• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance I LOVE YOU (me tujse pyar karta hu)

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
‘‘आ गए ईशान...''- माँ ने दरवाजा खोलते हुए कहा। ‘‘हाँ माँ...बहुत मजा आया।’’ ‘‘बाकी लोग चले गए?’’ ‘‘हाँ, सब लोग गए।’’ बात करते-करते मैं और माँ, ड्रॉइंग रूम में पहुँच चुके थे। ड्रॉइंग रूम में पापा और भाई-बहन बैठे थे। सुबह निकलना था, तो पापा के पास बस एक ही बात थी... दर्जनों तस्वीरों में से किसी एक तस्वीर को शादी के लिए फाइनल करना। सब लोग बैठ चुके थे। माँ, खाना लेकर आ चुकी थीं। मैं सोच ही रहा था कि पापा कब पूछेंगे कि शादी के बारे में क्या सोचा? उससे पहले उन्होंने पूछ ही लिया, ‘‘कोई फोटो पसंद आई?’’ ‘‘पापा, मुझे अभी शादी नहीं करनी है...थोड़ा वक्त चाहिए मुझे'' ‘‘तुम पच्चीस-छब्बीस साल के हो रहे हो...यही उम्र है शादी की।’’ ‘‘पापा, एक साल और चाहिए मुझे अभी।’’ ‘‘देखो ईशान, तुम्हारे साथ के लगभग सभी लोगों की शादी हो गई है और हमारे पास तो रुकने की कोई वजह भी नहीं है। तुम्हारी अच्छी खासी नौकरी है, फिर क्या सोचना?’’
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
नहीं पापा, मुझे नहीं करनी है अभी शादी और इनमें से कोई फोटो मुझे पसंद नहीं है।’’ ‘‘तो फिर इन सभी लड़की वालों से मना कर दूँ मैं?’’ ‘‘हाँ, मना कर दीजिए...मुझे नहीं पसंद है इनमें से कोई भी।’’ ‘‘देखो ईशान, शादी तो तुम्हें करनी पड़ेगी...ये सारी लड़कियाँ बहुत अच्छी हैं, पढ़ी-लिखी हैं...हमने घर-परिवार के बारे में पता कर लिया है।’’ ‘‘देखो, आप लोग दबाव मत बनाओ...मैं अभी नहीं करूँगा शादी और अब मुझे इस बारे में कोई बात नहीं करनी है, गुड नाइट...सुबह मैं पाँच बजे निकलूँगा।’’- इतना कहकर मैं अपने कमरे में चला गया। पापा से जब भी बात होती थी, तो वो शादी की बात ही करते थे और इस समय मुझे शादी के नाम से भी चिढ़ होने लगी थी। पापा की बातें मेरे दिमाग में घूम रही थीं। सच कहूँ तो मुझे घुटन हो रही थी घर में। बस इंतजार था, तो सुबह होने का। लैपटॉप में अपनी और स्नेहा की तस्वीरें देखते-देखते आँखें नींद में चली गर्इं। अब सब शांत हो चुका था। हर तरफ शांति थी... न शादी की बात थी और न किसी लड़की की फोटो; बस एक हसीन ख्वाब में स्नेहा मेरे साथ थी।
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
सुबह साढ़े चार बजे तकिए के पास रखा मोबाइल बजा। आँख खुली तो देखा अनन्या का फोन था। ‘‘गुड मार्निंग अनन्या!’’ ‘‘गुड़ मार्निंग... उठ गए?’’ ‘‘हाँ यार, तुम्हारी कॉल से ही उठा।’’ ‘‘तो कब चलना है?’’ ‘‘साढ़े पाँच बजे मिलते हैं बस स्टॉप पर; पाँच बजकर पैंतीस मिनट पर वॉल्वो है दिल्ली के लिए।’’ ‘‘ठीक है।’’ कमरे से बाहर निकला और नीचे देखा, तो माँ और पापा उठ चुके थे। माँ किचेन में थीं और पापा माँ से कह रहे थे, ‘‘समझाओ इसे...शादी तो करनी ही है। मुझे तो लगता है कि इसे कोई लड़की पसंद है...तो एक बार तुम ही पूछ लेना, शायद तुम्हें बता दे क्या मामला है।’’ ‘‘गुड मार्निंग पापा!’’ ‘‘अरे उठ गए तुम...चलो फ्रेश होकर आओ नीचे।’’ ‘‘आ जाओ नहाकर...पकौड़े बना रही हूँ तुम्हारे लिए।’’- मम्मी ने किचेन से बाहर आते हुए कहा। ‘‘हाँ माँ, मैं बस आया।’’
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
इतना कहकर मैं फ्रेश होने चला गया। थोड़ी देर बाद बैग पैक करके नीचे पहुँचा, तो माँ ने एक बैग और तैयार कर रखा था। ‘‘माँ, इसमें क्या है?’’ ‘‘तेरा फेवरेट आम का अचार है...लड्डू हैं दो डिब्बे में,खा लेना।’’ गर्मागर्म पकौड़े खाते-खाते मैं सामान भी सहेज रहा था। माँ, साथ बैठकर बालों में हाथ फेर रही थीं। घर से बाहर रहते-रहते कई साल हो गए थे, लेकिन माँ आज भी मेरे जाने पर उदास हो जाती थी। ‘‘ईशान, सोचना ठंडे दिमाग से शादी के बारे में...सही उम्र है और रिश्ते भी अच्छे आ रहे हैं; शादी करने में फायदा है।’’- माँ। माँ की इस बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं था। बस मैं चुपचाप कॉफी का सिप भरता रहा। भाई-बहन भी साथ में बैठे थे। ‘‘भैय्या कब आओगे अब?’’- भाई ने पूछा। ‘‘आऊँगा यार, अगले महीने।’’ नाश्ता हो चुका था और पाँच से ज्यादा बज चुके थे। अब चलने का वक्त था। मैं उठा और हाथ धोकर पूजाघर के आगे नतमस्तक हुआ।
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
माँ और पापा के पैर छुए। छोटे भाई ने दोनों बैग उठा लिए थे। माँ ने मुझे गले लगा लिया और कहा, ‘‘जल्दी आना।’’ ‘‘तुम आओ, मैं गाड़ी निकालता हूँ।’’- पापा ने कहा। घर से बाहर निकलते हुए माँ मुझे समझा रही थीं। मैं भी ऐसे सिर हिला रहा था, जैसे सब समझ आ रहा है। लेकिन हकीकत कुछ और ही थी। मेरे दिमाग में शादी की बात घुस ही नहीं रही थी। दिल-दिमाग और शरीर के हर अंग में बस स्नेहा का ही खयाल था। घर से लौटने पर मैं जरा भी उदास नहीं था, बल्कि मेरे चेहरे पर दिल्ली वापस आने, या यूँ कहें कि स्नेहा से मिलने की खुशी साफ झलक रही थी। पापा, गाड़ी निकाल चुके थे। भाई ने मेरा लगेज कार की बैक सीट पर रख दिया। पीछे मुड़कर माँ को एक बार फिर गले लगाया। छोटे भाई-बहन को भी गले लगाकर मैं कार में बैठ गया। जाती हुई कार को माँ तब तक देखती रहीं, जब तक कार गली से मुड़कर मेन रोड पर नहीं आ गई। ‘मैं निकल चुकी हूँ।'- अनन्या का मैसेज आया था। ‘मैं भी अभी निकला हूँ...पापा हैं साथ में।' सुबह का वक्त था। लोग मॉर्निंग वॉक कर रहे थे और सड़क बिलकुल खाली थी। पापा, ड्राइव करते हुए
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
सँभलकर जाने की हिदायत दे रहे थे। मैं जानता था कि वो फिर शादी की बात करना चाहते हैं, लेकिन कर नहीं पा रहे थे। बस स्टॉप पहुँचने में मुश्किल से दस मिनट ही लगते थे। पापा कुछ कहते, उससे पहले मैंने ही कह दिया, ‘‘पापा थोड़ा वक्त दीजिए...शादी मुझे करनी है, पर अभी नहीं।’’ ‘‘देखो ईशान...तुम्हें कोई पसंद है तो बेहिचक बता दो, वरना हम जहाँ कहें वहाँ शादी कर लो। बेटा तुम्हारे बाप हैं हम...तुम्हारा अच्छा ही चाहेंगे।’’- पापा ने इतना कहा और बस स्टॉप के सामने ब्रेक लगा दिए। ‘‘ओके पापा...दिल्ली पहुँचकर बात करूँगा आपसे।’’- कार से उतरते हुए मैंने कहा। पापा भी कार से उतरे और पीछे वाली सीट से बैग निकालते हुए बोले, ‘‘कौन-सी वॉल्वो जाएगी दिल्ली?’’ ‘‘पापा वो है शायद, सामने...लिखा है उस पर।’’ ‘‘ठीक है फिर...आराम से जाना...पहुँचकर फोन करना।’’ ‘‘ओके पापा।’’- पापा के पैर छूते हुए मैंने कहा और बस की तरफ बढ़ चला। पापा, कार मोड़कर जा चुके थे। बस की तरफ बढ़ते हुए मैंने स्नेहा को कॉल किया।
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
गुड मॉर्निंग स्वीट हार्ट।’’ ‘‘गुड मार्निंग माई बेबी...निकले या नहीं?’’ ‘‘हाँ, बस स्टॉप पर हूँ...तुम ऑफिस आना जरूर...मैं सीधे ऑफिस आऊँगा।’’ ‘‘हाँ मेरी जान...तुम्हें देखे बिना दिन कहाँ कटता है मेरा...जल्दी आना।’’ ‘‘हाँ...चलो आकर बात करते हैं।’’ ‘‘ओके, टेक केयर...'' सड़क के उस पार अनन्या बस के गेट पर खड़ी मेरा इंतजार कर रही थी। मैंने दूर से ही उसे देखकर हाथ हिलाया, तो उसने भी मुस्कराते हुए हाथ हिलाया। ‘‘आओ जल्दी...बस चलने वाली है।’’- अनन्या ने नीचे रखा अपना सामान उठाते हुए कहा। ‘‘हाँ यार...थोड़ा देर हो गई निकलते हुए।’’ बस के अंदर हम दोनों दो चेयर वाली साइड बैठ गए। लगेज, ऊपर और चेयर के नीचे सेट था। बस के चलने का वक्त हो चला था। सभी सवारियाँ लगभग बैठ चुकी थीं। अनन्या, ईयरफोन लगाकर कोई गाना सुन रही थी। बैठते ही उसने ईयरफोन का एक सिरा मेरी तरफ बढ़ाया और आँखों से गाना सुनने का इशारा किया। मैंने ईयरफोन लगाया, तो उधर जो गीत बज रहा था, उसने एक पल के लिए मुझे डरा दिया। मैं उस गीत के बोल सुनते
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
ही एक ऐसी कल्पना में खो गया, जहाँ स्नेहा और मेरा हाथ छूट रहा था। गीत था- ‘‘तेरी आँखों के दरिया का उतरना भी जरूरी था, मोहब्बत भी जरूरी थी बिछड़ना भी जरूरी था।’’ बस चल चुकी थी और ऋषिकेश की गलियाँ एक-एक कर छूटती जा रही थीं। अँधेरा भी छँटने को था। दिन ने निकलना शुरू कर दिया था। गाना खत्म हुआ तो बस, ऋषिकेश के बाहरी छोर तक पहुँच गई थी। ‘‘कितना प्यारा गाना है न... मेरा फेवरेट है।’’- अनन्या ने इयरफोन समेटते हुए कहा। ‘‘हम्म...बहुत प्यारा गाना है।’’ ‘‘ईशान, क्या हुआ...गाना सुनकर सेंटी हो गए क्या?’’ ‘‘नहीं यार...बस ऐसे ही।’’ ‘‘सच बोल रहे हो न!’’ ‘हाँ।’ ‘‘ईशान, ऋषिकेश की ये ट्रिप मेरी अब तक की सबसे खूबसूरत ट्रिप थी और वो भी तुम्हारी वजह से। मैंने ये एक दिन जो तुम्हारे साथ बिताया, कभी नहीं भूलूँगी। ऋषिकेश आई थी, तो सोचा नहीं था कि इतना मजा आएगा। जब आई थी, तो अकेली थी और अब जा रही हूँ,
 

gauravrani

Active Member
910
1,312
123
तो कुछ अच्छी यादों के साथ एक अच्छा दोस्त लेकर जा रही हूँ... थैंक यू ईशान।’’ ‘‘अनन्या, मुझे भी तो एक अच्छी दोस्त मिल गई है।’’ ‘‘तो फिर हम दोस्त बन गए न?’’- उसने मेरी तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा। ‘हाँ।' मैंने उससे हाथ मिलाते हुए कहा। ‘‘तो कोई गर्लफ्रेंड है तुम्हारी या अभी तक सिंगल...'' ‘‘हाँ...पर वो गर्लफ्रेंड नहीं है मेरी...मेरी जिंदगी है।’’ ‘‘सच! कौन है वो लड़की...बताओ ना प्लीज।’’ ‘‘क्या करोगी तुम जानकर?’’ ‘‘अरे दोस्त हूँ तुम्हारी... और दोस्तों से शेयर करनी चाहिए दिल की बात।’’ ‘‘फिर कभी...'' ‘‘फिर कभी नहीं आता है...आज ही; देखो मौसम भी अच्छा है...सफर भी है...इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा बताने का...बताओ न प्लीज!’’ ‘‘तुम पक्का जानना चाहती हो उसके बारे में...बोर तो नहीं हो जाओगी मेरी कहानी सुनकर?’’ ‘‘अरे नहीं...मुझे बहुत अच्छी लगती हैं लव स्टोरी...और ये तो रियल लव स्टोरी है...सुनाओ तुम।’’
 
Top