जब उसके लंड से एक एक बूँद वीर्य की चूत गयी तो वो अपनी बीवी के
पसीने से भरे बदन पर ले गया और उसकी होठों को चूमने
लगा... नेहा प्यार से अपने पति के बालों मे उंगली फिराने लगी...
नेहा ने उसको धीरे से धकेल अपने बगल मे किया और अपनी उंगली को
उसकी छाती के बालों मे फिराते हुए बोली.. "मोहन औरत के जिस्म मे
तीन छेद होते है और तुम मेरे जिस्म के दो छेद मे अपने लंड का
झंडा गाढ चुके हो अब सिर्फ़ एक बाकी है और अगर उसमे भी हो जाए
तो कैसा रहेगा... ?" नेहा ने पूछा..
"क्या कहा तुमने?" मोहन चौंकते हुए अपनी बीवी को देखने लगा..
"और नही तो क्या.. तुम मेरे मुँह और चूत को अपने वीर्य से भर
चुके हो तो तुम्हे नही लगता कि मेरी गंद को प्यासा क्यों रखा जाए?"
"मेरी समझ मे नही आ रहा कि आख़िर आज तुम्हे हुआ क्या है.. लेकिन
अगर तुम मेरे लंड को फिर से खड़ा कर सको तो में खुशी खुशी
तुम्हारी गंद को भी भर दूँगा" मोहन ने कहा.
"अरे तुम अभी मेरी कला को नही जानते.. में तो नमर्दों के लंड को
भी खड़ा कर दूं फिर तुम तो आछे ख़ासे मर्द हो" नेहा ने मोहन के
मुरझाए लंड को अपने हाथों मे ले सहलाते हुए बोली...
"पता नही में कर पाउन्गा की नही.. फिर भी देखते है तुम क्या
करती हो? मोहन ने कहा.
नेहा ने मोहन के लंड को एक बार फिर अपने मुँह मे लिया और ज़ोर ज़ोर से
चूसने लगी.. साथ ही वो उसके अंडकोषों को अपनी मुट्ठी मे दबा
सहलाने लगी.. नेहा के मुँह की गर्मी ने जैसे किसी मुर्दे के शरीर
मे जान डाल दी हो उसी तरह मोहन का मुरझाया लंड झंझणा कर
खड़ा होने लगा....
अपने पति के लंड को अपने मुँह मे फड़फदते देख नेहा और जोश मे आ
गयी और ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को अपने गले तक लेकर चूसने लगी...
थोड़ी ही देर मे उसका लंड और ज़्यादा तन कर खड़ा हो गया.. नेहा पर
तो जैसे मस्ती छा गयी उसके दीमाग मे तो राज का लंड बसा हुआ
था.. वो राज के लंड को अपनी गंद और चूत मे लेना चाहती थी और
इसीलिए वो आज अपने पति से गंद मरवा कर राज के लंड के लिए
तय्यार कर रही थी.....
"कहो अब क्या कहते हो?" नेहा ने अपनी पति की लंड को मुँह से बाहर
निकाल कर कहा...मोहन अपने तने हुए लंड को देख रहा था...
नेहा पलंग पर हथेली और घुटनो के बल एक कुतिया बन गयी और
साइड टेबल पर पड़ी क्रीम की शीशी उठा कर अपने पति को पकड़ा
दी...
"मोहन इस क्रीम से पहले अपने लंड को अछी तरह चिकना कर लो और
फिर थोड़ी क्रीम मेरी गंद मे भी लगा देना.. जिससे लंड आसानी से
गंद मे घुस जाए.." कहकर नेहा ने अपना सिर अपने हाथों पर टीका
दिया.. उसकी गंद और हवा मे उठ गयी...
मोहन तो जैसे तय्यार बैठा था.. आज कई सालों बाद उसे नेहा की
गंद मे लंड घुसाने का मौका मिल रहा था वो अपनी पत्नी के पीछे
आया और थोड़ी क्रीम अपने हाथों पर ले अपने लंड पर अच्छी तरह
लगाने लगा.... फिर थोड़ी क्रीम उसने अपनी उंगलियों पर ली और अपनी
उंगली उसकी गंद के छेद मे घुसा गोल गोल घुमा क्रीम अंदर लगा
दी... फिर किसी कुत्ते की तरह वो चढ़ गया और अपने लंड को ठीक
उसकी गंद के छेद पर रखा धीरे धीरे अंदर घुसाने लगा.... जब
करीब आधा लंड अंदर घुस गया तो अंदर बाहर करते वो अपने लंड
को और अंदर जड़ तक घुसाने लगा... नेहा सिसक पड़ी...
"हाआँ मोहन घुसा दो अपना लंड मेरी गंद के अंदर तक आज फट जाने
दो मेरी गंद को ऊहह हाआँ और अंदर तक घुसा ज़ोर ज़ोर के धक्के
मारो..मुझे तुम्हारा लंड मेरी गंद मे चाहिए...." नेहा ज़ोर जरो से
सिसक अपनी गंद को आगे पीछे करने लगी..
नेहा की सिसकियों ने तो मोहन मे और जोश भर दिया.. वो और ज़ोर ज़ोर
से धक्के लगाने लगा अओर आख़िर उसका पूरा लंड नेहा की गंद मे
घुस गया.. वो थोड़ी देर वैसे ही रुक अपने लंड को उसकी गंद मे
हिलाने लगा फिर वापस तेज और जोर्के के धक्के मारने लगा... आज उसे
भी नेहा की कसी गंद मे मारने बड़ा मज़ा आ रहा था...
"ऑश मोहन मज़ा आ गया आहह ऑश हां ऐसे लग रहा है कि जैसे
तुम्हारा लंड मेरी गंद के रास्ते घुस मेरी चूत से बाहर आ जाएगा..
ऑश बड़ा अछा लग रहा.. हां आशीए ही मारो मेरी गंद.."
जोरों से सिसकते हुए नेहा अब अपने हाथों से अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से
मसल्ने लगी.. फिर अपनी चूत मे उंगली डाल अंदर बाहर करने लगी..
उसकी चूत मे जोरो से खुजली मची हुई थी...
मोहन तो उसके दोनो कुल्हों को पकड़ लिया और अपनी टाँगे अगल बगल
कर ठीक किसी कुत्ते की तरह उछल उछल कर उसकी गंद मारने
लगा... साथ ही उसने नेहा की उंगलियों के साथ अपनी उंगली भी उसकी
गंद मे घुसा दी.. और अंदर बाहर करने लगा.. और तभी नेहा की
चूत ने पानी छोड़ दिया...
मोहन की उंगलियों ने नेहा को झाड़ते महसूस किया तो हुचक हुचक कर
धक्के लगाने लगा और थोड़ी ही देर मे उसका लंड अपनी पत्नी की गंद
को अपने मदन रस से भरने लगा..... दोनो मिया बीवी थक कर पस्त
हो गये थे और एक दूसरे को अपनी बाहों मे भींच सो गये...
* * * * * * * *
कई दीनो बाद की बात है.. आज प्रीति और स्वीटी अपनी सहेलियों के
साथ घर के बाहर थे.. और आज प्रीति ने रात स्वीटी के घर यानी
अपने चाचा चाची के पास गुज़ारने की सोची थी...
पसीने से भरे बदन पर ले गया और उसकी होठों को चूमने
लगा... नेहा प्यार से अपने पति के बालों मे उंगली फिराने लगी...
नेहा ने उसको धीरे से धकेल अपने बगल मे किया और अपनी उंगली को
उसकी छाती के बालों मे फिराते हुए बोली.. "मोहन औरत के जिस्म मे
तीन छेद होते है और तुम मेरे जिस्म के दो छेद मे अपने लंड का
झंडा गाढ चुके हो अब सिर्फ़ एक बाकी है और अगर उसमे भी हो जाए
तो कैसा रहेगा... ?" नेहा ने पूछा..
"क्या कहा तुमने?" मोहन चौंकते हुए अपनी बीवी को देखने लगा..
"और नही तो क्या.. तुम मेरे मुँह और चूत को अपने वीर्य से भर
चुके हो तो तुम्हे नही लगता कि मेरी गंद को प्यासा क्यों रखा जाए?"
"मेरी समझ मे नही आ रहा कि आख़िर आज तुम्हे हुआ क्या है.. लेकिन
अगर तुम मेरे लंड को फिर से खड़ा कर सको तो में खुशी खुशी
तुम्हारी गंद को भी भर दूँगा" मोहन ने कहा.
"अरे तुम अभी मेरी कला को नही जानते.. में तो नमर्दों के लंड को
भी खड़ा कर दूं फिर तुम तो आछे ख़ासे मर्द हो" नेहा ने मोहन के
मुरझाए लंड को अपने हाथों मे ले सहलाते हुए बोली...
"पता नही में कर पाउन्गा की नही.. फिर भी देखते है तुम क्या
करती हो? मोहन ने कहा.
नेहा ने मोहन के लंड को एक बार फिर अपने मुँह मे लिया और ज़ोर ज़ोर से
चूसने लगी.. साथ ही वो उसके अंडकोषों को अपनी मुट्ठी मे दबा
सहलाने लगी.. नेहा के मुँह की गर्मी ने जैसे किसी मुर्दे के शरीर
मे जान डाल दी हो उसी तरह मोहन का मुरझाया लंड झंझणा कर
खड़ा होने लगा....
अपने पति के लंड को अपने मुँह मे फड़फदते देख नेहा और जोश मे आ
गयी और ज़ोर ज़ोर से उसके लंड को अपने गले तक लेकर चूसने लगी...
थोड़ी ही देर मे उसका लंड और ज़्यादा तन कर खड़ा हो गया.. नेहा पर
तो जैसे मस्ती छा गयी उसके दीमाग मे तो राज का लंड बसा हुआ
था.. वो राज के लंड को अपनी गंद और चूत मे लेना चाहती थी और
इसीलिए वो आज अपने पति से गंद मरवा कर राज के लंड के लिए
तय्यार कर रही थी.....
"कहो अब क्या कहते हो?" नेहा ने अपनी पति की लंड को मुँह से बाहर
निकाल कर कहा...मोहन अपने तने हुए लंड को देख रहा था...
नेहा पलंग पर हथेली और घुटनो के बल एक कुतिया बन गयी और
साइड टेबल पर पड़ी क्रीम की शीशी उठा कर अपने पति को पकड़ा
दी...
"मोहन इस क्रीम से पहले अपने लंड को अछी तरह चिकना कर लो और
फिर थोड़ी क्रीम मेरी गंद मे भी लगा देना.. जिससे लंड आसानी से
गंद मे घुस जाए.." कहकर नेहा ने अपना सिर अपने हाथों पर टीका
दिया.. उसकी गंद और हवा मे उठ गयी...
मोहन तो जैसे तय्यार बैठा था.. आज कई सालों बाद उसे नेहा की
गंद मे लंड घुसाने का मौका मिल रहा था वो अपनी पत्नी के पीछे
आया और थोड़ी क्रीम अपने हाथों पर ले अपने लंड पर अच्छी तरह
लगाने लगा.... फिर थोड़ी क्रीम उसने अपनी उंगलियों पर ली और अपनी
उंगली उसकी गंद के छेद मे घुसा गोल गोल घुमा क्रीम अंदर लगा
दी... फिर किसी कुत्ते की तरह वो चढ़ गया और अपने लंड को ठीक
उसकी गंद के छेद पर रखा धीरे धीरे अंदर घुसाने लगा.... जब
करीब आधा लंड अंदर घुस गया तो अंदर बाहर करते वो अपने लंड
को और अंदर जड़ तक घुसाने लगा... नेहा सिसक पड़ी...
"हाआँ मोहन घुसा दो अपना लंड मेरी गंद के अंदर तक आज फट जाने
दो मेरी गंद को ऊहह हाआँ और अंदर तक घुसा ज़ोर ज़ोर के धक्के
मारो..मुझे तुम्हारा लंड मेरी गंद मे चाहिए...." नेहा ज़ोर जरो से
सिसक अपनी गंद को आगे पीछे करने लगी..
नेहा की सिसकियों ने तो मोहन मे और जोश भर दिया.. वो और ज़ोर ज़ोर
से धक्के लगाने लगा अओर आख़िर उसका पूरा लंड नेहा की गंद मे
घुस गया.. वो थोड़ी देर वैसे ही रुक अपने लंड को उसकी गंद मे
हिलाने लगा फिर वापस तेज और जोर्के के धक्के मारने लगा... आज उसे
भी नेहा की कसी गंद मे मारने बड़ा मज़ा आ रहा था...
"ऑश मोहन मज़ा आ गया आहह ऑश हां ऐसे लग रहा है कि जैसे
तुम्हारा लंड मेरी गंद के रास्ते घुस मेरी चूत से बाहर आ जाएगा..
ऑश बड़ा अछा लग रहा.. हां आशीए ही मारो मेरी गंद.."
जोरों से सिसकते हुए नेहा अब अपने हाथों से अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से
मसल्ने लगी.. फिर अपनी चूत मे उंगली डाल अंदर बाहर करने लगी..
उसकी चूत मे जोरो से खुजली मची हुई थी...
मोहन तो उसके दोनो कुल्हों को पकड़ लिया और अपनी टाँगे अगल बगल
कर ठीक किसी कुत्ते की तरह उछल उछल कर उसकी गंद मारने
लगा... साथ ही उसने नेहा की उंगलियों के साथ अपनी उंगली भी उसकी
गंद मे घुसा दी.. और अंदर बाहर करने लगा.. और तभी नेहा की
चूत ने पानी छोड़ दिया...
मोहन की उंगलियों ने नेहा को झाड़ते महसूस किया तो हुचक हुचक कर
धक्के लगाने लगा और थोड़ी ही देर मे उसका लंड अपनी पत्नी की गंद
को अपने मदन रस से भरने लगा..... दोनो मिया बीवी थक कर पस्त
हो गये थे और एक दूसरे को अपनी बाहों मे भींच सो गये...
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कई दीनो बाद की बात है.. आज प्रीति और स्वीटी अपनी सहेलियों के
साथ घर के बाहर थे.. और आज प्रीति ने रात स्वीटी के घर यानी
अपने चाचा चाची के पास गुज़ारने की सोची थी...