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रात को सैम महक और नजमा के सोने के बाद जब निदा के रूम में पहुँचा तो उसे पहला झटका लगा। दोनों माँ बेटी जाग रहे थे और नाइटी में बैठी बातें कर रहे थे। जब उनकी नजर सैम पे पड़ी तो निदा के साथ-साथ जेबा भी थोड़ा सा शर्मा गयी।
निदा फौरन उठके रूम का दरवाजा बंद कर देती है।
जेबा- आओ सैम यहाँ बैठो मेरे पास।
पहले सैम को थोड़ी झिझक सी महसूस हुई फिर उसने खुद को संभाल लिया और जेबा के पास जाके बैठ गया।
जेबा ने हल्की गुलाबी नाइटी पहनी हुई थी और शायद अंदर कुछ नहीं था।
जब निदा सैम के पीछे से आके उसके गले मेँ बाहेँ डालती है तो सैम समझ जाता है की आज कुछ स्पेशल होने वाला है।
निदा- “क्या हुआ सैम बड़े चुप-चुप से हो.
सैम- निदा को अपनी गोद में गिरते हुये- “नहीं मेरी भाभी जान, बस सोच रहा हूँ की आज मौसम बड़ा बेईमान है आज मौसम...”
निदा- “क्या इरादा है देवरजी...”
सैम- बड़ा ही नेक इरादा है बस आपकी अम्मी ने हाँ कर दिया। सैम जेबा को ही देखकर ये सब कह रहा था।
जेबा अचानक अपने नाइटी गर्दन से निकालकर फेंक देती है- “जब मेरी बेटी तुम्हारी हो गयी है बेटा तो माँ क्यूँ नहीं...” निदा अपनी अम्मी की इतनी हिम्मत पे दाद दिए बिना ना रह सकी और जवाब में उसने अपने नाइटी के साथ-साथ सैम के पैंट की जिप भी खोल दी और धक्का देके दोनों माँ बेटी ने सैम को बेड पे लेटा दिया।
सैम मुश्कुराता हुआ- लगता है आज तुम दोनों माँ बेटी मिलके मेरा बलात्कार करने वाले हो.
जेबा- हाँ रात भर...
निदा जो सैम की पैंट उतार चुकी थी, वो जेबा का हाथ पकड़के सैम के अंडरवेर में डाल देती है।
जेबा- अहह... कितना बड़ा और मोटा है निदा बेटी इसका। उससे रहा नहीं जाता और जेबा एक झटके में सैम का अंडरवेर खींच लेती है, और कोबरा अपना फन फैलाता हुआ दोनों माँ बेटी को उसने सर उठा लेता है।
जेबा चुदाई में पी-एच-डी. कर चुकी थी। उसे पता था की मर्द को बिना थके कैसे रात भर मजे ले सकते हैं.
निदा अपनी जुबान सैम के लण्ड पे फेरती है।
जेबा- “रुक जा बेटा... ऐसे करेगी तो पानी छोड़ देगा सैम और हम प्यासे ही मर जायेंगी...”
जेबा एक रब्बर बैंड उठाके सैम के आंडे पे बाँध देती है। सैम को थोड़ा दर्द होता है पर वो जोश में सब बर्दाश्त कर जाता है।
जेबा- “आ जा बेटी दोनों मिलके मलायी खाते हैं।
निदा- हाँ अम्मी... और दोनों माँ बेटी सैम को अपने मुँह में लेके चूसने लगते हैं गल्लपप्प्प... गल्नपप्प्प... अहह… उऊन्ह ऊईई गलपपण्प्प... गलपप्प्प...
जेबा बीच-बीच में निदा की चूत भी मसलने लगती है जिससे निदा उछल जाती थी।
दोनों माँ बेटी ऐसे बिहेव कर रही थीं जैसे लेज़्बीयन हो और कोई पेशेवर कोठे की रांड़ हों। असल बात तो ये थी की कल रात जबसे जेबा ने सैम से निदा को चुदते देखी थी उसकी चूत मचलने लगी थी।
उसने अपनी बेटी को भी राजी कर ली थी की वो भी सैम से चुदवाना चाहती है, अपने अकेलेपन का बहाना बनके वो निदा को ब्लैकमैल करने में कामयाब हो गयी थी और उसका नतीजा ये था की दोनों सैम के लण्ड पे टूट पड़े थे।
सैम- अहह... आराम से निदा अहह... खाला जान उूउउ मेरे लण्ड में दर्द हो रहा है। और सच में जैसे-जैसे सैम का लण्ड अकड़ रहा था उसके आंडे पे भी दबाव बढ़ रहा था। ऊपर से जेबा ने उसपे रब्बर बैंड बाँध रखी थी जिससे सैम को दर्द होने लगा था।
जेबा- बस कुछ देर बेटा गलपप्प्प... गलपप्प्प...
निदा- निकल दो ना रब्बर बैंड सैम को दर्द हो रहा है ना।
जेबा- जैसे ही रब्बर बैंड निकालते हैं, सैम के तेज पानी की धार सीधा निदा के हलक में जाके गिरने लगती है।
सैम- अहह... साली मार देगी क्या हाआअ उठ...
जेबा- निदा पी जा सारा पानी एक कतरा भी नीचे गिरा ना तो तुझे सैम से चुदने नहीं दूँगी आज रात मैं...
निदा- गलपप्प्प... गलपप्प्प.. एक-एक कतरा चाटते चली जाती है गलपप्प्प... गलपप्प्प...
जब निदा सारा पानी चाट चुकी थी तो जेबा उसे इशारे से सैम के सर के पास जाने को कहती है और खुद सैम के लण्ड को चूसने लगती है। सैम के पास जैसे ही निदा आके बैठती है।
जेबा- “गलपप्प्प... गलपप्प्प... सैम बेटा चाट ले अपने भाभी की चूत गलपपण्प्प... गलपप्प्प...”
निदा- अपने दोनों पैर खोलके सैम के मुँह पे अपनी चिकनी चूत लगा देती है अहह... अम्मी गगग...
सैम भी यही चाहता था। वो निदा की चूत को बड़े प्यार से चाटने लगता है गलपप्प्प... गलपप्प्प... दिलकश मंजर था माँ लण्ड चूसने में बिजी थी और बेटी चूत चुसवाने मैँ। तीनों अपनी-अपनी दुनिया मेँ गुम थे।
जेबा की जबरदस्त चुसाई से सैम का लण्ड पल भर में फिर से खड़ा होने लगा था। वहीं निदा की चूत से रिस-रिस कर पानी सैम के मुँह में गिरने लगता है।
गल्पप्प्प... गल्नपप्प्प... उनह... आअहह... पूरे रूम में बस यही सब गूँज रहा था।
सैम का लण्ड खड़ा हो चुका था और बस उसे तलाश थी अपनी पहली चूत की। वो जेबा को खींचता है- खाला जान जरा इधर तो आओ जी।
जेबा- अहह... हाँ मेरे बच्चे।
सैम जेबा की टाँगे फैलाकर उसपे चढ़ जाता है और अपने लण्ड को जेबा की चूत पे घिसने लगता है अहह...
जेबा- अहह... बेटा डालदे ना हाँ अंदर उनह...
सैम- पहले बोल... चोद मुझे बेटा अहह...
जेबा- हाँ... सैम चोद ना... बेटा मुझे चोद ना अपने खाल को। हाँ चोद डात्र मुझे, मेरी बेटी की सामने अहह... वो दीवानी हो चुकी थी और जल्द से जल्द सैम के लण्ड को अपने चूत की गहराइयों में समाना चाहती थी।
सैम- निदा को देखता है जो अपनी चूत के दाने को मसलते हुई ये सब देख रही थी।
सैम- भाभी जरा अपनी अम्मी की मुँह पे चूत तो लगाओ वरना ये चिल्ला-चिल्लाकर सबको उठा देंगी।
निदा- वैसा ही करते है और अपनी अम्मी के मुँह पे चूत टिका देती है। पहले उसे थोड़ी शरम महसूस हुई और जैसे ही निदा की चूत जेबा के होंठो से टकराइ सैम का लण्ड जेबा की चूत में घुसता चला गया अहह... खाला हाआआअ
जेबा- “उनह... नहीं स्शस्स्स्स्सस्स अहह... मेरीइड़ घूनणन् घगघह उसकी चूत में तेज जलन होने लगती है कई महीनों से बंद पड़े गोदाम की आज साफ सफाए हो रही थी।
सैम- भाभी जरा दबाकर अहह... साली बहुत चिल्लाती है।
जेबा- अहह... कमीने लोहे का सरिया अंदर डालेगा तो चिल्लारऊँगी नहीं तो क्या खुशी मनाऊँगी हाँ मेरी चूत का क्या हाल कर रहा है रे जालिम्म्म। पर आज जालिम का राज था और वो अपने जुल्म से माँ बेटी को फना कर देना चाहता था।
एक तरफ निदा अपनी चूत जेबा के मुँह पे घिसते जा रही थी और नीचे सैम जेबा के दोनों पैरों को फैलाये दनादन अपना लण्ड अंदर घुसाता चला जा रहा था अहह...
सैम- अहह... बहुत नरम है खाला आपकी चूत... कशम से बहुत मजा आ रहा है हाँ...
जेबा- “हाँ बेटा ऐसे ही अहह... ओईईए माँ गलपप्प्प... गलपप्प्प..” जेबा को समझ में नहीं आ रहा था की बेटी की चूत चुसाई या सैम के धक्कों को बर्दाश्त करे पर उसका अंग अंग सिहर उठा था।
निदा- अहह... अम्मी और जोर से अहहह... निदा चीखती हुई अपना पानी जेबा के मुँह पे छोड़ने लगती है। भला एक बेटी अपनी माँ की चुदाई देखकर और उसी माँ से चूत की चुसाई कराके कैसे जल्दी नहीं झड़ेगी अहह...
जेबा का मुँह निदा के चिपचिपे पानी से पूरी तरह भीग चुका था पर सैम उसे ना उठने दे रहा था और ना कुछ बोलने। सैम और निदा दोनों मिलके जेबा के मुँह पे लगा पानी चाटने लग जाते हैं
जेबा- “अहह... ओइईई... मूसल लण्ड है रे सैम बेटा... हाँ मेरा ये हाल हो रहा है, पता नहीं मेरी बेटी कैसे लेती होगी अहहह...
सैम जेबा के ऊपर पूरा लेटकर गल्॒पप्प्प.. बस खाला आपकी बेटी भी आपके जैसे ही है। सटा-सट लण्ड जेबा की चूत में चल्ला जा रहा था और निदा अपनी अम्मी के मुँह पे गिरा अपनी चूत का पानी चाटते जा रही थी। ये
चुदाई अगले 10 मिनट और इसी तरह चली और फिर सैम के साथ-साथ जेबा भी झड़ने लगती है हाआआअ… ऊडईई...
निदा अपनी चूत को घिसघिसकर थकान महसूस कर रही थी।
सैम जैसे ही उठके रूम से अटैच्छ बाथरूम में घुसता है उसके पीछे-पीछे निदा भी चली जाती है।
सैम- भाभी मुझे पेशाब करने तो दो
निदा- करो ना ना मैंने कब रोका है, मुझे भी जोर की लगी है सोचा साथ में कर लेती हूँ।
सैम- अपने लण्ड को हाथ में पकड़के मूतने की कोशिश करता है पर उसे पेशाब नहीं होता और उसे जोर से दर्द महसूस होता है अहह... वो कराहने लगता है।
शायद सीमेन गाढ़ी होने से उसके पेशाब की नली में अटक गयी थी, जिससे पेशाब बाहर नहीं निकल रहा था और इस वजह से सैम को जलन और दर्द दोनों हो रहे थे।
निदा घबरा जाती है- क्या हुआ सैम तुम ठीक तो हो ना...
सैम- अहह... भाभी दर्द हो रहा है और पेशाब भी नहीं आ रहा।
निदा- नीचे बैठके उसके लण्ड को इधर-उधर हिलाके देखती है और फिर थोड़ा मसलते है, पर कोई असर नहीं होता बलकी सैम का दर्द और बढ़ जाता है।
सैम- अहह... प्लीज़ भाभी कुछ करो ना मुझसे ये दर्द बर्दाश्त नहीं होता।
निदा- बाहर रूम में बैठी जेबा को आवाज देके बुला लेती है और उसे बताती है की माजरा क्या है.
जेबा जान गयी थी की सैम को पेशाब क्यूँ नहीं हो रहा है। वो नीचे बैठ जाती है और मुँह में थोड़ा सा पानी लेके सैम का लण्ड अपने मुँह में घुसा लेती है और जोर से फूक मारती है जिससे पानी सैम के पेशाब की नली में चला जाता है और वो रुकावट हट जाती है।
जैसे ही वो रुकावट हटती है तेज पेशाब की धार सीधा जेबा के मुँह में गिरने लगती है स्शह... ष्ह...
जेबा और मुँह खोल देती है और सैम का पेशाब पीती चली जाती है। पास में बैठी निदा ये सब देख रही थी।
जेबा- निदा का सर पकड़के सैम का लण्ड उसके मुँह में डालने लगती है। जैसे ही निदा हिचकते हुये मुँह खोलती है,
जेबा निदा की चूत में दो उंगलियां घुसा देती है जिससे निदा अहह... की चीख के साथ अपना मुँह खोल देती है और सैम का मूसल उसके मुँह में भी पेशाब करने लगता है। दोनों माँ बेटी सैम के पेशाब से तर-बतर हो चुकी थीं। मुँह से गिरता हुआ वो पानी उनकी चूचियां के साथ-साथ चूत भी भिगो रहा था।
सैम- अहह... चैन की सांस लेता है और सामने बैठी दोनों औरतों को देखने लगता है जो किसी रंडी की तरह मुँह खोलकर बैठी थीं। सैम का लण्ड उन दोनों की आँखों के सामने लटक रहा था।
निदा की चूत वो चाहती थी पर उसके लिए उसे मेहनत करनी थी सैम के लण्ड को फिर से टाइट करने की। वो जल्दी से अपने मुँह में सैम का लण्ड घुसाकर तेजी से चाटने लगती है और साथ में सैम के आंडे भी मसलती है। उनह...
जेबा- खड़ी होके सैम के मुँह से मुँह चिपका लेती है जेबा के मुँह से आती पेशाब की वो मदहोश करने वाली खुशबू सैम को और पागल बना रही थी।
जेबा अपनी जुबान सैम को चुसा रही थी और सैम भी बड़े प्यार से जेबा का पूरा मुँह और जुबान चाट रहा था गल्पप्प्प... गल्नपप्प्प... नीचे से बेटी ऊपर से माँ दोनों चीज़ें सैम के लण्ड को फौरन खड़ा कर देती है।
सैम- निदा को दीवार से उल्टा करके खड़ा कर देता है और जेबा नीचे बैठ जाती है। निदा की कमर पीछे की तरफ हो जाती है और सैम उसे अपने दोनों हाथों में पकड़के अपना लण्ड उसकी चूत की फांकों में रगड़ने लगता है।
नीचे बैठी जेबा कभी निदा की चूत तो कभी सैम के लण्ड को चाट रही थी। सैम बिना देरी किए अपने लण्ड का दबाओ निदा की चूत पे बढ़ाता है और पच की आवाज की साथ सैम का लण्ड निदा की चूत में घुसता चला जाता है हाआआअ... अहह...
निदा- अपनी कमर पीछे की तरफ करने लगती है और सैम अपना लण्ड उसकी चूत की अंदर तक घुसाता चला जाता है अहह... उन्हें...
जेबा- नीचे से सैम की गाण्ड का सुराख चाटने लगती है जिससे सैम और जोश में आके सटा-सट निदा को चोदने लगता है अहह... अहह... भाभी आपकी अम्मी कमाल की है अहह...
निदा- ऊऊऊओ... उहह... उनह... हाँ अहह... ऐसे ही चुद-चुद के पैदा किए हॉँगी अम्मी ने मुझे अहह... चोदो ना सैम अहह... बड़ा अच्चा लग रहा है अहह... मं तुम्हारे भाई को भूल जाना चाहती हूँ आज से बस तुम मुझे याद आओ दिन रात अहह... मेरी चूत पे सिर्फ़ तुम्हारा हक हो अहह... चोदो मेरे चोदू बलम अहह...
सैम- “हाँ भाभी अहह... मेरी चिकनी चूत वाली भाभी, तुम्हारी चूत बहुत चिकनी है अहह... बिल्कुल फिरोजा खाला की तरह अहह...”
ये अल्फ़ाज निदा के साथ-साथ जेबा को भी चौँका देते हैं।
जेबा- बेटा सैम क्या तूने फिरोज़ा को भी...
सैम- हाँ खाल्ना अहहह... वो भी तुम्हारी तरह ना गरम माल है अहहह... पूरी गाण्ड फाड़ देती है मेरी चोदते वक़्त अहह... बस एक बार अम्मी को चोद दूं अहह...
निदा- उनह... सैम क्या... तुम अपने अम्मीई ऊड़ईई माँ को भी आराम से चोदना चाहते हो अहहह...
सैम- “हाँ भाभी... पर ये बात किसी को पता नहीं चलनी चाहिये, सिर्फ़ हम तीनों की बीच अहह...” वो चुदाई के नशे में सब कुछ बोलता चला गया।
निदा एक नजर नीचे बैठी जेबा पे डालती है और दोनों माँ बेटी के चेहरे पे एक अजीब से मुश्कान आ जाती है।
सैम की रफ़्तार बढ़ने लगती है। निदा जान चुकी थी की सैम बस अब झड़ने ही वाला है क्योंकि निदा की चूत में सैम का लण्ड मोटा और मोटा होता जा रहा था। फिर कुछ जबरदस्त झटकों के बाद सैम अपना पानी निदा के चूत में उड़ेलने लगता है अहह... अहह...
साथ में निदा भी झड़ती चली जाती है ऊड़ईई... अम्मी गगग्गगुनह...
दोनों का मीठा-मीठा पानी जो चूत से होता हुआ नीचे जाँघ पे बह रहा था उसे जेबा बड़े चाओ से चाट रही थी गलपप्प्प... गलपप्प्प...
सैम बुरी तरह थक चुका था। रात के दो बज रहे थे, वो तीनों फ्रेश होके बाहर निकलते है और सैम जब कपड़े पहनके निदा को गुडनाइट किस करने की बाद दरवाजा खोलता है तो उसके साथ-साथ निदा की भी गाण्ड फटी की फटी रह जाती है।
निदा एक तौलिया से अपने जिश्म को लपेटे हुई सैम की बाहों में चिपकी हुई थी और सामने महक आँखें फाड़े खड़ी थी।
सैम का बुरा हाल था महक की आँखों से साफ लग रहा था की वो काफी वक़्त से वहाँ खड़ी थी। लाल आग उगलती हुई वो आँखें सैम और निदा के दिल में खौफ पैदा करने की लिए काफी थी।
महक कुछ नहीं कहती बस उन दोनों को घूरते हुये अपने रूम में चली जाती है।
महक कार के अगले टायर के पास बैठी रो रही थी। उससे वो अभी तक सदमें में थी। सैम उसे सहारा देके उठाता है और बाइक पे बैठाके घर की तरफ चल पड़ता है। महक अभी भी पीछे बैठी-बैठी सिसक रही थी। जैसे ही वो दोनों घर में पहुँचे |
महक वहीं नीचे फर्श पे बैठके जोर-जोर से रोने ल्रगती है- “मुझे माफ कर दो भाई मुझे माफ कर दो अगर आज तुम नहीं आते तो...” बस वो इतना बोलते जा रही थी और आँसू उसके आँखों से लगातार बह रहे थे।
सैम- “महक मेरा बच्चा... ऐसे रोते नहीं ना जब तक तेरा भाई ज़िंदा है तुझे कोई कुछ नहीं कर सकता चल खड़ी हो जा शाबाश...” और सैम महक को अपने कंधे का सहारा देके उसके रूम मेँ ले जाता है।
महक किसी बच्चे की तरह सैम से चिपकी हुई थी। उसे ये भी फिकर नहीं थी की वो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में है।
सैम- “अब रोना बंद भी कर चुप हो जा महक प्लीज़्ज़्ज़्ज़
महक- 'सैम अगर तू सही वक़्त पे नहीं आता तो.
सैम- “मेरी आँखों में देख..” और सैम महक के दोनों गाल पकड़के आपनी तरफ घुमा लेता है- “तू मेरी अमानत है मेरी जान है और जो कोई मेरी जान की तरफ गलत नजर से देखेगा वो जान से मार दिया जायेगा...”
महक को आज पता नहीं उन आँखों में कौन सा समुंदर नजर आ रहा था जिसमें वो डूब के मर जाना चाहती थी। वो खामोश हो चुकी थी पर होंठ अब भी कांप रहे थे, जिश्म अब भी थरथरा रहा था। वो सैम की मजबूत बाहों में समा जाना चाहती थी। सैम उसे कोई फरिश्ते की तरह नजर आ रहा था।
महक- “इतनी मोहब्बत करता है तू मुझसे सैम...”
सैम- कोई शक...
महक- बिल्कुल नहीं...
सैम- वैसे तू इन छोटे से कपड़ों में भी बहुत अच्छी लग रही है।
महक अपने आपको देखते ही और शर्म-ओ-हया के बदल उसे घेर लेते है वो हल्के से सैम की छाती पे मुक्का मारती है और फिर से सैम की छाती से चिपक जाती है। दोनों पानी में भीगे हुये थी। जिश्म की आग बदन के कपड़ों को धीरे-धीरे सुखा रही थी। पर उन्हें ये कपड़े शायद बोझ लगने लगे थे।
दोनों भाई-बहन एक दूसरे की छाती से चिपके लंबी-लंबी साँसें ले रहे थे। अचानक महक के हाथ सैम को और कसने लगते हैं और सैम की भी पकड़ महक पे बढ़ जाती है। बाहर बिजली जोरों से गरजने लगती है। वो हालात, वो लम्हें, वो वक़्त किसी के हाथ में नहीं था।
महक अपना सर उठाके सैम की आँखों में देखती है और सैम अपने दोनों हाथों से महक की ब्रा का हुक खोलने के कगार पे था, बस उसे महक की हाँ का इंतेजार था।
महक पहली मर्तबा अपने नाजुक गुलाबी कॉँपते होंठ सैम के होंठों पे रख देती है- “गल्पप्प्प... गलपप्प्प..” और सैम महक की ब्रा उसकी छाती से निकल देता है।
यही वो पल था जब दो बदन एक होने वाले थे। दोनों भाई-बहन एक दूसरे को हर जगह चूम रहे थे। चेहरे का कोई हिस्सा ऐसा नहीं बचा था जहाँ महक ने सैम को नहीं चूमा होगा।
सैम महक को बेड पे लेटा देता है और नीचे झुकके उसकी पैंटी उतारने लगता है। महक पैंटी पकड़ लेती है और फिर कुछ सेकेंड बाद छोड़ देती है।
सैम महक की पैंटी उसकी कमर से नीचे उतार चुका था। लाल मखमली गुलाबी होंठों वाले महक की चिकनी बिना बाल वाली चूत सैम के मुँह के सामने थी।
सैम अपने होंठों से पहले महक की चूत को चूमता है जिससे उसकी बरसों की सोई हुई चूत जाग जाती है और अपने महबूब की आमद पे खुशियां मानाने लगती है।
सैम दोनों उंगलियों से महक की चूत के होंठों को खोलता है उसे अंदर एक गुलाबी परदा नजर आता है। सैम अपनी जुबान को और बाहर निकालकर उस पर्दे को छूने के लिए अपनी जुबान महक की चूत में घुसाता चला जाता है- गलपप्प्प... गलपप्प्प... गलपप्प्प
महक- दोनों हाथों से बेडशीट पकड़ लेती है। ये पहली मर्तबा था उसकी ज़िंदगी में जब कोई मर्द उसके उस नाजुक हिस्से को चाट रहा था। आज तक तो उसने भी कभी अपने चूत को इतने प्यार से नहीं देखा होगा जितने प्यार से सैम उसे चाट रहा था।
अहह... सैम अहह... मत कर रे ऐसे मुझे अहह... ऊईई अम्मी ज़ी... पता नहीं तू क्या हूँढ़ रहा है रे जालिम अहहह... ये सिसकी, ये जोश सैम को और अंदर तक चूत चाटने पे मजबूर किए जा रहा था- “गलपप्प्प… गलपप्प्प... महक मत रोक मुझे गल्लपप्प्प... गलपप्प्प...”
महक- “अहह... अहह... स्शह...” उसकी चूत का दाना अपने शब्बाब पे था। वो किसी मटर के दाने की तरह फूल गया था।
सैम जानता था की अगर महक झड़ गयी तो शायद वो आगे कुछ ना करने दे। वो जल्दी से अपनी शर्ट और पैंट उतार देता है और जैसे ही वो अपना अंडरवेर उतारता है, महक घबराके अपना चेहरा छूपा लेती है।
सैम महक के ऊपर चढ़ जाता है और दोनों पैरों को घुटनों के पास से मोड़कर ठीक महक की जाँघ की बीच बैठ जाता है, और अपना सख़्त लण्ड हाथ में पकड़के महक की मखमली चूत की फांकों पे घिसने लगता है अहहह...”
महक- “अम्मी अहह... उऊन्ह... नहीं ना सैम अहह...” दोनों की नजरें मिलती हैं और महक ना चाहती हुये भी सैम को हाँ में सर हिला देती है।
सैम अपने लण्ड पे थूक लगाके एक हल्का सा झटका चूत में मारता है जिससे सैम के लण्ड का सुपाड़ा महक की चूत के पर्दे से टकराता है। दूसरा झटका महक की चूत को चीरता हुआ अहहह... अहह... अंदर तक घुसता चला जाता है।
महक- सैम्म्म्मम नहीं अम्मीईई गगग... निकालो नाआआ सैम्म्म्ममम घूनगज्गग घगुगज्नन्
सैम- “महक की चूचियां को मुँह में लेके चूसने लगता है और अपनी कमर आगे पीछे हिलाने लगता है अहह… अहह... बस थोड़े देर महक... कुछ नहीं होगा ना अहह...”
महक- अहह... मुझे दर्द हो रहा है अहह... प्लीज़्ज निकालो ना सैम अहह... मैं मर रही हूँ नाहह...
सैम- “चुप हो जा महक... बस देख हो गया ना हॉआ... अहह... वो रफ़्तार कम नहीं करता और ना ही निपल्स को मुँह में से निकालता है बल्कि और मसल-मसलकर चूसने लगता है। सैम के चोदने की रफ़्तार ऐसी थी की महक बेड में धंसती चली जा रही थी। तकरीबन 5 मिनट के बाद महक खामोश हो जाती है और सिसकने लगती है।
महक- “अहह... आराम से जालिम अहह... आखिर तून अपनी बहन को अपना बना ही लिया हॉआअ...” उसके दोनों पैर सैम की कमर से लिपटे हुये थे।
सैम- हाँ महक... तुझ पे सबसे पहला हक तो मेरा ही है ना हाअआ आखिर तू मेरी बहन है अहह... तुझे नहीं चोदूँगा तो ज़िंदगी किस काम की अहह...”
महक- “अहह... कितनी गंदे बातें करता है रे अहह... धीरे कर ना अहह...”
सैम- “पहले बोल... आराम से चोदो अहह...”
महक- अहह... मुझे शर्म आती है अहह...
सैम- बोलती है की नहीं और सैम दनादन धक्के मारने लगता है अहह...
महक- उनह... अम्मी गगग आराम से चोदो ना सैम्म्म्म अहह... धीरे चोदो ना अपनी बहन को उहनन् अहह...
सैम चाहता था की महक उसकी तरह गंदी बातें सीख जाए और उसके बची हुई शर्म-ओ-हया भी खतम हो जाये अहह...
महक की ये पहले चुदाई थी इसलिए वो सैम का मुकाबला नहीं कर सकी और 10 मिनट बाद ही सैम से चिपकके झड़ने लगती है अहह... सैम्म्म्म मेरे भाई अहह...
सैम अपनी बहन की मोहब्बत में ऐसा दीवाना हुआ की वो भी कुछ धक्कों के बाद चीखता हुआ अहहह... अपनी महक की चूत में पानी की फुहार छोड़ने लगता है। याहह... अहह... सैम महक के ऊपर से हाथ की साइड में लेट जाता है और महक सैम की छाती पे सर रख देती है।
सैम खामोश था उसे यकीन ही नहीं हो रहा था की वो अपनी सगी जुड़ा बहन के साथ वो सब कर चुका जो उसने शायद सोचा नहीं था। उसे तो नजमा की मोहब्बत की तलाश थी पर हाय रे सैम की किस्मत सिवाय नजमा के हर कोई उसे मोहब्बत कर चुका था।
महक सेक्स करने के बाद एक पछतावे के समुंदर में डूब चुकी थी, अक्सर जो हाल हर किसी का होता है। सेक्स की आग जिश्म को तो जला देती है पर जब इंसान वो कर चुका होता है तो उसे ना चाहते हुये भी उस पे पछतावा होता है।
वो सैम की आँखों में देखते है- सैम हमने जो किया वो नहीं करना चाहिये था।
सैम महक के होंठों पे किस करते हुये- “महक हमने जो किया है उसपे हमें अब पछताना नहीं चाहिए वरना ये मेरे और तुम्हारे मोहब्बत की तौहीन होगी। जो कुछ हुआ उसमें हम दोनों की रजामंदी शामिल थी फिर अब ऐसा क्यूँ सोच रही हो जो होना था हो चुका और जो होना है वो भी अच्छा ही होगा...”
महक- क्या मतलब
सैम महक को नीचे करके उसकी छाती पे चढ़ जाता है।
उसका लण्ड महक की दोनों चूचियां के बीच में आ जाता है और सैम दोनों चूचियां को एक साथ पकड़ के दोनों के बीच में अपना लण्ड आगे-पीछे करने लगता है।
महक की जिस्म में बुझ चुकी चिंगारी फिर से जल उठती है और एक सिसकारी उसके होंठों से अहह... की शक्ल में बाहर निकल जाती है। शर्म-ओ-हया के बदल फिर से
घिरने लगते हैं। पर सैम इन बादलों के पार महक को ले जाना चाहता था उस जगह जहाँ वो खुलकर एक दूसरे से चुदाई की बातें कर सकें और बिलकुल पति-पत्नी की तरह चुदाई कर सकें।
महक- सैम की आँखों में ही देख रही थी। सैम थोड़ा आगे बढ़ता है और अपने लण्ड का सुपाड़ा महक के होंठों पे घिसता है जैसे होंठों पर टीका लगा रहा हो। महक के होंठ थोड़े से खुलते हैं पर इतने नहीं की वो सैम के लण्ड को निगल जाए।
सैम थोड़ा सा लण्ड अंदर की तरफ डालता है- “चूस ले महक अपने भाई का लण्ड...”
महक थोड़ा झिझक रही थी। पर वो सैम को नाराज भी नहीं करना चाहती थी। वो और मुँह खोलती है और जुबान बाहर निकालकर लण्ड पे फेरती है शिप्प्पप्प्प्प्प्प्प्प। सैम प्रेशर देके लण्ड अंदर डालता चला जाता है और वो सीधा महक के हलक में जाके अटक जाता है अहह...
महक- गल्लपप्प्प... गल्नपप्प्प... उहनन्... बहुत बड़ा लण्ड होने की वजह से महक की सांस घुटने लगे थी और आँखें फटी की फटी रह गये थीं पर सैम लगातार अंदर-बाहर किए जा रहा था गल्लपपण्प्प... गलपप्प्प...
सैम- “अहह... ठीक से कर साली हॉआअ...”
महक सैम को गिराकर नीचे कर देती है और खुद उसपे सवार हो जाती है। अब महक बहुत आसानी से लण्ड गटक सकती थी गल्लपप्प्प... गल्लपप्प्प... गल्पणप्प्प सलाइवा और सैम के लण्ड का पानी दोनों नीचे बेडशीट गीला कर रहे थे।
पर महक तो जैसे लण्ड छोड़ने को तैयार ही नहीं थी गलपप्प्प... गलपप्प्प... वो आंडे को मरोड़ मरोड़ के लण्ड चूसती चली जा रही थी।
सैम- अहह... ऐसा मत कर महक दर्द होता है अहह...
महक- चुप कर मेरा है, मेरी मर्ज़ी गलपण्प्प... गलपप्प्प
सैम के लण्ड के नसें फूल चुके थी और लण्ड का सुपाड़ा लाल हो चुका था अब सैम से एक पल भी बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था वो महक के बाल पकड़के उसे डोगी स्टाइल में झुका लेता है और पीछे से अपना लण्ड उसके चूत की होंठों पे घिसने लगता है अहह...
महक- जल्द से जल्द वो तलवार अपने म्यान में लेना चाहती थी अहह... डाल ना रे सैम अहह... जल्दी से डाल दे अंदर अहह...
सैम- ये ले मेरे जान हाँआआ अहह... अहह... वो फिरसे चीरता हुआ अंदर चला गया था, और महक के चेहरे पे खुशी और दर्द का मिला-जुला असर छोड़ गया उनह... आराम से नहीं चोद सकता अहहह... बहन हूँ मैं तेरे कोई रांड़ नहीं हुन्न... अहह...
सैम- साली लण्ड लेने की लिए तड़प रही थी और अब चिल्ला रही है। रुक... अहह... वो महक की गोरी नरम-नरम गाण्ड पे थपाथप थप्पड़ मारने लगता है।
इन थप्पड़ों का महक पे उल्टा है असर होता है और वो और जोश में अपनी गाण्ड पीछे करती हुई सैम का लण्ड अंदर लेती जाती है अहह... अहह... अम्मी क्या खाता है रे आआहह जरा सा तो रहम खा अपनी बहन पे।
सैम-अहह... चोदने दे ना मेरी जान बहुत टाइट है तेरी अहह... अहह... ना धक्कों की बरसात कम हो रही थी और ना महक की गाण्ड रुकने का नाम ले रही थी पूरा रूम दोनों की आवाज़ों से गूँज रहा था।
तकरीबन 20 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद महक की टांग जवाब दे गयीं और वो चीखते हुये झड़ने लगती है। अहह... बस कर, मार देगा क्या अहह...
सैम भी उसी के पीछे झड़ने लगता है और फिर वहीं महक के ऊपर लुढ़क जाता है। दोनों बुरी तरह थक चुके थी। उन्हें कब आँख लगी पता है नहीं चला।
जब सैम घर पहुँचता है तो वो सीधा महक के रूम में जाता है। महक आइने के सामने खड़ी थी उसने टाप और स्कर्ट पहन रखी थी।
गोरी-गोरी सफेद टॉगे और चिकना मखमली पेट सैम साफ देख सकता था। अपने पीछे खड़े सैम को जब महक आइने में देखती है तो उसके चेहरे पे मुश्कान आ जाती है।
सैम- “कहीं जा रही हो महक...”
महक इतराते हुये- “हाँ... वो मेरे फ्रेन्ड की बर्थडे पार्टी है ना वहीं जा रही हूँ
सैम- ऐसे कपड़े पहन के...
महक- क्यूँ क्या खराबी है इनमें...
सैम- तू ऐसे कपड़े क्यूँ पहनती है... महक तू सादे सिंपल ड्रेस में कितनी प्यारी लगती है।
महक- “उफफफ्फ़हो ओल्ड मैन... आज कितने दिनों के बाद तो मौका मिला है ये सब पहनने का, अम्मी घर पे जो नहीं हैं। मैं तो यही पहनके जाऊँगी...”
सैम उसे कुछ बोल पाता इससे पहले ही बाहर कार का हार्न बजता है।
महक सैम को तिरछी नजरों से देखती है- “ओके बाइ ओल्ड मैन... हाँ... सुनो मुझे प्लीज़ पिकप करने मत आना...” और महक अपनी फ्रेन्ड सीमा के साथ कार में बैठके चली जाती है।
आज सैम को अजीब सा महसूस हो रहा था जैसे कुछ अनहोनी होने वाली है, जैसे कुछ बुरा... वो खुद को समझाता है पर उसका दिल नहीं मानता और वो उसी उलझन में घर की अंदर आ जाता है। खाना खाने की बाद सैम टी-वी. ओन करके इधर-उधर चैनेल बदलने लगता है पर उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता। वो घड़ी की तरफ देखता है, रात के 2 बज रहे थे। महक को पार्टी में गये हुई 3 घंटे हो चुके थे।
तभी सैम के मोबाइल पे महक का काल आता है। सैम खुश होके जैसे ही फोन रिसीव करता है उधर से महक की खौफनाक चीख सुनाई देती है।
महक- “सैम बचाओ मुझे प्लीज़्ज़्ज़्ज़्ज्ज्ज्ज्ज, यहाँ प्लाजा होटल के सामने जल्दी आ जाओ सैम...” और फोन कट हो जाता है।
सैम- हेलो हेलो महक... हेलो करता रह जाता है। वो बिजली की तेजी की साथ खड़ा होता है और अपनी बाइक निकालकर अंधे की तरह घर से निकल जाता है।
जब महक और उसकी फ्रेन्ड सीमा पार्टी से वापस घर आ रहे थे, तब अचानक उनकी कार पंक्चर हो गयी। वो जैसे ही कार से नीचे उतरे उनके सामने उस इलाके का जाना माना गुंडा बिल्ला और सुलया खड़े थे।
बिल्ला- क्या हुआ जानेमन...
सुलया- भाई माल एक नंबर है ये वाली मेरी और वो वाली आपकी।
दोनों शराब की नशे में धुत्त थे और उनके हाथ में एक बड़ा सा चाकू भी था। महक और सीमा घबराकर वापस कार में बैठ जाती हैं और कार के शीशे ऊपर चढ़ा लेती है। और तभी महक सैम को फोन लगाती है।
बिल्ला- अरे बचके जायेगी कहाँ छम्मक-छल्लो...
सुल्या अपने हाथ मैं पकड़ी दारू की बोतल को कार के शीशे पे मार देता है, जिससे महक और सीमा बुरी तरह घबरा जाते हैं।
बिल्ला- अपने हाथ में की चाकू से कार के शीशे पे जोर से वार करता है और दो तीन बार में है शीशा टूट जाता है।
अब दोनों लड़कियां बुरी तरह घबरा चुकी थीं। वो जोर-जोर से चिल्लाने लगती हैं पर उस अंधेरे में उनकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था, ऊपर से बारिश भी शुरू हो चुकी थी
बिल्ला अपना हाथ अंदर डालके कार का दरवाजा खोल देता है, और महक के बाल पकड़के उसे बाहर खींच लेता है- “साली चिल्लाएगी ना तो ये देख पूरा का पूरा अंदर घुसेड़कर पेट में आठ का आंकड़ा बना दूँगा चुप कर साली।
सुलया- अरे भाई ये चिकने बहुत शोर मचा रेले है दूं क्या इसको...
बिल्ला- देख ना साली कपड़े तो धंधे-वाली की जैसे पहने हैं और चिल्ला ऐसे रही है जैसे बहुत शरीफ हो। चल सुलया उतार इसके कपड़े...
महक- “बचाओ... नहीं...”
बिल्ला की बात सुनके सुलया अपने हाथ में का चाकू महक की गर्दन पे त्रगा देता है और एक हाथ से महक का टाप खींच लेता है। महक ने अगर ब्रा नहीं पहनी होती तो शायद आज वो बीच रास्ते में बिल्कुल टापलेश हो जाती।
महक रोने लगी थी। वो अपने आपको कोसने लगती है की क्यूँ उसने सैम को उसे पिकप करने की लिए मना किया था। कार में बैठी सीमा भी जैसे हकक्का-बक्का सी रह गए थी। ये सब देखकर उसके तो मुँह से आवाज भी नहीं निकल पा रही थी।
बिल्ला आगे बढ़ता है और चाकू महक के शार्ट में डालके उसे चीर देता है। वो दोनों अपने गंदे पीले-पीले दाँत दिखाकर हँसे जा रहे थे।
और महक अपनी शार्ट भी उतर जाने से किसी कोमा की मरीज़ की तरह खड़ी थी।
सीमा- भैया हमें जाने दो प्लीज़ वो रोई गिड़गिड़ाई पर उसकी मासूम गुहार का उन दोनों पे कोई असर नहीं होने वाला था।
बिल्ला- हाँ... सुलया देख तेरी वाली मुझे भैया बोलती है साली... भैया नहीं सैयां चलो आज करेगे थाथा थडइया, हाह... बिल्ल्ला के हाथ महक की ब्रा को खोलने की लिए आगे बढ़ते हैं।
तभी एक तेज रफ़्तार बाइक आके बिलला की जाँघ के बीचो-बीच लगती है।
बिल्ला- “अहह...” जोर की चीख के साथ 6 फिट दूर जाके गिरता है।
सुलया- तू कौन है रे हरामजादे...
सैम- “तेरा बाप...” अपने बहन महक को सैम अपनी जैकेट पहनाकर जैसे ही मुड़ता है, उसके सामने बिल्ला और सुलया अपने हाथों में तेज धार चाकू लिए उसकी तरफ बढ़ते हैं। पर सैम के सर पे तो जैसे खून सावर हो गया था, उसे बस महक की चीखें ही सुनाई दे रही थीं
सैम का ढाई किल्लो का हाथ जब बिल्ला की कनपट्टी पे पड़ता है तो उसे अपने माँ का पिया हुआ वो दूध याद आ जाता है जो उसने एक ही बार पिया था। वो चक्कर खाके जमीन चाटने लगता है।
सुलया अपने गुरू को देखकर सैम पे चाकू से वार करता है पर सैम नीचे झुकके अपने जुड्डू-कराते वाली किक सुल्या की छाती पे रख देता है, जिससे सुलया के मुँह से दारू के साथ-साथ खून भी निकलने लगता है।
दोनों जमीन पे चित-पट पड़े थे और सैम बिल्ला की छाती पे पैर रखकर उसे कहता है- “आइंदा इस इलाके में नजर भी आये ना तुम दोनों तो बेटा याद रखना लोहे की रोड पीछे से डालूँगा और मुँह में से निकालूँगा..” दोनों इस लायक ही नहीं बचे थे की कुछ कर पाते। तभी वहाँ पोलिस की वैन आ जाती है और दोनों बदमाशों को कार में भरके पोलिस स्टेशन ले जाते हैं।
सैम सीमा के अब्बू को फोन करता है और कुछ देर में वो भी वहाँ आ जाते हैं और सैम का शुक्रिया अदा करके सीमा को अपने साथ ले जाते हैं।
महक कार के अगले टायर के पास बैठी रो रही थी। उससे वो अभी तक सदमें में थी। सैम उसे सहारा देके उठाता है और बाइक पे बैठाके घर की तरफ चल पड़ता है। महक अभी भी पीछे बैठी-बैठी सिसक रही थी।
महक कार के अगले टायर के पास बैठी रो रही थी। उससे वो अभी तक सदमें में थी। सैम उसे सहारा देके उठाता है और बाइक पे बैठाके घर की तरफ चल पड़ता है। महक अभी भी पीछे बैठी-बैठी सिसक रही थी। जैसे ही वो दोनों घर में पहुँचे |
महक वहीं नीचे फर्श पे बैठके जोर-जोर से रोने ल्रगती है- “मुझे माफ कर दो भाई मुझे माफ कर दो अगर आज तुम नहीं आते तो...” बस वो इतना बोलते जा रही थी और आँसू उसके आँखों से लगातार बह रहे थे।
सैम- “महक मेरा बच्चा... ऐसे रोते नहीं ना जब तक तेरा भाई ज़िंदा है तुझे कोई कुछ नहीं कर सकता चल खड़ी हो जा शाबाश...” और सैम महक को अपने कंधे का सहारा देके उसके रूम मेँ ले जाता है।
महक किसी बच्चे की तरह सैम से चिपकी हुई थी। उसे ये भी फिकर नहीं थी की वो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में है।
सैम- “अब रोना बंद भी कर चुप हो जा महक प्लीज़्ज़्ज़्ज़
महक- 'सैम अगर तू सही वक़्त पे नहीं आता तो.
सैम- “मेरी आँखों में देख..” और सैम महक के दोनों गाल पकड़के आपनी तरफ घुमा लेता है- “तू मेरी अमानत है मेरी जान है और जो कोई मेरी जान की तरफ गलत नजर से देखेगा वो जान से मार दिया जायेगा...”
महक को आज पता नहीं उन आँखों में कौन सा समुंदर नजर आ रहा था जिसमें वो डूब के मर जाना चाहती थी। वो खामोश हो चुकी थी पर होंठ अब भी कांप रहे थे, जिश्म अब भी थरथरा रहा था। वो सैम की मजबूत बाहों में समा जाना चाहती थी। सैम उसे कोई फरिश्ते की तरह नजर आ रहा था।
महक- “इतनी मोहब्बत करता है तू मुझसे सैम...”
सैम- कोई शक...
महक- बिल्कुल नहीं...
सैम- वैसे तू इन छोटे से कपड़ों में भी बहुत अच्छी लग रही है।
महक अपने आपको देखते ही और शर्म-ओ-हया के बदल उसे घेर लेते है वो हल्के से सैम की छाती पे मुक्का मारती है और फिर से सैम की छाती से चिपक जाती है। दोनों पानी में भीगे हुये थी। जिश्म की आग बदन के कपड़ों को धीरे-धीरे सुखा रही थी। पर उन्हें ये कपड़े शायद बोझ लगने लगे थे।
दोनों भाई-बहन एक दूसरे की छाती से चिपके लंबी-लंबी साँसें ले रहे थे। अचानक महक के हाथ सैम को और कसने लगते हैं और सैम की भी पकड़ महक पे बढ़ जाती है। बाहर बिजली जोरों से गरजने लगती है। वो हालात, वो लम्हें, वो वक़्त किसी के हाथ में नहीं था।
महक अपना सर उठाके सैम की आँखों में देखती है और सैम अपने दोनों हाथों से महक की ब्रा का हुक खोलने के कगार पे था, बस उसे महक की हाँ का इंतेजार था।
महक पहली मर्तबा अपने नाजुक गुलाबी कॉँपते होंठ सैम के होंठों पे रख देती है- “गल्पप्प्प... गलपप्प्प..” और सैम महक की ब्रा उसकी छाती से निकल देता है।
यही वो पल था जब दो बदन एक होने वाले थे। दोनों भाई-बहन एक दूसरे को हर जगह चूम रहे थे। चेहरे का कोई हिस्सा ऐसा नहीं बचा था जहाँ महक ने सैम को नहीं चूमा होगा।
सैम महक को बेड पे लेटा देता है और नीचे झुकके उसकी पैंटी उतारने लगता है। महक पैंटी पकड़ लेती है और फिर कुछ सेकेंड बाद छोड़ देती है।
सैम महक की पैंटी उसकी कमर से नीचे उतार चुका था। लाल मखमली गुलाबी होंठों वाले महक की चिकनी बिना बाल वाली चूत सैम के मुँह के सामने थी।
सैम अपने होंठों से पहले महक की चूत को चूमता है जिससे उसकी बरसों की सोई हुई चूत जाग जाती है और अपने महबूब की आमद पे खुशियां मानाने लगती है।
सैम दोनों उंगलियों से महक की चूत के होंठों को खोलता है उसे अंदर एक गुलाबी परदा नजर आता है। सैम अपनी जुबान को और बाहर निकालकर उस पर्दे को छूने के लिए अपनी जुबान महक की चूत में घुसाता चला जाता है- गलपप्प्प... गलपप्प्प... गलपप्प्प
महक- दोनों हाथों से बेडशीट पकड़ लेती है। ये पहली मर्तबा था उसकी ज़िंदगी में जब कोई मर्द उसके उस नाजुक हिस्से को चाट रहा था। आज तक तो उसने भी कभी अपने चूत को इतने प्यार से नहीं देखा होगा जितने प्यार से सैम उसे चाट रहा था।
अहह... सैम अहह... मत कर रे ऐसे मुझे अहह... ऊईई अम्मी ज़ी... पता नहीं तू क्या हूँढ़ रहा है रे जालिम अहहह... ये सिसकी, ये जोश सैम को और अंदर तक चूत चाटने पे मजबूर किए जा रहा था- “गलपप्प्प… गलपप्प्प... महक मत रोक मुझे गल्लपप्प्प... गलपप्प्प...”
महक- “अहह... अहह... स्शह...” उसकी चूत का दाना अपने शब्बाब पे था। वो किसी मटर के दाने की तरह फूल गया था।
सैम जानता था की अगर महक झड़ गयी तो शायद वो आगे कुछ ना करने दे। वो जल्दी से अपनी शर्ट और पैंट उतार देता है और जैसे ही वो अपना अंडरवेर उतारता है, महक घबराके अपना चेहरा छूपा लेती है।
सैम महक के ऊपर चढ़ जाता है और दोनों पैरों को घुटनों के पास से मोड़कर ठीक महक की जाँघ की बीच बैठ जाता है, और अपना सख़्त लण्ड हाथ में पकड़के महक की मखमली चूत की फांकों पे घिसने लगता है अहहह...”
महक- “अम्मी अहह... उऊन्ह... नहीं ना सैम अहह...” दोनों की नजरें मिलती हैं और महक ना चाहती हुये भी सैम को हाँ में सर हिला देती है।
सैम अपने लण्ड पे थूक लगाके एक हल्का सा झटका चूत में मारता है जिससे सैम के लण्ड का सुपाड़ा महक की चूत के पर्दे से टकराता है। दूसरा झटका महक की चूत को चीरता हुआ अहहह... अहह... अंदर तक घुसता चला जाता है।
महक- सैम्म्म्मम नहीं अम्मीईई गगग... निकालो नाआआ सैम्म्म्ममम घूनगज्गग घगुगज्नन्
सैम- “महक की चूचियां को मुँह में लेके चूसने लगता है और अपनी कमर आगे पीछे हिलाने लगता है अहह… अहह... बस थोड़े देर महक... कुछ नहीं होगा ना अहह...”
महक- अहह... मुझे दर्द हो रहा है अहह... प्लीज़्ज निकालो ना सैम अहह... मैं मर रही हूँ नाहह...
सैम- “चुप हो जा महक... बस देख हो गया ना हॉआ... अहह... वो रफ़्तार कम नहीं करता और ना ही निपल्स को मुँह में से निकालता है बल्कि और मसल-मसलकर चूसने लगता है। सैम के चोदने की रफ़्तार ऐसी थी की महक बेड में धंसती चली जा रही थी। तकरीबन 5 मिनट के बाद महक खामोश हो जाती है और सिसकने लगती है।
महक- “अहह... आराम से जालिम अहह... आखिर तून अपनी बहन को अपना बना ही लिया हॉआअ...” उसके दोनों पैर सैम की कमर से लिपटे हुये थे।
सैम- हाँ महक... तुझ पे सबसे पहला हक तो मेरा ही है ना हाअआ आखिर तू मेरी बहन है अहह... तुझे नहीं चोदूँगा तो ज़िंदगी किस काम की अहह...”
महक- “अहह... कितनी गंदे बातें करता है रे अहह... धीरे कर ना अहह...”
सैम- “पहले बोल... आराम से चोदो अहह...”
महक- अहह... मुझे शर्म आती है अहह...
सैम- बोलती है की नहीं और सैम दनादन धक्के मारने लगता है अहह...
महक- उनह... अम्मी गगग आराम से चोदो ना सैम्म्म्म अहह... धीरे चोदो ना अपनी बहन को उहनन् अहह...
सैम चाहता था की महक उसकी तरह गंदी बातें सीख जाए और उसके बची हुई शर्म-ओ-हया भी खतम हो जाये अहह...
महक की ये पहले चुदाई थी इसलिए वो सैम का मुकाबला नहीं कर सकी और 10 मिनट बाद ही सैम से चिपकके झड़ने लगती है अहह... सैम्म्म्म मेरे भाई अहह...
सैम अपनी बहन की मोहब्बत में ऐसा दीवाना हुआ की वो भी कुछ धक्कों के बाद चीखता हुआ अहहह... अपनी महक की चूत में पानी की फुहार छोड़ने लगता है। याहह... अहह... सैम महक के ऊपर से हाथ की साइड में लेट जाता है और महक सैम की छाती पे सर रख देती है।
सैम खामोश था उसे यकीन ही नहीं हो रहा था की वो अपनी सगी जुड़ा बहन के साथ वो सब कर चुका जो उसने शायद सोचा नहीं था। उसे तो नजमा की मोहब्बत की तलाश थी पर हाय रे सैम की किस्मत सिवाय नजमा के हर कोई उसे मोहब्बत कर चुका था।
महक सेक्स करने के बाद एक पछतावे के समुंदर में डूब चुकी थी, अक्सर जो हाल हर किसी का होता है। सेक्स की आग जिश्म को तो जला देती है पर जब इंसान वो कर चुका होता है तो उसे ना चाहते हुये भी उस पे पछतावा होता है।
वो सैम की आँखों में देखते है- सैम हमने जो किया वो नहीं करना चाहिये था।
सैम महक के होंठों पे किस करते हुये- “महक हमने जो किया है उसपे हमें अब पछताना नहीं चाहिए वरना ये मेरे और तुम्हारे मोहब्बत की तौहीन होगी। जो कुछ हुआ उसमें हम दोनों की रजामंदी शामिल थी फिर अब ऐसा क्यूँ सोच रही हो जो होना था हो चुका और जो होना है वो भी अच्छा ही होगा...”
महक- क्या मतलब
सैम महक को नीचे करके उसकी छाती पे चढ़ जाता है।
उसका लण्ड महक की दोनों चूचियां के बीच में आ जाता है और सैम दोनों चूचियां को एक साथ पकड़ के दोनों के बीच में अपना लण्ड आगे-पीछे करने लगता है।
महक की जिस्म में बुझ चुकी चिंगारी फिर से जल उठती है और एक सिसकारी उसके होंठों से अहह... की शक्ल में बाहर निकल जाती है। शर्म-ओ-हया के बदल फिर से
घिरने लगते हैं। पर सैम इन बादलों के पार महक को ले जाना चाहता था उस जगह जहाँ वो खुलकर एक दूसरे से चुदाई की बातें कर सकें और बिलकुल पति-पत्नी की तरह चुदाई कर सकें।
महक- सैम की आँखों में ही देख रही थी। सैम थोड़ा आगे बढ़ता है और अपने लण्ड का सुपाड़ा महक के होंठों पे घिसता है जैसे होंठों पर टीका लगा रहा हो। महक के होंठ थोड़े से खुलते हैं पर इतने नहीं की वो सैम के लण्ड को निगल जाए।
सैम थोड़ा सा लण्ड अंदर की तरफ डालता है- “चूस ले महक अपने भाई का लण्ड...”
महक थोड़ा झिझक रही थी। पर वो सैम को नाराज भी नहीं करना चाहती थी। वो और मुँह खोलती है और जुबान बाहर निकालकर लण्ड पे फेरती है शिप्प्पप्प्प्प्प्प्प्प। सैम प्रेशर देके लण्ड अंदर डालता चला जाता है और वो सीधा महक के हलक में जाके अटक जाता है अहह...
महक- गल्लपप्प्प... गल्नपप्प्प... उहनन्... बहुत बड़ा लण्ड होने की वजह से महक की सांस घुटने लगे थी और आँखें फटी की फटी रह गये थीं पर सैम लगातार अंदर-बाहर किए जा रहा था गल्लपपण्प्प... गलपप्प्प...
सैम- “अहह... ठीक से कर साली हॉआअ...”
महक सैम को गिराकर नीचे कर देती है और खुद उसपे सवार हो जाती है। अब महक बहुत आसानी से लण्ड गटक सकती थी गल्लपप्प्प... गल्लपप्प्प... गल्पणप्प्प सलाइवा और सैम के लण्ड का पानी दोनों नीचे बेडशीट गीला कर रहे थे।
पर महक तो जैसे लण्ड छोड़ने को तैयार ही नहीं थी गलपप्प्प... गलपप्प्प... वो आंडे को मरोड़ मरोड़ के लण्ड चूसती चली जा रही थी।
सैम- अहह... ऐसा मत कर महक दर्द होता है अहह...
महक- चुप कर मेरा है, मेरी मर्ज़ी गलपण्प्प... गलपप्प्प
सैम के लण्ड के नसें फूल चुके थी और लण्ड का सुपाड़ा लाल हो चुका था अब सैम से एक पल भी बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था वो महक के बाल पकड़के उसे डोगी स्टाइल में झुका लेता है और पीछे से अपना लण्ड उसके चूत की होंठों पे घिसने लगता है अहह...
महक- जल्द से जल्द वो तलवार अपने म्यान में लेना चाहती थी अहह... डाल ना रे सैम अहह... जल्दी से डाल दे अंदर अहह...
सैम- ये ले मेरे जान हाँआआ अहह... अहह... वो फिरसे चीरता हुआ अंदर चला गया था, और महक के चेहरे पे खुशी और दर्द का मिला-जुला असर छोड़ गया उनह... आराम से नहीं चोद सकता अहहह... बहन हूँ मैं तेरे कोई रांड़ नहीं हुन्न... अहह...
सैम- साली लण्ड लेने की लिए तड़प रही थी और अब चिल्ला रही है। रुक... अहह... वो महक की गोरी नरम-नरम गाण्ड पे थपाथप थप्पड़ मारने लगता है।
इन थप्पड़ों का महक पे उल्टा है असर होता है और वो और जोश में अपनी गाण्ड पीछे करती हुई सैम का लण्ड अंदर लेती जाती है अहह... अहह... अम्मी क्या खाता है रे आआहह जरा सा तो रहम खा अपनी बहन पे।
सैम-अहह... चोदने दे ना मेरी जान बहुत टाइट है तेरी अहह... अहह... ना धक्कों की बरसात कम हो रही थी और ना महक की गाण्ड रुकने का नाम ले रही थी पूरा रूम दोनों की आवाज़ों से गूँज रहा था।
तकरीबन 20 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद महक की टांग जवाब दे गयीं और वो चीखते हुये झड़ने लगती है। अहह... बस कर, मार देगा क्या अहह...
सैम भी उसी के पीछे झड़ने लगता है और फिर वहीं महक के ऊपर लुढ़क जाता है। दोनों बुरी तरह थक चुके थी। उन्हें कब आँख लगी पता है नहीं चला।
महक कार के अगले टायर के पास बैठी रो रही थी। उससे वो अभी तक सदमें में थी। सैम उसे सहारा देके उठाता है और बाइक पे बैठाके घर की तरफ चल पड़ता है। महक अभी भी पीछे बैठी-बैठी सिसक रही थी। जैसे ही वो दोनों घर में पहुँचे |
महक वहीं नीचे फर्श पे बैठके जोर-जोर से रोने ल्रगती है- “मुझे माफ कर दो भाई मुझे माफ कर दो अगर आज तुम नहीं आते तो...” बस वो इतना बोलते जा रही थी और आँसू उसके आँखों से लगातार बह रहे थे।
सैम- “महक मेरा बच्चा... ऐसे रोते नहीं ना जब तक तेरा भाई ज़िंदा है तुझे कोई कुछ नहीं कर सकता चल खड़ी हो जा शाबाश...” और सैम महक को अपने कंधे का सहारा देके उसके रूम मेँ ले जाता है।
महक किसी बच्चे की तरह सैम से चिपकी हुई थी। उसे ये भी फिकर नहीं थी की वो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में है।
सैम- “अब रोना बंद भी कर चुप हो जा महक प्लीज़्ज़्ज़्ज़
महक- 'सैम अगर तू सही वक़्त पे नहीं आता तो.
सैम- “मेरी आँखों में देख..” और सैम महक के दोनों गाल पकड़के आपनी तरफ घुमा लेता है- “तू मेरी अमानत है मेरी जान है और जो कोई मेरी जान की तरफ गलत नजर से देखेगा वो जान से मार दिया जायेगा...”
महक को आज पता नहीं उन आँखों में कौन सा समुंदर नजर आ रहा था जिसमें वो डूब के मर जाना चाहती थी। वो खामोश हो चुकी थी पर होंठ अब भी कांप रहे थे, जिश्म अब भी थरथरा रहा था। वो सैम की मजबूत बाहों में समा जाना चाहती थी। सैम उसे कोई फरिश्ते की तरह नजर आ रहा था।
महक- “इतनी मोहब्बत करता है तू मुझसे सैम...”
सैम- कोई शक...
महक- बिल्कुल नहीं...
सैम- वैसे तू इन छोटे से कपड़ों में भी बहुत अच्छी लग रही है।
महक अपने आपको देखते ही और शर्म-ओ-हया के बदल उसे घेर लेते है वो हल्के से सैम की छाती पे मुक्का मारती है और फिर से सैम की छाती से चिपक जाती है। दोनों पानी में भीगे हुये थी। जिश्म की आग बदन के कपड़ों को धीरे-धीरे सुखा रही थी। पर उन्हें ये कपड़े शायद बोझ लगने लगे थे।
दोनों भाई-बहन एक दूसरे की छाती से चिपके लंबी-लंबी साँसें ले रहे थे। अचानक महक के हाथ सैम को और कसने लगते हैं और सैम की भी पकड़ महक पे बढ़ जाती है। बाहर बिजली जोरों से गरजने लगती है। वो हालात, वो लम्हें, वो वक़्त किसी के हाथ में नहीं था।
महक अपना सर उठाके सैम की आँखों में देखती है और सैम अपने दोनों हाथों से महक की ब्रा का हुक खोलने के कगार पे था, बस उसे महक की हाँ का इंतेजार था।
महक पहली मर्तबा अपने नाजुक गुलाबी कॉँपते होंठ सैम के होंठों पे रख देती है- “गल्पप्प्प... गलपप्प्प..” और सैम महक की ब्रा उसकी छाती से निकल देता है।
यही वो पल था जब दो बदन एक होने वाले थे। दोनों भाई-बहन एक दूसरे को हर जगह चूम रहे थे। चेहरे का कोई हिस्सा ऐसा नहीं बचा था जहाँ महक ने सैम को नहीं चूमा होगा।
सैम महक को बेड पे लेटा देता है और नीचे झुकके उसकी पैंटी उतारने लगता है। महक पैंटी पकड़ लेती है और फिर कुछ सेकेंड बाद छोड़ देती है।
सैम महक की पैंटी उसकी कमर से नीचे उतार चुका था। लाल मखमली गुलाबी होंठों वाले महक की चिकनी बिना बाल वाली चूत सैम के मुँह के सामने थी।
सैम अपने होंठों से पहले महक की चूत को चूमता है जिससे उसकी बरसों की सोई हुई चूत जाग जाती है और अपने महबूब की आमद पे खुशियां मानाने लगती है।
सैम दोनों उंगलियों से महक की चूत के होंठों को खोलता है उसे अंदर एक गुलाबी परदा नजर आता है। सैम अपनी जुबान को और बाहर निकालकर उस पर्दे को छूने के लिए अपनी जुबान महक की चूत में घुसाता चला जाता है- गलपप्प्प... गलपप्प्प... गलपप्प्प
महक- दोनों हाथों से बेडशीट पकड़ लेती है। ये पहली मर्तबा था उसकी ज़िंदगी में जब कोई मर्द उसके उस नाजुक हिस्से को चाट रहा था। आज तक तो उसने भी कभी अपने चूत को इतने प्यार से नहीं देखा होगा जितने प्यार से सैम उसे चाट रहा था।
अहह... सैम अहह... मत कर रे ऐसे मुझे अहह... ऊईई अम्मी ज़ी... पता नहीं तू क्या हूँढ़ रहा है रे जालिम अहहह... ये सिसकी, ये जोश सैम को और अंदर तक चूत चाटने पे मजबूर किए जा रहा था- “गलपप्प्प… गलपप्प्प... महक मत रोक मुझे गल्लपप्प्प... गलपप्प्प...”
महक- “अहह... अहह... स्शह...” उसकी चूत का दाना अपने शब्बाब पे था। वो किसी मटर के दाने की तरह फूल गया था।
सैम जानता था की अगर महक झड़ गयी तो शायद वो आगे कुछ ना करने दे। वो जल्दी से अपनी शर्ट और पैंट उतार देता है और जैसे ही वो अपना अंडरवेर उतारता है, महक घबराके अपना चेहरा छूपा लेती है।
सैम महक के ऊपर चढ़ जाता है और दोनों पैरों को घुटनों के पास से मोड़कर ठीक महक की जाँघ की बीच बैठ जाता है, और अपना सख़्त लण्ड हाथ में पकड़के महक की मखमली चूत की फांकों पे घिसने लगता है अहहह...”
महक- “अम्मी अहह... उऊन्ह... नहीं ना सैम अहह...” दोनों की नजरें मिलती हैं और महक ना चाहती हुये भी सैम को हाँ में सर हिला देती है।
सैम अपने लण्ड पे थूक लगाके एक हल्का सा झटका चूत में मारता है जिससे सैम के लण्ड का सुपाड़ा महक की चूत के पर्दे से टकराता है। दूसरा झटका महक की चूत को चीरता हुआ अहहह... अहह... अंदर तक घुसता चला जाता है।
महक- सैम्म्म्मम नहीं अम्मीईई गगग... निकालो नाआआ सैम्म्म्ममम घूनगज्गग घगुगज्नन्
सैम- “महक की चूचियां को मुँह में लेके चूसने लगता है और अपनी कमर आगे पीछे हिलाने लगता है अहह… अहह... बस थोड़े देर महक... कुछ नहीं होगा ना अहह...”
महक- अहह... मुझे दर्द हो रहा है अहह... प्लीज़्ज निकालो ना सैम अहह... मैं मर रही हूँ नाहह...
सैम- “चुप हो जा महक... बस देख हो गया ना हॉआ... अहह... वो रफ़्तार कम नहीं करता और ना ही निपल्स को मुँह में से निकालता है बल्कि और मसल-मसलकर चूसने लगता है। सैम के चोदने की रफ़्तार ऐसी थी की महक बेड में धंसती चली जा रही थी। तकरीबन 5 मिनट के बाद महक खामोश हो जाती है और सिसकने लगती है।
महक- “अहह... आराम से जालिम अहह... आखिर तून अपनी बहन को अपना बना ही लिया हॉआअ...” उसके दोनों पैर सैम की कमर से लिपटे हुये थे।
सैम- हाँ महक... तुझ पे सबसे पहला हक तो मेरा ही है ना हाअआ आखिर तू मेरी बहन है अहह... तुझे नहीं चोदूँगा तो ज़िंदगी किस काम की अहह...”
महक- “अहह... कितनी गंदे बातें करता है रे अहह... धीरे कर ना अहह...”
सैम- “पहले बोल... आराम से चोदो अहह...”
महक- अहह... मुझे शर्म आती है अहह...
सैम- बोलती है की नहीं और सैम दनादन धक्के मारने लगता है अहह...
महक- उनह... अम्मी गगग आराम से चोदो ना सैम्म्म्म अहह... धीरे चोदो ना अपनी बहन को उहनन् अहह...
सैम चाहता था की महक उसकी तरह गंदी बातें सीख जाए और उसके बची हुई शर्म-ओ-हया भी खतम हो जाये अहह...
महक की ये पहले चुदाई थी इसलिए वो सैम का मुकाबला नहीं कर सकी और 10 मिनट बाद ही सैम से चिपकके झड़ने लगती है अहह... सैम्म्म्म मेरे भाई अहह...
सैम अपनी बहन की मोहब्बत में ऐसा दीवाना हुआ की वो भी कुछ धक्कों के बाद चीखता हुआ अहहह... अपनी महक की चूत में पानी की फुहार छोड़ने लगता है। याहह... अहह... सैम महक के ऊपर से हाथ की साइड में लेट जाता है और महक सैम की छाती पे सर रख देती है।
सैम खामोश था उसे यकीन ही नहीं हो रहा था की वो अपनी सगी जुड़ा बहन के साथ वो सब कर चुका जो उसने शायद सोचा नहीं था। उसे तो नजमा की मोहब्बत की तलाश थी पर हाय रे सैम की किस्मत सिवाय नजमा के हर कोई उसे मोहब्बत कर चुका था।
महक सेक्स करने के बाद एक पछतावे के समुंदर में डूब चुकी थी, अक्सर जो हाल हर किसी का होता है। सेक्स की आग जिश्म को तो जला देती है पर जब इंसान वो कर चुका होता है तो उसे ना चाहते हुये भी उस पे पछतावा होता है।
वो सैम की आँखों में देखते है- सैम हमने जो किया वो नहीं करना चाहिये था।
सैम महक के होंठों पे किस करते हुये- “महक हमने जो किया है उसपे हमें अब पछताना नहीं चाहिए वरना ये मेरे और तुम्हारे मोहब्बत की तौहीन होगी। जो कुछ हुआ उसमें हम दोनों की रजामंदी शामिल थी फिर अब ऐसा क्यूँ सोच रही हो जो होना था हो चुका और जो होना है वो भी अच्छा ही होगा...”
महक- क्या मतलब
सैम महक को नीचे करके उसकी छाती पे चढ़ जाता है।
उसका लण्ड महक की दोनों चूचियां के बीच में आ जाता है और सैम दोनों चूचियां को एक साथ पकड़ के दोनों के बीच में अपना लण्ड आगे-पीछे करने लगता है।
महक की जिस्म में बुझ चुकी चिंगारी फिर से जल उठती है और एक सिसकारी उसके होंठों से अहह... की शक्ल में बाहर निकल जाती है। शर्म-ओ-हया के बदल फिर से
घिरने लगते हैं। पर सैम इन बादलों के पार महक को ले जाना चाहता था उस जगह जहाँ वो खुलकर एक दूसरे से चुदाई की बातें कर सकें और बिलकुल पति-पत्नी की तरह चुदाई कर सकें।
महक- सैम की आँखों में ही देख रही थी। सैम थोड़ा आगे बढ़ता है और अपने लण्ड का सुपाड़ा महक के होंठों पे घिसता है जैसे होंठों पर टीका लगा रहा हो। महक के होंठ थोड़े से खुलते हैं पर इतने नहीं की वो सैम के लण्ड को निगल जाए।
सैम थोड़ा सा लण्ड अंदर की तरफ डालता है- “चूस ले महक अपने भाई का लण्ड...”
महक थोड़ा झिझक रही थी। पर वो सैम को नाराज भी नहीं करना चाहती थी। वो और मुँह खोलती है और जुबान बाहर निकालकर लण्ड पे फेरती है शिप्प्पप्प्प्प्प्प्प्प। सैम प्रेशर देके लण्ड अंदर डालता चला जाता है और वो सीधा महक के हलक में जाके अटक जाता है अहह...
महक- गल्लपप्प्प... गल्नपप्प्प... उहनन्... बहुत बड़ा लण्ड होने की वजह से महक की सांस घुटने लगे थी और आँखें फटी की फटी रह गये थीं पर सैम लगातार अंदर-बाहर किए जा रहा था गल्लपपण्प्प... गलपप्प्प...
सैम- “अहह... ठीक से कर साली हॉआअ...”
महक सैम को गिराकर नीचे कर देती है और खुद उसपे सवार हो जाती है। अब महक बहुत आसानी से लण्ड गटक सकती थी गल्लपप्प्प... गल्लपप्प्प... गल्पणप्प्प सलाइवा और सैम के लण्ड का पानी दोनों नीचे बेडशीट गीला कर रहे थे।
पर महक तो जैसे लण्ड छोड़ने को तैयार ही नहीं थी गलपप्प्प... गलपप्प्प... वो आंडे को मरोड़ मरोड़ के लण्ड चूसती चली जा रही थी।
सैम- अहह... ऐसा मत कर महक दर्द होता है अहह...
महक- चुप कर मेरा है, मेरी मर्ज़ी गलपण्प्प... गलपप्प्प
सैम के लण्ड के नसें फूल चुके थी और लण्ड का सुपाड़ा लाल हो चुका था अब सैम से एक पल भी बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था वो महक के बाल पकड़के उसे डोगी स्टाइल में झुका लेता है और पीछे से अपना लण्ड उसके चूत की होंठों पे घिसने लगता है अहह...
महक- जल्द से जल्द वो तलवार अपने म्यान में लेना चाहती थी अहह... डाल ना रे सैम अहह... जल्दी से डाल दे अंदर अहह...
सैम- ये ले मेरे जान हाँआआ अहह... अहह... वो फिरसे चीरता हुआ अंदर चला गया था, और महक के चेहरे पे खुशी और दर्द का मिला-जुला असर छोड़ गया उनह... आराम से नहीं चोद सकता अहहह... बहन हूँ मैं तेरे कोई रांड़ नहीं हुन्न... अहह...
सैम- साली लण्ड लेने की लिए तड़प रही थी और अब चिल्ला रही है। रुक... अहह... वो महक की गोरी नरम-नरम गाण्ड पे थपाथप थप्पड़ मारने लगता है।
इन थप्पड़ों का महक पे उल्टा है असर होता है और वो और जोश में अपनी गाण्ड पीछे करती हुई सैम का लण्ड अंदर लेती जाती है अहह... अहह... अम्मी क्या खाता है रे आआहह जरा सा तो रहम खा अपनी बहन पे।
सैम-अहह... चोदने दे ना मेरी जान बहुत टाइट है तेरी अहह... अहह... ना धक्कों की बरसात कम हो रही थी और ना महक की गाण्ड रुकने का नाम ले रही थी पूरा रूम दोनों की आवाज़ों से गूँज रहा था।
तकरीबन 20 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद महक की टांग जवाब दे गयीं और वो चीखते हुये झड़ने लगती है। अहह... बस कर, मार देगा क्या अहह...
सैम भी उसी के पीछे झड़ने लगता है और फिर वहीं महक के ऊपर लुढ़क जाता है। दोनों बुरी तरह थक चुके थी। उन्हें कब आँख लगी पता है नहीं चला।
जब सैम घर पहुँचता है तो वो सीधा महक के रूम में जाता है। महक आइने के सामने खड़ी थी उसने टाप और स्कर्ट पहन रखी थी।
गोरी-गोरी सफेद टॉगे और चिकना मखमली पेट सैम साफ देख सकता था। अपने पीछे खड़े सैम को जब महक आइने में देखती है तो उसके चेहरे पे मुश्कान आ जाती है।
सैम- “कहीं जा रही हो महक...”
महक इतराते हुये- “हाँ... वो मेरे फ्रेन्ड की बर्थडे पार्टी है ना वहीं जा रही हूँ
सैम- ऐसे कपड़े पहन के...
महक- क्यूँ क्या खराबी है इनमें...
सैम- तू ऐसे कपड़े क्यूँ पहनती है... महक तू सादे सिंपल ड्रेस में कितनी प्यारी लगती है।
महक- “उफफफ्फ़हो ओल्ड मैन... आज कितने दिनों के बाद तो मौका मिला है ये सब पहनने का, अम्मी घर पे जो नहीं हैं। मैं तो यही पहनके जाऊँगी...”
सैम उसे कुछ बोल पाता इससे पहले ही बाहर कार का हार्न बजता है।
महक सैम को तिरछी नजरों से देखती है- “ओके बाइ ओल्ड मैन... हाँ... सुनो मुझे प्लीज़ पिकप करने मत आना...” और महक अपनी फ्रेन्ड सीमा के साथ कार में बैठके चली जाती है।
आज सैम को अजीब सा महसूस हो रहा था जैसे कुछ अनहोनी होने वाली है, जैसे कुछ बुरा... वो खुद को समझाता है पर उसका दिल नहीं मानता और वो उसी उलझन में घर की अंदर आ जाता है। खाना खाने की बाद सैम टी-वी. ओन करके इधर-उधर चैनेल बदलने लगता है पर उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता। वो घड़ी की तरफ देखता है, रात के 2 बज रहे थे। महक को पार्टी में गये हुई 3 घंटे हो चुके थे।
तभी सैम के मोबाइल पे महक का काल आता है। सैम खुश होके जैसे ही फोन रिसीव करता है उधर से महक की खौफनाक चीख सुनाई देती है।
महक- “सैम बचाओ मुझे प्लीज़्ज़्ज़्ज़्ज्ज्ज्ज्ज, यहाँ प्लाजा होटल के सामने जल्दी आ जाओ सैम...” और फोन कट हो जाता है।
सैम- हेलो हेलो महक... हेलो करता रह जाता है। वो बिजली की तेजी की साथ खड़ा होता है और अपनी बाइक निकालकर अंधे की तरह घर से निकल जाता है।
जब महक और उसकी फ्रेन्ड सीमा पार्टी से वापस घर आ रहे थे, तब अचानक उनकी कार पंक्चर हो गयी। वो जैसे ही कार से नीचे उतरे उनके सामने उस इलाके का जाना माना गुंडा बिल्ला और सुलया खड़े थे।
बिल्ला- क्या हुआ जानेमन...
सुलया- भाई माल एक नंबर है ये वाली मेरी और वो वाली आपकी।
दोनों शराब की नशे में धुत्त थे और उनके हाथ में एक बड़ा सा चाकू भी था। महक और सीमा घबराकर वापस कार में बैठ जाती हैं और कार के शीशे ऊपर चढ़ा लेती है। और तभी महक सैम को फोन लगाती है।
बिल्ला- अरे बचके जायेगी कहाँ छम्मक-छल्लो...
सुल्या अपने हाथ मैं पकड़ी दारू की बोतल को कार के शीशे पे मार देता है, जिससे महक और सीमा बुरी तरह घबरा जाते हैं।
बिल्ला- अपने हाथ में की चाकू से कार के शीशे पे जोर से वार करता है और दो तीन बार में है शीशा टूट जाता है।
अब दोनों लड़कियां बुरी तरह घबरा चुकी थीं। वो जोर-जोर से चिल्लाने लगती हैं पर उस अंधेरे में उनकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था, ऊपर से बारिश भी शुरू हो चुकी थी
बिल्ला अपना हाथ अंदर डालके कार का दरवाजा खोल देता है, और महक के बाल पकड़के उसे बाहर खींच लेता है- “साली चिल्लाएगी ना तो ये देख पूरा का पूरा अंदर घुसेड़कर पेट में आठ का आंकड़ा बना दूँगा चुप कर साली।
सुलया- अरे भाई ये चिकने बहुत शोर मचा रेले है दूं क्या इसको...
बिल्ला- देख ना साली कपड़े तो धंधे-वाली की जैसे पहने हैं और चिल्ला ऐसे रही है जैसे बहुत शरीफ हो। चल सुलया उतार इसके कपड़े...
महक- “बचाओ... नहीं...”
बिल्ला की बात सुनके सुलया अपने हाथ में का चाकू महक की गर्दन पे त्रगा देता है और एक हाथ से महक का टाप खींच लेता है। महक ने अगर ब्रा नहीं पहनी होती तो शायद आज वो बीच रास्ते में बिल्कुल टापलेश हो जाती।
महक रोने लगी थी। वो अपने आपको कोसने लगती है की क्यूँ उसने सैम को उसे पिकप करने की लिए मना किया था। कार में बैठी सीमा भी जैसे हकक्का-बक्का सी रह गए थी। ये सब देखकर उसके तो मुँह से आवाज भी नहीं निकल पा रही थी।
बिल्ला आगे बढ़ता है और चाकू महक के शार्ट में डालके उसे चीर देता है। वो दोनों अपने गंदे पीले-पीले दाँत दिखाकर हँसे जा रहे थे।
और महक अपनी शार्ट भी उतर जाने से किसी कोमा की मरीज़ की तरह खड़ी थी।
सीमा- भैया हमें जाने दो प्लीज़ वो रोई गिड़गिड़ाई पर उसकी मासूम गुहार का उन दोनों पे कोई असर नहीं होने वाला था।
बिल्ला- हाँ... सुलया देख तेरी वाली मुझे भैया बोलती है साली... भैया नहीं सैयां चलो आज करेगे थाथा थडइया, हाह... बिल्ल्ला के हाथ महक की ब्रा को खोलने की लिए आगे बढ़ते हैं।
तभी एक तेज रफ़्तार बाइक आके बिलला की जाँघ के बीचो-बीच लगती है।
बिल्ला- “अहह...” जोर की चीख के साथ 6 फिट दूर जाके गिरता है।
सुलया- तू कौन है रे हरामजादे...
सैम- “तेरा बाप...” अपने बहन महक को सैम अपनी जैकेट पहनाकर जैसे ही मुड़ता है, उसके सामने बिल्ला और सुलया अपने हाथों में तेज धार चाकू लिए उसकी तरफ बढ़ते हैं। पर सैम के सर पे तो जैसे खून सावर हो गया था, उसे बस महक की चीखें ही सुनाई दे रही थीं
सैम का ढाई किल्लो का हाथ जब बिल्ला की कनपट्टी पे पड़ता है तो उसे अपने माँ का पिया हुआ वो दूध याद आ जाता है जो उसने एक ही बार पिया था। वो चक्कर खाके जमीन चाटने लगता है।
सुलया अपने गुरू को देखकर सैम पे चाकू से वार करता है पर सैम नीचे झुकके अपने जुड्डू-कराते वाली किक सुल्या की छाती पे रख देता है, जिससे सुलया के मुँह से दारू के साथ-साथ खून भी निकलने लगता है।
दोनों जमीन पे चित-पट पड़े थे और सैम बिल्ला की छाती पे पैर रखकर उसे कहता है- “आइंदा इस इलाके में नजर भी आये ना तुम दोनों तो बेटा याद रखना लोहे की रोड पीछे से डालूँगा और मुँह में से निकालूँगा..” दोनों इस लायक ही नहीं बचे थे की कुछ कर पाते। तभी वहाँ पोलिस की वैन आ जाती है और दोनों बदमाशों को कार में भरके पोलिस स्टेशन ले जाते हैं।
सैम सीमा के अब्बू को फोन करता है और कुछ देर में वो भी वहाँ आ जाते हैं और सैम का शुक्रिया अदा करके सीमा को अपने साथ ले जाते हैं।
महक कार के अगले टायर के पास बैठी रो रही थी। उससे वो अभी तक सदमें में थी। सैम उसे सहारा देके उठाता है और बाइक पे बैठाके घर की तरफ चल पड़ता है। महक अभी भी पीछे बैठी-बैठी सिसक रही थी।
महक कार के अगले टायर के पास बैठी रो रही थी। उससे वो अभी तक सदमें में थी। सैम उसे सहारा देके उठाता है और बाइक पे बैठाके घर की तरफ चल पड़ता है। महक अभी भी पीछे बैठी-बैठी सिसक रही थी। जैसे ही वो दोनों घर में पहुँचे |
महक वहीं नीचे फर्श पे बैठके जोर-जोर से रोने ल्रगती है- “मुझे माफ कर दो भाई मुझे माफ कर दो अगर आज तुम नहीं आते तो...” बस वो इतना बोलते जा रही थी और आँसू उसके आँखों से लगातार बह रहे थे।
सैम- “महक मेरा बच्चा... ऐसे रोते नहीं ना जब तक तेरा भाई ज़िंदा है तुझे कोई कुछ नहीं कर सकता चल खड़ी हो जा शाबाश...” और सैम महक को अपने कंधे का सहारा देके उसके रूम मेँ ले जाता है।
महक किसी बच्चे की तरह सैम से चिपकी हुई थी। उसे ये भी फिकर नहीं थी की वो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में है।
सैम- “अब रोना बंद भी कर चुप हो जा महक प्लीज़्ज़्ज़्ज़
महक- 'सैम अगर तू सही वक़्त पे नहीं आता तो.
सैम- “मेरी आँखों में देख..” और सैम महक के दोनों गाल पकड़के आपनी तरफ घुमा लेता है- “तू मेरी अमानत है मेरी जान है और जो कोई मेरी जान की तरफ गलत नजर से देखेगा वो जान से मार दिया जायेगा...”
महक को आज पता नहीं उन आँखों में कौन सा समुंदर नजर आ रहा था जिसमें वो डूब के मर जाना चाहती थी। वो खामोश हो चुकी थी पर होंठ अब भी कांप रहे थे, जिश्म अब भी थरथरा रहा था। वो सैम की मजबूत बाहों में समा जाना चाहती थी। सैम उसे कोई फरिश्ते की तरह नजर आ रहा था।
महक- “इतनी मोहब्बत करता है तू मुझसे सैम...”
सैम- कोई शक...
महक- बिल्कुल नहीं...
सैम- वैसे तू इन छोटे से कपड़ों में भी बहुत अच्छी लग रही है।
महक अपने आपको देखते ही और शर्म-ओ-हया के बदल उसे घेर लेते है वो हल्के से सैम की छाती पे मुक्का मारती है और फिर से सैम की छाती से चिपक जाती है। दोनों पानी में भीगे हुये थी। जिश्म की आग बदन के कपड़ों को धीरे-धीरे सुखा रही थी। पर उन्हें ये कपड़े शायद बोझ लगने लगे थे।
दोनों भाई-बहन एक दूसरे की छाती से चिपके लंबी-लंबी साँसें ले रहे थे। अचानक महक के हाथ सैम को और कसने लगते हैं और सैम की भी पकड़ महक पे बढ़ जाती है। बाहर बिजली जोरों से गरजने लगती है। वो हालात, वो लम्हें, वो वक़्त किसी के हाथ में नहीं था।
महक अपना सर उठाके सैम की आँखों में देखती है और सैम अपने दोनों हाथों से महक की ब्रा का हुक खोलने के कगार पे था, बस उसे महक की हाँ का इंतेजार था।
महक पहली मर्तबा अपने नाजुक गुलाबी कॉँपते होंठ सैम के होंठों पे रख देती है- “गल्पप्प्प... गलपप्प्प..” और सैम महक की ब्रा उसकी छाती से निकल देता है।
यही वो पल था जब दो बदन एक होने वाले थे। दोनों भाई-बहन एक दूसरे को हर जगह चूम रहे थे। चेहरे का कोई हिस्सा ऐसा नहीं बचा था जहाँ महक ने सैम को नहीं चूमा होगा।
सैम महक को बेड पे लेटा देता है और नीचे झुकके उसकी पैंटी उतारने लगता है। महक पैंटी पकड़ लेती है और फिर कुछ सेकेंड बाद छोड़ देती है।
सैम महक की पैंटी उसकी कमर से नीचे उतार चुका था। लाल मखमली गुलाबी होंठों वाले महक की चिकनी बिना बाल वाली चूत सैम के मुँह के सामने थी।
सैम अपने होंठों से पहले महक की चूत को चूमता है जिससे उसकी बरसों की सोई हुई चूत जाग जाती है और अपने महबूब की आमद पे खुशियां मानाने लगती है।
सैम दोनों उंगलियों से महक की चूत के होंठों को खोलता है उसे अंदर एक गुलाबी परदा नजर आता है। सैम अपनी जुबान को और बाहर निकालकर उस पर्दे को छूने के लिए अपनी जुबान महक की चूत में घुसाता चला जाता है- गलपप्प्प... गलपप्प्प... गलपप्प्प
महक- दोनों हाथों से बेडशीट पकड़ लेती है। ये पहली मर्तबा था उसकी ज़िंदगी में जब कोई मर्द उसके उस नाजुक हिस्से को चाट रहा था। आज तक तो उसने भी कभी अपने चूत को इतने प्यार से नहीं देखा होगा जितने प्यार से सैम उसे चाट रहा था।
अहह... सैम अहह... मत कर रे ऐसे मुझे अहह... ऊईई अम्मी ज़ी... पता नहीं तू क्या हूँढ़ रहा है रे जालिम अहहह... ये सिसकी, ये जोश सैम को और अंदर तक चूत चाटने पे मजबूर किए जा रहा था- “गलपप्प्प… गलपप्प्प... महक मत रोक मुझे गल्लपप्प्प... गलपप्प्प...”
महक- “अहह... अहह... स्शह...” उसकी चूत का दाना अपने शब्बाब पे था। वो किसी मटर के दाने की तरह फूल गया था।
सैम जानता था की अगर महक झड़ गयी तो शायद वो आगे कुछ ना करने दे। वो जल्दी से अपनी शर्ट और पैंट उतार देता है और जैसे ही वो अपना अंडरवेर उतारता है, महक घबराके अपना चेहरा छूपा लेती है।
सैम महक के ऊपर चढ़ जाता है और दोनों पैरों को घुटनों के पास से मोड़कर ठीक महक की जाँघ की बीच बैठ जाता है, और अपना सख़्त लण्ड हाथ में पकड़के महक की मखमली चूत की फांकों पे घिसने लगता है अहहह...”
महक- “अम्मी अहह... उऊन्ह... नहीं ना सैम अहह...” दोनों की नजरें मिलती हैं और महक ना चाहती हुये भी सैम को हाँ में सर हिला देती है।
सैम अपने लण्ड पे थूक लगाके एक हल्का सा झटका चूत में मारता है जिससे सैम के लण्ड का सुपाड़ा महक की चूत के पर्दे से टकराता है। दूसरा झटका महक की चूत को चीरता हुआ अहहह... अहह... अंदर तक घुसता चला जाता है।
महक- सैम्म्म्मम नहीं अम्मीईई गगग... निकालो नाआआ सैम्म्म्ममम घूनगज्गग घगुगज्नन्
सैम- “महक की चूचियां को मुँह में लेके चूसने लगता है और अपनी कमर आगे पीछे हिलाने लगता है अहह… अहह... बस थोड़े देर महक... कुछ नहीं होगा ना अहह...”
महक- अहह... मुझे दर्द हो रहा है अहह... प्लीज़्ज निकालो ना सैम अहह... मैं मर रही हूँ नाहह...
सैम- “चुप हो जा महक... बस देख हो गया ना हॉआ... अहह... वो रफ़्तार कम नहीं करता और ना ही निपल्स को मुँह में से निकालता है बल्कि और मसल-मसलकर चूसने लगता है। सैम के चोदने की रफ़्तार ऐसी थी की महक बेड में धंसती चली जा रही थी। तकरीबन 5 मिनट के बाद महक खामोश हो जाती है और सिसकने लगती है।
महक- “अहह... आराम से जालिम अहह... आखिर तून अपनी बहन को अपना बना ही लिया हॉआअ...” उसके दोनों पैर सैम की कमर से लिपटे हुये थे।
सैम- हाँ महक... तुझ पे सबसे पहला हक तो मेरा ही है ना हाअआ आखिर तू मेरी बहन है अहह... तुझे नहीं चोदूँगा तो ज़िंदगी किस काम की अहह...”
महक- “अहह... कितनी गंदे बातें करता है रे अहह... धीरे कर ना अहह...”
सैम- “पहले बोल... आराम से चोदो अहह...”
महक- अहह... मुझे शर्म आती है अहह...
सैम- बोलती है की नहीं और सैम दनादन धक्के मारने लगता है अहह...
महक- उनह... अम्मी गगग आराम से चोदो ना सैम्म्म्म अहह... धीरे चोदो ना अपनी बहन को उहनन् अहह...
सैम चाहता था की महक उसकी तरह गंदी बातें सीख जाए और उसके बची हुई शर्म-ओ-हया भी खतम हो जाये अहह...
महक की ये पहले चुदाई थी इसलिए वो सैम का मुकाबला नहीं कर सकी और 10 मिनट बाद ही सैम से चिपकके झड़ने लगती है अहह... सैम्म्म्म मेरे भाई अहह...
सैम अपनी बहन की मोहब्बत में ऐसा दीवाना हुआ की वो भी कुछ धक्कों के बाद चीखता हुआ अहहह... अपनी महक की चूत में पानी की फुहार छोड़ने लगता है। याहह... अहह... सैम महक के ऊपर से हाथ की साइड में लेट जाता है और महक सैम की छाती पे सर रख देती है।
सैम खामोश था उसे यकीन ही नहीं हो रहा था की वो अपनी सगी जुड़ा बहन के साथ वो सब कर चुका जो उसने शायद सोचा नहीं था। उसे तो नजमा की मोहब्बत की तलाश थी पर हाय रे सैम की किस्मत सिवाय नजमा के हर कोई उसे मोहब्बत कर चुका था।
महक सेक्स करने के बाद एक पछतावे के समुंदर में डूब चुकी थी, अक्सर जो हाल हर किसी का होता है। सेक्स की आग जिश्म को तो जला देती है पर जब इंसान वो कर चुका होता है तो उसे ना चाहते हुये भी उस पे पछतावा होता है।
वो सैम की आँखों में देखते है- सैम हमने जो किया वो नहीं करना चाहिये था।
सैम महक के होंठों पे किस करते हुये- “महक हमने जो किया है उसपे हमें अब पछताना नहीं चाहिए वरना ये मेरे और तुम्हारे मोहब्बत की तौहीन होगी। जो कुछ हुआ उसमें हम दोनों की रजामंदी शामिल थी फिर अब ऐसा क्यूँ सोच रही हो जो होना था हो चुका और जो होना है वो भी अच्छा ही होगा...”
महक- क्या मतलब
सैम महक को नीचे करके उसकी छाती पे चढ़ जाता है।
उसका लण्ड महक की दोनों चूचियां के बीच में आ जाता है और सैम दोनों चूचियां को एक साथ पकड़ के दोनों के बीच में अपना लण्ड आगे-पीछे करने लगता है।
महक की जिस्म में बुझ चुकी चिंगारी फिर से जल उठती है और एक सिसकारी उसके होंठों से अहह... की शक्ल में बाहर निकल जाती है। शर्म-ओ-हया के बदल फिर से
घिरने लगते हैं। पर सैम इन बादलों के पार महक को ले जाना चाहता था उस जगह जहाँ वो खुलकर एक दूसरे से चुदाई की बातें कर सकें और बिलकुल पति-पत्नी की तरह चुदाई कर सकें।
महक- सैम की आँखों में ही देख रही थी। सैम थोड़ा आगे बढ़ता है और अपने लण्ड का सुपाड़ा महक के होंठों पे घिसता है जैसे होंठों पर टीका लगा रहा हो। महक के होंठ थोड़े से खुलते हैं पर इतने नहीं की वो सैम के लण्ड को निगल जाए।
सैम थोड़ा सा लण्ड अंदर की तरफ डालता है- “चूस ले महक अपने भाई का लण्ड...”
महक थोड़ा झिझक रही थी। पर वो सैम को नाराज भी नहीं करना चाहती थी। वो और मुँह खोलती है और जुबान बाहर निकालकर लण्ड पे फेरती है शिप्प्पप्प्प्प्प्प्प्प। सैम प्रेशर देके लण्ड अंदर डालता चला जाता है और वो सीधा महक के हलक में जाके अटक जाता है अहह...
महक- गल्लपप्प्प... गल्नपप्प्प... उहनन्... बहुत बड़ा लण्ड होने की वजह से महक की सांस घुटने लगे थी और आँखें फटी की फटी रह गये थीं पर सैम लगातार अंदर-बाहर किए जा रहा था गल्लपपण्प्प... गलपप्प्प...
सैम- “अहह... ठीक से कर साली हॉआअ...”
महक सैम को गिराकर नीचे कर देती है और खुद उसपे सवार हो जाती है। अब महक बहुत आसानी से लण्ड गटक सकती थी गल्लपप्प्प... गल्लपप्प्प... गल्पणप्प्प सलाइवा और सैम के लण्ड का पानी दोनों नीचे बेडशीट गीला कर रहे थे।
पर महक तो जैसे लण्ड छोड़ने को तैयार ही नहीं थी गलपप्प्प... गलपप्प्प... वो आंडे को मरोड़ मरोड़ के लण्ड चूसती चली जा रही थी।
सैम- अहह... ऐसा मत कर महक दर्द होता है अहह...
महक- चुप कर मेरा है, मेरी मर्ज़ी गलपण्प्प... गलपप्प्प
सैम के लण्ड के नसें फूल चुके थी और लण्ड का सुपाड़ा लाल हो चुका था अब सैम से एक पल भी बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था वो महक के बाल पकड़के उसे डोगी स्टाइल में झुका लेता है और पीछे से अपना लण्ड उसके चूत की होंठों पे घिसने लगता है अहह...
महक- जल्द से जल्द वो तलवार अपने म्यान में लेना चाहती थी अहह... डाल ना रे सैम अहह... जल्दी से डाल दे अंदर अहह...
सैम- ये ले मेरे जान हाँआआ अहह... अहह... वो फिरसे चीरता हुआ अंदर चला गया था, और महक के चेहरे पे खुशी और दर्द का मिला-जुला असर छोड़ गया उनह... आराम से नहीं चोद सकता अहहह... बहन हूँ मैं तेरे कोई रांड़ नहीं हुन्न... अहह...
सैम- साली लण्ड लेने की लिए तड़प रही थी और अब चिल्ला रही है। रुक... अहह... वो महक की गोरी नरम-नरम गाण्ड पे थपाथप थप्पड़ मारने लगता है।
इन थप्पड़ों का महक पे उल्टा है असर होता है और वो और जोश में अपनी गाण्ड पीछे करती हुई सैम का लण्ड अंदर लेती जाती है अहह... अहह... अम्मी क्या खाता है रे आआहह जरा सा तो रहम खा अपनी बहन पे।
सैम-अहह... चोदने दे ना मेरी जान बहुत टाइट है तेरी अहह... अहह... ना धक्कों की बरसात कम हो रही थी और ना महक की गाण्ड रुकने का नाम ले रही थी पूरा रूम दोनों की आवाज़ों से गूँज रहा था।
तकरीबन 20 मिनट की जोरदार चुदाई के बाद महक की टांग जवाब दे गयीं और वो चीखते हुये झड़ने लगती है। अहह... बस कर, मार देगा क्या अहह...
सैम भी उसी के पीछे झड़ने लगता है और फिर वहीं महक के ऊपर लुढ़क जाता है। दोनों बुरी तरह थक चुके थी। उन्हें कब आँख लगी पता है नहीं चला।
पिछली रात की दमदार चुदाई के बाद अगली सुबह सैम की जब आँख खुली तो महक उसके पास नहीं थी वो उठके बाथरूम में फ्रेश होने चला जाता है और फिर जब तौलिया लपेटकर किचेन में आता है तो मारे हैरत के उसके अपंखें फटी की फटी रह जाती हैं।
महक शलवार-कमीज में खड़ी नाश्ता बना रही थी। ज़िंदगी में पहली बार उसने शलवार-कमीज पहनी थी और वो भी निदा भाभी का।
पीछे से बिलकुल निदा की तरह लगने वाली महक इस शलवार-कमीज में जन्नत की हर से कम नहीं लग रही थी। शायद वो भी अभी-अभी नहाकर आई थी। उसके खुली हुई जूल्फें उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रही थीं। सैम अपना तौलिया निकलकर चेयर पे रख देता है और पीछे से महक को दबोच लेता है।
महक- अहह... क्या कर रहे हो, हटो... रात को तो तुमने मुझे मार ही दिया था।
सैम- क्या बात है महक तू तो बहुत खूबसूरत लग रही है.
महक- बस बस मुझे पता है ये तारीफ किसलिये हो रही है पर अभी मुझे बहुत काम है।
सैम- मेरी जान काम के लिए तो पूरे ज़िंदगी पड़ी है। पहले प्यार उसके बाद काम...
महक ने अभी भी सैम को नहीं देखा था की वो किस हाल में खड़ा है। जैसे ही वो मुड़ती है वो शर्मा जाती है। किसी तीर की तरह सैम का लण्ड सीधा महक की गाण्ड का निशाना लिए हुये था।
महक- कपड़े तो पहन लो
सैम- किसलिये जबकी मैं तो तुझे नंगी करने आया हूँ।
महक- हटो सैम।
सैम महक को शेल्फ से खड़ा कर देता है और उसकी दोनों चूचियों को मसलता हुआ उसके होंठों को चूसने लगता है। उसका लण्ड महक की जाँघ में घुसा हुआ था और चूत पे रगड़ खा रहा था।
महक- उनह... नहीं... ना अभी नहीं ना सैम उहनणन् कम करने दो ना हाआ
सैम शलवार का नाड़ा खोलकर उसे नाचे गिरा देता है और पैंटी को थोड़ा साइड में खिसकाकर अपना लण्ड चूत में घुसा देता है अहह... अहह... महक अपनी एक टांग सैम की कमर पे चढ़ाकर खड़ी-खड़ी सैम का लण्ड अंदर ले रही थी। पैंटी पूरी ना उतारने की वजह से सैम का लण्ड पैंटी को घिसता हुआ अंदर बाहर हो रहा था।
सैम को इस चुदाई में और मजा आ रहा था- “महक दिल तो करता है की तुझे रात दिन बस चोदता ही रहूं अहह... क्या चूत है तेरी एकदम मखमल अहहह...”
महक सिसकते हुये अहह... चोदो ना समीर तुम्हारी तो हूँ मैं अहह... ऊडईई अम्मी गगग उनह...
अचानक किसी की जोरदार थप्पड़ सैम की गाण्ड पे पड़ती है सटककक...
सैम चौंकते हुई पीछे देखता है और महक के साथ-साथ उसके भी होश उड़ जाते हैं।
नजमा- “समीर कुत्ते कमीने..” नजमा सैम के पीछे खड़ी थी और उसके आँखों में गुस्सा साफ देखा जा सकता था।
सैम के साथ महक भी बुत बनी खड़ी थी। कमाल की बात तो ये थी की अब भी सैम का लण्ड महक की चूत में था और नजमा की नजर उसी पे थी।
नजमा सामने पड़ा हुआ बेलन उठाके सैम की कमर पे मारती है- “दूर हट बदजात...” और तू बदचलन लड़की ये तूने क्या की तूने अपना कुँवारापन इस कम्बख़्त के हवाले कर दिया। अरे ये तो है ही कमीना। मुझे तुझसे ये उम्मीद नहीं थी
सैम पच की आवाज के साथ अपना लण्ड महक की चूत से बाहर निकल लेता है। उसका पानी नहीं निकला था इसलिये उसका लण्ड अभी भी तना हुआ था और अब नजमा की तरफ इशारा कर रहा था।
तभी वहाँ फिरोजा दाखिल होती है और सामने अपने भान्जे और भान्जी को बिल्कुल नंगा देखकर उसे बड़ा सा झटका लगता है।
वो दोनों तो सत्तारखान को साथ लेके आई थीं यहाँ सिटी के किसी डा: को उन्हें दिखाने गनीमत तो ये थी की सत्तारखान चल फिर नहीं सकते थे। वो बेचारे हवील चेयर पे घर के दरवाजा पे ही बैठे थे।
फिरोज़ा- ये मैं क्या देख रही हूँ बाजी...
नजमा फिरोज़ा की घूरते हुये- “बस कर कमीनी... ये सब तेरा ही किया धरा है, तूने मेरे बच्चे को बिगाड़ दिया है। पहले तू, उसके बाद वो निदा और अब ये कमीनी। इसे तो मैं जान से मार दूंगी...” वो महक की तरफ बढ़ती है पर सही वक़्त पे सैम नजमा का हाथ पकड़ लेता है।
सैम- बस करो अम्मी... अब हम बच्चे नहीं रहे, हम अपना अच्छा-बुरा जानते हैं और अगर आपको हम इतने है बुरे लगते हैं तो ठीक है हम दोनों भाई-बहन हमेशा की लिए ये घर छोड़कर चले जायेंगे...” सैम ने अपना आखिरी हथियार इश्तेमाल कर लिया था। ये वो चीज थी जो नजमा को हिलाकर रख देती थी, सैम से दूर जाने के नाम से ही वो कांप जाती थी।
नजमा आगे बढ़ती है और एक जोरदार थप्पड़ सैम के मुँह पे और एक करारा थप्पड़ महक के मुँह पे रसीद कर देती है- “तू मेरे सबर का और इंतेहान मत ले सैम, तू क्या समझता है की तेरी ये बातें मुझे बहला-फुसला लेंगी। नहीं, कभी नहीं, तू कभी नहीं सुधार सकता, आज मैं जान चुकी हूँ आज के बाद तू मुझसे बात मत करना...”
सैम- पर अम्मी.
नजमा उसे उंगली की इशारे से धमकी देने वाले अंदाज़ में घूरते हुई वहाँ से चली जाती है।
सत्तारख़ान दरवाजे पे थे- “क्या हुआ बेटा सब कीक तो है ना...”
नजमा- ज़ी अब्बू चलिए आपको रूम में ले चलती हूँ।
दोनों अभी भी ऐसे ही खड़े थी पर सैम के साथ-साथ महक के चेहरे पे भी सुकून था।
फिरोज़ा सैम के करीब आती है और अपने हाथ में सैम का लण्ड पकड़ लेती है- "हाय रे जालिम तुझे... एक पल के लिए भी अपनी खाला की याद नहीं आयी... कितना तड़पी हूँ मैं तेरे लिए और तू इस कलमुही को चोद रहा है..” तीनों खाला भानजे जोर-जोर से हँसने लगते हैं।
महक- “तो क्या खाला आप भी.
फिरोज़ा नीचे बैठते हुये- “सबसे पहले मैंने ही तो इसका रस पिया था...” फिरोज़ा कई दिनों की प्यासी थी, उसका हलाक सूखकर बंजर जमीन की तरह हो चुका था।
वो झट से सैम के लण्ड को अपने मुँह में भरके जोर जोर से चूसने लगती है गलपप्प्प... गलपप्प्प... गल्पप्प्प।
सैम- अहह... खाला अम्मी आ जाएंगी छोड़ो नाआ।
फिरोज़ा- आने दे, आज मुझे मत रोक सैम गलपप्प्प... गलपप्प्प...
सैम- “अहह... अहह...” तेज धार के साथ अपना पानी फिरोज़ा के हलाक में उतारने लगता है अहहह...
महक आँखें फाड़े ये सब देख रही थी की कैसे उसकी खाला अपने भानजे के पानी का एक-एक कतरा अपने जुबान से चाट रही है।
सैम जल्दी से वहाँ से भागकर अपने रूम मेँ घुस जाता है और कपड़े पहनने लगता है।
महक जैसे ही मुड़ती है फिरोज़ा उसे पीछे से पकड़के उसकी चूचियां मसलते हुये- क्यूँ रे कैसा लगा...”
महक शरमाते हुये- धत्त... आप भी ना खाला...”
फिरोज़ा उसकी चूत मैं उंगली डालके बाहर निकालते हुये उसे सूंघती है और फिर अपने मुँह में डालके चूसते हुये- “हम्म्म्मम... टेस्टी... रात काफी मस्ती की तुम दोनों ने
महक इस हरकत से सिहर गयी थी, उससे खड़ा रहना मुश्किल हो रहा था। वो तेज कदमों से अपने रूम में घुस जाती है।
फिरोज़ा के चेहरे पे खुशी साफ देखी जा सकती थी। फिरोज़ा के चेहरे पे मुश्कान आ जाती है।
नजमा सत्तारख़ान के पास बैठी बातें कर रही थी तभी वहाँ सैम कपड़े पहनके आता है।
सैम- “नानाजान कैसी तबीयत है आपकी...”
सत्तारख़ान- बिल्कुल ठीक हूँ बेटा, ये तुम्हारी अम्मी ना जबरदस्ती मुझे यहाँ ले आई वरना मैं तो वहीं ठीक था। तुम सुनाओ कैसे हो.
सैम नजमा की तरफ देखते हुये- “बस नानू... शुरू है दिन रात काम...”
नजमा सैम को घूरने लगती है।
सत्तारख़ान- अरे बेटा समीर... तुम्हारी अम्मी हर वक़्त तुम्हारे साथ है, तुम फिकर ना करो। नजमा तुम्हें कभी अकेला नहीं होने देगी। क्यूँ नजमा मैं ठीक कह रहा हुन्न ना।
नजमा- अब्बू.. आप आराम कीजिये, खाना खाने के बाद डा: के पास चलना है। और नजमा उन्हें लेटाकर अपने रूम में चली जाती है। जाते-जाते उसे फिरोज़ा और महक कुछ हँसते हुये बातें करते नजर आती हैं वो महक को खा जाने वाले नजरों से देखते हुये अपने रूम में पहुँच जाती है।
कुछ देर नानू से बात करने की बाद सैम भी नजमा के रूम में चला जाता है। नजमा अपने बेड पे लेटी हुई थी और ऊपर घूमते फैन को देख रही थी।
सैम बेड पे जाके एक कोने में बैठ जाता है- “अम्मी मुझसे बात क्यूँ नहीं कर रही हो आप...”
नजमा कोई जवाब नहीं देती।
सैम- अम्मी प्लीज़ ऐसे मत करो ना देखो चाहिये तो मुझे जान से मार दो पर ऐसे बात तो मत बंद करो।
नजमा- सैम इस वक़्त मैं बहुत गुस्से में हूँ, तू यहाँ से चला जा।
सैम- नहीं जाऊँगा... जब तक आप मुझसे अच्छे से बात नहीं करोगी, मैं कहीं नहीं जाऊँगा।
नजमा बेड से उठके खड़ी हो जाती है- “तू यहाँ से जाता है या मैं बाहर जाऊँ.
सैम- मौके की नजाकत को समझते हुये वहाँ से चले जाने में ही भलाई समझता है। वो अपने रूम में आके बेड पे लेट जाता है और आने वाले वक़्त के बारे में सोचने लगता है।
दोपहर का खाना खाने की बाद।
नजमा- “अब्बू चलीए हम डा: के पास से हो आते हैं। फिरोज़ा तुम घर पे रहना...”
फिरोज़ा- “ठीक है बाजी पर आप अकेले कैसे अब्बू को ले जाएंगी... आप सैम को साथ ले जाओ ना...”
नजमा- नहीं कोई जरूरत नहीं है।
सत्तारख़ान- बेटा फिरोज़ा बिल्कुल ठीक कह रही है, चलो सैम बेटा।
नजमा फिर चुप हो जाती है और तीनों हास्पिटल की तरफ निकल जाते हैं।