Woww bahut mast hain Sunita didi.Ye kahani Sunita didi aur ek kirayedar ki hai.Sabse pehle family intro de deta hu.Sunita ke pita ramprasad jo kisan hai. Aur unki maa house wife. 2 bhai aur 2 Behan me Sunitasabse badi behan se choti hai aur apne bhaiyo se badi
Ye hai sunita didi inka figure 36-38
is hua hin safe
Typical gaon ki ladki thi jisko abhi tak sex ka chaska nahie laga tha.Ye kahani suru hoti hai ek chote se sehar se jaha Sunita apne apni ke sath 4 flat ke makan merehti hai.
1st floor ke makan me Sunita ka Ghar hai makan me ander se darwaja hai jo sabhi flato
me Jane ka rasta hai. Jo bahut Kum open hota hai.
Pitaji do flat rehne ke liye banwaya tha baki ka do flat me safai nhi Hui thi kachha farsh aur
kachhi diware thi.
Makan ka naksha . Makan ka 2 flat ek taraf aur 2 flat ek taraf tha
bich se diwar niche se upar Tak tha. Jisme Sunita rehti thi us taraf se ander se darwaja tha. Jo dusre flat me Jane ka tha. Darwaja khulte hi ek store room uss store room se ek khidki thi aur uss khidki se kamra saaf dikhta tha aur khidki ke bagal se ek darwaja bhi tha Jo dusre Ramesh ke flat me ja sakte the.
Ghar ke kaam dham bahut kheti se hi chalta tha.
Sunita ka swabhaw bahut Shant aur simple tha. Use Ghar ke kaam me man lagta tha isliye 8th class ke bad padai nhi Kiya aur Ghar me hi rehti thi baki ke sadsya ke sath.
Sunita ke figure bahut sexy hai lekin dekhne se pata nhi chalta tha . Kyoki wo salwar suit bahut dhila-dhala pehnti thi.
Dono bhai bahut chhote the.
Aise hi zindagi chal rhi thi sab family khush thi. Aksar Sunita muhalle ke bhabhi ke sath gum
sup karke din kat jata tha.
Mast sales man hai. Sunita ko apna lund bechega.एक दिन दोपहर का समय था। और रमेश नाम का किरायदार घर पूछते-पूछते घर आया और
मकान किराए के लिए पूछने लगा। छोटा भाई दरवाजे पर पूछा तो उसने बोला घर में कोई है। तो भाई ने बोला नहीं मैं और दीदी है। तो उसने बोला दीदी को बुलाओ, भाई अंदर जाके मुझे बोला तो बाहर आकर देखी। और पूछा क्या काम है आप बताएं। जैसे ही रमेश ने मुझे देखा तो वो देखता रह गया। और भूल गया क्या पूछना है। फिर मैंने दोबारा पूछा तो वो होश में आया फिर बोला कोई कमरा खाली है। तो मैंने बोला रूम तो है लेकिन कोई है नहीं आप शाम को आएंगे। फिर वो बोल के चला गया शाम को आऊंगा।
सुनीता यानि मैने बोला ठीक है। वो मुझे घूर के देख रहा था फिर चला गया।
शाम को जब घरवाले वापस आये तो मैंने माँ को बता दिया कोई आदमी आया था कमरे के लिए पुछ रहा था। तो माँ ने बोला ठीक है मैं तेरे पापा को बता देती हूँ।
पैसे की ज़रूरत भी थी घर में, इसलिए पिताजी बोले हमारा घर तो खाली है, अगर उसे पसंद आया तो उसे दे देंगे।
शाम को फिर वो आदमी वापस आया और घर के बाहर से आवाज लगाई।
पापा बाहर गए तो वो बोला दिन में आया था रूम के लिए। आपकी बेटी ने बताया कोई कमरा खाली है,
अगर आपका कोई कमरा खाली हो तो मुझे दे दीजिए बड़ी मेहरबानी होगी।
पापा ने बोला आप क्या करते हैं। तो उसने बोला मैं छोटा मोटा काम करता हूं सेलिंग का काम होता है माल पैक करके सेल करता हूं और करवाता हूं।
पापा- देखिये कमरा तो खाली है लेकिन अगर आपको पसंद आये तो।
रमेश- जी मुझे दिखा दीजिये
फिर पापा ने घर दिखाया और उसने कहा मैं यहां रह लूंगा..
फिर खरीदा तय हुआ और उसने दोनों फ्लैट ले लिया ये कहकर कि एक फ्लैट गोदाम की तरह इस्तेमाल कर लूंगा।
पापा बहुत खुश हुए और रूम दे दिया।
रमेश- कल मैं अपना सामान ले आऊंगा.
पापा - चलो एक कप चाय पी लो
रमेश-जी ठीक है
पापा - तुमने मुझे बोला सुनीता दो कप चाय बना दो।
रमेश करमे आ के बैठा था.
फिर उसने बताया उसकी शादी हो गई है और परिवार गांव में रहता है।
और मैं यहां सेल्समैन का काम करता हूं।
ऐसी ही बात चित होती रही फिर माई चाय बना के ले गई देने। जब मैंने चाय दी तो उसने धीरे से मेरा हाथ टच किया मुझे थोड़ा अजीब लगा।
सुनीता- मैंने चाय देके वापस आ गई उसके दो चार गाली मन में दिया
फ़िर वो चला गया अपना सामान ले आने
Atmosphere ban raha hai Sunita ko patane ka.सुनीता रात में सोच रही थी हर आदमी है इतनी उम्र हो गई फिर भी लाइन मार रहा। अब उसके सामने कभी नहीं जाऊंगी। सुनीता ने ये बात अपनी दीदी से बताई तो उसकी दीदी ने बताया तू इतनी गर्म है इसलिए वो बहक गया होगा। वैसे भी अब इतना मत सोचो ये सब मर्द होते ही ऐसे हैं।
सुनीता - हा शायद तुम सही कह रही हो। अब मैं कभी उसके सामने नहीं जाऊंगी।
दीदी- हा ठीक है मत जाना कौन सा तुझसे रोज़ रोज़ मिलेगी।
सुनीता - अब तो यहीं रहेगा फिर कभी ना कभी मिलना भी होगा तो मैं उसे इग्नोर कर दूंगी। अच्छा ये सब छोड़ मुझे आज बाहर जाना है मेरी पैकिंग करा दे कल से कॉलेज शुरू होने वाला है। और उसकी बड़ी बहन बहार हॉस्टल में पड़ती थी इसलिए उसे कल सुबह जाना था
फिर शाम हो गई और सभी ने खाना खाया और सोने चले गए।
इधर रमेश वापस अपने घर आके सुनीता के बारे में सोचने लगा कितनी हॉट और सेक्सी है एक बार मिल जाए फिर मजा आ जाए कैसे भी करके सुनीता को पटाना होगा।
ये सब सोच के उसके अंदर बेचैनी होने लगी। रमेश गांव का होने के कारण उसका शरीर मजबूत था और उसका लंड काफी मोटा और लंबा था। कब उसका हाथ उसके लंड पे चला गया उसे पता ही नहीं चला। वो सुनीता का चेहरा उसके सामने से हट ही नहीं रहा था। वो सोच लिया कैसे भी करके उसे पटाना होगा। वरना मैं ऐसे ही तड़पता रह जाऊंगा।
सुबह उठकर उसकी बड़ी बहन हॉस्टल वापस अपने भाई के साथ चली गई।
अब घर में केवल सुनीता, राजू और उसकी माँ बाप रह गये।
Bhai ke through Sunita ki chut tak pahuchega Ramesh.दूसरे दिन रमेश एक आदमी के साथ सारा सामान लेके आ गया अपने सभी सामान के साथ और शिफ्ट हो गया। सुनीता का छोटा भाई राजू किरायदार के यहाँ चला गया।
रमेश- राजू को देखकर रमेश ने पूछा तुम्हारा नाम क्या है।
राजू- मेरा नाम राजू है.
राजू- जी अंकल आप हमारे यहाँ रहने आये हैं। कल घर में बता रहे थे
रमेश- मैं ही आपका नया किरायदार हूं फिर रमेश ने पूछा घर में कौन है फिर राजू ने बताया मेरी 2 दीदी और मम्मी पापा और भैया बाहर रहते हैं। बड़ी दीदी कॉलेज में पढ़ती है .और सुनीता दीदी घर में रहती है।
रमेश - अच्छा सुनीता दीदी वही जब मैं पहली बार घर पूछने आया था
राजू- हा वही सुनीता दीदी है और एक दीदी और भैया बाहर पढ़ते हैं लोग जो आज सुबह चले गए हैं हॉस्टल में।
रमेश कन्फर्म करना चाहता था कि सुनीता कहीं बाहर तो नहीं चली गई और जब राजू ने कन्फर्म किया तो उसने चेन की सांस ली
रमेश- अच्छा सुनीता दीदी नहीं पड़ती क्या
मेश- अच्छा, सुनीता दीदी नहीं पढ़ती क्या
राजू- नहीं वो घर में काम करती है, उनको पढ़ाई करना अच्छा नहीं लगता।
रमेश- एक चॉकलेट राजू को दिया और बोला आज हम दोस्त हैं जब भी तुम्हारा मन करे मेरे यहाँ आते रहना।
राजू फिर चॉकलेट लेके अपने घर छत के रास्ते चला गया।
सुनीता- जब देखा राजू के हाथ में चॉकलेट तो पूछा ये किसने दिया तो बोला रमेश अंकल ने दिया वो बहुत अच्छे हैं और भी बाद में देंगे और मेरे दोस्त बन गए हैं।
सुनीता - गुस्से से बोली, क्या जरूरी थी चॉकलेट लेने की अजनबी से नहीं लेते ये सब।
राजू- अब वो दीदी कहां अजनबी है हमारे किरायेदार है मैं तो रोज़ लूंगा। ये कह के राजू भाग गया घर के बाहर खेलें.
Start pair fisalne se hi hoti hai. Ab lund chut me fisalega.अब रोज-रोज रमेश राजू को कुछ ना कुछ खाने को दिया कर्ता और राजू भी रमेश के यहां ज्यादा टाइम बिताने लगा।
एक दिन छत पर सुनीता कपड़ा उतारने गई उस समय रमेश भी छत पर पहले से ही चल रहा था।
सुनीता को देखा तो खुश हो गया।
लेकिन सुनीता कपडे उतरें मैं व्यस्त थी।
फिर रमेश ने पूछा राजू दिख नहीं रहा है।
सुनीता- हा वो कोचिंग गया है. और आप उसको इतना खाना खाने का सामान मत दिया कीजिए वो बिगाड़ता जा रहा है।
रमेश- अरे वो बच्चा है खाएगा पिएगा नहीं तो क्या करेगा.
सुनीता- वो सब तो ठीक है लेकिन वो आजकल पढ़ाई नहीं करता है दिन भर आपके यहाँ रहता है।
रमेश- ये अच्छी बात है ना कहीं जाता नहीं है मेरे यहां ही रहता है और मैं अकेला रहता हूं मेरा भी उसके आने से मन बहल जाता है। रही बात स्टडी की वो मैं उसको बोल दूंगा अपना स्टडी मेरे पास कर लिया करे।
सुनीता- अपने मन में सोचती है, मैं ऐसी ही इनको गलत समझती थी। लेकिन ये तो अच्छे इंसान लग रहे हैं।
सुनीता और रमेश एक दूसरे के बारे में बात करते हैं तभी अचानक सुनीता का पैर फिसल जाता है और वह रमेश के ऊपर गिर जाती है रमेश भी अपने आप को संभाल नहीं पाता और दोनों एक दूसरे के बहो में गिर जाते हैं।
सुनीता एकदम से शर्मा जाती है और सॉरी बोल के जल्दी से नीचे भाग जाती है।
सीढ़ी पर पहुंच कर सुनीता अपनी सांसों को थमाती है और सोच के शर्मने लगती है रमेश जी क्या सोच रहे होंगे।
उधर रमेश का हाल बुरा हो गया था सुनीता के बदन की गर्मी उसे अभी भी मेहसूस हो रही थी
wowww chocolate chill chill ke sunita ko chodega.शाम को राजू कोचिंग से वापस आके रमेश के घर जाता है
रमेश- आओ राजू और पढ़ाई करके आ गए क्या
राजू- हा अंकल अभी आया हूं
रमेश- देखो तुम्हारी दीदी तुम्हारी शिकायत कर रही थी तुम पढ़ाई नहीं करते
राजू- अंकल वो बस ऐसे ही बोलती रहती हैं
रमेश- नहीं राजू तुम अब रोज अपनी किताबें भी लेके आना मेरे यहां और यहीं पढ़ाई भी कर लेना, जिससे तुम्हारी दीदी भी खुश और तुम भी।
राजू-- ठीक है अंकल, अब मैं यहीं रोज़ आपके यहां ही पढ़ाई करूंगा।
रमेश- राजू कुछ चॉकलेट और केक देता है और बोलता है अपनी दीदी को भी दे देना लेकिन देखना कोई जाने मत
राजू- ठीक है अंकल की नहीं जानेगा मैं चुपके से दे दूंगा
राजू फिर अपना घर चला गया
सुनीता- घूम के आ गया जब देखो तब उन्हें यहाँ चला जाता है
राजू- अपनी दीदी की बातों को अनसुना करके टीवी स्टार्ट करके देखने लगता है।
सुनीता- कल से तुम्हें नहीं जाना है उनके घर, तुमको कोई काम तो है नहीं उनको भी परेशान करने चला जाता है
राजू- मैं वाहा मस्ती करने नहीं जाता हूं अंकल मुझे पढ़ाते भी हैं और कल से बुक ले आने को भी बोला है।
सुनीता को याद आता है रमेश जी ने छत पर बोला था पढने के लिए। फिर सुनीता बोलती है ठीक है लेकिन केवल पढ़ाई में मजा आता है
राजू- ठीक है दीदी अब खाना दे दो मुझे भूख लगी है
सुनीता फिर चली जाती है किचन में खाना लेने
सभी खाना खाके सोने चले जाते हैं
राजू सुनीता के साथ ही सोता है इसलिए दोनों कमरे में चला जाता है।
काम धाम से फ्री होके सुनीता भी सोने के लिए राजू के पास जाती है
राजू- सुनीता से बोलता है दीदी चॉकलेट खाओगी क्या
सुनीता- क्यों तेरे से बचेगा फिर तो तू मुझे देगा ना
राजू- आज अंकल ने बहुत सारा चॉकलेट दिया है और तुम्हें भी देने के लिए बोला है।
सुनीता- तुमने इतना सारा चॉकलेट उनसे क्यों लिया
राजू- मैंने नहीं लिया अंकल खुद दिया है मेरे लिए और तुम्हारे लिए।
सुनीता कुछ सोचती है फिर चॉकलेट लेके खाने लगती है।