• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Kaali is to marry in 3 years. Guess what happens


  • Total voters
    4
  • Poll closed .

Curiousbull

Active Member
1,093
1,924
158
7
अमर ने काली की गर्दन के नीचे अपने बाएं हाथ की लंबी उंगलियों को घुसाया और उसका सर उठाया। काली ने अपनी आंखें मदहोशी में कुछ बंद की।


अमर ने काली की नाक को अपने नाक से छू लिया।


अमर, “मैं बुरा आदमी नहीं हूं! पर मैं अपने आप को रोक नहीं सकता…”


काली ने अपने मालिक को अपने दोष को स्वीकार करते सुना और उसकी आह निकल गई। अमर के होठों ने उस आह को पीते हुए काली के होठों तक उसका पीछा किया। अमर के होठों ने काली के होठों को हल्के से छू लिया और काली के बदन ने कांपते हुए यौन उत्तेजना से एक आह भरी।


अमर के अंदर के जानवर ने अपनी शिकार को पहचाना और झपट पड़ा। अमर के होठों ने काली के होठों पर कब्जा करते हुए उसे चूसना शुरू किया। काली ने अपनी बेबस जवानी की पहली आह भरी जिस से उसके होंठ खुल गए।


अमर की जीभ ने काली के खुले होठों को बंद होने से रोकते हुए काली के शरीर में प्रवेश किया। काली जवानी में जलने लगी और उसका बदन तपने लगा। काली की सांसे तेज और कम होने लगी।


अमर के बाएं हाथ ने काली के पेट को सहलाते हुए उसकी कसी हुई नंगी चूची को अपनी उंगलियों की कैंची में पकड़ते हुए उसका सक्त जवान मम्मा दबोच लिया। काली अमर के मुंह में चीख पड़ी और अमर की जीभ काली की जीभ से भिड़ गई।


काली ने अनजाने में अमर की नकल करते हुए अपनी जीभ से अमर की जीभ को सहलाया और अमर ने काली पर हावी होते हुए अपने बदन पर काली को खींच लिया। अब काली की चूचियों को मसल कर निचोड़ा अमर को उतना आसान नहीं रहा पर अमर का निशाना बदल चुका था।


अमर की बाईं हथेली काली के मम्मे को छोड़ कर उसके कसे हुए सांवले पेट को सहलाते हुए काली की नाभी को छेड़ कर नीचे सरकी। अमर की लंबी उंगली ने फूले हुए मांसल यौन होठों की कली के बीच में हल्के से दबाया। यौन होठों में पहली बार मर्द की उंगलियों ने प्रवेश किया।


काली की योनि में से यौन रसों का बांध टूट गया और बाढ़ बाहर बहने लगी। काली अपने मालिक से लिपट गई पर मालिक ने काली के पैरों को फैलाकर अपनी मिल्कियत को सहलाना जारी रखा।


अमर की पहली और तीसरी उंगली ने यौन होठों की कली को फैलाया फुलाते हुए बीच की उंगली को जगह बना कर दी। अमर की इस लुटेरी उंगली ने काली की मासूमियत को लूटना शुरू किया।


काली ने अपने मालिक की लंबी मोटी उंगली को अपने गुप्त अंग में घूमते हुए महसूस किया। ऐसे अंग जिन्हें काली ने छूने की हिम्मत नही की थी उन्हें आज मालिक छेड़ कर उसे तड़पा रहा था।


काली को एहसास हुआ की उसकी जवानी में से बहते गरम पानी का पीछा करते हुए मालिक की उंगली उसकी कोरी जवानी के मुंहाने तक पहुंची। काली को पता नहीं था की वह क्या चाहती थी पर कहीं उसकी जवानी ने अंगड़ाई ली तो उसके बचपन ने रोते हुए उसका साथ छोड़ दिया।


काली की आंखों से आंसू बहते हुए उसके बालों में छुप गए।


अमर की उंगली ने काली की जवानी में एक हल्का गोता लगाया पर वहां का महीन पर्दा महसूस कर रुक गई।


काली सहमी हुई अपनी सांसे रोक कर आने वाले दर्द का इंतजार करने लगी पर अमर के मन में कुछ और ही था। अमर ने योनि के मुंह और महीन परदे के बीच के आधे इंच में ही अपनी उंगली को आगे पीछे करना शुरू किया जिस से काली के बदन में गर्मी बढ़ने लगी। काली को चूमते हुए उसकी आहें पीता अमर उसकी उत्तेजना को मानो जांच रहा था। जब काली को अपने बदन की गर्मी बर्दाश्त के बाहर होने लगी तब अमर ने अपने अंगूठे को इस यौन द्वंद्व में उतारा।


अमर के अंगूठे ने काली की अंदरूनी पतली यौन पंखुड़ियों के मेल में छुपे उभरे हुए यौन मोती को सहलाते हुए बाहर निकाला। काली के बदन में बिजली दौड़ गई और वह चीखते हुए कांपने लगी।


काली को ऐसा एहसास कभी हुआ नहीं था। उसका पूरा बदन मालिक की उंगली के इशारे से किसी तने हुए धनुष की तरह सक्त हो गया था जब उसके पसीने छूटने के बाद भी उसका बदन जलता रहा। अचानक मालिक के अंगूठे ने जैसे तीर को कमान से छोड़ दिया और उसके बदन ने दर्दनाक धुन का मीठा संगीत गाते हुए उसे आसमान की सैर कराई।


काली का गला सूखा हुआ था। काली ने अपनी थकी हुई बोझल आंखें खोल कर अपने मालिक की आंखों में देखा।


काली, “मालिक!… अभी क्या हुआ?…”


अमर मुस्कराकर, “वही जो हर रात तुम मुझे देती हो!”


काली शर्म से लाल होते हुए, “ओह!!…”
Kya likha hai adbhut.

Aapki lekhni ne kayal kar diya.
 

prasha_tam

Well-Known Member
3,537
5,035
143
7
अमर ने काली की गर्दन के नीचे अपने बाएं हाथ की लंबी उंगलियों को घुसाया और उसका सर उठाया। काली ने अपनी आंखें मदहोशी में कुछ बंद की।


अमर ने काली की नाक को अपने नाक से छू लिया।


अमर, “मैं बुरा आदमी नहीं हूं! पर मैं अपने आप को रोक नहीं सकता…”


काली ने अपने मालिक को अपने दोष को स्वीकार करते सुना और उसकी आह निकल गई। अमर के होठों ने उस आह को पीते हुए काली के होठों तक उसका पीछा किया। अमर के होठों ने काली के होठों को हल्के से छू लिया और काली के बदन ने कांपते हुए यौन उत्तेजना से एक आह भरी।


अमर के अंदर के जानवर ने अपनी शिकार को पहचाना और झपट पड़ा। अमर के होठों ने काली के होठों पर कब्जा करते हुए उसे चूसना शुरू किया। काली ने अपनी बेबस जवानी की पहली आह भरी जिस से उसके होंठ खुल गए।


अमर की जीभ ने काली के खुले होठों को बंद होने से रोकते हुए काली के शरीर में प्रवेश किया। काली जवानी में जलने लगी और उसका बदन तपने लगा। काली की सांसे तेज और कम होने लगी।


अमर के बाएं हाथ ने काली के पेट को सहलाते हुए उसकी कसी हुई नंगी चूची को अपनी उंगलियों की कैंची में पकड़ते हुए उसका सक्त जवान मम्मा दबोच लिया। काली अमर के मुंह में चीख पड़ी और अमर की जीभ काली की जीभ से भिड़ गई।


काली ने अनजाने में अमर की नकल करते हुए अपनी जीभ से अमर की जीभ को सहलाया और अमर ने काली पर हावी होते हुए अपने बदन पर काली को खींच लिया। अब काली की चूचियों को मसल कर निचोड़ा अमर को उतना आसान नहीं रहा पर अमर का निशाना बदल चुका था।


अमर की बाईं हथेली काली के मम्मे को छोड़ कर उसके कसे हुए सांवले पेट को सहलाते हुए काली की नाभी को छेड़ कर नीचे सरकी। अमर की लंबी उंगली ने फूले हुए मांसल यौन होठों की कली के बीच में हल्के से दबाया। यौन होठों में पहली बार मर्द की उंगलियों ने प्रवेश किया।


काली की योनि में से यौन रसों का बांध टूट गया और बाढ़ बाहर बहने लगी। काली अपने मालिक से लिपट गई पर मालिक ने काली के पैरों को फैलाकर अपनी मिल्कियत को सहलाना जारी रखा।


अमर की पहली और तीसरी उंगली ने यौन होठों की कली को फैलाया फुलाते हुए बीच की उंगली को जगह बना कर दी। अमर की इस लुटेरी उंगली ने काली की मासूमियत को लूटना शुरू किया।


काली ने अपने मालिक की लंबी मोटी उंगली को अपने गुप्त अंग में घूमते हुए महसूस किया। ऐसे अंग जिन्हें काली ने छूने की हिम्मत नही की थी उन्हें आज मालिक छेड़ कर उसे तड़पा रहा था।


काली को एहसास हुआ की उसकी जवानी में से बहते गरम पानी का पीछा करते हुए मालिक की उंगली उसकी कोरी जवानी के मुंहाने तक पहुंची। काली को पता नहीं था की वह क्या चाहती थी पर कहीं उसकी जवानी ने अंगड़ाई ली तो उसके बचपन ने रोते हुए उसका साथ छोड़ दिया।


काली की आंखों से आंसू बहते हुए उसके बालों में छुप गए।


अमर की उंगली ने काली की जवानी में एक हल्का गोता लगाया पर वहां का महीन पर्दा महसूस कर रुक गई।


काली सहमी हुई अपनी सांसे रोक कर आने वाले दर्द का इंतजार करने लगी पर अमर के मन में कुछ और ही था। अमर ने योनि के मुंह और महीन परदे के बीच के आधे इंच में ही अपनी उंगली को आगे पीछे करना शुरू किया जिस से काली के बदन में गर्मी बढ़ने लगी। काली को चूमते हुए उसकी आहें पीता अमर उसकी उत्तेजना को मानो जांच रहा था। जब काली को अपने बदन की गर्मी बर्दाश्त के बाहर होने लगी तब अमर ने अपने अंगूठे को इस यौन द्वंद्व में उतारा।


अमर के अंगूठे ने काली की अंदरूनी पतली यौन पंखुड़ियों के मेल में छुपे उभरे हुए यौन मोती को सहलाते हुए बाहर निकाला। काली के बदन में बिजली दौड़ गई और वह चीखते हुए कांपने लगी।


काली को ऐसा एहसास कभी हुआ नहीं था। उसका पूरा बदन मालिक की उंगली के इशारे से किसी तने हुए धनुष की तरह सक्त हो गया था जब उसके पसीने छूटने के बाद भी उसका बदन जलता रहा। अचानक मालिक के अंगूठे ने जैसे तीर को कमान से छोड़ दिया और उसके बदन ने दर्दनाक धुन का मीठा संगीत गाते हुए उसे आसमान की सैर कराई।


काली का गला सूखा हुआ था। काली ने अपनी थकी हुई बोझल आंखें खोल कर अपने मालिक की आंखों में देखा।


काली, “मालिक!… अभी क्या हुआ?…”


अमर मुस्कराकर, “वही जो हर रात तुम मुझे देती हो!”


काली शर्म से लाल होते हुए, “ओह!!…”

Bhaut Bhadiya
:superb:
👌

Please continue
👍

Waiting for next update
 

Lefty69

Active Member
1,635
4,139
159

Lefty69

Active Member
1,635
4,139
159
8

काली की मोहक मासूमियत से अमर के अंदर का जानवर सर झटक कर आगे बढ़ा। अमर ने काली के होठों को हल्के से चूमा पर जीभ को जुड़ने से रोका।



अमर के होंठ नीचे सरके तो काली ने प्रश्न भरी आंखों से अपने मालिक को देखा। अमर ने मुस्कुराकर उसे धीरज दिया और उसके गले को चूमने लगा। काली आंखें बंद करके आहें भरने लगी।



नीचे सरकते हुए अमर के होठों ने काली के गले को चूमकर उसकी पसलियों को चूमने लगा। पिछले हफ्ते में काली पोषक आहार खाने से अब स्वस्थ दिखने लगी थी और उसकी पसलियों पर मांस चढ़ने लगा था।



काली की छोटी कसी हुई चूचियों को देख कर अमर बस उनके फूलने का इंतजार कर सकता था। अमर ने जब अपने होठों को काली के जवान पकते मम्मे पर लगाया तब वह आह भरते हुए चौंक गई।



अमर ने मुस्कुराकर काली की उभरी सक्त चूची को अपने होठों में पकड़ा तो काली ने डरकर अमर के बालों को पकड़ कर दूर करने की कोशिश की। अमर ने अपने होठों में काली की चूची को पकड़े रखा जिस से वह खींच गई। काली की उत्तेजना भरी आह निकल गई और उसने अपने मालिक के सर को अपने मम्मे पर दबाया।



जल्द ही काली अपने मालिक का सर इस्तमाल कर अपनी चूची को जोर जोर से चुसवा रही थी। अमर ने दूसरे मम्मे को अपने हाथ से छेड़ना जारी रखा और बेचारी काली बदहाल हो गई। उत्तेजना वश बेचारी मासूम कली बस मम्मे चुसवाने से हल्के हल्के झड़ने लगी।



अमर ने काली के तड़पते बदन को राहत देने के लिए उसकी चूचियों पर से अपना ध्यान हटाया और काली निराशा से सिसक उठी। अमर नीचे जाते रहा।



काली के कसे हुए सांवले पेट को चूमते हुए जब अमर ने काली की चूत के ऊपर के उभरे हुए हिस्से को चूमा तो काली उत्तेजना से रो पड़ी। अमर ने काली के पैरों को खोल कर उनके बीच में बैठते हुए काली के घुटनों को अपने कंधों पर रख लिया। अब काली अपने मालिक को अपनी जवानी का खजाना परोसने को मजबूर थी।



अमर के होठों ने काली के फूले हुए बंद यौन होठों को चूम लिया। काली सिसक उठी। अमर ने चूमना शुरू किया और अपने होठों को काली के यौन होठों पर दबाया। काली की उत्तेजित जवानी बुरी तरह रस बहा गई।



अमर ने बंद होठों के जोड़ में से टपकते रस को चाटते हुए यौन होठों के जोड़ को अपनी लपलापती जीभ से चाट कर खोला। काली का सांवला छरहरा बदन कांपते हुए तड़पने लगा। काली उत्तेजना वश बुदबुदाने लगी।



काली को कुछ चाहिए था, उसे जरूरत थी, उसकी जिसके बगैर वह मर रही थी। पर काली को यह पता नहीं था कि वह क्या है।



अमर भी अब संयम को रहा था। अमर ने काली की कच्ची कली को जोर से चूमते हुए अपना पूरा मुंह काली के पैरों के बीच में दबाया। काली अमर की जीभ को अपने गुप्त अंग में घुस कर अपने महीन परदे को सहलाते हुए महसूस कर अकड़ने लगी।



काली इतनी उत्तेजित हो गई थी कि वह बस मालिक की जीभ के स्पर्श से झरने की तरह बहते हुए झड़ गई। काली लगातार झड़ने से अपने बदन को ढीला छोड़ कर बेसुध हो गई।



अमर के शैतानी दिमाग में कुछ आया और उसने काली की चूत को चाटते हुए उसके बहते रसों में अपनी लंबी पतली छोटी उंगली को भिगो दिया।



काली को कुछ अजीब लग रहा था पर उसका वासनांध दिमाग समझ नहीं पा रहा था। अमर की छोटी उंगली ने काली की भूरी कसी हुई गांड़ पर प्यार से उत्तेजना के रस को मलते हुए उसे चिकना बना दिया।



अमर की छोटी उंगली पहले मोड़ तक काली की गांड़ में समा गई और काली की आंखें खुल गईं। काली की गांड़ इस घुसपैठिए पर कस गई और काली का बदन सक्त हो गया।



काली, “मा!!…”



अमर ने काली की चूत को चाटते हुए उसकी गांड़ में अपनी छोटी उंगली को आगे पीछे करना शुरू किया। काली की रिस्ती चूत में से रसों का बहाव बढ़ गया। काली के उभरे यौन दाने को अमर ने अपने होठों में पकड़ कर चूसना शुरू किया और काली बेबसी में रोते हुए झड़ने लगी।



झड़ते हुए काली का बदन ढीला पड़ने लगा और अमर की छोटी उंगली पूरी तरह काली की कोरी गांड़ में समा गई। काली झड़ती रह गई जब उसका बदन अपनी गांड़ में से आते मीठे दर्द को अपनाने लगा। कच्ची जवानी अपने शिकारी के लिए खुल गई और अमर की छोटी उंगली नोक से जड़ तक अन्दर बाहर करते हुए चूत और गांड़ के बीच के पतले मांसल परदे से काली की चूत को अंदर से सहलाने लगी।



काली ने अपने बदन को मालिक के हवाले करते हुए अपने मन को मालिक के दर्दनाक मजे में झोंक दिया। अमर ने काली को सहयोग करते पाया और इसका फायदा उठाया।



काली ने झड़ते हुए अपने बदन को ढीला छोड़ दिया और अमर ने अपनी छोटी उंगली को तर्जनी अंगुली के साथ बदल दिया। इस से अमर काली की गांड़ में गहराई तक घुसकर काली की चूत की बेहतर तरीके से सहला कर झड़ा रहा था।



अब काली बेसुध होकर “उन्म्म… उन्म्म!!…” की आवाजें करने लगी तब अमर काली की गांड़ की अपनी तर्जनी अंगुली से पूरी तरह चोदते हुए अपने उंगली पर थूंक रहा था। इस से काली की गांड़ अंदर से भी गीली और चिकनी होने लगी।



जब अमर की तर्जनी अंगुली काली की गांड़ आसानी से मारने लगी तब काली के बेसुध चेहरे को देखते हुए अमर ने अपनी तर्जनी अंगुली के साथ अपनी बड़ी उंगली भी जोड़ दी।



दो उंगलियों से खुलकर फटती गांड़ से काली चीख कर होश में आई।



काली, “मा… मा… मालिक!!… नही मालिक!!… और नहीं!!…”



लेकिन अमर नहीं रुका। अमर ने दो उंगलियों से अपनी गुलाम का खजाना लुटते हुए उसकी तड़प का खूब मजा लिया। काली मालिक के हाथों मजबूर अपनी गांड़ मालिक की उंगलियों से खुलवाकर झड़ती रही। काली की हालत ऐसी हो गई थी कि अब वह बिना चूत या मम्मे छुए बस गांड़ मरवाने से झड़ रही थी।



काली को पौने घंटे तक लगातार झड़ाने के बाद अमर थक गया और उसने काली को धीरे धीरे जमीन पर लाया। अमर जब रात को सोने के लिए काली को उठाकर अपने बिस्तर की ओर चला तब काली बिना हड्डी की गुड़िया की तरह अमर की बाहों में आहें भर रही थी।



अमर ने काली का पसीने से लथपथ बदन पोंछ दिया और उसे पानी पिलाया। काली मालिक के हाथों से अपने बदन के बने गीत सुन कर खामोश हो गई थी। अमर ने काली को पैंटी के अंदर सैनिटरी नैपकिन लगाना और पहनना सिखाया। फिर दो जवान बदन एक दूसरे से लिपट कर सो गए।
 

Lefty69

Active Member
1,635
4,139
159
Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki
Thank you for your continued support and reply.

Do send me your ideas and suggestions
 

Lefty69

Active Member
1,635
4,139
159
  • Like
Reactions: pooja69
Top