"नेहा शायद में तुम्हारी एक ख्वाइश पूरी कर सकती हूँ" वासू ने थोड़ी देर बाद कहा., "में कुछ समझी नही.." नेहा ने अचंभे मे कहा.. पता नही कौन सी ख्वाइश की बात कर रही है..
"क्या तुम राज का लंड देखना चाहोगी?" वासू ने अपनी सहेली और देवरानी से पूछा. "कहीं तुम मज़ाक नही तो नही कर रही हो?" नेहा ने जवाब मे पूछा. "हां में तुम्हारी ये तमन्ना पूरी कर सकती हूँ" वासू ने जवाब दिया.
नेहा अपनी जेठानी की बात सुनकर चौंक पड़ी और सोचने लगी कि वो किस तरह उसे अपने ही बेटे का लंड दीखा सकती है... "दीदी तुम ये कैसे कर सकती हो?" नेहा ने चौंक कर पूछा. "में तुम्हे एक राज की बात बताती हूँ... पर तुम्हे एक वादा करना होगा कि तुम किसी को बताॉगी नही.." वसुंधरा ने अपनी देवरानी नेहा से कहा. "ठीक है दीदी में वादा करती हूँ" नेहा ने जवाब दिया. तब वासू ने नेहा को बताया कि किस तरह उसने राज का ईमेल आईडी हासिल कर लिया था और किस तरह उसने एक अलग नाम से आईडी बना अपने ही बेटे के लंड को वेब कॅम पर देखा है... बस अपनी देवरानी से होटेल मे चुदाई वाली बात छुपा गयी.. "अरे वाह दीदी तुम तो छुपी रुस्तम निकली.. " नेहा ने खिलखिलते हुए कहा...
"यार मेरी भी कुछ तमाननाएँ है.. कुछ इच्छाए है" वासू ने जवाब दिया... "अछा अब ये बताओ क्या तुम इस खेल के लिए तय्यार हो?" "वो तो ठीक है दीदी.. लेकिन क्या राज इस बात के लिए तय्यार होगा..?" नेहा ने पूछा... "और क्या तुम्हे बुरा नही लगेगा अगर में तुम्हारे ही बेटे को कंप्यूटर पर मूठ मारता देखूँगी या फिर में कुछ उसके के लिए करूँ तो...?" "मुझे बुरा नही बल्कि खुशी होगी.. और तुम राज की तो चिंता मत करो.. तुम मर्दों की फ़ितरत को नही जानती. जहाँ उन्हे नई चूत की भनक लगी कि वो सूंघते हुए दौड़े चले आ जाते है.. में कोई ना कोई रास्ता निकाल कर तुम्हे खबर कर दूँगी" वासू ने अपनी देवरानी को आश्वासन दिलाया.. "ठीक है फिर जब तुम्हे कोई ऐतराज़ नही तो मैं तय्यार हूँ" नेहा ने कहा.
तब वासू ने अपनी देवरानी को गले लगा अलविदा कहा और अपने घर की ओर चल पड़ी.. रास्ते में वो ये सोच कर खुश थी कि उसके उसकी देवरानी और सहेली के साथ एक बार फिर संबंध शुरू हो गये थे... और अब उसने उसे इस बात का वादा भी कर दिया था कि वो किसी ना किसी तरह उसे राज का लंड दीखा देगी..
क्रमशः.......
"क्या तुम राज का लंड देखना चाहोगी?" वासू ने अपनी सहेली और देवरानी से पूछा. "कहीं तुम मज़ाक नही तो नही कर रही हो?" नेहा ने जवाब मे पूछा. "हां में तुम्हारी ये तमन्ना पूरी कर सकती हूँ" वासू ने जवाब दिया.
नेहा अपनी जेठानी की बात सुनकर चौंक पड़ी और सोचने लगी कि वो किस तरह उसे अपने ही बेटे का लंड दीखा सकती है... "दीदी तुम ये कैसे कर सकती हो?" नेहा ने चौंक कर पूछा. "में तुम्हे एक राज की बात बताती हूँ... पर तुम्हे एक वादा करना होगा कि तुम किसी को बताॉगी नही.." वसुंधरा ने अपनी देवरानी नेहा से कहा. "ठीक है दीदी में वादा करती हूँ" नेहा ने जवाब दिया. तब वासू ने नेहा को बताया कि किस तरह उसने राज का ईमेल आईडी हासिल कर लिया था और किस तरह उसने एक अलग नाम से आईडी बना अपने ही बेटे के लंड को वेब कॅम पर देखा है... बस अपनी देवरानी से होटेल मे चुदाई वाली बात छुपा गयी.. "अरे वाह दीदी तुम तो छुपी रुस्तम निकली.. " नेहा ने खिलखिलते हुए कहा...
"यार मेरी भी कुछ तमाननाएँ है.. कुछ इच्छाए है" वासू ने जवाब दिया... "अछा अब ये बताओ क्या तुम इस खेल के लिए तय्यार हो?" "वो तो ठीक है दीदी.. लेकिन क्या राज इस बात के लिए तय्यार होगा..?" नेहा ने पूछा... "और क्या तुम्हे बुरा नही लगेगा अगर में तुम्हारे ही बेटे को कंप्यूटर पर मूठ मारता देखूँगी या फिर में कुछ उसके के लिए करूँ तो...?" "मुझे बुरा नही बल्कि खुशी होगी.. और तुम राज की तो चिंता मत करो.. तुम मर्दों की फ़ितरत को नही जानती. जहाँ उन्हे नई चूत की भनक लगी कि वो सूंघते हुए दौड़े चले आ जाते है.. में कोई ना कोई रास्ता निकाल कर तुम्हे खबर कर दूँगी" वासू ने अपनी देवरानी को आश्वासन दिलाया.. "ठीक है फिर जब तुम्हे कोई ऐतराज़ नही तो मैं तय्यार हूँ" नेहा ने कहा.
तब वासू ने अपनी देवरानी को गले लगा अलविदा कहा और अपने घर की ओर चल पड़ी.. रास्ते में वो ये सोच कर खुश थी कि उसके उसकी देवरानी और सहेली के साथ एक बार फिर संबंध शुरू हो गये थे... और अब उसने उसे इस बात का वादा भी कर दिया था कि वो किसी ना किसी तरह उसे राज का लंड दीखा देगी..
क्रमशः.......