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‘‘आ गए ईशान...''- माँ ने दरवाजा खोलते हुए कहा। ‘‘हाँ माँ...बहुत मजा आया।’’ ‘‘बाकी लोग चले गए?’’ ‘‘हाँ, सब लोग गए।’’ बात करते-करते मैं और माँ, ड्रॉइंग रूम में पहुँच चुके थे। ड्रॉइंग रूम में पापा और भाई-बहन बैठे थे। सुबह निकलना था, तो पापा के पास बस एक ही बात थी... दर्जनों तस्वीरों में से किसी एक तस्वीर को शादी के लिए फाइनल करना। सब लोग बैठ चुके थे। माँ, खाना लेकर आ चुकी थीं। मैं सोच ही रहा था कि पापा कब पूछेंगे कि शादी के बारे में क्या सोचा? उससे पहले उन्होंने पूछ ही लिया, ‘‘कोई फोटो पसंद आई?’’ ‘‘पापा, मुझे अभी शादी नहीं करनी है...थोड़ा वक्त चाहिए मुझे'' ‘‘तुम पच्चीस-छब्बीस साल के हो रहे हो...यही उम्र है शादी की।’’ ‘‘पापा, एक साल और चाहिए मुझे अभी।’’ ‘‘देखो ईशान, तुम्हारे साथ के लगभग सभी लोगों की शादी हो गई है और हमारे पास तो रुकने की कोई वजह भी नहीं है। तुम्हारी अच्छी खासी नौकरी है, फिर क्या सोचना?’’