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Incest Ek Raja, Ek Ghulam, Char Raniyan

Junglee

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नजमा और सैम के हास्पिटल जाने के बाद महक अपने रूम में चली जाती है और फिरोज़ा मेनदोर बंद करके एक नाइटी पहनके महक के रूम में जाती है। महक बेड पे लेटी हुई थी। फिरोज़ा उसके पास जाके उससे एकदम चिपकके लेट जाती है।

महक उस वक़्त सैम को सोच-सोचकर अपनी चूत सहला रही थी, जब फिरोज़ा उसके ऊपर हाथ रखती है।

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फिरोज़ा- “महक... क्या सोच रहे हो बेटा...”


महक काँपते हुई आवाज में- “खाला आप तो सब जानते हो ना...”


फिरोज़ा- हाँ बेटा... पर एक बात बता की सैम तुझे कितने दिनों से चोद रहा है.


महक- कल रात से...


फिरोज़ा- हम्म्म्मम... पर बेटा... मैंने देखा की सुबह सैम ने तो कंडोम नहीं पहना था। ऐसे तो तू प्रेगनेंट हो जायेगी...”


महक- “हाँ खाला... वो मैं


फिरोज़ा- मैं समझ स्काती हूँ महक, पर आगे से तुझे खयाल रखना होगा।


महक ऐसी बातें अपने खाला से कर रही थी, उसे यकीन ही नहीं हो रहा था पर ये सब सच था। वो झिझकते हुई कहती है- “ठीक है खाला...”


फिरोज़ा- “गुड गर्ल...”


दोनों खाला-भांजी एक दूसरे के इतने करीब थी की उन्हें एक दूसरे की सांसें साफ सुनाई दे रही थीं। अचानक महक अपनी आँखें बंद कर लेती है और फिरोज़ा उसी वक़्त अपने होंठ महक के होंठों पे लगा देती है। दोनों एक दूसरे को पैशनेट किस करने लग जाते है।


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ये सब इतनी जल्दी हुआ की उन्हें संभालने का माँका ही नहीं मिला। इसके पीछे वजह शायद ये थी की फिरोज़ा कितने महीने से सैम के लण्ड की याद में तड़प रही थी और आज जो उसने देखा उससे उसकी चूत पानी छोड़े जा रही थी।

वही हाल महक का था सैम से आधी-अधूरी चुदाई ने उसकी चूत का वो हाल किया था की वो कई बार बाथरूम जाके अपनी चूत रगड़ चुकी थी पर कोई फायदा नहीं हुआ था। दोनों के हॉँठ एक दूसरे से अलग होने का नाम ही नहीं ले रहे थे।


फिरोज़ा महक के पूरे कपड़े उतार चुकी थी और महक नंगी होके अपनी खाला के ऊपर चढ़ी हुई थी। फिरोज़ा अपनी एक उंगली महक की चूत में और एक उंगली महक की गाण्ड में डालके हिला रही थी।


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महक जोश में आके सिसकारियां भर रही थी और फिरोज़ा लगातार अपनी उंगली अंदर-बाहर किए जा रही थी। महक अपनी खाला को भी नंगी कर देती है। सेक्स की प्यास दोनों के जिश्मों को पागल बना रही थी।


फिरोज़ा महक की कमर पे थप्पड़ मारके उसे उल्टा कर देती है और अपनी जुबान महक की गाण्ड के सुराख पे लगाके चूत तक चाटती चली जाती है गल्लपप्प्प... गल्रपप्प्प...

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महक- “अहह... खाला जान अहह...” और जोश में अपनी गाण्ड पीछे झुकाकर फिरोज़ा की जुबान को और अंदर लेना चाहती थी अहह...

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फिरोज़ा महक के क्लिटोरिस को रगड़ते हुई उसे चाट रही थी उहणन्‌ गल्लपप्प्प... गलपण्प्प।



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महक इतने ज्यादा जोश में आ चुकी थी की वो एक चीख के साथ अपना पानी फिरोज़ा के मुँह पे छोड़ने लगती है अहह... खाला अहह... फिरोज़ा सारा पानी पीती चली जाती है।

महक एकदम निढाल हो चुकी थी और कुछ करने की हालत में नहीं थी और
फिरोज़ा वैसे ही नंगी अपनी भांजी को अपने से चिपकाके लेट जाती है।
 

Incestlala

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पिछली रात की दमदार चुदाई के बाद अगली सुबह सैम की जब आँख खुली तो महक उसके पास नहीं थी वो उठके बाथरूम में फ्रेश होने चला जाता है और फिर जब तौलिया लपेटकर किचेन में आता है तो मारे हैरत के उसके अपंखें फटी की फटी रह जाती हैं।

महक शलवार-कमीज में खड़ी नाश्ता बना रही थी। ज़िंदगी में पहली बार उसने शलवार-कमीज पहनी थी और वो भी निदा भाभी का।

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पीछे से बिलकुल निदा की तरह लगने वाली महक इस शलवार-कमीज में जन्नत की हर से कम नहीं लग रही थी। शायद वो भी अभी-अभी नहाकर आई थी। उसके खुली हुई जूल्फें उसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा रही थीं। सैम अपना तौलिया निकलकर चेयर पे रख देता है और पीछे से महक को दबोच लेता है।



महक- अहह... क्या कर रहे हो, हटो... रात को तो तुमने मुझे मार ही दिया था।


सैम- क्‍या बात है महक तू तो बहुत खूबसूरत लग रही है.


महक- बस बस मुझे पता है ये तारीफ किसलिये हो रही है पर अभी मुझे बहुत काम है।


सैम- मेरी जान काम के लिए तो पूरे ज़िंदगी पड़ी है। पहले प्यार उसके बाद काम...


महक ने अभी भी सैम को नहीं देखा था की वो किस हाल में खड़ा है। जैसे ही वो मुड़ती है वो शर्मा जाती है। किसी तीर की तरह सैम का लण्ड सीधा महक की गाण्ड का निशाना लिए हुये था।



महक- कपड़े तो पहन लो


सैम- किसलिये जबकी मैं तो तुझे नंगी करने आया हूँ।


महक- हटो सैम।


सैम महक को शेल्फ से खड़ा कर देता है और उसकी दोनों चूचियों को मसलता हुआ उसके होंठों को चूसने लगता है। उसका लण्ड महक की जाँघ में घुसा हुआ था और चूत पे रगड़ खा रहा था।



महक- उनह... नहीं... ना अभी नहीं ना सैम उहनणन्‌ कम करने दो ना हाआ


सैम शलवार का नाड़ा खोलकर उसे नाचे गिरा देता है और पैंटी को थोड़ा साइड में खिसकाकर अपना लण्ड चूत में घुसा देता है अहह... अहह... महक अपनी एक टांग सैम की कमर पे चढ़ाकर खड़ी-खड़ी सैम का लण्ड अंदर ले रही थी। पैंटी पूरी ना उतारने की वजह से सैम का लण्ड पैंटी को घिसता हुआ अंदर बाहर हो रहा था।


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सैम को इस चुदाई में और मजा आ रहा था- “महक दिल तो करता है की तुझे रात दिन बस चोदता ही रहूं अहह... क्या चूत है तेरी एकदम मखमल अहहह...”


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महक सिसकते हुये अहह... चोदो ना समीर तुम्हारी तो हूँ मैं अहह... ऊडईई अम्मी गगग उनह...

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अचानक किसी की जोरदार थप्पड़ सैम की गाण्ड पे पड़ती है सटककक...


सैम चौंकते हुई पीछे देखता है और महक के साथ-साथ उसके भी होश उड़ जाते हैं।



नजमा- “समीर कुत्ते कमीने..” नजमा सैम के पीछे खड़ी थी और उसके आँखों में गुस्सा साफ देखा जा सकता था।


सैम के साथ महक भी बुत बनी खड़ी थी। कमाल की बात तो ये थी की अब भी सैम का लण्ड महक की चूत में था और नजमा की नजर उसी पे थी।


नजमा सामने पड़ा हुआ बेलन उठाके सैम की कमर पे मारती है- “दूर हट बदजात...” और तू बदचलन लड़की ये तूने क्या की तूने अपना कुँवारापन इस कम्बख़्त के हवाले कर दिया। अरे ये तो है ही कमीना। मुझे तुझसे ये उम्मीद नहीं थी


सैम पच की आवाज के साथ अपना लण्ड महक की चूत से बाहर निकल लेता है। उसका पानी नहीं निकला था इसलिये उसका लण्ड अभी भी तना हुआ था और अब नजमा की तरफ इशारा कर रहा था।


तभी वहाँ फिरोजा दाखिल होती है और सामने अपने भान्‍जे और भान्‍जी को बिल्कुल नंगा देखकर उसे बड़ा सा झटका लगता है।


वो दोनों तो सत्तारखान को साथ लेके आई थीं यहाँ सिटी के किसी डा: को उन्हें दिखाने गनीमत तो ये थी की सत्तारखान चल फिर नहीं सकते थे। वो बेचारे हवील चेयर पे घर के दरवाजा पे ही बैठे थे।



फिरोज़ा- ये मैं क्‍या देख रही हूँ बाजी...


नजमा फिरोज़ा की घूरते हुये- “बस कर कमीनी... ये सब तेरा ही किया धरा है, तूने मेरे बच्चे को बिगाड़ दिया है। पहले तू, उसके बाद वो निदा और अब ये कमीनी। इसे तो मैं जान से मार दूंगी...” वो महक की तरफ बढ़ती है पर सही वक़्त पे सैम नजमा का हाथ पकड़ लेता है।


सैम- बस करो अम्मी... अब हम बच्चे नहीं रहे, हम अपना अच्छा-बुरा जानते हैं और अगर आपको हम इतने है बुरे लगते हैं तो ठीक है हम दोनों भाई-बहन हमेशा की लिए ये घर छोड़कर चले जायेंगे...” सैम ने अपना आखिरी हथियार इश्तेमाल कर लिया था। ये वो चीज थी जो नजमा को हिलाकर रख देती थी, सैम से दूर जाने के नाम से ही वो कांप जाती थी।


नजमा आगे बढ़ती है और एक जोरदार थप्पड़ सैम के मुँह पे और एक करारा थप्पड़ महक के मुँह पे रसीद कर देती है-
“तू मेरे सबर का और इंतेहान मत ले सैम, तू क्या समझता है की तेरी ये बातें मुझे बहला-फुसला लेंगी। नहीं, कभी नहीं, तू कभी नहीं सुधार सकता, आज मैं जान चुकी हूँ आज के बाद तू मुझसे बात मत करना...”


सैम- पर अम्मी.


नजमा उसे उंगली की इशारे से धमकी देने वाले अंदाज़ में घूरते हुई वहाँ से चली जाती है।



सत्तारख़ान दरवाजे पे थे- “क्या हुआ बेटा सब कीक तो है ना...”


नजमा- ज़ी अब्बू चलिए आपको रूम में ले चलती हूँ।


दोनों अभी भी ऐसे ही खड़े थी पर सैम के साथ-साथ महक के चेहरे पे भी सुकून था।


फिरोज़ा सैम के करीब आती है और अपने हाथ में सैम का लण्ड पकड़ लेती है- "हाय रे जालिम तुझे... एक पल के लिए भी अपनी खाला की याद नहीं आयी... कितना तड़पी हूँ मैं तेरे लिए और तू इस कलमुही को चोद रहा है..” तीनों खाला भानजे जोर-जोर से हँसने लगते हैं।



महक- “तो क्‍या खाला आप भी.


फिरोज़ा नीचे बैठते हुये- “सबसे पहले मैंने ही तो इसका रस पिया था...” फिरोज़ा कई दिनों की प्यासी थी, उसका हलाक सूखकर बंजर जमीन की तरह हो चुका था।


वो झट से सैम के लण्ड को अपने मुँह में भरके जोर जोर से चूसने लगती है गलपप्प्प... गलपप्प्प... गल्पप्प्प।


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सैम- अहह... खाला अम्मी आ जाएंगी छोड़ो नाआ।


फिरोज़ा- आने दे, आज मुझे मत रोक सैम गलपप्प्प... गलपप्प्प...


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सैम- “अहह... अहह...” तेज धार के साथ अपना पानी फिरोज़ा के हलाक में उतारने लगता है अहहह...


महक आँखें फाड़े ये सब देख रही थी की कैसे उसकी खाला अपने भानजे के पानी का एक-एक कतरा अपने जुबान से चाट रही है।


सैम जल्दी से वहाँ से भागकर अपने रूम मेँ घुस जाता है और कपड़े पहनने लगता है।


महक जैसे ही मुड़ती है फिरोज़ा उसे पीछे से पकड़के उसकी चूचियां मसलते हुये- क्यूँ रे कैसा लगा...”





महक शरमाते हुये- धत्त... आप भी ना खाला...”


फिरोज़ा उसकी चूत मैं उंगली डालके बाहर निकालते हुये उसे सूंघती है और फिर अपने मुँह में डालके चूसते हुये- “हम्म्म्मम... टेस्टी... रात काफी मस्ती की तुम दोनों ने

महक इस हरकत से सिहर गयी थी, उससे खड़ा रहना मुश्किल हो रहा था। वो तेज कदमों से अपने रूम में घुस जाती है।


फिरोज़ा के चेहरे पे खुशी साफ देखी जा सकती थी। फिरोज़ा के चेहरे पे मुश्कान आ जाती है।


नजमा सत्तारख़ान के पास बैठी बातें कर रही थी तभी वहाँ सैम कपड़े पहनके आता है।



सैम- “नानाजान कैसी तबीयत है आपकी...”


सत्तारख़ान- बिल्कुल ठीक हूँ बेटा, ये तुम्हारी अम्मी ना जबरदस्ती मुझे यहाँ ले आई वरना मैं तो वहीं ठीक था। तुम सुनाओ कैसे हो.


सैम नजमा की तरफ देखते हुये- “बस नानू... शुरू है दिन रात काम...”


नजमा सैम को घूरने लगती है।



सत्तारख़ान- अरे बेटा समीर... तुम्हारी अम्मी हर वक़्त तुम्हारे साथ है, तुम फिकर ना करो। नजमा तुम्हें कभी अकेला नहीं होने देगी। क्यूँ नजमा मैं ठीक कह रहा हुन्न ना।


नजमा- अब्बू.. आप आराम कीजिये, खाना खाने के बाद डा: के पास चलना है। और नजमा उन्हें लेटाकर अपने रूम में चली जाती है। जाते-जाते उसे फिरोज़ा और महक कुछ हँसते हुये बातें करते नजर आती हैं वो महक को खा जाने वाले नजरों से देखते हुये अपने रूम में पहुँच जाती है।


कुछ देर नानू से बात करने की बाद सैम भी नजमा के रूम में चला जाता है। नजमा अपने बेड पे लेटी हुई थी और ऊपर घूमते फैन को देख रही थी।


सैम बेड पे जाके एक कोने में बैठ जाता है- “अम्मी मुझसे बात क्यूँ नहीं कर रही हो आप...”

नजमा कोई जवाब नहीं देती।



सैम- अम्मी प्लीज़ ऐसे मत करो ना देखो चाहिये तो मुझे जान से मार दो पर ऐसे बात तो मत बंद करो।


नजमा- सैम इस वक़्त मैं बहुत गुस्से में हूँ, तू यहाँ से चला जा।


सैम- नहीं जाऊँगा... जब तक आप मुझसे अच्छे से बात नहीं करोगी, मैं कहीं नहीं जाऊँगा।


नजमा बेड से उठके खड़ी हो जाती है- “तू यहाँ से जाता है या मैं बाहर जाऊँ.



सैम- मौके की नजाकत को समझते हुये वहाँ से चले जाने में ही भलाई समझता है। वो अपने रूम में आके बेड पे लेट जाता है और आने वाले वक़्त के बारे में सोचने लगता है।


दोपहर का खाना खाने की बाद।


नजमा- “अब्बू चलीए हम डा: के पास से हो आते हैं। फिरोज़ा तुम घर पे रहना...”


फिरोज़ा- “ठीक है बाजी पर आप अकेले कैसे अब्बू को ले जाएंगी... आप सैम को साथ ले जाओ ना...”


नजमा- नहीं कोई जरूरत नहीं है।


सत्तारख़ान- बेटा फिरोज़ा बिल्कुल ठीक कह रही है, चलो सैम बेटा।


नजमा फिर चुप हो जाती है और तीनों हास्पिटल की तरफ निकल जाते हैं।
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Junglee

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सैम और नजमा जब सत्तारख़ान को हास्पिटल लेके पहुँचे तब तक सत्तारख़ान की हालत बेहतर थी पर अचानक नजाने क्‍या हुआ की उन्हें राइट हैंड साइड मेँ दर्द होने लगा जब डा ने उन्हें चेक किया तो पता चला की उन्हें हार्ट अटक आया है। इस बात से नजमा के साथ-साथ सैम भी बुरी तरह डर गया था।


डाॅ ने उन्हें कुछ दिन आईःसी-यू. में रखने की सलाह दी और नजमा के कहने पे उन्हें हास्पिटलाइज़्ड कर दिया गया। दोनों माँ बेटे हास्पिटल की बेंच पे चुपचाप बैठे थे। दोनों सत्तारख़ान की तबीयत को लेके काफी परेशान थे।



सैम चुप्पी तोड़ता है- “अम्मी, शायद नानू को कुछ दिन यहीं रहना पड़ सकता है। ऐसा करते हैं की मेँ यहाँ नानू के पास रुक जाता हूँ। आप घर जाके फ्रेश हो जाओ और आपको आफिस भी तो जाना है.


नजमा- “पर यहाँ तुम अकेले कैसे देख पाओगे...”


सैम- “चिंता नहीं अम्मी, आप फिकर ना करो। मैं मैनेज़ कर लूंगा...”


सत्तारख़ान से मिलने के बाद नजमा घर चली जाती है। महक और फिरोजा भी फ्रेश हो चुकी थी और हाल में बैठी बातें कर रहे थीं। जब नजमा ने उन्हें सत्तारख़ान के बारे में बताया तो वो दोनों भी परेशान सी हो गयीं।



फिरोजा- “बाजी, वहाँ अब्बू की पास कौन है.


नजमा- “सैम वहीं रुकेगा। मैं आफिस जा रही हूँ मुझे कुछ काम निपटाने हैं, वहाँ से हास्पिटल चली जाऊऊँगी...”

नजमा के चेहरे पे परेशानी साफ देखी जा सकती थी।


वो दिन भी गुजर गया और सत्तारख़ान की तबीयत में थोड़ा सा सुधार आया था पर डा. ने उन्हें
7 दिन यहीं रखने का फैसला किया था ताके उनकी ठीक से जाँच हो सके। रात भर सैम सत्तारख़ान के पास रुकता और सुबह बस फ्रेश होने घर आ जाता। नाश्ता करके वो वापस हास्पिटल चला जाता। दिन रात ऐसे ही सत्तारख़ान की देख-भाल मेँ गुजर रहे थे।


आज सत्तारख़ान को हास्पिटल में आए हुई पूरे
8 दिन हो चुके थे और इन 8 दिनों में सैम ने उनकी दिल-ओ-जान से खिदमत किया था | वो ना रात को सो पाया था और ना दिन में। क्योंकि सत्तारखान को कभी भी किसी भी चीज की जरूरत पड़ जाती थी।


फिरोज़ा और महक के साथ नजमा का दिल भी ये देखकर बाग-बाग हो गया था की सैम ने एक नवासे होने का फर्ज़ बहुत अच्छे से निभाया है। जिस दिन सत्तारख़ान को डिस्चार्ज मिलने वाला था उस दिन महक और फिरोज़ा भी हास्पिटल में मौजूद थीं।


सैम ने सत्तारखखान को महक और फिरोज़ा के साथ एक कार में घर की तरफ रवाना कर दिया और वो नजमा के साथ पेमेंट करके जैसे ही अपनी कार में जाके बैठा उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने उसकी जाँघ की कोई नस पूरी ताकत से दबा दी हो। वो दर्द से चीख उठा। पास में बैठी हुई नजमा भी उसकी चीख से सहम गयी।



नजमा- क्‍या हुआ बेटा तू ठीक तो है ना।


सैम- अहह... अम्मी मेरी जाँघ में बहुत दर्द हो रहा है अहह... प्लीज़ कुछ कीजिये अहह...


नजमा ने फौरन कुछ वर्कर्स को आवाज दी और सैम को एक गायनिक डा की पास ले जाया गया। वो दर्द से चीख रहा था। वो एक लेडी डा थी उसने सैम को लेट जाने की लिए कहा और उसकी पैंट नीचे खींच कर इधर उधर देखने लगी



सैम- अहह... प्लीज़ डा कुछ कीजिये अहह...


नजमा ये सब देख रही थी, उसे अजीब सी घबराहट हो रही थी की पता नहीं सैम को क्या हो गया है.

डा ने एक जेल्ली लेके सैम के लड पे लगाया और लण्ड को सहलाने लगी



नजमा- “ये आप क्या कर रहे है डा...”


डाॅ कुछ नहीं कहती और अपना काम चालू रखती है। एक पिचकारी सी निकलती है और डाॅ के पूरे ग्लबव्स उस पानी की धार से गीले हो जाते हैं।

जिससे सैम को थोड़ी राहत मिलती है।


डाॅ सैम को बाहर बैठने के लिए कहती है और नजमा से बात करने लगती है।



नजमा- “क्या हुआ डा... सैम ठीक तो है ना, उसे कुछ प्राब्लम तो नहीं हुई है ना...”


डाॅ- “घबराने की कोई बात नहीं है। पहले आप ये बताइए की समीर की शादी हो गयी है क्‍या...”


नजमा- जी नहीं...


डा- तो जल्द से जल्द उसके शादी कर दीजिये, कयोंकी उसके स्पर्म काफी आक्टिव हैं। शायद उसने काफी दिनों से मूठ नहीं मारी है जिसकी वजह से उसका सीमेन गाढ़ा हो गया है और वो पेशाब की नली में आके अटकने लगा है। अगर सैम के शादी हो चुकी होती तो इंटरकोर्स (चुदाई) की वजह से ये प्राब्लम नहीं आती।


नजमा समझ जाती है की ये क्यूँ हुआ
8 दिनों से सैम हास्पिटल में था और उसके आगे उसका दिमाग हर चीज समझ चुका था। नजमा पूछी- “डाॅ. जब तक सैम की शादी नहीं हो जाती तब तक क्या प्रिकाशन लेनी होगी...”



डाॅ.- “जब भी उसे ऐसा दर्द हो तो उसके सीमेन को बाहर निकालना बहुत जरूरी है वरना कुछ भी हो सकता है। अपने अभी देखी होंगी की जिस तरह मैंने सैम के सीमेन को बाहर निकाला उसी तरह शायद आपको भी उस कंडीशन में करना पड़ सकता है।


नजमा चुपचाप वहाँ से सैम को लेके घर पहुँच जाती है। नजमा डाॅ. की कहे हुई बातें फिरोज और महक को बताती है क्योंकी वो ये सब करना नहीं चाहती थी। वो चाहती थी की अगर सैम को दुबारा ये तकलीफ हो तो फिरोजा और महक कुछ करें।
 
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महक उस वक़्त सैम को सोच-सोचकर अपनी चूत सहला रही थी, जब फिरोज़ा उसके ऊपर हाथ रखती है।

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महक- कल रात से...


फिरोज़ा- हम्म्म्मम... पर बेटा... मैंने देखा की सुबह सैम ने तो कंडोम नहीं पहना था। ऐसे तो तू प्रेगनेंट हो जायेगी...”


महक- “हाँ खाला... वो मैं


फिरोज़ा- मैं समझ स्काती हूँ महक, पर आगे से तुझे खयाल रखना होगा।


महक ऐसी बातें अपने खाला से कर रही थी, उसे यकीन ही नहीं हो रहा था पर ये सब सच था। वो झिझकते हुई कहती है- “ठीक है खाला...”


फिरोज़ा- “गुड गर्ल...”


दोनों खाला-भांजी एक दूसरे के इतने करीब थी की उन्हें एक दूसरे की सांसें साफ सुनाई दे रही थीं। अचानक महक अपनी आँखें बंद कर लेती है और फिरोज़ा उसी वक़्त अपने होंठ महक के होंठों पे लगा देती है। दोनों एक दूसरे को पैशनेट किस करने लग जाते है।


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ये सब इतनी जल्दी हुआ की उन्हें संभालने का माँका ही नहीं मिला। इसके पीछे वजह शायद ये थी की फिरोज़ा कितने महीने से सैम के लण्ड की याद में तड़प रही थी और आज जो उसने देखा उससे उसकी चूत पानी छोड़े जा रही थी।

वही हाल महक का था सैम से आधी-अधूरी चुदाई ने उसकी चूत का वो हाल किया था की वो कई बार बाथरूम जाके अपनी चूत रगड़ चुकी थी पर कोई फायदा नहीं हुआ था। दोनों के हॉँठ एक दूसरे से अलग होने का नाम ही नहीं ले रहे थे।


फिरोज़ा महक के पूरे कपड़े उतार चुकी थी और महक नंगी होके अपनी खाला के ऊपर चढ़ी हुई थी। फिरोज़ा अपनी एक उंगली महक की चूत में और एक उंगली महक की गाण्ड में डालके हिला रही थी।


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महक जोश में आके सिसकारियां भर रही थी और फिरोज़ा लगातार अपनी उंगली अंदर-बाहर किए जा रही थी। महक अपनी खाला को भी नंगी कर देती है। सेक्स की प्यास दोनों के जिश्मों को पागल बना रही थी।


फिरोज़ा महक की कमर पे थप्पड़ मारके उसे उल्टा कर देती है और अपनी जुबान महक की गाण्ड के सुराख पे लगाके चूत तक चाटती चली जाती है गल्लपप्प्प... गल्रपप्प्प...

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फिरोज़ा महक के क्लिटोरिस को रगड़ते हुई उसे चाट रही थी उहणन्‌ गल्लपप्प्प... गलपण्प्प।



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सैम और नजमा जब सत्तारख़ान को हास्पिटल लेके पहुँचे तब तक सत्तारख़ान की हालत बेहतर थी पर अचानक नजाने क्‍या हुआ की उन्हें राइट हैंड साइड मेँ दर्द होने लगा जब डा ने उन्हें चेक किया तो पता चला की उन्हें हार्ट अटक आया है। इस बात से नजमा के साथ-साथ सैम भी बुरी तरह डर गया था।


डाॅ ने उन्हें कुछ दिन आईःसी-यू. में रखने की सलाह दी और नजमा के कहने पे उन्हें हास्पिटलाइज़्ड कर दिया गया। दोनों माँ बेटे हास्पिटल की बेंच पे चुपचाप बैठे थे। दोनों सत्तारख़ान की तबीयत को लेके काफी परेशान थे।



सैम चुप्पी तोड़ता है- “अम्मी, शायद नानू को कुछ दिन यहीं रहना पड़ सकता है। ऐसा करते हैं की मेँ यहाँ नानू के पास रुक जाता हूँ। आप घर जाके फ्रेश हो जाओ और आपको आफिस भी तो जाना है.


नजमा- “पर यहाँ तुम अकेले कैसे देख पाओगे...”


सैम- “चिंता नहीं अम्मी, आप फिकर ना करो। मैं मैनेज़ कर लूंगा...”


सत्तारख़ान से मिलने के बाद नजमा घर चली जाती है। महक और फिरोजा भी फ्रेश हो चुकी थी और हाल में बैठी बातें कर रहे थीं। जब नजमा ने उन्हें सत्तारख़ान के बारे में बताया तो वो दोनों भी परेशान सी हो गयीं।



फिरोजा- “बाजी, वहाँ अब्बू की पास कौन है.


नजमा- “सैम वहीं रुकेगा। मैं आफिस जा रही हूँ मुझे कुछ काम निपटाने हैं, वहाँ से हास्पिटल चली जाऊऊँगी...”

नजमा के चेहरे पे परेशानी साफ देखी जा सकती थी।


वो दिन भी गुजर गया और सत्तारख़ान की तबीयत में थोड़ा सा सुधार आया था पर डा. ने उन्हें
7 दिन यहीं रखने का फैसला किया था ताके उनकी ठीक से जाँच हो सके। रात भर सैम सत्तारख़ान के पास रुकता और सुबह बस फ्रेश होने घर आ जाता। नाश्ता करके वो वापस हास्पिटल चला जाता। दिन रात ऐसे ही सत्तारख़ान की देख-भाल मेँ गुजर रहे थे।


आज सत्तारख़ान को हास्पिटल में आए हुई पूरे
8 दिन हो चुके थे और इन 8 दिनों में सैम ने उनकी दिल-ओ-जान से खिदमत किया था | वो ना रात को सो पाया था और ना दिन में। क्योंकि सत्तारखान को कभी भी किसी भी चीज की जरूरत पड़ जाती थी।


फिरोज़ा और महक के साथ नजमा का दिल भी ये देखकर बाग-बाग हो गया था की सैम ने एक नवासे होने का फर्ज़ बहुत अच्छे से निभाया है। जिस दिन सत्तारख़ान को डिस्चार्ज मिलने वाला था उस दिन महक और फिरोज़ा भी हास्पिटल में मौजूद थीं।


सैम ने सत्तारखखान को महक और फिरोज़ा के साथ एक कार में घर की तरफ रवाना कर दिया और वो नजमा के साथ पेमेंट करके जैसे ही अपनी कार में जाके बैठा उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने उसकी जाँघ की कोई नस पूरी ताकत से दबा दी हो। वो दर्द से चीख उठा। पास में बैठी हुई नजमा भी उसकी चीख से सहम गयी।



नजमा- क्‍या हुआ बेटा तू ठीक तो है ना।


सैम- अहह... अम्मी मेरी जाँघ में बहुत दर्द हो रहा है अहह... प्लीज़ कुछ कीजिये अहह...


नजमा ने फौरन कुछ वर्कर्स को आवाज दी और सैम को एक गायनिक डा की पास ले जाया गया। वो दर्द से चीख रहा था। वो एक लेडी डा थी उसने सैम को लेट जाने की लिए कहा और उसकी पैंट नीचे खींच कर इधर उधर देखने लगी



सैम- अहह... प्लीज़ डा कुछ कीजिये अहह...


नजमा ये सब देख रही थी, उसे अजीब सी घबराहट हो रही थी की पता नहीं सैम को क्या हो गया है.

डा ने एक जेल्ली लेके सैम के लड पे लगाया और लण्ड को सहलाने लगी



नजमा- “ये आप क्या कर रहे है डा...”


डाॅ कुछ नहीं कहती और अपना काम चालू रखती है। एक पिचकारी सी निकलती है और डाॅ के पूरे ग्लबव्स उस पानी की धार से गीले हो जाते हैं।

जिससे सैम को थोड़ी राहत मिलती है।


डाॅ सैम को बाहर बैठने के लिए कहती है और नजमा से बात करने लगती है।



नजमा- “क्या हुआ डा... सैम ठीक तो है ना, उसे कुछ प्राब्लम तो नहीं हुई है ना...”


डाॅ- “घबराने की कोई बात नहीं है। पहले आप ये बताइए की समीर की शादी हो गयी है क्‍या...”


नजमा- जी नहीं...


डा- तो जल्द से जल्द उसके शादी कर दीजिये, कयोंकी उसके स्पर्म काफी आक्टिव हैं। शायद उसने काफी दिनों से मूठ नहीं मारी है जिसकी वजह से उसका सीमेन गाढ़ा हो गया है और वो पेशाब की नली में आके अटकने लगा है। अगर सैम के शादी हो चुकी होती तो इंटरकोर्स (चुदाई) की वजह से ये प्राब्लम नहीं आती।


नजमा समझ जाती है की ये क्यूँ हुआ
8 दिनों से सैम हास्पिटल में था और उसके आगे उसका दिमाग हर चीज समझ चुका था। नजमा पूछी- “डाॅ. जब तक सैम की शादी नहीं हो जाती तब तक क्या प्रिकाशन लेनी होगी...”



डाॅ.- “जब भी उसे ऐसा दर्द हो तो उसके सीमेन को बाहर निकालना बहुत जरूरी है वरना कुछ भी हो सकता है। अपने अभी देखी होंगी की जिस तरह मैंने सैम के सीमेन को बाहर निकाला उसी तरह शायद आपको भी उस कंडीशन में करना पड़ सकता है।


नजमा चुपचाप वहाँ से सैम को लेके घर पहुँच जाती है। नजमा डाॅ. की कहे हुई बातें फिरोज और महक को बताती है क्योंकी वो ये सब करना नहीं चाहती थी। वो चाहती थी की अगर सैम को दुबारा ये तकलीफ हो तो फिरोजा और महक कुछ करें।
Superb update
 
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Amir

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पिछले भाग में महक निदा और जेबा को चुदते हूए देख लेती है जिससे वो सैम को गुस्से से देखकर अपने कमरे में चली जाती है

अब आगे


निदा उसके जाने की बाद सैम को देखते हुये- “अब क्या होगा सैम कहीं महक अम्मी को तो बता नहीं देगी…


सैम भी यही सोच रहा था, वो निदा को दिलासा देता हुआ महक के रूम की तरफ बढ़ जाता है।


महक अपने रूम में बेड पे बैठी हुई थी। जैसे ही वो सैम को अपने रूम में घुसता देखती है वो खड़ी हो जाती है और चीखते हुये उसे अपने रूम से बाहर धकेलने ल्रगती है- “निकल जा जलील इंसान तू मेरा भाई नहीं हो सकता। तू अपनी भाभी और खाला के साथ कितनी जलील हरकत कर रहा था और ना जाने किन-किन के साथ ये गंदा काम कर चुका है। मैं तेरी शकल भी नहीं देखना चाहती। तू निकल जा मेरे रूम से वरना मैं अम्मी को बुलाऊँगी...”


सैम- “ओके महक... बस एक मिनट मेरी बात सुन ले फिर मैं चला जाऊँगा...”


महक- मुझे तेरे कोई बात नहीं सुननी, तुझसे तो कल अम्मी ही बात करेगी, निकल अभी के अभी।


सैम अम्मी का नाम सुनके घबरा जाता है, और वो महक का दरवाजा बंद करके महक को बेड पे पटक देता है और उसके ऊपर चढ़ जाता है। एक हाथ से वो महक को कंट्रोल कर रहा था और दूसरे हाथ से वो महक के मुँह को बंद करने की कोशिश कर रहा था। महक सैम के हाथ को जोर से काट लेती है।


सैम- “ऊऊचह कमीनी जरा...”


सैम एक करारा थप्पड़ महक के गालों पे जड़ देता है जिससे महक को रात में सूरज नजर आ जाता है- “अपना मुँह बंद रख समझी ना वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा महक...”

ये बोलके सैम वहाँ रुका नहीं बलकी सीधा अपने रूम में चला गया। वो जानता था की ये थप्पड़ महक को कुछ दिन तो खामोश रख ही लेगा। आगे जो होगा वो देखा जायेगा

महक अपने रूम में रोती तिलमिलाती सैम को गलियां देती पता नहीं क्‍या सोचने लगती है।
Bro sari store ka maza kharab kr diya apne hindi ma likh kr . ab mujy hindi nahe ati or mery jsy bohat hai jin KO hindi nahe ati wo to ab apki store nahe par pay gay na.
 

Amir

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सैम और नजमा जब सत्तारख़ान को हास्पिटल लेके पहुँचे तब तक सत्तारख़ान की हालत बेहतर थी पर अचानक नजाने क्‍या हुआ की उन्हें राइट हैंड साइड मेँ दर्द होने लगा जब डा ने उन्हें चेक किया तो पता चला की उन्हें हार्ट अटक आया है। इस बात से नजमा के साथ-साथ सैम भी बुरी तरह डर गया था।


डाॅ ने उन्हें कुछ दिन आईःसी-यू. में रखने की सलाह दी और नजमा के कहने पे उन्हें हास्पिटलाइज़्ड कर दिया गया। दोनों माँ बेटे हास्पिटल की बेंच पे चुपचाप बैठे थे। दोनों सत्तारख़ान की तबीयत को लेके काफी परेशान थे।



सैम चुप्पी तोड़ता है- “अम्मी, शायद नानू को कुछ दिन यहीं रहना पड़ सकता है। ऐसा करते हैं की मेँ यहाँ नानू के पास रुक जाता हूँ। आप घर जाके फ्रेश हो जाओ और आपको आफिस भी तो जाना है.


नजमा- “पर यहाँ तुम अकेले कैसे देख पाओगे...”


सैम- “चिंता नहीं अम्मी, आप फिकर ना करो। मैं मैनेज़ कर लूंगा...”


सत्तारख़ान से मिलने के बाद नजमा घर चली जाती है। महक और फिरोजा भी फ्रेश हो चुकी थी और हाल में बैठी बातें कर रहे थीं। जब नजमा ने उन्हें सत्तारख़ान के बारे में बताया तो वो दोनों भी परेशान सी हो गयीं।



फिरोजा- “बाजी, वहाँ अब्बू की पास कौन है.


नजमा- “सैम वहीं रुकेगा। मैं आफिस जा रही हूँ मुझे कुछ काम निपटाने हैं, वहाँ से हास्पिटल चली जाऊऊँगी...”

नजमा के चेहरे पे परेशानी साफ देखी जा सकती थी।


वो दिन भी गुजर गया और सत्तारख़ान की तबीयत में थोड़ा सा सुधार आया था पर डा. ने उन्हें
7 दिन यहीं रखने का फैसला किया था ताके उनकी ठीक से जाँच हो सके। रात भर सैम सत्तारख़ान के पास रुकता और सुबह बस फ्रेश होने घर आ जाता। नाश्ता करके वो वापस हास्पिटल चला जाता। दिन रात ऐसे ही सत्तारख़ान की देख-भाल मेँ गुजर रहे थे।


आज सत्तारख़ान को हास्पिटल में आए हुई पूरे
8 दिन हो चुके थे और इन 8 दिनों में सैम ने उनकी दिल-ओ-जान से खिदमत किया था | वो ना रात को सो पाया था और ना दिन में। क्योंकि सत्तारखान को कभी भी किसी भी चीज की जरूरत पड़ जाती थी।


फिरोज़ा और महक के साथ नजमा का दिल भी ये देखकर बाग-बाग हो गया था की सैम ने एक नवासे होने का फर्ज़ बहुत अच्छे से निभाया है। जिस दिन सत्तारख़ान को डिस्चार्ज मिलने वाला था उस दिन महक और फिरोज़ा भी हास्पिटल में मौजूद थीं।


सैम ने सत्तारखखान को महक और फिरोज़ा के साथ एक कार में घर की तरफ रवाना कर दिया और वो नजमा के साथ पेमेंट करके जैसे ही अपनी कार में जाके बैठा उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने उसकी जाँघ की कोई नस पूरी ताकत से दबा दी हो। वो दर्द से चीख उठा। पास में बैठी हुई नजमा भी उसकी चीख से सहम गयी।



नजमा- क्‍या हुआ बेटा तू ठीक तो है ना।


सैम- अहह... अम्मी मेरी जाँघ में बहुत दर्द हो रहा है अहह... प्लीज़ कुछ कीजिये अहह...


नजमा ने फौरन कुछ वर्कर्स को आवाज दी और सैम को एक गायनिक डा की पास ले जाया गया। वो दर्द से चीख रहा था। वो एक लेडी डा थी उसने सैम को लेट जाने की लिए कहा और उसकी पैंट नीचे खींच कर इधर उधर देखने लगी



सैम- अहह... प्लीज़ डा कुछ कीजिये अहह...


नजमा ये सब देख रही थी, उसे अजीब सी घबराहट हो रही थी की पता नहीं सैम को क्या हो गया है.

डा ने एक जेल्ली लेके सैम के लड पे लगाया और लण्ड को सहलाने लगी



नजमा- “ये आप क्या कर रहे है डा...”


डाॅ कुछ नहीं कहती और अपना काम चालू रखती है। एक पिचकारी सी निकलती है और डाॅ के पूरे ग्लबव्स उस पानी की धार से गीले हो जाते हैं।

जिससे सैम को थोड़ी राहत मिलती है।


डाॅ सैम को बाहर बैठने के लिए कहती है और नजमा से बात करने लगती है।



नजमा- “क्या हुआ डा... सैम ठीक तो है ना, उसे कुछ प्राब्लम तो नहीं हुई है ना...”


डाॅ- “घबराने की कोई बात नहीं है। पहले आप ये बताइए की समीर की शादी हो गयी है क्‍या...”


नजमा- जी नहीं...


डा- तो जल्द से जल्द उसके शादी कर दीजिये, कयोंकी उसके स्पर्म काफी आक्टिव हैं। शायद उसने काफी दिनों से मूठ नहीं मारी है जिसकी वजह से उसका सीमेन गाढ़ा हो गया है और वो पेशाब की नली में आके अटकने लगा है। अगर सैम के शादी हो चुकी होती तो इंटरकोर्स (चुदाई) की वजह से ये प्राब्लम नहीं आती।


नजमा समझ जाती है की ये क्यूँ हुआ
8 दिनों से सैम हास्पिटल में था और उसके आगे उसका दिमाग हर चीज समझ चुका था। नजमा पूछी- “डाॅ. जब तक सैम की शादी नहीं हो जाती तब तक क्या प्रिकाशन लेनी होगी...”



डाॅ.- “जब भी उसे ऐसा दर्द हो तो उसके सीमेन को बाहर निकालना बहुत जरूरी है वरना कुछ भी हो सकता है। अपने अभी देखी होंगी की जिस तरह मैंने सैम के सीमेन को बाहर निकाला उसी तरह शायद आपको भी उस कंडीशन में करना पड़ सकता है।


नजमा चुपचाप वहाँ से सैम को लेके घर पहुँच जाती है। नजमा डाॅ. की कहे हुई बातें फिरोज और महक को बताती है क्योंकी वो ये सब करना नहीं चाहती थी। वो चाहती थी की अगर सैम को दुबारा ये तकलीफ हो तो फिरोजा और महक कुछ करें।
Agr kuch ho sakta hai to bta dy nahe to bye kr dety hain store KO mind na krna par kiya kr sakty hain jab ek zuban at I he nahe
 
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