• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery lusty family

imranlust

Lust
220
780
94
राज और प्रीति आने वाले दीनो मे एकांत का इंतेज़ार करने लगे... कि कब उन्हे चुदाई करने का मौका मिले.. शनिवार के दिन स्वीटी का फोन आया और उसने उन्हे अपने साथ बाहर चलने को कहा.. तो दोनो खुशी खुशी तय्यार हो गये. और रात को उसी के घर पर रुकने का भी प्रोग्राम बना लिया..


तीनो ने मिलकर रात मे काफ़ी मस्ती की... खूब घूमे फिरे.. पब मे जाकर खूब नाचे और जब सुबह होने को आई तो तीनो थक कर स्वीटी के घर आ गये.... तीनो हॉल मे आ गये और स्वीटी ने टीवी पर म्यूज़िक वीडियो की सीडी लगा दी... और थोड़ी ही देर मे तीनो एक दूसरे को चूमने चाटने लगे... "तुम दोनो को में बता नही सकती कि मेरी चूत मे कितनी आग लगी हुई है" प्रीति ने अपने भाई और अपनी चचेरी बेहन से कहा... "मुझे बार बार अपनी चूत की गर्मी अपने ही हाथों से शांत

करनी पड़ती थी.. क्या करती जब भी रात मे में राज के कमरे मे चुदाई के लिए घुसना चाहती तो देखती थी कि डॅडी पेशाब के लिए उठे हुए है..मेरी तो हिम्मत ही नही हुई"


"ओहंम कितने दुख की बात है" कहकर स्वीटी ने अपनी बेहन को अपने पास खींचा और उसके होठों को अपने होठों से भींच चूसने लगी... "फिर तो मुझे लगता है की तुम्हे इसी वक्त राज से चुदवा लेना चाहिए... है ना?" ऐसा कहकर वो राज की और झुकी जो प्रीति के बगल मे बैठा था और उसकी जीन्स खींच कर उतारने लगी... "अगर मेरा चोदने का मूड ना हो तो?" राज ने मुकुराते हुए कहा.

"बस बस रहने दो.. ज़्यादा नखरे मत दीखाओ समझे ना" स्वीटी ने हंसते हुए कहा और उसके खुले लंड को अपने हाथो से पकड़ लिया... प्रीति के पैरों पर से झुकते हुए उसने राज के लंड को अपने मुँह मे ले लिया और चूसने लगी...


प्रीति अपना हाथ स्वीटी के कुल्हों पर फिराने लगी.. उसकी टाँगो को सहलाते हुए वो उसकी चूत को उसकी पॅंटी के उपर से कुरेदने लगी.... और अपना मुँह राज की ओर कर दिया... राज उसकी चुचियों को

पकड़ते हुए उसके होठों को चूसने लगा... प्रीति ने स्वीटी के टॉप को पकड़ उपर उठाना चाहा तो स्वीटी ने राज का लंड अपने मुँह से बाहर निकाल दिया जिससे प्रीति उसके टॉप को उतार सके.... और तभी राज ने प्रीति के टॉप को भी उतार दिया... स्वीटी फिर से राज का लंड चूसने लगी और राज ने अपना हाथ प्रीति की टाँगो के बीच उसकी चूत पर रख दिया... प्रीति ने स्वीटी की चूत को कुरेदते हुए पॅंटी के बगल से अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत मे घुसा दी...उसकी बिना बालों की चूत प्रीति को

मज़ा दे रही थी.. वो अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगी.... वहीं राज प्रीति के निपल को भींच रहा था काट रहा था.. उसकी चूत मे और जोरों की खुजली मचने लगी.. उसे अब राज के लंड की चाहत होने

लगी...

"स्वीटी मुझे से अब सहन नही हो रहा प्लीज़ थोड़ा खिसक जाओ जिससे में इस के लंड पर चढ़ इसके लंड को अपनी चूत मे ले सकूँ" प्रीति ने स्वीटी की चूत मे उंगली अंदर बाहर करते हुए कहा. "नही एक काम करते है राज को नीचे ज़मीन पर लीटा देते है फिर तुम इसके लंड पर चढ़ जाना और में अपनी चूत इसके मुँह पर रख चढ़ जाउन्गि इससे मेरा भी काम हो जाएगा" स्वीटी ने राज के लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल कर कहा.. राज दीवान पर से खड़ा हो गया और अपने कपड़े उतारने लगा... नंगा हो कर वो लेट गया.... प्रीति झुक कर उसके लंड को चूसने लगी... फिर खड़ी हो कर अपनी दोनो टाँगे उसके बगल मे रख वो उसके लंड को पकड़ अपनी चूत पर लगा...नीचे बैठती गयी... राज का लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया...


स्वीटी खड़ी हो कर राज के चेहरे पर खड़ी हो गयी और किसी रंडी की तरह अपनी कमर मटका अपने कपड़े उतारने लगी.. पहले उसने अपनी स्कर्ट उतारी और अपनी लाल रंग की पॅंटी के उपर से अपनी चूत को

मसल्ने लगी... प्रीति उछल उछल कर राज के लंड को अपनी चूत मे ले रही थी... थोड़ी देर इसी तरह नाचने के बाद स्वीटी धीरे धीरे अपनी पॅंटी को नीचे खिसकाने लगी... राज की आँखे उसी पर टीकी हुई थी.. उसकी बिना बालों की सपाट चूत देख उसके मुँह मे पानी आ गया और वो उसे चूसने और चाटने को मचल उठा... "अरे तुम्हारी चूत पर तो एक भी बाल नही है.. तुम्हारी बिना बालों

की चूत तो बहोत सुन्दर है ठीक मेरी बेहन की तरह" राज बोल पड़ा...


"ये सब तुम्हारी बेहन का ही कमाल है.. उस दिन जब तुम मेरी बेहन शमा को चोद रहे थे तब तुम्हारी बेहन ने मेरी झांते सॉफ की थी..." स्वीटी ने जवाब दिया... राज अपनी उंगलियों को उसकी चूत पर फिराने लगा था... "क्या उस दिन तुमने सही मे शमा को चोदा था..?" प्रीति ने पूछा. "हां" राज ने जवाब दिया... प्रीति के चेहरे पर आए नागावरी के भाव उससे छिपे ना रह सके.. "ओह में ही पागल थी.. मुझे समझ जाना चाहिए था.. मेने तो सोचा था कि वो सिर्फ़ तुम्हारे लिए झदेगी...लेकिन तुम दोनो चुदाई भी कर सकते हो ये मुझे समझ लेना चाहिए था" प्रीति ने उछलते हुए कहा.
 

imranlust

Lust
220
780
94
अब ये बातें फिर कभी करेंगे.. इस समय मेरी चूत को तुम्हारी जीब की ज़रूरत है राज" स्वीटी ने अपनी चूत को उसके मुँह पर टीकाते हुए कहा. राज ने अपना मुँह खोला और अपनी जीब को उसकी चूत पर फिरा चाटने लगा.... प्रीति ने आगे से उसकी चुचियों को पकड़ लिया और राज के लंड पर उछलते हुए उन्हे मसल्ने लगी...


स्वीटी आगे बढ़ कर प्रीति के होठों को छूने लगी.. फिर धीरे से बोली.. "अपने भाई के इतना ना निचोड़ लेना कि मेरे लिए कुछ बचे ही नही... मेरी भी चूत इसके मोटे लंड के लिए तरस रही है."

"अरे मेरी जान बाद मे क्यों तुम अभी मेरे भाई के लंड को अभी अपनी चूत मे ले सकती हो.... तुम दोनो को चुदाई करते देख मुझे खुशी ही होगी..." प्रीति राज के लंड पर से खड़ी होती हुई बोली.


स्वीटी राज के शरीर पर नीचे खिसकने लगी.. और जब वो ठीक उस जगह पर आ गयी जहाँ थोड़ी देर पहले प्रीति बैठी थी तो वो थोड़ा सा उपर उठी और राज के लंड को अपनी चूत के मुँह से लगा लिया और ज़ोर से उछलते हुए नीचे बैठी.. एक ही झटके मे राज का लंड उसकी चूत की जड़ों तक घुस गया...


थोड़ी देर उछल उछल कर राज के लंड को अपनी चूत मे लेने के बाद स्वीटी ने कहा कि वो ज़मीन पर लेट राज के बदन को अपने बदन पर गिरता महसूस करना चाहती है...एक बार फिर दोनो अलग हुए और स्वीटी जब सीधी लेट गयी तो राज उसकी टाँगों के बीच आ गया और अपने लंड को फिर उसकी चूत मे घुसा धक्के मारने लगा... प्रीति राज के पीछे आ गयी और राज के लंड के साथ साथ उसने अपनी दो उंगलियाँ स्वीटी की चूत मे दे दी... अब राज के लंड के साथ उसकी उंगलिया भी अंदर बाहर होने लगी...


"ओह राज हाआह चोदो मुझे और ज़ोर ज़ोर से चोदो... ओह हां...श और ज़ोर से" स्वीटी अपनी कमर उपर को उछाल सिसक रही थी... राज और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा और उसके लंड की नसें तनने लगी... "ऑश स्वीटी तुम्हारी चूत कितनी अछी है.. ओह मेरा छूटने वाला है"


"राज तुम अपना पानी मेरी चूत के उपर छोड़ दो और में चाहती हूँ की प्रीति इसे चाट कर सॉफ करे" स्वीटी ने राज से कहा. राज ने तीन चार ज़ोर के धक्के अपनी चचेरी बेहन की चूत मे लगाए और फिर अपने लंड को बाहर निकाल उसकी चूत पर मसल्ने लगा.... उसके लंड से वीर्य की फौहर छूट स्वीटी की चूत और पेट को भिगोने लगी...


"आओ प्रीति तुम्हारा नाश्ता तय्यार है" स्वीटी ने कहा.. राज उसके पैरों के बीच से हट गया और उसकी जगन प्रीति ने ले ली.... उसने स्वीटी की टाँगो को और फैलाया और अपनी जीब उसकी चूत पर फिरा राज

के वीर्य को चाट ने लगी जैसे की कोई बिल्ली दूध की मलाई चाट रही हो... राज अपनी बेहन के पीछे आ गया और चूत मे अपनी उंगली डाल अंदर बाहर करने लगा....साथ ही उसकी चूत की पंखुड़ियों को

मसल्ने लगा... "प्रीति तुम अपना नाश्ता पूरा कर लो फिर में तुम्हारी चूत की मलाई चाट अपना नाश्ता पूरा करूँगा.." राज ने कहा. स्वीटी की चूत पर बिखरी सारी मलाई चाटने के बाद प्रीति अपनी जीब उसकी चूत मे घुसा गोल गोल घूमाने लगी..जैसे की अंदर के रस को चाट रही हो... स्वीटी की चूत इस प्रहार से थिरकने लगी..

स्वीटी ने उसके सिर को पकड़ अपनी चूत पर जोरों से दबा दिया...और उसकी चूत ने अमृत की बरसात प्रीति की मुँह मे कर दी.... प्रीति करवट बदल कर वहीं लेट गयी जिससे की राज अपना नाश्ता कर

सके... राज ने उसकी पैरों को फैलाया और झुक कर उसकी चूत को अपने मुँह मे भर लिया... और जीब से जोरों से चाटने लगा और चूसने लगा... कुछ ही पलों मे प्रीति की चूत से रस की धारा बहने लगी...


थोड़ी देर सुसताने के बाद तीनो अपनी अपनी जगह जाकर पलंग पर गिर सो गये... सुबह सबसे पहले प्रीति की आँख खुली.. उसे पेशाब जाने की इच्छा हो रही थी.. वो चुप चाप बिना आवाज़ किए टोलीलेट की ओर बढ़ी...जैसे ही वो अपने चाचा की स्टडी रूम से गुज़री तो देख कर चौंक पड़ी कि उसके चाचा कंप्यूटर के सामने बैठे थे... प्रीति ने तिरछी नज़रों से कंप्यूटर स्क्रीन पर अपनी नज़रे डाली तो

उसने देखा की चाचा पॉर्न तस्वीरें देख रहे थे और साथ ही अपने लंड को मसल रहे थे... और साथ ही कुछ लिखते जा रहे थे शायद वो अपनी उस कहानी को पूरा कर रहे थे जो प्रीति ने थोड़े दिन

पहले पढ़ी थी.. वो और आगे देखना चाहती थी पर पेशाब की इच्छा की वजह से वो रुकी नही और बाथरूम की ओर बढ़ गयी.
 

imranlust

Lust
220
780
94
प्रीति ने टाय्लेट की फ्लश खींची और वापस बाहर आ गयी.. वो जानती थी कि फ्लश की आवाज़ से उसके चाचा जान जाएँगे की कोई बाहर है.. और जैसे ही वो वापस स्टडी रूम से गुज़री तो उसका अंदाज़ा

सही था.. चाचा ने कंप्यूटर से पॉर्न तस्वीरें बंद कर दी थी और जैसे वो देखना चाहते थे कि बाहर कौन है... "ओह्ह प्रीति.. है कैसी हो" प्रीति के बदन को नज़रों से घूरते हुए बोले...


"हाई मोहन चाचा.. आप इतनी सुबह उठ कर क्या कर रहे है?" प्रीति ने पूछा.. और स्टडी रूम के अंदर दाखिल हो गयी...और अपनी नज़रें अपने चचे के खड़े लंड पर गढ़ा दी.. "कुछ ख़ास नही बस अगले हफ्ते की कुछ टायारी कर रहा था.." मोहन ने जवाब दिया और उसकी नज़रे प्रीति की भारी चुचियों से लेकर उसकी नंगी टाँगो तक घूम गयी.. "आप भी क्या चाचा में तो समझी थी कितनी सुबह आप नेट पर कुछ सर्फ कर रहे होंगे..." प्रीति ने हंसते हुए जवाब दिया.. उसकी नज़रे अब भी चाचा के लंड पर गढ़ी हुई थी... "कोई बात नही आप अपना काम करिए और में चली फिर से सोने अपने कमरे मे" कहकर प्रीति कमरे से बाहर आ गयी. मोहन अचंभित नज़र से प्रीति को कमरे से जाते देखता रहा.. एक तो पहले ही से वो कंप्यूटर पर नंगी तस्वीरे देखते हुए उत्तेजित था और उसपर से उसकी भतीजी का जानलेवा हुस्न... वो पागल सा हो गया.. उसके आने से पहले वो अपनी कहानी लीखने मे मस्त था और साथ ही काफ़ी उत्तेजित हो गया था...


मोहन को विश्वास हो गया कि उसकी भतीजी वापस अपने कमरे मे चली गयी है तो वापस अपने काम मे जुट गया.. वहीं प्रीति अपने कमरे मे आकर सोचने लगी कि क्या उसे वो कहानी जो उसने पूरी की थी अपने चाचा को भेजनी चाहिए कि नही... रह रह कर उसके चाचा का ढीली पॅंट मे छुपा तगड़ा लंड उसकी आँखों के सामने आ जाता.

रविवार को बलदेव और वसुंधरा ने अपने कुछ दोस्तों से मिलने का मन बनाया तो राज और प्रीति खुशी के मारे उछल पड़े.. उन्हे कई दीनो से मौका नही मिला था और आज वो इस मौके का भरपूर फ़ायदा उठना चाहते थे...

राज पर कुर्सी पर अपनी पॅंट नीचे खिसकाये... बैठा था और प्रीति उसकी टाँगो के बीच बैठी उसके लंड को मुँह मे ले चूस रही थी की तभी डोर बैल बजी.. राज और प्रीति उछल पड़े...लेकिन दोनो ने

बेल की ओर ध्यान नही दिया.. प्रीति अपने काम मे लगी रही की तभी उन्हे स्वीटी के चिल्लाने की बाहर से आवाज़ सुनाई पड़ी... "राज प्रीति.. तुम दोनो घर मे हो कि नही?" स्वीटी की आवास सुन कर प्रीति ने दरवाज़ा खोल दिया और स्वीटी उन दोनो के साथ उनके कमरे मे आ गयी... कमरे मे घुसते ही स्वीटी ने देखा कि राज नंगा कुर्सी पर बैठा था और उसका खड़ा लंड आसमान की ओर मुँह किए था.... राज के खड़े लंड को देख स्वीटी की चूत चोने लगी... स्वीटी राज की टाँगो के बीच बैठ गयी और राज के खड़े लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी.. प्रीति भी कहाँ पीछे रहने वाली

थी.. वो भी स्वीटी के बगल मे बैठ गयी.. और अब दोनो बहने बारी बारी अपने भाई का लंड चूसने लगी... तभी प्रीति स्वीटी के कपड़े उतारने लगी.. थोड़ी ही देर में तीनो बिल्कुल नंगे हो गये... इस बार प्रीति कुर्सी पर बैठ गयी और राज उसके बगल मे आ कर खड़ा हो गया... प्रीति ने उसके लंड को पकड़ अपनी ओर खींचा और मुँह मे ले चूसने लगी.. और स्वीटी ने प्रीति की टांगो को फैलाते हुए अपनी जीब उसकी सपाट चूत पर रख दी...

क्रमशः.......
 

imranlust

Lust
220
780
94
तीनो एक दूसरे को चूस चाट कर मज़ा देते रहे.. थोड़ी देर मे प्रीति और स्वीटी ने अपनी अपनी जगह बदल ली.. और इस बार प्रीति स्वीटी की चूत को चूसने लगी.... एक बार फिर तीनो ने अपनी जगह

बदली इस बार राज कुर्सी पर बैठ गया.. और प्रीति उसकी गोद मे चढ़ कर उसके लंड को अपनी चूत से लगा नीचे बैठ गयी.. फिर अपनी गंद को गोल गोल घूमा उसके लंड से खेलने लगी..... स्वीटी ने

अपना मुँह प्रीति की चुचियों पर रख दिया और उसके निपल को चूसने लगी.... तीनो के मुँह से सिसकारियाँ फुट रही थी.... प्रीति और उछल उछल कर उसके लंड को अंदर लेते हुए बड़बड़ाने

लगी... ऑश हाआँ ऑश हाआँ ऑश में तो गयी....." प्रीति की चूत ने पानी छोड़ा था स्वीटी ने उसकी जगह ले ली और फिर राज की गोद मे उछलने लगी.... राज भी उत्तेजना मे नीचे से अपनी

कमर उठा अपने लंड को और अंदर तक घुसाने लगा....


"ओह हां राज और अंदर तक घुसा कर चोदो ऑश हाँ और अंदर तक ..."अपनी चुचियों को मसल्ते हुए स्वीटी सिसकने लगी.... "स्वीटी और प्रीति मेरा छूटने वाला हैऔर आज में तुम दोनो को मेरा वीर्य स्नान कराउँगा" राज ने स्वीटी को अपनी गोद से उतारते हुए कहा... राज उठ कर खड़ा हो गया और प्रीति और स्वीटी नीचे बैठ कर उसके लंड को बारी बारी फिर चूसने लगी.... राज का लंड अकड़ने लगा था.. तभी स्वीटी ने अपना मुँह खोल दिया और प्रीति राज के लंड को स्वीटी के मुँह की ओर कर ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगी...


राज के लंड से वीर्य की ज़ोर की पिचकारी छूट कर स्वीटी के मुँह मे गीरी...फिर प्रीति ने राज के लंड को अपने मुँह के ओर किया... फिर से पिचकारी छूटी और प्रीति उसके वीर्य को निगलने की कोशिश करने

लगी..... जब राज के लंड से आखरी बूँद भी निचोड़ गयी तो दोनो बहने अपने अपने होंठ मिला कर राज के वीर्य का आदान प्रदान करने लगी... फिर प्रीति ने स्वीटी को अपने गले लगा लिया.. "मुझे नही पता था कि हम दोनो ये भी कर सकते थे" प्रीति ने कहा. "मुझे लगता है कि ये तो कुछ भी नही है.. हम तीनो आज की तारीख मे कुछ भी कर सकते है" स्वीटी ने राज की ओर देखा की तीनो हँसने लगे..और तीनो पलंग पर लुढ़क गये..... "तुम्हारा कहने का मतलब क्या है?" प्रीति ने पूछा.


"ये तुम राज से पूछा उसने ही तो हमे उकसाया था?" स्वीटी ने जवाब दिया... "ठीक है में बताता हूँ" राज ने कहा

और स्वीटी की ओर देखने लगा और सोचने लगा कि गीली चूत के बारे मे उसे स्वीटी के सामने बताना चाहिए की नही... प्रीति तुम्हे पता ही है कि में ऑनलाइन एक औरत से बात किया करता था..." राज ने कहा. "हां और शायद उसकी आईडी गीली चूत थी" प्रीति ने जवाब दिया... वहीं स्वीटी हैरत भरी नज़रों से अपने चचेरे भाई और बेहन को देख रही थी.... "वो क्या है कुछ दिन पहले में उससे एक होटेल के कमरे मे मिला था और उसकी जम कर चुदाई की थी" राज ने कहा. "ओह राज अब इतना भी मत फैंको...में विश्वास नही करती तुम्हारी बातों का" प्रीति ने कहा. "अरे विश्वास करो मेरा.. और यहाँ तक कि उसने अपनी गंद भी मरवाई थी" प्रीति हैरत से अपने भाई को देख रही थी और स्वीटी को तो जैसे लकवा मार गया था... वो बूत बनी राज की बात सुन रही थी... "एक काम करो तुम हमे खुल कर बताओ कि क्या हुआ..." स्वीटी ने कहा.. वो प्रीति को देख रही थी जिसे अपने भाई की बात पर विश्वास नही हो रहा था, "वैसे भी मुझे कुछ पता नही है कि तुम किस विषय पर बात कर रहे हो" तब राज ने स्वीटी को बताया कि किस तरह चॅट करते हुए उसकी मुलाकात नेट पर गीली चूत से हुई और किस तरह दोनो ने वेब कॅम पर एक दूसरे को अपना लंड और चूत दीखाई... किस तरह दोनो मूठ मारते हुए एक दूसरे का दिल बहलाते थे...फिर उसने बाते की किस तरह एक बार गीली चूत ने अपनी गंद मे उंगली घुसा उसे दीखया था... और फिर उसने एक दिन उसे होटेल के कमरे मे मिलने की पेशकेश की और किस तरह बिना उसकी शकल देखे उसने गीली चूत की चूत और गंद को

जम कर चोदा था..

प्रीति और स्वीटी अपने भाई की कहानी ध्यान से सुन रहे थे.. वो बीच बीच मे उससे सवाल भी कर रहे थे.. उन्हे अब भी विश्वास नही हो रहा था.. कि सही में ऐसा कुछ हुआ होगा... राज ने उन्हे बताया कि किस तरह गीली चूत ने पहले अपनी खुद की उंगलियाँ अपनी गंद के अंदर बाहर की थी और फिर बाद मे राज ने पहले अपनी उंगली से उसकी गंद के छेद को चौड़ाया था और फिर बाद मे अपना लंड उसकी गंद के छेद मे डाल उसकी गंद मारी थी... "तुमने कभी अपनी गंद मे लंड लिया है?" प्रीति ने स्वीटी से पूछा. "नही मेने तो नही लिया है.. और मुझे लगता है कि तुमने भी नही लिया है" स्वीटी ने जवाब दिया. "हां तुम सही कह रही हो" "क्या ये नया अनुभव करना चाहोगी?" स्वीटी ने फिर प्रीति से पूछा. "मेरी तो कुछ समझ मे नही आ रहा... राज के कहने के मुताबिक उस औरत को गंद मे लंड लेने मे काफ़ी मज़ा आया लेकिन मुझे तो ये सब गंदा लगता है" प्रीति ने जवाब दिया. "तुम क्या कहती हो?' "सोच तो में भी वही रही हूँ... लेकिन कुछ नया करने के ख़याल से ही मेरी चूत फुदकने लगती है" स्वीटी ने कहा.

ने कहा... प्रीति उठ कर पलंग पर घुटनो के बल लेट गयी.. उसकी चुचियों नीचे टीकी हुई थी ठीक स्वीटी की तरह... अब उसकी गंद भी उसके भाई के तरफ हो गयी...
 

Motaland2468

Well-Known Member
3,610
3,770
144
try kar rha hu lekin error aa rha hai , mai khud chah rha hu add karna
Plz bhai koshish karna main ab tabhi padna shuru karunga
 
  • Like
Reactions: imranlust

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
43,696
114,063
304
Shandar hot erotic update 🔥
 
  • Like
Reactions: imranlust

imranlust

Lust
220
780
94
राज चुप चाप बैठा अपनी दोनो बहनो के बीच की बात सुन रहा था.. उसका लंड फिर से हरकत कर खड़ा होने लगा था....उसे लगने लगा था कि उसकी दोनो बहने उससे गंद ज़रूर मरवा के रहेंगी...

तभी राज को याद आया कि प्रीति ने कहा था कि वो तीनो कुछ भी कर सकते है.. "प्रीति तुमने ये बात क्यों कही कि हम तीनो कुछ कर भी सकते है" प्रीति को अचानक याद आया कि बात कहाँ से शुरू हुई थी और कहाँ पहुँच गयी... तब उसने बताया कि किस तरह उसने अपने ही डॅडी को किस तरह अपनी चुचियों के दर्शन करा बहकाया था और इस हद तक उत्तेजित कर दिया था कि उनका लंड पॅंट मे मचल तन कर खड़ा हो गया था... कि जब गुड नाइट के लिए वो उनसे गले लगी थी तो उन्होने अपने लंड को उसकी जांघों पर ज़ोर से दबाया था... इतना कहकर प्रीति राज और स्वीटी के चेहरों पर उनकी प्रतिक्रिया देखने लगी... "एक बताउ प्रीति तुम्हारे डॅडी यानी कि मेरे ताउजि देखने मे काफ़ी हॅंडसम है.." स्वीटी ने कहा, "और जब तुमने हमे ये बता ही दिया है.. तो क्या उनका लंड राज से बड़ा और मोटा है?" स्वीटी की बात सुन कर प्रीति हँसने लगी... "हे भगवान तुम भी ना प्रीति..मुझे तो लगा था कि तुम नाराज़ हो जाओगी या फिर मुझे छीनाल गंदी सब उपाधियाँ दे डालगी"

"यार इसमे कुछ सोचने जैसा ही नही... हम दोनो अपने भाई से चुदवा ही रहे है.. और अगर तुमने अपनी अदाओं से अपने बाप को उत्तेजित कर दिया तो इसमे बुराई ही क्या है." स्वीटी ने जवाब दिया.

राज चुप चाप बैठा था की तभी प्रीति ने उससे पूछा की कहीं वो उससे खफा तो नही है. "नही लेकिन में भी कुछ सच बताना चाहता हूँ" राज ने शरमाते हुए कहा. "अब तुम ये मत कहना कि तुम मम्मी को चोद चुके हो?" प्रीति ने ज़ोर से कहा.


"नही ऐसा कुछ नही है" राज ने हस्ते हुए कहा.. और फिर उसने दोनो को वीडियो का पूरा किस्सा बताया कि किस तरह उसने प्रीति को नंगा देखना चाहा था और किस तरह उसकी मम्मी की नंगा देखा था और

बाद मे किस तरह उसने मम्मी की पॅंटी को अपने लंड पर लपेट मूठ मारी थी. "क्या तुम अपनी ही मम्मी को चोदना चाहोगे?" स्वीटी ने पूछा. "मुझे लगता है कि हां" राज ने जवाब दिया... शायद मेरा सोचना ग़लत है लेकिन जब में ख़यालों मे ये सब सोच ही चुका हूँ तो में कहूँगा कि अगर मुझे ये मौका मिला तो पीछे नही हटूँगा... "अब मेरी समझ मे आया कि कुछ भी कर सकते है का मतलब क्या था" स्वीटी ने कहा.. "मुझे लगता है कि जब में घर पहुँचुँगी तो मुझे भी अपने मम्मी पापा पर नज़र रखनी होगी.. कि क्या वो भी इतने ही खुले विचारों के है"


आज राज और प्रीति ने अपनी अपनी बातें एक दूसरे को बता दी थी.. और दोनो ही साथ मे स्वीटी भी अब सब कुछ जान चुकी थी.... कि तभी प्रीति ने आगे बढ़ कर राज के खड़े लंड को एक बार फिर पकड़

लिया... "ओह राज... इन सब बातों ने मेरी चूत मे एक बार फिर आग लगा दी है...... अपने लंड को मेरी चूत मे घुसा कर इसकी जाम कर धुनाई कर दो ना प्लीज़." प्रीति ने पीठ के बल लेटते हुए कहा.

राज खुशी खुशी उसकी टाँगो के बीच आ गया और अपने लंड को उसकी चूत से लगा एक ही ज़ोर के धक्के मे अपना पूरा लंड घुसा दिया... स्वीटी प्रीति की छाती पर झुक गयी और उसकी चुचियों से खेलने लगी... राज का लंड अपनी बेहन की चूत के अंदर बाहर हो रहा था... स्वीटी ने अपने होंठ अपनी चचेरी बेहन के होठों पर रख दिए और उन्हे चूसने लगी.. राज अपनी दोनो बेहन को समलिंगन चुंबन लेते हुए देख रहा था और उत्तेजना मे ओर ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगा...

तभी स्वीटी ने अपना चेहरा उठाया और राज से कहा की उसकी चूत को भी उसके लंड की ज़रूरत है.. राज ने अपना लंड प्रीति की चूत से निकाला और स्वीटी के पीछे आकर अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.... "ऑश राज क्यों तडपा रहे हो प्लीज़ घुसा दो ना अंदर " स्वीटी

सिसकते हुए बोली. राज ने उसके दोनो कुल्हों को पकड़ा और और अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया... लंड को अंदर बाहर करते वक्त उसकी नज़र स्वीटी की गंद के छेद पर पड़ी... वो सोचने लगा कि क्या ये सही समय है उसकी गंद मे लंड पेलने का... दोनो ही गंद मे लंड लेने के लिए तय्यार थी.. उसना अपना मन पक्का कर लिया... राज ने अपना लंड स्वीटी की चूत से बाहर निकाला और अपने लंड को उसकी गंद के छेद पर घिसने लगा.. इससे उसके लंड पर लगे रस से स्वीटी की गंद का छेद चिकना हो गया फिर अपने लंड को वापस उसकी चूत मे घुसा दिया और अपनी उंगली उसकी गंद मे घुसा गोल गोल घुमाने लगा.... स्वीटी अपनी बेहन की चुचियाँ चूस रही थी... कि उसे राज की उंगली का एहसास अपनी गंद मे हुआ....और उसने प्रीति की चुचि चूसना बंद कर दिया... "रुक क्यों गयी... क्या हुआ?" प्रीति ने पूछा.

"वो मेरी गंद मे उंगली अंदर बाहर कर रहा है" स्वीटी ने जवाब दिया. प्रीति ने पाना चेहरा थोड़ा उठा कर देखा... राज की उंगली आराम से स्वीटी की गंद मे अंदर बाहर हो रही थी... "क्या अछा लग रहा है तुम्हे?" प्रीति ने स्वीटी से पूछा. "पता नही बड़ा अजीब सा लग रहा है लेकिन एहसास इतना बुरा भी नही है" स्वीटी
 

imranlust

Lust
220
780
94
"राज मेरी भी गंद मे उंगली अंदर बाहर करो में भी देखना चाहती हूँ कि कैसा लगता है" प्रीति ने अपनी गंद को राज के और थोड़ा नज़दीक करते हुए कहा. राज ने अपने हाथों को प्रीति के पेट से लगाते हुए उसे और अपने पास खींचा जिससे उसके कूल्हे स्वीटी के कुल्हों से सॅट गये.... और उसने

अपनी दो उंगलियाँ उसकी चूत मे घुसा दी... और साथ ही स्वीटी की गंद मे उंगली करता रहा. फिर उसने प्रीति की चूत से उंगली निकाल उसकी गंद के छेद मे धीरे धीरे घुसाने लगा... अब वो स्वीटी की

चूत मे अपना लंड घुसाए उसकी गंद मे उंगली कर रहा था और प्रीति की गंद मे दूसरे हाथ से उंगली कर रहा था...

राज ने तभी अपना लंड स्वीटी की चूत से बाहर निकाल उसे अपनी बेहन की चूत मे घुसा धक्के मारने लगा.. उसका लंड अपने पूरे जोश मे था.. और वो उसकी गंद मे उंगली करते हुए ज़ोर ज़ोर के धक्के मारने लगा...


प्रीति भी पूरे जोश मे आ गयी थी.. उसने नीचे से अपना हाथ पीछे किया और अपनी दो उंगलियाँ राज के लंड के साथ अपनी चूत मे घुसा दी.. और तेज़ी से आगे पीछे होते हुए सिसकने लगी... "ऑश राज हाँ चोदो मुझे और ज़ोर ज़ोर से चोदो ओ हां ऐसे ही कस कस के चोदो" प्रीति की सिसकियाँ सुन राज तो जैसे पागल हो गया वो अपनी उंगलियों को और उसकी गंद के अंदर घुसाते हुए उछल उछल कर ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगा.. उसके लंड की नसों मे खून का बहाव तेज होता जा रहा था....


"ऑश राज हां और ज़ोर ज़ोर से ऑश हाआँ ऑश में तो गयी..." सिसकते हुए प्रीति की चूत ने पानी छोड़ दिया. प्रीति झाड़ तक कर निढाल और ढीली पड़ गयी... राज का लंड अभी भी तना हुआ था.. उसने अपना लंड प्रीति की चूत से बाहर निकाल लिया.. और स्वीटी के पीछे आ गया.. "अब तुम्हारी बारी है" राज ने अपपने लंड को स्वीटी की चूत पर रगड़ते हुए कहा. राज ने उसकी चूत को अपने हाथों से थोड़ा फैलाया और अपने लंड को एक ही धक्के मे उसकी चूत मे पूरा का पूरा घुसा दिया.... "ओह मर गयी.." स्वीटी चीख पड़ी. स्वीटी की चीख सुन राज ने अपना लंड थोड़ा बाहर खींच लिया तो स्वीटी को थोड़ी राहट पड़ी लेकिन राज तो आज पूरे अपने जोश मे था उसने ज़ोर का धक्का मार फिर अपने लंड को उसकी चूत मे पेल दिया.. और धक्के लगाने लगा.... स्वीटी को भी अब मज़ा आने लगा.. वो भी अपने चूतड़ आगे पीछे कर उसके धक्कों का साथ देने लगी.... राज अब उसकी चूत मे लंड पेलते हुए कभी अपने लंड को बाहर निकाल उसके पर लगे रस को उसकी गंद के छेद पर घिसता और फिर उसकी चूत मे लंड घुसा धक्के लगाने लगता... स्वीटी की गंद मे एक अजीब सी उथल पुथल मचने लगी थी... वो और तेज़ी से आगे पीछे हो उसके लंड को अपनी चूत मे ले रही थी....राज ने फिर अपनी उंगलियाँ उसकी गंद के छेद मे घुसा दी और एक बार वो उसके दोनो छेद को अपनी उंगली और लंड से चोदने लगा....


प्रीति की उत्तेजना अब शांत हो गयी थी और वो दीवान पर बैठी राज और स्वीटी को देख रही थी साथ ही राज को उकसाती भी जा रही थी... राज प्रीति के उकसाने से और तेज़ी से उसके दोनो छेदों को चोद रहा

था कि तभी उठ कर दोनो के पास आई... और बड़े प्यार से स्वीटी के छूतदों को मसल्ने लगी..


"लाओ मुइझहे इसकी गंद मे उंगली करने दो" प्रीति ने राज से कहा... राज ने अपनी उंगलियाँ स्वीटी की गंद से निकाल ली... वहीं प्रीति ने पहले अपनी दो उंगलियाँ राज के लंड के साथ स्वीटी की चूत मे घुसा

दी.. जब उसकी उंगलियाँ अछी तरह से चूत के रस से भीग गयी तो उसने उंगलियाँ निकाल उन्हे स्वीटी की गंद मे घुसा दी और अंदर बाहर करने लगी... स्वीटी के बदन मे तो जैसे हलचल मच गयी.. वो और तेज़ी से आगे पीछे हो प्रीति की उंगली अपनी गंद मे और राज का लंड अपनी चूत मे और अंदर तक लेने लगी.. स्वीटी की चूत मे अपना लंड पेलते हुए राज ने अपनी बेहन की दोनो चुचियो को पकड़ लिया और मसल्ने लगा.... और साथ ही उसके निपल पर चिकोत काटने लगा.. प्रीति को भी अब मज़ा आने लगा था और वो और तेज़ी से अपनी उंगली स्वीटी की गंद के अंदर बाहर करने लगी... और उसकी जिगयसा बढ़ने लगी कि क्या वो राज के भारी भरकम लंड को अपनी गंद मे ले पाएगी... राज प्रीति की बदन मे बढ़ती उत्तेजना को महसूस कर रहा था.. और वो और ज़ोर ज़ोर से स्वीटी को चोदने लगा...तभी उसने महसूस किया कि स्वीटी की चूत ने उसके लंड को अपनी मांसपेशियों से जाकड़ लिया है और उसकी चूत पानी छोड़ने लगी... जब स्वीटी थोड़ा संभली तो उसने उसे ज़मीन पर पीठ के बल लीटा दिया और उसकी टाँगो को पूरा फैला दिया.प्रीति ने उसे सहारा दिया और पलंग पर लेटने मे उसकी मदद की.. राज अपने लंड को उसकी चूत पर कर मसल्ने लगा. प्रीति थोड़ी देर तक राज को अपना लंड मसल्ते देखते रही फिर झुक कर उसने उसके लंड को अपने मुँह मे ले लिया और चूसने लगी...


जब राज का लंड और अकड़ने लगा तो उसने उसके लंड को बाहर निकाल दिया और राज ने वीर्य की पिचकारी स्वीटी की चूत और पेट पर छोड़ दी. जब सारा वीर्य नीचूड़ कर निकल गया तो उसने अपने लंड को स्वीटी के मुँह पर रखा जिसे उसने मुँह खोल कर अंदर लिया और चूसने लगे...


एक दिन शाम को वसुंधरा अपनी देवरानी नेहा के साथ शाम की चाइ पी रही थी और आपस मे बातें कर रही थी... "वासू बहोत दीनो से में तुमसे कुछ बात करना चाहती थी" नेहा ने अपनी जेठानी से कहा. "अछा? तो कहा क्यों नही अभी तक.." वासू ने नेहा के चेहरे की ओर देखते हुए जवाब दिया. "पता नही तुम मेरी बात सुनकर क्या सोचेगी.. पता है उस दिन जब राज और प्रीति मेरे यहाँ रात को रुके थे... उस रात चारों बच्चे किचन मे बर्तन सॉफ कर रहे थे.. कि में किचन मे एक कोल्ड ड्रिंक लेने गयी तो मेने तुम्हारे बेटे का खड़ा लंड उसकी शॉर्ट्स के उपर से देखा..... में ये बात नही कहती लेकिन मुझे लगता है कि राज का लंड बहोत ही मोटा और लंबा होगा...और में सोच रही थी कि क्या तुम्हे इस बात का एहसास है की तुम्हारे बेटे का लंड कितना मोटा और लंबा है" नेहा ने कहा. नेहा की बात सुनकर वासू ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी.. "अरे इस मे हैरान होने वाली कोई बात नही है.. मेने भी इस बात को महसूस किया है" वासू ने हंसते हुए कहा. "शुक्रा है भगवान का कि में अकेली ही इस बात को लेकर परेशान नही हूँ... पता है तुम्हे जब भी में उसके लंड के बारे मे सोचती हू तो मुझे ना जाने कैसे कैसे ख़याल आने लगते है.. कभी कभी तो मन करता है कि आगे बढ़ कर उसके खड़े लंड को अपने हाथो से पकड़ लूँ... मेरा कहने का मतलब ये नही है कि मोहन का लंड का छोटा या पतला है... पर उसका लंड पकड़ एक अजीब ही आनंद आएगा है ना?" नेहा ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

नेहा की बात सुनकर वासू की चूत मे चईटियाँ रेंगने लगी.... उसने खुद ने तो पकड़ने के अलावा सभी कुछ तो कर लिया था उसके साथ.. "शायद तुम ठीक कह रही हो" वासू ने जवाब दिया.

क्रमशः.......
 

imranlust

Lust
220
780
94
नेहा ने गौर किया कि अपने बेटे के लंड की बात सुनकर उसकी जेठानी के चेहरे पर हल्की सी चमक आ गयी थी.. और वो अपने सूखे होठों पर ज़ुबान फिरा रही थी.. तभी उसने महसूस किया राज के लंड की बात करते हुए उसके खुद के निपल तन कर खड़े हो गये थे.. कि उसने अपनी निगाह अपनी जेठानी के बदन पर घुमाई... तो उसने पाया कि वासू के निपल का उभार उसकी टाइट टॉप से सॉफ दीख रहा था... और उसकी चुचियाँ फूल गयी थी. "क्या बात है कुछ ज़यादा ही सोच रही हो क्या?" नेहा ने पूछा.


"क्या कहा तुमने" वासू अचानक चौंक पड़ी... और उसे एहसास हुआ कि वो अपनी देवरानी के साथ बैठी है..."ये सब तुम्हारी ग़लती है तुम्हीने इस ढंग से उसके लंड के बारे मे कहा कि मुझे भी अजीब ख़याल आने लगे..." वासू ने हंसते हुए कहा. "कसम से वासू जब भी तुम्हारे बदन को देखती हूँ तो मुझे कॉलेज के वो दिन याद आने लगते है.. जब हमारी शादी से पहले याद है ना तुम्हे" नेहा ने धीरे से कहा. "हां अछी तरह याद है.. भला उन दीनो को कैसे भूल सकती हूँ" वासू ने जवाब दिया. "तुम समझ रही हो ना में तुमसे क्या कह रही हूँ?" नेहा ने फिर

पूछा... वासू नेहा की बात को अच्छी तरह समझ रही थी.... "हां समझ तो रही हूं.. लेकिन में पिछले कई सालों से इस विषय के बारे मे नही सोचा.. क्या तुम उन दीनो को याद किया करती हो?"

"हां क्या करूँ.... जब भी कोई बहोत ही सुंदर और सेक्सी औरत दीखती हो तो उन दीनो की याद आ जाती है या फिर जब भी तुम्हारे खड़े निपल देखती हू तो रहा नही जाता" नेहा ने धीरे से जवाब

दिया.. "सच?" "हां और क्या.. जब तुम अपने होठों पर अपनी ज़ुबान फिरा रही थी तो मेरे दिल मे उन दीनो कि याद ताज़ा हो गयी ... याद है तुम्हे हमने कैसे सब शुरआत की थी... वासू को अपनी जवानी के वो दिन याद आने लगे जब वो और नेहा एक ही कॉलेज मे पढ़ते थे और गहरी सहेलियाँ थी... और दोनो ने सेक्स की पहल साथ साथ की थी.. किस तरह दोनो एक दूसरे को चूम चूस कर चुंबन की प्रॅक्टीस की थी....


और बात यहाँ तक बढ़ी की दोनो समलैंगिक सेक्स का आनंद उठाने लगे... दोनो एक दूसरे की चूत को चूसना और उसमे उंगली कर मज़ा लेने लगे थे.. ये सिलसिला करीब एक साल तक चला था कि वासू ने अपना पहला बाय्फ्रेंड बनाया और उसने भविश्य के लिए नेहा को मना कर दिया... नेहा उनके बीच का ये

रिश्ता आगे बढ़ाना चाहती थी लेकिन वासू ने मना कर दिया था... "क्या तुम दूसरी औरतों के साथ सेक्स का मज़ा लेती हो?" वासू ने अपनी सहेली और देवरानी से पूछा. "नही तुम पहली और आखरी औरत थी... ऐसा नही कि मेने कोशिश नही की लेकिन हर बार किसी को पसंद करने के बाद आगे बढ़ने की हिम्मत नही हुई... तुम नही जानती तुम्हारे बारे मे सोचते ही मेरी चूत मे जैसे आग सी लग जाती है." नेहा ने जवाब दिया. "सच कहूँ तो मेने भी कभी तुम्हारे अलावा किसी दूसरी औरत के साथ सेक्स नही किया है.. और तुम्हारी बातों ने मेरी भी सोई हुई भावनाओं को जगा दिया है" वासू ने कहा...


"तो क्या आज फिर तुम उस रिश्ते का आरंभ करना चाहोगी.. में तुम्हारी चूत चूसना चाहती हू" नेहा ने कहा. "में भी यही सोच रही थी.. कि क्यों ना एक बार पुराने रिश्ते की शुरआत कर जिंदगी का मज़ा लिया जाए" वासू ने कहा.. नेहा को तो जैसे कोई माँगी हुई मुराद मिल गयी.. वो झट से अपनी कुर्सी से उठी और उसे अपनी सहेली को गले लगा लिया... "मुझे पता था कि तुम मना नही करोगी...." कहकर उसने वासू का हाथ पकड़ा और उसे अपने बेडरूम मे ले आई... "तुम नही जानती आज में कितनी खुश हूँ" नेहा ने कहा और वासू उसका ब्लाउस खोलने लगी.....लेकिन नेहा ने उसे रुक जाने को कहा और उसे अपनी तरफ खीच अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए.. वासू ने भी उसका साथ दिया और उसके होठों को चूसने लगी. साथ ही उसने अपनी जीब उसकी मुँह मे दे दी जिसे नेहा चूसने लगी.. और अपनी जीब

से मिलाने लगी...


दोनो के हाथ एक दूसरे के बदन पर रेंग रहे थे और एक दूसरे के अंगों को सहला और मसल रहे थे.... नेहा के हाथ वासू के टॉप के आगे के बटन खोलने लगे.. जैसे ही उसका एक बटन खुलता तो उस

जगह के नंगे जिस्म को वो चूम लेती...अब वो नीचे झुकते हुए एक एक बटन खोलने लगी.. थोड़ी ही देर मे वो नीचे घुटनो के बल बैठ गयी.... और जब नीचे का बटन खोला तो वासू की नाभि दीखाई देने लगी.. वो आगे झुकी और उसकी नाभि को चूम लिया और अपनी जीब की नोक उसकी नाभि मे घूमने लगी... उत्तेजना मे वासू का बदन कांप उठा... नेहा ने फिर आखरी बटन खोल टॉप अपनी सहेली के बदन से उतार दिया...


नेहा ने फिर ब्रा मे क़ैद वासू की चुचियों को पकड़ लिया और सहलाने लगी.... अपनी उंगली से उसकी गोलाइयाँ नापने लगी.... साथ ही वो अपनी जीब को उसकी चुचियों की किनारे फिराने लगी.. वासू के हाथ नेहा के सिर पर कस गये. और उसके मुँह से सिसकारी फूटने लगी.. नेहा ने अपना हाथ उसकी पीठ पर किया और उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया और उसकी ब्रा को खींच निकाल दिया.... वो अपनी सहेली के खड़े

निपल को देखने लगी... और झुक कर उन्हे मुँह मे ले लिया और चूसने लगी....अपनी जीब से उन्हे चुलबुलाने लगी... वासू ने नेहा के गुलाबी रंग के टॉप को पकड़ा और सिर से उठा कर निकाल दिया.. वासू की नज़रे भी नेहा की भारी और कड़ी चुचियों पर टीक सी गयी...उसके निपल उसी की तरह काफ़ी बड़े बड़े थे.. वो उसकी चुचि को पकड़ मसल्ने लगी... उसकी चुचि पहले के मुक़ाबले काफ़ी बड़ी और भारी हो गयी थी... "नेहा तुम्हारी चुचि और निपल तो काफ़ी बड़े हो गये.. है पहले से" वासू ने अपनी सहेली से कहा. "बच्चे पैदा होने के बाद औरतों का शरीर कहाँ पहले जैसे रह पाता है" नेहा ने जवाब दिया. "हां शरीर का आकार तो नही रहता लेकिन चुदाई मे वैसा ही मज़ा आता है.. है ना? वासू ने जवाब देते हुए पूछा. "ये तो दुनिया की सचाई है" नेहा ने कहा और उसके होठों को चूसने

लगी. और अपने बदन को वासू के बदन से रगड़ने लगी....
 

imranlust

Lust
220
780
94
"अब तुम्हारे बाकी के बदन को देखना है.. कितने साल हो गये देखे हुए" कहकर नेहा ने उसकी स्कर्ट के हुक को खोला और उसकी ज़िप नीचे खिच दी.. फिर नीचे बैठते हुए उसकी स्कर्ट नीचे खिसका दी... वासू की आसमानी रंग की पॅंटी नज़र आने लगी.. उसने अपना मुँह पॅंटी के उपर से उसकी चूत पर रखा तो पाया कि उसकी पॅंटी वहाँ से गीली हो गयी थी.. "लगता है की तुम मेरे लिए तय्यार हो" नेहा ने कहा और उसकी पॅंटी की एलास्टिक को पकड़ा नीचे खिसका दिया.. वासू ने अपनी टाँगे उठा अपनी पॅंटी को निकाल दिया.. उसकी गुलाबी चूत चमक रही थी...जिस पर बॉल का एक रेशा तक नही था.. "अरे वाह तुम्हारी चूत तो एक दम साफा चॅट है" नेहा ने कहा... "हां" वासू ने कहा.. अब वो पूरी तरह नंगी अपनी सहेली के सामने खड़ी थी. "पर पहले तो तुम अपनी झांते साफ नही करती थी" नेहा ने कहा.


"हां लेकिन अब कई सालों से ऐसे ही रहती हू" वासू ने जवाब दिया. "बलदेव को बिना बालों की चूत बहोत अछी लगती है" "मोहन भी मुझसे कई बार झटें सॉफ करने को कह चुका है.. लेकिन पता नही क्यों मेने ऐसा अभी तक नही किया.." नेहा ने कहा. "तुम्हे उसकी बात माननी चाहिए.. सच मे बिना बालों की चूत मे लंड लेने मे बहोत मज़ा आता है" "पता नही फिर एक बार अजमौँगी ज़रूर" कहकर नेहा अपनी उंगली वासू की चूत पर फिराने लगी...."वासू प्लीज़ अब पलंग पर लेट जाओ" वासू अपनी टाँगो को फैलाए पलंग पर लेट गयी और नेहा उसकी टाँगो के बीच आ गयी... और उसके नंगे जिस्म को निहारने लगी..


"पता है तुम्हे तुम्हारा ये नशीला बदन किसी को भी बहका सकता है" नेहा ने उसके गोरे बदन को निहारते हुए कहा.और अपनी जीन्स के बटन खोल उसे नीचे खिसका निकाल दिया..और साथ ही पॅंटी भी

उतार दी. वासू की नज़रे नेहा की बदन से घूम उसकी चूत पर टीक गयी.. उसकी चूत एक दम साफा चॅट तो नही थी लेकिन नेहा ने अपनी झांते अछी तरह तराश कर उन्हे छोटी कर रखा था... "तुम्हारा भी जिस्म कम नही है.. किसी नमार्द के लंड मे भी ये जान फूँक देगा" वासू ने मुस्कुराते हुए कहा.


नेहा अपने खड़े निपल को वासू के नंगे जिस्म पर रगड़ते हुए उपर की ओर खिसकने लगी... जब वो उसकी चुचियों पर पहुँची तो उसने उसके निपल को मुँह मे लिया और चूसने लगी...पहले उसने दाएँ निपल को चूसा और फिर उसके बाएँ निपल को चूसने लगी...और एक हाथ नीचे कर उसकी चूत को मसल्ने लगी.. उत्तेजना मे वासू सिसकने लगी..


"ऑश वासू तुम्हारे साथ सेक्स करने की कितने दीनो से इच्छा थी...आज में बहोत खुश हूँ" नेहा अपन सहेली के बदन से अपने बदन को रगड़ते हुए बोली. नेहा अब वासू के बदन को चूम रही थी...सहला रही थी.. मसल रही थी.....जब उसके हाथ उसकी चूत पर पहुँचे तो वो उसे मुट्ठी मे भर भींचने लगी...फिर अपनी उंगली उसकी गीली चूत मे घुसा गोल गोल घूमाने लगी.. और फिर उंगली को बाहर निकाल उसे मुँह मे ले चूसने लगी... नेहा फिर झुकी और अपनी जीब को उसकी चूत के चारों और फिराने लगी...फिर उसकी चूत को थोड़ा फैला उसने जीब अंदर घुसा दी और उसकी चूत को चुलबुलाने लगी.... गोल गोल घूमाने लगी... और ज़ोर ज़ोर से चाटने लगी..


वासू की चूत मे तो जैसे भुकूंप आ गया हो... वो अपने ही हाथों से अपनी खड़ी चुचियों को मसल्ने लगी.. अपने निपल को खींचने लगी... वो झड़ने के लिए मरी जा रही थी.... लेकिन नेहा थी कि इस खेल को और खेलना चाहती थी.. आज कितने बरसों का बाद उसे ये मौका मिला था... नेहा ने वासू की चूत को चूसना और चाटना बंद किया और अपनी उंगली उसकी चूत मे घुसा अंदर बाहर करने लगी और साथ ही दूसरी उंगली से उसकी गंद के छेद को कुरेदने लगी...एक बार फिर उसने उंगली उसकी चूत मे घुसाइ और उसकी चूत के रस से गीली कर उसने अब एक उंगली वासू की गंद मे घुसा दी.. अब वो उसकी चूत और गंद मे उंगलियाँ अंदर बाहर करने लगी..




नेहा ने अब उंगली के साथ एक बार फिर अपनी जीब उसकी चूत पर रख दी और उसकी चाटने लगी... कि तभी वासू का बदन कांपा और उसकी चूत झड़ने लगी.. लेकिन नेहा थी कि वो काम मे लगी हुई थी.. वो उसकी

चूत चूस रही थी.. उसकी गंद मे उंगली अंदर बाहर कर रही थी.. इस दोहरे मज़े से वासू चीख सी पड़ी और उसने नेहा के सिर को और ज़ोर से अपनी चूत पर दबा दिया.. और अपनी कमर उठा अपनी चूत को और उसके मुँह मे घुसेड दिया.... नेहा और ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत को चूसने लगी.. अपनी उंगली अंदर

बाहर करने लगी. उसकी गंद मे उंगली और अंदर तक घुसाने लगी.... 'ऑश नेहा हाआँ ऑश और ज़ोर से चूस ऑश हां और अंदर तक अपनी जीभ घुसा और अंदर तक ऑश हां" वासू अपने सिर को इधर उधर पटक सिसकने लगी.. और उसकी चूत ने दोबारा पानी छोड़ दिया...


वासू ने नेहा को अपने उपर से उठने को कहा और नेहा ने अपनी सहेली को छोड़ दिया.. वासू पलंग पर पसर सी गयी.. और नेहा खिसक कर उसके बगल मे लेट गयी.. "थॅंक्स वासू कि तुमने मुझे ये सब करने दिया.. में तुम्हे बहोत पसंद करती हूँ" नेहा उसके बदन को सहलाते हुए बोली.


"शुक्रिया तो मुझे तुम्हारा करना चाहिए... आज तुमने एक बार फिर मुझे वो सुख दिया जिससे मैं इतने सालों से मिस कर रही थी..." वासू ने कहा.. "लेकिन जिस तरह तुम चूत चूस्ति हो उससे तो यही लगता है कि तुम्हे चूत चूसने की अछी ख़ासी प्रॅक्टीस है" "क्या हम फिर से ऐसा कर सकेंगे?" नेहा ने पूछा. "हां ज़रूर करेंगे.. लेकिन पहले अब में तुम्हारा शुक्रिया करूँगी" वासू ने कहा.


"सच.... मुझे यकीन नही हो रहा" नेहा किसी बच्ची की तरह ताली बजाते हुए बोली... वासू करवट बदल कर अपनी सहेली और देवरानी के उपर चढ़ गयी और उसके होठों को चूसने लगी... अपने ही चूत के रस का स्वाद लेने लगी... फिर नीचे खिसकते हुए वो उसके बदन को चूमने लगी.. फिर

ठीक उसी की तरह उसकी चुचियों को चूसने लगी... फिर नीचे खिसकते हुए वो उसकी चूत के नज़दीक आई और उसकी चूत को फैला अपनी जीब अंदर घुसा दी.


वासू उसकी चूत को चूस्ते हुए ऐसे उसकी जांघों पर लेट गयी और उसकी टांग को उठा अपने उपर रख ली.. फिर अपनी जीब के साथ अपनी उंगली उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगी.. नेहा तो जैसे ही गयी.. आअज उसे फिर कई साल पहले का मज़ा आ रहा था.. उसने अपनी टाँगो को कैंची बना वासू के सिर को जाकड़ लिया और अपनी कमर हिलाने लगी.. वासूकी जीब अब नेहा की चूत के दाने कुरेदने लगी और चुलबुलाने

लगी....और तभी नेहा की चूत पानी छोड़ने लगी... वासू बड़े प्यार से अपनी सहेली के रस पीने लगी.... आख़िर थक कर दोनो अलग हुई और एक दूसरे के बगल मे लेट गयी.
 
Top