अध्याय दो का ग्यारहवाँ भाग
अमन के प्रस्ताव को अक्ष ने नामंजूर कर दिया। अमन के पूछने पर अक्ष ने कहा कि जो काम दिल को पसंद न हो वो नहीं करना चाहिए और मैंने किसी से वादा किया है उसे में नहीं तोड़ सकता। जिससे अमन नाराज़ होकर चला जाता है। लेकिन अक्ष के इस डील को नामंजूर कर देने से उसकी नींद हराम हो जाती है।
उधर साक्षी अक्ष की यादों में खोई रहती है अक्ष उसे आज की डील के बारे में बताता है।
उधर अमन रात को सो नहीं पाता तो वो सुहाना को फ़ोन करके ऑफिस जल्दी आने के लिए बोल देता है इस बारे में वार्तालाप करने के लिए।
बहुत बढ़िया सर जी।
अमन के प्रस्ताव को अक्ष ने नामंजूर कर दिया। अमन के पूछने पर अक्ष ने कहा कि जो काम दिल को पसंद न हो वो नहीं करना चाहिए और मैंने किसी से वादा किया है उसे में नहीं तोड़ सकता। जिससे अमन नाराज़ होकर चला जाता है। लेकिन अक्ष के इस डील को नामंजूर कर देने से उसकी नींद हराम हो जाती है।
उधर साक्षी अक्ष की यादों में खोई रहती है अक्ष उसे आज की डील के बारे में बताता है।
उधर अमन रात को सो नहीं पाता तो वो सुहाना को फ़ोन करके ऑफिस जल्दी आने के लिए बोल देता है इस बारे में वार्तालाप करने के लिए।
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