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Erotica Satisfaction of lust

IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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Satisfaction of lust
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IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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श्रुति की कराह भी बढ़ती जा रही थी।
लेकिन वो, गाँव की “शरीफ” लड़की थी।
उसकी आँखें, अभी भी बंद थीं।
मैं उसके ऊपर से उठ पड़ा और बगल में बैठ कर चाँद की रौशनी में उसका चेहरा निहार रहा था।
वो आनंद में डूबी हुई, अपने हाथ खुद ही चबा रही थी।
मैंने धीरे से पुकारा – श्रुति.. !!
उसने अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ देखा।
मैंने उसके चेहरे को अपने हाथों में लिया और बोला – आई लव यू.. !!
वो बोली – क्या.. !! ??
मैंने कहा – मैं तुमसे प्यार करता हूँ, श्रुति.. !!
वो एक टक मुझे ताकती रही और फिर एक झटके में उठ कर, मेरे से लिपट गई।
मैंने अपने होंठ उसकी तरफ बढ़ाए और उसने भी वही किया।
हम फिर से एक दूसरे के होठों को चूस रहे थे।
मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली तो फ़ौरन उसने उसे अपने दांतो से दबा लिया और हल्के हल्के काटने लगी और चूसने लगी।
मैंने उसे लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया।
अपना हाथ मैंने, उसके घाघरे के ऊपर से ही उसकी चूत पर रख दिया।
वो जैसे, बिल्कुल तिलमिला गई।
मैंने महसूस किया की वो नीचे पूरी गीली हो गई है।
मैंने उसके घाघरे का नाडा खींचा तो उसने एक हल्का सा विरोध किया और अपने घाघरे को पकड़ कर लेटी रही।
मैंने फिर से कोशिश की तो वो सिर हिला कर “ना ना” करने लगी।
मैं हंस पड़ा और ज़बरदस्ती उसकी डोरी खींच दी और घाघरे को नीचे सरका दिया।
मेरे सामने “जन्न्त की गुफा का दरवाजा” दिखाई पड़ रहा था।
गुफा के बाहर हल्की हल्की झाड़ियाँ उगी हुई थीं, जो की मुलायम रेशमी बालों की थीं।
उफ्फ!!
नंगी चूत.. !!
मैंने अपना हाथ उसकी नंगी चूत पर रख दिया और धीरे धीरे रगड़ने लगा।
एक बार मैंने सोचा की अपना लण्ड उसके मुँह में दूँ पर फिर मैंने फ़ैसला किया की पहली बार है, पहले चोद ही लेता हूँ।
“चूसना चूसाना” अगली बार, कर लेंगे।
मैंने उसकी टाँगों को खोल दिया और अपनी एक उंगली, उसकी चूत में डाल दी।
नहीं गई, जनाब।
बड़ा ही तंग रास्ता था, उस जन्नत की गुफा का।
मैं उठा और तेल की शीशी ले कर, फिर से पलंग पर आ गया।
मैंने अपने लण्ड पर बढ़िया से तेल लगाया और फिर श्रुति की चूत में भी तेल लगाने लगा।
श्रुति, कसमसा रही थी।
मैंने निशाना लगाया और धीरे से, अपने लण्ड को उसकी चूत पर रख कर सहलाने लगा।
श्रुति, अब घबराने लगी थी।
मैंने धीरे से पुश किया।
मैं जानता था की इसकी चूत बहुत ही ज़्यादा टाइट होगी और अगर, मैंने ज़ोर ज़बरदस्ती की तो ये चिल्लाने लगेगी, दर्द के मारे।
फिर तो, बवाल होने की पूरी संभावना थी।
नीचे चाचा और जमुना चोदा चादी करने के बाद, एक ही बिस्तर में एक दूसरे से गुथम गुत्था सो रहे थे।
अगर, वो उठ जाते तो मेरी तो खैर नहीं थी।
इसलिए, मैंने श्रुति से कहा – श्रुति, अब मैं तुझे चोदने जा रहा हूँ.. !! मेरी बात ध्यान से सुनो.. !! जब मैं अपना लण्ड तुम्हारी चूत में डालूँगा तो तुम्हें थोड़ा दर्द होगा.. !! क्योंकि ये तुम्हारा पहली बार हैं.. !! इसलिए.. !! लेकिन, कुछ देर बाद ये दर्द चला जाएगा और तुम्हें मैं भरपूर मज़ा और आनंद दूँगा.. !! तो प्लीज़, एकदम आवाज़ नहीं करना.. !! ठीक है.. !! क्यूंकी अगर किसी ने सुन लिया तो बड़ी गड़बड़ हो जाएगी.. !!
श्रुति ने कोई जवाब नहीं दिया। बस “हाँ” में सिर हिला दिया।
मैंने फिर कहा – श्रुति, ये मेरा वादा है मैं तुम्हें भरपूर सुख दूँगा.. !! इतना मज़ा तुम्हें पहले कभी नहीं आया होगा.. !! तुमने तो खुद जमुना को आनंद में चीखते हुए, सुना ही है.. !!
श्रुति ने फिर सिर हिलाया।
मैं अब तैयार था।
मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत पर रखा और रगड़ने लगा।
श्रुति, सनसना रही थी।
उसका शरीर मारे उत्तेजना के काँप रहा था।
मैंने फिर शुभारंभ किया।

टोपी को घुसने में ही, मुझे बहुत तकलीफ़ हो रही थी।
ना जाने, आगे क्या होने वाला था।
मैंने अपने तेल लगे हुए लण्ड को, छेद पर रखा और एक ज़ोर का झटका लगाया।
साथ ही, मैंने श्रुति के मुँह पर अपना हाथ ढक्कन की तरह चिपका दिया।
श्रुति के मुँह से, घुट घुटि चीख निकल गई।
उसको लगा जैसे, किसी ने उसकी चूत में एक “दो धारी तलवार” डाल दी है।
उसकी आँखों से, आँसू छलक आए।
मैंने अपना हाथ नहीं हटाया और एक और झटका लगाया।
अभी तक सिर्फ़ सुपाड़ा ही अंदर गया था।
मुझे खुद, काफ़ी जलन हो रही थी।
श्रुति मेरे नीचे से निकलने के लिए तड़प रही थी और पूरे ज़ोर से, मुझे धकेलने की कोशिश कर रही थी।
मैं जानता था की अगर, आज मैं हार गया तो ये चिड़िया कभी मेरे फंदे में नहीं आईगी।
उसकी चूत भी, बहुत ज़्यादा टाइट थी।
मैंने अपने दाँतों को दबाते हुए, एक और धक्का मारा।
करीब 80% तक, मेरा लण्ड उसकी चूत में धँस गया था।
मैंने अपना हाथ नहीं हटाया था।
श्रुति जैसे, रहम की भीख माँग रही थी।
मैंने उसको फुसफुसा के बोला – एकदम शांत पड़ी रहो, वरना और दर्द होगा.. !! अभी 2-3 मिनट में, सब ठीक हो जाएगा.. !!
मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके दूध को चूसने लगा और उसके निप्पल को अपने दाँतों से सहलाने लगा।
थोड़ी देर बाद, श्रुति का जिस्म थोड़ा ढीला पड़ा और वो थोड़ा शांत हुई तो मैंने फाइनल धक्का मारा।
मेरा लण्ड पूरी तरह, श्रुति की चूत की गिरफत में था।
मैं फिर शांत पड़ा रहा।
थोड़ी देर बाद, मैंने अंदर बाहर करना शुरू किया।
बहुत धीरे धीरे।
श्रुति के जिस्म में भी, हरकत होने लगी थी।
उसने अपनी बाहों का हार, मेरी गर्देन के चारों तरफ डाल दिया था और अपनी कमर भी थोड़ा थोड़ा उठाने लगी थी।
मैं समझ गया की शिकार अब चुदवाने के लिए, तैयार है।
मैंने दूसरा गियर डाला और स्पीड थोड़ी और बढ़ा दी।

कसम लण्ड के बाल की!! इतना मज़ा मैंने कभी भी महसूस नहीं किया था।
मैं नहीं जानता था की लौंडिया को चोदने में इतना मज़ा आता है।
हम “मिशनरी पोज़िशन” में चुदाई कर रहे थे।
श्रुति भी हाँफ रही थी और सिसकारी भर रही थी।
उसका दर्द अब ख़त्म हो गया था और वो अपनी जवानी लूटा कर, जवानी के मज़े लूट रही थी।
उसके हाथ मेरी पीठ पर काफ़ी तेज़ी से घूम रहे थे और मैं “जबरदस्त चुदाई” कर रहा था।
मेरी रफ़्तार टॉप गियर पर थी और हम दोनों के मुँह से, आहें निकल रही थीं।
मैं बीच बीच में झुक कर, उसकी चूचियों को अपने मुँह में दबोच लेता था और ज़ोर ज़ोर से चूसते हुए उसको चोद रहा था।
श्रुति की सिसकारियाँ, अब चीख में बदल रही थीं पर वो मेरे कहे मुताबिक, सावधान थी और हल्के हल्के ही चीख रही थी।
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ.. !! उन्हम्म.. !! इनयः इस्स उफ्फ फूहस आह हह आ आ आ आह उन्म आह आ हह आह.. !! आह आह अहह.. !! नहीं स स स स स.. !! उन्हम्मह म म म म म.. !! आहम्म उईईए सस्स्शह.. !! अहहआहम्म.. !! मर र र र र र गई ई ई ई ई ई.. !! या या आह आ आ आ ह ह ह ह ह.. !!
अचानक श्रुति का शरीर अकड़ने लगा और वो ज़ोर से मचलने लगी।
उसकी बाहों का दायरा कसने लगा और वो ज़ोर से मेरी छाती में चिपक कर, झड़ गई।
मैंने अपने लण्ड पर उस के उबाल की गरमी को महसूस किया।
श्रुति अब, निढाल पड़ी थी ।
मैंने और रफ़्तार बड़ाई और उसको दबा दबा के चोदने लगा।
उसका “कामरस” उसकी चूत में मेरे लण्ड के घर्षण से फूच फूच की आवाज़ पैदा कर रहा था।
मैं तो सातवें आसमान की सैर कर रहा था और धक्के लगाए जा रहा था।
1-2 मिनट के बाद, मेरी साँस भी रुकने लगी।
मेरी गोलियों में तनाव पैदा होने लगा और मैं भी गया।
मैंने दना दना कई फव्वारे खोल दिए, श्रुति की चूत में और गले सा अजीब सी आवाज़ निकालते हुए, श्रुति के ऊपर ही गिर पड़ा।
मैं आनंद के सागर में हिलोरे ले रहा था और मुझे पता था की श्रुति भी हिलोरे ले रही होगी।
थोड़ी देर बाद, श्रुति कसमासने लगी और मुझे धकेलने लगी।
मैं उठा और पलट कर वहीं सो गया।
सुबह भोर में जब मेरी आँखें खुली तो सुबह हो गये थी और पेट में चूहे दौड़ रहे थे।
भूख के मारे, बुरा हाल था।
अचानक, मुझे होश आया की श्रुति बिल्कुल “नंगी” मेरे पास ही सो रही थी।
उसकी नंगी काया को देखते ही, मेरा लण्ड फिर से जोश में आने लगा।
उसके होठों पर, एक प्यारी सी मुस्कान तैर रही थी।
उसके दूध, खुली रौशनी में बहुत ही प्यारे लग रहे थे।
मैं अपने को रोक ना पाया और उसकी एक निप्पल को चूसने लगा और दूसरी छाती को, अपने हाथों से मसलने लगा।
श्रुति की आँख खुल गई।
उसने भी तुरंत प्यार से मुझे अपनी बाहों में समेट लिया और फिर, हम एक दूसरे के होठों का रस पीने लगे।
अचानक, मुझे झटका लगा और मैं हड़बड़ा के उठ गया।
श्रुति से बोला – जल्दी कपड़े पहनो और निकलो.. !!
किसी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा।
वो भी हड़बड़ा के उठी और अपनी चोली और लहंगा पहन कर, धीरे से वहाँ से निकल गई।
शुक्र था की अभी घर के लोग सो कर नहीं उठे थे क्योंकि सब रात को शादी से, बहुत देर से आए थे।


समाप्त.. .. .. ..
 
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जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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मुंबई की बारिश और माँ बेटे का प्यार--1
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दोस्तो ये कहानी एक माँ बेटे की कहानी है जिन्हे इस तरह की कहानी पढ़ने में अरुचि होती हो कृपया इस कहानी को ना पढ़े
रश्मि अपने ऑफीस की बिल्डिंग के बाहर कदम रखते ही गहरी साँस लेते हुए खुद को कोस्ती है. आसमान में काली घटा छाई हुई थी. काले बादलों के कारण सितंबर के महीने की दोपहर भी रात जैसे लग रही थी. आसमान से गिर रही हल्की बूँदों के कारण बिल्डिंग के द्वार पर लगी चम चमाति वाइट टाइल्स दागदार सी हो गयी थी. यह उन पलों में से एक पल था जब रश्मि कामना करती कि वो टेबल के पीछे कुर्सी पर बैठने वाली कोई जॉब करती ना कि दौड़ धूप करते हुए क्लाइंट्स को मिलने वाली यह जॉब जो वो कर रही थी.

एक ठंडी साँस छोड़ते हुए वो फिर से खुद को कोस्ती है कि उसने कुछ रुपये बचाने के लिए अपनी कार को बिल्डिंग से थोड़ी दूर बनी ओपन एर कार पार्किंग में खड़ा किया था जो कि फ्री थी ना कि बेसमेंट में बनी पैड कार पार्किंग में. वो खुद को कोस रही थी मगर उसके कानो में उसके पिता के लफ़्ज गूँज रहे थे जो वो अक्सर दोहराया करते थे "एक रुपया बचाना एक रुपया कमाने के बरोबर होता है" और इसी बात को अपनी धारणा बनाते हुए और उस पर चलते हुए उसने जिंदगी में बहुत कुछ बना लिया था. अपनी उँची पढ़ाई से लेकर अपने बच्चों की बढ़िया परवरिश करने और उन्हे दूसरे सहर में बढ़िया कॉलेजस में पढ़ा रही थी जो कि उसके पति की दो साल पहले हुए अकस्मात इंतकाल के बाद लगभग नामुमकिन ही था.

अपने पति का ध्यान आते ही रश्मि ने अपनी आखों में उमड़ आए आँसुओं को बड़ी मुश्किल से बाहर निकलने से रोका. एक नशे में धुत ड्राइवर ने उसके पति को उससे हमेशा हमेशा के लिए छीन लिया था. उसके पहले और एकलौते प्यार को उससे छीन लिया था, एक तरह से उससे उसकी जिंदगी ही छीन ली थी. मगर फिर भी उसने धैर्य और हिम्मत से काम लेते हुए अपने बच्चों के सहारे अपनी जिंदगी की एक नयी शुरुआत की थी. उसने लाइफ इन्स्योरेन्स और म्यूचुयल फंड्स का काम करना सुरू कर दिया था और इससे उसे आमदनी भी अच्छी हो रही थी हालाँकि काम काफ़ी कठिन था. मगर इससे एक अच्छी बात यह थी कि वो अब काफ़ी वयस्त रहती थी और उसका ध्यान अपनी सूनी जिंदगी के एकाकीपन से हट जाता था और इस नौकरी से घर भी अच्छे तरीके से चल रहा था.

बादलों की जोरदार गड़गड़ाहट के कारण रश्मि अतीत से निकलकर फिर से वर्तमान में आती है. वो अपना ब्रीफकेस अपने सिर के उपर रखकर वो आगे कदम बढ़ाती है. तेज़ तेज़ चलने के कारण उसकी हाइ हील के सॅंडल उँची तीखी आवाज़ पैदा करते हैं. हवा बहुत तेज़ चल रही थी जिस कारण उसे अपने एक हाथ से अपनी ड्रेस को दबाकर रखना पड़ रहा था उसे उपर की ओर से उड़ने से बचाने के लिए. उसकी चलने की रफ़्तार तेज़ हो गयी थी क्योंकि बारिश की बूंदे भारी हो गयी थी.

"उफ़फ्फ़! इसको भी अभी आना था" भूनभुनाते हुए वो अपना ब्रीफकेस अपने सिर से हटाकर उसे अपनी छाती से लगा लेती है. बारिश अब काफ़ी तेज़ हो गयी थी और रश्मि फिर से खुद को कोस्ती है जब उसे महसूस होता है कि उसके बाल गीले होकर उसके गर्दन से चिपक रहे थे. वो मुश्किल से अपनी कार से पचास मीटर की दूरी पर थी जब बादल एक दम ज़ोर से गरजे और फिर अगले ही पल एक प्रचंड वेग से मुसलाधार बारिश होने लगी और वो सिर से पावं तक बुरी तरह से भीग गयी.

हल्का हल्का काँपते हुए रश्मि ने बाकी की दूरी दौड़ते हुए पार की और तेज़ी से कार का दरवाजा खोल कर अपना ब्रीफकेस अंदर फेंका और फिर ड्राइविंग सीट पर बैठ गयी. उसके बदन की गर्मी और बाहर के तापमान से फरक होने के कारण कार के सीसे धुंधला गये थे. रश्मि ने एर कंडीशन चालू किया और विंड्स्क्रीन के शीशे पर से धुन्दलका हटने लगा. जूतों में पानी भरा होने के कारण उसे थोड़ी बैचैनि सी महसूस होती है और वो उन्हे उतार देती है. वो शुक्र मनाती है कि उसके पास ऑटोमेटिक कार थी. हल्का हल्का काँपते हुए वो गाड़ी को गियर में डालती है और उसे रोड पर लाते हुए चलाने लगती है.

भारी मुसलाधार बारिश कार की छत को ड्रम की तरह पीट कर शोर उत्पन्न कर रही थी. बारिश की पूरी लहर सी विंड्स्क्रीन पर गिर रही थी और उसे रोड देखने में बहुत दिक्कत हो रही थी. वो अपनी घड़ी पर नज़र दौड़ाती है और महसूस करती है कि उसे अपनी अपायंटमेंट कॅन्सल करनी पड़ेगी क्योंकि ना सिर्फ़ वो लेट थी बल्कि जिस अवस्था में वो थी उस अवस्था में क्लाइंट्स से मिलना नामुमकिन था.

उसने मोबाइल उठाकर अपनी अपायिटमेंट मंडे के लिए फिक्स कर दी क्योंकि आज शनिवार था और सनडे वो काम करती नही थी. रश्मि थोड़ी राहत महसूस करती है यह देखकर कि रोड पर ट्रॅफिक काफ़ी कम हो गया था. वो सावधानी से गाड़ी चलाते हुए घर पहुँच जाती है और गाड़ी को मेन डोर के सामने खड़ा कर देती है. वो घूमते हुए बॅक सीट पर अपनी छतरी को ढूँढती है जिसे वो अक्सर गाड़ी में साथ रखती है. मगर वो मिलती नही और उसे याद आता है कि उसने उसे कल ही एस्तेमाल किया था और फिर वापिस रखना भूल गयी थी.

"लानत है! में भी कितनी बेवकूफ़ हूँ. अब फिर से भीगना पड़ेगा" रश्मि खुद पर झल्ला उठती है.

वो बारिश के थोड़ा सा कम होने की प्रतीक्षा करती है और झट से कार का दरवाजा खोलकर भागती हुई मेन डोर पर पहुँचती है. चाबियों से थोड़ा उलझते हुए उसे थोड़ा वक़्त लगता है मेन डोर खोलने में मगर उतने टाइम में वो फिर से पानी से सारॉबार हो चुकी थी. अंदर दाखिल होते ही वो मैन डोर बंद कर देती है उसके बदन और कपड़ों से बह रहे पानी के कारण फर्श पर पानी का तालाब सा बन जाता है.

"उम्म्म......हाई मोम!"

रश्मि आवाज़ सुन कर घूम जाती है और सामने अपने बेटे रवि को तीन और लड़कों और दो लड़कियों के साथ बैठा हुआ देखती है. उनके सामने टेबल पर बहुत सारी किताएँ बिखरी पड़ी थीं.

"माँ तुम तो...बिल्कुल..भीग गयी हो..." रवि अपनी माँ से कहता है जबकि उसके दोस्त नज़रें फाडे उसकी माँ को घूर रहे थे. "अच्छा है तुम जल्दी से चेंज कर लो"

"हाँ! हाँ! मैं बस अभी चेंज करने ही जा रही हूँ" रश्मि धीरे से उत्तर देती है जब उसे एहसास होता है कि सब आँखे उसे ही घूर रही हैं. जल्दी से घूमते हुए उपर की सीढ़ियों पर चढ़ने लगती है.

"ओह माइ गॉड! तूने हमे आज तक नही बताया तेरी मोम इतनी सेक्सी है"

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" तुम लोगों ने देखा उसके गोल मटोल मम्मे कितने मोटे और तने हुए थे"

"और उसकी गान्ड ....वाआह! उसकी गान्ड तो शिखा देखने में तुमसे भी टाइट लग रही थी"

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"बकवास बंद करो राजन में कहे देता हूँ...."

"और उसकी टांगे देखी तुम लोगों ने? क्या जबरदस्त माल है तेरी मम्मी"

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"अब बस भी करो! भगवान के लिए..वो मेरी मम्मी है"

रश्मि सीढ़ियो के बिल्कुल ऊपर खड़ी यह सब बातें सुन रही थी. उसे बेहद ताज्जुब हो रहा था यह सब सुन कर. उसे इस बात से ख़ुसी हुई कि उसका बेटा उसके लिए अपने दोस्तों पर गुस्सा होने लगा है मगर इस बात से हल्की सी निराशा भी कि अब उसने उसकी प्रशंसा भी बंद करवा दी थी चाहे वो अश्लील भाषा में ही हो रही थी. उसे लगता था अब उसमे पहले वाली वो बात नही रही मगर आज जब उसने बहुत समय बाद अपने लिए ऐसे शब्द सुने तो उसे एक अलग रोमांच का एहसास हुआ एक सुखद और मन को आनदित कर देने वाला एहसास था. वो अपने बेडरूम की ओर बढ़ जाती है और एक टवल उठाकर अपने लंबे काले बालों को पोंछने लगती है.

नीचे अभी भी रश्मि के खूबसूरत और कामुकता से लबरेज बदन पर कयि टिप्पणियाँ हो रही थीं मगर अब वो उन्हे स्पष्ट तौर पर सुन नही पा रही थी. उसे ज़ोर से हँसने और फिर किसी के उँचा चिल्लाने की आवाज़ें सुनाई दी. उसने अपने अंदर एक रोमांच, एक थरथराहट सी महसूस की--उसे समझ नही आया कि यह बारिश में भीगने के कारण लगने वाली सर्दी के कारण है या फिर उसे नीचे हो रही अपनी अश्लील तारीफ उसे इतनी अच्छी लगी थी. चेहरे पर हल्की मुस्कान लिए उसने अपना टवल फेंका और दर्पण के सामने खड़ी हो गयी.

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अपना अक्श शीसे में देखते ही उसके चेहरे से मुस्कान गायब हो गयी. हल्के आसमानी रंग की उसकी गर्मियों में पहनने की ड्रेस बारिश में गीली होकर बुरी तरह उसके बदन से चिपकी हुई थी. उसकी ड्रेस लगभग पूरी तरह से पारदर्शी हो गयी थी और उसकी लंबी टाँगो, पतली सी कमर और भारी स्तनों को पूरी तरह से रेखांकित कर रही थी. उसकी नीले रंग की कच्छि और ब्रा आसानी से देखे जा सकते थे और गीली ड्रेस ने उपर से उसके मम्मों का उपरी हिस्सा नंगा कर दिया था. ध्यान से देखने पर वो अपने निपल अपनी ड्रेस के उपर उभरे हुए देख सकती थी.

"ओओह माइ गॉड!" अपनी हालत आईने में देख कर वो चकित रह जाती है और उसका हाथ उसके मुँह पर चला जाता है. "में तो वास्तव में नंगी ही दिख रही हूँ"

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"हाँ मम्मी ......तुम लगभग नंगी ही हो और.....उन सब ने तुम्हे इस रूप में देख लिया."

आवाज़ सुन कर रश्मि एक दम से पलटी और अपने बेटे को दरवाजे की चौखट से टेक लगा कर खड़े हुए देखा. जलते हुए अंगारो जैसी उसकी आँखे उसे घूर रही थी, उसकी लगभग नंगी काया में गढ़ी जा रही थी. रश्मि की आँखे अबचेतन मन से नीचे की ओर जाती हैं जहाँ वो अपने बेटे की कमर पर एक बड़ा सा टेंट बना हुआ देखती है. प्रतिक्रिया में उसके हाथ उसके स्तन और जाँघो के जोड़ को ढकने के लिए उठ जाते हैं.

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"तुम...तुम्हारे दोस्त कहाँ हैं?" वो सामान्य दिखने की कोशिश करते हुए उससे पूछती है.

"वो तो चले गये"

"मगर बाहर तो अभी भी बहुत जोरदार बारिश हो रही है.....एसी बारिश में वो कैसे....?" रश्मि ने आश्चर्य से पूछा.

"मैने उन्हे जाने को कहा था." रवि चेहरे पर एक अजीब सी भावना लिए हुए था. वो कुछ परेशान सा दिखाई देने के साथ साथ कुछ निडर सा भी दिखाई दे रहा था.

"आइ आम सॉरी बेटा, मुझे मालूम नही था घर पर कोई है, तुम भी अक्सर इस समय घर से बाहर होते हो." रश्मि धीरे से बोलती है "इसमे मेरा दोष नही है कि बारिश के कारण मैं भीग गयी"

"नही वो बात नही है मम्मी...." रवि धीरे से फुसफुसाता है "बात तो बस यह है..... क्या आपने सुना था वो आपके बारे में क्या बोल रहे थे?"

"पूरा नही, कुछ-कुछ, जो वो पहले पहल बोल रहे थे." रश्मि मुस्कराती है. "असल में मुझे काफ़ी ताज्जुब हुआ वो सब सुन कर"

"और फिर वो इससे भी बदतर बोलने लगे"

"क्या कह रहे थे वो?" रश्मि उत्सुकता में पूछती है.

"वो...वो...बोल रहे थे...कि...नही मम्मी में नही बता पाऊँगा. वो बहुत भद्दे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे"

"एसा क्या कह रहे थे वो? मुझे ठीक ठीक बताओ क्या बोल रहे थे वो?" रश्मि धृड़ता से और ज़ोर देते हुए पूछती है.

"वो ...वो कह रहे थे...कैसे मैं आपके साथ इस घर में रह सकता हूँ बिना.. बिना...?"

"मुझे तुम्हारी बात की कोई समझ नही आ रही है. बिना क्या?" रश्मि पूछती है

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"बिना आपको चोदे!!!! उन्होने कहा आप देखने में इतनी गर्म और कामुक दिखती हैं तो मैं आपके साथ एक ही घर में बिना आपको चोदे कैसे रह रहा हूँ? रवि ने तपाक से बोल दिया . "उनके इतना कहते ही मैने उन्हे घर से चले जाने को कह दिया. और तब.. तब...."

रश्मि को एक झटका सा लगा था ये सब जानकर मगर साथ ही उसमे कौतूहल भी जगा था अपने बेटे के दोस्तों के द्वारा हुई उन भड़कीली अश्लील टिप्पणियों को सुन कर.

"और फिर वो सब मुझ पर हँसने लगे और मुझसे बोले कि मैं मन ही मन आपको चोदने की इच्छा रखता हूँ इसलिए सच सुन कर मैं इतना घबरा रहा हूँ और मुझे इतना गुस्सा आ रहा है"

रश्मि की आँखे फिर से नीचे जाते हुए रवि के लौडे पर ठहर जाती है. पूरे दो साल हो गये थे उसे लौडा देखे हुए, चूत में लेने की बात तो अलग रही. वो अपनी नज़रें तेज़ी से उपर उठाती है जब उसे एहसास होता है कि वो अपने सगे बेटे के लौडे को घूर रही है. रश्मि का दिल बहुत जोरों से धड़क रहा था.

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"और...क्या तुमने वाकई में...वाकई में कभी एसा सोचा है?" रश्मि लगभग ना सुन सकने स्वर में बोलती है. "क्या तुम वाकई में मुझे चोदना चाहते हो?"

"माँ....आप....आप मुझे एसा कैसे पूछ सकती हो?" रवि धीरे से बिना साँस लिए फुसफुसाता है.

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"बताओ मुझे! मैं जानना चाहती हूँ! क्या तुम वाकई मे मुझे चोदना चाहते हो?" रश्मि किसी अग्यात भावना के तहत अति कौतूहल से और बैचैनि से अपने बेटे के जवाब का इंतजार कर रही थी.
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"हां...हां! मैं चाहता हूँ." आख़िर में रवि जवाब देता है, उसकी आँखे नीचे फर्श पर टिकी हुई थी. "तुम इतनी सुंदर हो माँ....और तुम्हारे बदन की मादकता मुझे इतनी उत्तेजित कर देती है कि बस मैं खुद पर नियंत्रण नही रख पाता और मैं आप के बारे में वो सब सोचने लग जाता हूँ जो मुझे कतयि भी नही सोचना चाहिए"
 
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जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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मुंबई की बारिश और माँ बेटे का प्यार--2

रश्मि को अपने बेटे की आवाज़ में एक अजब सी प्यास एक अजब सा दर्द महसूस होता है. वो अपने बेटे को कड़ाई से घूरती है. वो दरवाजे से टेक लगाए नीचे देख रहा था. वो उसे उसके पति राजिंदर की याद दिलाता था. असलियत में वो बिल्कुल वैसा ही था जैसा उसका बाप 18 वर्ष की आयु में था. अपने बेटे में अपने पति का अक्श देखकर उसके मन में एक बिजली सी कौंध जाती है. उसे वो समय याद आता है जब राजिंदर उसे पूरी रात चोदा करता था और उसे उत्तेजना और आनद के मारे सिसकियाँ भरने पर मजबूर कर देता था. वो अपने जिस्म में एक दर्द की लहर सी दौड़ती हुई महसूस करती है जो उसकी चूत तक पहुँचकर उसमे आग लगा रही थी.

रश्मि धीरे से अपने बेटे की आँखो में देखते हुए अपने हाथ अपने मम्मों और जाँघो पर से हटा लेती है और गीले और बदन से चिपके वस्त्रो में क़ैद अपनी लगभग नंगी काया अपने बेटे की आँखो के सामने कर देती है.

"क्या तुम्हे...क्या तुम्हे अच्छा लग रहा है जो तुम इस समय देख रहे हो?" वो धीरे से फुसफुसाती है

"माँ...आप..आप अंदाज़ा भी नही लगा सकती!" रवि धीरे से उखड़ते स्वर में जवाब देता है.

"क्या तुमने कभी चोरी छिपे मुझे देखने की भी कोशिश की है?"

"हां ...कुछ एक बार मेने झाँका है" रवि बुदबुदाता है. "केयी बार जब आप नीचे बैठती हैं और आपकी स्कर्ट उपर हो जाती है तो मेने आपकी कच्छि देखी है और कयि बार आपके सूट्स में जब आप नीचे झुकती हैं तो आपके गले में झाँका है"

इसके अलावा और क्या क्या किया है तुमने? बताओ मुझे?" कुतूहलवश और उत्तेजना में वो अपने बेटे के हर राज़ को जानना चाहती थी.

"उम्म...मम्मी... वो मेने आपकी कच्छि के साथ कयि बार.......उनको सूँघा है ...और उनमे अपना....अपना माल गिराया है. में यह सब जान बूझकर नही करता बस अपने आप हो जाता है, मुझसे कंट्रोल नही होता" रवि की आवाज़ अभी भी लड़खड़ा रही थी.

अपने बेटे की मुख से पाप स्वीकृति ने रश्मि के बदन की मादक तपिश को और भी भड़का दिया था. यह जानकर कि उसका सगा बेटा उसे चोदने के सपने देखता है और अपनी सग़ी माँ की कच्छि अपने लौडे पर लपेटकर मूठ मारता है और उसमे अपना माल गिराता है, उसे अपना जिस्म उत्तेजना से काँपता हुआ महसूस हो रहा था. उसके निपल बढ़ कर कड़े हो गये थे और गीली ब्रा में से उभरे हुए नज़र आ रहे थे. उसके मन पर जैसे किसी और का अधिकार हो गया हो और जो भी वो इस वक़्त कर रही थी उसमे उसे कोई शर्म या संकोच महसूस नही हो रहा था. उसे इसमे कुछ भी ग़लत नही लग रहा था बल्कि उसे एसा लग रहा था जैसे वो अपने जिस्म की एक मूल माँग पूरी कर रही थी जिसका कि उसे पूर्णतया अधिकार था.

"अब तक सिर्फ़ काल्पनिक मज़ा ही लिए हो?" रश्मि अपने बेटे की आँखो की गहराई में देखते हुए बोलती है उसके चेहरे पर एक कुटिल और रहस्यमयी मुस्कान थी जैसे उसके दिमाग़ में कोई साज़िश चल रही थी. और तब उसने वो लफ़्ज कहे जिनकी रवि ने कभी अपने सपने में भी आशा नही की थी.

"उम्म्म..म्मथम्म....अगर में तुम्हे एक मौका दे दूं जिसका तुमने आज तक सिर्फ़ सपना ही देखा है.....अगर तुम्हे वाकई में अपनी मम्मी चोदने को मिल जाए तो......" रश्मि बड़े ललचाने वाले अंदाज़ में अपने होन्ट चाटते हुए पूछती है.

"माँ....माँ...आप..सच में...मगर"

रवि की ज़ुबान लड़खड़ा रही थी, उसे यकीन नही हो पा रहा था मगर उस समय उसकी आँखे अविश्वास से फैल जाती हैं जब वो माँ को अपनी ड्रेस की ज़िप खोलते हुए देखता है. ज़िप खुलते ही ड्रेस नीचे फर्श पर गिर जाती है. उसकी मम्मी उसके सामने सिर्फ़ ब्रा और कच्छि पहने खड़ी थी. रश्मि की त्वचा गीली होने के कारण चमक रही थी. वो अपने बेटे की ओर बढ़ती है और उसका हाथ अपने हाथों में लेकर बेड पर जाती है.

रश्मि बेड पर बैठ कर रवि की शर्ट उतारती है और अपने बेटे की मर्दाना छाती पर हाथ फेरते हुए उसकी तारीफ करती है. वो अपनी उंगलियाँ उसके पेट पर नाज़ुकता से घुमाती है और उसके बदन को कसते हुए महसूस करती है जब वो उसे सहलाती है. रवि एक गहरी साँस लेता है जब रश्मि उसकी पेंट की हुक खोल कर उसे नीचे खींचते हुए पैरों से बाहर निकाल देती है. उसका लंड अंडरवेर में एक लोहे की रोड की तरह सख़्त होकर झटके मार रहा था जैसे बहुत गुस्से में हो.

रश्मि अपने बेटे के लंड से निकलने वाले प्रेकुं की मस्की स्मेल को सूंघति है तो उसकी चूत में करेंट दौड़ जाता है. वो अपनी उंगलियाँ उसके अंडरवेर में फँसा कर उसे नीचे खींचते हुए बाहर निकाल फेंकती है. अपने बेटे के उस तगड़े लौडे पर पहली नज़र पड़ते ही उसके मुँह खुला का खुला रह जाता है. रवि का लंड काफ़ी लंबा होने के साथ साथ बहुत मोटा भी था और बुरी तेरह से झटके मार रहा था. उसका लॉडा उसके बाप के लौडे से बड़ा और मोटा था.

रश्मि अपने बेटे के टट्टों को बड़ी नाज़ुकता से सहलाती है और अपना मुँह उसके फूले हुए लंड के बिल्कुल सामने लाती है. वो गहरे लाल सुपाडे को चूमती है और फिर उसका मुँह अपने बेटे के लौडे के अग्रभाग पर कस जाता है. वो धीरे धीरे अपने होंठो को उसके लंड पर पीछे की ओर ले जाती है और साथ ही सुपाडे की चमड़ी को खींच कर पूरी तरह से नंगा कर देती है.

रश्मि अपने बेटे के लौडे को चूस्ते हुए1

अपनी सग़ी मम्मी द्वारा अपना लंड चूसे जाने पर रवि कराहने लगता है. उसकी माँ! उसकी अपनी सग़ी माँ! उसने आज तक किसी सपने में भी नही सोचा था कि एसा मुमकिन हो सकता है मगर यह हो रहा था. उसकी अति सुंदर अति मोहक माँ जिसके बदन के अंग अंग से मादकता टपकती है आज उसके लंड को चूस रही थी. वहाँ हो रहे उस अनुचित कार्य ने उसकी काम पिपासा को कयि गुना बढ़ा दिया और उसका लंड अपनी माँ के मुँह में झटके मारने लगा. उसके हाथ रश्मि की पीठ पर पहुँचते है और उसकी ब्रा की हुक खोल कर उसके उन संदर मम्मों को क़ैद से आज़ाद कर देती हैं.

रवि अपनी मम्मी के मम्मो को हाथों में भरते हुए कस कर मसलता है और हल्के से उसके निप्प्लो को मरोडता है तो रश्मि के मुँह से सिसकियाँ फूटने लगती हैं. उसके निप्प्लो से कामुकता की तरंगे निकल कर उसकी चूत तक फैल जाती हैं और वो अपनी टाँगे कस कर बंद करते हुए अपनी चूत के होंठो को आपस में रगड़ती है.

"आअहह...उफ़फ्फ़...बहुत मज़ा आ रहा है मम्मी. चूसो मेरा लंड.....ज़ोर से चूसो मम्मी!" रवि कराहते हुए बोलता है.

रश्मि अपने हाथ पीछे ले जाकर रवि के चुतड़ों को कस कर पकड़ती है और फिर उसे आगे अपनी ओर खींचती है और अपना मुँह तेज़ी से उसके लौडे पर चलती है. बेटे के लौडे का स्वाद रश्मि को इतना टेस्टी लगा था कि वो लगभग तीन चौथाई लंड मुँह में लेकर चूस रही थी, शायद वो पूरा लंड मूँह में ले लेती अगर यह मुमकिन होता, मगर इतना लंबा मोटा लंड पूरा मुँह में लेकर चूसना उसके बस के बाहर की बात थी. दो साल से भी ज़यादा समय बाद आज वो एक लंड चूस रही थी वो भी आने बेटे का. लंड की रब्बर जैसी त्वचा और उसके मुख से निकलने वाले हल्के हल्के नमकीन रस का वो भरपूर मज़ा ले रही थी.

अपनी माँ द्वारा अपना लंड पूरी कठोरता से चूसे जाने पर रवि संतुष्टि भरी गहरी साँसे लेता है. वो उसके बाल पकड़ कर अपना लंड धीरे धीरे उसके मुँह में आगे पीछे करते हुए अपनी माँ का मुँह चोदने लगता है.

रश्मि अपना हाथ नीचे ले जाकर अपनी चूत को कच्छि के उपर से सहलाती है जिससे उसकी कामुकता और उत्तेजना और भी बढ़ जाती है. कच्छि के अंदर हाथ डालकर वो एक उंगली चूत के होंठो पर फेरती है और फिर अंदर डालकर दाने को मसलती है. रवि अपनी मम्मी को अपनी चूत में उंगली करते हुए देख कर आनंदित होता है और उसका चेहरा और भी जोरों से चोदने लग जाता है, उसे अपने टट्टों में अपना वीर्य उबलता हुआ महसूस होता है.

रवि रश्मि के सिर को पकड़े हुए तेज़ तेज़ धक्के लगाने लगता है. उसका लॉडा उसकी मम्मी के मुँह में झटके मारते हुए ऐंठने लगा था. रश्मि भी बेटे के लंड पर तेज़ी से जीभ चलाते हुए ज़ोरों से सुपर्र सुपर्र कर चूस रही थी. रवि का बदन अकड़ जाता है और फिर एक उँची कराह भरते हुए उसका लंड अपना रस उगलने लगता है.

रश्मि को अपने बेटे के लंड में ऐंठन महसूस होती है और वो खुद को तैय्यार करती है. अपने गालों को फुलाते हुए वो उसके लौडे को ज़ोर से चूस्ति है जब उसका लंड फूलता है और फिर गर्म और गाढ़े रस की पिचकारियाँ उसके मुँह में छूटने लगती हैं. एक के बाद एक गर्म रस की धारा उसके मुँह में फूटती है और वो हर्षौल्लासित होकर अपने बेटे के नमकीन रस का आनंद उठाती है. जब उसे यकीन हो जाता है कि उसके लंड से पूरा रस निकल चुका है तो वो धीरे से अपना मुँह उसके लंड से हटा लेती है.

रवि आँखे फाडे अपनी माँ को अपने लंड से मुँह हटाते हुए देखता है. वो आँखे उठाकर उसे देखती है और अपना मुँह खोलती है और अपने मुँह में भरा वीर्य उसको दिखाती है. और उसी तरह मुँह खुला रखकर वो सिर थोड़ा पीछे की ओर झुकाती है और उसका सारा वीर्य निगल जाती है.

रश्मि द्वारा लंड की जबरदस्त चुसाइ के पश्चाताप रवि अपना रस अपनी मम्मी के मुँह में छोड़ देता है

"एम्म्म....बहुत ही स्वादिष्ट था" रश्मि अपने बेटे की आँखों में बेलगाम कामवासना देखते हुए उत्तेजक स्वर में बोलती है. राजिंदर के मरने के बाद आज उसने पहली बार वीर्य का स्वाद चखा था और राजिंदर के अलावा यह एकमात्र लंड था जिसे उसने देखा था, छुआ था, अपने मुँह में लेकर उसे चूसा और चाटा तभी था.

"ओह मम्मी! आप तो कमाल का लॉडा चुस्ती हो. आज तक किसी ने भी मेरा लॉडा इतने जबरदस्त तरीके से नही चूसा था. मुझे इतना मज़ा आया कि मैं बता नही सकता. आप तो लाजवाब हो!" रवि अत्यधिक उत्तेजित स्वार में बोलता है. यह जानकर के उसके बेटे का लंड किसी ने पहले भी चूसा है, रश्मि का दिल जल उठता है. मगर वो उसकी ओर देखकर मुस्कराती है.

"तो अब तैयार हो मेरी चूत मारने के लिए. अपनी सग़ी माँ की चूत में अपना लंड डालकर उसे ठोकने के लिए" रश्मि बड़े ही नखरीले अंदाज़ में रवि से पूछती है. रवि का लंड झड़ने के बाद कुछ छोटा ज़रूर हो गया था मगर अभी भी पूरी तरह से कठोर था. उसे सेक्स करते हुए गंदे लफ़्ज बोलने में बहुत मज़ा आता था और यह राजिंदर को भी बहुत पसंद था. बेड पर चुदाई के समय वो बहुत सेक्सी अश्लील बातें बोलती थी जिससे चुदाई का मज़ा और भी बढ़ जाता था. वो जानने को उत्सक थी कि क्या उसका बेटा भी अपने बाप की तेरह उसकी इन अश्लील गंदी बातों से उत्तेजित होता है?

रश्मि अपनी टांगे उँची उठाती है और रवि के सामने पूरा नज़ारा पेश करती है अपनी कच्छि उतारने का. वो कच्छि को धीरे धीरे अपनी गान्ड से नीचे खिसकाती है और फिर अपनी गान्ड उपर उठाकर धीरे धीरे टाँगो से नीचे करती जाती है. अब उसकी कच्छि उसके पावं के अंगूठे में झूल रही थी. रवि आगे झुकते हुए उसकी कच्छि उसके पावं से खींच लेता है और उसे अपनी नाक से लगा कर गहरी साँस लेते हुए उसकी खुसबु सूँघता है. अपने बेटे द्वारा अपनी गंदी कच्छि को सूँघते हुए देखकर रश्मि के अंदर का कामवासना का तूफान और भी तेज़ हो जाता है.

"उन्हे फेंक दो रवि और इधर आकर इसे चखो और बताओ इसका स्वाद कैसा है" रश्मि सीसियाते हुए बोलती है.

रवि उसकी टाँगो के बीच में देखता है . उसकी माँ की चूत पर गहरे काले रंग के छोटे छोटे बाल थे. उसकी चूत के होंठ मोटे और सूजे हुए नज़र आ रहे थे और रवि अब और इंतज़ार नही कर सकता था. उसका लॉडा अब बुरी तरह से झटके मार रहा था और अब वो बस उसकी गीली चूत में अपना लॉडा घुसेड देना चाहता था.

अपनी माँ की फैली टाँगो को पकड़ कर वो उसे बेड के किनारे की ओर खींचता है और फिर उन्हे पूरी तरह से फैला देता है. अब रवि अपनी माँ की चूत के अंदर का गुलाबीपन देख रहा था, उसकी चूत बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी. वो अपना लॉडा चूत के मुहाने पर टिकाटा है और उसे अंदर की ओर घुसेड़ता है. उसकी चूत काफ़ी संकरी थी.
 

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जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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मुंबई की बारिश और माँ बेटे का प्यार--3

अपने बेटे का मोटा लॉडा चूत में अंदर जाते ही रश्मि को ऐसे महसूस होता है जैसे कोई भाला उसकी चूत को छेद रहा हो. वो अपने बदन को ढीला छोड़ने की कोशिस करती है. गुज़रे दो सालों में आज पहली बार उसकी चूत में उसकी उंगलियों के अलावा कुछ और घुसा था और उसकी चूत वाकई में काफ़ी टाइट हो गयी थी. रश्मि बेसब्री से अपनी चूत अपने बेटे के लंड पर धकेलती है क्योंकि वो जानती थी जितनी जल्दी रवि का लौडा उसकी चूत में घुस कर उसे खोलेगा उतना ही ज़यादा उन दोनो को मज़ा आएगा.

"ओह मम्मी! तुम्हारी चूत तो किसी कुवारि लड़की की तरह टाइट है.....उफफफ्फ़.....कितनी गरम है" रवि कराहता है.

"असल में ...काफ़ी समय हो गया है...तुम्हारे पिताजी के बाद आज पहली बार चुद रही हूँ में....थोड़ा धीरे बेटा!" रश्मि रवि को समझाती है.

रवि असचर्यचकित होकर थोड़ी देर के लिए रुक जाता है, उसके चेहरे पर अविस्वास के भाव थे.

"तुम...तुम सच बोल रही हो मम्मी....क्या वाकई में आप पिताजी की मौत के बाद..."

"हां मेरे लाल में बिल्कुल सच बोल रही हूँ. अपने पिता के बाद तुम पहले और एकलौते सख्श हो मुझे चोदने वाले" रश्मि उसे बीच में टोकते हुए बोलती है "अब रूको मत. प्लीज़ बेटा, अब जल्दी से अपना लॉडा अपनी मम्मी की चूत में घुसा दे. मुझसे अब और इंतज़ार नही होता."

रवि अपना लॉडा फिर से अपनी माँ की चूत के अंदर ठेलना चालू कर देता है. चूत की गरम दीवारे उसके लंड के चारों तरफ कस गयी थी. वो अपना लौडा धीरे धीरे उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगता है, हर धक्के के साथ गहरा होते हुए उसका लौडा आख़िर में पूरी तरह चूत में घुस जाता है.

रश्मि महसूस करती है कि उसकी चूत उसके बेटे के लौडे की लंबाई, मोटाई के हिसाब से फैल चुकी थी और उसके टट्टों को अपनी चूत के होंटो पर महसूस करके वो राहत की साँस लेती है. शैतानी से वो अपनी चूत की दीवारों को कस्ति है तो रवि के मुख से आह निकल जाती है और वो शैतान माँ अपने बेटे की हालत पर मुस्करा पड़ती है.

"सबाश मेरे लाल! तेरा पूरा लॉडा मेरी चूत घुस गया है. अब मार अपनी माँ की चूत. चोद अपनी माँ को. पूरा ज़ोर लगा कर चोद!" रश्मि कामोउन्माद में सिसियाती है.

रवि को अब किसी और प्रोत्साहन की ज़रूरत नही थी. वो उसकी टांगे पकड़ कर और भी चौड़ी कर देता है और सुपाडे को छोड़ कर वो अपना पूरा लंड बाहर खींच लेता है. उसे उपर की ओर उठाते हुए वो अपना लौडा वापिस उसकी चूत में ठोकता है. रश्मि के मुख से जोरदार सिसकी निकलती है. रवि पूरी ताक़त लगाते हुए अपनी माँ की खौलती हुई चूत अपने लौडे से ठोकने लगता है.

"हां...हां...बस ऐसे ही! ऐसे ही...मेरे लाल. सबाश....चोद मुझे!"

"ठोक मेरी चूत अपने इस मोटे और कड़े लंड से!"

"और ज़ोर से...और ज़ोर से! हां बेटा..ऐसे ही...बस ऐसे ही चोद मुझे!"

रवि को तो जैसे रश्मि की अश्लील भाषा प्रेरणा दे रही थी. वो पूरी कठोरता से अपनी माँ को ठोकता हुए उसकी चूत में गाढ़े गर्म रस को उबलता हुआ महसूस करता है. उसका लॉडा अपनी माँ की चूत में तेज़ी से अंदर होते हुए फॅक फॅक का उँचा शोर पैदा करता है. रवि अपनी माँ को चोदते हुए उसके चेहरे को देख रहा था.

वो वाकई में एक खूबसूरत नज़ारा था. उसका मुँह ऐसे खुला हुआ था जैसे एक मछली पानी के लिए तरस रही हो. उसका चेहरा काम उन्माद और वासना के कारण तमतमाया हुआ था. रवि को लगता है जैसे वो किसी अश्लील फिल्म की शूटिंग कर रहा हो जिसका नायक वो खुद था.

"रुकना मत..उफफफ्फ़...उफफफफफ्फ़......और अंदर तक...और ज़ोर से..."

"ठोक मेरी चूत....ठोक अपनी माँ की चूत.....हे भगवान....हाए...हाए.......उफफफ्फ़....चोद अपनी माँ को.......चोद डाल"

रश्मि का जिस्म अकड़ जाता है और वो बुरी तरह से काँपने लग जाती है. वो झड रही थी और उसकी चूत कसते हुए रवि के लंड को निचोड़ रही थी. उसका बदन आनंद के चरम पर पहुँच कर झटके खा रहा था.

जब रवि अपनी माँ की चूत द्वारा अपने लंड को भींचते और कसते हुए महसूस करता है तो वो घस्से लगाना बंद कर देता है. वो अचंभित सा अपनी माँ को झड़ते हुए देखता है और इसमे एक जबरदस्त रोमांच का अनुभव करता है. जब रश्मि का झड़ना कुछ कम हो जाता है तो वो पूरी निर्दयता से अपना लंड उसकी चूत में दुबारा से घुसेड देता है और उसको बुरी तरह से चोदने लगता है.

"ओह.........ओह माँ.......ओह माँ! हॅयान्म चोद मुझे...... चोद अपनी मम्मी को...... ऐसे ही मेरे लाल.... चोद चोद कर फाड़ डाल मेरी चूत!"

"और ज़ोर से...और ज़ोर से....चोद अपनी माँ को जिसे चोदने के तू बरसों से सपने देखा करता था. ....हाए में मरी....उफफफ्फ़.....कितना मोटा लॉडा है मेरे लाल का....लगा दे पूरा ज़ोर.....मेरे बेटे...ऐसे ही चोद....उफ़फ्फ़ में फिर से झड़ने वाली हूँ....में फिर से झड़ने वाली हूँ...."

"देख कैसे तेरे मोटे लौडे ने मेरी चूत फैला दी है. तूने अपनी माँ की चूत का क्या हाल कर दिया है बेटा........हाए मेरी चूत...उफफफफ्फ़....हे मेरे भगवान .....आज तो लगता है में मज़े से मर ही जाऊंगी....मेरे लाल में तो तुझे बता भी नही सकती कि तू मुझे चोद कर कितना मज़ा दे रहा है. ....उफ़फ्फ़...कितना मज़ा है अपने बेटे से चूत मरवाने में ....अहह....हाँ और गहराई तक ठोक अपनी माँ की चूत......जड तक घुसेड अपना लॉडा......उफफफफफ्फ़

"अहह...आह. चोद डाल.....चोद डाल माँ को........हे भगवान मेरा निकलने वाला है....में झड रही हूँ....मेरे साथ साथ तुम भी बेटा....गिरा दो अपना माल मेरी चूत में.....भर दे अपनी मम्मी की चूत अपने गरम रस से..."

रवि आँखे बंद किए और दाँत भिंचे पूरे ज़ोर से अपनी माँ को चोदे जा रहा था. वो अपने टट्टों में वीर्य उबलता हुआ महसूस करता है और फिर हलाल होने वाले बकरे की तरह एक उँची कराह भरते हुए एक आखरी धक्का लगा कर अपना लॉडा अपनी माँ की चूत की जड तक पहुँचा देता है.

रश्मि अपनी चूत में जबरदस्त ऐंठन महसूस करती है और फिर उसकी चूत में गर्म वीर्य की बरसात सी होने लगती है. उसका मुँह एक घुटि चीख के रूप में खुल जाता है और कामोउन्माद के शिखर पर उसे उस वो आनंद प्राप्त होता है जिसके लिए वो पिछले दो सालों से तरस रही थी. उसकी चूत अति संकुचित होकर रवि के लौडे को निचोड़ रही थी. आनंद की चर्म अवस्था में वो अपना बदन झटक रही थी और उसके मुख से अनियंत्रित सिसकारियाँ फुट रही थी. धीरे धीरे उसका बदन शांत होने लगा और वो नज़र उठाकर अपने बेटे को देखती है जो अभी भी उसकी चूत में गहराई तक लंड घुसेडे हुए था.

"ओह बेटा..."वो सिसकती है. "तुमने तो कमाल कर दिया. एसा मज़ा जिंदगी में पहली बार मिला है."

"सच कहूँ मम्मी.....यह तो मेरी कल्पना से भी कही ज़यादा मज़ेदार था. उफ़फ्फ़ आपकी चूत....आपकी चूत का तो कोई जवाब नही...में हमेशा सोचा करता था कि कैसे लगेगा आपको चोद कर, अपनी मम्मी को चोद कर! मगर आज जब मेने आपको चोदा तो जाना ऐसे मज़े के बारे में तो कल्पना भी नही की जा सकती."

"मेरे ख़याल से मुझे चोदते वक़्त तुम्हे मुझे मम्मी कह कर नही पुकारना चाहिए" रश्मि हंसते हुए बोलती है.

"अच्छा! तो फिर में आपको क्या कह कर पुकारूँ?"

"मुझे नही मालूम" रश्मि हंसते हुए जवाब देती है"कुछ भी कह कर बुला सकते हो-गश्ती, रांड़, भोसड़ी की...कुछ भी...और चाहो तो मुझे सिर्फ़ रश्मि कह कर भी पुकार सकते हो."

"ओके! में आपको रांड़ नही मेरी रांड़ ...उम्म्म्म या फिर मेरी रंडी माँ. या फिर साली कुतिया.....उम्म्म सोचना पड़ेगा! मगर आपको चोदने के समय मम्मी कह कर पुकारने में भी अलग ही मज़ा है. यह एहसास कि में अपनी सग़ी माँ को चोद रहा हूँ अलग ही मज़ा देता है....मगर सोचना पड़ेगा...'

"हाँ वाकई में जब तुम अपना लॉडा मेरी चूत में फँसाए मुझे मम्मी मम्मी कहोगे तो मज़ा दुगना हो जाएगा. मगर ध्यान रहे तुम सिर्फ़ मुझे चोदने के वक़्त ही ऐसे नामों से या गालियाँ देकर पुकार सकते हो मगर बाकी पूरे समय में तुम्हारी माँ ही रहूंगी. और इस बात को कभी भूलना नही"

"नही भूलूंगा. वैसे भी आज आप को चोदकर मैं भी मादरचोद बन गया हूँ"

"एक बहुत ही बढ़िया और जानदार मादरचोद." रश्मि हँसती है और महसूस करती है रवि ने उसकी चूत से अपना लॉडा निकाल लिया था. "तुम्हारा बाप इस चूत को चोदते हुए कभी थकता नही था अब देखना है तुममे कितना दमखम है"

इस तरह दोनों माँ बेटे के बीच जब सेक्स का अवैध रिश्ता बना तो फिर कोई शर्म या संकोच की भावना नही रही और दोनो अपना जीवन प्यार और वासना के साथ अपना सुख पूर्वक गुजरने लगा

दोस्तो इसी के साथ विदा लेता हूँ फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ आपका दोस्त राज शर्मा



समाप्त
 

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मेरा नाम स्नेहा है, मेरी उम्र 28 साल की है, मेरे घर मे मेरे मम्मी पापा और मेरा एक भाई जिसकी उम्र 31 साल की है। उनकी शादी हो चुकी है, उनकी बीवी दिखने मे कुछ खास नहीं है और थोड़ी मोटी भी हैं। पर मेरे भाई ने उनसे इसलिए शादी की है, क्योंकि वो अपने घर मे इकलौती लड़की है और उनकी बहुत प्रॉपर्टी भी है। भैया के ससुराल वालों ने भैया के लिए अलग से बिज़्नेस के लिए पैसे दिए थे।

इसलिए भैया हमारे साथ घर मे नहीं रहते है और ना ही अपने ससुराल मे रहते हैं, बल्कि वो हमारे ही शहर में अलग घर में भाभी के साथ रहते हैं। अब मैं आपको अपने बारे मे बताती हूँ। दोस्तों मैं देखने मे बहुत सुंदर पतले बदन की मालकिन हूँ, मेरे चेहरे पर होंठों के नीचे एक मस्सा है, मैं हमेशा साड़ी ही पहनती हूँ। क्योंकि मेरी सहेली कहती है कि में साड़ी पहनकर बहुत सुंदर दिखती हूँ और मुझे भी साड़ी पहनना पसंद है। मैं अपनी पढ़ाई पूरी करके एक मोबाइल कॉम्पनी मे एक कंप्यूटर ऑपरेटर का काम करती हूँ। मेरे साथ काम करने वाले सारे लड़के और मेरे बॉस भी मुझसे बात करने का बहाना ढूँढते हैं। सभी मुझे मज़ाक मज़ाक मे छेड़ते रहते है और हमेशा मेरी तारीफ करते हैं।
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ये सभी बातें मुझे भी अच्छी लगती हैं क्योंकि कौन लड़की अपनी तारीफ़ नहीं सुनना चाहती है। मेरे पापा पोस्ट ऑफीस मे बाबू हैं और मेरी माँ हाउसवाईफ। मैं अपने घर मे शुरू से ही बहुत प्यार से पली बढ़ी हूँ। मेरे भैया और भाभी भी मुझे बहुत चाहते है और भैया खर्चे के लिए आए दिन पैसे देते रहते हैं। भाभी भी अक्सर घर आती है और मेरे लिए कुछ ना कुछ लाती ही हैं मेरी भी भाभी से खूब बनती है मेरी भाभी काफ़ी मजाकिया है।
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मैं उनके साथ घंटों बैठ के बातें किया करती हूँ खाली समय पर मैं भैया भाभी के घर जाकर भाभी से गप्पे लड़ाती हूँ। मैं घर पर खुले माहौल मे रही हूँ। घर पर मेरी सारी जायज़ या नाजायज़ माँगों को माना जाता है। मेरी जिंदगी मे मुझे सब कुछ मिला, मोबाइल कॉम्पनी मे जॉब करने का आइडिया भी मेरा था। शुरू मे जब मैने ये बात बताई तो माँ ने कहा बेटी तेरी शादी की उम्र निकलती जा रही है, तेरे लिए कई रिश्ते आ रहे है, एक तो तू शादी नहीं करना चाहती और अब तू जॉब करना चाहती है। तुझे किसी चीज़ की कमी तो है नहीं, फिर तू जॉब क्यों करना चाहती है? तो मैने उनकी बात पर ज़्यादा ध्यान ना देते हुए अपनी मर्ज़ी से जॉब कर लिया। फिर माँ भी चुप हो गयी पर सच्चाई तो यही थी की मेरे साथ की लगभग सभी लड़कियों की शादी हो चुकी थी और जो भी लड़कियाँ बची थी उनकी शादी की बात चल रही थी ये बात कहीं ना कहीं मेरे मन मे भी थी। पर ये बात भी सच थी कि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती थी। मैं तो जिन्दगी को और बहुत अच्छे से जीना चाहती थी।
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लेकिन मेरे जज्बात अंदर से अंगड़ाई लेने लगे थे और में मन ही मन में वो सब करके देखना चाहती थी, जो एक औरत और एक मर्द आपस में करते हैं। मेरे ऑफीस मे हम तीन लड़कियाँ थी और बाकी सभी लड़के मेरे साथ की एक लड़की रीना का अफेयर हमारे बॉस से था। वैसे तो हमारे बॉस की नज़र मुझ पर थी, पर वो मुझे कभी भी ऐसे नहीं लगे। जिस पर मैं अपना दिल हार जाऊं इसलिए मैं उन्हे हमेशा उन्हे अनदेखा करती थी। मेरे साथ काम करने वाली लड़की रीना ने भी मुझे बॉस के मेरे बारे मे उनकी गंदी सोंच को बताया, पर मैने कभी भी ध्यान नहीं दिया, पर रीना ने मुझे अपने और बॉस के बीच में हुए सेक्स के बारे मे कई बार बताया था। जिसे सुनकर मेरे अंदर भी एक हलचल सी मच गयी और मेरे मन मे भी सेक्स करने की बहुत इच्छा हुई। हमारे ऑफीस मे मेरे साथ एक लड़का और काम करता था उसका नाम था रोहित वो कम बोलता था और देखने मे भी सीधा साधा था। ऑफीस के लड़को मे वो ही एक ऐसा था जो कि मुझसे कम बात करता था। हाँ लेकिन एक बार उसने मुझे चाय के लिए बाहर होटल मे जाने को ज़रूर बोला था।

लेकिन मुझे अच्छे से याद है कि उस वक़्त भी उसके पसीने छूट गये थे। मुझे उसकी मासूमियत भा गयी थी और मैं उसे मन ही मन चाहने लगी थी और अब जबकि रीना की बातों से मेरा मन मचल गया था। उस समय मेरे मन मे सिर्फ़ रोहित ही घूम रहा था मेरा मन रोहित के साथ में सेक्स करने को उतावला हो गया और मैं रोहित को पाटने के तरीके सोचने लगी और शाम को जब ऑफीस की छुट्टी हुई तो मैं रोहित के पास गयी और उससे बात करने लगी।

मैं : हाय रोहित क्या काम खत्म कर लिया तुमने?

रोहित- हाँ काम पूरा हो गया अब में घर पर ही निकल रहा था।

मैं : तो तुम घर जाकर टाइम पास के लिए क्या करते हो ?(यहाँ मैं आपको एक बात बता दूं की रोहित का परिवार दूसरे शहर का रहने वाला है और रोहित यहाँ पर एक किराए के कमरे मे अकेला रहता है।

रोहित : कुछ नहीं घूम फिर के या किताबें पढ़कर जैसे तैसे टाईम कट जाता है।

मैं : क्या कभी तुम्हे घर वालों की याद तो आती होगी?

रोहित : हाँ आती तो है पर क्या करूँ काम के कारण साल मे दो या तीन बार ही जा पता हूँ।

मैं : अरे लगता है मैने तुम्हे घरवालों की याद दिलाकर तुम्हे दुखी कर दिया है मुझे माफ़ कर दो प्लीज।

रोहित : ठीक है लेकिन ऐसी कोई बात नहीं है।

मैं : अच्छा चलो आज हम कहीं चाय पीने चलते है, मेरी ये बात सुनकर रोहित मेरी ओर एकटक देखने लगा, जैसे की मेरा चेहरा पढ़ रहा हो, उसका मेरी ओर इस तरह देखना अजीब सा लगा और मैने उसे टोकटे हुए कहा क्या हुआ, मेरी बात सुनकर वो हड़बड़ाते हुए बोला हाँ कुछ नहीं, फिर मैने कहा तो चाय पर चलें उसने मुस्कुराते हुए हाँ मे सर हिला दिया और बोला कहाँ चलें उसकी बात सुनकर मैं सोच मे पड़ गई फिर कुछ देर सोचने के बाद कहा क्यों ना तुम्हारे घर पर चलें एक बार फिर हैरत से मुझे देखने लगा मैं आज तक उसके घर नहीं गयी थी।
कुछ देर तक मुझे देखने के बाद उसने बिना कुछ बोले अपना बैग उठाया और हम ऑफीस से बाहर आ गये, मेरे इस तरह से खुलने के कारण ही शायद अब वो पूरे रास्ते मुझसे खुल के बातें करने लगा और हम इधर-उधर की बातें करते हुए उसके रूम पहुँचे उसका कमरा शहर के बीच मे दूसरी मंज़िल पर था। शहर के बीच मे होने के बावजूद भी मुझे उसके कमरे मे सन्नाटा सा लगा। रूम मे बैठ कर हम बातें करते रहे, फिर मैंने कहा चाय पीने तो आ गये, पर क्या तुम्हे चाय बनानी आती है।

तो जवाब मे उसने मुस्कुरा कर कहा तुम पी कर बताना और उठ कर चाय बनाने चला गया और इस बीच मैं सोचने लगी कि अब आगे क्या करूँ। रोहित चाय बनाकर ले आया और उसने एक कप मेरे हाथ मे थमा दिया और हम चाय पीने लगे फिर मैने कुछ सोचकर कहा तुम बहुत प्यारे हो रोहित, वरना आज कल के लड़के तो बस लड़कियों के पीछे ही लगे रहते हैं, तुम्हारी ये मासूमियत मुझे भा गयी है, ये सुनकर रोहित खुश होता हुआ बोला अगर तुम बुरा ना मानो तो में भी एक बात कहूँ तुम बुरा तो नहीं मानोगी।

मैने कहा अरे तुम तो बोलो ना मैं कभी बुरा नहीं मानूँगी।

रोहित बात ये है कि तुम हो ही इतनी सुंदर की कोई भी तुम्हारे पीछे पड़ जाए, मन तो मेरा भी करता है कि तुम्हारे जैसी मेरी भी गर्लफ्रेंड हो, पर डरता हूँ की तुम बुरा ना मान जाओ। आज रोहित के मुहं से ये बातें सुनकर मैं थोड़ो हैरान हो गयी कि क्या ये वही रोहित है, जो मुझसे बात करने मे हमेशा कतराता था और आज इतना कुछ बिना किसी झिझक के बोल रहा है। खैर मैं भी यही चाह रही थी। मुझे आज मेरी मंज़िल दिखाई दे रही थी और मैने कहा रोहित सच तो यह है कि में भी तुम्हे बहुत प्यार करती हूँ। ये सुनकर रोहित कहा की सच और मेरे हाथों को अपने हाथों मे लेकर सहलाने लगा और मैने जान बूझकर अपना सर रख के आखें बंद करके खो गयी, जब मैं थोड़ो सम्भल कर सर को ऊपर किया तो मेरी नज़र घड़ी पर गयी। अब आठ बज गये थे और मैने घर पर फोन भी नहीं किया था। मैं हड़बड़ाकर उठी और रोहित से कहा रोहित अब मैं चलती हूँ, आज मुझे बहुत देर हो रही है। अभी रोहित भी गरम होने लगा था उसने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा प्लीज मत जाओ ना, तुम्हे घर ही तो जाना है। आज कोई बहाना कर दो। मैने हाथ छुडाते हुए कहा रोहित इतना उतावलापन भी ठीक नहीं है। मैं कहीं भागी थोड़ी ही जा रही हूँ, हम कल फिर मिलेंगे कहते हुए मैं सीढ़ियों से नीचे आ गयी और मुड़कर देखा तो पाया रोहित मुझे ऊपर से देख रहा था और मैं घर पर आ गयी।

घर पर भी मैं ठीक से खाना नहीं खा पाई। मुझे पर एक खुमारी सी छा गयी थी। रात को 10 बजे रोहित का फोन आया और मैं बेडरूम मे थी। इसलिए मम्मी पापा को पता नहीं चला और हम बातें करते रहे और फोन पर ही प्लान बनाया की कल हम ऑफीस ना जाकर रोहित के रूम मे मिलेंगे। फिर में सुबह का इंतज़ार करने लगी। मेरे मन मे हज़ारों अरमान मचलने लगे और मुझे आने वाले कल के बारे मे सोचकर नींद नहीं आ रही थी। खैर मैने जैसे तैसे आँखों ही आँखों में रात काटी और सुबह नहाकर अपनी नयी साड़ी जो की पिंक कलर की थी, मेंचिंग ब्लाउस के साथ पहनी। अंदर ब्लैक कलर की पेंट और ब्लैक कलर की ब्रा पहन रखी थी और साथ ही मेचिंग पिंक कलर की लिपस्टिक लगाई और फिर रोहित के घर की और चल दी जैसे जैसे मैं रोहित के घर की और बढ़ रही थी मेरी सांसे तेज़ी से चलने लगी और में रोहित के घर पहुँची। रोहित का घर खुला हुआ था दरवाजे को धकेल कर मैं अंदर गई तो देखा कि रोहित घरेलू कपड़े मे पलंग पर लेटा हुआ था। मेरे अंदर आते ही उसने जाकर दरवाजा बंद कर दिया और मुड़कर मेरी ओर देखने लगा। तो मैने कहा क्या देख रहे हो उसने कहा आज तो तुम स्वर्ग की अप्सरा लग रही हो।
उसकी बात सुनकर मेरी गर्दन शरम से झुक गयी उसने मुझे हाथों से पकड़कर पलंग पर बिठा दिया और खुद भी पलंग पर बैठ गया और मेरे चेहरे को अपने हाथों से थामकर अपनी ओर किया और मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिये, मैं जानबूझ कर दिखावे के लिए नाटक करने लगी। रोहित ने होठों को किस करते हुए मुझे अपने से सटा लिया जिससे मेरे बूब्स रोहित की छाती से दबने लगे और मेरे मुहं से सिसकारियाँ निकालने लगी, मैं अह्ह्ह की आवाज करने लगी जिससे रोहित की और हिम्मत बढ़ी और उसने अपना एक हाथ मेरे बाई तरफ के बूब्स पर रख दिया और मेरे बूब्स पर अपने हाथ फेरने लगा जिससे मेरी सांसे और तेज़ी से चलने लगी और रोहित ने अपना हाथ मेरे बूब्स पर जमा दिये और ज़ोर -ज़ोर से दबाने लगा जिससे मुझे दर्द होने लगा। लेकिन साथ ही साथ मैं परम सुख की अनुभूति कर रही थी और मेरे मुहं से जोरो की सिसकारियाँ निकालने लगी और मेरे मुहं से अह्ह्ह्ह की आवाजे निकालने लगी। रोहित भी मेरी मादक आवाज सुनकर गरम हो गया था।
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अब उसने मेरी साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिरा दिया और किस करना छोड़ कर मेरी साड़ी को खींचने लगा जल्दी ही उसे कामयाबी मिल गयी और मैं पेटीकोट और ब्लाउस में आ गयी। अब उसने बिना समय गँवाए अब वो मेरे ब्लाउस के बटन खोलने लगा और कुछ समय मे मेरे ब्लाउस को मेरे शरीर से अलग कर दिया और मैं रोहित के सामने सिर्फ़ ब्लैक ब्रा मे थी। जिसमे से मेरे बूब्स ब्रा को फाड़कर बाहर आने को तड़प रहे थे। उधर रोहित बिना रुके मेरे पेटीकोट की ओर बढ़ा और देखते ही देखते मैं ब्लैक पेंटी और ब्रा मे थी।
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अब रोहित ने ब्रा के ऊपर से ही मेरे बूब्स को दबाने लगा और में मस्त होकर अह्ह्हन्ह्ह्ह करने लगी और रोहित ने अपने हाथ मेरी पीठ के पीछे लाकर ब्रा का हुक भी खोल दिया और ब्रा को मेरे शरीर से निकालकर मेरी गुलाबी निप्पल को देखने लगा और फिर मेरे दोनो बूब्स को अपने दोनो हाथों से दबाने लगा और अपने मुहं से एक बूब्स को चूसने लगा मुझे गुदगुदी और उत्तेजना से अब मेरे रोंगटे खड़े हो गये और मैं आँखें बंद करके अपने दातों से अपने होठों को चबाने लगी थी।
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मैं अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थी। फिर रोहित ने अपना एक हाथ मेरी पेंटी मे डाल कर मेरी चूत मे अपनी उंगली डालने लगा। जैसे ही रोहित ने अपनी उंगली मेरी चूत मे डाली मैं चीख उठी और कुछ ही देर बाद मैं भी अपना चुतड उठाकर उसका जवाब देने लगी। अब मेरा सब्र का बाँध टूटने लगा था और इसी बेसब्री मे मेरा हाथ रोहित के लोवर के ऊपर उसके लंड पर चला गया। रोहित भी शायद मेरी बेताबी को समझ गया और मुझे छोड़कर वो अपने कपड़े उतारने लगा।
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मैने पहली बार किसी मर्द को पूरा नंगा देखा था। मुझे रोहित का लंड उस समय बहुत प्यारा लग रहा था और में एकटक उसके लंड को देख रही थी। इसी बीच रोहित ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया मैं भी उसके लंड को पकड़कर उसकी टोपी को आगे पीछे करने लगी और रोहित ने मुझे किस करना शुरू किया वो इस बार मेरे सारे चेहरे पर किस करने लगा और अचानक ही उसने मुझे किस करना छोड़ कर मुझसे बोला यार स्नेहा तुम इतनी सुंदर हो लेकिन तुम्हारे होंठों के नीचे ये मस्सा चाँद पर ग्रहण जैसा लग रहा है, प्लीज़ इसे हटा देना। इस पर मैने कहा की अगर तुम्हे पसंद नहीं तो मैं इसे कल ही काट दूँगी। मेरी इस बात को सुनकर रोहित ने मुझे जोश मे आकर गले से लगा लिया और मुझे उठा कर पलंग पर लिटा दिया और और मेरी चूंचियों को मसलने लगा।
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मैं अपने जोश के चरम पर थी मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था। इसी जोश मे मैने रोहित से कहा की रोहित प्लीज़ तुम्हे जो करना है बाद मे कर लेना अभी मुझसे सहा नहीं जा रहा है प्लीज़ मेरी प्यास बुझाओ मेरी बात सुनकर रोहित ने मेरे पैरों को फैलाया और अपना लंड मेरी चूत मे रगड़ने लगा अब मेरी चूत मे तेज़ खुज़ली होने लगी और मैं रोहित के लंड अंदर डालने का इंतज़ार करने लगी और मैने आखें बंद कर ली अचानक ही मुझे मेरी चूत के पास कुछ गरम-गरम सा लगने लगा। मैने आखें खोल के देखा तो रोहित मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ के ठंडा हो गया था शायद वो झड़ चुका था और मेरी बगल मे आखें बंद करके लेटा हुआ था।
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तभी मैं गुस्से से तिलमिला उठी और बिना कुछ बोले बाथरूम मे जाकर अपनी चूत के पास से रोहित के वीर्य को साफ किया। वापस आकर जल्दी से मैने कपड़े पहनने लगी तब रोहित ने आखें खोलकर बोला, सॉरी ज़्यादा जोश की वजह से में जल्दी ही झड़ गया था। लेकिन तुम बिलकुल भी चिंता मत करो। मुझे कुछ देर का समय दो में तुम्हे दोबारा लंड दूँगा। मैने अपने कपड़े पहन लिए थे। मैने रोहित को गुस्से मे कहा कि तुम क्या मेरी प्यास बुझाओगे तुम तो दो मिनट में ही झड़ गये थे।

लेकिन तुम आज के बाद मुझसे किसी भी प्रकार का संबंध रखने की कोशिश मत करना वरना इसका अंजाम तुम सोंच भी नहीं सकते। रोहित ने पलंग से उठते हुए कहा स्नेहा मेरी बात तो सुनो पर मैंने उसकी एक भी बात बिना सुने ही उसके घर से बाहर आ गयी रोड पर चलते हुए अपने आप झल्लाई हुई सी जाने लगी। फिर मैने सोचा अभी घर जाना ठीक नहीं होगा वैसे भी मैं ऑफीस के नाम से घर से निकली थी, इससे अच्छा है की में भाभी के पास जाती हूँ।
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इसी बहाने मेरा मन भी बहाल जाएगा, ये सोचकर मैं भैया के घर की ओर चल पड़ी …
फिर मैं ऑटो से भैया के घर पहुँची। डोर बेल बजाई तो दरवाज़ा भैया ने खोला। भैया बानियान और लूँगी मे थे। मुझे देखका बोले अरे स्नेहा तुम अभी तो तुम्हारा ऑफीस टाइम है, यहाँ कैसे तो मैने कहा आज भाभी से मिलने की इच्छा हुई तो आ गयी और ऑफीस से छुट्टी ले ली लेकिन आप आज घर पर कैसे? मैने पूछा जवाब मे भैया ने बताया की तुम्हारी भाभी कई दिनों से मायके जाने की ज़िद कर रही थी, तो मैं उसे अभी-अभी छोड़कर आ रहा हूँ

मैने आज काम भी बंद कर दिया है, अरे तुम बाहर क्यों खड़ी हो अंदर आओ। भाभी नहीं है तो क्या हुआ भैया से बातें करो और मैं उदास मन से अंदर आई और सोफे पर बैठ गयी और भैया भी सामने बैठ गये फिर भैया ने कहा एक मिनट रूको मुझे एक दो फोन करने हैं मैं अभी आता हूँ।
फिर हम दोनो बैठकर ढेर सारी बातें करेंगे, मैने भैया से कहा भैया तब तक मैं नहा लेती हूँ। (क्योंकि अभी तक मेरे शरीर मे वासना की आग जल रही थी) और मैं नहाने चली गयी
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और नहाकर फिर से सोफे पर आकर बैठ गयी। जहाँ भैया बैठकर टीवी पर गाने देख रहे थे और मेरे आते ही उन्होने मुझसे पूछा और बताओ कैसा चल रहा है तो मैने कहा कुछ खास नहीं भैया।
भैया : एक बात बताओ स्नेहा अब तुम्हारी शादी की उम्र निकली जा रही है क्या तुम शादी नहीं करोगी।

मैं : नहीं भैया मैं अभी शादी के लिए तैयार नहीं हूँ।

भैया : सही समय मे शादी हो ही जाना चाहिए बाकी फिर तुम्हारी मर्ज़ी।

मैं : भैया एक बात बताओ क्या मेरे चेहरे पर ये मस्सा अच्छा नहीं लगता ?

भैया : हट पगली ये मस्सा तुम पर बहुत खिलता है, जैसे की बच्चे के चेहरे पर काला टीका पर आज तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो।

मैं : मेरे दोस्त कहते हैं की ये मुझ पर अच्छा नहीं लगता और इसे कटा लो।

भैया : अच्छा तुम्हारा कोई भरोसा भी नहीं है, तुम इसे कटा भी सकती हो, वैसे भी तुम जो भी चाहती हो कर लेती हो, इतना कहकर भैया अचानक सोफे से उठे और मेरे चेहरे को अपने हाथों से थामकर मेरे होठों के नीचे मेरे मस्से को किस करने लगे मैं हड़बड़ाकर बोली भैया मत करो ना प्लीज़, ये तुम क्या कर रहे हो। तो भैया ने कहा कल के दिन तुम इस मस्से को काट दोगी, इससे पहले मैं इसे जी भर कर चूम तो लूँ।
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मैं भैया के पंजे से खुद को छुड़ाते हुए बोली ठीक है भैया मैं इसे नहीं कटाउंगी, ये कहते हुए मैने खुद को उनसे छुड़वाया, भैया ने मुझे अपने हाथो से आज़ाद करते हुए कहा तुम मुझे कितना चाहती हो मेरे कहने पर तुम ये मस्सा नहीं कटवा रही हो, क्या मैं तुम्हे एक बार किस कर लूँ? मैने कहा क्या इससे पहले किस करने से पहले पूछा था। ये सुनकर शायद भैया ने इसे मेरा खुला निमंत्रण समझा और मुझ पर टूट पड़े और मेरे चहरे को अपने दोनो हाथों से पकड़कर सोफे से उठाते हुए मेरे मस्से को छोड़कर अब सीधे मेरे होठों पर हमला कर दिया और मुझे अपनी छाती से चिपका लिया और जो आग मेरे अंदर लगी थी फिर से भड़कने लगी और इसी जोश मे मैने अपने हाथों को उनकी पीठ पर फेरने लगी कुछ देर ऐसे ही किस करते रहे फिर मैने खुद को संभाला और भैया से बोली भैया ये ग़लत है,
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आप मेरे सगे भाई है, जवाब मे भैया ने कहा भाई वहाँ पर ही भूल जा तू कब तक ऐसे ही अपनी जवानी को लेकर घूमती रहेगी मुझसे तेरी ये हालत नहीं देखी जाती है। अब जब तक तेरी शादी नहीं हो जाती तू मुझसे अपनी इच्छाओ की पूर्ति कर लिया कर और कौन सा हम सबके सामने ऐसा कर रहे है। इस बात का पता किसी को नहीं चलेगा ये बोलते हुए फिर से मुझे किस करने लगे और मैं भी उनका साथ देने लगी फिर भैया ने मेरी चुचियों को मुट्ठी भरकर ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगे और मैं मुहं से सिसकारियाँ निकालने लगी।
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फिर भैया ने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए मेरे, शरीर पर सिर्फ़ पेंटी ही थी और भैया मुझे उठा कर बेडरूम मे लेकर गये और मुझे पलंग पर पटक दिया और खुद अपने कपड़े निकालने लगे जब भैया ने अपना अंडरवियर उतारा तो मैं उनका लंड देखकर में तो डर ही गयी, रोहित का लंड भैया के लंड के मुक़ाबले छोटा था और उसका लंड देखकर मुझे डर भी नहीं लगा था।
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भैया के लंड को देख कर में सिहर गयी, मैने डरते हुए भैया से कहा भैया ये तो बहुत बड़ा है मुझे नहीं करवाना है। इस पर भैया बोले तू भी पागल है, कभी अपनी भाभी को देखा है, क्या वो तुम्हे दुखी लगती है, वो इसे पाकर ही तो इतनी खुश रहती है और तुम चिंता मत करो अभी में हूँ ना। ये कहकर वो भी पलंग पर चड़ गये और मेरे बूब्स को ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगे मेरे मुहं से आ ऊहहाः की आवाज़ आने लगी और मैं भैया के लंड को अनदेखा करने लगी।
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तभी भैया ने एक हाथ मेरी पेंटी के अंदर डाला
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और उनका हाथ मेरी चूत के आस पास के बालो पर घूमने लगे और भैया ने मेरी पेंटी उतार दी और मेरी चूत की और देखते हुए कहा क्यों स्नेहा क्या तुम अपने चूत के बाल को साफ नहीं करती हो।
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जवाब मे मैने कहा नहीं भैया ये सब मुझसे नहीं होता है। तो भैया ने कहा चलो आज मैं ही तेरे बाल साफ कर देता हूँ।
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मैने कहा भैया अगर कट गया तो? भैया ने कहा तुम चिंता मत करो तुम्हारी भाभी के भी मैं ही साफ करता हूँ। कुछ नहीं होगा और फिर भैया ने मुझे अपनी गोद मे उठाकर बाथरूम मे ले गये और वहाँ मुझे फर्श पर बिठाकर मेरी चूत के बाल मे खूब सारा साबुन लगाया और उस्तरे से मेरे सारे बाल साफ किये।
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बाल साफ करने के बाद मेरी चूत फूली हुई पवभाजी की तरह लग रही थी। जिससे कुछ बूंदे पानी की निकल रही थी। भैया ने मेरी चूत को हाथों से सहलाया और कहा स्नेहा तेरी चूत तो बहुत मस्त है।भैया के मुहं से चूत शब्द सुनकर में शरमा गयी फिर मुझे गोद मे लेकर फिर से पलंग पर पटक दिया और मुझ पर चड़ कर मेरे निप्पल को अपने मुहं मे लेकर चूसने लगे
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बीच बीच मे वो अपने दातों से निप्पल को काट देते थे जिससे मैं चीख जाती थी अब भैया ने निप्पल चूसते हुए अपना एक हाथ मेरी चूत मे ले जाकर अपनी एक उंगली घुसा दी मैं भी चूतड़ उछालकर साथ देने लगी फिर भैया ने निप्पल को छोड़कर अपना मुहं मेरी चूत की तरफ लेकर गये और अपने दोनो हाथों से मेरी चूत के होठों को फैलाकर उसमे अपनी जीभ डाल दी।
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मेरे सारे शरीर पर मानो हज़ारों चीटियाँ दौड़ने लगी मैं उहाहहाहह ऊ मर गयी भैया और अंदर से जैसे शब्द निकालने लगी कुछ ही देर मे मेरा शरीर अकड़ने लगा मैं खत्म होने के कगार पर थी। भैया ने शायद इस बात को समझ लिया और मेरी चूत को चाटना छोड़ दिया फिर भैया ने अपने लंड की ओर इशारा करते हुए कहा इसे मुहं मे लो ना।
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मैने कहा भैया बहुत बड़ा है मुहं दर्द करेगा भैया ने कहा जब मुहं दर्द करेगा तो निकाल लेना। मैने मजबूरी मे हाँ कर दी, फिर भैया ने अपना लंड मेरे होठ पर रख दिए और मैं उसे मुहं मे लेकर चूसने लगी। उनका लंड बड़ी मुश्किल से मेरे मुहं मे आ रहा था। कुछ देर मे भैया गरम हो गये और मेरे सर को पकड़कर मुख चुदाई (ओरल सेक्स) करने लगे,
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जिससे मेरी साँस अटकने लगी और मुझे खाँसी आने लगी मैं छुड़ाने की कोशिश करने लगी, पर भैया अपना लंड निकालने को तैयार ही नहीं थे।
बड़ी मुश्किल से मैने उनके लंड को अपने मुहं से बाहर निकाला और राहत की साँस ली फिर मैने भैया से कहा की भैया अब देर मत करो मुझसे रहा नहीं जा रहा है।
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ये सुनकर भैया तेल की शीशी ले आए और मेरे पैरो को फैलाकर उनके बीच बैठ गये और मेरी चूत को फैलाकर उसमे ढेर सारा तेल डाल दिया और तेल की शीशी को किनारे रखकर अपना लंड मेरी चूत मे सटा दिया और अपने दोनो हाथ मेरे कंधे पर रखकर एक झटका दिया जिससे मैं उछल गयी और उनका लंड फिसल गया। भैया ने फिर से अपना लंड चूत पर टिकाया और झटका मारा इस बार तेल के कारण लंड सरसरता हुआ चूत के पर्दे को फड़ता हुआ आधा अंदर घुस गया और में दर्द के मारे में चिल्ला उठी उईईईई माआ म्माआरररर दद्दला रे मेरे आँखो से आँसू आने लगे भैया ने मेरे बालों को अपने हाथों से प्यार से सहलाते हुए मेरे आँसू पोंछे और कहा बस एक बार और फिर तुम्हे भरपूर मज़ा मिलेगा पर मैं उनकी बात नहीं सुनना चाहती थी।
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मैं तो बस यही चाहती रही भैया प्लीज़ नहीं सहा जा रहा है, प्लीज़ उठ जाओ, इस बार भैया ने जैसे मेरी बात अनसुना करते हुए बिना किसी चेतावनी के एक और ज़ोर का झटका दिया ये हमला मेरे लिए खतरनाक था। इस बार पूरा लंड गंगनता हुआ चूत को फाड़कर पूरा अंदर चला गया। मुझे तो लगा कि मेरी साँस ही उखड़ गयी है। मुझे असहाय पीड़ा होने लगी थी।मैं भैया को पीछे धकेलने की पूरी कोशिश किए जा रही थी और रोए जा रही थी और भैया समझाए जा रहे थे, कि जो दर्द होना था हो गया अब मज़ा आएगा,
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ये कहकर वो मेरे बूब्स को दबाने लगे और धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करने लगे। कुछ ही देर बाद चमत्कारिक रूप से दर्द गायब हो गया और दुख सुख मे बदल गया और मुझे स्वर्ग की अनुभूति होने लगी और मैं गांड उछालकर भैया का पूरा साथ देने लगी और साथ ही साथ आआअहह की आवाज़ निकालने लगी थी।कुछ ही देर के बाद में झड़ गयी पर भैया रुकने को तैयार ही नहीं थे। में तीन बार झड़ गयी फिर अचानक भैया ने स्पीड बढ़ा दी और भैया का शरीर अकड़ गया और उनके लंड से वीर्य की पिचकारी निकली,
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जिससे मेरी चूत भर गयी और दोनो निढाल हो गये कुछ देर बाद हम दोनो बिस्तर से उठे तो देखा बिस्तर मेरी चूत के खून से
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और भैया के वीर्य से सना हुआ था।
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मैने बिस्तर को बाथरूम में ले जाकर साफ किया और चूत पर लगे खून को साफ किया पीछे पीछे भैया आ गये तो मैने भैया के लंड को अपने हाथ से रगड़ कर धोया और भैया से कहा भैया तुमने वीर्य अंदर छोड़ दिया है अगर कुछ हो गया तो? तब भैया ने भाभी की एक टेबलेट लाकर दी और कहा इसे खा ले फिर कुछ नहीं होगा। मैंने टेबलेट खा ली और फिर बड़ी मुश्किल से लंगड़ाते हुए बेडरूम तक गयी। चुदाई से मेरा पूरा अंग अंग टूट रहा था। लेकिन मन मे एक सन्तुष्टि भी थी। मैने आज दुनिया की सारी खुशी कुछ ही समय मे पा ली थी और वो भी अपने सगे भाई से। में बेडरूम आकर मैं कपड़े पहनने लगी तो पीछे से भैया ने पकड़ लिया और कहा एक बार और हो जाए, तो मैने पलटकर मुस्कुराते हुए जवाब दिया, अभी नहीं मेरे भैया पहले मुझे सम्भलने तो दो तुमने तो मेरी हालत ही खराब कर दी है। कहकर मैं कपड़े पहनकर पलंग पर लेट गयी पर भैया पर अभी भी खुमारी छाई हुई थी और वो नंगे थे मेरी बगल मे मुझे बाहों में लेकर लेट गये और में भी इस पर मैं भी उनसे लिपट गयी।
 
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IMUNISH

जिंदगी झंड बा, फिर भी घमंड बा ..
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