• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Mera shayri ka thread

Lone survivor

Well-Known Member
8,687
28,979
219
Chalo aaj kuch likh lete hai
Nashe me hu esliye koe judge nahi karega

"Aankhen laal hai lekin roya nahi hu main
Ganjhe me dooba hu lekin khoya nahi hu main"

"Muhobaat kya hoti hai, ye bataya nahi maine
Lekin uske sath us muhobaat ko jeeya hu main"

"Aaj bhi log uske naam ke baad mera naam lete hai
Bas us haseen sapne ko hakikat me badal paya na main".....
 

lone_hunterr

Titanus Ghidorah
3,848
5,456
159
Kabhi bhi koshish nahi ki hai hindi mein erotica poem likhne ki....... Ye first attempt hai Ristrcted Rahul Akki ❸❸❸ bhai batana kaisi lagi....
P.S :- I respect every gender and this poem is just a writing


मेरे संग ए मरमर से जिस्म को
बे लिबास कर दिया
मेरे दोनों पंछियों को आजाद कर दिया
मैं कुछ समझ पाती उसके पहले ही
उन दोनों को उसने अपने हाथों के पिंजरे में कैद कर लिया
उन्हें छूते ही मेरा तन बदन मचलने लगा
उन्हें वो पागलों की तरह चूमने लगा
मेरा रोम-रोम झूमने लगा
उन दोनों की चोच को वो सहलाने लगा
मेरी जवानी को वो बहलाने लगा
मेरी यौवन की तपती भट्टी पर उसने अपने होठों को रख दिया
हर बार कैची की तरह चलने वाली मेरी जुबान को,
कांपने के लिए मजबूर कर दिया
देखते ही देखते उसकी जुबान गहराइयां नापने लगी
मैं धीरे-धीरे हाफने लगी
धीरे-धीरे मेरे हाव-भाव बदलने लगे
मेरे सोए हुए अरमान मचलने लगे
मैं किसी बलखाती नागिन की तरह उसके जिस्म से लिपटने लगी
मैं उसे पागलों की तरह बेतहाशा चूमने लगी
मैं अपनी सारी अक्ल व जेहन खोने लगी
मैं अपने उभारों को उसके होठों पर रगड़ने लगी
मेरे अंदर की चिंगारी शोला बनकर धधकने लगी
मेरे नाखून उसके जिस्म में गढ़ने लगे
मेरी मोहब्बत का फ़साना उसके जिस्म पर उकेरने लगे
उसकी सांसे मेरी सांसों में घूलने लगी
मेरे जिस्म की महक इत्रसी महकने लगी
वो धीरे-धीरे मेरी कलाई को मरोड़ने लगा
एक-एक कर मेरी चूड़ियां टूटने लगी
धीरे-धीरे हम दोनों के दरमियान की दूरियां घटने लगी
मैं अपने आपे से छूटने लगी
उसकी बाहों में आकर टूटने लगी
उसकी उंगलियां मेरे हर एक मोड़ से होते हुए,
मेरे उभारों को छूते हुए,
अपने आखिरी अंजाम तक पहुंचने लगी
उसके होंठ इंच दर इंच मेरे जिस्म को नापने लगे
अपनी मोहब्बत की निशानियों को मेरे जिस्म पर छापने लगे
वो धीरे-धीरे मेरी पंखुड़ियों को मसलने लगा
उसका हाथ मेरे जिस्म पर फिसलने लगा
मेरी यौवन की कली को वो कुचलने लगा
मेरा रोम-रोम मचलने लगा
मैं कसमसाने लगी
मैं ताश के पत्तों की तरह बिखरने लगी
वो मुझे संवारने लगा
मैं उसके आगोश में सिमटने लगी
बिस्तर की सिलवटें बढ़ने लगी
मेरे अंदर की औरत तड़पने लगी
वासना की अग्नि भड़कने लगी
यौवन की भट्टी तपने लगी
किसी मोम की तरह मैं धीरे-धीरे पिघलने लगी
वो धीरे-धीरे मुझ पर हावी होने लगा
वो मुझे औरत होने का एहसास दिलाने लगा
उसे जो चाहिए था उसे वो मिलने लगा
मेरी कलियां धीरे-धीरे खुलने लगी
उनपर सुनहरी बूंदे चमकने लगी
अगले ही पल वो मेरे भीतर दाखिल होते हुए,महसूस होने लगा
वो मेरी गहराइयों को धीरे-धीरे छूने लगा
मैं ना हंस पा रही थी,ना रो पा रही थी
ना सेह पा रही थी,ना केह पा रही थी
उस मीठे से दर्द में कहीं खो सी जा रही थी।
 

Rahul

Kingkong
60,514
70,678
354
Kabhi bhi koshish nahi ki hai hindi mein erotica poem likhne ki....... Ye first attempt hai Ristrcted Rahul Akki ❸❸❸ bhai batana kaisi lagi....
P.S :- I respect every gender and this poem is just a writing


मेरे संग ए मरमर से जिस्म को
बे लिबास कर दिया
मेरे दोनों पंछियों को आजाद कर दिया
मैं कुछ समझ पाती उसके पहले ही
उन दोनों को उसने अपने हाथों के पिंजरे में कैद कर लिया
उन्हें छूते ही मेरा तन बदन मचलने लगा
उन्हें वो पागलों की तरह चूमने लगा
मेरा रोम-रोम झूमने लगा
उन दोनों की चोच को वो सहलाने लगा
मेरी जवानी को वो बहलाने लगा
मेरी यौवन की तपती भट्टी पर उसने अपने होठों को रख दिया
हर बार कैची की तरह चलने वाली मेरी जुबान को,
कांपने के लिए मजबूर कर दिया
देखते ही देखते उसकी जुबान गहराइयां नापने लगी
मैं धीरे-धीरे हाफने लगी
धीरे-धीरे मेरे हाव-भाव बदलने लगे
मेरे सोए हुए अरमान मचलने लगे
मैं किसी बलखाती नागिन की तरह उसके जिस्म से लिपटने लगी
मैं उसे पागलों की तरह बेतहाशा चूमने लगी
मैं अपनी सारी अक्ल व जेहन खोने लगी
मैं अपने उभारों को उसके होठों पर रगड़ने लगी
मेरे अंदर की चिंगारी शोला बनकर धधकने लगी
मेरे नाखून उसके जिस्म में गढ़ने लगे
मेरी मोहब्बत का फ़साना उसके जिस्म पर उकेरने लगे
उसकी सांसे मेरी सांसों में घूलने लगी
मेरे जिस्म की महक इत्रसी महकने लगी
वो धीरे-धीरे मेरी कलाई को मरोड़ने लगा
एक-एक कर मेरी चूड़ियां टूटने लगी
धीरे-धीरे हम दोनों के दरमियान की दूरियां घटने लगी
मैं अपने आपे से छूटने लगी
उसकी बाहों में आकर टूटने लगी
उसकी उंगलियां मेरे हर एक मोड़ से होते हुए,
मेरे उभारों को छूते हुए,
अपने आखिरी अंजाम तक पहुंचने लगी
उसके होंठ इंच दर इंच मेरे जिस्म को नापने लगे
अपनी मोहब्बत की निशानियों को मेरे जिस्म पर छापने लगे
वो धीरे-धीरे मेरी पंखुड़ियों को मसलने लगा
उसका हाथ मेरे जिस्म पर फिसलने लगा
मेरी यौवन की कली को वो कुचलने लगा
मेरा रोम-रोम मचलने लगा
मैं कसमसाने लगी
मैं ताश के पत्तों की तरह बिखरने लगी
वो मुझे संवारने लगा
मैं उसके आगोश में सिमटने लगी
बिस्तर की सिलवटें बढ़ने लगी
मेरे अंदर की औरत तड़पने लगी
वासना की अग्नि भड़कने लगी
यौवन की भट्टी तपने लगी
किसी मोम की तरह मैं धीरे-धीरे पिघलने लगी
वो धीरे-धीरे मुझ पर हावी होने लगा
वो मुझे औरत होने का एहसास दिलाने लगा
उसे जो चाहिए था उसे वो मिलने लगा
मेरी कलियां धीरे-धीरे खुलने लगी
उनपर सुनहरी बूंदे चमकने लगी
अगले ही पल वो मेरे भीतर दाखिल होते हुए,महसूस होने लगा
वो मेरी गहराइयों को धीरे-धीरे छूने लगा
मैं ना हंस पा रही थी,ना रो पा रही थी
ना सेह पा रही थी,ना केह पा रही थी
उस मीठे से दर्द में कहीं खो सी जा रही थी।
wonderfull shayri hai :applause:
 
Last edited:

Lone survivor

Well-Known Member
8,687
28,979
219
Kabhi bhi koshish nahi ki hai hindi mein erotica poem likhne ki....... Ye first attempt hai Ristrcted Rahul Akki ❸❸❸ bhai batana kaisi lagi....
P.S :- I respect every gender and this poem is just a writing


मेरे संग ए मरमर से जिस्म को
बे लिबास कर दिया
मेरे दोनों पंछियों को आजाद कर दिया
मैं कुछ समझ पाती उसके पहले ही
उन दोनों को उसने अपने हाथों के पिंजरे में कैद कर लिया
उन्हें छूते ही मेरा तन बदन मचलने लगा
उन्हें वो पागलों की तरह चूमने लगा
मेरा रोम-रोम झूमने लगा
उन दोनों की चोच को वो सहलाने लगा
मेरी जवानी को वो बहलाने लगा
मेरी यौवन की तपती भट्टी पर उसने अपने होठों को रख दिया
हर बार कैची की तरह चलने वाली मेरी जुबान को,
कांपने के लिए मजबूर कर दिया
देखते ही देखते उसकी जुबान गहराइयां नापने लगी
मैं धीरे-धीरे हाफने लगी
धीरे-धीरे मेरे हाव-भाव बदलने लगे
मेरे सोए हुए अरमान मचलने लगे
मैं किसी बलखाती नागिन की तरह उसके जिस्म से लिपटने लगी
मैं उसे पागलों की तरह बेतहाशा चूमने लगी
मैं अपनी सारी अक्ल व जेहन खोने लगी
मैं अपने उभारों को उसके होठों पर रगड़ने लगी
मेरे अंदर की चिंगारी शोला बनकर धधकने लगी
मेरे नाखून उसके जिस्म में गढ़ने लगे
मेरी मोहब्बत का फ़साना उसके जिस्म पर उकेरने लगे
उसकी सांसे मेरी सांसों में घूलने लगी
मेरे जिस्म की महक इत्रसी महकने लगी
वो धीरे-धीरे मेरी कलाई को मरोड़ने लगा
एक-एक कर मेरी चूड़ियां टूटने लगी
धीरे-धीरे हम दोनों के दरमियान की दूरियां घटने लगी
मैं अपने आपे से छूटने लगी
उसकी बाहों में आकर टूटने लगी
उसकी उंगलियां मेरे हर एक मोड़ से होते हुए,
मेरे उभारों को छूते हुए,
अपने आखिरी अंजाम तक पहुंचने लगी
उसके होंठ इंच दर इंच मेरे जिस्म को नापने लगे
अपनी मोहब्बत की निशानियों को मेरे जिस्म पर छापने लगे
वो धीरे-धीरे मेरी पंखुड़ियों को मसलने लगा
उसका हाथ मेरे जिस्म पर फिसलने लगा
मेरी यौवन की कली को वो कुचलने लगा
मेरा रोम-रोम मचलने लगा
मैं कसमसाने लगी
मैं ताश के पत्तों की तरह बिखरने लगी
वो मुझे संवारने लगा
मैं उसके आगोश में सिमटने लगी
बिस्तर की सिलवटें बढ़ने लगी
मेरे अंदर की औरत तड़पने लगी
वासना की अग्नि भड़कने लगी
यौवन की भट्टी तपने लगी
किसी मोम की तरह मैं धीरे-धीरे पिघलने लगी
वो धीरे-धीरे मुझ पर हावी होने लगा
वो मुझे औरत होने का एहसास दिलाने लगा
उसे जो चाहिए था उसे वो मिलने लगा
मेरी कलियां धीरे-धीरे खुलने लगी
उनपर सुनहरी बूंदे चमकने लगी
अगले ही पल वो मेरे भीतर दाखिल होते हुए,महसूस होने लगा
वो मेरी गहराइयों को धीरे-धीरे छूने लगा
मैं ना हंस पा रही थी,ना रो पा रही थी
ना सेह पा रही थी,ना केह पा रही थी
उस मीठे से दर्द में कहीं खो सी जा रही थी।
Acha hai bhai
Jada samjh me nahi aae baht high class hindi likh di aapne
 

lone_hunterr

Titanus Ghidorah
3,848
5,456
159
Acha hai bhai
Jada samjh me nahi aae baht high class hindi likh di aapne
Sex scene hai....
Ladki ke kapde utar raha hai ladka aur uski nude body ko kiss kar raha, breast fondling and lot of foreplay and finally a good fuck and sleep together :blush:
Bas isi ko thoda detail mein likha hai
 
Last edited:
Top