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Sci-FI Rahashyo se bhara Brahmand (completed)

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रहस्यों से भरा ब्रह्माण्ड

इस किताब के माध्यम से हमने कुछ विभिन्न प्रकार की थ्योरीस को आपके लिए प्रस्तुत किया है इस किताब में कुल तीन कहाँनी है।

प्रथम

इस किताब की पहली अद्भुत कहाँनी प्री- पैराडॉक्स थ्योरी पर आधारित है जो बेहद ही सरल और रोमांचकारी रूप से लिखी गई है। वैसे तो हम सब जानते है। यदि हमें समय यात्रा सम्भव करनी है। तो हमें प्रकाश(लाइट) की गति से चलने वाला यंत्र बनाना होगा जिसका अर्थ है। दो लाख निन्यानवे हजार सात सौ बानवें किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से चलने वाले यन्त्र कि आवश्यकता है। जबकि संसार की सबसे तेज गति का उपकरण अभी हमारे पास जो है। वो तीन लाख पैंसठ हजार किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने की क्षमता रखता है। तो सम्भावना है कि हम भविष्य में लाइट स्पीड की गति से चलने वाली मशीन का आविष्कार कर सके। खेर प्री-पैराडॉक्स थ्योरी के अनुसार यदि भविष्य में समय यात्रा करना सम्भव होगा तो घटनाओं का क्रम काफी उलझ जाएगा यानी कौन सी घटना कब घटी है। इसको बताना अत्यंत कठिन होगा। इसी थ्योरी को सरलता से हमने अपनी प्रथम कहाँनी पहेली में समझाया है।

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इसके बाद हमारी दूसरी कहाँनी पैरलल यूनिवर्स और बटरफ्लाई इफ़ेक्ट से प्रेरित है। पहले हम पैरलल यूनिवर्स की बात करते है, पैरलल यूनिवर्स के अनुसार हमारे ब्रह्माण्ड में हमारी पृथ्वी के अनेकों प्रतिभिम्ब मौजूद हैं। दूसरी भाषा में कहें तो जिस प्रकार मनुष्य के जुड़वा होते है। ठीक उसी प्रकार से ग्रहों के भी जुड़वा होते है। बस अंतर केवल इतना है। के हमारी मान्यताओं के अनुसार मनुष्य के अधिकतम 7 हमशक्ल तक हो सकते है। किंतु ग्रहों के जुड़वाओ की कोई सीमा नहीं होती और ये समय के अलग अलग आयाम में होते है। इस थ्योरी के अनुसार अलग अलग समय में रह रहे प्रतिभिम्ब कि चीजे तो एक समान हो सकती है मगर उनमें रह रहे लोगों के निर्णयों में अंतर मिलता है यानी जो निर्णय हमारे पृथ्वी के लोगों ने लिए है|

ज़रूरी नहीं ब्रह्माण्ड में हमारे पृथ्वी के प्रतिभिम्ब में रह रहे लोगों द्वारा भी लिए गए हो। उनके निर्णय हमारे निर्णय जैसे हो भी सकते है और नहीं भी।

दूसरी तरफ

बटरफ्लाई इफ़ेक्ट एक ऐसी थ्योरी है जिसने प्रमाणित किया है के संसार के एक कोने में घटी घटना संसार के दूसरे कोने में होने वाली बड़ी घटना का कारण बन सकती है इसको सरलता से समझाने के लिए एक उदाहरण देता हूँ।

आजकल हमारे घरों में आने वाला दूध एक प्लास्टिक के पैकेट में आता है। जिसका उपयोग करने के लिए हम उस पैकेट का एक छोटा कोना काट कर कूड़े में फेंक देते है। जिसे अधिक छोटा होने के कारण रिसाइकिल नहीं किया जाता और कुछ महान व्यक्तियों द्वारा उसको समुद्र में फेंक दिया जाता हैं जिसे समुद्र की छोटी मछलियां निगल जाती है। और जब मछवारा मछलियों को पकड़ता है तो कई बार उनमें वो प्लास्टिक का टुकड़ा खाई हुई मछली भी होती है फिर उस मछली को खाने वाले व्यक्ति को कैंसर होने की सम्भावना तक होती है जिसके कारण व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। अब सोचिए हमारे द्वारा काटी गई छोटी सी प्लास्टिक किस प्रकार से एक मनुष्य के प्राण छीन सकती है। इसी को बटरफ्लाई इफ़ेक्ट कहते हैं।

इन दो थ्योरी को मिला कर हमारी दूसरी कहाँनी आत्मा का निर्माण हुआ है। जो हर पल आपको अचंभित करेगी।

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अंत में रहस्य और रोमांच से भरपूर एक चमत्कारी और जादुई दुनिया पर आधारित हमारी अंतिम कहाँनी है। जिसमें समय समय पर दुर्लभ और अद्भुत घटनाएँ घटित होती है। जो आपके होश उड़ा देगी और आपकी जिज्ञासा को प्रति क्षण जागरूक रखेगी इस अंतिम कहाँनी में आपको विभिन्न प्रकार के प्रसिद्ध मान्यताओं का मिश्रण मिलेगा जो आपका मनोरंजन करने के साथ साथ संसार के कुछ दुर्लभ ज्ञान से भी परिचित कराएंगी। इस कहाँनी का नाम है। वसुंधरा
 

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अध्याय 1

खण्ड1

एक दिन दिसम्बर के महीने में एक पार्क में हरीश गुमसुम सा बैठा धूप सेक रहा था तभी उसकी नज़र अपने सामने दूर खड़े व्यक्ति पर पड़ी जिसको देख कर हरीश चोंक उठा क्योंकि वो व्यक्ति हरीश का हमशक्ल था और सबसे भयानक बात ये थी कि वो एकदम शांत स्थिति में खड़ा हरीश को ऐसे देख रहा था जैसे वो हरीश के लिए ही वहाँ आया हो और जब हरीश अपनी जगह से उठ कर उसकी और चला तो वो व्यक्ति अपनी जगह पर रुका नहीं रहा बल्कि आगे की ओर बढ़ चला,

हरीश निरंतर अपने हमशक्ल का पीछा करता जा रहा था जैसे जैसे हरीश उसको पकड़ने के लिए अपनी गति तेज करता वैसे वैसे ही वो हमशक्ल अपनी रफ्तार भी बढ़ाता जाता इसी बीच वो हमशक्ल एक सुनसान गली में घुस गया, हरीश भी उसके पीछे उस गली में घुस गया मगर जैसे ही हरीश उस गली में घुसा तो उसने उस गली को खाली पाया गया वो गली तीनों तरफ से ऊंची ऊंची दीवारों से बंद थी उन दीवारों को इतनी जल्दी लांघना किसी भी इंसान के लिए सम्भव नहीं था फिर भी वो हमशक्ल वहाँ से एक रहस्य की तरह गायब हो गया हरीश इस बात से काफी हैरान था तभी हरीश की नज़र सामने वाली दीवार पर पड़ी उस पर एक पर्चा लगा था जब हरीश ने उसको नजदीक से देखा तो उसपर हरीश की खुद की राइटिंग में लिखा था

समय आ गया

तिथि 31/3/1990

एक अज्ञात व्यक्ति एक सुंदर नवजात शिशु को कुमार फैमिली के घर के दरवाजे पर छोड़ जाता है।

इस पूरी कुमार फैमिली में केवल एक अधेड़ उम्र का जोड़ा रहता है। उनके विवाह को तीस वर्षों से भी अधिक हो चुके थे किंतु अभी तक वो संतान के सुख से अपरिचित थे। उन्होंने अनेकों चिकित्सालय के चक्कर लगाए कई पंडितों और हकीमो के यहाँ हाथ फैलाए परंतु सब कुछ व्यर्थ सिद्ध हुआ जैसे जैसे समय बीतता वैसे वैसे उनकी संतान प्राप्ति की लालसा भी बढ़ती जाती इसलिए जब उनको अपने घर के बहार एक शिशु दिखा तो उनके भीतर की ममता और स्नेह उमड़ आया उन्हें,लगा ईश्वर ने उनकी भक्ति और लग्न से प्रसन्न हो कर उनको वरदान दिया है। बस इसीलिए ईश्वर का प्रसाद मान कर उन्होंने उस नन्हे बालक को रख लिया। और अपनी सगी सन्तान की तरह उसका पालन पोषण किया, मगर एक चीज़ उनको खटकने लगी असल में वो नहीं चाहते थे कि कभी भी बच्चे को सौतेली संतान होने का पता चले जो मौजूदा स्थान पर असंभव सा लगने लगा था क्योंकि आस पास के लोगों में इसका पता था कि कुमार फैमिली जिस शिशु की परवरिश कर रही है वो उनकी सगी संतान नहीं थी। इसलिए उन्होंने अपने निवास स्थान को बदल कर एक नए स्थान में जा कर बसेरा कर लिया।

कुमार दम्पत्ति ने उसका नाम हरीश कुमार रखा, आगे चल कर हरीश एक तीक्ष्ण बुद्धि का स्वामी बना, उसकी कुशलता और यौग्यता का अनुमान हम इस बात से लगा सकते है। के उसने बारहवीं कक्षा में इस संसार को दो बड़े आविष्कार दिए पहला स्मार्ट फोन दूसरा होलोग्राफी मगर उसने धन लोभ में आ कर अपने आविष्कार मोटे दामों में मल्टी नेशनल कंपनियों को बेच दिए। लोभ एक ऐसी बीमारी है जिसके प्रभाव से बड़े से बड़े ज्ञानी की भी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। यही हरीश के साथ हुआ और इस बात का हरीश को तब एहसास हुआ जब किसी भी रूप में उसको इन सब का श्रेय नहीं मिला अरे श्रेय तो बहुत दूर की बात है यदि वो किसी को ये बताता भी के ये आविष्कार उसने किए है। तो लोग उसका खूब मजाक बनाते इन सब अनुभव ने उसको एक चीज़ के लिए मजबूत कर दिया, और वो ये के हरीश अपने अगले आविष्कार का श्रेय नहीं खोएगा और उसका नया आविष्कार आने वाली सदी का सबसे महान आविष्कार है। उसका अगला आविष्कार समय यात्रा यन्त्र था जो उसने साल 2010 से बनाना शुरू किया, और साल 2016 के आरम्भ में उसने आविष्कार को लगभग बना ही लिया था के तभी उसपर पहाड़ टूट पड़ा उसका जीवन में ऐसे दुखो का सैलाब आया कि वो टूटे मोतियों की माला समान बिखर पड़ा।

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अध्याय 1

खण्ड 2

31 मार्च 2016 को एक दुर्घटना में उसके पिता का दिहान्त हो गया, इसके बाद हरीश की माता भी पति की मौत का सदमा ना झेल पाने के कारण कुछ दिन बीमार रह कर परलोक सिधार गई।

मगर हरीश के दुखों का अंत इन सब पर नहीं था बल्कि सबसे खतरनाक चोट उसको उसकी माता ने बीमारी के समय दी थी।

असल में हरीश की माता को बीमारी के समय इतना तो पता चल गया था कि उसका अंतिम समय निकट है। इसलिए उनको अपने पीछे हरीश के अकेले रह जाने की चिंता चुभने लगी और उन्होंने ये सोच कर हरीश को सौतेला होने का सच बता दिया था कि शायद वो किसी प्रकार से अपने सगे माता पिता का पता लगा कर उनका साथ पा ले और उसको इस संसार में एक बार फिर उसको अपनो का साथ मिल जाए ये सब हरीश की माँ ने उसके भले के लिये किया था मगर हुआ उसका उलटा हरीश को ये सब सोच कर ही दुख होता कि उसके माता पिता ने उसको त्याग दिया वो सोचता यदि उनको मेरी परवरिश ही नहीं करनी थी तो मुझे पैदा ही क्यों किया।

इन सब से हरीश मानसिक रूप से काफी आहत हुआ और अब उसका ध्यान ना तो खाने में था ना किसी काम में

इसी प्रकार से एक दिन दिसम्बर के महीने में एक पार्क में हरीश गुमसुम सा बैठा धूप सेक रहा था तभी उसकी नज़र अपने सामने दूर खड़े व्यक्ति पर पड़ी जिसको देख कर हरीश चोंक उठा क्योंकि वो व्यक्ति हरीश का हमशक्ल था और सबसे भयानक बात ये थी कि वो एकदम शांत स्थिति में खड़ा हरीश को ऐसे देख रहा था जैसे वो हरीश के लिए ही वहाँ आया हो और जब हरीश अपनी जगह से उठ कर उसकी और चला तो वो व्यक्ति अपनी जगह पर रुका नहीं रहा बल्कि आगे की ओर बढ़ चला,

हरीश निरंतर अपने हमशक्ल का पीछा करता जा रहा था जैसे जैसे हरीश उसको पकड़ने के लिए अपनी गति तेज करता वैसे वैसे ही वो हमशक्ल अपनी रफ्तार भी बढ़ाता जाता इसी बीच वो हमशक्ल एक सुनसान गली में घुस गया, हरीश भी उसके पीछे उस गली में घुस गया मगर जैसे ही हरीश उस गली में घुसा तो उसने उस गली को खाली पाया गया वो गली तीनों तरफ से ऊंची ऊंची दीवारों से बंद थी उन दीवारों को इतनी जल्दी लांघना किसी भी इंसान के लिए सम्भव नहीं था फिर भी वो हमशक्ल वहाँ से एक रहस्य की तरह गायब हो गया हरीश इस बात से काफी हैरान था तभी हरीश की नज़र सामने वाली दीवार पर पड़ी उस पर एक पर्चा लगा था जब हरीश ने उसको नजदीक से देखा तो उसपर हरीश की खुद की राइटिंग में लिखा था

समय आ गया

इस अनोखी अद्भुत घटना ने हरीश को सोच में डाल दिया आखिर ये सब क्या था?

हरीश उस पर्चे को लेकर अपने घर वापिस आ गया और आज की पूरी घटना पर मन में विचारने लगा, वो बार बार समय आ गया है। को मन ही मन दोहराता रहता कुछ देर में उसको इस गुथी की समझ आ गई और खुद से ही बाते करते हुए बोला " समझ गया समय से उसका अर्थ मेरे समय यात्रा यन्त्र से था जिसको अब सारी बातों को भूल कर तैयार करना होगा और वो हमशक्ल मेरा ही एक रूप है। जो भविष्य से आया था।

इसके बाद हरीश दिन रात कड़ी मेहनत कर 15 महीने में अपने समय यात्रा यन्त्र को तैयार कर लेता है।

अब सवाल था उसके परिश्रम का तो हरीश ने वही दिन चुना जिस दिन हरीश को उसके भविष्य से आये हमशक्ल ने उसको दोबारा यंत्र का काम करने की प्रेरणा दी थी और ऐसा करना आवश्यक भी था क्योंकि हमारे भूत काल में हुए अंतर से हमारा वर्तमान भी प्रभावित होता है। यदि कोई वस्तु अतीत में पूर्ण या पैदा ही ना हो उसका भविष्य में कोई अस्तित्व ही नहीं होता।

खेर हरीश के पास परीक्षण के लिए उस दिन को चुनने के लिए ठोस कारण थे और उसने वो परीक्षण सफलता पूर्वक पूरा भी कर दिया बस अंतर केवल इतना था इस बार हरीश ने उस हमशक्ल का किरदार निभाया।

हरीश परीक्षण की सफलता से अत्यंत खुश हुआ उसके लिए ये सफलता बहुत बड़ी थी इस 15 महीने की भूतकाल यात्रा को सफल कर हरीश का साहस और यंत्र पर विश्वास और भी अधिक हो गया इस लिए हरीश ने अपने जीवन के सबसे बड़े सवाल का उत्तर जानने का इरादा कर लिया जिसके लिए उसको साल 2018 से 31मार्च 1990 में जाना था

इस अभियान को शुरू करने से पहले हरीश ने अपने सौतेले माता पिता के पुराने घर जा कर अच्छे से उस घर के आस पास के रास्तों को समझ लिया ताकि उसको भूतकाल में रास्तों को लेकर कोई दुविधा ना हो इस कार्य को कर हरीश अपनी प्रयोगशाला में वापिस आकर यंत्र में 31मार्च 1990 की सुबह का समय तय करता है।

पहले की समय यात्रा की अवधि पन्द्रह महीने थी जो सफल हुई मगर अबकी समय यात्रा की अवधि 28 वर्षों की थी जो पिछली अवधि से लगभग बीस गुना ज्यादा थी इस बात पर हरीश का बिल्कुल ध्यान नहीं गया, और ये बात हरीश के लिए एक घातक गलती सिद्ध हुई।

समय यात्रा यन्त्र इतनी बड़ी अवधि को झेल नही पाया इसलिये वो क्षण भर के लिए किसी अज्ञात स्थान पर गया और उसके बाद तय समय यानी 1990 में ले कर आया। इस क्षण भर की गलती में हरीश का हाथ उस अज्ञात समय के अज्ञात स्थान पर राखी एक वस्तु पर रखा गया था और वो वस्तु हरीश के साथ 1990 में आ गई जब हरीश ने उस वस्तु को देखा तो वो केवल एक वस्तु नहीं थी बल्कि उससे कई गुना अधिक गंभीर चीज़ थी जिसने हरीश के होश उड़ा दिए

हरीश के साथ आई वस्तु हॉस्पिटल में नवजात शिशु के लिये उपयोग होने वाला पाला था और उसमें एक नवजात शिशु बड़ी मासूमियत से सोया हुआ था।
 

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अध्याय 1

खंड 3

जिसे देख कर हरीश बोखला गया असल में हरीश के गणना अनुसार ये सब नहीं होना था उससे ऐसी भूल हुई जो उसके भविष्य को बिगाड़ देगी इसलिए वो बहुत घबरा गया था लेकिन थोड़ी देर में उसने खुद को शांत कर समस्या का हल ढूंढने में जुटा दीया शांति से सोचने पर उसने तय किया के पहले जिस कार्य हेतु वो आया है। उस कार्य को समाप्त करेगा उसके बाद जहाँ से भी वो शिशु आया है उसको छोड़ कर आ जाएगा। और अपनी गलती को सही करेगा। पहले तो वो सीधा सबसे नजदीक के होटल में एक रूम लिया और उस नवजात शिशु को उस रूम में सोता हुआ लॉक कर के बाहर खरीदारी करने निकल पड़ा, ऐसे गंभीर समय में खरीदारी करना दो कारणों से आवश्यक था पहला हरीश को इस बात का आभास हुआ के उसके पहनावे में और दूसरों के पहनावे में काफी अन्तर है। जिसके कारण लोग उसको घूर रहे थे और वो लोगों की नज़रों से छुपकर ये काम करना चाहता था इसलिए वो समय के आसार कपड़े लेने गया था दूसरा उस बच्चे के जागने से पहले उसके दूध पीने की व्यवस्था करने के लिये

जब हरीश होटल वापस आया, तो उसको अपने रूम के बहार कुछ लोगों को होटल के एक कर्मचारी साथ खड़ा देखा, इस तरह के दृश्य ने हरीश को डरा दिया, वो पल भर के लिए रुका फिर हिम्मत करके अपने रूम की ओर चल दिया वहाँ पहुँच कर उसने पूछा क्या हुआ ??

पास में खड़ा एक आदमी बोला " ये आपका रूम है।

हरीश अपने माथे का पसीना पोंछते हुए" जी सर मैं ही इस रूम में रह रहा मगर बात क्या हुई जनाब

पास खड़ा दूसरा आदमी बोला" बड़े ही लापरवाह आदमी हो आप, कोई ऐसे भी करता है। आपको इतनी भी अक्ल नहीं के किसी छोटे बच्चे को अकेला नहीं छोड़ते।

पहला आदमी" आपका बच्चा इतनी देर से बिलख बिलख रो रहा था के हमने बस तय कर लिया था आपके रूम का दरवाजा तोड़कर अंदर घुसने का,

दूसरा आदमी " आपकी पत्नी कहाँ है। कम से कम वो तो बच्चे के पास रुक सकती थी

हरीश को एक के बाद एक आदमी खरी खोटी सुनता ही जा रहा था और अंतिम सवाल ने तो हरीश की घिग्गी सी बांध दी इसलिये इस समय उसका दिमाग सही से काम नहीं कर रहा था और उसके मन में जो आया हरीश ने बक दिया " सर मेरी पत्नी का स्वर्गवास हो गया है।

इस एक बात ने सब की बोलती बंद कर दे और अभी तक जो व्यक्ति लोगों के क्रोध का पात्र था इस बात को सुन लोगों की नज़रों में दया का पात्र बन गया। सब हरीश को अब प्यार से समझाने और नसीहत देने लगे, आखिर कार किसी प्रकार हरीश अपनी जान छुड़ा कर रूम में घुसा और उस नवजात शिशु की ओर देखा वो अभी भी सो रहा था पर उसके आंखों के नीचे निकले आंसुओं के निशान साफ बता रहे थे कि वो मासूम भूख के कारण रो रो कर दोबारा सो गया हरीश ने फौरन दूध तैयार किया और उस बच्चे को पिलाया

अब हरीश इतना तो समझ गया इसको होटल में अकेला छोड़ना सही नहीं होगा इसलिये उसने अपने साथ बच्चे को ले जाने का निर्णय लिया।

हरीश को उसकी सौतेली माँ ने बताया था कि जिस दिन हरीश को उनके घर के बहार कोई छोड़ कर गया था उस दिन वो घर से रात 9 बजे एक पार्टी में गए थे और करीब ग्यारह बजे के आस पास वापिस अपने घर आये,

इसी बीच हरीश को कोई छोड़ गया था इसलिये हरीश को रात 9 बजे से ग्यारह बजे तक निगरानी रखनी थी रात के 8 बजे हरीश होटल से अपने पुराने घर पहुँच गया एक ऐसे कोने में छुप गया जहाँ से कोई उसको देख ना पाए और वो घर को साफ साफ देख सके ठीक 9 बजे कुमार फैमिली पार्टी के लिए घर से निकल गए और हरीश वही बैठा हुआ इंतज़ार करने लगा, 10:30pm तक कोई वहां नहीं आया मगर हरीश के साथ आया बच्चा अचानक उठ कर रोने लगा जिसको हरीश चुप कराने के लिए अपनी गोद में ही हिलाने लगा और थोड़ी देर में वो बच्चा सो गया तभी हरीश की नज़र उस बच्चे की बांह पर पड़ी जिस पर हूबहू हरीश के जैसा जन्मजात निशान था।

उसे देख कर हरीश सहम गया पहले तो उसने 11 बजने से पहले उस बच्चे को पास में पड़े एक फल के टोकरे में कुमार के घर के बाहर रखा, और वापिस अपनी जगह पर आकर बैठ गया ठीक ग्यारह बजे मिस्टर एंड मिसेज़ कुमार वापिस आये और अपने घर के बाहर एक नवजात शिशु को देख कर पहले थोड़ा घबराए फिर भगवान का आशीर्वाद समझ कर खुशी से बच्चे को अपना लिया।

इसके बाद हरीश वहाँ से चल दिया, हरीश का मन बुरी तरह टूट गया उसके मन में अपने सगे माता पिता के लिये जो मलाल था आज वो आत्मा ग्लानि में परिवर्तित हो गया, उसके माता पिता ने कभी भी हरीश का त्याग नहीं किया था वो निर्दोष थे और असल दोष हरीश का था उसने खुद को ही अनजाने में अपने माता पिता से अलग किया था इसलिए हरीश के आँखों से निरन्तर आँसू बहते रहे, वो समय यन्त्र का उपयोग कर अपने सही समय यानी साल 2018 में वापिस आ गया,

वापिस आकर उसने तय किया किसी प्रकार वो उस अज्ञात समय का पता लगा कर उस समय में वापिस जाएगा जहाँ यंत्र ने खराबी के चलते गलती से उसको पहुँचाया था और अपने असली माता पिता का पता चलाए गा, इसके बाद हरीश लगातार दो वर्षों तक मेहनत करके उस अज्ञात समय तक पहुँचने का भरपूर प्रयास किया मगर हर बार वो विफल ही हुआ अंत में क्रोध वश उसने ये सोच कर यंत्र को नष्ट कर दिया। के ये कभी मानव उपयोगी सिद्ध नहीं हो सकता इससे केवल मनुष्य को पीड़ा ही प्राप्त होगी।

उसके बाद हरीश सब कुछ भुला कर साधारण जीवन बिताने लगा, इसी बीच हरीश ने एक अत्यंत सुंदर युवती से प्रेम विवाह कर अपनी सुखद ग्रसती बसाई।

31 मार्च 2021 हरीश की पत्नी सेंट मेरी हॉस्पिटल में अपने बच्चे को जन्म देते समय अपार पीड़ा से गुजर रही थी वही हरीश डिलीवरी रूम के बाहर खड़ा अपनी पत्नी और आने वाले बच्चे की चिंता में डूबा हुआ था तभी एक नर्स रूम से बहार निकल कर आई और हरीश से बोली " आपको लड़का हुआ है। मगर••••?..

हरीश " मगर क्या....?

नर्स" आपकी पत्नी बच्चा पैदा करनी की पीड़ा सहन नहीं कर पाई, हमें अफसोस है इसलिये हम उसको बचा नहीं पाए, और आपका बच्चा भी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं था इसलिए उसको कुछ समय के लिये हमने ऑब्जेर्वेशन में रखा है फिलहाल आप उसको केवल देख सकते है।

इतना बोल कर नर्स हरीश को एक ऐसे रूम के पास ले जाती है। जो चारों तरफ से पैक होता है। बस उस रूम के अंदर झांकने के लिए एक पारदर्शी शीशा लगा होता है। जिसमें हरीश का बेटा अपनी गहरी नींद में एक पाले में सोया था हरीश उस को देख कर बेहद भावुक हो गया, तभी हरीश ने अपने बेटे के पाले पर गौर किया तो उसको वो कही देखा हुआ सा लगा जिसको हरीश ने कहाँ देखा है ये याद करने के लिए वो अपने दिमाग पर जोर देता है। वो जब तक याद करता के उसने पाला कहाँ देखा उस कमरे में एक जोर दर आवाज़ होती है। जिसमें हरीश का बच्चा था और क्षण भर के लिए एक व्यक्ति उस कमरे में प्रकट होता है। और उस बच्चे को अपने साथ पाले समेत ले जाता है। हरीश इस क्षण भर की क्रिया में उस व्यक्ति को देख लेता है। और वो व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि 2018 का हरीश ही था

इन सब से हरीश समझ गया कि जिस अज्ञात स्थान पर वो गलती से पहुँचा था वो 31 मार्च 2021 था

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अध्याय 2

खंड 1

2010

यदि संसार में लफंगा पन करने की कोई उपाधि होती, तो हमारे प्यारे साबू को विश्व में अव्वल दर्जा मिलता। अब आप ही इस बात का अनुमान लगा ले कितना बड़ा लफंगा है ये साबू।

जहाँ एक और उसकी उम्र के लोगों की रुचि खेल, पढ़ाई, पैसा, अथवा लड़कियों में होती है। वही उसकी रुचि लोगों और अपने घर वालो को तंग करने में होती थी। उसको अकसर सिनेमा देखना बेहद पसंद था जिसके कारण पैसा ना होने पर वो कुछ भी कर जाता। अब चाहें घर की पूंजी हो या मोहल्ले वालो की चीजें झट से गायब हो जाती। पर पता होने के बाद भी जब लोग उसके पास जाते तो अपने नटखट और चुलबुले अंदाज में वो लोगों को ऐसा उल्लू बनाता के वहाँ से चलते बनते।

अपने घर में उसने सबसे बड़ा जादू 2006 में किया था जहाँ एक मोटी रकम उड़ा डाली थी भाई साहब ने उसपर कुटाई तो खूब हुई पर असर रत्ती भर का ना हुआ। अंत में घर वालो ने घर में पैसा रखना ही बंद कर दिया। और इसकी गाज मोहल्ले वालो पर गिरने लगी। दिन भर मटर गश्ती करके, रात में अपने महँगे सपनों में खो जाता। जिसमें उसके पास लम्बी लम्बी गाड़ियाँ आलीशान बंगला और भी बहुत कुछ होता।

पर एक रात उसका सपना सच होने जा रहा था जिसकी हम केवल कल्पना कर सकते है। ईश्वर ने उसको साबू के लिए सत्य में परिवर्तित कर दिया।

सुनने में भले ही ये एक सौभाग्य लगे। किन्तु वास्तविकता में ऐसा होना कई बार एक भयानक सपने से भी अधिक भयंकर सिद्ध होता और ऐसा ही हुआ। साबू के साथ जब 2010 की एक रात वो अपनी चार बाई छें की चारपाई पे सोया तो उसकी आंख सीधा एक विशाल कक्ष में खुली जहाँ की नक्काशी और सुंदर कारीगरी देखने लायक थी। ये सब देख शुरू में तो साबू को उसका सामान्य सपना लगा। मगर थोड़ी ही देर में उसको आभास हो गया, ये कोई सपना नहीं है।

उसके ताज्जुब की हदें तब पार हुई। जब अपने सपनों की शहजादी को उसने वास्तविक रूप में अपने बगल में लेटा पाया, जिसे देख कर वो बुरी तरह से घबरा गया, और झटपट बेड पर से उतर कर खड़ा हो गया, उसके ऐसा करने से उस सुंदरी की नींद भंग हो गई। और वो अर्ध नींद में आंखें खोल कर साबू को देखती है। पर वो किसी भी तरह अचम्भित नहीं थी बल्कि सामान्य तौर से साबू को डार्लिंग की उपाधि से संबोधित कर रही थी। इस बात ने साबू को घनघोर दुविधा में डाल दिया। इसलिये एक बार फिर सब को अपना भ्रम समझ कर अपने हाथों पर जोर से काटता है। कि वो नींद से जाग जाए। पर कुछ नहीं हुआ। साबू के कुछ पूछने से पहले ही वो सुंदरता की देवी वापिस सो गई। अब साबू के दिमाग में एक बात आई के मुमकिन है। जिस तरह सपने में लगी चोट के बाद भी हमारा सपना चलता रहता है। उसी प्रकार मेरे काटना भी मेरे सपने की कल्पना हो, तो अब क्या किया जाए जो पता चले में सपने में हूँ। या वास्तविकता में।

बहुत देर सोचने के बाद उसको एक अंतरंगी खयाल आता है। वो सोचता है। उसके दिमाग में पास में लेटी सुंदरी के जोर से बाल खिंचने का खयाल आया। जिसपर यदि वो सपने में है। तो उस महिला का व्यवहार आ सामान्य होगा, अगर वास्तविकता में हैं तो सामान्य और क्रोध से भरा होगा। वैसे उसके दिमाग में खुद को गंभीर चोट पहुँचाने का भी ख्याल आया था। किंतु खुद को घायल करके दर्द पहुँचाने के प्रति वो स्वार्थी हो गया और इस लिये खुद पर ना करके, बगल में लेटी सुंदरी पर पीड़ा दायक प्रयोग करने का खतरों भरा फैसला उसने लिया। जिसके परिणाम स्वरूप दर्द से उठती महिला का जोरदार चांटा साबू को रसीद हुआ। जिसपर वो महिला बाद में खुद भी अफसोस करने लग

वो सुंदरी साबू के गालों को सहलाते हुए बोली " ये आज तुम्हें हो क्या गया जो मेरे बाल खिंचे, और देखो नींद में होने के वजह से मेरा हाथ तुम पर उठ गया।

फिर वो सुंदरी प्यार से भरे मनमोहक अंदाज में बोली" ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा है। बाबू आई एम सॉरी

चांटे के दर्द से ज़्यादा साबू को उस सुंदरी के कोमल हाथों का स्पर्श प्रभावित कर रहा था उसे लगा मानो स्वर्ग लोक में बैठा किसी अप्सरा के सौंदर्य का रस पान कर रहा हो, वो एक अनोखी मदहोशी में डूब गया। तभी किसी के कड़कती आवाज़ में कुछ शब्द उसके कानों में पड़े। जिसने उसके इस आनंदित क्षणों को समाप्त कर दिया वो कक्ष में चाय लेकर आया एक नोकर था जो चाय देकर चला गया।

इसी बीच साबू की नज़र चाय की प्याली के पास पड़े अखबारों पर पड़ी, जिसपर दिनांक 2022 की थी इससे देख कर साबू और भी हैरत में पड़ गया कि आखिर उसके जीवन के बारह वर्ष कहाँ गए। फिर उसके दिमाग में ये ख्याल आया कही वो भविष्य में तो नहीं आ गया है। और इस बात को संभावना मान कर उसने खुद को थोड़ा शांत किया।

फिर वो अपने पास की सुंदरी से बाथरूम के लिए पूछता है कि वो कहा है। जिस को सुन वो सुंदरी हकबका रह जाती है। मगर एक बार फिर साबू के पूछने पर वो हाथ के इशारे से उसको बाथरूम बता देती है।

साबू जब बाथरूम में घुसा तो एक दम भिन्ना सा गया। उस बाथरूम का नज़ारा देखने योग्य था वो बाथरूम साबू के पुराने घर से भी बढ़ा था। सबसे पहले उसकी नज़र सामने पड़े बाथ टब पर पड़ी, जिसके चारों ओर सुंदर मछलियों से भरा एक विशाल एक्‍वैरियम बना हुआ था फिर दूसरे कोने में एक मिरर के आस पास ढेर सारे परफ्यूम, फेस वॉश, हेयर वैक्स, आदि जैसे ब्रांडेड महंगे आइटम्स भरे पड़े थे।

उस बाथरूम की हर एक चीज़ लाखों की मालूम होती थी हर एक चीज़ को साबू अपने हाथों से छूता और मन ही मन खुश होता। जैसे मासूम बच्चे चॉक्लेट देखकर खुश होते है। जब वो बाथरूम में लगे मिरर के सामने गया तो उसको एक और चौंकाने वाली बात पता चली वो अपनी उम्र से सात आठ साल बड़ा लग रहा था। साबू ने कई फिल्में देखी है। जो समय यात्रा पर आधारित थी पर किसी भी फ़िल्म में समय यात्री की आयु को बढ़ते नहीं दिखाया। फिर उसने सोचा फिल्मों में लोग केवल कल्पना और तर्कों के आधार पर कहाँनी लिखते है। मगर असल में वास्तविकता कुछ और हो। खेर जो भी हो मुझे क्या मुझे तो बस ये सोचना है। कि ईश्वर ने ये अवसर उसको एन्जॉय करने के लिए दिया है। तो लेट्स एंजॉय टाइगर और शेर की दहाड़ की नकल करते हुए साबू बाथ टब में कूद पड़ा। और बाथरूम में 2 घंटों से भी अधिक रूक कर निकलता है। जिसपर वो महिला और भी चिंतित हो जाती है। मगर कुछ बोलती नहीं बस तब से साबू में आये परिवर्तन के कारण वो साबू की छोटी छोटी हरकतें नोटिस करने लगी। उसको साबू में कुछ ऐसी हरकतें नज़र आती है जो पहले कभी ना थी।

साबू को समझ आ चुका था कि वो अपने भविष्य में है। एक पूरा दिन बिताने के बाद उसको पता चला। के वर्ष 2011 में उसने प्रेम विवाह किया था और 2013 में उसको एक बेटा भी हुआ जो इस समय बोर्डिंग स्कूल में एजुकेशन पा रहा था अभी वर्तमान में साल 2022 चल रहा है। यानी वो 12 वर्ष आगे के समय में आ गया है।

आस पास अनेकों सुख सुविधा का समान, घर में काम करते डेरों नोकर एक, अत्यंत सुंदर बीवी, मानो उसको तो जीवन सफल हो गया। और इन सब में उसको अपने पुराने परिवार का खयाल तक ना आया। खेर जब उस महिला ने यानी उसकी तथाकथित पत्नी ने उसको काम पर जाने के लिए बोला, तो उसने किसी प्रकार बहाना बना कर काम से छुट्टी ले ली, पर अगले दिन उसको जाना ही पड़ा। घर रहकर उसका सामना कई प्रकार के आधुनिक उपकरणों से हुआ। जैसे स्मार्ट फ़ोन एमोलेड टीवी मैक बुक इत्यादि और हर एक उपकरण उसकी समझ से परे था उसने बस अपनी मैक बुक में कैसे कोई जानकारी प्राप्त होती है। ये सीखा जो उसको काफी लगा।

अगले दिन जब वो अपनी मर्सडीज़ में ऑफिस जा रहा था तो उसने टशन मारने के लिए अपने ड्राइवर से बोला " ड्राइवर किसी पनवाड़ी की दुकान पर रोकना एक पैकेट सिगरेट लेनी है। ड्राइवर थोड़ा चकित था क्योंकि जिस मालिक के पास वो पांच वर्षों से नोकरी कर रहा था उसको कभी सिगरेट पीते नहीं देखा, लेकिन वो कर भी क्या सकता था, उसने तुरंत गाड़ी रोकी और अपने मालिक यानी साबू से पैसे मांगे तो साबू ने अपने सूट की जेबों पर हाथ मरते हुए अपना पर्स ढूंढ निकाला, लेकिन जैसे ही पर्स खोला उसके होश उड़ गए और चिल्ला कर बोला " ohh no शीट।

ड्राइवर " क्या हुआ सर ???

साबू " क्या होता किसी ने मजाक करने के लिए मेरे पर्स में चूरन वाले नकली नोट डाल दिए वो भी 2, 2, हजार के, सब जानते है। बापू कभी 1000 से ज़्यादा पर नहीं छपे,ड्राइवर " दिखाइये सर।

ड्राइवर उन नोटों को लेकर देखता है। और फिर हंस कर बोला " क्या सर आप भी ना....

साबू हैरानी से बोला " अब क्या हुआ।

ड्राइवर " सर पूरी दुनिया जानती है। के 2016 में भारत में नोट बंदी हुई थी तब से यही नोट चल रहे है।

साबू अब कुछ कुछ समझ गया और ड्राइवर के सामने भेद ना खुले इसलिये ठहाका लगाते हुए बोला " मैं तो बस तुम्हारी टांग खिंच रहा था।

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Hero tera

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अध्याय 2

खण्ड 2

साबू अपने ऑफिस पहुँच तो गया। लेकिन वो क्या करें उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था वो बहुत बोर हो गया था।

तभी साबू की नज़र अपने स्टाफ के दो कर्मचारियों पर पड़ी, जो किसी बात पर विवाद कर रहे थे। और साबू को अपना मनोरंजन दिख गया। उसके भीतर का लफंगा दानव जाग गया, और उन दोनों की खिंचाई के इरादे से उनको साबू ने क्लर्क के हाथों अपने केबिन में बुलवाया, जिसे सुन कर दोनों की हवा टाइट हो गई। उन्हें लगा उनके झगड़े से बॉस डिस्टर्ब हो गए,

और अब उनकी लगने वाली है।

लेकिन वो नहीं जानते थे आज सामान्य रूप से दिखने वाला जल्लाद एक नटखट बना बैठा है। और जब वो अंदर गए, तो उन दोनों ने अपने बॉस के हावभाव कुछ अलग ही देखे। साबू बड़ी ही उत्सुकता से बोला जो बहस वो बहार कर रहे। थे वो फिर से यहाँ दशा नंद की सभा में आरम्भ की जाए। साबू को उनकी बहस किस बात पर है। उससे कुछ लेना देना नहीं था। उसको तो बस उनकी चट पटी तू तू मैं मैं देख कर अपना मनोरंजन करना था।

उन दोनों में से एक बोला सर मेरा मानना है। अगर फ्रेंज वोन हरमैन नहीं होता तो जोसफ गोएबल्स कभी भी इतना बड़ा ताना शाह नहीं बनता। लेकिन ये महाशय है कि मानते नहीं,

कहते है हरमैन होता या नहीं होता, जोसफ गोएबल्स एक क्रूर तानाशाह ही रहता।

एक दम उनको रोकते हुए साबू बोला " देखो जिस तरह बिना मुद्दा जाने सांस बहुँ की नोक झोंक को देखने में मजा नहीं आता। जिस तरह बिना किसी नेता की पार्टी को जाने उसके भाषण में मजा नहीं आता, उस तरह जोसफ गोएबल्स कौन है। ये जाने बगैर मुझे तुम्हारी बहस में कैसे मजा आएगा। तो बताओ ये जोसफ है। कौन इसको सुन कर बेहद हैरानी के साथ वही पहला आदमी अपनी आंखों को फैला कर बोला " अरे सर वही वर्ल्ड वॉर 2 का सबसे बड़ा विलन,

साबू और भी अधिक ताज्जुब दिखाते हुए बोला " हिटलर से भी बड़ा।

अब साबू की इस बात पर दोनों जन एक दूसरे का मुंह ताकने लगे फिर उनमें से एक हिम्मत करके बोला" सर ये हिटलर कौन है।

साबू बड़े ही उत्सुक भाव दर्शाते हुए बोला " अबे हिटलर को नहीं जानते, जाओ डूब मरो कही। बताओ हिटलर को नहीं जानते। अबे हिटलर वो था जिसने जर्मन फोर्स बना कर वर्ल्ड वॉर 2 का आरंभ किया। और इतना ही नहीं यहूदियों को जिंदा जहरीले गैस चैम्बर में डाल कर मरवा दिया। अबे... लोग काँपते थे उसके नाम से.. अपने समय यानी द्वितीय विश्व युद्ध का असली रावण था वो..

साबू की इन बातों को सुन अब वो दोनों विरोधी एक हो गए और साबू को इतिहास समझाने लगे, सर आप भूल रहे है। उसका नाम हिटलर नहीं जोसफ गोएबल्स था।

काफी देर तक साबू को वो इतिहास और इंटरनेट के माध्यम से जोसफ के बारे में समझाते रहे पर साबू मानने को तैयार ही नहीं था।

उसने एक वक्त के बाद दोनों को झुंझलाहट में फटकार लगा कर वापिस भेज दिया। और अब साबू को कुछ गड़बड़ी का एहसास सा होने लगा। जिस प्रकार एक बालक को कही फंस जाने के समय सबसे अधिक अपने माता पिता की याद आती है। ठीक उसी तरह किसी रहस्यमय जाल में फंसा हुआ पाने पर साबू को अपने माता पिता की याद आई। और उसने अपने मन को शांत करने के लिए अपने माता पिता के पास जाने की ठान ली और ड्राइवर को बुला कर। उससे बोला " मुझे मेरे माता पिता के पास जाना है। ड्राइवर आदेश का पालन करता है। और उसको अपने साथ ले जाता है।

ड्राइवर एक बाग के सामने गाड़ी को रोकता है। और नीचे उतर कर आगे आगे चलने लगता है। लेकिन वही साबू अपनी उलझनों में उलझा इधर उधर के नजारे से बेखबर बस अपने ड्राइवर के पीछे चलता रहता है। तभी एक जगह ड्राइवर रुक जाता है। और साबू आगे आ कर ड्राइवर से पूछने वाला होता है कि क्यों रुके के उसकी नज़र एक कब्र पर पड़ती है। जिस पर उसके माता का नाम लिखा होता है। साथ में मृत्यु का कारण 2006 में हुई रेल दुर्घटना लिखा था इतना ही नहीं एक के बाद एक उसका पूरा परिवार एक कतार से समाधि में लीन था। जिन सब की मौत का कारण एक ही था 2006 में हुई रेल दुर्घटना और उनके अतिरिक्त वहां सकड़ो लोगों की कब्र होती है। जिनकी रेल दुर्घटना में मृत्यु हुई थी ये सब उसके लिये कैसा रहा होगा इसका अंदाज़ा अपने पूरे परिवार को अचानक खो देने वाले के सिवा और कोई नहीं कर सकता।

साबू कैसा भी सही, पर अपने परिवार के प्रति एक सामान्य व्यक्ति की तरह अति भावुक था। और इस नज़ारे को देख कर वो फुट फुट कर रोने लगा। वो बेहद टूट गया और अपने घर वापस आ गया, पति की हालत देख कर पत्नी समझ गई। की वो किसी कारण से काफी दुखी है। वो अपने पति के असली दर्द से बेखबर उसके अनजान दुख को कम करने का प्रयास करती है। जिस पर भावुक हो चुका साबू अपनी पत्नी को रोते हुए सब कुछ बता देता है। मगर उसकी बातें सुन पत्नी को उसकी बातें बेतुकी लगती है। और उसको किसी मानसिक रोग का शिकार समझती है, लेकिन साबू लगातार उसको समझाने का प्रयास करता है। कि उसके हिसाब से वो 12 वर्ष आगे आ गया है। पर उसको समझ नहीं आ रहा कैसे जो माता पिता 12 वर्ष पहले जीवित थे वो 16 वर्ष पूर्व मर चुके है। और कैसे हिटलर जैसे तानाशाह का दुनिया से नामों निशान मिट चुका है। इन सब को सुन कर साबू की पत्नी और भी भड़क जाती है। और दोनों के बीच झगड़ा तक हो गया,

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अध्याय 2

खण्ड 3

रात को अपने पति की बातों से झुंझलाहट में उस सुंदरी को नींद नहीं आ रही थी। बस उसके दिमाग में साबू की बातें ही चल रही थी। अचानक उसका मन हुआ कि एक बार इंटरनेट पर हिटलर के बारे में सर्च तो करें के आखिर ये बला क्या है। जो साबू को इतना परेशान कर रहा है।

उसने साबू को सोता पाया और अपनी मेक बुक पर सर्च करने लगी। बहुत खंगालने के बाद उसको एक ब्रिटिश सोल्जर हेरनी ताण्ड्य का लेख मिला जिसमें सोल्जर के साथ में हिटलर का नाम भी लिखा था

वो लेख कुछ इस प्रकार था। जिसमें सोल्जर अपनी आप बीती बताता हुआ बोलता है।

Henry tandey

1918 प्रथम विश्व युद्ध समाप्ति पर था हमारे बहुत से साथी दुश्मनों के हाथों जंग में शहीद हो चुके थे। अच्छी किस्मत और थोड़ी सावधानी बरतने के कारण मैं किसी प्रकार जीवित बच गया था। उसी बीच मुझे एक 18 या 19 वर्षीय नाज़ी सोल्जर मिला जो घायल था उसे देख कर मैं निर्णय नहीं ले पा रहा था मैं क्या करूँ। एक तरफ मेरी अंतर आत्मा उसको छोड़ देने के लिए कह रही थी। तो दूसरी ओर मेरा फ़र्ज़ मुझे इसकी इजाजत नही दे रहा था मैंने बड़े भारी मन से उसके पास जा कर उससे उसका नाम पूछा। जिसपर उसने काँपते होंठों से अडॉफ हिटलर कहाँ। उसके बाद मैंने उसको सॉरी बोला और अपनी बंदूक उसके सर पर तान दी। ये देख कर वो फुट फुट कर रोने लगा। और बार बार प्लीज़ बोलता रहा उसकी आँसुओं से भरी आंखों में देखते हुए उसको मारना मेरे लिए बहुत मुश्किल था।

इसलिए ट्रिगर दबाते वक़्त मैंने अपनी आंखें बंद कर ली और अगले ही पल गोली की आवाज़ के साथ सब कुछ शांत हो गया। अपने हाथों से मैंने कई दुश्मनों का वध किया था। मगर उस को मारना मेरे लिए किसी श्राप से कम साबित नहीं हुआ। और आज भी उसकी सूरत मेरे सपनों में आकर मुझे डराती है। और मैं बस यही सोचता हूँ। काश मैंने उसको ना मारा होता।

इस आर्टिकल को पड़ कर, साबू की पत्नी को लगा। के ज़रूर साबू ने भी इस आर्टिकल को पड़ा होगा। और अपनी किसी मानसिक कमजोरी के कारण साबू अपने ही दिमाग में अलग कहाँनी गढ़ रहा हैं।

और अगले दिन सुबह को भी साबू को उसकी पत्नी वही आर्टिकल दिखा कर समझाने का प्रयास करती है। कि उसको हिटलर का नाम इस आर्टिकल को पढ़ कर पता चला होगा। और किसी दिमागी कमजोरी के चलते तुम्हारे दिमाग ने ये मन घड़ंत कहाँनी रच डाली।

इस तरह की कई और मनोवैज्ञानिक बातों को बोल कर साबू की पत्नी साबू को समझाने की भरपूर कोशिश करती है। कि मानसिक बीमारी में रोगी को स्वयं के रोग का पता नहीं होता। और आज के आधुनिक युग मे इसका सटीक इलाज उपलब्ध है।

मगर साबू उसकी एक नहीं सुनता। और वहाँ से बिना कोई उत्तर दिए चला जाता है। साबू के लिए उसकी जिंदगी एक पहेली सी बन गई। इन सब से उकता कर वो अपने ऑफिस जा ही रहा था के उसकी नज़र एक लोकल साइंटिस्ट के विज्ञापन पर पड़ी। उसके विज्ञापन में जो बातें लिखी थी। वो बिल्कुल वैसी ही थी जैसी साबू के साथ अजीब घटनाएं घट रही थी।

साबू को एक आशा की किरण नज़र आ गई। साबू ने बिना देरी किए, उस साइंटिस्ट का पता नोट किया और पहुँच गया उसके घर, वो साइंटिस्ट आम साइंटिस्टों की तरह अपने जीवन का अधिकतर हिस्सा लेब में रिसर्च करके काटने वालो के जैसा बिल्कुल नहीं था। बल्कि अपनी मस्ती में मग्न मस्त बॉडी और सिक्स एप बनाए, केवल हाफ पैंट पहनकर लाउड म्यूजिक पर बियर पिता और नाचता हुआ एक मस्त मोला युवक था जिसे देख कर साबू को उसपर तुरंत विश्वास नहीं हुआ। पर साबू को देख कर वो युवक फौरन म्यूजिक ऑफ करके बड़ी ही सज्जनता से उसका स्वागत करता है। इस व्यवहार ने साबू के मन को कुछ हद तक शांत कर उसकी बातों को सुनने का मन बना लिया।

और दोनों के बीच बातें शुरू हुई। तो साबू की सारी बातों को गौर से सुनने के बाद वो बोला।

तुम्हारी घटना का सीधा सम्बन्ध पैरलल यूनिवर्स से है।

साबू चोंक कर बोला" पैरलल यूनिवर्स मतलब

साइंटिस्ट साबू को पैरलल यूनिवर्स की थ्योरी को समझाता हुआ आगे बोला।

" देखो जिस तरह हमारा ग्रह पृथ्वी है। उसी तरह तुम्हारा ग्रह भी पृथ्वी है लेकिन है दोनों अलग अलग

साबू रोनी सूरत दिखाते हुए " सर थोड़ा सिम्पल करके समझाओ ना,

मेरे भेजे के ऊपर से जा रही है आपकी सारी बातें, आप बस इतना समझ लो मैं कभी दसवीं भी पास नहीं कर पाया, इतना नालायक था साइंटिस्ट " देखो जिस तरह से इंसान के हमशक्ल होते है ठीक उसी तरह से भ्रमाण्ड के कई ग्रह ऐसे है जिनके हमशक्ल होते है अच्छा ये बताओ तुम इतना तो जानते हो ना के सौर मंडल क्या होता है

साबू " हाँ बिल्कुल सूर्य के आस पास 8 ग्रहों का चक्कर लगाता समूह हमारा सौर मंडल कहलाता है।

साइंटिस्ट " सही कहाँ, अब सुनो जिस प्रकार हमारे सूर्य के इर्दगिर्द चक्कर लगाते 8 ग्रह है। ठीक उसी प्रकार ब्रह्माण्ड के किसी ओर छोर पर हमारे सूर्य का जुड़वा होगा जिसके चारों ओर घूमते हमारे ग्रह जैसे ग्रह भी होंगे उनमें से एक बिल्कुल हमारी पृथ्वी का हमशक्ल होगा जिसके चारों ओर घूमता एक चाँद भी होगा और उस पृथ्वी में भी हमारे भारत देश जैसा देश होगा जिसकी राजधानी दिल्ली में मेरे ही जैसा एक आदमी बैठा हो सकता है।

इसी प्रकार से ना जाने कितने ही सौर मंडल हमारे सौर मंडल के जैसे जुड़वा इस भ्रमाण्ड में मौजूद है जो समय के अलग अलग आयाम में होंगे

साबू " ये समय के अलग अलग आयाम का मतलब क्या है।

साइंटिस्ट " अलग अलग आयाम का मतलब जितने भी इस भ्रमाण्ड में हमारी पृथ्वी के रूप है मान लो उन सब में मैं मौजूद हूँ। तो उन सब का जीवन समय के अलग अलग भाग में होगा यानी कुछ वो जीवन जी रहे होंगे जो मैं अब तक जी चुका हूँ और कुछ वो जीवन जी रहे होंगे जो मैं भविष्य में जियूँगा

साबू " यानी कि मैं उस पृथ्वी पर आ गया हूँ जो मेरे समय से बारह साल आगे है। मगर यहाँ पर जो मेरे माता पिता और परिवार के सदस्य है। वो 2006 में ही मर चूके है। जबकि मेरी दुनिया मे 2010 तक मेरे माता पिता और परिवार के अन्य लोग जिंदा थे ये कैसे मुमकिन है।

साइंटिस्ट " इसको समझाने के लिए मैं तुम्हें एक कहाँनी सुनाता हूँ।

दो धर्मा नाम के व्यक्ति जो अलग अलग पृथ्वी पर रहते थे। दोनों के जीवन एक दम समान थे बस दोनों के बीच में एक महीने का अंतर था यानी aधर्मा जो जीवन जी रहा था bधर्मा वो जीवन एक महीने बाद जीता

अपनी 28 वर्ष की आयु में एक दिन aधर्मा कही के लिए यात्रा पर निकला तो दुर्भाग्य से जिस बस में धर्मा यात्रा कर रहा था वो बस बीच रास्ते मे ही खराब हो गई। जिसके कारण बस के सारे यात्रियों ने 1 मील पैदल चल कर अगले बस स्टैंड से दूसरी बस पकड़ने का निर्णय लिया लेकिन aधर्मा ने ऐसा ना करके वही रुक कर किसी से लिफ्ट लेने का फैसला किया, ताकि उसको पैदल ना चलना पड़े लगभग 3 घंटे इंतज़ार करने के बाद

aधर्मा को एक गाड़ी ने लिफ्ट दी जिसमें संयोगवश aधर्मा के जैसा ही एक बैग था अब धर्मा को उस बैग को खोल कर देखने का कौतूहल हुआ तो उसने गाड़ी के मालिक की नज़रों से बच कर वो बेग खोल कर देखा तो उसके होश उड़ गए।

एक दम साबू बीच मे बोल पड़ा " ऐसा क्या था उस बेग में

साइंटिस्ट " वो बेग नोटों से भरा पड़ा था। जिसे देख कर धर्मा को लालच आ गया और बिना किसी को भनक पड़े उसने अपने बैग के साथ वो बेग बदल दिया और बड़ी आराम से बस स्टैंड पर उतर कर अलग अलग तीन अनजान जगह की टिकट ली

साबू " क्यों

साइंटिस्ट " ताकि कोई उसका आसानी से पता न लगा सके और फिर अपनी चुनी हुई तीन में से एक जगह पहुँच कर उसने रेल द्वारा अपने घर की यात्रा की

साबू " और जिस जगह उसको जाना था वहाँ का क्या हुआ।

साइंटिस्ट " उसको जिस भी जगह जाना था या जिस भी काम से जाना था धर्मा के लिये उसका महत्व धर्मा के हाथ लगे पैसों से अधिक नहीं था तो उसकी प्राथमिकता पैसा बन गई और जल्द से जल्द उन पैसों को सुरक्षित करने के लिये उसने अपने घर जाना बेहतर समझा।

साबू " कमाल है ना सर थोड़ी देर पहले मिले पैसों से धर्मा को इतना लगाव हो गया तो सोचो जिसका वो पैसा था उसका क्या हाल हुआ होगा ये बात कैसे धर्मा के दिमाग में नहीं आई।

साइंटिस्ट " धन के प्रति मनुष्य के भीतर सदियों से लोभ रहता आया है। जिसके वश में आने वाला व्यक्ति केवल स्वार्थी ही होता है। खेर aधर्मा ने उन पैसों से एक व्यवसाय किया, और पाँच वर्षों के भीतर उसने कई गुना तरक्की कर ली और शहर के नामी लोगों में उसकी गिनती होने लगी। वही दूसरी ओर वो गाड़ी चालक जब घर पहुंचा तो उसके पास उसके मालिक का फोन आया और उसको बोला पैसों का बैग वो निकालना भूल गया।

वो जल्दी से उसको वापिस लाये इतना सुन उस गाड़ी

वाले कि साँसे थम गई क्योंकि थोड़ी देर पहले उसने किसी अनजान व्यक्ति को लिफ्ट दी थी वो तभी गाड़ी के ओर भाग कर पहुँचा और गाड़ी खोल कर उस बैग को देखा।

बैग को सही सलामत देख कर गाड़ी चालक की जान में जान आई फिर उसने एक बार बैग खोल कर देख लेने की सोची और बेग खोल लिया उस में कुछ मेले कुचले कपड़े देख कर मानो उसकी दुनिया लूट गई। उसने खुद अपने हाथों से गिन कर वो पैसों से भरा बैग वहाँ से लिया था जहाँ उसके मालिक ने पैसा लेने भेजा था।

पर अफसोस वो मालिक के घर जा कर भी वो पैसा देना भूल गया और उसकी इसी भूल के कारण अब वो पैसा बैग में नहीं था उसके हाथ पाँव फूल गए। उसने तुरंत अपनी गाड़ी को बस स्टैंड जाने के लिए इस उमीद पर मोड़ा के शायद वो आदमी धोके से बेग बदल कर ले गया हो और वो एक भला मानस निकले जो अभी भी बस स्टैंड पर उसकी प्रतीक्षा कर रहा होगा। मगर जल्द ही उसका ये भ्रम टूट गया और जब उसको वास्तविकता का एहसास हुआ तो उसने शर्म से आत्महत्या कर ली ताकि उसकी सच्चाई पर लोग भरोसा कर ले मगर ये सब कुछ बेकार गया।

उसके मालिक ने उसका घर बार सब कुछ नीलाम करवा दिया और जितना हो सके अपना पैसा वसूल कर लिया उस गाड़ी चालक की पत्नी और 17 वर्षीय लोता लड़का सड़क पर आ गए ना तो कोई रहने को ठिकाना ना ही उनके पास खाने के लिए कुछ था उन विकट स्थितियों ने लड़के के दिमाग पर बुरा असर डाला और वो गलत कामों में घुस गया जिसके जरिए उसको कुछ ही दिनों में अपने और अपनी माँ के लिये एक छत और पेट भर खाने की व्यवस्था हो गई। देखते ही देखते आने वाले पांच वर्षों में वो लड़का एक नामचीन अपराधी बन गया।

एक बार वो शहर के एक मशहूर रेस्टोरेंट में कुछ साथियों के साथ खाना खा रहा था कि तभी उसके ऊपर उसके विरोधी अपराधियों ने हमला कर दिया दोनों और दनादन गोलियों की बौछार होने लगी उनके बीच घमासान मुठभेड़ हुई जिसके अंत परिणाम में केवल वो लड़का ही जीवित बचा था साथ में इस लड़ाई के दौरान उस लड़के के हाथों एक गोली गलती से उस होटल के मालिक को जा लगी जिसकी तुरंत मौत हो गई। और जानते हो वो रेस्टोरेंट का मालिक कौन था

साबू " कही वो धर्मा तो नहीं

साइंटिस्ट " हाँ वही aधर्मा

साबू " शास्त्रों में सच ही लिखा है। आपके कर्म ही आपका भविष्य बनाते है। और देखो अनजाने में उस लड़के ने अपना बदला भी ले लिया।

जिसका उसको पता ही नहीं फिर उस लड़के का क्या हुआ उसको कभी पता चला कि उसने किसको मारा था।

साइंटिस्ट " नहीं उसको कभी पता नहीं चला और धर्मा की मृत्यु पश्चात उसकी सारी संपत्ति सरकार ने जब्त कर ली क्योंकि अपनी अय्याशियों के कारण उसने कभी शादी नहीं की थी और वो मरते समय अकेला था इसलिये सरकार द्वारा वो सम्पत्ति बेनाम घोषित कर के जब्त कर ली गई।

अब आते है। bधर्मा पर याद है वो बस के ख़राब होने वाला किस्सा...

साबू " हाँ याद है सर।

साइंटिस्ट " bधर्मा के सामने जब ये स्थिति आई तो उसने अन्य यात्रियों के जैसे पैदल चल कर जाने का निर्णय लिया, जिसके कारण ना तो उसको कभी पैसा मिला ना ही उस गाड़ी वाले ने आत्महत्या की ना ही उसका बेटा अपराधी बना और ना ही उसके हाथों bधर्मा की कभी हत्या हुई बल्कि उसका जीवन एक दम उलट हो गया आगे चल कर उसने एक सर्व गुण संपन्न कन्या से विवाह किया और उसको एक पुत्री हुई जिसके भाग्य से उसको एक लॉटरी लगी और bधर्मा ने उस से एक व्यवसाय शुरू कर काफी नाम कमाया और अपनी 80 वर्ष की आयु तक एक आनंदमय और खुशहाल जीवन बिताया।

साबू " कर भला तो हो भला

साइंटिस्ट " ये भी कह सकते हो पर फैक्ट ये है। एक छोटे से निर्णय ने दोनों के जीवन में कितना बड़ा अंतर पैदा किया यहां तक कि कितने ही लोगों के जीवन में प्रभाव डाला। बस ठीक इसी तरह से किसी एक निर्णय के कारण तुम्हारे अपने पृथ्वी के जीवन में और इस पृथ्वी के जीवन में इतना अधिक अंतर है। अब वो निर्णय क्या था किसका था ये तो केवल ईश्वर ही जानता है।

साबू " बस इतना ही, किसी एक निर्णय से इतना बड़ा अंतर मेरे अपनी पृथ्वी और इस पृथ्वी के जीवन मे सुनने में हजम नहीं होता

मगर जो कहाँनी आपने सुनाई है। उसके बाद नकारना भी मुश्किल है। लेकिन इन सब से मेरी दुविधा तो दूर हो गई मगर मेरे वापस जाने का कोई रास्ता नहीं मिला।

क्या में कभी वापस जा पाऊंगा।इतना बोलते ही साबू का गला भर आया उसकी आवाज़ कंपकंपाने लगी और वो आगे के शब्द नहीं बोल पाया

शायद अब उसको अपने परिवार का सही मूल्य समझ आ गया जो किसी भी धन कुबेर से बढ़कर होता है।

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रहस्यों से भरा ब्रह्माण्ड

इस किताब के माध्यम से हमने कुछ विभिन्न प्रकार की थ्योरीस को आपके लिए प्रस्तुत किया है इस किताब में कुल तीन कहाँनी है।

प्रथम

इस किताब की पहली अद्भुत कहाँनी प्री- पैराडॉक्स थ्योरी पर आधारित है जो बेहद ही सरल और रोमांचकारी रूप से लिखी गई है। वैसे तो हम सब जानते है। यदि हमें समय यात्रा सम्भव करनी है। तो हमें प्रकाश(लाइट) की गति से चलने वाला यंत्र बनाना होगा जिसका अर्थ है। दो लाख निन्यानवे हजार सात सौ बानवें किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से चलने वाले यन्त्र कि आवश्यकता है। जबकि संसार की सबसे तेज गति का उपकरण अभी हमारे पास जो है। वो तीन लाख पैंसठ हजार किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने की क्षमता रखता है। तो सम्भावना है कि हम भविष्य में लाइट स्पीड की गति से चलने वाली मशीन का आविष्कार कर सके। खेर प्री-पैराडॉक्स थ्योरी के अनुसार यदि भविष्य में समय यात्रा करना सम्भव होगा तो घटनाओं का क्रम काफी उलझ जाएगा यानी कौन सी घटना कब घटी है। इसको बताना अत्यंत कठिन होगा। इसी थ्योरी को सरलता से हमने अपनी प्रथम कहाँनी पहेली में समझाया है।

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इसके बाद हमारी दूसरी कहाँनी पैरलल यूनिवर्स और बटरफ्लाई इफ़ेक्ट से प्रेरित है। पहले हम पैरलल यूनिवर्स की बात करते है, पैरलल यूनिवर्स के अनुसार हमारे ब्रह्माण्ड में हमारी पृथ्वी के अनेकों प्रतिभिम्ब मौजूद हैं। दूसरी भाषा में कहें तो जिस प्रकार मनुष्य के जुड़वा होते है। ठीक उसी प्रकार से ग्रहों के भी जुड़वा होते है। बस अंतर केवल इतना है। के हमारी मान्यताओं के अनुसार मनुष्य के अधिकतम 7 हमशक्ल तक हो सकते है। किंतु ग्रहों के जुड़वाओ की कोई सीमा नहीं होती और ये समय के अलग अलग आयाम में होते है। इस थ्योरी के अनुसार अलग अलग समय में रह रहे प्रतिभिम्ब कि चीजे तो एक समान हो सकती है मगर उनमें रह रहे लोगों के निर्णयों में अंतर मिलता है यानी जो निर्णय हमारे पृथ्वी के लोगों ने लिए है|

ज़रूरी नहीं ब्रह्माण्ड में हमारे पृथ्वी के प्रतिभिम्ब में रह रहे लोगों द्वारा भी लिए गए हो। उनके निर्णय हमारे निर्णय जैसे हो भी सकते है और नहीं भी।

दूसरी तरफ

बटरफ्लाई इफ़ेक्ट एक ऐसी थ्योरी है जिसने प्रमाणित किया है के संसार के एक कोने में घटी घटना संसार के दूसरे कोने में होने वाली बड़ी घटना का कारण बन सकती है इसको सरलता से समझाने के लिए एक उदाहरण देता हूँ।

आजकल हमारे घरों में आने वाला दूध एक प्लास्टिक के पैकेट में आता है। जिसका उपयोग करने के लिए हम उस पैकेट का एक छोटा कोना काट कर कूड़े में फेंक देते है। जिसे अधिक छोटा होने के कारण रिसाइकिल नहीं किया जाता और कुछ महान व्यक्तियों द्वारा उसको समुद्र में फेंक दिया जाता हैं जिसे समुद्र की छोटी मछलियां निगल जाती है। और जब मछवारा मछलियों को पकड़ता है तो कई बार उनमें वो प्लास्टिक का टुकड़ा खाई हुई मछली भी होती है फिर उस मछली को खाने वाले व्यक्ति को कैंसर होने की सम्भावना तक होती है जिसके कारण व्यक्ति की मौत भी हो जाती है। अब सोचिए हमारे द्वारा काटी गई छोटी सी प्लास्टिक किस प्रकार से एक मनुष्य के प्राण छीन सकती है। इसी को बटरफ्लाई इफ़ेक्ट कहते हैं।

इन दो थ्योरी को मिला कर हमारी दूसरी कहाँनी आत्मा का निर्माण हुआ है। जो हर पल आपको अचंभित करेगी।

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अंत में रहस्य और रोमांच से भरपूर एक चमत्कारी और जादुई दुनिया पर आधारित हमारी अंतिम कहाँनी है। जिसमें समय समय पर दुर्लभ और अद्भुत घटनाएँ घटित होती है। जो आपके होश उड़ा देगी और आपकी जिज्ञासा को प्रति क्षण जागरूक रखेगी इस अंतिम कहाँनी में आपको विभिन्न प्रकार के प्रसिद्ध मान्यताओं का मिश्रण मिलेगा जो आपका मनोरंजन करने के साथ साथ संसार के कुछ दुर्लभ ज्ञान से भी परिचित कराएंगी। इस कहाँनी का नाम है। वसुंधरा
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ashish_1982_in

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अध्याय 1

खण्ड1

एक दिन दिसम्बर के महीने में एक पार्क में हरीश गुमसुम सा बैठा धूप सेक रहा था तभी उसकी नज़र अपने सामने दूर खड़े व्यक्ति पर पड़ी जिसको देख कर हरीश चोंक उठा क्योंकि वो व्यक्ति हरीश का हमशक्ल था और सबसे भयानक बात ये थी कि वो एकदम शांत स्थिति में खड़ा हरीश को ऐसे देख रहा था जैसे वो हरीश के लिए ही वहाँ आया हो और जब हरीश अपनी जगह से उठ कर उसकी और चला तो वो व्यक्ति अपनी जगह पर रुका नहीं रहा बल्कि आगे की ओर बढ़ चला,

हरीश निरंतर अपने हमशक्ल का पीछा करता जा रहा था जैसे जैसे हरीश उसको पकड़ने के लिए अपनी गति तेज करता वैसे वैसे ही वो हमशक्ल अपनी रफ्तार भी बढ़ाता जाता इसी बीच वो हमशक्ल एक सुनसान गली में घुस गया, हरीश भी उसके पीछे उस गली में घुस गया मगर जैसे ही हरीश उस गली में घुसा तो उसने उस गली को खाली पाया गया वो गली तीनों तरफ से ऊंची ऊंची दीवारों से बंद थी उन दीवारों को इतनी जल्दी लांघना किसी भी इंसान के लिए सम्भव नहीं था फिर भी वो हमशक्ल वहाँ से एक रहस्य की तरह गायब हो गया हरीश इस बात से काफी हैरान था तभी हरीश की नज़र सामने वाली दीवार पर पड़ी उस पर एक पर्चा लगा था जब हरीश ने उसको नजदीक से देखा तो उसपर हरीश की खुद की राइटिंग में लिखा था

समय आ गया

तिथि 31/3/1990

एक अज्ञात व्यक्ति एक सुंदर नवजात शिशु को कुमार फैमिली के घर के दरवाजे पर छोड़ जाता है।

इस पूरी कुमार फैमिली में केवल एक अधेड़ उम्र का जोड़ा रहता है। उनके विवाह को तीस वर्षों से भी अधिक हो चुके थे किंतु अभी तक वो संतान के सुख से अपरिचित थे। उन्होंने अनेकों चिकित्सालय के चक्कर लगाए कई पंडितों और हकीमो के यहाँ हाथ फैलाए परंतु सब कुछ व्यर्थ सिद्ध हुआ जैसे जैसे समय बीतता वैसे वैसे उनकी संतान प्राप्ति की लालसा भी बढ़ती जाती इसलिए जब उनको अपने घर के बहार एक शिशु दिखा तो उनके भीतर की ममता और स्नेह उमड़ आया उन्हें,लगा ईश्वर ने उनकी भक्ति और लग्न से प्रसन्न हो कर उनको वरदान दिया है। बस इसीलिए ईश्वर का प्रसाद मान कर उन्होंने उस नन्हे बालक को रख लिया। और अपनी सगी सन्तान की तरह उसका पालन पोषण किया, मगर एक चीज़ उनको खटकने लगी असल में वो नहीं चाहते थे कि कभी भी बच्चे को सौतेली संतान होने का पता चले जो मौजूदा स्थान पर असंभव सा लगने लगा था क्योंकि आस पास के लोगों में इसका पता था कि कुमार फैमिली जिस शिशु की परवरिश कर रही है वो उनकी सगी संतान नहीं थी। इसलिए उन्होंने अपने निवास स्थान को बदल कर एक नए स्थान में जा कर बसेरा कर लिया।

कुमार दम्पत्ति ने उसका नाम हरीश कुमार रखा, आगे चल कर हरीश एक तीक्ष्ण बुद्धि का स्वामी बना, उसकी कुशलता और यौग्यता का अनुमान हम इस बात से लगा सकते है। के उसने बारहवीं कक्षा में इस संसार को दो बड़े आविष्कार दिए पहला स्मार्ट फोन दूसरा होलोग्राफी मगर उसने धन लोभ में आ कर अपने आविष्कार मोटे दामों में मल्टी नेशनल कंपनियों को बेच दिए। लोभ एक ऐसी बीमारी है जिसके प्रभाव से बड़े से बड़े ज्ञानी की भी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। यही हरीश के साथ हुआ और इस बात का हरीश को तब एहसास हुआ जब किसी भी रूप में उसको इन सब का श्रेय नहीं मिला अरे श्रेय तो बहुत दूर की बात है यदि वो किसी को ये बताता भी के ये आविष्कार उसने किए है। तो लोग उसका खूब मजाक बनाते इन सब अनुभव ने उसको एक चीज़ के लिए मजबूत कर दिया, और वो ये के हरीश अपने अगले आविष्कार का श्रेय नहीं खोएगा और उसका नया आविष्कार आने वाली सदी का सबसे महान आविष्कार है। उसका अगला आविष्कार समय यात्रा यन्त्र था जो उसने साल 2010 से बनाना शुरू किया, और साल 2016 के आरम्भ में उसने आविष्कार को लगभग बना ही लिया था के तभी उसपर पहाड़ टूट पड़ा उसका जीवन में ऐसे दुखो का सैलाब आया कि वो टूटे मोतियों की माला समान बिखर पड़ा।

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very nice update bhai
 
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