Update 13.
रात के खाने के पश्चात थोड़ी देर छत पर टहला , सिगरेट फुंका और काजल के साथ थोड़ी देर पहले हुई बातों को याद कर के गर्म होने लगा । रात के दस बज चुके थे । सोचा काजल से फोन पर बात करते हैं । मैं अपने कमरे में गया और अपना सैमसंग का स्मार्टफोन ले वापस छत पर आ गया । काजल को फोन लगाया । उसका फोन स्विच ऑफ था । मन खिन्न सा हो गया । फिर सोचा क्यों न मधुमिता को फोन करूं । लेकिन उसका भी फोन स्विच ऑफ मिला । क्या बात है लड़कियों की फोन हड़ताल पर चली गई है क्या ? थोड़ी देर बाद कुछ सोचकर श्वेता दी को फोन लगाया । उन्होंने तुरंत फोन उठाया ।
" हैलो ! " श्वेता दी की मधुर आवाज़ सुनाई दी ।
" क्या कर रही हो दी ?"
" सोने की तैयारी हो रही हूं ।"
" इतनी जल्दी !"
" जल्दी कहां है साढ़े दस बजने वाले हैं ।"
" और जीजू ?"
" बगल में लेटे हुए हैं । क्या कोई काम है ?"
मैं समझ गया दोनों अगल बगल ही है ।
" मै ये बताने के लिए फोन किया था कि अजय की मम्मी राजी है । आप लोग यहां शिफ्ट कर सकते हैं ।"
" अच्छा । " - वो खुश हो कर बोली -" ये तो बहुत अच्छी खबर है । मैं फोन तुम्हारे जीजू को दे रही हूं वो तुमसे बात करना चाहते हैं ।"
" हैलो सागर ! क्या तुम्हारे दोस्त की मां मान गई ।" जीजू की आवाज आई ।
" हां जीजू । उन्हें कोई आपत्ती नही है बल्कि उन्होंने कहा कि वो किराया भी नहीं लेंगी । आप लोग जितना दिन रहना चाहें , खुशी से रह सकते हैं ।"
" वाह ! सच में अच्छी ख़बर है । मेरा भी काफी आराम हो जाएगा । यहां से आने जाने में एक तो समय बहुत लगता है और उपर से पेट्रोल का अनाप-शनाप खर्च ।"
" हां जीजू । वैसे कब तक यहां शिफ्ट होने को सोच रहे हैं ?"
" आज अप्रैल का लास्ट दिन है और कल से मई शुरू हो जाएगा तो अगले हफ्ते में ही रविवार का दिन कैसा रहेगा ?"
" ठीक रहेगा । छुट्टी का दिन रहेगा तो सामान भी ढंग से सजा लीजिएगा ।"
" ठीक है लो अपनी दीदी से बात करो ।" कहकर जीजा ने फोन श्वेता दी के हाथ में पकड़ा दिया ।
" सागर , घर में पापा और मम्मी को बता देना और रविवार के दिन घर पर ही रहना ।" श्वेता दी बोली ।
" हां हां मैं घर पर ही रहूंगा । चिन्ता मत करो ।'
" ठीक है तो मैं फोन रखूं ।"
" हां रखो । गुड नाईट ।"
" सेम टू यू ।" बोलकर श्वेता दी ने फोन काट दिया ।
कहां मै सोच रहा था श्वेता दी से थोड़ी हंसी मजाक करूंगा कहां...। खैर मैं अपने कमरे में आया और बिस्तर पर लेट गया । नींद आ नहीं रही थी । आज अठाईस अप्रैल हो गया । अमर को मरे चौबीस दिन हो गए थे । करीब करीब महीना पूरा होने वाला था लेकिन अभी तक क़ातिल का कोई अता-पता नहीं था । और पुलिस भी निकम्मी हाथ पर हाथ धरे बैठी थी ।
सुबह छः बजे नींद खुली । फ्रेश होकर छत पर वर्क आउट किया फिर नीचे हाल में चला गया । कुछ देर बाद सभी ने एक साथ नाश्ता किया । नाश्ते के बाद डैड अपने काम पर निकल गये । माॅम किचन चली गई और मै और रीतु टीबी देखने लगे । थोड़ी देर माॅम चाय लेकर आई और हम तीनों चाय पीते हुए टीबी देखने लगे ।
" तुम्हें आज कहीं जाना नहीं है क्या ?" माॅम चाय पीते हुए बोली ।
" नहीं । आज कहीं जाने की इच्छा नहीं है । आज दिन भर घर में ही रहूंगा । शाम को क्लब जाउंगा ।"
" ठीक है । कभी कभी शरीर को भी आराम देना चाहिए । इसी बहाने मैं भी निश्चिंत घुम आऊंगी ।"
" क्यों ! तुम कहीं जा रही हो ।" मैंने चौंकते हुए कहा ।
" हां । बहुत दिनों से ज्योत्सना अपने घर बुला रही थी । और आज उसकी शादी की बाइसवीं सालगिरह है तो सोची चली ही जाऊं ।"
ज्योत्सना माॅम और चाची की सहेली थी । वो अक्सर हमारे यहां आया करती थी । वो भी दिखने में काफी सुंदर थी ।
" चाची भी जायेगी क्या ?" मैंने पूछा ।
" हां । वो यहां पहुंचने ही वाली होगी ।"
मैंने रीतु को तरफ देखते हुए कहा -" आज तु इतनी शान्त शान्त क्यों है ?"
" कुछ नहीं भाई । सोच रही थी आज मैं भी कालेज न जाऊं । लेकिन ये काजल की बच्ची जबरदस्ती बुलाने पर तुली हुई है । बोलती है उसे कोई अर्जेंट काम है जबकि मेरा शरीर थकावट जैसी लग रहा है ।"
" थकावट ! क्यों रात में नींद नहीं आई ।"
" आई । बराबर आई । फिर भी मन थका हुआ सा लग रहा है ।"
" तेरी एक्चुअल में थकावट किस चीज की है ? शरीर की या मन की ।"
" यही तो समझ नहीं आ रहा है। कभी लगता है शरीर थका हुआ है कभी लगता है मन थका हुआ है ।"
" तेरा शरीर तो थक सकता नहीं क्योंकि तु तो एक रत्ती भर का भी काम करती नहीं ।"- मैं उसे छेड़ते हुए बोला ।
" क्यों नहीं काम करती । बहुत सारे काम करती हूं । सुबह आठ बजे उठती हूं फिर बाथरूम में जाती हूं । पौन घंटे तक वहीं मेहनत हो जाती है । फिर आधे घंटे मेकअप करने में । उसके बाद यहां से बस से कालेज खड़े खड़े जाने में । और वहां की तो पुछो मत.... पांच से छः घंटे पढ़ाई करने में । पढ़ाई में कितनी मेहनत लगती है ये तो कम से कम तुम अच्छे से जानते होगे । फिर वहां से वापस घर बस में खड़े खड़े आने में । उसके बाद खाना खाने में । फिर जरा सी.... मात्र जरा सी आराम करना फिर तुरंत शाम को पढ़ने बैठ जाना । उफ...फिर रात में भोजन करना तब जाकर रात को दस बजे फुर्सत मिलती है । सुबह आठ बजे से लेकर रात के दस बजे तक सिर्फ जरा सा सिर्फ जरा सा आराम मिलता है और तुम बोलते हो मैं मेहनत नहीं करती ।"
मेरे समझ में नहीं आया कि मैं क्या बोलूं । मैंने माॅम की तरफ देखा वो मुस्कराए जा रही थी ।
" सच में इन सब कामों में बहुत मेहनत लगती है ।" मैंने कहा ।
रीतु मुझे और माॅम को संबोधित करते हुए बोली -" माॅम मैं कालेज से सीधे काजल के घर चली जाऊंगी और भाई आप शाम के क्लास के बाद काजल के घर से मुझे पिक अप कर लेना ।"
" जो आज्ञा ।" मैंने और माॅम ने एक साथ कहा । और फिर तीनों ठठा कर हंस पड़े ।
थोड़ी देर बाद रीतु कालेज चली गई । रीतु के जाते ही चाची आ गयी । उन्होंने नीले रंग की साड़ी पहनी थी । और उसी से मैच करता हुआ ब्लाउज । कद पांच फुट तीन इंच का । शरीर भरा-भरा । भारी भारी स्तन शायद ४०..४२ डी. होंगे । बाहर की ओर निकले हुए नितम्ब । पेट पर हल्की चर्बी । तीखे नैन-नक्श । गाल फुले फुले । इनका फिगर बिदया बालन की याद दिला देता है । वैसे ही होंठ ।
चाची आकर मेरे बगल में बैठ गई तो माॅम तैयार होने चली गई ।
" आज कालेज नहीं गया ?" चाची बोली ।
" नहीं चाची आज नहीं गया । आज रेस्ट करने को जी चाहा तो घर पर ही रूक गया ।"
" चलो अच्छा है । तब तु घर की रखवाली कर तब तक हम भी घुम कर आ जायेंगे । "
" आप लोग कब तक आ जाओगे ?"
" शाम को पांच छः बजे तक आ जायेंगे । बेचारी ज्योत्सना हमारे यहां बराबर आती हैं और हमारी बारी आती है तो हम कोई ना कोई बहाना बना कर के मना कर देते हैं । लेकिन इस बार नहीं गये तो पक्का नाराज हो जायेंगी ।"
" नहीं नहीं चाची आप लोग को जरूर जाना चाहिए ।"- मैं चाची से मजाक करते हुए बोला -" वैसे चाची आपकी सहेली ज्योत्सना के यहां मर्द भी तो पार्टी में होंगे ।"
" हां क्यों ?"
मैं उन्हें सर से पांव तक निहारते हुए कहा -" आपको देख कर उन सभी की हालत खस्ता होनी जानी है । सारे मर्दों के मुंह से शर्तिया लार टपकनी ही टपकनी है ।"
चाची मुस्कराते हुए बोली -" बदमाश । छेड़ रहा है मुझे ।"
" चाची आपकी कसम सच बोल रहा हूं । मुझे तो आपकी चिंता होने लगी है जरा सम्भाल कर रहिएगा । मैं नहीं चाहता मेरे हक पर कोई दुसरा डाका मार दे ।"
" नालायक । तेरा हक कहां से हो गया । खाली मसखरी करता है । और वो हक तो बहुत पहले तेरे चाचा को मिल चुका है ।"
" बड़े ही खुशकिस्मत हैं चाचा "- मैं आह भरते हुए बोला -" अच्छा चाची , चाचा तो अभी भी आपको छेड़ते होंगे ।"
" क्यों नहीं छेड़ना चाहिए ।" चाची मुस्कराते हुए बोली ।
" जरूर छेड़नी चाहिए । मगर मुझे लगता नहीं है कि वो अब आपको छेड़ते होंगे ।"
" क्यों ?"
" उनको डर नहीं होगा ? कहां तुम सतर किलो की और कहां चाचा पचास किलो का । चाचा की हड्डी वडडी नहीं टुट जायेंगी । "
" बेशरम कहीं का । लाज वाज नहीं आती है तेरे को ।"
" आती है चाची लेकिन क्या करूं आपको देख कर चली जाती है ।"
" शरम कर शरम ।" चाची इस बार अपनी मुस्कान को छिपाते हुए बोली ।
" आपसे कैसा शरम चाची । चाची आपसे एक बात कहनी थी ।"
" क्या ?"
मैंने उन्हें श्वेता दी के यहीं अमर के घर में शिफ्ट होने की खबर बताई । मुझे लगा ये खबर सुनकर वो कोई खास उत्साहित नहीं थी ।
तभी माॅम आ गई और वो दोनों अपनी सहेली के घर चली गई । मैं घर में अकेला हो गया था । कुछ देर टीवी देख कर समय पास किया । फिर मधुमिता को फोन लगाया । अभी तक उसका फोन बंद था । काजल को फोन कर नहीं सकता था क्योंकि वो अभी कालेज में होगी । फिर श्वेता दी को फोन लगाया । अब उनका भी फोन स्विच ऑफ आने लगा । मन वितृष्णा से भर गया । जब इन्हें फोन बंद ही रखना था तो ये फोन खरीदी क्यों । मैं अपने कमरे में गया और बिस्तर पर सो गया ।
चार बजे नींद खुली । फ्रेश हो कर किचन में गया । माॅम खाना बना कर गयी थी । मैंने खाना खाया । फिर थोड़ा फेसबुक और व्हाट्स एप देखने लगा । पांच बजने वाले थे जब काजल का फोन आया । मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा । मैंने जल्दी से फोन उठाया ।
" हैलो !" मैं मिश्री से भरे स्वर में बोला ।
" हैलो भैया !" काजल की आवाज आई ।
" हैलो काजल कैसी हो ?"
" अच्छी हूं भैया । आप कैसे हो ?"
" मैं कहां ठीक हूं । और तुम्हारा फोन रात में स्वीच ऑफ क्यों आ रहा था ?"
" चार्ज खत्म हो गया था । और आप ने ऐसा क्यों बोला ' कहां ठीक हूं ' । क्या तबियत ठीक नहीं है । रीतु भी बोल रही थी आज आप घर में ही रेस्ट कर रहे हैं ।"
" नहीं नहीं तबीयत बिल्कुल ठीक है बस थोड़ा दिल का धड़का सा लग गया है ।"
" धड़का ओह माई गॉड आपको हार्ट अटैक आया है ।"
" अरे पगली हार्ट अटैक आता तो क्या मैं तुझसे बातें कर रहा होता । वो एक्चुअल में कल तेरा आम चुस नहीं पाया न इसलिए थोड़ा दिल का धड़का लग गया । कल तो पुरा ही KLPD हो गया था न ।"
" ओह । तो मैं क्या करती भैया । मेरा तो पुरा मन था कि आपको अपने आम चुसवाती लेकिन डैड टाइम से पहले ही घर आ गए । और भैया ये KLPD क्या होता है ?"
" KLPD..... अच्छा सुन अभी तु कहां है और रीतु क्या कर रही है ?"
" हम अभी घर के पीछे अपने बगीचे में है । रीतु आम तोड़ रही है और मैं आपसे बात कर रही हूं ।"
" तुम दोनों साथ में ही हो ?"
" नहीं , मैं उससे थोड़ी दुरी पर हूं । वो...वो मैंने उससे कहा मुझे मामी से बात करनी थी ।"
" वाह ! तु तो सच में होशियार है काजल ।"
" वो तो हूं भैया ।"
" तो बता न तेरे बड़े बड़े आम मुझे कब चुसने को मिलेंगे । बड़ी इच्छा कर रही है यार ।"
" तो अभी आ जाओ ना।"
" अभी आ जाऊं ?"
" हां । और....खोलकर... उतार कर चुस लो ।"
" हाय काजल खोल कर , उतार कर ?"
" आम चुसने के लिए खोलोगे नहीं , उतारोगे नहीं ?"
" हां उतारूंगा तभी न दोनों हाथों से दबोच दबोच कर दबाऊंगा और चुसुगा ।"
" हां भैया खुब दबोच कर , मसल मसल कर चुसिएगा । मेरा बहुत मन कर रहा है भैया । "
" मेरा भी बहुत मन कर रहा है कि तेरी बड़ी बड़ी रसीली आम को हाथों से मसल मसल कर चुसु ।"
" हां भैया । खुब चुसिएगा । मैं भी आपका केला चुसुगी । भैया अपनी केला मुझे चुसावोगे न ।"
" हां बहना जरूर चुसाऊगा । मेरी बहन अपने भाई का केला नहीं चुसेगी तो किसका चुसेगी । और क्या खाली केला ही चुसेगी या उसका जुस नहीं पियेगी ?"
" हाय मेरे भैया आपके केले को तब तक चूसुगी जब तक उसका जुस ना पी लूं ।" - काजल की आवाज काफी उत्तेजित हो गई थी -" अच्छा भैया , मेरे बगीचे में घांस काफी उग गया है । मैं सोच रही थी उसे साफ करवा दूं । आपको क्या लगता है भैया उसे साफ करवा दूं या वैसे ही रहने दूं ।"
मेरा लन्ड तो पहले से खड़ा था । मगर अब वो जांघिया के अन्दर बंद रहने से दर्द करने लगा था । घर में कोई था नहीं । मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और बिल्कुल नंगा हो गया ।
मैं अपने लन्ड सहलाते हुए बोला -" मुझे तो बगीचे...घांस वाला भी अच्छा लगता है और बिना घांस वाला भी । तुझे क्या पसंद है ?"
" घांस वाली ।" काजल बोली ।
" घास वाली ।"
" हां भैया ।'
" तो घांस रहने ही दो । जानती हो मेरे बगीचे में भी बहुत घांस हो गया है ।"- मैंने अपनी झांटों को सहलाते हुए कहा ।
" लेकिन मेरे से बड़ा नहीं होगा भैया । मेरी बहुत बड़ी बड़ी है ।"
" ऐसा है तो जब मिलेंगे न तो तु मेरी घांस चेक कर लेना और मैं तेरी चेक कर लुंगा । फिर देखेंगे कि तेरी झांट.....साॅरी तेरी घांस बड़ी है ना मेरी ।"
" ठीक है भैया । अच्छा भैया मैं आपको थोड़ी देर बाद फ़ोन करूं ।"
" क्यों क्या हुआ ?"
" मुझे बहुत जोर से पेशाब लगी है ।"
" अरे तो उससे क्या हुआ । तु पेशाब करती रहना और हम बातें भी करते रहेंगे ।"
" अच्छा भैया ।"
फिर मुझे उसकी आवाज सुनाई दी । ' रीतु मैं जरा बाथरूम से आ रही हूं ' । फिर मुझे रीतु को आवाज सुनाई दी ' ठीक है जा लेकिन जल्दी आना '।
दो तीन मिनट तक जब उसकी आवाज नहीं आई तो मैं बोला -" क्या हुआ काजल बाथरूम नहीं पहुंची क्या ?"
" पहुंच गई हूं भैया । सलवार उतार दी हूं अब अपनी पैंटी उतार रही हूं ।"
मैं उसको पैंटी उतारते हुए की कल्पना करने लगा और उत्तेजित होता रहा ।
" हाय काजल अब तक मुझे भी पेशाब लग गई है ।"
" तो आप भी कर लो । दोनों पेशाब करते हुए बातें करेंगे ।"
" लेकिन मैं बाथरूम में पुरा नंगा हो कर पेशाब करता हूं ।"
" आप पुरा नंगा हो कर पेशाब करते हैं ?"
" हां । और तु ?"
" मैं तो नहीं करती लेकिन सोचती हूं आज कर लूं ।"
" तो कर ना । मैं तो पुरा नंगा हो भी गया हूं ।"
" हाय भैया अभी आप पुरा नंगे हो ?"
" हां । तु हुई या नहीं ।"
उसके कपड़ों के सरसराहट की आवाज सुनाई दी ।
" मैं भी हो गई हूं । " वो बोली ।
" नंगी हो गई ।'
" हां भैया। आपकी बहन सर से पांच तक एकदम नंगी है । "
" तो चल हम दोनों भाई बहन एक साथ पेशाब करते हैं ।"
" हां भैया । मैं अब बैठ गयी हूं और आप ।"
" मैं भी उसको पकड़ कर खड़ा हूं ।"
" किसको पकड़ कर खड़े हो भैया ?"
" उसी को जिससे वो निकलता है ।"
" जिससे पेशाब निकलता है भैया ?"
" हां ।"
" ठीक है आप उसे पकड़ कर खड़े हो कर करो । और मैं बैठ कर करती हूं । ........हाय मेरा पेशाब निकल गया भैया ।"
उसके ये शब्द सुनकर मैं उसकी चुत से पेशाब निकलते हुए की कल्पना करने लगा ।
काजल के पेशाब करने की आवाज मुझे स्पष्ट सुनाई पड़ रही थी । एक दम किसी सीटी की आवाज की तरह । मेरा तो पेशाब निकलने का सवाल ही पैदा नहीं होता था । खड़े लन्ड से कहीं पेशाब होता है ।
" काजल , ये जोर जोर से सीटी की आवाज कहां से आ रही है ?" मैंने अपने लौड़े को मुठियाते हुए कहा ।
" ये मेरे पेशाब करने की आवाज है भैया । बड़ी जोर से मुतवास लगी थी न इसलिए आवाज थोड़ा जोर से आ रही है ।"
" आह ! कितनी मधुर आवाज आ रही है । "
' लेकिन आप के मुतने की आवाज नहीं आ रही है ।"
" हम लोगों की तुम लोगों जैसी आवाज नहीं आती है न ।"
मैं करीब पांच सात मिनट तक उसके पेशाब करने की आवाज सुनता रहा । जब आवाज आनी बंद हो गई तो मैंने कहा -" पेशाब कर ली काजल ।"
" नहीं भैया अभी भी रूक रूक कर निकल रही है ।"
" बाप रे ! कितनी देर तक मुतती है । पांच सात मिनट हो गए ।"
" क्या करूं भैया । आपको बोला था न बहुत जोर से लगी है । आप खुद देखते न तब समझते । अच्छा हो गया अब । अब उसको पानी से धो लूं ।"
" धो ली ।"
" धो ली भैया लेकिन वहां बड़ी खुजला रही है ।"
" खुजला तो मेरा भी रहा है । एक काम कर तु अपनी खुजला और मैं अपनी खुजलाता हूं ।"
मैं जोर जोर से मुठ मारने लगा । मैं जानता था कि वो भी अपनी चुत में ऊंगली कर रही होगी ।
" खुजला रही है काजल ?" मैं मुठ मारते हुए बोला ।
" हां भैया । बड़ी जोर से चुनचुना रही है । और आप भैया ?"
" मैं भी काजल । मैं उसे हथेलियों में कसकर उपर नीचे कर रहा हूं ।"
" हाय भैया आप उपर नीचे से मसल रहे हैं , मैं भी अपनी ऊंगली को अन्दर बाहर कर रही हूं ।"
" तु ऊंगली को अन्दर ढुका रही है निकाल रही है ।"
" हां भैया , ऊंगली मलाई से भीग गई है ।"
" हाय काजल , काश तेरी ऊंगली चाट लेता ।"
" चाट लेना भाई । ऊंगली ही क्यों अपनी जीभ उसके अंदर ढुका कर चाट लेना ।"
" हाय काजल बड़ा मज़ा आ रहा है ।"
" मुझे भी भैया । ऐसी सुन्दर खुजली तो मुझे कभी नहीं हुई थी । "
" ओह काजल , अभी तो अपनी ऊंगली से खुजली मिटा बाद में मैं अपने मोटे लम्बे केले को उसमें डाल कर खुजली मिटाऊंगा । मेरे केले को उसमें डलवाएगी न काजल ।"
" डलवाऊंगी भैया । रोज रोज डलवाऊंगी । "
' कहां डलवाएगी काजल ?"
" अपनी घासों से भरी हुई छेद में ।"
दोनों तरफ से सेक्सी आवाजें निकल रही थी । दोनों घमासान हस्त मैथुन किए जा रहे थे । हमारा ये एक अलग तरह का इरोटिक सेक्स गेम चरम पर था ।
" अपनी घासों से भरी छेद में मेरा लौड़ा... मतलब केला डलवाएगी ।"
" हां भैया अपनी घांस से भरी हुई छेद में आपका लौड़ा..... मतलब केला डलवाऊंगी ।"
मैं जोर जोर से मुठ मारते हुए बोला -" मेरे लौड़े का...... मेरे लन्ड का ... मेरे केले का रस कहां लेगी ? अपने छेद के भीतर लेगी या...."
" हाय मेरे राजा भैया आपके लन्ड....आपके लौड़े का रस मै अपनी छेद ... अपनी बुर.... अपनी चुत में लुंगी । हाय भैया चोदिए मुझे.... अपने लौड़े को मेरी बुर में घुसेड़ कर जोर जोर से चोदिए ।"
" हां चोदुगा मेरी बहन.. मेरी काजल । तेरी बुर में अपना मोटा लौड़ा घुसेड़ कर जोर जोर से चोदुगा । तेरी चुत को भोसड़ा बना दुंगा । अपनी चुत को भोसड़ा बनवाएगी न काजल ।"
" हां भैया । मेरी कुंवारी चुत को चोद चोद कर भोसड़ा बना दीजिएगा । हाय भैया मेरा निकलने वाला है । अभी आप क्या सोच रहे हैं भैया ?"
" मेरा भी निकलने वाला है काजल । मैं सोच रहा हूं कि मेरा लन्ड तेरी चुत में घुस रहा है और निकल रहा है ।"
" हाय भैया मैं भी वही सोच रही हूं । मेरी बुर को आप अपने मोटे लौड़े से चोद रहे हैं । आह.... मैं गई...मेरा निकल रहा है भैया...।"
उसके बोलते ही मेरा पानी भी निकल गया । क्या गजब का इजेकुलेशन हुआ था । हम दोनों बहुत देर तक वैसे ही परिस्थिति में रहे ।