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Adultery lusty family

Enjoywuth

Well-Known Member
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Bahut gajab ke updates likhe hain bhai.. Maja aagaya... Ab raj ka thoda seduction uski maa se karwao.. Woh bhi tadap rahi hai apni gili chut le kar
 

imranlust

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"ओह शमा" राज बस इतना ही कह पाया... तभी स्वीटी ने अपना मुँह उसकी चूंचियो पर रख दिया और उस पर गीरे वीर्य को चाटने लगी... और प्रीति उसके चेहरे को अपनी ओर खींच उसके होठों को चूसने लगी... शमा का बदन और उत्तेजना मे भर उठा... पूरा बदन कांप उठा.. उसने अपने आप को इन दोनो से छुड़ाया और अपने कमरे की ओर भाग गयी. राज शमा के पीछे पीछे जाना चाहता लेकिन स्वीटी ने उसे रोक दिया... "राज जाने दो इसे...वो थोड़ा घबरा गयी है..बस उसे थोड़ा वक्त लगेगा संभालने मे"

“ठीक है" राज ने धीरे से कहा..

"लेकिन एक बात बताओ तुमने ये कैसे सोच लिया कि तुम मुझे चोदे बिना यहाँ से जा सकते हो? " इतना कहकर स्वीटी ने उसके लंड को पकड़ लिया और अपने मुँह मे ले चूसने लगी... थोड़ी ही देर मे उसका लंड फिर से खड़ा हो गया.. वो उसके सूपदे पर अपनी जीब फिराने लगी...

"और अभी तो में भी बाकी हूँ.. में तुम्हे ऐसे ही नही जाने दूँगी" प्रीति ने कहा और वो नीचे स्वीटी के पास बैठ कर उसकी चुचियों को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी... .स्वीटी ने अपना टॉप उतार दिया और राज के सामने नंगी खड़ी हो गयी..और उसे बेतहाशा चूमने लगी... फिर वहीं

दीवान पर लेट गयी और अपनी टाँगे फैला दी....

"आओ राज और चोदो मुझे.... आज फाड़ दो मेरी चूत को.. बहोत खुजलाती रहती है." स्वीटी ने अपनी चूत को उंगलियों से फैलाते हुए कहा... प्रीति खिसक कर अपनी बेहन के बगल मे आ गयी और देखने लगी कि राज अब स्वीटी की टाँगो के बीच आ कर अपने खड़े लंड को उसकी चूत

मे घुसा रहा था... प्रीति ने आगे बढ़ स्वीटी के होठों को चूम लिया.. और उसके हाथ उसकी चुचि को सहलाने लगे... उसने अपन हाथ उसकी टाँगों के बीच डाल राज के लंड को पीछे से पकड़ लिया....

"अब में तुम दोनो को अपनी नयी पॅंटी दीखाती हूँ जो मेने आज ही खरीदी है.." कहकर प्रीति ने अपनी डेनिम की स्कर्ट उठा दी.. उसकी एक छोटी सी पॅंटी दीखने लगी जिसमे मुश्किल से उसकी चूत छुप पा रही थी.. "प्रीति बहोत ही अछी पॅंटी है.. पहले क्यों नही दीखाई? कहकर राज ने एक ज़ोर का धक्का स्वीटी की चूत मे मारा... प्रीति ने अपनी स्कर्ट उतार दी और स्वीटी के बगल मे बैठ उन दोनो की चुदाई देखने लगी...

राज अब ज़ोर ज़ोर के धक्के मार स्वीटी को चोद रहा था.. "हां राज ऐसे ही कस के चोदो ...ऑश हां और ज़ोर ज़ोर से चोदो... ओह घुसा दो अपना पूरा लंड मेरी चूत मे " स्वीटी अपनी आँखे बंद किए सिसक रही थी.. राज ने थोड़ी देर बाद अपने लंड को स्वीटी की चूत से बाहर निकाल अपनी बेहन को उसे चूस कर सॉफ करने के लिए कहा... प्रीति उसके लंड को

अपने मुँह मे ले उसे चूसने लगी... अब उसका लंड थोड़ा फिर खड़ा हो गया तो उसने एक बार फिर स्वीटी की चूत मे घुसा दिया..

प्रीति ने अपनी नयी पॅंटी उतार दी.. राज उसे लेना चाहता था लेकिन उसने राज को ना देकर अपनी पॅंटी स्वीटी के मुँह पर रख दी... "स्वीटी मेरी पॅंटी पर लगे मेरे रस चॅटो.. और राज को दीखाओ.. और उसे जी भर के चिढ़ाओ.." प्रीति ने अपनी पॅंटी को उसके मुँह मे तूस्टे हुए कहा.

प्रीति एक बार फिर स्वीटी की चुचियों को चूसने लगी और साथ ही उसने अपनी उंगली राज के लॉंड एक साथ साथ उसकी चूत मे घुसा अंदर बाहर करने लगी.. थोड़ी ही देर मे स्वीटी सिसकने लगी..

'ओह हां ओह और ज़ोर से श हाँ और ज़ोर से चोदो ओह.. मेरा तो छूटाआआ."

और वो झाड़ गयी... स्वीटी की सिसक्रियाँ सुन राज ने अपने लंड को जितना हो सकता था अंदर

घुसा अपना पानी छोड़ दिया... "ओह्ह राज तुम्हारा लंड कितना अछा लग रहा है.. " स्वीटी ने अपनी गंद

को घूमाते हुए कहा... "प्रीति में तो कहती हूँ तुम्हे भी लंड का मज़ा अपनी चूत मे लेना चाहिए.. राज तुमने अपनी बेहन को इस भीमकया लंड का मज़ा नही दिया.. बड़े बदमाश हो तुम?

राज और प्रीति का शरम का मारे लाल हुआ चेहरा और झुकी हुई नज़रों ने स्वीटी को सब कुछ बता दिया...."वो क्या है ना स्वीटी मेने एक बार कोशिश की थी.. लेकिन सही मे बहोत दर्द हुआ था.. फिर मेरी हिम्मत ही नही पड़ी" प्रीति ने सफाई मे कहा. "क्या तुमने सिर्फ़ एक ही बार चुदवाया? " स्वीटी असचर्या से उछलती हुई बोली "अगर मैं तुम्हारी जगह इस विशाल लंड के साथ ही घर मे रहती

होती तो कसम से दिन मे चार चार बार चुदाई करती.." स्वीटी ने कहा, "अब काम करो यहाँ मेरे बगल मे लेटो और में देखना चाहती हूँ कि ये तुम्हारी बिना बालों की चूत को कैसे चोद्ता है?"

प्रीति तो पहले से ही राज से चुदवाने का प्रोग्राम बना कर ही आई

थी.. इसलिए वो खुशी खुशी दीवान पर पीठ के बल लेट गयी और

अपनी टाँगो को फैला दिया... स्वीटी ने राज के लंड को पकड़ पहेले अपने मुँह मे लेकर उसे चूस कर

सॉफ करने लगी... राज का लंड एक बार फिर तन कर खड़ा होने लगा... "हां अब ये तय्यार है.. चोदो प्रीति को अपने इस विशाल लंड से" कहकर स्वीटी ने उसके लंड को अपने मुँह से निकाल दिया..

राज अपनी बेहन की टाँगो के बीच आ गया और थोड़ी देर अपने लंड को उसकी चूत पर घिसने लगा.. जब उसका लंड प्रीति की चूत से बहते रस अछी तरह गीला हो गया तो वो अपने लंड को धीरे धीरे अंदर घुसने लगा... उसकी चूत इतनी कसी हुई थी कि राज को अंदर घुसने मे ज़ोर लगाना पड़ रहा था... लेकिन प्रीति ने उसे बताया कि आज उसे दर्द नही हो रहा है... राज की हम्मत बढ़ गयी.. वो और ताक़त लगाकर अपने लंड को अंदर घुसने लगा... राज का लंड जब अछी तरह से प्रीति की चूत मे घुस गया तो वो धीमे धीमे धक्के लगा उसे चोदने लगा.. थोड़ी ही देर मे दोनो

उत्तेजना की चरम सीमा तक पहुँच गये.. दोनो की चुदाई के देख स्वीटी फिर से गरमा उठी...वो प्रीति एक चेहरे पर चढ़ि और अपनी चूत उसके मुँह पर रख दी..

"श प्रीति मुझसे नही रहा जा रहा मेरी चूत को चूसो और मेरी चूत मे भरे अपने भाई के वीर्य को पी जाओ " प्रीति ने उसके दोनो कुल्हों को पकड़ा और अपनी जीब बाहर निकाल उसकी चूत मे घुसा दी.. अब वो उसकी चूत मे भरे अपने भाई के रस को चाटने लगी..

क्रमशः................
 

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राज अपनीं बेहन की चूत मे अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए स्वीटी

को देख रहा था जो उसकी बेहन के मुँह पर झुकी अपनी चूत चूस्वा

रही थी.. उसकी नज़रे उसकी फूली गंद पर आ कर ठहर गयी.. वो

झुक कर उसकी गंद के उपर के हिस्से को चूमने लगा.. अपनी जीब वहाँ

फिराने लगा..


"ओह राज कितना अछा लग रहा है.. ओह हां काटो वहाँ पर.. ओह हां"

स्वीटी सिसक पड़ी और अपनी चूत को और प्रीति के मुँह पर दबाने लगी..


राज की उत्तेजना और बढ़ने लगी.. वो ज़ोर ज़ोर से अपने दाँतों को स्वीटी

की गंद पर गढ़ाने लगा... और तभी स्वीटी की चूत ने प्रीति के मुँह मे पानी छोड़ दिया.. राज का लंड भी उबाल पर था.. उसने अपनी बेहन को बताया कि उसका छूटने वाला है...


"मेरे मुँह मे अपना पानी छोड़ो राज में तुम्हारे इस स्वाद भरे रस को पीना चाहती हूं.. " प्रीति सिसक कर बड़बड़ा उठी.. और राज ने अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाल उसके मुँह मे ठूंस दिया... प्रीति ने अपनी जीब से उसके लंड कों जकड़ा ही था कि उसके लंड ने एक बार फिर

पिचकारी छोड़ दी.. और प्रीति अपने ही भाई के वीर्य का स्वाद ले पीने लगी..


अपने भाई का पानी पीने के बाद प्रीति ने स्वीटी की अपनी टाँगो के बीच खींच लिया..

"ऐसे नही जाने दूँगी तुम्हे अब तुम्हे मेरी चूत चूस कर मेरा पानी

छुड़ाना होगा.. मेरी प्यास अभी बुझी नही है"

स्वीटी ने अपनी जीब उसकी चूत पर लगाई और तेज़ी से उसकी चूत के

अंदर बाहर करने लगी.. दो तीन झटकों मे ही प्रीति की चूत ने पानी

छोड़ दिया.. थके हारे तीनो बिस्तर की ओर बढ़ गये... राज स्वीटी के साथ पलंग

पर सो गया और प्रीति ज़मीन पर बीचे गद्दे पर सो गयी..


* * * * * * * *


अगली सुबह राज की आँख खुली तो उसकी नज़र अपने बगल मे नंगी लेटी

स्वीटी पर पड़ी.. उसका दिल किया कि वो उसके बदन के साथ खेले लेकिन

रात का हादसा उसकी आँखों के सामने आ गया..

उसे याद आया कि किस तरह शमा उसका लंड चूस अपने कमरे मे भाग गयी थी.. उसने शमा से मिलने का मन कर लिया.. वो पलंग से उठा और अपनी बॉक्सर शॉर्ट्स पहन कर शमा के कमरे की ओर बढ़ गया... दरवाज़े को खटखटा के वो अंदर घुसा तो देखा की शमा जाग चुकी

थी और अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी.. राज को देख वो मुस्कुरा दी.. "हाई शमा, अब कैसा महसूस हो रहा है? " उसने पूछा. "थोड़ा सिर भारी है.. लगता है कि कल रात को पी शराब से थोड़ा

हॅंगओवर हो गया है" समा ने जवाब दिया.

"मेरा पूछने का मतलब था कि रात को अचानक तुम्हे क्या हो गया था..? "

"सच कहूँ तो में भी पीछले आधे घंटे से यही सोच रही थी...में इन सब से बचना चाहती थी लेकिन फिर भी ये सब हो गया.."

शमा ने कहा. "तुम्हे पता है शमा मेने हमेशा से तुम्हे पसंद किया है.. जब हम

दोनो 13 साल के थे तब से... " राज ने शरमाते हुए कहा. "वो सब ठीक है राज लेकिन कल रात जो कुछ हुआ में उसके लिए तय्यार नही थी.... और उपर से वो मेरी छोटी बेहन मेरी चुचियों पर

गिरे तुम्हारे पानी को चाटने लगी.. और तुम्हारी बेहन मेरी मुँह मे अपनी जीब डाल चूसने लगी... शायद इसी से में घबरा गयी" शमा ने जवाब दिया.. "हां में समझ सकता हूँ.. हम तीनो तो एक दूसरे के आदि हो चुके है.. लेकिन वो दोनो ये भूल गये कि ये सब तुम्हारे लिए एक दम नया

है."


"इसका मतलब है कि तुम तीनो भी पहले ये सब कर चुके हो? शमा ने पूछा.

"हां.. इन सब की शुरुआत तुम्हारी पार्टी वाली रात से हुई थी.. " फिर राज ने शमा को सभी बात विस्तार से बता दी.. "पहले तो मुझे भी बड़ा अजीब लगा कि आख़िर ये दोनो मेरी बहने है.. लेकिन जब वो दोनो

तय्यार थी तो में क्या कर सकता हूँ.. " "हां में भी यही सोच रही थी..." शमा ने अपनी नज़रे उसके खड़े लंड के उभार पर गढ़ाते हुए कहा... "मुझे भी रात को मज़ा आया

था.. और सबसे बड़ी बात मुझे प्रीति का इस तरह चूमना बहोत अछा

लगा... और सच कहूँ तो तुम्हारा लंड कमाल का है..मेने आज तक इतना बड़ा और मोटा लंड नही देखा... और अगर इस लंड को देख स्वीटी बहक गयी तो बड़ी बात नही है.. किसी का भी दिल आ सकता है" शमा ने कहा.. "अगर तुम्हे मेरी ज़रूरत हो तो तुम जानती हो कि में मना नही

करूँगा" कहकर राज ने उसके गालों को चूमा और जाने लगा... तभी

शमा ने अपना हाथ उसकी गर्दन मे डाला और उसे अपने नज़दीक खींच

अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए... राज उसकी चुचियों को सहलाने

लगा.. कि शमा उससे अलग हो गयी..
 

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राज शमा के कमरे से जाने लगा की उसे उसकी आवाज़ सुनाई पड़ी.. वो पलट कर रुक गया..

"राज क्या तुमने प्रीति को भी चोदा है? राज ने अपनी गर्दन हिलाई और कमरे से बाहर आ गया..


रविवार की शाम को राज और प्रीति ने अपनी दोनो चचेरी बहनो से विदा ली और अपने घर आ गये.. उनकी मम्मी ने बताया कि वो किसी काम से सोमवार और मंगलवार की रात बाहर जा रही है..


प्रीति और राज के व्यवहार ने वसुंधरा को सोच मे डाल दिया था..राज के साथ हुई बातों से वो सोच मे पड़ गयी थी और उसका दिल कहता था कि दोनो भाई बेहन आपस मे चुदाई करते है.. लेकिन ये विषय ऐसा था कि वो उन्हे डॅंट भी नही सकती थी और ना ही घर से निकाल सकती

थी.. वो क्या करे यही उसकी समझ मे नही आ रहा था... अपने होटेल के कमरे मे बैठी वो इन्ही सभी बातों के बारे सोच रही थी...

वसुंधरा की इस सोच ने उसके बदन और चूत मे भड़कती आग को जैसे और हवा दी.. हर बार उसके जेहन मे ये ख़याल आने लगा कि राज का मोटा लंड प्रीति की चूत मे किस तरह घुसता होगा..दोनो चुदाई कैसे करते होंगे.. उसकी चूत गीली होने लगी थी.. उसने अपनी चूत मे उंगली कर

अपनी भड़कती आग को शांत किया.

वहीं राज और प्रीति अपनी मस्ती मे लगे हुए थे... दोनो दिन भर चुदाई कर मज़ा ले रहे थे.. उनकी मा को आने मे भी एक दिन था और पापा को तो आने मे करीब एक हफ़्ता पड़ा था.


वहीं वसुंधरा की हालत खराब थी उसके ख़याल मे बार बार अपने बेटे

का मोटा लंबा लंड घूम रहा था.. अब उससे सहन नही हो रहा था.. आख़िर उसने उसे एक ईमेल भेजने की सोची.. उसने एक ईमेल लीखा और राज_मस्ताना के आईडी पर भेज दी..


राज उस रात अपने कंप्यूटर को ऑन किया बैठा था कि तभी उसे गीली चूत का ईमेल आने का संदेश मिला... उसने झट से वो ईमेल खोला और पढ़ने लगा...

मेरे राजा.. राज दो दिन से में तुम्हारे बारे मे ही सोच रही थी... तुम्हारे मोटे लंड

ने ,मेरी चूत को बेचैन कर दिया है.. मुझे लगता है कि अब मुझसे सहन नही होगा और अब वक्त आ गया है कि तुम्हारा मोटा लंड मेरी चूत को फाड़ उसकी गर्मी को शांत कर दे... में तुमसे चुदवाना चाहती हूँ..... में जानती हूँ कि तुम मेरा ईमेल पढ़ कर सोच मे पड़ जाओ और शायद

तुम्हे मुझे चोदने मे कोई दिलचस्पी ना हो... लेकिन अगर तुम भी मेरी चूत के लिए उतने ही बेचैन जितनी की मेरी चूत तुम्हारे लंड के लिए है तो में तुम्हे एक प्रपोसल लिख रही हूँ...और साथ ही मेरी कुछ शर्तें है जो तुम्हे माननी होगी.. सबसे पहली शर्त तो ये है कि में एक शादी शुदा औरत हूँ और तुम्हे अपने बारे मे कुछ नही बता सकती और ना ही तुम ये जानने की ज़िद

करोगे... दूसरी बात जब हम मिलेंगे तो में तुम्हे अपना चेहरा तक नही दिखाउन्गि.. .


अब तुम ध्यान से सुनो में तुम्हारे ही इलाक़े मे एक होटेल मे कमरा बुक करा लूँगी... और हम उस कमरे मे मिलेंगे.. इसका मतलब कि हमे एक दूसरे को अपना पता नही देना पड़ेगा...


तुम्हारे आने से पहले में बाथरूम मे बंद रहूंगी.. और कमरे मे बिछे पलंग पर एक चादर बँधी होगी जो हमारे बीच पर्दे का काम करेगी... चादर उँची बँधी होगी समझो तुम्हारी कमर तक... तुम कमरे मे आकर सीधे पलंग पर आ जाओगे और चादर की दूसरी ओर

मेरा इंतेज़ार करोगे.. फिर में दूसरी तरफ आकर तुम्हारे लंड का मज़ा लूँगी..


फिर में चदार की दूसरी ओर झुक कर तुम्हे अपने चूतड़ पेश करूँगी जिससे तुम अपना लंड मेरी चूत मे पीछे से घुसा सकोगे और चाहो तो मेरी चूत से खेल भी सकोगे.. और हां शायद मेने अपनी आवाज़ भी बदली हुई होगी.. इसलिए तुम चौंक मत पड़ना मेरी आवाज़ सुनकर...


में समझती हूँ कि तुम मेरी मजबूरी को समझोगे.. में तुमसे मिकलर अपनी शादी को ख़तरे मे डाल रही हूँ.. पर क्या करूँ जबसे तुम्हारा लंड देखा है.. में पागल सी हो गयी हूँ... और तुम्हारा लंड अपनी चूत मे लेने के लिए में ये ख़तरा भी उठाने को तय्यार हूँ...


अगर तुम्हे ये सब मंज़ूर है तो जवाब देना.. मुझे इंतेज़ार रहेगा.. तुम्हारे लंड की दीवानी और प्यासी गीली चूत

राज ईमेल पढ़ कर सोचता रहा कि उसे क्या जवाब देना चाहिए... बहोत देर तक वो सोचता रहा और आख़िर उसने उसकी शर्तें मानने का फ़ैसला कर लिया.. ऐसा मौका जिंदगी मे कभी कभी मिलता है.. और वो इस मौके को खोना नही चाहता था... इसलिए उसने गीली चूत को लीख दिया कि वो तय्यार है और वो उसे सब तय्यरी कर ईमेल कर दे तो वो अपना लंड हाथ मे लिए उसकी सेवा मे पहुँच जाएगा..


ईमेल भेजने के बाद राज ने अपना कंप्यूटर बंद किया और सोचने लगा कि पता नही कि जवाब कितने दिन मे आएगा और उसे कब उसकी चूत मे अपना लंड घुसाने का मौका मिलेगा.. और क्या वो अपनी उंगली ठीक उसी की तरह उसकी गंद मे घुसा पाएगा...

वसुंधरा अपने पति बलदेव के आने का इंतेज़ार करने लगी.. वो अपने पति को प्यार से देव बुलाती थी.. एक महीना हो गया था उसे गये हुए और वो लंड के लिए काफ़ी तरस रही थी.. उसने अपनी उंगलियों से नकली लंड से कई बार अपनी चूत का पानी छुड़ाया था लेकिन अब उसे असली लंड की ज़रूरत थी..


जिस दिन देव आने वाला था उसने अपने दोनो बच्चे राज और प्रीति को अपने देवर के पास भेज दिया.. दोनो खुशी खुशी वहाँ से चले गये.. जब उसे घर के बाहर टॅक्सी रुकने की आवाज़ सुनाई दी तो वो दौड़ कर दरवाज़े पर गयी और अपनी आँखे की होल से लगा दी.. जब उसने देखा कि उसका पति अकेला घर के बाहर खड़ा है तो उसने अपना इकलौता गाउन खोल कर गीरा दिया.. और नंगी होकर देव का इंतेज़ार करने लगी...


देव अपनी चाभी से घर का दरवाज़ा खोल अंदर आ गया.. "वाह क्या बात है.. ये है ना सही तरीका अपने पति का स्वागत करने का" उसने अपनी पत्नी को नंगी देखा तो कहा और जल्दी से दरवाज़ा बंद कर दिया.. वसुंधरा दौड़ कर उसकी बाहों मे आ गयी और अपनी होठों को उसके होठों पर रखते हुए अपनी जीब उसके मुँह मे डाल दी... और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी... देव ने अपनी बॅग वहीं गिरा दे और वासू की उंगलियाँ उसकी पॅंट के बटन खोलने लगी.. फिर नीचे खिसकाते हुए उसकी पॅंट को भी नीचे खिसकाने लगी.. आख़िर उसका खड़ा लंड ठीक उसके मुँह के सामने था.. जैसे ही वसुंधरा ने उसके लंड को अपने मुँह मे ले भींचा देव के मुँह से एक सिसकारी निकल पड़ी.. वो जल्दी जल्दी अपने बाकी के कपड़े खोलने लगा.. और अपनी पत्नी की तरह नंगा हो गया...
 

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वसुंधरा ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को अपने मुँह मे भींच चूसने लगी.. जैसे की कोई भूका बच्चा दूध की बॉटल की निपल को चूस्ता है ठीक वैसे ही वो आवाज़ करते हुए उसके लंड को अपने गले तक ले कर चूसने लगी... कभी उसके लंड की छेद पर अपनी जीब फिराती तो कभी उसके लंड को नीचे से उपर तक चाट्ती... उसका लंड उसके थूक से अच्छी तरह गीला हो चुका था.. "देव मुझे यहीं और अभी चोदो.. बहोत तदपि है मेरी चूत तुम्हारे लंड के लिए.. आज चोद चोद के फाड़ दो साली को" "अरे मेरी जान में कैसे मना कर सकता हूँ.. मेरा लंड भी तो तडपा है तुम्हारी चूत के लिए.." देव ने जवाव दिया और वसुंधरा ने वहीं हॉल मे बीचे कार्पेट पर लेट कर अपनी टाँगे फैला दी.. उसकी बिना बालों की चूत उसके रस से भीग चमक रही थी..


देव उसकी टाँगो के बीच आ गया और उस पर लेटते हुए उसने अपना लंड एक ही धक्के मे उसकी चूत मे घुसा दिया.. "ऑश देव कितना अच्छा लग रहा.. तुम्हे अंदाज़ा नही होगा कितना तदपि हूँ में तुम्हारे इस मोटे लंड के लिए.." वासू सिसक पड़ी.. "अगर मेरा स्वागत इसी तरह होता रहा तो मुझे अब जल्दी जल्दी सहर से जाना होगा.." देव ने हंसते हुए कहा... और ज़ोर ज़ोर के धक्के अपनी

पत्नी की चूत मे लगाने लगा...

"अब थोड़ी देर के लिए अपना मुँह बंद रखो और मेरी चूत पर ध्यान दो और ज़ोर ज़ोर से मुझे चोदो" वासू ने अपनी गंद उठा उसके लंड को और अंदर लेते हुए कहा..

"फिर तो मुँह बंद करने का एक ही तरीका है" कहकर देव उसकी चुचि को मुँह मे ले चूसने लगा.. और ज़ोर ज़ोर के धक्के मार उसे चोदने लगा...

"ऑश देव हाँ चोदो ओःः हां और ज़ोर ज़ोर से चोदो श हां ऐसे ही चोदो ऑश हां" वासू सिसक पड़ी... उसकी हालत देख देव हँसने लगा और अपने धक्कों की रफ़्तार और बढ़ाते हुए उसे चोदने लगा... वासू हर धक्के पर 'ह्म' 'ह्म' की हुंकार भर अपने चूतड़ उपर को उठा देव के लंड को और अपनी चूत के अंदर तक ले लेती.. फिर अचानक वो रुक गयी....

"अब में चाहती हूँ कि तुम मुझे कुतिया बना पीछे से मेरी गंद मे अपना लंड घुसा मुझे चोदो" देव ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया और वसुंधरा ने घोड़ी बनने से पहले उसने उसके लंड को चूस उसपर लगे अपने रस को चाट लिया... देव वासू के पीछे आ गया और अपने लंड को एक बार फिर उसकी चूत मे घुसा दिया.. दो तीन बार अंदर बाहर कर उसने अपने लंड को गीला किया और फिर उसे वासू की गंद के छेद पर लगा दिया.. उसके दोनो को कुल्हों को पकड़ उसने ज़ोर का धक्का मारा और वासू ने अपने चूतड़ पीछे कर उसका साथ दिया.. देव का लंड एक ही धक्के मे उसकी गंद के जड़ तक घुसाया... वासू को एक त्रीव दर्द का एहसास हुआ तो उसने थोड़ा धीरे धीरे अपने चूतड़ आगे पीछे करने लगी.. उसने अपना हाथ नीचे किया और अपनी चूत को रगड़ने लगी.. देव ने धक्कों की रफ़्तार थोड़ी बढ़ा दी.. और वासू उत्तेजना मे चीख पड़ी..

"ऑश हां और ज़ोर ज़ोर से मारो मेरी गंद को.. ओह हां और ज़ोर से ऑश" वासू ने अपना हाथ पीछे अपनी गंद पर कर अपने पति के लंड को मापने लगी... तभी उसके जेहन मे अपने बेटे का लंड आ गया और वो सोच्नेलगि.. कि उसके बेटे का लंड उसकी चूत मे घुसेगा तो उसे कैसा महसूस होगा.. वो अभी तय नही कर पा रही थी कि वो अपने ही बेटे से अपनी गंद मराए या नही.. इन्ही ख़यालों मे उत्तेजित हो वो अब ज़ोर ज़ोर से अपने गंद को आगे पीछे कर अपने पति के धक्कों का साथ देने लगी... एक तो पति का मोटा लंड गंद के अंदर बाहर होता हुआ और बेटे का लंड उसके ख़यालों मे उसकी चूत के अंदर बाहर होता हुआ.. दो लंड के ख़याल को वो सहन नही कर पाई... और उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया... देव ने भी दो तीन धक्के ज़ोर ज़ोर के मारे और अपना

वीर्य उसकी गंद मे छोड़ दिया... देव ने जब अपना लंड वासू की गंद से बाहर निकाला तो वीर्य की एक धार

उसकी गंद से बहने लगी... वासू ने अपने पति के लंड को पकड़ा और उसे खींच बाथरूम मे ले गयी और शवर को ऑन कर दिया...

दोनो शवर के नीचे खड़े एक दूसरे के बदन से खेलने लगे.. साबुन बदन पर मलने लगे.. इसी तरह मस्ती कर दोनो नहाने लगे... इस छेड़ छाड़ से देव का लंड एक बार फिर खड़ा हो गया...

वासू वहीं शवर के नीचे अपने पति के सामने घुटनो के बल बैठ गयी और उसके खड़े लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी... अपने पति के लंड को चूस्ते हुए वासू ने साबुन अपने हाथों मे ले झाग मचाने लगी.. जब उसका हाथ साबुन से चिकना हो गया तो वो उसे अपने पति की गंद के पीछे ले गयी और उसके चूतदों पर मलने लगी.. फिर उसने अपनी एक उंगली उसकी गंद मे घुसा दी.... देव ज़ोर से उछल पड़ा... और उसका लंड वासू के मुँह मे गले तक घुस गया.. वासू अब अपनी उंगली अपने पति की गंद के अंदर बाहर करने लगी और देव अपने लंड को अपनी पत्नी के मुँह मे... थोड़ी ही देर मे उसके लंड मे उबाल आने लगा... वासू उसके लंड को मुँह से बाहर निकाल उसे ज़ोर

ज़ोर से मुठियाने लगी.. उसने अपना मुँह खुला रखा और एक ज़ोर की पिचकारी देव के लंड से निकल उसके मुँह मे गिरी..जिसे वो पी गयी..फिर दूसरी पिचकारी उसकी चुचियो पर गीरी.. इसी तरह देव का लंड

पिचकारी छोड़ता रहा और वासू अपने पति से वीर्य स्नान करती रही..

फिर दोनो ने एक दूसरे के बदन को सॉफ कर स्नान किया और बाथरूम के बाहर आ गये.. वासू ने तब डिन्निंग टेबल पर खाना लगा दिया.. दोनो नंगे ही खाना खाने बैठ गये... शहर के दूसरे हिस्से मे देव के भाई के घर रात के खाने की तय्यरी चल रही थी....

प्रीति अपने भाई के बगल मे बैठी थी और उसकी दोनो चचेरी बहने उसके सामने... स्वीटी और शमा की बगल मे उनके चाचा मोहन और उनकी चाची नेहा बैठी थी..

प्रीति यहाँ भी अपनी हरकतों से बाज़ नही आ रही थी.. वो बार बार अपना हाथ अपने भाई कि गोद मे रख उसके लंड को मसल देती और अपनी दोनो बहनो के देख उन्हे आँख मार चिढ़ा देती... फिर कभी अपने पावं को स्वीटी की नंगी टाँगो पर फिराने लगती.. और उपर चढ़ा उसकी चूत को कुरेदने लगती..
 

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प्रीति को इतना मज़ा आ रहा था कि उत्तेजना मे उसकी चूत गीली होती जा रही थी.... आज उसने जान बुझ कर पॅंटी नही पहनी थी.. और वो सोचने लगी की चूत से बहते रस से उसकी स्कर्ट पर गीला धब्बा

बन गया होगा... प्रीति जैसे ही टेबल पर से पानी का जग उठाने झुकी तो उसकी चुचियाँ टेबल के किनारे से टिक गयी जिससे उसके खुले टॉप मे से उसकी चुचि की घाटियाँ नज़र आने लगी.. उसने देखा कि उसके चाचा मोहन की नज़रे उसकी चुचियों पर ही टिकी हुई थी.. उसका बदन हल्के से कांप उठा...


आज उसने अपने चाचा को चिढ़ाने की ठान ली. जब उसने देखा कि उसे कोई नही देख रहा सिर्फ़ उसके चाचा की नज़रे उसपर टीकी हुई है तो उसे टॉप के उपर से अपने एक निपल को पकड़ा और खींच कर छोड़

दिया... उसके चाचा मोहन की नज़रे प्रीति की इस हरकत से फटी की फटी रह गयी... अपने आप मे मुस्कुरा के प्रीति फिर अपनी टांग स्वीटी की टांग पर चढ़ाने लगी तो उसने महसूस किया कि इस बार स्वीटी थोड़ा आगे को खिसक आई थी और उसने अपनी टाँगे फैला दी थी.. जिससे उसे अपनी टाँगे उपर ले जाने मे तकलीफ़ ना हो... उसका पावं आराम से उसकी पॅंटी से टकराया और वो अपने अंगूठे को उसकी चूत पर घिसने लगी.. तभी शमा ज़ोर से खाँसी तो प्रीति ने अपनी टांग नीचे गीरा दी.. और हल्के से शर्मा गयी.. वो समझ गयी कि शमा उसकी हरकत को देख रही थी...


राज स्वीटी और प्रीति के चेहरों पर आई शरम को देख हँसने लगा तो प्रीति ने एक बार फिर उसके लंड को पकड़ ज़ोर से मसल दिया... सभी ने मिल कर खाना ख़तम किया... मोहन और नेहा ने चारों

बच्चो को बर्तन और किचन सॉफ करने को कहा और टेबल से खड़े हो गये ... चारों उनकी आग्या को मानते हुए किचन की ओर चले गये..


जैसे ही चारों बच्चे किचन की ओर जाने लगे.. नेहा की नज़रे राज के गातीले शरीर पर जा टीकी..उसकी नज़रे फिसल कर उसकी जांघों के बीच आ गयी जहाँ उसका खड़ा लंड शॉर्ट्स मे एक तंबू बनाए हुए

था.... "हे भगवान क्या वासू को पता है कि उसने कैसे बेटे को जनम दिया.. है जिसका लंड शायद सबसे बड़ा लंड होगा.." उसने मन ही मन सोचा... उसने ज़बरदस्ती अपनी नज़रे उसके लंड पर सेहटाई और हॉल मे टीवी देखने चली गयी... मोहन अपने स्टडी रूम मे आ गया जहाँ उसका कंप्यूटर उसका इंतेज़ार कर रहा था...उसकी भतीजी की हरकतों ने उसे बेचैन कर दिया था.. उसने मन बना लिया था कि आज वो इंटरनेट पर उसकी भतीजी की उम्र की लड़कियों को नंगा देख अपने लंड को मूठ मारेगा... उसकी

समझ मे नही आ रहा था कि उसकी भतीजी ने ये हरकत क्यों की थी. और जितना वो सोचता उसका लंड उतना ही अकड़ते जा रहा था...


शमा सिंक पर झुकी बर्तन सॉफ कर रही थी.. कि राज उसके पीछे आया और अपने लंड को उसके चूतादो पर रगड़ने लगा... तभी प्रीति अपनी चुचियों को उसकी पीठ पर रगड़ने लगी...


राज को उमीद थी कि शमा उसे अपने पीछे से हटा देगी.. पर शमा थी कि उसे हटाने की जगह फँसने लगी.. और अपनी गंद को और पीछे की ओर धकेल दिया..उसका लंड और जोरों से मचलने लगा..


बर्तन सॉफ करते हुए स्वीटी राज, और प्रीति एक दूसरे के बदन से अपना बदन रगड़ छेड़ छाड़ करते रहे...और बीच बीच मे एक दूसरे के अंगों को पकड़ भींच देते... तभी प्रीति पीछे से अपने बदन को शमा के बदन से रगड़ते हुए ज़ोर से बोली, "शमा मुझे तुम्हारी चूत देखनी है" "लेकिन मुझे नही लगता कि तुम देख पओगि" शमा ने हंसते हुए कहा..


"अरे रानी अभी तुम मुझे जानती नही हो.. में ऐसे हालात पैदा कर दूँगी कि तुम अपनी चूत मुझे देखाने पर मजबूर हो जाओगी" प्रीति ने हंसते हुए जवाब दिया और एक प्लेट लेकर उसे धोने लगी... अब वो सोचने लगी कि किस तरह शमा की चूत देखी जाए.. उसे वो सीन याद आ गया जब उसने शमा को चूमा था.. तभी प्रीति को एक आइडिया आ गया...


प्रीति किचन के एक दम कोने मे खड़ी हो गयी.. जहाँ से उसपर किसी की नज़र नही पड़ सकती थी... फिर उसने अपनी स्कर्ट उठा दी और अपनी नंगी चूत राज और स्वीटी को दीखाने लगी... "हे भगवान प्रीति तुम्हे कुछ शरम है की नही.. अपनी स्कर्ट नीचे करो" शमा हंसते हुए बोली.. वो प्रीति की इस हरकत से चौंक पड़ी थी. "क्यों नीचे करे ये? मुझे तो देखने मे और इसे छूने मे बहोत मज़ा आएगा.. " स्वीटी अपनी चचेरी बेहन के पास खिसक कर बोली और अपनी उंगलियाँ उसकी चूत पर फिराने लगी.. "हां हां मज़े लो... और जब मम्मी या पापा यहाँ आ जाहेंगे और तुम दोनो को ऐसे हालत मे पकड़ लेंगे तब मुझे भी बहोत मज़ा आएगा." शमा ने फिर हंसते हुए कहा.


प्रीति और स्वीटी सोच मे पड़ गये.. लेकिन स्वीटी रुकी नही उसने अपनी उंगली प्रीति की चूत मे घुसा दी और गोल गोल घूमाने के बाद बाहर निकाल चूसने लगी.. प्रीति ने भी अपनी स्कर्ट नीचे नही की बल्कि उसे और चढ़ा के किनारे मे ठूंस दी.. जिससे की वो नीचे ना गिर जाए.. "में अपनी

स्क्रिट तब तक नीचे नही करूँगी जब तक कि तुम मुझे अपनी चूत दीखाने का वादा ना करो" प्रीति ने कहा. "मत करो मुझे क्या फरक पड़ता है" शमा ने जवाब दिया.. "फिर से सोच लो?" प्रीति ने कहा... तभी उन्हे किचन की ओर आते कदमों की आवाज़ सुनाई पड़ी.. "प्रीति कोई आ रहा है अब तो स्कर्ट नीचे कर लो" शमा ने कहा.
 

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"आने दो में कह दूँगी की शमा ने मेरी स्कर्ट उपर की थी और मेरी चूत देख रही थी" प्रीति ने हंसते हुए कहा.. "ये तो ब्लॅक मेलिंग है" शमा गुस्से मे बोली.. तभी कदमो की आवाज़ और नज़देक आ गयी.. "तो वादा करो मुझसे" प्रीति ने कह कर अपनी नज़रे शमा पर गढ़ा दी... "ठीक है बाबा दीखा दूँगी" शमा ने कनतलते हुए कहा.. प्रीति ने अपनी स्कर्ट नीचे की और अपनी चूत को ढक लिया तभी उसकी चाची नेहा किचन मे आई वो अपने लिए कोल्ड ड्रिंक लेने आई थी.. उसने फ्रिड्ज से कोल्ड ड्रिंक की बॉटल ली और वापस हॉल मे टीवी देखने चली गयी... "ये हुई ना बात.. में तो मरी जा रही हूँ देखने के लिए" प्रीति ने हंसते हुए कहा... चारों ने मिलकर बाकी का काम ख़तम किया और हॉल मे आ गये... जैसे ही वो हॉल मे दाखिल हुए नेहा की नज़रे एक बार फिर अपने भतीजे की खड़े लंड के उभार पर टीक गयी.. उसके लंड का तनाव बिल्कुल भी कम नही हुआ था वो सोचने लगी कि इसका लंड सिर्फ़ दीखने मे ही बड़ा है या फिर ये चुदाई भी मस्त करता है.. थोड़ी देर बाद प्रीति टाय्लेट जाने के लिए उठी. टाय्लेट जाते हुए वो स्टडी रूम के बाहर से गुज़री जहाँ उसके चाचा मोहन काम कर रहे

थे.. दरवाज़ा खुला हुआ था और चाचा उसकी ओर पीठ किए कंप्यूटर पर काम कर रहे थे.. प्रीति ने अपनी नज़रे अंदर डाली तो देखा कि उसके चाचा अपने लंड को पॅंट के अंदर अड्जस्ट कर रहे है.. वो

मुस्कुरा पड़ी..


टाय्लेट से वापस लौटते वो दरवाज़े पर ठहर अंदर झाँकने लगी.. उसकी नज़र कंप्यूटर स्क्रीन पर उठी तो उसने देखा की स्क्रीन पर उसकी ही उमर की लड़की की नंगी तस्वीर थी.. उसके चाचा कुर्सी पर पसरे हुए थे और अपने लंड को बाहर निकाल ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रहे थे.. वो अपने चाचा के लंड को देखना चाहती थी लेकिन उसकी पीठ होने की वजह से वो देख नही पा रही थी.. प्रीति वैसे ही खड़ी देखती रही और मोहन स्क्रीन पर फोटो बदल बदल अपने लंड को मुठियाते रहा.. प्रीति ने अपना हाथ अपनी स्कर्ट के अंदर डाल दिया तभी उसे एहसास हुआ कि उसे ढूनडता हुआ कोई भी आ सकता है.. वो वापस हॉल मे आ गयी..




टीवी पर चलता प्रोग्राम ख़तम हुआ तो नेहा उठ कर सोने चली गयी... चारों बच्चे टीवी देखते रहे... थोड़ी देर बाद जब प्रीति को ये विश्वास हो गया कि हाल अब उन्हे देखने कोई नही आएगा.. वो शमा से अपना वादा पूरा करने की ज़िद करने लगी.. वो उसे अपनी चूत दीखाने को कहने लगी.. शमा पीछे हटना चाहती थी.. लेकिन राज और स्वीटी उसके बगल मे बैठ गये और ज़िद करने लगे.. प्रीति नीचे उसकी टाँगो के बीच बैठ गयी... अब उसके हाथ उसकी टाँगो पर रेंगते हुए उपर की ओर बढ़ने लगे और उसकी जींस के बटन और ज़िप को खोलने लगी...


प्रीति ने थोड़ा उपर उठ उसकी जीन्स नीचे खिसका दी. शमा की नीले रंग की कॉटन पॅंटी दीखने लगी..प्रीति ने अपनी नज़रे राज पर डाली जो अपने सूखे होठों पर जीब फिराते हुए शमा की धकि चूत देख रहा था.. फिर प्रीति ने उसकी पॅंटी को किनारे से पकड़ा और नीचे खिसकाने

लगी.. शाम की नंगी चूत अब तीनो के सामने पहली बार आज़ाद और खुली थी.. राज की आँखे तो उसकी चूत पर ही ठहरी हुई थी.. शमा ने अपनी झांते बहोत ही अछी तरह तराश रखी थी. और काट कर छोटी कर रखी थी.. "राज अब हमारी शमा को अपनी ख़ासियत बताओ.. बताओ इसे की लड़कियों की गीली पॅंटी के साथ तुम्हे क्या करना पसंद है." प्रीति ने शमा की गीली पॅंटी राज की ओर उछालते हुए कहा.


राज ने शमा की पॅंटी पकड़ी और अपनी शॉर्ट्स नीचे उतार दी.. उसका घोड़े जैसे लंड उछल कर बाहर आ गया.. शमा तो राज के लंड को देखते ही रह गयी "सच मे कितना सुन्दर और मोटा लंड है.. कब इसे दोबारा देखने के लिए तरस रही थी.." शमा ने अपने आपसे कहा. राज फिर दीवान पर बैठ गया और उसकी पॅंटी को अपने खड़े लंड पर चारों ओर लपेट मूठ मारने लगा..वो अपने लंड पर शमा की पॅंटी को उपर नीचे करने लगा..


शमा की नज़रे तो राज पर टीकी हुई थी और प्रीति अपनी उंगलियों को उसकी चूत पर फिराने लगी. शमा का बदन कांप उठा उसे लगा जैसे की उसकी चूत मे चईटियाँ रेंग्नी शुरू हो गयी है. "हे प्रीति बदमाश.. मेने सिर्फ़ देखने का वादा किया था.. तुम सिर्फ़ देख सकती हो छू नही सकती" शमा ने प्रीति से कहा. "यार इतनी प्यारी चूत को देख मुझसे रहा नही गया.. एक काम करो तुम अपनी चूत से खेलो...इससे तुम अपने आपको मज़ा दे पओगि और राज के साथ साथ झाड़ जाओगी.. में और स्वीटी सिर्फ़ देखेंगे कुछ नही करेंगे ये वादा है, क्यों में ठीक कह रही हूँ ना स्वीटी" प्रीति ने शमा से कहा.


"प्रीति प्लीज़ समझा करो ना मेने पहेल ऐसा कुछ किया नही है.." शमा ने असहाय स्वर मे कहा.. "फिर ठीक है ऐसा करते हैं कि में और स्वीटी कमरे से बाहर चले जाते है... फिर तुम और राज अकेले मे शायद कुछ कर सको" प्रीति ने कहा.

शमा की नज़रे राज के मोटे लंबे लंड पर ठहर गयी.. जिसे राज उसी की पॅंटी से लपेट मूठ मार रहा था.. उसे उस रात का नज़ारा याद आने लगा जब उसने इसी लंड को अपने गले तक लेकर चूसी थी...

कितना अछा लगा था उसका लंड चूसने मे..फिर उसे याद आया की जब राज ने अपने लंड को उसकी गंद पर रगड़ा था तो गरम लंड के स्पर्श ने उसे पागल सा कर दिया था... "ठीक है" शमा ने धीरे से कहा..प्रीति ताली बजाते हुए दीवान पर से खड़ी हुई और स्वीटी को भी हाथ पकड़ खड़ा कर दिया..


प्रीति और स्वीटी के जाते ही उसने राहत की सांस ली.. पता नही क्यों वो अपनी दोनो बहनो के सामने खुल नही पा रही थी.. राज और शमा अब एक दूसरे के सामने मुँह किए हुए थे...राज ने देखा

की शमा ने अपनी टाँगे फैला दी थी और अपनी उंगलियों को अपनी चूत पर फिराते हुए अपनी चूत को थोड़ा फैलाया और अपनी बीच की उंगली चूत मे घुसा दी.. अपनी उंगली को अछी तरह गीला करने के बाद उसे अपनी चूत के दाने पर फिराने लगी.. रस से भीग उसकी चूत चमकने लगी.. . राज हैरत भरी नज़रों से उसकी चूत को देख रहा था....


अब शमा अपने भाई को देखने लगी.. जो उसकी पॅंटी को अपने लंड पर लपेट मूठ मार रहा था.. वो भी अपनी दो उंगलियाँ चूत के अंदर डाल अंदर बाहर करने लगी.. उसकी मुँह से सिसकारियाँ फूटने लगी..
 

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'श ऊ ऊ हाआँ ऑश श" शमा की नज़रे राज पर टीकी हुई थी.. वो देख रही थी कि उसके लंड के मुँह पर कुछ वीर्य की बूंदे नज़र आती और फिर अचानक उसकी पॅंटी से धूल जाती.. फिर कुछ बूंदे नज़र आती फिर खो जाती... तभी उसे याद आया कि राज उसकी बेहन स्वीटी और अपनी खुद की बेहन

प्रीति को चोद चुका है.. इस ख़याल ने उसकी चूत मे ज़ोर की खुजली पैदा कर दी.. वो ज़ोर ज़ोर से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगी.. जितना वो राज को अपनी पॅंटी से लपेट लंड को मूठ मारते देखते उसकी चूत मे उतनी ही खुजली ज़ोर पकड़ लेती.. वो सिसकते हुए और ज़ोर से उंगलियाँ अंदर बाहर करने लगी.. ..


राज उसे चोदना चाहता है वो अछी तरह समझ रही थी.. वो उसकी आँखों मे से झलकती तड़प को पढ़ रही थी.. और जितना वो सोचती उसकी खुद की ख्वाइश उतनी ही बढ़ती जा रही थी.. तभी राज के लंड

पर फिर वीर्य की बूंदे चमकी.. शमा बेकाबू हो गयी... और उसने वही किया जो उसका दिल चाह रहा था..


शमा ने खिसक कर अपनी जीब उसके लंड के मुँह पर रख चमकती बूँदो को चाट लिया... वो खुशी से चिहुक्न पड़ी.. राज ने अपना लंड थोड़ा आगे किया और शमा ने अपना मुँह खोलते हुए उसके लंड को अपने मुँह मे ले लिया..


राज की सोच के विपरीत शमा उसके लंड को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी... वो कभी अपनी जीब को उसके मुँह पर फुदकती तो कभी जोरों से होठों से भीच अपने गले तक ले लेती.. राज तो जैसे पागल हो गया.. उसने

अपने दोनो हाथ उसके सिर पर रखे और उसके मुँह मे धक्के मारने लगा...


"ऑश शमा ऑश हां चूसो और चूसो ओ" तभी शमा ने उसके लंड को अपने मुँह से निकाल दिया. और दीवान पर पसर सी गयी.. "हमारी बहने सही कह रही थी" उसने अपनी टाँगो को

फैलाते हुए कहा. "और क्या कह रही थी वो? " राज ने पूछा. "यही कि इतने मोटे और लंबे लंड को कोई लड़की ज़्यादा देर तक सिर्फ़ देख नही सकती.. वो खुद बा खुद चुदने को तय्यार हो जाएगी.. क्या

पता फिर मौका मिले या ना मिले" शमा उसकी गोद पर चढ़ उसके लंड को अपनी चूत पर लगा नीचे बैठते हुए बोली. "श शमा तुम्हारी चूत तो किसी भट्टी की तरह सुलग रही है..

ओःःः मज़ा आ गया" राज अपनी गंद को और उठा सिसक पड़ा... शमा सिर्फ़ मुस्कुरा दी और नीचे देखने लगी.. किस तरह उसके चचेरे भाई का मोटा और लंबा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो

रहा था.. फिर वो अपनी दोनो चुचियों को मसल्ते हुए उछल उछल कर धक्के मारने लगी अपनी चूत की गहराई को देख उसे विश्वास नही हो रहा था कि राज का इतना मोटा और लंबा लंड उसकी छोटी सी चूत मे पूरा का पूरा घूस अंदर बाहर हो रहा था... वो और ज़ोर ज़ोर से उसके लंड पर उछलने

लगी... वो अपने आप को कोस रही थी कि पहले उसने इस लंड को अपनी चूत मे क्यों नही लिया.


वो जोरों से उसके लंड पर उछलने लगी.. और फिर अपना हाथ अपनी चुचियों पर से हटा उसने नीचे किया और अपनी चूत के आस पास फिराने लगी.. फिर उसने राज के लंड के साथ अपनी दो उंगलियाँ चूत के

अंदर घुसा दी और सिसकने लगी..


"ओ राज तुम्हारा लंड कितना अछा है.. में ही बेवकूफ़ थी ... ऑश

हां चोदो और ज़ोर से अपने लंड को अंदर तक घुसा दो.. ओ हां " "उसकी चूत झड़ने के लिए फड़फड़ने लगी. वो ज़ोर से उपर उठ उसके लंड पर और ज़ोर से बैठ गयी और अपनी गंद को गोल गोल घुमाने लगी.. तभी उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया... फिर निढाल हो वो उसके लंड पर से उत्तर गयी..


"ओह शुक्रिया राज मुझे नही पता था कि तुम्हारे साथ इतना मज़ा आएगा"


"शुक्रिया तो मुझे कहना चाहिए था.. में तो खुद हैरान हूँ कि आज तक तुमने मेरा लंड अपनी चूत मे क्यों नही लिया" राज ने जवाब दिया.


शमा आज के पहले भी चुदाई का मज़ा ले चुकी थी.. लेकिन उसकी आँखे थी जो राज के लंड से हटाए नही हट रही थी.. आज तक उसने अपनी ही चूत के रस से भीगे लंड को कभी नही चूसा था... और

अब वो समझ चुकी थी कि उसकी जगह प्रीति या स्वीटी होती तो वो भी यही करती.. उसने झुक कर राज के लंड को अपने मुँह मे ले लिया और चूसने लगी....


राज का लंड अभी झाड़ा नही था और वो बेताब था झड़ने के लिए.. वो दीवान पर पसर शमा को अपना लंड चूस्ते देखने लगा... राज हाथ बढ़ा कर उसके सिर पर हाथ रख उसके बालों मे अपनी उंगलियाँ फिराने लगा... शमा ने नज़रे उठाकर उसे देखा..


राज का लगा कि अब उससे रुका नही जाएगा तो वो अपनी कमर उठा अपने लंड को और अंदर तक घुसाने लगा.. और उसके मुँह को चोदने लगा.. शमा को मज़ा आ रहा था.. उसने अपना पूरा मुँह खोल दिया.. और राज का लंड उसके गले के तालू से छूता तो वो सिहर उठती.. राज का लंड आकड़ा और एक ज़ोर की पिचकारी छूट कर उसके गले से टकराई.. .. शमा बड़ी मुश्किल से अपने आपको संभाल पा रही थी. उसने जल्दी से अपने कपड़े उठाए और राज को चूम कर अपने कमरे मे भाग गयी .
 

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राज अपनी जानदार चचेरी बेहन को भाग कर जाते देख रहा था.. उसका दिल तो किया कि वो उसके पीछे भाग कर उसे पकड़ ले.. लेकिन फिर समय की नज़ाकत को समझते हुए उसने अपने आप को रोक लिया...


स्वीटी और प्रीति जैसे ही राज और शमा को अकेले कमरे मे छोड़ बाहर निकली स्वीटी प्रीति से बोल उठी, "प्रीति में चाहती हूँ कि आज तुम मेरे लिए कुछ करो? " "क्या करवाना चाहती हो मुझसे?" प्रीति ने पूछा. "में चाहती हूँ कि तुम मेरी झान्टे साफ कर मेरी चूत को भी अपनी

चूत की तरह सपाट और चिकना बना दो" स्वीटी ने जवाब दिया..


"सच मे?" प्रीति ने कहा, "मुझे ये करते हुए बहोत अछा लगेगा.. लेकिन अचानक ये चूत की झांते सॉफ करने का ख़याल कैसे आया?" "जब मेने पहली बार तुम्हारी सपाट चूत देखी थी तभी से में

सोच रही थी.. लेकिन आज रात तुम्हारी सपाट चूत देखकर मुझसे रहा नही गया... और तभी मेने सोच लिया कि आज में अपनी झांते तुमसे सॉफ करवा के रहूंगी" स्वीटी ने जवाब दिया.

क्रमशः........................
 
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