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Adultery lusty family

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"क्या तुम मुझे दीखा सकते हो?"

"हां दीखा सकता हूँ अगर तुम मेरे लंड को थोड़ा सा चूस दो तो" उसने जवाब दिया.. स्वीटी को तभी ख़याल आया कि वो किससे बात कर रही है.. वो दुविधा मे फँसी वैसे ही खड़ी रही.

"अब इतना भी क्या सोच रही है.. स्वीटी? तुमने ही मुझे बताया कि तुम चुदाई का मज़ा ले चुकी हो.. तो चूसने मे क्या हर्ज़ है " प्रीति अपनी चहेरी बेहन के नज़दीक खिसकती हुई बोली. उसने अपना हाथ स्वीटी के हाथ पर रखा जो शानू के लंड को पकड़े हुए था... और फिर धीरे धीरे मसल्नेलगि. .. जब उसने देखा की स्वीटी खुद उसके लंड को मसल रही है तो उसने शानू के लंड को अब नीचे से अपनी मुट्ठी मे भर लिया और अब दोनो मिल कर शानू के लंड को मुठियाने लगे.

"मुझे विश्वास नही हो रहा कि तुम अपने सगे भाई का लंड मुठिया रही हो? स्वीटी ने कहा.

"क्या करूँ में भी.. ऐसा शानदार लंड रोज़ कहाँ मिलता है.. " प्रीति ने जवाब दिया और नीचे घूटनों के बल बैठ गयी... स्वीटी आँखे फाडे प्रीति को देख रही थी.. प्रीति ने अपने भाई के लंड को अपने मुँह मे ले लिया..

प्रीति के नंगे बदन की गर्मी स्वीटी को अपने पैरों के पास महसूस हो रही थी.. वो देख रही थी कि किस तरह वो अपने ही भाई का लंड चूस रही है.. और उसकी चूत गीली होने लगी.. उसका दिल लंड चूसने को मचल उठा.. वो अपनी बेहन के पास बैठ गयी.. प्रीति ने शानू के लंड को बाहर निकाल दिया जिससे अब स्वीटी उस लंड को चूस सके.

प्रीति देख रही थी कि किस तरह उसके भाई का लंड स्वीटी के मुँह के अंदर बाहर हो रहा था.. उसकी निगाहें स्वीटी के बदन पर फिसलती हुई उसकी चुचियों पर पहुँची.. जहाँ उसकी छोटी चुचियाँ कड़ी दीख रही थी.. साथ ही निपल तने हुए थे.. . उत्तेजना मे उसके भी निपल तन कर खड़े हो चुके थे.. वो देखना चाहती थी कि उसके निपल ज़्यादा कड़े थे या फिर स्वीटी के. प्रीति ने हाथ बढ़कर उसकी चुचि को अपनी मुट्ठी मे भर लिया और मसल्ने लगी.. अपनी खुद की चुचियों को तो उसने कई बार मसला था लेकिन आज दूसरी लड़की की चुचि पकड़ मसल्ने मे उसे मज़ा आ रहा था...
 

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शानू अपनी दोनो बहनो की नज़रों का आनंद ले रहा था..वो देख रहा था कि एक बेहन किस तरह उसके लंड को चूस रही थी. तो दूसरी अपनी बेहन की चुचि को मसल रही थी.. उसकी उत्तेजना और बढ़ने लगी...

स्वीटी ने जब देखा कि शानू के लंड से पानी रिस रहा है तो उसने अपने आपमे पूरी हिम्मत जुटाई और उसके लंड को अपने गले तक ले लिया.. शानू के लंड ने पिचकारी छोड़ी और वो उस वीर्य को पीने लगी.... उससे सारा रस नही पीया गया.. कुछ उसकी होठों के किनारे से बहने लगा तो उसने लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल दिया..

प्रीति ने तुरंत शानू के लंड को अपने मुँह मे लिया और बचा हुआ सारा रस पीने लगी.. "थॅंक्स स्वीटी तुम सही मे बहोत अछा लंड चूस्ति हो" शानू ने पलंग पर पसरते हुए कहा.

"वो तो ठीक है शानू लेकिन मुझे अभी भी विश्वास नही हो रहा कि कोई लंड इतना लंबा और मोटा हो सकता है क्या? स्वीटी ने अपने कपड़े उठाते हुए कहा, "अब हमे पार्टी मे चलना चाहिए इसके पहले कि किसी को कुछ पता चले. तीनो ने अपने कपड़े पहने और वापस पार्टी मे आ गये.

पार्टी ख़तम होने के बाद जब सब विदा लेने लगे तो स्वीटी ने अपने चचेरे भाई को खींच एक कोने मे किया और उसके होठों को चूसने लगी.. उसने अपनी जीब उसके मुँह मे डाल दी... और शानू का लंड आने वाले दिनो याद मे खड़ा होने लगा.

"शानू मुझे इसकी कोई परवाह नही कि तुम मेरे चचेरे भाई हो... एक ना एक दिन में तुमसे चुदवा के रहूंगी.. मुझे ये तुम्हारा घोड़े जैसा लंड बहोत पसंद आ गया है.. में चाहती हूँ कि तुम इसे मेरी चूत मे घुसा मेरी चूत के चिथड़े चिथड़े कर दो.. क्या तुम मेरी तमन्ना पूरी करोगे? " स्वीटी ने उसके होठों को चूस्टे हुए कहा.

शानू तो खुद कामग्नी मे जल रहा था.. वो तो खुद किसी को चोदने के लिए तड़प रहा था.. "हां हां क्यों नही" उसने जवाब दिया.

"ओह्ह शानू तुमने तो मेरा दिल ही जीत लिया" कहकर स्वीटी ने उसे चूमा और छोड़ दिया..

वसुंधरा और प्रीति दोनो शानू के साथ कार मे थी और दोनो एक दूसरे से नज़रे चुरा कर राज के खड़े लंड को देख रही थी जो पॅंट मे तंबू बनाए हुए था.

आने वाले दीनो मे शानू यही सोचता रहा कि उसे कब मौका मिलेगा चूत को चोदने का.. वो चूत चाहे उसकी चचेरी बेहन की ही क्यों ना हो... और आख़िर भगवान ने उसकी सुन ली.

शुक्रवार की रात थी.. शानू की मम्मी को किसी काम से सहर से बाहर जाना पड़ा... प्रीति और शानू घर मे अकेले थे.. शानू और प्रीति दोनो खाने की टेबल पर बैठे थे.. प्रीति आज अपने पूरे यौवन पर थी.. वो आज की रात शानू के लंड की एक एक बूँद पीना चाहती थी.. वो हर तरीके से उसे रिझाने मे लगी हुई थी.. लेकिन शानू.... वो तो अपने ख्यालों मे खोया हुआ था.. उसके ख़यालों मे थी स्वीटी की मुलायम और गोरी चूत जिसे चोदने का उसने वादा किया था.. शानू अपनी बेहन की अदाओं को नज़र अंदाज़ कर टीवी देख रहा था... प्रीति उसके बगल मे बैठ गयी और उसने अपनी टी-शर्ट और ब्रा उतार कर अपने दोनो कबूतर आज़ाद कर दिए.. उसने अपना हाथ अपने भाई के लंड पर रखा और कहा कि वो उसे चूसना चाहती है.
 

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प्रीति शानू के लंड को उसकी पॅंट से आज़ाद करने लगी कि तभी शानू उसकी ओर घूमा और बोला, " प्रीति तुम्हे याद है जब शमा की पार्टी मे तुम मुझे स्वीटी के कमरे मे ले गयी थी.?"

"हां अछी तरह याद है और उसके बाद क्या हुआ वो भी याद है" प्रीति ने जवाब दिया.

"याद है तुमने मुझसे वादा किया था कि तुम मेरे लिए कुछ भी करोगी.. आज वो रात आ गयी है कि तुम अपना वादा निभाओ." शानू ने कहा.

"अरे मेरे प्यारे भैया वो रात में कैसे भूल सकती हूँ.. ठीक है बोलो तुम मुझसे क्या चाहते हो? " प्रीति ने पूछा.

"में तुम्हारी चूत के बालों को सॉफ करना चाहता हूँ" शानू ने जवाब दिया.

प्रीति थोड़ी देर सोचती रही फिर बोली, "ठीक है मुझे कोई फराक नही पड़ता.. शानू तुरंत खड़ा हुआ और अपनी बेहन को बाथरूम मे चलने को. कहा....बाथरूम मे पहुँच शानू ने प्रीति को एक टवल पर लीटा दिया और उसकी पॅंटी खींच उतारने लगा....

वो ये देख कर खुश हो गया कि प्रीति की चूत उत्तेजना मे गीली थी... उसने अपना शेविंग क्रीम और रेज़र निकाल लिया..

पहले तो शानू ने रेज़र लिया और उसकी झान्टो को तरीके से तराशने लगा.. जब भी रेज़र की खुरदरी ब्लेड प्रीति की चूत की त्वचा को छूती तो एक अजीब सरसराहट सी होती और हर सरसराहट के साथ वो उत्तेजित होती जा रही थी...

शानू ने शेविंग क्रीम उठाई और उसकी चूत के चारों और लगाने लगा... जब भी शानू की उंगलियाँ उसकी चूत के आस पास छूती तो वो फिर चूहांक पड़ती.. शानू ने अपनी एक उंगली उसकी चूत मे डाली तो वो उछल पड़ी.. .. फिर उसने रेज़र उठाया और उसके बालों को सॉफ करने लगा...

जब उसकी चूत एक दम सॉफ हो गयी तो वो खुश हो गया.. "हां अब लगती है ना तुम्हारी चूत की किसी चिकने सपाट मैदान की तरह.. चाहे कोई जितने मर्ज़ी घोड़े दौड़ाए.. सब सरपट सरपट भागेंगे" शानू ने हंसते हुए कहा. "अब एक काम करो तुम नहा लो और अपनी चूत को रगड़ रगड़ के सॉफ कर लो जिससे सारी क्रीम धूल जाए.. क्यों कि बाद मे तुम्हारी चूत को चाटना और चूसना चाहता हूँ... और फिर तुम्हारी चूत से बहते रस को पीना चाहता हूँ."
 

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"में नहाउंगी अगर तुम अपना हथियार साथ मे लाओ तो?

"हां क्यों नही"

प्रीति खड़ी हुई और अपनी बालों रहित चूत को देखने लगी.. उसने अपनी उंगलियाँ अपनी चूत पर फिराई तो उसे बहोत अछा लगा... प्रीति ने शवर चालू कर दिया और राज अपने कपड़े उतार उसके साथ शवर के नीचे हो गया.. अब दोनो एक दूसरे को बाहों मे लिए एक दूसरे के बदन से खेलने लगे..

शानू देख रहा था कि उसकी बेहन उसके लंड को घूर रही थी और बार बार अपने होठों पर अपनी जीब फिरा रही है.. उसे याद आ गया कि किस तरह स्वीटी ने उसे चूम अपनी जीब उसके मुँह मे डाल दी थी.. आज वो अपनी छोटी बेहन के होठों का स्वाद चखना चाहता था.. उसकी जीब से ठीक उसकी तरह खेलना चाहता था... प्रीति भी शायद यही चाह रही थी.. वो अपने भाई की ओर देख मुक्सुरा रही थी.. कि शानू ने अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए.. और प्रीति ने कस के उसके होंठो को अपने होठों की गीरफ्त मे ले लिया.

शवर के नीचे खड़े दोनो एक दूसरे के होठों को चूस रहे थे.. जीब से जीब लड़ा खेल रहे थे.. एक अजीब ही मज़ा दोनो को आ रहा था... अपनी उखड़ी सांस को संभालने जब दोनो अलग हुए तो गहरी गहरी साँस लेने लगा.. तब प्रीति ने अपने भाई को उसकी चूत चाटने के लिए कहा... "में चाहती हूँ कि आज तुम मेरी इस बिना बालों की चूत को चूसो..."


दोनो ने पहले अपने गीले बदन को टवल से पौंचा और फिर वापस प्रीति के कमरे मे आ गये.. प्रीति अपने पलंग पर टांग फैला कर लेट गयी... शानू पलंग के कीनारे उसकी प्यारी चूत को निहारता रहा फिर झुक कर उसने अपनी जीब उसकी चूत पर रख दी.. उपर से नीचे तक चाट कर वो उस नयी चूत का मज़ा लेता रहा फिर उसने चूत को थोड़ा फैलाया और अपनी जीब उसकी चूत के अंदर घुसा दी... "ओह हां आशीए ही चूसो श हां और ज़ोर ज़ोर से ऑश ऑश" प्रीति सिसकने लगी.
 

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शानू और ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत के अंदर जीब डाल चूसने लगा.... उसकी बेहन का बदन काँपा और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.. शानू ने अपनी जीब उसके मुँह से निकाल ली और बड़े प्यार से उसके गोरे बदन को देखने लगा...

"प्रीति में तुम्हारी चुचियों के बीच अपने लंड को फँसा तुम्हारी चुचियों को चोदना चाहता हूँ" शानू उसके बगल मे लेटकर उसे चूमते हुए होला.

"ठीक है भाई" प्रीति ने कहा.

शानू ने उसके साइड तले से वही क्रीम की शीशी उठा ली जो उसने गीली चूत के समय इस्तेमाल की थी... फिर उसकी कमर पर चढ़ उसके पेट पर बैठ गया... शानू का लंड प्रीति के ठीक मुँह के सामने था.. वो थोड़ा उपर को उठी और उसके लंड को खींचते हुए अपने मुँह मे ले चूसने लगी...

शानू वही क्रीम उसकी चुचियो पर मल चिकना करने लगा... जब प्रीति ने उसके लंड को बाहर निकाल दिया तो उसने उसकी दोनो चुहियों को पकड़ा और अपना लंड उसकी घाटी के बीच रख दिया.. शानू ने प्रीति को अपनी चुचियों को और लंड पर जकड़ने को कहा.. और जब उसने वैसा किया तो वो अपनी कमर हिला अपने लंड को आगे पीछे करने लगा...

"ओःः प्रीति तुम्हारी नाज़ुक और मुलायम चुचियाँ कितनी अछी लग रही है" शानू ने कहा.

क्रमशः.......
 

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"हां शानू जब तुम्हारा लंड मेरी चुचि को रगड़ता हुआ अंदर बाहर होता है तो मुझे भी बहोत अछा लगता है.. शानू अब ज़ोर ज़ोर से अपने लंड को आगे पीछे कर रहा था... शानू का लंड तन्नाने लगा और उसने अपने लंड को और ज़ोर से चुचियों के बीच घिसते हुए वीर्य की पिचकारी छोड़ दी.. वीर्य ठीक प्रीति के गले पर गिरा और नीचे बह कर उसके बालों को भीगोने लगा..

शानू तक कर अपनी बेहन के बगल मे लेट गया.. और प्रीति एक बार फिर बाथरूम मे चली गयी. प्रीति के बाथरूम से लौटने के बाद दोनो बैठ कर टीवी देखते रहे और एक दूसरे के बदन से खेलते रहे.. रात काफ़ी हो गयी थी..

"क्यों ना आज हम दोनो एक दूसरे से चिपक कर मम्मी पापा के पलंग पर एक दूसरे से चिपक कर सोए" प्रीति ने कहा.

"क्या तुम सही मे मेरे साथ सोना चाहती हो? शानू ने मुस्कुराते हुए पूछा.

"सोना मतलब सिर्फ़ सोना" प्रीति ने उसे मम्मी के कमरे की ओर घसेटते हुए कहा.

दोनो पलंग पर चढ़ एक दूसरे के नंगे बदन को अपने बाहों मे लेट गये और सोने की कोशिश करने लगे.. लेकिन थोड़ी ही देर मे उन्हे एहसास हुआ कि बदन की गर्मी उन्हे उत्तेजित कर रही है.. दोनो की काम अग्नि बढ़ने लगी..

"प्रीति क्यों ना सोने से पहले एक बार मेरे लंड को फिर चूस दो? शानू ने उसके होठों को चूस्ते हुए कहा.


"हाँ क्यों नही... लेकिन तुम्हे भी मेरी चूत चूसनी होगी" प्रीति ने जवाब दिया.

"क्यों ना हम दोनो एक साथ करें" शानू ने सलाह दी... प्रीति ने हंस हंस कर उसकी बात मान ली.. और वो दोनो 69 की अवस्था मे हो गये..
 

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पहेल शानू उसके उपर लेट गया.. लेकिन जब भी वो उसकी चूत को चूस्ता तो उसका बड़ा लंड. प्रीति के गले तक चला जाता जिससे उसे तकलीफ़ होने लगी... इसलिए उसने प्रीति को अपने उपर कर लिया... शानू ने उसके दोनो कुल्हों को पकड़ा और फैला दिया उसकी चूत चौड़ा गयी... और फिर पहेले वो उसकी चूत को अपनी जीब से अछी तरह चाटने लगा... फिर अपनी जीब उसने प्रीति की चूत की गहराइयों के अंदर तक घुसा दी... वहीं प्रीति उसके लंड को अपनी मुट्ठी मे पकड़ अपने मुँह को उपर नीचे कर चूस रही थी..

प्रीति उसके लंड को मसल रही थी.. चूस रही थी और आख़िर शानू के लंड ने पानी छोड़ दिया.. और उसी के साथ उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया... थोड़ी देर सुसताने के बाद दोनो ने फिर एक दूसरे के बाहों मे भींचा और सोने लगे.. इस बार शानू

का लंड उसके चूतदो से टकरा रहा था... प्रीति ने अपनी टाँगो की थोड़ा सा उठाया और धीरे से अपने भाई से बोली, "शानू इसे मेरी टाँगो के बीच दे दो' "क्या सही मे तुम ऐसा चाहती हो?" शानू ने असचर्या से पूछा.

"भाई तुम भी ना? में इसे सिर्फ़ मेरी टाँगो के बीच फँसाने को कह रही हूँ जिससे मुझे तुम्हारे लंड का एहसास अपनी चूत पर हो सके.. " प्रीति ने कहा..

प्रीति की बात सुनकर शानू ने अपने लंड को फैली हुई टाँगो के बीच ठीक उसकी चूत के साथ सटा दिया... प्रीति ने अपनी टाँगे मिलाई और उसके लंड को भींच लिया.. उसके गरम लंड का एहसास अपनी चूत पर पा प्रीति को मज़ा आने लगा.. और फिर थोड़ी ही देर मे दोनो अपने सपनों मे खोए सो गये...

"शानू स्वीटी का फोन है तुम्हारे लिए" अगली सुबह प्रीति ने राज को आवाज़ दी.. शानू ने देखा कि वो वहीं खड़ी उनकी बातें सुनने की कोशिश कर रही थी..

"हाई स्वीटी" शानू ने उसके हाथ से फोन लेते हुए कहा और अपनी बेहन की ओर देख मुस्कुराने लगा.. प्रीति भी मुकुरा दी और सोचने लगी.. क्योंकि स्वीटी बहोत ही कम फोन किया करती थी..
 

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"हाई शानू" वो क्या मुझे तो आज मम्मी से पता चला कि तुम दोनो घर पर अकेले हो.. तो मेने सोचा कि क्यों ना में तुम दोनो को कंपनी दे दूं" "अरे ये तो बहोत ही अच्छी बात है.. लेकिन क्या है मम्मी तो शाम तक वापस आ जाएँगी.. हाँ अगर तुम कुछ घंटो के लिए आना चाहती हो तो बहोत अच्छा रहेगा.. " राज ने कहा.

"ये तो बहोत अछी बात है.. में बस आधे घंटे मे वहाँ पहुँच जायूंगी" कहते हुए स्वीटी ने फोन रख दिया.

"स्वीटी आ रही है हमसे मिलने के लिए" शानू ने अपनी बेहन से कहा.

प्रीति सोच मे पड़ गयी... पता नही क्यों उसे स्वीटी का आना अछा नही लग रहा था...

" शानूपता नही क्यों मुझे अछा नही लग रहा है.. क्या वो तुम्हारा बड़ा और मोटा लंड फिर से देखना चाहती है जो यहाँ आ रही है.." प्रीति ने उसके लंड को शॉर्ट्स के उपर से पकड़ मसल्ते हुए कहा.

"ऐसा कुछ नही है प्रीति तुम्हारे मन का वेहम है" शानू ने बदले मे उसकी चुचियो को मसल्ते हुए कहा.
 

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"जब तक तुम्हे उसका साथ अछा लगता है मुझे इसकी परवाह भी नही है कि वो यहाँ क्यों आ रही है." प्रीति उसे आँख मारते हुए अपने कमरे मे चली गयी.

अगले एक घंटे तक शानू अपने कमरे मे नेट पर पॉर्न फिल्म्स देखता रहा और स्वीटी के बारे मे सोचता रहा.. उसे पता था कि स्वीटी पहले चुदवा चुकी है तो क्या आज उसे भी अपनी जिंदगी की पहली चुदाई का मज़ा मिलेगा...

जब दरवाज़े पर घंटी बजी तो शानू ने तुरंत कंप्यूटर को बंद किया और अपने कपड़े पहने और दौड़ते हुए दरवाज़े पर पहुँच उसे खोल दिया... शानू ने देखा कि उसकी चाहचेरी बेहन कमर पर एक हाथ रखे उसे मुस्कुराते हुए देख रही थी... उसके खड़े निपल का उभर उसके टॉप पर से साफ दीख रहे थे... और स्वीटी की निगाह उसकी जांघों पर उसके खड़े लंड के उभार पर टीकी हुई थी.. दोनो की जब नज़रे उठी तो एक दूसरे से झेंप कर मुस्कुराने लगे...

"हाई शानू कैसे हो?" स्वीटी ने घर के अंदर आते हुए पूछा. "ठीक हूँ तुम कैसी हो?" शानू ने उसके साथ घर के अंदर आते हुए जवाब दिया..

"प्रीति कहाँ है? दीखाई नही दे रही है" स्वीटी ने पूछा. "शायद अपने कमरे मे होगी." शानू ने जवाब दिया. "उम्म्म ठीक है" कहकर स्वीटी ने अपने गुलाभी होंठ उसके होठों पर रख दिए और चूमने लगी.. "तुम्हे पता है शानू रास्ते मे तुम्हारे लंड के ख़याल से ही मेरी चूत गरमाने लगी. और गीली हो गयी... कभी कभी तो सोचने लगती की तुम्हारा इतना मोटा लंड क्या मेरी चूत मे घुस पाएगा.. क्या तुम ट्राइ करना चाहेगो?"

शानू का लंड पॅंट फाड़ कर बाहर आने को तय्यार हो गया.. उसे उम्मीद तो थी कि ये सब होगा लेकिन ये नही सोचा था कि स्वीटी आते ही उसी चुदाई की बात करेगी... "हां में कोशिश कर सकता हूँ" कहकर शानू ने स्वीटी का हाथ पकड़ा और उसे अपने कमरे मे ले आया.. फिर एक दूसरे को चूमते हुए दोनो बिस्तर पर लुढ़क गये.
 

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"आज तो बहोत ही सेक्सी ड्रेस पहनी हुई है" शानू उसके महीन टॉप के उपर से उसकी चुचियों को दबाते हुए बोला..

"हाँ मुझे ये ड्रेस बहोत पसंद है.. इसे पहने के बाद मुझे ऐसा लगता है कि मेरी चुचियाँ एक दम आज़ाद है.जैसे कि मेने कुछ पहन ही नही रखा है.." स्वीटी ने जवाब दिया. "और जब राह चलते लोग मुझे दोबारा पलट कर देखते हैं तो मुझे बहोत खुशी होती है"

"दोष उनका भी नही है.. अगर में तुम्हे इतने छोटे स्कर्ट मे साइकल चलाते देखता तो मेरी नज़रें तो तुम्हारे चूतदों परसे हटती ही नही.." कहते हुए शानू ने उसके टॉप के सारे बटन खोल दिए और उसने अपना हाथ अंदर डाल उसकी चुचियों को मसल्ने लगा.. उसे याद आ रहा था कि किस तरह उसकी बेहन ने पार्टी वाली रात स्वीटी की चुचियों को ठीक इसी तरह मसला था..

शानू स्वीटी की चुचियों से खेल रहा था और स्वीटी अपने भाई की शॉर्ट्स के ज़िप के साथ.... उसके लंड को आज़ाद कर रही थी जिसके लिए वो यहाँ आई थी... उस रात पार्टी के बाद उसके दीमाग मे शानू का मोटा लंड ही बसा हुआ था.. और जब उसे पता चला कि शानू घर मे अकेला है तो मौका का फ़ायदा उठाते हुए वो यहाँ चली आई थी अपने ही भाई से चुदवाने के लिए... उसने शानू के लंड को आज़ाद किया और उसे अपनी मुट्ठी मे कस लिया.. और मसल्ने लगी...

शानू ने उसके चुचियों को चूमते हुए स्वीटी का टॉप उतार दिया और चुचियों के आज़ाद होते ही अपना मुँह उन पर रख उन्हे चूसने लगा...स्वीटी ने उसे अपने से अलग करते हुए नंगा होने को कहा जिससे वो उसके लंड को अछी तरह चूस सके..

शानू ने अपने कपड़े उतार दिए और मदरजात नंगा हो गया... और वापस पलंग पर बैठ गया... स्वीटी उसके सामने उसकी टाँगो के बीच बैठ गयी और उसके लंड को अपनी मुट्ठी मे कस उसके सूपदे को चूसने लगी...जब वो अपनी जीब को उसके लंड के नाज़ुक स्थानो पर फिराती तो शानू का बदन काँप उठता.. वो उत्तेजना मे उसके निपल को भींचने लगा... शानू ने उसे खड़े हो जाने को कहा... स्वीटी शानू के सामने सिर्फ़ शॉर्ट्स पहने खड़ी हो गयी.
 
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