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Horror He Loves Me..... He Loves Me Not!

Darkk Soul

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तो उस रहस्मय लड़की का नाम तन्वी है...
फाइनली उसका नाम पता लगा.. उसके वजूद पास्ट प्रेजेंट future जानने के लिए मैं काफी उत्सुक हूँ...
i हॉप वो एक रहस्यमय किरदार ही निकले... काली शक्तियों के साथ....

:rolleyes: अमम... हम्म.. ऐसा हो सकता है--- 🤔
 
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Darkk Soul

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zabardast update ..to us ladki ka naam tanvi hai jisne dev ko admit karaya 🤔..
uski baate bhi samajh se pare lagi ..
dr. saket us ladki se milna chahta tha par gadbad ho gayi aur nurse se takrana ..

par us ladki ne aisa kyu kaha ki dev usko bhul jayega 🤔🤔..

aur ye bhi sahi hai ki wo chudail type nahi lagi ..

aur ye neha ki baat yaad karke dev chup kyu ho gaya 🤔🤔..
 

Darkk Soul

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:nana: cheezein acchanak se badal gayi naa....ju dhyaan do...bhootni dikhi Dev ne apne dost ko bataya....fir jab update aaya tab wo dawa kha raha tha koi..Neha ne kuch ajeeb nahi kiya jisse lage ki usne bhi Bhootni dekhi thi....
Dev abhi apne kaam ko leke utna hi utshuk hai jitna koi shuru mein hota hai.....
Collage ko leke meeting ho rahi hai hotel mein....
kuch bakwas hai par kuch points saaf bata rahi past mein chal rahe hum....par bhootni ne baccha liya naa bas ye baat se lag rahi hum present mein hi hai...
bahut confusion hai

आपने कुछ मिस कर दिया है भ्राता 🤦‍♂️ --- आपसे अनुरोध है कि कल वाले अपडेट को छोड़ कर पिछले तीन अपडेट्स को एकबार फिर पढ़ें. :reading:

और वैसे भी,

सब कुछ अभी जान लेने का इरादा है क्या? 😉
 
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Darkk Soul

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zabardast update ..to us ladki ka naam tanvi hai jisne dev ko admit karaya 🤔..
uski baate bhi samajh se pare lagi ..
dr. saket us ladki se milna chahta tha par gadbad ho gayi aur nurse se takrana ..

:approve: :approve: :approve: :approve:

par us ladki ne aisa kyu kaha ki dev usko bhul jayega 🤔🤔..

😲
Ye-Kab-Hua-meme-template-of-Dhol-608x296.jpg


aur ye bhi sahi hai ki wo chudail type nahi lagi ..

😉 😉
Image-Index.jpg


aur ye neha ki baat yaad karke dev chup kyu ho gaya 🤔🤔..

नेहा की याद आ गई थी. 🤗🥰
 

Darkk Soul

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१०)

Laut-Aayi.jpg

“देव.”

“हाँ?”

“कौन थी वो?”

“कौन?”

“वही जो आज तुमसे मिलने आई थी?”

“ओह वो! अरे वो तो वही लड़की थी जिसने मुझे यहाँ तक ले आई थी और एडमिट करवाया. यदि उस दिन वो बिल्कुल सटीक समय पर नहीं पहुँची होती तो पता नहीं क्या से क्या हो जाता? --- पर कमाल है --- तुम्हें कैसे पता चला की वो मिलने आई थी मुझसे?”

“बस, पता चल गया --- हमेशा यहाँ रह नहीं सकती तो क्या हुआ; ख़बर तो रख ही सकती हूँ --- नहीं?”

“हम्म--- बिल्कुल --- तुमसे कुछ छुपा रहता है क्या कभी कुछ?” देव हँसते हुए बोला और पास बैठी नेहा का हाथ सहलाने लगा.

लेकिन नेहा कुछ बोली नहीं.

क्योंकि उसका ध्यान पास ही एक चेयर पर रखे एक गुलदस्ते पर था --- कहने को तो और भी गुलदस्ते रखे हुए थे वहाँ पर उन सभी गुलदस्तों में से एक पर ही उसका ध्यान बार बार जा रहा था --- ठीक किसी चुम्बक की भांति.

देव उसी से बातें कर रहा था --- ख़ास कर तन्वी के बारे में बता रहा था --- पर नेहा का ध्यान देव की बातों पर बिल्कुल नहीं गया --- उल्टे वह बस, एक चेयर और उसके पास के एक टेबल पर रखे गुलदस्तों के ढेर में से वही एक गुलदस्ते को टकटकी लगाए देखे जा रही थी.

देव को अचानक से बीच में रोकते हुए पूछ उठी,

“वो वाला गुलदस्ता --- नया देख रही हूँ?”

देव अपनी बायीं ओर अपने बेड से करीब सात क़दमों की दूरी पर रखे उसे टेबल – चेयर की जोड़ी की ओर देखा...

“कौन सा?”

“वही... लाल – काला ताज़ा गुलाबों वाला.” उस गुलदस्ते से नज़र हटाए बिना ही बोली नेहा.

नेहा की नज़र को फॉलो करते हुए देव उस ओर देखा,

“ओह वो चेयर पर जो रखा है?! --- वही तो ले कर आई थी वो लड़की.”

“ओह!”

“क्यों, क्या हुआ? कोई विशेष बात है क्या?”

“नहीं कुछ नहीं --- बड़े अच्छे लग रहे हैं.”

कह कर नेहा उठ कर चेयर के पास गई और उस गुलदस्ते को छुई --- पंखुड़ियों की ताज़गी उसे अच्छी लगी. कुछ पल गुलदस्ते को यूँही देखती – छूती रही फिर कुछ सोच कर उसे अच्छे से पकड़ कर आँखों के ठीक बराबरी पर ला कर गौर से देखने लगी.


देव को ये बड़ा अटपटा सा लग रहा था और सच पूछा जाए तो खुद नेहा भी हैरान हो रही थी ये सोच सोच कर कि आख़िर इस गुलदस्ते की ओर वो आकर्षित क्यों हो रही है --- ऐसा इसमें क्या है जो उसे इतना अच्छा लग रहा है?

अचानक से पलट कर देव से पूछी,

“कितने बजे आई थी?”

“सुबह ही आई थी --- टाइम पता नहीं पर बहुत हद नौ बजे होंगे --- क्यों? क्या हुआ??”

“हम्म --- कुछ नहीं --- फूल बड़े ताज़े लग रहे हैं इसलिए पूछी.” नेहा मुस्कराते हुए बोली.

“ओह ये बात --- अरे पगली, फूल ताज़े लग नहीं रहे; ताज़े ही हैं. हाहाहा.” देव हँस पड़ा --- इस बात से बेख़बर की नेहा का ध्यान अब भी उस गुलदस्ते पर ही है.

उस लाल - काले गुलाबों वाले गुलदस्ते से आती एक भीनी सुगंध उसके दिमाग में इस बात की चुगली शुरू कर दिया था ये सुगंध --- ये ख़ास सुगंध को उसने आज पहली बार अनुभव नहीं किया है.

जब दिमाग ने आगे का सोचना थोड़ा कम किया तो यथार्थ में लौटते हुई वो उस गुलदस्ते को वहीँ चेयर पर रख कर देव के पास गई और प्यार से उसके सिर पर हाथ फ़ेरते हुए उसे देखने लगी.

उसके नर्म हाथों की छुअन देव को वाकई बहुत अच्छा लगा और मुस्करा कर नेहा को देखने लगा...

“क्या हुआ? स्माइल भी एंड स्टेयरिंग भी! व्हाई?” स्वर में प्यार की मीठास घोलती हुई बोली.

“हम्म.... स्माइल तो करूँगा ही --- तुम जो हो यहाँ --- पर ‘स्टेयरिंग’?! ना भई, बिल्कुल नहीं.”

“क्यों?”

“क्या स्टेयर करूँ?” देव रूठते हुए बोला.

नेहा समझ गई...

लाज से गाल लाल हो गए.

मुस्कराते हुई बोली,

“ओहो --- तो जनाब को इस हाल में भी स्टेयर चाहिए!”

“हाल? क्या हुआ हाल को? बिल्कुल ठीक हूँ --- (नेहा का हाथ पकड़ कर थोड़ा पास खींचते हुए धीरे से बोला) --- मन भी तो बहुत करता है.”

“धत्त! क्या बदमाशी है --- कण्ट्रोल रखो --- हॉस्पिटल में हैं हम!”

नेहा बनावटी गुस्सा करते हुए उसका हाथ झटकते हुए बोली.

इस पर देव भी बड़ा भोला बन कर आस पास देखते हुए बोला,

“हाँ ठीक है --- हम हॉस्पिटल में हैं --- पर बेड तो अपना ही है न?!”

इस बात पर नेहा को हँसी आ गई --- अपनी ऊँगली की नाख़ून देव के गाल में गड़ाते हुए बोली,

“ठीक है जनाब --- आप जल्दी से घर आ जाइए --- आपकी तमन्ना पूरी करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.”

“सच?!”

“बिल्कुल सच --- रोलप्ले वाला सच!”

“मतलब?”

“आप मरीज़ --- हम डॉक्टर --- पहले चेकअप --- फ़िर......”

“ओह्ह!!” देव की ख़ुशी का तो कोई पार ही नहीं रहा यह सुनने के बाद.

नेहा इतने में ही नहीं रुकी --- दो कदम पीछे हट कर बोली,

“फ़िलहाल आपकी स्टेयर के लिए ये ....... हाज़िर है.”


कहते हुए अपने शर्ट के तीन बटन खोल कर दोनों तरफ से फैला दी --- परिणामस्वरुप एक मस्त गहरा क्लीवेज नज़र आने लगा!

देव तो जैसे पल भर के लिए साँस लेने ही भूल गया --- एकटक उस गहराई को देखने लगा.

कंधे में दर्द है तो क्या हुआ.... कमर के नीचे हलचल तो हो ही सकती है!

दोनों कुछ और करते और ये सीन थोड़ा और चलता --- कि तभी दरवाज़े पर एक हल्की दस्तक हुई --- नेहा सेकंड से भी कम समय में जल्दी से शर्ट के बटन लगा ली और देव भी खुद को सम्भाल कर सीधा लेट गया.

इंस्पेक्टर विक्रम अंदर आया.

“मैंने डिस्टर्ब तो नहीं किया?”

“अरे नहीं --- मैं तो बस अब जाने ही वाली थी --- ओके देव --- फ्रूट्स एंड जूस लेने मत भूलना --- टेक केयर, बाय...”

कह कर नेहा जल्दी से अपना बैग उठा कर दरवाज़े की ओर बढ़ी; शायद इस तरह से विक्रम के आने से नेहा को अपनी करनी पर शर्म आने लगी थी --- इधर विक्रम देव के पास एक चेयर ले कर बैठ गया.

“गुड मोर्निंग.”

“मोर्निंग विक्रम.”

“क्या हाल है?”

“फ़िलहाल तो ठीक ही हूँ --- अब तो बस यहाँ से छुट्टी का इंतज़ार कर रहा हूँ.”

“हम्म.. फ़िलहाल तो आपको यहीं रहना है.” विक्रम हँसते हुए बोला.

“पता है.” देव मायूस हो गया.

फ़िर सीधा हो कर बैठा --- पूछा,

“आज यहाँ?”

“हाँ, कुछ बताना था और... कुछ पूछना भी.”

“ओके.. पूछिए क्या पूछना है?”

“नहीं --- पहले पूछूँगा नहीं; पहले बताऊंगा...”

“ओह! वो क्या?”

“हमें वो लड़की मिल गई है.”

“कौन लड़की?”

“जिसने आपको यहाँ पहुँचाया था.”

“मुझे.... यहाँ.... ओह वो?! रियली??” देव ख़ुश होने का नाटक किया --- मन में तुरंत सोच लिया की विक्रम को नहीं बताएगा कि वह उस लड़की से मिल चुका है --- वो पुलिस की जुबानी उन्हीं का रिपोर्ट सुनना चाहा.

“यस.”

“कहाँ मिली?”

“अम्म.... मिली मतलब.... नॉट फिजिकली --- वर्चुअली.”

“मैं समझा नहीं, इंस्पेक्टर.”

“हमें वो सीसीटीवी में दिखी.”

“ओह! यहाँ की सीसीटीवी?? दैट्स ग्रेट! अब पहचान में आ जाएगी वो?!” नेहा बोल पड़ी.

विक्रम तनिक झिझका... फिर सिर हिलाते हुए बोला,

“आई एम सॉरी.”

“क्यों?!”

“क्योंकि, जितनी बार भी दिखी है --- हर वीडियोज़ के हरेक फ्रेम में --- सब में उसका शरीर तो ठीक नज़र आ रहा है पर चेहरा बहुत ब्लर आया है --- इतना की उससे कोई अंदाज़ा लगा पाना भी हद से ज़्यादा मुश्किल है.”

“ओह... पर ऐसा क्यों हुआ?”

“पता नहीं --- टेकनीशियन तो कह रहा था की इस तरह की टेक्निकल ग्लिच आम तो नहीं है पर संभावनाएँ पूरी रहती हैं.”


विक्रम और भी बहुत कुछ कहने लगा; पर नेहा का ध्यान अब उसकी बातों में नहीं रहा --- वो पलट कर दूसरी ओर चेयर पर रखे उसी लाल-काले गुलाबों वाले गुलदस्ते को देखने लगी.

माथे पर शिकन आई.

देव को बाय बोल कर तुरंत वहाँ से निकली और कुछ दूरी पर स्थित उसी फ्लोर के लेडीज वाशरूम में घुस गई.

वाशबेसिन को पकड़ कर कुछ देर तक लम्बी गहरी साँसें ली; साथ ही चेहरे पर ऐसे कई भाव उमड़े मानो किसी बात के सही न होने की कामना कर रही हो. कुछ देर ऐसे करते रहने के बाद एक आखिरी गहरी साँस ली और चेहरा उठा कर सामने आईने पर देखी.

पर एक अनकहा आश्वासन उसे अपने ही चेहरे पर नहीं दिखा....

एक टैप खोली --- और --- उससे निकलते ठंडे पानी से अपना मुँह धोने लगी.

“नो, नो --- दिस इज़ नॉट पॉसिबल --- इट कैंट बी..... इ..इ....”

कहते कहते अचानक से हाँफने लगी --- जल्दी से दोनों हथेलियों में पानी ले कर ज़ोर ज़ोर से अपने चेहरे पर मारने लगी..

कुछ देर बाद जब मन थोड़ा शांत हुआ तब टैप को बंद कर के रुमाल से चेहरे को अच्छे से पोंछी --- फिर बगल में रखे बैग से पानी का बोतल निकाल कर पानी पीने के बाद कपड़ों को व्यवस्थित की और फिर रिस्ट वाच में टाइम देखने के बाद अपना बैग कंधे में ले कर दरवाज़े की ओर बढ़ी.

चार ही कदम चली होगी की पीछे से एक हल्की सी आवाज़ आई ---

नेहा ठिठकी --- पलटी, सीधे आवाज़ आने वाली दिशा की ओर देखी --- और देखते ही मानो चेहरे के रंग उड़ गए --- आश्चर्य और भय से आँखें बाहर निकलने को हो आईं.

जिस नल को अभी अभी बंद कर के बाहर जाने वाली थी; वो अपने आप धीरे धीरे खुल रहा है उसके सामने!

पहले तो अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ उसे; और जब होने लगा तब चाह कर भी कर ना पाई.

नल से पानी गिरते ही गई और उस पानी से धीरे धीरे भाप निकलना शुरू हुआ --- जिस कारण बेसिन के ठीक ऊपर स्थित आइना धुँधला पड़ने लगा. इतना काफ़ी था नेहा को किसी अनहोनी का अंदेशा कराने के लिए. वो वहीं खड़ी थर थर काँपने लगी .....


तभी वो हुआ जिसकी उसने बिल्कुल भी कल्पना नहीं की थी..

आईने के धुँधलके में ‘सिक - शीक’ से आवाज़ होती हुई कुछ अपनेआप ही आने लिखा जाने लगा --- कुछ अक्षर अपने आप ही आईने में स्पष्ट होने लगे --- जोकि कुछ ये लिखा था,

‘Hello Neha…. You miss me?!’

आईने पर अंग्रेजी में लिखे शब्द और लिखावट को देख नेहा की तो जैसे वही पर जान निकलने लगी --- एक तेज़ चीख के साथ पीछे मुड़ी और भाग खड़ी हुई.

भागते – हाँफते हॉस्पिटल के बाहर पार्किंग में खड़ी अपनी कार में जा बैठी --- साँस अभी भी फूल रही थी --- डर से चेहरे पर ढेर सारा पसीना था --- कुछ क्षण साँस को नियंत्रित कर के कार स्टार्ट करने वाली थी ही कि उसकी नज़र पड़ी बगल के सीट पर पड़े एक काले गुलाब पर!

आश्चर्य! घोर आश्चर्य!!

शीशा तो चढ़ाया हुआ था --- डोर लॉक्ड था! फ़ोर्स ब्रेक होने पर ऑटो सेंसिंग अलार्म एक्टिवेट हो जाता और उसके पास स्वतः ही मोबाईल में एक मेसेज आ जाता... पर ऐसा तो कुछ हुआ नहीं!


क्यों?!


इस ‘क्यों’ के जवाब को मन में लिए डरते डरते उस गुलाब को उठा कर अपने आँखों के बहुत पास ला कर देखी --- बिल्कुल ताज़ा --- जैसे अभी अभी बगीचे से तोड़ी गई है --- मन को मोह लेने वाली एक अद्भुत भीनी मीठी सुगंध --- सब कुछ ठीक वैसे ही जैसे --- जैसे .........

ठीक तभी दूर कहीं किसी गाड़ी के हॉर्न से उसकी तंद्रा टूटी --- तंद्रा टूटते ही उसकी नज़र सीधे हाथ में पकड़ी उस गुलाब पर गई --- और इसी के साथ डर से उसका चेहरा सफ़ेद पड़ने लगा.

एक झटके से गुलाब को खिड़की से बाहर फेंकी; और फ़िर बैग से मोबाईल निकाल कर एक नंबर डायल की --- सेकंड भर बाद ही काँपते होंठों से बोली,

“हैलो --- पापा --- स.... श...... व .... व..... वो .... लौट ...... आई!!”
 
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romanchak update ..shayad neha us ladki ko jaanti hai 🤔..
dev se shadi karne ke liye shayad us ladki ko marwaya ho neha ne 🤔.
aur papa ko phone karke jye kehna ki wo laut aayi hai matlab uske papa bhi jaante hai us ladki ko .

aisa kya ho gaya jo neha darr gayi vikram ki baate sunkar .
 

kamdev99008

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Neha hi nahi... Uske papa bhi jante hain use...

Aur uske marne me kahin na kahin... Neha aur uske papa bhi jude hain

Ab neha aur uske papa jaan gaye ki... Wo wapas laut ayi hai....
To ab kya kareinge wo

Aur wo... Wapas kyon lauti hai... Dev se kyon jud rahi hai?

Keep it up
 

Moon Light

Prime
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वेलकम बैक

आते ही वही रहस्यमय घटनाओ का दौर चालू 👌👌
जिस पर पर्दा जल्द हटेगा... पर एक राइटर के तौर पर पर्दा जल्दी न उठे तो बढ़िया 😁😁😁

नेहा और उसके पिता भी उसे जानते हैं... ऐसा अपडेट पढ़ कर लगा... गुलाब गुलदस्ते भी जरूर कोई कनेक्शन रहा होगा....

कीप इट अप :yourock:
 
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