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Incest Sagar (Completed)

Amit pelu

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Update 23 Continue.


" क्या टाईम हुआ है ?"

चाची के पहलू में लेटा कुछ देर पहले हुई अभिसार सुखों के कल्पनाओं में खोया हुआ था कि चाची के आवाज ने मुझे चेतना में ला दिया । मैंने लेटे लेटे ही टाईम देखने के लिए अपनी मोबाइल ढुंढने के लिए हाथ अगल बगल दौड़ाया । तभी मुझे याद आया कि मोबाइल तो मेरे पैंट में हैं । मैं हड़बड़ा कर बिस्तर से उठा ।

" क्या हुआ ?" - चाची मुझे इस तरह हड़बड़ा कर उठते हुए देख कर बोली ।

" मेरा मोबाइल तो पैंट में हैं.... कहीं पानी में भीगने से खराब न हो गया हो "- मैं नंगे बदन ही उठा और पैंट से मोबाइल निकालते हुए कहा ।

मैंने वहीं बगल में पड़े हुए एक सुखे कपड़े से मोबाइल पोंछा । शुक्र था कि मोबाइल खराब नहीं हुआ था । मगर उसमें माॅम के पांच , रीतु के दो और रमणीक लाल के दो मिस काॅल थे । इतने मिस काॅल देखकर मैं चौंका । मैं मोबाइल लेकर वापस बिस्तर पर आकर बैठ गया ।

" मोबाइल ठीक है ना ?"- चाची उठ कर मेरे बगल में बैठते हुए बोली ।

हम दोनों के शरीर पर अभी भी कपड़े का नामोनिशान तक नहीं था ।

" हां । मोबाइल तो ठीक है लेकिन माॅम , रीतु के ‌कई मिस काॅल है ।"

" क्या बात है ?"- वो मेरे लिंग को अपने हाथों से पकड़ कर सहलाते हुए बोली ।

" पता नहीं । फोन करता हूं " - मैंने भी उनकी बड़ी बड़ी चूचियों को दबाते हुए कहा ।

मैंने माॅम को फोन लगाया ।

" अरे कहां पर है ? कब से फोन कर रही हूं , फोन क्यों नहीं उठाता ?" - रिंग होते ही माॅम गुस्से से बोली ।

" कैसे फोन उठाऊं ? देख नहीं रही हो कितनी जोर से बारिश हो रही है ।"

" तो बारिश होने से फोन उठाने या नहीं उठाने का क्या मतलब है ?"

" बारिश से फोन भींग कर खराब नहीं हो जायेगी ?"

" वाह ! क्या सुन्दर जबाव दे रहा है । यदि बारिश हो तो फोन का इस्तेमाल ही नहीं करना चाहिए । कहीं उस कमीनी ज्योत्सना के साथ तो नहीं है ?"

अब उन्हें क्या बताऊं कि मैं ज्योत्सना के साथ नहीं बल्कि चाची के साथ नंग धडंग बैठा उनसे बातें कर रहा हूं ।

" अरे नहीं माॅम मैं ज्योत्सना के साथ नहीं हूं । मैं कहीं और ही जगह पर हूं । एक्चुअल में मेरी बाइक भी तो खराब हो गई है ।"

" क्या ? बाइक खराब हो गई है ?" - अब वो पहले के अपेक्षाकृत नरम स्वर में बोली ।

" हां । पहले ये बताओ ना कि फोन किसलिए किया था ?"

" रीतु के लिए ।"

" रीतु के लिए ?" - मैं घबड़ाते हुए बोला - " क्या हुआ रीतु को ?"

" अरे कुछ नहीं हुआ है । वो कल काजल के साथ उसके शहर जाने के लिए बोल रही है । काजल की कजन सिस्टर की शादी है तो वो रीतु को साथ ले जाने के लिए बोल रही है ।"

" क्या ?" - मैं आश्चर्यचकित हुआ ।

लेकिन काजल ने तो मुझे कहा था कि सिर्फ उसके मां बाप जाने वाले हैं और वो यही रहेगी । और उसके मां बाप के जाने के बाद कल पुरा दिन और पुरी रात मेरे साथ पलंग कबड्डी खेलेंगी ।

मैंने माॅम से कहा -" और रीतु क्या बोल रही है ? क्या वो जाना चाहती है ?"

" हां । उसकी भी इच्छा है जाने के लिए ।"

" वो घर पर ही है ?

" नहीं , काजल के घर गई है ।"

" ठीक है । मैं रीतु से बात करता हूं ।"

" लेकिन तु है कहां अभी ? और कब तक आयेगा ?"

" मैने बताया न मैं कहीं और जगह पर फंसा हुआ हूं । मैं आधे घंटे में आ रहा हूं ।"

" और मुझे लगा तु उस कलमूही के साथ होगा ।"

" यही तो गलती कर दिया जो उसके पास नहीं गया । अभी में घर आता हूं फिर वहां से उस कलमूही के घर जाता हूं ।"

चाची मुझे हैरत से देख रही थी । उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि मैंने उनकी सहेली ज्योत्सना को भी पटा रखा है ।

" उससे पहले मैं तेरी पांव तोड़ दुंगी " - माॅम गुस्से से बोली ।

मैंने हंसते हुए फोन काट दिया ।

चाची मेरे लन्ड को दबाते हुए बोली -" ये ज्योत्सना वाला क्या चक्कर है ?"

" जैसा तुम्हारे साथ वाला चक्कर है " - कहते हुए मैंने उनकी चूत में अपनी उंगली पेल दी ।

" तुम सच में बहुत नालायक हो । बड़ी बड़ी उमर की औरतों के पीछे पड़ रहते हो । ये सब तुम्हारी गन्दी गन्दी किताबें पढ़ने का नतीजा है " - वो मेरे लन्ड को पकड़ कर मूठ मारते हुए बोली ।

मैं चौंका ।

इसका मतलब मेरी अलमारी से जो किताबें गायब हो रही थी , वो चाची कर रही थी ।

" मैंने उनकी चूची की बड़ी निप्पल को उंगलियों से मसलते हुए कहा - " आपको कैसे पता कि मैं गन्दी गन्दी किताबें पढ़ता हूं ।"

" अपने आलमारी में जो किताबें छुपा कर रखा है क्या वो तेरे बाप का है ?"

" है तो मेरा ही लेकिन आप को कैसे पता ?"

" बस पता है ।"

" कहीं वो आप ही नहीं तो जो मेरे आलमारी से किताबें गायब करती थी ?"

" तुझे मालूम था कि वहां से कोई कोई किताब गायब हो जाती थी ?"

" क्यों नहीं पता होगा ? आखिर मेरा किताब था तो कोई किताब न होने से मालूम पड़ ही जायेगा । अब आप बताओ वो किताबें आप ही निकालती थी न ?"

" मैं नहीं , तेरी मम्मी निकालती थी ।"

" क्या ?"

मैं आश्चर्य से मूंह फाड़े उनको देखता रहा ।

वो मुझे आश्चर्यचकित होते देखकर मुस्कराई और मुझे अपने ऊपर खींच ली । और मेरे लन्ड को पकड़ कर अपने चूत के छिद्र पर रख कर नीचे से धक्का दी जिससे मेरा लन्ड का सुपाड़ा उनके चूत में घुस गया ।

" चाची , सच सच बताओ ? क्या माॅम वहां से किताबें निकालती थी ?" मैं अभी भी श्योर नहीं था ।

" हां । तेरी माॅम ही तेरे रूम के आलमारी से किताबें गायब करती थी और हम दोनों बारी बारी से उसे पढ़ती थी । क्या करें ! आखिर हम भी तो हाड़ मांस की ही बनी है । हमारी भी इच्छा होती है कि कोई हमें भी रगड़ कर प्यार करे । तेरे डैड ने तेरी मम्मी के साथ और तेरे चाचा ने मेरे साथ करीब आठ दस सालों से सेक्स करना ही छोड़ दिया है । उनका खड़ा ही नहीं होता । हम दोनों बरसों से प्यासी है । एक दिन तेरी माॅम तेरी कमरे की सफाई कर रही थी । सफाई करते हुए तेरी बिस्तर के नीचे से उन्हें आलमारी की चाबी मिली । उन्होंने सोचा क्यों न आलमारी भी साफ करके उसके अंदर की सामान सजा दूं , तभी उन्हें तेरी ये गन्दी गन्दी किताबें दिखाई पड़ी । पहले तो वो बहुत गुस्सा हुई । तुम्हें उसी वक्त डांटना चाहती थी । और संयोग से उस दिन मैं भी वहां पहुंच गई । उन्होंने मुझे दिखाया । मुझे भी खराब लगा । लेकिन संयोगवश उसी दिन तुम अपने दोस्तों के साथ बंगलूरू घुमने चले गए । तुम पुरे छः दिन बाद आए थे तब तक यहां की कहानी कुछ और ही हो गई थी । इन छः दिनों में हमने सारी किताबें पढ़ ली और वो भी एक बार नहीं बल्कि कई बार और फिर अब तुम्हें क्या फटकारें हम दोनों खूद ही उन गन्दी कहानियों के दिवाने बन चुके थे । हमारी दबी हुई लालशा फिर परवान चढ़ने लगी । हमारी सेक्स की भुख पहले से भी ज्यादा बढ़ गई । लेकिन परिवार के मान सम्मान हमारी मजबूरी , संस्कृति हमारी पांव में बेड़ियां डाले पहले ही की तरह जकड़ी रही ।

मेरा तो आश्चर्य के मारे बूरा हाल था । माॅम किताबें मेरे रूम से गायब करती थी और उसे पहले खुद पढ़ती थी फिर चाची को पढ़ाती थी और जब फिर पढ़ने के बाद मेरे आलमारी में रख देती थी ।

वो सारी गन्दी गन्दी किताबें जिसमें मां बेटे , बाप बेटी , भाई बहन , चाची भतीजा , देवर भाभी की चुदाई की कहानियां भरी पड़ी थी । ये सोचकर मेरा लन्ड खुशी के मारे उछलने लगा जिसे चाची अपने चूत में साफ महसूस कर रही थी ।

मैं पुरी तरह से उत्तेजित हो गया और चाची को हुमच हुमच कर चोदने लगा । वो भी मेरा भरपूर साथ देने लगी ।

थोड़ी देर बाद वो अपने कपड़े पहनने लगी । मेरा पैंट शर्ट गंजी जांघिया अभी भी भींगा हुआ ही था । फिर भी मैंने सारे भींगे हुए कपड़े दुबारा पहन लिये ।

कपड़े पहनने के बाद मैने रीतु को फोन किया ।

उसके हैलो कहते ही मैंने कहा - " किसलिए फोन कर रही थी ?"

" भाई , मैं काजल के साथ उसकी कजन की शादी में जाना चाहती हूं । क्या जाऊं ?"- उधर से रीतु बहुत ही मीठे स्वर में बोली ।

" अरे , तु क्या करेगी शादी में जाकर ? उनलोगो का अपना समाज होगा , अपना माहौल होगा । तु वहां जाकर परेशान ही होगी ।"

" कोई परेशानी नहीं होगी । शादी जयपुर में है । वहां उन्होंने होटल बूक किया हुआ है । शादी के बहाने जयपुर भी घुम लुंगी ।"

" कितने दिन का ट्रिप है ?"

" चार दिनों का ।"

" लेकिन मैंने तो सुना था कि सिर्फ काजल के मम्मी पापा ही जा रहे हैं । काजल के जाने का प्लान नहीं था ।"

" पहले काजल के जाने का प्लान नहीं था लेकिन उसकी कजन उसके न आने की खबर सुनकर बहुत नाराज़ हूई ।उस ने जोर देकर उसे आने को कहा । और फिर काजल के मम्मी डैडी ने भी फोर्स किया तो फिर तैयार हो गई ।"

" ओह ?"

" वैसे आपको कैसे पता कि काजल नहीं जाने वाली थी । मैंने तो आपको कभी कहा नहीं " - वो मजाक करते हुए बोली ।

मैं हड़बड़ाया ।

" अरे वो... वो... वो काजल एक दिन रास्ते में मिल गई थी , तभी कहा था उसने ।"

" कहीं कुछ छुपा तो नहीं रहे हो मुझसे ? कोई चक्कर वक्कर तों नहीं है ?" - वो शरारती अंदाज में बोली ।

" अरे बकवास मत कर । ऐसा कुछ नहीं है ।"

" तो फिर बताओ मैं क्या करूं ? शादी में जाऊं या नहीं ?"

" तु श्योर जाना चाहती है ?"

" हम्म ।"

" तो एक काम कर , राहुल को भी अपने साथ ले जा । तेरे साथ एक मर्द रहेगा तो अच्छा होगा ।"

" क्या ?"

" हां । अब तु काजल और उसके मम्मी डैडी से पुछ ले । अगर तुझे जाना है तो राहुल भी तेरे साथ जायेगा ।"

" ओके । राहुल हमारे साथ जायेगा ।"

" अरे , पहले पुछ तो ले ।"

" काजल बगल में ही है । मैंने उससे पुछ लिया है । वो राजी है ।"

" ठीक है फिर । वैसे कल निकलना कैसे हैं ?

" सुबह सात बजे के बस से निकलना है । अंकल जा रहे हैं टिकट बूक करने ।"

" बस से ?"

" अरे भाई , शानदार बस है । उसका भाड़ा ए सी ट्रेन से भी ज्यादा है ।"

" ठीक है फिर । तु शाम को कब तक घर आयेगी ?

" छः बजे आ जाऊंगी । तैयारी भी तो करनी है ।"

" जल्दी आना । यदि कोई सामान वगैरह लाना होगा तो खरिदने के लिए समय चाहिए न ।"

" मैं पक्का छः बजे तक आ जाऊंगी ।"

मैंने फोन काट दिया । चाची को सारी बातें बताया । और राहुल को जयपुर जाने के लिए और उसके कपड़े वगैरह भी तैयार रखने को कहा ।

फिर वहां से अपने घर चला आया ।

जब घर पहुंचा तो दरवाजा खुला हुआ पाया । मैंने सोचा कहीं डैड तो नहीं आ गए हैं । मैं घर में प्रवेश कर के मेन दरवाजा बंद किया और माॅम को आवाज लगाई ।

माॅम चिल्ला कर बोली कि वो किचन में है तो मैं ये कहते हुए अपने कमरे की तरफ चला गया कि मैं नहा कर , फ्रेश होकर नीचे आता हूं ।

मैं अपने कमरे में गया । सारे भींगे हुए कपड़े उतार कर बाथरूम में घुस गया । नहा धो कर जब मैं अपनी गंजी और जांघिया पहनने के लिए ढुढने लगा तो देखा कि वो भी पुरी तरह से भीगी हुई है । सुबह से बरसात होने के कारण वो सुख नहीं पाई थी ।

मैं अपने कमरे में आलमारी से एक तौलिया निकाल कर लपेट लिया । और उपर एक शर्ट पहन लिया । और फिर नीचे हाॅल में आ गया । माॅम शायद अभी भी किचन में ही थी ।

मैं किचन में गया । और माॅम को देखकर बुरी तरह से चौंक गया ।

नेक्स्ट कल रात तक.....
Chachi ko hi pel diya aisa mouka sabke sath nahi hota nice update ☺️☺️☺️☺️☺️☺️
 
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Siraj Patel

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Hello everyone.

We are Happy to present to you The annual story contest of XForum


"The Ultimate Story Contest" (USC).

As you all know, in previous week we announced USC and also opened Rules and Queries thread after some time. Before all this, chit-chat thread already opened in Hindi section.

Well, Just want to inform that it is a Short story contest, in this you can post post story under any prefix. with minimum 700 words and maximum 7000 words . That is why, i want to invite you so that you can portray your thoughts using your words into a story which whole xforum would watch. This is a great step for you and for your stories cause USC's stories are read by every reader of Xforum. You are one of the best writers of Xforum, and your story is also going very well. That is why We whole heatedly request you to write a short story For USC. We know that you do not have time to spare but even after that we also know that you are capable of doing everything and bound to no limits.

And the readers who does not want to write they can also participate for the "Best Readers Award" .. You just have to give your reviews on the Posted stories in USC

"Winning Writer's will be awarded with Cash prizes and another awards "and along with that they get a chance to sticky their thread in their section so their thread remains on the top. That is why This is a fantastic chance for you all to make a great image on the mind of all reader and stretch your reach to the mark. This is a golden chance for all of you to portrait your thoughts into words to show us here in USC. So, bring it on and show us all your ideas, show it to the world.

Entry thread will be opened on 7th February, meaning you can start submission of your stories from 7th of feb and that will be opened till 25th of feb. During this you can post your story, so it is better for you to start writing your story in the given time.

And one more thing! Story is to be posted in one post only, cause this is a short story contest that means we can only hope for short stories. So you are not permitted to post your story in many post/parts. If you have any query regarding this, you can contact any staff member.



To chat or ask any doubt on a story, Use this thread — Chit Chat Thread

To Give review on USC's stories, Use this thread — Review Thread

To Chit Chat regarding the contest, Use this thread— Rules & Queries Thread

To post your story, use this thread — Entry Thread

Prizes
Position Benifits
Winner 1500 Rupees + Award + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 500 Rupees + Award + 2500 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 5000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories) + 2 Months Prime Membership
Best Supporting Reader Award + 1000 Likes+ 2 Months Prime Membership
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 
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ASR

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SANJU ( V. R. ) मित्र लाज़वाब कहानी पूरी रहस्मय, रोचक, उत्तेजना, एक्शन व सभी रसों से परिपूर्ण, अच्छा लिखा है, अंत तक रहस्य को बनाए रखा है, अगर ये आप की पहली रचना है तो लाज़वाब है, कहानी का अंत थोड़ा जल्दी से संपन्न कर दिया, बहुत कुछ नया आयाम कहानी को एक नई ऊचाईयां पर ले जाते, परंतु आपका इस को संपूर्ण करना ये पूरा हक्क है, हम लोग तो बस पाठक मात्र है, जितना और मिलता जाये वो कम ही होता है, मज़ा आ गया, परंतु बहुत से इच्छाओं को अधूरा महसूस कर रहे हैं, जैसे कि हीरो अपने कई काम अधूरे छोड़ कर दूसरी जिंदगी मे आगे बढ़ गया है

आप अपनी अन्य कहानी का लिंक भी शेयर करे

पहली बार इतनी अच्छी कहानी है तो आने वाली कहानियों का तो मज़ा ही कुछ और ही होगा 😀 😀 😍
 

A.A.G.

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nice story..!!
 
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Babulaskar

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Update 2 A.


Chacha chachi dekhaye nahi diye. Ho sakta hai apne room me ho ya pados me ho.Raat ke 10 baj chuke the jab main apne ghar pahuncha. Hamesha ki tarah Ritu ne hi darwaza khola.

" Mom dad ?" Maine Ritu se pucha.

" Apne kamre me.sone gaye."

" Etni jaldi "

" Mom ki tabiyat kuch thik nahi hai."

" Kya hua." Main chaunk te hue kaha.

" Nahi.. kuch khas baat nahi hai.. thori headache hai."

" Hmm." Kah kar main sedhia chadta hua uper apne kamre me chala gaya.

Apne kapde utar kar shorts aur ek shirt pahna, phir chhat par tahalne laga. Abhi 15 minutes hi hue the ki Ritu ki awaz mere kano me gunji.

" Ab toh balle balle hai tumhari bhai."

" Kyon." Main uski taraf palate hue kaha.

" 17000 rs. Mahina aur upar se rang birangi titliyan." Usne meri taang khichtey hue kaha.

" Achha... waha titliyan bhi pakadne ko milegi..ye to mughe nahi pata tha." Muskarate hue maine kaha.

" Haa..badi badi mayawi titliyan.. sambhal kar rahana."

" Uski chinta tu mat kar.".." teri saheli aaj kal dekhaye nahi de rahi hai."

" Kaun.. Kajal.. Tum kyon use khoj rahe ho..kahi us par layeen waaeyn to nahi mar rahe ho." Usne apni aankhe badi karte hue kaha.

" Are nahi yaar..kayee dino se dikhaye nahi di na."

" Sochna bhi mat.. waise wo apne mama ke ghar gaye hai."

" Hmm..".." tughe neend nahi aa rahi hai kya."

" Abhi to 10 hi baje hai..mom ka headache nahi hota to ab tak TV dekh rahi hoti."

" Haa ye to hai" phir maine pucha.."teri kal collage hai na."

" Haa..10 baje nikalungi...wo sab choro ye batao 17000 me se mughe kitne doge."

" Kyon.. tughe kyon dunga..tu kya karegi." Maine usse cherte hue kaha.

" Wah re..mughe pocket kharch nahi doge.. apne bahan par etni si bhi raham nahi karoge." Usne emotional hone ka natak karte hue kaha.

" Achha baba..le lena..har mahine 1000 le lena."

" 10 "

" Matlab."

" 10000."

" Kya 10000."

" 10000 rupees..pure ke pure..1 paise bhi Kam nahi."

" Kya 10000 rupaye." Main hairan hote hue kaha.

" Haa."

" Paagal ho gayi hai kya.. are salary hi 17000 hai aur usme se bhi 10000 tu le legi to mughe kya bachega."

" 7000... Pure 7000 bachega.. aap ke pure mahine ke kharch ke liye kafi hai."

" Wah re meri bahen..tu to badi dayalu hai.. akhir etni kirpa kisliye."

" Wo to hu." Garva se apne kandhe chauri karte hue boli.

" Meri biwi ban ja phir 10 kya pure 17000 hi rakh lena." Main dhire se budbudaya.

" Kya kaha." Apni kaan ki lau ko chhute hue boli.

" Main kah raha tha ek Aadarsh bahan ki tarah rahegi to 10 kya pure 17 hi rakh lena."

" Aur wo Aadarsh bahan bataur aap ke kaise hoti hai.". Kutil muskan karte hue boli.

Main gala khakhaarte hue bola" Aadarsh bahan apne bhai ke god me baithe hai. Aur bakayda paise ke liye batour mubarakwad apne bhai ko puppy deti hai."

" Achha..aeesa hota hai.. waise main kafi bhari hu. Mera wajan nahi utha paoge aap."

" Aeese kaise nahi utha paunga.. utha sakta hu..Azama ke dekh."

" Mera wajan uthane ke liye bahut mehnat karni padegi.".. phir muskurate hue kaha." Mom se puchh ke aau."

" Lanat hai..chal fut ab..mughe ab sona hai."

Wah hansi.

" Tu hansti bahut badhiya hai."

Wo fir hansi. Aur mughe jibh dikha kar niche apne room bhag gayee..

Main aah bharta hua apne room me gaya aur bistar pe dher ho gaya.


*****
Yeh conversation majedaar laga. Kuch der aur is chalta to maja aa jata. Aap ne jaan bujhkar inhen door kar dia.
 
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Babulaskar

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Update 3.

अलार्म की आवाज सुनकर मैं उठा । उस वक्त 7 बज रहे थे । मैं अपने कमरे से बाहर निकल बाथरूम में चला गया ।

Fresh हो कर और थोड़ी बहुत exercise करने के बाद जब मैं नीचे हाल में पहुंचा तब तक 9 बज चुके थे । डैड टीबी में news देख रहे थे । माॅम और रीतु किचन में थी । मैं जा कर डैड के बगल में बैठ गया ।

" डैड, आज आप मेरी बाईक से आफिस चले जाइए, आप की कार चाहिए श्वेता दी का कुछ सामान लेने जाना है ।"

" ठीक है । वैसे कराटे वाली क्लब कब join करनी है ।"

" कल शाम से । 6 से 8 तक ही training देनी है ।"

" अच्छा ।" कह कर वापस टीबी की तरफ ध्यान कर लिए ।

फिर वही रोज वाली दिनचर्या । माॅम ने नाश्ता लाया । सभी एक साथ नाश्ता किये । डैड 9.30 बजे आफिस चले गए । और मैं अपने कमरे में जाकर गाजियाबाद जाने की तैयारी करने लगा । हमारा घर रोहिणी में था और गाजियाबाद जाने में कार से करीब एक सवा घंटा लग ही जाता है । मैंने सोचा एक बार राजीव जीजु को फोन कर दूं । मैंने जैसे ही मोबाइल में उनका नम्बर लगाया तभी मोबाइल पर मैसेज आने लगा कि आपका recharge balance शेष हो गया है ।

मैंने कपड़े पहनते हुए सोचा रास्ते से recharge करवा लेंगे । तैयार हो कर फ्लेट की चाबी लिया । श्वेता दी कल शाम जब घर आयो थी उसी समय उन्होंने अपने फ्लैट की चाबी दे दी थी । तैयार हो कर रुम से बाहर निकला तो देखा कि अचानक आकाश में काले बादल मंडराने लगे हैं ।
" लगता है जोर से बारिश आने वाली है ।" मैं सोचता हुआ नीचे हाल में पहुंचा और माॅम को आवाज लगाई ।

" माॅम मैं निकल रहा हूं ।" माॅम और रीतु दोनों को देखते हुए कहा ।

" कब तक वापस आ जाओगे ।" माॅम ने कहा ।

" अभी 10 बजे हैं । इसका मतलब डेढ़ दो बजे तक ।"

ओके । सम्भल कर जाना ।"

" ठीक है माॅम ।" कहकर मैंने माॅम और रीतु को हग किया और निकलते निकलते माॅम से बचा कर रीतु के पिछवाड़े में हल्का सा चांटा जड़ दिया और जल्दी से निकल गया । दरवाजे के पास पहुंच कर पिछे देखा तो रीतु को अपनी तरफ आंखें तरेरते हुए पाया । मैं उसे देख कर मुस्कुराया और बाहर निकल गया ।

मैं कार में बैठा और गाजियाबाद की तरफ निकल पड़ा ।
थोड़ी देर बाद बारिश भी शुरू हो गई थी । रास्ते में काफी जाम था । आगे कहीं कोई पेड़ गिर गया था । कहीं भी मोबाइल रिचार्ज करने का मौका नहीं मिला । सफर पौने दो घंटे का हो गया था । जब मैं गाजियाबाद के सेक्टर नम्बर 7 फ्लेट नम्बर 131 में जो कि जीजू का फ्लेट था पहुंचा तब पौने बारह बज रहे थे ।

फ्लेट के ताले को खोलने के लिए चाबी निकाल ही रहा था कि मेरी नज़र दरवाजे पर पड़ी । दरवाजा खुला हुआ था । लगता है जीजू घर पर ही है , सोचा ।

तभी दरवाज़ा खुला । दरवाजे पर एक कटे बालों वाली रूपवती युवती प्रगट हुई, मेरे पर निगाह पड़ते ही उसने बड़े आतंकित भाव से मुझे देखा ।

उसके खुबसूरत चेहरे से मेरी निगाह फिसली तो उसकी पोशाक पर पड़ी । वो एक विदेशी जींस और शर्ट पहनी थी । उसके पोशाक उसके अत्याधुनिक होने की अपने आप में दस्तावेज थी ।

" कौन हो तुम ! " उसने घबड़ाए हुए कहा ।

" मैं राजीव जी का साला हूं पर आप कौन हैं ।"

" म..म.मै राजीव की कजन हूं ।"

" कजन ? लेकिन उनके तो कोई रिश्तेदार नहीं है ।" मैं आश्चर्यचकित सा बोला ।

" वो मैं उनके मामा के तरफ से हूं ।"

" जीजा फ्लेट में है क्या ।"

" ह.. ह... हां ।" वह फंसे स्वर में बोली ।

" ठीक है । मैं देखता हूं ।" कह कर मैं उसके बगल से फ्लेट के अन्दर प्रवेश कर गया । अन्दर विशाल ड्राइंगरुम था । वहां कोई नहीं था । फिर बेडरूम में गया । बेडरूम में बेतरतीबी का बोलबाला था । कपड़े बिखरे हुए, दराज खूले थे । वार्डरोब के दरवाजे भी खूले थे । फर्श पर कुछ कपड़े बिखरे हुए थे ।

मैं हैरान हुआ । फिर मेरी तवज्जो बाथरूम से आती हुई पानी की आवाज की तरफ गई । मैंने बाथरूम का दरवाज़ा खोला ।

भीतर निगाह पड़ते ही मैं सन्नाटे में आ गया । बाथरूम में दीवार के साथ लगे विशाल खाली बाथ-टब में एक आदमी पड़ा था । वह पैन्ट शर्ट पहने था । मैंने थोड़ा आगे बढ़ कर उसे देखा तो मैं जैसे भौंचक्का सा जडवत हो गया ।

वो अजय था । मेरा अजीज, मेरा हमनिवाला, मेरा प्यारा दोस्त । मेरी पलकें भीग गई । आंखों से आंसू निकलने लगे । थोड़ी देर बाद मैंने अपने को सम्हाला और उसके ऊपर सरसरी तौर पर निगाह डाली ।

उसकी आंखें पथराई हुईं थी । उसकी छाती में गोली का सुराख था । अचानक से मुझे कुछ याद आया और मैं बाहर की तरफ भागा ।

लड़की भाग चुकी थी ।
Suspense create ho hi gaya.
 
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Siraj Patel

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"The Ultimate Story Contest" (USC).

Jaisa ki aap sabko maloom hai abhi pichhle hafte hi humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit Chat thread toh pehle se hi Hindi section mein khula hai.

Well iske baare mein thoda aapko bata dun ye ek short story contest hai jisme aap kisi bhi prefix ki short story post kar sakte ho, jo minimum 700 words and maximum 7000 words tak ho sakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap is contest mein apne khayaalon ko shabdon kaa roop dekar isme apni stories daalein jisko poora XForum dekhega, Ye ek bahot accha kadam hoga aapke or aapki stories ke liye kyunki USC ki stories ko poore XForum ke readers read karte hain.. . Isliye hum aapse USC ke liye ek chhoti kahani likhne ka anurodh karte hain.

Aur jo readers likhna nahi chahte woh bhi is contest mein participate kar sakte hain "Best Readers Award" ke liye. Aapko bas karna ye hoga ki contest mein posted stories ko read karke unke upar apne views dene honge.

Winning Writers ko Awards k alawa Cash prizes bhi milenge jinki jaankaari rules thread mein dedi gayi hai, Total 7000 Rupees k prizes iss baar USC k liye diye jaa rahe hain, sahi Suna aapne total 7000 Rupees k cash prizes aap jeet shaktey hain issliye derr matt kijiye or apni kahani likhna suru kijiye.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna shuru kar sakte hain or woh thread 28th February tak open rahega is dauraan aap apni story post kar shakte hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna shuru kardein toh aapke liye better rahega.

Aur haan! Kahani ko sirf ek hi post mein post kiya jaana chahiye. Kyunki ye ek short story contest hai jiska matlab hai ki hum kewal chhoti kahaniyon ki ummeed kar rahe hain. Isliye apni kahani ko kayi post / bhaagon mein post karne ki anumati nahi hai. Agar koi bhi issue ho toh aap kisi bhi staff member ko Message kar sakte hain.


Rules Check karne ke liye is thread ka use karein — Rules & Queries Thread

Contest ke regarding Chit Chat karne ke liye is thread ka use karein — Chit Chat Thread



Prizes
Position Benifits
Winner 3000 Rupees + Award + 5000 Likes + 30 days sticky Thread (Stories)
1st Runner-Up 1500 Rupees + Award + 3000 Likes + 15 day Sticky thread (Stories)
2nd Runner-UP 1000 Rupees + 2000 Likes + 7 Days Sticky Thread (Stories)
3rd Runner-UP 750 Rupees + 1000 Likes
Best Supporting Reader 750 Rupees Award + 1000 Likes
Members reporting CnP Stories with Valid Proof 200 Likes for each report



Regards :- XForum Staff
 

Suku@123

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Dear Sanju ji
आप की लेखनीय काफ़ी हद तक मशहूर लेखक सूरे्न्द्र मोहन पाठक के किरदार सुधीर दि लक्की बास्टर्ड से प्रेरित है
मै भी उनका पंखा ( Fan ) हू
 
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Update 9 B. Continue.


उसके लफ्ज़ सुनकर मेरे कानों से धुआं निकलने लगा । मेरे शरीर का सारा खून मेरे लन्ड पर पर एकत्रित हो गया । धड़कने तेज हो गई । मैं उसके आंखों में देखते हुए अपनी जांघिया को पकड़ कर नीचे खिसका दिया । जांघिया के हटते ही लन्ड स्प्रिंग की तरह उछल पड़ा ।

श्वेता दी की नजर मेरे लन्ड पर पड़ी । उसकी आंखें वहीं अटक गई ।

वो मेरा लन्ड देख रही थी और मैं उसकी चुत देख रहा था ।


" अद्भुत , अनुपम , अदि्वतीय , अव्वल " मैं फुसफुसाया ।

" क्या ।"

" तेरी बुर ।"

" शरम नहीं आती है ।"

" किसलिए ।"

" अपनी बहन की बुर की बड़ाई करते हुए ।"

" जब देखते हुए और ' बुर ' बोलते हुए शर्म नहीं आती है तो बड़ाई करने में शरम क्यों आयेगी ।"

" हमम "....." मेरी कच्छी दो ।"

" क्यों ।"

देखते नहीं कितनी पानी छोड़ रही है ।" -उसने अपनी टांगें फैला कर अपने चुत में ऊंगली डाल कर चोदने लगी और रस से सराबोर अपनी ऊंगली मुझे दिखाते हुए बोली ।

मैंने तेजी से अपना जांघिया निकाल फर्श पर फेंक दिया । हम दोनों पुरी तरह मादरजात नंगें हो गये थे ।

हम दोनों अपने अपने गुप्तांगों को एक दुसरे को दिखा कर मसलने लगे ।

" तुम्हारी कछी गन्दी हो जाएगी । "- मैं कभी उसकी चुत तो कभी उसकी रस से भरी हुई ऊंगली को देखते हुए कहा -" इससे अच्छा है मैं चाट कर साफ कर देता हूं ।"

" मेरी बुर चाट कर साफ करोगे ।"

" हमम ।"

" कहीं तुम्हारे जीजा को पता चल गया तो ।"

" क्या ।"

" की उनकी बीवी की बुर को उसका छोटा भाई चाट चाट कर साफ़ करता है ।"

अब वो तेजी से अपनी चुत को उंगलियों से चोद रही थी और मैं उसके सामने बैठा मुठ मारे जा रहा था ।

" जीजा को कैसे पता चलेगा कि उसकी बीवी अपने भाई से अपनी बुर चुसवा रही है । जीजा को कैसे पता चलेगा कि उसकी बीवी अपने भाई से चोदवा रही है ।"

' अच्छा चोदवा भी रही है " - वो सरक कर मेरे गोद में बैठ गई ।

" हां " कहकर मैंने उसकी चूचियों को दबोच लिया ।

" उसे पता चल जाएगा ।"

" कैसे ।"

वो मेरा लन्ड पकड़ कर मसलते हुए बोली -" बुर फट जायेगी । तुम्हारा लौड़ा बहुत बड़ा जो है ।"

मैंने उसकी चुत में अपनी ऊंगली डाल दी और ऊंगली से चोदते हुए कहा -" बुर तो फटने के लिए ही होती है । लन्ड जितना बड़ा होगा बुर को उतनी ही ज्यादा मजा आयेगा ।"

" अच्छा ! और उसे पता नहीं चल जाएगा कि उसकी बीवी की बुर अपने भाई के मोटे लन्ड से चुद चुद कर ज्यादा ढीली हो गई है ।" वो मेरे लन्ड को मुठ मारते हुए बोली ।

" उसे तो ये भी पता नहीं चल पाएगा कि उसके होने वाले बच्चों का बाप वो नहीं बल्कि उसके बीबी का भाई होगा ....उसे ये भी पता नहीं चलेगा कि उसकी बीवी उसी के बगल में लेट कर अपने भाई से अपनी रसीली चुत कुटवायेगी ।"

वो काफी उत्तेजित हो गई ।

" अच्छा ? ...तो शुरू करो ।"

" क्या ।"

" चोदन पर्व .... तभी न बहनचोद बनोगे ।"

" हां और तुम्हारे होने वाले बच्चों का मामा और बाप ।"

अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था । उसने मुझे धक्का दिया । मैं बिस्तर पर पीठ के बल गिर पड़ा । वो मुझ पर झुकी । अपनी चूची को मेरे सीने पर रगड़ी और अपने होंठ मेरे होंठों से लगा दी ।

मैंने उसे अपने बाहों में कस कर दबोच लिया । वो अपने बाहों को हार मेरे गले में डाल कर मुझ पर पसर गई । उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां मेरे चौड़े सीने से दब गई ।

हम दोनों का गहरा चुम्बन शुरू हो गया था । मैं उसके निचले होंठ को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगा । वो मेरा उपर वाले होंठ चुस रही थी । थोड़ी देर बाद उसने मेरे निचले होंठ को अपने होंठों में दबा लिया और बुरी तरह चूसने लगी । मैं उसके ऊपर वाले होंठ चूसने लगा ।

मैं उसकी चूचियों को दबाना चाहता था लेकिन वो मुझसे जोंक की तरह चिपकी हुई थी अतः मैंने उसके बड़े बड़े गांड़ को हाथों से सहलाने और मसलने लगा । क्या गांड़ थी उसकी । एक दम बड़े बड़े और मांस से भरपूर । वो उत्तेजित हो कर मेरे होंठों को बुरी तरह चूसने लगी । हम दोनों इतनी बुरी तरह एक दूसरे को चूम रहे थे कि ऐसा लग रहा था जैसे वो मेरे मुंह में अपनी मुंह घुसाए जा रही थी और मैं उसके मुंह में । दोनों के थुक लार मिल कर एक हो गए थे । मै उसके थूक अपने गले से निगल रहा था और वो मेरी थूक निगल रही थी ।

हमारी सांसें फूलने लगी थी । उसने अपना मुंह उपर किया तब जाकर हमारी सांसें व्यवस्थित हुई । हम दोनों एक-दूसरे के आंखों में देखते जा रहे थे । मैंने उसकी आंखों में देखते हुए अपनी ऊंगली उसके गांड़ के छेद में डाल कर कुरेदने लगा । उसकी आंखें वासना से लाल हो गई थी । उसने मेरी आंखों में देखते हुए अपनी रसीली जीभ को बाहर निकाला तो मैंने भी अपनी जीभ निकाल ली । वो फिर मेरे होंठों पर झुकी और अपने जीभ से मेरी जीभ को लड़ाने लगी । एक-दूसरे के जीभ से कुछ देर खेलने के बाद वो मेरे जीभ को अपने मुंह में ले कर चूसने लगी । थोड़ी देर बाद मैंने उसे पलट कर अपने नीचे लिटा दिया और मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके चुत से लन्ड को रगड़ते हुए उसकी जीभ को अपने मुंह में लिया और उसे चुसने लगा । मन कर रहा था उसके जीभ को चुसता रहुं चुसता रहुं और चुसता ही रहुं । वो बेचैन हो कर अपने हाथोंको बीच में डाल कर मेरे लन्ड को पकड़ लिया और उसे जोर जोर से मरोड़ने लगी ।

हम दोनों एक दूसरे के चुमाई चटाई से थक ही नहीं रहे थे । मैं उसके दोनों चूचियों को अपने हथेलियों में भर कर दबाने लगा । उसकी चुची में कुंवारी लड़कियों जैसी कड़ापन था ।करीब आधे घंटे तक दोनों ने एक दूसरे के जीभ और होठों को चूमा । चूसा । फिर मैं धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगा और उसके पुरे चुचियों को दबा दबा कर चूसने लगा काटने लगा ।

" लगता है " वो दर्द से कराही ।

लेकिन मैं तो बावला हो गया था । मैंने उसकी चूचियों को हाथों से दबोचते हुए निप्पल को अपने मुंह में ले कर चूसने लगा ।

अब उसे मज़ा आने लगा ।

वो अपनी सीने को उठा कर निप्पल को मुंह में ठूंसते हुए कामुक हो कर बोली -

" मेरे भैया को भुख लगी है...दुधु पियेगा.... अपनी दीदी की चूची का दूध पियेगा....।"

" Ssrrrruuuupppp.....Ssssrrruuuuppp...qqquuuummm..... ssrrrruuuupppp."- मैं उसके निप्पल को होंठों से दबोच दबोच कर चुसने लगा ।

" aaaahhhh....aaahhhhh.....ooohhhh."- वो बस सिसकारियां भर रही थी और " आह ' ' ओह' कर रही थी । और मेरे लन्ड को पकड़ कर मुठ मारने लगी । और अपनी गांड़ उठा कर झटके पर झटके देते हुए झर गई ।

मैं बदल बदल कर उसके दोनों निप्पलों को चूसना शुरु कर दिया । काफी देर तक उनको चूसा । जब मैं उसके चुचियों पर से हटा तब देखा कि उसकी पुरी चुचिया लाल हो गई थी । मैं धीरे धीरे नीचे की तरफ जाने लगा । उसके नंगे पेट को जीभ से चाटते हुए उसकी नाभि पर पहुंचा । मैंने अपने जीभ का नोक बना कर उसके नाभि में प्रवेश करा दिया । वो मेरे सर के बालों को सहलाये जा रही थी ।

उसके नाभि को गीला करने के बाद मैं उसके उसके चुत के ऊपरी हिस्से पर जीभ फिराने लगा ।

थोड़ी देर बाद मैं उठा और उसके दोनों पांवों के बीच बैठ गया । मैंने उसकी तरफ नजर फेराई । वो मुझे ही देख रही थी । मैं मुस्कराया तो वो भी मुस्कुरा दी । मैं झुक कर उसके मोटे मोटे जांघों पर अपने होंठ रख दिए । उसकी जांघें भी उसके चुत रस से भीगी हुई थी । मैंने उन्हें चाट लिया । अब मैं शीघ्र उसके चुत के पास जाना चाहता था ।

मैंने जांघों को चाटते चाटते उसके दोनों पैरों को पकड़ा और उसे विपरीत दिशा में फैला दिया । उसके डबल पावरोटी के समान फुली हुई चुत मेरे आंखों के समकक्ष आ गयी । उसकी चुत उसके कामरस से भीगी हुई थी । वो थोड़ी देर पहले झड़ी थी इसलिए उसके चुत के साथ साथ बिस्तर भी गीली हो गई थी । ताश के सारे पत्ते बिखरे पड़े थे । पत्ते मुड़ गई थी और बिस्तर के के चारों तरफ फैल गए थे। तभी मेरी नजर एक जगह रखें ताश के उन
तीन पत्तों पर पड़ी जो शायद मेरे थे और जीतने का कारण बने थे । वे पत्ते उस के गांड़ के नीचे दबे हुए थे । मैंने उन पत्तों को उसके गांड़ के नीचे से निकाला तो देखा उन पत्तों में एक स्प्रेड का छः , एक डायमंड का गुलाम और एक हार्ट का सात आया था । मैं आश्चर्यचकित हो गया । लास्ट गेम मैं नहीं श्वेता दी जीती थी और उसने कहा था कि मैं जीता हूं । उसने मुझे झुठ बोला था । वो मेरे सामने नंगी होना चाहती थी ।

मैंने उन पत्तों को उठाया और श्वेता दी को वहीं से दिखाया । श्वेता दी उन पत्तों को देख कर मुस्कराई । मेरे दिल में उसके लिए बहुत प्यार आया । मैंने झुक कर उनके होंठों को चुम लिया। मैं वापस उनके पैरों के बीच बैठा और उनके पांवों को उठा कर उनके सीने पर कर दिया जिससे उनकी चुत फैल गई । मैंने उनकी चुत को जी भर के देखा फिर अपने होंठों को चुत से सटा दिया ।

मैंने सबसे पहले चुत के मोटे ओंठ पर अपनी जीभ फिराई फिर उन को अपने होंठों से भर कर चूसने लगा । वो दुबारा गरम हो गई थी ।चुत रस से भींगने लगा था । वो अपना काम रस छोड़ने लगी थी जिसे मैं चुस चुस कर पी रहा था । मैंने अपनी ऊंगली चुत के छेद में डाल दिया और भगनासे को होंठों से दबा कर चुसने लगा । वो हाय हाय कर उठी । अपने कमर उठा कर मेरे मुंह पर फेंकने लगी । उसकी चुत में पानी का सैलाब आ गया । मैं उस पानी का एक कतरा भी जाया नहीं होने देना चाहता था । मैंने अपने होंठ को उसके चुत से चिपका कर उसके छेद में अपनी जीभ डाल दिया । वो मलाई छोडती रही और मैं उसे चाट चाट कर गले से निगलता रहा ।

श्वेता दी की उत्तेजना चरम पर थी । वो मेरे बालों को कस कर पकड़ ली और अपनी चुत की तरफ खिंचने लगी । ऐसी प्रतित हो रहा था जैसे वो मुझे अपने चूत में ही घुसेड़ लेगी । और मैं तैयार था उनके चुत में घुसने के लिए । मुझे उनके चुत की महक ने पागल सा कर दिया था । अपने नाक से चुत की महक को सुंघते हुए तेजी से छेद के अंदर जीभ को डालने लगा और निकालने लगा । वो अपने गांड़ को उपर की तरफ धकेलती हुई बोली -

" म...मेरा निकलने वाला है ।"

मैं चुत को चाटते चाटते ही बोला - " निकलने दो लेकिन सब मेरे मुंह के अंदर ही छोड़ना । सारी मलाई पीनी है मुझे ।"

वो पूर्ववत अपने गांड़ उछालते हुए बोली -" मुझे भी पीना है ।"

मैंने उसके चुत से मुंह उपर करते हुए बोला -" तुम कैसे पियोगी ।"

वो मुझे धकेलते हुए बोली -" बेवकूफ मैं इसकी बात कर रही हूं "- बोलकर मेरे लन्ड को पकड़ लिया ।

वो मेरा लन्ड के पानी के लिए बोल रही थी । मैं उसके ऊपर से उठा और बिस्तर पर लेट गया और उसे मेरे उपर आने का इशारा किया । वो मेरे सिर की तरफ अपनी पांव करके मेरे उपर लेट गई । हम 69 पोजीशन में आ गये थे ।

वो मेरे लन्ड को हाथों से पकड़ते हुए बोली -" कितना लम्बा है । मोटा भी बहुत है ।"

" क्यों जीजू का नहीं है ?"

" है पर इतना ज्यादा नहीं ।"

" तुम्हे कैसा लगा ।"

" वो तो तुमसे पहले ही बोल चुकी हूं । बहुत सुंदर ।"

" क्यों नहीं होगा । आखिर है किसका ।" मैंने मजाक किया ।

" मेरे छोटे भाई का जो अब मेरा भतार बन गया है ।" बोलकर मेरे लन्ड के सूपाडे पर अपनी जीभ लड़ाने लगी । मैंने भी उसके पांवों को अलग कर के उसके चुत पर अपना मुंह रख दिया । धीरे धीरे उसने लन्ड को अपने मुंह में डालने का प्रयास किया । थोड़ी दिक्कत हुई लेकिन अंततः उसे अपने मुंह में ले ही ली और चुसने लगी । कभी सुपाड़ा के छिद्र पर जीभ रगडती कभी मुंह उपर नीचे करके पुरे लन्ड को चूसने लगती ।

मैं उत्तेजित तो पहले से ही था अब ऐसा लग रहा था कि मैं एक दो मिनट में ही झड़ जाऊंगा । मैं अपने कमर उठा उठा कर लन्ड को उसके मुंह में पेलने लगा । साथ ही उसके चुत के भी चूमता चाटता रहा । बड़ी मुश्किल से पांच मिनट तक कन्ट्रोल किया ।

" मेरा होने वाला है "- मैंने चुत से मुंह हटा कर बोला ।

" मेरा भी "- वो जोर जोर से लन्ड चूसती हुई बोली ।

मैं वापस अपने मुंह उसके चुत से सटा दिया । तभी मेरे लन्ड ने जोर की पिचकारी मारी और उसके मुंह में झड़ने लगा । उसी वक्त उसने भी अपने चुत से अमृत रस की बौछार शुरू कर दी । उसके चुत की मलाई मेरे गले से होते हुए पेट में जाने लगी । वो झड़ती रही और मैं पीता रहा उसी तरह मैं झड़ता रहा और वो पीती रहीं । दोनों का जबरदस्त इजेकुलेशन हुआ था । झड़ने के बाद काफी देर तक हम वैसे ही पड़े रहे ।

कुछ देर बाद वो उठी और बाथरूम चली गई । उसके आने के बाद मैं बाथरूम गया और फ्रेश होकर बाहर आया। वो नंगे बदन बिस्तर पर लेटी थी । रूम की लाइट पहले की ही तरह जल रही थी । मैं जा कर उसके बगल में लेट गया । फिर मैंने करवट ली और उसे अपने बाहों में भर लिया । वो मुझ से लिपट गई ।

मेरे होंठों पर एक चुम्बन दे कर बोली -" इतना मजा मुझे आज तक नहीं आया था ।"

" जीजू के साथ भी नहीं ।" मैंने उसकी चूची को सहलाते हुए कहा ।

" नहीं । " कहकर उसने थोड़ी जगह बनाई जिससे मैं उसके चुचियों को प्यार कर पाता ।

" इसकी वजह बताऊं ।"

" हमम ।"

" हम दोनों भाई बहन हैं ना इसलिए । सगे संबंधियों में सेक्स करने से उत्तेजना अधिक आती है ।"

" हम्मम...सच में मैं इतनी उत्तेजित कभी नहीं हुई थी और अपनी जिंदगी में इतने गन्दे शब्द कभी नहीं बोले हैं । लेकिन तुम्हारे साथ न जाने कैसे ये सब बोलती गयी । उनके साथ तो कभी भी नहीं बोली ।"

" ऐसा ही होता है गुल बदन । अपने भाई से चोदवाओगी तो इससे भी ज्यादा गन्दे शब्द निकलेंगें "- बोलकर मैंने उसकी चुत को हथेलियों से मसल दिया ।

वो मेरे लन्ड को पकड़ कर सहलाने लगी और बोली -"लेकिन तुम्हें मेरी कसम जो इसके बारे में किसी को कहा तो ।"

" पागल हूं जो ये सब किसी से कहुंगा । और कहुंगा भी क्या कि मैं अपनी दीदी को चोदता हूं । क्या तुम किसी से कहोगी मेरा भाई मुझे रोज पुरी नंगी कर के मेरी बुर में अपना मोटा लौड़ा डाल कर चोदता है ।"

वो लन्ड को जोर जोर से मुठ मारते हुए उत्तेजित हो कर बोली -" कितनी गंदी बात करते हैं ना हम ।"

मैंने उसके चुत के दरारों में ऊंगली डालते हुए कहा -" मैं नहीं तुम ।"

" गन्दे भाई की गन्दी बहन ।" वो मेरे शरीर पर चढ़ गयी ।

उसके पुरे शरीर को सहलाते हुए कहा -" गन्दे भाई की सबसे प्यारी चहेती बहन ।"

हम दोनों उत्तेजित हो गये थे । एक दुसरे के शरीर को सहलाते दबाते गुत्थम गुत्थी हुए ऊपर नीचे होने लगे । मैंने उसे पेट के बल लिटा दिया और उसके पांवों को पकड़ कर उसकी कमर उपर उठा दी । वो चौपाया जानवर की तरह अपनी गांड़ को उठा दी । उसके गांड़ को चूमता चाटता हुआ मैंने अपनी जीभ उसके गांड़ के छेद में डाल दी और उसे जीभ से चाटने लगा । वो सिहर गई और अपनी गांड़ मेरे मुंह पर पटकने लगी । गांड़ को चाटते चाटते उसकी चुत को मुंह में भर लिया और उससे टपकते रसों को पीने लगा । वो बेचैन हो कर बोली -

" क..करो । बर्दाश्त नहीं हो रहा है ।"

मैंने उसे पीठ के बल लिटा दिया और उसके उपर चढ़ गया । मैंने लन्ड को उसके चुत से रगड़ते हुए कहा -" क्या करूं ।"

" साले कमीने अपनी दीदी के बुर के छेद में लन्ड लगा के बोलता है क्या करूं । चोद मुझे बहन चोद ।"

मैंने उत्तेजित हो कर धक्का दिया । लन्ड का सुपारा उसके चुत में घुस गया । वो दर्द से कराही ।

" धीरे से कर ना ।"

" अब धीरे से नही तेरी बुर को जोर जोर से चोदूंगा मेरी जान ।" कहकर मैंने जोर का धक्का दिया और आधा लन्ड उसके चुत में समा गया ।

वो जोर से चिल्लाई ।

" धीरे से नही कर सकता है ।" वो कराहती हुई बोली ।

मैंने अपने होंठ उसके होठों पर रख कर एक और प्रहार किया । लन्ड उसकी चुत में पुरी तरह से घुस गया । उसके आंख के कोने से आंसू छलक पड़े । मैं थोड़ी देर वैसे ही पड़ा रहा। फिर कुछ देर बाद उसके चुचियों को प्यार से दबाया फिर उसके निप्पल को मुंह में ले कर चूसने लगा । थोड़ी देर में वो नोर्मल हुई । मैंने हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिया । उसकी दर्द अब कम हो गयी थी । उसकी चुत अब गीली होने लगी थी । थोड़ी देर में ही उसने अपने कुल्हे उठाने लगी ।

मैंने धक्के तेज कर दिए । वो भी नीचे से ऊपर की ओर अपनी चुत को ढकेलने लगी । मेरा लन्ड उसके चुत में तेजी से घुसने और निकलने लगा । चोदाई फुल स्पीड में चालु हो गई थी । हम दोनों ताल से ताल मिला कर कमर उपर नीचे कर रहे थे । उसकी चुत काफी गीली हो गई थी । जिससे ' फच ' ' फच ' की आवाज आने लगी । मैं उसके होंठों को चूसने लगा। उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी । मैं उसके जीभ को चुसते हुए कमर उठा उठा कर धक्के मारने लगा । वो अपने पांवों को मेरे कमर से लिपटा कर मेरे गांड़ को अपने हाथों से दबाने लगी ।

दोनों सेक्सी भरी आवाज निकालते हुए घमासान चुदाई में लगे हुए थे । उसकी चुत की गर्मी से मुझे लगता नहीं था कि अब मैं ज्यादा देर तक टिक पाऊंगा ।

चोदाई के दौरान उसने मुझे नीचे पलट दिया और वो मेरे उपर आ गयी । अब मैं नीचे था और वो उपर । वो उछल उछल कर मुझे चोदने लगी और मैं नीचे से ऊपर की तरफ धक्का मारने लगा । उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां जोरों से हील रही थी ।

" हाय.... कितना मज़ा आ रहा है बहन को चोदते हुए ।"

" कुछ बोलो मत " - वो अपनी गांड़ जोर जोर से पटकते हुए बोली - " अब हम नहीं सिर्फ उन्हें बात करने दो ।"

मैंने उसे पलट कर अपने नीचे किया और उसकी चुत में तेजी से धक्का देते हुए कहा -" किन्हें बात करने दो ।"

" उन्हें " - वो नीचे की तरफ इशारा करते हुए बोली -" फच फच की आवाज नहीं सुन रहे हो ।"

हम दोनों के घमासान चुदाई से जो ' फच ' ' फच ' की आवाज आ रही थी वो उसकी बात कर रही थी ।

" सही कह रही हो । अब सिर्फ तुम्हारी बुर और मेरी लन्ड को बात करने दो ।"

करीब पौन घंटे की चुदाई के बाद वो हांफते हुए बोली -" मैं झडने वाली हूं ।"

" मैं भी ... दोनों एक साथ झडते है ।"

अचानक उसका शरीर अकड़ा और वो झटके दे दे कर अपनी गरम पानी मेरे लन्ड पर छोड़ने लगी । उसकी गर्मी से मैं भी बच ना सका । मैं भी अपना वीर्य उसके चुत में तेजी से छोड़ने लगा । ज्योंहि मेरे विर्य को उसने अपने अन्दर महसूस किया वो मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा कर चूसने लगी । दोनों ने काफी पानी फेंका था । हम एक-दूसरे से जोंक की तरह लिपटें हुए काफी देर तक पड़े रहे ।

हमारा चोदन पर्व अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच कर शेष हुआ ।
So hot update..... Main ab tak is kahani se door kaise raha 😍
Lagta hai 2-3 din mein hi khatm kar dunga padhke...
 
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