"क्या तुम मुझे दीखा सकते हो?"
"हां दीखा सकता हूँ अगर तुम मेरे लंड को थोड़ा सा चूस दो तो" उसने जवाब दिया.. स्वीटी को तभी ख़याल आया कि वो किससे बात कर रही है.. वो दुविधा मे फँसी वैसे ही खड़ी रही.
"अब इतना भी क्या सोच रही है.. स्वीटी? तुमने ही मुझे बताया कि तुम चुदाई का मज़ा ले चुकी हो.. तो चूसने मे क्या हर्ज़ है " प्रीति अपनी चहेरी बेहन के नज़दीक खिसकती हुई बोली. उसने अपना हाथ स्वीटी के हाथ पर रखा जो शानू के लंड को पकड़े हुए था... और फिर धीरे धीरे मसल्नेलगि. .. जब उसने देखा की स्वीटी खुद उसके लंड को मसल रही है तो उसने शानू के लंड को अब नीचे से अपनी मुट्ठी मे भर लिया और अब दोनो मिल कर शानू के लंड को मुठियाने लगे.
"मुझे विश्वास नही हो रहा कि तुम अपने सगे भाई का लंड मुठिया रही हो? स्वीटी ने कहा.
"क्या करूँ में भी.. ऐसा शानदार लंड रोज़ कहाँ मिलता है.. " प्रीति ने जवाब दिया और नीचे घूटनों के बल बैठ गयी... स्वीटी आँखे फाडे प्रीति को देख रही थी.. प्रीति ने अपने भाई के लंड को अपने मुँह मे ले लिया..
प्रीति के नंगे बदन की गर्मी स्वीटी को अपने पैरों के पास महसूस हो रही थी.. वो देख रही थी कि किस तरह वो अपने ही भाई का लंड चूस रही है.. और उसकी चूत गीली होने लगी.. उसका दिल लंड चूसने को मचल उठा.. वो अपनी बेहन के पास बैठ गयी.. प्रीति ने शानू के लंड को बाहर निकाल दिया जिससे अब स्वीटी उस लंड को चूस सके.
प्रीति देख रही थी कि किस तरह उसके भाई का लंड स्वीटी के मुँह के अंदर बाहर हो रहा था.. उसकी निगाहें स्वीटी के बदन पर फिसलती हुई उसकी चुचियों पर पहुँची.. जहाँ उसकी छोटी चुचियाँ कड़ी दीख रही थी.. साथ ही निपल तने हुए थे.. . उत्तेजना मे उसके भी निपल तन कर खड़े हो चुके थे.. वो देखना चाहती थी कि उसके निपल ज़्यादा कड़े थे या फिर स्वीटी के. प्रीति ने हाथ बढ़कर उसकी चुचि को अपनी मुट्ठी मे भर लिया और मसल्ने लगी.. अपनी खुद की चुचियों को तो उसने कई बार मसला था लेकिन आज दूसरी लड़की की चुचि पकड़ मसल्ने मे उसे मज़ा आ रहा था...
"हां दीखा सकता हूँ अगर तुम मेरे लंड को थोड़ा सा चूस दो तो" उसने जवाब दिया.. स्वीटी को तभी ख़याल आया कि वो किससे बात कर रही है.. वो दुविधा मे फँसी वैसे ही खड़ी रही.
"अब इतना भी क्या सोच रही है.. स्वीटी? तुमने ही मुझे बताया कि तुम चुदाई का मज़ा ले चुकी हो.. तो चूसने मे क्या हर्ज़ है " प्रीति अपनी चहेरी बेहन के नज़दीक खिसकती हुई बोली. उसने अपना हाथ स्वीटी के हाथ पर रखा जो शानू के लंड को पकड़े हुए था... और फिर धीरे धीरे मसल्नेलगि. .. जब उसने देखा की स्वीटी खुद उसके लंड को मसल रही है तो उसने शानू के लंड को अब नीचे से अपनी मुट्ठी मे भर लिया और अब दोनो मिल कर शानू के लंड को मुठियाने लगे.
"मुझे विश्वास नही हो रहा कि तुम अपने सगे भाई का लंड मुठिया रही हो? स्वीटी ने कहा.
"क्या करूँ में भी.. ऐसा शानदार लंड रोज़ कहाँ मिलता है.. " प्रीति ने जवाब दिया और नीचे घूटनों के बल बैठ गयी... स्वीटी आँखे फाडे प्रीति को देख रही थी.. प्रीति ने अपने भाई के लंड को अपने मुँह मे ले लिया..
प्रीति के नंगे बदन की गर्मी स्वीटी को अपने पैरों के पास महसूस हो रही थी.. वो देख रही थी कि किस तरह वो अपने ही भाई का लंड चूस रही है.. और उसकी चूत गीली होने लगी.. उसका दिल लंड चूसने को मचल उठा.. वो अपनी बेहन के पास बैठ गयी.. प्रीति ने शानू के लंड को बाहर निकाल दिया जिससे अब स्वीटी उस लंड को चूस सके.
प्रीति देख रही थी कि किस तरह उसके भाई का लंड स्वीटी के मुँह के अंदर बाहर हो रहा था.. उसकी निगाहें स्वीटी के बदन पर फिसलती हुई उसकी चुचियों पर पहुँची.. जहाँ उसकी छोटी चुचियाँ कड़ी दीख रही थी.. साथ ही निपल तने हुए थे.. . उत्तेजना मे उसके भी निपल तन कर खड़े हो चुके थे.. वो देखना चाहती थी कि उसके निपल ज़्यादा कड़े थे या फिर स्वीटी के. प्रीति ने हाथ बढ़कर उसकी चुचि को अपनी मुट्ठी मे भर लिया और मसल्ने लगी.. अपनी खुद की चुचियों को तो उसने कई बार मसला था लेकिन आज दूसरी लड़की की चुचि पकड़ मसल्ने मे उसे मज़ा आ रहा था...