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Mera shayri ka thread

Rahul

Kingkong
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Lone survivor

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Sex scene hai....
Ladki ke kapde utar raha hai ladka aur uski nude body ko kiss kar raha, breast fondling and lot of foreplay and finally a good fuck and sleep together :blush:
Bas isi ko thoda detail mein likha hai
Jo bhi hai likha bahut ache se hai
Story me likh dete to aag lag jani thi
 
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Rahul

Kingkong
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:doh: Padhne ke baad rebu dona..... Bahut mehnat ki hai.... Mein writer thodi hun mere liye sex scene likhna bhut mushkil tha :sweat:
rebu diya na wonderfull wala jo mai bada bada update par deta hun hehe
 
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Rahul

Kingkong
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Vaha ki tarah bina padhe nhi... :bat1: Padh ke do.... Buri lage to buri hi bolna par padho to sahi :cry:
padha hai dost maine pura aapne bahut badhiya likha hai lekin aap itni achchi feeling kahan se laye yahi samjh me na aa raha hai
 
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Ristrcted

Now I am become Death, the destroyer of worlds
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Kabhi bhi koshish nahi ki hai hindi mein erotica poem likhne ki....... Ye first attempt hai Ristrcted Rahul Akki ❸❸❸ bhai batana kaisi lagi....
P.S :- I respect every gender and this poem is just a writing


मेरे संग ए मरमर से जिस्म को
बे लिबास कर दिया
मेरे दोनों पंछियों को आजाद कर दिया
मैं कुछ समझ पाती उसके पहले ही
उन दोनों को उसने अपने हाथों के पिंजरे में कैद कर लिया
उन्हें छूते ही मेरा तन बदन मचलने लगा
उन्हें वो पागलों की तरह चूमने लगा
मेरा रोम-रोम झूमने लगा
उन दोनों की चोच को वो सहलाने लगा
मेरी जवानी को वो बहलाने लगा
मेरी यौवन की तपती भट्टी पर उसने अपने होठों को रख दिया
हर बार कैची की तरह चलने वाली मेरी जुबान को,
कांपने के लिए मजबूर कर दिया
देखते ही देखते उसकी जुबान गहराइयां नापने लगी
मैं धीरे-धीरे हाफने लगी
धीरे-धीरे मेरे हाव-भाव बदलने लगे
मेरे सोए हुए अरमान मचलने लगे
मैं किसी बलखाती नागिन की तरह उसके जिस्म से लिपटने लगी
मैं उसे पागलों की तरह बेतहाशा चूमने लगी
मैं अपनी सारी अक्ल व जेहन खोने लगी
मैं अपने उभारों को उसके होठों पर रगड़ने लगी
मेरे अंदर की चिंगारी शोला बनकर धधकने लगी
मेरे नाखून उसके जिस्म में गढ़ने लगे
मेरी मोहब्बत का फ़साना उसके जिस्म पर उकेरने लगे
उसकी सांसे मेरी सांसों में घूलने लगी
मेरे जिस्म की महक इत्रसी महकने लगी
वो धीरे-धीरे मेरी कलाई को मरोड़ने लगा
एक-एक कर मेरी चूड़ियां टूटने लगी
धीरे-धीरे हम दोनों के दरमियान की दूरियां घटने लगी
मैं अपने आपे से छूटने लगी
उसकी बाहों में आकर टूटने लगी
उसकी उंगलियां मेरे हर एक मोड़ से होते हुए,
मेरे उभारों को छूते हुए,
अपने आखिरी अंजाम तक पहुंचने लगी
उसके होंठ इंच दर इंच मेरे जिस्म को नापने लगे
अपनी मोहब्बत की निशानियों को मेरे जिस्म पर छापने लगे
वो धीरे-धीरे मेरी पंखुड़ियों को मसलने लगा
उसका हाथ मेरे जिस्म पर फिसलने लगा
मेरी यौवन की कली को वो कुचलने लगा
मेरा रोम-रोम मचलने लगा
मैं कसमसाने लगी
मैं ताश के पत्तों की तरह बिखरने लगी
वो मुझे संवारने लगा
मैं उसके आगोश में सिमटने लगी
बिस्तर की सिलवटें बढ़ने लगी
मेरे अंदर की औरत तड़पने लगी
वासना की अग्नि भड़कने लगी
यौवन की भट्टी तपने लगी
किसी मोम की तरह मैं धीरे-धीरे पिघलने लगी
वो धीरे-धीरे मुझ पर हावी होने लगा
वो मुझे औरत होने का एहसास दिलाने लगा
उसे जो चाहिए था उसे वो मिलने लगा
मेरी कलियां धीरे-धीरे खुलने लगी
उनपर सुनहरी बूंदे चमकने लगी
अगले ही पल वो मेरे भीतर दाखिल होते हुए,महसूस होने लगा
वो मेरी गहराइयों को धीरे-धीरे छूने लगा
मैं ना हंस पा रही थी,ना रो पा रही थी
ना सेह पा रही थी,ना केह पा रही थी
उस मीठे से दर्द में कहीं खो सी जा रही थी।
Arre bhai ye kya likh dala
Sex scene ko ju ne kavita bana dala
Great work men
Maine sochs nahi tha kuch aisa bhi likha jaa sakta hai write more like this
:applause:
 

lone_hunterr

Titanus Ghidorah
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Arre bhai ye kya likh dala
Sex scene ko ju ne kavita bana dala
Great work men
Maine sochs nahi tha kuch aisa bhi likha jaa sakta hai write more like this
:applause:
2-3 din mein likhta hun aur kuch aisa hi... Iss bar ladke ke POV se
 
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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Kabhi bhi koshish nahi ki hai hindi mein erotica poem likhne ki....... Ye first attempt hai Ristrcted Rahul Akki ❸❸❸ bhai batana kaisi lagi....
P.S :- I respect every gender and this poem is just a writing


मेरे संग ए मरमर से जिस्म को
बे लिबास कर दिया
मेरे दोनों पंछियों को आजाद कर दिया
मैं कुछ समझ पाती उसके पहले ही
उन दोनों को उसने अपने हाथों के पिंजरे में कैद कर लिया
उन्हें छूते ही मेरा तन बदन मचलने लगा
उन्हें वो पागलों की तरह चूमने लगा
मेरा रोम-रोम झूमने लगा
उन दोनों की चोच को वो सहलाने लगा
मेरी जवानी को वो बहलाने लगा
मेरी यौवन की तपती भट्टी पर उसने अपने होठों को रख दिया
हर बार कैची की तरह चलने वाली मेरी जुबान को,
कांपने के लिए मजबूर कर दिया
देखते ही देखते उसकी जुबान गहराइयां नापने लगी
मैं धीरे-धीरे हाफने लगी
धीरे-धीरे मेरे हाव-भाव बदलने लगे
मेरे सोए हुए अरमान मचलने लगे
मैं किसी बलखाती नागिन की तरह उसके जिस्म से लिपटने लगी
मैं उसे पागलों की तरह बेतहाशा चूमने लगी
मैं अपनी सारी अक्ल व जेहन खोने लगी
मैं अपने उभारों को उसके होठों पर रगड़ने लगी
मेरे अंदर की चिंगारी शोला बनकर धधकने लगी
मेरे नाखून उसके जिस्म में गढ़ने लगे
मेरी मोहब्बत का फ़साना उसके जिस्म पर उकेरने लगे
उसकी सांसे मेरी सांसों में घूलने लगी
मेरे जिस्म की महक इत्रसी महकने लगी
वो धीरे-धीरे मेरी कलाई को मरोड़ने लगा
एक-एक कर मेरी चूड़ियां टूटने लगी
धीरे-धीरे हम दोनों के दरमियान की दूरियां घटने लगी
मैं अपने आपे से छूटने लगी
उसकी बाहों में आकर टूटने लगी
उसकी उंगलियां मेरे हर एक मोड़ से होते हुए,
मेरे उभारों को छूते हुए,
अपने आखिरी अंजाम तक पहुंचने लगी
उसके होंठ इंच दर इंच मेरे जिस्म को नापने लगे
अपनी मोहब्बत की निशानियों को मेरे जिस्म पर छापने लगे
वो धीरे-धीरे मेरी पंखुड़ियों को मसलने लगा
उसका हाथ मेरे जिस्म पर फिसलने लगा
मेरी यौवन की कली को वो कुचलने लगा
मेरा रोम-रोम मचलने लगा
मैं कसमसाने लगी
मैं ताश के पत्तों की तरह बिखरने लगी
वो मुझे संवारने लगा
मैं उसके आगोश में सिमटने लगी
बिस्तर की सिलवटें बढ़ने लगी
मेरे अंदर की औरत तड़पने लगी
वासना की अग्नि भड़कने लगी
यौवन की भट्टी तपने लगी
किसी मोम की तरह मैं धीरे-धीरे पिघलने लगी
वो धीरे-धीरे मुझ पर हावी होने लगा
वो मुझे औरत होने का एहसास दिलाने लगा
उसे जो चाहिए था उसे वो मिलने लगा
मेरी कलियां धीरे-धीरे खुलने लगी
उनपर सुनहरी बूंदे चमकने लगी
अगले ही पल वो मेरे भीतर दाखिल होते हुए,महसूस होने लगा
वो मेरी गहराइयों को धीरे-धीरे छूने लगा
मैं ना हंस पा रही थी,ना रो पा रही थी
ना सेह पा रही थी,ना केह पा रही थी
उस मीठे से दर्द में कहीं खो सी जा रही थी।
:good:
 
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