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दर्द से विवान के मुंह से आवाजे निकलने लगी.. आह्ह्ह्ह.. आह्ह्ह्ह्ह.. उह्ह्ह्ह्ह्ह
कराह ने की आवाजे धीमी थी, कंचन को लगा की विवान को मजा आ रहा है कंचन ने अपना काम जारी रखा
विवान का लन्ड पे अब फिर से जलन होने लगी थी
विवान की आवाजे अब बढ़ गई थी उसका लन्ड टेढ़ा होने की वजह से दुख रहा था साथ ही जलन भी हो रही थी वो अपने लन्ड को दर्द की वजह से सीधा कर देना चाहता था उसने कंचन के बाल को पकड़ के अपनी और खींचा ताकि कंचन सीधी हो जाए पर कंचन को लगा की विवान को मजा आ रहा है और मजा देने के लिए वो लन्ड को और दबाने लगी और अपनी गान्ड को जितना हो सके पीछे धकेल ने लगी और सच भी यही है की कंचन को इसमें मजा आ रहा था पीछे लन्ड था और आगे वो लन्ड समझ केअंगूठा चूस रही थी तो वो भी मजे में विवान की आवाज को समझ नही पाई थी
... आह्ह्ह्ह..कंचन.. आह्ह्ह्ह्ह.. उह्ह्ह्ह्ह..कंचन
विवान दर्द से इतना ही बोल पा रहा था जलन अब ज्यादा बढ़ गई थी लन्ड ढीला पड़ने की बजाए और कड़क हो रहा था ऐसा लग रहा था गरमा गरम खून सारा लन्ड पे जाके जमा हो रहा था और लन्ड को लावे की तरह गरम करके जला रहा था
//////////
विवान अपने हाथ से उसकी गान्ड को पकड़ के हटाने की कोशिश कर रहा था कभी उसके बाल की चोटी पकड़ के खींच रहा था मुंह से बोल भी रहा था
.. आह्ह्ह्ह्ह ..कंचन... आह्ह्ह्हह्.. उह्ह्ह्ह्ह..जल रहा है... आह्ह्ह्ह्ह..मां..जल रहा है... आह्ह्ह्ह्ह.. उह्ह्ह्ह्ह
लेकिन कंचन अपने में ही मशगूल थी वो विवान के पैर के अंगूठों को बेहतहाशा चूम रही थी
.. हम्ममम.. म्म्म्म्म.. हम्ममम.. उह्ह्ह्ह्.. मम्ममम
अब विवान से बर्दाश्त नहीं हो रहा था लन्ड गरम लावा बन कर जल रहा था उसे अब खुली हवा की जरूरत थी, विवान ने कंचन के बाल को पकड़ के जोर से खींचा विवान ने इतना जोर लगाया था जैसे वो बालो को झड से उखाड़ देगा बालो के खींच ने से कंचन को दर्द हुआ और उसके मुंह से अंगूठा निकल गया और जोर की आह्ह्ह्ह्ह की आवाज के साथ उसके हाथ पीछे बाल पर चले गए और वो बालो को पकड़ते हुए उपर हो गई
विवान ने उसे खींच के सीधा कर दिया था और जल्दी से उसे धक्का देके अपने लन्ड को निकल लिया लन्ड एकदम लाल टमाटर की तरह हो गया था जैसे बदन का सारा खून लुंड पे जमा हो गया है और वो बेरहमी से उपर नीचे भी हो रहा था
कंचन ने भी जब देखा तो उसे पता चला की लन्ड की क्या हालत हो गई है उसने विवान की और देखा तो वो आंखे बंद किए पड़ा था उसके चेहरे पे दर्द साफ दिख रहा था उसके मुंह से धीमी धीमी आवाजे आ रही थी
आह्ह.. उह्ह्ह्ह्ह.. आह्ह्ह्ह.. उह्ह्ह्ह्ह.. जो दर्द से उठ रही थी
कंचन उसकी छाती पे हाथ फेरने लगी और उसे माफी मांगने लगी उसे एहसास हुआ की उसने लन्ड को जायदा ही परेशान किया है लन्ड भी डेढ़ घंटे से बिना अपना लावा उगले खड़ा था
विवान थोड़ी देर बाद उठा और जट से बात रूम की और चला गया और उसने लन्ड को नल के नीचे ठंडे पानी की धार में रख दिया उसे ऐसा लगा जैसे गरम लोहे की रोड को ठंडे पानी में डाला गया है और ठंडा पानी उसकी जलन को कम करने लगा उसके मुंह से राहत की सांसे निकलने लगी जब जलन कम हुई तो उसने नल बंद कर दिया उसे काफी राहत मिली पर लन्ड अभी भी ढीला नही पड़ रहा था और इतनी देर तक खड़े रहने से उसे दर्द भी हो रहा था और इस दर्द से राहत पाने का एक ही इलाज था इसका लावा बाहर निकल दिया जाए और वो यही सोचके कंचन के पास जाने लगा
जैसे ही वो कंचन के पास आया कंचन सीधा उठके उसके पास आ गई और उसके गालों को सहलाते हुए उससे माफी मांगने लगी
.. माफ करदे विवान मेरी वजह से ही तुझे ये दर्द सहना पड़ रहा है..
विवान ने कंचन के माथे को चूम लिया और ये बता दिया की माफी मांगने की जरूरत नहीं है
..अब इसका एक ही इलाज है कंचन इसको शांत कर दे इसका लावा निकाल दे..
और कंचन को कमर से पकड़ के अपने से चिपका लिया कंचन के हाथ जो विवान की छाती पे थे वो विवान की छाती पे दब गए और लन्ड चूत पे भाले की तरह चुभने लगा
विवान ने अपने होठ को उसके हाथ से मिला दिया और उसे किस करने लगा और हाथो से उसकी गान्ड को सहलाने लगा कंचन भी उसका साथ देने लगी और अब उसने अपने आपको विवान के हवाले कर दिया अब वो उसे ही सब कुछ करने देना चाहती थी
विवान ने कंचन के हाथ पकड़ के खोल दिए और उसे फिर से अपने से चिपका लिया कंचन के स्तन विवान की छाती से दब गए विवान उसे चूमता हुआ उसकी गान्ड को पकड़ के अपने से और चिपकने लगा कंचन को मजा आ रहा था उसने विवान को जोर से भींच लिया उसके स्तन विवान की छाती पे दब गए और वो पीठ से लेकर गान्ड तक अपने हाथ से विवान को सहलाने लगी
दोनो ही एक दूसरे को चूम रहे थे होठों को चूस रहे थे साथ ही एक दूसरे के मुंह में जीभ डालके मजा ले रहे थे दोनो की सांसे तेज चलने लगी थी विवान अपनी मां की गान्ड को सहला रहा था दबा रहा था वही कंचन उसकी पीठ को एक हाथ से सहला रही थी अपने से चिपका रही थी दूसरे हाथ से वो भी विवान की गान्ड दबा रही थी
दोनो की सांसों के साथ निकलती आवाजे और उत्तेजित बन रही थी .. उम्मम्म्म.. अअह्ह्ह्ह.. उम्मम्मम.. पुच्छछह्ह.. उम्मम्म्
5 मिनिट के इस मिलन के बाद जब विवान ने अपने होठ अलग किए तो दोनो ही लंबी लंबी सांसे ले रहे थे दोनो के चेहरे उत्तेजना से तिलमिला गए थे कंचन अपनी नशीली आंखों से विवान की वासना भरी आंखों में देख रही थी की और आंखो से पूछ रही थी की अब क्या करना है तभी विवान ने उसके बाजुओं को पकड़ा और उसे नीचे बैठाने लगा कंचन उसका इरादा समझ गई और कंचन ने विवान के होठ चूमे फिर नीचे आके गला चूमा फिर छाती चूमा फिर वो उसे ऐसे ही चूमती चूमती हुई नीचे बैठ गई नीचे बैठते ही उसके सामने विवान का लन्ड आ गया जो उत्तेजना से उपर नीचे हो रहा था कंचन की वासना भरी आंखे विवान के तड़पते लन्ड को देखने लगी उसने हाथ आगे बढ़ा के लन्ड को जड़ से पकड़ लिया लन्ड अभी भी हिलने रहा था जिसे कंचन प्यासी निगाहों से देख रही थी उसकी गरम गरम सांसे विवान के लन्ड के टोपे पे पड रही थी जो विवान के लन्ड को और कड़क बना रही थी विवान से अब रहा नही गया वो थोड़ा आगे बढ़ कर अपने लन्ड को कंचन के होठों पे लगा दिया
कंचन तो उसके लन्ड की प्यासी ही थी कंचन ने लन्ड को तीन चार बार चूमा फिर अपना मुंह खोल के लन्ड को अंदर ले लिया और बड़े ही प्यार से अपने मुंह को आगे पीछे करने लगी अपनी जीभ से लन्ड के टोपे को भी सहला रही थी कभी वो अपनी जीभ को लन्ड की जड़ तक ले जाती और पूरे लन्ड को चाटती फिर वापस से लन्ड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगती विवान ने अपने हाथ को कंचन के कंधो पे रख दिया था और आंखे बंद किए मजा ले रहा था कंचन उसके लन्ड को उपर कर के बड़े बड़े गोटो को भी अपने मुंह में लेती और जोर से चूसती जब वो गोटो को चूसती तो साथ में लन्ड को भी हिलाती रहती विवान का लन्ड इतना कड़क हो गया की वो कंचन के हाथ में और फूल गया उसकी नशे फूल के मोटी हो गई थी जैसे वीर्य अब रुकना नही चाहता और वो फोर्स से निकलना चाहता है पर वो निकल नही पा रहा है और नशों में जमा हो रहा है कंचन को अपने हाथ में लन्ड को फूलता हुआ देख वो और जोर से हिलाने लगी और अपनी जीभ से लन्ड के टोपे पर हिलाते हुए विवान को और मजा देने लगी
विवान का बुरा हाल था ऐसा लग रहा था की वीर्य टोपे पे आके जमा हो गया है और निकलने की कोशिश कर रहा है उसे अपने टोपे पे थोड़ा दर्द भी होने लगा उसकी आंखे बंद थी चेहरे पे परेशानी थी कंचन जोर जोर से लन्ड हिला रही थी साथ में जीभ का भी कमाल दिखा रही थी विवान को लन्ड पे जलन सी हुई कुछ अटकते हुए निकल रहा है ऐसे उसे महसूस होने लगा और उसके मुंह से जलन की वजह से कराहे निकलने लगी
दर असल वो उसका वीर्य था जो इतनी देर से जमा होने से थोड़ा सा बाहर निकला था
.. आह्ह्हह्हह्ह्ह्हह्ह्हह्हह्ह.. ओहह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .. उह्ह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्.. उह्ह्ह्ह्ह्ह..
कराह ने की आवाजे धीमी थी, कंचन को लगा की विवान को मजा आ रहा है कंचन ने अपना काम जारी रखा
विवान का लन्ड पे अब फिर से जलन होने लगी थी
विवान की आवाजे अब बढ़ गई थी उसका लन्ड टेढ़ा होने की वजह से दुख रहा था साथ ही जलन भी हो रही थी वो अपने लन्ड को दर्द की वजह से सीधा कर देना चाहता था उसने कंचन के बाल को पकड़ के अपनी और खींचा ताकि कंचन सीधी हो जाए पर कंचन को लगा की विवान को मजा आ रहा है और मजा देने के लिए वो लन्ड को और दबाने लगी और अपनी गान्ड को जितना हो सके पीछे धकेल ने लगी और सच भी यही है की कंचन को इसमें मजा आ रहा था पीछे लन्ड था और आगे वो लन्ड समझ केअंगूठा चूस रही थी तो वो भी मजे में विवान की आवाज को समझ नही पाई थी
... आह्ह्ह्ह..कंचन.. आह्ह्ह्ह्ह.. उह्ह्ह्ह्ह..कंचन
विवान दर्द से इतना ही बोल पा रहा था जलन अब ज्यादा बढ़ गई थी लन्ड ढीला पड़ने की बजाए और कड़क हो रहा था ऐसा लग रहा था गरमा गरम खून सारा लन्ड पे जाके जमा हो रहा था और लन्ड को लावे की तरह गरम करके जला रहा था
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विवान अपने हाथ से उसकी गान्ड को पकड़ के हटाने की कोशिश कर रहा था कभी उसके बाल की चोटी पकड़ के खींच रहा था मुंह से बोल भी रहा था
.. आह्ह्ह्ह्ह ..कंचन... आह्ह्ह्हह्.. उह्ह्ह्ह्ह..जल रहा है... आह्ह्ह्ह्ह..मां..जल रहा है... आह्ह्ह्ह्ह.. उह्ह्ह्ह्ह
लेकिन कंचन अपने में ही मशगूल थी वो विवान के पैर के अंगूठों को बेहतहाशा चूम रही थी
.. हम्ममम.. म्म्म्म्म.. हम्ममम.. उह्ह्ह्ह्.. मम्ममम
अब विवान से बर्दाश्त नहीं हो रहा था लन्ड गरम लावा बन कर जल रहा था उसे अब खुली हवा की जरूरत थी, विवान ने कंचन के बाल को पकड़ के जोर से खींचा विवान ने इतना जोर लगाया था जैसे वो बालो को झड से उखाड़ देगा बालो के खींच ने से कंचन को दर्द हुआ और उसके मुंह से अंगूठा निकल गया और जोर की आह्ह्ह्ह्ह की आवाज के साथ उसके हाथ पीछे बाल पर चले गए और वो बालो को पकड़ते हुए उपर हो गई
विवान ने उसे खींच के सीधा कर दिया था और जल्दी से उसे धक्का देके अपने लन्ड को निकल लिया लन्ड एकदम लाल टमाटर की तरह हो गया था जैसे बदन का सारा खून लुंड पे जमा हो गया है और वो बेरहमी से उपर नीचे भी हो रहा था
कंचन ने भी जब देखा तो उसे पता चला की लन्ड की क्या हालत हो गई है उसने विवान की और देखा तो वो आंखे बंद किए पड़ा था उसके चेहरे पे दर्द साफ दिख रहा था उसके मुंह से धीमी धीमी आवाजे आ रही थी
आह्ह.. उह्ह्ह्ह्ह.. आह्ह्ह्ह.. उह्ह्ह्ह्ह.. जो दर्द से उठ रही थी
कंचन उसकी छाती पे हाथ फेरने लगी और उसे माफी मांगने लगी उसे एहसास हुआ की उसने लन्ड को जायदा ही परेशान किया है लन्ड भी डेढ़ घंटे से बिना अपना लावा उगले खड़ा था
विवान थोड़ी देर बाद उठा और जट से बात रूम की और चला गया और उसने लन्ड को नल के नीचे ठंडे पानी की धार में रख दिया उसे ऐसा लगा जैसे गरम लोहे की रोड को ठंडे पानी में डाला गया है और ठंडा पानी उसकी जलन को कम करने लगा उसके मुंह से राहत की सांसे निकलने लगी जब जलन कम हुई तो उसने नल बंद कर दिया उसे काफी राहत मिली पर लन्ड अभी भी ढीला नही पड़ रहा था और इतनी देर तक खड़े रहने से उसे दर्द भी हो रहा था और इस दर्द से राहत पाने का एक ही इलाज था इसका लावा बाहर निकल दिया जाए और वो यही सोचके कंचन के पास जाने लगा
जैसे ही वो कंचन के पास आया कंचन सीधा उठके उसके पास आ गई और उसके गालों को सहलाते हुए उससे माफी मांगने लगी
.. माफ करदे विवान मेरी वजह से ही तुझे ये दर्द सहना पड़ रहा है..
विवान ने कंचन के माथे को चूम लिया और ये बता दिया की माफी मांगने की जरूरत नहीं है
..अब इसका एक ही इलाज है कंचन इसको शांत कर दे इसका लावा निकाल दे..
और कंचन को कमर से पकड़ के अपने से चिपका लिया कंचन के हाथ जो विवान की छाती पे थे वो विवान की छाती पे दब गए और लन्ड चूत पे भाले की तरह चुभने लगा
विवान ने अपने होठ को उसके हाथ से मिला दिया और उसे किस करने लगा और हाथो से उसकी गान्ड को सहलाने लगा कंचन भी उसका साथ देने लगी और अब उसने अपने आपको विवान के हवाले कर दिया अब वो उसे ही सब कुछ करने देना चाहती थी
विवान ने कंचन के हाथ पकड़ के खोल दिए और उसे फिर से अपने से चिपका लिया कंचन के स्तन विवान की छाती से दब गए विवान उसे चूमता हुआ उसकी गान्ड को पकड़ के अपने से और चिपकने लगा कंचन को मजा आ रहा था उसने विवान को जोर से भींच लिया उसके स्तन विवान की छाती पे दब गए और वो पीठ से लेकर गान्ड तक अपने हाथ से विवान को सहलाने लगी
दोनो ही एक दूसरे को चूम रहे थे होठों को चूस रहे थे साथ ही एक दूसरे के मुंह में जीभ डालके मजा ले रहे थे दोनो की सांसे तेज चलने लगी थी विवान अपनी मां की गान्ड को सहला रहा था दबा रहा था वही कंचन उसकी पीठ को एक हाथ से सहला रही थी अपने से चिपका रही थी दूसरे हाथ से वो भी विवान की गान्ड दबा रही थी
दोनो की सांसों के साथ निकलती आवाजे और उत्तेजित बन रही थी .. उम्मम्म्म.. अअह्ह्ह्ह.. उम्मम्मम.. पुच्छछह्ह.. उम्मम्म्
5 मिनिट के इस मिलन के बाद जब विवान ने अपने होठ अलग किए तो दोनो ही लंबी लंबी सांसे ले रहे थे दोनो के चेहरे उत्तेजना से तिलमिला गए थे कंचन अपनी नशीली आंखों से विवान की वासना भरी आंखों में देख रही थी की और आंखो से पूछ रही थी की अब क्या करना है तभी विवान ने उसके बाजुओं को पकड़ा और उसे नीचे बैठाने लगा कंचन उसका इरादा समझ गई और कंचन ने विवान के होठ चूमे फिर नीचे आके गला चूमा फिर छाती चूमा फिर वो उसे ऐसे ही चूमती चूमती हुई नीचे बैठ गई नीचे बैठते ही उसके सामने विवान का लन्ड आ गया जो उत्तेजना से उपर नीचे हो रहा था कंचन की वासना भरी आंखे विवान के तड़पते लन्ड को देखने लगी उसने हाथ आगे बढ़ा के लन्ड को जड़ से पकड़ लिया लन्ड अभी भी हिलने रहा था जिसे कंचन प्यासी निगाहों से देख रही थी उसकी गरम गरम सांसे विवान के लन्ड के टोपे पे पड रही थी जो विवान के लन्ड को और कड़क बना रही थी विवान से अब रहा नही गया वो थोड़ा आगे बढ़ कर अपने लन्ड को कंचन के होठों पे लगा दिया
कंचन तो उसके लन्ड की प्यासी ही थी कंचन ने लन्ड को तीन चार बार चूमा फिर अपना मुंह खोल के लन्ड को अंदर ले लिया और बड़े ही प्यार से अपने मुंह को आगे पीछे करने लगी अपनी जीभ से लन्ड के टोपे को भी सहला रही थी कभी वो अपनी जीभ को लन्ड की जड़ तक ले जाती और पूरे लन्ड को चाटती फिर वापस से लन्ड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगती विवान ने अपने हाथ को कंचन के कंधो पे रख दिया था और आंखे बंद किए मजा ले रहा था कंचन उसके लन्ड को उपर कर के बड़े बड़े गोटो को भी अपने मुंह में लेती और जोर से चूसती जब वो गोटो को चूसती तो साथ में लन्ड को भी हिलाती रहती विवान का लन्ड इतना कड़क हो गया की वो कंचन के हाथ में और फूल गया उसकी नशे फूल के मोटी हो गई थी जैसे वीर्य अब रुकना नही चाहता और वो फोर्स से निकलना चाहता है पर वो निकल नही पा रहा है और नशों में जमा हो रहा है कंचन को अपने हाथ में लन्ड को फूलता हुआ देख वो और जोर से हिलाने लगी और अपनी जीभ से लन्ड के टोपे पर हिलाते हुए विवान को और मजा देने लगी
विवान का बुरा हाल था ऐसा लग रहा था की वीर्य टोपे पे आके जमा हो गया है और निकलने की कोशिश कर रहा है उसे अपने टोपे पे थोड़ा दर्द भी होने लगा उसकी आंखे बंद थी चेहरे पे परेशानी थी कंचन जोर जोर से लन्ड हिला रही थी साथ में जीभ का भी कमाल दिखा रही थी विवान को लन्ड पे जलन सी हुई कुछ अटकते हुए निकल रहा है ऐसे उसे महसूस होने लगा और उसके मुंह से जलन की वजह से कराहे निकलने लगी
दर असल वो उसका वीर्य था जो इतनी देर से जमा होने से थोड़ा सा बाहर निकला था
.. आह्ह्हह्हह्ह्ह्हह्ह्हह्हह्ह.. ओहह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .. उह्ह्ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्.. उह्ह्ह्ह्ह्ह..