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Incest Sagar (Completed)

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Intzaar agli kahani ka,,,,:waiting:
लिखना तो चाहता हूं पर संयोग नहीं बन पा रहा है शुभम भाई । कुछ काम धंधा के चलते और कुछ जो कहानी पढ़ रहा हूं उसके चलते । सिर्फ छः सात कहानी पढ़ने में और उसका रेभो देने में हालत पस्त हो जाती है ।
लगता है कामदेव भाई के उपर मंडराने वाला ग्रह नक्षत्र मेरे उपर भी आ गया है । :D
 

The_InnoCent

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
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लिखना तो चाहता हूं पर संयोग नहीं बन पा रहा है शुभम भाई । कुछ काम धंधा के चलते और कुछ जो कहानी पढ़ रहा हूं उसके चलते । सिर्फ छः सात कहानी पढ़ने में और उसका रेभो देने में हालत पस्त हो जाती है ।
लगता है कामदेव भाई के उपर मंडराने वाला ग्रह नक्षत्र मेरे उपर भी आ गया है । :D
Kamdev bhaiya ji ki chhatrachhaya ke bare me maine pahle hi aapse kaha tha. Dekh lijiye moksh mil gaya aapko,,,,:lol1:
Khair main ye kahna chahta hu ki apni behtareen lekhni ke dwara Rachit kisi bhi kahnai se apne paathako ko vanchit na kijiye. Kahaniya bhi padhiye kintu thoda bahut likhiye bhi. Hame to shiddat se intzaar hai,,,,:waiting:
 
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rashmilal

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please write more ahead, you are really a great writer. i really loved your story. pls complete this story, i mean please write more of this story ahead. thanks in advance dear friend
 
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Rajizexy

Punjabi Doc
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Nice start
 
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पहली अध्याय लिखने के बाद मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि Hinglish में लिखने के कारण में अपने भावों को सही तरीके से प्रदर्शित नहीं कर पा रहा हूं, अतः अब से इस कहानी को हिंदी में ही लिखूंगा। इस कहानी में incest तो है ही इसके अलावा ये एक murder mystery suspense कहानी भी है। इस कहानी का ताना-बाना पहले से ही बुन लिया है और ये एक लम्बी कहानी होने वाली है। कहानी जरूर पुरी होगी बशर्ते कहीं कुदरत का कोई चमत्कार ‌न हो जाय। कृपया अपना support मुझे देते रहिएगा।

Sagar bhai
मैने ये आज से पढ्न सुरु किया है, मुझे इसमें कुछ कुछ सुधीर दी लक्की बास्टर की झलक दिखाई दिया। बढिया।
 
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Update 28.

मैं उठकर अपने पैरों पर खड़ा हुआ और अपने कांपते हाथों से एक सिगरेट सुलगाने लगा ।

तब कोठारी का रिवाल्वर वाला हाथ नीचे झुका ।

" मैंने इसे वार्न किया था " - कोठारी बोला -" लेकिन यह मेरे पर गोली चलाने को पुरी तरह से आमादा था ।"

" आप यहां कैसे पहुच गए ? " - मैं फंसे स्वर में बोला ।

" अपने आपको खुशकिस्मत समझो कि मैं यहां पहुंच गया ।"

" लेकिन कैसे ?"

" तुम्हारी ही वजह से । सुबह मनीष जैन के कमरे से बाहर निकल कर जब तुमने अपनी बहन से बातें की थीं तब सारी बातें मैंने सुन ली थी । जिस तरह से तुम खंजर वाली बात की लिपापोती कर रहे थे तो मुझे तुम पर डाउट हो गया था । जब तुम वहां से निकले तभी मैंने तुम्हारे पीछे एक आदमी लगा दिया था । वो तुम्हारे पीछे शुरू से लगा हुआ था । जब उसने मुझे बताया कि तुम रमाकांत के फ्लैट में चले गए हो तो मुझे यह बात बुरी तरह खटकी । लिहाजा मैं सब काम छोड़कर सीधा यहां पहुंच गया जो कि मैंने बहुत अच्छा किया ।"

" आपने कुछ सुना ?"

" हां , सुना । मैं बाहर की होल से कान सटाए रहा था जब तक की तुम्हें बाहर को मार्च करने का हुक्म नहीं मिला ।"

" ओह ! कोठारी सर , मेरी जान बचाने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।"

वह मुस्कराया । वह संतुष्ट था कि इतना बड़ा केस हल हो गया था ।

" खंजर और तस्वीर कहां है ?"

मैंने तत्काल खंजर और तस्वीर उसे सौंप दी ।

" अब तुम यहां से निकलो । यहां अब पुलिस का काम है ।"

मैंने तत्काल आदेश का पालन किया ।

जानकी देवी को धोखाधड़ी में शरीक होने , नाजायज और गैरकानूनी तरीके से अपने पति की मौत के बाद किसी और शख्स को अपना पति बनाकर और ट्रस्ट के साथ लगातार फ्राड करते रहने और अमर एवं मनीष जैन के हत्या में रमाकांत का साथ देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया ।

जानकी देवी ने जेल जाने के बाद एक अच्छा काम किया । उसने अपनी सारी चल और अचल संपत्ति वीणा के नाम कर दिया । बाद में जेल में उससे मिलने वीणा और अनुष्का गई थी जो कि मुझे वीणा से पता चला ।

तीन दिन बाद ----

रीतु जयपुर से वापस आ गई थी । उसके साथ काजल भी अपने फेमिली के साथ आ गई थी ।

दोपहर का समय था । मैं अपने कमरे में आराम कर रहा था कि माॅम ने कहा कि कोई कुरियर वाला आया है । मैं नीचे गया । कुरियर वाले ने एक लिफाफा दिया । लिफाफा मेरे नाम पर था । एक दिन पहले के डेट में केदारनाथ से भेजा गया था । मैं अपने कमरे में चला आया और लिफाफा खोला । लिफाफे के अन्दर एक चिट्ठी थी जिसे अमर की मां ने मुझे भेजा था ।

मैंने पढ़ना शुरू किया ।

सागर बेटा !
भगवान तुम्हें सदैव खुश रखें और लम्बी उम्र दें ।
मैं ये चिट्ठी यहां के एक धर्मशाला में बैठकर लिख रही हूं । अभी दो घंटे पहले मुझे अखबार से पता चला कि मेरे बेटे अमर का क़ातिल अपने गुनाहों का फल पा चुका है । मैंने इस की तस्दीक वहां के वकील सोहन लाल भार्गव से भी कर ली है । अब जाकर मेरे दिल को चैन मिला । अब कहीं जाकर मेरे बेटे अमर के आत्मा को शांति मिली होगी ।
मुझे तुम पर नाज है बेटा । तुमने मेरे बेटे के क़ातिल को ढूंढने के लिए बहुत मेहनत की । तुम्हारे चलते ही मेरे बेटे की आत्मा को शांति मिला है । भगवान तुम्हें हमेशा खुश रखे । बाबा केदारनाथ मेरी उम्र भी तुझे दे दें ।
मुझे ये भी पता चला कि अमर के जीवन में एक लड़की थी । वो वीणा नाम की एक लड़की से प्यार करता था । पागल कहीं का ! अगर मुझे बताता कि वो उससे शादी करना चाहता है कि क्या मैं उसकी शादी नहीं करवाती ? उसे अपनी बेटी बनाकर रखती । क्या हुआ जो वो क्लब में नाचती थी । मैं उसे अपने माथे पर बिठाए रखती । इसी लड़की के लिए उसने उस रमाकांत से दुश्मनी कर ली थी । शायद उसे उस लड़की का कष्ट नहीं देखा गया । वो जो कुछ किया उस लड़की के दुखों को देखकर किया । वो दिल का बुरा लड़का नहीं था । ये तुमसे अच्छा कौन जान सकता है । वो तो तुम्हारा सबसे करीबी दोस्त था न ! क्या तुम्हें लगता है कि वो ये सब पैसों के लिए किया होगा ? तुम तो जानते हो कि उसे रूपए पैसों की कभी भी तंगी नहीं थी ।
बेटा ! एक आखिरी बात कहनी थी क्योंकि थोड़ी देर बाद मैं भी अपने बेटे अमर के पास पहुंच चुकी होंगी । अपने बेटे के अस्थि कलश को लिए गंगा मैया में समाधी ले लुंगी । क्या करूंगी जीकर ! किसके लिए जिऊं ! मैं तो अब तक अपनी सांसें इसीलिए ढो रही थी कि उस हत्यारे को फांसी पर चढ़ते देख सकुं । मेरा बेटा वहां अकेले हैं ! वो मुझे पुकार रहा है ! वो मेरे बगैर कहीं भी रहा ही नहीं !
बेटा ! उसके पापा मरे थे तो वो पांच साल का था ! बहुत छोटा सा ! हमेशा मेरी पल्लू से ही बंधा रहता था ! तब से लेकर हमेशा ऐसा ही रहा ! दो महिने पहले तक भी वो कुछ नहीं करता था । सब कुछ मैं ही करती थी । बेटा.... बेटा.. वो अकेले कैसे करेगा ? मुझे जाना ही होगा । मुझे पता है वो बहुत परेशान हैं । वो जैसा बचपन में था वैसा ही आज भी है । मैं जा रही हूं अपने जिगर के टुकड़े के पास । "

मैं घुटनों के बल बैठ गया और फुट फुट कर रोने लगा ।



दो साल बाद ।

वीणा आज मेरी पत्नी है । अच्छी खासी नौकरी भी है ।
माॅम के लिए जो बुरे खयालात थे उससे मैंने कब का तौबा कर लिया ।
रीतु तो मेरी जान है । वो अभी भी वैसे ही अपने हरकतों से मुझे कभी हंसाती है तो कभी मेरी फजीहत कर देती है ।
काजल से अभी भी उसी तरह बातें करते रहता हूं । लेकिन सिर्फ बातें ही होती है ।
श्वेता दी और जीजू ने अपने फ्लैट को बेचकर दिल्ली में ही एक जगह फ्लैट खरीद लिया ।
श्वेता दी से भी सेक्सुअल सम्बन्ध खतम हो गया है । वो अपने फेमिली में व्यस्त हो गई है ।
अनुष्का और उसके हसबैंड की लाइफ भी ठीक ही चल रही है ।

संजय जी से एक बार बातों के दौरान पता चला कि आगरा में उन्हीं के कर्मचारी ने उन्हें मारने की कोशिश की थी । वो फिलहाल जेल में हैं । कुछ मालिक नौकर का प्रोब्लम था ।
मधुमिता की भी शादी हो गई है और वो बहुत खुश है ।


समाप्त ।

_______________________________________________

माफ कीजिएगा । ये कहानी यहीं समाप्त हो रही है ।
कुछ कमी है मुझमें जो मैं समय का मैनेजमेंट नहीं कर पा रहा ।
मुझे बहुत खुशी है कि एक ऐसे आदमी की कहानी को पसंद किया गया जिसने कभी कोई कविता तक नहीं लिखा हो ।
मैं उन सभी लोगों को शुक्रिया कहता हूं जिन्होंने मुझे इतना बर्दाश्त किया ।
और खास तौर पर फ़ायरफ़ॉक्स भाई का । यदि ये नहीं होते तो मैं शायद बहुत पहले लिखना छोड़ देता ।

थोड़ा सा इमोशनल हूं लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि मैं स्टोरी पढ़ना छोडूंगा या कमेंट नहीं करूंगा ।

बहुत बहुत धन्यवाद ।

सञ्जु भाइ

बढिया।

मुझे करिब 15 साल हो गया, पाठक साहब के उपन्यास पढी हुवे। उससे पहले की सब पढ़ लिय था। आपको लेखानी में मुझे हर लाइन, हर अल्फाज पर पाठक साहब ही दिखे ।
मैं तो सिर्फ पढता हूँ, अपने कोशिश करी लिखने की और मेरे हिसाब से आप अव्वल नम्बर से पास हुवे।

आशा करता हूँ कि आपको समय मिले और लिखने के लिए
 
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सञ्जु भाइ

बढिया।

मुझे करिब 15 साल हो गया, पाठक साहब के उपन्यास पढी हुवे। उससे पहले की सब पढ़ लिय था। आपको लेखानी में मुझे हर लाइन, हर अल्फाज पर पाठक साहब ही दिखे ।
मैं तो सिर्फ पढता हूँ, अपने कोशिश करी लिखने की और मेरे हिसाब से आप अव्वल नम्बर से पास हुवे।

आशा करता हूँ कि आपको समय मिले और लिखने के लिए
एक्चुअली मैं पाठक जी का बहुत ही बड़ा फैन हूं । शायद ही उनका ऐसा कोई उपन्यास होगा जो मैंने नहीं पढ़ा है । वैसे कुछ कुछ लाइनें भी उन्हीं के उपन्यासों से चुरा लेता हूं ।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद भाई ।
 

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एक्चुअली मैं पाठक जी का बहुत ही बड़ा फैन हूं । शायद ही उनका ऐसा कोई उपन्यास होगा जो मैंने नहीं पढ़ा है । वैसे कुछ कुछ लाइनें भी उन्हीं के उपन्यासों से चुरा लेता हूं ।
आपका बहुत बहुत धन्यवाद भाई ।

सञ्जु भाइ

कुछ कुछ लाइन। आप हसाते बहुत हो। सुधीर का कमीना पन वो भी १ नम्बर का होना। और ये रमाकान्त और उसकी बीवि का fraud karana।

Anyways, I find you too good as a writer and want you to write more. Yaar daily kuchh kuchh line likh lo aur 6 mahine baad post kar dena.
Lekin likhna jarur.

Pathak sahab ka fan to mai bhi hu. Jab mai 8th standard me tha, unka Vimal ka aaj katla ho kar rahega aur dial 100 padha tha us waqt se unkaa fan huwa tha aur 2005 tak jitne bhi novel publish huwa tha sab padh liya tha.
 
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malhotra.nisha

प्यासी हूँ मैं, प्यासी रहने दो
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डायलॉग पढ़ कर लग रहा है कि सुरेन्द्र मोहन पाठकजी ही नाम बदलकर यहां उपस्थित हैं
बिलकुल बजा फरमाया है साहब, कहानी के हीरो का स्टाईल पॉकेट बुक्स के हीरो की तरह ही है। लगता है वेद प्रकाश शर्मा के ज़माने में पहुंच गए है।
 
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