If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.
पिछले भाग में जब सैम फ्रेश होके बाहर आया तो फिरोज़ा और महक के साथ-साथ सत्तारख़ान की भी जाने की तैयारी हो चुकी थी, कुछ देर इधर-उधर की बातें करने की बाद नजमा और सैम तीनों को कार में बैठाकर रवाना कर देते हैं और नजमा किचेन में बर्तन साफ करने चली जाती है।
अब आगे
सैम अम्मी-अम्मी करते हुये वहाँ आ जाता है और पीछे से नजमा को पकड़ लेता है- “अम्मी आज मौसम बड़ा बेईमान है.
नजमा- वो तो रोज है रहता है।
सैम- अम्मी आपका दिल इस मौसम में कुछ करने को नहीं करता...
नजमा- ज़ी नहीं... अब जाओ मुझे काम करने दो फिर आफिस भी जाना है।
पर सैम के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था। वो पीछे से नजमा की दोनों चूचियों को नाइटी में से निकालकर मसलने लगता है अहह...
नजमा- ऊउउ छोड़ो ना बेटा काम करने दो।
सैम अपनी जुबान नजमा के गले पे लगाके किस करते हुये- “अम्मी आई लोव यू...” और वो चूचियां मसलते हुई किस्सिंग शुरू रखता है।
नजमा जो कल रात से इसी पल के इंतेजार में थी की कब सैम उसे छेड़ता है वो सैम की इस हरकत से मचलने लगती है-“अहह... नहीं ना बेटा ये गलत है ना...”
सैम- अपनी अम्मी को प्यार करना कोई गलत नहीं है अम्मी। और सैम नजमा को गोद में उठाके बेडरूम में ले जाता है और उसकी नाइटी बदन से अलग कर देता है।
नजमा- अहह... नहीं सैम रुक जा वरना बहुत देर हो जायेगी बेटा अहह... वो खामोशी से अपने सारे कपड़े भी निकाल देता है। दोनों एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे खड़े थे। नजमा की आँखें सैम के लटकते हुये लण्ड पे टिकी हुई थी और सैम की नजमा की चिकनी चूत पे। दोनों की सांसें फूली हुई थी पर दोनों जल्दी में नहीं थे।
सैम नजमा के पास आके उसे अपनी बाहों में भरके अपने होंठ उसके होंठों के पास लाता है- “अम्मी मैं आपको प्यार करना चाहता हूँ आपकी मर्ज़ी से... क्या आप मुझे अपना जिश्म रोज खुशी से दोगी...”
नजमा के होंठ लरज जाते हैं, जुबान हिल नहीं पाती, सैम ने उससे वो सवाल किया था जिसका जवाब उसने रात में जागते हुये ही सोच लिया था।
वो अपनी बाहें सैम के गले मेँ डाल देती है और उसकी आँखों में देखते हुये धीरे से कहती है- “समीर बेटा आज तू अपनी अम्मी को हमेशा-हमेशा के लिए अपनी बना ले, मुझे ऐसे प्यार कर की मैं दुनिया को भूल जाऊँ। मुझे इस घर में हर जगह, हर तरह से प्यार कर मैं तेरी गुलाम बन जाऊँ... अगर तू मेरा बेटा है तो तू आज मेरे दूध का कर्ज अदा कर दे। बना ले अपनी अम्मी को अपना। बोल करेगा ना मुझे प्यार, इस वादे के साथ की ये सिर्फ कुछ वक़्त की मोहब्बत नहीं बल्कि जिंदगी भर का साथ होगा...”
दोनों एक दूसरे की आँखों में देखते हुये मुस्कुराए और सैम ने अपनी अम्मी नजमा को अपनी बाहों में ऐसे समेटा की नजमा पिघलती चली गयी।
दोनों माँ बेटे एक दूसरे को चूम रहे थे, काट रहे थे, नजमा के नाखून सैम की पीठ पे उसे कुरेद रहे थे आज इश्क और जुनून का मिलन हो रहा था, वो जोश वो वाल वाला इतना ज्यादा था की उन्हें दर्द का एहसास भी नहीं हो रहा था।
सैम नजमा को बेड पे लेटा देता है और अपने पैदाइश की जगह को कुछ देर गौर से देखने लगता है। नजमा भी पैर खोलकर सैम को चूत और गाण्ड दिखाने लगती है। फिर धीरे से सैम अपनी जुबान से नजमा की चूत को पहले चूमता है और फिर उसे बड़े प्यार से चाटने लगता है गलपप्प्प...
नजमा अंदर तक कांप जाती है। उसके-रोम रोम में बिजलियां दौड़ रही थी और जिश्म सैम के हर चूमने से मचल उठता था। वो बस सिसक सकती थी और सैम के सर को अपनी चूत पे दबाती जा रही थी उन्हनन्… अहह... मेरा बेटा अहह... समीर आज अपनी अम्मी को उनह... नहीं नाआआ...
समीर ने नजमा के क्लिटोरिस को इतने प्यार से चाटते हुई मुँह में भरके काटता है की नजमा उछल पड़ती है।
नजमा की चूत से पानी रिस रहा था और वो जोश की इंतेहा पार करने की करीब थी। वो इंतेहा जिसके पार होने के बाद दो जिस्म एक हो जाते हैं और दुनिया की आवाज़ें उन्हें सुनाई नहीं देता। एक चीख के साथ नजमा की चूत थोड़ा सा पानी छोड़ देती है।
वो बेड पे बैठ जाती है और सैम के गुलाबी लण्ड को अपने हाथ में पकड़के मसलने लगती है।
सैम- अहह... अम्मी मुँह में लो ना मेरा।
नजमा- हाँ बेटा क्यूँ नहीं...” और नजमा सैम के लण्ड के सुपाड़ा को चूमने की बाद अपने मुँह में समा लेती है गलपणप्प्प गलपप्प्प...
सैम फिर लण्ड बाहर निकलता है और नजमा की जुबान पे रगड़ता है। दोनों एक दूसरे को देख रहे थे। नजमा सैम के आंडे पकड़के इस बार लण्ड अंदर तक लेके चूसने लगती है गल्रपप्प्प... गलपप्प्प...
सैम- अहह... अम्मी आपका मुँह कमाल का है गगग अहह...
नजमा पागल हुई जा रही थी वो कल रात में भी सैम का लण्ड चूस चुकी थी, आज वो जल्द से जल्द उसे अपनी चूत में लेना चाहती थी। वो सैम को बेड पे लेटाकर उसके ऊपर चढ़ जाती है और दोनों पैर उसके इर्द-गिर्द डालके अपनी चूत को उसके लण्ड पे रगड़ने लगती है
अहह... ये पहली मर्तबा लण्ड का एहसास उसकी चूत को और चिकना बना रहा था, और नीचे लेटा हुआ सैम अपनी अम्मी की मस्ती भरी आहें सुन रहा था।
सैम अपने लण्ड पे थूक लगाके उसे खड़ा कर देता है और सीधा नजमा की चूत के दोनों होंठों की बीच में टिका देता है। वो चाहता था की नजमा पहला धक्का मारे।
नजमा भी ये जान चुकी थी। वो मुश्कुराते हुये अपनी कमर को नीचे करने लगती है अहह... समीरररर बेटाअ उनह…
सैम जल्दी से दूसरा, फिर तीसरा और उसका लण्ड सनसनाता हुआ नजमा की चूत में घुस जाता है। वो सीधा बच्चेदानी पे टक्कर मार रहा था जिससे नजमा की कमर ऊपर को उठने लगती है।
नजमा की नजर सामने आईने पे जाती है जहाँ उसे अपना अक्स दिखाई देता है। अपने बेटे समीर के लण्ड पे कूदती नजमा बुरी तरह शर्मा जाती है, पर ये शरम दो पल के लिए थी। वो जोश मैँ अपनी कमर नीचे-ऊपर करने लगती है
नजमा- अहह... बेटा मैं थक गयी हूँ मुझे नीचे लेके चोदो ना।
सैम- अम्मी क्या कहा आपने फिर से कहो ना अहह...
नजमा- समीर बेटा, चोदो ना अपने अम्मी को नीचे लेके उनह... वो जानती थी की सैम क्या सुनना चाहता है। वो नीचे हो जाती है और सैम उसके ऊपर, दोनों अलग नहीं होते बस पोजीशन चेंज करते हैं।
सैम नजमा के दोनों पैर खोलकर सटा-सट अपना लण्ड नजमा की चूत में पेलने लगता है अहह... अम्मी आपकी चूत बहुत टाइट है अहह...
नजमा- हॉ बेटा, तेरे अब्बू के जाने के बाद मैं तो जैसे लण्ड का मजा ही भूल गयी थी। आज तूने मेरी चूत को जगा दिया है आज से इसकी देखभाल तेरे जिमेदारी है मेरे लाल अहह... अपने अम्मी को रोज चोदा कर अहह...”
दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमते हुये जोर-शोर से चुदाई का मजा ले रहे थे आज नजमा को जन्नत मिल गई थी और सैम को उस जन्नत में जगह। दोनों इस कदर दुनिया से बेखबर थे की दुनिया से बेखबर अपने नयी दुनिया बसाने में मसरूफ थे।
सैम नजमा को एक करवट लेटा देता है और पीछे से अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगता है।
नजमा- 'उनह... आहिस्ता बेटा... दर्द होता है ना अहह...”
सैम- अम्मी मैं क्या करूँ मेरा लण्ड आपकी चूत का दीवाना हो चुका है वो और अंदर जाना चाहता है अहह...
नजमा सिसक रही थी उन्हूंहंहंहन दर्द हो रहा है रे... दोनों अपने आखिरी मोड़ पे थे, दोनों चिल्लाते हुई एक दूसरे के अंदर पानी छोड़ने लगते हैं अहहह...
सैम- अम्मी आहहह...
नजमा- उन्हंहंहन समीर बेटा अंदर अहह... और अंदर शायद नजमा सैम का पानी अपनी चूत की गहराईयों में लेना चाहती थी, इसलिये वो सैम को और अंदर करने का बोलती जा रही थी और सैम आखिरी झटके मारता हुआ झड़ जाता है, अहह...
कुछ देर बाद नजमा उठके बाथरूम में घुस जाती है। उसके पीछे-पीछे सैम भी चला जाता है।
नजमा- मुझे पेशाब तो करने दो।
सैम- करो ना अम्मी, मैंने कब मना किया है।
नजमा जैसे है पेशाब करने मुड़ती है सैम पीछे से नजमा की कमर को पकड़के अपना लण्ड उसकी गाण्ड के सुराख पे टिका देता है।
नजमा- “नहीं सैम, वहाँ नहीं बेटा मैंने आज तक नहीं लिया ना वहाँ...”
सैम- मुझसे प्यार करते हो ना आप...
नजमा- हाँ... पर बेटा अहह...
सैम को बस यही सुनना था, वो अपने लण्ड का सुपाड़ा नजमा की गाण्ड में घुसा देता है अहह... ये दर्द नजमा से बर्दाश्त नहीं होता और वो चिल्लाने लगती है “अहह... निकाल ले रे बेटा... अपनी अम्मी की गाण्ड फाड़ देगा क्या अहह...”
सैम- “अम्मी आज आपके तीनों सुराख में डालने की कसम खाया था मैंने, बस ये आखिरी है अहह... प्यार से करने दो वरना अहह...” उसके धक्कों की रफ्तार तेज होती जाती है।
नजमा बेहोश सी होने लगती है। ये दर्द सच में उसके लिए ना-काबिले बर्दाश्त था पर कहीं ना कहीं उसे भी इस दर्द का एक नया मजा आ रहा था। सैम नीचे लेट जाता है और नजमा को अपने ऊपर लेके फिर से अपना मूसल लण्ड उसकी गाण्ड मैं घुसा देता है।
नजमा काफी देर से पेशाब रोके हुई थी। वो सिसक-सिसककर मूतने लगती है अहह... वो पेशाब की धार सीधा सैम की जाँघ पे गिरती है और सैम नजमा को और जोर से पेलने लगता है अहह...
सैम- “अम्मी आपकी गाण्ड मारके मुझे वो मजा आ रहा है जो खाला और महक की चूत को मारने के बाद भी नहीं आया...”
नजमा- “न्हंहंहन... नाम ना ले उन दोनों का, मेरे बेटे को मुझसे छीन रही थी वो कमीनी उनह... पर तू सिर्फ मेरा है अहह... तेरे लिए तो मैं हर दर्द सह जाऊँगी रे अहह... जालिम आराम से मार ना उनह...”
सैम का पानी दूसरी मर्तबा नजमा की गाण्ड में निकलने लगता है और नजमा की चूत का पानी सैम की जाँघ पे। दोनों हलकान होके खड़े हो जाते हैं।
नजमा सैम को देखने लगती है और सैम के लण्ड को पकड़के मरोड़ती है- “बड़ा जालिम है तू सैम, देख मेरी चूत और गाण्ड की क्या हालत कर दिया तूने.
सैम- “अभी तो कुछ भी नहीं किया है अम्मीजान, ये सितम तो रोज बरपेगा आप पे
नजमा जैसे ही शावर के नीचे नहाने जाती है, सैम उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ घुमा लेता है- “अम्मी मुझे पेशाब करना है.
नजमा- “कर ना बेटा...”
सैम- “आपके मुँह में करना है.
नजमा को ये बात बुरी लगनी चाहिये थी पर वो मुश्कुराके नीचे बैठ जाती है और अपना मुँह खोलकर कहती है- ले मूत मेरे मुँह में पिल्ला मुझे तेरा पेशाब...”
सैम अपना लण्ड पकड़के दो-तीन बार हिलता है और फिर सीधा पेशाब की धार नजमा के मुँह में छोड़ने लगता है। नजमा भी बड़े प्यार से वो पीती चली जाती है।
सैम का पेशाब नजमा को नहलाने लगता है उसकी धार अब नजमा के चेहरे और बालों को गीला करने लगती है। जिससे नजमा और जोश में आ जाती है।
जब सैम पूरी तरह नजमा को नहला देता है तो नजमा सैम के लण्ड को मुट्टी में लेके चूसने लगती है और बचा हुआ पेशाब भी निचोड़ लेती है। उसकी चूचियां पूरी तरह भीग चुकी थीं।
दोनों शावर शुरू करके उसके नीचे खड़ी हो जाती हैं। ठंडा ठंडा पानी जब जिस्म पे गिरता है तो दोनों के जिस्म की आग बुझने की बजाए और भड़क उठती है और नजमा नीचे से सैम का लण्ड पकड़ के मसलने लगती है।
दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे और नजमा के मोटी-मोटी सुडौल चूचियां सैम की छाती से घिस रही थीं। ये मौसम और उसपे ये जोश-ए-जुनून दोनों माँ बेटे को पागल करने की लिए काफी था। वो आज रुकने वाली नहीं थी।
सैम से रहा नहीं जाता और वो फिर से नजमा को वहीं खड़ी-खड़ी चोद डालता है वो चुदाई बहुत लंबी चलती है और तकरीबन 20 मिनट बाद दोनों एक दूसरे को चूमते हुये बाथरूम से बाहर निकलते है।
दोनों एक दूसरे को तौलिये से पोंछने लगते है। दोनों की आँखों में चुदाई का नशा साफ नजर आ रहा था। वो फिर से उस नशे में खो जाना चाहते थे पर तभी आफिस से फोन आता है और नजमा और सैम को आफिस के लिए निकलना पड़ता है।
पिछले भाग में जब सैम फ्रेश होके बाहर आया तो फिरोज़ा और महक के साथ-साथ सत्तारख़ान की भी जाने की तैयारी हो चुकी थी, कुछ देर इधर-उधर की बातें करने की बाद नजमा और सैम तीनों को कार में बैठाकर रवाना कर देते हैं और नजमा किचेन में बर्तन साफ करने चली जाती है।
अब आगे
सैम अम्मी-अम्मी करते हुये वहाँ आ जाता है और पीछे से नजमा को पकड़ लेता है- “अम्मी आज मौसम बड़ा बेईमान है.
नजमा- वो तो रोज है रहता है।
सैम- अम्मी आपका दिल इस मौसम में कुछ करने को नहीं करता...
नजमा- ज़ी नहीं... अब जाओ मुझे काम करने दो फिर आफिस भी जाना है।
पर सैम के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था। वो पीछे से नजमा की दोनों चूचियों को नाइटी में से निकालकर मसलने लगता है अहह...
नजमा- ऊउउ छोड़ो ना बेटा काम करने दो।
सैम अपनी जुबान नजमा के गले पे लगाके किस करते हुये- “अम्मी आई लोव यू...” और वो चूचियां मसलते हुई किस्सिंग शुरू रखता है।
नजमा जो कल रात से इसी पल के इंतेजार में थी की कब सैम उसे छेड़ता है वो सैम की इस हरकत से मचलने लगती है-“अहह... नहीं ना बेटा ये गलत है ना...”
सैम- अपनी अम्मी को प्यार करना कोई गलत नहीं है अम्मी। और सैम नजमा को गोद में उठाके बेडरूम में ले जाता है और उसकी नाइटी बदन से अलग कर देता है।
नजमा- अहह... नहीं सैम रुक जा वरना बहुत देर हो जायेगी बेटा अहह... वो खामोशी से अपने सारे कपड़े भी निकाल देता है। दोनों एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे खड़े थे। नजमा की आँखें सैम के लटकते हुये लण्ड पे टिकी हुई थी और सैम की नजमा की चिकनी चूत पे। दोनों की सांसें फूली हुई थी पर दोनों जल्दी में नहीं थे।
सैम नजमा के पास आके उसे अपनी बाहों में भरके अपने होंठ उसके होंठों के पास लाता है- “अम्मी मैं आपको प्यार करना चाहता हूँ आपकी मर्ज़ी से... क्या आप मुझे अपना जिश्म रोज खुशी से दोगी...”
नजमा के होंठ लरज जाते हैं, जुबान हिल नहीं पाती, सैम ने उससे वो सवाल किया था जिसका जवाब उसने रात में जागते हुये ही सोच लिया था।
वो अपनी बाहें सैम के गले मेँ डाल देती है और उसकी आँखों में देखते हुये धीरे से कहती है- “समीर बेटा आज तू अपनी अम्मी को हमेशा-हमेशा के लिए अपनी बना ले, मुझे ऐसे प्यार कर की मैं दुनिया को भूल जाऊँ। मुझे इस घर में हर जगह, हर तरह से प्यार कर मैं तेरी गुलाम बन जाऊँ... अगर तू मेरा बेटा है तो तू आज मेरे दूध का कर्ज अदा कर दे। बना ले अपनी अम्मी को अपना। बोल करेगा ना मुझे प्यार, इस वादे के साथ की ये सिर्फ कुछ वक़्त की मोहब्बत नहीं बल्कि जिंदगी भर का साथ होगा...”
दोनों एक दूसरे की आँखों में देखते हुये मुस्कुराए और सैम ने अपनी अम्मी नजमा को अपनी बाहों में ऐसे समेटा की नजमा पिघलती चली गयी।
दोनों माँ बेटे एक दूसरे को चूम रहे थे, काट रहे थे, नजमा के नाखून सैम की पीठ पे उसे कुरेद रहे थे आज इश्क और जुनून का मिलन हो रहा था, वो जोश वो वाल वाला इतना ज्यादा था की उन्हें दर्द का एहसास भी नहीं हो रहा था।
सैम नजमा को बेड पे लेटा देता है और अपने पैदाइश की जगह को कुछ देर गौर से देखने लगता है। नजमा भी पैर खोलकर सैम को चूत और गाण्ड दिखाने लगती है। फिर धीरे से सैम अपनी जुबान से नजमा की चूत को पहले चूमता है और फिर उसे बड़े प्यार से चाटने लगता है गलपप्प्प...
नजमा अंदर तक कांप जाती है। उसके-रोम रोम में बिजलियां दौड़ रही थी और जिश्म सैम के हर चूमने से मचल उठता था। वो बस सिसक सकती थी और सैम के सर को अपनी चूत पे दबाती जा रही थी उन्हनन्… अहह... मेरा बेटा अहह... समीर आज अपनी अम्मी को उनह... नहीं नाआआ...
समीर ने नजमा के क्लिटोरिस को इतने प्यार से चाटते हुई मुँह में भरके काटता है की नजमा उछल पड़ती है।
नजमा की चूत से पानी रिस रहा था और वो जोश की इंतेहा पार करने की करीब थी। वो इंतेहा जिसके पार होने के बाद दो जिस्म एक हो जाते हैं और दुनिया की आवाज़ें उन्हें सुनाई नहीं देता। एक चीख के साथ नजमा की चूत थोड़ा सा पानी छोड़ देती है।
वो बेड पे बैठ जाती है और सैम के गुलाबी लण्ड को अपने हाथ में पकड़के मसलने लगती है।
सैम- अहह... अम्मी मुँह में लो ना मेरा।
नजमा- हाँ बेटा क्यूँ नहीं...” और नजमा सैम के लण्ड के सुपाड़ा को चूमने की बाद अपने मुँह में समा लेती है गलपणप्प्प गलपप्प्प...
सैम फिर लण्ड बाहर निकलता है और नजमा की जुबान पे रगड़ता है। दोनों एक दूसरे को देख रहे थे। नजमा सैम के आंडे पकड़के इस बार लण्ड अंदर तक लेके चूसने लगती है गल्रपप्प्प... गलपप्प्प...
सैम- अहह... अम्मी आपका मुँह कमाल का है गगग अहह...
नजमा पागल हुई जा रही थी वो कल रात में भी सैम का लण्ड चूस चुकी थी, आज वो जल्द से जल्द उसे अपनी चूत में लेना चाहती थी। वो सैम को बेड पे लेटाकर उसके ऊपर चढ़ जाती है और दोनों पैर उसके इर्द-गिर्द डालके अपनी चूत को उसके लण्ड पे रगड़ने लगती है
अहह... ये पहली मर्तबा लण्ड का एहसास उसकी चूत को और चिकना बना रहा था, और नीचे लेटा हुआ सैम अपनी अम्मी की मस्ती भरी आहें सुन रहा था।
सैम अपने लण्ड पे थूक लगाके उसे खड़ा कर देता है और सीधा नजमा की चूत के दोनों होंठों की बीच में टिका देता है। वो चाहता था की नजमा पहला धक्का मारे।
नजमा भी ये जान चुकी थी। वो मुश्कुराते हुये अपनी कमर को नीचे करने लगती है अहह... समीरररर बेटाअ उनह…
सैम जल्दी से दूसरा, फिर तीसरा और उसका लण्ड सनसनाता हुआ नजमा की चूत में घुस जाता है। वो सीधा बच्चेदानी पे टक्कर मार रहा था जिससे नजमा की कमर ऊपर को उठने लगती है।
नजमा की नजर सामने आईने पे जाती है जहाँ उसे अपना अक्स दिखाई देता है। अपने बेटे समीर के लण्ड पे कूदती नजमा बुरी तरह शर्मा जाती है, पर ये शरम दो पल के लिए थी। वो जोश मैँ अपनी कमर नीचे-ऊपर करने लगती है
नजमा- अहह... बेटा मैं थक गयी हूँ मुझे नीचे लेके चोदो ना।
सैम- अम्मी क्या कहा आपने फिर से कहो ना अहह...
नजमा- समीर बेटा, चोदो ना अपने अम्मी को नीचे लेके उनह... वो जानती थी की सैम क्या सुनना चाहता है। वो नीचे हो जाती है और सैम उसके ऊपर, दोनों अलग नहीं होते बस पोजीशन चेंज करते हैं।
सैम नजमा के दोनों पैर खोलकर सटा-सट अपना लण्ड नजमा की चूत में पेलने लगता है अहह... अम्मी आपकी चूत बहुत टाइट है अहह...
नजमा- हॉ बेटा, तेरे अब्बू के जाने के बाद मैं तो जैसे लण्ड का मजा ही भूल गयी थी। आज तूने मेरी चूत को जगा दिया है आज से इसकी देखभाल तेरे जिमेदारी है मेरे लाल अहह... अपने अम्मी को रोज चोदा कर अहह...”
दोनों एक दूसरे के होंठों को चूमते हुये जोर-शोर से चुदाई का मजा ले रहे थे आज नजमा को जन्नत मिल गई थी और सैम को उस जन्नत में जगह। दोनों इस कदर दुनिया से बेखबर थे की दुनिया से बेखबर अपने नयी दुनिया बसाने में मसरूफ थे।
सैम नजमा को एक करवट लेटा देता है और पीछे से अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगता है।
नजमा- 'उनह... आहिस्ता बेटा... दर्द होता है ना अहह...”
सैम- अम्मी मैं क्या करूँ मेरा लण्ड आपकी चूत का दीवाना हो चुका है वो और अंदर जाना चाहता है अहह...
नजमा सिसक रही थी उन्हूंहंहंहन दर्द हो रहा है रे... दोनों अपने आखिरी मोड़ पे थे, दोनों चिल्लाते हुई एक दूसरे के अंदर पानी छोड़ने लगते हैं अहहह...
सैम- अम्मी आहहह...
नजमा- उन्हंहंहन समीर बेटा अंदर अहह... और अंदर शायद नजमा सैम का पानी अपनी चूत की गहराईयों में लेना चाहती थी, इसलिये वो सैम को और अंदर करने का बोलती जा रही थी और सैम आखिरी झटके मारता हुआ झड़ जाता है, अहह...
कुछ देर बाद नजमा उठके बाथरूम में घुस जाती है। उसके पीछे-पीछे सैम भी चला जाता है।
नजमा- मुझे पेशाब तो करने दो।
सैम- करो ना अम्मी, मैंने कब मना किया है।
नजमा जैसे है पेशाब करने मुड़ती है सैम पीछे से नजमा की कमर को पकड़के अपना लण्ड उसकी गाण्ड के सुराख पे टिका देता है।
नजमा- “नहीं सैम, वहाँ नहीं बेटा मैंने आज तक नहीं लिया ना वहाँ...”
सैम- मुझसे प्यार करते हो ना आप...
नजमा- हाँ... पर बेटा अहह...
सैम को बस यही सुनना था, वो अपने लण्ड का सुपाड़ा नजमा की गाण्ड में घुसा देता है अहह... ये दर्द नजमा से बर्दाश्त नहीं होता और वो चिल्लाने लगती है “अहह... निकाल ले रे बेटा... अपनी अम्मी की गाण्ड फाड़ देगा क्या अहह...”
सैम- “अम्मी आज आपके तीनों सुराख में डालने की कसम खाया था मैंने, बस ये आखिरी है अहह... प्यार से करने दो वरना अहह...” उसके धक्कों की रफ्तार तेज होती जाती है।
नजमा बेहोश सी होने लगती है। ये दर्द सच में उसके लिए ना-काबिले बर्दाश्त था पर कहीं ना कहीं उसे भी इस दर्द का एक नया मजा आ रहा था। सैम नीचे लेट जाता है और नजमा को अपने ऊपर लेके फिर से अपना मूसल लण्ड उसकी गाण्ड मैं घुसा देता है।
नजमा काफी देर से पेशाब रोके हुई थी। वो सिसक-सिसककर मूतने लगती है अहह... वो पेशाब की धार सीधा सैम की जाँघ पे गिरती है और सैम नजमा को और जोर से पेलने लगता है अहह...
सैम- “अम्मी आपकी गाण्ड मारके मुझे वो मजा आ रहा है जो खाला और महक की चूत को मारने के बाद भी नहीं आया...”
नजमा- “न्हंहंहन... नाम ना ले उन दोनों का, मेरे बेटे को मुझसे छीन रही थी वो कमीनी उनह... पर तू सिर्फ मेरा है अहह... तेरे लिए तो मैं हर दर्द सह जाऊँगी रे अहह... जालिम आराम से मार ना उनह...”
सैम का पानी दूसरी मर्तबा नजमा की गाण्ड में निकलने लगता है और नजमा की चूत का पानी सैम की जाँघ पे। दोनों हलकान होके खड़े हो जाते हैं।
नजमा सैम को देखने लगती है और सैम के लण्ड को पकड़के मरोड़ती है- “बड़ा जालिम है तू सैम, देख मेरी चूत और गाण्ड की क्या हालत कर दिया तूने.
सैम- “अभी तो कुछ भी नहीं किया है अम्मीजान, ये सितम तो रोज बरपेगा आप पे
नजमा जैसे ही शावर के नीचे नहाने जाती है, सैम उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ घुमा लेता है- “अम्मी मुझे पेशाब करना है.
नजमा- “कर ना बेटा...”
सैम- “आपके मुँह में करना है.
नजमा को ये बात बुरी लगनी चाहिये थी पर वो मुश्कुराके नीचे बैठ जाती है और अपना मुँह खोलकर कहती है- ले मूत मेरे मुँह में पिल्ला मुझे तेरा पेशाब...”
सैम अपना लण्ड पकड़के दो-तीन बार हिलता है और फिर सीधा पेशाब की धार नजमा के मुँह में छोड़ने लगता है। नजमा भी बड़े प्यार से वो पीती चली जाती है।
सैम का पेशाब नजमा को नहलाने लगता है उसकी धार अब नजमा के चेहरे और बालों को गीला करने लगती है। जिससे नजमा और जोश में आ जाती है।
जब सैम पूरी तरह नजमा को नहला देता है तो नजमा सैम के लण्ड को मुट्टी में लेके चूसने लगती है और बचा हुआ पेशाब भी निचोड़ लेती है। उसकी चूचियां पूरी तरह भीग चुकी थीं।
दोनों शावर शुरू करके उसके नीचे खड़ी हो जाती हैं। ठंडा ठंडा पानी जब जिस्म पे गिरता है तो दोनों के जिस्म की आग बुझने की बजाए और भड़क उठती है और नजमा नीचे से सैम का लण्ड पकड़ के मसलने लगती है।
दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे और नजमा के मोटी-मोटी सुडौल चूचियां सैम की छाती से घिस रही थीं। ये मौसम और उसपे ये जोश-ए-जुनून दोनों माँ बेटे को पागल करने की लिए काफी था। वो आज रुकने वाली नहीं थी।
सैम से रहा नहीं जाता और वो फिर से नजमा को वहीं खड़ी-खड़ी चोद डालता है वो चुदाई बहुत लंबी चलती है और तकरीबन 20 मिनट बाद दोनों एक दूसरे को चूमते हुये बाथरूम से बाहर निकलते है।
दोनों एक दूसरे को तौलिये से पोंछने लगते है। दोनों की आँखों में चुदाई का नशा साफ नजर आ रहा था। वो फिर से उस नशे में खो जाना चाहते थे पर तभी आफिस से फोन आता है और नजमा और सैम को आफिस के लिए निकलना पड़ता है।
चुदाई के बाद सैम और नजमा आफिस तो पहुँच तो गये पर ना सैम का किसी कम में दिल लग रहा था और ना नजमा का।
आफिस वर्क जल्दी से निपटाके नजमा सैम को अपने केबिन में बुलाती है। सैम जैसे ही केबिन में इंटर करता है नजमा उसे अपने से चिपका लेती है और उसके चेहरे पे, होंठों पे किस करती चली जाती है।
सैम भी पिछले एक घंटे से खुद को रोके हुये था। वो नजमा को अपनी छाती से इतने कस की दबाता है की नजमा की हल्की सी चीख निकल जाती है।
सैम- “अम्मी जल्दी घर चलो वरना यहीं आपको नंगी करके मैं शुरू हो जाऊँगा...”
नजमा- हाँ सैम अहह... मैं भी वही कह रही थी की चल, ले चल मुझे अपने साथ और नंगी करके कसके चोद रे बेटा अहह... आज से तीन दिन तक हम दोनों आफिस नहीं आयेगे। मैंने सोफिया को सब आफिस का काम समझा दी हूँ बस मुझे जल्द से जल्द ले चल बेटा।
दोनों की आँखें किसी शराबी की तरह लाल हुई जा रही थी। सैम नजमा के हाथ पकड़के उसे केबिन में बने बाथरूम में ले जाता है और उसे झुकाकर उसकी चूचियां पीछे से मसलने लगता है।
नजमा अहह... करते हुये मचलने लगती है। हकीकत में सैम से ज्यादा नजमा चुदाई के मूड में थी। सैम तो पिछले कई दिनों से कितनी चूतें मार चुका था पर नजमा पिछले कई सालों से प्यासी थी। और आज इस ख़ूँखार शेरनी को वो मिल गया था जिसकी उसके साथ-साथ उसकी चूत को भी तलाश थी।
सैम नजमा को नीचे बैठा देता है और अपनी पैंट नीचे करके अपना लण्ड बाहर निकल लेता है। नजमा एक पल की लिए सैम की आँखों में देखती है और फिर दूसरे ही पल सैम का लण्ड नजमा के मुँह में चला जाता है।
सैम अंदाजा लगा चुका था की इस वक्त नजमा को बहुत जोरों की प्यास लगी है क्यूंकी नजमा उस शिद्दत से सैम का लण्ड चूस रही थी की वो ना ठीक से सांस ले पा रही थी और ना हिल पा रही थी, बस हलक के अंदर तक सैम का लण्ड लेती चली जा रही थी।
नज़मा- गलपण्प्प गलपप्प्प... उन्हन्न्... सैम मुझसे बर्दाश नहीं हो रहा बेटा... चल ना घर गलपप्प्प... गलपप्प्प... मुझे ये अपनी चूत में, गाण्ड में हर जगह चाहिये मेरे लाल गल्पप्प्प... गलपप्प्प...
सैम नजमा को खड़ी कर देता है और उसके होंठों पे लगे हुये अपने सीमेन की कुछ बूँदें चाटकर उसके होंठों को साफ कर देता है- “चलो अम्मी हनीमून पे चलें..” और दोनों बिजली की रफ़्तार से आफिस से निकलते हैं और जैसे उड़ते हुई घर पहुँच जाते हैं।
सैम जैसे ही घर में दाखिल होता है नजमा उसकी गोद में उछलकर बैठ जाती है और सैम अपने दोनों हाथों से नजमा की कमर पकड़के उसे चूमता हुआ बेडरूम में ले जाता है। 2 मिनट से भी कम वक़्त में दोनों माँ बेटे बिल्कुल नंगे हो चुके थे, ना शर्म थी और ना हया, बस जुनून था इश्क़ का, हवस का और मोहब्बत का।
सैम का लाल गुलाबी लण्ड देखकर नजमा से रहा नहीं जाता और वो घुटनों के बल बैठके उसके लण्ड को हाथ में पकड़ लेती है। अहह...
नजमा- “बेटा आज दिन और रात भर ये मेरे सुराखों में रहेगा। खबरदार जो तूने इसे बाहर निकाला तो मुझसे बुरा कोई नहीं...”
बड़े प्यार से ये कहते हुई नजमा सैम के लण्ड को पहले चूमती है, और फिर गल्लपप्प्प गलपप्प्प... 7” इंच लंबा लण्ड ना जाने कहाँ नजमा के मुँह में गायब हो जाता है गलपप्प्प... गलपप्प्प
सैम- “हाहहह... अम्मी प्लीज़ थोड़ा आराम से खींचो ना अहह... दर्द हो रहा है अहह...”
नजमा- होने दे, सुबह तूने मुझपे रहम नहीं किया था गल्पप्प्प... गलपप्प्प... अब मेरे बारी गलपप्प्प..”
वो किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह अपने जवान बेटे के लण्ड को निचोड़ रही थी। सैम झड़ने से कुछ देर पहले अपना लण्ड नजमा के मुँह से बाहर खींच लेता है और नजमा को चूमता हुआ बेड पे लेटा देता है।
दोपहर की धूप में नजमा की चिकनी चूत बहुत खूबसूरत लग रही थी। सैम नजमा के पैर थोड़े खोल देता है और अपनी जुबान से नजमा की जाँघ को चूमता है और फिर लिटाकर और दोनों उंगलियों से चूत के होंठों को खोलकर अपनी जुबान अंदर घुसा देता है। गलपप्प्प...
नजमा एक हाथ से सैम के बाल और एक हाथ से बेडशीट पकड़ लेती है- “अहह... जालिम मेरी चूत अहह... उनह… यह तूने क्या सितम ढा दिया रे सैम बेटा हाँ ऊडईई... अम्मीयीई... तेरे अब्बू ने कभी यहाँ नहीं चूमा और तू अपनी अम्मी को ये क्या बना रहा है अहह... मैं तेरी आदी हो गयी हूँ एक चुदाई में राजा बेटा अहह...” नजमा क्या बड़बड़ा रही थी, उसे खुद पता नहीं था की वो क्या कह रही है।
ये एहसास उसके लिए ऐसा था मानो जैसे गुलशन में मौसम का पहला फूल खिलने पे बागबान को होता है, अपनी मेहनत सफल होने का।
आज नजमा को फख्र महसूस हो रहा था की उसने एक ताकतवर मर्द को पैदा किया है, जो उसे हर तरह से खुश रखेगा। नजमा उठके अपने बेटे को देखने लगती है। पर सैम तो चूत चाटने में मगन था।
तभी नजमा सैम का सर पकड़के उसे अपने चूत पे दबाती है और सुरररर की आवाज की साथ सैम के मुँह पे पेशाब करने लगती है अहह...
सैम फिर भी अपना चेहरा नहीं हटाता बल्कि चूत के पानी की साथ-साथ पेशाब भी चाटने लगता है। अम्मी आपका पेशाब मधु से भी ज्यादा मीठा है गल्पप्प्प... गलपप्प्प... वो दो उंगलियां चूत के अंदर डालके बचा हुआ सारा पानी बाहर खींचने लगता है और चाटता चला जाता है गलपप्प्प... गलपप्प्प...
नजमा- “अहह... बेटा आ जा ना अपने अम्मी पे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है सैम उनह...”
सैम एक समझदार बेटा था। वो नजमा का हुकुम मानते हुये उसके दोनों पैरों को फैलाके अपना लण्ड उसकी चूत के ठीक मुँह पे लगा देता है।
नजमा- अहह... डाल ना बेटा अहह...
सैम- एक शर्त पे डालूँगा अम्मी
नजमा- बोल ना मुझे तेरी हर शर्त मंजूर है पहले डाल तो सही अहह...
सैम- वो शर्त ये है की ये मुझे इस चूत से अपना एक बच्चा चाहिये वो भी जल्द से जल्द बोलो दोगी ना मुझे अपनी मोहब्बत की निशानी।
नजमा- हननन्... दूँगी... तुझे जरूर दूँगी, मैं वादा करती हूँ उसके लिए तुझे दिन रात अपनी अम्मी को चोदना होगा अहह... बोल चोदेगा ना...”
सैम- जवाब अल्फ़ाज मैं नहीं लण्ड चूत के अंदर तक घुसाकर देता है।
नजमा- अहह... ऊडईई माँ... इतने जोर से अहह...
सैम- ऐसे चोदना होगा ना अम्मी आपको अहह...
नजमा- हाँ बेटा अहह... ऐसे ही अहह...
पच-पच की आवाज़ें और जोर-जोर से साँसों की तड़प पूरे रूम में गूंजने लगती है। दोनों एक दूसरे के जिश्म को नोच खरोंच रहे थे, कभी नजमा सैम के नीचे होती, तो कभी सैम नजमा के नीचे, पर लण्ड से चूत का मिलाप अलग नहीं हो रहा था।
नजमा सैम पे चढ़कर अपनी कमर नीचे ऊपर करते हुये अपने दोनों चुची सैम के मुँह के सामने लटका देती है- “अहह... चूसते हुये चोद बेटा हाँअ...”
सैम दोनों चूचियां को बारी-बारी चूसता हुआ अपना लण्ड नजमा की चूत की गहराईयों में पहुँचा रहा था अहह...
सैम का गाढ़ा पानी और नजमा का चिपचिपा चूत का पानी इतना ज्यादा था की वो बाहर निकलकर बेड पे गिरने लगता है।
नजमा के कमर तेजी से ऊपर-नीचे होने लगती है और सैम की कमर के झटके उसे अपने हलक में महसूस होते हैं वो घुटी-घुटी आवाज में सैम को धीरे-धीरे चोदने का कहती है पर जब जोश अपने पूरे शबाब पे हो तो कोई दुनियां की ताकत उसे रोक नहीं सकते अहह... उहनणन् धीरे अहह...
सैम- “न्हूंहंहंहन... धीरे तो चोद रहा हून् अम्मी ...” सैम नजमा को नीचे ले लेता है और तेज झटके मारने लगता है,
10 मिनट ऐसे ही ताकत से चोदने की बाद सैम का गाढ़ा पानी नजमा की चूत के मुंहाने तक भर देता है।
उसकी चूत किसी शराबी के जाम की तरह लबरेज हो चुकी थे। वो थके नहीं थे बस अपनी चढ़ी हुई सांस को नार्मल करने लगते हैं।
नजमा ऐसे ही नंगी किचेन में गाण्ड हिलाते हुये चली जाती है और कुछ नाश्ता ले आती है। दोनों बड़े मूश्किल से नाश्ता करते हैं और जैसे ही नाश्ता खतम होता है, सैम नजमा को वहीं झुकाकर उसकी कमर पे थप्पड़ मारता हुआ अपना लण्ड उसकी चूत में पेल देता है।
नजमा हल्के-हल्के सिसकती है।
सैम को ये पोजिशन बहुत पसंद थी। वजह ये थी की नजमा की चूत और गाण्ड दोनों सैम को दिखाई देती थी और वो किसी भी वक़्त किसी भी सुराख में अपना कीला ठोंक सकता था। सैम अपना लण्ड बाहर निकालता है।
नजमा- अहह... क्या हुआ बेटा...
सैम- “कुछ नहीं...” और सैम अपने लण्ड को नजमा की कमर पे मारते हुई मूतने लगता है। उसके पेशाब से नजमा सिहर उठती है और उसकी गाण्ड पूरी तरह सैम के पेशाब से तरबतर हो जाती है और चुत के अंदर डालके नजमा को चोदने लगता है।
नजमा- उनह... धीरे बेटा... तेरा लौड़ा है की हथौड़ा अहह... मेरी चूत चीर के रख दिया है तूने बेटा अहहह...
सैम- अम्मी आपकी चूत है ही ऐसी की लण्ड अंदर तक घुसता चला जाता है अहहह...
नजमा- “सुन सैम, मुझे पीछे से ले ना...”
सैम- अम्मी कहाँ से...
नजमा- अहह... मेरी गाण्ड में रे अहह...
सैम- आपको गाण्ड मरवाना अच्छा लगता है.
नजमा- हाँ सैम, बहुत अच्छा अहह...
सैम नजमा की कमर पकड़के उसे थोड़ा झुकाता है और अपने लण्ड पे थूक लगाके नजमा की गाण्ड में पेलता चला जाता है याहह।
नजमा- उनह... अहह... करते हुयेई सैम के लण्ड को अंदर की तरफ जगह देती है अहह...
सैम की ताकत और नजमा का जोश लण्ड को गाण्ड के अंदर ठोंक देते है और सैम दनादन नजमा की कमर पकड़के मारने लगता है।
नजमा- उहनणन् कितना जालिम है रे तू बेटा अहह... अपने अम्मी की गाण्ड मार रहा है अहह...
सैम- अम्मी की गाण्ड चूत मारना किस्मत वालों को नसीब होता है अहह... मैं तो ये रोज करने वाला हूँ.
नजमा के पैर खुलते चले गये और सैम का लण्ड कभी चूत में तो कभी गाण्ड के सुराख को खोलता चला गया।
वो चुदाई रात के 9 बजे तक चलती रही दोनों निढाल होके एक दूसरे को चूमते हुई सो गये, ना उन्होंने रात का खाना खाए और ना उन्हें भूख लगी थी। सैम का लण्ड अभी भी नजमा की चूत में था। और दोनों एक दूसरे की बाहों में सुकून की नींद में सोये हुये थे।