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Adultery Mann bahek gaya

क्या स्टोरी ठीक है

  • हा

    Votes: 9 47.4%
  • अभी और गहराई से लिखने की ज़रुरत है

    Votes: 10 52.6%

  • Total voters
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Just4fun95

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बहुत ही अच्छा अपडेट था अब माँ बेटे से हटकर निशा के साथ आगे बड़ा जाये....
 
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Rocco 6"

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वापस आई और अलमारी से नई नाइटी निकाल के पहने लगी वो बाथरूम से नंगी ही आई थी पर उसके खूबसूरत जिस्म को देखनेवाला वहा था ही कोन जो उसे इस तरह देख के पागल हो जाए और उसके खिंबसूरत जिस्म को भोगे नाइटी पहने के बाद वो फिर से बेड पे आ गई और सोती हुई सोचने लगी की ये मां बेटा तो दिमाग में घुस गए है अब उस बारे में सोचना ही नही है वरना वो उसके दिमाग में घूमते रहेंगे इसे भूल जाना ही बेहतर है और यही सोचके वो फिर से नींद की आगोश में चली गई

शुभाह सबके लिए फ्रेस थी विवान की मां पहले उठी उठते ही उसके दर्शन हुए छत की तरफ अपना मुंह उठाए विवान के लन्ड के ,वो उसके चिपक के सोयी हुई थी उसकी जांघ के पास ही लन्ड एकदम कड़क होके खड़ा था कंचन उसे भरी निगाहों से देख रही थी कंचन का हाथ धीरे धीरे उसके पास चला गया और लन्ड को पकड़ लिया वो उसको सहलाते हुए उसके कड़कपन को महसूस करती है वो लपकते हुए उसके पास चली जाती है और बिलकुल पास से उसे सहलाते हुए देखती रहती है धीरे धीरे उसका मुंह उसके पास चला जाता है उसकी नाक में विवान के वीर्य खुश्बू आनी शुरू होती है जो रात की चुदायी के बाद लन्ड साफ ना करने से आ रही थी वो आंखे बंद करके एक लंबी सांस लेके खुश्बू को अंदर लेती है तो वो अनायास ही उसके पास खींची चली जाती है और कंचन के होठ उसके लन्ड के खुले टोपे से टच हो जाते है और वो उसे धीरे धीरे चूमते हुए उसकी खुशबू का मजा लेती रही फिर उसने अपना मुंह खोलते हुए लन्ड को अंदर ले लिया और चूसने लगी वो उसके सूखे पड़े लन्ड पे वीर्य को चटकारे लेके चाटने लगी उसने महसूस किया की विवान का शरीर में हलचल हो रही है कंचन ने लन्ड को चूसते हुए ही विवान की और देखा उसे उसके चेहरे पे परेशानी देखी आंखे अभी भी उसकी बंद थी वो अभी भी नींद में था कंचन को लगा की उसे अभी भी रात की जलन हो रही है फिर भी वो हटी नही और उसने जीभ से चाट चाट कर पूरा लन्ड पे सुखा वीर्य चाट लिया फिर उसने लन्ड को छोड़ा जब कंचन ने लन्ड को छोड़ा तो लन्ड पूरा साफ हो गया था और उसकी थूक से चमक रहा था उसने अपने होठों को साफ किया और थूक निगलते हुए पलंग से उठ के बाथरूम की और चली गई नहा धोखे फ्रेस होके वो चाय और नाश्ता बनाने किचन में चली गई

विवान आधे घंटे बाद उठा उसकी आंखे अभी भी नींद में थी लन्ड पे कंचन का थूक सुख गया था लेकिन अभी भी खड़ा था पेशाब का प्रेशर भी आया हुआ था वो जल्दी से उठा और अपना लहराता हुआ लन्ड लेके बाथरूम में चला गया बाथरूम से अभी भी उसके मां के नहाके साबुन की खुस्बू आ रही थी जब पेशाब निकला तो उसे जलन हुई पर कम हुई जब उसने खत्म किया तो उसे आराम हुआ थोड़ी देर के बाद जब उसके नहाने की आवाज आई तो कंचन रूम में आ गई और पलंग की चादर समेटने लगी विवान ने दरवाजा खोल के अपनी मां से टावेल मांगा वो टावेल लिए बिना ही बॉथरूम में चला गया था कंचन ने उसे टावेल दिया और चादर हाथ में पकड़े बाहर खड़ी उसे देखने लगी विवान अपने बाल टावेल से सुखा रहा था कंचन उसके नंगे बदन को देख रही थी लन्ड ढीला पड़ गया था पर अभी भी फूला हुआ नीचे लटक रहा था बाल को टावेल से सुखा ने से वो हिल रहा था और कंचन की नजर उसी पे थी बाल सुखा के वो नंगा ही अपनी मां के पास आके खड़ा हो गया कंचन अभी उसके लन्ड को ही देख रही थी

..मां जल्दी से नाश्ता देदो आज काम पर जाना है..

कंचन उसके लन्ड को देख रही थी लटके हुए लन्ड पे भी उसकी नशे साफ दिख रही थी उसका मन तो उसे पकड़ के सहलाने को कर रहा था लेकिन उसने अपनी नजर उपर करके विवान की और देखते हुआ कहा

.. नाश्ता तैयार है अभी परोस देती हूं तू जल्दी से करले..

विवान उसे नंगा ही गले लगा लेता है और उसके गालों को चूम लेता है उसका लन्ड साड़ी के उपर से सीधा उसकी मां की चूत से छू जाता है और उसकी मां मस्ती से भर जाती है उसके लन्ड को महसूस करके वो उसे जोर से गले लगा लेती है और उसके लन्ड को अपनी चूत से भिड़ा देती है लन्ड में हलचल हो रही थी जिसे कंचन अच्छे से अपनी चूत पे महसूस कर रही थी और वो आंखे बंद किए उसे गले लगाए रखती है थोड़ी देर के बाद वो हटती है और उसके माथे को चुमके उससे कहती है

..चल जल्दी से तैयार हो जा तुझे देर हो रही होगी ..

विवान मुस्कुरा के अपने कपड़े पहन ने चला जाता है उसकी मां उसे जाता हुआ देखती है और जब वो पेंट पहन के अपने लन्ड को पकड़ के अपनी पेंट के अंदर करके जिप बंद करता है तो वो आखरी बार लन्ड को देख के एक लंबी सांस छोड़ती है और कपड़े धोने चली जाती है


754-1000

विवान कपड़े पहन के बाहर निकलता है पर उसके मन में अब भी चिंता थी की निशा दी उसे देख के उससे क्या कहेंगी गुस्सा तो होगी वो पर वो क्या उसे काम से निकाल देगी यही सोच के वो परेशान हो रहा था की निशा दी का क्या रिएक्शन होगा खेर वो निशा के घर के लिए निकल जाता है
 

niku310

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Behtreen story bro keep it up agle update ki prtiksha h
 

Rocco 6"

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निशा तैयार होके सोफे पे बैठे हुए चाय पी रही थी जब उसकी चाय खतम हुई तभी बेल बाजी वो कप रखके दरवाजा खोलने चली गई जब उसने दरवाजा खोला तो सामने विवान था विवान को देखके वो स्तब्ध हो गई उसे लगा ही नहीं था की विवान आज ही काम पे आजाएगा थोड़ी देर वो उसे देखती ही रही जब विवान ने निशा के ऐसे उसे देखते हुए देख के अपना चेहरा नीचे कर लिया निशा होश आई और वो दरवाजा खोलते हुए हट गई विवान नीचे देखता हुआ किचन में चला गया निशा अभी भी दरवाजे पे खड़ी थी उसका दरवाजा बंद करने के मन नही कर रहा था उसके दिमाग में वही दृश्य आ रहे थे जो उसने कल रात को देखे थे फिर भी उसने दरवाजा बंद कर दिया और वो आके सोफे पे बैठ गई और अखबार पढ़ने लगी अखबार तो सिर्फ पकड़ के रखा हुआ था बाकी तो उसके मन में वही सब चल रहा था

इसी दौरान बच्चे भी आ गए निशा ने अखबार को रखा और वो बच्चो को लेके योगा सिखाने लगी उसने योगा के कपड़े तो पहन के ही रखे थे वो आसन सिखाने लगी आसन सिखाते हुए अचानक ही उसका चेहरा किचन की तरफ मुड़ा तो उसने देखा की विवान उसकी तरफ देख रहा है इस ड्रेस में उसके बदन की सभी गोलियां दिख रही थी और जिस तरह से वो आसन में थी उसका बदन कातिल लग रहा था वो शर्मा गई और अपनी अपनी नजर नीचे कर ली पर जब उसने दुबारा फिर से विवान की तरफ देखा विवान अभी भी उसे देख रहा था उसकी आंखो में गुस्सा आ गया और वो गुस्से से उसकी तरफ देखने लगी विवान ने निशा को गुस्से में देखा तो अपनी नजर जल्दी से हटा ली निशा ने राहत की सांस ली अच्छा हुआ विवान ने नजर हटा ली वरना वो बच्चो के सामने ही उसे डांट देती और अभी ही उसे निकल देती वो फिर से योग सिखाने लगी बीच बिच में वो किचन की और भी देख लेती कई बार उसे लगता की विवान उसे देख रहा है पर उसके देखते ही नजर हटा देता है उसने अपनी क्लास खतम की, सारे बच्चे baye बोलके चले गए जब बचे चले गए तो उसने दुबारा गुस्से से विवान की और देखा और देखते हुए उपर रूम में चली गई

वो फिर खाना बनाने के टाइम पे ही नीचे उतरी उसने साड़ी पहन ली थी और वो खाना बनाने लगी साड़ी में भी उसके पीछे की गोलाई उभर के बाहर की और निकली दिख रही थी पर विवान की हिम्मत नही हो रही थी देखने की खाना बनाते वक्त भी निशा कुछ नही बोली जब खाना बन गया तो वो उसे डाइनिंग टेबल पर रखने लगी विवान भी उसे देख के उसके काम में मदद करने लगा निशा ने बिना बोले टेबल पर खाना लगा दिया और वो खाना खाने बैठ गई विवान थोड़ी देर खड़ा रहा फिर वो पीछे मुडके जाने लगा तभी निशा उसे बुलाया और उसे खाना खाने अपने साथ में बिठा दिया विवान धीरे से उसके साथ पास में बैठ गया उसका परोसा हुआ खाना खाने लगा

निशा ने बात शुरू करते हुए कहा कि.. विवान कल से तुम्हे आने की जरूरत नहीं है

विवान के हाथ से निवाला नही उतारा और उसने बड़ी ही मुश्किल से बोला..क्यूं निशा ......दी

..पहले तो ये दी बोलना बंद कर और तुझे पता हैं में क्यों बोल रही हूं ..निशा खाना खाते हुए उससे बोली

..पर निशा दी

..पर वर कुछ नही कल से काम पे आने की जरूरत नही हैं..

उसने खाना छोड़ दिया उसे पता था की निशा दी अब कुछ नही सुनेगी उसे इसी बात का डर था और वो उठ गया और अपने घर जाने लगा जाते हुए वो मुड़ा और एक बात बोलता गया

..निशा दी एक बार मेरी बात सुनली होती तो आपको सब
सच पता चल जाता..
 

Rocco 6"

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और वो ये बोलके अपने घर चला गया निशा उसकी ये बात सुनके सोचने लगी की क्या सच बताना चाहता था विवान सच तो उसने देख लिया है फिर वो खाना खाने लगी इधर विवान अपने घर आ गया था उसकी मां ने दरवाजा खोला विवान को देख के वो भी सोच में पड़ गई इस टाइम तो वो अपने काम पे होता है फिर ये जल्दी कैसे आ गया वो भी आज इतने दिन के बाद काम में गया था

विवान अंदर आके बैठ गया कंचन ने उसे पूछा क्या हुआ क्यू इतनी जल्दी आ गया ..कुछ नही वो निशा दी को बाहर जाना था इसी लिए..आज नही जायेगा...नही अब जब निशा दी कहेगी तब जाऊंगा..मतलब..निशा दीदी कही बाहर जाने का बोल रही थी और कहा की में खुद तुझे बुला लूंगी तब तक तेरी छूटी..ठीक है कितने दिन तक आ जायेगी तेरी निशा दीदी..वो तो पता नही वो जब आयेगी तो खुद ही बता देंगी... विवान ने झूठ बोल दिया ,कंचन ये सुनके खुस हो गई को विवान अब फिर से घर पर रहेगा उसे और दिन मिल गए विवान के साथ , कंचन ने विवान के होठों को चूम लिए और मुस्कुराते हुए बोलती है.. में खाना लगाती हूं और वो किचन में चली गई

विवान उसकी खुशी समझ नही पाया वो तो अभी भी उसी बात में खोया हुआ था कंचन ने खाना लगा दिया और दोनों बैठ के खाना खाने लगे विवान अपने में खोया हुआ खाना खा रहा था और कंचन उसे देखते हुए खाना खा रही थी खाना खाके कंचन बर्तन साफ करने चली गई

विवान पलंग पे बैठा हुआ था और सोच रहा था.. दोपहर के दो बज रहे थे विवान ने गहरी देखी और सोचा की थोड़ी देर सो जाता हूं वो उठा और अपने कपड़े बदलने लगा, कंचन ने बर्तन साफ कर लिए थे और उसने बाहर का दरवाजा और सारी खड़की या बंद कर दी वो रूम में आ गई रूम की सारी खिड़कियां बंद थी उसने देखा की विवान अपना ट्रैक पहन रहा है उसने जल्दी से रूम का दरवाजा बन किया रूम में अंधेरा सा हो गया विवान ने मुडके देखा और बोला मां नींद आ रही है आप भी आ जाओ हम थोड़ी देर सो जाते है लेकिन कंचन का तो इरादा कुछ उसकी आंखो में वासना थी जो विवान इस अंधेरे में देख नही पाया था वो चलते हुए उसके पास आई और विवान का ट्रैक पकड़ के नीचे कर दिया उपर उसने अभी कुछ पहना नही था तो वो बिल्कुल नंगा हो गया कंचन ने उसे गले लगा लिया और उसके होठों पे किस करने लगी विवान को तब समझ में आया विवान ने कोई विरोध नहीं किया उसे पता था की इसी औरत ने उसे समझा था उसे वो सब कुछ दिया जिसे दुनिया गलत समझती है कंचन ने ही उसकी हालत समझी थी कंचन ने ही उसे औरत के बारे में समझाया था और सब सिखाया था विवान उसे कभी मना नहीं कर सकता था विवान कुछ नही बोला और अपने आपको कंचन के हवाले कर दिया

इधर निशा अपने रूम पड़ी हुई मैगजीन पढ़ रही थी तभी उसे रवि का कॉल आता है वो कॉल उठती है और रवि से बात करती है

रवि– hi..निशा कैसी हो
निशा–ठीक हूं आप बताए
रवि–में भी फास्टक्लास हूं अच्छा मेने ये पूछने के लिए कॉल किया की विवान आ गया तुम अकेली तो नही हो ना वो तुम्हारा साथ तो दे रहा है

निशा चौक गई की रवि ये क्या पूछ रहा है विवान के बारे में क्यों पूछ रहा है मैने तो बताया नही की विवान आ था

रवि– हेलो..हेलो ..हेलो निशा
निशा–हा बोलिए
रवि–कहा खो गई थी
निशा– में बस वो.. छोड़िए ना आप क्यूं विवान के बारे में पूछ रहे है
रवि–और इस लिए पूछ रहा हूं ताकि तुम्हे अकेला फील ना हो और वो तुम्हारी मदद भी तो कर देता है

निशा फिर से चुप हो गई
 

Rocco 6"

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कंचन अब विवान को लेके पलंग पे आ गई थी वो अब भी होठों को चूम रही थी और होठों को चूमते हुए ही वो विवान के उपर लेट गई विवान का लन्ड अब खड़ा हो गया था और साड़ी के उपर से ही कंचन की चूत में चुभने लगा कंचन ने जब देखा की विवान का लन्ड खड़ा होके चूत पे दस्तक दे रहा है तो वो और जोर से विवान के होठों को चूमने लगी और अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए विवान के खड़े लन्ड पे अपनी चूत को घुसने लगी कंचन ने जी भरके विवान के होठों को चूमा और उसके ऊपर से खड़ी होके पलंग के पास ही अपने कपड़े उतारने लगी कंचन की आंखे लन्ड को ही देख रही थी वो जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतार रही थी सांसे तेज चल रही थी उसे देख कर ही उसकी प्यास का अंदाजा लग रहा था कपड़े उतरते हुए बीच में वो लन्ड को पकड़ के सहला भी देती जब कंचन ने सारे कपड़े निकाल दिए तो वो विवान की टांगो के बीच में आके घुटनो के बाल बैठ गई और लन्ड को पकड़ के धीरे धीरे हिलाने लगी कंचन पूरे लन्ड को अपने मुलायम हाथ से उपर से नीचे तक सहला रही थी कंचन के हाथो के स्पर्श से लन्ड और सख्त हो गया था कंचन ने लन्ड को मजबूती से पकड़ कर उसकी चमड़ी को नीचे कर दिया लन्ड टोपे से लेके थोड़ा नीचे तक खुला हो गया कंचन उसके गुलाबी टोपे से लेके नीचे फूली हुई नशों को लंबी लंबी सांसे लेते हुए देख रही थी और धीरे धीरे वो लन्ड की पास आने लगी कंचन को इस तरह देखते हुए विवान भी सांसे फूल गई और जब कंचन ने लन्ड के पास आके उसके टोपे को मुंह लेके जोर से चूसा तो विवान की भी आह्ह्ह्ह निकल गई कंचन आंखे बंद करके उसके लन्ड को धीरे धीरे चूसने लगी

.........इधर निशा के घर पे.....

रवि फिर से निशा को चुप देखते हुए उसे पूछने लगा

रवि–हेलो..निशा क्या हुआ तबियत ठीक है तुम्हारी
निशा – उसकी आवाज सुनते ही..जी जी तबियत ठीक है आप कुछ बोल रहे थे
रवि– मुझे नहीं लगता तुम्हारी तबियत ठीक है बीच बीच में चुप हो जाती हो
निशा – वो तो बस ऐसे ही आप बोलिए न क्या बोल रहे थे
रवि– नही मुझे तुम पे विश्वास नहीं है एक काम करो विवान को फोन दो में उससे ही पूछ लेता हूं
निशा– अरे में सच कह रही हूं मेरी तबियत बिल्कुल ठीक है
रवि– No.. विवान को फोन दो

निशा फिर से चुप हो गई और वो सोचने लगी की अब रवि को क्या बताऊं की विवान तो यहां है नही उसने ही उसे निकाल दिया है

यहां कंचन ने विवान के लन्ड को उपर से नीचे तक जी भरके चूसा और उसपे थूक लगाके उसे अच्छे से गीला कर दिया लन्ड लोहे की रोड जैसा खड़ा था और कंचन की थूक से चमक रहा था कंचन विवान के उपर आ गई और लन्ड को अपनी चूत के मुंह में टीका के धीरे धीरे नीचे बैठने लगी लन्ड धीरे धीरे फिसलता हुआ चूत के अंदर चला गया कंचन उसके झड तक अंदर लेके उसके उपर बैठ गई कंचन के मुंह से एक लंबी .."आह्ह्ह्हहह्ह्ह्ह्हह्ह्हह्ह्हह्ह्हह्ह्ह".. निकली कंचन की आंखे बंद हो गति और वो थोड़ी देर लन्ड को अपने अंदर महसूस करते हुए उसके उपर बैठी रहीफिर उसने अपने हाथ बढ़ाके विवान की छाती पे रख दिए और धीरे धीरे अपनी कमर को ऊपर नीचे करने लगी वो विवान के उपर चढके उसे चोद रही थी
विवान ने भी हाथ बढ़ाते हुए उसके बड़े बूब्स को पकड़ लिया और उसे दबाने लगा कंचन पे तो पहले ही वासना चढ़ी हुई थी और विवान के बूब्स दबाने से अपनी कमर को तेज हिलाते हुए लन्ड को अंदर बाहर करने लगी

आआह्ह्ह्ह्ह.. उह्ह्ह्ह्ह.. आह्ह्ह्हह्ह.उम्म्म्मह्ह..ओहम्ममम्म

..........निशा का घर......
रवि–क्या हुआ कुछ बोल क्यों नहीं रही हो
निशा–जी वो..जी विवान अभी तक काम पे वापस आया नही है लगता है अभी भी गांव से वापस आया नही है
रवि– अभी तक नहीं आया सब ठीक तो उसके घर में
निशा–जी वो मुझे पता नही है मैने उससे बात नही की है
रवि–ठीक है मैं उसे कॉल करके पूछ लेता हूं
निशा –ये सुनके जल्दी से बोली ..नही आप विवान को कॉल मत करना

उसे डर था की विवान कही ये ना बता दे कि निशा ने उसे काम से निकाल दिया है फिर उसे रवि को बताना पड़ेगा की क्यों उसने विवान को काम से निकाल है
रवि– क्यों ..वो थोड़ा परेशान होके बोला
निशा– नही ऐसी कोई बात नही है वो शाम को में उसे कॉल करके पूछने ही वाली थी इसी लिए
रवि–चलो ठीक है कॉल कर लेना और कोई मदद की जरूरत हो तो वो भी कर देना आजकल ऐसे भरोसे वाले मिलते कहा है और विवान तो हमारे घर का सदस्य जैसा हो गया है वो तुम्हारे पास होता है तो मुझे तुम्हारी कोई फिकर नही होती वो तुम्हारा हर काम कर देता होगा
निशा– हम्ममम
रवि– अच्छा तो अब में कॉल रखता हूं baye love you
निशा–bay love you
रवि – याद करके फोन कर लेना
निशा–ok

निशा ने फोन रख दिया और वो बिस्तर पर पड़े हुए सोचने लगी की अब वो क्या करेगी विवान को क्या बोलेगी उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था
 
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Rocco 6"

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इधर कंचन के धक्के तेज हो गए थे उसकी सिसकारियां रूम में गूंज रही थी विवान ने अपने हाथ उसकी पीछे ले जाके उसकी गान्ड को पकड़ लिया था और पैरो के जोर से उसने नीचे से धक्के लगा रहा था कंचन के हाथ विवान की छाती पे थे वो उसपे के उपर जूक गई और विवान के सर को पकड़ के अपना एक स्तन उसके मुंह में डाल दिया विवान अब नीचे से ताबड़तोड़ धक्के लगा रहा था कंचन उसके मुंह में अपने हाथ से स्तन पकड़ के उसे चूसा रही थी ... आआह्ह्ह्ह.. उह्ह्ह्ह् आआह्ह्ह्ह्.. उम्मम्म्म.. सीईईईईईई.. आह्ह्ह्हह्ह विवान ने अब इतने तेज धक्के लगाए की कंचन बर्दास्त नही कर सकी और वो झड़ने लगी उसका रस उसके लन्ड को भिगोता हुआ निकलने लगा उसने विवान के सर को अपनी छाती पे दबा दिया विवान ने भी उसको जोर से अपने गले लगाके नीचे से धक्के लगा रहा था उसका लन्ड रस से भीगा हुआ सटासट अंदर बाहर हो रहा था उसका चेहरा कंचन के बूब्स में दबा हुआ था और वो कंचन को जोर जोर से धक्के देते हुए चोद रहा था और कुछ ही सेकंड में उसने भी चूत के अंदर अपना लावा निकलना शुरू कर दिया और विवान अपने चेहरे को कंचन की छाती में दबाए हुए झड़ने लगा जब रस निकल गया तो उसने कंचन को छोड़ा और सर पीछे तकिए पे रख के लंबी लंबी सांसे लेने लगा कंचन भी उसके उपर लुढ़क गई और उसकी छाती पे अपना चेहरा रख के लंबी लंबी सांसे ले रही थी उसकी कमर अभी भी रह रह के हिल रही थी थोड़ी देर बाद जब सांस संभली तो उसने विवान के गाल को चूम लिया और मुस्कुराते हुए उसके उपर से हटी और पास ही में पड़े कपड़े से अपनी चूत और जांघ को साफ करने लगी अपने आप को साफ करके उसने उसी कपड़े से विवान के लन्ड को भी साफ कर दिया और कपड़ा वही पे फेक के मुस्कुराते हुए पलंग पे आ गई और उसे गले लगा लिया थोड़ी देर में ही दोनो की आंखें बंद हो गई और दोनों सो गए
 

Rocco 6"

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इधर निशा अपने रूम में पड़ी हुई सोच रही थी शाम को वो क्या करेगी कैसे विवान को कॉल करके वापस आने को बोलेगी जबकि उसने उसे मना किया है निशा बहुत देर तक सोचती रही उसे कुछ सूजा नही कॉल तो उसे करना ही होगा वरना रवि कॉल करेगा तो फिर क्या होगा उसने तय कर लिया की वो शाम को विवान को कॉल करेगी कैसे भी करके उससे बात करेगी

शाम हो गई निशा फोन की तरफ देख रही थी और सोच रही थी हाथ में चाय का कप था चाय पीते हुए टेबल पर पड़े फोन की तरफ देख रही थी उसने हिम्मत की और फोन को उठाके नंबर लगा दिया

रिंग जा रही थी निशा थोड़ी गभरा भी रही थी थोड़ी देर के बाद सामने से आवाज आई

विवान–हेलो ..हेलो निशा दी ..हेलो
निशा–थोड़ी देर निशा कुछ नही बोली विवान हेलो हेलो करता रहा फिर वो बोली। हा विवान वो तेरे भैया का कॉल आया था
विवान–हा दीदी क्या कह रहे थे भैया
निशा–जी वो कह रहे थे..
विवान– हा क्या के रहे थे
नीचा चुप थी
विवान–दीदी बोलो ना क्या के रहे थे भैया कुच काम था मेरा..
निशा–उन्हो ने तुझे काम पे वापस बुलाने का कहा है
विवान–पर दीदी अपने तो मना कर दिया था
निशा–में तो अभी भी नही चाहती हूं की तू काम पे आये पर तेरे भैया ..
विवान–तो दीदी आप क्या चाहती है अगर आप नही चाहती तो मैं नही आऊंगा भैया को कुछ पता नही चलेगा ..
निशा ये बात सुनके फिर से चुप हो गई
विवान–दीदी आप कुछ बोल नहीं रही
निशा–विवान तेरे भैया का कॉल आया था तेरे से बात भी करना चाहते थे ..
विवान–तो दीदी अपने क्या कहा..
निशा–मैने..थोड़ी देर चुप रहने के बाद ..मैने कहा की तुम अभी तक गांव से लौटे नही हो..
विवान को खुशी हुई के निशा दी को अब भी उसका ख्याल है उन्हों ने भैया को वो सब नही बताया
विवान–निशा दी तो अब क्या करना है अगर आप बोलो तो में भैया फोन कर लू और बोल दू की में गांव मे हूं और वापस नही आ सकता..
निशा–नही नही फिर तेरे भैया ढेरो सवाल पूछेंगे..और में जीत नही बोल पाऊंगी
विवान–तो फिर क्या करू
निशा–तू एक काम कर वापस आ जा जब तक कोई दूसरा नहीं नौकर नही मिल जाता..
विवान–जी निशा दी..विवान की आवाज में हल्का पन था
निशा ने विवान की ऐसी आवाज सुनी तो वो शर्मिंदा हो गई उसके इस शब्द से विवान को नौकर की हैसियत दिखा दी पर उसका कहना का ये मतलब नहीं था
विवान–sorry विवान वो में तुझे नौकर नही के रही थी बस ऐसे ही मुंह से निकल गया ..
निशा आज भी उसे एक छोटा भाई की तरह ही मानती थी जो भी हुआ देखा उससे उसे गुस्सा तो था लेकिन फिर भी विवान के प्रति उसकी भावनाएं आज भी थी
विवान–जी निशा दी में कल काम पे आ जाऊंगा..
निशा–लेकिन विवान एक बात सुन ले जो भी कुछ हुआ है जो भी मैने देखा है मुझे उस गंदगी में नही जाना है और तेरी जो हरकते थी मुझे घूरने की वो भी मुझे पसंद नही है तो अगर तुझे काम पे आना है तो पहले के जैसे ही रहना पड़ेगा वरना इस बार में..निशा गुस्से में उससे बोली
विवान–जी निशा दी में ख्याल रखूंगा
निशा–लेकिन कल से तू 11 बजे आयेगा ..
विवान–जी

निशा ने कॉल काट दिया विवान ने भी फोन रख दिया अनचाहे मन से ही विवान को दुबारा उसे काम पे बुलाना पड़ा जिंदगी उसे अपने हिसाब से ही उस तरफ खींच रही थी लेकिन निशा अब वापस पुरानी निशा बन गई थी अपने पति से प्यार करने वाली सीधिसाधी औरत.
रात गुजर गई सुबह हो गई निशा उठ गई चाय पीके अपने योगा क्लास चलाने लगी, क्लास पूरी हुई तो उसने अपने कपड़े बदल लिए जब विवान आया तो उसने साड़ी पहन ली थी विवान ने बस एक बार ही निशा को देखा और वो अपने काम में लग गया विवान चुप चाप अपना काम करता ना तो निशा की तरफ देखता ना उससे कुछ बात करता निशा ये देख के खुस हुई को चलो सब पहले जैसा हो गया पर लेकिन पहले जैसा नहीं था विवान तो बोल ही नहीं रहा था जब भी निशा उसे काम के लिए कुछ बात करती वो नीचे देखते हुए सुनता और काम करता

कुछ दिन ऐसे ही गुजरे निशा उसका व्यवहार देख के परेशान हो गई वो सब भूलना चाहती थी उसका ये व्यवहार उसे वही बाते याद दिलाता था वो तंग आ गई उसके इस एटीट्यूड से वो सब कुछ भूलना चाहती थी विवान उसे ऐसे व्यवहार से भूलने नही दे रहा था और वो गुस्से में उससे बोल पड़ी

निशा–क्यों ये attitude दिखा रहा है नॉर्मल नही हो सकता जैसा पहले था..
विवान चुप खड़ा रहा
निशा–कुछ बोल तो सही
विवान फिर भी चुप था और नीचे देख रहा था
निशा–अगर तुझे ऐसे ही रहना है तो अभी निकल जा
विवान– दीदी वो..
निशा– दीदी वो क्या तूने मुझे वैसा समझा है जो तू अपनी .. निशा बोलते हुए रुक गई... जो तुम कर रहे था
विवान–नही दीदी
निशा– तो , विवान देख जो कुछ हुआ वो हो गया वो सब बहक ने की वजह से हो गया था, और तुझे जो करना है वो कर पर मुझे वो सब पसंद नही है आज भी मुझे उस बात का अफसोस होता है तो यहां पहले जैसे दीदी समझ कर ही रहना होगा
विवान–दीदी मैने कभी आपके बारे में वैसा नही सोचा था उस रात बस हो गया था

बात सही थी निशा भी उस रात बहक गई थी उसने भी तो कभी विवान के बारे में ऐसा नहीं सोचा था

निशा– वो मैने देख लिया है की तू क्या सोचता है
विवान–दीदी आपको सच पता नही है

विवान ने उपर देखते हुए कहा उसकी आंखो में पानी था निशा ये देख के थोड़ी नरम हुई फिर भी उसकी आवाज वैसी ही थी

निशा– और जो मैने देखा वो क्या था
विवान– वो सच नहीं था
निशा– अगर मेरी आंखों से देखा झूठ था तो सच है क्या
विवान– वो मेरी मां नही है

निशा चौक के
निशा–मतलब
विवान – मेरी मां गांव में रहती है ये मेरी मां नही है
निशा– अपनी पाप को छुपाने के लिए झूठ बोल रहा है
विवान– नही दीदी सच बोल रहा हूं वो मेरी मां नही है
निशा– तो आज तक ये क्यों कहा की वो तेरी मां है
विवान – क्यों की वो ही मुझे यहां लाई है उन्हों ने ही मुझे मां का प्यार दिया है
निशा–हम्मम वो मैने देखा है कैसा प्यार है तुम दोनो का
विवान–जो आपने देखा है वो सच नहीं है
निशा–तो फिर सच है क्या बता
विवान–सच मेरी जिंदगी से जुड़ा है और इसी वजह से में अपने आपको इस से रोक नही पा रहा
निशा– कुछ हुआ है तेरे साथ
विवान ने हा में सर हिला दिया
निशा–क्या हुआ है मुझे बता में कुछ कर सकू
विवान– में भी चाहता था की कोई मेरी बात सुने क्या इसमें गलत था या सही था वो कोई मुझे समझाए में नही समझ पा रहा की ..और उसके आंसू बहने लगे
निशा उसके कंधे पर हाथ रखके उसे दिलासा देती है
निशा– रो मत विवान चल में तेरी बात सुनूगी अगर में मदद कर पाई तो में जरूर करूंगी आखिर अब भी तू मेरे छोटे भाई जैसा ही है

दीदी.. और विवान उससे चिपक गया अपने सर को निशा के कंधे पे रख के रोने लगा निशा ने भी उसकी हालत को देख के उसे कुछ नही कहा और उसके सर को सहलाते हुए विवान को दिलासा देती रही विवान का लन्ड पेंट के उपर से निशा की जांघ से सटा हुआ था लेकिन निशा ने उस तरफ ध्यान नहीं दिया

निशा– ठीक है विवान कल बात करेंगे इस बारे में और निशा
उसे अलग कर देती है

विवान भी उससे अलग होता हुआ अपने आंसू पोंछ रहा था

निशा– ठीक है विवान अब रोना बंद कर अभी तेरी उमर भी ऐसी नही है जो तू ये सब समझ पाए में समझती हूं ये सब, मे करूंगी तेरी मदद में सुनूंगी तेरी बात ठीक है
विवान–ठीक है दीदी
निशा–चल अब छोड ये सब और अपने आपको ठीक कर

निशा ने विवान के जाने के बाद बहोत सोचा विवान के लिए उसके दिल में अभी भी हमदर्दी थी विवान के इतने समय उसके साथ रहने पर भी कभी उसे ऐसा नहीं लगा था की विवान उसे बुरी नजर से देखता है या कोई बुरी भावना थी उसके मन में निशा को भी लग रहा था की सायद उसके गांव में ही उसके बिगड़ने की शुरुआत हुई है और उसके मन में भी उसे जानने की उत्सुकता होने लगी बड़ी देर सोचने के बाद उसने विवान की मदद करने का थान लिया

अगले दिन विवान आया निशा ने उसे मुस्कुराते हुए अंदर आने को कहा, "आजा विवान " ..विवान अंदर आ गया ,
निशा– कैसे हो विवान
विवान–ठीक हूं दीदी
निशा–

में और मां एकेले ही रहते थे गांव में मेरे बाबूजी का गांव में नाम था इसी लिए सब हमारी मदद करने तैयार रहते थे मेरे चाचा भी गांव में ही रहते थे बस हमसे थोड़ा दूर पर वो हमेशा जब भी काम होता हाजिर हो जाते थे मेरी चाची भी अच्छी थी उनकी और मेरी मां की बहोत बनती थी मेरी चाची और मेरी मां दोनो बहने जैसी थी

में जवान हो रहा था मां को खेतो में काम करने में भी मदद करता था और शाम से पहले हम मां बेटे साथ ही घर आ जाते थे में आपको बताना भूल गया हमारे खुद के खेत है मेरे चाचा का खेत और हमारा खेत साथ में ही है मेरे पिताजी चार साल पहले ही गुजर गए थे
निशा ने उसके कंधे पे हाथ रख के कहा ..में समझती थी की कंचन के पति ही तेरे पिताजी है लेकिन तेरे असली पिताजी भी गुजर गए है
मेरी बिगड़ ने की शुरुआत तब हुई जब मेने वो देख लिया जो मुझे नहीं देखना चाहिए था में खेत आता था तो काम करता खाने का टाइम हो जाता था हम मां बेटे खाना खाते मेरी मां बर्तन साफ करने चली जाती बर्तन साफ करके वो थोड़ी देर आराम करती में उस वक्त खेत में घूमता रहता इधर उधर देखता कही कोई जानवर तो नही आया है वैसे भी मुझे दोपहर को नींद नहीं आती थी तब तक घूमता टाइम पास करता जब तक मां उठ नही जाती जब वो उठ जाती तो में वापस आ जाता और हम काम में लग जाते लेकिन एक दिन में ऐसे ही घूम रहा था घूमते हुए में खेत के दूसरे कोने तक जा पोहचा जब में वहा पोहाचा तो मैंने कुछ आवाजे सुनी जो घुसर पुशर बाते करने की आ रही थी और कुछ आवाजे अलग ही आ रही थी जैसे कोई दर्द में धीरे धीरे कराह रहा हो में डर गया कही भूत तो नही है में डर के वापस जाने लगा पर तभी ये आवाजे मुझे कुछ जानी पहचानी लगी तो में वापस मूड़ा मैने देखने का फैसला किया की कोन है और में हिम्मत करके उस तरफ जाने लगा साथ ही मुझे डर भी लग रहा था इस लिए में दूरी बनाए था बस थोड़ा ही आगे चला तो मुझे दूसरे कोने में जो मेरे चाचा का खेत था वहा मुझे दो लोग दिखे में धीरे धीरे बिना आवाज करते हुए थोड़ा पास गया जब पास आ गया तो मुझे पता चला की ये तो मेरे चाचा की यहां काम करने वाली सुनीता चाची है और उनके उपर एक आदमी चढ़ा हुआ था वो उनका पति नरेश चाचा जैसा लग रहा था चाची बिल्कुल फसल के बीच सोई हुई थी उनका ब्लाउज खुला हुआ था उन्हों ने साड़ी नीचे बिछा रखी थी जिसके उपर सुनीता चाची सोई हुई थी मुझे चाची के उपर का एक हिस्सा दिख रहा था जो ब्लाउज के बाहर निकला हुआ था

"विवान किस हिस्से की बात कर रहा था वो निशा समझ गई थी पर वो उसे कुछ नही बोली"

बाकी नरेश चाचा के पीछे छुपा हुआ था नीचे चाची का घाघरा उपर चढ़ा हुआ था और चाचा हिल रहे थे बस इतना देख के में वहा से चला गया मुझे तो पता नही था की ये सब क्या है और चाचा चाची ये क्या कर रहे है लेकिन मैने उनकी बाते सुनी थी जिस से मुझे ये पता लगा की वो घर पे बच्चो की वजह से ये सब नही कर पा रहे थे इसी लिए यहां कर रहे थे में वहा से वापस आ गया थोड़ी देर जोपड़ी के बाहर बैठा वो क्या कर रहे थे उस बारे में सोचता रहा पर उस वक्त में कुछ समझ नहीं पाया थोड़ी देर बाद मां उठ गई और फिर में मां के साथ काम में लग गया मैने किसी से ये बात नही कही पर में कुछ दिन तक उसी बारे में सोचता रहा कई दिन तक में उस तरफ गया भी नही

लेकिन एक दिन फिर में उस तरफ चला गया मेरे मन में यही बात ही घूम रही थी की आखिर चाची चाचा कर क्या रहे थे और में दुबारा वही जगा पे चला गया पर मुझे वहा चाचा चाची नही दिखे इस टाइम मेरे चाचा घर चले जाते थे खाना खाने यही टाइम था उन लोगो का पर वो दिख नही रहे थे में थोड़ा मायूस हुआ मेरे अंदर ये जानने की इच्छा हो रही थी मैंने थोड़ी देर इंतजार किया पर वो दिखे नही में वहा से चला आया दूसरे दिन फिर में गया इस बार भी वो नही दिखे मैं थोड़ी देर रोका और इंतजार करने लगा, थोड़ी देर इंतजार के बाद मुझे वो वहा आते दिखे में छुप गया कही वो मुझे देख ना ले थोड़ी देर बाद जब मैने देखा तो चाची नीचे लेट गई थी और चाचा उसके उपर चढ़े हुए चाची को चूम रहे थे चाची का ब्लाउज खुला था और चाचा कभी चाची के चेहरे को चूमते कभी चाची की छाती को चूमते में ये सब देख रहा था थोड़ी देर ऐसे ही चाची को चूमने के बाद हाथ पेंट पे ले जाके कुछ करने लगे फिर चाची के उपर लेट गए और अपनी कमर हिलाने लगे में पीछे से चाचा की कमर को हिलता हुआ देख रहा था चाचा ने पेंट तो नही निकली थी पर चाची का घाघरा उपर चढ़ा हुआ था मुझे चाची के पैर पूरे नंगे दिख रहे थे क्यों की चाची ने पैर सीधे रखे थे चाची ने चाचा को जोर से गले लगाया हुआ था और उनके ऐसे गले लगाने से उनकी छाती को उभार एक साइड से बाहर निकल गया था चाचा पूरे जोर से कमर हिला रहे थे चाची की मुंह से अजीब सी आवाजे आ रही थी फिर मैने देखा कि चाची ने अपने पांव उपर उठा लिए और चाचा की कमर पे लपेट लिए चाचा जोर से कमर हिला रहे थे चाची भी उनको गले लगाए आवाजे निकाल रही थी थोड़ी देर बाद ही चाचा कमर हिलना बंद हुई और वो रुक गए मैंने देखा की दोनो हाफ रहे थे फिर चाचा उठे और अपनी पेंट पे हाथ ले जाके फिर से कुछ करने लगे फिर वो उठ गए और थोड़ा आगे जाके सब तरफ देखने लगे में थोड़ा छुप गया पर में देख रहा था मेरी नजर जब चाची पे पड़ी तो में देखता ही रह गया चाची का ब्लाउज अब भी खुला था और उनकी गोल भरी हुई छाती ब्लाउज के बाहर लटक रही थी मैंने एक दो बार संगीता दीदी की छाती देखी थी जब वो अपने बच्चे को दूध पिलाती थी चाची की छाती भी संगीता दीदी जैसी ही थी बड़ी बड़ी ,में चाची की छाती को देखने लगा आज पहली बार में किसी औरत की छाती को यूं नंगा देख रहा था संगीता दीदी तो एक तरफ की ही छाती खोलती थी वो भी जब अपने बचे के मुंह में डाल देती तो अपना पल्लू ढक देती पर सामने चाची की पूरी खुली छाती दिख रही थी चाची बैठके अपनी टांगो के बीच में अपने पल्लू से साफ कर रही थी जब मेरी नजर वहा पड़ी तो मैने पहली बार औरत का वो भाग देखा छोटे छोटे बाल उसपे उगे हुए थे में तो वहा देखता ही रह गया चाची ने साफ करके अपनी साड़ी नीचे कर दी और अपने ब्लाउज के बटन लगाने लगी बटन लगाके वो उठ गई में फिर से छुप गया चाचा चाची वहा से चले गए में थोड़ी देर छुपा रहा चाची का वो हिस्सा अब भी मेरी आंखो के सामने घूम रहा था मेरा ध्यान तब टूटा जब मुझे पेंट में कुछ गीला लगा तो मेरी नजर वहा पड़ी मैंने देखा की मेरे ये खड़ा है और पेंट को गिला कर दिया है में समझ नही पाया की ये मेरे साथ क्या हुआ है कई बार ये खड़ा तो हो जाता था पर बाद में बैठ जाता था पर आज पहली बार इस में से मुझे बिना पता चले पानी निकला था में ये समझ नही पाया की ये पेशाब है की कुछ और है क्यों की पेशाब के वक्त भी मेरा ये खड़ा हो जाता था में ऐसे तो मां के पास नही जा सकता था तो में वहा से सीधा भाग के अपनी पेंट का वो हिसा छुपाते हुए घर आ गया और जल्दी से अपनी पेंट बदल ली ..

विवान जब इतनी कहानी सुनाके निशा की और देखा तो निशा नीचे मुंह किए असहज होती महसूस हुई उसने तुरंत निशा से कहा

..sorry दीदी वो में बहुत खुले शब्दों में बोल गया माफ करना निशा दी आपको बुरा लगा होगा..

..कोई बात नही विवान तू कहानी में खो गया था और में समजती हूं अक्सर इसी उमर में बच्चे बिगड़ जाते है और मां बाप शर्म के मारे ये सब बात नही करते है और बच्चो को मारते है तू खुलके बोल तभी तेरी प्रोब्लम समजुगी में वादा करती हूं

.. पर दीदी अब आगे क्या में ऐसे ही बोलू आप सुनेगी ..

निशा थोड़ी देर के लिए चुप रहती है और सोचती है की सुनु या ना कह दूं फिर वो सोचती है की तब वो जवान हो रहा था तब उसकी मदद किसीने नही की अगर अब भी उसकी मदद उसने नही की तो विवान आगे और बिगड़ सकता है

..कोई बात नही विवान मैने तुझे वादा किया है की में तेरी कहानी सुनूंगी जो आज तक किसीने तुझे इस बारे में नही कहा तेरी प्रोब्लम नही जानी में जानूगी को आखिर कैसे तू इन सब में फस गया एक छोटा भाई और दोस्त समझ के तेरी मदद करूंगी..
..वैसे भी में एक शादीशुदा शहर की लड़की हूं पढ़ी लिखी हूं तो कॉलेज में सब बाते होती है हा ये बात अलग है की मैंने कभी उस तरफ ध्यान नहीं दिया और तुझे भी इन सबसे बाहर नकालू गी ये बस कुछ समय की ज़रूरत है जो कुछ वक्त तक होती है असली जिंदगी प्यार होती है वफादारी होती है जो अपने पार्टनर के साथ की जाती है जो अपने पति या पत्नी के साथ होता है तू समझ जाएगा में तुझे समझाउंगी बड़ी भी हूं तुज से तो मैं सब समझती हूं ऐसी प्रोब्लम बात करने से ही हल होती है गुस्सा करने से नही..

.. हा बस सीमा याद रखना बहेक के ऐसी वैसी हरकत नही करना वरना गुस्सा भी करूंगी और घर से भी निकल दूंगी और इस बार भैया भी नही आयेंगे ..
..जी दीदी तो में चलू..
..अभी तो समय है तू अगर आगे कहानी सुनाना चाहता है तो सुना..
..नही दीदी कल बात करते है आज मुझसे भी नही बोला जाएगा..
..ठीक है ध्यान से जाना..

विवान चला गया ..

रात को निशा बेड पे पड़ी सोच रही थी की विवान छोटी उमर में ही इसका शिकार हो गया है वरना वो लड़का बुरा नही है अगर उसे सही से उस वक्त कोई समझा ने वाला मिला होता की अभी ये तुम्हारी उमर नही है तुम्हारी उमर पढ़ने लिखने की है ये सब बड़े होके शादी के बाद किया जाता है तो वो सायद ना बिगड़ता पर गांव में भी तो कोई पढ़ा लिखा नही होता और हमारे यहा तो ये सब बाते बोलना भी पाप होता है तो उसे आखिर कोन समझाता

वैसे भी लड़के तो हमेशा ही सेक्स के पीछे आतुर रहते है और जवान होते लड़के तो और आतुर होते है लेकिन विवान ने कभी उसे आज तक नजर उठाके भी नही देखा था जब तक वो बहक नही गया था इसका मतलब है की उसे अभी भी सही रास्ते पे लाया जा सकता है अगर उसे सही तरीके से समझाया जाए तो और इसके लिए मुझे उसकी सारी बाते सुननी होगी भले जैसी भी गंदी हो आखिर डॉक्टर भी तो अपने पेंसेंट को निजी बाते भी सुनते
है तब वो उसका इलाज कर पाते है अगर में भी गांव वालो की तरह हो जाऊंगी तो पढ़ी लिखी होने का मतलब क्या नही में उसे इससे बाहर निकालूगी
 

Rocco 6"

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तभी उसे कुछ याद आया और वो लैपटॉप लेके बैठ गई और डॉक्टर को खोजने लगी उसे एक अमेरिकन फीमेल डॉक्टर की साइड मिली निशा उसे देखने लगी देखते देखते उसे एक पेंशंट मिल गया जो विवान की ही उमर का था डॉक्टर ने उसके बारे में लिखा था निशा पढ़ने लगी इंग्लिश में था..

डॉक्टर ने ये सब लिखा था उसके बारे में

ये कोई बीमारी नहीं है ये बस छोटी उमर में होने वाला सन्मोहन है जो अक्सर जवान होते लडको को हो जाता है जब जवान हो रहा लड़का किसी महिला या लड़की को नंगा देख ले तो उसके अंदर की उत्तेजना जाग जाती है और वो अपने अंदर एक नई हलचल को महसूस करता है जब वो एक बार किसी महिला और लड़की को नंगा देख लेते है तो उनके अंदर फिर से बार बार देखने की इच्छा होती है ये नॉर्मल है जवान होते लडको या फिर लड़किया में भी ये सब भावनाए आना स्वाभाविक है पर जब ये भावनाए बढ़ जाए तब प्रोब्लम होती है फिर लड़के महिला को नंगी देखने की कोशिश करने लगते है और वो खोजते रहते है जब उन्हें कही देखने को मिल जाता है तो उनकी ईच्छा ये बढ़ जाती है और वो अपने आपको शांत करने लगते है जब वो अपने आपको पहली बार शांत करते है तो वो किसी और ही दुनिया में पोहच जाते है फिर वो बार बार अपने आपको शांत करते रहते है फिर उन्हे देखने को मिले या ना मिले वो उसी को याद करके अपने आपको शांत करते है जो उन्हों ने पहले देखा होता है यही वक्त होता है उन्हे समझा ने का अगर सही वक्त पे उनको समझाया जाए तो वो इन सब से निकल जाते है और अपना ध्यान दूसरे कामों में देने लगते है एक बात में बता दूं ये बीमारी नहीं है बस ये समय से पहले हो रहा है अच्छा इस टाइम पे उसे कोई भी समझा सकता है बड़ी बहन, मां, लेकिन सबसे ज्यादा असर पड़ता बाप के समजाने से क्यों की अक्सर जवान लड़के अपनी मां के सामने खुलके नही बोलते वो शरमाते है अरे ठीक से अपनी बात नही कर पाते बाप ही एक दोस्त बनके उन्हें अच्छे से समझा सकता है

निशा ये सब ध्यान से पढ़ रही थी उसे विवान से अब सहनुभूति हो रही थी एक तो वो गांव से था और उसके पापा भी नही थे और मां क्या करती मां को तो कुच पता भी नही होगा वो अब आगे पढ़ने लगी

पर अकसर ये बाते किसी को पता नही चलती लड़के भी नही जानते ना किसी से बात करते है कई लड़के अपने दोस्त को भी ये सब नही बताते क्यों की अक्सर कभी वो किसी ऐसे को देख लेते है जिसकी बात वो किसी को बता नही सकते और वो इसमें फसते जाते है उनकी इच्छाएं बढ़ती जाती है और वो चोरी चोरी हर महिला के बदन को घूरने लगते है वो थोड़े से भी उत्तेजित हो सकते है या पूरी नंगी देखने की भी कोशिश करते है और वो कोई भी हो सकता है रिश्तेदार हो सकते है घर की महिलाए भी हो सकती है मां या बड़ी बहन भी हो सकती है उन्हे तब पता नही होता ना ही इतनी समझ होती है के ये गलत है वो तो अपनी उत्तेजना में घिरे होते है जब वो अपनी उत्तेजना शांत कर लेते है तो उन्हें ये सब गलत लगने लगता है पर उत्तेजना के वक्त उन्हें ये ख्याल नही आता गलती भी लगती है पर वो अपनी उत्तेजना से विवश होते है

निशा ये सब पढ़के शोक थी पर अब उसे सब समझ में आ रहा था वो आगे पढ़ने लगी

फिर धीरे धीरे ये सब उनमें हावी हो जाता है और उनका मन ना तो कोई काम में लगता है ना ही पढ़ाई में फिर गलत का ख्याल सारा हट जाता है और वो उसके आगे विवश हो जाते है फिर वो अपने आपको दिन में दो तीन बार भी शांत कर सकते है और जब यहां तक वो पहोच जाते है तो वो किसी को पसंद भी करने लगते है जो उनके खयालो और कल्पनाओं में बनने वाली एक तस्वीर होती है और वो जब ऐसी महिला को देख लेते है तो फिर उनके लिए उनका प्यार या फिर उत्तेजना कहो ये जाग जाती है हा अक्सर इस तरह के लडको को अपने से बड़ी भरी हुई महिलाए जायदा पसंद आती है अगर वो किसी महिला को भीगे हुए या आधे कपड़े में या कपड़ो के बिना देख ले तो वो उनको छू ने की और पाने की कल्पना करने लगते है और जब उत्तेजना बढ़ जाती है तो वो उन्हे छूके महसूस करने की कोशिश करते है तब अगर कोई उन्हे पे गुस्सा करे या चिलाये तो वो गभरा जाते है और अपने आपको ही गलत मानने लगते है और वो खोए खोए रहने लगते है या फिर बड़ा कदम भी उठा सकते है उस वक्त उसको समझने वाला चाहिए जो उसकी इस परिस्थिति को समझे और उससे प्यार से बात करे

दूसरा ये हो सकता है की वो किसी असंतुष्ट महिला के संपर्क में आ सकते है और वो उसकी इस स्थिति का फायदा उठा सकती है जब वो महिला के संपर्क में आते है तो धीरे धीरे वो सब सीख जाते है और वो जवानी में ही पूरे पुरुष बन जाते है इस उम्र में वो महिलाओं के हाव भाव जान लेते है उनके चेहरे से वो पहचान सकते है की सामने वाली महिला उत्तेजित हो गई है और उनके अंदर की सेक्स करने की इच्छा बढ़ जाती है फिर वो उसे पाने की कोशिश करते है उन्हे पता होता है की सामने वाला भी सेक्स चाहता है इस लिए उनकी हिम्मत बढ़ जाति है और वो जबरदस्ती भी कर सकते है इस वक्त उन्हें पे सेक्स हावी होता है वो अभी जवान ही होते है उनका दिमाग पुरुष जितना परिपक्व नहीं होता तो वो महिला के मना करने पर जिद्द भी कर सकते है अगर ऐसे हो तो उसे एक डॉक्टर की जरूरत होती है बिना शर्म के उन्हे डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए डॉक्टर ही उसका सही इलाज कर सकता है और आखिर में अपना एड्रेस और नंबर लिखा था

"और हा ये लड़के महिला को संतुष भी कर देते है क्यूं की ये सब उन्हों ने महिलाओं से ही सीखा होता है" just kidding

यार ये अमेरिकन भी ना अपनी हरकतों से बाज नहीं आते निशा मुस्कुराते हुए लैपटॉप बंद कर देती है अब उसे अच्छा खासा नॉलेज हो गया था वो विवान की प्रोब्लम समझ गई थी बस वो विवान को समझा पाएगी या नहीं यही वो सोच रही थी ये लेख पढ़ते पढ़ते उसे बहुत देर हो गई थी उसने लैपटॉप को बंद किया और रख दिया और वो बेड पे आके आंखे बंद करके सोने की कोशिश करने लगी थोड़ी देर में ही निशा को नींद आ गई

सुबह विवान आया और काम में लग गया निशा भी उसके साथ काम में साथ देने लगी और उसे थोड़ा रिलेक्स करने के लिए उससे बात भी कर रही थी

..विवान थोड़ा रिलेक्स रहा कर क्या हर बार चुप चाप हो जाता है..

..जी दीदी..और विवान ने स्माइल दे दी..
..क्या आज तुझे सच नहीं सुनाना है ..निशा मुस्कुराते
हुए उससे पूछने लगी
 
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