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Adultery lusty family

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"नेहा शायद में तुम्हारी एक ख्वाइश पूरी कर सकती हूँ" वासू ने थोड़ी देर बाद कहा., "में कुछ समझी नही.." नेहा ने अचंभे मे कहा.. पता नही कौन सी ख्वाइश की बात कर रही है..

"क्या तुम राज का लंड देखना चाहोगी?" वासू ने अपनी सहेली और देवरानी से पूछा. "कहीं तुम मज़ाक नही तो नही कर रही हो?" नेहा ने जवाब मे पूछा. "हां में तुम्हारी ये तमन्ना पूरी कर सकती हूँ" वासू ने जवाब दिया.

नेहा अपनी जेठानी की बात सुनकर चौंक पड़ी और सोचने लगी कि वो किस तरह उसे अपने ही बेटे का लंड दीखा सकती है... "दीदी तुम ये कैसे कर सकती हो?" नेहा ने चौंक कर पूछा. "में तुम्हे एक राज की बात बताती हूँ... पर तुम्हे एक वादा करना होगा कि तुम किसी को बताॉगी नही.." वसुंधरा ने अपनी देवरानी नेहा से कहा. "ठीक है दीदी में वादा करती हूँ" नेहा ने जवाब दिया. तब वासू ने नेहा को बताया कि किस तरह उसने राज का ईमेल आईडी हासिल कर लिया था और किस तरह उसने एक अलग नाम से आईडी बना अपने ही बेटे के लंड को वेब कॅम पर देखा है... बस अपनी देवरानी से होटेल मे चुदाई वाली बात छुपा गयी.. "अरे वाह दीदी तुम तो छुपी रुस्तम निकली.. " नेहा ने खिलखिलते हुए कहा...


"यार मेरी भी कुछ तमाननाएँ है.. कुछ इच्छाए है" वासू ने जवाब दिया... "अछा अब ये बताओ क्या तुम इस खेल के लिए तय्यार हो?" "वो तो ठीक है दीदी.. लेकिन क्या राज इस बात के लिए तय्यार होगा..?" नेहा ने पूछा... "और क्या तुम्हे बुरा नही लगेगा अगर में तुम्हारे ही बेटे को कंप्यूटर पर मूठ मारता देखूँगी या फिर में कुछ उसके के लिए करूँ तो...?" "मुझे बुरा नही बल्कि खुशी होगी.. और तुम राज की तो चिंता मत करो.. तुम मर्दों की फ़ितरत को नही जानती. जहाँ उन्हे नई चूत की भनक लगी कि वो सूंघते हुए दौड़े चले आ जाते है.. में कोई ना कोई रास्ता निकाल कर तुम्हे खबर कर दूँगी" वासू ने अपनी देवरानी को आश्वासन दिलाया.. "ठीक है फिर जब तुम्हे कोई ऐतराज़ नही तो मैं तय्यार हूँ" नेहा ने कहा.


तब वासू ने अपनी देवरानी को गले लगा अलविदा कहा और अपने घर की ओर चल पड़ी.. रास्ते में वो ये सोच कर खुश थी कि उसके उसकी देवरानी और सहेली के साथ एक बार फिर संबंध शुरू हो गये थे... और अब उसने उसे इस बात का वादा भी कर दिया था कि वो किसी ना किसी तरह उसे राज का लंड दीखा देगी..

क्रमशः.......
 

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प्रीति ने अपने चाचा का ईमेल आईडी आईडी बॉक्स मे टाइप कर उसके साथ अटॅच कर दी.. अब सिर्फ़ सेंड करना बाकी था.. वो स्क्रीन के सामने बैठी सोच रही थी कि उसे ये कहानी मैल करनी चाहिए कि नही. वो दुविधा मे फँसी हुई थी.. तभी उसे एक आइडिया आया.. कहानी के साथ उसने चाचा को एक मैल भेजने की सोची... और वो टाइप करने लगी.. डियर अंकल मोहन, आज में आपसे कुछ कहना चाहती हूँ... उस दिन जब मैं आपके यहाँ रुकी थी तो सुबह जल्दी उठ गयी थी और ग़लती से मैने आपके कंप्यूटर को टटोल डाला था... इस के लिए माफी चाहती हूँ.. तभी मेरे हाथ एक कहानी लगी जिसे शायद आप लिख रहे थे.. उत्सुकता मे

मैं इसे पढ़ने लगी तो मुझे कहानी अछी लगी.. तो मैने उसे अपने ईमेल आईडी पर मैल कर दिया था..


दो तीन दिन में आपकी कहानी को लेकर सोचती रही और फिर मुझे लगा कि मुझे इस कहानी को आगे बढ़ाना चाहिए.. और मेने ऐसा ही किया... मुझे खुशी होगी कि अगर आप मेरे लिखे के आगे इस कहानी को बढ़ा मुझे वापस मैल कर दें. बस इतना कहना चाहूँगा कि में आगे की कहानी के लिए बेचैन हू... आपकी प्यारी भतीजी प्रीति


इतना लिखकर प्रीति ने सेंड बटन दबा उसे मैल कर दिया और सोचने लगी कि उसके चाचा की क्या प्रतिक्रिया होगी.... क्या वो इस कहानी को अपनी स्टडी कुर्सी पर बैठ पढ़ते वक्त गुस्सा होंगे या फिर उत्तेजना मे एक बार फिर अपने लंड को मूठ मारेंगे.. यही सब सोचते हुए वो अपने कमरे से निकली और किचन की ओर गयी. तो देखा कि उसके पिताजी डाइनिंग टेबल पर बैठे अपने लिए ड्रिंक बना रहे है..


उत्तेजना मे उसकी हालत खराब थी.. चूत मे चईतियाँ रेंग रही थी और जोरों की खुजली मची हुई थी.. राज भी कहीं बाहर गया हुआ था और उसकी चूत की खुजली मिटाने वाला कोई नही था उसकी समझ मे

नही आ रहा था कि वो क्या करे... फिर उसने स्वीटी को भी फोन किया था लेकिन वो भी घर पर नही थी... "हाई डॅड, क्या हो रहा है? उसने अपने पिता से पूछा.. और बार फिर शरारत मे उनके बगल से निकलते हुए अपनी चुचियों को उनकी बाँह पर रगड़ दिया... "बस कुछ खास नही... प्रीति.. तुम क्या कर रही हो आज दिन मे? "कुछ नही.. बहोत ही बोरिंग दिन आज का... राज भी घर पर नही है और ना ही स्वीटी.. और मेरे बाकी की सहेलियों से भी कॉंटॅक्ट नही हो रहा है.... इसलिए शायद अकेली बैठ कोई मूवी देखूँगी.. आप का प्रोग्राम है? "


"ठीक तुम्हारे जैसा... तुम्हारी मा अपनी देवरानी यानी कि तुम्हारी चाची से मिलने के लिए गयी है.. और में यहाँ अकेला बोर हो रहा हूँ.. सोचता हूँ की बाहर लॉन की सफाई कर दूं और पैधों को पानी दे दूं" "फिर तो ठीक है" कहकर प्रीति ने फ्रिड्ज से कोल्ड ड्रिंक की बॉटल निकाली और हॉल मे आ गयी. उसने द्वड प्लेयर मे एक सीडी लगाई और टीवी के सामने बैठ गयी..


प्रीति कहने को टीवी देख रही थी लेकिन उसके दिमाग़ मे तो कुछ और घूम रहा था.. और उसकी सोच का असर उसकी चूत पर हो रहा था.. उसने महसूस किया की उसकी चूत गीली हो गयी और साथ ही उसकी पॅंटी

पूरी तरह से भीग गयी है.. उसका हाथ खुद बा खुद उसकी जीन्स के अंदर से होता हुआ उसकी चूत तक पहुँच गया और वो अपनी चूत को मसल्ने लगी.. और फिर उसने अपनी उंगली चूत मे घुसा दी और अंदर से रगड़ने लगी.. देव ने जब लॉन की सफाई कर दी और पौधों को पानी दे दिया तो उसने सोचा कि क्यों ना कुछ खा लिया जाए.. वो किचन मे आया तो उसे टीवी की आवाज़ सुनाई पड़ी.. तो उसने सोचा कि क्यों ना प्रीति को भी खाने के लिए पूछ लिया जाए.. और वो हाल की तरफ बढ़ गया.. बलदेव ने जैसे ही हॉल मे कदम रखा तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी.. टीवी पर मूवी चल रही थी और प्रीति दीवान पर लेटी हुई थी.. उसकी आँखे तो टीवी स्क्रीन पर गढ़ी थी लेकिन उसके हाथ उसकी पॅंट के अंदर से चूत को मसल रहे थे.. उसने टीवी की ओर देखा लेकिन स्क्रीन पर ऐसा कुछ नही था कि जिसे देख कोई उत्तेजित हो सकता था... प्रीति को इस तरह अपनी ही चूत से खेलते देख उसके लंड ने तुरंत हरकत की... वो जानता था कि उसे वहाँ से फ़ौरन चले जाना चाहिए लेकिन अपनी ही बेटी को इस तरह अपनी चूत को मसल्ते देख वो अपने आप को रोक नही पाया और वहीं खड़ा रहा.. उसने देख की प्रीति की साँसे तेज हो गई थी और उसकी भारी चुचियाँ उपर नीचे हो रही थी और वो समझ गया कि अब उसकी चूत पानी छोड़ने वाली ही है..
 

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इस बात से अंजान प्रीति ने एक तकिया उठा अपने ही मुँह पर रख अपनी सिसकी को रोका और तभी उसके बदन मे कंपकंपी हुई और उसकी चूत पानी छोड़ने लगी... देव तुरंत पलट कर वापस किचन मे आ

गया..और देखे हुए दृश्य को अपने ख़यालों से निकालने की कोशिश करने लगा जिससे उसके लंड मे उठी उत्तेजना शांत हो जाए.. पाँच मिनिट के बाद देव की हालत थोड़ी सुधरी तो उसने सोचा कि क्यों

ना अब जाकर प्रीति कोभी खाने के लिए पूछ लिया जाए.. इसलिए वो हॉल की तरफ बढ़ा और इस बार उसने जान बुझ कर इतनी आवाज़ पैदा की जिससे उसकी बेटी को उसके आने का पता चल जाए.. "प्रीति क्या तुम कुछ खाना पसंद करोगी?" देव ने हॉल के दरवाजे पर खड़े रहकर पूछा. "हां पापा.. भूक तो लग रही है" प्रीति ने जवाब दिया.. देव ने देखा की उसका चेहरा चमक रहा था शायद चूत की गर्मी जो शांत हो गयी थी...देव पलट कर वापस किचन मे चला गया.. दीवान पर लेटी हुई प्रीति सोच रही थी... "हे भगवान बाल बाल बच गये.. अगर पापा पाँच मिनिट पहले हॉल मे आ जाते तो क्या

होता?" वो अपने आप से बोल उठी.. क्या वो मुझे अपनी चूत मे उंगल अंदर बाहर करते देखते रहते.. या फिर पलट कर चले जाते या फिर गुस्सा करते....


प्रीति यही सोच रही थी.. उसे आज लंड की ज़रूरत थी.. वो अपनी चूत मे लंड लेने के लिए मरी जा रही थी... लंड के लिए वो कुछ भी करने को तय्यार थी... देव कुछ सॅंडविच बनाकर वापस हॉल मे आया और प्रीति के बगल मे बैठ गया... दोनो मिलकर सॅंडविच खाने लगे... देव ने उससे पूछा

कि वो क्या देख रही है... तब प्रीति ने अपने पापा को बताया.... दोनो अपना खाना खा रहे थे कि प्रीति को फिर शरारत सूझी.. उसने देखा कि टीवी का रिमोट पापा के दूसरी ओर पड़ा है तो वो उसे उठाने

के लिए इस तरह झुकी की उसकी चुचियाँ देव की जांघों से रगड़ खा गयी... कहने को देव टीवी पर चल रही मूवी देख रहा था लेकिन उसके दिमाग़ मे तो घूम रहा था प्रीति की चुचियों का एहसास जो उसकी जांघों पर रगड़ खाने से हुआ था... और इसका नतीजा ये हुआ कि उसका लंड एक बार फिर मचलने लगा... आख़िर वो उठ कर हॉल से जाने के लिए खड़ा हो गया...


"पापा क्या आप बाकी की पिक्चर मेरे साथ नही देखेंगे?" प्रीति ने अस्चर्य से पूच्छा.. "नही ऐसी बात नही है बस ज़रा अपने लिए ड्रिंक लेके आता हूँ" देव ने जो बहाना उसके दिमाग़ मे आया कह दिया...

"क्या बात है पापा आप कुछ परेशान लग रहे है?" प्रीति ने अपनी एक सरसरी निगाह अपने पिता के लंड पर फिराते हुए कहा.


देव चुप चाप हॉल से बाहर चला गया... उसकी समझ मे नही आ रहा था कि वो क्या करे.... आख़िर उसे वापस ड्रिंक लेकर हॉल मे आना पड़ा... और वो प्रीति के बगल मे बैठ गया.. ना चाहते हुए

भी उसकी नज़रे उसकी भारी चुचियों पर उठ जाती और प्रीति थी कि रह रह कर उसके खड़े लंड को देख लेती.... कि तभी मैन डोर का ताला खुला और राज ने घर मे कदम रखा...... देव अपनी मनो दशा को छुपाते हुए उठा और घर के बाहर लॉन मे चला गया. "हाई राज" प्रीति ने अपने भाई से कहा... उसके चेहरे पर खुशी की लहेर दौड़ गयी. प्रीति ने राज का हाथ पकड़ा और उसे अपने कमरे मे ले गयी.. और इससे पहले की राज उससे कुछ कहता वो उस पर किसी भूकि बिल्ली की तरह टूट पड़ी और उसकी पॅंट के बटन खोल उसे नीचे खिसकाने लगी.. फिर अपनी जीन्स को खोल उतार दिया और पलंग पर अपनी टाँगे फैला लेट गयी....


"मुझे चोदो राज कब से तड़प रही हूँ तुम्हारे लंड के लिए प्लीज़ आअब मेरे पास आओ ना" प्रीति लगभग गिड़गिदते हुए बोली. "तुम्हारी चूत के लिए तो मेरा लंड हमेशा तय्यार रहता है... " राज ने मुस्कुराते हुए कहा.


"अब जल्दी भी करो नही तो कहीं ऐसा ना हो कि मुझे मम्मी के कमरे मे जाकर देखना पड़े कि कहीं उन्होने भी कोई नकली लंड तो नही छिपा रखा" प्रीति ने कहा. "और अगर मुझे मम्मी के कमरे मे डिल्डो मिल गया तो फिर मुझे तुम्हारे लंड की ज़रूरत नही रहेगी समझे" प्रीति ने अपने भाई को और चिढ़ाते हुए कहा. राज ने तुरंत अपनी टी-शर्ट को सिर के उपर से उठा निकल दिया और अपनी बेहन की टाँगो के बीच कूद पड़ा... और अपने लंड को उसकी मुलायम चूत पर रगड़ने लगा...

"अब तड़पते ही रहोगे या इसे इंदर भी घुसाओगे" प्रीति ने अपनी कमर को उठा का र्कहा... जैसे की उसके लंड को अंदर लेना चाह रही हो. राज ने उसकी टाँगो को फैलाया और अपने लंड को चूत से लगा एक धक्का मारा.. राज का लंड प्रीति की चूत की दीवारों को चीरता हुआ अंदर घुस गया.


'ऑश तुम्हे नही पता मुझे आज तुम्हारे लंड की कितनी ज़रूरत थी.. ऑश हां अछा लग रहा है.. ओह हाआँ चूओड़ो मुझे " प्रीति सिसक पड़ी.


राज ज़ोर ज़ोर के धक्के लगा अपनी बेहन को चोदने लगा.. 'ठप ठप' की आवाज़ कमरे मे गूंजने लगी..


'ऑश हां चोदो और ज़ोर से चोदो ऑश हां ऐसे ही कस कस के मारो मेरी चूत"
 

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प्रीति ने राज के चेहरे को पकड़ा और उसे पानी चुचियों पर खींच लिया.. राज भी उसके इशारे को समझे उसकी चुचि को चूस चूस कर ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगा... प्रीति ने अपनी टाँगे उठा कर उसकी कमर से लपेट ली और उसके हर धक्के का साथ अपनी कमर उठा कर देने लगी.. 'ऑश हाआँ और ज़ोर ज़ोर से ओ मेरा छूटने वाला है.. ऑश ऊहह में तो गयी... "


राज का लंड उबाल खाने लगा था और वो कभी पानी छोड़ने वाला था इसलिए उसने अपना लंड उसकी चोदने वाला है...उसने अपना लंड प्रीति की चूत से बाहर निकाला और और उसे ज़ोर ज़ोर से अपने हाथों से

मसल्ने लगा... प्रीति उठ कर घुटनो के बल बैठ गयी और उसके लंड को अपने मुँह मे ले चूसने लगी.. जोश मे राज उसके मुँह मे धक्के लगाने लगा... कि उसके लंड ने ज़ोर की पिचकारी छोड़ते हुए अपना वीर्य उसके मुँह मे छोड़ दिया... प्रीति उसके वीर्य को पीती गयी और राज का लंड पिचकारी छोड़ता रहा... आख़िर दोनो तक कर निढाल हो लेट गये.. "क्या मम्मी सही मे डिल्डो या नकली लंड रखती है?" राज ने अपनी बेहन से पूछा. "मुझे पता नही.. मेने तो ऐसे ही कह दिया.. लगता है कि अब मम्मी

के कमरे की तलाशी लेनी पड़ेगी" प्रीति ने पलंग से उठ अपने कपड़े पहनते हुए कहा.


"ख़याल बुरा नही है" राज ने भी अपने कपड़े पहनते हुए कहा. "लेकिन आज नही क्यों कि पापा अभी भी घर पर ही है" प्रीति ने कहा. "ठीक है किसी और दिन देख लेंगे" राज ने जवाब दिया. प्रीति कमरे से बाहर चली गयी तो राज अपने कमरे मे आकर अपने ईमेल चेक करने लगा... उसने देखा कि एक ईमेल गीली चूत की ओर से आया था.... उसने खोल कर पढ़ा तो पाया कि गीली चूत ने एक बार फिर वेब कॅम के सामने उससे अपने लंड को मुठियाने की रिक्वेस्ट की थी.. क्यों की वो अपनी किसी सहेली को उसका लंड दीखाना चाहती थी.. राज ने उसे रिप्लाइ दिया कि उसे ऐसा करके खुशी होगी और आज रात 8.30 बजे का टाइम भी लीख दिया कि वो उस समय इस के लिए तय्यार रहेगा.. इसलिए वो अपनी सहेली को बता दे..


वसुंधरा ने वो मेसेज अपनी देवरानी नेहा को दिखाया.. "अब तो ठीक है ना आज रात 8.30 बजे तुम मेरे लंड को देख सकोगी और वो तुम्हारे लिए मूठ भी मारेगा" नेहा खुशी से उछल पड़ी और पीछे से अपनी जेठानी को बाहों मे भर लिया..जो अपने देवर के कम्यूटर पर के सामने बैठी थी. "वाह दीदी तुमने तो कमाल ही कर दिया... " कहकर नेहा वासू की चुचियों को मसल्ने लगी..


पूरा दिन देवरानी और जेठानी एक दूसरे के जिस्म से खेल अपनी अग्नि को शांत करते रहे.. जब शाम को वासू जाने लगी.. तो उसने नेहा को फिर रात के समय की याद दिलाई.. उस दिन शाम को मोहन कंप्यूटर के सामने बैठा अपनी भतीजी से आई मैल को पढ़ रहा था.. वो कम से कम दस बार उस मैल को पढ़ चुका था... उसे विश्वास नही हो रहा था कि ये मैल उसकी अपनी भतीजी ने भेजी है..


उसे लगा कि शायद उसके हाथ ये कहानी लग गई होगी और वो चाहती थी कि कहानी की लड़की वो चोदो... वो भी ऐसा ही चाहता था लेकिन कहानी को आगे लीख नही पाया था.. और अब उसकी भतीजी ने ये कर दिया था और वो चाहती थी कि वो इस कहानी को आगे बढ़ाए... उसे याद आने लगा कि उस दिन सुबह जब उसने प्रीति को आध नंगी हालत मे देखा था तो किस तरह उसका लंड तन कर खड़ा हो गया था. "मोहन क्या में बाद मे थोड़ी देर के लिए कंप्यूटर यूज़ कर सकती हूँ?" नेहा ने अचानक स्टडी रूम मे आते हुए कहा. मोहन अपनी बीवी की आवाज़ सुनकर चौंक पड़ा और झट से उसने कम्यूटर की स्क्रीन बंद कर दी. "तुमने तो मुझे डरा ही दिया... " मोहन ने पलट कर उसकी ओर देखते हुए कहा.


"इसके लिए में माफी चाहती हूँ.. तो क्या में यूज़ कर सकती हूँ>" "हां हां क्यों नही" मोहन ने जवाब दिया और सोच मे पड़ गया कि अचानक उसकी बीवी को कंप्यूटर की क्या ज़रूरत पड़ गयी.


"ठीक है फिर में 8.30 बैठूँगी" नेहा ने कहा. "ठीक है"
 

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स्वीटी और शमा अपने दोस्तों के साथ रात के लिए कहीं बाहर गये थे.. मोहन टीवी के सामने बैठा था और नेहा अपने पति के कंप्यूटर के सामने कुर्सी पर बैठ गयी.. उसने स्टडी रूम का दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया था.. कुर्सी उपर बैठ उसने अपनी टाँगे फैला दी और मेस्सन्गेर ऑन कर लिया.. और >में प्यासी हूँ> आईडी से लोग इन कर लिया.. ये आईडी उसे वासू ने बना कर दी थी..


नेहा फ़्रेंड लिस्ट मे देखने लगी.. जहाँ वासू ने राज मस्ताना का नाम पहले से ही आड कर दिया था.. उसने देखा कि राज मस्ताना पहले से लोग इन था.. और साथ ही hot milf भी. .. जैसे ही उसने लोग इन

किया उसे वीडियो कान्फरेन्स के लिए न्योता मिला और उसने उसे आक्सेप्ट कर लिया.


नेहा ने देखा कि उसका भतीजा राज कंप्यूटर के सामने एक कुर्सी पर बैठा था और उसने शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहन रखी थी.



Hot milf} मेरी सहेली लोग इन हो गयी है में प्यासी हूँ} हेलो

राज मस्ताना} है.. कैसी हो?


में प्यासी हूँ} ठीक हूँ


Hot milf} राज क्या तुम मेरी सहेली को अपना लंड दीखाने के लिए तय्यार हो क्या मूठ भी मारोगे?


राज_मस्ताना} हां क्यों नही.. तुम दोनो तय्यार हो


में प्यासी हूँ} हां


नेहा ने स्क्रीन के कॅम पोर्षन पर अपनी निगाह डाली जहाँ उसका भतीजे ने अपने लंड को शॉर्ट से बाहर निकाल लिया था.. वो उसके लंड का आकार देख दंग रह गयी.. और उसके मुँह से एक आह सी निकल गयी..


hot milf} मेने कहा था ना कि तुम्हे पसंद आएगा.

में प्यासी हूँ} हां तुम ठीक कह रही थी.

क्रमशः.......
 
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राज अपने लंड को मसल्ने लगा... दो दो प्यासी औरतें उसे अपने लंड को मसल्ते देख रही है यह सोच ने उसे और जोश मे ला दिया था..और थोड़ी ही देर मे उसका लंड अपनी पूरी लंबाई और मोटाई मे तन

कर खड़ा था..


में प्यासी हूँ} इससे मोटा और लंबा लंड मेने आज से पहले कभी नही देखा.


Hot milf} बहोत हाई मस्त लंड है ना?


में प्यासी हूँ} ये तुम मुझसे कह रही हो.


राज आज अपने साथ माय्स्चुरिज़र लेकर आया था.. वो थोड़ा माय्स्चुरिज़र अपनी हथेली मे ले अपने लंड को मसल्ने लगा.. उसका लंड चमकने लगा और कुछ ज़्यादा तन गया... उसकी निगाह स्क्रीन पर गढ़ी हुई थी

जहाँ वो पढ़ रहा था कि उन दोनो को कितना मज़ा आ रहा था..


राज मस्ताना} क्या तुम दोनो अपनी चूत से खेल रही हो.


hot milf} और नही तो क्या.. तुम्हारे लंड को देख कौन अपने आप पर कंट्रोल कर सकेगा.


में प्यासी हूँ} में भी.


नेहा की आँखे अपने भतीजे के मोटे लंड पर टिकी हुई थी कि किस तरह अपने लंड को मुट्ठी मे भर ज़ोर ज़ोर से मसल रहा था.. उसकी चूत गीली हो रही थी.. वासू के कहे अनुसार उसने पॅंटी नही पहन

रखी थी.. अपने स्कर्ट को उठा वो एक हाथ से मेसेज टाइप कर रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चूत से को रगड़ रही थी.. चूत से रस बह कर उसकी स्कर्ट को भिगो रहा था..


नेहा अपनी चूत को मसल्ति रही और राज को लंड पर मूठ मारते देखती रही कि तभी राज के लंड ने एक ज़ोर की पिचकारी छोड़ी और वीर्य छूटने लगा.....

hot milf} शुक्रिया राज

राज मस्ताना} इसमे शुक्रिया की क्या बात है.. शायद एक दिन इसका तुम बदला चुका दो.


hot milf} इसके लिए में तय्यार हूँ

hot milf} गुड नाइट राज

राज मस्ताना} गुड नाइट ... फिर कभी मिलते है

hot milf} हां क्यों नही.

नेहा ने कंप्यूटर बंद किया कि तभी फोन की घंटी बज उठी. "तो मेरे बेटे का लंड कैसा लगा तुम्हे?" दूसरी ओर से वासू ने पूछा. "सच कहूँ तो मुझे सपने मे भी उम्मीद नही थी कि उसका लंड इतना मोटा और लंबा होगा.. सही मे मज़ा आ गया.. सोच अगर ये लंड हमारी चूत मे घुसे तो कैसा मज़ा आएगा?" नेहा ने जवाब दिया. "हां में भी कभी कभी यही सोचती हूँ" वासू ने कहा. "सच वासू मुझे विश्वास नही होता कि उसे आज तक ये पता नही है कि वो अपनी मा के सामने इस तरह अपने लंड को मूठ मारता है... " "हां और आज से उसकी चाची के सामने भी" वासू ने जवाब दिया. "मुझे तुम्हारा तो पता नही लेकिन मुझे तुरंत बाथरूम जाकर अपनी चूत की गर्मी को शांत करना है... आज कुछ ज़रूरत से ज़्यादा ही खुजली मच रही है" नेहा ने कहा. "हां में तुम्हारी हालत समझ सकती हूँ... मुझे खुद को नही मालूम कि अपने बेटे के लंड को देख कर और सोच कर में कितनी बार अपनी गर्मी अपनी उंगलियों से शांत कर चुकी हूँ.. ठीक है गुड नाइट" कहकर वासू ने फोन रख दिया.


नेहा ने फोन रख दिया और सोचा की बाथरूम मे जाकर अपनी चूत की खुजली को मिटाए फिर उसके दिल मे आया की मोहन के घर मे होते हुए हाथों से क्यों...


नेहा ये सोच कर हॉल मे आ गये जहाँ मोहन टीवी के सामने बैठा कोई प्रोग्राम देख रहा था.. वो उसके सामने आकर बैठ गयी.. मोहन ने अपने हाथ उसके कंधे पर रख दिए.. नेहा उसकी पॅंट के बटन खोलने लगी.. जिससे उन्हे खींच कर नीचे खिसका सके.. मोहन हैरत भरी नज़रों से अपनी बीवी को देख रहा था.. उसके चमकते चेहरे को देखता रहा और नेहा ने उसकी पॅंट को नीचे खिशका उसे मुरझाए लंड को अपने मुँह मे ले लिया और चूसने लगी...वो अपनी जीब उसे चुलबुलाने लगी और चूसने लगी... थोड़ी ही देर मे उसका लंड तन गया.. अब वो अपने मुँह को पूरा खोल उपर

नीचे करते हुए ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को चूसने लगी... थोड़ी देर उसके लंड को चूसने के बाद नेहा उठ कर खड़ी हो गयी और अपनी स्कर्ट उठा कर अपने पति को बताने लगी कि आज उसने पॅंटी नही पहन रखी है.. फिर उसकी टाँगो पर चढ़ उसके लंड को अपनी चूत से लगाया और नीचे बैठ गयी.. उसका खड़ा लंड गॅप से उसकी चूत मे दाखिल हो गया...

नेहा अब उछल उछल कर उसके लंड को अपनी चूत मे लेने लगी.. मोहन ने भी उसकी कमर को पकड़ा और उसे धक्के लगाने मे मदद करने लगा... नेहा अपनी चूत को उसके लंड पर रगड़ती और फिर धक्के लगाती.. उसके नज़रों के सामने तो अपने भतीजा मोटा लंबा लंड घूम रहा था.. वो सिसकारिया भर और ज़ोर ज़ोर से उछल उछल कर धक्के लगाने लगी.. ...और उसकी चूत ने झड़ना शुरू कर दिया.. मोहन ने जब अपनी पत्नी को शांत होते देखा तो उसे गिरा कर सोफे पर लिटा दिया और खुद उसकी टाँगो के बीच आ गया और अपने लंड को चूत मे घुसा हुचक हुचक कर धक्के मारने लगा... उसकी चुचियों को मसल्ते हुए वो ज़ोर ज़ोर के धक्के लगा रहा था... 'ऑश हाआँ ऑश हाआँ"

मोहन को पता था कि उसकी पत्नी को भयंकर चुदाई मे मज़ा आता था.. इतने सालों की शादी मे वो अपनी पत्नी की पसंद को जानता था.. उसे भी नेहा का नंगा जिस्म बहोत अछा लगता था.. साथ ही उसे कमसिन लड़कियों को देखने मे भी मज़ा आता था..
 

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लड़कियो का ख़याल आते ही उसकी नज़रों के सामने प्रीति का चेहरा आ गया और किस तरह उसने उसे अपनी चुचि की झलक दीखाई थी.. वो और जोश मे ज़ोर ज़ोर के धक्के लगाने लगा.. 'ऑश मोहन आहह हाआँ चोदो और ज़ोर ज़ोर से चोदो ऑश हाआँ आज तो मज़ा आ गया " नेहा उसके धक्कों से सिसक पड़ी. मोहन ने और ज़ोर ज़ोर के धक्के लगा अपना वीर्य नेहा की चूत मे छोड़ दिया......


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और उसकी बगल मे लेट गया.. 'आज तो तुमने मुझे चौका ही दिया.." मोहन ने अपनी पत्नी से कहा.. "मुझे इस तरह तुम्हे चौंकाने मे मज़ा आता है" नेहा ने हंसते हुए कहा. और हॉल के बाहर चली गयी.. मोहन ने उससे कहा कि वो थोड़ी देर टीवी देख कर आएगा.. थोड़ी देर टीवी

देखने के बाद वो वापस अपने कंप्यूटर के पास आया और प्रीति की भेजी कहानी को पूरी करने लगा.. फिर इससे पहले कि उसका इरादा बदले उसने वो कहानी प्रीति को इमैल कर दी.. और अपने बेडरूम मे

आकर लेट गया..


अब तो जैसे वसुंधरा और नेहा के पीछले दिन वापस लौट आए थे.. अब दोनो अक्सर मिलने लगे और अपनी काम अग्नि को शांत करने लगे. अब तो फोन पर बात करीब करीब रोज़ ही होने लगी...और अक्सर दोनो साथ साथ राज का लंड वेब कॅम पर देखती और उसके लंड से छूटते वीर्य का मज़ा लाती.. वहीं मोहन और प्रीति के बीच ईमेल का आदान प्रदान बढ़ गया.. मोहन कहानी लीख कर प्रीति को मैल करता तो प्रीति उस कहानी को थोड़ा आगे बढ़ा वापस मैल कर देती. और मोहन उस कहानी को और आगे बढ़ाने लगता... इन सब के साथ प्रीति अब अपने पिता को और चिढ़ाने लगी.. उसे जब भी मौका मिलता वो अपने पिता की काम उत्तेजना को बढ़ाने से बाज नही आती... पर उसके समझ मे नही आ रहा था कि वो कब और कैसे अपने बाप के लंड का मज़ा चखे....


एक दिन जब राज अपनी मम्मी की अलमारी और ड्रॉयर को तलाशी लेने लगा.. कहने को तो प्रीति ने कहा था कि उसने नकली लंड या डिल्डो के बारे मे ऐसे ही कह दिया था लेकिन राज अपने आप को रोक नही पाया

और वो जानना चाहता था.... कि प्रीति की बात कहाँ तक सही है... आख़िर राज की कोशिश रंग लाई और अलमारी के अंदर कपड़ों के नीचे छुपे डिब्बे मे उसे सब मिल गया जिसे वो तलाश रहा था...उसने देखा कि डिब्बे मे कई प्रकार के खिलोने के लंड रखे हुए थे... उसने एक डिल्डो को उठा लिया और देखने लगा साथ ही सोच रहा था कि उसकी मा की बिना बालों की चूत जो उसने वीडियो कमरे पर देखी थी.. अगर ये नकली लंड उसमे घुसेगा तो कैसा लगता होगा.... उसने उनसब खिलोनो को उठा कर अछी तरह देखा कि कही उन पर उसकी मा की चूत के रस के कुछ निशान मिल जाए...उसने उन्हे सूंघ कर

भी देखा की कहीं उनमे चूत की खुश्बू ना बसी हो.. बल्कि ऐसा कुछ नही मिला.. उन खिलोनो को वापस डिब्बे मे रखते हुए वो सोचने लगा कि जब उसकी मा इन खिलोनो को अपनी चूत मे इस्तामाल कर रही हो तो वो किस तरह उस द्रिश्य को अपने कमेरे मे क़ैद करे... तभी उसके दिल मे एक ख़याल आया कि क्यों ना इन डिल्डो मे से एक वो प्रीति पर इस्तेमाल करे और देखे कि उसका क्या कहना है.. वो वापस झुक कर डिब्बे मे से एक डिल्डो उठाने लगा कि उसकी आँखे फटी रह गयी...


उसके सामने ठीक वैसा ही एक डिल्डो पड़ा हुआ था जिसे गीली चूत ने पीचली बार उसके सामने वेब कॅम पर इस्टामाल किया. था... वो उस डिल्डो को उठाकर देखने लगा.. डिल्डो काफ़ी लंबा और मोटा था लेकिन उसके खुद के लंड से कहीं कम... वो सोचने लगा कि क्या गीली चूत उसकी ही मा हो सकती है... फिर खुद ही अपनी सोच पर हँसने लगा.. कि ऐसा कैसा हो सकता है वो गीली चूत की तो चूत और गंद भी मार चुका है.... आख़िर उस तरह का वो इकलौता डिल्डो तो नही है जो बाज़ार मे बिकता है.. ऐसे ना जाने कितने डिल्डो बेज़ार मे बिकते होंगे.. एक दूसरे गुलाबी रंग के डिल्डो को उठा वो अपने कमरे मे आ

गया..
 
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