प्रीति एक बार फिर झुक कर अपने चाचा के आन्डो को चूसने लगी.... मोहन ने अपनी भतीजी की चुचियों को पकड़ा और मरोड़ मरोड़ कर मसल्नेलगा. .. और फिर आगे बढ़ कर उसने उसके खड़े निपल को पाने मुँह मे लिया और चूसने लगा... प्रीति पर उत्तेजना हावी थी वो अपने चाचा के होठों को चूस्ते हुए ज़ोर ज़ोर्से अपनी चूत को रगड़ने लगी.. वो चाहती थी कि अभी इसी वक्त अपने चाचा पर चढ़ उसके लंड को अपनी चूत मे ले ले लेकिन उसे अपने चाचा को तड़पाने मे मज़ा आ रहा था.. वो और ज़ोर से होठों को चूस्ते हुए अपनी चूत रगड़ने लगी और तभी उसकी चूत मे जैसे कोई भूचाल आ गया हो और अंदर से लावा फुट पड़ा.. उसकी चूत झाड़ कर उसके चाचा की जांघों को भिगोने लगी.... प्रीति झुक कर अपनी पॅंटी उठाने लगी जिससे पीछे से उसके चाचा को उसकी नंगी चूत दीख जाए... और इससे पहले की मोहन उसे पकड़ता वो हवा मे एक चुंबन उछालते हुए दरवाज़े से बाहर हो गयी.. जाते जाते वो अपनी टी-शर्ट ज़मीन पर से उठाना नही भूली....
मोहन हैरत अंगेज़ सा कुर्सी पर बैठा था.. जो कुछ भी हुआ उस पर उसे विश्वास नही हो रहा था.. उसे अफ़सोस हो रहा था कि प्रीति की चूत उसके इतने नज़दीक होते हुए भी वो उसमे अपना लंड नही घुसा पाया.. वो बेसाहाय सा उठा और अपने कमरे मे आकर बिस्तर पर लुढ़क गया.. प्रीति के मुँह की गर्मी अब भी वो अपने लंड पर महसूस कर रहा था... क्या पता आगे क्या क्या होने वाला था..
कुछ दीनो बाद की बात है एक दिन शमा ने बाथरूम का दरवाज़ा खटखटाया तो स्वीटी ने दरवाज़ा खोल उसे अंदर आने को कहा... "सॉरी स्वीटी. वो क्या है ना में अपने मेकप का कुछ समान अंदर भूल गयी थी.." शमा ने अंदर आते हुए कहा जहाँ उसकी बेहन शवर के नीचे स्नान कर रही थी... शमा अपने आप को रोक नही पाई और उसकी निगाह अपनी बेहन के नंगे बदन पर टीक गयी...
"ऐसे क्या देख रही हो.. क्या पहली बार मुझे नंगी देख रही हो?" स्वीटी ने हंसते हुए कहा.. उसका दिल तो कर रहा था कि हाथ पकड़ वो शमा को भी शवर के नीचे खींच लेती.. लेकिन ऐसा हो नही
सकता था इसलिए उसने पानी बंद किया और इससे पहले की शमा बाथरूम से बाहर जाती उससे बोली, "ज़रा मुझे टवल पकड़ाना" शमा ने खूँटि पर टंगा टवल उठाया और अपनी बेहन को पकड़ाने के
लिए घूमी तो उसकी निगाह स्वीटी के नंगे बदन पर ठहरी पानी बूँदों पर पड़ी.. जो नीचे बह रही थी..शमा की निगाहों ने बूँदों का पीछा किया... पानी की बूँद जब उसकी चुचियों से नीचे
खिसकाते हुए सपाट पेट से होते हुए उसकी चूत पर पहुँची तो शमा चौंक पड़ी..
"स्वीटी तुमने तो अपनी चूत के सारे बाल सॉफ किए हुए है?" "हां" स्वीटी ने मुकुराते हुए कहा, "वो क्या है ना कि मुझे प्रीति की बिना बालों की चूत इतनी प्यारी लगी कि मेने सोचा कि क्यों ना में भी अपनी चूत की झांते हमेशा सॉफ रखूं" स्वीटी ने कहा और देखा की शमा प्रीति का नाम सुनकर चौंक पड़ी थी.. "और प्रीति ने ये भी कहा था कि राज को बिना बालों की चूत बहोत पसंद
है" शमा ने फिर से कहा. "क्या तुम सच कह रही हो?" "हां" स्वीटी ने कहा, "और उसे बिना बालों की चूत के साथ साथ पॅंटी भी बहोत पसंद है.. और सच कहूँ इस बिना बालों की चूत
मे जब उसका लंड घुसता है तो बहोत मज़ा आता है" "स्वीटी एक बात सच सच बताना.. क्या तुम्हे प्रीति और राज के साथ चुदाई करने मे मज़ा आता है" शमा ने अपनी छोटी बेहन से पूछा...जो अपने गीले बदन से टवल से पौंछ रही थी.. "हां दोनो की अपनी अपनी कला है और दोनो के साथ मुझे एक अलग ही मज़ा आता है" स्वीटी ने जवाब दिया. "अगर कभी तुम्हे दोनो मे से एक को चुनना पड़े तो तुम किसे चुनोगी?" शमा ने आगे पूछा.
"मुझे पता नही शमा.. हां अगर कभी ऐसा हुआ तो उसका जवाब में तभी दे सकूँगी.. लेकिन तुम ये क्यों पूछ रही हो? "बस में ये जानने की कोशिश कर रही थी कि तुम दोनो ये काम अपनी अपनी मर्ज़ी से करती हो या फिर कोई ज़बरदस्ती करता है" शमा ने जवाब दिया. "क्या तुम्हे ऐसा लगता है कि प्रीति मेरे साथ ज़बरदस्ती करती है?" "पता नही पर हमेशा मेने देखा कि वो हमेशा मुझे नंगी देखना चाहती है या फिर मुझे छूना चाहती है जिससे में कभी कभी नर्वस हो जाती हूँ" शमा ने जवाब दिया. "किस बात से नर्वस हो जाती हो.. उसके छूने से या फिर ये सोच कर कि एक लड़की के साथ सेक्स करना उचित नही है" स्वीटी ने पूछा.
'शायद दोनो से.. पर ज़्यादा मुझे छूने से.. वो मुझे सोचने या संभलने का मौका ही नही देती हमेशा मुझपे चढ़ि आती है" शमा ने कहा. "हो सकता है कि तुम्हारा सोचना सही हो... पर इसका मतलब ये हुआ कि अगर कोई लड़की तुम्हारे हिसाब से और तुम्हारी मर्ज़ी से तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहे तो तुम्हे कोई ऐतराज़ नही है" स्वीटी ने शमा से कहा. "हां मुझे लगता है कि ऐसे हालत मे कोई बुराई नही है" शमा ने अपनी छोटी बेहन से कहा. वो समझ रही थी कि उसकी बेहन क्या कहना
चाह रही है. "क्या तुम मेरे साथ सेक्स करना पसंद करोगी?" स्वीटी ने शमा से पूछा.. उसकी चूत मे खुजली बढ़ने लगी थी.. "अगर में तुम्हारे हिसाब से पेश आउ तो" "ठीक है" शमा ने कहा उसकी निगाह एक बार फिर अपनी छोटी बेहन के नंगे जिस्म पर घूमने लगी..
"ठीक है हमे जब भी मौका मिला तो हम ज़रूर इस खेल का मज़ा लेंगे" कहते हुए स्वीटी बाथरूम से बाहर चली गयी..
मोहन हैरत अंगेज़ सा कुर्सी पर बैठा था.. जो कुछ भी हुआ उस पर उसे विश्वास नही हो रहा था.. उसे अफ़सोस हो रहा था कि प्रीति की चूत उसके इतने नज़दीक होते हुए भी वो उसमे अपना लंड नही घुसा पाया.. वो बेसाहाय सा उठा और अपने कमरे मे आकर बिस्तर पर लुढ़क गया.. प्रीति के मुँह की गर्मी अब भी वो अपने लंड पर महसूस कर रहा था... क्या पता आगे क्या क्या होने वाला था..
कुछ दीनो बाद की बात है एक दिन शमा ने बाथरूम का दरवाज़ा खटखटाया तो स्वीटी ने दरवाज़ा खोल उसे अंदर आने को कहा... "सॉरी स्वीटी. वो क्या है ना में अपने मेकप का कुछ समान अंदर भूल गयी थी.." शमा ने अंदर आते हुए कहा जहाँ उसकी बेहन शवर के नीचे स्नान कर रही थी... शमा अपने आप को रोक नही पाई और उसकी निगाह अपनी बेहन के नंगे बदन पर टीक गयी...
"ऐसे क्या देख रही हो.. क्या पहली बार मुझे नंगी देख रही हो?" स्वीटी ने हंसते हुए कहा.. उसका दिल तो कर रहा था कि हाथ पकड़ वो शमा को भी शवर के नीचे खींच लेती.. लेकिन ऐसा हो नही
सकता था इसलिए उसने पानी बंद किया और इससे पहले की शमा बाथरूम से बाहर जाती उससे बोली, "ज़रा मुझे टवल पकड़ाना" शमा ने खूँटि पर टंगा टवल उठाया और अपनी बेहन को पकड़ाने के
लिए घूमी तो उसकी निगाह स्वीटी के नंगे बदन पर ठहरी पानी बूँदों पर पड़ी.. जो नीचे बह रही थी..शमा की निगाहों ने बूँदों का पीछा किया... पानी की बूँद जब उसकी चुचियों से नीचे
खिसकाते हुए सपाट पेट से होते हुए उसकी चूत पर पहुँची तो शमा चौंक पड़ी..
"स्वीटी तुमने तो अपनी चूत के सारे बाल सॉफ किए हुए है?" "हां" स्वीटी ने मुकुराते हुए कहा, "वो क्या है ना कि मुझे प्रीति की बिना बालों की चूत इतनी प्यारी लगी कि मेने सोचा कि क्यों ना में भी अपनी चूत की झांते हमेशा सॉफ रखूं" स्वीटी ने कहा और देखा की शमा प्रीति का नाम सुनकर चौंक पड़ी थी.. "और प्रीति ने ये भी कहा था कि राज को बिना बालों की चूत बहोत पसंद
है" शमा ने फिर से कहा. "क्या तुम सच कह रही हो?" "हां" स्वीटी ने कहा, "और उसे बिना बालों की चूत के साथ साथ पॅंटी भी बहोत पसंद है.. और सच कहूँ इस बिना बालों की चूत
मे जब उसका लंड घुसता है तो बहोत मज़ा आता है" "स्वीटी एक बात सच सच बताना.. क्या तुम्हे प्रीति और राज के साथ चुदाई करने मे मज़ा आता है" शमा ने अपनी छोटी बेहन से पूछा...जो अपने गीले बदन से टवल से पौंछ रही थी.. "हां दोनो की अपनी अपनी कला है और दोनो के साथ मुझे एक अलग ही मज़ा आता है" स्वीटी ने जवाब दिया. "अगर कभी तुम्हे दोनो मे से एक को चुनना पड़े तो तुम किसे चुनोगी?" शमा ने आगे पूछा.
"मुझे पता नही शमा.. हां अगर कभी ऐसा हुआ तो उसका जवाब में तभी दे सकूँगी.. लेकिन तुम ये क्यों पूछ रही हो? "बस में ये जानने की कोशिश कर रही थी कि तुम दोनो ये काम अपनी अपनी मर्ज़ी से करती हो या फिर कोई ज़बरदस्ती करता है" शमा ने जवाब दिया. "क्या तुम्हे ऐसा लगता है कि प्रीति मेरे साथ ज़बरदस्ती करती है?" "पता नही पर हमेशा मेने देखा कि वो हमेशा मुझे नंगी देखना चाहती है या फिर मुझे छूना चाहती है जिससे में कभी कभी नर्वस हो जाती हूँ" शमा ने जवाब दिया. "किस बात से नर्वस हो जाती हो.. उसके छूने से या फिर ये सोच कर कि एक लड़की के साथ सेक्स करना उचित नही है" स्वीटी ने पूछा.
'शायद दोनो से.. पर ज़्यादा मुझे छूने से.. वो मुझे सोचने या संभलने का मौका ही नही देती हमेशा मुझपे चढ़ि आती है" शमा ने कहा. "हो सकता है कि तुम्हारा सोचना सही हो... पर इसका मतलब ये हुआ कि अगर कोई लड़की तुम्हारे हिसाब से और तुम्हारी मर्ज़ी से तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहे तो तुम्हे कोई ऐतराज़ नही है" स्वीटी ने शमा से कहा. "हां मुझे लगता है कि ऐसे हालत मे कोई बुराई नही है" शमा ने अपनी छोटी बेहन से कहा. वो समझ रही थी कि उसकी बेहन क्या कहना
चाह रही है. "क्या तुम मेरे साथ सेक्स करना पसंद करोगी?" स्वीटी ने शमा से पूछा.. उसकी चूत मे खुजली बढ़ने लगी थी.. "अगर में तुम्हारे हिसाब से पेश आउ तो" "ठीक है" शमा ने कहा उसकी निगाह एक बार फिर अपनी छोटी बेहन के नंगे जिस्म पर घूमने लगी..
"ठीक है हमे जब भी मौका मिला तो हम ज़रूर इस खेल का मज़ा लेंगे" कहते हुए स्वीटी बाथरूम से बाहर चली गयी..