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Kaali is to marry in 3 years. Guess what happens


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prasha_tam

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अगली सुबह काली अपने मालिक को सोते हुए छोड़ कर तयार होने के लिए बाथरूम में गई। काली प्रातःविधि कर गरम पानी के नीचे खड़ी हो गई तो उसे पीछे से मालिक की आहट हुई।


अमर ने नंगी भीगी काली का मतवाला बदन पानी के नीचे इठलाता पाया और गुर्राया। अमर ने अपने मूसल पर काबू करने के बजाय उसे अपने आप को काबू करने दिया।


अमर ने पीछे से काली को पकड़ कर अपने सीने पर खींचा। काली अपने मालिक के तेवरों को आदि हो कर पानी के नीचे मुस्कुराई। अमर ने अपनी गुलाम को अपने बदन पर रगड़ते हुए उसके भरे हुए मम्मे दबाए। काली अपनी चुचियों के दबने से उत्तेजनावश कराह उठी।


अमर ने काली को अपने सीने से लगाते हुए उसके पैरों को फैलाया। काली की भीगी चूत में से यौन रसों की चिकनी धारा बह रही थी। अमर की उंगलियों ने उस रस में डुबकी लगाई और दो उंगलियों से अपनी प्रेमिका को चोदते हुए चीखने पर मजबूर किया।


काली की योनि में से रसों का सैलाब अमर की उंगलियों पर झड़ते हुए बह आया। काली ने अमर को अपने रस से भीगी उंगलियों को सूंघ कर चाटते हुए देखा और वह उत्तेजना से व्याकुल हो गई।


अमर ने काली की झड़कर कांपती जवानी में अपना मूसल एक वार में म्यान कर दिया। काली ने अपने हाथों को ऊपर उठा कर पीछे करते हुए अपने मालिक को उसके बालों से पकड़ लिया।


आज काली को मालिक का लौड़ा ज्यादा जोर से ज्यादा गहराई में जाकर ज्यादा ठूसता हुआ महसूस हो रहा था। अमर ने काली की भड़की जवानी को स्खलन तक ताबड़तोड़ चोदते हुए उत्तेजित किया।


जैसे ही काली झड़ने लगी तो उसकी गांड़ ढीली हो गई। अमर ने इसका फायदा उठाकर काली को अपनी उंगलियों से सहलाकर झड़ते हुए रख कर अपने लिंग को काली के पिछवाड़े की गहराई में पेल दिया।


काली अपने मालिक की होशियार उंगलियों से चुधती उसके जानलेवा लौड़े पर अपनी गांड़ मराने लगी। अमर ने काली को जम कर चोदते हुए उसके बदन को तबियत से लूटा। अमर ने काली की गांड़ पूरे 12 मिनट मारी और फिर उसकी आतों को रंगते हुए झड़ गया।


काली हमेशा की तरह मालिक की बाहों में झड़ने का हिसाब भूल चुकी थी। दोनों शॉवर के नीचे थक कर बैठे अपनी सांसों को गिनने लगे।


काली, “मालिक…

उन्मम!!…”


अमर ने काली के माथे पर चूमा पर कुछ नहीं कहा।


काली 10 मिनट बाद मालिक को उसे देरी कराने के लिए डांटते हुए चली गई। अमर ने काली को अफसोस भरी आंखों से देखा पर कुछ नहीं कहा।


काली अपने दुकान पर पहुंची तो उसने वृषभ को स्टूल पर खड़े होकर शटर खोलता पाया।


काली चौंक कर, “क्या हो रहा है?”


वृषभ चौंक कर घूम गया तो वह स्टूल पर से गिरने लगा। काली मदद करने आगे बढ़ी पर वृषभ के भरी शरीर के नीचे दब गई। अगर वृषभ ने आखरी पल में पलटी मारी नहीं होती तो काली स्टूल पर से गिरते वृषभ से जरूर चोट खाती।


वृषभ ने आखरी पल में पलटी मारते हुए काली को अपने ऊपर लिया पर खुद को बचा नहीं पाया। वृषभ की आंखों के सामने तारे चमक रहे थे तो काली ने उसे बैठने में मदद की।


वृषभ, “बाबा ने बोला की शटर भारी हो गया है तो अंदर की स्प्रिंग पर ग्रीस लगा रहा था।”


काली वृषभ को पानी देते हुए, “आप इंजीनियर हैं पर मुझे नहीं लगता कि आप को यह काम सिखाया गया है।”


वृषभ काली के ताने से हंसकर, “जरा यह बात मां को भी बताना!!”


दोनों कुछ देर के लिए बातें करते हुए दुकान में बैठे रहे और फिर वृषभ अपने घर लौटा। ऐसी मुलाकातें हर दिन होने लगी जब वृषभ ने बगल की दुकान में अपना ऑफिस बनाया। वृषभ का ऑफिस बस नाम का था क्योंकि उसका सारा धंधा फोन से होता था।


वृषभ ने सोमालिया के कबीले के लोगों को किसी खास मुश्किल में मदद की थी। इस लिए वह लोग वृषभ पर भरोसा करते थे और वहां का कच्चा माल पाने के लिए लोग दुनिया भर से वृषभ को ढूंढते हुए आते।


तीन महीने पलक झपकते बीत गए और एक दोपहर काली रोते हुए घर लौटी। काली खाना खाने आए अमर को बताने से इंकार कर रही थी पर उसका रोना बंद नहीं हो रहा था। अमर ने आखिर में काली को आदेश दिया और काली को सच्चाई बतानी पड़ी।


आज दोपहर को वृषभ ने उससे शादी की बात की थी। काली अपनी सच्चाई से मजबूर कोई जवाब दिए बगैर घर भाग आई।


अमर, “तुम ने वृषभ को कोई जवाब दिए बगैर दुकान को खुला छोड़ कर भागना सही समझा?”


काली का दिल टूट रहा था पर वह वृषभ को अपनी सच्चाई बता कर उसकी नजरों में गिरना नहीं चाहती थी। अमर ने काली की हैरान आंखों के सामने वृषभ को उसके माता पिता के साथ घर पर बुलाया।


काली अमर के पैर पकड़ कर रोने लगी की उसे इन लोगों के सामने जलील न करे पर अमर पत्थर जैसा अडिग रहा। वृषभ अपने माता पिता के साथ आया तो अमर ने उनके सामने काली को बेडरूम में बंद कर दिया।


अमर, “आप सब काली को पसंद करते हैं। वृषभ तुमने कहा कि तुम काली से प्यार करते हो। पर क्या आप सब का यह प्यार सच्चाई को बोझ संभाल पाएगा?”


सारे महमान एक दूसरे को देखने लगे।


अमर, “मैं काली को गुलामों की मंडी में मिला था। वहां की लड़कियां बिक कर रंडीखाने में पहुंचती हैं। मैं गुलाम खरीदना नही चाहता था पर नसीब की बात है कि मैंने काली को खरीद लिया। मैंने कभी काली को गुलाम की तरह नहीं माना।”


वृषभ और उसके माता पिता हैरानी से सुनते रहे।


अमर, “काली का स्वभाव आप जान चुके हैं। काली को आप आज वह जैसी है पसंद करते हैं। पर शादी पूरी जिंदगी का रिश्ता है और यहां किसी भी तरह का धोखा बहुत दर्दनाक होता है। आप काली को अपने घर की बहु बना लें इस से पहले मेरी एक शर्त पूरी करनी होगी।”


वृषभ ने अपना सर हिलाकर हां कहा तो अमर मुस्कुराया।


अमर, “अब आप सच्चाई जानते हो तो आगे कभी उसकी बीती हुई जिंदगी के बारे में नहीं पूछोगे! काली बेहद खुद्दार और वफादार इंसान है। मैं नहीं चाहता कि उसे अपनी पूरी जिंदगी सच के डर से घुट घुट कर जीना पड़े। आप लोग आपस में बात कर तय कीजिए की आप के लिए क्या ज्यादा मायने रखता है। आज की काली या उसका दुख भरा अतीत?”


वृषभ अपने माता पिता के साथ अपने घर लौटा और काली किसी जख्मी जानवर की तरह बेडरूम में रोती रही। शाम को अमर ने काली को फोन कर आदेश दिया कि वह सज संवर कर तयार रहे क्योंकि वह उसे कुछ खास लोगों से मिलवाने वाला है।


काली पूरी तरह टूट चुकी थी और उसने अपनी अगली नीलामी के लिए खुद को संवारा।


रात के 10 बजे अमर अपने साथ वृषभ और उसके माता पिता को लाया। काली सब को दुबारा देख कर चौंक गई पर सब उसे देख कर मुस्कुरा रहे थे।


वृषभ काली के सामने एक घुटने को नीचे रख खड़ा हो गया।


वृषभ, “काली मैं तुमसे प्यार करता हूं। तुम जैसी हो वैसी ही मेरी, हमारी पसंद हो! (अपनी जेब में से एक हीरे की अंगूठी निकालकर) क्या तुम मेरे साथ शादी कर मेरा प्यार बनना चाहती हो?”


काली ने अमर की ओर देखा तो वह मुस्कुराया।


अमर, “पहले उसे जवाब दो और फिर मेरे और तुम्हारे होने वाले सास ससुर के पैर छू कर आशीर्वाद लो!”


काली ने शर्माते हुए हां कहा और वृषभ से अंगूठी अपने बाएं हाथ की उंगली पर पहना ली। काली का हर वह सपना आज पूरा हो रहा था जिसे देखने तक कि हिम्मत उस में नहीं थी।


शादी की बात हो गई तो अमर ने काली को अपने से दूर करते हुए हॉल में सोने को कहा। काली ने अपने मालिक को मन ही मन दुआएं देते हुए अपने जाने की तयारी कर ली।


शादी के बाद इस भले आदमी को काली की जगह पर दूसरी नौकरानी मिलने तक वृषभ की मां खाना भेजने वाली थी पर काली को अपने मालिक की फिक्र हो रही थी। वृषभ बताने को तैयार नहीं था कि वह काली को शादी के बाद कहां घुमाने ले जा रहा है पर उसे पता था कि उसे अपनी दुकान 1 महीने तक चलाने के लिए किसी लड़की की जरूरत थी।


किस्मत की बात थी की एक लड़की उसी दिन उस के पास नौकरी मांगने आई। प्रिया काली से एक साल छोटी थी और खुद जल्द ही शादी करने घर से भाग आई थी। दोनों लड़कियों में जल्द ही दोस्ती हो गई।


प्रिया की चित्रकला और फैशन की समझ उसे काली क्रिएशन में काम करने के लिए बेहतरीन बनाती थी। प्रिया अगर अपने चिराग के प्यार में नहीं जलती तो काली उसे अपने मालिक अमर से जरूर मिलवाती। प्रिया को कुछ दिनों में दुकान चलाने की बारीकियां बता कर काली अपनी शादी का जोड़ा लेकर हवा में तैरती हुई शादी को तयार हो गई।

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शादी के दो दिन पहले अमर को पिता की हैसियत से वृषभ के घर बुलाया गया। अमर ने डरी हुई काली को धीरज दिया की रिवाज के मुताबिक लड़के वालों ने लड़की के लिए स्त्रीधन भेजा है।


काली सोने का पानी चढ़ाए हार और जेवरात देख कर खुश हो गई। अमर ने बड़े भाई की तरह काली के लिए सारे इंतजाम किए।


शादी के दिन दुल्हन की ओर से बहुत ज्यादा लोग नहीं थे। अमर ने जब काली का कन्यादान किया तब काली की आंखों में पानी भर आया। वृषभ अपनी नई नवेली पत्नी को समझ रहा था।


पहली रात को काली फूलों की सेज पर बैठी थी जब वृषभ अपने दोस्तों से पीछा छुड़ाकर अंदर आया। काली कुछ डरी हुई थी तो वृषभ ने उसे अपनी बाहों में लिया और उसे बोलने दिया।


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काली, “मैं आप को अपने अतीत के बारे में बताना चाहती हूं।”


वृषभ, “इसकी कोई जरूरत नहीं है। मैं तुमसे प्यार करता हूं और करता रहूंगा। मुझे तुम्हारा साथ हमारे वर्तमान में हमारे भविष्य के लिए चाहिए।”


काली वृषभ की आंखों में देखते हुए, “मैं यह जानती हूं इसी लिए आप को बताना चाहती हूं। मालिक ने दो दिन पहले मेरा कड़ा काट कर निकाला। इस तरह उन्होंने मुझे मेरी आजादी दी। पर मेरा अतीत उतना भी बुरा नहीं जैसा मालिक ने इशारा किया था।”


काली ने अपने परिवार के लिए खुद को बेचना, ट्रक में फुलवा दीदी से मुलाकात, गुलामों की नीलामी में मची भगदड़, खुद अपना सौदा करने की जरूरत यह सब वृषभ को बताया। काली की बातों से वृषभ समझ गया कि अमर की हरकतों से आज कई लड़कियां आजाद हैं।


काली, “मुझे डर था की मालिक मेरा सौदा कर मुझे किसी को बेच देंगे इस लिए मैंने अपनी मर्जी से उन्हें अपनी इज्जत दी। (वृषभ की आंखों में देखते हुए) मेरी जिंदगी में आप दूसरे मर्द और पहला प्यार हैं।”


वृषभ काली को अपने सीने से लगाकर उसके सर को चूम कर, “मैं जानता हूं कि यह सच बताना तुम्हारे लिए कितना मुश्किल रहा होगा। इसी लिए मैं भी अपना एक सच बताऊंगा।”


काली की आंखों में देखते हुए, “मां बाबा को भी यह बात पता नही है पर अफ्रीका जाते हुए मुझे ठग लिए गया था। वह कंपनी हमें गुलामों की तरह रखती थी। एक साल भर बुरी हालत में जीने के बाद अचानक हमारे मालिक हमें जंगल में छोड़ कर भाग गए। हम 7 लोग उनका इंतजार करते रहे जब हमें पता चला की यहां बीमारी फैली हुई है।”


दर्द भरे दिनों को याद करते हुए वृषभ, “10 दिनों तक तेज बुखार और बदन दर्द के बीच हमें पानी तक नसीब नहीं हुआ। 10 दिनों बाद जब आंख खुली तो सिर्फ दो ही जिंदा थे। खाने पानी की तलाश हमें जंगल के कबीले तक ले गई। वह लोग भी बीमार थे। हम दोनों दोस्तों ने कबीले की मदद की। कुछ दिनों बाद कबीले के सरदार ने हमें कबीले का हिस्सा बनाया और अपना सारा धंधा हमारे जरिए करने का वादा किया।”


काली मुस्कुराई, “आप बहुत नेक इंसान हैं। (सोने के हार पर हाथ रख कर) आप का धंधा जैसा भी हो हम हमेशा साथ होंगे!”


वृषभ रहस्यमई मुस्कान से, “शादी में नकली हीरों का नकली हार पहनना तुम्हारा प्यार ही है।”


काली, “आप का दिया है तो नकली कैसे हुआ? आप मेरे हैं तो यह भी मेरा है!”


वृषभ, “जानू, सोमालिया में हीरे और सोना नहीं है पर कबीला सिर्फ सोमालिया की चीजें मुझे नहीं देता। यह सारे हीरे भी असली हैं और सोना भी! (काली ने चौंक कर अपने गले को छू लिया) और हम 3 दिन बाद अपनी कंपनी के हवाई जहाज में घूमने जा रहे हैं!”


वृषभ काली को चौंका कर खुश हो गया। काली ने अपने पति पर सवालों की बरसात कर दी तो वृषभ ने अपनी पत्नी को पति के अधिकार से चुप कराया। सुबह तक काली आहें भरते हुए अपना नाम तक भूल गई। जब वृषभ ने काली को उठाया तब काली को सिर्फ एक सवाल पूछना था,
“क्या वह जड़ी बूटी भी कबीले वालों की देन है? शैतान कहीं के!”


तीन दिन बाद शादी की रस्में पूरी कर दुल्हा दुल्हन हवाई जहाज में बैठ गए। वृषभ अपनी पत्नी के साथ उत्तर पूर्व भारत की सुंदरता में खो गया। वृषभ के आखरी पड़ाव से काली खुशी से झूम उठी।


वृषभ काली को उसके गांव वापस ले गया। काली को अपने पति पर विश्वास था इस लिए वह बिना डरे उसे अपने माता पिता की कच्ची मिट्टी की कुटिया में ले गई। काली के मां बाप उसे खुश और स्वस्थ देख कर रो पड़े। काली का भाई अब बड़ा हो गया था पर उसके पैरों में गिर कर माफी मांगने लगा।


काली, “छोटे अगर मैं तेरे लिए खुद को नहीं बेचती तो इतना प्यार करने वाला पति कैसे मिलता? यकीन से कहती हूं कि यह तुझसे शादी नहीं करते!”


बाप और भाई दामाद को गांव दिखाने ले गए और मां ने काली को गांव की खबर सुनाई।


मां, “साहूकार किसी चक्कर में फंस कर कंगाल हो गया है! तुझे चंदा याद है? वही गोरी चिट्टी पढ़ाकू लड़की… सुना है कि साहूकार उसे 10 हजार में बेच रहा है!”


काली को चंदा याद थी। चंदा काली से 3 साल छोटी पढ़ाकू लड़की थी इस लिए खेलकूद में आती नहीं थी। जब साहूकार ने उनका सारा अनाज हथिया लिया था तब चंदा ने उसे अपनी 3 रोटियां दी थी। काली की सातवी कक्षा तक पढाई भी चंदा की किताबों से हुई थी।


काली सोचकर, “साहूकार का कर्जा कहां है वह पता लगाओ। और हां, उसे कल दोपहर को चंदा को लाने को कहना।”


काली रात को वृषभ को मनाने लगी तो सुबह तक बेचारा हर बात के लिए मान गया। वृषभ ने काली की बताई तयारी पूरी की तब तक काली ने अपने घरवालों को अपने काम बताए।


सुबह 10 बजे साहूकार 18 साल की चंदा को ले आया तब नजारा कुछ ऐसा था।


वृषभ – बदमाश व्यापारी


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काली – जिद्दी सेठानी

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छोटा भाई – हवा करता नौकर

मां बाप – दूर डर कर खड़े बूढ़ा बुढ़िया


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काली को देख चंदा खुश हो गई और उसे पुकार कर आगे बढ़ी।


वृषभ, “क्या इस सुखी टहनी को खरीदना चाहती हो? इस से काफी बेहतर तुम्हें दूसरे गांव में दिलाता हूं!”


चंदा वृषभ की बात सुनकर रुक गई। चंदा को ऐसे लगा मानो वृषभ की आंखें उसे सब के सामने नंगा कर रही थी। चंदा ने अपने कदम पीछे खींच कर लौटना चाहा तो उसके पिता ने उसे पकड़ लिया।


साहूकार, “अरे नही मालिक, जरा इसकी गोरी चमड़ी देखो! बिलकुल बेदाग है! और मैंने इसे अच्छे से खिलाया पिलाया है! देखो इतनी भरी हुई कुंवारी कली पूरे गांव में नहीं मिलेगी!”


वृषभ छोटे को डांट कर, “साले हवा कर! इस घटिया गांव में सब कुछ सड़ा हुआ है! (चंदा का भरा हुआ बदन देख कर) इसे देख कर ही लगता है कि पूरा गांव इसे चोद चुका है। मेरे दोस्त बड़े लोग हैं, उन्हें ऐसा घटिया माल पसंद नही आएगा! दफा हो जाओ! जानू हम कश्मीर की कली खरीद लेते हैं! साली चार बार लूटकर भी कुंवारी लगती है!”


चंदा अपने बाप की पकड़ से खुद को छुड़ाने के लिए छटपटाने लगी तो साहूकार ने उसे थप्पड़ लगाकर नीचे गिरा दिया। काली ने बरसों से जमा गुस्सा एक किया और एक थप्पड़ लगाकर साहूकार को नीचे गिराया।


काली, “अगर इसकी गोरी चमड़ी पर दाग लगा तो इसकी एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिलेगी!”


चंदा को उठाकर उसका चेहरा अपने हाथों में लेकर काली, “साहूकार, मैं जानती हूं कि तू इसे पनौती मानता है। लेकिन मैं तुझे धोखा नहीं करूंगी। मैं तेरी वजह से 5 हजार रुपए में बिकी थी तो मैं इसे भी 5 हजार में खरीदूंगी। (वृषभ ने विरोध का स्वर दिया) 5 हजार का तेरा कर्जा उतारूंगी या इसे लेकर दफा हो जा!”


साहूकार शराब के कर्जे का सोच मान गया और वृषभ साहूकार को हिसाब करने ले गया।


चंदा, “काली! मैं तेरी सहेली…”


काली, “हां चंदा! तेरे एहसान ही उतार रही हूं। अगर मैं नहीं खरीदती तो तुझे कोई और खरीदता। अब एक और बात सुन, मैं तेरी जवानी को एक खास मर्द को पेश करूंगी। अगर तूने उसे ऐसे खुश किया की वह तुझे अपनी गुलाम बनाने को तैयार हो जाए तो तू रण्डी नहीं बनेगी।”


चंदा डरकर, “अगर उसने मुझे अपना गुलाम नहीं बनाया तो?”


काली ने चंदा की हथेली में एक कड़ा रुख कर, “अगर उसने तुझे यह कड़ा पहनाकर अपनी गुलाम बनाया तो मेरे सर से उसका भी कर्ज उतर जायेगा। वरना अगली सुबह से तू सस्ती रण्डी बनकर दिन में बीस से ज्यादा मर्दों में चुधवा कर साल दो साल में मर जाएगी।”


चंदा हताश होकर अपने नए मालिक के पैरों में बैठ कर अपनी जिंदगी का सहारा वह कड़ा देखने लगी। कड़े पर किसी डॉक्टर का नाम पता और फोन नंबर दर्ज किया गया था। अजीब बात यह थी कि कड़े को दो जगह पर काट कर दुबारा वहीं से जोड़ा गया था।


उसी शाम को काली ने अपने माता पिता से विदा ली और छोटे भाई को अच्छे से पढ़ने की सलाह देकर अपने पति के साथ अपनी गुलाम लेकर हवाई जहाज में चढ़ गई। चंदा अपनी बचपन की सहेली को पहचान नहीं पा रही थी।


क्या भूखी होकर भी खुद्दारी से जीने वाली, रोटी के बदले जंगली इमली का सौदा करने वाली काली ये हवाई जहाज में से गुलाम खरीदकर ले जाती औरत थी? क्या 3 सालों में चंदा भी ऐसी पथरदील औरत बन जाएगी?
 

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puri fauj bana do slaves....amar jab chahe jise chahe use chode
Fauj ka agla sipahi aa raha hai

Koi farmaish?
 

Lefty69

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Bhai story ko jaldi jaldi end mat Karo.. bahot hi shandar story hai ..
AA gai story ki agli heroine
 

Lefty69

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railwayplatform welcome to the story
 

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बहुत ही लाजवाब अपडेट कहानी लगता है अपने अंत की तरफ बढ़ रही है
Amar ka agla tohfa kaise katega?
 

Lefty69

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Sabhi update ekdum lajwab he Bhai,

Amar ne Kali ke tino chhed bhogne ka man bana liya he..........aur Kali bhi Amar ka sath de rahi he......

Lekin in do dino baad Kali ka kya bhavishya hoga, ye jarur janana chahunga me

Keep posting Bhai
Kaali ka bhavishya ab najar aa raha hai

Kya ye kahani se Kaali ki exit hai?
 

Dharmendra Kumar Patel

Nude av or dp not allowed. Edited
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बहुत ही रोचक और लाजवाब अपडेट
 

Lefty69

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बहुत ही रोचक और लाजवाब अपडेट
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