very niceकुछ लम्हो के इन्तिज़ार में, हमने बरसों गुज़ारे है
नसीहत है मुझे, जिन रास्तों पे निकले हैं वो बैगाने है।
ख्वाब ख्वाब ही होतें है, वजूद हकीकत का होता है
फिर भी न जाने क्यों काँटों की राह पर, हम नंगे पांव चले आ रहे हैं।
very niceकुछ लम्हो के इन्तिज़ार में, हमने बरसों गुज़ारे है
नसीहत है मुझे, जिन रास्तों पे निकले हैं वो बैगाने है।
ख्वाब ख्वाब ही होतें है, वजूद हकीकत का होता है
फिर भी न जाने क्यों काँटों की राह पर, हम नंगे पांव चले आ रहे हैं।
??गर्मी का आलम कुछ इस तरह का है ग़ालिब,
कपडे धोते ही सुख जाते है
और पहनते ही भीग जाते है
Stfutaras aati hai mujhe apni masoom palko par....... jab bhig kar kahte hain ab roya nahin jata....