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Horror He Loves Me..... He Loves Me Not!

Darkk Soul

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Dark Soul

तो ये सब डील के लिए किया गया...!!
की बाकई उस लड़की को देख पाएंगे ये, मुझे तो नही लगता
क्योंकि वो कोई साधारण लड़की नही लगती कारनामो से...
खैर देखते हैं आगे क्या सोचा है राइटर साहब ने


बहुत धन्यवाद आपका. :)

आगे क्या होगा ये तो अपडेट ही निर्णय लेगी. :reading1:
 
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Darkk Soul

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nice update ..to us boss ko bhi kisine order diya hai dev ko maarne ka ..
jarur us aatma ne hi dhund bankar un shooter ka nishana bhatkaya hoga 🤔..
aur ab ye ladki dekhne ko mil gayi inspector ko 🤔..

koi maarna chahta hai to koi bachana 😁...

बहुत धन्यवाद आपका.

जी, बिल्कुल ..... कोई मारना चाहता है --- तो कोई बचाना. :)


जीतेगा कौन --- ये आगे के अपडेट्स ही बताएँगे . :)
 

Darkk Soul

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IMG-20210323-222425.jpg

सुबह का समय....

ब्रश करके फ्लास्क में पिछले शाम नेहा द्वारा दिए गए चाय को एक कप में ले कर देव सुबह का अखबार पढ़ने लगा. कंधे में दर्द अभी भी है पर पहले से कुछ कम है.

पीते पीते थोड़ा व्याकुलतावश वो अखबार के कुछ स्थानों पर नज़र दौड़ाने लगा जहाँ से उसे अपने या इस केस से सम्बन्धित किसी तरह की कोई ख़बर मिल सके. विक्रम और पुलिस महकमे पर उसे विश्वास है तो बहुत पर उसे चैन बिल्कुल नहीं मिल रहा था पिछले ८-९ दिनों से.

मन ही मन बस यही प्रार्थना करता सुबह शाम कि शीघ्र से शीघ्र ये केस सुलझ जाए, वो पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाए और कॉलेज के अपने काम काज को फिर से सम्भालने लगे --- मतलब की फिर से वही पुरानी ज़िन्दगी.

अख़बार में ही खोया था कि तभी उसके स्पेशल वार्ड का दरवाज़ा खुला --- देव ने पहले ध्यान नहीं दिया --- सोचा, हॉस्पिटल स्टाफ़ होंगे --- रूटीन चेकअप के लिए आए होंगे--- पर उसका ये ख्याल पल भर में ही गलत निकला,

“गुड मोर्निंग सर.”

एक पतली और बड़ी मीठी आवाज़ देव के कानों से आ टकराई.

हतप्रभ सा होता हुआ देव ने सिर उठा कर अपने सामने देखा....

एक सुंदर, प्यारी सी लड़की गुलाबों का एक सुंदर गुलदस्ता हाथों में लिए मुस्कराती हुई खड़ी है!

देव तो आश्चर्य से उसे देखता रहा.. और देव भला उसे आश्चर्य से क्यों देखता रहा ये तो स्वयं देव भी न समझ पाया.

लड़की भी मुस्कराती हुई उसे देखती रही ...

कुछ क्षण तो दोनों को ये सोचने में ही बीत गए कि दोनों में से पहले बोलने की पहल कौन करे.

“आप कैसे हैं सर?” लड़की ने ही पहल की.

“अम्म.. म.. मैं ठीक ह... हूँ... पर.. तुम---??”

“अ.. म.. सर, आप जब बेहोश हो गए थे तब मैं ही आपको यहाँ लेकर आई थी --- बहुत खून बह रहा था आपका --- अभी दर्द कैसा है आपका?”

“रियली?! माई गॉड! तो तुम हो वो लड़की --- वाओ, थैंक्यू सो मच... थैंक्यू की न सिर्फ़ इसलिए की तुम मुझे हॉस्पिटल ले आई; बल्कि इसलिए भी कि बिल्कुल सही समय पर ले आई --- नहीं तो.....”

“नहीं तो..??”

“नहीं तो ज़ख्म और भी गहरा हो सकता था !”

“ओह! ओके --- पर आपका दर्द अभी भी कुछ ख़ास कम नहीं हुआ है शायद.”

“तुम्हें लगता है ऐसा?” बेड पर ठीक से बैठते हुए देव बोला.

“हाँ.”

“क्यों --- क्यों लगता है ऐसा?”

“क्योंकि आप बाएँ हाथ से अधिक काम नहीं ले रहे हैं और साथ ही उसपे अधिक दबाव न देने का भी सावधानी बरत रहे हैं.” लड़की ने पूरे सपाट और स्पष्टता से कहा. होंठों पर मुस्कान अभी भी है.

“हम्म.. बहुत समझदार हो.” उसकी तारीफ़ करने से देव ख़ुद को रोक नहीं पाया.

पर लड़की कुछ बोली नहीं --- एक मीठी सी स्माइल लिए देव को देख रही थी.

देव को थोड़ा अजीब लगा --- मन ही मन हँसा --- सोचा, कहीं इस मदद के बदले में किसी तरह का फेवर न माँग ले.

अब एक देव की भी नज़र अच्छे से उस लड़की के हाथों में थमे गुलदस्ते की ओर गया. गुलदस्ता उसे अच्छा लगा; समझ गया ज़रूर उसी के लिए है पर फिर भी पूछना ज़रूरी समझा.

पूछने के लिए वापस लड़की की ओर जैसे देखा तो पाया कि लड़की अभी भी उसकी ओर --- उसके चेहरे की ओर लगातार देखते हुए मुस्कराए जा रही है.

गला खँखारकर देव गुलदस्ते की ओर इशारा करते हुए बोला,

“अम्म.. ये गुलदस्ता??”

“अं..??” देव के हाथ में हुई गतिविधि ने उस लड़की का ध्यान भटकाया.

देव मुस्कराते हुए गुलदस्ते की ओर इशारा करते हुए दोबारा बोला,

“ये...??”

“ओह... यस.. सॉरी --- मैं भूल गयी थी --- ये आपके लिए है--- सर.”

“ओह ओके --- ओके.”

लड़की और भी अधिक मुस्कान और इस बार थोड़ी सी शर्म के साथ आगे बढ़ी और देव के हाथों में गुलदस्ता सौंपी जिसे देव ने ख़ुशी से स्वीकार किया. उसने उस गुलदस्ते को इस बार पास से देखा --- गहरे लाल और हल्के काले रंग के सम्मिश्रण युक्त गुलाबों से बना वह गुलदस्ता सच में कितना सुंदर लग रहा था. कितनी सुंदर भीनी - भीनी सी खुशबु आ रही थी उससे. देव को ऐसा अनुभव होने लगा मानो इस गुलदस्ते को आज नहीं; बल्कि बरसों पहले से देखता आ रहा है --- और ऐसा हो भी क्यों न --- गुलाब की सुंदर पंखुड़ियों और उनसे आने वाली सुंदर, मीठी, भीनी महक है ही ऐसी की कोई भी उनमें खो जाए.

“पसंद आई सर?”

“हं..??

“अम... आई मीन --- कैसी लगी ये?”

“ओह --- ये --- ब्यूटीफुल! जस्ट ब्यूटीफुल!!”

देव के मुख पर वाकई प्रशंसा के भाव थे.

जिसे उस लड़की ने बखूबी ताड़ लिया और खुद भी खुश हो गई.

“थैंक्यू सर --- खास आपके लिए बनवाई हूँ.” लड़की चहकते हुए बोली.

“रियली??”

“यस सर.”

अभी दोनों बात कर रहे थे कि तभी हॉस्पिटल का एक वार्ड बॉय बगल से गुजरा. दरअसल वो देव के वार्ड में ही आ रहा था --- अंदर से आती आवाजों के कारण वो रुक गया --- फ़िर दरवाज़ा को जरा सा खोला और एक हल्की झिरी से अंदर झाँका.

अंदर उस लड़की और देव को आपस में बात करते हुए देखा.

पहले तो लड़की को ठीक से देख नहीं पाया --- पर जैसे ही देखा; वो चौंक उठा और लगभग दौड़ते हुए डॉक्टर साकेत के केबिन में पहुँचा. साकेत का केबिन वैसे है तो एक फ्लोर ऊपर पर जब से देव का केस आया है वो देव के फ्लोर पर शिफ्ट हो गया है --- फिर भी उसका केबिन दो गैलरी छोड़ कर है जहाँ से देव के वार्ड तक की दूरी तकरीबन सात मिनट की है.

साकेत अभी नहीं आया है देख कर उस स्टाफ लड़के ने तुरंत अपने जेब से मोबाइल निकाला और साकेत के नाम पर पंच कर कॉल लगाया.

“हैलो?”

“हैलो ... सर?!”

“हाँ, बोल --- क्या हुआ?”

“सर... व.. वो...”

“अरे जल्दी बोल भई, क्या वो वो कर रहा है?”

“सर --- वो लड़की....”

“कौन लड़की?”

“सर --- वही --- देव साहब को --- लाने वाली ---!”

“देव साहब --- क्या हुआ?”

“हुआ कुछ नहीं सर --- सर, आपको याद है न वो लड़की जो देव सर को ले आई थी एडमिट करने के लिए!”

“हाँ हाँ... याद है. क्या हुआ?”

“सर --- वो लड़की ---आ ..... आई है!”

“आई है?! अभी?”

“यस सर!”

“वाह! कहाँ है वो?”

“देव साहब के वार्ड में ही!”

“ओह ओके --- सुनो, तुम वही रहो --- मैं अभी आता हूँ वहाँ.”

“जी सर... सर, अभी आप कहाँ हैं?”

“मैं आ गया हूँ --- गाड़ी पार्क कर रहा हूँ...”

“ओके सर.” कह कर वो लड़का जल्दी से कॉल कट कर के डॉक्टर के केबिन से बाहर निकल कर देव केक वार्ड की ओर बढ़ गया.



इधर, जब वो लड़का देव के वार्ड के बाहर से दौड़ कर गया तब उस वार्ड के दरवाज़े की हल्की से एक “क्रिंच” की आवाज़ हुई थी जिसे बात करने में मशगूल उस लड़की ने तुरंत और साफ़ सुन लिया था.

बात करते करते ही वो मुस्कराई भी थी ...

देव ने अचानक मुस्कराने का कारण पूछा भी...

लेकिन वो कुछ बोली नहीं --- दूसरे बातों में लग गयी थी.

थोड़ी और बात करने के बाद वो उठ कर जाने लगी,

“अच्छा सर, अब मैं चलती हूँ --- बहुत टाइम ले ली आपका --- अभी तो रेस्ट करना है आपको.”

“हा हा ! अरे एक सप्ताह से तो रेस्ट ही तो कर रहा हूँ --- तुम आज आई हो तो बात करने का मौका मिला!”

“क्यों सर? आपसे मिलने कोई नहीं आता?” ये बात पूछती हुई पल भर के लिए वो लड़की सीरियस हो गई.

“आते हैं --- कई लोग आते हैं --- पर आज; अभी जैसे तुम्हारे साथ बात किया वैसे तो ----”

कुछ कहते हुए देव चुप हो गया. उसे अचानक से नेहा की याद आ गई.

देव को बीच में रुकते देख कर लड़की उसके चेहरे की ओर गौर से देखते हुए पूछी,

“सर --- आप चुप हो गए? कुछ कह रहे थे?”

“नहीं... कुछ नहीं.” देव ने बात संभालने की कोशिश की.

लड़की निराशा में गर्दन ‘ना’ में हिलाई और,

“ओके सर --- आई मस्ट गेट गोइंग --- ऍम गेटिंग लेट ---- टेक केयर सर! बाय --- सी यू!”

“याह! ओके. यू टू टेक केयर --- जस्ट वन क्वेश्चन --- मुझे बार बार ‘सर’ क्यों बोल रही हो! यू हेल्पड मी --- मुझे तुम्हें मैम कहना चाहिए--- बाई दी वे, तुमने अपना नाम नहीं बताया?!”

अब तक दरवाज़े की ओर मुड़ कर कुछ कदम आगे बढ़ चुकी लड़की ठिठकी; सिर घूमा कर देव को देखी --- मुस्कराई और बेहद प्यारे स्वर में बोली,

“नो सर! यू बेटर कॉल मी बाई माई नेम. राईट नाउ यू डोंट रिमेम्बर मी; बट आई एश्यौर यू दैट यू नो मी वैरी वेल --- एंड माई नेम इज़ तन्वी!”

इतना कह कर मुस्कराते हुए बाहर चली गई --- पीछे देव को हतप्रभ छोड़ कर!



उधर डॉक्टर साकेत अपनी गाड़ी पार्क कर के लिफ्ट के आने का इंतज़ार करते करते थक कर सीढ़ियों से ऊपर चढ़ने लगा और जल्द ही उस स्टाफ़ लड़के से भेंट हो गई,

“तू अभी तक वहाँ गया नहीं?”

“नहीं सर --- वो दरअसल, एक वार्ड में कॉटन और सिरिंज पहुँचाना था--- इमरजेंसी केस था इसलिए लेट हो गया.”

“ओफ्फहो! कहीं वो लड़की चली न गई हो!” साकेत के स्वर में चिंता स्पष्ट झलकी.

“नहीं जायेगी सर.” लड़का आशावादी बनता हुआ बोला.

“क्यों? जाने के लिए तेरे से परमिशन लेगी क्या वो?” साकेत लगभग डांटते से स्वर में बोला --- लड़का सहम कर चुप हो गया --- उसने डॉक्टर के इस तरह सीरियस हो जाने की आशा नहीं की थी.


चलते चलते सभी अब एक ऐसे मोड़ पर आ गये जहाँ से मुड़ने पर तीनों एक ही फ्लोर पर एक दूसरे के आमने सामने हो जाते --- और ऐसा हुआ भी --- लेकिन इससे पहले की डॉक्टर साकेत और वो स्टाफ़ लड़का सामने से आती करीब बारह क़दमों की दूरी पर मौजूद उस लड़की को देख पाते कि तभी हड़बड़ा कर चलते उस लड़के से सामने से आती एक नर्स बुरी तरह से टकरा गई --- टक्कर इतनी जबरदस्त हुई कि लड़का उस नर्स को साथ लिए डॉक्टर साकेत से भी टकरा गया और साकेत को बगल के दीवार से टकराने के फलस्वरूप पीठ पर बहुत बुरी चोट आई.


तीनों एक दूसरे को सम्भालने लगे --- साकेत तो दोनों को ही डाँटने लगा; आखिर चोट के कारण बुरी तरह बिलबिला गया था वह --- और इतने में ही सामने से आती वो लड़की --- जो कुछ देर पहले तक देव के साथ उसके वार्ड में थी --- और रवाना होने से पहले अपना नाम तन्वी बताई थी --- मुस्कराती हुई उन तीनों की ओर एक जल्द नज़र भर देख कर आगे बढ़ गई.
 

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सुबह का समय....

ब्रश करके फ्लास्क में पिछले शाम नेहा द्वारा दिए गए चाय को एक कप में ले कर देव सुबह का अखबार पढ़ने लगा. कंधे में दर्द अभी भी है पर पहले से कुछ कम है.

पीते पीते थोड़ा व्याकुलतावश वो अखबार के कुछ स्थानों पर नज़र दौड़ाने लगा जहाँ से उसे अपने या इस केस से सम्बन्धित किसी तरह की कोई ख़बर मिल सके. विक्रम और पुलिस महकमे पर उसे विश्वास है तो बहुत पर उसे चैन बिल्कुल नहीं मिल रहा था पिछले ८-९ दिनों से.

मन ही मन बस यही प्रार्थना करता सुबह शाम कि शीघ्र से शीघ्र ये केस सुलझ जाए, वो पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाए और कॉलेज के अपने काम काज को फिर से सम्भालने लगे --- मतलब की फिर से वही पुरानी ज़िन्दगी.

अख़बार में ही खोया था कि तभी उसके स्पेशल वार्ड का दरवाज़ा खुला --- देव ने पहले ध्यान नहीं दिया --- सोचा, हॉस्पिटल स्टाफ़ होंगे --- रूटीन चेकअप के लिए आए होंगे--- पर उसका ये ख्याल पल भर में ही गलत निकला,

“गुड मोर्निंग सर.”

एक पतली और बड़ी मीठी आवाज़ देव के कानों से आ टकराई.

हतप्रभ सा होता हुआ देव ने सिर उठा कर अपने सामने देखा....

एक सुंदर, प्यारी सी लड़की गुलाबों का एक सुंदर गुलदस्ता हाथों में लिए मुस्कराती हुई खड़ी है!

देव तो आश्चर्य से उसे देखता रहा.. और देव भला उसे आश्चर्य से क्यों देखता रहा ये तो स्वयं देव भी न समझ पाया.

लड़की भी मुस्कराती हुई उसे देखती रही ...

कुछ क्षण तो दोनों को ये सोचने में ही बीत गए कि दोनों में से पहले बोलने की पहल कौन करे.

“आप कैसे हैं सर?” लड़की ने ही पहल की.

“अम्म.. म.. मैं ठीक ह... हूँ... पर.. तुम---??”

“अ.. म.. सर, आप जब बेहोश हो गए थे तब मैं ही आपको यहाँ लेकर आई थी --- बहुत खून बह रहा था आपका --- अभी दर्द कैसा है आपका?”

“रियली?! माई गॉड! तो तुम हो वो लड़की --- वाओ, थैंक्यू सो मच... थैंक्यू की न सिर्फ़ इसलिए की तुम मुझे हॉस्पिटल ले आई; बल्कि इसलिए भी कि बिल्कुल सही समय पर ले आई --- नहीं तो.....”

“नहीं तो..??”

“नहीं तो ज़ख्म और भी गहरा हो सकता था !”

“ओह! ओके --- पर आपका दर्द अभी भी कुछ ख़ास कम नहीं हुआ है शायद.”

“तुम्हें लगता है ऐसा?” बेड पर ठीक से बैठते हुए देव बोला.

“हाँ.”

“क्यों --- क्यों लगता है ऐसा?”

“क्योंकि आप बाएँ हाथ से अधिक काम नहीं ले रहे हैं और साथ ही उसपे अधिक दबाव न देने का भी सावधानी बरत रहे हैं.” लड़की ने पूरे सपाट और स्पष्टता से कहा. होंठों पर मुस्कान अभी भी है.

“हम्म.. बहुत समझदार हो.” उसकी तारीफ़ करने से देव ख़ुद को रोक नहीं पाया.

पर लड़की कुछ बोली नहीं --- एक मीठी सी स्माइल लिए देव को देख रही थी.

देव को थोड़ा अजीब लगा --- मन ही मन हँसा --- सोचा, कहीं इस मदद के बदले में किसी तरह का फेवर न माँग ले.

अब एक देव की भी नज़र अच्छे से उस लड़की के हाथों में थमे गुलदस्ते की ओर गया. गुलदस्ता उसे अच्छा लगा; समझ गया ज़रूर उसी के लिए है पर फिर भी पूछना ज़रूरी समझा.

पूछने के लिए वापस लड़की की ओर जैसे देखा तो पाया कि लड़की अभी भी उसकी ओर --- उसके चेहरे की ओर लगातार देखते हुए मुस्कराए जा रही है.

गला खँखारकर देव गुलदस्ते की ओर इशारा करते हुए बोला,

“अम्म.. ये गुलदस्ता??”

“अं..??” देव के हाथ में हुई गतिविधि ने उस लड़की का ध्यान भटकाया.

देव मुस्कराते हुए गुलदस्ते की ओर इशारा करते हुए दोबारा बोला,

“ये...??”

“ओह... यस.. सॉरी --- मैं भूल गयी थी --- ये आपके लिए है--- सर.”

“ओह ओके --- ओके.”

लड़की और भी अधिक मुस्कान और इस बार थोड़ी सी शर्म के साथ आगे बढ़ी और देव के हाथों में गुलदस्ता सौंपी जिसे देव ने ख़ुशी से स्वीकार किया. उसने उस गुलदस्ते को इस बार पास से देखा --- गहरे लाल और हल्के काले रंग के सम्मिश्रण युक्त गुलाबों से बना वह गुलदस्ता सच में कितना सुंदर लग रहा था. कितनी सुंदर भीनी - भीनी सी खुशबु आ रही थी उससे. देव को ऐसा अनुभव होने लगा मानो इस गुलदस्ते को आज नहीं; बल्कि बरसों पहले से देखता आ रहा है --- और ऐसा हो भी क्यों न --- गुलाब की सुंदर पंखुड़ियों और उनसे आने वाली सुंदर, मीठी, भीनी महक है ही ऐसी की कोई भी उनमें खो जाए.

“पसंद आई सर?”

“हं..??

“अम... आई मीन --- कैसी लगी ये?”

“ओह --- ये --- ब्यूटीफुल! जस्ट ब्यूटीफुल!!”

देव के मुख पर वाकई प्रशंसा के भाव थे.

जिसे उस लड़की ने बखूबी ताड़ लिया और खुद भी खुश हो गई.

“थैंक्यू सर --- खास आपके लिए बनवाई हूँ.” लड़की चहकते हुए बोली.

“रियली??”

“यस सर.”

अभी दोनों बात कर रहे थे कि तभी हॉस्पिटल का एक वार्ड बॉय बगल से गुजरा. दरअसल वो देव के वार्ड में ही आ रहा था --- अंदर से आती आवाजों के कारण वो रुक गया --- फ़िर दरवाज़ा को जरा सा खोला और एक हल्की झिरी से अंदर झाँका.

अंदर उस लड़की और देव को आपस में बात करते हुए देखा.

पहले तो लड़की को ठीक से देख नहीं पाया --- पर जैसे ही देखा; वो चौंक उठा और लगभग दौड़ते हुए डॉक्टर साकेत के केबिन में पहुँचा. साकेत का केबिन वैसे है तो एक फ्लोर ऊपर पर जब से देव का केस आया है वो देव के फ्लोर पर शिफ्ट हो गया है --- फिर भी उसका केबिन दो गैलरी छोड़ कर है जहाँ से देव के वार्ड तक की दूरी तकरीबन सात मिनट की है.

साकेत अभी नहीं आया है देख कर उस स्टाफ लड़के ने तुरंत अपने जेब से मोबाइल निकाला और साकेत के नाम पर पंच कर कॉल लगाया.

“हैलो?”

“हैलो ... सर?!”

“हाँ, बोल --- क्या हुआ?”

“सर... व.. वो...”

“अरे जल्दी बोल भई, क्या वो वो कर रहा है?”

“सर --- वो लड़की....”

“कौन लड़की?”

“सर --- वही --- देव साहब को --- लाने वाली ---!”

“देव साहब --- क्या हुआ?”

“हुआ कुछ नहीं सर --- सर, आपको याद है न वो लड़की जो देव सर को ले आई थी एडमिट करने के लिए!”

“हाँ हाँ... याद है. क्या हुआ?”

“सर --- वो लड़की ---आ ..... आई है!”

“आई है?! अभी?”

“यस सर!”

“वाह! कहाँ है वो?”

“देव साहब के वार्ड में ही!”

“ओह ओके --- सुनो, तुम वही रहो --- मैं अभी आता हूँ वहाँ.”

“जी सर... सर, अभी आप कहाँ हैं?”

“मैं आ गया हूँ --- गाड़ी पार्क कर रहा हूँ...”

“ओके सर.” कह कर वो लड़का जल्दी से कॉल कट कर के डॉक्टर के केबिन से बाहर निकल कर देव केक वार्ड की ओर बढ़ गया.



इधर, जब वो लड़का देव के वार्ड के बाहर से दौड़ कर गया तब उस वार्ड के दरवाज़े की हल्की से एक “क्रिंच” की आवाज़ हुई थी जिसे बात करने में मशगूल उस लड़की ने तुरंत और साफ़ सुन लिया था.

बात करते करते ही वो मुस्कराई भी थी ...

देव ने अचानक मुस्कराने का कारण पूछा भी...

लेकिन वो कुछ बोली नहीं --- दूसरे बातों में लग गयी थी.

थोड़ी और बात करने के बाद वो उठ कर जाने लगी,

“अच्छा सर, अब मैं चलती हूँ --- बहुत टाइम ले ली आपका --- अभी तो रेस्ट करना है आपको.”

“हा हा ! अरे एक सप्ताह से तो रेस्ट ही तो कर रहा हूँ --- तुम आज आई हो तो बात करने का मौका मिला!”

“क्यों सर? आपसे मिलने कोई नहीं आता?” ये बात पूछती हुई पल भर के लिए वो लड़की सीरियस हो गई.

“आते हैं --- कई लोग आते हैं --- पर आज; अभी जैसे तुम्हारे साथ बात किया वैसे तो ----”

कुछ कहते हुए देव चुप हो गया. उसे अचानक से नेहा की याद आ गई.

देव को बीच में रुकते देख कर लड़की उसके चेहरे की ओर गौर से देखते हुए पूछी,

“सर --- आप चुप हो गए? कुछ कह रहे थे?”

“नहीं... कुछ नहीं.” देव ने बात संभालने की कोशिश की.

लड़की निराशा में गर्दन ‘ना’ में हिलाई और,

“ओके सर --- आई मस्ट गेट गोइंग --- ऍम गेटिंग लेट ---- टेक केयर सर! बाय --- सी यू!”

“याह! ओके. यू टू टेक केयर --- जस्ट वन क्वेश्चन --- मुझे बार बार ‘सर’ क्यों बोल रही हो! यू हेल्पड मी --- मुझे तुम्हें मैम कहना चाहिए--- बाई दी वे, तुमने अपना नाम नहीं बताया?!”

अब तक दरवाज़े की ओर मुड़ कर कुछ कदम आगे बढ़ चुकी लड़की ठिठकी; सिर घूमा कर देव को देखी --- मुस्कराई और बेहद प्यारे स्वर में बोली,

“नो सर! यू बेटर कॉल मी बाई माई नेम. राईट नाउ यू डोंट रिमेम्बर मी; बट आई एश्यौर यू दैट यू नो मी वैरी वेल --- एंड माई नेम इज़ तन्वी!”

इतना कह कर मुस्कराते हुए बाहर चली गई --- पीछे देव को हतप्रभ छोड़ कर!



उधर डॉक्टर साकेत अपनी गाड़ी पार्क कर के लिफ्ट के आने का इंतज़ार करते करते थक कर सीढ़ियों से ऊपर चढ़ने लगा और जल्द ही उस स्टाफ़ लड़के से भेंट हो गई,

“तू अभी तक वहाँ गया नहीं?”

“नहीं सर --- वो दरअसल, एक वार्ड में कॉटन और सिरिंज पहुँचाना था--- इमरजेंसी केस था इसलिए लेट हो गया.”

“ओफ्फहो! कहीं वो लड़की चली न गई हो!” साकेत के स्वर में चिंता स्पष्ट झलकी.

“नहीं जायेगी सर.” लड़का आशावादी बनता हुआ बोला.

“क्यों? जाने के लिए तेरे से परमिशन लेगी क्या वो?” साकेत लगभग डांटते से स्वर में बोला --- लड़का सहम कर चुप हो गया --- उसने डॉक्टर के इस तरह सीरियस हो जाने की आशा नहीं की थी.


चलते चलते सभी अब एक ऐसे मोड़ पर आ गये जहाँ से मुड़ने पर तीनों एक ही फ्लोर पर एक दूसरे के आमने सामने हो जाते --- और ऐसा हुआ भी --- लेकिन इससे पहले की डॉक्टर साकेत और वो स्टाफ़ लड़का सामने से आती करीब बारह क़दमों की दूरी पर मौजूद उस लड़की को देख पाते कि तभी हड़बड़ा कर चलते उस लड़के से सामने से आती एक नर्स बुरी तरह से टकरा गई --- टक्कर इतनी जबरदस्त हुई कि लड़का उस नर्स को साथ लिए डॉक्टर साकेत से भी टकरा गया और साकेत को बगल के दीवार से टकराने के फलस्वरूप पीठ पर बहुत बुरी चोट आई.


तीनों एक दूसरे को सम्भालने लगे --- साकेत तो दोनों को ही डाँटने लगा; आखिर चोट के कारण बुरी तरह बिलबिला गया था वह --- और इतने में ही सामने से आती वो लड़की --- जो कुछ देर पहले तक देव के साथ उसके वार्ड में थी --- और रवाना होने से पहले अपना नाम तन्वी बताई थी --- मुस्कराती हुई उन तीनों की ओर एक जल्द नज़र भर देख कर आगे बढ़ गई.
Tanvi Bhootni nahi lagti kahi se nahi lagti....haa samajhdaar hai ye pata hai par bhootni to nahi lagti ye....ye sab ek ittefaq ho sakta hai...
Tanvi ek purani student ho sakti hai Dev ki yaa fir uss bhootni ki dost ho sakti hai wo.... :approve: aisa hi hoga kuch.....
Ye Neha nahi aayi Dev se milne kya....aayi hogi tabhi to chai milli usko.....par.... sayad uss dhang se baat naa kar rahi ho.....pata nahi abhi ke updates padh ke aisa lagta hai jaise bootni dikhne ke baad se hi hum past mein chal rahe ho :?: aisa hai kya kuch....kyunki uske baad se kaha uski baat hui hai..
 

Moon Light

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तो उस रहस्मय लड़की का नाम तन्वी है...
फाइनली उसका नाम पता लगा.. उसके वजूद पास्ट प्रेजेंट future जानने के लिए मैं काफी उत्सुक हूँ...
i हॉप वो एक रहस्यमय किरदार ही निकले... काली शक्तियों के साथ....
 

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तो उस रहस्मय लड़की का नाम तन्वी है...
फाइनली उसका नाम पता लगा.. उसके वजूद पास्ट प्रेजेंट future जानने के लिए मैं काफी उत्सुक हूँ...
i हॉप वो एक रहस्यमय किरदार ही निकले... काली शक्तियों के साथ....
:sigh: :chair: Tanvi bhootni nahi.... Bhootniki bahen yaa dost hogi :approve:
 

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तो उस रहस्मय लड़की का नाम तन्वी है...
फाइनली उसका नाम पता लगा.. उसके वजूद पास्ट प्रेजेंट future जानने के लिए मैं काफी उत्सुक हूँ...
i हॉप वो एक रहस्यमय किरदार ही निकले... काली शक्तियों के साथ....
:?: ju ko bhi lagta hai hum past padh rahe hai abhi yaa bas apan hi aisa soch raha hai
 

Moon Light

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:?: ju ko bhi lagta hai hum past padh rahe hai abhi yaa bas apan hi aisa soch raha hai
प्रेजेंट ही है ये...
पास्ट वो होगा जो उस लड़की से रिलेटेड हो...
बाकी लेखक महोदय जो लिख दें वो पास्ट और प्रेजेंट 😁😁
 

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प्रेजेंट ही है ये...
पास्ट वो होगा जो उस लड़की से रिलेटेड हो...
बाकी लेखक महोदय जो लिख दें वो पास्ट और प्रेजेंट 😁😁
:nana: cheezein acchanak se badal gayi naa....ju dhyaan do...bhootni dikhi Dev ne apne dost ko bataya....fir jab update aaya tab wo dawa kha raha tha koi..Neha ne kuch ajeeb nahi kiya jisse lage ki usne bhi Bhootni dekhi thi....
Dev abhi apne kaam ko leke utna hi utshuk hai jitna koi shuru mein hota hai.....
Collage ko leke meeting ho rahi hai hotel mein....
kuch bakwas hai par kuch points saaf bata rahi past mein chal rahe hum....par bhootni ne baccha liya naa bas ye baat se lag rahi hum present mein hi hai...
bahut confusion hai
 

Darkk Soul

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Tanvi Bhootni nahi lagti kahi se nahi lagti....haa samajhdaar hai ye pata hai par bhootni to nahi lagti ye....ye sab ek ittefaq ho sakta hai...
Tanvi ek purani student ho sakti hai Dev ki yaa fir uss bhootni ki dost ho sakti hai wo.... :approve: aisa hi hoga kuch.....
Ye Neha nahi aayi Dev se milne kya....aayi hogi tabhi to chai milli usko.....par.... sayad uss dhang se baat naa kar rahi ho.....pata nahi abhi ke updates padh ke aisa lagta hai jaise bootni dikhne ke baad se hi hum past mein chal rahe ho :?: aisa hai kya kuch....kyunki uske baad se kaha uski baat hui hai..

आहिस्ते प्रिय पाठक; आहिस्ते... ☺

इतनी शीघ्रता क्यों नतीजे पर पहुँचने की ... :wink:😁
 
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