तू ऐसे मुह सड़ा के क्यू बैठा है मुझे लगा के नहीं है” एकांश ने कहा लेकिन अमर अब भी गर्दन झुकाए था
“अमर क्या हुआ अचानक”
“कुछ नहीं बस अब जब लॉकेट देख लिया है और समझ आ गया के अक्षिता ने तुझे धोका नहीं दिया था तो अब वो टाइम याद आ गया जब मैंने तुझे धोका देने के लिए उसे नजाने कितनी गाली दे डाली थी, तू हम सबसे दूर हो गया था उस टाइम, घरवालों से दोस्तों से, ना तो कीसी से मिलता था ना बात करता था, बस दोस्त खोने का गुस्सा उसके लिए गालियों के रूप मे निकला था और अब समझ आया के साला शायद उसकी गलती ही नहीं थी” अमर ने कहा, एकांश कुछ बोलने ही वाला था के अमर आगे बोला
“मैं समझता हु के उस टाइम तेरा अकेला रहना ही सही था लेकिन भाई है तू मेरा और उस टाइम तेरी जो हालत थी उसके लिए अक्षिता को ही जिम्मेदार माना था हम सबने लेकिन साला आज सब धुआ हटा है के वो तो फीलिंगस तो आज भी वैसी ही है और शायद उसका तुझसे दूर होने के पीछे तगड़ा रीज़न भी है” अमर ने एकांश को देखते हुए कहा
“मैं समझ सकता हु, और मुझे पता है मैं तुम सब से उस टाइम टूट सा गया था और इतनी समझ ही नहीं थी के मैं अपने साथ साथ अपनों को भी तकलीफ दे रहा हु, तो भाई सॉरी यार” एकांश ने कहा और अमर ने उसे कस के गले लगा लिया
“तो एकांश रघुवंशी जी अब जब हम कन्फर्म है के फीलिंगस अब भी वैसे ही बरकरार है तो सेलब्रैशन तो बनता है इसका” अमर ने एकांश को देख बत्तीसी दिखाते हुए कहा
“नोप, जब तक उसके जाने की असल वजह पता नहीं चलती तब तक काहे का सेलब्रैशन भाई,” एकांश ने अपनी स्माइल छिपाते कहा
“ये भी ठीक है, वैसे मन मे तो लड्डू फुट रहे होंगे तेरे”
“अबे चल ना”
“तो अब आगे क्या करना है?”
“अब बस एक ही रास्ता है”
“अक्षिता ने इस बारे मे पुछ नहीं सकते वो साफ मुकर जाएगी फिर दूसरा क्या रास्ता है?” अमर ने पूछा
“अब इस बारे मे मॉम से ही बात करनी पड़ेगी, मेरी गट फीलिंग है के हो ना हो मा को इस बारे मे सब पता है और अब उनसे ही बात करनी पड़ेगी इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है”
“तो क्या और कैसे पूछेगा फिर आंटी से?”
“कैसे मतलब, सीधा जाकर के वो अक्षिता को जानती है या नहीं”
“और वो मुकर गई तो?’
“तो तू तो साथ होगा ही और अगर मॉम मुकर जाती है तो इसका साफ मतलब है के अक्षिता ने जाने के लिए उनका ही हाथ है फिर बस उनसे जवाब मांगना बचता है” एकांश ने हल्के गुस्से मे कहा
“एकांश, सही से सोच ले और भी तरीके है पता करने के आंटी तुझे लेके काफी सेन्सिटिव है”
“भाई मुझे तो इसका अलावा और कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा और अगर इसमे मॉम का हाथ नहीं है तो और क्या रीज़न हो सकता है?? अक्षिता ने ऐसा क्यू कहा के वो मुझसे प्यार नहीं करती लेकिन अभी भी इस लॉकेट को सिने से लगाये है, क्यू वो मुझे दर्द मे नहीं देख पाई? देख मैं भी मॉम को हर्ट नहीं कर सकता लेकिन अब इट्स हाई टाइम के उनसे बात करनी पड़ेगी, हो ना हो वो इस मामले मे जरूर कुछ ऐसा जानती है जो अक्षिता के मुझे छोड़ जाने से जुड़ा हुआ है” एकांश ने कहा और आबकी बार अमर ने भी उसकी बात मे हामी भरी
“सही है, अब आंटी ही इस बारे मे खुलासा कर सकती है तू कल उनसे आराम से बात कर मैं भी रहूँगा वहा” अमर ने कहा
“थैंक्स मॅन”
ये लोग बात कर ही रहे थे के एकांश के केबिन के दरवाजे पर नॉक हुआ और दरवाजा खुला तो अक्षिता अंदर आई जो थोड़ी नर्वस थी और पिछले कुछ दिनों से तो काफी कमजोर दिख ही रही थी
अक्षिता ने एकांश को देखा जिसकी आँखों मे इस वक्त कई सारी भवनाए उमड़ रही थी जो अक्षिता को कन्फ्यूज़ भी कर रही थी और साथ ही डरा भी रही थी
“sir, can I take leave for rest of the day?” अक्षिता थोड़ा नर्वसली पूछा
“क्यू?”
“वो मेरी मॉम का कॉल आया था उनहोने अर्जन्टली घर बुलाया है और सर, मैंने मेराआज का काम खत्म कर दिया है” अक्षिता ने कहा और वो थोड़ा इस बात से भी नर्वस थी के शायद एकांश छुट्टी ना दे
“अक्षिता, रीलैक्स” अमर ने कहा
“ठीक है, यू कॅन गो” एकांश ने भी मुसकुराते हुए कहा
“थैंक यू” और अक्षिता वहा से चली गई
‘बस एक और दिन अक्षु, कल सब सच पता चल जाएगा और फिर कुछ गलत नहीं होगा’ जाती हुई अक्षिता को देख एकांश ने मन ही मन कहा
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अगले दिन
आज अक्षिता समय से थोड़ा पहले ही ऑफिस पहुच गई थी और वो सीधा कैन्टीन मे पहुची जहा से उसे एकांश के लिए कॉफी लेनी थी और आज वो उस कैन्टीन के कूक से बोली
“उम्म... भैया आज कॉफी मैं बनाऊ?”
“हा हा बिल्कुल” जिसके बाद उस बंदे ने अक्षिता को कॉफी बनाने की जगह दी
अक्षिता ने मुसकुराते हुए कॉफी बनान शुरू किया और एकदम वैसी कॉफी बनाई जैसी एकांश ओ पसंद थी और कॉफी लेकर एकांश के केबिन की ओर बढ़ गई और कम इन सुनते ही उसके केबिन मे इंटर हुई
“सर आपकी कॉफी” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कॉफी टेबल पर रखी
अक्षिता को अपने को देख स्माइल करते देख एकांश थोड़ा हैरान था, उसने जब से ऑफिस जॉइन किया था अक्षिता कभी उसे देख मुस्कुरई नहीं थी, एकांश ने कॉफी का कप उठाया और अपने हाथ मे मौजूद फाइल को देखते हुए कॉफी का एक घूट लिया
“वॉव!! ये रोज ऐसी कॉफी क्यू नहीं बनाता यार” एकांश ने कॉफी का घूट लेटे हुए खुद से ही कहा और एकांश से इन्डरेक्ट तारीफ सुन अक्षिता के चेहरे पर भी स्माइल आ गई
“सर, ये आपका आज का स्केजूल” अक्षिता ने उसे उसका स्केजूल पकड़ाया
“थैंक्स” एकांश ने अक्षिता को देखा और अक्षिता की हालत देख उसे कुछ ठीक नहीं लगा, अक्षिता की आंखे पूरी लाल हो गई यही, आँखों के नीचे गड्ढे साफ दिख रहे थे और रोज के मुकाबले आज वो कुछ ज्यादा थी कमजोर दिख रही थी
“क्या हुआ है?” अक्षिता को देख एकांश ने चिंतित होते हुए पूछा
“हूह?” अक्षिता एकांश के सवाल पे कन्फ्यूज़ थी
“तुम्हारी हालत ठीक नहीं लग रही है” एकांश ने अक्षिता के चेहरे को देख उसके सामने खड़ा होते हुए कहा
“क्या??”
“तुमको देख कर ऐसा लग रहा है जैसे बहुत रोई हो और कमजोर दिख रही हो” एकांश ने कहा
“ऐसा कुछ नहीं है सर मैं एकदम ठीक हु वो बस रात को सही से नींद नहीं हो पाई इसीलिए ऐसा लग रहा होगा” अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा
“अगर ठीक नहीं लग रहा है तो तुम घर जाकर आराम कर सकती हो” एकांश ने कहा
“नहीं मैं एकदम ठीक हो” और इतना बोल के अक्षिता उसके केबिन से निकल गई
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रोहन और स्वरा भी अक्षिता को नोटिस कर रहे थे और उसके लिए चिंतित थे, उन्होंने इस बारे मे अक्षिता से बात करने की भी कोशिश की लेकिन बदले मे अक्षिता ने एक थकी हुई मुस्कान देकर बात टाल दी, उन्होंने भी अक्षिता से वही कहा जो एकांश के कहा था के छुट्टी लेकर घर जाकर आराम करे लेकिन अक्षिता ने भी वही जवाब दिया के वो ठीक है,
अभी अक्षिता स्वरा के पास जा रही थी जो कॉफी मशीन के पास खड़ी थी..
“स्वरू” अक्षिता ने कहा
“अक्षु तू ठीक है ना” स्वरा ने अक्षिता को देख कहा
“हा मैं ठीक हु लेकिन तू वो छोड़ मुझे तुझसे कुछ पूछना है”
“हा तो पुछ न तुझे कब से पर्मिशन की जरूरत पड़ने लगी”
“तू रोहन हो पसंद करती है?” अक्षिता ने सीधा सवाल कर डाला
“क...क्या??” स्वरा एकदम आए इस सवाल से थोड़ा सकपका गई थी
“तू उसे पसंद करती है, हैना?” अक्षिता ने मुसकुराते हुए कहा और स्वरा नीचे देखने लगी
“अगर तू उसे सही मे पसंद करती है तो छिपा मत यार बता दे उसे इससे पहले के बहुत देर हो जाए” अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा लेकिन उसकी मुस्कान मे कुछ मायूसी थी
“क्या?... अक्षु पागल है क्या पता वो मेरे बारे मे वैसा फ़ील ही ना करता हो?” स्वरा ने पूछा
“पागल मैं नहीं तू है जो ये बात समझ नहीं पाई” अक्षिता ने हसते हुए कहा
“हूह?”
“अरे वो भी तुझे पसंद करता है और तुम दोनों की आँखों मे एकदूसरे के लिए प्यार महसूस किया जा सकता है समझी” अक्षिता ने स्वरा के माथे पे टपली मारते हुए कहा
:ओह” अब स्वरा के गाल लाल होने लगे थे
“तो अब और देरी मत कर और उसे बता दे” अक्षिता ने कहा और जाने के लिए मुड़ी
“अक्षु! तू ये सब आज इतनी हड़बड़ी मे क्यू बता रही है? तू ठीक है ना?”
“मैं एकदम ठीक हु और कई दिनों से तुझसे इस बारे मे बात करना चाहती थी जो आज हो गई” इतना बोल अक्षिता ने स्वरा को गले लगा लिया
“बस एक बात याद रखना मैं तुम दोनों को साथ देखना चाहती हु” अक्षिता ने कहा और वहा से निकल गई
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“रोहन”
रोहन कीसी से बात कर रहा था जब अक्षिता ने उसे पुकारा और अक्षिता जो अपनी ओर मुसकुराता देख रोहन को उस आदमी से बाद मे बात करने कहा और अक्षिता के पास आया
अक्षिता ने रोहन को कस के गले लगाया, उसके लिए अपने आँसुओ को रोकना मुश्किल हो रहा था, रोहन ने एक बड़े भाई की तरह हमेशा अक्षिता का साथ दिया था वो उसके लिए वो भाई बना था जिसके लिए अक्षिता बचपन से तरसी थी और आज अक्षिता अपने उस भाई के सामने रोना चाहती थी अपनी परेशानी बताना चाहती थी लेकिन वो वैसे कर नहीं सकती थी, अक्षिता की आँखों से गिरता आँसू रोहन कोकाफी परेशान कर देगा ये वो जानती थी
“अक्षु तू ठीक है?” रोहन ने अक्षिता की लाल आँखों को देख पूछा
“हा, I just wanted a hug from you” अक्षिता ने स्माइल के साथ कहा
“come here” जिसके बाद रोहन ने अक्षिता को गले लगाया और इस बार वो अपने आँसुओ को कंट्रोल नहीं कर पाई और उसकी आँखों से आँसू की एक बूंद टपकी
“अब और मत छिपाओ, स्वरा से अपने दिल की बात कह डालो” अक्षिता ने वैसे की गले लगे हुए रोहन से कहा
“तुम तो जानती हो मेरे लिए ये कितना मुश्किल है” रोहन ने कहा
“जानती हु लेकिन फिक्र मत करो वो भी तुम्हें उतना हु चाहती है जितना तुम, प्यार एक वरदान की तरह होता है रोहन जो हर कीसी को नसीब नहीं होता और मैं चाहती हु डू प्यार करने वाले हमेशा साथ रहे मैंने तुम दोनों की आँखों मे एकदूसरे के लिए प्यार देखा है” अक्षिता ने रोहन से अलग होते हुए सीरीअसली कहा
“अक्षिता क्या हुआ है? तुम आज ये सब बाते अचानक क्यू कर रही हो? सब ठीक है ना?” रोहन ने चिंतित होते हुए पूछा
“हा सब ठीक है मैं बस ये इसीलिए कह रही हु ताकि तुम्हें तुम्हारी भवनाए बयां करने मे देरी न हो जाए” अक्षिता ने कहा
“ठीक है, मैं बता दूंगा उसे” रोहन ने कहा और अक्षिता के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ गई...
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ऑफिस टाइम खत्म होने को था, अक्षिता ने अपने दोस्तों को ये कह कर रवाना कर दिया था के उसे थोड़ा काम करना है और उसे लेट होगा और वो ऑफिस मे रुक गई, जब तक अक्षिता ने अपना काम खत्म किया ऑफिस से लगभग सभी लोग जा चुके थे, उसने भी अपना बैग उठाया फाइलस् ड्रॉर मे सही से लॉक की और ऑफिस की बिल्डिंग से बाहर आई
अक्षिता के दिमाग मे इस वक्त कई खयाल घूम रहे थे वो सोचते हुए आगे बढ़ रही थी, अक्षिता का मन इस वक्त उदास था, एक मायूसी थी उसके अंदर और अपनी जिंदगी के बारे मे सोचते हुए वो आगे बढ़ी जा रही थी
अक्षिता को तो ये भी खयाल नहीं रह गया था के वो किस ओर जा रही है, एक बेबसी सी महसूस हो रही थी उसे, वो चिल्लाना चाहती थी अपना दर्द बाटना चाहती थी, वो बस रोड पर चली जा रही थी दिमाग मे बस एक सवाल लिए
क्यू??
जिसका जवाब था, बस ‘उसके’ लिए
अक्षिता ये सब बस ‘उसके’ लिए कर रही थी
‘उसकी’ खुशी के लिए
क्युकी यही ‘उसके’ लिए बेस्ट था
यही उन दोनों की किस्मत थी
‘मैं जानती हु के मेरे इस निर्णय से मैं उसे और तकलीफ देने वाली हु लेकिन बस यही एक तरीका है और मैं इसमे कुछ नहीं कर सकती’
अक्षिता ने वो कहा पहुची है ये देखने के लिए नजरे उठाई तो उसने पाया के उसे कदम उसे उसी पार्क के सामने ले आए थे जहा वो दोनों अक्सर मिला करते थे,
शाम ढाल चुकी थी और रात का अंधेरा फैलने लगा था, पार्क बंद हो चुका था और उसे देखते हुए वो सभी पुरानी यादे अक्षिता के दिमाग मे उमड़ने लगी थी
अक्षिता के पैरों मे जान नहीं बची थी वो घुटनों के बन बैठ अपनी किस्मत पर रोने लगी थी, एकांश का उसके लिए प्यार वो सभी पुरानी यादे उसके दिल मे टीस उठा रही थी, अक्षिता अपनी बेबसी पर रोए जा रही थी, ये सोच के रो रही थी के वो वापिस उसे हर्ट करने वाली थी,
उसने देखा के कोई उसके सामने खड़ा था, अक्षिता ने नजरे ऊपर करके उस इंसान को देखा तो वो नजरों मे चिंता के भाव लिए अक्षिता को देख रहा था
“बिटिया इस वक्त यहा क्या कर रही हो? और रो क्यू रही हो?” ये पार्क का वाचमॅन था जो अक्षिता को जानता था क्युकी वो अक्सर यहा आया करती थी, उसने सहारा देकर अक्षिता को उठाया
इस वक्त अक्षिता को वहा रोते हुए देख वो थोड़ा था, वो अक्षिता को जानता था और आज उसे ऐसे रोते देख उसे चिंता हो रही थी
“कुछ नहीं काका वो ठोकर लगी थी बस इसीलिए” अक्षिता ने अपने आँसू पोंछते हुए स्माइल के साथ कहा
“बिटिया... तुम ठीक हो ना?” उसने वापिस पूछा
“हा काका मैं ठीक हु, मुझे जाना है, थैंक यू” और इतना बोल अक्षिता वहा से निकल गई
अक्षिता अपने आँसू पोंछते हए आगे बढ़ गई, उसे घर जल्दी पहुचना था वरना उसके मा पापा को उसकी चिंता होगी ये वो जानती थी एर तभी एक कार ने उसका रास्ता रोका और अक्षिता भी रुक गई
और जब अक्षिता ने उस बंदे को देखा जिसकी कार थी वो थोड़ा चौकी, एक एकांश था..
“तुम यहा इस टाइम रोड पर ऐसे अकेले क्या कर रही हो?” एकांश ने हल्के गुस्से मे कार ने निकलकर उसके पास आते हुए पूछा
“उम्म... रास्ता चलने के लिए होता है ना?” अक्षिता ने कहा और झट से नीचे देखा जब उसे पाया के एकांश उसे घूर रहा था
“तुमको कोई आइडीया है ऐसे ऐड्हीर रास्ते पे अकेली चल रही थी कुछ हो जाता तो” एकांश उसे डांट रहा था और उसे अपनी फिक्र है देख अक्षिता मुस्कुरा रही थी
“मैंने कोई जोक सुनाया जो मुस्कुरा रही हो” एकांश ने कहा और अक्षिता ने ना मे गर्दन हिला दी लेकिन उसकी मुस्कान बरकरार थी, एकांश आगे कुछ नहीं बोला उसने अक्षिता को गौर से देखा तो उसे ये समझते देर नहीं लगी के वो रोई है
“तुम रो रही थी?” एकांश ने पूछा और अक्षिता ने वापिस ना मे गर्दन घुमा दी
अब एकांश कुछ नहीं बोला उसने अक्षिता का हाथ पकड़ा और उसे कार मे बिठाया और अक्षिता भी चुपचाप उसकी हर बात मानने लगी,
इस सब मे अक्षिता की नजरे एक पल को भी एकांश से नहीं हटी थी मानो जी भर कर उसे देखना चाहती हो
एकांश को भी ये थोड़ा अजीब लग रहा था, पूरे रास्ते अक्षिता मुसकुराते हुए एकांश को देखती थी
“तुम सच मे ठीक हो ना?” एकांश ने अक्षिता से पूछा जो उसे ही स्माइल के साथ देख रही थी
एकांश अक्षिता के घर का पता जानता था इसीलिए उसने गाड़ी उस ओर घुमा दी और कुछ ही समय मे वो अक्षिता के घर पहुच चुके थे,
वो दोनों कार से बाहर आए
“थैंक यू” अक्षिता ने कहा और अंदर जाने के लिए मुड़ी
वही एकांश वही खड़ा रहा ये देखने के लिए के अक्षिता सही से घर मे चली जाते, आज के अक्षिता के बर्ताव से वो ये तो कन्फर्म था के कुछ तो गड़बड़ है, अक्षिता ठीक नहीं है और तभी जाते जाते अक्षिता रुकी और वापिस एकांश के पास आई और एकांश को देखने लगी
और अचानक अक्षिता ने एकांश को गले लगा लिया, एकदम कर के, और अपनी आंखे बंद कर ली, वो एकांश के गले लग कर इस सिचूऐशन ने लड़ने की, अपनी निर्णय से लड़ने की हिम्मत जमा करने लगी
वही एकांश भी अक्षिता के एकदम से उसके गले लगने से पहले थोड़ा चौका और फिर उसने भी अक्षिता को गले लगा लिया, जहा एकांश से अक्षिता को हिम्मत मिल रही थी वैसा ही कुछ हाल एकांश का भी था, ये आलिंगन उसे भी एक नई एनर्जी दे रहा था, एक आत्मविश्वास दे रहा था सब कुछ ठीक करने का जिसकी उसे इस वक्त जरूरत थी, जो उसे अपनी मा से इस बारे मे बात करने के लिए सच जानने के लिए चाहिए था
कुछ पल वैसे ही बीते और अक्षिता ने अपने आप को एकांश से अलग किया और बगैर कुछ बोले अपने घर की ओर चली गई और एकांश वही कुछ देर खड़ा रहा और फिर वो भी अपनी कार लेकर वहा से चला गया
एकांश के जाते ही अक्षिता बाहर आकार उसकी कार को उसको अपने से दूर जाते हुए देखने लगी, उसकी आँखों मे आँसू थे और होंठों पर मुस्कान और कुछ लफ़्ज़
कभी ऐसा लगा है के कीसी बात को जानने के कीसी सच को जानने के आप एकदम करीब हो फिर भी वो बात पूरी ना हो पाए?
एक ऐसी सिचूऐशन मे फसे हो जहा बस इंतजार करना ही एकमात्र ऑप्शन हो इसीलिए अलावा कुछ ना कर पाओ?
कभी ये फीलिंग आई है जहा तुम्हारी जिंदगी तुम्हारा प्यार तुम्हारा सबकुछ तुम्हारी आँखों के सामने हो लेकिन तुम उसे हासिल ना कर पाओ?
कभी इंतजार मे एक एक सेकंद वर्षों की भांति महसूस हुआ है?
ऐसी फीलिंग आई है जब आप जिससे प्यार करते हो उसका साथ पाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तयार हो लेकिन फिर भी उस इंसान से दूर हो जाओ?
कभी कभी ऐसा लगता है मानो नियति ही हमे इशारा दे रही हो के कुछ तो है जो गलत होने वाला है कुछ तो है जो हमसे छूट रहा है, कुछ तो है जो दूर जा रहा है...
एकांश इन्ही सब भावनाओ को इस वक्त एकसाथ महसूस कर रहा था, वो अपने इन्ही खयालों से फ्रस्ट्रैट होकर अपने बाल नोचने की हालत मे आ गया था, उसका दिमाग एकदम ही डिस्टर्ब हो गया था
कल रात ही एकांश अपनी मा से बात करना चाहता था लेकिन जब वो घर पहुचा तब उसे पता चला के उसकी मा घर पर ही नहीं थी, उसने पिता ने उसे बताया के वो शहर मे ही नहीं थी वो उनके कीसी रिश्तेदार से मिलने गई हुई थी और इस बारे मे एकांश को कुछ नहीं पता था, अब इसमे गलती भी उसी की थी पिछले कुछ महीनों मे एकांश ने अपने आप को इतना स्वकेंद्रित बना लिया था के बकियों का क्या चल रहा है उसे कुछ पता ही नहीं था
और अब बस वो केवल अक्षिता को देखना चाहता था लेकिन आज उसकी ये इच्छा भी पूरी नहीं होने वाली थी, अक्षिता आज ऑफिस ही नहीं आई थी और ना की अक्षिता ने उसे इस बारे मे कोई मैसेज या लीव ऐप्लकैशन भेजा था लेकिन एकांश ने इस बात को इग्नोर कर दिया था उसने कल अक्षिता की हालत देखि थी और सोचा के उसकी तबीयत ठीक नहीं नहीं थी उसे आराम की सख्त जरूरत थी इसीलिए उसका घर रहना ही बेहतर था लेकिन फिर भी वो अक्षिता को काफी मिस कर रहा था
एकांश ने जैसे तैसे दिन के अपने सभी काम निपटाए लेकिन पूरे दिन मे मिनट दर मिनट वो सच्चाई जानने के लिए उतावला होता जा रहा था, वो तो ये भी नहीं जानता था के उसकी मा का लौटने वाली थी और जो बात उसे करनी थी वो फोन पर नहीं हो सकती थी, उसने वापसी के बारे मे जानने के लिए अपनी मा को फोन भी किया लेकिन वो कब लौटेगी इसका जवाब नहीं मिला,
अगले दिन एकांश की एक बहुत जरूरी मीटिंग थी और उसे ये उम्मीद थी के अक्षिता आज ऑफिस आएगी लेकिन जब उसे रोज की तरह कॉफी नहीं मिली तब वो समझ गया था के अक्षिता आज भी ऑफिस नहीं आने वाली थी और उसका डाउट तब कन्फर्म हुआ जब पूजा मीटिंग के लिए जरूरी सभी फाइलस् लिए उसके केबिन मे आई ये कहते हुए के अक्षिता ने ये सब फाइलस् उसे देने कहा था
एकांश ये सोच कर ही मुस्कुरा दिया के भले अक्षिता की तबीयत ठीक नहीं थी फिर भी उसका काम एकदम परफेक्ट था और उसने मीटिंग की तयारिया पहले ही कर दी थी, जिसके बाद इन सब खयालों को झटक कर एकांश मीटिंग अटेन्ड करने चला गया...
एकांश ने एक और बात नोटिस की थी के रोहन और स्वरा भी अपने यूशूअल मूड मे नहीं थे, वो दोनों भी काफी उदास से लग रहे थे ना ही वो दोनों एकदूसरे से बात कर रहे थे, एकांश ने सोचा शायद वो भी अक्षिता को मिस कर रहे थे
ऑफिस छूटने के बाद जब एकांश बाहर जाने के लिए नीचे वाले फ्लोर पे आया तब उसने देखा के स्वरा रोहन कर कंधे कर सर टिकाए रो रही थी आउट रोहन उसे संभालने मे लगा हुआ था, एकांश को थोड़ा अजब लगा और कुछ तो गलत है ऐसा फ़ील भी आ रहा था, उसे सुबह से ही ऐसा महसूस हो रहा था के कुछ तो गलत होने वाला है
एकांश को समझ नहीं आ रहा था के जता करे और जो पहली बात उसके दिमाग मे थी वो ये के उसे अक्षिता से मिला था उसे देखना था, एकांश ने झट से अपनी कार निकली और सीधा अक्षिता के घर की ओर बढ़ा दी, कुछ ही समय बाद एकांश अक्षिता के घर के बाहर था और अक्षिता का घर इतना शांत लग रहा था मानो वह कोई रहता ही ना हो
एकांश अक्षिता के घर के बाहर खड़ा द्विधा मनस्तिथि मे था के अंदर जाए या ना जाए, वो ये सोच रहा था के अक्षिता उसे वहा देख के क्या सोचेगी, उसके मा बाप क्या सोचेंगे और अब क्या करे क्या ना करे इस खयाल मे एकांश चिढ़ रहा था, उसने ऊपर की ओर शाम के आसमान को देखा और उसी टाइम उसकी नजर अक्षिता पर पड़ी को अपने कमरे की खिड़की पर खड़ी अपने ही खयालों मे खोई हुई थी, उसे देख एकांश हवा मे अपना हाथ जोर से हिलाने लगा ताकि अक्षिता का उसकी ओर ध्यान जाए और वो इसमे कमियाब भी रहा
अक्षिता जो अपने खयालों मे खोई हुई थी उसका ध्यान एकांश की ओर गया, पहले तो अक्षिता को लगा के कोई पागल है फिर उसके ध्यान मे आया के वो उसे ही देख हाथ हिला रहा था और जब अक्षिता ने गौर से देखा तो वो थोड़ा चौकी, उसे यकीन ही नहीं हो रहा था के एकांश वहा वहा, पहले तो अक्षिता को लगा ये बस उसकी इमैजनैशन है, उसने अपनी आंखे बंद कर ली ये सोच कर के जब वो आंखे खोलेगी तब एकांश वहा नहीं होगा लेकिन वैसा नहीं था, एकांश अब भी वही खड़ा था और उसे मुसकुराते हुए देख रहा था...
एकांश को वहा देख अक्षिता सीढ़ियों से जल्दी से नीचे आने के लिए आगे बढ़ी लेकिन तभी वो सीढ़िया उतरते हुए रुक गई, उसने कुछ सोचा और फिर घर के दरवाजे तक आई, अक्षिता ने एक लंबी सास ली, अपने आप को एकांश का सामना करने के लिए तयार किया और अक्षिता दरवाजा खोल के बाहर आई और उसने एकांश को देखा
एकांश दरवाजे से थोड़ा ही दूर खड़ा था और अक्षिता धीरे धीरे चलते हुए उसके पास आई
“सर, आप यहा क्या कर रहे है?” अक्षिता ने एकांश के सामने खड़े होकर पूछा
“वो.... मैं... वो...” एकांश को समझ नहीं आ रहा था क्या बोले वही अक्षिता उसके जवाब का इंतजार कर रही थी
“वो बस मैं तुम्हें देखने आया था...” एकांश ने कहा
“क्या...?” अक्षिता थोड़ा चौकी और एकांश के भी ध्यान मे आया के वो क्या बोला है
“नहीं नहीं मेरा वो मतलब नहीं था, वो तुम 2 दिन से ऑफिस नहीं आई तो बस इसीलिए.....” एकांश ने बात संभाली
“इसीलिए क्या?”
“इसीलिए मैंने सोचा एक बार देख लू, वो दरअसल हुआ ये के मैं यही से गुजर रहा था इसीलिए सोचा तुम्हारा हाल चाल पुछ लू, तुमने का कोई लीव ऐप्लकैशन भेजा ना ही कोई मैसेज, उस दिन भी काफी कमजोर दिख रही थी तो मैंने सोचा के तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं होती तो सोचा घर जाते हुए तुम्हारा हाल चाल लेटा चालू के तुम ठीक हो या नहीं” एकांश ने जैसे तैसे पूरी बात बताई
अक्षिता बस पलके झपकाते हुए एकांश को देख रही थी, वो कुछ नहीं बोल रही थी एकांश ने अपनी बात पूरी करके अक्षिता को देखा तो अक्षिता के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे
और अचानक अक्षिता हसने लगी और एकांश ने अक्षिता से ये रिएक्शन मिलेगा ऐसा नहीं सोचा था, ऐसी झूठी हसी, एकांश बस अक्षिता को देख रहा था
“सर प्लीज ये ऐक्टिंग बंद कीजिए के आप मेरी केयर करते है” अक्षिता ने कहा
और एकांश अक्षिता की बात सुन शॉक था
“तुमको लगता है मैं ऐक्टिंग कर रहा हु?”
“हा, और क्या”
“और तुम्हें ऐसा क्यू लगता हु?”
“मैं कोई पागल नहीं हु सर, आपका यू अचानक मेरे प्रति अच्छा बर्ताव, मुझसे रुडली बात ना करना और अब ऐसे मेरे घर आना इस साब से क्या साबित करना चाहते हो? मैं जानती हु आप नफरत करते है मुझसे और ये भी जानती हु ये बस एक नाटक है” अक्षिता ने थोड़ी कड़वाहट के साथ कहा
“तुमको सही मे लगता है ये सब बस एक नाटक है?” एकांश ने अक्षिता का चेहरा पढ़ने की कोशिश करते हुए कहा
“और नहीं तो क्या.. कोई भी इंसान ऐसे अचानक से नहीं बदलता खास तौर से उसके प्रति जिससे वो चिढ़ता हो नफरत करता हो”
“और मुझे इस सब से क्या मिलेगा वो भी बता ही दो बस इतना जान गई हो तो?” अब एकांश भी सीरीअस हो गया था
“वो मुझे कैसे पता होगा शायद आपने अपने दिमाग मे कुछ सोच रखा होगा, प्लान बना रखा होगा” अक्षिता ने इधर उधर देखते हुए कहा
“बढ़िया, तो ये भी अंदाजा लगा ही लिया होगा के मेरे दिमाग मे क्या चल रहा है”
“बदला” अक्षिता ने एकदम से कहा
“क्या....” एकांश को अब इस बात पर यकीन ही नहीं हो रहा था, उसके शब्द मानो उसके गले मे ही अटक गए थे
“हा.... तुम ये सब बदले के लिए ही तो कर रहे हो, मैंने धोका दिया था तुम्हें तुम्हें छोड़ दिया था और अब बदला चाहते हो तुम” अक्षिता ने थोड़ी ऊंची आवाज मे कड़े शब्दों मे कहा
“तो तुम ये कहना चाहती हो के मैं तुम्हारे साथ अच्छा बर्ताव तुम्हें बदला लेने के लिए कर रहा हु” एकांश को अब भी यकीन नहीं हो रहा था
“अब तुम अमीर लोग क्या क्या कर सकते हो तुम ही जानो मुझे इसमे नहीं फसना है” अक्षिता ने चीख कर कहा
अक्षिता की बातों को सुन एकांश का गुस्सा भी उबलने लगा था, उसके हाथों की मुट्ठीया भींच गई थी और अब उससे गुस्सा कंट्रोल नहीं हो रहा था, एकांश ने अपनी आंखे बंद कर ली एक लंबी सांस की और फिर अपनी आंखे खोली, उसने अक्षिता के चेहरे को देखा जो काफी डल लग रहा था, उसकी आंखे अभी भी गड्ढे मे धँसी हुई थी, उसकी आँखों को देख कर ही बताया जा सकता था के वो काफी रोई थी और उनके कमजोर शरीर को देख लग रहा था के वो खाना भी सही से नहीं खा रही थी, एकांश के सोचा के अक्षिता को कुछ तो तकलीफ है और इसीलिए वो बिना सोचे समझे ये सब बोल रही है
“तुम ऑफिस क्यू नहीं आ रही हो?” एकांश ने अक्षिता की सभी कड़वी बातों को इग्नोर करते हुए पूछा
“वो मैं तुम्हें क्यू बताऊ?”
“Because I am you Boss damn it.” एकांश ने हल्का सा चिल्ला कर कहा
“हा ये, ये है मेरा असली बॉस जो मुझे हेट करता है, मैं सही थी वो सब नाटक था” अक्षिता ने कहा
“तुमको हो क्या गया है? तुम ऐसे बात क्यू कर रही हो?” एकांश ने अक्षिता की बाजुओ को पकड़ते हुए कहा
“मुझे क्या हुआ है? ऐसे तुम्हें क्या हुआ है? तुम ऐसा क्यू बता रहे हो के तुम्हें मेरी चिंता है?” अक्षिता ने चिल्ला कर कहा
“तुम्हें जो समझना है तुम समझ सकती हो लेकिन सच यही है अक्षु के आइ रियली केयर फॉर यू” एकांश ने अक्षिता की आँखों मे देखते हुए आराम से कहा
कुछ पलों तक अक्षिता भी एकांश की आँखों मे खो गई थी, काफी समय बाद उसने उसके मुह से अपना नाम सुना था वरना तो वो उसे फॉर्मली ही आवाज देता था लेकिन फिर उसने अपने आप को गुस्से के साथ एकांश की पकड़ से छुड़ाया
“आपको मेरी केयर करने की कोई जरूरत नहीं है मिस्टर रघुवंशी मेरी केयर करने के लिए मैं खुद सक्षम हु मेरे मा बाप है आप मुझसे नफरत करते हो वही करते रहो, मुझे आपकी केयर की कोई जरूरत नहीं है” अक्षिता ने एकदम गुस्से मे चीखते हुए कहा वही एकांश शॉक मे था
“मुझपर बस एक एहसान कीजिए मिस्टर रघुवंशी, ना तो नाटक मे ना ही असल मे मेरी केयर करना बंद कीजिए, आपकी स्माइल आपकी केयर मुझे और तकलीफ देती है मैं बीमार हु ठीक हु कमजोर हु नहीं हु हसू चाहे रोऊ आपको इससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए, मैं ऑफिस आऊ ना आऊ आपको इससे क्या है काम से निकलो खतम करो, मैं अगर मर भी रही होऊ तब भी मुझे आपकी केयर की कोई जरूरत नहीं है” अक्षिता ने कहा, उसकी आंखे गुस्से मे लाल हो गई थी
और इसके पहले के अक्षिता गुस्से मे और कुछ कहती एक मस्त चमाट उसके गालों पर पड़ा अक्षिता ने देखा तो वो थप्पड़ उसे उसकी मा ने मारा था
“मॉम?” अक्षिता थोड़ा चौकी
“घर आए मेहमान से बात करने का तरीका भूल गई हो क्या? और क्या ये भी भूल गई के वो बॉस है तुम्हारे?” अक्षिता की मा ने कहा वही अक्षिता बस नीचे देख रही थी और एकांश वो तो अपने सामने का सीन देख के ही हैरान था
“जाओ अपने रूम मे जाओ” अक्षिता की मा ने उससे कहा, अक्षिता ने अपनी मा को देखा और फिर एकांश पर एक नजर डाली जो कुछ भी बोलने की हालत मे अभी तो नहीं था और वो घर के अंदर चली गई
“सॉरी बेटा मैं अपनी बेटी की ओर से तुमसे माफी मांगती हु” अक्षिता की मा ने कहा
“नहीं आंटी, कोई बात नहीं आप बड़ी है आप माफी मत मांगिए, मैं भी चलता हु अब” एकांश ने कहा और वो जाने के लिए मूडा ही था के उसने देखा अक्षिता के पिता भी वही गेट पर खड़े थे
“हम हमारे मेहमानों को दरवाजे से ही वापिस नहीं भेजते, अंदर आओ बेटा” अक्षिता के पिताजी ने कहा
और एकांश उनको मना नहीं कर पाया और उसके पीछे घर मे आया, उसने घर पर नजर डाली तो पाया के घर मे एकदम शांति सी थी, घर ना तो ज्यादा बड़ा था ना ही ज्यादा छोटा, एकांश को वो घर पसंद आया था
“क्या लोगे बेटा कॉफी या चाय?” अक्षिता के पिताजी ने पूछा
“बस पानी ठीक रहेगा अंकल” एकांश ने कहा
जिसके बाद अक्षिता की मा उसके लिए पानी ले आई और एकांश ने एक झटके मे पानी का ग्लास खाली कर दिया
“देखो बेटा, बड़ा होने के नाते मैं तुम्हें एक नसीहत देना चाहता हु” अक्षिता के पिता जी ने कहा और अपनी पत्नी को देखा जो वहा बस खड़ी थी
“जी कहिए अंकल”
“जो आपको अपने से दूर धकेले उस चीज के पीछे नहीं भागना चाहिए ना की कीसी की इतनी फिक्र करनी चाहिए जिसे आपकी कद्र ही ना हो........”
एकांश कन्फ्यूज़ था, निराश था और गुस्सा भी था, क्या हो रहा है क्यू हो रहा है उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, उसे अक्षिता के बर्ताव के पीछे का रीज़न समझ नहीं आरहा था, अक्षिता के पिता की बोली गई बातों को वो समझने मे लगा हुआ था
उस बात को आज दो दिन हो गए थे और इन दो दिनों मे हर बढ़ते मिनट के साथ एकांश और भी ज्यादा फ्रस्ट्रैट हो रहा था और अक्षिता का ऑफिस ना आना उसे बिल्कुल रास नहीं आ रहा था और साथ ही ये भी सच था के अक्षिता के शब्दों ने उसे ठेस पहुचाई थी लेकिन उसने उन शब्दों को दिल से नहीं लगाया था अक्षिता कीसी गहरी मुसीबत मे थी ये वो जानता था और साथ ही वो अक्षिता को भी अच्छे से जानता था के वो जानबुझ कर कभी कीसी से रुडली बात करने वालों मे से नहीं थी
एकांश अब अपना पैशन्स खोने लगा था, वो बस सब सच जानना चाहता था और वो ये भी जानता था के इसमे एक बार फिर उसके दिल के टूटने मे आसार थे लेकिन वो रिस्क लेने के लिए तयार था
एकांश के पास खोने को कुछ नहीं था, अक्षिता पहले ही उसकी जिंदगी मे जा चुकी थी और एकांश अब इस दर्द के साथ जीना सिख चुका था लेकिन अमर की बताई बातई ने उसमे एक नई उम्मीद सी जगाई थी जो उस दिन अक्षिता के तीखे शब्दों से खत्म सी हो रही थी
एकांश बस ये जानना चाहता था के अक्षिता ठीक है या नहीं लेकिन कैसे ये उसे समझ नहीं आ रहा था.... वो उसे कॉल नहीं कर सकता था क्युकी उसे पता था अक्षिता उसके कॉल नहीं उठाएगी, कल भी जब उसने ऑफिस ने उसे कॉल लगाया था तब उसने कॉल नहीं उठाया था और वो कॉल वॉयसमेल पे चला गया था, उसने इस बारे मे अक्षिता के दोस्तों से भी पूछा था लेकिन उन्होंने ये कह दिया के वो ठीक है और उनका जवाब एकांश को संतुष्ट नहीं कर पाया था
एकांश ऑफिस से अपने घर की ओर निकल गया था लेकिन उसने दिल दिमाग मे बस अक्षिता ही छाई हुई थी और एकांश ने अपनी गाड़ी अक्षिता के घर की ओर मोड दी और उसके घर के सामने जाकर रुका, एकांश अपनी गाड़ी से उतरा और उसने अक्षिता के घर की ओर देखा जहा एकदम अंधेरा था और एकदम ही शांति थी
घर मे कोई भी लाइट नहीं जल रही थी और दरवाजे पर ताला लगा हुआ था, एकांश ने सोचा के वो कही बाहर गए होंगे तो वो भी वहा से चला गया
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अगला दिन एकांश के लिए काफी भारी था उसकी बैक तो बैक मीटिंग्स थी और आज उसे कई डीलस् फाइनल करनी थी और कुछ प्रोजेक्ट्स चल रहे थे उनकी भी डेड्लाइन थी तो एकांश का पूरा ध्यान अपने काम पर था और जब भी वो रोहन या स्वरा को देखता उनसे मिलता तो कुछ पता चलेगा इस उम्मीद मे उन्हे देखता लेकिन वो दोनों ही एकांश को देख नजरे चुराने लगते थे
“कम इन” एकांश ने अपने केबिन मे दरवाजे पर नॉक सुन कहा
“एकांश, अब बता क्यू बुलाया है इतनी जल्दी मे” अमर अंदर आया और एकांश के सामने रखी खुर्ची पर बैठते हुए बोला
“पता नहीं भाई, मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है, लग रहा है कुछ तो बुरा होने वाला है कुछ तो गलत हो रहा है और मैं उसमे कुछ नहीं कर पा रहा हु” एकांश ने कहा
“क्या हुआ है बताएगा”
“डर लग रहा है भाई”
“कैसा डर” अब अमर भी परेशान हो रहा था
“सच का डर, मुझे सच जानना है लेकिन ये भी पता है के सच अपने साथ दर्द और तकलीफ दोनों लाएगा, ऊपर से अक्षिता ऑफिस नहीं आ रही है ना मेरे कॉल उठा रही है और जब कल मैं उसके घर गया तो वहा भी कोई नहीं था अब मुझे समझ नहीं आ रहा मैं क्या करू?” एकांश ने अपने हाथों पे अपना सर टिकाते हुए कहा
“एकांश, थोड़ा रीलैक्स कर और मुझे बता तूने आंटी से इस बारे मे बात नहीं की?”
“करने की कोशिश की थी उसी दिन लेकिन मा घर पर नहीं है और मैं ये बात फोन पर नहीं करना चाहता”
“तो उन्हे कॉल करके पुछ वो कब आ रही है और तुम्हें उनसे कुछ जरूरी बात करनी है”
“तुझे क्या लगता है मैंने बात नहीं की है उन्होंने कहा है जल्दी आएंगी लेकिन उसको भी दो दिन हो गए है रुक एक और बार कॉल लगाता हु” और इतना बोल एकांश ने अपना फोन उठाया और तभी उसके लपटॉप पर एक ईमेल आया, एकांश वैसे तो इस वक्त उस ईमेल को देखने के मूड मे नहीं था लेकिन ये ईमेल उस इंसान से आया था जिसे देखने के लिए वो बेचैन था
“एकांश, क्या हुआ?” एकांश के रुके हाथ देख अमर ने पूछा
“अक्षिता का ईमेल आया है” एकांश ने थोड़ा एक्सईट होकर कहा और ईमेल ओपन किया
एकांश ने ईमेल पढ़ा, फिर एक और बार पढ़ा, फिर एक और बार पढ़ा मानो कन्फर्म कर रहा हो के उसने सही पढ़ा है ना और फिर वही सुन्न का सपनी खुर्ची पर बैठा रहा
“एकांश क्या है ईमेल मे” अमर ने जब अपने दोस्त के चेहरे के बदलते हाव भाव देखे तब पूछा
“वो चली गई” एकांश ने स्क्रीन को देखते हुए कहा
“क्या मतलब?” अमर भी अपनी जगह से उठ एकांश के पास आया
“उसने जॉब से रिजाइन कर दिया है” एकांश ने अमर को देखते हुए कहा
“क्या?? क्यू??” अमर भी ये बात सुन एकांश जितना ही शॉक था
एकांश बस उस ईमेल को गुस्से मे घूर रहा था, उसके अंदर गुस्सा उबलने लगा था वही अमर बस देखने के अलावा कुछ और नहीं कर पा रहा था और एकांश ने अपना फोन उठाया
“मिस पूजा मिस्टर रोहन और मिस स्वरा को अभी मेरे केबिन मे आने कहो” और इतना कह कर एकांश ने फोन पटक दिया
अमर एकांश को शांत करने की कोशिश मे लगा हुआ था
“एकांश रीलैक्स, इस मामले को आराम से हँडल करना होगा ऐसे गुस्से से काम नहीं चलेगा” अमर ने कहा
“रीलैक्स, रीलैक्स कैसे करू डैम इट” एकांश ने गुस्से मे टेबल पर मुक्का मारते हुए कहा, उसका आवाज भी चढ़ गया था और केबिन के बाहर तक सुनाई आ रहा था और एकांश की गुस्से वाली आवाज सुन स्वरा और रोहन दोनों दरवाजे पर ही ठिठके जो अभी अभी वहा पहुचे थे, उन्होंने एकदूसरे को देखा और फिर दरवाजा खटखटाया
“कम इन” एकांश ने चीख कर रहा और वो दोनों थोड़ा डरते हुए ही अंदर आए
“कहा है वो?” एकांश ने गुस्से मे अपने दाँत पीसते हुए पूछा
“कौन सर?” रोहन ने कहा और एकांश ने उसे एकदम गुस्से से घूरा
“वो.. वो अपने घर ही होगी सर” स्वरा ने कहा
“फिर ये क्या है?” एकांश ने अपना लपटॉप उन दोनों की ओर घुमाया
रोहन और स्वरा ने एकदूसरे को देखा और फिर लपटॉप के पास गए उसमे क्या लिखा है देखने, उस ईमेल को पढ़ते हुए रोहन और स्वरा दोनों की आंखे हैरत मे बड़ी हो गई थी और जब उनका पढ़ना हो गया तो एकांश और अमर ने उन्हे देखा
वो ईमेल पढ़ है रोहन और स्वरा दोनों ही एकांश जीतने ही शॉक थे और स्वरा की तो आंखे मे आँसू भी जमने लगे थे, उन दोनों को ही अक्षिता के इस कदम की उम्मीद नहीं थी
“अब बताओ उसने रिजाइन क्यू किया” एकांश ने पूछा
“हमे इस बारे मे कुछ नहीं पता सर” रोहन ने साफ साफ कह दिया
“हमे लगा वो ब्रेक लेने के बाद ऑफिस आ जाएगी लेकिन हमे नहीं पता था वो रिजाइन ही करने वाली है” स्वरा ने रोते कहा
“तो तुम लोगों को सही मे नहीं पता उसने रिजाइन क्यू किया?” अमर ने पूछा
“नहीं, हमे सही मे कुछ नहीं पता” रोहन ने स्वरा को संभालते हुए कहा
एकांश गुस्से मे अपनी जगह से उठाया और अपना कोट उठाया और साथ मे गाड़ी की चाबिया
“एकांश कहा जा रहा है?” अमर ने एकांश का हाथ पकड़ उसे रोका
“उसके घर” एकांश ने अपना हाथ छुड़ाया और जल्दी से दरवाजे की ओर बढ़ा
“लेकिन क्यू?”
“मैं अब और नहीं रुक सकता अमर, मुझे अब जवाब चाहिए” और एकांश उनलोगों को वही छोड़ निकल गया और अमर भी तेजी से उसके पीछे भागा और रोहन और स्वरा भी उनके पीछे हो लिए
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अक्षिता के घर के रास्ते पर हर कोई क्षांत था, कर कीसी के मन मे एक अलग डर था, वहा पहुच कर पहले एकांश कार से उतरा उसके पीछे अमर फिर रोहन और स्वरा और उनलोगों ने एकांश को देखा जो अक्षिता के घर के दरवाजे को घूर रहा था, एकांश के मन मे जो डर था वो सच हो रहा था, अक्षिता के घर पर ताला लगा हुआ था,
वो चली गई थी
वो चली गई थी नौकरी छोड़ के
घर छोड़ के
ये शहर छोड़ के
उसे छोड़ के
एकांश से अब कंट्रोल नहीं हुआ उसने गुस्से मे दरवाजे के बाजू की दीवार पर मुक्का मार दिया, स्वरा भी अक्षिता न नंबर मिलाने मे लगी हुई थी लेकिन अक्षिता का फोन बंद आ रहा था, उसने उसके मा बाप को भी फोन लगाया लेकिन उनका फोन भी बंद ही था
और उसी टाइम एकांश का फोन बजने लगा जो उसने इग्नोर कर दिया लेकिन फोन बार बार बजे ही जा रहा था और जब फोन चौथी बार बजा तब एकांश ने अपनी जेब से फोन निकाला और देखा तो कॉल श्रेया का था, एकांश बस अभी फ्रस्ट्रैशन मे फोन फेकने ही वाला था के अमर ने उसके हाथ से उसका फोन लिया और कॉल ऐन्सर किया और फोन को स्पीकर पर रखा
“हैलो? एकांश, तुम कहा हो यार? और मेरा फोन क्यू नहीं उठा रहे थे ना ही कीसी मैसेज का जवाब दे रहे हो?” फोन के दूसरी ओर से श्रेया ने गुस्से मे कहा
“क्या हो गया श्रेया?” एकांश ने पूछा
“क्या हो गया? तुमको कोई आइडीया भी है यहा क्या हो रहा है?” श्रेया ने गुस्से मे चीख कर कहा
श्रेया को इतने गुस्से मे देख एकांश और अमर दोनों चौके,
“श्रेय क्या हुआ है?” एकांश ने आराम से पूछा
“मैं और मेरी फॅमिली इस वक्त तुम्हारे घर पर है” श्रेया ने कहा और वो चुप हो गई
“क्या? क्यू?” एकांश थोड़ा इस बात पर कन्फ्यूज़ हुआ
“उनकी बातों से और मेरे भाई के दीये हिंट से मैंने पता लगा लिया है के वो तुम्हारे पेरेंट्स से मिलने क्यू आए है” श्रेया ने कहा और अब एकांश अमर रोहन और स्वरा चारों के कान उस फोन पर थे जो इस वक्त कीसी टाइम बॉम्ब की तरह था जो कभी भी फट सकता है और अब श्रेया का आवाज भी धीमा हो गया था वो फुसफुसा के बात कर रही थी
“क्या पता लगा?” अमर ने भी फुसफुसा के पूछा
“तुम फुसफुसा क्यू रहे हो?” श्रेया
“तुम क्यों फुसफुसा रही हो?” अमर ने जवाब दिया
“अमर! तुम एकांश के साथ हो क्या?”
“हा”
“Am I on the speaker phone?”
“यस”
“तुम दोनों अपने सवाल जवाब बंद करोगे? और श्रेया मुझे बताओ क्या बात है” एकांश ने कहा
“ये लोग हम दोनों की.....”
“बोलो श्रेया”
“ये लोग हम दोनों की शादी कराने की प्लैनिंग कर रहे है” आर इसीके साथ श्रेया ने बॉम्ब फोड़ दिया
“क्या!!!!!!” एकांश ने एकदम जोर से कहा
“मुझे.... मुझे इस बारे मे कीसी ने भी कुछ नहीं कहा है” एकांश ने गुस्से मे अपने हाथ की मुट्ठीया भींचते हुए कहा
“मुझे भी इस बारे मे कुछ नहीं पता था एकांश मुझे तो ये अभी पता चला है वो भी इनडायरेक्टली, और ऐसा लग रहा है हम दोनों के पेरेंट्स इस बात से काफी खुश भी है” श्रेया ने कहा वही एकांश अब गुस्से मे उबल रहा था
“इसका मतलब मॉम वापिस आ गई है”
“हा वो भी यही है”
“तुम रुको मैं अभी आ रहा हु श्रेया” और इतना बोल एकांश अपनी कार की ओर बढ़ा और उसके पीछे अमर भी वही रोहन और स्वरा अपने रास्ते जाने के लिए मुड़े तो एकांश ने उन्हे रोक लिया
“तुम दोनों कहा जा रहे हो?”
“घर जा रहे है सर..” उन दोनों ने कहा
“तुम दोनों मेरे साथ आ रहे हो।“ एकांश ने ऑर्डर छोड़ते हुए कहा
“लेकिन क्यू सर?”
“मुझे कुछ जानना है और मुझे पता है तुम दोनों भी कुछ ना कुछ जानते हो तो चुप चाप कार मे बैठो”
अब कीसी के पास बोलने को कुछ नहीं था
कुछ ही देर मे वो एकांश के घर मे थे
एकांश और अमर घर मे घुसे और उनके पीछे रोहन और स्वरा जो उस बड़े से घर को देख रहे थे, सभी लोग मेन गेट से आए थे जहा वो अंदर चल रही बातचित और हसने की आवाजे सुन सकते थे और अब वो लोग लिविंग रूम मे थे जहा सब बात कर रहे थे
वो चारों घर मे लोगों को बात करता देख खड़े थे वही श्रेया अपनी सीट पर बैठी थी और उसके चेहरे से साफ समझ आ रहा था के उसे वहा नहीं रहना था, वही स्वरा के दिमाग मे अब भी अक्षिता का ही खयाल चल रहा था के वो कहा चली गई है कैसी है और रोहन की सोच भी स्वरा से कुछ अलग नहीं थी
अपनी मा को देखते ही एकांश का गुस्सा उबाल मारने लगा था जो अपने बेटे को अंधेरे मे रख यह खुश हो रही थी
‘ये मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती है?”
‘मेरी शादी की बात चल रही है वो भी मुझसे बिना पूछे?’
‘जबकि ये सब लोग जानते है मैं और श्रेया बस दोस्त है फिर भी ये लोग हमसे बगैर पूछे हमारा रिश्ता जड़ने चले है’
‘अब बस बहुत हो गया अब मैं जवाब लेकर रहूँगा’
“क्या चल रहा है यहा” एकांश ने कहा और उसने अपनी कडक और रौबदार आवाज से सबका ध्यान अपनी ओर खिच लिया था सब उसके चेहरे को देख रहे थे जो एकदम ईमोशनलेस था....
“क्या चल रहा है यहा” एकांश ने कहा और उसने अपनी कडक और रौबदार आवाज से सबका ध्यान अपनी ओर खिच लिया था सब उसके चेहरे को देख रहे थे जो एकदम ईमोशनलेस था....
“एकांश अच्छा हुआ तुम आ गए, सब तुम्हारी ही राह देख रहे थे” एकांश को देख उसकी मा ने मुसकुराते हुए उसके पास आते हुए कहा
“मेरी राह दकह रहे थे और कीसी ने मुझे फोन भी नहीं किया?” एकांश ने थोड़े रुडली कहा और उसके ऐसे रुडली बात करने से उसकी मा थोड़ा चौकी
“मॉम क्या चल रहा है यहा?” एकांश ने वहा मौजूद सभी को इग्नोर कर कहा
“मेहतास् हमसे मिलने आए है बेटा” उसकी मा ने आराम से कहा
“और वो क्यू?”
अब एकांश के पिता अपनी जगह से उठे उन्होंने बोलने के लिए अपना गला साफ किया और सबका ध्यान उसकी ओर गया वही अमर, रोहन और स्वरा को वहा उस फॅमिली मीटिंग मे थोड़ा ऑक्वर्ड लग रहा था
“एकांश, तुम तो जानते ही हो मैं और मेहता कितने अच्छे दोस्त है, तुमने बचपन से देखा और तुम और श्रेया भी काफी अच्छे दोस्त हो तो मैंने दोस्ता क्यू ना इस दोस्ती को रिश्तेदरी मे बदला जाए” एकांश ने पिता ने उससे मुसकुराते हुए कहा
“और वो कैसे?” एकांश ने आराम से नीचे देखते हुए पूछा
एकांश की शांत आवाज ने अमर को डरा दिया था, वो समझ गया था के ये तूफान के पहले की शांति है
“तुम दोनों का रिश्ता जोड़ कर, शादी करवा कर” एकांश ने पिताजी ने कहा
“और आपने इस बारे मे मुझे बताना या मुझसे पूछना भी जरूरी नहीं समझा” एकांश ने कहा
“नहीं बेटे, हम तुम्हारे आने का ही इंतजार कर रहे थे ताकि तुमसे इस बारे मे बात करे” अब एकांश की मा बोली
एकांश ने एक नजर श्रेया को देखा, जो नीचे देख रही थी उसे समझ नहीं आ रहा था के क्या करे
“श्रेया, तुमको मुझसे शादी करनी है?” एकांश ने डायरेक्ट श्रेया से पूछा
श्रेया ने उसे चौक कर देखा उसे ऐसे डायरेक्ट सवाल की उम्मीद नहीं थी, उसने अपने पेरेंट्स को देखा जो उसे ही देख रहे थे
“नहीं और तुम्हें?” श्रेया ने अपनी मर्जी बताई और एकांश से पूछा
“नहीं!” एकांश ने भी कहा
और उनदोनों ने अपने पेरेंट्स को देखा जो उनके इस डिसिशन पर थोड़ा हैरान थे
“लेकिन क्यू? तुम दोनों तो एकदूसरे को पसंद करते हो ना?” ये मिस्टर मेहता थे, श्रेया के पिताजी
“हा मैं एकांश को पसंद करती हु बट एज अ फ्रेंड ओन्ली और मैं अभी शादी के लिए तयार ही नहीं हु, मेरा पूरा फोकस अभी पेरिस के फैशन वीक पर है और मुझे अभी अपने करिअर पर फोकस करना है” श्रेया ने अपने पेरेंट्स से कहा और उन्होंने फिर एकांश के पेरेंट्स को देखा
“ठीक है अगर यही तुम दोनों की मर्जी है तो फिर हमलोग कौन होते है तुम्हें फोर्स करने वाले जैसी तुमदोनों की मर्जी” एकांश के पापा ने स्माइल के साथ कहा जिसपर श्रेया भी अब थोड़ी खुश हो गई थी वही एकांश ने अपनी मा को देखा जो थोड़ी उदास थी
“आप इतनी उदास क्यू लग रही है मॉम?” एकांश ने उनके सामने खड़े होकर पूछा और फिर आगे बोला “ओह समझ गया, मुझे दोबारा अक्षिता से दूर रखने का चांस मिस हो गया इसीलिए” एकांश ने कहा
अब चौकने की बारी एकांश की मा की थी वही अमर के अलावा बाकी सभी वहा कन्फ्यूज़ लग रहे थे
“तुम ये क्या कह रहे हो एकांश?”
“मॉम, मैं ना थक गया हु और अब मुझमे जरा बिह पैशन्स नहीं बचा है और आज मुझे हर कीमत पर जवाब चाहिए” एकांश ने वापिस से रुडली कहा
“तुम किस बारे मे बात कर रहे हो कौनसे जवाब” उसकी मा ने कहा वही बाकी सब लोग वह शॉक और कन्फ्यूज़ खड़े थे क्युकी आज से पहले कीसी ने भी एकांश को अपनी मा से इस टोन मे बात करते नहीं सुना था
“अक्षिता के बारे मे” एकांश ने कहा और उसकी मा का चेहरा सफेद पड गया था “अक्षिता कहा है मॉम” एकांश ने आगे पूछा वही उसकी मा चुप चाप नीचे देखते हुए खड़ी थी
“मॉम बताओ कहा है वो, उसने जॉब से रिजाइन कर दिया है उसका घर बंद है वो चली गई है तो अब और मेरा पैशन्स टेस्ट मत करो और बताओ” एकांश ने कहा वही उसकी बात से उसकी मा भी थोड़ा चौकी थी
“मुझे कुछ नहीं पता है”
“मॉम प्लीज बात दो कहा है वो? मुझे बात करनी है उससे, आपने उसे जाने के लिए कहा?” एकांश ने उनके हाथ पकड़ कर उनसे पूछा
“नहीं एकांश, मैं ऐसा क्यू करूंगी” उन्होंने कहा, अब उनकी आँखों मे भी पानी था
“क्युकी आप नहीं चाहती के हम दोनों साथ रहे” एकांश ने चिल्ला कर कहा
“एकांश! तुम अपनी मा से इस आवाज मे बात नहीं कर सकते, और बात क्या है वो बताओ पहले” एकांश के पिता ने कहा
“मॉम, आज मुझे सच जानना है, आप अक्षिता को जानती है ना?”
“हा” उन्होंने आँखों मे आँसू लिए कहा
“आप उसको पहले से जानती है ना, मेरी अससिस्टेंट बनने के पहले से?” एकांश ने आगे पूछा और उन्होंने नीचे देखते हुए बस हा मे गर्दन हिला दी एकांश ने अपने हाथों की मुट्ठीया भींच ली और वो अपने अंदर उबलते गुस्से को कंट्रोल करने मे लगा हुआ था
“आप उसे कैसे जानती है?” एकांश ने अगला सवाल किया
“मैं उससे बस एक बार मिली हु” उन्होंने ऊपर एकांश को देखते हुए कहा और अब उनके गालों से आँसू बह रहे थे
एकांश अपनी मा को इस तरह हर्ट करके ये बात नहीं करना चाहता था लेकिन इस वक्त ये उनके दिल मे उठ रहे दर्द के आगे कुछ नहीं था
“तो आप मिली थी उससे... आपही ने उसे जाने के लिए कहा था? आपकी ही वजह से उसने मेरे साथ ब्रेकअप किया था??” एकांश का आवाज वापिस चढ़ने लगा था
“नहीं! नहीं नहीं, एकांश ये सच नहीं है” उन्होंने कहा लेकिन एकांश ने ये बात सुनी ही नहीं
“आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती है मॉम, आप जानती है मैं उससे कितना प्यार करता था और जब वो मुझे छोड़ कर चली गई थी तब मेरी क्या हालत थी” अब एकांश भी रोने लगा था
“एकांश अपने आप को संभालो बेटा, मुझे बताओ क्या हुआ है” एकांश ने पिताजी ने उसे शांत करने की कोशिश की
“आइ लव हर पापा, वो चली गई है मुझे छोड़ कर, मैं उसके बिना नहीं रह सकता” एकांश अपने पिता के गले लग रो रहा था
वहा मौजूद कीसी से भी एकांश की हालत नहीं देखि जा रही थी, रोहन और स्वरा ने भी एकदूसरे को देखा था क्युकी उनदोनों को भी उस पार्टी के बाद क्या हो रहा है इसका आइडीया हो गया था
“एकांश बेटा, मेरी बात सुनो, मैं जानती थी अक्षिता को मैं मिली भी थी उससे लेकिन उसके तुमसे अलग होने मे मेरा कोई हाथ नहीं है” एकांश की मा ने उसे समझाना चाहा और एकांश ने उन्हे देखा, उसकी आंखे उन्हे दोषी ठहर रही थी
“मेरा यकीन करो बेटा”
“अगर इस सब के पीछे आप नहीं है तो फिर और क्या रीज़न है?’ एकांश ने अपने आँसू पोंछते हुए पूछा
“मुझे नहीं पता” उन्होंने कहा लेकिन एकांश से नजरे नहीं मिलाई
“आप झूठ बोल रही है, आप अक्षिता से मिली थी, आप ही ने उसे मेरी जिंदगी से मुझसे दूर जाने के लिए कहा और इसीलिए उसने उस दिन मुझसे कहा था के वो मुझसे प्यार नहीं करती और मुझे छोड़ गई थी और आज भी वो रिजाइन करके सबकुछ छोड़ छाड़ के चली गई है और आज की आपको मेरी श्रेया के साथ शादी करवाने का खयाल आया?” एकांश ने गुस्से मे चीख कर कहा
“और ये सब कोई इत्तेफाक नहीं हो सकता मॉम” एकांश के गुस्से को देख सब जहा थे जम गए थे वही उसकी मा अब भी उससे नजरे नहीं मिला रही थी और वो भी रो रही थी
“साधना ये सब क्या हो रहा है? एकांश जो कह रहा है क्या वो सच है? जवाब दो साधना अपने बेटे को देखो टूट गया है वो” एकांश ने पिता ने कहा लेकिन उसकी मा वैसी ही रोती हुई खड़ी रही
“मॉम प्लीज बताइए मुझे”
“मैं नहीं बता सकती” उन्होंने धीमी आवाज मे कहा
“क्यू”
“मैं कुछ नहीं बता सकती बस इतना कह सकती हु के अक्षिता के जाने के लिए ना मैं तब जिम्मेदार थी ना अब हु”
“झूठ, एक और झूठ लेकिन आज मैं बस सच सुनने के मूड मे हु” एकांश ने कहा
“यही सच है एकांश”
“तो मुझे बताइए आप उस दूँ अक्षिता से क्यू मिली थी और उसने मुझसे ब्रेकअप क्यू किया था?”
“एकांश मैं सच कह रही हु मेरा यकीन करो बेटा, मेरा तुम्हारे और अक्षिता के ब्रेकअप से कुछ लेना देना नहीं है मैं उससे उस घटना के एक महीने बाद मिली थी” अब एकांश की मा का भी आवाज चढ़ने लगा था
“तो उसने मेरे साथ ब्रेकअप क्यू किया था?” एकांश ने पूछा लेकिन वो चुप रही, “मॉम, आप उससे क्यू मिली थी?” एकांश ने पूछा और उन्होंने एक लंबी सास छोड़ी
“जब तुमने मुझे बताया था के तुम कीसी से प्यार करते की कीसी को पसंद करते हो तब मैं बहुत खुश थी एकांश, हा पहले मझे तुम्हारे पापा की चिंता थी के वो इस बारे मे क्या कहेंगे लेकिन जब मैंने तुम्हारी आँखों मे खुशी देखि तो उसके आगे बाकी सब फीका था और फिर अचानक मैंने तुम्हें टूटते हुए देखा, तुम्हारा ब्रेकअप होने के बाद तुम टूट से गए थे लग रहा था मानो तुम्हारे शरीर से प्राण खिच लिए गए हो, पहले मुझे लगा के तुम कुछ दिनों मे ठीक हो जाओगे लेकिन तुम्हारी हालत और भी खराब हो रही थी तुमने कीसी से भी मिलना बात करना ही बंद कर दिया था बस अपने कमरे मे रहते थे और ये मुझसे नहीं देखा जा रहा था इसीलिए मैंने उससे मिलने का फैसला लिया था जिसकी वजह से ये सब हो रहा था, मैंने उसका पता निकलवाया था और इसीलिए उससे मिली थी” उन्होंने एकांश के गालों को अपने हाथों मे थामते हुए उससे कहा
“फिर? क्या हुआ आगे?”
“इससे आगे मैं नहीं बता सकती बेटे प्लीज मुझसे मत पूछो” उन्होंने एकांश से दूर सरकते हुए कहा
“क्यू? आप पूरी बात क्यू नहीं बता सकती?” एकांश ने वापिस फ्रस्ट्रैशन मे चिल्ला कर सवाल किया
“क्युकी मैंने उससे वादा किया है के मैं इस बारे मे तुम्हें कुछ नहीं बताऊँगी” साधनाजी ने भी चिल्ला कर कहा
“वादा?? मॉम मुझे कुछ नहीं सुनना है मुझे बस आज पूरी बात जननी है, कौनसा वादा कैसा वादा क्या वादा लिया था उसने और आपने उसे कुछ नहीं कहा?” एकांश वापिस चीखा
सभी लोग जहा थे वही जम गए थे और ये सारा सीन देख रहे थे, अमर तो स्तब्ध सा खड़ा था वही रोहन और स्वरा टेंशन मे थे के अगर एकांश ने उनसे पुछ लिया तो वो क्या करेंगे
“एकांश बेटा प्लीज मुझसे कुछ मत पूछो” साधनाजी ने अपने दोनों हाथों से अपना मुह छिपाते हुए कहा
“नहीं मॉम आज आपको बताना ही होगा”
“मैं नहीं बता सकती”
एकांश को समझ नहीं आ रहा था के क्या करे उसने फ्रस्ट्रैशन मे वहा रखे कांच के vase पर हाथ दे मार जो शीशे के टूटने के आवाज के साथ चकनाचूर हो गया, थोड़ी चोट एकांश के हाथ पर भी लगी और जब वहा मौजूद लोग उसकी ओर बढ़ने लगे तब
“नहीं! कोई मेरे पास नहीं आएगा”
स्वरा ने पनियाई आँखों से रोहन को देखा और उसे कुछ इशारा किया और वो एकांश की ओर बढ़ी और एकांश के सामने जाकर रुकी और एकांश ने उसे देखा, तब तक घर का एक मौकार फर्स्ट ऐड ले आया था स्वरा ने एकांश के साथ से खून साफ करना शुरू किया
“अक्षिता कभी नहीं चाहती के आपको कोई तकलीफ हो” स्वरा ने एकांश की आँखों मे देखते हुए कहा और उसके हाथ पर पट्टी बांध दी और वो बस उसे ही देख रहा था
“तुम भी सब कुछ जानती हो ना? उसके जाने के पीछे का रीज़न?” एकांश ने पूछा और स्वरा ने बस हा मे गर्दन हिला दी
“तो बताओ फिर” एकांश ने उम्मीद से पूछा
“हम नहीं बता सकते” रोहन ने कहा और उसकी इस बात पर एकांश हसा
“समझ गया! उसने तुम लोगों से भी वादा लिया होगा ना, ठीक है”
“वो नहीं चाहती के आपकोसच पता चले” स्वरा ने कहा
“ओके, लेकिन मैं तो पता करके रहूँगा और वो भी आज ही” इतना बोल कर एकांश अपनी मा की ओर बढ़ा
“आप उससे वादा किया है ना मॉम” एकांश ने पूछा और साधनाजी ने हा मे गर्दन हिलाई और एकांश ने उनका हाथ पकड़ा और उठा कर अपने सर पर रखा
“आपको मेरे सर की कसम है मॉम आप मुझे सब कुछ सच बताएंगी, आप आप पर है वादा निभाना है या बेटे को खोना है” एकांश ने कहा और उसकी बात सुन सभी लोग वहा एकदम शॉक थे
“एकांश! पागल हो गए हो क्या?” साधनाजी चीखी और उन्होंने अपना हाथ एकांश के सर से हटाया
“हा ऐसा हि कुछ समझ लो अब ये आपके ऊपर है या तो अक्षिता से किया वादा तोडो या अपने बेरे के सर ली कसम” एकांश ने कहा
“तुम सच नहीं सुन पाओगे बेटा” बोलते हुए साधनाजी की आँखों से आँसू की बंद गिरी
एकांश का दिल जोरों से धडक रहा था
“मैं फिर भी सुनना चाहता हु मॉम”
“ठीक है”
रोहन ने स्वरा का हाथ पकड़ लिया था वही अमर और श्रेया अब क्या नया खुलासा होने वाला है इसपर कान टिकाए थे ये उनके दोस्त की लव स्टोरी का मामला था वही बाकी सब भी क्या बात है जानने के बेचैन थे
साधनाजी ने एक गहरी सास ली, अपनी आंखे बंद की और वो बात बोल ही दी जो एकांश की दुनिया हिलाने वाली थी
“वो मरने वाली है और वो नहीं चाहती थी ये बात तुम्हें कभी पता चले........”
जैसे ही एकांश को अक्षिता के बारे मे पता चला वो एकदम से सुन्न हो गया था मानो उसके आजू बाजू का सबकुछ सभी लोग उसके लिए एकदम साइलन्ट मोड मे चले गए हो, उसका दिमाग इस बात को प्रोसेस ही नहीं कर पा रहा था, वो जानता था के कुछ तो गलत है उसका दिल उससे कह रहा था के कुछ बुरा होने वाला है लेकिन अब जब सच सामने था तो उसे पचा पान एकांश के लिए आसान नहीं था, एकांश को अब भी अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था उसका गला सुख सा गया था
“नहीं ये सच नहीं है... ये सच नहीं है” एकांश ने ना मे गर्दन हिलाने हुए अपने आप से कहा
वहा मौजूद सभी की निगहे बस एकांश की तरफ थी
“नहीं ये नहीं हो सकता...” एकांश ने फिर एक बार जोर से अपनी गर्दन ना मे हिलाते हुए कहा
“एकांश...” अमर उसे संभालने उसकी ओर बढ़ा
“नहीं! आप अभी भी झूठ बोल रही हो वो नहीं........” एकांश चिल्लाया “मॉम प्लीज सच बताइए” एकांश के लिए यकीन करना मुश्किल था उसने हाथ जोड़े वापिस पूछा
“यही सच बेटा”
“नहीं!! आप झूठ बोल रही है... आपने.... आपने कहा था ना आप सच नहीं बता सकती? इसीलिए झूठ बोल रही हो ना?”
साधना जी ने अपने बेटे को देखा और ना मे गर्दन हिला दी
“नहीं!! नहीं नहीं नहीं.... ये नहीं हो सकता... वो नहीं मर सकती... वो मुझे छोड़ के नहीं जा सकती...”
एकांश ने रोहन और स्वरा को देखा जो वही था जहा रोहन अपनी भावनाओ को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था और नीचे की ओर देख रहा था वही स्वरा अपने आँसुओ को नहीं रोक पाई थी
“रोहन, स्वरा ये सब झूठ है ना?”
उन दोनों ने एकांश की ओर देखा और फिर रोहन वापिस नीचे देखने लगा वही स्वरा ने अपने नजरे फेर ली
“बोलो ये सब झूठ है ना!!!” एकांश ने वापिस चीख कर पूछा
“ये सच है” रोहन ने कांपती आवाज मे कहा, एकांश ने स्वरा की ओर देखा तो उसने भी अपनी मुंडी हा मे हिला दी और अपने हाथों से अपना चेहरा ढके जोर से रोने लगी
“नहीं!!” एकांश चिल्लाया
“एकांश भाई संभाल अपने आप को” अमर ने उसे शांत कराने की कोशिश की
एकांश एकदम से चुप हो गया था उसे कुछ फ़ील नहीं हो रहा था, वो बस सुन्न हो गया था दिमाग ने शरीर से मानो रीऐक्टोर करना ही बंद कर दिया था
उसका दिमाग अब भी इस सच को प्रोसेस करने की कोशिश कर रहा था.. सच सामने था लेकिन एकांश उसे मानना नहीं चाहता था
एकांश जहा था वही सुन्न सा खड़ा था और उसकी हालत ठीक नहीं लग रही है, काफी बड़ा झटका था ये उसके लिए खास तौर पर तब जब उसे ये लगने लगा था के अक्षिता उसकी जिंदगी मे वापिस आ रही है वही अब वहा मौजूद सबको उसकी चिंता होने लगी थी
“एकांश”
“बेटा”
“भाई”
“सर”
“एकांश”
एकांश कीसी को भी रीस्पान्स नहीं दे रहा था
“एकांश!!” अमर ने एकांश को कंधे से पकड़ कर हिलाया
अब जाकर एकांश की तंद्री टूटी उसने अपने सामने अमर को देखा जो चिंतित नजरों से उसे ही देख रहा था फिर उसने अपनी मा को देखा और उनके पास गया
“क्या हुआ है उसे?” एकांश ने बगैर कीसी ईमोशन के सपाट आवाज मे पूछा
“पता नहीं”
“वापिस झूठ बोल रही हो ना मॉम?”
“नहीं बेटा, मुझे सच मे नहीं पता, जब मैं उससे मिली थी तब उसने ऐसे जताया था जैसे तुम दोनों के बीच कभी कुछ था ही नहीं, मुझे काफी गुस्सा आया था और तुम्हारी फीलिंगस से खेलने के लिए मैंने उसे काफी कुछ सुना दिया था.. मुझे मेरा बेटा पहले जैसा चाहिए था.. यहा तक के मैंने उसे बर्बाद करने की धमकी तक दे दी थी लेकिन वो बगैर कुछ बोले वही खड़ी रही थी, मैंने उसे तुम्हारे बारे मे बताया था तुम्हारी जिंदगी मे उसे वापिस लाने उसके सामने हाथ भी जोड़े थे” साधनाजी सब रोते हुए बोल रही रही, “उसने बस एक ही बात कही जिसने मुझे हिला कर रख दिया, उसके कहा के उसके पास वक्त नहीं है she is dying और वो नहीं चाहती थी के ये बात तुम्हें पता चले क्युकी वो जानती थी के तुम ये बात बर्दाश्त नहीं कर पाओगे और उसके साथ साथ तुम्हारी जिंदगी भी बर्बाद होगी... उसने मुझसे तुम्हें कुछ ना बताने का वादा लिया और जब मैंने उससे उसकी बीमारी के बारे मे पूछा तो वो बगैर कुछ बोले बस मुस्कुरा कर चली गई और जाते जाते इतना बोल गई के मैं तुम्हारा खयाल रखू, मैंने उसके बाद उससे मिलने की बहुत कोशिश की लेकिन कभी उससे नहीं मिल पाई” साधनाजी ने रोते हुए कहा वही एकांश ने अपनी आंखे बंद कर रखी थी
“हमे भी उसकी बीमारी के बारे मे कुछ समय पहले ही पता चला आपके ऑफिस टेकओवर करने के बाद हमने जब भी उससे इस बारे मे बात करने की कोशिश की उसने हमेशा बात टाल दी बस कहती थी वो जल्द ही ठीक होने वाली है” रोहन ने एकांश के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा
“मैंने उससे कई बार उसकी तबीयत के बारे मे पूछने की कोशिश की, उसकी बीमारी, उसकी ट्रीट्मन्ट लेकिन उसने हमेशा ये बाते टाल दी, उसकी ममी पापा से भी पूछा लेकिन वो अलग ही परिवार है कोई कुछ नहीं बोला बस अपने मे ही सिमटे रहे, और जब वो मेरे सवालों से परेशान हो गई तो उसने मुझे कसम दे दी की मैं इस बारे मे उससे कोई बात ना करू, कहती थी ट्रीट्मन्ट चल रहा है वो ठीक है”
उन लोगों ने जो जो कहा एकांश ने सबकुछ सुना और उसे ये तो समझ आ गया के अक्षिता अपनी तकलीफ मे कीसी को भागीदार नहीं बनाना चाहती थी, उसे अक्षिता को देखना था, अपनी बाहों मे लेकर आश्वस्त करना था के वो सब ठीक कर देगा, वो उससे पूछना चाहता था के वो ठीक है ना, उसे सपोर्ट करना था, उसे बचाने के लिए कीसी भी हद तक जाने को तयार था, लेकिन सब मे से वो अभी कुछ नहीं कर सकता था, उसने उसे दोबारा खो दिया था और उससे भी ज्यादा तकलीफ देने वाला खयाल ये था के उसका प्यार उससे कही दूर मौत से जूझ रहा था और वो कुछ नहीं कर पा रहा था
अक्षिता के मरने का खयाल ही एकांश के दिल के टुकड़े करने काफी था, एकांश हार गया था, उससे खड़ा भी नहीं रहा जा रहा था पैरो मे जैसे जान ही नहीं थी और वो अपने घुटनों के बल नीचे बैठा या यू कहो के गिर बैठा, निराश, हेल्पलेस, रोते हुए, और यही कुछ ना कर पाने की भावना उसे और फ्रस्ट्रैट कर रही थी...
एकांश को इस कदर टूट कर बिखरते हुए उसके दोस्त उसके घरवाले देख रहे थे, उसे ऐसे देख उन्हे भी अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन वो कुछ नहीं कर पा रहे थे, एकांश इस वक्त जिस मानस्तिथि मे था वो सोच भी नहीं पा रहे थे
एकांश अक्षिता के बारे मे उसकी कन्डिशन के बारे मे सोचते हुए रोए जा रहा था, उसे खोने का डर उसके मरने की खबर का दुख एकांश के रोने को और बढ़ा रहा था वो अक्षिता का नाम चिल्ला कर रो रहा था वही बाकी सभी लोग उसे शांत कराने मे लगे हुए थे
एकांश इस वक्त जिस दर्द मे था वो कोई नहीं समझ सकता था और उसका ये दर्द अब दिन बा दिन बढ़ने वाला था,
एकांश को आज सच जानना था अक्षिता के साथ एक नया सफर शुरू करना था लेकिन उसे ये नहीं पता था के वो सच उसे इतनी तकलीफ देगा, ऐसे सच का सामना तो एकांश ने अपने बुरे से बुरे सपने मे भी नहीं सोचा था
उसकी मा उसके पास बैठ कर उसकी पीठ सहला रही थी, वो भी जानती थी के इस दर्द से इतनी जल्दी राहत नहीं मिलने वाली थी, वो जानती थी के सच एकांश नहीं सह पाएगा इसीलिए उनको वो बात छिपानी पड़ी थी और आज उनके लिए अपने बेटे को इस हाल मे देखना मुश्किल हो रहा था
दूसरी तरफ अमर के दिमाग मे ये चल रहा था के सच का पीछा कर उसने ठीक किया या गलत, एकांश को सच जाने मजबूर करना क्या सही था क्युकी उसका दोस्त भले ही दिल टूटा आशिक था लेकिन ठीक था और उसकी हालत अमर से नहीं देखि जा रही थी
रोहन और स्वरा एकदूसरे को देख रहे थे, पार्टी के बाद जब स्वरा के सवालों मे जवाब मे अक्षिता ने उन्हे अपने और एकांश के बारे मे सब बताया था और ये भी के एकांश सच बर्दाश्त नहीं कर पाएगा, वो टूट जाएगा और इसीलिए अक्षिता उसे कुछ नहीं बताना चाहती थी
श्रेया को तो समझ नहीं आ रहा था के क्या हुआ है, उसने कभी एकांश को ऐसे नहीं देखा और वो एकदूसरे को इतना चाहते है के उसने प्यार प्यार कुरवां किया और ये उसके लिए रो रहा था
एकांश के अंदर इस वक्त कई फीलिंगस थी, डर था गुस्सा था निराशा थी, प्यार था... आसू रुक नहीं रहे थे दिमाग मे बस ये बात चल रही थी के इतने दिनों से वो उसके सामने थी फिर भी वो ये बात नहीं समझ पाया था
उसकी सास फूलने लगी थी, अक्षिता की बीमारी के बारे मे उसकी तबीयत के बारे मे सोच कर दिल मे टीस उठ रही थी, एकांश का शरीर कपकपा रहा था, मुह से शब्द नहीं निकल रहे थे और वो अचानक उठ खड़ा हुआ और सीधा अपने रूम की ओर भागा और थड़ की आवाज के साथ दरवाजा बंद कर दिया
उसके मा बाप को ये डर सताने लगा था के एकांश अपने साथ कुछ गलत ना कर ले लेकिन अमर जानता था के उसका दोस्त टूटा जरूर है लेकिन इतना कमजोर नहीं के खुद के साथ कुछ कर ले
“उसे अकेला रहने दो कुछ वक्त लगेगा अंकल” अमर ने एकांश के पिताजी से कहा
एकांश के चीखने की अवजे रूम के बाहर आ रही थी चीज़े के टूटने की आवाज भी आ रही थी, जोर जोर से दिमार पर कुछ मारने का आवाज आ रहा था लेकिन कीसी ने एकांश को अभी नहीं रोका, ये दर्द बाहर आना जरूरी था
एक एक कर मेहता फॅमिली, अमर वहा से चले गए, रोहन और स्वरा भी निकल गए थे लेकिन सब के मन मे एक डर था के कही एकांश अपने आप को चोट ना पहुचा ले... एकांश के मा बाप कुछ वक्त तक एकांश के कमरे के बाहर उसके बाहर आने का इंतजार करते रहे फिर वो भी अपने कमरे मे चले गए....
रघुवंशी परिवार अपने एकलौते बेटे के लिए परेशान था, उसका बेटा उनकी खुशी था गुरूर था जिसने अपने आप को सच जानने के बाद से ही अपने कमरे मे बंद करके रखा हुआ था, आज तीन दिन बीत चुके थे जब एकांश को सच पता चला था और वो इन तीन दिनों से अपने कमरे मे बंद था, घरवालों ने उससे बात करने की काफी कोशिश की लेकिन एकांश ने कीसी की भी बात का कोई जवाब नहीं दिया, कमरे से आती आवाजे बस उसके वहा होने का प्रमाण दे रही थी, एकांश ने एक बात भी अपने कमरे का दरवाजा नहीं खोला था, घरवालों ने दूसरी चाबी से दरवाजा खोलना चाहा लेकिन एकांश ने सबसे उसे अकेला छोड़ने कह दिया था
एकांश की मा उसे ऐसे देख रोए जा रही थी वही उसके पिताजी उन्हे संभालने मे लगे हुए थे, एकांश ने इन तीन दिनों से कुछ खाया भी नहीं था और ऑफिस जाने का तो सवाल ही नहीं था, ऑफिस का काम उसके पिताजी को देखना पड रहा था जिसमे रोहन और स्वरा उनकी मदद कर रहे थे एकांश के कई काम अधूरे थे जो अगर उसके पिताजी न देखते तो भारी नुकसान हो सकता था
अमर भी रोज एकांश से मिलने आ रहा था, उसे कमरे से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था लेकिन एकांश उसकी भी कीसी बात का जवाब नहीं दे रहा था, अमर कऐसे भी करके अपने दोस्त को पहले जैसे देखना चाहता था और अब वो अपने आप को ही दोष दे रहा था के शायद एकांश को सच पता ना चलता तो वो इस हाल मे ना होता, लेकिन सच जो था वो कभी ना कभी तो सामने आना ही था
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एकांश झटके के साथ नींद से जागा, उसका पूरा शरीर पसीने से तरबतर था और वो जोर जोर से हाफ रहा था, वो अक्षिता का नाम चिल्लाते हुए ही नींद से जागा था और जब उसने अपने आजू बाजू देखा तो अपने आप को अपने कमरे मे पाया और उसके ध्यान मे आया के वो बस एक बुरा सपना था, एकांश बेड के सहारे टिक कर बैठा और अपने हाथ से अपने माथे पर जमे पसीने को पोंछा
एकांश ने एक नजर खुद पर डाली और फिर आजू बाजू देखा तो पाया के वो जमीन पर ही सो गया था, उसका अपने पूरे बिखरे कमरे को देखा, आईना टूट गया था और उसके कांच के टुकड़े फर्श पर बिखरे पड़े थे, कमरे का आधे से ज्यादा सामान जमीन पर बिखरा हुआ था, अस कमरे की हालत ऐसी थी जैसे वहा भूकंप आया हो
फिर एकांश की नजर अपने बाजू मे रखी कुछ तस्वीरों पर गई, उसकी और अक्षिता की तस्वीरे, बस यही वो यादे थी जो उसके पास बची थी, उन तस्वीरों को देखते हुए उसकी आँखों से आँसू की एक बंद गिरी, वो अब भी इस सच को नहीं पचा पा रहा था के अक्षिता बस कुछ और दिनों की मेहमान है और यही सोचते हुए उसे और रोना आ रहा था
और सबसे ज्यादा तकलीफ उसे इस बात से हो रही थी के वो इस बारे मे कुछ नहीं कर पा रहा था, उसे तो ये भी नहीं पता था के अक्षिता है कहा और यही बात उसे खाए जा रही थी, इतने समय तक वो उसकी नजरों के सामने थी लेकिन वो कुछ नहीं समझ पाया था, वो उसे समझ ही नहीं पता था, उसकी बीमारी को नहीं भांप पाया था, अब उसे इस बात का भी पछतावा हो रहा था के उसने उस वक्त ही सब कुछ जानने की कोशिश क्यों नहीं नहीं, क्यू जाने दिया था उसे
सबकुछ उसकी आँखों के सामने था, वो अक्षिता की बिगड़ती सेहत को दिन बा दिन देख रहा था, उसकी चेहरे का उड़ता तेज आँखों के नीचे पड़ने वाले गड्ढे, उसकी वो लाल आंखे जैसे वो खूब रोई हो सब कुछ एकांश की आँखों के सामने था, वो तकलीफ मे थी और वो समझ नहीं पाया था, इन सब बातों को उसने इग्नोर कर दिया था और नहीं खयाल अब एकांश को तड़पा रहा था
एकांश ने अक्षिता की तस्वीर को देखा जिसमे वो कैमरा मे देख मुस्कुरा रही थी, एकांश उस तस्वीर मे अक्षिता की आँखों की चमक उसके चेहरे से झलकती खुशी को देख रहा था, वो अक्सर सोचता था के जब अक्षिता ने उससे कहा था के वो उससे प्यार नहीं करती तो क्या उनके साथ बिताए वो सभी लम्हे झूठ थे? वो किस झूठी थी? उसके कुछ फीलिंगस नहीं थी? वो सभी यादे झूठी थी?
आज उसके पास जवाब था, वो सबकुछ सच था, हर एक पल झूठ था तो बस एक के अक्षिता उससे प्यार नहीं करती,
एकांश ने अपना चोटिल हाथ जमीन पर दे मारा जब उसके ध्यान मे आया के उसके बताए काम की वजह से अक्षिता को बेहोश होना पड़ा था, वो तब तक अपना हाथ जमीन पर मारता रहा जब तक उसमे से खून नहीं निकलने लगा
‘मुझे उस वक्त ही उसका यकीन ही करना चाहिए था’ एकांश ने अपने आप से कहा
‘जब वो मेरी जिंदगी से गई थी मुझे तब ही सच जानने की कोशिश करनी चाहिए थी’
‘अब क्या करू? क्या करू मैं अब वो वापिस कही चली गई है, कहा खोजू उसे? कैसे ढूंढू? मैं कुछ नहीं कर सकता अब’ एकांश अपने आप पर ही चिढ़ने लगा था
‘आइ एम सॉरी अक्षु मुझे माफ कर दो लेकिन प्लीज वापिस आ जाओ’ एकांश ने अक्षिता की तस्वीर को देखते हुए कहा
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“हैलो”
“हैलो अमर बेटा”
“हा आंटी, बोलिए सब ठीक?”
“जब तक एकांश सही नहीं होगा कुछ ठीक कैसे हो सकता है बेटा”
“मैं समझता हु आंटी, वो अब भी कमरे मे ही है ना? वो फोन का भी जवाब नहीं दे रहा है, मैं घर ही आ रहा हु”
“प्लीज आ जाओ, मैं उसे ऐसे नहीं देख सकती अमर, वो अपने आप को ही चोट ना पहुचा दे”
“डोन्ट वरी आंटी मैं करता हु कुछ”
“थैंक यू बेटा’
जिसके बाद फोन कट गया और अमर कुछ सोचने लगा
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अमर ने अपने कार रोकी और बिल्डिंग के अंदर आया, उसने अंदर देखा तो सभी लोग अपने अपने काम मे बिजी थे, अमर थोड़ा और आगे बढ़ा और उन लोगों को देखने लगा जिनके लिए वो वहा आया था और वो उसे मिल भी गए
अमर अभी एकांश के ऑफिस मे आया हुआ था और वो रोहन और स्वरा को देख रहा था, तभी उसे स्वरा का आवाज आया जो कीसी से काम के बारे मे बात कर रही थी
“स्वरा..”
“अमर?” स्वरा अमर वो इस वक्त वहा देख थोड़ा चौकी तब तक अमर उसके पास आ गया था
“रोहन कहा है?”
“वो कीसी प्रेज़न्टैशन पर काम कर रहा है, क्यू?”
“एकांश के बारे मे बात करनी है” अमर ने कहा
“सर के बारे मे? क्या हुआ है उन्हे? वो ठीक है?” स्वरा ने चिंतित होते हुए पूछा, एकांश की हालत खराब है इसका तो उनको अंदाजा था लेकिन उस दिन उनके एकांश के घर से आने के बाद क्या हुआ ये उन्हे नहीं पता था, उन दोनों की बात सुन वहा मौजूद ऑफिस के कुछ लोगों ने उन्हे देखा जिसे उन दोनों ने ही इग्नोर कर दिया
“तुमने उससे कान्टैक्ट करने की कोशिश की?” अमर ने पूछा के अगर स्वरा का अक्षिता से कोई कान्टैक्ट हुआ हो तो..
“हा लेकिन उसका फोन बंद आ रहा है, उसके पेरेंट्स का फोन भी बंद है, मैंने उसे ईमेल किया लेकिन कोई जवाब नहीं आया, उसने अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट भी बंद कर दिए है” स्वरा ने कहा और जैसा अमर को अंदाज था उसे निराशा ही मिली
“क्या हो रहा है?” रोहन ने अमर को वहा देखा तो उनके पास आते हुए पूछा
“वो एकांश सर...” स्वरा ने बताना चाहा
“क्या हुआ है उन्हे?”
“उसने अपने आप को तीन दिन से कमरे मे बंद कर लिया है, कीसी की भी कीसी भी बात का कोई जवाब नहीं दे रहा है” अमर ने बताया
अब इसपर क्या बोले ये रोहन और स्वरा दोनों को ही समझ नहीं आ रहा था... और तबही स्वरा के दिमाग मे कुछ आया... उसने रोहन और अमर को देखा फिर अपने कलीग को कुछ काम बता कर बोली
“चलो...” स्वरा ने अपने फोन और पर्स लेते हुए कहा
“लेकिन कहा?”
“बॉस को कमरे से बाहर निकालने..” और इतना बोल स्वरा वहा से निकल गई और उसके पीछे पीछे रोहन और अमर भी...
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वो तीनों एकांश के घर पहुचे तो वहा अलग ही उदासी भरा महोल था...
अमर उन दोनों दो एकांश के रूम तक ले आया था फिर स्वरा ने रोहन को देखा जिसने रूम का दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई रीस्पान्स नहीं आया
“सर?” रोहन ने आवाज दी लेकिन कोई रीस्पान्स नहीं मिला
“रोहन थोड़ा जोर से बोलो न” स्वरा ने कहा
“सर, मैं रोहन प्लीज दरवाजा खोलिए हमे आपने जरूरी बात करनी है” रोहन ने कहा जिसके बाद फिर से वहा शांती छा गई
“सर प्लीज, दरवाजा खोलिए जरूरी बात करनी है वरना भारी नुकसान हो सकता है” रोहन ने वापिस बहाना बनाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और अब स्वरा आगे आई और उसने एक लंबी सास ली
“सर, मैं स्वरा प्लीज दरवाजा खोलिए...” लेकिन सैम रिजल्ट
“सर, आपको पता है अक्षु आपके बारे मे क्या कहती थी....” और ये छोड़ा स्वरा ने तीर, वो जानती थी एकांश उन्हे सुन रहा था तो उसने आगे बोलना शुरू किया
“वो कहती थी के आपके साथ बिताए पल उसकी जिंदगी की सबसे खूबसूरत याद है, आपके उसकी जिंदगी मे आने के बाद उसके प्यार का मतलब सीखा था,” स्वरा ने अक्षिता की बात को याद करते हुए कहा जब उसने अक्षिता से उसके और एकांश के बारे मे पूछा था
सब लोग शांति से स्वरा को सुन रहे थे और ये भी जानते थे के एकांश भी सुन रहा है
“वो आपसे बहुत प्यार करती है और हमेशा करती रहेगी और इसी प्यार की वजह से ही उसे आपसे दूर होना पड़ा है” स्वरा ने कहा और उन्हे एकांश के दरवाजे तक आने का आवाज आया
“आप जानते है उसने आपने तब और अब दूरी क्यू बनाई?’ स्वरा बोलते हए रुकी ताकि एकांश कुछ रीस्पान्स दे लेकिन वो कुछ नहीं बोला तब उसने आगे कहा
“इसीलिए नहीं क्युकी वो आपसे प्यार नहीं करती बल्कि इसलिए क्युकी वो आपसे बहुतउ प्यार करती है, वो जानती है आपके लिए वो क्या मायने रखती है, उसे पता था के आज इस सच का सामना नहीं कर पाएंगे, वो जानती थी के उसके जाने के बाद उसकी यादों मे आप अपनी जिंदगी तबाह कर लेंगे, कहती थी कुछ पल की नफरत से आप जिंदगी मे कमसे कम आगे तो बढ़ेंगे लेकिन सच आपको तोड़ के रख देगा, जब मैंने उसे आपको सब सच बताने कहा था तब उसकी कहा था के आप सच बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे” स्वरा ने कहा और बोलते हुए उसकी स्वज टूट रही थी...
“अक्षु कभी नहीं चाहती थी के आपको सच जान कर तकलीफ हो, अगर उसको आपकी इन हालत का पता चला तो वो इसका दोष भी अपने आप को देगी और उसकी तबीयत शायद और भी खराब हो क्या आप ये चाहते है? वो कभी नहीं चाहती के आप इस तरह अपने आप को तकलीफ दे और इसीलिए वो चली गई है और आप उसकी बात को सच साबित कर रहे है के आप सच बर्दाश्त नहीं कर सकते...” स्वरा ने कहा और तबही कमरे का दरवाजा खुला और एकांश सबके सामने था,
एकांश के कमरे का दरवाजा खुलते ही सबने राहत की सास ली लेकिन उसकी हालत देख कीसी को भी अच्छा नहीं लग रहा था, एकांश की हालत एकदम खस्ता थी, बिखरे बाद रो रो कर सूजी हुई आंखे बेढब हुए कपड़े...
और जिस बात ने उन्हे सबसे ज्यादा चौकाया वो एकांश के हाथ से बेहता खून.. क्लीन और नीट रहने वाले एकांश का कमरा पूरा बिखरा हुआ था
“एकांश....” साधनाजी ने रोते हुए अपने बेटे को लगे लगाया लेकिन एकांश कीसी बुत की तरह खड़ा रहा
“अक्षु?” एकांश ने मुह से रोहन को स्वरा को देखते हुए बस यही निकला
“हमे उसे ढूँढना होगा, हैना?” स्वरा ने कहा
“हा लेकिन कैसे?”
“बताती हु लेकिन उसके पहले कुछ और करना है.......” स्वरा ने कहा
आपने सुना होगा के प्यार मे इंसान जो है पागल हो जाता है, प्यार आपकी पूरी दुनिया बदल देता है, प्यार ये है प्यार वो है, प्यार सख्त से सख्त इंसान को पिघला देता है वगैरा वगैरा,
अब प्यार की कहानिया पढ़ने मे बहुत ही बढ़िया लगती है लेकिन वास्तविक जीवन मे प्रेम करना आसान नहीं है और उसे निभाना तो बिल्कुल भी आसान नहीं नहीं है, अक्सर इसमे लोग टूटे दिल के साथ रह जाते है...
अपने सामने खड़े एकांश को देख रोहन यही सोच रहा था के प्यार ने इसे क्या बना दिया है, रोहन ने जब भी एकांश को देखा था उसकी पर्सनैलिटी मे एक रिचनेस था ऐरगन्स था जो की अब पूरा गायब था अब उसके सामने प्यार मे हार एक निराश बंदा खड़ा था जो अपने प्रेमी को ढूँढने के लिए कीसी भी हद से गुजरने को तयार था.. रोहन हमेशा से ही एकांश के बिजनस सेन्स से उसकी सक्सेस से उसके कन्ट्रोलिंग नेचर से उसके लोगों को हैन्डल करने के तरीके से इन्स्पायर्ड था लेकिन आज वो एकांश का एक नया रूप भी देख रहा था, उसे हमेशा लगता था के अक्षिता ने एकांश मे ऐसा क्या देखा होगा, आज उसके पास जवाब था, एकांश अक्षिता से बेहद प्यार करता था...
वही दूसरी तरफ स्वरा थी जो पहले पहले एकांश के स्वभाव से थोड़ा डरती थी उससे आंखे मिला कर बात करना उसके लिए मुश्किल होता था और जो सवाल रोहन के मन मे था वही स्वरा के मन मे भी कई बार आया था के अक्षिता ने उसमे ऐसा क्या देखा और आज उसे भी जवाब मिल गया था... उसे पता भी नहीं चला के वो जितनी केयर अक्षिता की करती थी उतनी ही एकांश की भी करने लगी थी... और वो एकांश को ऐसी बिखरी हुई हालत मे नहीं रहने देना चाहती थी, उसका दिल अक्षिता और एकांश दोनों के लिए दुख रहा था...
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“अब बताओ क्या प्लान है कैसे पता लगाना है उसका?” एकांश ने पूछा
“सब पता चलेगा तू पहले कमरे से बाहर आ...” अमर ने एकांश को हाथ पकड़ कर कमरे से बाहर निकाला और एकांश भी बाहर आया
“पहले आपकी चोट का इलाज कर ले?” स्वरा ने कहा
“आंटी आप कीसी से कह कर एकांश का कमरा साफ करवा दीजिए” अमर ने साधनाजी को देखते हुए कहा और उन्होंने भी हा मर गर्दन हिला दी
“रुको!” एकांश ने अचानक से कहा और वापिस कमरे मे गया वही बाकी लोग उसे देखने लगे
कुछ समय बाद एकांश अपने साथ अक्षिता की तस्वीरे ले आया था जो उसके कमरे मे जमीन पर पड़ी थी
“कोई भी कीसी भी उस चीज को हाथ नहीं लगाएगा जो अक्षिता से जुड़ी हुई है” एकांश ने कहा
स्वरा ने रोहन को देखा, और रोहन मुस्कुराया, जैसी हालत अक्षिता की थी वैसी ही एकांश की भी, वो उससे नाराज था लेकिन नफरत तो उसे अक्षिता से कभी हो ही नहीं पाई थी...
“चलो” इतना कह कर स्वरा एकांश के साथ नीचे आ गई थी
स्वरा ने बड़े ध्यान से एकांश की पट्टी कर दी थी वही एकांश बस अक्षिता की फोटो को देखता हुआ बैठा था.. साधनाजी ने अपने बेटे को देखा जो खोया हुआ था, और इस वक्त एकांश के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे...
अमर एकांश के कमरे से उसके कपड़े ले आया था और एकांश के बगल मे आकार बैठा था.. उसके एकांश को देखा लेकिन एकांश का उसकी ओर ध्यान ही नहीं था.. एकांश को देख अमर को उसकी और चिंता होने लगी थी क्युकी अगर अक्षिता का पता नहीं चला तो एकांश की हालत और बिगड़ सकती थी इसका उसे डर था
“नाउ यू गो एण्ड टेक अ वॉर्म शॉवर” स्वरा ने कहा
“ठीक है लेकिन उसके बाद तुम अक्षिता को कैसे ढूँढना है बताओगी” एकांश ने कहा जिसपर स्वरा ने हा मे गर्दन हिला दी और एकांश वहा से चला गया और उसके जाते ही अमर ने पूछा
“क्या करने वाली हो, क्या प्लान है?”
“मुझे भी नहीं पता” स्वरा ने कहा
“क्या!!” अमर और रोहन एकसाथ बोले
“लेकिन बेटे जब वो बाहर आएगा तब उससे क्या कहोगी” साधनाजी ने पूछा
“एक प्लान तो है दिमाग मे लेकिन काम करेगा या नहीं पता नहीं”
“पागल हो गई हो क्या? यहा से कोई भी बात का बिगाड़ना एकांश को और तोड़ के रख देगा” अमर ने कहा
“जानती हु लेकिन कुछ तो करना है और भूलो मत मैंने ही सर को रूम मे बाहर निकाला है तुम्हारी तरह नहीं हु... यूजलेस”
“शट अप...”
अब अमर और स्वरा आपस मे भिड़ने लगे थे और ये देख कर रोहन पहले ही बीच मे बोल पड़ा
“चुप करो यार पहले ही कम टेंशन नहीं है अब लड़ कर बात मत बढ़ाओ”
रोहन की बात उन दोनों को भी जाम गई और सभी लोग अब एकांश की राह देखते सोफ़े पर बैठे थे
“सबसे पहले सर को कुछ खिलते है फिर आगे की बात करेंगे” रोहन ने कहा
कुछ देख बाद एकांश बाहर आया तो उसने देखा के सभी लोग वही बैठे उसकी राह देख रहे थे
“एकांश!” साधनाजी एकांश के पास गई और उन्होंने अपने बेटे को गले लगाया लेकिन एकांश ने कोई रीस्पान्स नहीं दिया
“एकांश चलो पहले कुछ खा लो” उन्होंने एकांश का हाथ पकड़ते हुए कहा लेकिन एकांश ने अपना हाथ उसके हाथ से छुड़ाया और अपने मा को इग्नोर करते हुए रोहन और स्वरा के पास पहुचा, वो अपनी मा से भी काफी नाराज था, यही बात अगर वो उसे डेढ़ साल पहले बता देती तो शायद... शायद आज हालत कुछ और होते... उसे अक्षिता को खोना नहीं पड़ता... एकांश के पिता की उसकी मा को शांत कराने मे लगे हुए थे...
“एकांश तूने तीन दिन से कुछ नहीं खाया है, पहले थोड़ा खाना खा ले फिर आगे बढ़ते है” अमर ने एकांश से कहा
“अभी नहीं भाई, पहले अक्षिता को ढूँढना है तुम बस बताओ क्या करना है अब” एकांश भी कम जिद्दी नहीं था
“सर ढूँढने के लिए एनर्जी भी तो चाहिए कुछ खा कर चलते है” रोहन ने कहा लेकिन एकांश ने उसे इग्नोर कर दिया, उसके दिमाग मे बस स्वरा के कहे शब्द थे के उसके पास अक्षिता को ढूँढने का प्लान है
“सर, हम पहले कुछ खा ले प्लीज, मैंने भी सुबह से कुछ नहीं खाया है” स्वरा ने कहा और एकांश ने उसको देखा और फिर नीचे देखने लगा
“सर, मैं वादा करता हु जैसे ही खाना खतम हुआ अगले ही मिनट हम आगे क्या करना है उसपर बात करेंगे” रोहन ने कहा और अब एकांश भी मान गया था
रोहन और स्वरा के साथ सभी लोग डाइनिंग टेबल पर बैठे थे और साधनाजी ने सभी को खाना सर्व किया, अपने सामने खाना देख स्वरा से कंट्रोल ही नहीं हुआ वही एकांश के पिताजी ने भी उसे कह दिया था उसे खाने मे जो भी चाहिए मिल जाएगा वही इधर एकांश ने जल्दी जल्दी खाना शुरू किया ताकि वो जल्द से जल्द अक्षिता को ढूँढने जा सके
यहा ये लोग अभी खाना खा ही रहे थे के तबही एकांश का आवाज आया
“हो गया!” एकांश ने इतनी जल्दी अपना खाना निपटाया था के स्वरा का खाना उसके गले मे ही अटक गया
“हो गया?” स्वरा ने पानी पिते हुए पूछा
“हा और अब देर ना करो और चलो” एकांश ने अपनी जगह से उठते हुए कहा
“लेकिन मेरा नहीं हुआ है” स्वरा ने कहा
“बाद मे खा लेना, चाहे हो मुझसे पार्टी ले लेना अभी चलो और बताओ आगे क्या करना है मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा है” एकांश ने स्वरा को लगभग उसकी जगह से उठाते हुए कहा
“लेकिन...”
“बाद मे...”
अब स्वरा के पास कोई चारा नहीं था वो एकांश के साथ लिविंग रूम मे आई और उनके पीछे बाकी लोग भी अपना खाना निपटा कर आ गए थे
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सभी लोग लिविंग रूम मे बैठे थे और एकांश स्वरा और रोहन के बात शुरू करने की राह देख रहा था वही स्वरा को समझ नहीं आ रहा था के बात कहा से शुरू करे और क्या बोले रही रोहन ने स्वरा को आंखों से आगे बढ़ने का इशारा किया
“सर इन तीन दिन मे हमने काम के साथ साथ अक्षिता को ढूँढने की हर कोशिश की है लेकिन कही कुछ पता नहीं चला, ईविन रोहन ने उसके कार्ड डिटेल्स ट्रैक करने की भी कोशिश की लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला” बोलते हुए स्वरा रुकी और उसने एकांश को देखा जो थोड़ा निराश लग रहा था
“तो अब क्या करना है?” एकांश ने कहा
“आपको वो दिन याद है जब वो ऑफिस मे बेहोश हुई थी?” स्वरा ने पूछा और एकांश ने हा मे गर्दन हिलाई थी
“वो वही अस्पताल है यह अक्षिता का ट्रीट्मन्ट चल रहा था और वो वही डॉक्टर था जिनके पास अक्षिता हमेशा जाती थी” स्वरा ने कहा और एकांश ने चौक कर उसे देखा
“हम उस अस्पताल मे जाकर बात कर सकते है क्या पता हमे कुछ क्लू मिल जाए अक्षिता के बारे मे, शायद अब भी वही उसका ट्रीट्मन्ट चल रहा हो” रोहन ने कहा और अब एकांश की नजरों मे उम्मीद की किरने नजर आने लगी थी और एकांश झट से अपनी जगह से उठा
“तो चलो फिर देर किस बात की है” एकांश ने कहा
“अभी?”
“हा अभी!” एकांश ने दरवाजे की ओर जाते हुए कहा
“लेकिन?”
“मैं जा रहा हु तुमको आना है तो ठीक वरना ना भी आओ तो चलेगा” एकांश के कहा और वो घर के बाहर चला गया
उन लोगों ने एकदूसरे को देखा, एकांश को वो अभी अकेला नहीं छोड़ सकते थे इसीलिए अमर रोहन और स्वरा झट से उसके पीछे गए...
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वो लोग अस्पताल पहुच गए थे और वहा से इंक्वैरि सेक्शन मे पहुचे
“इक्स्क्यूज़ मी क्या आप हमे अक्षिता पांडे नाम के पैशन्ट की डिटेल्स दे सकती है” स्वरा ने आराम से रीसेप्शनिस्ट से पूछा
“सॉरी मैडम, लेकिन हम पैशन्ट की इनफार्मेशन नहीं बता सकते”
“देखिए हम उसके दोस्त है, हमे बस ये जानना है के वो यह रिसेंट्लि चेकअप के लिए आई है या नहीं, प्लीज क्या आप वो बता सकती है?” रोहन ने पूछा
“सॉरी सर लेकिन हम नहीं बता सकती”
“ओके क्या हम डॉक्टर सुरेश अवस्थी से मिल सकते है?” स्वरा ने पूछा
“नहीं मैडम आप अभी उनसे नहीं मिल सकती, आपको पहले अपॉइन्ट्मन्ट लेनी होगी”
“ok, give us the appointment. Now” एकांश ने कहा
“लेकिन सर आज की सभी अपॉइन्ट्मन्टस् हो गई है”
“तो कल की दे दो” अमर ने कहा
“डॉक्टर सर बहुत बिजी है, आपको एक हफ्ता पहले अपॉइन्ट्मन्ट बुक करनी होगी” रीसेप्शनिस्ट ने कहा और अब एकांश उससे इरिटैट हो रहा था
“क्या कहा? एक हफ्ता? मुझे अभी मिलना है डॉक्टर से” एकांश ने थोड़ी उची आवाज मे कहा वही अमर उसे शांत कराने लगा वही अब वहा मौजूद लोग भी उसे देखने लगे थे
“मुझे अभी के अभी डॉक्टर से मिलना है, do you understand? जानती को कौन हु मैं? मैं एकांश रघुवंशी हो लोग लाइन लगते है मेरी अपपोइनट्स के लिए मैं नहीं...” एकांश ने कहा
“लेकिन सर डॉक्टर इस वक्त अस्पताल मे नहीं है, आप प्लीज कल आइए मैं आपकी अपॉइन्ट्मन्ट फिक्स करती हु” रीसेप्शनिस्ट भी एकांश के गुस्से से थोड़ा डर रही थी
“कल कीसी भी हालत मे डॉक्टर से मुलाकात होनी चाहिए, उनसे कहो के अपने स्केजूल मे से वक्त निकले, मैं जितनी चाहे फीस देने तयार हु” एकांश ने कहा वही सब लोग उसे ही देख रहे थे
“एकांश शांत हो जा हम कल आएंगे” अमर ने एकांश को लगभग अस्पताल से बाहर खिचते हुए कहा उसके पीछे स्वरा और रोहन भी आ गए, वो सभी उसे शांत करने मे लगे हुए थे..
और आखिर मे एकांश ने कल आने की बात मानी और अमर उसे अपने साथ घर ले आया वही रोहन और स्वरा वही से ऑफिस की ओर बढ़ गए....
एकांश रात भर सो नहीं पाया था, जब से उसे अक्षिता की बीमारी का उसके मरने का पता चला था उसे रातों को बुरे सपने आते थे और अब डॉक्टर क्या बोलेगा ये सोच सोच कर वो घबरा रहा रहा था, अक्षिता के बारे मे सोच सोच कर वो अंदर ही अंदर डर रहा था
जैसे ही सुबह हुई एकांश उठ बैठा था, आज उसे अक्षिता के बारे मे पता करने अस्पताल जाना था और वो तयार होने लगा था, एकांश ने अस्पताल मे अपॉइन्ट्मन्ट कन्फर्म करने फोन किया जो की कल उसके धमकाने के बाद कन्फर्म हो ही जानी थी और रीसेप्शनिस्ट ने उसे सुबह 10 बजे वहा पहुचने का कहा, रीसेप्शनिस्ट भी उससे थोड़ा डर कर ही बात कर रही थी... उसे भी डर था के डॉक्टर शायद अपॉइन्ट्मन्ट ना दे लेकिन उस रीसेप्शनिस्ट ने एकांश की अपॉइन्ट कन्फर्म कर ली थी, डॉक्टर ने उसका नाम सुनते ही उससे मिलने के लिए हामी भरी थी, डॉक्टर को वो दिन याद था जब अक्षिता बेहोश हुई थी और एकांश की उनसे मुलाकात हुई थी
एकांश जल्दी जल्दी अपने घर से निकला, उसके पेरेंट्स उसे पुकार ही रहे थे लेकिन एकांश ने उन सब की आवाज को इग्नोर कर अपनी कार उठाई और जितनी तेज हो सकती थी चला कर वो 15 मिनट मे अस्पताल मे था, उसने अपनी कार पार्क की और अस्पताल मे आया
“आइ वॉन्ट टु मीट डॉक्टर सुरेश अवस्थी” एकांश ने अस्पताल मे अंदर आते हुए रीसेप्शनिस्ट से कहा जिसपर उसने बस एकांश को यस सर कह कर डॉक्टर के केबिन का रास्ता बता दिया और एकांश उस ओर बढ़ गया
डॉक्टर का केबिन कॉरिडर के आखिर मे बना हुआ था और केबिन के गेट कर नेम प्लेट लगी थी, डॉक्टर. सुरेश अवस्थी, एमडी, सर्जन, नुरालजिस्ट
एकांश ने नाम पढ़ते हुए दरवाजा खटखटाया
“कम इन”
डॉक्टर का आवाज सुनते ही एकांश केबिन मे इंटर हुआ,
“आइए आइए रघुवंशी एम्पायर के मालिक, द ग्रेट एकांश रघुवंशी, जिन्होंने मेरी अपॉइन्ट्मन्ट के लिए मेरे स्टाफ को धमकाया था, आइए...” डॉक्टर ने एकांश को देख तंज कसते हुए कहा लेकिन एकांश शांत रहा
“मैंने कीसी को नहीं धमकाया डॉक्टर, मैं बस अपॉइन्ट्मन्ट चाहता था लेकिन नहीं मिल रही इसीलिए....”
“इसीलिए आपने उसे डराया, और जबरदस्ती मुझसे मिलने की अपॉइन्ट्मन्ट ली... खैर जाने दीजिए बताइए ऐसी क्या बात तो जो आप मुझसे मिलने इतने उतावले थे” डॉक्टर ने अपने सामने रखी पैशन्ट फाइलस् को देखते हुए पूछा
“मुझे कुछ इनफार्मेशन चाहिए थी” एकांश ने कहा
“तो बताइए मैं क्या मदद कर सकता हु आपकी क्या जानना है आपको”
“मुझे अक्षिता पांडे के बारे मे जानना है” एकांश ने कहा लेकिन अक्षिता का नाम लेते हुए उसकी आवाज मे कंपन था, डॉक्टर ने अपने पैशन्ट का नाम सुनते ही एकांश को देखा
“अक्षिता के बारे मे?”
“जी, उसकी उसकी तबीयत के बारे मे उसकी बीमारी के बारे मे जानना है”
“मैं इस बारे मे आपको कुछ नहीं बता सकता”
“प्लीज डॉक्टर मेरा इस बारे मे जानना बहुत जरूरी है, मुझे जानना है उसे क्या हुआ है, कीस बीमारी से जूझ रही है वो” एकांश ने कहा, वो लगभग रोने ही वाला था
“क्या मैं जान सकता हु आप कौन है उसके?” डॉक्टर ने सवाल किया
मैं... वो... वैसे तो मैं अभी उसका कुछ नहीं हु डॉक्टर लेकिन वो मेरे लिए सबकुछ है, मेरी जिंदगी है और इसीलिए मेरे लिए ये सब जानना बहूत जरूरी है” एकांश ने कहा उसकी आवाज कांप रही थी और आंखे भर आई थी
डॉक्टर भी एकांश को इतना वुलनरेबल देख कर हैरान था जो एक लड़की के लिए रो रहा रहा
“आइ एम सॉरी मिस्टर रघुवंशी लेकिन मैं पैशन्ट की फॅमिली के अलावा उसके बारे मे कीसी और को नहीं बता सकता” डॉक्टर ने एकांश को समझाते हुए कहा
“प्लीज डॉक्टर बात समझिए, मैं उसे नहीं खो सकता, मुझे उसे ढूँढना है बचना है और इसके लिए मेरा ये बात जानना जरूरी है के क्या हुआ है उसे” एकांश ने एक बार को बिनती की
अब डॉक्टर को भी थोड़ा बुरा लग रहा था लेकिन वो इसमे कुछ नहीं कर सकते
“मैं आपकी बात समझ रहा हु मिस्टर रघुवंशी लेकिन मैं अस्पताल के नियमों के खिलाफ जाकर आपको कुछ नहीं बता सकता उपर से ये मेरे उसूलों के भी खिलाफ है, मुझे माफ कीजिए लेकिन मैं इस मामले मे आपकी कोई मदद नहीं कर सकता” एकांश ने कहा
एकांश ने डॉक्टर की बात सुन एक लंबी सास छोड़ी, अक्षिता के बारे मे सोचते हुए उसकी आँखों से एक आँसू की बंद टपकी, डॉक्टर भी अब मामला समझ चुका था लेकिन वो कुछ नहीं बता सकता थे, उन्होंने एकांश को सांत्वना दी और एकांश वहा से उठाया और चुप चाप चलते हुए बाहर आ गया
एकांश दीवार से अपना सर टीका कर खड़ा था और ये सोच रहा था के अब आगे क्या किया जाए, और मन ही मन ये दुआ कर रहा था के अक्षिता ठीक हो
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एकांश अस्पताल से बाहर आकार अपनी कार से टिक कर खड़ा था और ये सोच रहा था के आगे क्या करना है, कोई रास्ता ना मिलने से अब वो फ्रस्ट्रैट हो रहा था
“सर?”
एकांश ने जैसे ही सुना उसने पलट कर देखा तो वह स्वरा और रोहन उसे चिंतित नजरों से देख रहे थे
“क्या हुआ है कुछ पता चला?” रोहन ने पूछा
“आपको अपॉइन्ट्मन्ट मिली?” स्वरा ने अगला सवाल किया
वो लोग अब एकांश के पास आ गए थे...
“मेरी बात हो गई है डॉक्टर से और उन्होंने कहा है के फॅमिली मेम्बर के अलावा वो अपने पैशन्ट की इनफार्मेशन कीसी और को नहीं दे सकते” एकांश ने हल्के गुस्से मे कहा
एकांश की बात सुन स्वरा और रोहन भी निराश हो गए थे क्युकी अक्षिता के बारे मे जानने का अभी तो यही सबसे सरल तरीका उन्हे नजर आ रहा था
“कोई और भी तो रास्ता होगा पता करने का” स्वरा ने सोचते हुए कहा और एकांश ने उसे देखा
“आइडीया” स्वरा ने अचानक कहा....
“नहीं” रोहन एकदम बोला
“क्यू?”
“स्वरा तुम्हारे आइडियास् नाम नहीं करते है और कुछ ऊटपटाँग करने का ये वक्त नहीं है मेहरबानी करके अपने दिमाग का यूज मत करो हम सोचते है कुछ” रोहन ने कहा और स्वरा ने उसे गुस्से मे घूरा
“एक बार सुन तो लो फिर कहना”
“ना सुनना भी नहीं है”
और इसीके साथ सीरीअस महोल मे वो दोनों झगड़ने लगे थे और उन दोनों की ये नोकझोंक देख एकांश अपने आप को हसने से नहीं रोक पाया और उसे हसता देख वो दोनों रुक गए
“क्या हुआ, कन्टिन्यू करो ऐसी हैरान शकले क्यू बनाई है” एकांश ने उन्हे चुप देखा तो बोला
“वो आप हस रहे थे ना तो...” रोहन बोला
“तो...?” एकांश
“वो... सर हमने आपको कभी ऐसे हसते हुए नॉर्मल इंसान जैसा नहीं देखा न तो...” स्वरा ने कहा
जिसपर एकांश ने अपनी गर्दन हिलाई
“तुम लोगों ने मुझे देखा ही कितना है अभी” एकांश ने कहा
“तो अब आगे क्या करना है सर”
“मुझे पता है आगे क्या करना है”
“मतलब”
“मतलब ये के मेरा नॉर्मल रहना काम नहीं आया तो अब बताना पड़ेगा न के एकांश रघुवंशी कौन है और वो क्या कर सकता है” एकांश ने कहा और अब स्वरा और रोहन ने अपने उस रुड बॉस को वापिस आते देखा
एकांश ने अपना फोन निकाला और कीसी को फोन लगाया
“एकांश रघुवंशी स्पीकिंग, मुझे सिटी अस्पताल के एक डॉक्टर से कुछ इनफार्मेशन चाहिए” एकांश ने कहा
“हो जाएगा, कौन डॉक्टर है?”
“डॉक्टर सुरेश अवस्थी”
जिसके बाद एकांश ने फोन काट दिया और अस्पताल को देखने लगा वही रोहन और स्वरा इस बात का इंतजार करने लगे के आगे क्या होगा
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अगले आधे घंटे मे ही अस्पताल मे अफर तफरी मैच गई थी, सारे फोन बजने लगे थे, अस्पताल के चेयरमैन बोर्ड मेम्बर, सभी अस्पताल मे आ रहे थे,
अस्पताल के सभी नर्स, वार्डबॉय, डॉक्टर, सभी लोग रीसेप्शन कर उन लोगों को रिसीव करने खड़े थे, सभी को इस अचानक वाली विज़िट का कारण जानना था....
और फिर अस्पताल मे एंट्री होती है एकांश की, फूल पावर के साथ जैसे ये अस्पताल ही उसका हो, उसके साथ साथ स्वरा और रोहन भी थे और साथ मे अस्पताल के सभी बोर्ड मेम्बर्स एकांश से बात करते हुए अंदर आ रहे थे,
वो लोग अंदर आकार डॉक्टरस् के सामने रुके, एकांश ने उन्हों देखा और वो लोग सीधे डॉक्टर सुरेश अवस्थी की ओर गए
इस सब मे भी डॉक्टर सुरेश अवस्थी अपने आप को क्षांत रखे हुए थे क्युकी वो जानते थे के वो अपनी जगह सही थे ये तो एकांश की जिद थी जो अस्पताल के सभी हाइयर अथॉरिटी के मेम्बर वहा आए थे,
“डॉक्टर अवस्थी, मिस्टर रघुवंशी जो भी जानना चाहते है प्लीज बात दीजिए उन्हे” अस्पताल के चेयरमैन ने कहा
“लेकिन सर...”
“डॉक्टर, हम आपके उसूलों की कद्र करते है लेकिन ये बात अभी ज्यादा जरूरी है, हम आपको पर्मिशन दे रहे है मिस्टर रघुवंशी जो भी जानना चाहते है उन्हे बता दीजिए”
“ठीक है, आइए मिस्टर रघुवंशी मेरे केबिन मे बात करते है” डॉक्टर अवस्थी ने हार मानते हुए कहा
एकांश ने भी हा मे गर्दन हिलाई और बगैर कीसी की ओर देखे वो डॉक्टर के पीछे उनके केबिन की ओर बढ़ गया, स्वरा और रोहन ने अस्पताल के बोर्ड मेम्बरस् को थैंक यू कहा और वो भी एकांश के पीछे हो लिए...
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“आप काफी जिद्दी है मिस्टर रघुवंशी, जो चाहिए था वो मिल रहा है आपको” डॉक्टर ने अपने केबिन मे बैठे एकांश को देखते हुए कहा
“मुझे हो चाहिए होता है वो मैं ले कर ही रहता हु डॉक्टर” एकांश ने कहा
“डॉन्ट माइन्ड डॉक्टर लेकिन सर अक्षिता को लेकर परेशान है और इसीलिए ये सब...” रोहन ने कहा
“तो बताए क्या जानना है आपको”
“उसकी सेहत के बारे मे सबकुछ”
“ठीक है”
और अब वो तीनों गौर से डॉक्टर की बात सुनने लगे
“मिस अक्षिता पांडे को ब्रैन हेमरेज है” डॉक्टर ने अपने सामने रखे सिस्टम पर देखते हुए कहा, वही उन तीनों को इसपर कैसे रीऐक्ट करे समझ नहीं आ रहा था...
“मैं आपलोगों को आसान भाषा मे बताता हु, ये एक तरह का ब्रैन स्ट्रोक है, जो दिमाग मे जो नसे होती है उनके फटने के कारण होता है, ब्रैन के एक हिस्से मे रक्त वाहिकाये काफी सूज जाती है और फटने लगती है जिससे ब्रैन मे ब्लीडिंग होने लगती है जो की काफी खतरनाक है, अब इसके कई प्रकार होते है, इस मामले मे ये इन्टरसेरेब्रल हेमरेज है यानि पैशन्ट के दिमाग मे इन्टर्नल ब्लीडिंग है, इसमे ब्रैन का एक हिस्सा सूज जाता है जिससे नसों के फटने से इन्टर्नल ब्लीडिंग होती है” बोलते हुए डॉक्टर रुके और उन तीनों को देखा, वहा रोहन के चेहरे पर दर्द के भाव थे थी स्वरा की आँखों मे पानी था और एकांश कीसी मूर्ति की तरह बैठा सब सुन रहा था
“इससे बचने के क्या चांस है डॉक्टर?” रोहन ने कांपती आवाज मे पूछा
“फिलहाल चल रही है लेकिन ये सब इन्टर्नल ब्लीडिंग पर निर्भर करता है, कई लोग इस बीमारी से बच भी जाते है लेकिन ब्लीडिंग ज्यादा हो तो बच पाना मुश्किल होता है”
“और अक्षिता की कन्डिशन कितनी सीरीअस है?” स्वरा ने पूछा और एकांश ने डॉक्टर को देखा लेकिन डॉक्टर कुछ नहीं बोल रहे थे, उनके हावभाव से साफ था के मामले काफी सीरीअस है
डॉक्टर ने उन्हे उदास होकर देखा, खास कर एकांश को को अपने आप को संभाले बैठा था और वहा हिमायत दिखने की पूरी कोशिश कर रहा था, डॉक्टर भी अब तक समझ गए थे के उन लोगों के लिए अक्षिता क्या मायने रखती है लेकिन किस्मत को कोई हरा सका है क्या....
“tell us doctor how severe is her condition?” जब कुछ पलों तक डॉक्टर कुछ नहीं बोले तो एकांश ने पूछा,
एकांश की आवाज मे कुछ जान नहीं थी, सब कुछ जानने के बाद भी वो अभी तक इस सच से उभर नहीं पाया था,
“जैसा की मैंने कहा ये सब उसके ब्रैन मे हो रही इन्टर्नल ब्लीडिंग पर निर्भर करता है लेकिन इस मामले मे अक्षिता थोड़ी लकी है” डॉक्टर ने कहा और अक्षिता लकी है सुनते ही उन तीनों ने एकसाथ डॉक्टर को देखा इस उम्मीद मे के शायद कोई अच्छी खबर मिले
“मतलब?” एकांश ने पूछा
“देखिए हमे उसकी कन्डिशन का पता बहुत लेट चला, जब पहली बार हमे उसकी बीमारी का पता चला लगभग डेढ़ साल पहले तब उसके रेपोर्ट्स के अनुसर उसके पास बस 6 महीने का वक्त था उससे ज्यादा नहीं” डॉक्टर ने कहा
“6 महीने का वक्त?” स्वरा ने पूछा
“उसके रिपोर्ट्स देखते हुए उसके बास बस 6 महीने की जिंदगी बची थी” डॉक्टर ने कहा और एकांश ने अपनी आंखे बंद कर ली...
उससे ये खयाल भी नहीं सहा जा रहा था के जब उन दोनों का ब्रेकअप हुआ था तब अक्षिता इस सब से जूझ रही थी उसके पास बस 6 महीने की जिंदगी थी और उसने कभी अपना दर्द चेहरे पर बयां नहीं होने दिया, और वो सोचता रहा के अक्षिता उसे धोका दे रही थी, ये दर्द ये गिल्ट अब उससे सहा नहीं जा रहा था...
डॉक्टर की बात सुन रोहन और स्वरा भी शॉक थे, उन्हे भी अक्षिता की कन्डिशन इतनी सीरीअस है पता ही नहीं था, ना की अक्षिता ने कभी इस बारे मे कीसी को पता चलने दिया था.., डॉक्टर अवस्थी ने आगे बोलना जारी रखा
“अक्षिता काफी लकी है क्युकी वो अभी तक ठीक है कुछ नहीं हुआ है, दवाईया और उसकी जीने इच्छाशक्ति ने अभी तक उसे बचा कर रखा है” डॉक्टर ने कहा
“वो ठीक हो जाएगी ना डॉक्टर?” एकांश ने उम्मीद भरी नजरों से पूछा
“मैं आपको कोई झूठी उम्मीद नहीं दूंगा मिस्टर रघुवंशी, उसके ब्रैन मे कभी भी सूजन बढ़ सकती है और मामला बिगड़ सकता है, आपलोगों को बस इसमे खुशी मनानी चाहिए के इस केस मे ये बहुत स्लो हो रहा है” डॉक्टर ने कहा और एकांश का चेहरा उतर गया
“हम समझे नहीं डॉक्टर?” रोहन ने पूछा
“मतलब ये के वो ठीक होगी या नहीं ये कहना काफी मुश्किल है, दवाईया और ट्रीट्मन्ट बस ब्रैन मे बढ़ने वाली सूजन को, सरदर्द और कमजोरी को कंट्रोल कर रहा है लेकिन इस सब से ये बीमारी पूरी तरफ ठीक नहीं हो सकती” बोलते हुए डॉक्टर अवस्थी रुके और उन तीनों को देखा फिर आगे बोलना शुरू किया
“ट्रीट्मन्ट के साथ साथ पैशन्ट को एक्स्ट्रा केयर की भी जरूरत है, ऐसा कुछ नहीं करना है जिससे सरदर्द, सर्दी बुखार कमजोरी जैसा कुछ हो, मैंने अक्षिता को ठंडी चीजों से जैसे आइसक्रीम कोल्डड्रिंक से एकदम दूर रहने कहा था, ठंडा पानी और बारिश मे भीगना भी उसकी सेहत के लिए घातक हो सकता है उसमे वो claustrophobic है तो थोड़े एक्स्ट्रा केयर की जरूरत है, कीसी भी तरह का कोई भी स्ट्रेस उसके लिए सही नहीं है” डॉक्टर ने कहा
रोहन और स्वरा इसमे से कई बाते जानते थे अक्षिता ने ही उन्हे बताया था इसीलिए वो पार्टी वाली रात अक्षिता को नशे मे देख ज्यादा चिंतित थे, उन दोनों ने एकांश को देखा जो अपने आप को कंट्रोल करे वहा बैठा था, उसके दिल मे अलग ही उथल पुथल मची हुई थी, उसके मन को ये गिल्ट घेरने लगा था के अक्षिता की हालत इतनी खराब थी फिर भी वो उससे ऑफिस मे जबरदस्ती काम करवाता रहा, हालांकि इसमे उसकी गलती नहीं थी उसे तो ये सब पता ही नहीं था लेकिन अब वो बाते रह रह कर उसके दिमाग मे आ रही थी के अक्षिता को उस वक्त कैसा लग रहा होगा
“डॉक्टर अक्षिता के बचने का कोई चांस है?” स्वरा ने पूछा
“आइ एम सॉरी लेकिन इस मामले मे उसके बचने का बहुत कम चांस है, बस इन्टर्नल ब्लीडिंग को कंट्रोल करके ही उसे बचाया जा सकता है और इस मामले मे पैशन्ट के पिछले रिपोर्ट्स कुछ ठीक नहीं है ब्रैन के बजे हिस्से मे सूजन बढ़ रही है केस काफी सीरीअस है, ऐसे मे उसके दिमाग की नसे साल भर पहले ही फट सकती थी और अब मुझे डर है कभी भी कुछ भी हो सकता है” डॉक्टर ने नीचे देखते हुए कहा
डॉक्टर की बात सुन एकांश की आँखों से आँसू की एक बूंद गिरी, वो अपने दातों से होंठ दबाए अपने आप को रोने से रोक रहा था
“डॉक्टर कितने पर्सेन्ट चांस है के वो बच सकती है?” एकांश ने पूछा
“मैंने पहले ही कहा है मिस्टर रघुवंशी, उसके बचने का बहुत कम चांस है, नॉर्मली इतने काम्प्लकैशन वाला इंसान जिंदा ही नहीं बच पाता है और अगर वो बच जाए तब भी वो कोमा मे जाने का रिस्क भी है”
“को.. कोमा....?” रोहन
“हा.. और वो कब तक कोमा मे रहे कोई नहीं बता सकता, शायद दिन, महीनों सालों तक या फिर पूरी जिंदगी भी... ये सब बाते पैशन्ट के ब्रैन पर निर्भर करती है के वो दवाइयों और ट्रीट्मन्ट को कैसा रीस्पान्स करता है”
“मैं उसे विदेश लेकर जाऊंगा, दुनिया के बेहतरीन से बेहतरीन डॉक्टर को दिखाऊँगा, मैं उसे बचाने के लिए कुछ भी करने को तयार हु डॉक्टर, आप बस बताइए हम उसे बचाने के लिए क्या कर सकते है और पैसों की चिंता ना करे, मैं चाहिए उतना पैसा खर्चने को तयार हु” एकांश ने एकदम से कहा
“मिस्टर रघुवंशी शांत हो जाइए, मैं समझ सकता हु आप कैसा महसूस कर रहे है लेकिन इस केस मे कोई भी ज्यादा कुछ नहीं कर सकता, मैं पहले ही कई बड़े डॉक्टरस् से बात कर चुका हु, उसका भी यही कहना है के ये सब ब्लीडिंग कितनी सिवीयर है उसपर निर्भर करता है” डॉक्टर अवस्थी ने एकांश को शांत कराते हुए कहा
“तो क्या हम उसे बचाने के लिए कुछ भी नहीं कर सकते?” एकांश ने पूछा
डॉक्टर को भी उसे देख बुरा लग रहा था, वो समझ गए थे के वो उससे प्यार करता था और उसे बचाने के लिए किस्मत से भी लड़ जाने को तयार था
“ऐसे केसेस मे पैशन्ट के बचने का बस 10 पर्सेन्ट चांस होता है” डॉक्टर ने कहा
“क्या?” एकांश ने जैसे ही ये सुना डॉक्टर को देखा
“अक्षिता के बचने का 105 चांस है?” एकांश ने थोड़ा खुश होते हुए पूछा
“हा... लेकिन ये सब बस पैशन्ट के ब्रैन और ब्लीडिंग कितनी सिवीयर है उसपर है और जैसा मैंने अभी बताया उस 10% मे भी 4% चांस है के पैशन्ट कोमा मे चला जाए” डॉक्टर ने कहा
“और बाकी 6%” एकांश ने पूछा
“पैशन्ट बच तो जाएगा लेकिन पहले जैसा नहीं रहेगा” डॉक्टर ने कहा
“इसका क्या मतलब है?” स्वरा ने पूछा
“मतलब के शायद पैशन्ट अपाहिज हो जाए, ब्रैन के किस हिस्से मे चोट है देखते हुए disability आ सकती है, कई मामलों मे पैशन्ट पैरलाइज़ हो सकता है, लेकिन ये सब ब्रैन का कौनसा हिस्सा डैमिज है उसपर है, कई बाते है, शायद पैशन्ट हमेशा के लिए अपनी आँखों की रोशनी खो दे या बेहरा हो जाए, या भी हो सकता है उसकी याददाश्त चली जाए” डॉक्टर ने डीटेल मे समझाया
उस रूम मे एकदम शांति थी कोई कुछ नहीं बोल रहा था हर कीसी के दिमाग मे अपने खयाल चल रहे थे और इस शांति हो भंग किया एकांश ने
“लेकिन वो जिंदा तो रहेगी न? मेरे साथ तो रहेगी न”
एकांश की बात पर रोहन स्वरा और डॉक्टर ने चौक कर उसे देखा
“मैं उसे बचाने का ये 6% चांस नहीं खोना चाहता डॉक्टर, मैं उसे अपने साथ जिंदा देखना चाहता हु, मैं उसे और नहीं खोना चाहता, मैं उसे बचाने का कोई मौका नहीं छोड़ूँगा, आप प्लीज कभी एक्स्पर्ट्स से स्पेशलिस्टस् से बात कीजिए और उसे जैसे बचाया जाए देखिए, अगर उसके बचने का 1% भी चांस है तो मैं ये चांस लेने तयार हु” एकांश ने कहा और डॉक्टर ने हा मे गर्दन हिला दी
“लेकिन उसे बचाने के लिए पहले उसे ढूँढना पड़ेगा ना, हमे तो यही नहीं पता के वो है कहा” स्वरा ने कहा
“डॉक्टर क्या आप बता सकते है के अक्षिता आखरीबार चेकअप के लिए कब आई थी?” रोहन ने पूछा
“पिछले हफ्ते..”
“क्या आप बता सकते है क्या बात हुई थी? उसने कुछ बताया था कही जाने के बारे मे?” एकांश ने पूछा
“नहीं, बस नॉर्मल चेकअप था, हमने कुछ टेस्टस किए थे, उसने मुझसे पूछा था के अब उसके पास कितना वक्त बचा है”
“और आपने क्या कहा?” एकांश ने पूछा
“वही जो आपको बताया है, पहले तो मैंने जब कहा के सब ठीक है उसे खुद को यकीन नहीं हुआ, मैंने उसे कहा था के सही ट्रीट्मन्ट उसका लाइफस्पैन बढ़ा सकता है लेकिन उसे देख कर ऐसा लग रहा था उसने सारी उमीदे ही छोड़ दी है, उसने किस्मत से समझौता कर लिया है” डॉक्टर ने कहा
अक्षिता ने ही अपने बचने की सभी उम्मीदे छोड़ दी है ये जानकर एकांश का भी चेहरा उतार गया था और अब एकांश से और बर्दाश्त नहीं हुआ वो वही डॉक्टर के चैम्बर मे रोने लगा था, रोहन और स्वरा की हालत भी कुछ अलग नहीं थी लेकिन एकांश का गम उनके आगे अभी बड़ा था, एकांश एकदम टूटा हुआ था और इतना सब पता करने के बाद भी कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था...
एकांश को ये सोच कर और रोना आ रहा था के अक्षिता ने उसे क्यू छोड़ा, वो नहीं चाहती थी के कीसी को उसकी कन्डिशन का पता चले...
“उसकी अगली अपॉइन्ट्मन्ट कब है डॉक्टर?” स्वरा ने पूछा
“अगले हफ्ते... और उसने कहा है वो जरूर आएगी” डॉक्टर ने कहा
“डॉक्टर प्लीज जब वो आए तब हमे इन्फॉर्म कीजिएगा, वो सब कुछ छोड़ कर चली गई है और हम उसे नहीं ढूंढ पा रहे है, वो जब आए प्लीज हमे बताइएगा” रोहन ने कहा जिसपर डॉक्टर ने हा मे गर्दन हिलाई
“जरूर”
“और प्लीज उसे हमारे बारे मे कुछ पता मत चलने दीजिएगा, ना ही ये बात के हम उसकी बीमारी के बारे मे जानते है” एकांश ने कहा
“ठीक है”
जिसके बाद अब बात करने को या जानने को कुछ नहीं बचा था, वो तीनों डॉक्टर के केबिन से निकल आए थे हर कीसी के दिमाग मे अपने अलग विचार चल रहे थे, अस्पताल का स्टाफ भी कुछ देर पहले वाले एकांश और अभी के एकांश को देख हैरान था, कहा कुछ देर पहले वो अपने ऐरगन्स के साथ आया था वही अब आँसू लिए जा रहा था...
एकांश को देख ऐसा लग रहा था जैसे वो कंधों पर लाश लिए चल रहा हो, उसने हार नहीं मानी थी लेकिन जीतने का मौका भी कम ही नजर आ रहा था, आंखे लाल हो गई थी और चेहरे पर डर था...
सीना भरी हो गया था और गला सुख गया था... अगले हफ्ते अक्षिता यही इसी अस्पताल मे आने वाली थी लेकिन तब तक उसे कुछ हो गया तो.... यही खयाल रह रह कर एकांश के दिमाग मे आ रहा था... दिल मे एक टीस उठ रही थी ऐसी जैसे कोई बार बार खंजर से उसपर वार कर रहा हो...
एकांश ने ठीक से चला भी नहीं जा रहा था, एक बार तो वो लड़खड़ाया भी जब रोहन ने उसे संभाला...
वो तीनों पार्किंग मे थे, कोई कुछ नहीं बोल रहा था, आगे क्या करना है कीसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था...
“उसे कुछ नहीं होगा सर... हम है ना हम ढूंढ लेंगे उसे” रोहन ने एकांश को समझाते हुए कहा
“हा सर, ऊपरवाला कोई ना कोई रास्ता जरूर निकालेगा” स्वरा ने कहा
एकांश को क्या बोले समझ नहीं आ रहा था, वो डरा हुआ था दुखी था... आगे के सारे रास्ते धुंधले नजर आ रहे थे लेकिन रास्ता तो निकालना था.... अक्षिता को ढूँढना अभी बाकी था.... सफर अभी बाकी था....
एक लड़की कॉफी शॉप मे बैठी अपनी कॉफी आने का इंतजार कर रही थी, उसे उसका फोन नहीं मिल रहा था तो वो अपने फोन अपनी बैग मे ढूँढने लगी और तभी
“क्या मैं यहा बैठ सकता हु?”
उसने ये आवाज सुनी और उस स्वज की ओर देखा के ये कौन है
जैसे ही उस लड़की ने उस आवाज के मालिक को देखा वो उसे पहचान गई थी जो उसकी ही ओर देखते हुए स्माइल कर रहा था और वो कुछ समय तक उसकी मुस्कुराहट मे खो गई थी उसकी आंखे मानो उसे उसकी अपनी ओर खिच रही थी, मानो वो आंखे उससे बहुत कुछ कहना चाह रही हो...
वही वो लड़का भी उसे देख रहा था, उसकी सादगी भरी खूबसूरती को निहार रहा था, वो अपनी जिंदगी मे कभी भी ऐसी लड़की से नहीं मिला था जो बिना मेकअप भी इतनी सुंदर लगे... उसके भी दिल की धड़कने बढ़ने लगी थी...
कुछ पालो तक वो दोनों ही एकदूसरे को देखते हुए खोए से वहा खड़े थे तब तक जब तक वेटर वहा कॉफी लेकर नहीं आ गया, वेटर ने जैसे ही कॉफी टेबल पर रखी वो दोनों भी होश मे आए, उस लड़की ने शर्मा कर नजरे झुका ली और उस लड़के ने भी मुस्कुरा कर चेहरा घुमा लिया...
“आपने अभी तक जवाब नहीं दिया” उस लड़के ने कहा
“हह... क्या?” उसने कन्फ़्युशन मे पूछा
“क्या मैं यहा बैठ सकता हु?” उसने उस लड़की को देख पूछा
“हा हा ओफकोर्स” उसने कहा
वो थोड़ा हसा और उसके सामने की खुर्ची पर बैठा और मेनू को देखने लगा और वो उस लड़के को देखने लगी, उसने अपने लिए ब्लैक कॉफी ऑर्डर की और फिर शुरू हुआ बातों को सिलसिला.. दोनों की ही बातों से ऐसा लग रहा था मानो दोनों एकदूसरे को सालों से जानते हो, वो एकदूसरे के साथ काफी कम्फ्टबल थे, काफी कम समय मे वो काफी अच्छे दोस्त बन गए थे... मॉल मे हुई उस मुलाकात के बाद ये बस उनकी तीसरी की मुलाकात थी...
कुछ देर और बात करने के बाद और अपनी कॉफी खतम कर वो कैफै से बाहर आए....
“it was nice talking to you Akshita” उसने मुसकुराते हुए कहा
“same here Ekansh but please call me akshu, मेरे सभी दोस्त मुझे अक्षु कहकर ही बुलाते है” अक्षिता ने भी मुसकुराते हुए जवाब दिया...
“ओके लेकिन फिर तुम्हें भी मुझे मेरे निकनेम से बुलाना होगा” एकांश ने कहा
“और वो क्या है”
“जो तुम्हें पसंद हो, मेरा कभी कोई निकनेम नहीं रहा है” एकांश ने कहा
“रियली??” अक्षिता के चेहरे पर एक अलग ही ग्लो था जिसे देख एकांश को भी काफी अच्छा लग रहा था, वो उसकी ओर खिचा जा रहा था
“यप” एकांश ने कहा
और अक्षिता एकांश को देख कुछ सोचने लगी वही एकांश बस उसे देख रहा था
“आइ गॉट इट” अक्षिता ने एकदम से कहा
“क्या?”
“अंश”
और बस एकांश ने जैसे हाइ उसके मुह से अपने लिए ये नया नाम सुना वो वही फ्रीज़ हो गया, वो इस पल को सँजो लेना चाहता था... उसे वो नाम काफी अच्छा लगने लगा था और उससे भी स्पेशल था ये अक्षिता का दिया नाम था... एकांश ने अक्षिता को देखा जो एकांश के रीस्पान्स की हि राह देख रही थी
“क्या हुआ? पसंद नहीं आया?” अक्षिता ने पूछा, उसका चेहरा उतारने लगा था जिसे देख एकांश एकदम बोला था
“नहीं नहीं, आइ लव्ड इट” एकांश ने एकदम कहा जिससे अक्षिता के चेहरे पर भी बड़ी सी स्माइल आ गई
“तो बस अब से मैं तुम्हें यही कह कर बुलाऊँगी” अक्षिता ने कहा
“बिल्कुल, और इस नाम से मुझे बुलाने का हक बस तुम्हें है कीसी और को नहीं” एकांश ने कहा जिसपर क्या बोले अक्षिता को कुछ समझ नहीं आया, अक्षिता को स्पेशल वाला फ़ील आ रहा था
“ओके”
वो लोग अब चलते हुए अपनी गाड़ियों तक आ गए थे, एकांश अपनी कार के पास था वही अक्षिता अपनी बाइक की ओर बढ़ रही थी और तभी जाते जाते अक्षिता रुकी, उसने मूड कर एकांश को देखा और कहा
“बाय अंश” और आगे बढ़ गई....
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एकांश झटके के साथ पुरानी याद से बाहर आया जब उसने अपने आसपास कुछ आवाज सुनी... उसने देखा के रोहन और स्वरा उसके सामने की खुर्ची पर बैठ रहे थे और वो इस वक्त उसी कैफै मे था...
“तो यहा है आप” स्वरा ने कहा
“फाइनली मिल गए” रोहन बोला
“तुम दोनों यहा क्या कर रहे हो?” एकांश को उनको वहा देख सवाल किया
आज उन्हे अक्षिता को ढूंढते हुए तीन दिन हो गए थे लेकिन अक्षिता का कही कुछ पता नहीं चल रहा था... लेकिन इन तीन दिन मे एकांश, स्वरा और रोहन अब बस बॉस और एम्प्लोयी नहीं थे थोड़ी दोस्ती बन गई थी... स्वरा मुहफट थी तो वो अब ये बात भूल चुकी थी के एकांश उसका बॉस है और एकांश भी अब ज्यादा लोड नहीं लेता था, उसके लिए इस वक्त अक्षिता का मिलन सबसे ज्यादा जरूरी था
“आपको पता है न इस चीज को फोन कहते है और जब ये बजे तब इसे उठा कर जवाब देना होता है” स्वरा एक एकांश को उसका फोन दिखाते हुए कहा और उसके इस तंज पर एकांश कुछ नहीं बोला बस उसने उसे घूरा जिसका स्वरा पर कोई असर नहीं हुआ
“तो अब हमारे कॉल ना उठाने का रीज़न हम जान सकते है?” रोहन ने सवाल किया
“मुझे तुम लोगों को कुछ इक्स्प्लैन करने की जरूरत नहीं है” एकांश ने कहा
“एकांश प्लीज अपने आप को ऐसे अलग मत करो तुम अकेले नहीं हो” स्वरा ने कहा
“तुम लोग यहा क्या कर रहे हो” एकांश ने वापिस वही सवाल किया
“अक्षिता को के बारे मे पता कर रहे थे फिर यहा आए तो आप मिल गए” रोहन ने कहा
“कुछ पता चला?”
“नहीं” उन दोनों ने कहा
“और आपको?” स्वरा ने पूछा
“मैं उसे हर जगह ढूंढ रहा हु, हर पब्लिक प्लेस पर रेस्टोरेंट मे यहा तक के हर अस्पताल भी छान लिया है, पुलिस मे भी गया था लेकिन उनका कहना है के वो खुद गई है गायब नहीं हुई है, ऊपर से प्रेशर बनाया है उनपर देखते है क्या पता चलता है... फिलहाल तो कुछ पता नहीं है” एकांश ने हताशा के साथ कहा
“लेकिन वो जा कहा सकती है?” रोहन
“मुझे याद है उसने एक बार बताया था, उसका कही कोई रिश्तेदार नहीं है, दादा दादी थे लेकिन अब वो नहीं रहे, बस उसके पेरेंट्स ही उसकी फॅमिली है, और वो बचपन से इसी शहर मे रही है” स्वरा ने बताया
“तो?”
“तो ये ये वो इस शहर से बाहर तो नहीं गई है, मतलब जाएगी भी कहा और मुझे नहीं लगता के उसके पेरेंट्स उसकी डॉक्टर के साथ अपॉइन्ट्मन्ट मिस होने देंगे, तो हो ना हो वो है इसी शहर मे लेकिन उसे ढूँढना भूसे के ढेर मे सुई ढूँढने जैसा है” स्वरा ने कहा
“हम्म... ये बात नहीं सोची मैंने, मैं पुलिस को भी इस बारे मे इन्फॉर्म करता हु हो सकता है वो जल्दी पता लगा सके और आसपास के इलाकों मे भी खोजबीन शुरू करवाता हु” एकांश ने कुछ सोचते हुए कहा
“अमर को कुछ पता चला?” स्वरा ने पूछा
“नहीं, उसने एक डिटेक्टिव भी हायर किया है लेकिन उसने कहा के जो डिटेल्स हमने दी है वो काफी नहीं है, ऐसे मे उसे ढूँढना आसान काम नहीं है” एकांश ने निराशा के साथ कहा
“क्या? वो पागल है क्या? और आपका दोस्त कीसी काम का नहीं है जो ऐसा डिटेक्टिव ढूंढा, अगर हमपे सारी डिटेल्स होती तो हम खुद न ढूंढ लेते डिटेक्टिव की जरूरत की क्या थी? ये तो उसका काम है न अक्षिता को ट्रैस करना” स्वरा ने गुस्से मे चिल्ला के कहा
“मैंने भी उसे यही कहा, और अमर बोला के डिटेक्टिव को थोड़ा वक्त चाहिए” एकांश ने कहा
“वक्त ही तो नहीं है हमारे पास और प्लीज उससे कहो आसपास पता लगाये”
“हम्म बोल दूंगा”
“लेकिन हम बस डिटेक्टिव या पुलिस के भरोसे नहीं रह सकते हमे भी खोज करते रहना होगा” रोहन ने कहा जिसपर बाकी दोनों ने भी हामी भरी
“आप इस कॉफी शॉप मे बस बैठ कर सोचने आते है क्या?” स्वरा ने अचानक सवाल किया और एकांश ने उसकी ओर देखा
“क्या?”
“हम कुछ ऑर्डर क्यू नहीं कर रहे?”
एकांश मे अब और इससे बहस करने की हिम्मत नहीं थी इसीलिए उसने वेटर को बुला कर स्वरा के लिए खाना ऑर्डर किया और वो वापिस अब आगे क्या करना है इसपर बात करने लगे, एकांश डॉक्टर अवस्थी के भी टच मे था, और जिस दिन अक्षिता का चेकअप के लिए अपॉइन्ट्मन्ट था वो तारीख उसके दिमाग मे थी लेकीन तब तक वो खाली नहीं बैठ सकता था....
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रात के 11 बज रहे थे, दिमाग भर अक्षिता को ढूंढ कर उसके बारे मे पता लगाने की कोशिश के बाद एकांश अपने घर मे आ गया था, वो अपने कमरे मे जमीन पर लेटा ऊपर छत को देख रहा था, उसके दिमाग मे उसकी और अक्षिता की पुरानी यादों की फिल्म चल रही थी, प्यार के वो पल गुजर रहे थे और आँखों से आँसू बह रहे थे... अक्षिता की तस्वीर सीने से लगी हुई टी
पिछले कुछ दिन एकांश के लिए ऐसे ही बीते थे, दिन अक्षिता को खोजने मे जाता और रात उसकी यादों मे बीतती, अक्षिता की तस्वीर को देखते हुए कब उसे नींद आती पता भी नहीं चलता था..
एकांश अपने खयालों मे खोया हुआ था के उसका फोन बजने लगा लेकिन वो इस कदर सोच मे डूबा था के उसे सुनाई ही नहीं दिया... जन फोन तीसरी बार बजा तब एकांश की तंद्री टूटी और उनसे फोन की तरफ देखा, उसे फोन उठाना ही नहीं था ना ही कीसी से बात करनी थी फोन वापिस बजना बंद हो गया और जब वापिस बजा तो एकांश ने फ्रस्ट्रैट होकर किसका फोन आ रहा है देखा तो पाया के स्वरा का कॉल था... वो इस वक्त क्यू कॉल कर रही है सोच एकांश ने फोन रिसीव किया हो सकता है उसे कुछ पता चला और और इसके पहले वो कुछ बोलता सामने से आवाज आई
“रोहन हमारा सडू बॉस वापिस फोन नहीं उठा रहा” स्वरा को पता ही नहीं था के एकांश लाइन पर है
“फिरसे एक बार ट्राइ करो” रोहन ने कहा
“ऑलरेडी 5 बार ट्राइ कर चुकी हु”
“शायद हो गया होगा”
“11 बजे है बस वो इतनी जल्दी सोने वालों मे से नहीं है वो जान कर मेरा फोन नहीं उठा रहा” स्वरा ने कहा
“तो उसके उस ईडियट दोस्त को लगाओ” रोहन ने कहा
“कौन? अमर? उसे मैसेज किया है वो कुछ देर मे पहुचने वाला होगा”
इन दोनों को खबर भी नहीं थी के एकांश इनकी बाते सुन रहा था
“ये ईडियट फोन क्यू नहीं उठा रहा यार!!” स्वरा ने वापिस कहा और तभी एकांश बोला
“मैं सब सुन रहा हु स्वरा”
और बस अब स्वरा की बोलती बंद
“एकांश...! ओह! हाउ आर यू” अब क्या बोले उसे सूझ ही नहीं रहा था
“कॉल क्यू किया वो बताओ”
“आप हमसे मिलने आ सकते हो अभी?” स्वरा ने पूछा
वैसे तो उसे पूछने की जरूरत नहीं थी वो बस कहती तो भी एकांश इस वक्त आ जाता क्युकी वो उन्हे ट्रस्ट करने लगा था...
“इस वक्त?”
“हा”
“क्यू?”
“उफ्फ़ कितने सवाल, सब बताती हु पहले आओ और अब कुछ मत पूछना” स्वरा ने कहा
“हा ठीक है लेकिन आना कहा है वो बताओ” एकांश ने पूछा
जिसके बास स्वरा ने एकांश को पता बताया जिसे सुन एकांश थोड़ा चौका के वो उसे वहा क्यू बुला रही है? लेकिन फिर फोन काटा और वहा जाने निकला, उसके दिमाग मे बस ये चल रहा था के शायद स्वरा को कुछ पता चला हो
एकांश अब स्वरा और रोहन को ट्रस्ट करने लगा था क्युकी ना सिर्फ वो अक्षिता के अच्छे दोस्त थे बल्कि उन्होंने उसकी भी काफी मदद की थी और अगर स्वरा नहीं होती तो शायद एकांश अब भी अक्षिता के जाने के गम मे अपने कमरे मे बंद रहता... लेकिन अब उसे एक नई उम्मीद मिली थी और एकांश इसे नहीं छोड़ सकता था.......